UP Board Class 12 Psychology Model Papers Paper 2

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Board UP Board
Textbook NCERT
Class Class 12
Subject Psychology
Model Paper Paper 2
Category UP Board Model Papers

UP Board Class 12 Psychology Model Papers Paper 2

समय : 3 घण्टे 15 मिनट
पूर्णांक : 100

निर्देश प्रारम्भ में 15 मिनट परीक्षार्थियों को प्रश्न-पत्र पढ़ने के लिए निर्धारित हैं।
नोट

  • सभी प्रश्न अनिवार्य हैं।
  • प्रश्न संख्या 1 बहुविकल्पीय प्रश्न हैं।
  • प्रश्न संख्या 2 से 6 तक निश्चित उत्तरीय प्रश्न (एक वाक्य) हैं।
  • प्रश्न संख्या 7 से 12 तक अतिलघु उत्तरीय प्रश्न हैं, जिनका उत्तर लगभग 25 शब्दों में लिखना है।
  • प्रश्न संख्या 13 से 18 तक लघु उत्तरीय प्रश्न हैं, जिनका उत्तर लगभग 50 शब्दों में लिखना है।
  • प्रश्न संख्या 19 से 21 तक दीर्घ उत्तरीय प्रश्न हैं, जिनका उत्तर लगभग 250 शब्दों में लिखना है।
  • सभी प्रश्नों के अंक उनके सम्मुख अंकित हैं।

बहुविकल्पीय प्रश्न

प्रश्न 1
(i) स्नायु कोशिका के उद्दीप्त होने के कारण उसमें उत्पन्न होने वाले विद्युत रासायनिक विक्षोभ को कहते हैं [1]
(a) ज्ञान का संचार
(b) स्नायु आवेग
(c) स्नायविक कण्ठ
(d) उत्तेजना।

(ii) अनुभव और प्रशिक्षण द्वारा व्यक्ति के व्यवहार में अपेक्षाकृत स्थायी परिवर्तन कहलाता है। [1]
(a) सीखना
(b) व्यक्तित्व
(c) प्रत्यक्षीकरण
(d) स्मृति

(iii) व्यक्तित्व को सन्तुलित बनाए रखने में महत्त्वपूर्ण है। [1]
(a) इदम्
(b) अहम्
(c) पराअहम्
(d) ये सभी।

(iv) थॉर्नडाइक के अभ्यास एवं प्रभाव के नियम क्या सीखने में सहायक होते हैं।
(a) स्वतन्त्र चर
(b) आश्रित चर
(c) यन्त्र एवं उपकरण
(d) ये सभी

(v) एक समय में एक ही व्यक्ति को दिया जाने वाला बुद्धि परीक्षण कहलाता है।
(a) सामूहिक बुद्धि परीक्षण
(b) वैयक्तिक बुद्धि परीक्षण
(c) क्रियात्मक बुद्धि परीक्षण
(d) सामाजिक बुद्धि परीक्षण

निश्चित उत्तरीय

प्रश्न 2
अनुभव एवं प्रशिक्षण के फलस्वरूप व्यवहार का अपेक्षाकृत स्थायी और प्रगतिपूर्ण परिवर्तन ही ……. है।

प्रश्न 3
“अपने पूर्व व्यवहार में परिवर्तन करना ही, सीखना कहलाता है।” यह कथन किसका है?

प्रश्न 4
व्यक्ति के सभी बाहरी तथा आन्तरिक गुणों की समग्रता को किस नाम से जाना जाता है।

प्रश्न 5
थॉर्नडाइक के अभ्यास व प्रभाव के नियम किसमें सहायक हैं?

प्रश्न 6
दर्पण लेखन में चित्रण की सहायता से क्या ज्ञात किया जा सकता है।

अतिलघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 7
न्यूरॉन के भाग स्पष्ट कीजिए। [4]

प्रश्न 8
स्मृति में प्रत्यावाहन (Recall) का क्या स्थान है? [4]

प्रश्न 9
ध्वनि प्रदूषण के लिए उत्तरदायी कारकों का विश्लेषण कीजिए। [4]

प्रश्न 10
सामूहिक बुद्धि परीक्षण से क्या तात्पर्य है? [4]

प्रश्न 11
व्यक्तित्व के विकास को प्रभावित करने वाले जैविकीय तथा सामाजिक कारक कौन-कौन से हैं? [4]

प्रश्न 12
रुचि परिक्षण से आप क्या समझते हैं?

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 13
विस्मरण के कारण लिखिए। [6]

प्रश्न 14
थायरॉइड ग्रन्थि व्यक्तित्व को कैसे प्रभावित करती है? [6]

प्रश्न 15
जातिवाद के विकास के मुख्य कारणों का उल्लेख कीजिए। [6]

प्रश्न 16
वर्तमान सन्दर्भ में मानव व्यवहार एवं पर्यावरण के मध्य सम्बन्ध बताइए। [6]

प्रश्न 17
भारतवर्ष में समूह-तनाव के विभिन्न रूप क्या है? [6]

प्रश्न 18
वायु प्रदूषण क्या होता है। उदाहरण द्वारा समझाइए। [6]

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 19
सीखने का पठार क्या है? सीखने के पठार को वक्र रेखा की सहायता से स्पष्ट कीजिए। [10]
अथवा
चित्र की सहायता से मानव मस्तिष्क के भागों का वर्णन कीजिए। [10]

प्रश्न 20
व्यक्तित्व मापन की प्रक्षेपण प्रविधियों के बारे में बताइए। इनमें से किसी एक प्रविधि का वर्णन कीजिए। [10]
अथवा
जातिवाद के कारण लिखिए। जातिवाद से उत्पन्न तनाव को कैसे रोका जा सकता है? [10]

प्रश्न 21
शाब्दिक, अशाब्दिक व निष्पादन बुद्धि परीक्षण क्या होते हैं? [10]
अथवा
साम्प्रदायिकता के कारणों पर प्रकाश डालिए। [10]

Solutions

उत्तर 1:
(i) (b), (ii) (a), (iii) (d), (iv) (d), (v) (b)

उत्तर 2:
सीखना या अधिगम

उत्तर 3:
वुडवर्थ

उत्तर 4:
व्यक्तित्व

उत्तर 5:
सीखने में

उत्तर 6:
सीखने में स्थानान्तरण

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UP Board Solutions for Class 11 Samanya Hindi खण्डकाव्य Chapter 2 सत्य की जीत

UP Board Solutions for Class 11 Samanya Hindi खण्डकाव्य Chapter 2 सत्य की जीत (द्वारिकाप्रसाद माहेश्वरी) are part of UP Board Solutions for Class 11 Samanya Hindi. Here we have given UP Board Solutions for Class 11 Samanya Hindi खण्डकाव्य Chapter 2 सत्य की जीत (द्वारिकाप्रसाद माहेश्वरी).

Board UP Board
Textbook NCERT
Class Class 11
Subject Samanya Hindi
Chapter Chapter 2
Chapter Name सत्य की जीत (द्वारिकाप्रसाद माहेश्वरी)
Number of Questions 8
Category UP Board Solutions

UP Board Solutions for Class 11 Samanya Hindi खण्डकाव्य Chapter 2 सत्य की जीत (द्वारिकाप्रसाद माहेश्वरी)

उत्तर प्रदेश के बिजनौर, रामपुर, पीलीभीत, लखनऊ, झाँसी, इटावा, बदायूं, बलिया, प्रतापगढ़ जनपदों के लिए। नवसृजित जनपदों के विद्यार्थी अपने जनपद में निर्धारित खण्डकाव्य के सम्बन्ध में अपने विषय-अध्यापक से जानकारी प्राप्त कर ले।

प्रश्न 1.
‘सत्य की जीत’ खण्डकाव्य की कथानक (कथावस्तु) संक्षेप में लिखिए।
या
‘सत्य की जीत’ खण्डकाव्य में वर्णित अत्यधिक मार्मिक प्रसंग का निरूपण कीजिए।UP Board Solutions for Class 11 Samanya Hindi खण्डकाव्य Chapter 2 सत्य की जीत img-1

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दुःशासन कहता है कि शास्त्र-बल से बड़ा शस्त्र-बल होता है। कर्ण, शकुनि और दुर्योधन, दुःशासन के इस कथन का पूर्ण समर्थन करते हैं। नीतिवान् विकर्ण दु:शासन की शस्त्र-बल की नीति का विरोध करता है। वह कहता है कि यदि शास्त्र-बल से शस्त्र-बल ऊँचा और महत्त्वपूर्ण हो जाएगा तो मानवता का विकास अवरुद्ध हो जाएगा; क्योंकि शस्त्र-बल मानवता को पशुता में बदल देता है। वह इस बात पर बल देता है कि द्रौपदी द्वारा प्रस्तुत तर्क पर धर्मपूर्वक और न्यायसंगत निर्णय होना चाहिए। वह कहता है कि द्रौपदी किसी प्रकार भी कौरवों द्वारा जीती हुई नहीं है।

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प्रश्न 2.
‘सत्य की जीत के प्रमुख पात्रों का संक्षेप में परिचय दीजिए।
या
“‘सत्य की जीत के पात्र पूर्णतः जीवन्त हैं।” इस कथन से आप कहाँ तक सहमत हैं?
उत्तर
‘सत्य की जीत’ के प्रमुख पात्र हैं—द्रौपदी, दु:शासन और धृतराष्ट्र। इनके अतिरिक्त दुर्योधन, बिकर्ण, कर्ण और युधिष्ठिर भी उल्लेखनीय पात्र हैं। इनका संक्षिप्त परिचय इस प्रकार है|

(1) द्रौपदी—यह प्रस्तुते खण्डकाव्य की नायिका है। यह द्रुपद राजपुत्री और पाण्डव-कुल की वधू है, जो युधिष्ठिर, भीम, अर्जुन, नकुल और सहदेव की पत्नी है। यह सशक्त, ओजस्वी, आत्म-सम्मान से युक्त वीरांगना नारी है। इसके चरित्र पर आधुनिक नारी-जागरण का प्रभाव है। इसका व्यक्तित्व अंत्यन्त तेजस्वी एवं प्रखर है। इसी के माध्यम से कवि ने अधर्म, अन्याय, असत्य और अत्याचार पर सत्य एवं न्याय की विजय प्रदर्शित की है।

(2) दुःशासन-दु:शासन इस खण्डकाव्य का प्रमुख पुरुष पात्र है। यह अभिमानी, विवेकहीन, अनैतिक, अहंकारी, भौतिक मद में चूर, अशिष्ट, दुराचारी तथा नारी के प्रति अनुदार व्यक्ति है। इसके चरित्र को भौतिकता के मद में चूर साम्राज्यवादी शासकों के चरित्र जैसा दर्शाया गया है।

(3) धृतराष्ट्र-धृतराष्ट्र कौरव नरेश हैं। प्रस्तुत काव्य के अन्तिम भाग में इनका उल्लेख हुआ है। इन्होंने पक्षपात-रहित होकर सत्य को सत्य और असत्य को असत्य बताकर अपने नीर-क्षीर विवेक को दर्शाया है। कौरवों तथा पाण्डवों के समक्ष वे अपनी उदार और विवेकपूर्ण नीति की घोषणा करते हैं

नीति समझो मेरी यह स्पष्ट, जियें हम और जियें सब लोग।

धृतराष्ट्र के चरित्र के माध्यम से कवि ने आज के शासनाध्यक्षों को इसी नीति के अनुसरण का सन्देश दिया है। इसमें आपाधापी के इस युग के लिए बड़े कल्याण का भाव छिपा है।

(4) दुर्योधन-दु:शासन के समान ही दुर्योधन को भी असत्य, अन्याय और अनैतिकता का समर्थक कहा गया है। वह ईष्र्यालु है। उसे छल-कपट में विश्वास है। उसने कपट-चाल से पाण्डवों को जीता और उनके राज्य को हड़प लिया। इस प्रकार उसके चरित्र में वर्तमान साम्राज्यवादी शासकों की लोलुपता की झलक दिखाई गयी है। |

(5) विकर्ण और विदुर–विकर्ण और विदुर अन्धी शस्त्र-शक्ति के विरोधी हैं। केवल शस्त्रे-बल पर स्थापित शान्ति को वे अनुचित मानते हैं। दोनों पात्र न्यायप्रिय हैं तथा कौरव-कुल के होते हुए भी वे द्रौपदी के सत्य-पक्ष के समर्थक, स्पष्टवादी और निर्भीक हैं।

(6) युधिष्ठिर-युधिष्ठिर के दृढ़ एवं निश्छल चरित्र में कवि ने आदर्श राष्ट्रनायक की झलक प्रस्तुत की है। वे आरम्भ से अन्त तक मौन रहे हैं। कवि ने उनके मौन चरित्र में ही गम्भीरता, शालीनता, सत्यनिष्ठी, न्यायप्रियता, विवेकशीलता और धर्मपरायणता जैसी अमूल्य विशेषताएँ प्रकट की हैं।

(7) कर्ण–कर्ण दुर्योधन का मित्र तथा अंगदेश का राजा है। उपर्युक्त विवेचन के आधार पर कहा जा सकता है कि कवि ने सूक्ष्म मनोवैज्ञानिक संस्पर्शों के सहारे पात्रों को पूर्णतः जीवन्त और युगानुकूल चित्रित किया है।

प्रश्न 3
‘सत्य की जीत’ खण्डकाव्य के आधार पर नायिका द्रौपदी का चरित्र-चित्रण कीजिए।
या
‘सत्य की जीत’ खण्डकाव्य की नायिका का चरित्र-चित्रण कीजिए।
या
‘सत्य की जीत के किसी मुख्य नारी-पात्र की चरित्रगत विशेषताएँ लिखिए।
या
‘सत्य की जीत के आधार पर द्रौपदी के चरित्र-चित्रण की विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
या
‘सत्य की जीत में कवि ने द्रौपदी के चरित्र में जो नवीनताएँ प्रस्तुत की हैं, उनका उदघाटन करते हुए उसके चरित्र-वैशिष्ट्य पर प्रकाश डालिए।
या
सिद्ध कीजिए कि “द्रौपदी सत्य की अपराजेय आत्मिक शक्ति से ओतप्रोत नारी है।”

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प्रश्न 4.
‘सत्य की जीत’ के आधार पर दुःशासन का चरित्र-चित्रण कीजिए।
या
“दुःशासन में पौरुष का अहम् और भौतिक शक्ति का दम्भ है।” ‘सत्य की जीत के आधार पर इस कथन को प्रमाणित कीजिए।
या
‘सत्य की जीत के एक प्रमुख पुरुष-पात्र (दुःशासन) के चरित्र की विशेषताएँ बताइए।
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प्रश्न 5.
‘सत्य की जीत के आधार पर युधिष्ठिर का चरित्र-चित्रण कीजिए।
या
‘सत्य की जीत’ खण्डकाव्य में युधिष्ठिर का चरित्र महान गुणों से परिपूर्ण है। स्पष्ट 
कीजिए।
या
‘सत्य की जीत के नायक का चरित्र-चित्रण कीजिए।

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प्रश्न 6.
‘सत्य की जीत’ खण्डकाव्य के आधार पर दुर्योधन का चरित्र-चित्रण कीजिए।
उत्तर
सत्य की जीत’ खण्डकाव्य में दुर्योधन का चरित्र एक तुच्छ शासक का चरित्र है। वह असत्य, अन्याय तथा अनैतिकता का आचरण करता है। वह छल विद्या में निपुण अपने मामा शकुनि की सहायता से पाण्डवों को द्यूतक्रीड़ा के लिए आमन्त्रित करता है और उनका सारा राज्य जीत लेता है। दुर्योधन चाहता है कि पाण्डव द्रौपदी सहित उसके दास-दासी बनकर रहे। वह द्रौपदी को सभा के बीच में वस्त्रहीन करके अपमानित करना चाहता है। उसके चरित्र की निम्नलिखित विशेषताएँ हैं

(1) शस्त्रबल का पुजारी-दुर्योधन सत्य, धर्म और न्याय में विश्वास नहीं रखता। वह शारीरिक तथा तलवार के बल में आस्था रखता है आध्यात्मिक एवं आत्मिक बल की उपेक्षा करता है। दु:शासन के मुख से शस्त्रबल की प्रशंसा और शास्त्रबल की निन्दा सुनकर वह प्रसन्नता से खिल उठता है।

(2) अनैतिकता का अनुयायी-दुर्योधन न्याय और नीति को छोड़कर अनीति का अनुसरण करता है। भले-बुरे का विवेक वह बिलकुल नहीं करता। अपने अनुयायियों को भी अनीति के मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करना ही उसकी नीति है। जब दु:शासन द्रौपदी का चीरहरण करने में असमर्थ हो जाता है तो दु:शासन की इंस असमर्थता को वह सहन नहीं कर पाता है और अभिमान में गरज कर कहता है–

कर रहा क्या, यह व्यर्थ प्रलाप, भय वशं था दुःशासन वीर।
कहा दुर्योधन ने उठ गरज, खींच क्या नहीं खिचेगी चीर ॥

(3) मातृद्वेधी-दुर्योधन बाह्य रूप में पाण्डवों को अपना भाई बताता है किन्तु आन्तरिक रूप से उनकी जड़े काटता है। वह पाण्डवों का सर्वस्व हरण करके उन्हें अपमानित और दर-दर का भिखारी बनाना चाहता है। द्रौपदी के शब्दों में-

किन्तु भीतर-भीतर चुपचाप, छिपाये तुमने अनगिन पाश।
‘फँसाने को पाण्डव निष्कपट, चाहते थे तुम उनका नाश।

(4) असहिष्णुता-दुर्योधन स्वभाव से बड़ा ईर्ष्यालु है। पाण्डवों का बढ़ता हुआ यश तथा सुखशान्तिपूर्ण जीवन उसकी ईष्र्या का कारण बन जाता है। वह रात-दिन पाण्डवों के विनाश की ही योजना बनाता रहता है। उसके ईष्र्यालु स्वभाव का चित्रण देखिए-

ईष्र्या तुम को हुई अवश्य, देख जग में उनका सम्मान।
विश्व को दिखलाना चाहते, रहे तुम अपनी शक्ति महान् ॥

संक्षेप में. हम कह सकते हैं कि दुर्योधन का चरित्र एक साम्राज्यवादी शासक का चरित्र है।

प्रश्न 7.
‘सत्य की जीत’ खण्डकाव्य के आधार पर विकर्ण का चरित्र-चित्रण कीजिए।
या
‘सत्य की जीत’ खण्डकाव्य के नायक के चरित्र पर प्रकाश डालिए।
उत्तर
‘सत्य की जीत’ खण्डकाव्य में विकर्ण को एक विवेकशील व्यक्ति के रूप में चित्रित किया गया है। कौरवों की विशाल सभा के मध्य जब दुःशासन शस्त्रबल की महत्ता और शास्त्रबल को निर्बलों को शस्त्र कहकर शास्त्रों के प्रति अपनी अश्रद्धा तथा अनास्था प्रकट करता है तो विकर्ण इस अनीति को सहन नहीं कर पाता है। बड़े-बड़े शूरवीरों और धर्मज्ञों की उपस्थिति में द्रौपदी पर किये गये अत्याचार को देखकर विकर्ण क्षुब्ध हो उठता है और कहता है-

बढ़े क्या अरे, यहीं तक आज, सभ्यता के संस्कृति के चरण? 
कर रहा रे, मानव ललकार, शास्त्र को छोड़ शस्त्र का वरण ॥

आदि युग की पाशविकता से मुक्त होकर तथा अपने मस्तिष्क और हृदय की शक्ति का आश्रय लेकर मानव आज श्रेष्ठ मानव कहलाता है। किन्तु यदि आज वह पुनः शस्त्रबल को सर्वाधिक महत्ता प्रदान करेगा तो आज तक विकास के पथ पर अग्रसर होने के उसके सभी प्रयत्नों और संघर्षों को व्यर्थ कहा जा सकता है। विकर्ण इस सम्बन्ध में स्पष्ट घोषणा करता है-

शस्त्र सर्वस्व, शास्त्र सब व्यर्थ, धारणा यह विनाश की मूल।
शास्त्र सर्वस्व शस्त्र सब व्यर्थ, अभी कहना यह भी है भूल॥ 

विकर्ण अन्धी शस्त्र-शक्ति का विरोधी है। उसका यह विश्वास है कि संसार की बड़ी-से-बड़ी समस्या का समाधान भी प्रेम, शान्ति और सहयोग की भावना से किया जा सकता है। वह कहता है ।

शस्त्र बल पर आधारित शान्ति, क्षणिक होती स्थायित्व विहीन ।

शस्त्रों के कारण ही मनुष्य में छिपी दानवता जाग्रत होती है और वह संसार की प्रगति एवं सभ्यता के विनाश का कारण बनती है। विकर्ण कहता है

मौन है आज सभी क्यों? देख रहा हूँ मैं कैसा यह दृश्य।
सत्य को छिपा रहे हम जान, करेगा हमें क्षमा न भविष्य ॥

सत्य, धर्म एवं न्याय के प्रति भविष्य में मानव की आस्था एवं विश्वास उठ न जाए, उसके लिए वह सभी धर्मज्ञ सभासदों से आग्रह करते हुए कहता है

अगर हमसे हो गया अधर्म, अगर हमसे हो गयी अनीति।
“धर्म में न्याय-सत्य में रह जायेगी किसकी यहाँ प्रतीति।

इस स्पष्टोक्ति से स्पष्ट होता है कि विकर्ण के चरित्र में स्पष्टवादिता, निर्भीकता, न्यायप्रियता, धर्मभीरुता आदि सभी मानवोचित श्रेष्ठ गुणों का समावेश है।

प्रश्न 8.
‘सत्य की जीत’ खण्डकाव्य के आधार पर धृतराष्ट्र का चरित्र-चित्रण कीजिए।
या
‘सत्य की जीत’ खण्डकाव्य के जिस पुरुष पात्र ने आपको सर्वाधिक प्रभावित किया हो, उसकी चारित्रिक विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
उत्तर
प्रस्तुतं खण्डकाव्य में कवि ने धृतराष्ट्र के चरित्र को काव्य के अन्तिम सर्ग में उपस्थित किया है। वे कौरवों के राज-दरबार में भीष्म, द्रोण, विदुर, विकर्ण जैसे धर्मज्ञों एवं शास्त्रज्ञों के साथ विराजमान हैं। तथा मौन होकर द्रौपदी स्था दुःशासन के तर्को एवं उनके पक्ष-विपक्ष में बोलने वाले सभासदों के विचारों को गम्भीरतापूर्वक सुनते हैं। से पंच के गौरवपूर्ण पद पर विराजमान होकर सत्य को सत्य और असत्य को असत्य कहकर अपने नीर-क्षीर विवेक का परिचय देते हैं। वह लोकमत का आदर करते हुए सभासदों को शान्त करते हुए कहते हैं

हुई है दुर्योधन से भूल, किया है उसने यह दुष्कर्म ।
पाण्डवों पर छल से आघात, कहा जा सकता न्याय न धर्म ॥

वे धरती पर सुलभ सभी पदार्थों का उपयोग युद्ध के लिए नहीं, अपितु शान्ति-स्थापना के लिए करना चाहते हैं। प्रेम, करुणा, सहानुभूति, क्षमा एवं दया आदि सद्गुणों को ही वे विकास एवं कल्याण का मूल मानते हैं। वे यह भी स्वीकार करते हैं कि विश्व के सन्तुलित विकास के लिए हृदय और बुद्धि का समन्वित विकास आवश्यक है। वह दुर्योधन को आदेश देते हैं कि पाण्डवों को मुक्त कर दो एवं उन्हें उनका राज्य लौटा दो। वे अपनी नीति की घोषणा करते हुए कहते हैं

नीति समझो मेरी यह स्पष्ट, जियें हम और जियें सब लोग।
बाँट कर आपस में मिल सभी, धरा का करें बराबर भोग॥

वे द्रौपदी के पक्ष का समर्थन करते हैं तथा उसे सती, साध्वी और धर्मनिष्ठ बताते हैं। द्रौपदी की प्रशंसा करते हुए धृतराष्ट्र कहते हैं—

द्रौपदी धर्मनिष्ठ है सती, साध्वी न्याय-सत्य साकार।
इसी से आज सभी से प्राप्त, उसे बल सहानुभूति अपार ॥

सत्य, धर्म एवं न्याय के मार्ग का अनुसरण करने वाला जीवन में सदा विजयी होता है, इसी बात की घोषणा वे निम्नलिखित शब्दों में करते हैं

जहाँ है सत्य, जहाँ है धर्म, जहाँ है न्याय, वहाँ है जीत ।
तुम्हारे यश-गौरव के दिग्, दिगन्त में गूंजेंगे स्वर गीत ॥

निष्कर्ष रूप में कहा जा सकता है कि धृतराष्ट्र नीति पर चलने वाले, अनीति के विरोधी, नारी का सम्मान करने वाले हैं। उनमें एक श्रेष्ठ राजा के समस्त गुण विद्यमान हैं।

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UP Board Class 12 Psychology Model Papers Paper 1

समय : 3 घण्टे 15 मिनट
पूर्णांक : 100

निर्देश प्रारम्भ में 15 मिनट परीक्षार्थियों को प्रश्न-पत्र पढ़ने के लिए निर्धारित हैं।
नोट

  • सभी प्रश्न अनिवार्य हैं।
  • प्रश्न संख्या 1 बहुविकल्पीय प्रश्न है।
  • प्रश्न संख्या 2 से 6 तक निश्चित उत्तरीय प्रश्न (एक वाक्य) हैं।
  • प्रश्न संख्या 7 से 12 तक अतिलघु उत्तरीय प्रश्न हैं।
  • प्रश्न संख्या 13 से 18 तक लघु उत्तरीय प्रश्न हैं, जिनका उत्तर लगभग 50 शब्दों में लिखना है।
  • प्रश्न संख्या 19 से 21 तक दीर्घ उत्तरीय प्रश्न हैं, जिनका उत्तर लगभग 250 शब्दों में लिखना है।
  • सभी प्रश्नों के अंक उनके सम्मुख अंकित हैं।

बहुविकल्पीय प्रश्न

प्रश्न 1
(क) केन्द्रीय तन्त्रिका तन्त्र के अवयव हैं। [1]
(a) मस्तिष्क
(b) मेरुरज्जु या सुषुम्ना
(c) मस्तिष्क एवं मेरुरज्जु
(d) मस्तिष्क एवं कपालीय तन्त्रिकाएँ

(ख) कोहलर के अनुसार, किसी समस्या का समाधान अचानक या एकाएक स्पष्ट हो जाता है, क्योंकि [1]
(a) इसमें चिन्तन प्रक्रिया होती है।
(b) यह प्रयास एवं त्रुटि पर आधारित है।
(c) यह प्रबलन पर आधारित है।
(d) यह उद्दीपन-अनुक्रिया सम्बन्ध है।

(ग) स्मृति प्रक्रिया को सही क्रम है। [1]
(a) अधिगम → पहचान → धारण → पुनःस्मरण
(b) अधिकम → धारण → पुनःस्मरण → पहचान
(c) पहचान → अधिगम → धारण → पुनःस्मरण
(d) ‘पहचान → धारण → अधिगम → पुनःस्मरण

(घ) गणित में प्रयुक्त ‘+’ अथवा ‘x’ के चिह्न को चिन्तन के सन्दर्भ में कहते हैं। [1]
(a) प्रतिमा
(b) सम्प्रत्यय
(c) कल्पना
(d) प्रतीक ।

(ङ) एक व्यक्ति की वास्तविक आयु 30 वर्ष है तथा मानसिक आयु 25 वर्ष है। उसकी बुद्धि-लब्धि होगी। [1]
(a) 125
(b) 100
(c) 150
(d) 90

निश्चित उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 2
कान के दो प्रमुख कार्य क्या हैं? [1]

प्रश्न 3
अधिगम को प्रभावित करने वाले कोई दो प्रमुख सामाजिक कारक लिखिए। [1]

प्रश्न 4
फ्रायड के द्वारा प्रतिपादित ‘विस्मरण’ की परिभाषा लिखिए। [1]

प्रश्न 5
शारीरिक बनावट तथा स्वभाव के आधार पर शैल्डेन ने व्यक्तित्व के कितने प्रकार बताए हैं।

प्रश्न 6
शाब्दिक परीक्षण के माध्यम से किन व्यक्तियों का परीक्षण नहीं हो सकता है? [1]

अतिलघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 7
अधिगम के लिए तत्परता के विचार’ का क्या अर्थ है? [4]

प्रश्न 8
विस्मरण के किन्हीं दो कारणों का उल्लेख कीजिए? [4]

प्रश्न 9
पूर्वाग्रह निवारण में शिक्षा किस प्रकार सहायक है? [4]

प्रश्न 10
अधिगम अन्तरण से आप क्या समझते हैं?

प्रश्न 11
मानव निर्मित पर्यावरण से क्या अभिप्राय है?

प्रश्न 12
प्राकृतिक एवं मानवजनित आपदा में सोदाहरण अन्तर स्पष्ट कीजिए।

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 13
स्वायत्त तन्त्रिका तन्त्र किस प्रकार आपातकालीन स्थितियों में कार्यव्यवहार करने में हमारी सहायता करता है? [6]

प्रश्न 14
वर्तमान परिप्रेक्ष्य में मानव व्यवहार एवं पर्यावरण के मध्य सम्बन्ध की व्याख्या कीजिए। [6]

प्रश्न 15
‘अधिगम पठार’ से क्या आशय हैं? [6]

प्रश्न 16
‘आदतों के प्रकार’ पर टिप्पणी लिखिए। [6]

प्रश्न 17
व्यक्तित्व मापन हेतु वाक्य-पूर्ति या कहानी-पूर्ति परीक्षण का संक्षिप्त परिचय दीजिए। [6]

प्रश्न 18
रूढ़ियुक्तियाँ क्या होती हैं? इसकी किन्हीं तीन विशेषताओं का उल्लेख कीजिए। [6]

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 19
क्रियाप्रसूत अनुबन्धन द्वारा अधिगम प्रक्रिया को स्पष्ट कीजिए। [10]
अथवा
प्राकृतिक आपदाओं के कारण मानव जीवन पर कौन-कौन से मनोवैज्ञानिक प्रभाव पड़ते हैं? इसके प्रभाव के निराकरण सम्बन्धी उपायों का वर्णन कीजिए। [5 + 5]

प्रश्न 20
मनुष्यों में भाषा का अर्जन किस प्रकार होता है? [10]
अथवा
मनोवैज्ञानिक परीक्षण से आप क्या समझते हैं? एक अच्छे मनोवैज्ञानिक परीक्षण में कौन-कौन सी विशेषताएँ होनी चाहिए? [5 + 5]

प्रश्न 21
अनुबन्धन से क्या आशय है? प्राचीन अनुबन्धन सिद्धान्त का विस्तृत विवरण दीजिए।
अथवा
अन्तर्वैयक्तिक वातावरण के विषय में विस्तार से लिखिए। [5 + 3]

Solutions

उत्तर 1:
(क) (c), (ख) (a), (ग) (b), (घ) (b)

उत्तर 2:
कान के दो प्रमुख कार्य-सुनना एवं शरीर को सन्तुलित रखना हैं।

उत्तर 3:
अधिगम को प्रभावित करने वाले दो सामाजिक कारक-परिवेश तथा सीखने की तत्परता है।

उत्तर 4:
फ्रायड के अनुसार, “विस्मरण की क्रिया के द्वारा हम अपने दु:ख देने वाले अनुभवों को स्मृति से निकाल देते हैं।”

उत्तर 10:
अधिगम अन्तरण से तात्पर्य किसी विषय, कार्य अथवा परिस्थिति में अर्जित ज्ञान का उपयोग किसी अन्य विषय, कार्य अथवा परिस्थिति में करना होता है। अधिगम अन्तरण या सीखने के अंन्तरण को प्रशिक्षण अन्तरण अथवा प्रशिक्षण स्थानान्तरण भी कहा जाता है।

उत्तर 11:
प्राकृतिक पर्यावरण में मनुष्य प्रविधि या तकनीकी विकास की सहायता से संशोधन करता है और उसे अपनी आवश्यकताओं के अनुरूप बनाता रहा है। उदाहरण के लिए, वह घास के मैदानों में भूमि को जोतकर खेती पशुपालन करता है, जंगलों को साफ करता है, सड़कें, नहरें, रेलमार्ग, आदि बनाता है, पर्वतों को काटकर सुरंग आदि निकालता है, नई बस्तियाँ बसाता है तथा भूगर्भ से खनिज सम्पति निकालकर अनेक उपकरण एवं अन्य अस्त्रशस्त्र, यन्त्र आदि बनाता है और प्राकृतिक शक्तियों का विभिन्न प्रकार से शोषण कर अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति करता है। इन सबके फलस्वरूप वह एक नए पर्यावरण को जन्म देता है। इसे ही मानव निर्मित पर्यावरण कहते हैं।

उत्तर 12:
UP Board Class 12 Psychology Model Papers Paper 1 image 1
UP Board Class 12 Psychology Model Papers Paper 1 image 2

उत्तर 13:
परिधीय तन्त्रिका तन्त्र का वह भाग, जो आंतरांगों की क्रियाओं का नियमन एवं नियन्त्रण करता है, स्वायत्त तन्त्रिका तन्त्र कहलाता है। यह तन्त्र अरेखित पेशियों, हृदय पेशियों तथा ग्रन्थियों की क्रियाओं को नियन्त्रित करता है। इस तन्त्र के नियमन को केन्द्र निमस्तिष्क बल्कुट, हाइपोथैलेमस एवं मेड्यूला में स्थित होता है। यह अनुकम्पी तन्त्रिका तन्त्र तथा परानुकम्पी तन्त्रिका तन्त्र का बना होता है, जो एक दूसरे के विपरीत काम करते हैं। आपातकालीन स्थितियों में अनुकम्पी तन्त्रिका तन्त्र हृदय स्पन्दन दर एवं श्वसन दर बढ़ाकर शरीर को अतिरिक्त ऊर्जा उपलब्ध करता है, जिससे मानव आपातकालीन स्थिति का सामना कर सके। इसके बाद स्थिति निपट जाने पर परानुकम्पी तन्त्र हृदय स्पन्दन दर एवं श्वसन दर को सामान्य बनाता है।

उत्तर 16:
आदत किसी प्राणी के उस व्यवहार को कहते हैं, जो बिना अधिक सोच
के बार-बार दोहराया जाए। आदतों को सात प्रकार में बाँटा गया है।

  1. यान्त्रिक आदतें-रोजमर्रा की गतिविधियाँ।
  2. नाड़ी मण्डल सम्बन्धी आदतें-व्यक्ति में संवेगात्मक असन्तुलन का होना।
  3. शारीरिक इच्छा सम्बन्धी आदतें – व्यक्ति अपनी इच्छाओं की पूर्ति करता है।
  4. विचार सम्बन्धी आदतें – व्यक्ति के ज्ञान और उसकी रुचियों से सम्बन्धित।
  5. भाषा सम्बन्धी आदतें-शिक्षक के गलत उच्चारण से बच्चे भी गलत ही बोलना सीखते हैं।
  6. भावना सम्बन्धी आदतें-व्यक्ति भावपूर्ण व्यवहार करता है।
  7. नैतिक आदतें-व्यक्ति में नैतिकता के विकास से है।

उत्तर 17:
व्यक्तित्व मापन हेतु वाक्य-पूर्ति परीक्षण या कहानी पूर्ति विधि के प्रतिपादक पाईन व टेंडलर है। वाक्य पूर्ति विधि व्यक्तित्व परीक्षण के पूर्ति प्रविधि का उदाहरण है, इसमें व्यक्ति को कुछ अधूरी कहानी, वाक्य कार्टून या अन्य उद्दीपक दे दिए जाते है। व्यक्ति को इन अधूरे वाक्य, कार्टून या उद्दीपक को अपनी ओर से पूर्ण करना होता है। व्यक्तित्व मापन की इस विधि के द्वारा किसी व्यक्ति के गुणों या विशेषताओं को दूसरे तुलनीय व्यक्तियों के साथ तुलना करके मापा या मूल्यांकन किया जाता है।

उत्तर 18:
रूढ़ियुक्ति एक गलत वर्गीकरण करने की धारणा है, जिसके साथ पसन्द-नापसन्द, स्वीकृति-अस्वीकृति की कोई सबल संवेगात्मक भावनाएँ जुड़ी होती है। इसकी तीन विशेषताएँ निम्नलिखित हैं।

  1. ये समूह-तनाव का मूल कारण होता है।
  2. इसके अन्तर्गत परम्परागत रूप से चली आ रही गलत अवधारणाओं को भी सत्य मान लिया जाता है।
  3. इसमें व्यक्ति के अन्य समूहों के बारे में कई अवधारणाएँ भावात्मक रूप से जुड़ी होती हैं।

उत्तर 19:
क्रियाप्रसूत अनुबन्धन का सिद्धान्त स्किनर द्वारा प्रतिपादित किया गया था। स्किनर द्वारा प्रतिपादित अधिगम का सिद्धान्त एक उद्दीपक-अनुक्रिया सिद्धान्त है। उनके अनुसार, अधिगम की व्याख्या करने के लिए कोई जटिल सिद्धान्त की आवश्यकता नहीं होती है और न ही उसकी व्याख्या करने के लिए दैहिक चरों की आवश्यकता होती है। यही कारण है कि उनके सिद्धान्त को ‘रिक्त-प्राणी सिद्धान्त या उपागम’ भी कहा गया है। उन्होंने अधिगम की व्याख्या करने के लिए मापनीय व्यवहार तथा उद्दीपकों के बीच कार्यात्मक विश्लेषण पर अधिक बल दिया गया है।

स्किनर ने अधिगम की व्याख्या अनेक सैद्धान्तिक सम्प्रत्ययों के माध्यम से की है। उनमें से क्रियाप्रसूत अनुबन्धन भी स्किनर ने क्रियाप्रसूत अनुबन्धन के नियम की व्याख्या करते हुए कहा है कि “क्रियाप्रसूत अनुक्रिया के बाद जब पुनर्बलित उद्दीपक को दिया जाता है तो इससे उसकी शक्ति बढ़ जाती है।” यहाँ स्किनर के इस नियम में व्यवहार तथा उसके परिणाम पर बल दिया गया है। सबसे बढ़कर क्रियाप्रसूत अनुबन्धन के लिए यह परमावश्यक है कि प्राणी इस प्रकार से अनुक्रिया करे कि उससे पुनर्बलित उद्दीपक की प्राप्ति हो सके। स्पष्टतः क्रियाप्रसूत अनुबन्धन में सापेक्ष पुनर्बलन पर बल डाला जाता है।

स्किनर ने अपना अधिकांश प्रारम्भिक प्रयोग चूहों पर एक विशेष जाँच कक्ष में किया और उसका नाम क्रियाप्रसूत अनुबन्धन कक्ष रखा गया। हालाँकि बाद में स्किनर के शिष्यों ने अपने गुरु के सम्मान में इस कक्ष का नामकरण स्किनर बॉक्स कर दिया। इस बॉक्स में एक जाली फर्श, रोशनी, एक लीवर तथा एक भोजन कप होता है। इसमें चूहे की लीवर दबाने की अनुक्रिया सिखाई जाती है। हालाँकि बाद में स्किनर ने कई प्रयोग कबूतर बॉक्स में भी किए। स्किनर बॉक्स में स्किनर ने पशु के व्यवहार को रिकॉर्ड करने के लिए एक विशेष प्रकार की प्रविधि को अपनाया, जिसे संचयी रिकॉर्डिंग कहते हैं। इस विधि में चूहे द्वारा किए गए व्यवहार को एक आलेख पर रिकॉर्ड किया जाता है, जहाँ X-अक्ष पर समय, जबकि Y-अक्ष पर अनुक्रिया की कुल संख्या अंकित रहती है।
अथवा

प्राकृतिक आपदाओं का अर्थ व स्वरूप
प्राकृतिक आपदाएँ ऐसी आपदाएँ होती हैं, जो किसी क्षेत्र विशेष में उत्पन्न होकर मानव जीवन को गम्भीर रूप से प्रभावित करती हैं। ये आपदाएँ प्राकृतिक रूप से कभी भी घटित हो सकती हैं। ये अल्पकालीन आपदाएँ होती हैं, जिनका प्रभाव दीर्घकाल तक रहता है। ये मानवीय जीवन पर प्रतिकूल प्रभाव डालती हैं। इस प्रकार की आपदाओं के अन्तर्गत भूकम्प, ज्वालामुखी, सुनामी, चक्रवात, बाढ़, वर्षी, आँधी, सूखा, दावानल (वनों की आग) आदि आती हैं। पारकर के अनुसार, “प्राकृतिक आपदा में घटित होने के एक माह बाद तक प्रभावित व्यक्तियों में से अधिक व्यक्ति मनोवैज्ञानिक समस्याओं से ग्रसित हो जाते हैं। इसकी निम्नलिखित विशेषताएँ हैं।

  • यह अल्पकालिक होती है।
  • इसका व्यापक प्रभाव होता है।
  • इसकी भविष्यवाणी असम्भव है।
  • इसमें तीव्र प्रतिबलन होता है।
  • यह अनियन्त्रित आपदा है।

आपदाओं के कारण पड़ने वाले मनोवैज्ञानिक प्रभाव
आपदाओं के कारण पड़ने वाले मनोवैज्ञानिक प्रभाव निम्नलिखित हैं।
1. मानसिक विकार का उत्पन्न होना प्राकृतिक आपदाएँ जब आतीं हैं, तब इससे जन-धन की बड़ी मात्रा में क्षति होती है, जिससे लोग परेशान हो जाते हैं। इस आपदा से मनुष्य में चिड़चिड़ापन, तनावग्रस्त, कुण्ठा आदि उत्पन्न हो जाते हैं, जिससे व्यक्ति का मानसिक सन्तुलन बिगड़ जाता है और मानसिक विकार से प्रभावित हो जाता है।

2. व्यवहार में अस्थिरता का आना आपदा की घटना से व्यक्ति संचार सेवा आदि से बाधित हो जाती है, इतना ही नहीं भूकम्प जैसी घटनाओं एवं बाढ़ तथा सूखा की प्रवृत्ति से मनुष्यों में निराशाहीनता की प्रवृत्ति बढ़ती है। इससे व्यवहार में अस्थिरता व डर का वातावरण पैदा हो जाती है।

3. मानसिक विकास का अवरुद्ध होना प्राकृतिक एवं मानव जनित आपदाओं का मानव तथा अन्य जीवों के साथ एवं जन-धन पर प्रभाव पड़ता है। इससे व्यक्ति का आर्थिक विकास प्रभावित होता है। इस आर्थिक विकास की क्षति से मानव अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति को करने में सफल नहीं होने की स्थिति में व्यक्ति में आक्रमकता के साथ-साथ मानसिक विकास अवरुद्ध होने लगता है। जिसका मनोवैज्ञानिक प्रभाव दीर्घकालिक देखने को मिलता है।

आपदा के मनोवैज्ञानिक प्रभाव के निराकरण के उपाय
आपदा के मनोवैज्ञानिक प्रभाव के निराकरण हेतु प्रमुख उपाय निम्नलिखित हैं।

1. जैविक चिकित्सा को अपनाना आपदा की हानि से उत्पन्न मनोवैज्ञानिक विकारों के उपचार हेतु प्राकृतिक जड़ी-बूटियों एवं अन्य प्राकृतिक तत्त्वों का सहारा लिया जाना चाहिए साथ ही प्राकृतिक घटनाओं की उत्पन्न स्थिति व बचाव का प्रसार किया जाना चाहिए। इस प्रकार जैविक चिकित्सा के माध्यम से मानसिक सन्तुलन को बनाकर मनोवैज्ञानिक प्रभाव का निराकरण किया जा सकता है।

2. योग का सहारा लेना मनोवैज्ञानिक विकार के प्रभाव के लिए निजात पाने हेतु योग का सहारा लिया जाना चाहिए। जिससे मानसिक स्थिरता, निराशाहीनता, भय की प्रवृत्ति आदि पर नियन्त्रण सम्भव होता है और व्यक्ति में प्राकृतिक आपदाओं से घबराने की प्रवृत्ति कम हो जाती है।

3. संज्ञानात्मक चिकित्सा का सहारा लेना इसके माध्यम से भी व्यक्ति को विभिन्न मनोवैज्ञानिक प्रयोगों के माध्यम से मनुष्य के मानसिक विकार को सन्तुलित करने का अभ्यास कराया जाता है। जिससे व्यक्ति में आत्मबल को बढ़ावा मिलता है तथा मानसिक मजबूती प्राप्त होती है। अतः ऐसे उपायों को अपनाया जाना चाहिए।

उत्तर 20:
भाषा अर्जन उस प्रक्रिया को कहते हैं जिसके द्वारा मानव भाषा को ग्रहण करने एवं समझने की क्षमता अर्जित करता है तथा बातचीत करने के लिए शब्दों एवं वाक्यों का प्रयोग करता है। भाषा का आरम्भ मानव के जन्म के साथ ही हो जाता है। विभिन्न कौशल जैसे बोलना, सुनना, पढ़ना लिखना, समझना को पूरा करते हुए व्यक्ति भाषा में निपुणता प्राप्त करता है। व्यक्ति में भाषा अर्जन के सन्दर्भ में अर्जन प्रक्रिया एवं उसकी प्रकृति का महत्त्वपूर्ण स्थान है। भाषा अर्जन की प्रमुख युक्तियाँ निम्नलिखित है।

  • सहजता
  • अनुकरण
  • अभिव्यक्ति की व्यग्रता
  • अभ्यास
  • बारम्बारता एवं संक्षिप्तता

सहजता में व्यक्ति भाषाई प्रयोगों को सुनता और ग्रहण करता है। इसके अतिरिक्त अनुकरण के दौरान तीन पक्ष महत्त्वपूर्ण होते हैं।

  1. बालक जब नए व्याकरणिक रूप सुनता है, तो वह उनका अनायास अनुकरण करता है तथा सहज अभ्यास से वह उसे अपने व्यवहार में शामिल कर लेता है, जिसे पहले वह सरलता से तथा बाद में जटिलता से ग्रहण करता है।
  2. भाषा अर्जन में अभ्यास की महत्त्वपूर्ण भूमिका होती है जिससे बालक परिवार में माता-पिता तथा अन्य सदस्यों के बीच शिशु । भाषाई प्रयोगों को सहज रूप से दोहराता है।
  3. भाषा अर्जन में भाषाई प्रयोगों की बारम्बारता बालक के भाषाई विकास में सहायक है, जिसमें बालक जिन रूपों को बार-बार सुनता है, उन्हें जल्दी सीख लेता है। भाषा अर्जन में अधिगम प्रक्रिया का विशेष महत्त्व है जिसमें अभ्यनुकूलन, अनुकरण, प्रयत्न एवं त्रुटि तथा अन्तर्दृष्टि का स्थान महत्त्वपूर्ण होता है।

सामान्यतः कहा जा सकता है कि, भाषा अनुकरण की वस्तु है तथा निरन्तर चलने वाली प्रक्रिया है, जिसे उपरोक्त माध्यम से अर्जित किया जा सकता है, जिसमें परिवार, समाज, विद्यालय आपसी वातावरण के माध्यम से सीखता है।

उत्तर 21:
अन्तर्वैयक्तिक का आशय
अन्तर्वैयक्तिक का आशय एक व्यक्ति का दूसरे व्यक्ति में पाए जाने वाले कौशल प्रवृत्ति। इससे व्यक्ति की अन्तर्वैयक्तिक प्रवृत्ति की भी पहचान होती है। इसमें अन्तर्वैयक्तिक आकर्षण एवं महत्त्वपूर्ण प्रवृत्ति होती है, जिसके द्वारा एक व्यक्ति में दूसरे व्यक्ति की पसन्द, सकारात्मक प्रवृत्ति, स्नेह; मित्रता अथवा प्रेम की भावना विकसित होती है। इस सन्दर्भ में फील्डमैन के अनुसार, “अन्तर्वैयक्तिक आकर्षण सामाजिक मनोविज्ञान का वह क्षेत्र है, जो इस बात का अध्ययन करता है, कि किस प्रकार सामाजिक सम्बन्ध बनाने तथा कायम रखते हैं और एक-दूसरे के प्रति पसन्द विकसित करते हैं।’

अन्तर्वैयक्तिक के पारिस्थितिक निर्धारक
प्रयोगात्मक अध्ययन से यह आशय है कि व्यक्तियों के अन्तर्वैयक्तिक विकास के सन्दर्भ में व्यक्तियों के बीच आकर्षण, अन्तर्वैयक्तिक समानता तथा अन्तः क्रिया की परिस्थिति स्थानगत के रूप में प्रभावित करती है। इसे निम्नलिखित रूपों में देखा जाता सकता है।

1. आकर्षण तथा अन्तर पारस्परिक दूरी इससे यह तात्पर्य है कि दो व्यक्तियों के मध्य आकर्षण होता है। इससे व्यक्ति अनेक परिस्थितियों में अन्तःक्रिया करते हैं तथा एक दूसरे के निकट आने का प्रयास करते हैं। इससे भी अन्तर्वैयक्तिक वातावरण के रूप में देखा जा सकता है। हेश्का तथा नेल्सन नामक मनोवैज्ञानिकों ने इस सन्दर्भ हेतु युवाओं पर प्रयोग किया। यह भी अन्तर्वैयक्तिक प्रवृत्ति
को प्रदर्शित करता है।

2. संस्कृति तथा उपसंस्कृति का प्रभाव व्यक्ति के स्थानगत व्यवहारों में सांस्कृतिक भिन्नता के क्षेत्र में अनुसन्धान का प्रारम्भ मानव विज्ञानी एडवर्ड टी-हॉल के कार्यों से हुआ। जिन्होंने बताया कि व्यक्ति भिन्न-भिन्न संस्कृति के लोगों में भिन्नता पाई जाती है। एडवर्ड ने बताया कि विभिन्न संस्कृति के लोगों में भिन्नता पाई जाती है, क्योंकि उनमें अनुभव की कमी होती है। इसी प्रकार अन्तर्वैयक्तिक वातावरण के रूप में संस्कृति को देखा जा सकता है।

3. आयु सम्बन्धी भिन्नता व्यक्ति के अन्तर्वैयक्तिक वातावरण के रूप में आयु सम्बन्धी स्थिति को भी देखा जा सकता है, क्योंकि वैयक्तिक विकास में आयु का महत्त्वपूर्ण योगदान होता है। इससे व्यक्ति में सोचने की प्रवृत्ति, तुकों का ज्ञान, अनुभव तथा सीखने की प्रवृत्ति आदि को बढ़ावा मिलता है, जिससे व्यक्ति को अन्तर्वैयक्तिक विकास को बढ़ावा मिलता है और दूसरे से भिन्न अपनी कौशलता को प्रदर्शित करता है।

4. व्यक्तित्व तथ मनोवैज्ञानिक प्रवृत्तियों का प्रभाव व्यक्ति में निहित व्यक्तित्व का गुण दूसरे व्यक्ति से भिन्न प्रदर्शित करता है। यह भी अन्तर्वैयक्तिक विकास को बढ़ाने में सहायक होता है। इसी प्रकार मनोवैज्ञानिक विकृतियों का प्रभाव भी अन्तर्वैयक्तिक विकास में महत्वपूर्ण साबित होता है। इस सन्दर्भ में आल्टमैन तथा विन्सेल के तथ्यों को देखा जा सकता है, जिसमें उन्होंने बताया है कि व्यक्ति को अपने ऊपर नियन्त्रण अन्तर्वैयक्तिक दूरी को प्रभावित करता है। इतना ही नहीं व्यक्ति की समझता की उनकी अन्तर्वैयक्तिक दूरी को प्रभावित कर सकती है।

निष्कर्ष इस प्रकार यह पाया जाता है कि अन्तर्वैयक्तिक पर्यावरण में विभिन्न प्रकार वर्णित घटकों के साथ अन्य सामाजिक परिवेश तथा व्यक्ति का प्रयास तथा व्यक्तित्व पहचान बनाने की प्रवृत्ति के साथ-साथ अन्य व्यावहारिक कार्य भी व्यक्ति की अन्तर्वैयक्तिक कौशल को बढ़ाने में सहायक साबित होते हैं जिससे एक व्यक्ति की कौशलता अन्य व्यक्ति की कौशलता से भिन्न देखी जाती है। साथ ही यह अन्तर्वैयक्तिक पर्यावरण व्यक्ति के विकास को बढ़ाने के साथ दूसरे व्यक्ति के विकास में प्रेरणा के रूप में साबित होता है।

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UP Board Class 12 Home Science Model Papers Paper 1

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Subject Home Science
Model Paper Paper 1
Category UP Board Model Papers

UP Board Class 12 Home Science Model Papers Paper 1

समय : 3 घण्टे 15 मिनट
पूर्णाक : 70

निर्देश
प्रारम्भ के 15 मिनट परीक्षार्थियों को प्रश्न-पत्र पढ़ने के लिए निर्धारित हैं।
नोट

  • सभी प्रश्न अनिवार्य हैं।
  • प्रश्न संख्या 1 से 4 बहुविकल्पीय हैं। प्रश्न संख्या-5 से 9 अति लघु उत्तरीय हैं, जिसका उत्तर 25 शब्दों में, प्रश्न संख्या-10 से 14 लघु
    उत्तरीय हैं, जिनका उत्तर 50 शब्दों में तथा प्रश्न संख्या-15 से 18 दीर्घ उत्तरीय हैं जिनका उत्तर 100 शब्दों में दीजिए।
  • सभी प्रश्नों के अंक उनके सम्मुख अंकित हैं।

बहुविकल्पीय प्रश्न
निम्नांकित के सही उत्तर छांटकर अपनी उत्तर पुसितका में लिखिए।
प्रश्न 1.
(क) दूध किस कीटाणु के कारण खराब होता है?  [1]
(a) लैक्टो बेसिलस
(b) नाइट्रो फैक्टर
(c) क्लास्ट्रीडियम
(d) बैसिलस मेगाथीरियन

(ख) वसा में घुलनशील विटामिन है? [1]
(a) A, B, C तथा K
(b) B तथा C
(c) A, D, E तथा K
(d) B, D तथा E

(ग) रक्त का थक्का बनाने वाला प्रोटीन है?  [1]
(a) ग्लोबुलीन
(b) फाइब्रीनोजन
(c) एल्बुमिन
(d) ये सभी

(घ) स्वस्थ्य मनुष्य एक मिनट में कितनी बार साँस लेता है? [1]
(a) 15-18 बार
(b) 5-10 बार
(c) 25-30 बार
(d) अनियमित

(ङ) इनमें से कौन-सा दृष्टिदोष है?  [1]
(a) मायोपिया
(b) फाइलेरिया
(c) हाइपरटेंशन
(d) ये सभी

प्रश्न 2.
(क) रेबीज किस जानवर के काटने से होता है?  [1]
(a) कुत्ता
(b) बिल्ली
(c) मच्छर
(d) हाथी

(ख) डेंगू किस मच्छर के काटने से होता है?  [1]
(a) एडीज इजिप्टी
(b) क्यूलेक्स
(c) एनाफ्लीज
(d) मैनसोनिया

(ग) गन्दी बस्ती से कौन-सा रोग फैलता है?  [1]
(a) अतिसार
(b) मधुमेह
(C) उच्च रक्तचाप
(d) हृदय रोग

(घ) विश्व स्वास्थ्य संगठन का मुख्यालय कहाँ स्थित है? [1]
(a) जेनेवा
(b) नई दिल्ली
(c) टोक्यो
(d) पेरिस

(ङ) भूकम्प का लक्षण है।  [1]
(a) आँधी चलना
(b) धरती हिलना
(c) ओलावृष्टि
(d) ये सभी

प्रश्न 3.
(क) बाल-विवाह का दोष है।  [1]
(a) माता-पिता जिम्मेदारी से मुक्त
(b) भरण-पोषण पर कम व्यय
(c) बालिका के स्वास्थ्य पर खतरा
(d) कम दहेज देना

(ख) वैवाहिक असामंजस्यता का मुख्य कारण है।  [1]
(a) मकान
(b) कपड़ा
(c) वैचारिक मतभेद
(d) भोजन

(ग) वर्तमान में दहेज प्रथा को क्या माना जाता है? [1]
(a) एक उत्तम प्रथा
(b) एक प्रकार की आर्थिक सहायता
(c) सामाजिक बुराई
(d) एक प्रकार की सौदेबाजी

(घ) एकाकी परिवार में पाई जाती है।  [1]
(a) तीन पीढियाँ
(b) दो पीढियाँ
(c) तीन से अधिक पीदियौं
(d) चार से अधिक पीदियाँ

(ङ) व्यक्तित्व की अवधारणा में निहित होते हैं । [1]
(a) व्यक्ति के बाहरी गुण
(b) व्यक्ति के स्वाभाविक गुण
(c) व्यक्ति के आन्तरिक एवं बाह्य गुण
(d) उपरोक्त में से कोई नहीं

प्रश्न 4.
(क) शिशु की अधिक मृत्यु-दर का कारण है।  [1]
(a) शिशु के पालन-पोषण की अच्छी व्यवस्था
(b) शिशु को उच्च गुणवत्ता युक्त भोजन देना
(c) शिशु के कुपोषण
(d) उपरोक्त में से कोई नहीं

(ख) शिशु की देखभाल में आवश्यकता है।  [1]
(a) शिशु को आयु के अनुसार भोजन देना
(b) शिशु के लिए अच्छे वस्त्र की व्यवस्था
(c) शिशु को संगीत सुनाना
(d) उपरोक्त में से कोई नहीं

(ग) परिवार नियोजन का लाभ है।  [1]
(a) जनसंख्या नियन्त्रण
(b) सकल घरेलू उत्पादन में वृद्धि
(c) अपराधों में कमी
(d) लिंगानुपात में समानता

(घ) माँ का दूध शिशु के लिए उपयोगी है।  [1]
(a) इसमें रोग से लड़ने की शक्ति होती है।
(b) यह सुपाच्य होता है।
(c) इसमें पोषक तत्व पाए जाते हैं
(d) उपरोक्त सभी

(ङ) यूनिसेफ की स्थापना कब हुई थी?  [1]
(a) 1944 में
(b) 1945 में
(c) 1946 में
(d) 1949 में ।

अतिलघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 5.
(क) किसी एक सन्तुलित आहार का नाम लिखिए।  [1]
(ख) रक्त का संघटन लिखिए।  [1]

प्रश्न 6.
(क) तन्त्रिका तन्त्र का एक मुख्य भाग लिखिए।  [1]
(ख) नाक में बाल आवश्यक क्यों हैं?  [1]

प्रश्न 7.
(क) चिकनगुनिया का कोई एक लक्षण लिखिए। [1]
(ख) संयुक्त परिवार का एक लाभ लिखिए। [1]

प्रश्न 8.
(क) बाल-विवाह का एक गुण लिखिए।  [1]
(ख) व्यक्तित्व पर बाल्यावस्था का एक प्रभाव लिखिए। [1]

प्रश्न 9.
(क) शिशु मृत्यु-दर की रोकथाम परे एक उपाय लिखिए। [1]
(ख) शिशु में नियमित उत्सर्जन की आदत क्यों होनी चाहिए? (1)

लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 10.
(क) उचित श्वसन क्रिया में आसन की सार्थकता को संक्षेप में लिखिए। [1+1]
(ख) क्षय रोग के किन्हीं दो लक्षणों को लिखिए। [2]

प्रश्न 11.
(क) गन्दी बस्ती के दो सुधारात्मक उपायों को संक्षेप में लिखिए। [1+1]
(ख) प्रदूषण के जनजीवन पर पड़ने वाले दो प्रभावों का संक्षेप में वर्णन करे। [2]

प्रश्न 12.
(क) स्वास्थ्य के नियमों को संक्षेप में लिखिए। [2]
(ख) एकाकी परिवार के दो दोषों को लिखिए।  [1+1]

प्रश्न 13.
(क) दहेज उन्मूलन के दो उपायों को लिखिए। [1+1]
(ख) सामाजिक विच्छेदन के दो कारणों को लिखिए। [1+1]

प्रश्न 14.
(क) शिशु के दाँत निकलने पर दो सावधानियाँ लिखिए। [2]
(ख) बाल कल्याण संगठन के दो कार्यों को लिखिए। [1+1]

प्रश्न 15. श्वसन तन्त्र के विभिन्न अंगों का चित्र बनाकर उनका वर्णन कीजिए। [5]
अथवा
सन्तुलित आहार पर टिप्पणी लिखिए। [5]

प्रश्न 16.
(क) किसी एक प्राकृतिक आपदा के कारण की विवेचना करते हुए इससे बचने के उपाय का वर्णन करें। [5]
अथवा
(ख) हेपेटाइटिस ‘बी’ क्यों होता है? इसके रोकथाम के उपाय का वर्णन करें। [5]

प्रश्न 17. विवाह की कानूनी और जीवशास्त्रीय योग्यता का संक्षेप में वर्णन कीजिए। [5]
अथवा
सामाजिक विषमताओं को दूर करने के उपायों पर संक्षित टिप्पणी लिखिए। [5]

प्रश्न 18. शिशु की देखभाल के लिए उठाए जाने वाले आवश्यक कदमों का संक्षेप में वर्णन करें। [5]
अथवा
परिवार नियोजन से क्या आशय है? इसकी आवश्यकताओं एवं लाभ को स्पष्ट कीजिए। [5]

Answers

उत्तर 1.
(क) (a) लैक्टो बेसिलस
(ख) (c) A, D, E तथा K
(ग) (b) फाइब्रीनोजन
(घ) (a) 15-18 बार
(ङ) (a) मायोपिया

उत्तर 2.
(क) (a) कुत्ता
(ख) (a) एडीज इजिप्टी
(ग) (a) अतिसार
(घ) (a) जेनेवा
(ङ) (b) धरती हिलना

उत्तर 3.
(क) (c) बालिका के स्वास्थ्य पर खतरा
(ख) (c) वैचारिक मतभेद
(ग) (c) सामाजिक बुराई
(घ) (b) दो पीढ़ियाँ
(ङ) (c) व्यक्ति के आन्तरिक एवं बाह्य गुण

उत्तर 4.
(क) (c) शिशु के कुपोषण
(ख) (a) शिशु को आयु के अनुसार भोजन देना
(ग) (a) जनसंख्या नियन्त्रण
(घ) (a) इसमें रोग से लड़ने की शक्ति होती है।
(ङ) (c) 1946 में

उत्तर 5.
(क) कार्बोहाइड्रेट

उत्तर 6.
(क) तन्त्रिका तन्त्र का मुख्य भाग मस्तिष्क है।

उत्तर 7.
(क) चिकनगुनिया में तीव्र ज्वर सिर, जोड़ों एवं मांसपेशियों में दर्द कमजोरी आना आदि मुख्य लक्षण हैं।

उत्तर 8.
(क) बाल-विवाह में पत्नी-पत्नी के बीच वैवाहिक सामंजस्य स्थापित हो जाता है, जिससे संघर्ष की सम्भावना कम रहती है।

(ख) व्यक्तित्व पर बाल्यवस्था में परिवार के अतिरिक्त विद्यालय और साथियों को भी प्रभाव पड़ता है।

उत्तर 12.
(क) शारीरिक एवं मानसिक रूप से स्वस्थ होना स्वास्थ्य कहलाता है। साधारण रूप से यह माना जाता है कि शारीरिक एवं मानसिक रोग ना होना ही स्वास्थ्य है। स्वास्थ्य के अन्तर्गत शारीरिक स्वास्थ्य, सामाजिक स्वास्थ्य तथा बौद्धिक स्वास्थ्य इत्यादि को सम्मिलित किया जाता है। व्यक्तिगत स्वास्थ्य के लिए स्वस्थ परिवेश के साथ-साथ प्रतिदिन स्नान, शरीर के वस्त्रों की सफाई, दाँतों, आँखों की सफाई तथा नाखूनों आदि को काटना चाहिए।

उत्तर 16.
हिपेटाइटिस एक गम्भीर रोग है, जिसे सामान्यता ‘पीलिया’ कहा जाता है। हिपटाइटिस विभिन्न विषाणुओं द्वारा यकृत में फैलता है, जो भोजन वे गन्दे जल द्वारा शरीर में संचरित होता है। हिपेटाइटिस-B इसका सबसे घातक प्रकार है। यह संक्रमित रक्ताधान, लैंगिक सम्पर्क तथा संक्रमित व्यक्ति के कपड़ों के प्रयोग द्वारा भी हो सकता है।
लक्षण इस रोग में यकृत काम करना बन्द कर देता है, जिससे पित्त वर्णक शरीर में जमा होने लगते है और शरीर का रंग पीला हो जाता हैं। उपापचय दर कम हो जाने से भूख नहीं लगती तथा जी-मिचलाने लगता है।
हिपेटाइटिस B के लक्षण

  1.  ज्वर, अरुचि तथा मतली आना।
  2.  यकृत के संक्रमण से भोजन न पचना
  3.  सन्धियों एवं पेशियों में दर्द रहना।
  4.  त्वचा एवं मूत्र का पीला होना आदि

हिपेटाइटिस B के रोकथाम के उपाय हिपेटाइटिस B के रोकथाम के लिए निम्नलिखित उपाय किए गए हैं

  1.  हिपेटाइटिस बी वायरस के संक्रमण की रोकथाम के लिए कई टीकों का विकास किया गया है।
  2.  हमेशा साफ व उबला भोजन करें।
  3.  भोजन करते समय साफसफाई का भी ध्यान रखें।

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UP Board Class 12 Economics Model Papers Paper 1

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Board UP Board
Textbook NCERT
Class Class 12
Subject  Economics
Model Paper Paper 1
Category UP Board Model Papers

UP Board Class 12 Economics Model Papers Paper 1

समय: 3 घण्टे 15 मिनट
पूर्णांक : 100
निर्देश प्रारम्भ के 15 मिनट परीक्षार्थियों को प्रश्न-पत्र पढ़ने के लिए निर्धारित हैं।

नोट

  • सभी प्रश्न अनिवार्य हैं।
  • प्रश्न संख्या 1 से 12 तक बहुविकल्पीय प्रश्न हैं, जिनका केवल सही उत्तर अपनी उत्तर पुस्तिका में लिखना है, प्रश्न संख्या 13 से 16 तक अतिलघु उत्तरीय प्रश्न हैं, जिनका उत्तर प्रत्येक लगभग 25 शब्दों में लिखना है, प्रश्न संख्या 17 से 22 तक लघु उत्तरीय प्रश्न हैं, जिनका उत्तर प्रत्येक लगभग 50 शब्दों में लिखना है तथा प्रश्न संख्या 23 से 28 तक दीर्घ उत्तरीय प्रश्न हैं, जिनका उत्तर प्रत्येक लगभग 150 शब्दों में लिखना है।
  • प्रत्येक प्रश्न के लिए निर्धारित अंक उसके सम्मुख अंकित हैं।

बहुविकल्पीय प्रश्न

प्रश्न 1.
व्य के माध्यम से किया जाने वाला विनिमय कहलाता है [1]
(a) वस्तु-विनिमय
(b) प्रत्यक्ष – विनिमय
(c) क्रय-विक्रय
(d) इनमें से कोई नहीं

प्रश्न 2.
किसी वस्तु का मूल्य निर्धारित होता है, उसकी [1]
(a) मॉग दुरा
(b) पूर्ति दुरा
(c) मॉग और पूर्ति द्वारा
(d) इनमें से कई नीं

प्रश्न 3.
जय सोपान लागत घटती है, तो औसत लागत [1]
(a) स्थिर रहती है
(b) तेजी से गिरती है।
(c) तेजी से बदती है
(d) इनमें से कोई नहीं

प्रश्न 4.
‘मजदूरी श्रम की कीमत है।’ यह कथन किसका है? [1]
(a) मार्शल का
(b) रिकार्डों का
(c) मात्थन का
(d) जेनन्स का

प्रश्न 5.
लोक वित्त को विषय-वस्तु सम्बन्धित है- [1]
(a) सरकार के व्यय से
(b) सरकार की आय से
(c) सरकार के ॠपा से
(d) सरकार से माय, व्यय, ऋण एवं राजकीय नीति से

प्रश्न 6.
भारत की राष्ट्रीय आय में सबसे अधिक योगदान है- [1]
(a) उद्योगों का
(b) कृषि का
(c) बैकों का
(d) निर्यात का

प्रश्न 7.
भारत में प्रति 1000 पुरुष पर स्त्रियों की संख्या कितनी है? [1]
(a) 972
(b) 930
(c) 933
(d) 940

प्रश्न 8.
प्रधानमन्त्री प्रामोदय योजना में सम्मिलित किया गया है । [1]
(a) ग्रम सक योजना
(b) ग्रामीण आवास योजना
(c) ग्रमीण पेयजल परियोजना
(d) ये सभी

प्रश्न 9.
भारत में साक्षरता का प्रतिशत अधिक है [1]
(a) रित्रयों में
(b) पुरुषों में
(c) दोनों में बराबर
(d) इनमें से कोई नहीं

प्रश्न 10.
शरत का विदेशी व्यापार किस देश के साथ सबसे अधिक होता है? [1]
(a) अमेरिका
(b) ग्रेट ब्रिटेन
(c) जर्मनी
(d) जापान

प्रश्न 11.
भारत को प्राप्त विदेशी सहायता में सम्मिलित है [1]
(a) ऋण
(b) अनुदान
(C) अण एवं अनुदान
(d) इनमें से कोई नहीं

प्रश्न 12.
भारत के नियोजनकाल में व्यापार सन्तुसन की दृष्टि से कौन सा केशन सा है? [1]
(a) सभी वर्षों में अनुकूल रहा
(b) सभी वर्षों में प्रतिकूल रहा
(c) केवल दो वर्षों में अनुकून रहा
(d) केवल दो वर्षों में प्रतिकूल रहा।

अतिलघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 13.
अप्रत्यक्ष कर की परिभाषा लिखिए [4]

प्रश्न 14.
सकल घरेलू उत्पाद (GDP) किसे कहते हैं? [4]

प्रश्न 15.
‘तीव्र जनसंख्या वृद्धि में किन्हीं दो दुष्परिणामों का उल्लेख कीजिए। [4]

प्रश्न 16.
राष्ट्रीय वन नीति (1988) के उद्देश्य लिखिए। [4]

लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 17.
ममय के आधार पर बाजार के वर्गीकरण को लिखिए। [5]

प्रश्न 18.
सीमा शुल्क पर व्याख्यात्मक टिप्पणी लिखिए। [5]

प्रश्न 19.
राष्ट्रीय आय की गणना में वैचारिक कठिनाइयों को समझाइए। [5]

प्रश्न 20.
भारत की नई जनसंख्या नीति सम्झाइए। [5]

प्रश्न 21.
भारतीय रिज़र्व बैंक के कार्य लिखिए। [5]

प्रश्न 22.
इन्टरनेट पर टिप्पणी लिखिए। [5]

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 23.
पूर्ण प्रतियोगिता की दशा में उद्योग एवं फर्म के साम्वन्ध का सचित्र वर्णन कीजिए [7]
अयवा
अंश अपूर्ण प्रतियोगिता की दशा में अकाल में लाभ, न एत्र सामान्य लाश की दशा का सचित्र वर्णन कीजिए।

प्रश्न 24.
रिकाडों द्वारा दिए गए लगान सिद्धान्त का वर्णन कीजिए। [7]
अयवा
वितरण के सीमान्त उत्पादकता सिद्धान्त की विवेचना कीजिए। [7]

प्रश्न 25.
कीन्स के व्याज के तरलता पसन्दगी सिद्धान्त की व्याख्या कॉजिए। [7]
अयवा
लाभ के अनिश्चितता गहन सिद्धान्त का वर्णन कीजिए। [7]

प्रश्न 26.
ग्रामीण स्वच्छता कार्यक्रम को विस्तार से समझाए। [7]
अयवा
सामाजिक वानिकी से क्या तात्पर्य है? सामाजिक वानिकी के उद्ढेरया बताइए [3+4]

प्रश्न 27.
व्यापार सन्तुलन से क्या आशय है? भारत के प्रतिकूल व्यापार सन्तुलन के कारण सिखिए। [3+4]
अयवा
भुगतान सन्तुलन को परिभाषित कीजिए। भुग सन्तुलन की मदे बताइए [3+4]

प्रश्न 28.
निम्न तालिका में समान्तर मध्य ज्ञात कीजिए। [7]
UP Board Class 12 Economics Model Papers Paper 1 image 1
अयवा
UP Board Class 12 Economics Model Papers Paper 1 image 2

Answers

उतर 1.
(c)

उतर 2.
(c)

उतर 3.
(b)

उतर 4.
(a)

उतर 5.
(d)

उतर 6.
(b)

उतर 7.
(d)

उतर 8.
(c)

उतर 9.
(b)

उतर 10.
(a)

उतर 11.
(c)

उतर 12.
(b)

उतर 16.
राष्ट्रीय वन नीति 1988 का उद्ढेरया वनों की सुरक्षा, सरक्षथा तया विकास के सय -सय पर्यावरण एवं परिस्थतिकी सन्तूल की स्यापना करना है। प्राकृतिक सम्पदाओं कासंरक्षण एवं मूदा अपरदन रोकना भी इसके उद्ढेरया में शामिल है।

उतर 18.
आयात-पात कर को सीमा शुल्क काया जाता है, इसमें देश से बाहर भने आने वाले माल पर चल कर तथा देश में बाहर से मंगवाए नि । वाले माल पर आयात कर लाया जाता है। जय यह शुल्क वस्तु |माल के मूल्यानुसर लगाया जाता है।
जब यद्द शुल्क वस्तु या माल के मल्यानुसा र्लगाया जाता हैं। तब इसे मूल्यानुसार शुल्क और जब इस परिमाण या संस्था के आधर पर लगाया जाता है, तब इसे परिमाणनुमार कहा जाता है। ये दोनों प्रकार के शुल्क भारत में लगाए जाते हैं। भारत में चाथ पदसन, टन, आदि पर लगाया गया का निर्यात कर है। विलासिता की वस्तु पर अधिक दर से आयात कर लगाया जाता हैं।

उतर 27.
एक वर्ष के भीतर एक के देश के विमों का के अन्य देशों के निवासियों के माम भी प्रकार के अधिक लेन-देन ( प, अदृश्य हा पॅनोगत) के विवराण को भगान मन्तुलन कहते हैं। हमें दी मात ने देश जाता है-चल । एवं पूरी पाता। खाता

चालू खाते की मदं चालू खाता दृश्य मदों के आयात तथा नियत को प्रदर्शित करता है; जैसे—गेहूं, चावल, मशीन, इत्यादि। अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार में प्रयोग होने वाली मुख्य अदृश्य मदे, परिवहनथीमा तथा बैंकिग, आदि सेवाएँ हैं। इसमें निम्न को शामिल किया जाता है

1. निवेश आय  विदेशी कम्पनियों भारत के उद्योग तथा व्यापार में निवेश करती है, तो भारत को उनके शेयरधारकों के भांश के रूप में भुगतान करना पड़ता है। समान रूप से विदेशी लेनदारों को पहले लिए गए ऋण पा याज का न करना पड़ता है। समान रूप से भारत को भी शेष विश्व में किए गए नि। ता दिए गए ऋणों के लिए लाश तथा व्याज की प्राप्ति होती है। ,

2.विदेशी यात्रा पर्यटन अशा विभिन देश का भ्रमणा भुगतान शेष का। एक महत्त्वपूर्ण हिस्सा बन चुका हैं। उज्य विदेश गर्यटक भारत में आते हैं, तो वे अपने गा विदेश हा नाते हैं क्या हमारे अन् बाजार में खर्च करने के लिए उसे हमारी मुद्रा में परिवर्तित कराते हैं, इससे देश को विदेशी मुद्रा की प्राप्ति होती हैं। सामान्य रूप में जब भारय पर्यटक विदेश में आते हैं, तो आन्हें करने के लिए। भारतीय मुद्रा को विदेशी मुद्रा में परिवर्तित कराना पड़ता है।
इसमें विदेशी र्णिमय का भुगतान भी शामिल है। शिक्षा, अवसय, इण, आदि के लिए विदेश में गए लोग विदेशी मुद्रा में भुगतान करते हैं, जबकि भारत में आए विदेशी, विदेशी विनिमय की प्राप्ति का स्रोत होते हैं।

3. मिति मदें इनमें चालू खाते के बचे हुए सभी लेन देन को शामिल किया जाता है; जैसे अब फौस, जल का | भता, टेलीफोन व टेलपाफ सेवाएं, आदि।

पूँजी खाते पर भुगतान संतुलन पूँजी खाते पर भुगतान संतुलन के अन्तर्गत ऐसे विसीय लेन-देन का क्विाण होता है, जिसमें सभी प्रकार के अन्तर्राष्ट्रीय पुंजीगत तर, स्वर्ग का आदान-प्रदान, निजी भगत राष्ट्रीय समस्याओं से भिन्न भगवान व प्रति शमन होती हैं। कि पूंजी खाते के सभी लेन देने का काम्यय वित्तीय अनरणों से होता है, अतः इससे देश के उत्पादन, आय व रोजगार र प्रत्यक्षत: कोई प्रभाव नहीं पड़ता है।
पुँजी खाते को मदें इसमें निजी पूंजी, बैंकिग पूँजी, अधिकृत पूँजी, सोना तथा विदेशी पूँजी शामिल हैं।

  1. निजी पूंजी में चत क्रिमिया के पंजीत । को शामिल | किया जाता है। यह अल्पकालीन अथवा दीर्धकालीन पूँजी हो सकती है। दालीन पुंनी गे शेयरों मेंप्रश , शरतविक सम्पत्ति, बंधपत्र, दीर्घकालीन ऋण, आदि शामिल है, जबकि अल्पकालीन पंत में अन्यकाल मण तथा से ऋण के नृत की वापी एक वर्ष अचवा में कम ममम में करनी होती हैं। को मिल किया है। उदाहरण के लिए एक देश के व्यक्ति द्वारा दूसरे देश में निवेश।।
  2. बैंकिग पूँजी इसमें सरकार की विदेशी जिले सम्पत्ति, दापित जया अनाराष्ट्र मुद्रा कोष (IME) में केन्द्रीय क द्वारा पुनः ।
    क्रय की गई प्राप्ति शाक्ति होती है।
  3. अधिकत भी इसमें निम्नलिखित में से अटा शक हैं
    • ऋण इसको केन्द्रीय तथा राज्य सरकार की विदेश सरकार तभा अ य संस्थाओं द्वारा दी गई साख सम्मिलित है।
    • पूँजी का परिशोधन इसका अर्थ है विदेशियों को बैन गई प्रतिभूतियों का रूप तथा पुनः क्रिय।।
    • मिति गलतियाँ तथा भूल यह प्रति तय भगानो के अल्पारण अल्पारण तथा तववरण को दर्शाता है। यह भी सकता है कि आंकड़े अपूर्ण अत्रा सही न हो अथवा सही न हो अथवा एक तरफ के सौदे का लेखा छूट गया है।
  4. सोना तसा विदेशी पूजी गृह राष्ट्र को विदेशी विनमय दर में स्थिरता लाने में सोना तथा विदेशी पूँजी को हो भन्श्यक है। यह कोष ॥ सौदों के शुद्ध शेष द्वारा बदलता रहता है।

उतर 28.

समान्तर मध्य की गणना

अंक मध्य बिन्दु (x) आवृति (f) Dx = (x-A)
A = 35
 fdx
0-10 5 10 -30 -300
10-20 15 12 -20 -240
20-30 25 20 -10 -200
30-40 35 15 0 0
40-50 45 10 10 100
50-60 55 13 20 260
N = 80 ∑fdx = -380

समान्तर मध्य [latex]( \overline { X } ) = A + \frac { \Sigma f d x } { N } = 35 + \frac { – 380 } { 80 }[/latex]

=35-4.75=30.25
अयवा
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