UP Board Solutions for Class 10 English Grammar Primary Auxiliaries

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Board UP Board
Class Class 10
Subject English
Chapter English Grammar
Chapter Name Primary Auxiliaries (Be, Have, Do)
Category UP Board Solutions

UP Board Solutions for Class 10 English Grammar Primary Auxiliaries (Be, Have, Do)

Exercise 1

  1. The wind is blowing hard.
  2. She is not attending the computer class.
  3. We do not go to school on Sunday.
  4. I did not show that letter to anyone.
  5. I am working hard these days.
  6. A man was selling beautiful balloons.
  7. The birds were sitting (UPBoardSolutions.com) in the tree.
  8. Suresh has paid his loan.
  9. They have gone to market.
  10. Does he know your address ?

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Exercise 2

  1. He has told a lie.
  2. He does not eat meat.
  3. Sonu is not reading in this school.
  4. Sohan has got a good prize.
  5. It was raining heavily yesterday.
  6. The work has not been finished yet.
  7. They are coming back now.
  8. The boy did not play the match last week.
  9. You did not invite me to (UPBoardSolutions.com) dinner yesterday.
  10. Mahesh does not cast his vote in the last election.

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UP Board Solutions for Class 10 English Grammar The Verb : Kinds

UP Board Solutions for Class 10 English Grammar The Verb : Kinds are part of UP Board Solutions for Class 10 English. Here we have given UP Board Solutions for Class 10 English Grammar The Verb : Kinds.

Board UP Board
Class Class 10
Subject English
Chapter English Grammar
Chapter Name The Verb : Kinds
Category UP Board Solutions

UP Board Solutions for Class 10 English Grammar The Verb : Kinds

Exercise 1

Intransitive Verbs : 1. blows, 6. was hanging, 7. change, 8. became, 9. is, 12. roared, 13. went, 15. is sleeping.
Transitive Verbs : 2. polish, 3. shot, 4. stopped, 5. builds, 10. signed, 11. know, 14. gave.
Object Complement : 8. happy

Exercise 2

Indirect Object 

Direct Object

1. me, 2. Ram, 3. me, 4. me, 5. Mohan, 6. me, 7. his friends, 8. you, 9. me, 10. me. 1. toys, 2. money, 3. a long letter, 4. letter, 5. a present, 6. news, 7. message, 8. money, 9. a prosperous life, 10. a favour.

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Exercise 3

  1. He taught him a lesson.
  2. My grandmother told me a good joke.
  3. The manager granted him leave.
  4. They offered me coffee.
  5. My father brings fruits for me.
  6. He found him absent.
  7. He paid his dues.
  8. They asked me my problem.
  9. I have sent him a message.
  10. Will you lend me your book ?

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Exercise 4

  1. They promised their support to me.
  2. He lent his book to me.
  3. He offered his help to me.
  4. He passed the next player the ball.
  5. The officer granted leave to him.
  6. Will you make (UPBoardSolutions.com) a cup of tea for me ?
  7. Mohan sold me his car.
  8. He mixed cocktail for us.
  9. He owes Rs 500 to me.
  10. She cooked us food.
  11. He gave a chance to me.
  12. He does not owe anything to me.
  13. He did a favor to us.
  14. She cooked food for me.
  15. I encashed him the cheque.

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Exercise 5

  1. Ram is a teacher.
  2. They are dejected.
  3. The book is on the table.
  4. He is sad.
  5. You are a doctor.
  6. She was punished.
  7. The news was false.
  8. It is dark.
  9. She is pale.
  10. His condition (UPBoardSolutions.com) is better.

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UP Board Solutions for Class 10 Commerce Chapter 7 अनुक्रमणिका या सूची

UP Board Solutions for Class 10 Commerce Chapter 7 अनुक्रमणिका या सूची are the part of UP Board Solutions for Class 10 Commerce. Here we have given UP Board Solutions for Class 10 Commerce Chapter 7 अनुक्रमणिका या सूची.

Board UP Board
Class Class 10
Subject Commerce
Chapter Chapter 7
Chapter Name अनुक्रमणिका या सूची
Number of Questions Solved 18
Category UP Board Solutions

UP Board Solutions for Class 10 Commerce Chapter 7 अनुक्रमणिका या सूची

बहुविकल्पीय प्रश्न ( 1 अंक)

प्रश्न 1.
पत्र-पुस्तक अनुक्रमणिका का प्रयोग होता है।
(a) छोटे व्यवसाय में
(b) बड़े व्यवसाय में
(c) सहकारी समितियों में
(d) इन तीनों में
उत्तर:
(d) छोटे व्यवसाय में

प्रश्न 2.
पुस्तकालय के लिए कौन-सी अनुक्रमणिका का प्रयोग किया जाता है?
(a) खुली अनुक्रमणिका
(b) स्वरात्मक अनुक्रमणिका
(c) कार्ड अनुक्रमणिका
(d) उपरोक्त सभी
उत्तर:
(c) कार्ड अनुक्रमणिका

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प्रश्न 3.
‘संकेत काई’ का प्रयोग किया जाता है।
(a) कार्ड अनुक्रमणिका में
(b) जिल्ददार पुस्तक सूची में
(c) ‘a’ और ‘b’ दोनों में
(d) उपरोक्त में से कोई नहीं
उत्तर:
(a) कार्ड अनुक्रमणिकां में

निश्चित उत्तरीय प्रश्न (1 अंक)

प्रश्न 1.
अनुक्रमणिका के अभाव की कोई एक कठिनाई लिखिए।
उत्तर:
ग्राहकों से प्राप्त आदेशों की पूर्ति (UPBoardSolutions.com) में कठिनाई बनी रहती है।

प्रश्न 2.
पहले और बाद वाले पत्रों का सन्दर्भ देने वाली अनुक्रमणिका कौन-सी होती हैं?
उत्तर:
शृंखला अनुक्रमणिका

प्रश्न 3.
कार्ड अनुक्रमणिका का आविष्कार किस विद्वान ने किया था?
उत्तर:
ऐबे जीन रोजियर

प्रश्न 4.
बैंक में नमूने के हस्ताक्षर के लिए कौन-सी अनुक्रमणिका उपयुक्त है?
उत्तर:
कार्ड अनुक्रमणिका

प्रश्न 5.
दृश्य कार्ड सूची की मुख्य विशेषता क्या है?
उत्तर:
इसमें अनेक कार्ड एक साथ देखे जा सकते हैं।

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अतिलघु उत्तरीय प्रश्न (2 अंक)

प्रश्न 1.
अनुक्रमणिका के चार लाभ या महत्त्व बताइए। (2014, 12)
उत्तर:
अनुक्रमणिका के चार लाभ या महत्त्व निम्नलिखित हैं-

  1. अनुक्रमणिका पत्रों को निश्चित क्रम में रखने की सुविधा प्रदान करती है।
  2. अनुक्रमणिका खड़ी फाइलिंग के लिए अनिवार्य होती है।
  3. अनुक्रमणिका पत्रों को फाइल करने में सुविधा प्रदान करती है।
  4. अनुक्रमणिका द्वारा पत्रों एवं महत्त्वपूर्ण प्रलेखों को सुरक्षित रखा जा सकता

प्रश्न 2.
अनुक्रमणिका की विभिन्न विधियों के नाम लिखिए।
उत्तर:
अनुक्रमणिका की विभिन्न विधियों के नाम निम्नलिखित हैं-

  1. साधारण/पत्र-पुस्तक या वर्णात्मक अनुक्रमणिका
  2. स्वरात्मक अनुक्रमणिका
  3. श्रृंखला अनुक्रमणिका
  4. कार्ड अनुक्रमणिका
  5. दिखने वाली (खुली/दृश्य) कार्ड अनुक्रमणिका
  6. चक्रीय अनुक्रमणिका

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प्रश्न 3.
शृंखला अनुक्रमणिका क्यों बनाई जाती है?
उत्तर:
शृंखला अनुक्रमणिका या सूची एक ऐसी पद्धति है, जिसकी सहायता से किसी ग्राहक को अलग-अलग तिथियों पर लिखे गए पत्रों की ऐसी जानकारी एक ही पृष्ठ पर प्राप्त हो जाती है कि पत्र विशेष से पहले के पत्रों व आगे के पत्रों की प्रतिलिपि किन (UPBoardSolutions.com) पृष्ठों पर दी गई है, जिससे पुराने पत्रों को सरलता से प्राप्त किया जा सके। इस उद्देश्य से श्रृंखला अनुक्रमणिका बनाई जाती है।

प्रश्न 4.
कार्ड अनुक्रमणिका क्या है? इसके दो गुणों का उल्लेख कीजिए। (2014)
उत्तर:
कार्ड अनुक्रमणिका इस अनुक्रमणिका में संकेत कार्डों का प्रयोग किया जाता है तथा प्रत्येक ग्राहक के लिए एक कार्ड बना दिया जाता है, जिस पर उसका नाम, पता एवं सूचनाएँ स्पष्ट रूप से लिख दी जाती हैं। बैंक में नमूने के हस्ताक्षर के लिए भी इसी अनुक्रमणिका का प्रयोग किया जाता है। इसके लिए विभिन्न वस्तुओं की आवश्यकता होती है; जैसे-दराजदार अलमारी, नाम कार्ड, संकेत कार्ड, अनुपस्थिति कार्ड, आदि। कार्ड अनुक्रमणिका के दो गुण निम्नलिखित हैं।

  1. यह प्रणाली लोचदार होती है।
  2. यह सरल एवं सुविधाजनक प्रणाली है।

लघु उत्तरीय प्रश्न (4 अंक)

प्रश्न 1.
अनुक्रमणिका से क्या आशय है? इसके दो महत्त्वों का उल्लेख कीजिए। (2012)
अथवा
अनुक्रमणिका क्या है? अनुक्रमणिका के क्या-क्या लाभ हैं? संक्षेप में वर्णन कीजिए। (2011)
अथवा
अनुक्रमणिका से आप क्या समझते हैं? इसके उद्देश्यों का वर्णन कीजिए। (2010)
उत्तर:
अनुक्रमणिका से आशय अनुक्रमणिका एक ऐसी युक्ति या सूची होती है, जिसके द्वारा शीघ्रतापूर्वक यह पता लगाया जा सकता है कि अमुक पत्र या प्रलेख कहाँ रखा हुआ है। इसकी सहायता से भविष्य में सन्दर्भ के लिए उसे निकालने में सुविधा रहती है।

अनुक्रमणिका की आवश्यकता/उद्देश्य/महत्त्व/लाभ प्रत्येक प्रगतिशील व्यापारिक कार्यालय के लिए वर्तमान युग में अनुक्रमणिका का अत्यधिक महत्त्व होता है। पत्र-व्यवहार व्यापार की आत्मा होती है। बिना पत्र-व्यवहार के कोई भी व्यापार वर्तमान समय (UPBoardSolutions.com) में सुचारु रूप से संचालित नहीं किया जा सकता है। इस उद्देश्य से पत्रों को सँभालकर रखना व्यापार के हित में होता है। इन्हें शीघ्रता व सुगमता से प्राप्त करने के लिए अनुक्रमणिका की आवश्यकता होती है। अनुक्रमणिका के महत्त्व या उद्देश्यों को निम्न प्रकार से स्पष्ट किया जा सकता है

  1. पत्रों को फाइल करने में सुविधा ग्राहकों के पत्रों व प्रलेखों को सुगमता व शीघ्रता से उपयुक्त स्थान पर फाइल करने के लिए अनुक्रमणिका सहायक होती है।
  2. पत्रों को ढूंढने में सुविधा व्यापारिक कार्यालय में आने व जाने वाले पत्रों को फाइलों में सुरक्षित रखा जाता है, जिससे किसी भी पत्र को ढूंढने में अनुक्रमणिका सहायता प्रदान करती है।
  3. पत्रों को नस्तीकरण करने में सुविधा अनुक्रमणिका तैयार करने से पत्रों को सुरक्षित रखने में भी काफी सुविधा मिलती है।
  4. समय तथा श्रम दोनों की बचत अनुक्रमणिका की सहायता से आवश्यकता पड़ने पर पत्रों को खोजने में समय व श्रम दोनों की बचत होती है।
  5. पत्रों को निश्चित क्रम में रखने की सुविधा अनुक्रमणिका एक निश्चित आधार के अनुसार बनाई जाती है। इस कारण, पत्रों को भी एक निश्चित क्रम में सुरक्षित रखा जा सकता है।
  6. पुस्तकालय में उपयोगी पुस्तकालय में रखी हजारों पुस्तकों में से कोई एक पुस्तक सरलतापूर्वक निकालने के लिए अनुक्रमणिका का प्रयोग किया जा सकता है।
  7. पत्रों एवं महत्त्वपूर्ण प्रलेखों की सुरक्षा अनुक्रमणिका की सहायता से पत्रों एवं प्रलेखों को रखने एवं निकालने में पत्रों को अधिक उलटना-पलटना नहीं पड़ता है। इससे पत्र फटने से बच जाते हैं।
  8. खाताबही के लिए अनिवार्य खाताबही में अनुक्रमणिका अवश्य बनाई जाती है। इससे ग्राहक के खाते का तुरन्त ज्ञान हो जाता है।
  9. खड़ी फाइलिंग के लिए अनिवार्य खड़ी फाइलिंग के अन्तर्गत अनुक्रमणिका तैयार करना अनिवार्य होता है।
  10. अन्य लाभ अनुक्रमणिका द्वारा ग्राहकों के पते, उनके बैंक खातों की संख्या, उनके बैंक का नाम, उधार किस्तें, उनकी आर्थिक स्थिति, ग्राहकों के व्यवसाय एवं पूर्व सन्दर्भो, आदि की जानकारी सरलतापूर्वक प्राप्त हो जाती है।

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प्रश्न 2.
अनुक्रमणिका क्या है? वर्णात्मक अनुक्रमणिका का वर्णन कीजिए। (2009)
उत्तर:
अनुक्रमणिका का अर्थ
अनुक्रमणिका से आशय अनुक्रमणिका एक ऐसी युक्ति या सूची होती है, जिसके द्वारा शीघ्रतापूर्वक यह पता लगाया जा सकता है कि अमुक पत्र या प्रलेख कहाँ रखा हुआ है। इसकी सहायता से भविष्य में सन्दर्भ के लिए उसे निकालने में सुविधा रहती है।

अनुक्रमणिका की आवश्यकता/उद्देश्य/महत्त्व/लाभ प्रत्येक प्रगतिशील व्यापारिक कार्यालय के लिए वर्तमान युग में अनुक्रमणिका का अत्यधिक महत्त्व होता है। पत्र-व्यवहार व्यापार की आत्मा होती है। बिना पत्र-व्यवहार के कोई भी व्यापार वर्तमान समय में सुचारु रूप से संचालित नहीं किया जा सकता है। इस उद्देश्य से पत्रों को सँभालकर रखना व्यापार के हित में होता है। इन्हें शीघ्रता व सुगमता से प्राप्त करने के लिए अनुक्रमणिका की आवश्यकता होती है। अनुक्रमणिका के महत्त्व या उद्देश्यों को निम्न प्रकार से स्पष्ट किया जा सकता है

  1. पत्रों को फाइल करने में सुविधा ग्राहकों के पत्रों व प्रलेखों को सुगमता व शीघ्रता से उपयुक्त स्थान पर फाइल करने के लिए अनुक्रमणिका सहायक होती है।
  2. पत्रों को ढूंढने में सुविधा व्यापारिक कार्यालय में आने व जाने वाले पत्रों को फाइलों में सुरक्षित रखा जाता है, जिससे किसी भी पत्र को ढूंढने में अनुक्रमणिका सहायता प्रदान करती है।
  3. पत्रों को नस्तीकरण करने में सुविधा अनुक्रमणिका तैयार करने से पत्रों को सुरक्षित रखने में भी काफी सुविधा मिलती है।
  4. समय तथा श्रम दोनों की बचत अनुक्रमणिका की सहायता से (UPBoardSolutions.com) आवश्यकता पड़ने पर पत्रों को खोजने में समय व श्रम दोनों की बचत होती है।
  5. पत्रों को निश्चित क्रम में रखने की सुविधा अनुक्रमणिका एक निश्चित आधार के अनुसार बनाई जाती है। इस कारण, पत्रों को भी एक निश्चित क्रम में सुरक्षित रखा जा सकता है।
  6. पुस्तकालय में उपयोगी पुस्तकालय में रखी हजारों पुस्तकों में से कोई एक पुस्तक सरलतापूर्वक निकालने के लिए अनुक्रमणिका का प्रयोग किया जा सकता है।
  7. पत्रों एवं महत्त्वपूर्ण प्रलेखों की सुरक्षा अनुक्रमणिका की सहायता से पत्रों एवं प्रलेखों को रखने एवं निकालने में पत्रों को अधिक उलटना-पलटना नहीं पड़ता है। इससे पत्र फटने से बच जाते हैं।
  8. खाताबही के लिए अनिवार्य खाताबही में अनुक्रमणिका अवश्य बनाई जाती है। इससे ग्राहक के खाते का तुरन्त ज्ञान हो जाता है।
  9. खड़ी फाइलिंग के लिए अनिवार्य खड़ी फाइलिंग के अन्तर्गत अनुक्रमणिका तैयार करना अनिवार्य होता है।
  10. अन्य लाभ अनुक्रमणिका द्वारा ग्राहकों के पते, उनके बैंक खातों की संख्या, उनके बैंक का नाम, उधार किस्तें, उनकी आर्थिक स्थिति, ग्राहकों के व्यवसाय एवं पूर्व सन्दर्भो, आदि की जानकारी सरलतापूर्वक प्राप्त हो जाती है।

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वर्णात्मक अनुक्रमणिका
अनुक्रमणिका से आशय अनुक्रमणिका एक ऐसी युक्ति या सूची होती है, जिसके द्वारा शीघ्रतापूर्वक यह पता लगाया जा सकता है कि अमुक पत्र या प्रलेख कहाँ रखा हुआ है। इसकी सहायता से भविष्य में सन्दर्भ के लिए उसे निकालने में सुविधा रहती है।

अनुक्रमणिका की आवश्यकता/उद्देश्य/महत्त्व/लाभ प्रत्येक प्रगतिशील व्यापारिक कार्यालय के लिए वर्तमान युग में अनुक्रमणिका का अत्यधिक महत्त्व होता है। पत्र-व्यवहार व्यापार की आत्मा होती है। बिना पत्र-व्यवहार के कोई भी व्यापार वर्तमान समय में सुचारु रूप से संचालित नहीं किया जा सकता है। इस उद्देश्य से पत्रों को सँभालकर रखना व्यापार के हित में होता है। इन्हें शीघ्रता व सुगमता से प्राप्त करने के लिए अनुक्रमणिका की आवश्यकता होती है। अनुक्रमणिका के महत्त्व या उद्देश्यों को निम्न प्रकार से स्पष्ट किया जा सकता है

  1. पत्रों को फाइल करने में सुविधा ग्राहकों के पत्रों व प्रलेखों को सुगमता व शीघ्रता से उपयुक्त स्थान पर फाइल करने के लिए अनुक्रमणिका सहायक होती है।
  2. पत्रों को ढूंढने में सुविधा व्यापारिक कार्यालय में आने व जाने वाले पत्रों को फाइलों में सुरक्षित रखा जाता है, जिससे किसी भी पत्र को ढूंढने में अनुक्रमणिका सहायता प्रदान करती है।
  3. पत्रों को नस्तीकरण करने में सुविधा अनुक्रमणिका तैयार करने से पत्रों को सुरक्षित रखने में भी काफी सुविधा मिलती है।
  4. समय तथा श्रम दोनों की बचत अनुक्रमणिका की सहायता से आवश्यकता पड़ने पर पत्रों को खोजने में समय व श्रम दोनों की बचत होती है।
  5. पत्रों को निश्चित क्रम में रखने की सुविधा अनुक्रमणिका एक निश्चित आधार के अनुसार बनाई जाती है। इस कारण, पत्रों को भी एक निश्चित क्रम में सुरक्षित रखा जा सकता है।
  6. पुस्तकालय में उपयोगी पुस्तकालय में रखी हजारों पुस्तकों में से कोई एक पुस्तक सरलतापूर्वक निकालने के लिए अनुक्रमणिका का प्रयोग किया जा सकता है।
  7. पत्रों एवं महत्त्वपूर्ण प्रलेखों की सुरक्षा अनुक्रमणिका की सहायता से पत्रों एवं प्रलेखों को रखने एवं निकालने में पत्रों को अधिक उलटना-पलटना नहीं पड़ता है। इससे पत्र फटने से बच जाते हैं।
  8. खाताबही के लिए अनिवार्य खाताबही में अनुक्रमणिका अवश्य बनाई (UPBoardSolutions.com) जाती है। इससे ग्राहक के खाते का तुरन्त ज्ञान हो जाता है।
  9. खड़ी फाइलिंग के लिए अनिवार्य खड़ी फाइलिंग के अन्तर्गत अनुक्रमणिका तैयार करना अनिवार्य होता है।
  10. अन्य लाभ अनुक्रमणिका द्वारा ग्राहकों के पते, उनके बैंक खातों की संख्या, उनके बैंक का नाम, उधार किस्तें, उनकी आर्थिक स्थिति, ग्राहकों के व्यवसाय एवं पूर्व सन्दर्भो, आदि की जानकारी सरलतापूर्वक प्राप्त हो जाती है।

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दीर्घ उत्तरीय प्रश्न (8 अंक)

प्रश्न 1.
अनुक्रमणिका क्या है? अनुक्रमणिका की विभिन्न रीतियों एवं उनके महत्त्व का वर्णन कीजिए। (2008)
उत्तर:
अनुक्रमणिका से आशय
अनुक्रमणिका से आशय अनुक्रमणिका एक ऐसी युक्ति या सूची होती है, जिसके द्वारा शीघ्रतापूर्वक यह पता लगाया जा सकता है कि अमुक पत्र या प्रलेख कहाँ रखा हुआ है। इसकी सहायता से भविष्य में सन्दर्भ के लिए उसे निकालने में सुविधा रहती है।

अनुक्रमणिका की आवश्यकता/उद्देश्य/महत्त्व/लाभ प्रत्येक प्रगतिशील व्यापारिक कार्यालय के लिए वर्तमान युग में अनुक्रमणिका का अत्यधिक महत्त्व होता है। पत्र-व्यवहार व्यापार की आत्मा होती है। बिना पत्र-व्यवहार के कोई भी व्यापार वर्तमान समय में सुचारु रूप से संचालित नहीं किया जा सकता है। इस उद्देश्य से पत्रों को सँभालकर रखना व्यापार के हित में होता है। इन्हें शीघ्रता व सुगमता से प्राप्त करने के लिए अनुक्रमणिका की आवश्यकता होती है। अनुक्रमणिका के महत्त्व या उद्देश्यों को निम्न प्रकार से स्पष्ट किया जा सकता है

  1. पत्रों को फाइल करने में सुविधा ग्राहकों के पत्रों व प्रलेखों को सुगमता व शीघ्रता से उपयुक्त स्थान पर फाइल करने के लिए अनुक्रमणिका सहायक होती है।
  2. पत्रों को ढूंढने में सुविधा व्यापारिक कार्यालय में आने व जाने वाले पत्रों को फाइलों में सुरक्षित रखा जाता है, जिससे किसी भी पत्र को ढूंढने में अनुक्रमणिका सहायता प्रदान करती है।
  3. पत्रों को नस्तीकरण करने में सुविधा अनुक्रमणिका तैयार करने से पत्रों को सुरक्षित रखने में भी काफी सुविधा मिलती है।
  4. समय तथा श्रम दोनों की बचत अनुक्रमणिका की सहायता से आवश्यकता (UPBoardSolutions.com) पड़ने पर पत्रों को खोजने में समय व श्रम दोनों की बचत होती है।
  5. पत्रों को निश्चित क्रम में रखने की सुविधा अनुक्रमणिका एक निश्चित आधार के अनुसार बनाई जाती है। इस कारण, पत्रों को भी एक निश्चित क्रम में सुरक्षित रखा जा सकता है।
  6. पुस्तकालय में उपयोगी पुस्तकालय में रखी हजारों पुस्तकों में से कोई एक पुस्तक सरलतापूर्वक निकालने के लिए अनुक्रमणिका का प्रयोग किया जा सकता है।
  7. पत्रों एवं महत्त्वपूर्ण प्रलेखों की सुरक्षा अनुक्रमणिका की सहायता से पत्रों एवं प्रलेखों को रखने एवं निकालने में पत्रों को अधिक उलटना-पलटना नहीं पड़ता है। इससे पत्र फटने से बच जाते हैं।
  8. खाताबही के लिए अनिवार्य खाताबही में अनुक्रमणिका अवश्य बनाई जाती है। इससे ग्राहक के खाते का तुरन्त ज्ञान हो जाता है।
  9. खड़ी फाइलिंग के लिए अनिवार्य खड़ी फाइलिंग के अन्तर्गत अनुक्रमणिका तैयार करना अनिवार्य होता है।
  10. अन्य लाभ अनुक्रमणिका द्वारा ग्राहकों के पते, उनके बैंक खातों की संख्या, उनके बैंक का नाम, उधार किस्तें, उनकी आर्थिक स्थिति, ग्राहकों के व्यवसाय एवं पूर्व सन्दर्भो, आदि की जानकारी सरलतापूर्वक प्राप्त हो जाती है।

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1. साधारण या पत्र-पुस्तक अनुक्रमणिका या वर्णात्मक अनुक्रमणिका यह अनुक्रमणिका उन कार्यालयों के लिए होती है, जहाँ थोड़ी मात्रा में ही पत्र आते-जाते हैं। इस अनुक्रमणिका में प्रत्येक अक्षर के लिए एक पृष्ठ नियत कर दिया जाता है। इस प्रकार, अंग्रेजी की अनुक्रमणिका बनाने के लिए 24 पृष्ठ आवश्यक होते हैं, जबकि A से W तक प्रत्येक अक्षर के लिए एक-एक कुल 23 पृष्ठ और Y Y 7 इन तीनों अक्षरों के लिए केवल एक पृष्ठ होता है। क्योंकि इन (UPBoardSolutions.com) अक्षरों से आरम्भ होने वाले नाम बहुत कम होते हैं। हिन्दी की अनुक्रमणिका के लिए 36 पृष्ठों की आवश्यकता होती है; जैसे-अ, इ, उ, ए, ओ, अं, क, ख, ग, घ, च, छ (क्ष), ज, झ, ट, ठ, ड, ढ़, त, थ, द, ध, न, प, फ, ब, भ, म, य, र, ल, व, श (षे, स), हे, त्र, ज्ञा ये पृष्ठ दाईं ओर इस प्रकार से कटे होते हैं कि वर्णमाला के सभी अक्षरे एक सीधी रेखा में दिखाई देते हैं तथा पृष्ठों को पलटे बिना यह मालूम किया जा सकता है कि अमुक नाम का हवाला किस पृष्ठ पर मिलेगा।

हिन्दी वर्णमाला का आधार
UP Board Solutions for Class 10 Commerce Chapter 7 अनुक्रमणिका या सूची 1

  • सरलता यह प्रणाली अत्यन्त सरल होती है। इसका प्रयोग सामान्य स्तर वाला व्यापारी भी सरलता से कर सकता है।
  • लोचदार अनुक्रमणिका की इस प्रणाली में लोचता का गुण अधिक पाया जाता है।
  • मितव्ययी इस प्रणाली में समय व श्रम दोनों की बचत होती है।

2. स्वरात्मक अनुक्रमणिका यह अनुक्रमणिका वस्तुतः साधारण अनुक्रमणिका का ही विकसित रूप होता है। बड़े-बड़े व्यापारिक कार्यालयों में जहाँ ग्राहकों की संख्या अधिक होती है, वहाँ इस पद्धति का प्रयोग किया जाता है। इसके अन्तर्गत स्वर के आधार पर अनुक्रमणिका तैयार की जाती है अर्थात् जब एक अक्षर से प्रारम्भ होने वाले नामों की संख्या अधिक हो जाती है, तब उसे स्वर के आधार पर विभाजित कर दिया जाता है। इसे अंग्रेजी एवं हिन्दी में निम्न प्रकार से तैयार किया जा सकता है

(i) अंग्रेजी स्वरों के आधार पर अंग्रेजी भाषा में पाँच स्वर होते हैं- (A, E, I, 0, U) जिनके आधार पर वर्णमाला के अक्षरों को 5 भागों में विभक्त किया जाता है; जैसे-R के 5 उपनाम RA, RE, RI, RO, RU के द्वारा निम्न प्रकार से स्वरात्मक अनुक्रमणिका बनाई जा सकती है-

UP Board Solutions for Class 10 Commerce Chapter 7 अनुक्रमणिका या सूची

(ii) हिन्दी स्वरों के आधार पर हिन्दी में मात्राओं के आधार पर 13 स्वर (अ, आ, इ, ई, उ, ऊ, ऋ, ए, ऐ, ओ, औ, अं, अ:) होते हैं।

इसे निम्न उदाहरण द्वारा समझा जा सकता है-
हिन्दी में ‘क’ अक्षर से शुरू होने वाले ग्राहकों के नाम
UP Board Solutions for Class 10 Commerce Chapter 7 अनुक्रमणिका या सूची

स्वरात्मक अनुक्रमणिका के गुण या महत्त्व स्वरात्मक अनुक्रमणिका के गुण या महत्त्व निम्नलिखित हैं

  1. सरलता अनुक्रमणिका की इस प्रणाली के अन्तर्गत पत्रों को सरलता से ढूंढा जा सकता है।
  2. उपयुक्तता अनुक्रमणिका की यह प्रणाली छोटे, मध्यम एवं बड़े सभी प्रकार के व्यापारियों के लिए उपयुक्त होती है, परन्तु मध्यम स्तर के व्यापारियों के लिए यह अत्यधिक उपयुक्त होती है।
  3. बचत इस प्रणाली में पत्रों को आसानी से ढूंढा जा सकता है, जिससे समय वे श्रम दोनों की बचत होती है।
  4. लोचदार व्यापार की आवश्यकतानुसार इसमें परिवर्तन किया जा सकता है। अतः यह लोचदार पद्धति होती है।

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3. श्रृंखला अनुक्रमणिका अथवा श्रृंखला संकेत क्रम शृंखला अनुक्रमणिका, अनुक्रमणिका की एक ऐसी विधि है, जिसकी सहायता से किसी ग्राहक विशेष को अलग-अलग तिथियों पर लिखे गए पत्रों के सम्बन्ध में यह जानकारी एक ही स्थान पर मिल जाती है (UPBoardSolutions.com) कि इन पत्रों की प्रतिलिपि किन-किन पृष्ठों पर दी गई है, ताकि उन्हें सरलता एवं शीघ्रता से प्राप्त किया जा सके।

श्रृंखला अनुक्रमणिका बनाने की विधि

मान लीजिए कि श्याम को भेजे गए पत्रों की नकलें पृष्ठ संख्या 8, 12, 15, 20 पर हैं, तो पृष्ठ संख्या 8 पर हर 0/12 पृष्ठ के ऊपर हाशिए में बीचों-बीच लाल स्याही या पेन्सिल से लिख दिया जाएगा। अंश व हर पृष्ठ 12 पर 8/15, पृष्ठ 15 पर 12/20 तथा पृष्ठ 20 पर 15 लिखा जाएगा। बीसवें पृष्ठ पर केवल अंश ही लिखा हुआ हैं, हर नहीं। इसका तात्पर्य यह है। कि पिछले पत्र की नकल 15वें पृष्ठ पर है और अभी इससे आगे कोई पत्र नहीं लिखा गया है।
UP Board Solutions for Class 10 Commerce Chapter 7 अनुक्रमणिका या सूची 2

श्रृंखला अनुक्रमणिका के गुण या महत्त्व श्रृंखला अनुक्रमणिका के गुण या महत्त्व निम्नलिखित हैं

  1. सरल इस प्रणाली के अन्तर्गत ग्राहकों को अलग-अलग तारीखों पर भेजे गए पत्रों की प्रतिलिपि को आसानी से एक निश्चित स्थान पर प्राप्त किया जा सकता है।
  2. मितव्ययिता इस प्रणाली के अन्तर्गत अधिक धन व्यय करने की आवश्यकता नहीं होती है।
  3. बचत इस प्रणाली के अन्तर्गत पत्रों को आसानी से ढूंढा जा सकता है, जिससे समय व श्रम दोनों की बचत होती है।

4. कार्ड अनुक्रमणिका इसका आविष्कार 18वीं शताब्दी में फ्रांसीसी विद्वान ऐबे जीन रोजियर ने किया था। इस अनुक्रमणिका का प्रयोग पुस्तकालय में किया जाता है। इस अनुक्रमणिका में कार्डों का प्रयोग किया जाता है। प्रत्येक ग्राहक के लिए एक कार्ड बना दिया जाता है, जिस पर उसका नाम, पता एवं सूचनाएँ स्पष्ट रूप से लिख दी जाती हैं। बैंक में नमूने के हस्ताक्षर के लिए भी इसी अनुक्रमणिका का प्रयोग किया जाता है। इसमें निम्नलिखित वस्तुओं की आवश्यकता होती है

  1. दराजदार अलमारी दराजों की संख्या व्यापार की आवश्यकता पर निर्भर करती है। प्रत्येक दराज के सामने अंग्रेजी वर्णमाला में क्रमवार संकेत चिन्ह लगे होते हैं।
  2. नाम कार्ड इन्हें दराजों में वर्णात्मक क्रम में रखा जाता है। नाम कार्ड पर ग्राहक का नाम, पता, टेलीफोन नं., खाता पृष्ठ संख्या, आदि लिखी होती है।
  3. संकेत कार्ड इन कार्डों के माध्यम से दराज को संख्यात्मक, वर्णात्मक या स्वरात्मक क्रमानुसार कई भागों में बाँट सकते हैं। इसमें प्रत्येक कार्ड का एक सिरा ऊपर उठा होता है, जिस पर अक्षर व संख्या लिखी होती है।
  4. अनुपस्थिति कार्ड जब किसी वस्तु को उसके स्थान से हटाया जाता है, तो उसके स्थान पर जो विवरण युक्त कार्ड रखा जाता है, उसे अनुपस्थिति कार्ड कहते हैं।

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कार्ड अनुक्रमणिका के गुण या महत्त्व कार्ड अनुक्रमणिका के प्रमुख गुण निम्नलिखित हैं

  1. लोचता यह प्रणाली लोचदार होती है, क्योंकि इसमें व्यापार की आवश्यकतानुसार दराजों की संख्या कम व अधिक की जा सकती है।
  2. स्वच्छता यह अनुक्रमणिका हमेशा स्वच्छ रहती है, क्योंकि इसको (UPBoardSolutions.com) पुस्तक-सूची की तरह काटना नहीं पड़ता है। यदि किसी व्यापारी से पत्र-व्यवहार बन्द हो जाता है, तो उसके कार्ड को निकालकर नए व्यापारी का कार्ड लगा दिया जाता है।
  3. सुविधाजनक इस सूची में संकेत-पत्रों के कारण कार्ड आसानी से प्राप्त किया जाता है वे संकेत कार्डों का पता सरलता से लग जाता है।
  4. नवीनतम इसमें नए ग्राहकों के कार्ड समायोजित किए जा सकते हैं, जिससे सूची सदैव नवीनतम बनी रहती है।
  5. केवल चालू कार्डों को रखना इस प्रणाली में ऐसे ग्राहकों के कार्ड, जिनसे व्यापार बन्द हो गया है, आसानी से हटाए जा सकते हैं। इस प्रकार इसमें केवल चालू कार्ड ही रहते हैं।
  6. मितव्ययिता इस प्रणाली में बार-बार पुस्तकें या जिल्दें नहीं खरीदनी पड़ती हैं, इसलिए यह प्रणाली अन्य प्रणालियों से मितव्ययी
  7. उपयुक्तता यह प्रणाली बड़े व्यापारिक कार्यालयों के लिए अधिक उपयुक्त रहती है।

5. दिखने वाली (खुली) कार्ड अनुक्रमणिका दिखने वाली अनुक्रमणिका, कार्ड अनुक्रमणिका का ही एक विकसित रूप होता है। इसे खुली अनुक्रमणिका के नाम से भी जाना जाता है। यह एक ऐसी प्रणाली है, जिसमें अनेक कार्डों को एक साथ देखा जा सकता है, जबकि कार्ड अनुक्रमणिका में एक समय में केवल एक ही कार्ड को देखा जा सकता है।

प्रयोग विधि इस अनुक्रमणिका की पद्धति के अन्तर्गत अनुक्रमणिका को तैयार करने के लिए नाम कार्डों को पारदर्शी लिफाफे में रखकर धातु के चौखटों में लगा दिया जाता है। इन चौखटों में नीचे कब्जे लगे होते हैं, जिनमें कार्डों को इस प्रकार से लगाया जाता है कि कार्ड ऊपर से नीचे की ओर एक विशेष क्रम में आ जाएँ, ताकि उन्हें बाहर से देखा जा सके। कार्ड को शीघ्रता से ढूंढने के लिए बीच-बीच में संकेत कार्ड भी लगे होते हैं।

दिखने वाली अनुक्रमणिका के गुण या महत्त्व दिखने वाली अनुक्रमणिका के गुण निम्नलिखित हैं-

  1. सरलता इस प्रणाली के अन्तर्गत एक से अधिक कार्ड एक साथ सरलतापूर्वक देखे जा सकते हैं।
  2. उपयुक्तता बड़े व्यापारिक कार्यालयों के लिए यह प्रणाली उपयुक्त होती है।
  3. लोचता यह प्रणाली लोचपूर्ण होती है। इसमें पुराने कार्डों के क्रमानुसार नए कार्डों को लगाया जा सकता है।
  4. कम स्थान इस प्रणाली के अन्तर्गत अधिक स्थान की आवश्यकता (UPBoardSolutions.com) नहीं होती है।
  5. सुरक्षा यह प्रणाली अनुक्रमणिका की अन्य प्रणालियों की अपेक्षा अधिक सुरक्षित होती है, क्योकि ग्राहकों के नाम कार्ड होल्डरों में लगे हुए होते हैं।

6. चक्रीय अनुक्रमणिका यह अनुक्रमणिका दिखने वाली कार्ड अनुक्रमणिका का ही विकसित रूप होता है। इसमें लोहे के स्टैण्ड में एक घुमावदार पहिया लगा होता है, जो चारों ओर घूमता है। इस पहिए में ऊपर की ओर कार्डो को फँसाने के लिए स्थान होता है। इस पहिए में लगभग 1,000 से 5,000 तक कार्ड लगाए जा सकते हैं। इसमें कार्ड को देखने के लिए पहिए को घुमाया जाता है। चक्रीय अनुक्रमणिका के गुण या महत्त्व चक्रीय अनुक्रमणिका के गुण या लाभ निम्नलिखित हैं

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  1. सरलता इस प्रणाली के अन्तर्गत ग्राहकों से सम्बन्धित सूचनाओं को सरलतापूर्वक देखा जा सकता है।
  2. अल्पव्ययी वृहद् आकार के व्यापार के लिए यह प्रणाली कम खर्चीली या अल्पव्ययी होती है।
  3. लोचता इस प्रणाली में व्यापार की आवश्यकता व सुविधा के अनुसार परिवर्तन किया जा सकता है।
  4. सुविधाजनक चक्रीये अनुक्रमणिका प्रणाली के अन्तर्गत कम स्थान की आवश्यकता होती है तथा इसे आसानी से एक स्थान से दूसरे स्थान पर लाया व ले जाया जा सकता है। अतः यह पद्धति अधिक सुविधाजनक होती है।

प्रश्न 2.
कार्ड अनुक्रमणिका का वर्णन कीजिए तथा इसकी उपयोगिता समझाइट। (2017)
उत्तर:
कार्ड अनुक्रमणिका 
अनुक्रमणिका से आशय अनुक्रमणिका एक ऐसी युक्ति या सूची होती है, जिसके द्वारा शीघ्रतापूर्वक यह पता लगाया जा सकता है कि अमुक पत्र या प्रलेख कहाँ रखा हुआ है। इसकी सहायता से भविष्य में सन्दर्भ के लिए उसे निकालने में सुविधा रहती है।

अनुक्रमणिका की आवश्यकता/उद्देश्य/महत्त्व/लाभ प्रत्येक प्रगतिशील व्यापारिक कार्यालय के लिए वर्तमान युग में अनुक्रमणिका का अत्यधिक महत्त्व होता है। पत्र-व्यवहार व्यापार की आत्मा होती है। बिना पत्र-व्यवहार के कोई भी व्यापार वर्तमान समय में सुचारु रूप (UPBoardSolutions.com) से संचालित नहीं किया जा सकता है। इस उद्देश्य से पत्रों को सँभालकर रखना व्यापार के हित में होता है। इन्हें शीघ्रता व सुगमता से प्राप्त करने के लिए अनुक्रमणिका की आवश्यकता होती है। अनुक्रमणिका के महत्त्व या उद्देश्यों को निम्न प्रकार से स्पष्ट किया जा सकता है

  1. पत्रों को फाइल करने में सुविधा ग्राहकों के पत्रों व प्रलेखों को सुगमता व शीघ्रता से उपयुक्त स्थान पर फाइल करने के लिए अनुक्रमणिका सहायक होती है।
  2. पत्रों को ढूंढने में सुविधा व्यापारिक कार्यालय में आने व जाने वाले पत्रों को फाइलों में सुरक्षित रखा जाता है, जिससे किसी भी पत्र को ढूंढने में अनुक्रमणिका सहायता प्रदान करती है।
  3. पत्रों को नस्तीकरण करने में सुविधा अनुक्रमणिका तैयार करने से पत्रों को सुरक्षित रखने में भी काफी सुविधा मिलती है।
  4. समय तथा श्रम दोनों की बचत अनुक्रमणिका की सहायता से आवश्यकता पड़ने पर पत्रों को खोजने में समय व श्रम दोनों की बचत होती है।
  5. पत्रों को निश्चित क्रम में रखने की सुविधा अनुक्रमणिका एक निश्चित आधार के अनुसार बनाई जाती है। इस कारण, पत्रों को भी एक निश्चित क्रम में सुरक्षित रखा जा सकता है।
  6. पुस्तकालय में उपयोगी पुस्तकालय में रखी हजारों पुस्तकों में से कोई एक पुस्तक सरलतापूर्वक निकालने के लिए अनुक्रमणिका का प्रयोग किया जा सकता है।
  7. पत्रों एवं महत्त्वपूर्ण प्रलेखों की सुरक्षा अनुक्रमणिका की सहायता से पत्रों एवं प्रलेखों को रखने एवं निकालने में पत्रों को अधिक उलटना-पलटना नहीं पड़ता है। इससे पत्र फटने से बच जाते हैं।
  8. खाताबही के लिए अनिवार्य खाताबही में अनुक्रमणिका अवश्य बनाई जाती है। इससे ग्राहक के खाते का तुरन्त ज्ञान हो जाता है।
  9. खड़ी फाइलिंग के लिए अनिवार्य खड़ी फाइलिंग के अन्तर्गत अनुक्रमणिका तैयार करना अनिवार्य होता है।
  10. अन्य लाभ अनुक्रमणिका द्वारा ग्राहकों के पते, उनके बैंक खातों की संख्या, उनके बैंक का नाम, उधार किस्तें, उनकी आर्थिक स्थिति, ग्राहकों के व्यवसाय एवं पूर्व सन्दर्भो, आदि की जानकारी सरलतापूर्वक प्राप्त हो जाती है।

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कार्ड अनुक्रमणिका की उपयोगिता कार्ड अनुक्रमणिका की उपयोगिता निम्नलिखित है-

  1. कार्ड अनुक्रमणिका का प्रयोग बीमा कम्पनी द्वारा पॉलिसी धारकों के विवरण जैसे-नाम, पता, पॉलिसी संख्या, अवधि, आदि लिखने हेतु किया। जाता है।
  2. कार्ड अनुक्रमणिका के द्वारा किसी ग्राहक को दिए गए ऋण का विवरण जैसे-कार्ड पर लिखित अनुबन्ध की तिथि, ऋण का समय व मात्रा, आदिका पता लगाया जा सकती है।
  3. किसी ग्राहक को आगे के पत्र लिखने हेतु भी कार्ड अनुक्रमणिका का उपयोग किया जाता है।
  4. कार्ड अनुक्रमणिका द्वारा पता सूची तैयार कर उसे उपयोग (UPBoardSolutions.com) में ले सकते हैं, जिसमें ग्राहक का नाम, पता, टेलीफोन नं., आदि विवरण होता है।
  5. कार्ड अनुक्रमणिका का प्रयोग खड़ी फाइल रखने हेतु भी किया जाता है।
  6. कार्ड अनुक्रमणिका का उपयोग पुस्तकालय में किसी विशेष पुस्तक को खोजने हेतु भी किया जाता है।
  7. बैंक द्वारा अपने ग्राहकों के खातों की जानकारी एवं ग्राहकों के हस्ताक्षरों के नमूने रखने हेतु भी कार्ड अनुक्रमणिका का प्रयोग किया जाता है।
  8. कार्ड अनुक्रमणिका का प्रयोग व्यापार सूची के रूप में भी किया जाता है, जिसमें व्यापार का विवरण, शर्ते, माल सम्बन्धी सूचनाओं का विवरण, आदि दिया जाता है।
  9. किस्तों द्वारा माल खरीदने एवं बेचने का विवरण भी कार्ड अनुक्रमणिका द्वारा ज्ञात किया जा सकता है।
  10. ग्राहकों के पूछताछ का लेखा भी कार्ड अनुक्रमणिका द्वारा किया जा सकता
    है, जिससे आदेश प्राप्त नहीं होने पर उससे पत्र-व्यवहार किया जा सके।

प्रश्न 3.
कार्ड अनुक्रमणिका के गुण एवं दोषों का वर्णन कीजिए। (2010, 09)
अथवा
कार्ड अनुक्रमणिका क्या है? इसके गुणों एवं दोषों का वर्णन कीजिए। (2014, 13)
उत्तर:
कार्ड अनुक्रमणिका का अर्थ 
अनुक्रमणिका के चार लाभ या महत्त्व निम्नलिखित हैं-

  1. अनुक्रमणिका पत्रों को निश्चित क्रम में रखने की सुविधा प्रदान करती है।
  2. अनुक्रमणिका खड़ी फाइलिंग के लिए अनिवार्य होती है।
  3. अनुक्रमणिका पत्रों को फाइल करने में सुविधा प्रदान करती है।
  4. अनुक्रमणिका द्वारा पत्रों एवं महत्त्वपूर्ण प्रलेखों को सुरक्षित रखा जा सकता

कार्ड अनुक्रमणिका के गुण
अनुक्रमणिका से आशय अनुक्रमणिका एक ऐसी युक्ति या सूची होती है, जिसके द्वारा शीघ्रतापूर्वक यह पता लगाया जा सकता है कि अमुक पत्र या प्रलेख कहाँ रखा हुआ है। इसकी सहायता से भविष्य में सन्दर्भ के लिए उसे निकालने में सुविधा रहती है।

अनुक्रमणिका की आवश्यकता/उद्देश्य/महत्त्व/लाभ प्रत्येक प्रगतिशील व्यापारिक कार्यालय के लिए वर्तमान युग में अनुक्रमणिका का अत्यधिक महत्त्व होता है। पत्र-व्यवहार व्यापार की आत्मा होती है। बिना पत्र-व्यवहार के कोई भी व्यापार वर्तमान समय में सुचारु रूप से संचालित नहीं किया जा सकता है। इस उद्देश्य से पत्रों को सँभालकर रखना व्यापार के हित में होता है। इन्हें शीघ्रता व सुगमता से प्राप्त करने के लिए अनुक्रमणिका की आवश्यकता होती है। अनुक्रमणिका के महत्त्व या उद्देश्यों को निम्न प्रकार से स्पष्ट किया जा सकता है

  1. पत्रों को फाइल करने में सुविधा ग्राहकों के पत्रों व प्रलेखों को सुगमता व शीघ्रता से उपयुक्त स्थान पर फाइल करने के लिए अनुक्रमणिका सहायक होती है।
  2. पत्रों को ढूंढने में सुविधा व्यापारिक कार्यालय में आने व जाने वाले पत्रों को फाइलों में सुरक्षित रखा जाता है, जिससे किसी भी पत्र को ढूंढने में अनुक्रमणिका सहायता प्रदान करती है।
  3. पत्रों को नस्तीकरण करने में सुविधा अनुक्रमणिका तैयार करने से पत्रों को सुरक्षित रखने में भी काफी सुविधा मिलती है।
  4. समय तथा श्रम दोनों की बचत अनुक्रमणिका की सहायता से आवश्यकता पड़ने पर पत्रों को खोजने में समय व श्रम दोनों की बचत होती है।
  5. पत्रों को निश्चित क्रम में रखने की सुविधा अनुक्रमणिका एक निश्चित आधार के अनुसार बनाई जाती है। इस कारण, पत्रों को भी एक निश्चित क्रम में सुरक्षित रखा जा सकता है।
  6. पुस्तकालय में उपयोगी पुस्तकालय में रखी हजारों पुस्तकों में से कोई एक पुस्तक सरलतापूर्वक निकालने के लिए अनुक्रमणिका का प्रयोग किया जा सकता है।
  7. पत्रों एवं महत्त्वपूर्ण प्रलेखों की सुरक्षा अनुक्रमणिका की सहायता से पत्रों एवं प्रलेखों को रखने एवं निकालने में पत्रों को अधिक उलटना-पलटना नहीं पड़ता है। इससे पत्र फटने से बच जाते हैं।
  8. खाताबही के लिए अनिवार्य खाताबही में अनुक्रमणिका अवश्य बनाई जाती है। इससे ग्राहक के खाते का तुरन्त ज्ञान हो जाता है।
  9. खड़ी फाइलिंग के लिए अनिवार्य खड़ी फाइलिंग के अन्तर्गत अनुक्रमणिका तैयार करना अनिवार्य होता है।
  10. अन्य लाभ अनुक्रमणिका द्वारा ग्राहकों के पते, उनके बैंक खातों की संख्या, (UPBoardSolutions.com) उनके बैंक का नाम, उधार किस्तें, उनकी आर्थिक स्थिति, ग्राहकों के व्यवसाय एवं पूर्व सन्दर्भो, आदि की जानकारी सरलतापूर्वक प्राप्त हो जाती है।

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कार्ड अनुक्रमणिका के दोष कार्ड अनुक्रमणिका के दोष निम्नलिखित हैं:

  1. अधिक स्थान घेरना इस पद्धति में प्रयोग की जाने वाली अलमारी अधिक स्थान घेरती है, इसलिए बहुत बड़े व्यापारी ही इसका प्रयोग कर सकते हैं।
  2. खोजने में कठिनाई इस प्रणाली में यदि भूल से कोई कार्ड इधर-उधर होजाए या गलत स्थान पर रख दिया जाए, तो उसे खोजने में अधिक समयलगता है।
  3. सूचना प्राप्ति में कठिनाई यदि कोई कार्ड खो जाता है, तो उससे सम्बन्धित सूचना प्राप्त करने में बहुत कठिनाई होती है।
  4. नियन्त्रण में कठिनाई यदि कार्डों के निकालने एवं रखने की उचित व्यवस्था न हो, तो अनुक्रमणिका की इस पद्धति पर नियन्त्रण करना कठिन हो जाता है।
  5. मँहगी प्रणाली कार्ड अनुक्रमणिका प्रणाली छोटे एवं मध्यम व्यापारिक कार्यालयों हेतु महँगी होती है, क्योंकि इसमें अलमारी, संकेत कार्ड, नाम  कार्ड, अनुपस्थिति कार्ड, आदि की आवश्यकता होती है, जिस पर अधिक व्यय करना पड़ता है।
  6. अधिक समय लगना इसमें एक बार में केवल एक ही कार्ड को देख सकते हैं, इससे इस प्रणाली में अपेक्षाकृत अधिक समय लगता है।

प्रश्न 4.
दिखने वाली अनुक्रमणिका से क्या आशय है? इसके गुण और दोष लिखिए। (2007)
अथवा
दिखने वाली अनुक्रमणिका के गुण एवं दोषों को बताइए।
उत्तर:
अनुक्रमणिका से आशय 
अनुक्रमणिका से आशय अनुक्रमणिका एक ऐसी युक्ति या सूची होती है, जिसके द्वारा शीघ्रतापूर्वक यह पता लगाया जा सकता है कि अमुक पत्र या प्रलेख कहाँ रखा हुआ है। इसकी सहायता से भविष्य में सन्दर्भ के लिए उसे निकालने में सुविधा रहती है।

अनुक्रमणिका की आवश्यकता/उद्देश्य/महत्त्व/लाभ प्रत्येक प्रगतिशील व्यापारिक कार्यालय के लिए वर्तमान युग में अनुक्रमणिका का अत्यधिक महत्त्व होता है। पत्र-व्यवहार व्यापार की आत्मा होती है। बिना पत्र-व्यवहार के कोई भी व्यापार वर्तमान समय (UPBoardSolutions.com) में सुचारु रूप से संचालित नहीं किया जा सकता है। इस उद्देश्य से पत्रों को सँभालकर रखना व्यापार के हित में होता है। इन्हें शीघ्रता व सुगमता से प्राप्त करने के लिए अनुक्रमणिका की आवश्यकता होती है। अनुक्रमणिका के महत्त्व या उद्देश्यों को निम्न प्रकार से स्पष्ट किया जा सकता है

  1. पत्रों को फाइल करने में सुविधा ग्राहकों के पत्रों व प्रलेखों को सुगमता व शीघ्रता से उपयुक्त स्थान पर फाइल करने के लिए अनुक्रमणिका सहायक होती है।
  2. पत्रों को ढूंढने में सुविधा व्यापारिक कार्यालय में आने व जाने वाले पत्रों को फाइलों में सुरक्षित रखा जाता है, जिससे किसी भी पत्र को ढूंढने में अनुक्रमणिका सहायता प्रदान करती है।
  3. पत्रों को नस्तीकरण करने में सुविधा अनुक्रमणिका तैयार करने से पत्रों को सुरक्षित रखने में भी काफी सुविधा मिलती है।
  4. समय तथा श्रम दोनों की बचत अनुक्रमणिका की सहायता से आवश्यकता पड़ने पर पत्रों को खोजने में समय व श्रम दोनों की बचत होती है।
  5. पत्रों को निश्चित क्रम में रखने की सुविधा अनुक्रमणिका एक निश्चित आधार के अनुसार बनाई जाती है। इस कारण, पत्रों को भी एक निश्चित क्रम में सुरक्षित रखा जा सकता है।
  6. पुस्तकालय में उपयोगी पुस्तकालय में रखी हजारों पुस्तकों में से कोई एक पुस्तक सरलतापूर्वक निकालने के लिए अनुक्रमणिका का प्रयोग किया जा सकता है।
  7. पत्रों एवं महत्त्वपूर्ण प्रलेखों की सुरक्षा अनुक्रमणिका की सहायता से पत्रों एवं प्रलेखों को रखने एवं निकालने में पत्रों को अधिक उलटना-पलटना नहीं पड़ता है। इससे पत्र फटने से बच जाते हैं।
  8. खाताबही के लिए अनिवार्य खाताबही में अनुक्रमणिका अवश्य बनाई जाती है। इससे ग्राहक के खाते का तुरन्त ज्ञान हो जाता है।
  9. खड़ी फाइलिंग के लिए अनिवार्य खड़ी फाइलिंग के अन्तर्गत अनुक्रमणिका तैयार करना अनिवार्य होता है।
  10. अन्य लाभ अनुक्रमणिका द्वारा ग्राहकों के पते, उनके बैंक खातों की संख्या, उनके बैंक का नाम, उधार किस्तें, उनकी आर्थिक स्थिति, ग्राहकों के व्यवसाय एवं पूर्व सन्दर्भो, आदि की जानकारी सरलतापूर्वक प्राप्त हो जाती है।

1. साधारण या पत्र-पुस्तक अनुक्रमणिका या वर्णात्मक अनुक्रमणिका यह अनुक्रमणिका उन कार्यालयों के लिए होती है, जहाँ थोड़ी मात्रा में ही पत्र आते-जाते हैं। इस अनुक्रमणिका में प्रत्येक अक्षर के लिए एक पृष्ठ नियत कर दिया जाता है। इस प्रकार, अंग्रेजी की अनुक्रमणिका बनाने के लिए 24 पृष्ठ आवश्यक होते हैं, जबकि A से W तक प्रत्येक अक्षर के लिए एक-एक कुल 23 पृष्ठ और Y Y 7 इन तीनों अक्षरों के लिए केवल एक पृष्ठ होता है। (UPBoardSolutions.com) क्योंकि इन अक्षरों से आरम्भ होने वाले नाम बहुत कम होते हैं। हिन्दी की अनुक्रमणिका के लिए 36 पृष्ठों की आवश्यकता होती है; जैसे-अ, इ, उ, ए, ओ, अं, क, ख, ग, घ, च, छ (क्ष), ज, झ, ट, ठ, ड, ढ़, त, थ, द, ध, न, प, फ, ब, भ, म, य, र, ल, व, श (षे, स), हे, त्र, ज्ञा ये पृष्ठ दाईं ओर इस प्रकार से कटे होते हैं कि वर्णमाला के सभी अक्षरे एक सीधी रेखा में दिखाई देते हैं तथा पृष्ठों को पलटे बिना यह मालूम किया जा सकता है कि अमुक नाम का हवाला किस पृष्ठ पर मिलेगा।

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हिन्दी वर्णमाला का आधार
UP Board Solutions for Class 10 Commerce Chapter 7 अनुक्रमणिका या सूची 3

  • सरलता यह प्रणाली अत्यन्त सरल होती है। इसका प्रयोग सामान्य स्तर वाला व्यापारी भी सरलता से कर सकता है।
  • लोचदार अनुक्रमणिका की इस प्रणाली में लोचता का गुण अधिक पाया जाता है।
  • मितव्ययी इस प्रणाली में समय व श्रम दोनों की बचत होती है।

2. स्वरात्मक अनुक्रमणिका यह अनुक्रमणिका वस्तुतः साधारण अनुक्रमणिका का ही विकसित रूप होता है। बड़े-बड़े व्यापारिक कार्यालयों में जहाँ ग्राहकों की संख्या अधिक होती है, वहाँ इस पद्धति का प्रयोग किया जाता है। इसके अन्तर्गत स्वर के आधार पर अनुक्रमणिका तैयार की जाती है अर्थात् जब एक अक्षर से प्रारम्भ होने वाले नामों की संख्या अधिक हो जाती है, तब उसे स्वर के आधार पर विभाजित कर दिया जाता है। इसे अंग्रेजी एवं हिन्दी में निम्न प्रकार से तैयार किया जा सकता है

(i) अंग्रेजी स्वरों के आधार पर अंग्रेजी भाषा में पाँच स्वर होते हैं- (A, E, I, 0, U) जिनके आधार पर वर्णमाला के अक्षरों को 5 भागों में विभक्त किया जाता है; जैसे-R के 5 उपनाम RA, RE, RI, RO, RU के द्वारा निम्न प्रकार से स्वरात्मक अनुक्रमणिका बनाई जा सकती है-

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(ii) हिन्दी स्वरों के आधार पर हिन्दी में मात्राओं के आधार पर 13 स्वर (अ, आ, इ, ई, उ, ऊ, ऋ, ए, ऐ, ओ, औ, अं, अ:) होते हैं।

इसे निम्न उदाहरण द्वारा समझा जा सकता है-
हिन्दी में ‘क’ अक्षर से शुरू होने वाले ग्राहकों के नाम
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स्वरात्मक अनुक्रमणिका के गुण या महत्त्व स्वरात्मक अनुक्रमणिका के गुण या महत्त्व निम्नलिखित हैं

  1. सरलता अनुक्रमणिका की इस प्रणाली के अन्तर्गत पत्रों को सरलता | से ढूंढा जा सकता है।
  2. उपयुक्तता अनुक्रमणिका की यह प्रणाली छोटे, मध्यम एवं बड़े सभी प्रकार के व्यापारियों के लिए उपयुक्त होती है, परन्तु मध्यम स्तर के व्यापारियों के लिए यह अत्यधिक उपयुक्त होती है।
  3. बचत इस प्रणाली में पत्रों को आसानी से ढूंढा जा सकता है, जिससे समय वे श्रम दोनों की बचत होती है।
  4. लोचदार व्यापार की आवश्यकतानुसार इसमें परिवर्तन किया जा सकता है। अतः यह लोचदार पद्धति होती है।

3. श्रृंखला अनुक्रमणिका अथवा श्रृंखला संकेत क्रम शृंखला अनुक्रमणिका, अनुक्रमणिका की एक ऐसी विधि है, जिसकी सहायता से किसी ग्राहक विशेष को अलग-अलग तिथियों पर लिखे गए पत्रों के सम्बन्ध में यह जानकारी एक ही स्थान पर मिल जाती है कि इन (UPBoardSolutions.com) पत्रों की प्रतिलिपि किन-किन पृष्ठों पर दी गई है, ताकि उन्हें सरलता एवं शीघ्रता से प्राप्त किया जा सके।

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श्रृंखला अनुक्रमणिका बनाने की विधि

मान लीजिए कि श्याम को भेजे गए पत्रों की नकलें पृष्ठ संख्या 8, 12, 15, 20 पर हैं, तो पृष्ठ संख्या 8 पर हर 0/12 पृष्ठ के ऊपर हाशिए में बीचों-बीच लाल स्याही या पेन्सिल से लिख दिया जाएगा। अंश व हर पृष्ठ 12 पर 8/15, पृष्ठ 15 पर 12/20 तथा पृष्ठ 20 पर 15 लिखा जाएगा। बीसवें पृष्ठ पर केवल अंश ही लिखा हुआ हैं, हर नहीं। इसका तात्पर्य यह है। कि पिछले पत्र की नकल 15वें पृष्ठ पर है और अभी इससे आगे कोई पत्र नहीं लिखा गया है।
UP Board Solutions for Class 10 Commerce Chapter 7 अनुक्रमणिका या सूची 6

श्रृंखला अनुक्रमणिका के गुण या महत्त्व श्रृंखला अनुक्रमणिका के गुण या महत्त्व निम्नलिखित हैं

  1. सरल इस प्रणाली के अन्तर्गत ग्राहकों को अलग-अलग तारीखों पर भेजे गए पत्रों की प्रतिलिपि को आसानी से एक निश्चित स्थान पर प्राप्त किया जा सकता है।
  2. मितव्ययिता इस प्रणाली के अन्तर्गत अधिक धन व्यय करने की आवश्यकता (UPBoardSolutions.com) नहीं होती है।
  3. बचत इस प्रणाली के अन्तर्गत पत्रों को आसानी से ढूंढा जा सकता है, जिससे समय व श्रम दोनों की बचत होती है।

4. कार्ड अनुक्रमणिका इसका आविष्कार 18वीं शताब्दी में फ्रांसीसी विद्वान ऐबे जीन रोजियर ने किया था। इस अनुक्रमणिका का प्रयोग पुस्तकालय में किया जाता है। इस अनुक्रमणिका में कार्डों का प्रयोग किया जाता है। प्रत्येक ग्राहक के लिए एक कार्ड बना दिया जाता है, जिस पर उसका नाम, पता एवं सूचनाएँ स्पष्ट रूप से लिख दी जाती हैं। बैंक में नमूने के हस्ताक्षर के लिए भी इसी अनुक्रमणिका का प्रयोग किया जाता है। इसमें निम्नलिखित वस्तुओं की आवश्यकता होती है

  1. दराजदार अलमारी दराजों की संख्या व्यापार की आवश्यकता पर निर्भर करती है। प्रत्येक दराज के सामने अंग्रेजी वर्णमाला में क्रमवार संकेत चिन्ह लगे होते हैं।
  2. नाम कार्ड इन्हें दराजों में वर्णात्मक क्रम में रखा जाता है। नाम कार्ड पर ग्राहक का नाम, पता, टेलीफोन नं., खाता पृष्ठ संख्या, आदि लिखी होती है।
  3. संकेत कार्ड इन कार्डों के माध्यम से दराज को संख्यात्मक, वर्णात्मक या स्वरात्मक क्रमानुसार कई भागों में बाँट सकते हैं। इसमें प्रत्येक कार्ड का एक सिरा ऊपर उठा होता है, जिस पर अक्षर व संख्या लिखी होती है।
  4. अनुपस्थिति कार्ड जब किसी वस्तु को उसके स्थान से हटाया जाता है, तो उसके स्थान पर जो विवरण युक्त कार्ड रखा जाता है, उसे अनुपस्थिति कार्ड कहते हैं।

कार्ड अनुक्रमणिका के गुण या महत्त्व कार्ड अनुक्रमणिका के प्रमुख गुण निम्नलिखित हैं

  1. लोचता यह प्रणाली लोचदार होती है, क्योंकि इसमें व्यापार की आवश्यकतानुसार दराजों की संख्या कम व अधिक की जा सकती है।
  2. स्वच्छता यह अनुक्रमणिका हमेशा स्वच्छ रहती है, क्योंकि इसको पुस्तक-सूची की तरह काटना नहीं पड़ता है। यदि किसी व्यापारी से पत्र-व्यवहार बन्द हो जाता है, तो उसके कार्ड को निकालकर नए व्यापारी का कार्ड लगा दिया जाता है।
  3. सुविधाजनक इस सूची में संकेत-पत्रों के कारण कार्ड आसानी से प्राप्त किया जाता है वे संकेत कार्डों का पता सरलता से लग जाता है।
  4. नवीनतम इसमें नए ग्राहकों के कार्ड समायोजित किए जा सकते हैं, (UPBoardSolutions.com) जिससे सूची सदैव नवीनतम बनी रहती है।
  5. केवल चालू कार्डों को रखना इस प्रणाली में ऐसे ग्राहकों के कार्ड, जिनसे व्यापार बन्द हो गया है, आसानी से हटाए जा सकते हैं। इस प्रकार इसमें केवल चालू कार्ड ही रहते हैं।
  6. मितव्ययिता इस प्रणाली में बार-बार पुस्तकें या जिल्दें नहीं खरीदनी पड़ती हैं, इसलिए यह प्रणाली अन्य प्रणालियों से मितव्ययी
  7. उपयुक्तता यह प्रणाली बड़े व्यापारिक कार्यालयों के लिए अधिक उपयुक्त रहती है।

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5. दिखने वाली (खुली) कार्ड अनुक्रमणिका दिखने वाली अनुक्रमणिका, कार्ड अनुक्रमणिका का ही एक विकसित रूप होता है। इसे खुली अनुक्रमणिका के नाम से भी जाना जाता है। यह एक ऐसी प्रणाली है, जिसमें अनेक कार्डों को एक साथ देखा जा सकता है, जबकि कार्ड अनुक्रमणिका में एक समय में केवल एक ही कार्ड को देखा जा सकता है।

प्रयोग विधि इस अनुक्रमणिका की पद्धति के अन्तर्गत अनुक्रमणिका को तैयार करने के लिए नाम कार्डों को पारदर्शी लिफाफे में रखकर धातु के चौखटों में लगा दिया जाता है। इन चौखटों में नीचे कब्जे लगे होते हैं, जिनमें कार्डों को इस प्रकार से लगाया जाता है कि कार्ड ऊपर से नीचे की ओर एक विशेष क्रम में आ जाएँ, ताकि उन्हें बाहर से देखा जा सके। कार्ड को शीघ्रता से ढूंढने के लिए बीच-बीच में संकेत कार्ड भी लगे होते हैं।

दिखने वाली अनुक्रमणिका के गुण या महत्त्व दिखने वाली अनुक्रमणिका के गुण निम्नलिखित हैं-

  1. सरलता इस प्रणाली के अन्तर्गत एक से अधिक कार्ड एक साथ सरलतापूर्वक देखे जा सकते हैं।
  2. उपयुक्तता बड़े व्यापारिक कार्यालयों के लिए यह प्रणाली उपयुक्त होती है।
  3. लोचता यह प्रणाली लोचपूर्ण होती है। इसमें पुराने कार्डों के क्रमानुसार नए कार्डों को लगाया जा सकता है।
  4. कम स्थान इस प्रणाली के अन्तर्गत अधिक स्थान की आवश्यकता नहीं होती है।
  5. सुरक्षा यह प्रणाली अनुक्रमणिका की अन्य प्रणालियों की अपेक्षा अधिक सुरक्षित होती है, क्योकि ग्राहकों के नाम कार्ड होल्डरों में लगे हुए होते हैं।

6. चक्रीय अनुक्रमणिका यह अनुक्रमणिका दिखने वाली कार्ड अनुक्रमणिका का ही विकसित रूप होता है। इसमें लोहे के स्टैण्ड में एक घुमावदार पहिया लगा होता है, जो चारों ओर घूमता है। इस पहिए में ऊपर की ओर कार्डो को फँसाने के लिए स्थान होता है। (UPBoardSolutions.com) इस पहिए में लगभग 1,000 से 5,000 तक कार्ड लगाए जा सकते हैं। इसमें कार्ड को देखने के लिए पहिए को घुमाया जाता है। चक्रीय अनुक्रमणिका के गुण या महत्त्व चक्रीय अनुक्रमणिका के गुण या लाभ निम्नलिखित हैं

  1. सरलता इस प्रणाली के अन्तर्गत ग्राहकों से सम्बन्धित सूचनाओं को सरलतापूर्वक देखा जा सकता है।
  2. अल्पव्ययी वृहद् आकार के व्यापार के लिए यह प्रणाली कम खर्चीली या अल्पव्ययी होती है।
  3. लोचता इस प्रणाली में व्यापार की आवश्यकता व सुविधा के अनुसार परिवर्तन किया जा सकता है।
  4. सुविधाजनक चक्रीये अनुक्रमणिका प्रणाली के अन्तर्गत कम स्थान की आवश्यकता होती है तथा इसे आसानी से एक स्थान से दूसरे स्थान पर लाया व ले जाया जा सकता है। अतः यह पद्धति अधिक सुविधाजनक होती है।

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  1. महँगी प्रणाली यह प्रणाली अन्य प्रणालियों की अपेक्षा अधिक महँगी होती है।
  2. सीमित क्षेत्र अधिक खर्चीली होने के कारण छोटे एवं मध्यम वर्ग के व्यापारी इस प्रणाली का प्रयोग करने में सक्षम नहीं होते हैं। अत: इसका प्रयोग केवल  बड़े व्यापारियों द्वारा ही किया जाता है।
  3. अन्य दोष
  • इसमें कार्डों के बदले जाने एवं खोने का भय रहता है।
  • इसका स्थानान्तरण करना कठिन होता है।
  • यदि कार्ड सही क्रम में नहीं रखे गए हैं, तो उन्हें खोजना कठिन कार्य

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UP Board Solutions for Class 10 Commerce Chapter 4 चैक सम्बन्धी साधारण लेख्ने

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Board UP Board
Class Class 10
Subject Commerce
Chapter Chapter 4
Chapter Name चैक सम्बन्धी साधारण लेख्ने
Number of Questions Solved 16
Category UP Board Solutions

UP Board Solutions for Class 10 Commerce Chapter 4 चैक सम्बन्धी साधारण लेख्ने

बहुविकल्पीय प्रश्न ( 1 अंक)
                   

प्रश्न 1.
चैक पर लेखक के हस्ताक्षर होना। (2012)
(a) आवश्यक नहीं है
(b) वांछनीय है
(c) आवश्यक है
(d) ये सभी
उत्तर:
(c) आवश्यक है

प्रश्न 2.
चैक के मुख्य पृष्ठ पर बाईं ओर कोने पर दो तिरछी समानान्तर रेखाएँ खींच देने को कहते हैं।
(a) पृष्ठांकन
(b) रेखांकन
(C) बेचान
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(b) रेखांकन

प्रश्न 3.
चैक का रेखांकन………….द्वारा नहीं किया जा सकता है। (2014)
(a) आहर्ता
(b) भुगतान पाने वाला
(c) पृष्ठांकन
(d) बैंक
उत्तर:
(b) भुगतान पाने वाला

UP Board Solutions

प्रश्न 4.
आदाता द्वारा प्राप्त वाहक चैक को रेखांकित (2013)
(a) किया जा सकता है।
(b) नहीं किया जा सकता
(C) पता नहीं
(d) उपरोक्त सभी
उत्तर:
(a) किया जा सकता है।

प्रश्न 5.
रेखांकित चैक का भुगतान
(a) नकद मिल सकता है
(b) नकद नहीं मिल सकता
(C) ग्राहक के खाते में जमा होता है
(d) उपरोक्त में से कोई नहीं
उत्तर:
(c) ग्राहक के खाते में जमा होता है।

निश्चित उत्तरीय प्रश्न (1 अंक)

प्रश्न 1.
चैक एक शर्तसहित/शर्तरहित आज्ञा-पत्र है।
उत्तर:
शर्तरहित

प्रश्न 2.
चैक की वैधता कितनी होती है?
उत्तर:
3 माह

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प्रश्न 3.
चैक के रेखांकन का क्या उद्देश्य है?
उत्तर:
चैक के भुगतान को सुरक्षित करना।

अतिलघु उत्तरीय प्रश्न (2 अंक)

प्रश्न 1.
चैक क्या है? चैक के तीन पक्षकारों के नाम लिखिए। (2013)
उत्तर:
चैक एक शर्तरहित लिखित आज्ञा-पत्र होता है, जिसमें लेखक बैंक को चैक में लिखित व्यक्ति, उसके द्वारा आदेशित व्यक्ति या धारक को चैक में लिखित धनराशि भुगतान करने का आदेश देता है। चैक के निम्नलिखित तीन पक्षकार होते हैं

  1. लेखक या आहर्ता
  2. देनदार या आहर्ती
  3. लेनदार या आदाता

UP Board Solutions

प्रश्न 2.
एक चैक को रेखांकित कैसे किया जाता है? इसके दो लाभ लिखिए। (2016)
अथवा
चैक को रेखांकित करने की विधि लिखिए। (2014)
उत्तर:
चैक को अत्यन्त सुरक्षित बनाने के उद्देश्य से उसके मुख्य पृष्ठ पर बाईं ओर दो समानान्तर तिरछी रेखाएँ खींच दी जाती हैं, जिसे चैक का रेखांकन करना कहते हैं एवं इस प्रकार के चैक को रेखांकित चैक’ कहते हैं। चैक का रेखांकन ‘भुगतान (UPBoardSolutions.com) पाने वाला’ द्वारा नहीं किया जा सकता है। परन्तु आदाती द्वारा वाहेक चैक को रेखांकित किया जा सकता है। चैक का रेखांकन निम्नलिखित दो प्रकार से किया जा सकता है

1. साधारण रेखांकन
2. विशेष रेखांकन

इसके दो लाभ निम्नलिखित हैं

1. रेखांकित चैक के द्वारा भुगतान सुरक्षित रूप से किया जा सकता है।
2. रेखांकित चैक से भुगतान को प्रमाणित किया जा सकता है।

प्रश्न 3.
चैक के अनादरण के किन्हीं दो कारणों का उल्लेख कीजिए। (2016)
अथवा
चैक के अनादरण के किन्हीं चार कारणों का उल्लेख कीजिए। (2018)
उत्तर:
निम्नलिखित दशाओं के कारण बैंक चैक का अनादरण कर देता है

  1. यदि चैक पर दिनांक न लिखी हो।
  2. किसी चैक पर आगे (भविष्य) की तारीख लिखी हुई हो।
  3. चैक पर 3 माह पूर्व की तारीख लिखी हुई हो।
  4. किसी व्यक्ति के खाते में चैक की राशि की अपेक्षा पर्याप्त धन न हो।

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लघु उत्तरीय प्रश्न (4 अंक)

प्रश्न 1.
चैक का नमूना बनाइए। (2015)
अथवा
चैक से आप क्या समझते हैं? इसका नमूना बनाइए। (2008)
उत्तर:
चैक से आशय चैक एक शर्तरहित लिखित आज्ञा-पत्र होता है, जिसमें लेखक बैंक को चैक में लिखित व्यक्ति, उसके द्वारा आदेशित व्यक्ति या धारक को चैक में लिखित धनराशि भुगतान करने का आदेश देता है। भारतीय विनिमय साध्य विलेख अधिनियम, 1881 (UPBoardSolutions.com) की धारा 6 के अनुसार, “चैक एक ऐसा विनिमय-पत्र है जो किसी बैंक विशेष पर लिखा जाता है तथा जो केवल माँग पर देय होता है।”
चैक का नमूना
UP Board Solutions for Class 10 Commerce Chapter 4 चैक सम्बन्धी साधारण लेख्ने
प्रश्न 2.
चैक की विशेषताएँ बताइए। चैक के विभिन्न भेदों को भी स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
चैक की विशेषताएँ निम्नलिखित हैं-

  1. यह एक शर्तरहित लिखित आज्ञा-पत्र होता है।
  2. इसका भुगतान माँगने पर ही दिया जाता है।
  3. इसमें किसी बैंक विशेष को आज्ञा दी जाती है।
  4. धनराशि का भुगतान उसी व्यक्ति को करना पड़ता है, जिसका नाम चैक पर लिखा हो अथवा उसके आदेशानुसार किसी अन्य व्यक्ति को किया जाता है।
  5. इस पर लेखक के हस्ताक्षर अवश्य होते हैं।
  6. इसका भुगतान करने की धनराशि निश्चित होती है।

चैक के मुख्य भेद
चैक मुख्यत: निम्नलिखित दो प्रकार के होते हैं-

1. वाहक चैक इस चैक का भुगतान उसमें उल्लेखित व्यक्ति को या वाहक अर्थात् बैंक की खिड़की पर प्रस्तुत करने वाले व्यक्ति को कर दिया। जाता है। ऐसे चैक का हस्तान्तरण केवल सुपुर्दगी मात्र से ही हो जाता है। तथा चैक का पृष्ठांकन करने की आवश्यकता नहीं होती है। यदि कोई गलत व्यक्ति ऐसे चैक का भुगतान ले लेता है, तो इसमें बैंक की कोई जिम्मेदारी नहीं होती है। ऐसे चैक को प्राप्त करने वाला व्यक्ति उस चैक का कानूनी अधिकारी बन जाता है। भुगतान प्राप्त करने की दृष्टि से आदेशित चैकों को निम्नलिखित दो भागों में बाँटा गया है

  • खुला चैक जिस चैक का भुगतान बैंक की खिड़की पर प्रस्तुत करने पर तुरन्त प्राप्त हो जाता है, उसे खुला चैक कहते हैं।
  • रेखांकित चैक यदि किसी चैक को अत्यन्त सुरक्षित बनाने के लिएउसके (UPBoardSolutions.com) मुख्य पृष्ठ पर ऊपर बाईं ओर कोने में दो तिरछी समानान्तर रेखाएँ खींच दी जाती हैं, तो ऐसे चैक को रेखांकित चैक’ कहते हैं।

2. आदेशित चैक इस चैक का भुगतान उसमें उल्लेखित व्यक्ति को या उसके आदेशानुसार अन्य किसी व्यक्ति को ही दिया जाता है तथा इस चैक पर व्यक्ति के नाम के आगे ‘Or Order’ शब्द लिखा रहता है। ऐसे चैक के हस्तान्तरण के लिए चैक की सुपुर्दगी के साथ-साथ उसका पृष्ठांकन करना भी जरूरी होता है। व्यवहार में प्रायः इसी प्रकार के चैकों का प्रयोग होता है।

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प्रश्न 3.
रेखांकन के प्रकारों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
रेखांकन निम्नलिखित दो प्रकार का होता है-

1. सामान्य रेखांकन जब किसी चैक के मुख्य पृष्ठ पर दो समानान्तर तिरछी रेखाएँ। खींची गयी हों तथा उनके बीच & Co., Not Negotiable, आदि शब्द लिखे गए हों अथवा न लिखे गए हों, तो इसे सामान्य रेखांकन कहा जाता है।
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2. विशेष रेखांकन जब किसी चैक के मुख्य पृष्ठ पर बैंक का नाम लिख दिया जाता है, (UPBoardSolutions.com) चाहे उसके साथ ‘Not Negotiable’ शब्द लिखा गया हो या नहीं, इसे विशेष रेखांकन कहा जाता है।
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दीर्घ उत्तरीय प्रश्न (8 अके)

प्रश्न 1.
चैक से आप क्या समझते हैं? चैक का अनादरण क्या है? चैक के अनादरण के दस कारणों का उल्लेख कीजिए। (2010)
उत्तर:
चैक से आशय इसके लिए लघु उत्तरीय प्रश्न 1 देखें। चैक का अनादरण या चैक को वापस करना जब कोई बैंक किसी कारणवश चैक का भुगतान करने से इन्कार कर देता है, तो इसे चैक का अनादरण, अप्रतिष्ठित या तिरस्कृत होना’ (Dishonour of Cheque) कहते हैं। ग्राहक के द्वारा लिखे गए प्रत्येक चैक का भुगतान करना बैंक के लिए अनिवार्य होता है। यदि ग्राहक के खाते में पर्याप्त धन जमा है, तो बैंक चैक का अनादरण नहीं कर सकता है, परन्तु निम्न कारणों से बैंक चैक का अनादरण कर देता है

  1. दिनांक को न लिखा होना यदि किसी चैक पर दिनांक नहीं लिखी हो, तो बैंक ऐसे चैक पर ‘दिनांक नहीं’ शब्द लिखकर चैक को वापस कर देता है।
  2. आगामी दिनांक का चैक यदि किसी चैक पर आगामी दिनांक लिखी होती है, तो बैंक ऐसे चैक का भुगतान नहीं करता है एवं उस पर ‘आगामी दिनांक का चैक’ शब्द लिखकर चैक को वापस कर देता है।
  3. 3 माह पूर्व की तारीख यदि किसी चैक पर 3 माह पूर्व की तारीख लिखी हुई हो, तो इस दशा में बैंक चैक का भुगतान नहीं कर सकता है।
  4. अपर्याप्त धन का होना यदि किसी ग्राहक के खाते में चैक की राशि से (UPBoardSolutions.com) कम राशि जमा होती है, तो बैंक द्वारा इस दशा में चैक का भुगतान नहीं किया जाता है तथा चैक पर ‘अपर्याप्त धनराशि’ शब्द लिखकर चैक को वापस कर देता है।
  5. अंकों व शब्दों में अन्तर यदि चैक में लिखी गई धनराशि के अंकों व शब्दों में कोई अन्तर होता है, तो बैंक ऐसे चैक का भुगतान नहीं करता तथा चैक पर ‘अंकों वे शब्दों में अन्तर’ शब्द लिखकर चैक को वापस कर देता है।
  6. न्यायालय द्वारा रोक यदि किसी कारणवश न्यायालय द्वारा चैक का भुगतान रोक दिया गया हो, तो इस दशा में बैंक चैक का भुगतान नहीं कर सकता।
  7. विकृत चैक यदि चैक कटा-फटा हो या उसका रूप विकृत हो गया हो, तो ऐसे चैक को बैंक ‘विकृत चैक’ शब्द लिखकर वापस कर देता है।
  8. बेचान में शंका यदि किसी चैक को बेचान करते समय किसी प्रकार की शंका उत्पन्न हो, तो भी बैंक चैक का अनादरण कर देता है।
  9. लेखक की मृत्यु यदि चैक लिखने वाले की मृत्यु हो गई हो या वो पागल या दिवालिया हो गया हो और बैंक को इस बात की जानकारी हो, तो बैंक चैक का भुगतान करने से मना कर सकता है।
  10. हस्ताक्षरों में अन्तर यदि चैक पर किए गए लेखक के हस्ताक्षर उसके नमूने के हस्ताक्षर से भिन्न होते हैं तब बैंक ऐसे चैक को हस्ताक्षरों में अन्तर शब्द लिखकर वापस कर देता है।

क्रियात्मक प्रश्न (8 अंक)

प्रश्न 1.
निम्नलिखित लेन-देन का 31 मार्च, 2007 को मोहन के जर्नल में लेखा कीजिए।

  1. मोहन ने रे 50,000 से चालू खाता खोला।
  2. ₹ 10,000 का माल खरीदा तथा भुगतान चैक से किया।
  3. ₹ 500 मजदूरी का चैक द्वारा भुगतान किया।
  4. निजी व्यय के लिए बैंक से ₹ 200 निकाले।
  5. सोहन को ₹ 6,000 का माल बेचा। (2008)

हल
जर्नल लेखे
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UP Board Solutions

प्रश्न 2.
निम्नलिखित लेन-देनों के लिए जर्नल में प्रविष्टियाँ कीजिए। (2007)
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हल
जर्नल लेखे
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UP Board Solutions for Class 10 Commerce Chapter 6 नस्तीकरण या फाइलिंग

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Board UP Board
Class Class 10
Subject Commerce
Chapter Chapter 6
Chapter Name नस्तीकरण या फाइलिंग
Number of Questions Solved 21
Category UP Board Solutions

UP Board Solutions for Class 10 Commerce Chapter 6 नस्तीकरण या फाइलिंग

बहुविकल्पीय प्रश्न ( 1 अंक)

प्रश्न 1.
नस्तीकरण का उद्देश्य होता है
(a) पुनः आदेशों की पूर्ति के लिए
(b) मतभेदों का निपटारा करना
(c) पत्रों को सुरक्षित रखने हेतु
(d) ये सभी
उत्तर:
(d) ये सभी

प्रश्न 2.
फाइलिंग का सबसे पुराना तरीका है
(a) कार्ड-बोर्ड फाइल
(b) तार फाइल
(C) खड़ी फाइल
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(b) तार फाइल

प्रश्न 3.
नस्तीकरण की किस प्रणाली के अन्तर्गत पत्रों को खड़ी अवस्था में रखा जाता है?
(a) नस्तीकरण की पट प्रणाली
(b) नस्तीकरण की तिरछी प्रणाली
(c) नस्तीकरण की खड़ी प्रणाली
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(c) नस्तीकरण की खड़ी प्रणाली

UP Board Solutions

प्रश्न 4.
अनुपस्थिति कार्ड का प्रयोग किस फाइल में किया जाता है? (2014)
(a) कबूतरखाने वाली फाइल में
(b) तार फाइले में।
(c) शैनन फाइल में
(d) खड़ी फाइल में
उत्तर:
(d) खड़ी फाइल में

निश्चित उत्तरीय प्रश्न (1 अंक)

प्रश्न 1.
नस्तीकरण का एक लाभ लिखिए। (2015)
उत्तर:
नस्तीकरण के द्वारा पत्रों को क्रमबद्ध रूप में भविष्य के लिए सँभालकर रखा जाता है।

प्रश्न 2.
‘कबूतरखाने वाली फाइल’ में कितने खाने होते हैं?
उत्तर:
24 खाने

प्रश्न 3.
बैंक के लिए नस्तीकरण की कौन-सी विधि उपयुक्त होती है?
उत्तर:
खेड़ी फाइल

UP Board Solutions

प्रश्न 4.
प्राप्त पत्रों को सुरक्षित रखने वाले विभाग का नाम बताइए। (2012)
उत्तर:
पत्राचार विभाग

प्रश्न 5.
बाहर जाने वाले पत्रों का रिकॉर्ड रखे जाने वाले रजिस्टर का नाम लिखिए। (2014, 12)
उत्तर:
पत्र-प्रेषित पुस्तक या रजिस्टर

प्रश्न 6.
जिस रजिस्टर में आने वाले पत्रों का विवरण लिखा जाता है, उसका नाम लिखिए। (2013)
उत्तर:
पत्र-प्राप्ति पुस्तक या (UPBoardSolutions.com) रजिस्टर

अतिलघु उत्तरीय प्रश्न (2 अंक)

प्रश्न 1.
पड़ी या समतल फाइलिंग क्या है? इसके दो दोषों का उल्लेख कीजिए। (2013)
उत्तर:
इस प्रणाली में पत्रों को लेटी या पट अवस्था में रखा जाता है। इसमें पत्र तिथिवार फाइल किए जाते हैं अर्थात् जो पत्र पहले आता है, वह पहले रखा जाता है तथा जो बाद में आता है, वह बाद में रखा जाता है। यह छोटे-बड़े दोनों कार्यालयों में प्रयोग होती है। इस प्रणाली के दोष निम्नलिखित हैं

  1. असुरक्षा इस प्रणाली के अन्तर्गत जरा-सी असावधानी से पत्रों में धूल | जम जाती है, कीड़े-मकोड़े पत्रों को नष्ट कर सकते हैं। इस प्रकार असुरक्षा का भय रहता है।
  2. असुविधा इस प्रणाली में नीचे के पत्रों को निकालने में असुविधा (UPBoardSolutions.com) रहती है और पत्रों के गिर जाने का भय भी रहता है।

UP Board Solutions

प्रश्न 2.
लेटी हुई नस्तीकरण प्रणाली की किन्हीं चार विधियों के नाम लिखिए। (2016)
उत्तर:
लेटी हुई नस्तीकरण प्रणाली की चार विधियों के नाम निम्नलिखित

  1. तार फाइल
  2. फोल्डर फाइल
  3. कार्ड-बोर्ड या दफ्ती की फाइल
  4. लोहे की मुड़ी हुई शलाकाओं वाली फाइल

प्रश्न 3.
डॉकेटिंग क्या है? (2014)
उत्तर:
पत्रों को मोड़ने के बाद उसके ऊपर हवाले के रूप में संक्षिप्त विवरण लिखा जाता है, जो डॉकेटिंग कहलाता है।

डॉकेटिंग का नमूना

UP Board Solutions for Class 10 Commerce Chapter 6 नस्तीकरण या फाइलिंग 1

UP Board Solutions

प्रश्न 4.
खड़ी नस्तीकरण प्रणाली की चार विशेषताओं का उल्लेख कीजिए। (2018, 16)
उत्तर:
खड़ी नस्तीकरण प्रणाली की चार विशेषताएँ निम्नलिखित हैं

  1. इस प्रणाली में गोपनीयता एवं सुरक्षा का गुण सर्वाधिक पाया जाता है
  2. इस प्रणाली के अन्तर्गत आवश्यकता के (UPBoardSolutions.com) समय पत्रों को शीघ्रता से ढूंढा जा सकता है
  3. यह प्रणाली काफी लोचदार है
  4. इस प्रणाली में पत्रों को संग्रहित करके रखने में सुविधा रहती है

प्रश्न 5.
नस्तीकरण की खड़ी प्रणाली के अन्तर्गत फोल्डरों को दराज में रखने के कितने क्रम हैं?
उत्तर:
नस्तीकरण की खड़ी प्रणाली के अन्तर्गत फोल्डरों को दराज में रखने के निम्नलिखित क्रम हैं

  1. वर्णमाला क्रम
  2. भौगोलिक क्रम
  3. संख्या क्रम
  4. वर्णमाला एवं संख्या दोनों के आधार पर रखने का क्रम
  5. विषय के अनुसार क्रम

प्रश्न 6.
‘नस्तीकरण’ की श्रेष्ठ प्रणाली कौन-सी है? (2017)
उत्तर:
नस्तीकरण की खड़ी प्रणाली सुव्यवस्थित, वैज्ञानिक एवं लोचदार है। अतः यह नस्तीकरण की सर्वोत्तम, आधुनिक तथा सर्वश्रेष्ठ प्रणाली मानी जाती है।

UP Board Solutions

लघु उत्तरीय प्रश्न (4 अंक)

प्रश्न 1.
पड़ी फाइलिंग के गुण एवं दोषों का वर्णन कीजिए। (2008)
उत्तर:
पड़ी फाइलिंग के गुण पड़ी फाइलिंग के गुण निम्नलिखित हैं

  1. सरलता पड़ी फाइल प्रणाली अत्यन्त सरल होती है। इस प्रणाली में पत्रों को आसानी से रखा जा सकता है और निकाला भी जा सकता है। इस प्रकार, यह प्रणाली अन्य प्रणालियों की तुलना में सरल है।
  2. सुरक्षा इस प्रणाली में पत्रों को बाँधकर रखा जाता है, जिससे पत्र सुरक्षित रहते हैं।
  3. सस्ती प्रणाली यह प्रणाली अन्य प्रणालियों की तुलना में अपेक्षाकृत सस्ती है, इसलिए यह प्रणाली काफी लोकप्रिय है।
  4. कम स्थान घेरना यह प्रणाली अन्य प्रणालियों से कम स्थान घेरती है।
  5. उपयुक्त प्रणाली यह प्रणाली छोटे व्यापारियों के लिए उपयुक्त होती है।
  6. प्रशिक्षण नहीं नया व्यक्ति भी इस प्रणाली को (UPBoardSolutions.com) सरलता से समझ सकता है। इसमें किसी प्रकार के विशेष प्रशिक्षण की आवश्यकता नहीं रहती है।
  7. अनुक्रमणिका (सूची) साथ में होना इस प्रणाली में अनुक्रमणिका साथ में होती है।

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पड़ी फाइलिंग के दोष पड़ी फाइलिंग प्रणाली के दोष निम्नलिखित हैं-

  1. सुरक्षा का अभाव इस प्रणाली में पत्रों को खुला रखा जाता है और साथ ही पत्र बँधे हुए रहते हैं, जिससे इनके निकलने की आशंका रहती है, अत: पत्र असुरक्षित रहते हैं।
  2. वर्गीकरण का अभाव इस प्रणाली में पत्रों को वर्गीकृत नहीं किया जाता है। इससे पत्रों को ढूंढने में असुविधा होती है।
  3. गोपनीयता का अभाव पड़ी फाइलिंग प्रणाली में अन्य प्रणालियों की तुलना में गोपनीयता का अभाव पाया जाता है।
  4. पत्र फटने का भय इस प्रणाली में पत्रों के बँधे होने के कारण उनके फटने का भय बना रहता है।
  5. लोचता पड़ी फाइलिंग प्रणाली में अन्य प्रणालियों से कम लोच पाई जाती है।
  6. पुरानी प्रणाली यह प्रणाली बहुत पुरानी है और अब यह बड़े व्यापारियों के लिए अनुपयुक्त सिद्ध हो गई है।

प्रश्न 2.
खड़ी फाइलिंग प्रणाली के गुण एवं दोषों का वर्णन कीजिए। (2007)
उत्तर:
नस्तीकरण की खड़ी फाइल प्रणाली के गुण नस्तीकरण की खड़ी फाइल प्रणाली के गुण निम्न हैं

  1. पत्रों को सुरक्षित रहना इस प्रणाली के अन्तर्गत पत्रों को फोल्डर में रखा जाता है, जिससे उनके कटने-फटने या आपस में मिल जाने का भय नहीं रहता है। अत: इस प्रणाली के उपयोग से पत्र सुरक्षित रहते हैं।
  2. पत्रों को निकालने व पुनः रखने में सुविधा इस प्रणाली में संकेत कार्ड द्वारा पत्रों को सरलता से प्राप्त किया जा सकता है वे अनुपस्थिति कार्ड के उपयोग द्वारा सरलता से पुनः रखा जा सकता है। अतः इस फाइल प्रणाली में पत्रों को लगाने एवं निकालने में समय एवं श्रम कम लगती है।
  3. सुव्यवस्थित व वैज्ञानिक प्रणाली यह प्रणाली सुव्यवस्थित एवं वैज्ञानिक है। अतः यह फाइलिंग की सबसे उत्तम, आधुनिक तथा सर्वश्रेष्ठ प्रणाली मानी जाती है।
  4. लोचदार प्रणाली यह प्रणाली लोचदार है। इसमें फोल्डरों की (UPBoardSolutions.com) संख्या को आवश्यकतानुसार घटाया-बढ़ाया जा सकता है।
  5. गोपनीयता का गुण इस प्रणाली में अलमारी एवं ताले की व्यवस्था होती है, जिससे पत्रों की गोपनीयता बनी रहती है।

नस्तीकरण की खड़ी फाइल प्रणाली के दोष नस्तीकरण की खड़ी फाइल प्रणाली के दोष निम्न हैं-

  1. पत्रों के बिखरने का भय इस प्रणाली के अन्तर्गत पत्रों को फोल्डर में खुला ही रखा जाता है, जिससे पत्रों के बिखरने का भय लगा रहता है।
  2. ढूँढने में समय लगना इस प्रणाली में यदि फोल्डर गलत स्थान पर रख दिया जाता है, तो उसे ढूंढने में अधिक समय वे श्रम लगता है।
  3. अधिक स्थान की आवश्यकता इस प्रणाली में लकड़ी या लोहे की अलमारी का प्रयोग किया जाता है, जो बहुत अधिक स्थान घेरती है।
  4. खर्चीली प्रणाली यह प्रणाली अधिक खर्चीली होती है, छोटे व्यवसायी इसका उपयोग नहीं कर पाते हैं।
  5. तकनीकी ज्ञान की आवश्यकता इस प्रणाली हेतु विशेष तकनीकी ज्ञान एवं प्रशिक्षण की आवश्यकता होती है।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न (8 अंक)

प्रश्न 1.
नस्तीकरण क्या है? नस्तीकरण के उद्देश्यों को भी लिखिए। (2014)
अथवा
नस्तीकरण की परिभाषा दीजिए। नस्तीकरण के क्या-क्या लाभ हैं? संक्षेप में वर्णन कीजिए। (2011)
अथवा
फाइलिंग से आप क्या समझते हैं? फाइलिंग के उद्देश्यों का वर्णन कीजिए। (2009)
उत्तर:
नस्तीकरण का अर्थ नस्तीकरण (Filing) विधि के अन्तर्गत आने वाले तथा जाने वाले व्यावसायिक पत्रों अथवा उनकी प्रतिलिपियों को इस प्रकार सुरक्षित रखा जाता है, जिससे कि आवश्यकता पड़ने पर किसी भी पत्र अथवा प्रतिलिपि को सरलतापूर्वक एवं शीघ्रता से प्राप्त किया जा सके। प्रो. मिल्स एवं स्टैडिंग फोर्ड के अनुसार, “नस्तीकरण वह कला है, जिसके द्वारा व्यापार सम्बन्धी सभी पत्रों तथा उनसे सम्बन्धित सभी मौलिक पत्रों अथवा (UPBoardSolutions.com) उनकी प्रतिलिपियों को इस प्रकार से रखा जाता है कि भविष्य में आवश्यकता पड़ने पर इच्छित पत्र को शीघ्रता से प्राप्त किया जा सके।”

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नस्तीकरण के उद्देश्य या लाभ नस्तीकरण के उद्देश्य एवं लाभ निम्नलिखित है।

  1. पत्रों की सुरक्षा व्यापारिक पत्रों एवं दस्तावेजों को नस्तीकरण की विधि अपनाकर सुरक्षित रखा जा सकता है। नस्तीकरण के कारण पत्रों व प्रलेखों के इधर-उधर होने, चोरी होने, खो जाने, आदि का भय कम हो जाता है।
  2. पुनः आदेशों की पूर्ति के लिए पुनः आदेशों की पूर्ति के लिए पुराने ग्राहक प्रायः अपने पूर्व पत्र का सन्दर्भ देकर माल पुनः भेजने का आदेश देते हैं। ऐसी स्थिति में यदि उनके पिछले आदेश फाइल में नहीं होंगे, तो व्यापारी तथा ग्राहक दोनों को असुविधा होगी।
  3. भविष्य में सन्दर्भ के लिए पत्रों को सँभालकर रखे जाने से भविष्य में मतभेद होने पर परस्पर पत्र-व्यवहार सहायक सिद्ध होता है।
  4. पत्रों को क्रमबद्ध करने के लिए कार्यालय में पत्रों को एक निश्चित रूप से क्रमबद्ध करके रखा जाता है। इससे इनको देखने में सरलता रहती है। पत्रों की क्रमबद्धता के लिए पत्रों का नस्तीकरण आवश्यक हो जाता है।
  5. व्यापार के कम होने का कारण ज्ञात करना व्यापार के कम होने पर पिछले पत्रों एवं खातों को देखकर उसका कारण ज्ञात किया जा सकता है।
  6. अनुक्रमणिका का आधार नस्तीकरण अनुक्रमणिका का आधार है, इसलिए पत्र-व्यवहार में अनुक्रमणिका प्रणाली को अपनाने के लिए नस्तीकरण अत्यन्त आवश्यक है।
  7. पत्रों को निकालने की सुविधा नस्तीकरण की विधि द्वारा इच्छित पत्रों को आवश्यकता के समय शीघ्रता से तथा सुगमतापूर्वक निकाला जा सकता है। अन्यथा पत्रों को ढूंढने में समय और शक्ति दोनों नष्ट होते हैं।
  8. विकास योजनाएँ बनाने में सहायक विभिन्न प्रकार की विकास योजनाओं . के निर्माण के लिए भी पुराने पत्रों एवं प्रलेखों का उपयोग किया जाता है। ये पुराने दस्तावेज कई प्रकार की उपयोगी सूचनाएँ प्रदान करते हैं।
  9. तुलनात्मक अध्ययन के लिए समय-विशेष की आर्थिक स्थिति या | लाभ-हानि का तुलनात्मक अध्ययन उसी दशा में सम्भव हो सकता है, जबकि पुराना रिकॉर्ड या पत्र-व्यवहार सँभालकर रखा गया हो।
  10. न्यायालय में प्रमाण के लिए यदि किसी व्यापारी द्वारा किसी समय न्यायालय (UPBoardSolutions.com) में वाद प्रस्तुत किया जाता है, तो पत्रों की प्रतिलिपियों को साक्ष्य या प्रमाण के रूप में न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत किया जा सकता है। अत: नस्तीकरण द्वारा ही पत्रों को आसानी से खोजा जा सकता है।
  11. वैधानिक आवश्यकता कुछ पत्र ऐसे होते हैं, जिन्हें कानूनन सुरक्षित रखना आवश्यक होता है; जैसे- बैनामे, रहन-नामे, बीमा-पत्र, वसीयतनामे, आदि।
  12. सरकार को आवश्यक सूचना भेजने में सहायता देना बहुत से पत्रों को सरकारी आज्ञानुसार सुरक्षित रखना पड़ता है। इनकी सहायता से सरकार द्वारा समय-समय पर माँगी जाने वाली वांछित सूचना सरलता से भेजी जा सकती है।

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प्रश्न 2.
नस्तीकरण से आप क्या समझते हैं? एक अच्छी नस्तीकरण प्रणाली की प्रमुख विशेषताओं का वर्णन कीजिए। (2009, 08)
उत्तर:
नस्तीकरण का अर्थ नस्तीकरण (Filing) विधि के अन्तर्गत आने वाले तथा जाने वाले व्यावसायिक पत्रों अथवा उनकी प्रतिलिपियों को इस प्रकार सुरक्षित रखा जाता है, जिससे कि आवश्यकता पड़ने पर किसी भी पत्र अथवा प्रतिलिपि को सरलतापूर्वक एवं शीघ्रता से प्राप्त किया जा सके। प्रो. मिल्स एवं स्टैडिंग फोर्ड के अनुसार, “नस्तीकरण वह कला है, जिसके द्वारा व्यापार सम्बन्धी सभी पत्रों तथा उनसे सम्बन्धित सभी मौलिक पत्रों अथवा उनकी प्रतिलिपियों को इस प्रकार से रखा जाता है कि भविष्य में आवश्यकता पड़ने पर इच्छित पत्र को शीघ्रता से प्राप्त किया जा सके।”

नस्तीकरण के उद्देश्य या लाभ नस्तीकरण के उद्देश्य एवं लाभ निम्नलिखित है।

  1. पत्रों की सुरक्षा व्यापारिक पत्रों एवं दस्तावेजों को नस्तीकरण की विधि अपनाकर सुरक्षित रखा जा सकता है। नस्तीकरण के कारण पत्रों व प्रलेखों के इधर-उधर होने, चोरी होने, खो जाने, आदि का भय कम हो जाता है।
  2. पुनः आदेशों की पूर्ति के लिए पुनः आदेशों की पूर्ति के लिए पुराने ग्राहक प्रायः अपने पूर्व पत्र का सन्दर्भ देकर माल पुनः भेजने का आदेश देते हैं। ऐसी स्थिति में यदि उनके पिछले आदेश फाइल में नहीं होंगे, तो व्यापारी तथा ग्राहक दोनों को असुविधा होगी।
  3. भविष्य में सन्दर्भ के लिए पत्रों को सँभालकर रखे जाने से भविष्य में मतभेद होने पर परस्पर पत्र-व्यवहार सहायक सिद्ध होता है।
  4. पत्रों को क्रमबद्ध करने के लिए कार्यालय में पत्रों को एक निश्चित रूप से क्रमबद्ध करके रखा जाता है। इससे इनको देखने में सरलता रहती है। पत्रों की क्रमबद्धता के लिए पत्रों का नस्तीकरण आवश्यक हो जाता है।
  5. व्यापार के कम होने का कारण ज्ञात करना व्यापार के कम होने पर पिछले पत्रों एवं खातों को देखकर उसका कारण ज्ञात किया जा सकता है।
  6. अनुक्रमणिका का आधार नस्तीकरण अनुक्रमणिका का आधार है, इसलिए (UPBoardSolutions.com) पत्र-व्यवहार में अनुक्रमणिका प्रणाली को अपनाने के लिए नस्तीकरण अत्यन्त आवश्यक है।
  7. पत्रों को निकालने की सुविधा नस्तीकरण की विधि द्वारा इच्छित पत्रों को आवश्यकता के समय शीघ्रता से तथा सुगमतापूर्वक निकाला जा सकता है। अन्यथा पत्रों को ढूंढने में समय और शक्ति दोनों नष्ट होते हैं।
  8. विकास योजनाएँ बनाने में सहायक विभिन्न प्रकार की विकास योजनाओं . के निर्माण के लिए भी पुराने पत्रों एवं प्रलेखों का उपयोग किया जाता है। ये पुराने दस्तावेज कई प्रकार की उपयोगी सूचनाएँ प्रदान करते हैं।
  9. तुलनात्मक अध्ययन के लिए समय-विशेष की आर्थिक स्थिति या | लाभ-हानि का तुलनात्मक अध्ययन उसी दशा में सम्भव हो सकता है, जबकि पुराना रिकॉर्ड या पत्र-व्यवहार सँभालकर रखा गया हो।
  10. न्यायालय में प्रमाण के लिए यदि किसी व्यापारी द्वारा किसी समय न्यायालय में वाद प्रस्तुत किया जाता है, तो पत्रों की प्रतिलिपियों को साक्ष्य या प्रमाण के रूप में न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत किया जा सकता है। अत: नस्तीकरण द्वारा ही पत्रों को आसानी से खोजा जा सकता है।
  11. वैधानिक आवश्यकता कुछ पत्र ऐसे होते हैं, जिन्हें कानूनन सुरक्षित रखना आवश्यक होता है; जैसे- बैनामे, रहन-नामे, बीमा-पत्र, वसीयतनामे, आदि।
  12. सरकार को आवश्यक सूचना भेजने में सहायता देना बहुत से पत्रों को सरकारी आज्ञानुसार सुरक्षित रखना पड़ता है। इनकी सहायता से सरकार द्वारा समय-समय पर माँगी जाने वाली वांछित सूचना सरलता से भेजी जा सकती है।

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उत्तर:
नस्तीकरण का अर्थ इसके लिए दीर्घ उत्तरीय प्रश्न 1 देखें। एक अच्छी नस्तीकरण/फाइलिंग प्रणाली की प्रमुख विशेषताएँ एक आदर्श नस्तीकरण प्रणाली में निम्नलिखित गुण या विशेषताएँ होनी चाहिए

  1. सरलता नस्तीकरण प्रणाली में सरलता होनी चाहिए, जिससे इसे आसानी से समझा जा सके और प्रत्येक व्यक्ति बिना किसी विशेष प्रशिक्षण के इसे प्रयोग कर सके।
  2. मितव्ययिता नस्तीकरण प्रणाली मितव्ययी होनी चाहिए, जिससे कि इसे अपनाने में अधिक व्यय न करना पड़े।
  3. सुरक्षा पत्रों को धूल, मिट्टी, पानी, आग, कीड़े-मकोड़े, दीमक, आदि से सुरक्षित रखा जाना चाहिए। नस्तीकरण प्रणाली में ताले लगाने की भी व्यवस्था होनी चाहिए, ताकि किसी भी महत्त्वपूर्ण पत्रों व प्रलेखों, आदि की चोरी न हो।सके।
  4. लोचदार नस्तीकरण प्रणाली इस प्रकार की होनी चाहिए, कि उसमें व्यापार की क्षमता के अनुसार वृद्धि या कमी की जा सके, क्योंकि पत्र-व्यवहार की कोई निश्चित सीमा नहीं होती। पत्र कभी अधिक तो कभी कम हो सकते है।
  5. शीघ्रता नस्तीकरण प्रणाली इस प्रकार की होनी चाहिए, जिससे कि आवश्यकता के समय पत्रों को शीघ्रता से रखा और निकाला जा सके।
  6. अल्प स्थान नस्तीकरण में पत्र संग्रह प्रणाली इस प्रकार होनी चाहिए, जिसमें | अल्प स्थान की आवश्यकता हो तथा व्यापारी को अधिक स्थान की व्यवस्था ने करनी पड़े।
  7. शीघ्र पहुँच नस्तीकरण का कार्य ऐसी जगह पर होना चाहिए, जहाँ पहुँचने में (UPBoardSolutions.com) किसी भी कर्मचारी को किसी भी प्रकार की कठिनाई न हो।
  8. गोपनीयता नस्तीकरण प्रणाली ऐसी होनी चाहिए, जिससे कि पत्र-व्यवहार गोपनीय रखा जा सके तथा बाहर का कोई भी व्यक्ति सरलतापूर्वक उसे देख न सके।
  9. अनुकूलता वही नस्तीकरण प्रणाली आदर्श मानी जाती है, जो व्यापार के अनुकूल हो, जैसे कि एक छोटे व्यापारी के लिए पट फाइलिंग उत्तम रहती है।
  10. टिकाऊपन आदर्श फाइलिंग प्रणाली में टिकाऊपन का गुण होना अत्यन्त आवश्यक होता है, ताकि एक बार व्यय करके दीर्घकाल तक पत्रों को सुरक्षित रखा जा सके।

प्रश्न 3.
लेटी हुई फाइलिंग प्रणाली की विभिन्न पद्धतियों का वर्णन कीजिए। (2007)
उत्तर:
लेटी हुई फाइल प्रणाली इस प्रणाली का आजकल सबसे अधिक प्रयोग होता है। छोटे तथा मध्यम श्रेणी के व्यापारी, पेशेवर व्यक्ति, सरकारी कार्यालय, स्कूल व छोटे कॉलेज, आदि सभी अधिकांश रूप से इस प्रणाली का प्रयोग करते हैं। लेटी हुई फाइलिंग प्रणाली की विभिन्न पद्धतियाँ/प्रकार नस्तीकरण की लेटी या पट प्रणालियाँ निम्नलिखित पद्धतियाँ/प्रकार की हो सकती हैं-

1. तार फाइल नस्तीकरण की यह सबसे सस्ती, सरल एवं प्राचीन पद्धति है। यह फाइल एक तकली की भाँति होती है। इसमें एक मोटे तार का प्रयोग किया जाता है, जिसका ऊपर का सिरा नुकीला और मुड़ा हुआ होता है। इसके निचले सिरे पर लकड़ी का एक गोल या चौकोर टुकड़ा लगा रहता है। कभी-कभी नीचे से तार को मोड़कर भी काम चलाया जा सकता है। तार के ऊपर नुकीले सिरे से पत्रों को पिरोया जाता हैं, जो नीचे तख्ती पर टिकते जाते हैं। बाद में इस तार को किसी कील या बँटी पर लटका दिया जाता है। यह प्रणाली तार फाइल छोटे व्यापारियों के लिए उपयुक्त रहती है।
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2. फोल्डर फाइल यह फाइल एक मोटे गत्ते की बनी होती है। गत्ता बीच में से मोड़ देते हैं, जिससे दोनों परतें बराबर हो जाती हैं, इसलिए इसे फोल्डर फाइल कहा जाता है। यह निम्नलिखित दो प्रकार की होती है

  1. टैग वाली फाइल इस फाइल में दफ्ती के एक कोने पर एक छिद्र होता है, जिसमें एक टैग लगा होता है। इसमें पत्रों को लगाने से पूर्व छिद्रक मशीन के द्वारा छिद्र कर लिया जाता है और तब उस पत्र को टैग में पिरोकर फाइल में लगा दिया जाता है। इसमें (UPBoardSolutions.com) भी पत्र तिथिवार लगाए जाते हैं।
  2. टीन की पत्ती वाली फाइल इसमें दफ्ती के मध्य में दो छेद होते हैं, जिसमें एक टीन की पत्ती लगी होती है। इस पत्ती में ऊपर से एक छिद्र वाली पत्ती और लगा दी जाती है। इस पत्ती को कसने के लिए दो रिंग लगाए जाते हैं। पत्रों को मशीन द्वारा छिद्र करके पत्ती में पिरोकर ऊपर से दूसरी पत्ती डालकर रिंग्स को कस दिया जाता है।

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3. कार्ड-बोर्ड या दफ्ती की फाइल यह मोटी दफ्ती के कागज की 1 फीट लम्बी व लगभग 9 इंच चौड़ी फाइल होती है। इस दफ्ती में दोनों ओर मध्य में रैक्सीन के टुकड़े लगे होते हैं, जिनके ऊपर बीच में एक फीता लगा होता है। पत्र को एक के ऊपर एक क्रमवार रखकर फीते से बाँध दिया जाता है। पत्रों का विषय दफ्ती के दोनों ओर लगे कागजों पर लिख दिया जाता है, अधिक सुरक्षा के लिए इसे अलमारी में रख दिया जाता है। यह प्रणाली केवल छोटे व्यापारियों के लिए ही उपयुक्त है।
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4. लोहे की मुड़ी हुई शलाकाओं वाली फाइल यह मोटे गत्ते की फाइल होती है, जो बीच में से मुड़ी हुई होती है। इसमें कुछ दूरी पर दो लोहे की खोखली सलाखें लगी होती हैं। इन सलाखों के पास एक लीवर लगा होता है, जिसे दबाने से सलाखें खुलती एवं बन्द होती हैं। (UPBoardSolutions.com) इसमें पत्रों को लगाने से पूर्व पत्रों में छिद्रक मशीन से दो छिद्र कर दिए जाते हैं और फिर उन पत्रों को इन सलाखों में पिरो दिया जाता है। इसी प्रकार, जब किसी पत्र को निकालना होता है, तब इन सलाखों को खोलकर निकाल लिया जाता है। यह प्रणाली छोटे व्यापारियों के लिए उपयुक्त मानी जाती है।
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5. शैनन फाइल लेटी हुई फाइलों में सबसे उत्तम प्रणाली ‘शैनन फाइल’ की होती है। इस फाइल के लिए एक दराजदार अलमारी प्रयोग में लाई जाती है। इस अलमारी में 4 से 24 दराजों वाले खाने हो सकते हैं। प्रत्येक दराज केवल आगे से बन्द होती है तथा उसमें बाहर दीवार पर एक छोटा-सा टीन का फ्रेम लगा होता है, जिसमें सूची-पत्र लगा होता है। दराज के भीतरी ओर तलों से दो सीधी कीलें निकली होती हैं, जिन पर दो मुड़ी हुई सलाखें होती हैं। इन सलाखों को एक लीवर से दबाकर उठाया जाता है। दराजों के नीचे लोहे की रेलें लगी होती हैं तथा दराजों में छोटे-छोटे पहिए लगे होते हैं, जिससे कि दराज बाहर निकलकर गिर न जाए। इसमें ताला लगाने की व्यवस्था भी होती है।
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6. कबूतर के खानों वाली फाइल इस प्रणाली को ‘पिजन होल प्रणाली’ भी । कहते हैं। यह प्रणाली:अत्यन्त प्राचीन है। इसका प्रयोग छोटे तथा मध्यम वर्ग के व्यापारियों द्वारा किया जाता है। नस्तीकरण की इस प्रणाली में एक लकड़ी की अलमारी प्रयोग में लाई जाती है। इस अलमारी में कबूतर के दड़बों जैसे 24 छोटे-छोटे खाने बने होते हैं, इसीलिए इसे ‘कबूतर के खानों वाली फाइल’ भी कहते हैं। प्रत्येक खाने के बाहर वर्णमाला का एक अक्षर लिखा होता है। अन्तिम खाना X, Y, Z तीन अक्षरों के लिए होता है। पत्रों की सुरक्षा के लिए इस अलमारी को बन्द करने के लिए दरवाजा एवं ताले की व्यवस्था भी की जाती है।
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7. सन्दूकनुमा या बॉक्स फाइल यह एक सन्दूकनुमा फाइल होती है। यह सन्दूक मजबूत मोटे गत्ते, लकड़ी अथवा लोहे का बना होता है। कुछ सन्दूकों में पत्रों को दबाकर रखने के लिए स्प्रिग भी लगी होती है। पत्र बिना बँधे एक के ऊपर एक क्रम में रखे जाते हैं। पत्रों को सन्दूक (UPBoardSolutions.com) में बन्द कर दिया जाता है, जिससे वह कीड़े-मकोड़े, दीमक, मिट्टी, आदि से सुरक्षित रहें।
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8. गार्ड फाइल यह फाइल एक सामान्य रजिस्टर की भाँति होती है, जिसमें कागज की आधी कटी हुई कुछ कतरनें लगी रहती हैं। इन कतरनों पर ही। पत्रों या प्रलेखों को तिथिवार चिपकाया जाता है। डॉकेटिंग पत्रों को मोड़ने के बाद उसके ऊपर हवाले के रूप में संक्षिप्त विवरण लिखा जाता है, जो डॉकेटिंग कहलाता है।

प्रश्न 4.
नस्तीकरण की खड़ी व पड़ी प्रणाली में अन्तर बताइए तथा एक अच्छी फाइलिंग प्रणाली की प्रमुख विशेषताएँ बताइए। (2008)
उत्तर:
खड़ी फाइल तथा लेटी फाइल प्रणाली में अन्तर
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एक अच्छी फाइलिंग प्रणाली की विशेषताएँ
लेटी हुई फाइल प्रणाली इस प्रणाली का आजकल सबसे अधिक प्रयोग होता है। छोटे तथा मध्यम श्रेणी के व्यापारी, पेशेवर व्यक्ति, सरकारी कार्यालय, स्कूल व छोटे कॉलेज, आदि सभी अधिकांश रूप से इस प्रणाली का प्रयोग करते हैं। लेटी हुई फाइलिंग प्रणाली की विभिन्न पद्धतियाँ/प्रकार नस्तीकरण की लेटी या पट प्रणालियाँ निम्नलिखित पद्धतियाँ/प्रकार की हो सकती हैं-

1. तार फाइल नस्तीकरण की यह सबसे सस्ती, सरल एवं प्राचीन पद्धति है। यह फाइल एक तकली की भाँति होती है। इसमें एक मोटे तार का प्रयोग किया जाता है, जिसका ऊपर का सिरा नुकीला और मुड़ा हुआ होता है। इसके निचले सिरे पर लकड़ी का एक गोल या चौकोर (UPBoardSolutions.com) टुकड़ा लगा रहता है। कभी-कभी नीचे से तार को मोड़कर भी काम चलाया जा सकता है। तार के ऊपर नुकीले सिरे से पत्रों को पिरोया जाता हैं, जो नीचे तख्ती पर टिकते जाते हैं। बाद में इस तार को किसी कील या बँटी पर लटका दिया जाता है। यह प्रणाली तार फाइल छोटे व्यापारियों के लिए उपयुक्त रहती है।
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2. फोल्डर फाइल यह फाइल एक मोटे गत्ते की बनी होती है। गत्ता बीच में से मोड़ देते हैं, जिससे दोनों परतें बराबर हो जाती हैं, इसलिए इसे फोल्डर फाइल कहा जाता है। यह निम्नलिखित दो प्रकार की होती है

  1. टैग वाली फाइल इस फाइल में दफ्ती के एक कोने पर एक छिद्र होता है, जिसमें एक टैग लगा होता है। इसमें पत्रों को लगाने से पूर्व छिद्रक मशीन के द्वारा छिद्र कर लिया जाता है और तब उस पत्र को टैग में पिरोकर फाइल में लगा दिया जाता है। इसमें भी पत्र तिथिवार लगाए जाते हैं।
  2. टीन की पत्ती वाली फाइल इसमें दफ्ती के मध्य में दो छेद होते हैं, जिसमें एक टीन की पत्ती लगी होती है। इस पत्ती में ऊपर से एक छिद्र वाली पत्ती और लगा दी जाती है। इस पत्ती को कसने के लिए दो रिंग लगाए जाते हैं। पत्रों को मशीन द्वारा छिद्र करके पत्ती में पिरोकर ऊपर से दूसरी पत्ती डालकर रिंग्स को कस दिया जाता है।

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3. कार्ड-बोर्ड या दफ्ती की फाइल यह मोटी दफ्ती के कागज की 1 फीट लम्बी व लगभग 9 इंच चौड़ी फाइल होती है। इस दफ्ती में दोनों ओर मध्य में रैक्सीन के टुकड़े लगे होते हैं, जिनके ऊपर बीच में एक फीता लगा होता है। पत्र को एक के ऊपर एक क्रमवार रखकर (UPBoardSolutions.com) फीते से बाँध दिया जाता है। पत्रों का विषय दफ्ती के दोनों ओर लगे कागजों पर लिख दिया जाता है, अधिक सुरक्षा के लिए इसे अलमारी में रख दिया जाता है। यह प्रणाली केवल छोटे व्यापारियों के लिए ही उपयुक्त है।
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4. लोहे की मुड़ी हुई शलाकाओं वाली फाइल यह मोटे गत्ते की फाइल होती है, जो बीच में से मुड़ी हुई होती है। इसमें कुछ दूरी पर दो लोहे की खोखली सलाखें लगी होती हैं। इन सलाखों के पास एक लीवर लगा होता है, जिसे दबाने से सलाखें खुलती एवं बन्द होती हैं। इसमें पत्रों को लगाने से पूर्व पत्रों में छिद्रक मशीन से दो छिद्र कर दिए जाते हैं और फिर उन पत्रों को इन सलाखों में पिरो दिया जाता है। इसी प्रकार, जब किसी पत्र को निकालना होता है, तब इन सलाखों को खोलकर निकाल लिया जाता है। यह प्रणाली छोटे व्यापारियों के लिए उपयुक्त मानी जाती है।
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5. शैनन फाइल लेटी हुई फाइलों में सबसे उत्तम प्रणाली ‘शैनन फाइल’ की होती है। इस फाइल के लिए एक दराजदार अलमारी प्रयोग में लाई जाती है। इस अलमारी में 4 से 24 दराजों वाले खाने हो सकते हैं। प्रत्येक दराज केवल आगे से बन्द होती है तथा उसमें बाहर दीवार पर एक छोटा-सा टीन का फ्रेम लगा होता है, जिसमें सूची-पत्र लगा होता है। दराज के भीतरी ओर तलों से दो सीधी कीलें निकली होती हैं, जिन पर दो मुड़ी हुई सलाखें होती हैं। इन सलाखों को एक लीवर से दबाकर उठाया जाता है। दराजों के नीचे लोहे की रेलें लगी होती हैं तथा दराजों में छोटे-छोटे पहिए लगे होते हैं, जिससे कि दराज बाहर निकलकर गिर न जाए। इसमें ताला लगाने की व्यवस्था भी होती है।
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6. कबूतर के खानों वाली फाइल इस प्रणाली को ‘पिजन होल प्रणाली’ भी । कहते हैं। यह प्रणाली:अत्यन्त प्राचीन है। इसका प्रयोग छोटे तथा मध्यम वर्ग के व्यापारियों द्वारा किया जाता है। नस्तीकरण की इस प्रणाली में एक लकड़ी की अलमारी प्रयोग में लाई जाती है। इस (UPBoardSolutions.com) अलमारी में कबूतर के दड़बों जैसे 24 छोटे-छोटे खाने बने होते हैं, इसीलिए इसे ‘कबूतर के खानों वाली फाइल’ भी कहते हैं। प्रत्येक खाने के बाहर वर्णमाला का एक अक्षर लिखा होता है। अन्तिम खाना X, Y, Z तीन अक्षरों के लिए होता है। पत्रों की सुरक्षा के लिए इस अलमारी को बन्द करने के लिए दरवाजा एवं ताले की व्यवस्था भी की जाती है।
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7. सन्दूकनुमा या बॉक्स फाइल यह एक सन्दूकनुमा फाइल होती है। यह सन्दूक मजबूत मोटे गत्ते, लकड़ी अथवा लोहे का बना होता है। कुछ सन्दूकों में पत्रों को दबाकर रखने के लिए स्प्रिग भी लगी होती है। पत्र बिना बँधे एक के ऊपर एक क्रम में रखे जाते हैं। पत्रों को सन्दूक में बन्द कर दिया जाता है, जिससे वह कीड़े-मकोड़े, दीमक, मिट्टी, आदि से सुरक्षित रहें।
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8. गार्ड फाइल यह फाइल एक सामान्य रजिस्टर की भाँति होती है, जिसमें कागज की आधी कटी हुई कुछ कतरनें लगी रहती हैं। इन कतरनों पर ही। पत्रों या प्रलेखों को तिथिवार चिपकाया जाता है। डॉकेटिंग पत्रों को मोड़ने के बाद उसके ऊपर हवाले के रूप में संक्षिप्त विवरण लिखा जाता है, जो डॉकेटिंग कहलाता है।

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प्रश्न 4.
नस्तीकरण की खड़ी व पड़ी प्रणाली में अन्तर बताइए तथा एक अच्छी फाइलिंग प्रणाली की प्रमुख विशेषताएँ बताइए। (2008)
उत्तर:
खड़ी फाइल तथा लेटी फाइल प्रणाली में अन्तर
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