UP Board Class 10th English Chapter 6 Question Answer Our Indian Music: Stories and Anecdotes (R. Srinivasan).

Class 10 English Prose Chapter 6 Questions and Answers UP Board Our Indian Music: Stories and Anecdotes (R. Srinivasan).

कक्षा 10 अंग्रेजी पाठ 6 प्रश्न उत्तर

These Solutions are part of UP Board Solutions for Class 10 English. Here we have given UP Board Solutions for Class 10 English Prose Chapter 6 Our Indian Music: Stories and Anecdotes (R. Srinivasan).

Comprehension Questions on Paragraphs

In the examination paper, there are asked only two questions from each I paragraph. Given below are some more questions for extra practice.

 Read the following passages and answer the questions put there upon :

(1) The history of Indian Music ……………………… to be purposeless.” [From passage 1 [2009, 10]]

Question .
1. What did Brahma create in the universe ?
(ब्रह्मा ने ब्रह्माण्ड में क्या रचना की ?)
                 Or
What beautiful things were made by Brahma ?
(ब्रह्मा ने किन सुन्दर वस्तुओं की रचना की ?)
2. How did Brahma feel after creating the universe ?
(सृष्टि की रचना के पश्चात् ब्रह्मा ने क्या अनुभव किया ?)
3. Who is Saraswati ? What did Saraswati ask Brahma ?
(सरस्वती कौन है? सरस्वती ने ब्रह्मा से क्या पूछा ?)
4. What was Brahma’s reply ?
(ब्रह्मा को क्या उत्तर था ?) ।
5. What is the history of Indian music full of ?
( भारतीय संगीत का इतिहास किस बात से भरा हुआ है ?)
6. Who made this universe ? What did He fill His creation with ?
(इसे ब्रह्माण्ड को किसने बनाया ? उसने इसे किन वस्तुओं से भरा ?)
7. Why does all the wonder, charm and beauty created by Brahma seem to have been wasted on the human souls ?
(सभी अद्भुत वस्तुएँ तथा सौन्दर्य जो ब्रह्मा ने बनाए वे मानव के लिए व्यर्थ क्यों हैं ?)
Answer:
1. Brahma created in the universe majestic mountain ranges, thundering waterfalls, giant forest trees and many other things.
(ब्रह्मा ने ब्रह्माण्ड में शानदार पर्वत श्रेणियाँ, (UPBoardSolutions.com) गरजते हुए झरने, बड़े-बड़े जंगल के पेड़ और अनेक वस्तुएँ बनायीं।)
2. After creating the universe, Brahma felt that His creation was purposeless because human souls did not seem to be sensitive to the beauty of the creation.
(सृष्टि को रचने के बाद ब्रह्मा ने अनुभव किया कि सृष्टि की रचना निरर्थक रही, क्योंकि मनुष्य ने इस सुन्दर रचना के प्रति संवेदनशीलता नहीं दिखाई।)
3. Saraswati is the consort of Brahma. Saraswati asked Brahma the reason of His sadness.
(सरस्वती ब्रह्मा की जीवन-साथी हैं। सरस्वती ने ब्रह्मा से उनके दुःखी होने का कारण पूछा।)
4. Brahma answered, “I have created all this wonder and charm. But human souls do not seem to be sensible to this beauty. So this creation seems to be purposeless.”
(ब्रह्मा ने उत्तर दिया, “मैंने इतनी आश्चर्यजनक तथा सुन्दर सृष्टि की रचना की है। किन्तु मनुष्य इस सुन्दरता के प्रति संवेदनशील मालूम नहीं होता। इसलिए मेरी यह सृष्टि व्यर्थ प्रतीत होती है।”)
5. The history of Indian music is full of stories anci anecdotes.
( भारतीय संगीत का इतिहास कहानियों और कथाओं से भरा पड़ा है।)
6. Brahma made this universe. He filled His creation with wonderfully beautiful and enchanting things.
(ब्रह्मा ने इस ब्रह्माण्ड को बनाया। उसने अपनी सृष्टि को आश्चर्यजनक रूप से सुन्दर और मुग्ध करने वाली वस्तुओं से भर दिया।)
7. All the wonder, charm and beauty created (UPBoardSolutions.com) by Brahma seem to have been wasted on the human souls because they do not seem to be sensitive to the beauty around.
(सभी अद्भुत वस्तुएँ तथा सौन्दर्य जो ब्रह्मा ने बनाए वे मानव के लिए व्यर्थ प्रतीत होते हैं, क्योंकि वे चारों ओर की सुन्दरता के प्रति संवेदनशील प्रतीत नहीं होते है।)

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(2) Saraswati understood…… … irresistible inner urge. [From passage 2]

Question .
Who understood the feelings of Brahma ? How was He/She helped to create in the people the love for music and other beauties of nature ? (किसने ब्रह्मा की भावनाओं को समझा ? उन्होंने किस प्रकारे से मनुष्यों में संगीत तथा प्रकृति के अन्य सौन्दर्यों के प्रति प्रेम जाग्रत करने में सहायता की ?) ।
2. What is the function or use of music and fine arts ?
(संगीत और ललित-कलाओं का क्या कार्य या प्रयोग है ?)
3. On what basic truths is all Indian art developed ?
(किन मौलिक सत्यों पर सम्पूर्ण भारतीय कला विकसित हुई है ?)
4. Why did Saraswati offer to give music to the children ?
| (सरस्वती ने बच्चों को संगीत देने के लिए क्यों कहा ?)
5. Why did the great Muse give us music?
(सरस्वती ने हमें संगीत क्यों दिया ?) :
6. What did Saraswati offer to create ?
(सरस्वती ने क्या रचना करने के लिए कहा ?)
                 Or
What does Saraswati propose to create in the human souls ?
(सरस्वती मनुष्यों में किस वस्तु की रचना करने का प्रस्ताव देती हैं ?)
Answer:
1. Şaraswati understood the feelings of Brahma. She helped Him by giving the human music and other fine arts to respond to the beauty of universe.
(सरस्वती ने ब्रह्मा की भावनाओं को समझा। उन्होंने मनुष्य को संगीत तथा अन्य ललित-कलाएँ देकर उनकी सहायता की ताकि मनुष्य ब्रह्माण्ड की सुन्दरता को समझ सके।)
2. The function of the music and other fine arts is to enable the man to understand something of the Divine in his manifestation.
(संगीत और अन्य ललित-कलाओं का कार्य मनुष्य को इस योग्य बनाना हैं कि वह ईश्वर की कुछ बातों को समझ सके।)
3. All Indian art is developed on one of the (UPBoardSolutions.com) basic truths that it is never made to order but it comes as a result of an irresistible inner urge. (सम्पूर्ण भारतीय कला एक मौलिक सत्य पर विकसित हुई है कि यह आदेश देने पर कभी नहीं आती बल्कि यह तो एक अबाध आन्तरिक प्रेरणा से ही आती है।)
4. Saraswati offered to give music to the children to remove the sadness of Brahma.
(ब्रह्मा के दुःख को दूर करने के लिए सरस्वती ने बच्चों को संगीत देने को कहा।)
5. The great Muse gave us music so that we may respond to the beauty of the universe.
(सरस्वती ने हमें संगीत दिया ताकि हम इस ब्रह्माण्ड की सुन्दरता का प्रत्युत्तर दे सकें।)
6. Saraswati offered to create in the children the power to respond to the beauty, to appreciate and be uplifted by the music and fine arts.
(सरस्वती ने बच्चों में सुन्दरता का प्रत्युत्तर देने की शक्ति, उसे पसन्द करने और संगीत तथा ललित-कलाओं के द्वारा अभिभूत होने की शक्ति प्रदान की।)

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(3) Tansen was great ………………wonderful, Tansen.” [From passage 3 [2015, 18]]

Question .
1. Write the name of the lesson from which the given passage has been taken. Who is the author of this lesson ?
(प्रस्तुत गद्यांश जिस पाठ से लिया गया है उसका नाम लिखिए। इस पाठ के लेखक कौन हैं ?)
2. Who was Tansen ? How did Akbar react to his music?
(तानसेन कौन था ? अकबर ने उसके संगीत पर क्या प्रतिक्रिया की ?)
Answer:
1. This passage has been taken from the lesson Our Indian Music : Stories and Anecdotes. The author of this lesson is R. Srinivsan.
(प्रस्तुत गद्यांश Our Indian Music: Stories and Anecdotes
नामक पाठ से लिया गया है। इसके लेखक आर० श्रीनिवासन हैं।)
2. Tansen was a great musician of Akbar’s (UPBoardSolutions.com) court. To the music of Tansen, Akbar said, “I have not heard anyone else who can cast such a spell of magic and make a slave of our hearts.”
(तानसेन अकबर के दरबार का एक महान संगीतकार था। तानसेन के संगीत पर अकबर ने कहा,
मैंने किसी ऐसे अन्य कवि को नहीं सुना है जो इस प्रकार जादू का प्रभाव डाल सके और हमारे हृदय को दास बना सके।”)

(4) The great bard replied, ………. and charm of the music. [From passage 4 & 5 [2010]]

Question .
1. Who was Tansen’s master ? What did Tansen tell the emperor about his master? .
(तानसेन के गुरु कौन थे? तानसेन ने अपने गुरु के विषय में सम्राट को क्या बताया ?)
2. Why did Tansen introduce a false note to one of the songs taught by the Swami and to what result ?
(तानसेन ने स्वामी जी के सिखाए हुए गानों में से एक को गलत क्यों गाया और उसका क्या परिणाम
हुआ ?)
3. Do you think Tansen was a conceited man? Give a reason for your answer
(क्या आप सोचते हो कि तानसेन एक अभिमानी व्यक्ति था ? अपने उत्तर की पुष्टि में कारण दीजिए।)
4. What was Akbar’s wish ? How did he fulfil his wish ?
(अकबर की इच्छा क्या थी ? उसने अपनी यह इच्छा कैसे पूरी की ?),

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                                 Or
Why did Akbar and Tansen go to the Himalayas ?
(अकबर और तानसेन हिमालय पर क्यों गए ?)
5. What warning was given to Akbar by Tansen ?
(अकबर को तानसेन के द्वारा क्या चेतावनी दी गयी ?)
6. How did Tansen make his Guru sing ? Why do you think this ruse was so | successful ?
(तानसेन ने अपने गुरु से गाना कैसे गवाया? आप कैसे सोचते हो कि यह छल इतना सफल रहा ?)
7. What did Hari Das say when Tansen sang a song with false note ?
(हरिदास ने क्या कहा जब तानसेन ने गलत धुन से गाना गाया ?)
8. What was the cause of anger of Swamiji ?
(स्वामी जी के क्रोध का क्या कारण था ?)
9. What did Tansen do after waiting several days ?
(कुछ दिनों तक प्रतीक्षा करने के बाद तानसेन ने क्या किया ?)
10. How did Hari Das rebuke Tansen ?
(हरि दास ने तानसेन को कैसे डॉटा ?)
11. When did Swamiji receive a shock ? What did he do then ?
(स्वामी जी को कब दु:ख हुआ? तब उन्होंने क्या किया ?)
12. why was Akbar greatly intrigued ?
(अकबर की उत्सुकता इतनी क्यों जाग गयी ?)
13. What did Akbar wish and why could he not fulfil it ?
(अकबर की इच्छा क्या थी और वह इसे पूरा क्यों नहीं कर सका ?)
14. What was the effect of Swamiji’s music on Akbar and Tansen ?
(अकबर और तानसेन पर स्वामी जी के संगीत का क्या प्रभाव पड़ा ?)
Answer:
1. Swami Hari Das was Tansen’s master. Tansen told the emperor that he had not mastered even a fraction of the master’s technique.
(स्वामी हरिदास तानसेन के गुरु थे। तानसेन ने सम्राट को बताया कि वह तो अपने गुरु के कौशल का एक छोटा-सा भाग भी नहीं है।)
2. Tansen knowingly introduced a false note to one of the songs taught by Swamiji to make him sing. Swamiji at once rebuked Tansen and began to sing himself to tell Tansen how to sing.
(तानसेन ने जान-बूझकर स्वामी जी के सिखाए (UPBoardSolutions.com) हुए गानों में से एक गाने की गलत धुन उन्हें गाना गाने के लिए विवश करने को गायी। स्वामी जी ने तुरन्त तानसेन को डॉटा और यह बताने के लिए कि उसे
कैसे गाना चाहिए, स्वयं गाने लगे।)
3. No, I think Tansen was not a conceited man. He himself said that he had not mastered even the fraction of his master’s technique.
(नहीं, मैं मानता हूँ कि तानसेन एक अभिमानी व्यक्ति नहीं था। उसने स्वयं कहा कि उसने अपने गुरु के कौशल का एक अंश भी नहीं सीखा है।)
4. Akbar wished to hear Hari Das sing. He fulfilled his wish by going to the ashrama of Swamiji himself with Tansen. ”
(अकबर की इच्छा हरिदास को गातो हुआ सुनने की थी। उसने तानसेन के साथ स्वयं स्वामी जी के आश्रम में जाकर अपनी इच्छा पूरी की।)
5. Tansen warned Akbar that the Swamiji would sing only if he wanted to.
(तानसेन ने अकबर को चेतावनी दे दी थी कि स्वामी जी केवल तभी गायेंगे जब वे चाहेंगे।)
6. Tansen deliberately introduced a false note while singing a song taught to him by Swamiji and this made his Guru sing. I think this ruse was successful because Swamiji began to sing.
(तानसेन ने जान-बूझकर उस गाने में एक गलत सुर लगा दिया जो (UPBoardSolutions.com) उसे स्वामी जी ने सिखाया था और उसने गुरु को गाने के लिए विवश कर दिया। मैं सोचता हूँ कि यह छल सफल रहा, क्योंकि
स्वामी जी गाने लगे।)
7. Swamiji became angry and said to Tansen that he was his pupil and how he could commit such a blunder.
(स्वामी जी नाराज हो गये और तानसेन से बोले कि वह उनका शिष्य होकर भी इतनी बड़ी गलती कैसे कर सकता है।)
8. Swamiji became angry when Tansen introduced a false note.
(जब तानसेन ने गलत राग छेड़ा, स्वामी जी नाराज हो गए।)
9. After waiting several days, Tansen sang a song taught by Swamiji and deliberately introduced a false note.
(कई दिनों तक प्रतीक्षा करने के बाद तानसेन ने स्वामी जी का सिखाया हुआ गीत गाया और जान-बूझकर गलत धुन निकाली।)
10. Hari Das rebuked Tansen, saying, “what has happened to you Tansen, that you, a pupil of mine, should commit such a gross blunder?”
(हरिदास ने तानसेन को यह कहते हुए डाँटा, “तानसेन, तुम्हें क्या हो गया है, मेरे शिष्य होकर तुम इतनी भारी भूल
कर रहे हो।”)
11. When Tansen knowingly sang a song with false note, Swamiji received a shock. He had taught Tansen the correct tone. For this he rebuked Tansen and then sang the song himself.
(जब तानसेन ने जान-बूझकर गलत सुर से गीत गाया, तब स्वामी जी को आघात पहुँचा। उन्होंने तानसेन को सही सुर सिखाया था। इसके लिए उन्होंने तानसेन को डाँटा और तब स्वयं गीत गाया।)
12. Akbar was greatly intrigued because Tansen had praised Swami Hari Das highly.
(अकबर की उत्सुकता इतनी जाग गयी क्योंकि तानसेन ने स्वामी हरिदास की भारी प्रशंसा की थी।)
13. Akbar wished to hear Hari Das sing but he could not fulfil it because Swamiji would not come to his court.
(अकबर ने हरिदास का संगीत सुनने की इच्छा की, किन्तु वह अपनी इच्छा को पूरा नहीं कर सका,
क्योंकि स्वामी जी उसके दरबार में नहीं आ सकते थे।)
14. The effect of music was that Akbar and Tansen forgot themselves in the sheer melody and charm of the music.
(संगीत का यह प्रभाव पड़ा कि अकबर व तानसेन संगीत में डूब गए तथा स्वयं को भी भूल गए।)

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(5) He then started…………..makes all the difference.” [From passage 5 [2011, 15]]

Question .
1. It was a unique experience. What experience has been referred to here?
(यह एक अनूठा अनुभव था।’ यहाँ किस अनुभव की बात कही गयी है ?)
2. What was Akbar’s opinion about Tansen’s music beside the music of his master?
(अकबर के विचार में तानसेन का संगीत उसके गुरु के संगीत की तुलना में कैसा था ?)
                                 Or
What did Akbar say about the music of Tansen ?
(अकबर ने तानसेन के संगीत के विषय में क्या कहा ?)
3. What did Tansen say to Akbar to explain the difference between the music of his great teacher and his own ?
(तानसेन ने अपने महान् गुरु के संगीत और अपने में अन्तर समझाने के लिए अकबर को क्या : कहा?)
                                 Or
What was the cause of difference in Tansen’s music?
(तानसेन के संगीत के अन्तर का क्या कारण था?)
4. Why did Akbar and Tansen forget themselves ?
(अकबर और तानसेन स्वयं को क्यों भूल गए ?)
5. Whose music appealed to Akbar more ?
(अकबर को किसका संगीत अधिक अच्छा लगा ?)
6. Why was Hari Das’ music soul-stirring?
(हरिदास का संगीत आत्मा को झकझोरने वाला क्यों था?)
7. When did Swami Hari Das sing?
( स्वामी हरिदास कब गाते थे ?) …
Why was Tansen’s music not divine ?
(तानसेन का संगीत दिव्य क्यों नहीं था ?)
Answer:
1. Akbar has the unique experience of listening to the charming singing (music) presented by Guru
Hari Das.
(अकबर को जो अनुभव हुआ वह उस मनमोहक संगीत का था जो गुरु हरिदास ने प्रस्तुत किया था।)
2. Akbar’s opinion about Tansen’s music was that it was like chaff (useless) beside the charming music of his master.
(अकबर के विचार में तानसेन का संगीत उसके गुरु के संगीत की तुलना में भूसी के समान था।)
3. Tansen told Akbar that the difference between the music of his great teacher and his own, was due to the fact that he (Tansen) sang to the emperor’s bidding but his master sang when prompting came from his inner most.
(तानसेन ने अकबर को बताया कि उनके महान् गुरु तथा उनके (तानसेन) संगीत में अन्तर का कारण है कि वह (तानसेन) बादशाह के आदेश पर गाते हैं जबकि उनके गुरु अपनी अन्तरात्मा से
प्रेरणा प्राप्त होने पर गाते हैं।)
4. Akbar and Tansen forgot themselves in the melody and charm of music.
(संगीत की मधुरता और सुन्दरता में अकबर और तानसेन स्वयं को भूल गए।)
5. The music of Hari Das appealed to Akbar more.
(हरिदास का संगीत अकबर को अधिक अच्छा लगा।) ।
6. Hari Das’ music was soul-stirring because the prompting came from his innermost self when he sang.
(हरिदास का संगीत आत्मा को झकझोरने वाला था, क्योंकि जब प्रेरणा उनकी अन्तरात्मा से प्राप्त होती थी तभी वे गाते थे।)
7. Swami Hari Das sang when the prompting came from his innermost self.
(स्वामी हरिदास उस समय गाते थे जब उनकी (UPBoardSolutions.com) अन्तरात्मा से प्रेरणा प्राप्त होती थी।) ।
8. Tansen’s music was not divine because he sang to the emperor’s bidding, not to prompting of his inner most self.”
(तानेसन का संगीत दिव्य नहीं था, क्योंकि वह सम्राट के आदेश पर गाता था, अपनी अन्तरात्मा की प्रेरणा से नहीं।)

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LONG ANSWER TYPE QUESTIONS

Answer the following questions in about 60 words:

Question 1.
why was Brahma sad? who helped Him and how ? [2011, 12]
(ब्रह्मा दु:खी क्यों थे ? उनकी सहायता किसने और कैसे की ?)
                                Or
Why did His own creation appear purposeless to Brahma ? How did Saraswati try to remove
His sadness ?
(ब्रह्मा को अपनी सृष्टि उद्देश्यहीन क्यों लगी ? सरस्वती ने उनके दुःख को दूर करने का कैसे प्रयास किया ?)
                                 Or
What did Brahma create in the universe ? How did Saraswati help Him?
( ब्रह्मा ने ब्राह्माण्ड में क्या रचना की ? सरस्वती ने उनकी कैसे सहायता की ?) [2011]
Answer:
Lord Brahma created this universe. He filled it with numerous things of beauty, charm and splendour. But the man ignored them. So He was sad. Saraswati understood His feelings. She conceived an idea to remove His sadness. She created music and fine arts. She created the.power to respond to this beauty through music. She filled man with this power. Thus the human beings began to take interest in the creation of Brahma. Then Brahma became happy.
(ब्रह्मा ने इस ब्रह्माण्ड की रचना की। उन्होंने इसे अनेक सुन्दर वस्तुओं, सुन्दरता तथा आकर्षण से भर दिया। किन्तु मनुष्य ने उसे अनदेखा कर दिया। अत: वे दु:खी थे। सरस्वती उनकी भावनाओं को समझ गयीं। उन्होंने उनके दु:ख को दूर करने की योजना बनाई। उन्होंने संगीत तथा ललित-कलाओं की रचना की। उन्होंने संगीत के द्वारा इस सुन्दरता का प्रत्युत्तर देने की शक्ति की रचना की। उन्होंने मनुष्य को इस शक्ति से भर (UPBoardSolutions.com) दिया। इस प्रकार मानव जाति ने ब्रह्मा की सृष्टि में रुचि लेनी आरम्भ कर दी। तब ब्रह्मा प्रसन्न हो गये।)

Question 2.
How did Tansen explain the difference between his own position and that of his Guru Swami Hari Das? [2009]
( तानसेन ने अपनी स्थिति और अपने गुरु स्वामी हरिदास की स्थिति में क्या अन्तर बताया ?)
                                      Or
How did Tansen prove to Akbar that his teacher’s music was superior to his own? What reason did he give for it?
(तानसेन ने यह कैसे सिद्ध किया कि उसके गुरु का संगीत उसके संगीत से श्रेष्ठ है ? ऐसा होने का उसने क्या कारण बताया ?)
                                      Or
What makes all the difference between the music of Tansen and that of Swami Hari Das ? Whose music was more appealing to Emperor Akbar ? [2016] 
किस बात ने स्वामी हरिदास तथा तानसेन के संगीत में अन्तर स्पष्ट किया ? किसके संगीत ने सम्राट् अकबर को अधिक आकर्षित किया ?) [2009]
Answer:
Akbar was very fond of music. Tansen was a bard in his court. One day Akbar asked him the secret of his sweet music. At this Tansen told Akbar that his Guru Swami Hari Das was much superior to him. He was nothing before his Guru. Akbar wished to hear his Guru. But Tansen told him that his Guru would not come to the court. Akbar became ready to go to his ashrama. After waiting for a long time Akbar could hear Swamiji. Hearing the song of Swamiji, Akbar and Tansen forgot themselves in the melody of the song. Then Tansen said to Akbar, “There is only one difference. I sing on your bidding to please you but Swamiji sings when he is prompted from within”. (अकबर संगीत का बहुत शौकीन था। तानसेन उसके दरबार में एक गायक कवि था। एक दिन अकबर ने उसके मधुर संगीत का रहस्य पूछा। इस पर तानसेन ने अकबर को बताया कि उसके गुरु स्वामी हरिदास उससे कहीं अधिक महान् हैं। अपने गुरु के सामने तो वह कुछ भी नहीं है। अकबर ने उसके गुरु को सुनने की इच्छा की। किन्तु तानसेन ने उसे बताया कि उसके गुरु दरबार में नहीं आएँगे। अकबर उनके आश्रम में जाने को तैयार हो गया। काफी समय प्रतीक्षा करने के बाद अकबर स्वामी जी को सुन सका।। स्वामी जी का गीत सुनकर अकबर और तानसेन संगीत की मधुरता में स्वयं को भूल गये। तब तानसेन ने अकबर से कहा, “एक ही अन्तर स्पष्ट है। मैं आपको प्रसन्न करने के लिए आपकी आज्ञा पर गाता हूँ, किन्तु स्वामी (UPBoardSolutions.com) जी उसी समय गाते हैं जब अन्तरात्मा से उन्हें प्रेरणा मिलती है।”)

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Question 3.
What was Akbar’s wish ? How was it fulfilled ? ”
(अकबर की इच्छा क्या थी ? यह कैसे पूरी हुई ?)
                                     Or
What is Tansen’s opinion about his master ? How did he make him [2011]
(अपने गुरु के विषय में तानसेन का क्या मत है ? उसने उन्हें गाने के लिए कैसे उकसाया ?)
Answer:
Tansen was a wonderful musician in the eyes of Akbar. Tansen told Akbar that he had not mastered even a fraction of his master, Swami Hari Das technique. At this Akbar became curious to hear Hari Das. But Hari Das could not come to his court. So he and Tansen went to the Himalayas where Swami Hari Das lived in an ashrama. Tansen had warned Akbar that Swamiji would sing only if he wanted to. Akbar stayed at the ashrama for several days but Swami Hari Das did not sing. In the end, Tansen had to play a trick to make Hari Das sing. Thus Akbar’s wish was fulfilled.
अकबर की दृष्टि में तानसेन एक महान् संगीतकार था। तानसेन ने अकबर को बताया कि वह अपने गुरु हरिदास के कौशल का एक अंश भी नहीं है। इस पर अकबर गुरु हरिदास का संगीत सुनने को आतुर हो गया। लेकिन हरिदास उसके दरबार में नहीं आ सकते थे। अतः अकबर व तानसेन हिमालय पर्वत पर गये, जहाँ स्वामी हरिदास एक आश्रम में रहते थे। तानसेन ने अकबर को पहले ही सचेत कर दिया कि स्वामी जी अपनी इच्छा से ही गाएँगे। अकबर कई दिन आश्रम में रुके लेकिन स्वामी हरिदास ने गाना नहीं गाया। अन्त में तानसेन ने हरिदास को गवाने के लिए एक चाल चली। इस प्रकार अकबर की इच्छा पूरी हुई।)

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Question 4.
How did Tansen make his Guru sing ? Why do you think this ruse (trick) was so successful ?
(तानसेन ने किस प्रकार अपने गुरु को गाने के लिए विवश किया ? आप क्यों सोचते हो कि यह चाल इतनी सफल हुई ?)
                                            Or
What did Tansen do to make Hari Das sing for Akbar? [2012, 13]
(तानसेन ने अपने गुरु हरिदास का संगीत अकबर को सुनाने के लिए क्या किया ?)
Answer:
Akbar and Tansen went to Hari Das’ ashrama and stayed there for several days but Hari Das did not sing. Tansen himself started singing a song taught to him by Guru and knowingly introduced a false note in between. This jolted the Guru. He rebuked Tansen for it and started singing the song himself correctly. The mood came upon him and he forgot himself. The ruse was successful because Tansen knew very well that the Guru would sing only if his emotions were stirred and a spontaneous urge was created in his heart.
(अकबर और तानसेन हरिदास के आश्रम गये और वहाँ कई दिन रुके परन्तु हरिदास ने गाना नहीं गाया। तानसेन ने गुरु द्वारा सिखाए गए एक गाने को जान-बूझकर गलत ढंग से गाना शुरू कर दिया। इसने गुरु जी को झकझोर दिया। उन्होंने (UPBoardSolutions.com) तानसेन को डाँट लगाई और उस गाने को स्वयं ठीक ढंग से गाने लगे। उन पर एक नशा-सा छा गया और वे अपने आप को भूल गये। तानसेन की चाल काम कर गयी, क्योंकि तानसेन को ज्ञात था कि गुरु जी तब ही गाएँगे जब उनके भावों को झकझोर दिया जाए तथा गाने की एक तीव्र इच्छा उनके अन्त:करण में जाग्रत कर दी जाए।)

Question 5.
Did Swami Hari Das sing for Akbar? How was Akbar’s wish fulfilled? What does it show ?
(क्या स्वामी हरिदास ने अकबर के लिए गीत गाया ? अकबर की इच्छा कैसे पूरी हुई ? यह बात क्या प्रदर्शित करती है ?)
                                                     Or
Did Swami Hari Das sing for Akbar ? What made him sing? How did he do it? [2011]
(क्या स्वामी हरिदास ने अकबर के लिए गाया ? उनसे किसने गवाया ? उसने ऐसा कैसे किया ?)
Answer:
No, Swami Hari Das did not sing for Akbar. He never sang for anybody. Akbar wished to hear Hari Das sing. So he himself went to the ashrama of Swamiji with Tansen. Tansen sang a false note knowingly. Swami Hari Das could not bear it. He rebuked Tansen and sang that song himself correctly. Thus Akbar’s wish was fulfilled. It shows that a truly great musician sings only when he is urged by his inner soul to pour out his music.
(नहीं, स्वामी हरिदास ने अकबर के लिए गीत नहीं गाया। उन्होंने कभी किसी के लिए नहीं गाया। अकबर की इच्छा हरिदास को गाता हुआ सुनने की थी। इसलिए वह तानसेन के साथ स्वयं स्वामी जी के आश्रम में गया। तानसेन ने जान-बूझकर गलत सुर में गीत गाया। (UPBoardSolutions.com) स्वामी हरिदास इस बात को सहन नहीं कर सके। उन्होंने तानसेन को डाँटा और स्वयं वही गीत शुद्ध रूप में गाया। इस प्रकार अकबर की इच्छा पूर्ण हो गयी। यह बात प्रदर्शित करती है कि एक सच्चा महान् संगीतकार केवल उसी समय गाता है जब गीत गाने के लिए वह अन्तरात्मा से प्रेरित हो।)

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Question 6.
who was Swami Hari Das ? Why did Akbar want to hear him ? Why ” could he not call Hari Das to his court ? What did he do then ? [2009, 14]
(स्वामी हरिदास कौन थे ? अकबर उनका गाना सुनना क्यों चाहता था ? वह हरिदास को अपने दरबार में क्यों नहीं बुला सका ? फिर उसने क्या किया ?)
Answer:
Swami Hari Das was the Guru (teacher) of great musician, Tansen. Tansen was one of the nine jewels of the court of Akbar. Once Tansen said that he was a pigmy by the side of his teacher Swami Hari Das. This made Akbar anxious to see Swamiji and hear his song. Akbar could not call Swami Hari Das because he lived in the Himalayas and would not sing at the bidding. So Akbar with Tansen went to Swamiji. One day Tansen himself sang a song taught by his teacher with a wrong note. This provoked Swamiji and he began to sing himself.
(स्वामी हरिदास महान् संगीतकार तानसेन के गुरु थे। तानसेन अकबर के दरबार के नवरत्नों में से एक थे। एक बार तानसेन ने कहा कि वह अपने गुरु स्वामी हरिदास के सामने एक बौने की तरह है। इस बात ने अकबर को स्वामी जी से मिलने तथा उनके संगीत को सुनने के लिए उत्तेजित कर दिया। अकबर स्वामी हरिदास को नहीं बुला सका, क्योंकि वह हिमालय पर रहते थे और फिर किसी के कहने पर वह गाते भी नहीं थे। इसलिए अकबर तानसेन के (UPBoardSolutions.com) साथ स्वामी जी के पास गया। एक दिन तानसेन स्वयं ही गलत सुरों का प्रयोग करके वह गीत गाने लगे जो उनके गुरु ने सिखाया था। इससे स्वामी जी भड़क गये और उन्होंने स्वयं गाना आरम्भ कर दिया।)

SHORT ANSWER TYPE QUESTIONS

Answer the following questions in about 25 words:

Question 1.
who are Brahma and Saraswati ? How are they related ? ।
(ब्रह्मा और सरस्वती कौन हैं ? उनका क्या सम्बन्ध है ?)
Answer:
Brahma is the creator of this universe. Saraswati is the creator of music and fine arts. She created among men the power to appreciate beauty. They are husband and wife. (ब्रह्मा इस सृष्टि के रचयिता हैं। सरस्वती ललित कलाओं तथा संगीत की रचयिता हैं। उन्होंने मनुष्य में सुन्दरता को सराहने की क्षमता प्रदान की। दोनों आपस में पति-पत्नी हैं।)

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Question 2.
who is the Creator of the universe ? what has he created? [2014]
(सृष्टि की रचना किसने की ? उसने क्या रचा ?)
                            Or
What had Brahma created? Why was he sad? ? [2015, 17]
(ब्रह्मा ने क्या रचना की ? वह दु:खी क्यों थे ?)
Answer:
Brahma is the Creator of this universe. He created the mountains, waterfalls, trees and animals like deer, peacocks and flowers. He was sad because human souls did not seem to be sensitive to the beauty of the creation.
(ब्रह्मा इस सृष्टि के रचयिता हैं। उन्होंने पर्वतों, झरनों, वृक्षों (UPBoardSolutions.com) तथा जानवरों जैसे, हिरणों, मोरों तथा फूलों की रचना की। वे दु:खी थे क्योंकि मनुष्य ने इस सुन्दरता के प्रति संवेदनशीलता नहीं दिखाई।)

Question 3.
why does a work of art thrill and awe us ?
(एक कलाकृति क्यों हमें रोमांचित करती है और क्यों संभ्रम में डालती है ?)
                            Or
How does a great work of art affect us ? And why?
(महान् कलाकृति हमें कैसे प्रभावित करती हैं ? और क्यों ?)
                            Or
Bring out the greatness of Indian art as described in ‘Our Indian Music : Stories and Anecdotes’. (‘Our Indian Music : Stories and Anecdotes’
पाठ में वर्णित भारतीय कला की महानता बताइए।)
Answer:
A work of art thrills and awes us because there is a great spiritual urge of the artist behind it. The artist pours all his devotion to perform his art.
(एक कलाकृति हमें इस कारण रोमांचित करती है और संभ्रम में डालती है क्योंकि इसके पीछे कलाकार की आध्यात्मिक प्रेरणा होती है। कलाकार अपनी कला के प्रदर्शन में पूर्ण निष्ठावान हो जाता है।) who was Swami Hari Das ? Why did

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Question 4.
Akbar want to meet him ?
(स्वामी हरिदास कौन थे ? अकबर उनसे क्यों मिलना चाहता था ?) [2012, 15, 18]
                              Or
What did Akbar do to listen to the great singer? [2012]
या (अकबर ने उनसे मिलने के लिए क्या किया ?)
Answer:
Swami Hari Das was the Guru of great musician Tansen. Tansen had highly praised Swami Hari Das before Akbar. So Akbar wanted to meet him and went to the Himalayas with Tansen.
(स्वामी हरिदास महान संगीतकार तानसेन के गुरु थे। तानसेन ने अकबर (UPBoardSolutions.com) के समक्ष स्वामी हरिदास की अत्यन्त प्रशंसा की थी। अत: अकबर उनसे मिलना चाहता था और वह तानसेन के साथ हिमालय पर्वत पर गया।)

Question 5.
Why did saraswati give the man music and other fine arts ?
(सरस्वती ने मनुष्य को संगीत और अन्य ललित कलाएँ क्यों प्रदान कीं ?) [2012, 14, 16]
Answer:
Saraswati gave the man the power of music and other fine arts so that the man might take interest in the creation of Brahma. (सरस्वती ने मनुष्य को संगीत और अन्य ललित कलाओं का ज्ञान दिया ताकि मनुष्य ब्रह्मा की सृष्टि में रुचि ले सके।)

Question 6.
What is the basic truth on which all Indian art is developed ?
(वह मौलिक सत्य क्या है जिस पर सम्पूर्ण भारतीय कला विकसित हुई है ?)
                          Or
What is the nature of true art ?
(सच्ची कला का स्वभाव क्या होता है ?)
Answer:
One of the basic truths on which all Indian art is developed is that true art is never made to order but it comes as an irresistible inner urge. (सारी भारतीय कला एक मौलिक सत्य पर विकसित हुई है कि यह आदेश देने पर नहीं आती बल्कि यह तो एक अबाध आन्तरिक प्रेरणा से आती है।)

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Question 7.
How did Tansen describe the music of his master, Swami Hari Das? How did he feel before his master ?
(तानसेन ने अपने गुरु स्वामी हरिदास के संगीत का वर्णन कैसे किया? वह अपने गुरु के समक्ष स्वयं को कैसा अनुभव करता था ?)
Answer:
Tansen described the music of his master as much superior. He sang for nobody. He sang only when the prompting came from his innermost self. Tansen felt himself pigmy before his master.
(तानसेन ने बताया कि उसके गुरु का संगीत कहीं अधिक अच्छा (UPBoardSolutions.com) है। वे किसी व्यक्ति के लिए नहीं गाते। वे उसी समय गाते हैं, जब उनकी अन्तरात्मा से प्रेरणा होती है। तानसेन स्वयं को अपने गुरु के सामने बौना । मानता था।) .

Question 8.
why was Akbar greatly intrigued ? Where did he and Tansen go ?
(अकबर इतना उत्सुक क्यों हुआ ? वह और तानसेन कहाँ गये ?)
Answer:
Tansen told Akbar that he was nothing before his Guru. At this Akbar became anxious to hear his Guru, Hari Das. He and Tansen both went to the Ashrama of Hari Das.
(तानसेन ने अकबर को बताया कि अपने गुरु के समक्ष वह कुछ भी नहीं है। इस पर अकबर उसके गुरु तानसेन को सुनने के लिए उत्सुक हो गया। वह और तानसेन दोनों हरिदास के आश्रम में गये।)

Question 9.
who was Tansen ? How did Akbar react to the music of Tansen ?
(तानसेन कौन था ? अकबर ने तानसेन के संगीत पर क्या प्रतिक्रिया की ?)
Answer:
Tansen was the bard of Akbar’s court. To the music of Tansen, Akbar said, “I have not heard anyone else who can cast such a spell of magic and make a slave of our hearts”.
(तानसेन अकबर के दरबार का एक महान् संगीतकार था। तानसेन के (UPBoardSolutions.com) संगीत पर अकबर ने कहा, “मैंने किसी अन्य ऐसे कवि को नहीं सुना है जो इस प्रकार जादू का प्रभाव डाल सके और हमारे हृदय को दास बना सके।”)

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Question 10.
why did Akbar and Tansen go to the Himalayas ? [2011]
(अकबर और तानसेन हिमालय की ओर क्यों गए?)
Answer:
Akbar wanted to hear Swami Hari Das but he could not get him to his court. So he and Tansen went to the Himalayas where Swamiji lived in his ashrama.
(अकबर स्वामी हरिदास का गायन सुनना चाहते थे, परन्तु वे उन्हें अपने दरबार में नहीं बुला सकते थे। अतः अकबर व तानसेन स्वामी जी के आश्रम में हिमालय की ओर स्वयं गये।)

Question 11.
Do you think Tansen was a conceited man? Give a reason for your answer.
(क्या आप तानसेन को एक अभिमानी व्यक्ति मानते हैं ? अपने उत्तर की पुष्टि के लिए एक कारण दीजिए।)
Answer:
Tansen was not a conceited man. Rather he was a humble man. He calls himself ‘pigmy’ by the side of his master. (तानसेन अभिमानी व्यक्ति नहीं था। बल्कि वह एक विनम्र व्यक्ति था। वह अपने गुरु की तुलना में स्वयं को बौना मानता है।)

Question 12.
Even a great Emperor like Akbar was unable to fulfill a wish of his own. What was it ? What did he do instead?
(अकबर जैसा महान् सम्राट् भी अपनी एक इच्छा पूरी न कर सका। यह क्या थी? इसके स्थान पर उसने क्या किया ?)
Answer:
The great Emperor Akbar wished to hear Hari Das sing, but he could not hear him sing in his court. Instead of it, he himself went to his Ashrama with Tansen.
(महान् सम्राट् अकबर की इच्छा हरिदास के संगीत को सुनने की थी। किन्तु (UPBoardSolutions.com) वह उन्हें अपने दरबार में नहीं सुन सका। इसके स्थान पर उसे तानसेन के साथ उनके आश्रम में जाना पड़ा।) .

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Question 13.
who was Swami Haridas? Where did Akbar go to listen to his music? [2016]
(स्वामी हरिदास कौन थे ? अकबर उनका संगीत सुनने के लिए कहाँ गया ?)
Answer:
Swami Haridas was the Guru of Tansen. Akbar went to the Ashram of Haridas at the Himalayas to listen to his music.
(स्वामी हरिदास तानसेन के गुरु थे। अकबर उनका संगीत सुनने के लिए हिमालय पर स्थित उनके आश्रम में : गया।)

Question 14.
How did Tansen provoke Haridas to sing? [2016]
(तानसेन ने हरिदास को गाने के लिए कैसे उकसाया ?)
                        Or
Why did Tansen sing a song with a false note ? [2018]
(तानसेन ने गलत सुर में गाना क्यों गया?)
Answer:
Tansen provoked Haridas to sing by singing a false note knowingly.
(जानबूझकर गलत सुर में गाकर तानसेन ने हरिदास को गाना गाने के लिए उकसाया।)

Question 15.
Did Swami Hari Das sing for Akbar? who made him sing? How did he do it ?
(क्या स्वामी हरिदास ने अकबर के लिए गाना गाया? यह गाना उनसे किसने गवाया? उसने यह कैसे किया?)
                                Or
What did Tansen do to make Haridas sing? [2014]
(हरिदास से गाना गवाने के लिए तानसेन ने क्या किया?)
Answer:
No, Swami Hari Das did not sing for Akbar. (UPBoardSolutions.com) Tansen made him sing. When Tansen knowingly sang a song with false note, Swamiji got angry at him and then he sang it himself correctly.
(नहीं, स्वामी हरिदास ने अकबर के लिए नहीं गाया। तानसेन ने उनसे गीत गवाया। जब तानसेन ने जान-बूझकर गलत सुर के साथ एक गीत गाया, स्वामीजी उस पर क्रोधित हो गए और तब उन्होंने वह गीत सही रूप में स्वयं गाया।)

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Question 16.
What was Akbar’s reaction on hearing Swami Hari Das sing? What did he say to Tansen ?
(स्वामी हरिदास को गाते हुए सुनकर अकबर की क्या प्रतिक्रिया हुई ? उसने तानसेन से क्या कहा ?)
Answer:
On hearing Swami Hari Das sing, Akbar forgot himself. He said to Tansen, “Your music is lifeless as compared to that of Swamiji.”
(स्वामी हरिदास को गाता हुआ सुनकर अकबर अपनी सुधबुध खो बैठा। उसने तानसेनं से कहा, “स्वामी जी के संगीत की तुलना में तुम्हारा संगीत निर्जीव है।”) ।

Question 17.
“That makes all the difference. What is it that makes the difference and to what ?
(“इसी से सारा अन्तर पड़ता है।” किस बात से अन्तर पड़ता है और क्या ?)
                              Or
What makes all the difference between the music of Tansen and that of Swami Hari Das ? [2015]
(तानसेन और स्वामी हरिदास के संगीत के बीच किस बात से सारा अन्तर पड़ता है ?)
Answer:
Spiritual urge behind a work of art makes the difference. Tansen used to sing to please Akbar on his order. But Swami Hari Das sang due to his inner urge not by an outward order.
(कलाकृति के पीछे आध्यात्मिक प्रेरणा अन्तर लाती है। तानसेन (UPBoardSolutions.com) अकबर के आदेश पर उसे प्रसन्न करने के लिए गाता था। किन्तु स्वामी हरिदास अपनी आन्तरिक प्रेरणा के कारण गाते थे, बाहरी आदेश से नहीं।)

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Question 18.
why was Hari Das’ music soul-stirring ?
(हरिदास का संगीत आत्मा को झकझोरने वाला क्यों था ?)
Answer:
Hari Das’ music was soul-stirring because he sang due to his inner urge.
(हरिदास का संगीत आत्मा को झकझोरने वाला था, क्योंकि वे अपनी आन्तरिक प्रेरणा के कारण गाते थे।)

VOCABULARY

(a) Match the words in List ‘A’ with their nearest meanings in List ‘B’ :
UP Board Solutions for Class 10 English Prose Chapter 6 Our Indian Music Stories and Anecdotes (R. Srinivasan) img 1
UP Board Solutions for Class 10 English Prose Chapter 6 Our Indian Music : Stories and Anecdotes (R. Srinivasan)
Answer:
UP Board Solutions for Class 10 English Prose Chapter 6 Our Indian Music : Stories and Anecdotes (R. Srinivasan)

(b) Fill in the blanks with the words given below :
(1) Words : splendour, consort, bidding, enchanting.
Answer:
1. Many songs of Lata are very enchanting.
2. Mr. Clinton was also charmed to see the splendour of the Taj.
3. The angels work at the bidding of God.
4. Saraswati is Brahma’s consort.

(2) Words : prompting, sitar, technique, created
Answer:
1. Some musicians play sitar very well.
2. He is a clever man. He can find out the technique to do this work.
3. Brahma has created all the beauty and splendour of the world.
4. My master sings when prompting comes (UPBoardSolutions.com) from his innermost self.

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(c) Use the following words in your own sentences so as to make their meanings clear :
essence, universe, deliberately, ecstasy, intrigued.
Answer:
1. The greatness of Indian art lies in its essence.
2. God is the creator of this universe.
3. You have deliberately made the carpet dirty.
4. Hearing Tansen, Akbar went into ecstasy.
5. Akbar was greatly intrigued to hear Hari Das.

Hope given UP Board Solutions for Class 10 English Prose Chapter 6 are helpful to complete your homework.

If you have any doubts, please comment below. UP Board Solutions try to provide online tutoring for you.

UP Board Solutions for Class 10 Social Science Chapter 7 (Section 3)

UP Board Solutions for Class 10 Social Science Chapter 7 ऊर्जा संसाधन (अनुभाग – तीन)

These Solutions are part of UP Board Solutions for Class 10 Social Science. Here we have given UP Board Solutions for Class 10 Social Science Chapter 7 ऊर्जा संसाधन (अनुभाग – तीन).

विस्तृत उतरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
भारत में कोयले का वितरण एवं उपयोग का वर्णन कीजिए।
या
कोयले का महत्त्व स्पष्ट करते हुए भारत में इसके उत्पादन का वर्णन कीजिए। [2013]
या
भारत में कोयले का उत्पादन एवं वितरण का विवरण प्रस्तुत कीजिए।
या
भारत में कोयला उत्पादन के किन्हीं दो प्रमुख राज्यों का वर्णन कीजिए। [2016]
या
भारत में कोयले के उत्पादन क्षेत्रों का वर्णन कीजिए। [2016]
या
कोयले का संरक्षण क्यों आवश्यक है? तीन कारक बताइए। [2018]
उतर :

कोयले का उपयोग या महत्त्व

कोयला शक्ति का सबसे महत्त्वपूर्ण साधन तथा ऊर्जा का प्रमुख स्रोत है। इसका उत्पादन एवं उपयोग किसी देश की प्रगति का सूचक माना जाता है। यह अपनी तीन विशेषताओं; यथा—भाप बनाने, ताप प्रदान करने तथा कठोर धातुओं के पिघलाने के कारण वर्तमान औद्योगिक सभ्यता का आधार-स्तम्भ बन गया है। कोयले से प्राप्त शक्ति खनिज तेल से प्राप्त की गयी शक्ति से दोगुनी, प्राकृतिक गैस से पाँच गुनी तथा जल-विद्युत (UPBoardSolutions.com) शक्ति से आठ गुना अधिक होती है। इससे स्टीम कोक अर्थात् ताप ऊर्जा प्राप्त की जाती है। भारत के कोयला उत्पादन का लगभग तीन-चौथाई भाग उद्योग-धन्धों व विद्युत उत्पादन, एक-चौथाई रेलों के संचालन व अन्य कार्यों में प्रयुक्त किया जाता है। कोयले के इस महत्त्व को देखते हुए इसे ‘काला हीरा’ के नाम से पुकारा जाता है।

संचित मात्रा- कोयले के भण्डारों की दृष्टि से भारत का विश्व में छठा स्थान है। भारतीय भूगर्भ सर्वेक्षण विभाग ने कोयले की संचित राशि 250 अरब टन ऑकी है। लिग्नाइट का भण्डार 24 अरब टन अनुमानित किया गया है। सम्पूर्ण कोयला भण्डारों का 78.3% भाग दामोदर घाटी में स्थित है।

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उत्पादन एवं वितरण

भारत में निम्नलिखित दो क्षेत्र कोयले के उत्पादन में महत्त्वपूर्ण स्थान रखते हैं
(1) गोण्डवाना कोयला क्षेत्र- भारत में कुल 113 कोयला क्षेत्र हैं, जिनमें से 80 कोयला क्षेत्र गोण्डवाना काल की शैलों से सम्बन्धित हैं। इन शैलों में 96% कोयला संचित है तथा 98% उत्पादन इन्हीं से प्राप्त होता है। इसका क्षेत्रफल 90,650 वर्ग किमी है। कोयला उत्पादन में निम्नलिखित क्षेत्र प्रमुख हैं

  • गोदावरी घाटी क्षेत्र- आन्ध्र प्रदेश का कोयला उत्पादन में चौथा स्थान है, जहाँ देश का 10% कोयला निकाला जाता है। यहाँ गोदावरी नदी की घाटी में सिंगरेनी, तन्दूर तथा सस्ती नामक खदानों से कोयला निकाला जाता है। अदिलाबाद, पश्चिमी गोदावरी, करीम नगर, खम्माम एवं वारंगल प्रमुख कोयला उत्पादक क्षेत्र हैं।
  • महानदी घाटी क्षेत्र- इस कोयला क्षेत्र का विस्तार ओडिशा राज्य में है। वेंकानाल, सुन्दरगढ़ एवं सम्भलपुर प्रमुख कोयला उत्पादक जिले हैं।
  • उत्तरी दामोदर घाटी क्षेत्र- यह झारखण्ड एवं पश्चिम बंगाल राज्यों में विस्तृत है। यहाँ राजमहल की पहाड़ियों में सबसे अधिक कोयले के भण्डार पाये जाते हैं।
  • दामोदर घाटी क्षेत्र- यह देश का सबसे विशाल कोयला क्षेत्र है। इसका विस्तार झारखण्ड एवं पश्चिमी बंगाल राज्यों तक है।
  • झारखण्ड- भारत के लगभग 36% कोयले का उत्पादन करके यह राज्य देश में प्रथम स्थान प्राप्त किये हुए है। यहाँ झरिया, बोकारो, राजमहल, उत्तरी-दक्षिणी कर्णपुरा, डाल्टनगंज तथा गिरिडीह जैसी प्रमुख कोयले की खदानें हैं। झरिया यहाँ की सबसे बड़ी खान है, जो 436 वर्ग किमी क्षेत्र में फैली हुई है।
  • पश्चिम बंगाल- पश्चिम बंगाल देश का 13% कोयला उत्पन्न कर तीसरे स्थान पर है। (UPBoardSolutions.com) यहाँ पर रानीगंज कोयले की प्रमुख खान है, जो 1,536 वर्ग किमी क्षेत्र में फैली हुई है।
  • छत्तीसगढ़ व मध्य प्रदेश – इस क्षेत्र का कोयला उत्पादन में दूसरा स्थान है। छत्तीसगढ़ व मध्य प्रदेश राज्यों से संयुक्त रूप से 28% कोयला निकाला जाता है। यहाँ पेंच घाटी, सोहागपुर, उमरिया, सिंगरौली, रामगढ़, रामकोला, तातापानी, कोरबा तथा बिलासपुर में कोयले की खाने हैं।
  • सोन एवं उसकी सहायक नदी- घाटियों का क्षेत्र मध्य प्रदेश राज्य में इस कोयला क्षेत्र का विस्तार है। यह क्षेत्र उमरिया, सोहागपुर एवं सिंगरौली में विस्तृत है।
  • सतपुड़ा कोयला क्षेत्र- सतपुड़ा कोयला क्षेत्र का विस्तार मध्य प्रदेश एवं महाराष्ट्र राज्यों में है। नरसिंहपुर जिले में मोहपानी, कान्हन घाटी, पेंच घाटी तथा बैतूल जिले में पाथरखेड़ा क्षेत्र उल्लेखनीय हैं।
  • गोदावरी-वर्धा घाटी क्षेत्र- इस क्षेत्र के अन्तर्गत महाराष्ट्र में चन्द्रपुर, बलारपुर, बरोरा, यवतमाल, नागपुर आदि जिले तथा आन्ध्र प्रदेश के सिंगरेनी, सस्ती एवं तन्दूर क्षेत्र सम्मिलित हैं। देश के 3% भण्डार यहाँ सुरक्षित हैं।

(2) टर्शियरी कोयला क्षेत्र
यह कोयला प्रायद्वीप के बाह्य भागों में पाया जाता है। सम्पूर्ण भारत का 2% कोयला टर्शियरी काल की चट्टानों से प्राप्त होता है। यह लिग्नाइट प्रकार का है, जिसमें कार्बन की मात्रा 30 से 50% तक पायी जाती है। इसका उपयोग ताप-विद्युत, कृत्रिम तेल तथा ब्रिकेट बनाने में किया जाता है। देश में इस कोयले के 23.1 करोड़ टन के सुरक्षित भण्डार अनुमानित किये गये हैं। इसके प्रमुख उत्पादक क्षेत्र निम्नलिखित हैं

  • राजस्थान- राजस्थान में कोयला बीकानेर के दक्षिण-पश्चिम में 20 किमी की दूरी पर पालना नामक स्थान और उसके आस-पास के क्षेत्र मढ़, चनेरी, गंगा-सरोवर एवं खारी क्षेत्रों में मिलता है।
  • असोम- यहाँ पर कोयला पूर्वी नागा पर्वत के उत्तर-पश्चिमी ढाल पर लखीमपुर तथा शिवसागर जिलों में पाया जाता है। यहाँ माकूम सबसे बड़ा कोयला उत्पादक क्षेत्र है।
  • मेघालय- मेघालय में मिकिर की पहाड़ियों में 1 से 2 मीटर मोटी परत वाला (UPBoardSolutions.com) हल्की श्रेणी का कोयला पाया जाता है। यहाँ पर गारो, खासी एवं जयन्तिया पहाड़ियों में कोयला मिलता है।
  • जम्मू-कश्मीर- दक्षिण-पश्चिमी कश्मीर में करेवा चट्टानों में कोयला मिलता है, जो घटिया किस्म का होता है।

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प्रश्न 2.
ऊर्जा या शक्ति के संसाधन से आप क्या समझते हैं? भारत में खनिज तेल के क्षेत्रीय वितरण को समझाइट। [2013]
या
खनिज तेल का वर्णन निम्नलिखित शीर्षकों में कीजिए
(क) क्षेत्र, (ख) भावी सम्भावनाएँ तथा (ग) तेलशोधक कारखाने
या
ऊर्जा संसाधन के रूप में खनिज तेल का महत्त्व बताइए। भारत में पाये जाने वाले खनिज तेल के दो क्षेत्रों पर प्रकाश डालिए। [2010, 11]
या
बॉम्बे-हाई क्यों प्रसिद्ध है ? इस पर प्रकाश डालिए।
या
भारत में खनिज तेल के उत्पादन क्षेत्रों का वर्णन कीजिए। [2016]
या
भारत में खनिज तेल के वितरण एवं उपयोग का वर्णन कीजिए। [2016]
उत्तर :

ऊर्जा या शक्ति के संसाधन

जिन पदार्थों से मनुष्य को अपने विभिन्न कार्यों एवं गतिविधियों को चलाने के लिए ऊर्जा प्राप्त होती है, उन्हें ऊर्जा या शक्ति के संसाधन कहा जाता है।

खनिज तेल की उपयोगिता/महत्त्व

खनिज तेल ऊर्जा का दूसरा महत्त्वपूर्ण संसाधन है। इसे पेट्रोलियम भी कहा जाता है। प्राकृतिक वनस्पति एवं जीवों के बड़ी मात्रा में कीचड़, मिट्टी, बालू आदि में दबे रहने पर उन पर ताप, दबाव, रासायनिक, जीवाणु एवं रेडियो-सक्रियता आदि क्रियाओं के फलस्वरूप करोड़ों वर्षों की अवधि में खनिज तेल की उत्पत्ति होती है। भूगर्भ से प्राप्त खनिज तेल में कई अशुद्धियाँ मिली होती हैं। अत: प्रयोग से पहले इसे तेल-शोधनशालाओं में (UPBoardSolutions.com) साफ करने के लिए ले जाया जाता है। इसे साफ कर पेट्रोल, ईथर, बेंजीन, गैसोलीन, मिट्टी का तेल, मशीनों को चिकना करने का तेल, मोम, फिल्म, प्लास्टिक, वार्निश, पॉलिश, मोमबत्ती, वैसलीन आदि लगभग 5,000 पदार्थ प्राप्त होते हैं। इनका उपयोग यातायात साधनों-मोटर, वायुयान, जलयान, रेले एवं उद्योग-धन्धों आदि में ईंधन के रूप में किया जाता है।

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खनिज तेल उत्पादक-क्षेत्र

1. असोम–

  • डिगबोई तेल-क्षेत्र – इस तेल-क्षेत्र का विस्तार टीपम पहाड़ियों के पूर्वोत्तर में लखीमपुर जिले में है, जो 13 किमी लम्बे एवं 1 किमी चौड़े क्षेत्र में विस्तृत है। यहाँ 300 से 1,200 मीटर की गहराई के 800 तेल के कुएँ हैं। तेल निकालने का कार्य असम तेल कम्पनी द्वारा किया जाता है। प्रमुख तेल के कुएँ बप्पापाँग, हस्सापाँग, डिगबोई एवं पानीटोला हैं।
  • सुरमा नदी-घाटी तेल-क्षेत्र – इस नदी-घाटी में हल्की श्रेणी का तेल दक्षिण में बदरपुर एवं पथरिला में निकाला जाता है। दूसरा प्रमुख क्षेत्र मसीमपुर में स्थित है, जहाँ लगभग 18,000 मीटर की गहराई से तेल निकाला जा रहा है।
  • नाहरकटिया तेल-क्षेत्र – इस क्षेत्र में 1953 ई० से तेल का उत्पादन प्रारम्भ किया गया था। इस स्थान की स्थिति डिगबोई से 40 किमी दक्षिण-पश्चिम में दिहिंग नदी के किनारे है, यहाँ 4,000 से 5,000 मीटर की गहराई तक तेल के कुएँ खोदे गये हैं, जिनकी उत्पादन क्षमता 25 लाख टन तेल निकालने की है। इस क्षेत्र में अब तक 80 से अधिक कुएँ खोदे जा चुके हैं, जिनमें से 60 में तेल प्राप्त हुआ है तथा 4 में गैस मिली है।
  • हुगरीजन-मोरेन तेल-क्षेत्र – इसकी स्थिति नाहरकटिया से 40 किमी दक्षिण-पश्चिम में है। यहाँ 29 कुओं में से 22 में तेल के साथ प्राकृतिक गैस भी प्राप्त होती है।
  • रुद्रसागर एवं लकवा तेल-क्षेत्र – इस तेल-क्षेत्र का विस्तार मोरेन तेल (UPBoardSolutions.com)-क्षेत्र के दक्षिण में शिवसागर जिले में है। तेल एवं प्राकृतिक गैस आयोग और ऑयल इण्डिया ने ब्रह्मपुत्र नदी की घाटी में 1961 ई० में रुद्रसागर और 1965 ई० में लकवा नामक स्थानों पर तेल की खोज का कार्य किया। रुद्रसागर का वार्षिक उत्पादन 4 लाख टन एवं लकवा का 6 लाख टन अनुमानित किया गया है।

2. गुजरात-

  • अंकलेश्वर तेल-क्षेत्र – इस तेल-क्षेत्र का पता 1958 ई० में चला। यह नर्मदा नदी पर बड़ौदा से 44 किमी दक्षिण-पश्चिम में स्थित है। यहाँ तेल एवं प्राकृतिक गैस का उत्पादन लगभग 1,200 मीटर की गहराई से किया जाता है। इसका वार्षिक उत्पादन 20 लाख टन है। इसमें मिट्टी का तेल एवं गैसोलीन की अधिकता होती है।
  • खम्भात या लुनेज तेल-क्षेत्र – यह तेल-क्षेत्र खम्भात की खाड़ी के ऊपरी सिरे पर बड़ोदरा से 60 किमी पश्चिम में बाडसर में स्थित है। यहाँ 1969 ई० तक 62 कुओं की खुदाई की गयी, जिनमें से 43 में तेल तथा 19 से गैस प्राप्त हुई है। इस क्षेत्र से प्रतिदिन 6 लाख़ घन मीटर प्राकृतिक, गैस प्राप्त होती है।
  • अहमदाबाद-कलोल-तेल-क्षेत्र – इस तेल-क्षेत्र की स्थिति अहमदाबाद के पश्चिम में है। कलोल, नवगाँव, कोसम्बा, कोथना, मेहसाना, सानन्द, बेचराजी, बकरोल, कादी, वासना, धोलका, बावेल, ओल्पाद्, सोभासन आदि स्थानों पर तेल प्राप्त हुआ है।

3. अपतटीय क्षेत्र—

  • अलियाबेट तेल-क्षेत्र – सौराष्ट्र में भावनगर से 45 किमी दूर अरब सागर में स्थित अलियाबेट द्वीप में भी नये तेल-भण्डारों का पता चला है। खम्भात के निकट गैस प्राप्त हुई है।
  • बॉम्बे-हाई तेल-क्षेत्र – महाराष्ट्र राज्य में महाद्वीपीय समुद्रमग्न तटीय क्षेत्र पर मुम्बई महानगर से उत्तर-पश्चिम में 176 किमी की दूरी पर अरब सागर में यह तेल-क्षेत्र स्थित है। यहाँ 1976 ई० से तेल का व्यावसायिक उत्पादन किया जा रहा है। यहाँ ‘सागर सम्राट’ नामक जापानी जल मंच है (Platform) की सहायता से 1,415 मीटर की गहराई से तेल निकाला जाता है। यह देश का सबसे बड़ा तेल उत्पादन-क्षेत्र है, जो देश के 60% से अधिक तेल का उत्पादन करता है।
  • बेसीन तेल-क्षेत्र – इसकी स्थिति बॉम्बे-हाई के दक्षिण में है। इसका पता वर्तमान में ही चला है। यहाँ पर तेल की प्राप्ति 1,900 मीटर की गहराई से हुई है।

4. नवीन तेल-क्षेत्र- सन् 1980 ई० के दशक में तेल एवं प्राकृतिक गैस आयोग (ONGC) तथा ऑयल इण्डिया लि० (OIL) के सम्मिलित प्रयासों से तेल की खोज सर्वेक्षण द्वारा कावेरी तथा कृष्णागोदावरी बेसिनों तथा अपतटीय क्षेत्रों में तेल की प्राप्ति हुई। गुजरात के गान्धार (UPBoardSolutions.com) तेल-क्षेत्र तथा मुम्बई अपतटीय क्षेत्रों में हीरा, पन्ना, ताप्ती, दमन अपतटीय, दक्षिणी बेसिन तथा नीलम क्षेत्रों में भी तेल प्राप्त हुआ। 1987-89 ई० के दौरान असोम में बोरबिल, दिरोई तथा हपजन में तेल तथा अरुणाचल प्रदेश | में कुमचई में तेल तथा गैस प्राप्त हुए हैं।

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भावी सम्भावनाएँ

ऊर्जा के संसाधनों में खनिज तेल का व्यापक महत्त्व है, क्योंकि इसमें कोयले की अपेक्षा ताप-शक्ति कई गुना अधिक होती है। वर्तमान में कारखानों में इंजनों को चलाने में, भट्टियों को ताप-शक्ति देने, मोटरगाड़ियों, रेलगाड़ियों, जलयानों एवं वायुयानों को चलाने के लिए खनिज तेल की संसाधन के रूप में उपयोगिता दिनों-दिन बढ़ती जा रही है। यद्यपि ओ०एन०जी०सी० और ओ०आई०एल० की स्थापना के बाद इनके अलग-अलग और संयुक्त प्रयासों से असोम, अरुणाचल प्रदेश, गुजरात, बॉम्बे हाई, खम्भात की खाड़ी आदि के अतिरिक्त अनेक तेल के भण्डारों की खोज की गयी, तथापि देश की माँग को देखते हुए देश को एक बड़े रूप में तेल का आयात प्रति वर्ष करना पड़ रहा है। भारत के आयात व्यापार के कुल मूल्य का लगभग 40% खनिज तेल ही होता है। देश में तेल की बढ़ती माँग को पूरा करने के लिए नवीन तेल-क्षेत्रों की खोज चल रही है। अण्डमान एवं निकोबार द्वीप समूहों, राजस्थान तथा गांगेय घाटी में सुदूर संवेदी तकनीक का प्रयोग करते हुए तेल की खोज जारी है।

तेलशोधक कारखाने

पृथ्वी से जो खनिज तेल प्राप्त होता है, वह अशुद्ध होता है। इसे तेलशोधनशालाओं में साफ किया जाता है। स्वतन्त्रता-प्राप्ति से पूर्व देश में एकमात्र तेलशोधनशाला डिगबोई में थी। वर्तमान समय में देश में 18 तेलशोधनशालाएँ हैं, जो देश में प्राप्त तथा विदेशों से आयातित अशुद्ध तेल का शोधन करती हैं। इनमें 17 तेलशोधनशालाएँ सार्वजनिक क्षेत्र में तथा 1 रिलायन्स इण्डस्ट्रीज लि० निजी क्षेत्र में है। ये डिगबोई (असोम), गुवाहाटी (गौहाटी), बोंगई गाँव (असोम), ट्रॉम्बे-I एवं II (महाराष्ट्र), विशाखापत्तनम् (आन्ध्र प्रदेश), चेन्नई (तमिलनाडु), बरौनी (बिहार), कोयली (गुजरात), कोच्चि (केरल), नूनामती (असोम), नुमालीगढ़ (असोम), (UPBoardSolutions.com) कावेरी (तमिलनाडु), हल्दिया (प० बंगाल), मथुरा (उत्तर प्रदेश), करनाल (हरियाणा) तथा मंगलौर (कर्नाटक) में स्थापित हैं। बरौनी, नूनामती, बोंगई गाँव, कोयली, डिगबोई एवं ट्रॉम्बे की तेलशोधनशालाएँ देश में उत्पादित तेल का शोधन करती हैं तथा शेष विदेशों से आयातित तेल का।

प्रश्न 3.
भारत में परमाणु शक्ति के उत्पादन का वर्णन निम्नलिखित शीर्षकों में कीजिए
(क) उत्पादन केन्द्र तथा (ख) महत्त्व।
या
भारत के किन्हीं पाँच परमाणु ऊर्जा केन्द्रों का वर्णन कीजिए। [2010, 11]
या
भारत में परमाणु ऊर्जा केन्द्र कहाँ-कहाँ स्थापित हैं ? [2011]
उत्तर :
(क) उत्पादन केन्द्र – भारत में प्रथम परमाणु रिएक्टर अप्सरा 4 अगस्त, 1956 ई० को कार्यान्वित कर लिया गया था। दूसरा रिएक्टर कनाडा-भारत रिएक्टर नाम से जून, 1959 ई० से कार्य करने लगा था। इसकी उत्पादन क्षमता 40 मेगावाट शक्ति की थी। ध्रुव नामक एक अन्य रिएक्टर 100 मेगावाट की उत्पादन क्षमता को अगस्त, 1985 ई० में पूर्ण कर लिया गया था। भारत में परमाणु शक्ति विद्युत उत्पादन में निम्नलिखित राज्यों का महत्त्वपूर्ण योगदान है

  1. महाराष्ट्र – सन् 1960 ई० में मुम्बई के निकट तारापुर नामक स्थान पर एक परमाणु शक्ति-गृह स्थापित किया गया। यहाँ 2 X 160 मेगावाट क्षमता के विद्युत शक्ति-गृह स्थापित हैं।

  2. राजस्थान – इस राज्य में कोटा में रावतभाटा स्थान पर एक रिएक्टर की दो इकाइयाँ 440 मेगावाट शक्ति की लगायी गयी हैं। इनमें यूरेनियम तथा हल्के जल का उपयोग किया जाता है।

  3. तमिलनाडु – तमिलनाडु राज्य में चेन्नई के निकट कलपक्कम नामक स्थान पर (UPBoardSolutions.com) एक परमाणु केन्द्र स्थापित किया गया है। इसमें दो इकाइयाँ हैं, जिनकी उत्पादन क्षमता 470 मेगावाट है।

  4. उत्तर प्रदेश – इस राज्य में बुलन्दशहर जिले के नरौरा नामक स्थान पर 470 मेगावाट क्षमता के दो रिएक्टर लगाये गये हैं।

  5. एक अन्य रिएक्टर के निर्माण का कार्य गुजरात में काकरापारा में किया गया। इसकी उत्पादन क्षमता 470 मेगावाट शक्ति की है, जिसमें दो रिएक्टरों ने कार्य प्रारम्भ कर दिया है। इसके अतिरिक्त कर्नाटक में कैगा स्थान पर 470 मेगावाट क्षमता का परमाणु शक्ति-गृह स्थापित किया गया है। वर्तमान समय में देश में कुल 14 परमाणु ऊर्जा रिएक्टर काम कर रहे हैं, जिनकी कुल उत्पादन-क्षमता 2,720 मेगावाट है।

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(ख) महत्त्व – भारत में उत्तमकोटि के कोयले और खनिज तेल की कमी है। अत: परमाणु शक्ति द्वारा इस कमी को पूरा किया जा सकता है। परमाणु शक्ति एक आदर्श विकल्प है, जिसका उत्पादन प्रदूषण की समस्या भी पैदा नहीं करता है। भारत कुछ परमाणु-खनिजों में धनी है। बिहार के सिंहभूम और राजस्थान के कुछ भागों में यूरेनियम की खाने हैं। केरल के तट पर पाया जाने वाला मोनोजाइट बालू, परमाणु ऊर्जा का साधन है। भारत में परमाणु विद्युत उत्पादन की प्रतिशत वृद्धि सन्तोषप्रद है। देश की कुल विद्युत उत्पादनक्षमता में अभी नाभिकीय ऊर्जा का अंश मात्र 3% है, परन्तु इसकी भावी सम्भावनाएँ बहुत अधिक हैं। कुल (UPBoardSolutions.com) विद्युत उत्पादन संयन्त्रों में नाभिकीय संयन्त्रों का हिस्सा 4% है। परमाणु ऊर्जा केन्द्र ऐसे स्थानों पर भी सरलता से स्थापित किये जा सकते हैं, जहाँ शक्ति के दूसरे संसाधन या तो हैं ही नहीं या उनकी अत्यधिक कमी है। भारत परमाणु ऊर्जा के शान्तिपूर्ण उपयोगों; जैसे—चिकित्सा और कृषि के लिए। प्रतिबद्ध है।

प्रश्न 4.
परम्परागत ऊर्जा संसाधन से आप क्या समझते हैं ? परम्परागत ऊर्जा संसाधनों के स्रोतों का वर्णन कीजिए।
या
परम्परागत ऊर्जा के संसाधन क्या हैं? इनके दो प्रमुख संसाधनों का वर्णन भी कीजिए।
उत्तर :

परम्परागत ऊर्जा संसाधन

परम्परागत स्रोत ऊर्जा के वे स्रोत हैं, जो प्रयोग के पश्चात् समाप्त हो जाते हैं। इसलिए इन्हें अनव्यकरणीय, समापनीय या क्षयशील स्रोत भी कहा जाता है।

परम्परागत ऊर्जा संसाधन के स्रोत

ऊर्जा के परम्परागत साधनों अथवा स्रोतों में से प्रमुख का विवरण निम्नलिखित है
1. कोयला – भारत विश्व के कोयला उत्पादक देशों में छठा स्थान रखता है। अनुमानतः भारत में 250 अरब टन कोयले के सुरक्षित भण्डार हैं। क्षेत्र–भारत का समस्त कोयला गोण्डवाना क्षेत्र (पश्चिम बंगाल, बिहार, ओडिशा और मध्य प्रदेश) तथा टर्शियरी क्षेत्र (कच्छ, आन्ध्र प्रदेश, तमिलनाडु और राजस्थान) में पाया जाता है।
2. खनिज तेल ( पेट्रोलियम) – आज के भौतिक युग की मुख्य संचालन-शक्ति पेट्रोलियम ही है। क्षेत्र–खनिज तेल के उत्पादन में भारत का विश्व में बारहवाँ स्थान है। यहाँ संसार का केवल 0.5% खनिज तेल ही उत्पन्न किया जाता है। भारत में मुख्य रूप से असोम, गुजरात तथा बॉम्बे-हाई में तेल-क्षेत्र स्थित हैं। वर्तमान समय में भारत में तेल की 18 तेलशोधक इकाइयाँ (रिफाइनरी) कार्यरत,
3. जल-विद्युत शक्ति – भारत में शक्ति के साधनों में जल-विद्युत का विशेष महत्त्व है। यहाँ जल-शक्ति का असीमित भण्डार उपलब्ध है। अनुमान है कि जल-शक्ति के द्वारा भारत में 4 करोड़ किलोवाट से भी अधिक विद्युत शक्ति उत्पन्न की जा सकती है।
क्षेत्र – भारत में जल-विद्युत शक्ति उत्पादक क्षेत्रों का विवरण निम्नलिखित है

  • महाराष्ट्र – यह जल-विद्युत उत्पादन में अग्रणी है। टाटा जलविद्युत (तीन शक्ति-गृह), भिवपुरी, खोपोली, मीरा, कोयना, पूर्णा, वैतरणा, भटनगर-बीड़ आदि मुख्य जल-विद्युत केन्द्र हैं।
  • कर्नाटक – विद्युत शक्ति का उत्पादन सर्वप्रथम इसी राज्य में हुआ था। कावेरी पर शिवसमुद्रम्, शिमला, जोग, तुंगभद्रा, शरावती आदि प्रमुख जल-विद्युत योजनाएँ हैं।
  • तमिलनाडु – पायकारा, कावेरी पर मैटूर, ताम्रपर्णी पर पापानासम्, मोयार, कुण्डा, पेरियार, परम्बिकुलम्, अलियार प्रमुख परियोजनाएँ हैं।
  • पंजाब व हिमाचल प्रदेश – मण्डी, गंगुछाल, कोटला, भाखड़ा तथा II, बैरासिडल, चमेरा आदि।
  • केरल – पल्लीवासल, सेंगुलम्, शोलयार, पोरिंगलकुथु, नेरियामंगलम्, पोन्नियार, शबरीगिरि, इडुक्की, कट्टियाडी आदि प्रमुख जलविद्युत परियोजनाएँ हैं।
  • उत्तर प्रदेश – ऊपरी गंग नहर पर ‘गंगा इलेक्ट्रिक ग्रिड’ महत्त्वपूर्ण है, जिसके अन्तर्गत पथरी, मुहम्मदपुर, निरगाजनी, चितौरा, सलावा, भोला, पल्हेड़, सुमेरा आदि स्थानों पर कृत्रिम बाँध बनाकर जल- विद्युत का विकास किया गया है। रिहन्द, माताटीला, (UPBoardSolutions.com) यमुना हाइडिल, रामगंगा जल विद्युत परियोजनाएँ भी उल्लेखनीय हैं।
  • जम्मू-कश्मीर – सिन्ध, झेलम, सलाल, चेनानी, दुलहस्री आदि मुख्य जल-विद्युत परियोजनाएँ हैं।

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4. अणु शक्ति या परमाणु बिजली – जिन खनिजों में रेडियोधर्मी तत्त्व पाये जाते हैं, उन्हें ‘परमाणु खनिज’ कहते हैं; जैसे-यूरेनियम, थोरियम, प्लूटोनियम, रेडियम आदि। इन खनिजों में परमाणुओं तथा अणुओं के विघटन से एक प्रकार का ताप या शक्ति उत्पन्न होती है, जिसे ‘परमाणु शक्ति’ कहा जाता है।
क्षेत्र – भारत में अणु शक्ति केन्द्र निम्नलिखित हैं—

  • ट्रॉम्बे अणु शक्ति केन्द्र,
  • तारापुर परमाणु शक्ति केन्द्र,
  • कोटा परमाणु शक्तिगृह,
  • इन्दिरा गांधी अणु शक्ति केन्द्र, कलपक्कम (चेन्नई),
  • नरौरा परमाणु शक्ति केन्द्र,
  • काकरापारा परमाणु शक्ति केन्द्र (गुजरात)।

प्रश्न 5.
गैर-परम्परागत ऊर्जा से आप क्या समझते हैं? भारत में गैर-परम्परागत ऊर्जा के संसाधनों का वर्णन कीजिए। [2014, 17]
उत्तर :

गैर-परम्परागत ऊर्जा स्रोतों का क्या अभिप्राय है? इन स्रोतों के दो महत्त्व लिखिए।
या
किन्हीं दो गैर-परम्परागत ऊर्जा स्रोतों का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
या
ऊर्जा के गैर-परम्परागत साधनों का महत्त्व लिखिए।
या
गैर-परम्परागत ऊर्जा के दो स्रोत बताइए। [2016, 17]
उत्तर :

गैरपरम्परागत ऊर्जा संसाधन

गैर-परम्परागत स्रोत ऊर्जा के वे स्रोत हैं जिनका प्रयोग बार-बार किया जा सकता है। इसलिए इन्हें नव्यकरणीय या असमापनीय स्रोत भी कहा जाता है।

गैर-परम्परागत ऊर्जा संसाधन के स्रोत

ऊर्जा के गैर-परम्परागत साधनों अथवा स्रोतों में से प्रमुख का विवरण निम्नलिखित है

1. सौर ऊर्जा – यह प्रदूषण मुक्त है। इसमें सूर्य के प्रकाश को ऊर्जा में बदला जाता है। सौर ऊर्जा का प्रयोग खाना बनाने, पानी गर्म करने, फसल सुखाने व गाँवों में विद्युतीकरण करने में किया जाता है। 31 मार्च, 1998 ई० तक 3.80 लाख वर्ग मीटर क्षेत्र में सौर ऊर्जा उपलब्ध करायी जा चुकी थी। सौर ऊर्जा के उपयोग से प्रति वर्ष 15 करोड़ किलोवाट घण्टे ऊर्जा की बचत हो रही है।

2. पवन ऊर्जा – 
भारत में पवन ऊर्जा की अनुमानित क्षमता 2 हजार मेगावाट है। ऊर्जा मन्त्रालय की । रिपोर्ट के अनुसार 31 मार्च, 1999 ई० तक देश में पवन ऊर्जा की स्थापित क्षमता 1,025 मेगावाट थी। पवन ऊर्जा के उत्पादन में भारत का विश्व (UPBoardSolutions.com) में चौथा स्थान है। गुजरात, महाराष्ट्र, ओडिशा एवं तमिलनाडु राज्य इस ऊर्जा उत्पादन के लिए प्रसिद्ध हैं।

3. बायो गैस –
देश में मार्च, 1999 ई० तक 2,850 लाख बायो गैस संयन्त्र स्थापित किये जा चुके थे, जो प्रत्येक वर्ष 410 लाख टन जैविक खाद का निर्माण कर रहे हैं। बायो गैस उत्पादन की तकनीक का प्रशिक्षण देने के लिए कोयम्बटूर, पूसा आदि में प्रशिक्षण केन्द्र खोले गये हैं।

4. भूतापीय ऊर्जा – 
भूतापीय ऊर्जा प्राकृतिक गर्म पानी के झरने या तालाब से संयन्त्र लगाकर प्राप्त की जाती है। हिमाचल प्रदेश में कुल्लू जिले के मणिकर्ण नामक स्थान पर भूतापीय ऊर्जा की पायलट परियोजना सफल सिद्ध हुई है।

5. नगरीय तथा औद्योगिक कूड़े-कचरे से ऊर्जा – 
नगरीय तथा औद्योगिक कूड़ा-कचरा पर्यावरण को दूषित करता है। इससे दिल्ली तथा मुम्बई जैसे महानगरों में ऊर्जा तैयार की जाती है।

6. ज्वारीय ऊर्जा – 
अनुमान है कि देश में ज्वारीय शक्ति से 8,000 से 9,000 मेगावाट क्षमता की ऊर्जा प्राप्त हो सकती है। खम्भात की खाड़ी, कच्छ की खाड़ी तथा सुन्दरवन इसके सम्भावित ऊर्जा क्षेत्र हैं।

7. लहर ऊर्जा –
समुद्री लहरों से देश में 40,000 मेगावाट क्षमता की ऊर्जा प्राप्त करने (UPBoardSolutions.com) की सम्भावना का आकलन किया गया है। केरल में तिरुवनन्तपुरम के निकट विजिंगम स्थान पर 150 मेगावाट क्षमता का संयन्त्र (प्लाण्ट) लगाया गया है।

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महत्त्व
ऊर्जा के गैर-परम्परागत संसाधनों का महत्त्व निम्नलिखित कारणों से है–

  • भारत एक उष्ण कटिबन्धीय देश है। यहाँ वर्ष के अधिकांश भाग में उच्च तापमान रहते हैं। अतः सौर ऊर्जा के विकास की अच्छी सम्भावनाएँ विद्यमान हैं। इसका प्रयोग घरों तथा सड़कों पर | प्रकाश-व्यवस्था, पानी गर्म करने, खाना पकाने, फसलें सुखाने आदि में किया जा सकता है।
  • भारत की तटरेखा विस्तृत है। यहाँ ज्वारीय तथा लहर ऊर्जा का (UPBoardSolutions.com) विकास सम्भव है। तटीय भागों में इस ऊर्जा का उपयोग किया जा सकता है।
  • कृषि उत्पादन अधिक होने से बायो गैस ऊर्जा का विकास सम्भव है। गन्ने की खोई तथा चावल के भूसे | को ऊर्जा-स्रोत के रूप में परिणत किया जा सकता है।
  • सघन एवं जनसंख्या होने के कारण देश में गोबर, मलमूत्र, कूड़े-कचरे आदि की अधिकता है। महानगरों में इसका व्यापक प्रयोग सम्भव है।

प्रश्न 6.
परमाणु ऊर्जा से आप क्या समझते हैं? इसकी किन्हीं पाँच विशेषताओं की विवेचना | कीजिए। [2013, 17]
उत्तर :

परमाणु ऊर्जा

भारत में कोयला और पेट्रोलियम के सीमित भण्डार हैं। इसलिए देश में इस बात की आवश्यकता हुई कि आणविक खनिजों की खोज करके ऊर्जा की प्राप्ति के नये साधने तलाशे जाएँ। जिन पदार्थों में रेडियोधर्मी तत्त्व पाये जाते हैं उन्हें परमाणु खनिज (Atomic Mineral) कहते हैं। जैसे-यूरेनियम, थोरियम, बेरीलियम, जिरकान, ग्रेफाइट, एण्टीमनी, प्लूटोनियम, चेरलाइट, जिरकोनियम, इल्मेनाइट आदि। इन खनिज पदार्थों में अणुओं और (UPBoardSolutions.com) परमाणुओं के विघटन से एक प्रकार की ऊर्जा निकलती है जिसे ‘परमाणु ऊर्जा (Atomic Energy) कहते हैं। एक पौंड यूरेनियम से जितनी ऊर्जा मिलती है उतनी 12 किग्रा कोयले से प्राप्त होती है। देश में ऊर्जा की बढ़ती हुई खपत के कारण परमाणु शक्ति बोर्ड ने विभिन्न स्थानों पर परमाणु ऊर्जा केन्द्रों की स्थापना की है।

परमाणु ऊर्जा का महत्त्व

परमाणु ऊर्जा की निम्न विशेषताओं के कारण इसका महत्त्व बढ़ गया है

  • परमाणु ऊर्जा में अपार क्षमता एवं शक्ति होती है।
  • परमाणु ऊर्जा के केन्द्र उन स्थानों पर बनाये जाते हैं जहाँ परमाणु ऊर्जा का ईंधन उपलब्ध नहीं है।
  • परमाणु ऊर्जा का सर्वव्यापी उपयोग सम्भव है।
  • ऊर्जा के अन्य साधनों की कमी को परमाणु ऊर्जा से पूरा किया जा सकता है।
  • चिकित्सा और कृषि के क्षेत्र में परमाणु ऊर्जा के शान्तिपूर्ण उपयोग में भारत का अग्रणी स्थान है।

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
शक्ति के संसाधन के रूप में खनिज तेल एवं प्राकृतिक गैस का संक्षिप्त विवरण लिखिए।
उत्तर :

खनिज तेल (पेट्रोलियम)

शक्ति के संसाधन के रूप में खनिज तेल का अत्यधिक महत्त्व है। कोयले द्वारा उत्पन्न ऊर्जा का प्रयोग केवल कारखानों तथा घरों में सम्भव है, किन्तु चालक शक्ति के रूप में परिवहन के साधनों में खनिज तेल ही अधिक उपयोगी है।

पेट्रोलियम का शाब्दिक अर्थ है-चट्टानी तेल। यह भूगर्भीय चट्टानों से निकाला जाता है। इसकी उत्पत्ति भूगर्भ में दबी हुई वनस्पति तथा जल-जीवों के रासायनिक परिवर्तन के फलस्वरूप हुई है। यह अवसादी शैलों में पाया जाता है। भूगर्भ से निकले कच्चे तेल में अनेक अशुद्धियाँ मिली होती हैं। इन अशुद्धियों का तेलशोधनशालाओं में रासायनिक क्रियाओं द्वारा शोधन किया जाता है। भारत में खनिज तेल के भण्डार सीमित ही हैं। भारत प्रति वर्ष लगभग (UPBoardSolutions.com) 30 मिलियन मी टन अशुद्ध खनिज तेल का उत्पादन करता है, जो उसकी कुल आवश्यकता को मात्र 60% पूरा कर पाता है। अतएव भारत को प्रति वर्ष खनिज तेल के आयात पर विदेशी मुद्रा का व्यय करना पड़ता है।

प्राकृतिक गैस
प्राकृतिक गैस के भण्डार सामान्यत: तेल-क्षेत्रों के साथ ही पाये जाते हैं। इस प्रकार गुजरात, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, आन्ध्र प्रदेश तथा ओडिशा के तटों से दूर तेल-क्षेत्रों में भी प्राकृतिक गैस के भण्डार मिले हैं। लेकिन तेल-क्षेत्रों से अलग केवल प्राकृतिक गैस के भण्डार त्रिपुरा और राजस्थान में खोजे गये हैं। इसका प्रयोग कुकिंग गैस के रूप में, उर्वरक उद्योग तथा विद्युत उत्पादन में किया जाता है। 2006-07 में देश में 30792 मिलियन घन मीटर प्राकृतिक गैस का उत्पादन हुआ। ऊर्जा संसाधनों की कमी वाले देशों के लिए प्राकृतिक गैस की उपलब्धि एक अमूल्य उपहार है।

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प्रश्न 2.
पवन ऊर्जा से आप क्या समझते हैं ? उदाहरण सहित स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
पवन ऊर्जा उन्हीं क्षेत्रों में प्राप्त की जा सकती है, जहाँ पवन की गति तीव्र हो तथा इसका प्रवाह सतत रूप से हो, अन्यथा पवन पंखों की गति में अवरोध आ सकता है। पवन-पंखों से विद्युत उत्पादन किया। जा सकता है, पवन-चक्कियाँ चलायी जा सकती हैं, जल खींचा जा सकता है तथा खेतों की सिंचाई भी की जा सकती है।

भारत में गुजरात, महाराष्ट्र, ओडिशा एवं तमिलनाडु राज्य पवन-ऊर्जा उत्पादन के लिए सर्वाधिक उपयुक्त एवं महत्त्वपूर्ण स्थान रखते हैं। भारत में लगभग 2,000 पवन-चक्कियाँ लगायी जा चुकी हैं और इस समय 3.63 मेगावाट विद्युत की संस्थापित क्षमता वाले 5 (UPBoardSolutions.com) पवन-क्षेत्र कार्य कर रहे हैं। इनसे अब तक 5 लाख यूनिट विद्युत का उत्पादन किया जा चुका है।

प्रश्न 3.
सौर ऊर्जा के विषय में आप क्या जानते हैं ? इसके किन्हीं दो लाभों का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
या
सौर ऊर्जा क्या है ? इसके विकास पर अधिक बल क्यों दिया जा रहा है ?
उत्तर :
सौर ऊर्जा, ऊर्जा का व्यापक रूप से उपलब्ध एवं नवीकरण योग्य स्रोत है। यह एक विशाल सम्भावनाओं वाला साधन है। इस सन्दर्भ में सौर चूल्हों का विकास एक उल्लेखनीय उपलब्धि है। इनसे लगभग बिना किसी खर्च के भोजन बनाया जा सकता है। लाखों सौर चूल्हे देश भर में प्रयोग में लाये जा रहे हैं। ग्रामीण क्षेत्रों के लिए छोटे और मध्यम दर्जे के सौर बिजलीघरों की भी योजना बनायी जा रही है। यह भविष्य की ऊर्जा का स्रोत है, क्योंकि खनिज तेल जैसे जीवाश्म ईंधन समाप्त तो होने ही हैं। सौर ऊर्जा के दो लाभ निम्नलिखित हैं

  • सौर ऊर्जा का प्रयोग खाना पकाने, पानी गर्म करने, फसल सुखाने, घरों में प्रकाश करने आदि कार्यों में किया जाता है।
  • यह ऊर्जा का नवीकरण योग्य, अक्षय तथा प्रदूषण-मुक्त स्रोत है। (UPBoardSolutions.com) इन्हीं कारणों से सौर ऊर्जा के विकास पर अत्यधिक बल दिया जा रहा है।

प्रश्न 4.
शक्ति के संसाधनों का संरक्षण क्यों आवश्यक है ?
या
हमारे देश में खनिज संसाधनों के संरक्षण की क्या आवश्यकता है ? इनके संरक्षण के क्या-क्या उपाय हैं ?
या
ऊर्जा संसाधनों का संरक्षण भारत में क्यों आवश्यक है? कोई तीन कारण बताइट। [2017]
उत्तर :
देश के औद्योगीकरण के लिए खनिज तथा ऊर्जा के संसाधनों की आवश्यकता होती है।
औद्योगीकरण के प्रसार के कारण खनिज तथा ऊर्जा के संसाधनों को तेजी से दोहन किया जा रहा है। निस्सन्देह खनिज हमारी राष्ट्रीय सम्पदा हैं। देश के आर्थिक विकास के लिए उनका दोहन आवश्यक है, किन्तु ये सभी साधन क्षयशील होते हैं। यदि उनको दोहन और प्रयोग इसी प्रकार जारी रहा तो वे हमेशा के लिए समाप्त हो जाएँगे। ऐसी स्थिति में खनिज संसाधनों के अन्धाधुन्ध शोषण को रोकना चाहिए तथा इस प्रकार उनको प्रयोग करना चाहिए, जिससे वे अधिकाधिक समय तक उपलब्ध होते रहे। इसी प्रक्रिया को संरक्षण कहते हैं।

देश में शक्ति संसाधनों की उपलब्धता, संचित भण्डार एवं भविष्य की सम्भावनाओं को ध्यान में रखते हुए उनका संरक्षण करना अति आवश्यक है। इस संरक्षण के लिए निम्नलिखित कारण उत्तरदायी रहे हैं|

  1. भारत में शक्ति संसाधनों के भण्डार अत्यन्त सीमित हैं। अत: इनका प्रयोग आवश्यक कार्यों में ही किया जाना चाहिए। कल-पुर्जा की नियमित ग्रीसिंग करते रहने से तेल की खपत कम होती है। यदि आवश्यक हो, तो पुरानी मशीनें बदलकर नई मशीनें लगाई जानी चाहिए।
  2. शक्ति संसाधनों; कोयला, खनिज तेल एवं प्राकृतिक गैस; की निरन्तर खोज करते रहना चाहिए।
  3. शक्ति संसाधन अत्यधिक ज्वलनशील पदार्थ होते हैं; इन्हें आग से बचाने के उपाय किए जाने चाहिए।
  4. ‘कोयले की खुदाई करते समय यह ध्यान रखा जाना चाहिए कि चूरा कम-से-कम हो। चूरे की टिकलियाँ बनाकर उन्हें उपयोग में लाया जाना चाहिए।
  5. कृषि, उद्योग एवं परिवहन साधनों तथा घरेलू कार्यों में शक्ति संसाधनों की माँग निरन्तर तेजी से बढ़ती जा रही है। अत: वैज्ञानिकों को वैकल्पिक शक्ति संसाधनों की खोज करने के प्रयास निरन्तर करते रहना चाहिए।
  6. पेट्रोलियम पदार्थ ढोने वाले टैंकरों एवं पाइप लाइन की नियमित (UPBoardSolutions.com) जाँच कराते रहना चाहिए। अनुमान लगाया गया है कि एक-एक बूंद का रिसाव होते रहने से एक वर्ष में 500 लीटर तक तेल नष्ट हो जाता है।
  7. कोयला खदानों में स्तम्भों के रूप में पर्याप्त कोयला व्यर्थ ही छोड़ दिया जाता है; अतः खदानों से सम्पूर्ण कोयले की खुदाई की जानी चाहिए। यदि आवश्यक रूप में कोयला बचता भी है तो उसकी टिकली बना देनी चाहिए।
  8. खाना पकाने की गैस (L.PG.), मिट्टी के तेल तथा विद्युत का ही अधिकाधिक उपयोग किया जाना चाहिए क्योंकि पेट्रोलियम के भण्डार सीमित हैं। इससे 15% तक पेट्रोल की बचत की जा सकती है।
  9. कोयला एवं पेट्रोलियम के भण्डार के उन्नत तरीकों को अपनाकर 15% तक ऊर्जा की बचत की जा सकती है। ऊर्जा संसाधनों के प्रयोग की प्रौद्योगिकी में सुधार कर उपभोग को सीमित किया जा सकता है।
  10. यद्यपि ऊर्जा के वैकल्पिक एवं स्थानापन्न संसाधनों के खोजने के वैज्ञानिक प्रयास किए गए हैं; परन्तु अभी तक कोई कारगर उपाय नहीं खोजा जा सका है। अत: इस ओर खोज एवं अनुसन्धानों को निरन्तर जारी रखने की आवश्यकता है।

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प्रश्न 5.
खनिज तेल संरक्षण किस प्रकार किया जा सकता है ?
या
खनिज तेल के संसाधनों के संरक्षण पर टिप्पणी लिखिए।
उत्तर :

खनिज तेल के संरक्षण के उपाय

खनिज तेल के संरक्षण के प्रमुख उपाय निम्नलिखित हैं

  • दोहन के ऐसे उपाय तथा तकनीक अपनानी चाहिए, जिससे खनन तथा परिष्करण के दौरान खनिजों की न्यूनतम हानि हो।
  • जहाँ तक हो सके क्षयशील संसाधनों के विकल्पों का प्रयोग करना चाहिए।
  • खनिज तेल और कोयले के विकल्प के रूप में जल-विद्युत तथा परमाणु ऊर्जा का उपयोग करना चाहिए।
  • खनिज तेल के प्रयोग की प्रौद्योगिकी में सुधार कर तेल के प्रयोग करने की (UPBoardSolutions.com) ऐसी विधि विकसित की जानी चाहिए, जिससे इसकी प्रयोग-क्षमता बढ़ जाए; अर्थात् उतने ही खनिज तेल की ऊर्जा से वर्तमान की अपेक्षा अधिक कार्य सम्पन्न किये जाएँ।
  • पेट्रोलियम जैसे ऊर्जा के स्रोतों के भण्डारण के उन्नत तरीकों को अपनाकर 15% तक ऊर्जा बचायी जा सकती है। अमेरिका, इंग्लैण्ड, जापान आदि देशों ने इसमें सफलता प्राप्त की है।
  • भूगर्भ से तथा समुद्र तल से खनिज तेल को निकालने के समय होने वाली इसकी बर्बादी को रोका जा सकता है। तेल के शोधन में उन्नत तकनीकी को अपनाकर भी तेल की बरबादी को रोका जा सकता है।
  • तेल के टैंकों तथा तेल की पाइप लाइनों को नियमित रूप से चैक करना चाहिए कि कहीं से तेल रिसाव तो नहीं हो रहा है, क्योकि बूंद-बूंद तेल के रिसाव से भी एक वर्ष में 500 लिटर तेल बरबाद हो जाता है। तेल के विकल्पों की खोज करने के भी प्रयास होने चाहिए। यदि तेल का अभिपूरक प्राप्त हो जाए तो तेल का संरक्षण स्वतः हो जाएगा।

प्रश्न 6.
भारत में परमाणु ऊर्जा के विकास का विवरण दीजिए।
उत्तर :
भारत में परमाणु ऊर्जा के प्रणेता डॉ० होमी जहाँगीर भाभा थे। सन् 1948 ई० में देश में परमाणु ऊर्जा आयोग का गठन किया गया। सन् 1954 ई० में ट्रॉम्बे (महाराष्ट्र) में भाभा परमाणु शोध संस्थान की स्थापना की गयी।

भारत में परमाणु ऊर्जा कार्यक्रम के विकास के तीन चरण हैं
प्रथम चरण (1948-56 ई०) में ‘अप्सरा’ नामक रियेक्टर की स्थापना की गयी।
द्वितीय चरण (1956-66 ई०) में अनेक तकनीकी सुविधाएँ विकसित की गयीं।
तृतीय चरण (1966 ई० के बाद) में देश में विविध स्थलों पर परमाणु शक्ति केन्द्र स्थापित किये गये। देश का प्रथम परमाणु शक्ति केन्द्र मुम्बई के निकट तारापुर (महाराष्ट्र) में 1969 ई० में स्थापित किया गया। द्वितीय परमाणु शक्ति केन्द्र कोटा के निकट रावतभाटा (राजस्थान) में स्थापित किया गया। तीसरा केन्द्र चेन्नई के निकट कलपक्कम (तमिलनाडु) में और चौथा केन्द्र बुलन्दशहर के निकट नरौरा (उत्तर प्रदेश) में स्थापित किया गया। काकरापारा (गुजरात) तथा कैगा (कर्नाटक) में भी परमाणु शक्ति केन्द्र कार्य कर रहे हैं। वर्तमान समय में देश में कुल चौदह परमाणु ऊर्जा रियेक्टर काम कर रहे हैं, जिनकी कुल उत्पादन-क्षमता (UPBoardSolutions.com) 2,720 मेगावाट है।

प्रश्न 7.
शक्ति के प्राचीन संसाधन’कोयले के संरक्षण के लिए क्या उपाय अपनाये जाने चाहिए?
उत्तर :
ऊर्जा के संसाधनों में कोयला अत्यन्त पुराना संसाधन है। सैकड़ों वर्षों से कोयले का उपयोग ऊर्जा के स्रोत के रूप में किया जा रहा है, जबकि विश्व में इसके भण्डार सीमित हैं। अत: इसके संरक्षण के . लिए निम्नलिखित उपाय अपनाये जाने चाहिए

  • कोयले की खानों में आग लगने, खान की छत गिरने अथवा खान में पानी भरने से कोयले के भण्डारों को भारी हानि पहुँचती है। अत: खनन-तकनीकी में सुधार कर इन हानियों को रोका जा सकता है।
  • कोयले से ताप व ऊर्जा प्राप्त करने की तकनीकी को भी अधिक विकसित करके इसका संरक्षण किया जा सकता है।
  • कभी-कभी कोयले की खानों में गैसें भरने के कारण विस्फोट हो जाते हैं। यदि इन विस्फोटों से खानों को बचाने के उपाय विकसित किये जाएँ तो कोयले के भण्डार सुरक्षित रहेंगे।
  • जल-विद्युत कभी न समाप्त होने वाला ऊर्जा संसाधन है। अतः इसका उपयोग बढ़ाकर कोयले का उपयोग सीमित किया जाए। उदाहरण के लिए पहले रेलें कोयले व डीजल से ही चलती थीं, किन्तु अब अनेक मार्गों पर जल-विद्युत से रेनें चलायी जाती हैं।
  • ईंधन के रूप में भी कोयले का प्रयोग घटाकर उसके स्थान पर सौर ऊर्जा, प्राकृतिक गैस तथा गोबर गैस का उपयोग बढ़ाया जाना चाहिए।
  • कोयले की खुदाई करते समय ऐसा प्रयास करना चाहिए कि (UPBoardSolutions.com) चूरा कम-से-कम हो। कोयले के चूरे को भी उपयोग में लाना चाहिए।
  • खदानों में कोयला स्तम्भों के रूप में पर्याप्त मात्रा में छोड़ दिया जाता है। खदानों से कोयले की अधिकाधिक मात्रा का खनन कर लेना चाहिए।
  • कोयले की दहन-भट्टियाँ खुली नहीं होनी चाहिए तथा उनकी चिमनियाँ ऊँची होनी चाहिए। कोयले से तापीय ऊर्जा प्राप्त करने की तकनीकी को भी अधिक उन्नत करके कोयले का संरक्षण किया जा सकता है।

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प्रश्न 8.
ऊर्जा के परम्परागत तथा गैर-परम्परागत साधनों की तुलना कीजिए।
उत्तर :
परम्परागत तथा गैर-परम्परागत साधनों की तुलना निम्नवत् है
UP Board Solutions for Class 10 Social Science Chapter 7 ऊर्जा संसाधन 1

अतिलघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
ऊर्जा संसाधन का क्या महत्त्व है ? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
जिन पदार्थों से मनुष्य को अपने विभिन्न कार्यों एवं गतिविधियों को चलाने के लिए ऊर्जा प्राप्त होती है, उन्हें ऊर्जा संसाधन कहते हैं। मनुष्य का कोई भी कार्य ऊर्जा संसाधनों के बिना पूरा नहीं हो सकता।

प्रश्न 2.
ऊर्जा या शक्ति के संसाधन से क्या अभिप्राय है ? [2009, 17]
उत्तर :
जिन पदार्थों से मनुष्य को ऊर्जा की प्राप्ति होती है; अर्थात् ऐसे पदार्थ जिनसे परिवहन व उद्योगों को चालक-शक्ति प्राप्त होती है; ऊर्जा या शक्ति के साधन कहलाते हैं।

प्रश्न 3 .
ऊर्जा के चार परम्परागत स्रोतों के नाम लिखिए।
या
ऊर्जा के किन्हीं दो संसाधनों पर प्रकाश झलिए। [2013]
उत्तर :
ऊर्जा के चार परम्परागत स्रोतों के नाम हैं

  • कोयला,
  • पेट्रोलियम,
  • परमाणु खनिज तथा
  • जल-शक्ति।

प्रश्न 4.
ऊर्जा के चार गैर-परम्परागत स्रोतों के नाम लिखिए।
उत्तर :
ऊर्जा के चार गैर-परम्परागत स्रोतों के नाम हैं

  • सौर ऊर्जा,
  • भू-तापीय ऊर्जा,
  • पवन ऊर्जा तथा
  • ज्वारीय ऊर्जा।

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प्रश्न 5.
सौर ऊर्जा के दो गुण लिखिए। या सौर ऊर्जा के दो महत्त्व बताइट। [2015]
उत्तर :
सौर ऊर्जा के दो गुण निम्नलिखित हैं— 

  • यह ऊर्जा का अक्षय स्रोत तथा नवीकरण योग्य साधन है,
  • यह प्रदूषण-मुक्त है।

प्रश्न 6.
भारत के पूर्वी तट पर स्थित दो तेलशोधनशालाओं के नाम लिखिए।
उत्तर :
भारत के पूर्वी तट पर स्थित दो तेलशोधनशालाएँ हैं

  • डिगबोई (असोम) तथा
  • हल्दिया (पश्चिम बंगाल)।

प्रश्न 7.
भारत के चार परमाणु शक्ति केन्द्रों के नाम बताइए। वे किन राज्यों में स्थित हैं? [2011]
या

भारत में किन्हीं दो परमाणु ऊर्जा केन्द्रों के नाम लिखिए। [20:6, 18]
उत्तर :
भारत के चार परमाणु शक्ति केन्द्र निम्नलिखित हैं

  • तारापुर–महाराष्ट्र
  • रावतभाटा-राजस्थान
  • कलपक्कम (UPBoardSolutions.com) तमिलनाडु
  • नरौरा–उत्तर प्रदेश।

प्रश्न 8.
परमाणु ऊर्जा में प्रयोग होने वाले खनिजों के नाम लिखिए। भारत में वे कहाँ मिलते हैं?
उत्तर :
परमाणु ऊर्जा में प्रयुक्त होने वाले खनिज और जिन राज्यों में वे पाये जाते हैं, उनके नाम हैं

  • यूरेनियम–बिहार और राजस्थान में।
  • थोरियम, बेरिलियम, ग्रेफाइट, मोनोजाइट–केरल की समुद्रतटीय रेत में।
  • चेरोलाइट तथा जिरकोनियम- बिहार में।

प्रश्न 9.
डिगबोई किस खनिज से सम्बन्धित है ?
उत्तर :
डिगबोई खनिज तेल पेट्रोलियम के परिष्करण से सम्बन्धित है।

प्रश्न 10.
भारत की कोई चार तेलशोधनशालाओं के नाम लिखिए।
उत्तर :
भारत की चार तेलशोधनशालाओं के नाम हैं

  • ट्रॉम्बे-! (मुम्बई के समीप महाराष्ट्र),
  • विशाखापत्तनम् (UPBoardSolutions.com) (आन्ध्र प्रदेश),
  • बरौनी (बिहार) तथा
  • मथुरा (उत्तर प्रदेश)।

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प्रश्न 11.
भारत के खनिज तेल उत्पादन के दो क्षेत्रों का नाम व स्थिति सहित उल्लेख कीजिए।
या
भारत में पेट्रो-रसायन के किन्हीं दो केन्द्रों के नाम लिखिए।
उत्तर :
भारत के खनिज तेल उत्पादन के दो क्षेत्रों के नाम हैं

  • बॉम्बे हाई अपतटीय क्षेत्र-मुम्बई से 120 किमी दूर गहरे सागर में स्थित।
  • अंकलेश्वर (गुजरात, नर्मदा नदी पर बड़ौदा से 44 किमी दक्षिण-पश्चिम में स्थित)।

प्रश्न 12.
‘काला सोना’ और ‘तरल सोना’ किसे कहते हैं ?
उत्तर :
कोयले क़ो ‘काला सोना और खनिज तेल को ‘तरल सोना’ कहा जाता है।

प्रश्न 13.
परमाणु खनिज किसे कहते हैं ?
उत्तर :
जिन खनिजों से परमाणु शक्ति की उत्पत्ति होती है, उन्हें परमाणु खनिज कहते हैं।

प्रश्न 14.
दो शक्ति के संसाधनों के नामों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर :

  • कोयला,
  • पेट्रोलियम पदार्थ।

प्रश्न 15.
खनिज तेल को शोधनशालाओं में किन-किन साधनों से भेजा जाता है?
उत्तर :
खनिज तेल को शोधनशालाओं (UPBoardSolutions.com) में टैंकरों व पाइप लाइनों से भेजा जाता है।

बहुविकल्पीय प्रश्न

1. ऊर्जा का नवीकरण संसाधन है,
(क) परमाणु ऊर्जा
(ख) जल विद्युत
(ग) कोयला
(घ) पेट्रोलियम

2. रानीगंज कोयले की खान किस प्रदेश में है? [2011]
(क) बिहार में
(ख) प० बंगाल में
(ग) ओडिशा में
(घ) मध्य प्रदेश में

3. जीवाश्म ईंधन का उदाहरण है
(क) कोयला
(ख) परमाणु खनिज
(ग) जल ऊर्जा
(घ) भूतापीय ऊर्जा

4. पवन ऊर्जा का उत्पादन किस राज्य में होता है?
(क) गुजरात
(ख) हरियाणा
(ग) पंजाब
(घ) उत्तर प्रदेश

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5. कोटा परमाणु शक्ति केन्द्र किस प्रदेश में स्थित है?
(क) राजस्थान
(ख) तमिलनाडु
(ग) महाराष्ट्र
(घ) गुजरात

6. डिगबोई तेल क्षेत्र किस राज्य में है?
(क) त्रिपुरा
(ख) असोम
(ग) गुजरात
(घ) महाराष्ट्र

7. कलपक्कम में निम्नलिखित में से क्या स्थापित है? [2012]
(क) तेलशोधन केन्द्र
(ख) जल-विद्युत केन्द्र
(ग) परमाणु ऊर्जा केन्द्र
(घ) तापविद्युत केन्द्र

8. अंकलेश्वर प्रसिद्ध है [2012]
(क) कोयले के लिए।
(ख) खनिज तेल के लिए।
(ग) परमाणु ऊर्जा के लिए
(घ) जल-विद्युत के लिए

9. झरिया प्रसिद्ध है [2010, 16]
(क) कोयले के लिए
(ख) ताँबे के लिए।
(ग) बॉक्साइट के लिए,
(घ) लौह-अयस्क के लिए

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10. निम्नलिखित में से किससे मुम्बई हाई’ सम्बन्धित है? [2013]
(क) पर्वत शिखर
(ख) बन्दरगाह
(ग) खनिज तेल
(घ) पर्यटन

11. भारत में कोयला उत्पादन में प्रथम स्थान है [2017]
(क) झारखण्ड का
(ख) बिहार का
(ग) मध्य प्रदेश का
(घ) आन्ध्र प्रदेश का

12. निम्नलिखित में से कौन ऊर्जा संसाधन नहीं है? [2017]
(क) जल
(ख) पेट्रोलियम
(ग) कोयला
(घ) मैंगनीज

उत्तरमाला

1. (ख), 2. (ख), 3. (क), 4. (क), 5. (क), 6. (ख), 7. (ग), 8. (ख), 9. (क), 10. (ग), 11. (क), 12. (घ)

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UP Board Solutions for Class 10 Hindi लघु उत्तरीय प्रश्न

UP Board Solutions for Class 10 Hindi लघु उत्तरीय प्रश्न

These Solutions are part of UP Board Solutions for Class 10 Hindi. Here we have given UP Board Solutions for Class 10 Hindi लघु उत्तरीय प्रश्न.

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1
हिन्दी गद्य के प्राचीन रूप पर प्रकाश डालिए।
उत्तर
विद्वानों के अनुसार हिन्दी गद्य के प्राचीन प्रयोग ब्रजभाषा एवं राजस्थानी में मिलते हैं। इसी से हिन्दी गद्य का विकास हुआ है। राजस्थानी गद्य का आविर्भाव 13वीं शताब्दी से तथा ब्रजभाषा गद्य का आविर्भाव 16वीं शताब्दी से माना जाता है।

प्रश्न 2
‘नाटक’ किसे कहते हैं ? नाटक का अर्थ बताइए और यह भी स्पष्ट कीजिए कि नाटक को रूपक क्यों कहा जाता है ?
उत्तर
नाटक के पात्रों एवं घटनाओं का चित्रण किसी प्रसिद्ध पात्र की अनुकृति के (UPBoardSolutions.com) रूप में किया जाता है अर्थात् नाटक के पात्रों एवं घटनाओं पर किन्हीं अन्य व्यक्तियों एवं घटनाओं को आरोपित किया जाता है। ‘रूप’ के इस आरोप के कारण ही इसे ‘रूपक’ कहा जाता है।

प्रश्न 3
हिन्दी गद्य के इतिहास में भारतेन्दु युग के योगदान का वर्णन कीजिए।
या
हिन्दी गद्य के विकास में भारतेन्दु युग का महत्त्व बताइए।
उत्तर
भारतेन्दु से पूर्व हिन्दी गद्य का कोई निश्चित स्वरूप नहीं था। लेखकों की रचनाओं में या तो उर्दू-फारसी के शब्दों की प्रचुरता थी या फिर संस्कृत के तत्सम शब्दों की। यह भाषा जनता की भाषा नहीं थी। भारतेन्दु ने अपने गद्य में न तो अधिक संस्कृतनिष्ठ शब्दों का प्रयोग किया और न ही अधिक अरबीफारसी के शब्दों का, वरन् उन्होंने अपनी रचनाओं में सामान्य बोलचाल के शब्दों, मुहावरों, लोकोक्तियों को स्थान देकर हिन्दी गद्य को जीवन्त बनाया। इसी कारण जन-सामान्य ने इनकी रचनाओं को सहज भाव से स्वीकार कर लिया। इन्होंने हिन्दी में नाटक, उपन्यास, निबन्ध इत्यादि गद्य की विधाओं का सूत्रपात किया तथा तत्कालीन लेखकों को (UPBoardSolutions.com) विविध विषयों की रचना करने को प्रेरित किया।

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प्रश्न 4
हिन्दी गद्य के विकास में आचार्य महावीरप्रसाद द्विवेदी जी का क्या योगदान है ?
उत्तर
हिन्दी गद्य के विकास में आचार्य महावीरप्रसाद द्विवेदी जी की प्रमुख देन निम्नलिखित हैं

  1. द्विवेदी जी ने भाषा में व्याकरण सम्बन्धी अशुद्धियों, पद-विन्यास एवं वाक्य-विन्यास की अनियमितता को दूर किया।
  2. उन्होंने नये-नये लेखकों और कवियों को व्याकरणनिष्ठ और संयमित खड़ी बोली में लिखने के लिए प्रोत्साहित किया।
  3. उन्होंने अन्य भाषाओं के साहित्य का हिन्दी में अनुवाद कराया।
  4. भाषा के शब्द-भण्डार में वृद्धि की जिससे विविध प्रकार की भाषा-शैलियों (UPBoardSolutions.com) का जन्म हुआ, जिसके परिणामस्वरूप गद्य के विविध रूपों का विकास हुआ।

प्रश्न 5
हिन्दी गद्य-साहित्य के विकास में द्विवेदी युग का निर्धारण कीजिए। इस युग की भाषा-शैली पर एक संक्षिप्त टिप्पणी भी लिखिए।
उत्तर
हिन्दी गद्य-साहित्य के विकास में सन् 1900 से 1920 ई० तक के समय को ‘द्विवेदी युग कहते हैं। आचार्य महावीरप्रसाद द्विवेदी के प्रयासों के फलस्वरूप इस युग में हिन्दी गद्य का रूप परिमार्जित, साहित्यिक एवं परिनिष्ठित हो गया। द्विवेदी युग के हिन्दी गद्य की (UPBoardSolutions.com) भाषा शुद्ध, व्याकरणनिष्ठ एवं परिष्कृत है। इस युग की रचनाओं में संस्कृत के तत्सम एवं तद्भव शब्दों के साथ-साथ उर्दू एवं अंग्रेजी के शब्दों का प्रयोग भी मिलता है। विचारात्मक, पाण्डित्यपूर्ण, व्यंग्यात्मक, विश्लेषणात्मक, आवेगशील, चित्रात्मक आदि शैलियों के प्रयोग इस युग की प्रमुख विशेषताएँ हैं।

प्रश्न 6
‘जीवनी’ किसे कहते हैं ? जीवनी-साहित्य की विशेषताओं पर प्रकाश डालते हुए इसके आरम्भ का समय बताइए।
उत्तर
जब कोई लेखक किसी व्यक्ति के जन्म से लेकर उसकी मृत्यु तक की प्रमुख घटनाओं को क्रमबद्ध रूप में इस प्रकार चित्रित करता है कि उसका सम्पूर्ण व्यक्तित्व स्पष्ट हो उठे तो ऐसी रचना को ‘जीवनी’ कहते हैं। जीवनी-साहित्य की विशेषताओं में लेखक की तटस्थता, यथार्थ चित्रण, घटनाक्रम की क्रमबद्धता तथा उसके नायक के जीवन की प्रमुख घटनाओं का प्रस्तुतीकरण निहित होता है। हिन्दी में जीवनी-साहित्य का प्रादुर्भाव भारतेन्दु युग से माना जाता है।

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प्रश्न 7
‘कहानी’ किसे कहते हैं ? हिन्दी कहानी के विकास की रूपरेखा प्रस्तुत कीजिए।
या
‘ग्यारह वर्ष का समय’ के लेखक का नाम लिखिए।
उत्तर
‘कहानी’ गद्य-साहित्य की वह विधा है, जिसमें जीवन के किसी एक मार्मिक तथ्य या घटना को पात्रों, संवाद एवं घटनाक्रम के माध्यम से नाटकीय रूप में अभिव्यक्ति दी जाती है। ‘कहानी हमारे देश में प्राचीन काल से ही कही-सुनी जाती रही है। सर्वप्रथम पुराणों में कहानी के दर्शन होते हैं। मूलत: आख्यात्मक शैली में रचित होने के कारण इन्हें ‘आख्यायिका’ भी कहा जाता था। वृहत् कथा, बैताल पचीसी, सिंहासन बत्तीसी, कादम्बरी आदि इसी कोटि की रचनाएँ हैं। आधुनिक साहित्यिक कहानियों का उद्देश्य एवं शिल्प इस आख्यायिका से भिन्न है। इनमें कहानी को कथ्य, पात्रों एवं घटनाओं के चित्रण द्वारा कलात्मक (UPBoardSolutions.com) रूप से प्रस्तुत किया जाता है। इसका आरम्भ विधिवत् रूप से ‘सरस्वती’ पत्रिका के । प्रकाशन से अर्थात् सन् 1900 ई० से माना जाता है। किशोरीलाल गोस्वामी की कहानी ‘इन्दुमती’ हिन्दी की पहली मौलिक कहानी मानी जाती है। इसके बाद ‘ग्यारह वर्ष का समय’ (रामचन्द्र शुक्ल) और ‘दुलाई वाली’ आती हैं। प्रेमचन्द के समय में कहानियों का पूर्ण विकास हुआ।

प्रश्न 8
‘संस्मरण’ किसे कहते हैं ? संस्मरण एवं आत्मकथा के दो अन्तर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर
जब लेखक अपने निकट सम्पर्क में आने वाली विशिष्ट, विचित्र, प्रिय और आकर्षक घटनाओं, दृश्यों या व्यक्तियों को स्मृति के सहारे पुनः अपनी कल्पना में मूर्ति करके उनका शाब्दिक चित्रण करता है, तो उसे ‘संस्मरण’ कहते हैं। कल्पनाशीलता, यथार्थ चित्रण, संवेदनशीलता, अभिव्यक्ति की कुशलता आदि संस्मरण की विशेषताएँ हैं।

अन्तर–‘आत्मकथा’ में लेखक स्वयं के जीवन को चित्रित करता है, जबकि संस्मरण’ में वह किसी दूसरे व्यक्ति या वस्तु, घटना, दृश्य आदि का चित्रण करता है। आत्मकथा में आपबीती होती है, जबकि संस्मरण में अन्य व्यक्ति के व्यक्तित्व की विशेषताओं का वर्णन किया जाता है।

प्रश्न 9
‘आत्मकथा’ किसे कहते हैं ? इसकी विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
उत्तर
जब लेखक किसी कृति में अपने जीवन की प्रमुख घटनाओं को स्वयं लिपिबद्ध करता है तो उसे ‘आत्मकथा’ कहते हैं।

विशेषताएँ–घटनाओं की क्रमबद्धता, लेखक का आत्मनिरीक्षण से युक्त दृष्टिकोण, उसकी तटस्थता, घटना के समय उत्पन्न भावों एवं तत्कालीन प्रभावों की कुशल अभिव्यक्ति आदि आत्मकथासाहित्य की विशेषताएँ हैं।

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प्रश्न 10
आलोचना किसे कहते हैं ? इसका अर्थ बताते हुए इसकी व्याख्या कीजिए।
उत्तर
‘आलोचना’ का शाब्दिक अर्थ है ‘किसी वस्तु को भली प्रकार देखना। इससे किसी वस्तु के । गुण-दोष प्रकट हो जाते हैं। इसलिए किसी कृति का अध्ययन करके जब उसके गुण-दोषों को प्रकट किया जाता है तो उसे ‘आलोचना’ कहते हैं। इसके लिए ‘समीक्षा’ शब्द का प्रयोग (UPBoardSolutions.com) भी किया जाता है। हिन्दी में आधुनिक आलोचना का प्रारम्भ ‘भारतेन्दु युग’ से माना जाता है।

प्रश्न 11
रेखाचित्र किसे कहते हैं ? इसकी विशेषताओं पर प्रकाश डालते हुए संस्मरण से इसका अन्तर बताइए।
या
संस्मरण और रेखाचित्र के मौलिक अन्तर को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर
जब लेखक अपने सम्पर्क में आने वाले किसी व्यक्ति, वस्तु, घटना आदि को कम शब्दों के द्वारा सांकेतिक रूप से चित्रित करता है तो उसकी उस कृति को रेखाचित्र’ कहते हैं। रेखाचित्र सांकेतिक, व्यंजक और यथार्थपरक होता है। रेखाचित्र का विकास छायावादोत्तर युग में हुआ है।

संस्मरण एवं रेखाचित्र में अन्तर है। संस्मरण में विषय-वस्तु का सर्वांगीण चित्रण होता है, जबकि रेखाचित्र में कुछ शाब्दिक रेखाओं के द्वारा ही विषय-वस्तु की विशेषताओं को उभारकर प्रस्तुत किया जाता है। संस्मरण के शब्दचित्र सदा पूर्ण होते हैं, जबकि रेखाचित्र के अपूर्ण या खण्डित भी हो सकते हैं। संस्मरण अभिधामूलक होता है, जबकि रेखाचित्र सांकेतिक और व्यंजक।।

प्रश्न 12
रिपोर्ताज से आप क्या समझते हैं ? इसकी विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
उत्तर
‘रिपोर्ट’ के कलात्मक एवं साहित्यिक रूप को ‘रिपोर्ताज’ कहते हैं। इसमें सम-सामयिक घटनाओं को उनके यथार्थ रूप में प्रस्तुत किया जाता है।

रिपोर्ताज लेखक के लिए स्वयं घटना का प्रत्यक्ष निरीक्षण करना आवश्यक होता है, इसमें कल्पना का कोई स्थान नहीं होता। इसका उपयोग पत्रकारिता के क्षेत्र में अधिक होता है। घटना का यथार्थ चित्रण, कुशल अभिव्यक्ति, प्रभावोत्पादकता आदि रिपोर्ताज की विशेषताएँ हैं । इस विधा का विकास छायावादोत्तर युग में हुआ है।

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प्रश्न 13
भेटवार्ता से आप क्या समझते हैं ? इसकी विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
उत्तर
किसी महत्त्वपूर्ण व्यक्ति से मिलकर, किसी विशेष विषय पर उसके विचारों को प्रश्नोत्तर के माध्यम से प्राप्त करके लेखक जब उन्हें यथावत लिपिबद्ध करता है तो उसे ‘भेटवार्ता’ कहते हैं। ‘भेटवार्ता शब्द अंग्रेजी भाषा के इण्टरव्यू का समानार्थी है। भेटवार्ता वास्तविक भी (UPBoardSolutions.com) होती है और काल्पनिक भी। हिन्दी-साहित्य में इसके दोनों रूप प्राप्त होते हैं। इस विधा का प्रारम्भ छायावादी युग से माना जाता है।

प्रश्न 14
डायरी साहित्य किसे कहते हैं ? इसकी मुख्य विशेषताओं पर प्रकाश डालिए। आत्मकथा एवं डायरी में क्या अन्तर है?
उत्तर
जब लेखक तिथि-विशेष में घटित घटनाओं को यथातथ्य तथा तिथिवार लिपिबद्ध करता है, तो उसकी वह रचना ‘डायरी’ कहलाती है। डायरी महत्त्वपूर्ण तिथियों की क्रमबद्ध घटनाक्रमों से सम्बन्धित भी हो सकती है और दैनिक-पुस्तिका के रूप में भी हो सकती है।

यथार्थ चित्रण, तिथिवार क्रमबद्धता, लेखक के निजी दृष्टिकोणों की घटना से सम्बन्धित अभिव्यक्ति आदि डायरी साहित्य की विशेषताएँ हैं। इस विधा का आविर्भाव छायावादोत्तर युग से माना जाता है।

‘आत्मकथा’ एवं ‘डायरी’ में पर्याप्त अन्तर हैं। ‘आत्मकथा’ में लेखक अतीत में घटी घटनाओं को कल्पना में पुनः मूर्त करके लिखता है, जबकि डायरी’ तिथियों के अनुसार लिखी जाती है। ‘आत्मकथा’ में लेखक अपने जीवन की घटनाओं में स्वयं को रखकर अपना आत्मविश्लेषण करता है, जबकि ‘डायरी’ में घटनाओं के प्रति उसका दृष्टिकोण लिपिबद्ध होता है। ‘आत्मकथा’ में तिथि का उल्लेख नहीं होता, जबकि ‘डायरी’ में यह अनिवार्य रूप से आवश्यक होता है।

प्रश्न 15
पत्र-साहित्य किसे कहते हैं ?
उत्तर
पत्रों के द्वारा किसी व्यक्ति से सम्बन्ध बनाकर किसी विषय पर जो लिपिबद्ध वार्तालाप प्रारम्भ किया जाता है, उसका सम्पूर्ण संकलित रूप ‘पत्र-साहित्य’ कहलाता है। इसमें लेखक किसी व्यक्ति को पत्र लिखकर किसी विषय पर उसके विचारों को जानना चाहता है। उसका उत्तर प्राप्त होने पर वह उस उत्तर का विश्लेषण करता है और उत्पन्न शंकाओं के समाधान हेतु पुनः पत्र लिखता है। इस प्रकार एक प्रक्रिया चल पड़ती है जो पत्रों के रूप में लिपिबद्ध होती जाती है। जब यह प्रक्रिया पूर्ण हो जाती है तो दोनों ओर के पत्रों के उस संकलन को पत्र-साहित्य कहा जाता है।

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प्रश्न 16
शुक्ल युग को हिन्दी निबन्ध का उत्कर्ष काल क्यों माना जाता है ?
उत्तर
यद्यपि द्विवेदी युग में हिन्दी निबन्ध-विधा भाषा एवं शैली दोनों ही दृष्टियों से प्रौढ़ हो गयी थी, किन्तु आचार्य रामचन्द्र शुक्ल ने निबन्ध को वैचारिक क्षेत्र में वैज्ञानिक विश्लेषण की प्रवृत्ति एवं गम्भीरता प्रदान की। अतः भाषा-शैली, गम्भीरता, चिन्तन, मौलिकता आदि प्रत्येक क्षेत्र (UPBoardSolutions.com) में निबन्ध-विधा परिष्कार को प्राप्त हुई। इसीलिए शुक्ल युग को हिन्दी निबन्ध का उत्कर्ष काल कहा जाता है। प

प्रश्न 17
हिन्दी नाटक के विकास में जयशंकर प्रसाद के योगदान का मूल्यांकन कीजिए।
उत्तर
प्रसाद जी ने भारतीय और पाश्चात्य नाट्य-कला के तत्वों को मिलाकर एक नवीन शैली का विकास किया। इनके सामाजिक एवं ऐतिहासिक नाटकों में संघर्ष की प्रधानता है तथा मनोवैज्ञानिक चरित्र-चित्रण के साथ नवीन शैली का प्रयोग किया गया है। साहित्यिकता एवं मंचीयता इनके नाटकों की विशेषता है।

प्रश्न 18
प्रसादोत्तर युग के हिन्दी नाटकों की प्रमुख विशेषता बताइट।
उत्तर
प्रसादोत्तर नाटकों में भारतीय एवं पाश्चात्य शैली के तत्त्वों का एक साथ समावेश पाया जाता है। इन नाटकों में राजनीतिक, सामाजिक, आर्थिक समस्याओं का चित्रण हुआ है। इनकी विषय-वस्तु यथार्थवादी धरातल पर संरचित है।

प्रश्न 19
शुक्ल जी के पश्चात् हिन्दी की निबन्ध विधा के विकास का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
उत्तर
शुक्लोत्तर युग में साहित्यिक एवं समीक्षात्मक निबन्धों की रचना की गयी। इन निबन्धों में जहाँ भाषा-शैली की प्रौढ़ता मिलती है, वहीं चिन्तन की गम्भीरता भी। इनमें आत्मपरक (वैयक्तिक) भाषा का प्रयोग हुआ है।

|| शुक्ल जी के पश्चात् हिन्दी में आलोचनात्मक निबन्ध साहित्य की भी पर्याप्त श्रीवृद्धि हुई। आचार्य हजारीप्रसाद द्विवेदी, डॉ० रामविलास शर्मा, नन्ददुलारे वाजपेयी, शान्तिप्रिय द्विवेदी, शिवदान सिंह चौहान आदि लेखकों ने आलोचनात्मक निबन्ध-साहित्य को नयी दिशा प्रदान कर विकास के पथ पर अग्रसर किया।

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प्रश्न 20
हिन्दी कहानी के विकास में प्रेमचन्द अथवा प्रसाद के योगदान का उल्लेख कीजिए।
उत्तर
हिन्दी कहानी के क्षेत्र में प्रेमचन्द एवं प्रसाद ने युगान्तरकारी कार्य किया। मुंशी प्रेमचन्द ने सरस, सरल एवं व्यावहारिक भाषा-शैली में जीवन का मार्मिक एवं यथार्थ चित्रण करने वाली आदर्शोन्मुख कहानियाँ लिखीं । ‘कफन’, ‘शतरंज के खिलाड़ी’, ‘पूस की रात’, ‘पंच परमेश्वर’, ‘मन्त्र’ आदि कहानियाँ उल्लेखनीय हैं।

प्रसाद जी ने उत्तम भाषा, भाव एवं कल्पनापूर्ण कौतूहल से युक्त उत्कृष्ट कहानियाँ लिखीं। (UPBoardSolutions.com) अधिकतर कहानियों में मानव मन के अन्तर्द्वन्द्व का चित्रण किया गया है। ‘पुरस्कार’, ‘आकाशदीप’, ‘मधुआ’, ‘गुण्डा’, ‘ममता’ आदि इनकी श्रेष्ठ कहानियाँ हैं।

प्रश्न 21
हिन्दी की नयी कहानी की विशेषताएँ और उद्देश्य बताइए।
उत्तर
हिन्दी की नयी कहानियों में आज के युग की दिशाहीनता, उत्कण्ठा, उलझन, मानसिक भटकाव और अन्तर्द्वन्द्वों का सजीव चित्रण नये शैली-विधान में किया गया है। नयी कहानियों का मुख्य उद्देश्य जीवन के भोगे हुए यथार्थ को आधुनिक भाव-बोध के धरातल पर प्रस्तुत करना है।

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प्रश्न 22
छायावादी युग के गद्य की किन्हीं दो विशेषताओं को लिखिए।
उत्तर
छायावादी युग के गद्य की अनेक विशेषताएँ हैं। प्रेमचन्द, आचार्य रामचन्द्र शुक्ल एवं जयशंकर प्रसाद ने जो गद्य रचनाएँ कीं, उनका रूप अत्यन्त प्रौढ़, परिष्कृत एवं विकसित है। विषयों, शैलियों, विधाओं की विविधता इस काल के गद्य की एक प्रमुख विशेषता है। (UPBoardSolutions.com) इस युग में नाटक, उपन्यास, निबन्ध, कहानी, आलोचना आदि विविध क्षेत्रों में उत्कृष्ट कोटि की गद्य-रचना हुई।

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UP Board Solutions for Class 10 Hindi वस्तुनिष्ठ प्रश्न

UP Board Solutions for Class 10 Hindi वस्तुनिष्ठ प्रश्न

These Solutions are part of UP Board Solutions for Class 10 Hindi. Here we have given UP Board Solutions for Class 10 Hindi वस्तुनिष्ठ प्रश्न.

वस्तुनिष्ठ प्रश्न

प्रश्न
निम्नलिखित में से कोई एक कथन सत्य है, पहचानकर लिखिए-
[सकत-प्रश्न-पत्र में किसी एक वाक्य की सत्यता से सम्बन्धित प्रश्न पूछे जाते हैं। विद्यार्थियों के उचित बोध के लिए हम अन्य प्रश्नों के उत्तर भी दे रहे हैं। दो बार पूछे गये वाक्य हटा दिये गये हैं।]

1.
(i) आचार्य रामचन्द्र शुक्ल एक प्रसिद्ध आलोचक हैं। – सत्य
(ii) श्री गुलाबराय कहानी-लेखक हैं। – असत्य

2.
(i) ‘उर्वशी रामधारी सिंह ‘दिनकर’ द्वारा लिखित निबन्ध-संग्रह है। – असत्य
(ii) चिन्तामणि भाग ।’ आचार्य रामचन्द्र शुक्ल का निबन्ध-ग्रन्थ है। – असत्य
(iii) ‘सिद्धान्त और अध्ययन’ बाबू गुलाबराय का आलोचना-ग्रन्थ है। – सत्य

3.
(i) डॉ० राजेन्द्र प्रसाद कवि-रूप में प्रसिद्ध हैं। – असत्य
(ii) ‘अपनी खबर’ उग्र की आत्मकथा है। – सत्य
(iii) डॉ० लक्ष्मीसागर वाष्र्णेय उपन्यासकार थे! – असत्य

4.
(i) पदुमलाल पुन्नालाल बरी कवि-रूप में प्रसिद्ध हैं। – असत्य
(ii) डॉ० रामकुमार वर्मा (UPBoardSolutions.com) कहानीकार थे। – असत्य

5.
(i) मोहन राकेश द्विवेदी युग के कवि हैं। – असत्य
(ii) भारतेन्दु आधुनिक गद्य के प्रवर्तक हैं। – सत्य
(iii) प्रेमचन्द प्रसिद्ध निबन्धकार हैं। – असत्य

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6.
(i) कंकाल’ जयशंकर प्रसाद की प्रसिद्ध कहानी है। – असत्य
(ii) ‘ठेले पर हिमालय’ धर्मवीर भारती द्वारा लिखित कहानी-संग्रह है। – असत्य

7.
(i) रामचन्द्र शुक्ल निबन्ध, समालोचना और इतिहास-लेखक के लिए प्रसिद्ध हैं। – सत्य
(ii) प्रेमचन्द कवि के रूप में प्रसिद्ध हैं। – असत्य

8.
(i) आचार्य रामचन्द्र शुक्ल निबन्धकार थे। – सत्य
(ii) डॉ० राजेन्द्र प्रसाद एकांकीकार थे। – असत्य

9.
(i) प्रेमचन्द एक अच्छे उपन्यासकार थे। – सत्य
(ii) गुलाबराय एक अच्छे नाटककार थे। – असत्य
(iii) हरिभाऊ उपाध्याय एक अच्छे कहानीकार थे। – असत्य

10.
(i) डॉ० भगवतशरण उपाध्याय कवि के रूप में प्रसिद्ध हैं। – असत्य
(ii) ‘नदी प्यासी थी’ धर्मवीर भारती को नाटक है। – सत्ये
(iii) ‘अर्द्धनारीश्वर’ दिनकर जी की प्रसिद्ध कहानी है। – असत्य
(iv) ‘यांमा’ जयशंकर प्रसाद का कहानी-संग्रह है। – असत्य

11.
(i) डॉ० लक्ष्मीसागर वाष्र्णेय हिन्दी के सुप्रसिद्ध समीक्षक और उच्चकोटि के निबन्धकार थे। – सत्य
(ii) चाँद और टूटे हुए लोग’ धर्मवीर भारती का प्रसिद्ध उपन्यास हैं। – असत्य
(iii) पदुमलाल पुन्नालाल बख्शी प्रसिद्ध नाटककार थे। – असत्य

12.
(i) पदुमलाल पुन्नालाल बख्शी एक कुशल सम्पादक, श्रेष्ठ निबन्धकार और विचारशील आलोचक थे। – सत्य
(ii) कुरुक्षेत्र’ रामधारी सिंह ‘दिनकर’ का प्रसिद्ध निबन्ध-संग्रह है। – असत्य
(iii) ‘जनमेजय का नागयज्ञ’ जयशंकर प्रसाद का प्रसिद्ध उपन्यास है। – असत्य
(iv) पं० रामचन्द्र शुक्ल एक श्रेष्ठ नाटककार थे। – असत्य

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13.
(i) जैनेन्द्र कुमार मुख्यतः नाटककार हैं। – असत्य
(ii) प्रेमचन्द कहानीकार और उपन्यासकार के रूप में प्रसिद्ध हैं। – सत्य [2011]
(iii) हजारीप्रसाद द्विवेदी कवि एवं कहानीकार हैं। – असत्य [2011]
(iv) बाबू गुलाबराय एक उपन्यासकार हैं। – असत्य [2011]

14.
(i) ‘जनमेजय का नागयज्ञ’ बाबू गुलाबराय का प्रसिद्ध नाटक है। – असत्य
(ii) संस्कृति के चार अध्याय’ के लेखक रामधारी सिंह ‘दिनकर’ हैं। – सत्य
(iii) ‘गुनाहों का देवता’ धर्मवीर भारती (UPBoardSolutions.com) का आलोचना-ग्रन्थ है। – असत्य [2009]

15.
(i) जयप्रकाश भारती आलोचक के रूप में प्रसिद्ध हैं। – असत्य
(ii) मुंशी प्रेमचन्द एक प्रसिद्ध उपन्यासकार एवं कहानीकार थे। – सत्य [2009]

16.
(i) ‘गबन’ प्रेमचन्द की प्रसिद्ध काव्य-कृति है। – असत्य
(ii) ‘खून के छींटे’ डॉ० भगवतशरण उपाध्याय का नाटक है। – असत्य
(iii) कुरुक्षेत्र’ रामधारी सिंह ‘दिनकर’ का काव्य-ग्रन्थ है। – सत्य
(iv) ‘स्कन्दगुप्त’ रामचन्द्र शुक्ल की रचना है। – असत्य [2009]

17.
(i) भारतेन्दु हरिश्चन्द्र रीतिकाल के रचनाकार हैं। – असत्य
(ii) आचार्य रामचन्द्र शुक्ल प्रख्यात निबन्धकार और आलोचक हैं। – सत्य
(iii) जयशंकर प्रसाद छायावादी कवि हैं। – सत्य
(iv) नागार्जुन प्रयोगवाद के कवि हैं। – असत्य

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18.
(i) आचार्य हजारीप्रसाद द्विवेदी श्रेष्ठ ललित निबन्धकार हैं। – सत्य
(ii) ‘तारसप्तक’ का सम्पादन सच्चिदानन्द हीरानन्द वात्स्यायन ‘अज्ञेय’ ने किया है। – सत्य
(iii) ‘गुनाहों का देवता’ शीर्षक उपन्यास के लेखक प्रेमचन्द हैं। – असत्य

19.
(i) हरिभाऊ उपाध्याय ने ‘विचार-वीथी’ पुस्तक लिखी है। – असत्य
(ii) शिक्षा और संस्कृति’ कृति डॉ० राजेन्द्र प्रसाद ने लिखी है। – सत्य
(iii) ‘मेरे निबन्ध’ के लेखक धर्मवीर भारती हैं। – असत्य

20.
(i) पदुमलाल पुन्नालाल बख्शी ‘सरस्वती’ के सम्पादक थे। – सत्य
(ii) ‘मित्रता’ गुलाबराय का निबन्ध है। – असत्य
(iii) नीली झील धर्मवीर भारती को उपन्यास है। – असत्य

21.
(i) ‘रस-मीमांसा’ आचार्य रामचन्द्र शुक्ल की रचना है। – सत्ये
(ii) उर्वशी रामधारी सिंह ‘दिनकर’ का उपन्यास है। – असत्य
(iii) मेरी असफलताएँ’ बाबू गुलाबराय का निबन्ध है। – असत्य
(iv) ध्रुवस्वामिनी’ जयशंकर (UPBoardSolutions.com) प्रसाद का नाटक है। – सत्य [2010]

22.
(i) अर्द्धनारीश्वर’ रामधारी सिंह ‘दिनकर’ का प्रसिद्ध निबन्ध-संग्रह है। – सत्य
(ii) चम्पारन में महात्मा गाँधी डॉ० राजेन्द्र प्रसाद का काव्य-संग्रह है। – असत्य
(iii) ‘आँसू’ डॉ० रामकुमार वर्मा का काव्य-संग्रह है। – असत्य
(iv) त्रिवेणी’ रामचन्द्र शुक्ल का कविता-संग्रह है। – असत्य [2010]

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23.
(i) ‘फोर्ट विलियम कॉलेज’ डॉ० लक्ष्मीसागर वाष्र्णेय की कृति है। – सत्य
(ii) अजन्ता’ डॉ० राजेन्द्र प्रसाद का निबन्ध है। – असत्य [2010]

24.
(i) ‘इरावती’ वृन्दावनलाल वर्मा की रचना है। – असत्य
(ii) जनमेजय का नागयज्ञ रायकृष्णदास का नाटक है।। – असत्य
(iii) ‘सर्वोदय की बुनियाद’ श्री हरिभाऊ उपाध्याय की रचना है। – सत्य [2010]

25.
(i) डॉ० राजेन्द्र प्रसाद लिखित ‘मेरी आत्मकथा’ एक प्रमुख उपन्यास है। – असत्य
(ii) आचार्य रामचन्द्र शुक्लकृत ‘रस-मीमांसा’ एक आलोचना ग्रन्थ है। – सत्य
(iii) चलो चाँद पर चलें’ रचना पर जयप्रकाश भारती को यूनेस्को पुरस्कार प्राप्त हुआ है। – असत्य
(iv) ‘कलकत्ता से पीकिंग’ डॉ० भगवतशरण उपाध्याय की रिपोर्ताज | रचना है। – असत्य [2010]

26.
(i) उपेन्द्रनाथ ‘अश्क’ प्रसिद्ध कहानी-लेखक हैं। – असत्य
(ii) नदी प्यासी थी’ धर्मवीर भारती को नाटक है। – सत्य [2011]

27.
(i) रेती के फूल’ रामधारी सिंह ‘दिनकर’ का निबन्ध-संग्रह है। – सत्य
(ii) ‘हिन्दी-साहित्य-विमर्श’ पदुमलाल पुन्नालाल बख्शी का महाकाव्य है। – असत्य
(iii) तितली’ जयशंकर प्रसाद का कहानी-संग्रह है। – असत्य
(iv) ‘चिन्तामणि आचार्य रामचन्द्र शुक्ल का उपन्यास है। – असत्य [2011]

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28.
(i) ‘चिन्तामणि’ रामचन्द्र शुक्ल का इतिहास-ग्रन्थ है। – असत्य
(ii) तितली’ जयशंकर प्रसाद का प्रसिद्ध उपन्यास है। – सत्य
(iii) ‘गाँधीजी की देन’ डॉ० राजेन्द्र प्रसाद को समालोचना-ग्रन्थ है। – असत्य
(iv) साहित्य और कला’ भगवतशरण (UPBoardSolutions.com) उपाध्याय का एक नाट्य-ग्रन्थ है। – असत्य [2011]

29.
(i) मुंशी प्रेमचन्द कहानीकार एवं उपन्यासकार के रूप में प्रसिद्ध हैं। – सत्य
(ii) हजारीप्रसाद द्विवेदी प्रसिद्ध कवि हैं। – असत्य
(iii) कुरुक्षेत्र’ रामधारी सिंह ‘दिनकर’ का निबन्ध-संग्रह है। – असत्य
(iv) डॉ० भगवतशरण उपाध्याय एक कहानीकार थे। – असत्य [2011]

30.
(i) हिन्दी शब्द-सागर’ जयशंकर प्रसाद का सम्पादित ग्रन्थ है। – असत्य
(ii) क्या भूलें क्या याद करू’ हरिवंशराय बच्चन की कृति है। – सत्य
(iii) गुलाबराय भारतेन्दु युग के प्रमुख लेखक हैं। – असत्य
(iv) राहुल सांकृत्यायन की मेरी तिब्बत यात्रा’ जीवनी साहित्य की विधा है। – असत्य [2011]

31.
(i) आचार्य रामचन्द्र शुक्ल एक प्रसिद्ध आलोचक हैं। – सत्य
(ii) भारतेन्दु हरिश्चन्द्र शुक्ल युग के लेखक हैं। – असत्य
(iii) वृन्दावनलाल वर्मा उपन्यासकार नहीं हैं। – असत्य [2011]

32.
(i) झूठा सच’ यशपाल का प्रसिद्ध काव्य है। – असत्य
(ii) डॉ० नगेन्द्र ख्यातिप्राप्त उपन्यासकार हैं। – असत्य
(iii) डॉ० राजेन्द्र प्रसाद निबन्धकार थे। – सत्य
(iv) ‘गबन’ बालकृष्ण भट्ट की प्रसिद्ध कृति है। – असत्य [2012]

33.
(i) धर्मवीर भारती रीतिमुक्त काव्यधारा के प्रमुख कवि हैं। – असत्य
(ii) त्रिवेणी’ रामचन्द्र शुक्ल का प्रसिद्ध उपन्यास है। – असत्य
(iii) ‘कुटज’ डॉ० हजारीप्रसाद द्विवेदी का प्रसिद्ध निबन्ध है। – सत्य
(iv) ‘उर्वशी’ रामधारी सिंह ‘दिनकर’ का आलोचना-ग्रन्थ है। – असत्य [2012]

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34.
(i) रामवृक्ष बेनीपुरी को रेखाचित्रों के लेखन में विशेष सफलता मिली है। – सत्य
(ii) डॉ० लक्ष्मीसागर वाष्र्णेय ‘झरना’ के लेखक हैं। – असत्य
(iii) डॉ० राजेन्द्र प्रसाद को काव्य-रचना के क्षेत्र में सफलता मिली है। – असत्य
(iv) अर्द्धनारीश्वर’ के लेखक जयशंकर प्रसाद हैं। – असत्य। [2012]

35.
(i) ‘रांगेय राघव’ द्विवेदी युग के एक प्रसिद्ध कहानीकार हैं। – असत्य
(ii) यशपाल’ एक प्रसिद्ध नाटककार थे। – असत्य
(iii) नन्ददुलारे वाजपेयी शुक्ल युग के प्रमुख लेखक हैं। – सत्य
(iv) हरिभाऊ उपाध्याय एक प्रसिद्ध रिपोर्ताज लेखक हैं। – असत्य [2012]

36.
(i) ‘ऐसे थे हमारे बापू’ के रचयिता डॉ० भगवतशरण उपाध्याय हैं। – असत्य
(ii) राहुल सांकृत्यायन की ‘मेरी तिब्बत यात्रा’ एक रिपोर्ताज विधा है।। – असत्य
(iii) ‘कलम का सिपाही साहित्य की जीवनी विधा है। – सत्य
(iv) विचार-वीथि’ रामचन्द्र शुक्ल का सम्पादित ग्रन्थ है। – असत्य [2012]

37.
(i) जयशंकर प्रसाद समालोचक हैं। – असत्य
(ii) भारतेन्दु जी हिन्दी नाट्य साहित्य के जनक हैं। – सत्य
(iii) डॉ० भगवतशरण उपाध्याय कवि के रूप में विख्यात हैं। – असत्य [2012]

38.
(i) ‘चिन्तामणि आचार्य रामचन्द्र शुक्ल का निबन्ध-संग्रह है। – सत्य
(ii) ‘शतदल’ पदुमलाल पुन्नालाल बख्शी का काव्य-संग्रह है। – सत्य
(iii) ‘मेरी योरोप यात्रा’ डॉ० राजेन्द्र प्रसाद की उल्लेखनीय रचना है। – सत्य
(iv) ‘रश्मिरथी’ रामधारी सिंह ‘दिनकर’ (UPBoardSolutions.com) का निबन्ध-संग्रह है। – असत्य [2012]

39.
(i) डॉ० राजेन्द्र प्रसाद कहानीकार हैं। – असत्य
(ii) सेवासदन प्रेमचन्द का काव्य-संग्रह है। – असत्य
(iii) ‘आकाशदीप’ जयशंकर प्रसाद का नाटक है। – असत्य [2012]

40.
(i) महादेवी वर्मा को रेखाचित्रों में विशेष सफलता मिली है।। – सत्य
(ii) डॉ० लक्ष्मीसागर वाष्र्णेय एक प्रसिद्ध आलोचक हैं। – सत्य |
(iii) सुमित्रानन्दन पन्त उपन्यासकार हैं। – असत्य
(iv) गोदान के लेखक अमृतलाल नागर हैं। – असत्य [2013]

41.
(i) ईर्ष्या तू न गई मेरे मन से रामधारी सिंह ‘दिनकर’ का उपन्यास है। – असत्य
(ii) ‘क्या लिखें’ डॉ० राजेन्द्र प्रसाद का निबन्ध है। – असत्य
(iii) “अजन्ता’ जयप्रकाश भारती की कहानी है। – असत्य
(iv) ‘बाणभट्ट की आत्मकथा’ हजारी प्रसाद द्विवेदी का उपन्यास है। – सत्य [2013]

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42.
(i) आचार्य रामचन्द्र शुक्ल कवि के रूप में प्रसिद्ध हैं। – असत्य
(ii) ‘गबन’ प्रेमचन्द की एक काव्य-कृति है। – असत्य
(iii) हजारीप्रसाद द्विवेदी निबन्धकार एवं आलोचक (UPBoardSolutions.com) के रूप में प्रसिद्ध हैं। – सत्य
(iv) ठेले पर हिमालय’ के लेखक गुलाबराय हैं। – असत्य [2013]

43.
(i) श्रीनारायण चतुर्वेदी एक प्रमुख रेडियो रूपककार थे।– असत्य
(ii) ‘झलमला’ पदुमलाल पुन्नालाल बख्शी का कहानी-संग्रह है। – सत्य
(iii) इँठा आम’ के लेखक जयप्रकाश भारती हैं। – असत्य
(iv) ‘मैला आँचल’ के लेखक फणीश्वरनाथ ‘रेणु’ हैं। – असत्य [2013]

44.
(i) ‘अशोक के फूल’ हजारीप्रसाद द्विवेदी का निबन्ध-संग्रह है। – सत्य
(ii) डॉ० रामकुमार वर्मा ख्यातिप्राप्त कहानीकार है।। – असत्य
(iii) ‘ध्रुवस्वामिनी’ जयशंकर प्रसाद का प्रसिद्ध काव्य है। – असत्य
(iv) त्रिवेणी’ रामचन्द्र शुक्ल का प्रसिद्ध नाटक है। – असत्य [2013]

45.
(i) रांगेय राघव प्रसिद्ध नाटककार हैं।। – असत्य
(ii) ‘गबन’ के लेखक जयशंकर प्रसाद हैं। – असत्य
(iii) ‘माधुरी’ के सम्पादक रामचन्द्र शुक्ल हैं। – असत्य
(iv) डॉ० नगेन्द्र प्रसिद्ध आलोचक हैं। – सत्य [2013]

46.
(i) ‘विचार वीथी’ आचार्य रामचन्द्र शुक्ल का इतिहास-ग्रन्थ है। – असत्य
(ii) ‘इन्द्रजाल’ जयशंकर प्रसाद का नाटक है। – असत्य
(iii) ‘कुरुक्षेत्र रामधारी सिंह ‘दिनकर’ का काव्य-ग्रन्थ है। – सत्य
(iv) ‘संयुक्त राष्ट्र संघ’ जयप्रकाश भारती का साहित्यिक योगदान है। – असत्य [2014]

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47.
(i) हजारीप्रसाद द्विवेदी प्रसिद्ध कवि हैं। – असत्य
(ii) ‘कानन-कुसुम’ जयशंकर प्रसाद की प्रसिद्ध कहानी है। – असत्य
(iii) डॉ० नगेन्द्र प्रसिद्ध आलोचक हैं। – सत्य
(iv) ‘गोदान’ प्रेमचन्द्र का प्रसिद्ध काव्य है।– असत्य [2014]

48.
(i) आचार्य रामचन्द्र शुक्ल कवि के रूप में ख्याति प्राप्त हैं। – असत्य
(ii) मुंशी प्रेमचन्द्र उपन्यासकार के रूप में प्रसिद्ध हैं। – सत्य
(iii) ‘गुनाहों के देवता’ के लेखक गुलाबराय हैं। – असत्य
(iv) ‘डॉ० राजेन्द्र प्रसाद’ कहानीकार के रूप में प्रसिद्ध हैं। – असत्य [2014]

49.
(i) आचार्य रामचन्द्र शुक्ल प्रसिद्ध उपन्यासकार हैं। – असत्य
(ii) ‘अथाह सागर’ के लेखक जयप्रकाश भारती हैं। – सत्य
(iii) ‘विश्व को एशिया की देन’ डॉ० राजेन्द्र (UPBoardSolutions.com) प्रसाद की प्रमुख रचना है। – असत्य
(iv) ‘गोदान’ प्रेमचन्द्र का काव्य-संग्रह है। – असत्य [2014]

50.
(i) आचार्य रामचन्द्र शुक्ल प्रसिद्ध जीवनी लेखक हैं। – असत्य
(ii) ‘कलम का सिपाही’ के लेखक प्रेमचन्द हैं। – असत्य
(iii) ‘गिरती दिवारें’ के लेखक उपेन्द्रनाथ अश्क हैं। – सत्य
(iv) रामस्वरूप चतुर्वेदी सफल भेटवार्ता लेखक हैं। – असत्य [2014]

51.
(i) ‘मित्रता’ डॉ० राजेन्द्र प्रसाद द्वारा लिखा गया उपन्यास है। – असत्य
(ii) रंगभूमि’ के लेखक आचार्य रामचन्द्र शुक्ल हैं। – असत्य
(iii) अथाह सागर’ जयप्रकाश भारती की रचना है। – सत्य
(iv) ‘ममता’ के लेखक रामधारी सिंह दिनकर हैं। – असत्य [2014]

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52.
(i) रामवृक्ष बेनीपुरी ‘सरस्वती’ पत्रिका के सम्पादक थे। – असत्य
(ii) गुलाबराय प्रसिद्ध कवि थे। – असत्य
(iii) हजारीप्रसाद द्विवेदी हिन्दी के प्रसिद्ध आलोचक हैं। – सत्य
(iv) ‘स्कन्दगुप्त’ डॉ० रामकुमार वर्मा की रचना है। – असत्य [2014]

53.
(i) नन्ददुलारे वाजपेयी कहानीकार के रूप में प्रसिद्ध हैं। – असत्य
(ii) ‘गोदान’ प्रेमचन्द का प्रसिद्ध कहानी-संग्रह है। – असत्य
(iii) बूंद और समुद्र के लेखक अज्ञेय हैं। – असत्य
(iv) जैनेन्द्र एक प्रसिद्ध उपन्यासकार हैं। – सत्य [2015]

54.
(i) ‘ध्रुव स्वामिनी’ डॉ० राजेन्द्र प्रसाद की नाट्य-कृति है। – असत्य
(ii) अमृतलाल नागर एक प्रसिद्ध कवि थे। – असत्य
(iii) ‘शेखर : एक जीवनी’ अज्ञेय की रचना है। – सत्य
(iv) रामधारी सिंह ‘दिनकर’ उपन्यासकार के रूप में प्रसिद्ध हैं। – असत्य [2015]

55.
(i) मुंशी प्रेमचन्द्र एक कवि के रूप में प्रसिद्ध थे। – असत्य
(ii) रामवृक्ष बेनीपुरी ‘सरस्वती’ पत्रिका के सम्पादक थे। – असत्य
(iii) चिन्तामणि’ आचार्य रामचन्द्र शुक्ल का निबन्ध संग्रह है। – सत्य
(iv) ‘इरावती’ वृन्दावनलाल वर्मा की रचना है। – असत्य [2015]

56.
(i) जयशंकर प्रसाद आलोचक के रूप में प्रसिद्ध हैं। – असत्य
(ii) महादेवी वर्मा की प्रसिद्ध रचना ‘गोदान’ है। – असत्य
(iii) ‘गुनाहों को देवता’ धर्मवीर भारती का उपन्यास है। – सत्य
(iv) गुलाबराय प्रसिद्ध कवि हैं। – असत्य [2015]

57.
(i) हजारीप्रसाद द्विवेदी निबन्धकार के रूप में प्रसिद्ध हैं। – सत्य
(ii) डॉ० लक्ष्मीसागर एक प्रसिद्ध कवि थे। – असत्य
(iii) ‘कंकाल’ के लेखक गुलाब राय हैं। – असल्य
(iv) राजेन्द्र प्रसाद एक सफल नाटककार हैं। – असत्य [2015]

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58.
(i) ‘आकाशदीप जयशंकर प्रसाद का प्रसिद्ध नाटक है। – असत्य
(ii) तीर्थसलिल’ के लेखक पदुमलाल पुन्नालाल बख्शी हैं। – सत्य
(iii) ईष्र्या तू न गयी मेरे मन से’ रामधारी (UPBoardSolutions.com) सिंह ‘दिनकर’ की प्रसिद्ध काव्यकृति है।। – असत्य
(iv) ‘हिमालय की पुकार’ भगवतशरण उपाध्याय की रचना है। – असत्य [2015]

59.
(i) आचार्य रामचन्द्र शुक्ल निबन्ध, समालोचना और इतिहास लेखन | के लिए प्रसिद्ध हैं। – सत्य
(ii) डॉ० हजारीप्रसाद द्विवेदी कवि एवं कहानीकार हैं। – असत्य
(iii) जैनेन्द्र कुमार मुख्यत: नाटककार हैं। – असत्य
(iv) ‘गबन’, ‘रंगभूमि’ जयशंकर प्रसादजी के उपन्यास हैं। – असत्य [2015]

60.
(i) डॉ० श्यामसुन्दर दास एक प्रख्यात नाटककार थे। – असत्य
(ii) मुंशी प्रेमचन्द एक प्रसिद्ध उपन्यासकार थे। – सत्य
(iii) जयप्रकाश भारती आलोचक के रूप में प्रसिद्ध हैं। – असत्य
(iv) ‘गुनाहों के देवता’ उपन्यास के लेखक कमलेश्वर हैं। – असत्य [2016]

61.
(i) रामचन्द्र शुक्ल महान कवि के रूप में प्रसिद्ध हैं। – असत्य
(ii) संस्कृति के चार अध्याय’ के लेखक रामधारी सिंह ‘दिनकर’ हैं। – असत्य
(iii) भारतेन्दु हरिश्चन्द्र रीतिकाल के रचनाकार हैं। – सत्य
(iv) स्कन्दगुप्त’ धर्मवीर भारती की रचना है। – असत्य [2016]

62.
(i) जैनेन्द्र कुमार मुख्यत: नाटककार हैं। – असत्य
(ii) ‘यामा’ जयशंकर प्रसाद का कहानी-संग्रह है। – असत्य
(iii) आचार्य रामचन्द्र शुक्ल साहित्येतिहासकार थे। – सत्य
(iv) डॉ० रामकुमार वर्मा कहानीकार थे। – असत्य [2016]

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63.
(i) रामविलास शर्मा ख्यातिप्राप्त कवि हैं। – असत्य
(ii) इलाचन्द्र शर्मा सफल उपन्यासकार हैं। – सत्य
(iii) “मैला आंचल’ शैलेश मटियानी का प्रसिद्ध उपन्यास है। – असत्य
(iv) सियाराम शरण गुप्त भेटवार्ताकार हैं। – असत्य [2016]

64.
(i) ममता’ जयशंकर प्रसाद का प्रसिद्ध उपन्यास है। – असत्य
(ii) क्या लिखें? पदुमलाल पुन्नालाल बक्शी का निबंध है। – सत्य
(iii) उजली आग’ रामधारी सिंह ‘दिनकर’ का महाकाव्य है। – असत्य
(iv) ‘अजन्ता’ के लेखक जयप्रकाश भारती हैं। – असत्य [2016]

65.
(i) जयशंकर प्रसाद समालोचक हैं। – असत्य
(ii) डॉ० राजेन्द्र प्रसाद प्रसिद्ध उपन्यासकार हैं। – असत्य
(iii) रामचन्द्र शुक्ल प्रसिद्ध निबन्धकार हैं। – सत्य
(iv) डॉ० भगवतशरण उपाध्याय कवि के रूप में विख्यात हैं। – असत्य [2016]

66.
(i) विद्यानिवास मिश्र कवि के रूप में प्रसिद्ध हैं। – असत्य
(ii) स्कन्दगुप्त आचार्य रामचन्द्र शुक्ल की नाटयकृति है। – असत्य
(iii) जैनेन्द्र मूलतः डायरी (UPBoardSolutions.com) लेखक हैं। – असत्य
(iv) ‘मेरी तिब्बत यात्रा’ राहुल सांकृत्यायन की कृति है। – सत्य [2016]

67.
(i) रामचन्द्र शुक्ल महान नाटककार के रूप में प्रसिद्ध हैं। – असत्य
(ii) ‘ममता’ जयशंकर प्रसाद का प्रसिद्ध नाटक है। – असत्य
(iii) भारतीय संस्कृति’ निबन्ध के लेखक डॉ० राजेन्द्र प्रसाद हैं। – सत्य
(iv) ‘स्कन्दगुप्त’ प्रेमचन्द का प्रसिद्ध उपन्यास है। – असत्य [2017]

68.
(i) डॉ० हजारी प्रसाद द्विवेदी नाटककार के रूप में प्रसिद्ध हैं। – असत्य
(ii) ‘अजातशत्रु’ के लेखक उदयशंकर भट्ट हैं। – असत्य
(iii) ‘शेखर : एक जीवनी’ अज्ञेय की कृति है। – सत्य
(iv) राजेन्द्र यादव शुक्ल युग के प्रसिद्ध कहानीकार हैं। – असत्य [2017]

69.
(i) वृन्दावन लाल वर्मा लब्धप्रतिष्ठ कवि हैं। – असत्य
(ii) बच्चन’ प्रसिद्ध समालोचक हैं। – असत्य
(iii) प्रकाश चन्द्र गुप्त ख्यातिप्राप्त रिपोर्ताज लेखक हैं। – सत्य
(iv) बनारसीदास चतुर्वेदी सशक्त व्यंज्य लेखक हैं। – असत्य [2017]

70.
(i) आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी श्रेष्ठ संस्मरण लेखक हैं। – असत्य
(ii) तार सप्तक’ का सम्पादन सच्चिदानन्द हीरानन्द वात्स्यायन ‘अज्ञेय’ ने किया है। – सत्य
(iii) ‘गुनाहों का देवता’ उपन्यास के लेखक प्रेमचन्द हैं। – असत्य
(iv) गुलाबराय प्रसिद्ध कवि हैं। – असत्य [2017]

71.
(i) विद्यानिवास मिश्र नाटककार के रूप में प्रसिद्ध हैं। – असत्य
(ii) डॉ० श्यामसुन्दर दास एक प्रख्यात कवि थे। – असत्य
(iii) ईष्र्या, तू न गई मेरे मन से’ निबन्ध के लेखक जयप्रकाश भारती हैं। – असत्य
(iv) ‘मित्रता’ निबन्ध के लेखक आचार्य रामचन्द्र शुक्ल हैं। – सत्य। [2017]

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72.
(i) अमृतलाले सागर प्रसिद्ध एकांकी लेखक हैं। – असत्य
(ii) रामविलास शर्मा प्रसिद्ध भेट वार्ताकार हैं। – असत्य
(iii) डॉ० नगेन्द्र ख्यातिप्राप्त समालोचक हैं। – सत्य
(iv) जयप्रकाश भारती कवि के रूप में विख्यात हैं। – असत्य [2017]

73.
(i) आचार्य रामचन्द्र शुक्ल एक प्रसिद्ध निबन्धकार हैं। – सत्य
(ii) डॉ० हजारीप्रसाद द्विवेदी एक महान् कहानीकार के रूप में प्रसिद्ध हैं। – असत्य
(iii) जयशंकर प्रसाद एक प्रसिद्ध आलोचक हैं। – असत्य
(iv) उर्वशी के लेखक जयप्रकाश भारती हैं। – असत्य [2018]

74.
(i) धर्मवीर भारती रीतिमुक्त काव्यधारा के प्रमुख कवि हैं। – असत्य
(ii) ‘कुटज’ डॉ० हजारी प्रसाद द्विवेदी का प्रसिद्ध निबन्ध है। – सत्य
(iii) ‘उजली आग’ यशपाल का निबन्ध-संग्रह है। – असत्य
(iv) “डॉ० नगेन्द्र ख्यातिप्राप्त उपन्यासकार हैं। – असत्य [2018]

75.
(i) इलाचन्द्र जोशी एकांकीकार के रूप में प्रसिद्ध हैं। – असत्य
(ii) झूठा संच’ के लेखक यशपाल हैं। – असत्य
(iii) दैनिकी प्रसिद्ध कहानी (UPBoardSolutions.com) संग्रह है। – असत्य
(iv) राहुल सांकृत्यायन लब्धप्रतिष्ठ आलोचनाकार हैं। – सत्य [2018]

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76.
(i) आचार्य रामचन्द्र शुक्ल एक सुप्रसिद्ध कवि हैं। – असत्य
(ii) “ममता’ जयशंकर प्रसाद का एक महाकाव्य है। – असत्य
(iii) ‘गोदान’ प्रेमचन्द का प्रसिद्ध उपन्यास है। – सत्य
(iv) झाँसी की रानी’ के लेखक उपेन्द्रनाथ अश्क’ हैं। – असत्य [2018]

77.
(i) जयशंकर प्रसाद एक आलोचक के रूप में प्रसिद्ध हैं। – असत्य
(ii) ‘प्रेमचन्द अपने घर में की लेखिका शिवरानी देवी हैं। – सत्य
(iii) रामचन्द्र शुक्ल की गणना श्रेष्ठ कवि के रूप में होती है। – असत्य
(iv) ‘रांगेय राघव’ कवि के रूप में प्रसिद्ध हैं। – असत्य [2018]

We hope the UP Board Solutions for Class 10 Hindi वस्तुनिष्ठ प्रश्न help you. If you have any query regarding UP Board Solutions for Class 10 Hindiवस्तुनिष्ठ प्रश्न, drop a comment below and we will get back to you at the earliest.

UP Board Class 10th English Supplementary Chapter 1 Question Answer The Judgement-Seat of Vikramaditya (Sister Nivedita).

Class 10 English Supplementary Reader Chapter 2 Questions and Answers UP Board The Judgement-Seat of Vikramaditya (Sister Nivedita).

कक्षा 10 अंग्रेजी पाठ 2 प्रश्न उत्तर

These Solutions are part of UP Board Solutions for Class 10 English. Here we have given UP Board Solutions for Class 10 English Supplementary Reader Chapter 2 The Judgement-Seat of Vikramaditya (Sister Nivedita).

SHORT ANSWER TYPE QUESTIONS

Answer the following questions in about 25 words :

Question 1.
Do we know anything definite about Vikramaditya ? If so, what ?
(क्या हम विक्रमादित्य के विषय में कोई बात निश्चित रूप से जानते हैं ? यदि जानते हैं, तो वह क्या है ?)
Answer:
We do not know anything definite about Vikramaditya. The only thing that we are sure about him is that he was a lover of justice and learning.
(हम विक्रमादित्य के विषय में कोई बात निश्चित रूप से नहीं जानते। केवल एक बात जो उनके बारे में निश्चित है, वह यह है कि वे न्याय और ज्ञान के प्रेमी थे।)

Question 2.
why did the guilty tremble before Vikramaditya ? [2009, 11, 12, 13, 14, 15]
(विक्रमादित्य के सामने अपराधी क्यों काँपने लगते थे ?)
Answer:
The guilty trembled before Vikramaditya because they knew that his eyes would look straight into their guilt and punish them.
(राजा विक्रमादित्य के सामने आकर (UPBoardSolutions.com) अपराधी इसलिए काँपने लगते थे, क्योंकि वे जानते थे कि राजा की आँखें उनके अपराध को पहचान लेंगी और उनको दण्ड मिलेगा।)

Question 3.
What happened to the palace and the fortress of Vikramaditya after  his death ?। [2011, 12, 14, 18]
(विक्रमादित्य की मृत्यु के बाद उसके महल तथा किले का क्या हुआ ?)
Answer:
After the death of Vikramaditya his palace and fortress were ruined with passage of time. The ruins were covered with grass and dust. (विक्रमादित्य की मृत्यु के बाद उसका महल और किला दोनों नष्ट हो गये और खण्ड़हर घास और मिट्टी में दब गये।)

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Question 4.
What did the village-boys find in the pastures ? [2013, 15, 17]
(गाँव के लड़कों ने चरागाह में क्या पाया ?)
Answer:
The village-boys used to go to a nearby pastures with their cattle. The village-boys found a green mound in the pasture just like a judgement-seat.
(गाँव के लड़के पास के एक चरागाह में अपने पशुओं के साथ जाया करते थे। गाँव के लड़कों को चरागाह में एक हरा-भरा टीला मिला जो न्यायाधीश के सिंहासन जैसा प्रतीत होता था।)

Question 5.
What did the village-boy say to his friends after sitting on the green | mound? What did his friends do?
(गाँव के लड़के ने उस हरे-भरे टीले पर बैठकर अपने मित्रों से क्या कहा ? उसके मित्रों ने क्या किया ?)
Answer:
After sitting on the green mound the village-boy said to his friends, “I will be the judge. You can bring all your cases before me and I will have trials.” His friends soon brought cases before him for decision.
(उस हरे-भरे टीले पर बैठने के बाद उस ग्रामीण-लड़के (UPBoardSolutions.com) ने अपने मित्रों से कहा, “मैं न्यायाधीश हूँ। तुम अपने मुकदमे मेरे पास लाओ और मैं न्याय करूंगा।” उसके मित्र शीघ्र ही निर्णय के लिए उसके सामने अपने मुकदमे लाये।)

Question 6.
What changes did the village-boys notice in the boy who sat on the mound? [2012, 15, 16, 17]
(गाँव के लड़कों ने टीले पर बैठने वाले लड़के में क्या परिवर्तन देखे ?)
Answer:
The village-boys noticed that the boy who sat on the mound had become serious and grave. His tone and manners were impressive.
(गाँव के लड़कों ने देखा कि टीले पर बैठने वाला लड़का एकदम शान्त और गम्भीर हो गया था। उसका स्वर और बातचीत का ढंग प्रभावशाली था।)

Question 7.
Why did the grown-up men and women put their disputes before the cowherd boy ? How did the boy satisfy them ?
(बड़े स्त्री-पुरुष अपने झगड़ों को ग्वाले के सामने क्यों रखते थे? वह उन्हें कैसे सन्तुष्ट करता था?)
Answer:
The grown-up men and women put their disputes before the cowherd boy for justice. He settled them wisely and satisfied them. (बड़े स्त्री-पुरुष अपने झगड़ों को ग्वाले के सामने न्याय के लिए रखते थे। वह उन्हें निपटाता था और उन्हें सन्तुष्ट कर देता था।)

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Question 8.
What guess did the king of Ujjain make about the boy ? (उस लड़के के विषय में उज्जैन के राजा ने क्या अनुमान लगाया ?) [2011]
Answer:
The king of Ujjain guessed about the boy that he must have sat on the judgement-seat of Vikramaditya because he was doing perfect justice.
(उज्जैन के राजा ने यह अनुमान लगाया कि वह लड़का (UPBoardSolutions.com) विक्रमादित्य के न्याय-सिंहासन पर बैठा होगा क्योंकि वह एकदम सही निर्णय दे रहा था।)

Question 9.
what did the king decide to do ?
(राजा ने क्या करने का निश्चय किया?)
                   Or
Why did the king of Ujjain want to sit on the judgement-seat of Vikramaditya ? [2013, 16]
उज्जैन का राजा विक्रमादित्य के न्याय सिंहासन पर क्यों बैठना चाहता था ?)
Answer:
The king decided to dig out the judgement-seat and bring it to Ujjain. Then he would sit on it and deliver judgements.
(राजा ने यह निश्चय किया कि वह खुदाई कराकर न्याय-सिंहासन को प्राप्त करेगा और उसे उज्जैन लाएगा, फिर उस पर बैठेगा तथा न्याय करेगा।)

Question 10.
What did the first angel ask the king when he was about to sit on the throne ? [2018]
(जब राजा उस सिंहासन पर बैठने ही वाला था तो पहले देवदूत ने उससे क्या पूछा ?)
Answer:
When the king was about to sit on the throne the first angel asked him if he never desired to rule over kingdoms that were not his own and if he thought himself worthy to sit on the throne.
(जब राजा उस सिंहासन पर बैठने ही वाला था तो पहले (UPBoardSolutions.com) देवदूत ने उससे पूछा, “क्या तुमने ऐसे राज्यों पर शासन करने की इच्छा नहीं की जो तुम्हारे नहीं थे ? क्या तुम स्वयं को इस सिंहासन पर बैठने के योग्य समझने हो ?”)

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Question 11.
Why could the king of Ujjain not sit on the judgement-seat of Vikramaditya ?
(विक्रमादित्य के न्याय-सिंहासन पर उज्जैन का राजा क्यों नहीं बैठ सका ?)
Answer:
The king of Ujjain could not sit on the judgement-seat of Vikramaditya because he was not perfectly pure in heart and as such not worthy of it.
(विक्रमादित्य के न्याय-सिंहासन पर उज्जैन का राजा इसलिए नहीं बैठ सका, क्योंकि उसका हृदय शुद्ध नहीं था और इस तरह उसके योग्य नहीं था।)

Question 12.
What qualities were needed to make the king worthy to sit on the throne of Vikramaditya ?
(विक्रमादित्य के सिंहासन पर बैठने योग्य बनने के लिए राजा को किन गुणों की आवश्यकता थी ?)
Answer:
The following qualities were needed to make the king worthy to sit on the throne of
Vikramaditya :

  1. a desire not to rule over kingdoms that were not his own,
  2. a pure heart like a child,
  3. a desire not to possess the riches of others and life full of justice.

(विक्रमादित्य के सिंहासन पर बैठने योग्य बनने के लिए राजा को निम्नलिखित गुणों की आवश्यकता थी–

  1. ऐसे राज्यों पर राज्य न करने की इच्छा जो उसके नहीं थे,
  2. बच्चे के समाने पवित्र हृदय,
  3. दूसरों का धन न हड़पने की इच्छा और न्यायसंगत जीवन।)

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Question 13.
What qualities did the last angel want the king to have in order to be worthy of sitting on the throne? What did the last angel do then ?
(अन्तिम देवदूत उस सिंहासन पर बैठने के योग्य बनने के लिए राजा में किन गुणों को चाहता था ? तब अन्तिम देवदूत ने क्या किया ?)
Answer:
The last angel wanted the king to have pure heart like a child in order to be worthy of sitting on the throne which the king did not have. Then the last angel flew up into the sky bearing the throne (UPBoardSolutions.com) upon his head.
(अन्तिम देवदत उस सिंहासन पर बैठने के योग्य बनने के लिए राजा में बच्चे के समान पवित्र हृदय चाहता था। ऐसा हृदय राजा के पास नहीं था। तब अन्तिम देवदूत सिंहासन को अपने सिर पर रखकर आसमान में उड़ गया।)

Question 14.
Why did the judgement-seat of Vikramaditya disappear from the earth ?
(विक्रमादित्य का न्याय-सिंहासन इस पृथ्वी से क्यों लुप्त हो गया ?) [2012, 16,17]
Answer:
The judgement-seat of Vikramaditya disappeared from the earth because no other king was able to match Vikramaditya in the matter of justice.
(विक्रमादित्य का न्याय-सिंहासन इस पृथ्वी से इसलिए लुप्त हो गया, क्योंकि कोई भी राजा न्याय के मामले में विक्रमादित्य के समान योग्य नहीं था।)

Question 15.
who was vikramaditya ? why is vikramaditya called the greatest | judge in history ? [2009, 11, 14]
(विक्रमादित्य कौन था ? विक्रमादित्य को ‘इतिहास का सबसे बड़ा न्यायाधीश’ क्यों कहते हैं ?)
                                  Or
Who is called ‘the greatest judge in history ? Why did the guilty tremble before him ? [2009]
( इतिहास में सबसे बड़ा न्यायाधीश’ कौन है ? अपराधी उसके सामने क्यों काँप जाता था ?)
                                  Or
Why is Vikramaditya said to be the greatest judge in history?
(इतिहास में विक्रमादित्य को सबसे बड़ा न्यायाधीश क्यों कहा गया है ?) [2015, 16, 17]
Answer:
Vikramaditya was the king of Ujjain. He is called the greatest judge in history because he always gave perfect justice to his people. Guilty persons trembled to come to him.
(विक्रमादित्य उज्जैन का राजा था। उसको इतिहास का सबसे (UPBoardSolutions.com) बड़ा न्यायाधीश इसलिए कहते हैं क्योंकि उसने सदैव अपनी प्रजा को पूरा न्याय प्रदान किया। दोषी लोग उनके सामने आने पर काँपते थे।)

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Question 16.
What was the special quality of vikramaditya ? [2017]
(राजा विक्रमादित्य का विशेष गुण क्या था ?)
Answer:
The special quality of king Vikramaditya was that he always gave perfect judgement and the guilty trembled to come to him.
(राजा विक्रमादित्य का विशेष गुण यह था कि वह सदैव सही निर्णय देता था। दोषी उनके सामने आने पर काँपते थे।)

Question 17.
why was king Vikramaditya so famous ? [2011, 12, 16]
(राजा विक्रमादित्य इतने प्रसिद्ध क्यों थे ?)
                             Or
Why was King Vikramaditya praised by the people or one and all ? [2013, 14, 15, 16, 17]
(राजा विक्रमादित्य की सभी के द्वारा प्रशंसा क्यों की जाती थी ?)
Answer:
King Vikramaditya was famous (or was prised by all) for his justice. He gave perfect justice to his people.
(राजा विक्रमादित्य न्याय के लिए प्रसिद्ध थे। वे अपनी प्रजा को सही और पूर्ण न्याय देते थे।)

Question 18.
“Have you never desired to possess the riches of others ………?” Who said this and why ?
(“क्या तुमने कभी दूसरों का धन लेने की इच्छा नहीं की……?” यह किसने कहा और क्यों ?)
Answer:
Another angel asked this question because the king wanted to sit on the judgement-seat of Vikramaditya. (यह प्रश्न दूसरे देवदूत ने पूछा क्योंकि राजा विक्रमादित्य के सिंहासन पर बैठना चाहता था।)

Question 19.
There is a sentence, And at these words the angel flew up into the sky.” What does these words refer to here?
(एक वाक्य है, “इन शब्दों पर देवदूत आकाश में उड़ गया,” यहाँ “These words’ नामक शब्द किस प्रसंग को बताते हैं ?)
Answer:
Here these words’ refers to the words of the king, “No, I am not worthy.”
(यहाँ ये शब्द राजा के इन शब्दों के प्रसंग (UPBoardSolutions.com) में है-“नहीं, मैं योग्य नहीं हूँ।”)

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Question 20.
what did the last angel say to the king ?
(अन्तिम देवदूत ने राजा से क्या कहा ?)
Answer:
The last angel said to the king, “Are you then, perfectly pure in heart, 0 king? Is your heart as pure as that of a little child? If so, you are indeed worthy to sit on his seat.”
(अन्तिम देवदूत ने राजा से कहा, “तब क्या तुम पूर्णरूप से मन से पवित्र हो? क्या तुम्हारा हृदय इतना ही शुद्ध है। जितना एक छोटे बच्चे का? यदि ऐसा है तब तुम वास्तव में इस सिंहासन पर बैठने योग्य हो।’)।

Question 21.
when and where did the last angel fly and to what result ?
(अन्तिम देवदूत कब और कहाँ उड़ गया और क्या परिणाम हुआ ?)
Answer:
When the king said ‘No’, the last angel flew into the sky and took away the slab on his head.
(जब राजा ने कहा ‘नहीं’, तब अन्तिम देवदूत (UPBoardSolutions.com) आकाश में उड़ गया और उस पत्थर की शिला को भी अपने सिर पर रख कर ले गया।)

Question 22.
What happened when the king tried again to sit on the , judgement-seat ?
( जब राजा ने पुनः सिंहासन पर बैठने की कोशिश की तब क्या हुआ ?) Ans. When ever the king tried to occupy the throne, he was questioned by an angel and he had to withdraw. (जब भी राजा ने सिंहासन पर बैठने की चेष्टा की, देवदूत के द्वारा प्रश्न पूछे गए और उसे पीछे हटना पड़ा।)

Question 23.
How many stone angels supported the seat ?
(पत्थर के कितने देवदूत सिंहासन को अपने ऊपर टिकाए हुए थे ?)
Answer:
Twenty-five stone angels supported the seat. । (पच्चीस पत्थर के देवदूत सिंहासन को अपने ऊपर टिकाए हुए थे।)

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Question 24.
What happened on the fourth day ?
(चौथे दिन क्या हुआ ?)
Answer:
On the fourth day also the same thing happened. The another fairy asked the king a question. The king answered in negative. So that angel also flew away.
(चौथे दिन भी वही बात हुई, दूसरे देवदूत ने राजा (UPBoardSolutions.com) से प्रश्न किया, राजा का उत्तर ‘ना’ में था। अत: वह देवदूत भी उड़ गया।)

Question 25.
Who was Vikramaditya? Where did he reign? [2014, 15] 
Answer:
Vikramaditya was a king famous for his justice. He reigned over Ujjain.
(विक्रमादित्य अपने न्याय के लिए प्रसिद्ध एक राजा था। वह उज्जैन पर शासन करता था।)

Question 26.
Where did King Vikramaditya reign? What did he decide to do? [2018]
(राजा विक्रमादित्य कहाँ शासन करता था? उसने क्या करने का निश्चय किया?)
Ans.
King Vikramaditya reigned over Ujjain. He decided to do justice.
(राजा विक्रमादित्य उज्जैन पर शासन करता था। उसने न्याय करने का निश्चय किया।)

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Question 27.
What do we know definitely about king Vikramaditya ? [2015, 18]
(हम विक्रमादित्य के बारे में क्या निश्चित रूप से क्या जानते हैं?)
Answer:
We do not know anything definite about Vikramaditya except his learning and justice.
(सिवाय न्याय तथा विद्वता के हम विक्रमादित्य (UPBoardSolutions.com) के बारे में कोई निश्चित बात नहीं जानते हैं।)

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MULTIPLE CHOICE TYPE QUESTIONS

Select the most suitable alternative to complete each of the following statements :

1. Vikram Samvat’ owes its origin to ………… [2011, 12, 14, 16]
(a) Lord Buddha.
(b) Ashoka.
(c) Vikramaditya.

2. Vikramaditya is famous for his …. [2012, 16, 17, 18]
(a) wisdom.
(b) justice.
(c) honesty.
(d) love for his subject.

3. The labourers dug out a block of marble slab supported on the hands and wings of stone-angels numbering ……….. [2009, 13]
(a) a dozen.
(b) twenty.
(c) twenty-five.
(d) thirty-one.

4. The judgement-seat of Vikramaditya was made of … [2013, 14, 16, 18]
(a) gold.
(b) silver.
(c) iron.
(d) stone.

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5. When the king of Ujjain was making his first attempt to sit on the throne of Vikramaditya ………..
(a) his judges and priests warned him against doing so.
(b) the shephered boy stood in his way and stopped him from going to the throne.
(c) one of the angels told him to purify himself to be worthy to sit on it and
flew away.

6. The king of Ujjain could not occupy the throne because ………… [2011, 12, 14, 15]
(a) he was not as just as Vikramaditya.
(b) his heart was not as pure as that of a little child. 
(c) he had desired to possess the riches of others.

7. The angel asked the king to go and fast aid pray for three days so that [2015]
(a) somebody else could try to ascend the throne.
(b) no one might occupy it.
(c) the king might purify himself and be worthy to sit on the throne.

8. The shepherd-boy sitting on the mound looked changed because he [2011]
(a) listened to the complaints.
(b) was no ordinary boy.
(c) got the spirit of knowledge and justice.
(d) had to decide the disputes.

9. The guilty trembled before Vikramaditya because [2011, 12, 14, 16, 17, 18]
(a) he was very cruel.
(b) he was unjust.
(c) he was intelligent enough to know their guilt.
(d) he looked very fearful.

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10. The king could not sit on the judgement-seat of Vikramaditya because [2012, 14, 16, 17, 18]
(a) he was afraid of the cowherd boy.
(b) every day he was pushed aside by an angel.
(c) he thought himself to be unworthy of it.
(d) he wanted to be a just king.

11. The last angel did not allow the king to sit on the judgement-seat of Vikramaditya because
(a) the king had not completed his prayer.
(b) the angel was not in a good mood.
(c) the king had come before the right time.
(d) the king’s heart was not as pure as that of a child.

12. When the mound was dug deep, the king found ……. [2009, 11, 16]
(a) seven jars full of gold coins.
(b) skeletons of dead soldiers.
(c) rare musical instruments.
(d) the judgement-seat of Vikramaditya. 

13. The judgement-seat of Vikramaditya was found …..
(a) in the jungle.
(b) in the river.
(c) deep under the mound.

14. Vikramaditya was never deceived because ……….. [2014, 15]
(a) he was the king.
(b) he would see straight into guilt of guilty persons.
(c) he was a magician.

15. The angels took the judgement-seat to ………... [2011, 13, 14, 15, 16, 17]
(a) the sky
(b) another kingdom.
(c) the sea
(d) the hell

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16. The judgement-seat of Vikramaditya was found in ………. [2011, 13, 14, 15, 16, 17, 18]
(a) Indore.
(b) Delhi.
(c) Ujjain.
(d) Bhopal.

17. In due course of time, the palace and the fortress of Vikramaditya were ……………. [2015]
(a) ruined
(b) decorated
(c) rebuilt
(d) lost.

18. At last the labourers found a slab of black marble supported on the hands and wings of …………… [2015]
(a) thirty-five stone angels.
(b) twenty-five stone angels.
(c) twenty-one stone angels.
(d) twenty-seven stone angels.

TRUE/FALSE STATEMENTS

State whether the following statements are ‘True’ or ‘False’:
1. Vikramaditya always punished the wrong/innocent man. [2011, 13, 14, 16, 17, 18]
2. Vikramaditya loved justice and learning. [2014, 15, 16]
3. King Vikramaditya did not love justice and learning. [2011, 12, 14]
4. Vikramaditya was the king of Ujjain. [2011, 16]
5. The famous judgement-seat (UPBoardSolutions.com) of Vikramaditya, as dug out of a mound, was supported on the hands of twenty-four stone angles.
6. The judgement-seat of Vikramaditya was lying buried in the pasture.
7. After the death of Vikramaditya, the people of Ujjain, in due course of time, forgot him.
8. The first angel asked the king of Ujjain if he was worthy to sit on the judgement-seat of Vikramaditya.
9. The judgement-seat of Vikramaditya did not disappear from the earth
10. After observing three days’ prayer and fasting the king ascended the throne. [2011]
11.Vikram Samvat owes its origin to Vikramaditya. (2011, 12, 16, 17, 18] 12.
12.The beautiful palace of Vikramaditya stands even today in Ujjain. [2010, 12, 13, 14, 15, 17, 18]
13. When the shepherd-boy sat on the mound the spirit of knowledge and justice would come to him.
14. Vikramaditya was never deceived. [2009, 11, 15, 17]
15. Vikramaditya never failed in getting at the culprit.
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16. It is said that Vikramaditya was not the greatest judge in history. [2018]
17. The angel flew up into the sky bearing the slab upon his head.
18. The cowherd boy sat on the mound and became grave and serious.
19. The king of Ujjain, at last, sat on the throne of Vikramaditya. [2011, 14]
20. No one knows the name of Vikramaditya in India. [2009, 18]
21. The last angel allowed the king of Ujjain to sit on the judgement-seat of | Vikramaditya. [2009, 18]
22. We all are unfamiliar with the name of Vikramaditya. [2010, 16]
23. Vikramaditya is famous for his justice. [2011, 13, 16, 17]
24. The guilty trembled coming before him.
25. Many boys gathered to play near the ruin of the palace of Vikramaditya
which became a pasture land afterwards.
26. One boy sat on the mound and declared him a doctor.
27. The king of Ujjain ordered to dig under the mound.
28. The king prayed and fasted for 5 days.
29. The last angel was pleased with the king of Ujjain and let him sit on the Judgement-seat of Vikramaditya.
30. The Judgement-seat of Vikramaditya was a slab of white marble. [2012, 15, 16]
31. The Judgement-seat of Vikramaditya was supported on the hands and wings of twenty-five stone angles. [2012, 15, 18]
32. Vikramaditya loved experiments. [2012, 14]
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33. When the boy jumped down from his seat, he was quite different from other boys. [2014]
34. Vikramaditya always punished innocents. [2014]
35. Vikramaditya loved injustice. [2014, 18]
36. The judgement-seat of Vikramaditya was supported on the hands and wings of twenty-five stone angels. [2015]
37. King Vikramaditya did justice. [2015]
38. The beautiful palace of (UPBoardSolutions.com) Vikramaditya stood in Delhi. [2016]
39. The judgement-seat of Vikramaditya was lying buried in the pasture. [2017]
Answer:
1. T, 2. T, 3. F, 4. T, 5. F, 6. T, 7. T, 8. T, 9. F, 10. F, 11. T, 12. F, 13. T, 14. T, 15. T, 16. F, 17. T, 18. T, 19. F, 20. F, 21. F. 22. F, 23. T, 24. T, 25. T, 26. F, 27. T, 28. F, 29. F, 30. F, 31. T, 32. F, 33. F, 34. F, 35. F, 36. T, 37. T, 38. F, 39. T.

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