UP Board Solutions for Class 10 Commerce Chapter 20 उपयोगिता व उपयोगिता ह्रास नियम

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Board UP Board
Class Class 10
Subject Commerce
Chapter Chapter 20
Chapter Name उपयोगिता व उपयोगिता ह्रास नियम
Number of Questions Solved 27
Category UP Board Solutions

UP Board Solutions for Class 10 Commerce Chapter 20 उपयोगिता व उपयोगिता ह्रास नियम

बहुविकल्पीय प्रश्न (1 अंक)

प्रश्न 1.
धनी व्यक्ति के लिए आय में वृद्धि से मुद्रा की सीमान्त उपयोगिता
(a) बढ़ती है
(b) घटती है
(c) स्थिर रहती है
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(b) घटती है

प्रश्न 2.
जब सीमान्त उपयोगिता शून्य होती है, तब कुल उपयोगिता होती है
(a) ऋणात्मक
(b) धनात्मक
(c) सर्वाधिक
(d) शून्य
उत्तर:
(c) सर्वाधिक

प्रश्न 3.
सीमान्त उपयोगिता हास नियम के प्रतिपादक थे (2014)
(a) गौसेन
(b) फ्रेडरिक
(c) मार्शल
(d) फ्रेजर
उत्तर:
(a) गौसेन

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प्रश्न 4.
मधुर संगीत सुनने की दशा में सीमान्त उपयोगिता हास नियम
(a) लागू होता है
(b) लागू नहीं होता है
(c) कभी-कभी लागू होता है
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(b) लागू नहीं होता है

निश्चित उत्तरीय प्रश्न (1 अंक)

प्रश्न 1.
आवश्यकताएँ अनन्त/सीमित हैं। (2007)
उत्तर:
अनन्त

प्रश्न 2.
उपयोगिता का सृजन उपभोग है/उपभोग नहीं है। (2009)
उत्तर:
उपभोग है

प्रश्न 3.
उपयोगिता के सृजन/नाश को अर्थशास्त्र में उपयोग कहा जाता है। (2007)
उत्तर:
सृजन

प्रश्न 4.
उपयोगिता का सृजन ही उत्पादन/उपभोग है। (2010)
उत्तर:
उत्पादन

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प्रश्न 5.
उपयोगिता को मापा जा सकता है।नहीं मापा जा सकता है।
उत्तर:
नहीं मापा जा सकता है।

प्रश्न 6.
तुष्टिगुण वस्तुगत/मनुष्यगत होता है।
उत्तर:
मनुष्यगत

प्रश्न 7.
उपभोग से वस्तुओं की उपयोगिता में कमी/वृद्धि होती है। (2011)
उत्तर:
कमी होती है

प्रश्न 8.
किसी वस्तु की सीमान्त उपयोगिता शून्य हो सकती है।नहीं हो सकती है।
उत्तर:
शून्य हो सकती है

प्रश्न 9.
कुल उपयोगिता हमेशा बढ़ती है/नहीं बढ़ती है।
उत्तर:
नहीं बढ़ती है

अतिलघु उत्तरीय प्रश्न (2 अंक)

प्रश्न 1.
उपयोगिता के प्रकार बताइए।
उत्तर:
उपयोगिता निम्नलिखित दो प्रकार की होती है

  1. सीमान्त उपयोगिता
  2. कुल उपयोगिता

प्रश्न 2.
सीमान्त उपयोगिता क्या है?
उत्तर:
किसी वस्तु की एक से अधिक इकाइयों का (UPBoardSolutions.com) जब कोई उपभोक्ता उपयोग करता है, तो उपभोग की गई अन्तिम इकाई को सीमान्त इकाई कहते हैं तथा उस वस्तु की सीमान्त इकाई से जो तुष्टिगुण प्राप्त होता है, वह सीमान्त तुष्टिगुण कहलाता है।

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प्रश्न 3.
उपयोगिता हास नियम को परिभाषित कीजिए एवं इसकी दो मान्यताएँ बताइए। (2016)
उत्तर:
बोल्डिग के अनुसार, “जब कोई उपयोगिता, अन्य वस्तुओं का उपभोग स्थिर रखकर किसी एक वस्तु के उपभोग को बढ़ाता है, तो परिवर्तनशील वस्तु की उपयोगिता अन्त में अवश्य घटती है।”

उपयोगिता ह्रास नियम की दो मान्यताएँ निम्नलिखित हैं-

  1. किसी भी वस्तु का उपभोग निरन्तर किया जाना चाहिए।
  2. उपभोग वस्तु की प्रत्येक इकाई का परिमाण उचित होना चाहिए अन्यथा प्रारम्भिक अवस्था में ही आवश्यकता की तीव्रता घटने के स्थान पर अधिक हो जाएगी।

लघु उत्तरीय प्रश्न (4 अंक)

प्रश्न 1.
उपयोगिता की विशेषताओं का वर्णन कीजिए। (2007)
उत्तर:
उपयोगिता की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं-

  1. उपयोगिता का सम्बन्ध वस्तु या सेवाओं की उस शक्ति से होता है, जो आवश्यकताओं को सन्तुष्ट करती है।
  2. किसी वस्तु या सेवा का उपभोग व्यक्ति को लाभ प्रदान कर रहा है। या हानि, इससे उपयोगिता का कोई लेना-देना नहीं होता है।
  3. उपयोगिता किसी वस्तु का उपभोग करने पर ही प्राप्त होती है। अत: उपयोगिता का सम्बन्ध उपभोगजन्य वस्तुओं से होता है, न कि पूँजीगत वस्तुओं से।
  4. एक ही वस्तु की उपयोगिता भिन्न व्यक्तियों के लिए समान या भिन्न परिस्थितियों में एक व्यक्ति के लिए ही अलग-अलग हो सकती है।
  5. उपयोगिता किसी वस्तु का वस्तुगत गुण नहीं है। वस्तु की उपयोगिता | (UPBoardSolutions.com) इसका उपभोग करने वाले पर निर्भर करती है।
  6. उपयोगिता व सन्तुष्टि दोनों एक नहीं हैं। उपयोगिता तो इच्छा की तीव्रता का द्योतक है, जोकि ‘सन्तुष्टि की शक्ति’ या ‘अनुमानित सन्तुष्टि’ से सम्बन्धित होती है।
  7. वस्तु के उपभोग में वृद्धि से अन्तत: उपयोगिता में ह्रास अवश्य होता है।

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प्रश्न 2.
कुल उपयोगिता पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
किसी वस्तु या सेवा की उपभोग की गई विभिन्न इकाइयों से प्राप्त उपयोगिता के योग को ‘कुल उपयोगिता’ कहते हैं। प्रो. मेयर्स के अनुसार, “उत्तरोत्तर इकाइयों के उपभोग द्वारा प्राप्त सीमान्त तुष्टिगुण के योग को ‘कुल उपयोगिता’ कहा जाता है। कुल उपयोगिता में सदैव वृद्धि नहीं होती है। जैसे-जैसे वस्तु की मात्रा में वृद्धि होती है, वैसे-वैसे कुल उपयोगिता में भी वृद्धि होती है, लेकिन इसमें वृद्धि की मात्रा, सीमान्त उपयोगिता पर निर्भर करती है। जब सीमान्त उपयोगिता बढ़ती है, तो कुल उपयोगिता कम होती है तथा कुल उपयोगिता के बढ़ने की दर धीमी हो जाती है। जब सीमान्त उपयोगिता शून्य होती है, तो कुल उपयोगिता अधिकतम हो जाती है। (UPBoardSolutions.com) जब सीमान्त उपयोगिता ऋणात्मक होती है, तो कुल उपयोगिता कम होने लगती है। निम्नलिखित उदाहरण द्वारा उपरोक्त तथ्यों को स्पष्ट किया जा सकता है-

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उपरोक्त उदाहरण से यह स्पष्ट होता है कि कुल उपयोगिता प्रारम्भ में तेजी से बढ़ती हुई तथा बाद में धीमी गति से बढ़ती हुई हो सकती है। कुल उपयोगिता जब अधिकतम होती है, तो उपभोक्ता के लिए वह पूर्ण सन्तुष्टि का बिन्दु होता है। उपरोक्त उदाहरण के अनुसार, यदि उपभोक्ता 6 इकाई से अधिक का उपभोग करता है, तो उसको प्राप्त कुल उपयोगिता गिरने लगेगी।

प्रश्न 3.
सीमान्त उपयोगिता व कुल उपयोगिता में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
सीमान्त उपयोगिता व कुल उपयोगिता में अन्तर

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प्रश्न 4.
सीमान्त उपयोगिता हास नियम पर टिप्पणी लिखिए।
अथवा
सीमान्त उपयोगिता हास नियम की व्याख्या कीजिए। (2016, 08, 06)
अथवा
क्रमागत उपयोगिता ह्रास नियम से आप क्या समझते हैं? (2015)
अथवा
उपयोगिता हास नियम की व्याख्या कीजिए। (2018)
उत्तर:
उपयोगिता ह्रास नियम से आशय एक अतिरिक्त इकाई के उपभोग से प्राप्त होने वाली उपयोगिता से है। इस नियम के प्रतिपादक एच.एच. गौसेन थे। सीमान्त उपयोगिता ह्रास नियम इस बात को स्पष्ट करता है कि किसी निर्धारित समय में एक व्यक्ति को (UPBoardSolutions.com) अतिरिक्त इकाई से मिलने वाली सन्तष्टि क्रमशः कम होती चली जाती है। इसका प्रमख कारण व्यक्ति की किसी आवश्यकता विशेष का क्रमशः सन्तुष्ट होते चले जाना है।

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एक व्यक्ति एक ही वस्तु को बहुत अधिक मात्रा में रखने की अपेक्षा अनेक प्रकार की वस्तुओं की थोड़ी-थोड़ी मात्रा रखना अधिक पसन्द करता है, क्योंकि जैसे-जैसे एक वस्तु की अधिक इकाइयाँ प्रयोग में ली जाती हैं, वैसे-वैसे उनकी सीमान्त उपयोगिता क्रमशः कम होती चली जाती है तथा अन्त में एक ऐसा बिन्दु आता है, जहाँ वस्तु के उपभोग से प्राप्त होने वाली सीमान्त उपयोगिता शून्य हो जाती है। इस बिन्दु को पूर्ण सन्तुष्टि का बिन्दु कहते हैं। यदि इस बिन्दु के बाद भी उपभोक्ता वस्तु का उपयोग जारी रखता है, तो उसे उपयोगिता के स्थान पर अनुपयोगिता प्राप्त होने लगती है। इसे ऋणात्मक उपयोगिता कहते हैं। उपयोगिता के गिरने की यही प्रवृत्ति सीमान्त उपयोगिता ह्रास नियम कहलाती है।

अर्थशास्त्र में इस प्रवृत्ति को ‘क्रमागत उपयोगिता ह्रास नियम’ या ‘ह्रासमान तुष्टिगुण नियम’ भी कहा जाता है। मार्शल के अनुसार, “मनुष्य के पास किसी वस्तु की मात्रा में वृद्धि होने से जो अतिरिक्त लाभ उसे प्राप्त होता है, अन्य बातें समान रहने पर वस्तु की मात्रा में होने वाली प्रत्येक वृद्धि के साथ-साथ वह लाभ क्रमशः घटता जाता है।” टॉमस के अनुसार, “किसी वस्तु की पूर्ति जैसे-जैसे बढ़ती जाती है, उससे प्राप्त उपयोगिता उसकी मात्रा में प्रत्येक वृद्धि के (UPBoardSolutions.com) साथ-साथ घटती जाती है।’ बोल्डिग के अनुसार, “जब कोई उपभोक्ता, अन्य वस्तुओं का उपभोग स्थिर रखकर किसी एक वस्तु के उपभोग को बढ़ाता है, तो परिवर्तनशील वस्तु की सीमान्त उपयोगिता अन्त में अवश्य घटती है।”

प्रश्न 5.
‘सीमान्त उपयोगिता हास नियम’ की मान्यताओं का वर्णन कीजिए। (2009)
उत्तर:
सीमान्त उपयोगिता ह्रास नियम की प्रमुख मान्यताएँ निम्नलिखित हैं-

1. निरन्तर उपभोग किसी भी वस्तु का उपभोग निरन्तर होना चाहिए, अन्यथा यह नियम लागू नहीं होगा। यदि हम भोजन दो बार करते हैं, तो प्रत्येक बार भोजन करने पर सन्तोष मिलेगा, परन्तु यदि भोजन लगातार किया जाए, तो रोटी की प्रत्येक अगली इकाई से प्राप्त उपयोगिता कम होती जाएगी।

2. मात्रा व आकार उपभोग वस्तु की प्रत्येक इकाई का परिमाण उचित होना चाहिए, अन्यथा प्रारम्भिक अवस्था में ही आवश्यकता की तीव्रता घटने के स्थान पर अधिक हो जाएगी। उदाहरण-यदि एक प्यासे व्यक्ति को चम्मच से पानी पिलाया जाए, तो कुछ चम्मच पानी की इकाइयों तक उसकी उपयोगिता घटने के स्थान पर बढ़ती जाएगी।

3. अपरिवर्तित मूल्य यदि उपभोग की जाने वाली वस्तु का उपभोग करते समय किसी अगली इकाई का मूल्य बढ़ या घट जाता है, तो यह नियम लागू नहीं होगा; जैसे-दो आम एक ही कीमत के होने चाहिए।

4. स्थानापन्न वस्तुओं के मूल्य में परिवर्तन नहीं उपभोग की जाने वाली वस्तु की स्थानापन्न वस्तु का मूल्य भी पहले के समान रहना चाहिए अन्यथा यह नियम लागू नहीं होगा। चाय और कॉफी दो स्थानापन्न वस्तुएँ हैं। यदि चाय की कीमत बढ़ जाती है, तो कॉफी की उपयोगिता पहले की अपेक्षा बढ़ जाएगी।

5. मानसिक दशा में परिवर्तन न हो यह नियम उसी समय लागू होगा जब उपभोक्ता की मानसिक स्थिति में किसी प्रकार की परिवर्तन न हो उदाहरण यदि कोई उपभोक्ता किसी समय खाना खाने के दौरान दो रोटियाँ खाने के बाद भाँग या शराब का प्रयोग करता है, (UPBoardSolutions.com) तो उसकी मानसिक स्थिति में परिवर्तन हो जाएगा। इसके पश्चात् हो सकता है कि तीसरी रोटी से उसे पहले उपभोग की गई दो रोटियों से अधिक सन्तुष्टि मिले।

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6. आदत, रुचि, फैशन, आय, आदि में परिवर्तन न हो यह नियम उसी समय लागू होता है, जब उपभोक्ता की आदत, रुचि, फैशन तथा आय संमान रहती है। इनमें से किसी में परिवर्तन होने पर वस्तु की उपयोगिता , घटने के स्थान पर बढ़ सकती है।

प्रश्न 6.
सीमान्त उपयोगिता हास नियम के अपवादों को समझाइए। (2007)
उत्तर:
उपयोगिता ह्रास नियम के अपवादों को दो भागों में विभक्त किया जा सकता है-

1. दिखावटी अपवाद दिखावटी अपवाद निम्नलिखित हैं

  • उपभोग की इकाई सूक्ष्म हो यदि उपभोग की इकाई एक आदर्श इकाई न होकर अत्यन्त सूक्ष्म इकाई हो, तो यह नियम लागू नहीं हो पाएगा। यह अपवाद दिखावटी अपवाद है।
  • दुर्लभ व विलक्षण वस्तुएँ ऐसा कहा जाता है कि दुर्लभ वस्तुओं के सन्दर्भ में यह नियम लागू नहीं होता है; जैसे–दुर्लभ डाक टिकट, पेंटिंग, दुर्लभ सिक्कों, आदि के सन्दर्भ में यह देखा जाता है कि इनको कितनी मात्रा में भी एकत्र किया जाए, इनकी (UPBoardSolutions.com) उपयोगिता में कमी नहीं आती है।
  • कंजूस व्यक्ति की धन-संग्रह प्रवृत्ति यह अपवाद बताता है कि कंजूस व्यक्ति के पास जितना अधिक धन बढ़ता जाता है, उसे एकत्र करने की उसकी इच्छा और अधिक बढ़ती चली जाती है।
  • मादक वस्तुओं का प्रयोग ऐसे व्यक्ति जो मादक व नशीली वस्तुओं का प्रयोग करते हैं, उनको उन नशीली वस्तुओं की अतिरिक्त इकाइयों से अधिक उपयोगिता मिलती है।
  • वस्तु व सेवा के प्रयोग में वृद्धि नियम के अपवाद के सन्दर्भ में यह कहा गया है कि कुछ वस्तु व सेवाओं के प्रयोग में वृद्धि से उपयोगिता क्रमशः गिरने की अपेक्षा बढ़ती है।

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2. वास्तविक अपवाद वास्तविक अपवाद निम्नलिखित हैं

  • अच्छी कविता या मधुर संगीत इस सन्दर्भ में यह तर्क दिया गया है। कि अच्छी कविता या मधुर संगीत को जितनी बार सुना जाए, उससे प्राप्त होने वाली उपयोगिता कम नहीं होती है, लेकिन व्यवहार में हमयह सिद्ध कर सकते हैं कि उपयोगिता घटती हुई प्रतीत होने लगती है।
  • उपभोग की आरम्भिक अवस्था वस्तु के प्रभावपूर्ण उपयोग के लिए उसकी पर्याप्त मात्रा का होना भी आवश्यक है। अत: यह सम्भव है कि उपभोग की प्रारम्भिक इकाइयों में उपयोगिता बढ़ती हुई मिले, लेकिन एक बिन्दु के पश्चात् इसमें भी गिरावट अवश्य हो जाएगी।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न (8 अंक)

प्रश्न 1.
उपयुक्त रेखाचित्र की सहायता से ‘सीमान्त उपयोगिता हास नियम’ की व्याख्या कीजिए। ( 2014)
अथवा
एक उपयुक्त रेखाचित्र की सहायता से ‘क्रमागत सीमान्त उपयोगिता हास नियम’ की व्याख्या कीजिए। (2013)
अथवा
एक सारणी और रेखाचित्र की सहायता से हासमान सीमान्त उपयोगिता नियम की व्याख्या कीजिए। (2011)
अथवा
सीमान्त उपयोगिता हास नियम की रेखाचित्र की सहायता से व्याख्या कीजिए। (2010)
अथवा
उपयोगिता ह्रास नियम क्या है? उदाहरण एवं रेखाचित्र की सहायता से इसे समझाइए। इस नियम का क्या महत्त्व है? . (2007)
अथवा
उपयोगिता हास नियम की व्याख्या कीजिए। इसे उपयुक्त तालिका तथा रेखाचित्र द्वारा भी स्पष्ट कीजिए। (2007)
अथवा
उपयुक्त उदाहरण एवं रेखाचित्र की सहायता से उपयोगिता हास नियम की व्याख्या कीजिए। (2006)
उत्तर:
उपयोगिता ह्रास नियम से आशय किसी वस्तु की एक से अधिक इकाइयों का जब कोई उपभोक्ता उपयोग करता है, तो उपभोग की गई अन्तिम इकाई को सीमान्त इकाई कहते हैं तथा उस वस्तु की सीमान्त इकाई से जो तुष्टिगुण प्राप्त होता है, वह सीमान्त (UPBoardSolutions.com) तुष्टिगुण कहलाता है।

उपयोगिता ह्रास नियम या सीमान्त उपयोगिता ह्रास नियम का उदाहरण द्वारा स्पष्टीकरण

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उपरोक्त उदाहरण से यह स्पष्ट होता है कि पहली, दूसरी व तीसरी इकाइयों से क्रमशः बढ़ती हुई सीमान्त उपयोगिता प्राप्त हो रही है, किन्तु जैसा कि हमें ज्ञात है कि एक सीमा के पश्चात् यो अन्त में या एक बिन्दु के पश्चात् सीमान्त उपयोगिता में गिरावट अवश्य आती है। उदाहरण में चौथी इकाई का प्रयोग करने पर तीसरी इकाई की अपेक्षा कम सीमान्त उपयोगिता प्राप्त हुई है। छठी इकाई पर सीमान्त उपयोगिता शून्य है। इसका (UPBoardSolutions.com) आशय है कि पूर्ण सन्तुष्टि का बिन्दु आ गया है। इस बिन्दु के पश्चात् भी इकाइयों का उपभोग किया जाएगा, तो सीमान्त उपयोगिता  ऋणात्मक हो जाएगी।

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विवेचन/स्पष्टीकरण रेखाचित्र में सीमान्त उपयोगिता रेखा (MU) तीन इकाइयों (a, b, c) तक बढ़ती है अर्थात् सीमान्त उपयोगिता प्रारम्भ में तेजी से बढ़ती है। इसके पश्चात् चौथी इकाई का प्रयोग करने पर MU रेखा नीचे की ओर गिरने लगती है और यह छठी इकाई

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तक लगातार गिरती जाती है और सीमान्त उपयोगिता शून्य हो जाती है। यह पूर्ण सन्तुष्टि का बिन्दु होता है। इस इकाई के पश्चात् सीमान्त उपयोगिता ऋणात्मक होने लगती है। उपयोगिता ह्रास नियम का महत्त्व उपयोगिता ह्रास नियम के महत्त्व को निम्न बिन्दुओं द्वारा समझा जा सकता है

  1. कीमत निर्धारण में महत्त्व यह नियम मूल्य निर्धारण में महत्त्वपूर्ण मार्गदर्शक होता है। किसी वस्तु की पूर्ति अधिक होने पर उसकी सीमान्त उपयोगिता गिरती चली जाती है, अत: उसका विनिमय मूल्य भी गिरता जाता है। अतः यह नियम मूल्य सिद्धान्त का आधार है।
  2. समाजवाद को आधार समाजवादी व्यवस्था में धनी वर्ग पर कर लगाकर, उनसे प्राप्त धनराशि को गरीबों पर व्यय किया जाता है, क्योंकि अमीरों की तुलना में गरीबों के लिए धन की सीमान्त उपयोगिता अधिक होती है।
  3. उपभोक्ता के व्यवहार की व्याख्या में सहायक यह नियम उपभोक्ता (UPBoardSolutions.com) की बचत, सम-सीमान्त उपयोगिता नियम, माँग का नियम, आदि उपभोक्ता व्यवहार के नियमों का आधार है।
  4. माँग के नियम का आधार इस नियम द्वारा यह ज्ञात होता है कि किसी वस्तु की अधिक इकाइयों का उपभोग करने पर उसकी उपयोगिता के, क्रमशः घटने के कारण उसकी माँग कम हो जाती है।
  5. उत्पादन व उपभोग में भिन्नता का स्पष्टीकरण यह नियम उपभोग तथा उत्पादन की जटिलता के कारणों पर प्रकाश डालने में सहायक होता है।

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उपयोगिता ह्रास नियम के अपवाद

उपयोगिता ह्रास नियम के अपवादों को दो भागों में विभक्त किया जा सकता है-

1. दिखावटी अपवाद दिखावटी अपवाद निम्नलिखित हैं

  • उपभोग की इकाई सूक्ष्म हो यदि उपभोग की इकाई एक आदर्श इकाई न होकर अत्यन्त सूक्ष्म इकाई हो, तो यह नियम लागू नहीं हो पाएगा। यह अपवाद दिखावटी अपवाद है।
  • दुर्लभ व विलक्षण वस्तुएँ ऐसा कहा जाता है कि दुर्लभ वस्तुओं के सन्दर्भ में यह नियम लागू नहीं होता है; जैसे–दुर्लभ डाक टिकट, पेंटिंग, दुर्लभ सिक्कों, आदि के सन्दर्भ में यह देखा जाता है कि इनको कितनी मात्रा में भी एकत्र किया जाए, इनकी उपयोगिता में कमी नहीं आती है।
  • कंजूस व्यक्ति की धन-संग्रह प्रवृत्ति यह अपवाद बताता है कि कंजूस व्यक्ति के पास जितना अधिक धन बढ़ता जाता है, उसे एकत्र करने की उसकी इच्छा और अधिक बढ़ती चली जाती है।
  • मादक वस्तुओं का प्रयोग ऐसे व्यक्ति जो मादक व नशीली वस्तुओं का प्रयोग करते हैं, उनको उन नशीली वस्तुओं की अतिरिक्त इकाइयों से अधिक उपयोगिता मिलती है।
  • वस्तु व सेवा के प्रयोग में वृद्धि नियम के अपवाद के सन्दर्भ में यह कहा गया (UPBoardSolutions.com) है कि कुछ वस्तु व सेवाओं के प्रयोग में वृद्धि से उपयोगिता क्रमशः गिरने की अपेक्षा बढ़ती है।

2. वास्तविक अपवाद वास्तविक अपवाद निम्नलिखित हैं

  • अच्छी कविता या मधुर संगीत इस सन्दर्भ में यह तर्क दिया गया है। कि अच्छी कविता या मधुर संगीत को जितनी बार सुना जाए, उससे प्राप्त होने वाली उपयोगिता कम नहीं होती है, लेकिन व्यवहार में हमयह सिद्ध कर सकते हैं कि उपयोगिता घटती हुई प्रतीत होने लगती है।
  • उपभोग की आरम्भिक अवस्था वस्तु के प्रभावपूर्ण उपयोग के लिए उसकी पर्याप्त मात्रा का होना भी आवश्यक है। अत: यह सम्भव है कि उपभोग की प्रारम्भिक इकाइयों में उपयोगिता बढ़ती हुई मिले, लेकिन एक बिन्दु के पश्चात् इसमें भी गिरावट अवश्य हो जाएगी।

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प्रश्न 2.
कुल उपयोगिता व सीमान्त उपयोगिता से आप क्या समझते हैं? उदाहरण व चित्र की सहायता से समझाइए। (2008)
उत्तर:
वे वस्तुएँ जो मानव की आवश्यकताओं को पूरा कर सकें, मानव के लिए उपयोगी होती हैं। वस्तु के उपभोग से जो सन्तुष्टि प्राप्त होती है, उसे उपयोगिता कहा जाता है। उपयोगिता निम्नलिखित दो प्रकार की होती है

1. सीमान्त उपयोगिता या तुष्टिगुण सीमान्त उपयोगिता किसी वस्तु या सेवा की एक अतिरिक्त इकाई का उभयोग करने पर कुल उपयोगिता में वह वृद्धि है, जो उपयोगिता की एक और इकाई की वृद्धि के परिणामस्वरूप प्राप्त होती है। प्रो. ऐली के अनुसार, “किसी व्यक्ति के पास किसी वस्तु के स्टॉक की अन्तिम अथवा सीमान्त इकाई के तुष्टिगुण को उस व्यक्ति के लिए वस्तु-विशेष की ‘सीमान्त उपयोगिता’ कहा जाएगा।” प्रो. सैम्युलसन के अनुसार, “सीमान्त तुष्टिगुण उस अतिरिक्त उपयोगिता को बताती है, जो वस्तु की एक अतिरिक्त इकाई से मिलती है।” उदाहरण-यदि सुनील किसी टेबल को प्राप्त करने हेतु ₹ 100 तथा (UPBoardSolutions.com) कुर्सी को प्राप्त करने हेतु ₹ 50 व्यय करने को तैयार है, तो टेबल का तुष्टिगुण 100 इकाई तथा कुर्सी का तुष्टिगुण 50 इकाई हुआ। दूसरे शब्दों में, सुनील के लिए टेबल का तुष्टिगुण कुर्सी के तुष्टिगुण की अपेक्षा दोगुना अधिक है।

सीमान्त तुष्टिगुण (उपयोगिता) की अवस्थाएँ या रूप सीमान्त तुष्टिगुण (उपयोगिता) की निम्नलिखित तीन अवस्थाएँ होती हैं

  • धनात्मक जब तक किसी वस्तु के उपभोग से व्यक्ति को कुछ-न-कुछ सन्तुष्टि मिलती रहती है, तब व्यक्ति को मिलने वाली वह सन्तुष्टि सीमान्तं तुष्टिगुण का ‘धनात्मक तुष्टिगुण’ (उपयोगिता) कहलाता है।
  • शून्य जब वस्तु के उपभोग से व्यक्ति को न तो सन्तुष्टि मिलती है और न ही असन्तुष्टि मिलती है, तब इस स्थिति में सीमान्त तुष्टिगुण ‘शून्य हो जाता है। इस अवस्था को शून्य तुष्टिगुण या पूर्ण तृप्ति का बिन्दु (Point of saturation) कहा जाता है।
  • ऋणात्मक जब उपभोक्ता सीमान्त तुष्टिगुण के शून्य हो जाने के पश्चात् भी वस्तु का उपभोग करता है, तो इस स्थिति में सीमान्त तुष्टिगुण ऋणात्मक हो जाता है। इस अवस्था में उपभोक्ता को सन्तुष्टि मिलने के स्थान पर अनुपयोगिता प्राप्त होती है।

2. कुल उपयोगिता किसी वस्तु या सेवा की उपभोग की गई विभिन्न इकाइयों से प्राप्त उपयोगिता के योग को ‘कुल उपयोगिता’ कहते हैं। प्रो. मेयर्स के अनुसार, “उत्तरोत्तर इकाइयों के उपभोग द्वारा प्राप्त सीमान्त तुष्टिगुण के योग को ‘कुल उपयोगिता’ कहा जाता है। कुल उपयोगिता में सदैव वृद्धि नहीं होती है।”

तालिका द्वारा स्पष्टीकरण

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व्याख्या उपरोक्त तालिका के अनुसार प्रथम केले से उपभोक्ता को 35 कुल तुष्टिगुण प्राप्त हुआ। दूसरे केले का उपभोग करने से कुल तुष्टिगुण बढ़कर 35 + 30 = 65 हो गया। तीसरे केले का उपभोग करने पर कुल तुष्टिगुण 89 तथा चौथे केले के उपभोग पर (UPBoardSolutions.com) कुल तुष्टिगुण बढ़कर 101 हो गया। इस अवस्था को धनात्मक कहेंगे। चूंकि पाँचवें केले का सीमान्त तुष्टिगुण शून्य रहा, इसलिए कुल तुष्टिगुण में कोई वृद्धि नहीं हो पाई अतः इस अवस्था को शन्य कहा जाएगा और वह 101 ही रहा, किन्तु छठे केले का उपभोग करने पर कुल तुष्टिगुण घटकर 95 रह गया। इस प्रकार इस अवस्था को ऋणात्मक कहा जाएगा।

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सीमान्त तुष्टिगुण तथा कुल तुष्टिगुण में परस्पर सम्बन्ध (Mutual Relationship between Marginal Utility and Total Utility) सीमान्त तुष्टिगुण तथा कुल तुष्टिगुण में परस्पर घनिष्ठ सम्बन्ध है, जैसा कि निम्न तथ्यों से स्पष्ट है-

  1. प्रारम्भिक अवस्था में वस्तु के उपभोग से सीमान्त तुष्टिगुण घटता है, परन्तु कुल तुष्टिगुण बढ़ता है।
  2. जब तक सीमान्त तुष्टिगुण धनात्मक रहता है, तब तक कुल तुष्टिगुण भी बढ़ती रहता है।
  3. जिस बिन्दु पर सीमान्त तुष्टिगुण शून्य हो जाता है, उस बिन्दु पर कुल तुष्टिगुण अधिकतम होता है। यह बिन्दु पूर्ण तृप्ति का बिन्दु कहलाता है।
  4. यदि पूर्ण तृप्ति के पश्चात् भी उपभोक्ता वस्तु का उपभोग करता है, तो सीमान्त तुष्टिगुण ऋणात्मक हो जाता है तथा कुल तुष्टिगुण घटने लगता है।

रेखाचित्र द्वारा स्पष्टीकरण कुल तुष्टिगुण में दी गई तालिका द्वारा सीमान्त व कुल तुष्टिगुण को रेखाचित्र द्वारा निम्न प्रकार स्पष्ट किया गया है-

व्याख्या उपरोक्त रेखाचित्र में रेखा OX पर उपभोग किए गए केलों की इकाइयाँ तथा रेखा oy पर प्राप्त उपयोगिता दिखाई। गई है। AC रेखा सीमान्त। तुष्टिगुण की है। जैसे-जैसे अगले केले का उपभोग करते हैं, वैसे-वैसे सीमान्त तुष्टिगुण रेखा गिरती जाती है और कुल तुष्टिगुण रेखा बढ़ती जाती है।
पूर्ण तृप्ति का बिन्दु ‘U’ पर सीमान्त तुष्टिगुण शून्य तथा कुल तुष्टिगुण रेखा अधिकतम है। जैसे ही अगले (छठे) केले का उपभोग किया जाता है, तो सीमान्त तुष्टिगुण रेखा ऋणात्मक हो जाती है और कुल तुष्टिगुण रेखा भी गिरने लगती है।

निष्कर्ष अतः स्पष्ट है कि रेखाचित्र में सीमान्त तुष्टिगुण रेखा जैसे-जैसे गिरती जाएगी, कुल तुष्टिगुण रेखा ऊपर की ओर उठती रहेगी। सीमान्त तुष्टिगुण रेखा जैसे ही शून्य बिन्दु पर होगी, कुल तुष्टिगुण रेखा स्थिर (अधिकतम) बिन्दु पर होगी। जैसे ही सीमान्त तुष्टिगुण रेखा ऋणात्मक होगी, कुल तुष्टिगुण रेखा भी नीचे की ओर गिर जाएगी।

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प्रश्न 3.
उपयुक्त उदाहरण द्वारा कुल उपयोगिता तथा सीमान्त उपयोगिता में अन्तर कीजिए। (2018)
उत्तर:
सीमान्त उपयोगिता व कुल उपयोगिता में अन्तर

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वे वस्तुएँ जो मानव की आवश्यकताओं को पूरा कर सकें, मानव के लिए उपयोगी होती हैं। वस्तु के उपभोग से जो सन्तुष्टि प्राप्त होती है, उसे उपयोगिता कहा जाता है। उपयोगिता निम्नलिखित दो प्रकार की होती है

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1. सीमान्त उपयोगिता या तुष्टिगुण सीमान्त उपयोगिता किसी वस्तु या सेवा की एक अतिरिक्त इकाई का उभयोग करने पर कुल उपयोगिता में वह वृद्धि है, जो उपयोगिता की एक और इकाई की वृद्धि के परिणामस्वरूप प्राप्त होती है। प्रो. ऐली के अनुसार, “किसी व्यक्ति के पास किसी वस्तु के स्टॉक की अन्तिम अथवा सीमान्त इकाई के तुष्टिगुण को उस व्यक्ति के लिए वस्तु-विशेष की ‘सीमान्त उपयोगिता’ कहा जाएगा।” प्रो. सैम्युलसन के (UPBoardSolutions.com) अनुसार, “सीमान्त तुष्टिगुण उस अतिरिक्त उपयोगिता को बताती है, जो वस्तु की एक अतिरिक्त इकाई से मिलती है।” उदाहरण-यदि सुनील किसी टेबल को प्राप्त करने हेतु ₹ 100 तथा कुर्सी को प्राप्त करने हेतु ₹ 50 व्यय करने को तैयार है, तो टेबल का तुष्टिगुण 100 इकाई तथा कुर्सी का तुष्टिगुण 50 इकाई हुआ। दूसरे शब्दों में, सुनील के लिए टेबल का तुष्टिगुण कुर्सी के तुष्टिगुण की अपेक्षा दोगुना अधिक है।

सीमान्त तुष्टिगुण (उपयोगिता) की अवस्थाएँ या रूप सीमान्त तुष्टिगुण (उपयोगिता) की निम्नलिखित तीन अवस्थाएँ होती हैं

  • धनात्मक जब तक किसी वस्तु के उपभोग से व्यक्ति को कुछ-न-कुछ सन्तुष्टि मिलती रहती है, तब व्यक्ति को मिलने वाली वह सन्तुष्टि सीमान्तं तुष्टिगुण का ‘धनात्मक तुष्टिगुण’ (उपयोगिता) कहलाता है।
  • शून्य जब वस्तु के उपभोग से व्यक्ति को न तो सन्तुष्टि मिलती है और न ही असन्तुष्टि मिलती है, तब इस स्थिति में सीमान्त तुष्टिगुण ‘शून्य हो जाता है। इस अवस्था को शून्य तुष्टिगुण या पूर्ण तृप्ति का बिन्दु (Point of saturation) कहा जाता है।
  • ऋणात्मक जब उपभोक्ता सीमान्त तुष्टिगुण के शून्य हो जाने के पश्चात् भी वस्तु का उपभोग करता है, तो इस स्थिति में सीमान्त तुष्टिगुण ऋणात्मक हो जाता है। इस अवस्था में उपभोक्ता को सन्तुष्टि मिलने के स्थान पर अनुपयोगिता प्राप्त होती है।

2. कुल उपयोगिता किसी वस्तु या सेवा की उपभोग की गई विभिन्न इकाइयों से प्राप्त उपयोगिता के योग को ‘कुल उपयोगिता’ कहते हैं। प्रो. मेयर्स के अनुसार, “उत्तरोत्तर इकाइयों के उपभोग द्वारा प्राप्त सीमान्त तुष्टिगुण के योग को ‘कुल उपयोगिता’ कहा जाता है। कुल उपयोगिता में सदैव वृद्धि नहीं होती है।”

तालिका द्वारा स्पष्टीकरण

UP Board Solutions for Class 10 Commerce Chapter 20 उपयोगिता व उपयोगिता ह्रास नियम

व्याख्या उपरोक्त तालिका के अनुसार प्रथम केले से उपभोक्ता को 35 कुल तुष्टिगुण प्राप्त हुआ। दूसरे केले का उपभोग करने से कुल तुष्टिगुण बढ़कर 35 + 30 = 65 हो गया। तीसरे केले का उपभोग करने पर कुल तुष्टिगुण 89 तथा चौथे केले के उपभोग पर कुल तुष्टिगुण बढ़कर 101 हो गया। इस अवस्था को धनात्मक कहेंगे। चूंकि पाँचवें केले का सीमान्त तुष्टिगुण शून्य रहा, इसलिए कुल तुष्टिगुण में कोई वृद्धि नहीं हो पाई अतः इस अवस्था को शन्य कहा जाएगा और वह 101 ही रहा, किन्तु छठे केले का उपभोग करने पर कुल तुष्टिगुण घटकर 95 रह गया। इस प्रकार इस अवस्था को ऋणात्मक कहा जाएगा।

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सीमान्त तुष्टिगुण तथा कुल तुष्टिगुण में परस्पर सम्बन्ध (Mutual Relationship between Marginal Utility and Total Utility) सीमान्त तुष्टिगुण तथा कुल तुष्टिगुण में परस्पर घनिष्ठ सम्बन्ध है, जैसा कि निम्न तथ्यों से स्पष्ट है-

  1. प्रारम्भिक अवस्था में वस्तु के उपभोग से सीमान्त तुष्टिगुण घटता है, परन्तु कुल तुष्टिगुण बढ़ता है।
  2. जब तक सीमान्त तुष्टिगुण धनात्मक रहता है, तब तक कुल तुष्टिगुण भी बढ़ती रहता है।
  3. जिस बिन्दु पर सीमान्त तुष्टिगुण शून्य हो जाता है, उस बिन्दु पर कुल (UPBoardSolutions.com) तुष्टिगुण अधिकतम होता है। यह बिन्दु पूर्ण तृप्ति का बिन्दु कहलाता है।
  4. यदि पूर्ण तृप्ति के पश्चात् भी उपभोक्ता वस्तु का उपभोग करता है, तो सीमान्त तुष्टिगुण ऋणात्मक हो जाता है तथा कुल तुष्टिगुण घटने लगता है।

रेखाचित्र द्वारा स्पष्टीकरण कुल तुष्टिगुण में दी गई तालिका द्वारा सीमान्त व कुल तुष्टिगुण को रेखाचित्र द्वारा निम्न प्रकार स्पष्ट किया गया है-

व्याख्या उपरोक्त रेखाचित्र में रेखा OX पर उपभोग किए गए केलों की इकाइयाँ तथा रेखा oy पर प्राप्त उपयोगिता दिखाई। गई है। AC रेखा सीमान्त। तुष्टिगुण की है। जैसे-जैसे अगले केले का उपभोग करते हैं, वैसे-वैसे सीमान्त तुष्टिगुण रेखा गिरती जाती है और कुल तुष्टिगुण रेखा बढ़ती जाती है।
पूर्ण तृप्ति का बिन्दु ‘U’ पर सीमान्त तुष्टिगुण शून्य तथा कुल तुष्टिगुण रेखा अधिकतम है। जैसे ही अगले (छठे) केले का उपभोग किया जाता है, तो सीमान्त तुष्टिगुण रेखा ऋणात्मक हो जाती है और कुल तुष्टिगुण रेखा भी गिरने लगती है।

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निष्कर्ष अतः स्पष्ट है कि रेखाचित्र में सीमान्त तुष्टिगुण रेखा जैसे-जैसे गिरती जाएगी, कुल तुष्टिगुण रेखा ऊपर की ओर उठती रहेगी। सीमान्त तुष्टिगुण रेखा जैसे ही शून्य बिन्दु पर होगी, कुल तुष्टिगुण रेखा स्थिर (अधिकतम) बिन्दु पर होगी। जैसे ही सीमान्त तुष्टिगुण रेखा ऋणात्मक होगी, (UPBoardSolutions.com) कुल तुष्टिगुण रेखा भी नीचे की ओर गिर जाएगी।

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UP Board Solutions for Class 10 Commerce Chapter 9 समय व श्रम बचाने वाले यन्त्र

UP Board Solutions for Class 10 Commerce Chapter 9 समय व श्रम बचाने वाले यन्त्र are the part of UP Board Solutions for Class 10 Commerce. Here we have given UP Board Solutions for Class 10 Commerce Chapter 9 समय व श्रम बचाने वाले यन्त्र.

Board UP Board
Class Class 10
Subject Commerce
Chapter Chapter 9
Chapter Name समय व श्रम बचाने वाले यन्त्र
Number of Questions Solved 21
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UP Board Solutions for Class 10 Commerce Chapter 9 समय व श्रम बचाने वाले यन्त्र

बहुविकल्पीय प्रश्न ( 1 अंक)

प्रश्न 1.
कार्यालय में प्रयुक्त की जाने वाली छोटी-छोटी मशीनों से बचत होती है।
(a) समय की
(b) श्रम की
(c) समय व श्रम दोनों की
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(c) समय व श्रम दोनों की

प्रश्न 2.
टाइपराइटर का आविष्कार कब हुआ था?
(a) 1680 ई. में
(b) 1642 ई. में
(C) 1560 ई. में
(d) 1714 ई. में
उत्तर:
(d) 1714 ई. में

प्रश्न 3.
बीजक, वेतन एवं मजदूरी सूचियाँ तैयार करने हेतु किस यन्त्र को प्रयोग किया जाता है?
(a) बहीखाता मशीन
(b) रोकड़ लेखन मशीन
(C) गणना मशीन
(d) बीजक मुद्रक यन्त्र
उत्तर:
(d) बीजक मुद्रक यन्त्र

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प्रश्न 4.
गणना करने वाली मशीन का प्रयोग किया जाता है।
(a) जोड़ व घटाने में
(b) भाग देने में
(C) गुणा करने में
(d) ये सभी
उत्तर:
(d) ये सभी

निश्चित उत्तरीय प्रश्न (1 अंक)

प्रश्न 1.
कर्मचारियों के कार्डों पर समय अंकित करने के लिए किस यन्त्र का प्रयोग किया जाता है?
उत्तर:
समय लेखन मशीन

प्रश्न 2.
कार्यालय में समय लेखन यन्त्र का प्रयोग किसलिए किया जाता है? (2013)
उत्तर:
कर्मचारियों के आने-जाने का (UPBoardSolutions.com) समय लिखने हेतु

प्रश्न 3.
समय एवं श्रम बचाने वाले किसी एक यन्त्र का नाम लिखिए।
उत्तर:
कम्प्यूटर

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प्रश्न 4.
विशालकाय मस्तिष्क के रूप में कार्य किस यन्त्र द्वारा किया जाता है?
उत्तर:
कम्प्यूटर

प्रश्न 5.
कम्प्यूटर का आविष्कार किसने किया? (2018)
उत्तर:
चार्ल्स बैबेज ने

प्रश्न 6.
कैलकुलेटर का आविष्कार किसने किया?
उत्तर:
ब्लेस पॉस्कल ने

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प्रश्न 7.
फोटोस्टेट मशीन का प्रयोग कार्यालय में किस कार्य हेतु किया जाता (2012)
उत्तर:
प्रतिलिपि प्राप्त करने हेतु

प्रश्न 8.
भारत में सर्वाधिक प्रयोग किए जाने वाले एकाउण्टिंग सॉफ्टवेयर का नाम लिखिए। (2016)
उत्तर:
TALLY

अतिलघु उत्तरीय प्रश्न (2 अंक)

प्रश्न 1.
समय तथा श्रम बचाने वाले यन्त्रों से क्या आशय है?
उत्तर:
समय तथा श्रम बचाने वाले यन्त्रों (Time and Labour Saving Appliances) से तात्पर्य उन मशीनों व उपकरणों से है, जिनके उपयोग से समय तथा मानवीय श्रम की बचत होने के साथ-साथ कार्यक्षमता में भी वृद्धि होती है। समय व श्रम बचाने के लिए विज्ञान ने हमें कई ऐसे छोटे-बड़े यन्त्र प्रदान किए हैं; जैसे-टाइपराइटर, टेलीफोन, डिक्टाफोन, कैलकुलेटर, फोटोस्टेट मशीन, आदि।

प्रश्न 2.
आधुनिक व्यवसाय में समय तथा श्रम की बचत करने वाले यन्त्रों के महत्त्व के चार बिन्दु लिखिए। (2017)
उत्तर:
आधुनिक व्यवसाय में समय तथा श्रम की बचत करने वाले यन्त्रों के महत्त्व निम्न प्रकार है-

  1. इन यन्त्रों से समय की बचत होती है।
  2. इन यन्त्रों के प्रयोग से श्रम की बचत होती है।
  3. इन यन्त्रों के द्वारा प्रत्येक कार्य का (UPBoardSolutions.com) सरलीकरण किया जा सकता है।
  4. इन यन्त्रों की सहायता से प्रत्येक कार्य कुशलतापूर्वक एवं शुद्धता से किया जा सकता है।

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प्रश्न 3.
समय तथा श्रम बचाने वाले चार ऐसे यन्त्रों के नाम लिखिए, जो व्यवसाय में प्रयुक्त किए जाते हैं। (2016)
अथवा
एक कार्यालय में प्रयुक्त पाँच श्रम बचत युक्तियों के नाम लिखिए।
अथवा
श्रम एवं समय बचाने वाले उपकरणों से आप क्या समझते हैं? किन्हीं छः उपकरणों के नामों का उल्लेख कीजिए।
अथवा
व्यवसाय में प्रयुक्त किन्हीं चार समय तथा श्रम बचाने वाले यन्त्रों के नाम लिखिए। (2018)
उत्तर:
समय वे श्रम बचाने वाले यन्त्रों से अभिप्राय उन विभिन्न उपकरणों से है, जिनके उपयोग में लिए जाने से समय और श्रम दोनों की बचत होती है।
एक कार्यालय में प्रयुक्त श्रम बचत युक्तियों के नाम निम्नलिखित हैं-

  1. टाइपराइटर
  2. छिद्र करने वाली मशीन
  3. टेलीफोन
  4. संख्या डालने वाली मशीन
  5. तारीख/दिनांक अंकित करने की मशीन
  6. समय लेखन मशीन

प्रश्न 4.
तारीख डालने वाली मशीन से क्या आशय है?
उत्तर:
इस मशीन के द्वारा पत्रों पर दिनांक अंकित करने का कार्य किया जाता है। दिनांक अंकित करने के लिए इस मशीन में तिथि, माह एवं वर्ष के लिए अलग-अलग पंक्तियाँ होती हैं। मुहर की तरह इस मशीन का प्रयोग किया जाता है, (UPBoardSolutions.com) इसलिए इसमें स्याही की आवश्यकता होती है।

प्रश्न 5.
कम्प्यूटर के चार प्रमुख उपयोग बताइए। (2018, 16)
उत्तर:
कम्प्यूटर के चार प्रमुख उपयोग निम्नलिखित हैं-

  1. इसके द्वारा सभी प्रकार की जटिल गणितीय क्रियाओं को आसानी से हल | किया जा सकता है।
  2. यह व्यावसायिक कार्यों पर नियन्त्रण करने में सहायक होता है।
  3. इसके द्वारा स्टॉक का मूल्यांकन आसानी से (UPBoardSolutions.com) किया जा सकता है।
  4. यह प्रबन्धकीय सूचनाएँ उपलब्ध कराने में सहायक सिद्ध होता है।

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लघु उत्तरीय प्रश्न (4 अंक)

प्रश्न 1.
व्यावसायिक कार्यालयों में प्रयोग किए जाने वाले किन्हीं चार समय एवं श्रम बचाने वाले यन्त्रों का वर्णन कीजिए। (2014)
अथवा
व्यापारिक कार्यालय में समय एवं श्रम बचाने वाले चार यन्त्रों का वर्णन कीजिए। (2012)
उत्तर:
समय एवं श्रम बचाने वाले प्रमुख यन्त्र समय एवं श्रम बचाने वाले प्रमुख यन्त्र निम्नलिखित हैं-

1. टाइपराइटर इसका आविष्कार हेनरी मिल ने सन् 1714 में किया था। टाइपराइटर में सम्बन्धित भाषाओं के सभी अक्षरों के बटन लगे होते हैं। इन बटनों को दबाकर किसी भी विवरण को टाइप किया जा सकता है। इससे समय की बचत होती है। और कार्य भी शुद्धता से किया जा सकता है। इसे सुचारु रूप से चलाने के लिए एक प्रशिक्षित व्यक्ति की आवश्यकता होती है, जिसके द्वारा टाइप का कार्य उचित रूप से किया जा सकता है। इस यन्त्र का उपयोग हिन्दी, अंग्रेजी व अन्य भाषाओं में भी किया जा सकता है।

2. छिद्र करने वाली मशीन इस मशीन के द्वारा पत्रों में छेद किया जाता है। पत्रों को फाइलिंग करने के लिए उनमें छिद्र करने की आवश्यकता होती है। हाथ की अपेक्षा इस मशीन से आसानी से छिद्र किए जा सकते हैं। लेटी फाइलिंग प्रणाली में दो छेद व टैग फाइल में एक छेद करने की आवश्यकता होती है। आजकल सभी प्रकार के कार्यालयों में इस मशीन का प्रयोग किया जा रहा है।

3. टेलीफोन इसका आविष्कार एलेक्जेण्डर ग्राहम बेल ने सन् 1876 में किया था। इस यन्त्र की सहायता से व्यक्ति एक स्थान से दूसरे स्थान, शहर या देश में बैठे व्यक्ति से आसानी से बात कर सकता है।

4. संख्या डालने वाली मशीन इस मशीन का प्रयोग कार्यालयों, व्यापारों, उद्योगों, आदि में कार्यों से सम्बन्धित दस्तावेजों, प्रपत्रों, रसीदों, बिलों, आदि पर क्रमांक अंकित करने के लिए किया जाता है। इस मशीन की सहायता से पृष्ठ संख्या को अंकित करने के लिए बार-बार निर्देश देने की आवश्यकता नहीं होती है। एक बार निर्देश देने के पश्चात् अगले पृष्ठों पर संख्या स्वत: अंकित हो जाती है।

5. तारीख/दिनांक अंकित करने की मशीन इस मशीन के द्वारा पत्रों पर दिनांक अंकित करने का कार्य किया जाता है। दिनांक अंकित करने के लिए इस मशीन में तिथि, माह एवं वर्ष के लिए अलग-अलग पंक्तियाँ होती हैं। मुहर की तरह इस मशीन का प्रयोग किया जाता है, इसलिए इसमें स्याही की आवश्यकता होती है।

6. डाक तौलने वाली मशीन इस मशीन का उपयोग बाहर जाने वाली डाक को तौलकर उन पर आवश्यकतानुसार टिकट लगाने के लिए किया जाता है। इसका उपयोग करने से सभी डाकों को डाकघर ले जाने की आवश्यकता नहीं रहती है।

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प्रश्न 2.
एक व्यावसायिक कार्यालय में कम्प्यूटरों के उपयोगों का वर्णन कीजिए। (2011)
उत्तर:
यह एक विशालकाय मस्तिष्क के रूप में कार्य करता है। इसकी उत्पत्ति अंग्रेजी के ‘कम्प्यूट’ (Compute) शब्द से हुई है, जिसका अर्थ ‘गणना करना होता है। इसके द्वारा सभी प्रकार की जटिल गणितीय क्रियाओं को आसानी से हल किया जा सकता है। इसके द्वारा कार्य करने से समय व श्रम की बचत के साथ-साथ कार्यकुशलता में भी वृद्धि होती है। वर्तमान में इसका सभी विभागों में व्यापक रूप से उपयोग किया जा रहा है। आधुनिक व्यावसायिक कार्यालयों में कम्प्यूटर के प्रयोग से निम्नलिखित लाभ होते हैं

  1. व्यावसायिक कार्यों पर नियन्त्रण सन् 1954-55 के बाद से ही कम्प्यूटर के प्रयोग में तीव्र वृद्धि हुई है। इसके द्वारा एक बड़े व्यावसायिक कार्यालय की सभी शाखाओं व विभागों का नियन्त्रण सरलता से किया जा सकता है।
  2. स्टॉक के मूल्यांकन में सहायक कम्प्यूटर की सहायता से संस्था के स्टॉक का कभी भी मूल्यांकन किया जा सकता है। इससे समय व श्रम की बचत होती है।
  3. प्रबन्धकीय सूचनाएँ उपलब्ध कराने में सहायक कम्प्यूटर (UPBoardSolutions.com) के द्वारा व्यवसाय के विषय में सभी प्रकार की सूचनाएँ आसानी से प्राप्त की जा सकती हैं। किसी भी सूचना की आवश्यकता मिलने पर आवश्यक कुंजी दबाकर उसकी जानकारी प्राप्त की जा सकती है। इस प्रकार, कम्प्यूटर सूचनाएँ उपलब्ध कराने में भी सहायक है।
  4. कर्मचारियों की व्यक्तिगत जानकारी का संग्रह करना कम्प्यूटर के द्वारा प्रत्येक कर्मचारी की अलग-अलग फाइल बनाकर इसमें कर्मचारी विशेष की विशिष्ट जानकारी या उसके द्वारा किए गए कार्य का लेखा आसानी से कर सकते हैं।
  5. जटिल गणितीय क्रियाओं में सहायक कम्प्यूटर के द्वारा सभी प्रकार के जटिल जोड़, घटाना, गुणा, भाग व अन्य गणनाएँ आसानी से की जा सकती हैं।
  6. अन्य उपयोग कम्प्यूटर के द्वारा ग्राहकों को कम्प्यूटरीकृत बिल देना, लेजर पोस्टिग, उत्पादन कार्यों पर नियन्त्रण, पारिश्रमिक की सूची बनाना, आवश्यक जानकारी प्राप्त करना, आदि कार्य आसानी से किए जा सकते हैं।

प्रश्न 3.
निम्नलिखित में से किन्हीं दो पर टिप्पणी लिखिए (2007)

  1. कम्प्यूटर
  2. कैलकुलेटर
  3. तारीख डालने वाली मशीन
  4. बहीखाता मशीन

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उत्तर:
1. कम्प्यूटर यह विशालकाय मस्तिष्क के रूप में कार्य करता है। इसकी उत्पत्ति अंग्रेजी के ‘कम्प्यूट’ (Compute) शब्द से हुई है, जिसका अर्थ ‘गणना करना होता है। इसके द्वारा सभी प्रकार की जटिल गणितीय क्रियाओं को आसानी से हल किया जा सकता है। इसके द्वारा कार्य करने से समय व श्रम की बचत के साथ-साथ कार्यकुशलता में भी वृद्धि होती है। वर्तमान में इसका सभी विभागों में व्यापक रूप से उपयोग किया जा रहा है तथा इसके प्रयोग से होने वाले लाभ निम्नलिखित हैं|

  • व्यवसायिक कार्यों पर नियन्त्रण
  • स्टॉक के मूल्यांकन में सहायक
  • प्रबन्धकीय सूचनाएँ उपलब्ध कराने में सहायक
  • कर्मचारियों की व्यक्तिगत जानकारी संग्रह करने में सहायक एवं जटिल गणितीय क्रियाओं में सहायक

2. कैलकुलेटर कैलकुलेटर की सहायता से जोड़ना, घटाना, गुणा, भाग व अन्य गणनाओं से सम्बन्धित कार्य शीघ्र किए जा सकते हैं। यह यन्त्र बाजार में छोटे व बड़े दोनों आकार में उपलब्ध है। इसका उपयोग सभी प्रकार के कार्यालयों व व्यापारिक प्रतिष्ठानों में (UPBoardSolutions.com) किया जा सकता है। वर्तमान युग में यह सभी वर्गों के लिए अत्यन्त उपयोगी है।

3. तारीख/दिनांक अंकित करने की मशीन इस मशीन के द्वारा पत्रों पर दिनांक अंकित करने का कार्य किया जाता है। दिनांक अंकित करने के लिए इस मशीन में तिथि, माह एवं वर्ष के लिए अलग-अलग पंक्तियाँ होती हैं। मुहर की तरह इस मशीन का प्रयोग किया जाता है, इसलिए इसमें स्याही की आवश्यकता होती है।

4. बहीखाता मशीन (पुस्तपालन मशीन) यह मशीन टाइपराइटर की भांति ही कार्य करती है। इस मशीन का उपयोग खाते तैयार करने, चिट्ठा तैयार करने, खातों में प्रविष्टि करने तथा गणना सम्बन्धी कार्य में किया जाता है। इसमें कागज लगाने के बाद कुंजी दबाने पर रकम टाइप हो जाती है। इस मशीन से कार्य शीघ्रता व शुद्धता से किया जा सकता है। इस मशीन का प्रयोग प्रायः सभी प्रकार के कार्यालयों में किया जा सकता है।

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दीर्घ उत्तरीय प्रश्न (8 अंक)

प्रश्न 1.
कार्यालय यन्त्रीकरण के उद्देश्यों की व्याख्या कीजिए। (2010)
अथवा
आधुनिक व्यवसाय में समय तथा श्रम की बचत करने वाले यन्त्रों का क्या महत्त्व है? (2006)
उत्तर:
समय तथा श्रम बचाने वाले यन्त्रों का महत्त्व अथवा उद्देश्य आधुनिक व्यापारिक युग में समय एवं श्रम को बचाने वाले यन्त्रों के महत्त्व को निम्नवत् स्पष्ट किया जा सकता है-

1. समय की बचत मशीनों के द्वारा शीघ्र व शुद्धतापूर्वक कार्य करने से समय की बचत होती है। आधुनिक यन्त्र मनुष्य द्वारा किए जाने वाले कार्यों से कई गुना कार्य करते हैं और समय की बचत करके हम इस शेष समय को अन्य महत्त्वपूर्ण कार्यों में उपयोग कर सकते हैं। कहा भी गया है, “समय ही धन है।”

2. श्रम की बचत आधुनिक यन्त्रों के प्रयोग के कारण श्रम की भी बचत होती है। इन यन्त्रों के द्वारा कार्य को कुशलतापूर्वक किया जा सकता है। ये यन्त्र मनुष्य की अपेक्षा अधिक कार्य कम व्यय पर कर देते हैं।

3. मितव्ययिता आधुनिक यन्त्रों के द्वारा कम समय व कम श्रम में अधिक कार्य को पूरा किया जा सकता है, जिससे आर्थिक लाभ की प्राप्ति होती है।

4. शुद्धतापूर्ण कार्य आधुनिक मशीनों के द्वारा प्रत्येक कार्य को (UPBoardSolutions.com) शुद्धता से पूर्ण किया जा सकता है, जिससे व्यवसाय के सभी प्रकार के कार्यों में सरलता रहती है। प्रत्येक कार्य शुद्धतापूर्ण किए जाने से व्यवसाय की अच्छी छवि बनती है।

5. कार्य में एकरूपता आधुनिक मशीनों के द्वारा किया गया कार्य, मानव द्वारा किए गए कार्य की तुलना में अधिक सुन्दर होता है। सुन्दरता से किए गए कार्य में एकरूपता भी नजर आती है।

6. सरलता आधुनिक मशीनों के द्वारा कठिन से कठिन कार्य को आसानी से सम्पन्न किया जा सकता है। दूसरे शब्दों में, यन्त्रों के द्वारा प्रत्येक कार्य का सरलीकरण किया जा सकता है।

7. धोखे से मुक्ति यन्त्रों द्वारा किए जाने वाले कार्यों में जालसाजी की सम्भावना नहीं रहती है। यन्त्रों के द्वारा किया गया कार्य निष्कपट व सावधानी से पूर्ण किया जाता है तथा प्रत्येक कार्य की आवश्यक सूचना भी हमेशा उपलब्ध रहती है।

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8. उदासीनता की समाप्ति एक ही प्रकार का कार्य करते-करते मनुष्य उदासीन प्रवृत्ति का बन जाता है और प्रत्येक कार्य को अच्छे ढंग से निष्पादित नहीं कर पाता है। लेकिन आधुनिक यन्त्रों के प्रयोग से मनुष्य की उदासीनता व नीरसता समाप्त हो जाती है।

9. व्यापार की साख आधुनिक यन्त्रों को उपयोग में लिए जाने से संस्था की साख में वृद्धि होती है। इन यन्त्रों के द्वारा प्रत्येक कार्य को शुद्धता व कार्यकुशलता से सम्पन्न किया जाता है तथा इन साधनों के प्रभाव से संस्था/व्यापार की साख बढ़ती है।

10. कार्य-विभाजन सम्भव आधुनिक श्रम व समय बचाने (UPBoardSolutions.com) वाले यन्त्रों के माध्यम से कार्यालय में कार्य विभाजन करके नियमितता व कुशलता को प्राप्त किया जा सकता है।

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UP Board Solutions for Class 10 Commerce Chapter 13 बीजक एवं विक्रय विवरण

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Board UP Board
Class Class 10
Subject Commerce
Chapter Chapter 13
Chapter Name बीजक एवं विक्रय विवरण
Number of Questions Solved 27
Category UP Board Solutions

UP Board Solutions for Class 10 Commerce Chapter 13 बीजक एवं विक्रय विवरण

बहुविकल्पीय प्रश्न (1 अंक)

प्रश्न 1.
बीजक तैयार किया जाता है।
(a) क्रेता द्वारा
(b) एजेण्ट द्वारा
(c) विक्रेता द्वारा
(d) ये सभी
उत्तर:
(c) विक्रेता द्वारा

प्रश्न 2.
बीजक साधारणतः कितनी प्रतियों में बनाया जाता है?
(a) दो
(b) तीन
(c) एक
(d) चार
उत्तर:
(d) दो

प्रश्न 3.
एजेण्ट द्वारा अपने प्रधान को बनाकर भेजा जाता है
(a) बीजक
(b) विक्रय विवरण
(c) नाम की चिट्ठी
(d) जमा की चिट्ठी
उत्तर:
(b) विक्रय विवरण

UP Board Solutions

प्रश्न 4.
परिशोध कमीशन की गणना की जाती है।
(a) सकल विक्रय मूल्य पर
(b) व्यापारिक मूल्य घटाने के बाद शेष मूल्य पर
(c) व्यापारिक व्ययों की राशि जोड़ने पर
(d) व्यापारिक छूट घटाने तथा व्यापारिक व्ययों को जोड़ने पर
उत्तर:
(d) सकल विक्रय मूल्य पर

निश्चित उत्तरीय प्रश्न (1 अंक)

प्रश्न 1.
बीजक बनाने का मुख्य उद्देश्य क्या है?
उत्तर:
बीजक से यह पता लगाया जा सकता है कि क्रेता को कितनी धनराशि चुकानी है।

प्रश्न 2.
पक्का बीजक कब तैयार किया जाता है?
उत्तर:
माल बेचने के पश्चात्

प्रश्न 3.
बीजक में व्यापारिक छूट को जोड़ा जाता है/घटाया जाता है।
उत्तर:
घटाया जाता है

UP Board Solutions

प्रश्न 4.
जब बीजक का योग अधिक लग गया हो, तो कौन-सा प्रलेख तैयार किया जाता है?
उत्तर:
जमा-पत्र

अतिलघु उत्तरीय प्रश्न (2 अंक)

प्रश्न 1.
बीजक व सूचनार्थ बीजक को परिभाषित कीजिए। (2015)
उत्तर:
बीजक प्रो. जे. एल. हैन्सन के अनुसार, “बीजक व्यवसाय में प्रयुक्त किया जाने वाला एक ऐसा प्रलेख है, जो किसी वस्तु के विक्रय से सम्बन्धित होता है तथा जो किसी विक्रय व्यवहार को संक्षिप्त रूप में प्रस्तुत करता है।” सूचनार्थ (कच्चा) (UPBoardSolutions.com) बीजक यह बीजक अनुमानित अंकों के आधार पर तैयार किया जाता है। इसके द्वारा पूर्वानुमान लगाया जाता है। इसे ‘अनुमानित बीजक या ‘कच्चा बीजक’ (Proforma Invoice) भी कहते हैं।

प्रश्न 2.
नकद छूट से क्या तात्पर्य है? (2014)
उत्तर:
शीघ्र भुगतान प्राप्त करने के उद्देश्य से विक्रेता द्वारा क्रेता को जो छूट दी जाती है, उसे नकद छूट कहते हैं। इससे क्रेता व विक्रेता दोनों पक्षों को लाभ होता है।

प्रश्न 3.
जमा की चिट्ठी व नाम की चिट्ठी से क्या आशय है? (2015)
उत्तर:
जमा की चिट्ठी जब विक्रेता द्वारा बीजक तैयार करते समय वास्तविक मूल्य से अधिक राशि लिख दी जाती है, तब इस अशुद्धि को सुधारने के लिए विक्रेता द्वारा क्रेता को एक सूचना-पत्र भेजा जाता है, जिसे जमा-पत्र (Credit Note) या जमा की चिट्ठी कहा जाता है। नाम की चिट्ठी जब विक्रेता बीजक बनाते समय वास्तविक मूल्य से कम राशि लिख देता है, तो इस अशुद्धि को सुधारने के लिए क्रेता द्वारा विक्रेता को एक सूचना-पत्र भेजा जाता है, जिसे नाम की चिट्ठी (Debit Note) कहा जाता है।

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प्रश्न 4.
डेबिट नोट तथा क्रेडिट नोट में अन्तर स्पष्ट कीजिए। (2008)
उत्तर:
डेबिट नोट तथा क्रेडिट नोट में अन्तर निम्नलिखित है
UP Board Solutions for Class 10 Commerce Chapter 13 बीजक एवं विक्रय विवरण

लघु उत्तरीय प्रश्न (4 अंक)

प्रश्न 1.
बीजक किसे कहते हैं? बीजक तथा सूचनार्थ बीजक में अन्तर बताइए। (2009)
उत्तर:
बीजक जब विक्रेता द्वारा क्रेता को उसके आदेशानुसार माल भेजा जाता है, तब विक्रेता भेजे गए माल के सम्बन्ध में क्रेता के पास एक विवरण भेजता है, जिसे बीजक’ कहा जाता है। बीजक दो प्रतियों में बनाया जाता है। एक प्रति ग्राहक को दी जाती है तथा दूसरी प्रति भावी सन्दर्भ के लिए रखी जाती है। बीजक में निम्न बातों का उल्लेख किया जाता है

  1. माल का नाम, किस्म व मात्रा
  2. माल की दर, प्रति इकाई मूल्य
  3. व्यापारिक छूट
  4. ग्राहक से प्राप्त कुल राशि
  5. माल भेजने का तरीका
  6. वाहक के कहने से किए गए व्यय
  7. बिल्टी कैसे भेजी जा रही है
  8. भूल के लिए क्षमा, प्रार्थना
  9. विक्रेता के हस्ताक्षर
  10. अन्य आवश्यक विवरण

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प्रो. जे. एल. हैन्सन के अनुसार, “बीजक व्यवसाय में प्रयुक्त किया जाने वाला एक ऐसा प्रलेख होता है, जो किसी वस्तु के विक्रय से सम्बन्धित होता है तथा जो किसी विक्रय व्यवहार को संक्षिप्त रूप में प्रस्तुत करता है।” डॉ. प्रवीण कुमार के अनुसार, “विक्रेता (UPBoardSolutions.com) जब क्रेता को उधार माल बेचता है तब वह भेजे गए माल की मात्रा, किस्म, दर, मूल्य, छूट एवं कुल देय धन, आदि को दर्शाते हुए एक विवरण–पत्र तैयार करके क्रेता के पास भेजता है। यह विवरण-पत्र या प्रलेख ही बीजक कहलाता है।”

बीजक तथा सूचनार्थ बीजक में अन्तर 
UP Board Solutions for Class 10 Commerce Chapter 13 बीजक एवं विक्रय विवरण

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प्रश्न 2.
बीजक व विक्रय विवरण में अन्तर स्पष्ट कीजिए। (2007)
उत्तर:
बीजक व विक्रय विवरण में अन्तर
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प्रश्न 3.
जमा-पत्र तथा नाम-पत्र को उदाहरण सहित स्पष्ट कीजिए।
अथवा
जमा-पत्र एवं नाम-पत्र से आप क्या समझते हैं? दोनों के नमूने दीजिए। (2016)
अथवा
जमा-पत्र से आप क्या समझते हैं? यह कब तैयार किया जाता है? जमा-पत्र का नमूना दीजिए। (2016)
उत्तर:
डेबिट नोट या नाम-पत्र जब विक्रेता बीजक बनाते समय वास्तविक मूल्य से कम राशि लिख देता है, तो इस अशुद्धि को सुधारने के लिए क्रेता द्वारा विक्रेता को एक सूचना-पत्र भेजा जाता है, जिसे डेबिट नोट या नाम-पत्र कहा जाता है। इसके द्वारा यह सूचित किया (UPBoardSolutions.com) जाता है कि उसके खाते में से सम्बन्धित धनराशि नाम या डेबिट की गई है। इससे क्रेता की यह धनराशि लेन-देन में समायोजित कर ली जाती है।

नाम-पत्र बनाने के कारण

  1. जब बीजक का योग गलती से कम लग गया हो।
  2. जब किसी वस्तु का मूल्य बीजक में कम लगाया गया हो।
  3. जब किसी वस्तु का मूल्य बीजक में लगने से रह गया हो।
  4. जब किसी व्यय का लेखा विक्रेता ने क्रेता की ओर बीजक में न किया हो।

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डेबिट नोट का नमूना
UP Board Solutions for Class 10 Commerce Chapter 13 बीजक एवं विक्रय विवरण
क्रेडिट नोट या जमा-पत्र जब विक्रेता द्वारा बीजक तैयार करते समय वास्तविक मूल्य से अधिक धनराशि लिख दी जाती है, तब इस अशुद्धि को सुधारने के लिए विक्रेता द्वारा क्रेता को एक सूचना-पत्र भेजा जाता है, जिसे जमा-पत्र या क्रेडिट नोट कहा जाता है। इसमें क्रेता (UPBoardSolutions.com) को सूचना दी जाती है कि सम्बन्धित धनराशि उसके खाते में जमा या क्रेडिट कर दी गई है, इसलिए भविष्य में इस धनराशि का भुगतान कम होगा।

जमा-पत्र बनाने के कारण

  1. जब बीजक को योग अधिक लग गया हो।
  2. जब क्रेता को किसी कारणवश अतिरिक्त कमीशन दिया गया हो।
  3. जब बीजक में किसी वस्तु का मूल्य अधिक लगाया गया हो।
  4. जब क्रेता से कुछ माल वापस आ गया हो।
  5. जब किसी वस्तु को न भेजने पर भी उसका मूल्य बीजक में लगा दिया गया हो।

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क्रेडिट नोट का नमूना
UP Board Solutions for Class 10 Commerce Chapter 13 बीजक एवं विक्रय विवरण

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न (8 अंक)

प्रश्न 1.
बीजक क्यों, कब और किसके द्वारा बनाया जाता है? काल्पनिक मदों के आधार पर एक बीजक तैयार कीजिए। (2018, 16)
अथवा
बीजक क्या है? काल्पनिक आँकड़ों की सहायता से एक बीजक तैयार कीजिए। (2011)
अथवा
बीजक किसे कहते हैं? काल्पनिक आँकड़ों से उचित रूप में बीजक बनाइए। (2008)
उत्तर:
बीजक
बीजक जब विक्रेता द्वारा क्रेता को उसके आदेशानुसार माल भेजा जाता है, तब विक्रेता भेजे गए माल के सम्बन्ध में क्रेता के पास एक विवरण भेजता है, जिसे बीजक’ कहा जाता है। बीजक दो प्रतियों में बनाया जाता है। एक प्रति ग्राहक को दी जाती है तथा दूसरी प्रति भावी सन्दर्भ के लिए रखी जाती है। बीजक में निम्न बातों का उल्लेख किया जाता है

  1. माल का नाम, किस्म व मात्रा
  2. माल की दर, प्रति इकाई मूल्य
  3. व्यापारिक छूट
  4. ग्राहक से प्राप्त कुल राशि
  5. माल भेजने का तरीका
  6. वाहक के कहने से किए गए व्यय
  7. बिल्टी कैसे भेजी जा रही है
  8. भूल के लिए क्षमा, प्रार्थना
  9. विक्रेता के हस्ताक्षर
  10. अन्य आवश्यक विवरण

प्रो. जे. एल. हैन्सन के अनुसार, “बीजक व्यवसाय में प्रयुक्त किया जाने वाला एक ऐसा प्रलेख होता है, जो किसी वस्तु के विक्रय से सम्बन्धित होता है तथा जो किसी विक्रय व्यवहार को संक्षिप्त रूप में प्रस्तुत करता है।” डॉ. प्रवीण कुमार के अनुसार, “विक्रेता जब (UPBoardSolutions.com) क्रेता को उधार माल बेचता है तब वह भेजे गए माल की मात्रा, किस्म, दर, मूल्य, छूट एवं कुल देय धन, आदि को दर्शाते हुए एक विवरण–पत्र तैयार करके क्रेता के पास भेजता है। यह विवरण-पत्र या प्रलेख ही बीजक कहलाता है।”

बीजक तथा सूचनार्थ बीजक में अन्तर 
UP Board Solutions for Class 10 Commerce Chapter 13 बीजक एवं विक्रय विवरण

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काल्पनिक आँकड़ों से बीजक का नमूना

                                            श्याम ब्रदर्स

तार : ‘श्याम’                                                                   लखनऊ,
दूरभाष : 2867429                                  दिनांक 28 मार्च, 2015
कोड सं : ए.बी.सी. (अष्टम संस्करण)

UP Board Solutions for Class 10 Commerce Chapter 13 बीजक एवं विक्रय विवरण 1

सेवा में,
मैसर्स राधेलाल एण्ड कम्पनी, इलाहाबाद।
शर्त : 2 माह में भुगतान करने पर 24% नकद छूट।
UP Board Solutions for Class 10 Commerce Chapter 13 बीजक एवं विक्रय विवरण

भूल-चूक लेनी-देनी।                                                      श्याम ब्रदर्स के लिए
माल सवारीगाड़ी से भेजा गया                                   रमेश कुमार (साझेदार)
रेलवे रसीद (बिल्टी) नं. 1982
दिनांक : 15 मार्च, 2015

प्रश्न 2.
विक्रय विवरण क्या हैं? यह क्यों और किसके द्वारा बनाया जाता है? काल्पनिक मदों की सहायता से एक विक्रय विवरण तैयार कीजिए। (2016, 07, 06)
अथवा
विक्रय विवरण क्या है? काल्पनिक आँकड़ों (सूचनाओं) की सहायता से एक विक्रय विवरण तैयार कीजिए। (2013, 11)
अथवा
विक्रय विवरण क्यों और किसके द्वारा बनाया जाता है? काल्पनिक मदों के आधार पर एक विक्रय विवरण तैयार कीजिए। (2006)
उत्तर:
विक्रय विवरण अधिकांश व्यापारी अपने माल की बिक्री बढ़ाने के उद्देश्य से अलग-अलग स्थानों पर अपना एक-एक एजेण्ट नियुक्त कर देते हैं। इन एजेण्टों को व्यापारी विक्रय किए जाने वाले माल पर कमीशन देते हैं। एजेण्ट विक्रय किए गए माल (UPBoardSolutions.com) का विवरण अपने प्रधान या व्यापारी के पास भेजता है। इसी विवरण को विक्रय विवरण के नाम से जाना जाता है। यह एजेण्ट के द्वारा बनाया जाता है।

इसमें निम्नलिखित सूचनाओं का उल्लेख रहता है–

  1. बिके माल का पूरा विवरण।
  2. प्रधान को देय शुद्ध राशि।
  3. ‘भूल-चूक लेन-देनी’ शब्द का उल्लेख।
  4. ग्राहकों को दिया गया व्यापारिक बट्टा।
  5. माल बेचने वाले एजेण्ट का नाम व पता।
  6. एजेण्ट का कमीशन व परिशोध कमीशन।
  7. विक्रय विवरण बनाए जाने की तिथि।
  8. एजेण्ट के हस्ताक्षर।
  9. धनराशि भेजने का ढंग।
  10. माल भेजने वाले का नाम।

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विक्रय विवरण बनाने के उद्देश्य विक्रय विवरण निम्न उद्देश्यों के लिए बनाया जाता है-

  1. व्यापारी को एजेण्ट के द्वारा माल से सम्बन्धित किए गए व्ययों का ज्ञान होता है।
  2. इस विवरण से व्यापारी को एजेण्ट द्वारा विक्रय किए गए माल के सम्बन्ध में जानकारी प्राप्त हो जाती है।
  3. इससे व्यापारी को माल से सम्बन्धित बाजार मूल्य की जानकारी मिल जाती है।
  4. व्यापारी को एजेण्ट के पास शेष माल (UPBoardSolutions.com) के सम्बन्ध में जानकारी प्राप्त होती है।
  5. व्यापारी की पुस्तकों में लेखा इसी विवरण के आधार पर किया जाता है।

काल्पनिक मदों से विक्रय विवरण का नमूना

                                 विक्रय विवरण
तार का पता: ‘अग्रवाल’                      अग्रवाल एण्ड सन्स, काशीपुर
दूरभाष : 4253901
मैसर्स फैन्सी क्लॉथ भण्डार, मुरादाबाद से प्राप्त तथा उनके जोखिम तथा हिसाब पर बेचे गए माल का विक्रय विवरण

UP Board Solutions for Class 10 Commerce Chapter 13 बीजक एवं विक्रय विवरण
UP Board Solutions for Class 10 Commerce Chapter 13 बीजक एवं विक्रय विवरण

भूल-चूक लेन-देनी                                            वास्ते अग्रवाल एण्ड सन्स
दिनांकः 15 मार्च, 2015                                आलोक अग्रवाल (साझेदार)

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प्रश्न 3.
बीजक से आप क्या समझते हैं? बीजक और विक्रय विवरण में क्या अन्तर है? काल्पनिक सूचनाओं के आधार पर एक बीजक बनाइए। (2008, 07, 06)
उत्तर:
बीजक से आशय
बीजक जब विक्रेता द्वारा क्रेता को उसके आदेशानुसार माल भेजा जाता है, तब विक्रेता भेजे गए माल के सम्बन्ध में क्रेता के पास एक विवरण भेजता है, जिसे बीजक’ कहा जाता है। बीजक दो प्रतियों में बनाया जाता है। एक प्रति ग्राहक को दी जाती है तथा दूसरी प्रति भावी सन्दर्भ के लिए रखी जाती है। बीजक में निम्न बातों का उल्लेख किया जाता है

  1. माल का नाम, किस्म व मात्रा
  2. माल की दर, प्रति इकाई मूल्य
  3. व्यापारिक छूट
  4. ग्राहक से प्राप्त कुल राशि
  5. माल भेजने का तरीका
  6. वाहक के कहने से किए गए व्यय
  7. बिल्टी कैसे भेजी जा रही है
  8. भूल के लिए क्षमा, प्रार्थना
  9. विक्रेता के हस्ताक्षर
  10. अन्य आवश्यक विवरण

प्रो. जे. एल. हैन्सन के अनुसार, “बीजक व्यवसाय में प्रयुक्त किया जाने वाला एक ऐसा प्रलेख होता है, जो किसी वस्तु के विक्रय से सम्बन्धित होता है तथा जो किसी विक्रय व्यवहार को संक्षिप्त रूप में प्रस्तुत करता है।” डॉ. प्रवीण कुमार के अनुसार, (UPBoardSolutions.com) “विक्रेता जब क्रेता को उधार माल बेचता है तब वह भेजे गए माल की मात्रा, किस्म, दर, मूल्य, छूट एवं कुल देय धन, आदि को दर्शाते हुए एक विवरण–पत्र तैयार करके क्रेता के पास भेजता है। यह विवरण-पत्र या प्रलेख ही बीजक कहलाता है।”

बीजक तथा सूचनार्थ बीजक में अन्तर 
UP Board Solutions for Class 10 Commerce Chapter 13 बीजक एवं विक्रय विवरण

बीजक और विक्रय विवरण में अन्तर 
UP Board Solutions for Class 10 Commerce Chapter 13 बीजक एवं विक्रय विवरण

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काल्पनिक आँकड़ों से बीजक का नमूना

श्याम ब्रदर्स

तार : ‘श्याम’                                                                   लखनऊ,
दूरभाष : 2867429                                  दिनांक 28 मार्च, 2015
कोड सं : ए.बी.सी. (अष्टम संस्करण)

UP Board Solutions for Class 10 Commerce Chapter 13 बीजक एवं विक्रय विवरण 1

सेवा में,
मैसर्स राधेलाल एण्ड कम्पनी, इलाहाबाद।
शर्त : 2 माह में भुगतान करने पर 24% नकद छूट।

UP Board Solutions for Class 10 Commerce Chapter 13 बीजक एवं विक्रय विवरण

भूल-चूक लेनी-देनी।                                                      श्याम ब्रदर्स के लिए
माल सवारीगाड़ी से भेजा गया                                   रमेश कुमार (साझेदार)
रेलवे रसीद (बिल्टी) नं. 1982
दिनांक : 15 मार्च, 2015

प्रश्न 4.
स्थानीय मूल्य बीजक किसे कहते हैं? काल्पनिक आँकड़ों की सहायता से स्थानीय मूल्य बीजक का नमूना प्रस्तुत कीजिए। (2007)
उत्तर:
इस बीजक में केवल वस्तु का मूल्य लिखा जाता है। (UPBoardSolutions.com) इसके अतिरिक्त विक्रेता के गोदाम से क्रेता के घर तक पहुँचाने का व्यय क्रेता को ही वहन करना पड़ता है। ये सब स्थानीय मूल्य बीजक में दर्शाया जाता है।

इसमें निम्न प्रकार से व्यय जोड़े जाते हैं
UP Board Solutions for Class 10 Commerce Chapter 13 बीजक एवं विक्रय विवरण

स्थानीय मूल्य बीजक का नमूना

                             गणेश पब्लिकेशन
(पुस्तक प्रकाशक एवं विक्रेता)

तार का पता : ‘गणेश’                             दूरभाष : 5289674
त्रिपोल्पि बाजार, मेरठ                           दिनांक : 10 अप्रैल, 2015

UP Board Solutions for Class 10 Commerce Chapter 13 बीजक एवं विक्रय विवरण 2

UP Board Solutions

सेवा में,
सर्वश्री गोविन्द बुक डिपो,
सोनीपत
शर्त : 2% नकद छूट एक माह के भीतर भुगतान करने पर।

UP Board Solutions for Class 10 Commerce Chapter 13 बीजक एवं विक्रय विवरण 3
UP Board Solutions for Class 10 Commerce Chapter 13 बीजक एवं विक्रय विवरण

भूल-चूक लेनी–देनी
माल सवारीगाड़ी द्वारा भेजा गया                                         पब्लिकेशन के लिए
जिसका बिल्टी नं. 2548 है।                                          गणेश गोयल (साझेदार)

क्रियात्मक प्रश्न (8 अक)

प्रश्न 1.
मै. वाराणसी फैन्स लिमिटेड, वाराणसी ने मै. राजा इलेक्ट्रिकल्स, इलाहाबाद को निम्नलिखित माल बेचा
50 सीलिंग फैन 48″                    प्रति फैन ₹ 800
24 टेबिल फैन                             प्रति फैन ₹ 500
उन्होंने माल भेजने में निम्न व्यय किए
पैकिंग व्यय                                             ₹500
ढुलाई                                                     ₹ 400
ट्रक भाड़ा                                               ₹ 1,000
बीमा                                                       ₹ 500
क्रेता को विक्रय मूल्य पर 7.5% की दर से व्यापारिक छूट और देय (UPBoardSolutions.com) राशि एक सप्ताह में भुगतान करने पर 2% की दर से नकद छूट देने की शर्त पर माल बेचा गया।
उपरोक्त विवरण से एक बीजके तैयार कीजिए। (2006)
हल
                                                          बीजक
                                           वाराणसी फैन्स लिमिटेड
(पंखों के निर्माता)

दूरप्रेष्य : ‘फैन’                                                                        वाराणसी
दूरभाष : 2386921                                         दिनांक : 15 मई, 2005
कोड : अ. ब. स. (तृतीय संस्करण)वाराणसी।

UP Board Solutions for Class 10 Commerce Chapter 13 बीजक एवं विक्रय विवरण 4

सेवा में,
मै. राजा इलेक्ट्रिकल्स,
इलाहाबाद।
शर्त : देय राशि का एक सप्ताह में भुगतान करने पर 2% नकद छूट।

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UP Board Solutions for Class 10 Commerce Chapter 13 बीजक एवं विक्रय विवरण

भूल-चूक लेनी–देनी                                       वास्ते वाराणसी फैन्स लिमिटेड
माल सवारीगाड़ी से भेजा गया                                       रामकुमार (प्रबन्धक)
बिल्टी संख्या : R 09682
दिनांक : 15 मई, 2015 को बिल्टी पंजाब नेशनल बैंक द्वारा भेजी गई।

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प्रश्न 2.
मैं. शारदा पुस्तक सदन, इलाहाबाद ने मै. कंसल बुक डिपो, नैनीताल को निम्नांकित पुस्तकें उधार बेचीं

  1. मानव भूगोल डॉ. एस. डी. मौर्या, ₹ 100 प्रतियाँ, प्रत्येक ₹ 160 की दर से।
  2. जनसंख्या भूगोल डॉ. एस. डी. मौर्या, ₹ 50 प्रतियाँ, प्रत्येक ₹ 180 की दर से।
  3. भौतिक भूगोल डॉ. एस. लाल, 40 प्रतियाँ, प्रत्येक ₹ 150 की दर से। पुस्तकों के प्रेषण पर निम्न व्यय हुए पैकिंग व्यय ₹100, ढुलाई ₹ 80, रेलभाड़ा ₹ 120, बीमार ₹ 150 सभी पुस्तकों के क्रय पर क्रेता को 15% की दर से व्यापारिक छूट और 15 दिन के अन्दर भुगतान करने पर 5% की दर से नकद छूट

प्रदान की जाती है। उपरोक्त विवरण से उचित प्रारूप में बीजक बनाइए।
हल
                                                                बीजक
                                                     शारदा पुस्तक सदन
(पुस्तक प्रकाशक एवं विक्रेता)
तार का पता : ‘शारदा’                                                                     इलाहाबाद
दूरभाष : 234986                                                    दिनांक : 6 अगस्त, 2006

UP Board Solutions for Class 10 Commerce Chapter 13 बीजक एवं विक्रय विवरण 5

सेवा में,
मैसर्स कंसल बुक डिपो
नैनीताल
शर्त : पन्द्रह दिन के अन्दर भुगतान करने पर 5% नकद छूट।

UP Board Solutions for Class 10 Commerce Chapter 13 बीजक एवं विक्रय विवरण

भूल-चूक लेनी–देनी                                             वास्ते शारदा पुस्तक सदन
माल सवारीगाड़ी से भेजा गया                                सत्यवीर सिंह (साझेदार)
बिल्टी संख्या : R 0869261/2014
दिनांक : 06 अगस्त, 2014 को बिल्टी इलाहाबाद बैंक से भेजी गई।

प्रश्न 3.
मै. प्लास्टिको लि., मुम्बई ने मै. राज ट्रेडर्स, इलाहाबाद को निम्नलिखित माल बेचा
200 प्लास्टिक बाल्टियाँ, ₹ 20 ली प्रत्येक ₹ 40 की दर से
100 प्लास्टिक टब, ₹ 30 ली.; प्रत्येक ₹ 60 की दर से
100 प्लास्टिक ट्रे, 8 x 15 प्रत्येक ₹ 30 की दर से।
क्रेता को विक्रय मूल्य पर 10% की दर से व्यापारिक छूट और देय राशि पर एक सप्ताह में भुगतान करने पर 2% की दर से नकद छूट देने की शर्त पर माल बेचा गया।
उपरोक्त विवरण से उचित प्रारूप में एक बीजक बनाइए। (2010)

UP Board Solutions
हल
बीजक
प्लास्टिको लि.
दूरप्रेष्य : ‘प्लास्टिको’                                        116, एस.बी. रोड, मुम्बई-8
दूरभाष : 039863682                                   दिनांक : 6 मार्च, 2010
कोड : अ. ब. स. (द्वितीय संस्करण)

UP Board Solutions for Class 10 Commerce Chapter 13 बीजक एवं विक्रय विवरण 6

सेवा में,
मैसर्स राज ट्रेडर्स
एम. जी. रोड,
इलाहाबाद।
शर्त : एक सप्ताह में भुगतान करने पर 2% की दर से नकद छूट दी जाती है।

UP Board Solutions for Class 10 Commerce Chapter 13 बीजक एवं विक्रय विवरण

भूल-चूक लेनी–देनी।                                                     वास्ते प्लास्टिको लि.
माल सवारीगाड़ी से भेजा गया।                                  एस. सावन्त (साझेदार)
बिल्टी संख्या : R 032369
दिनांक : 6 मार्च, 2010 को बिल्टी इलाहाबाद बैंक द्वारा भेजी गई।

प्रश्न 4.
मै. साहित्य भवन अस्पताल मार्ग आगरा ने मै. अमन एण्ड चमन ब्रदर्स, वाराणसी को निम्न पुस्तकें उधार बेचीं

  1. 60 प्रति हाईस्कूल वाणिज्य, ₹ 80 प्रति की दर से।
  2. 40 प्रति हाईस्कूल अर्थशास्त्र, ₹ 60 प्रति की दर से।
  3. 40 प्रति हाईस्कूल बैंकिंग, ₹ 50 प्रति की दर से।

व्यय : भाड़ा ₹ 200, पैकिंग ₹ 300।
व्यापारिक छूट 10% की दर से और 15 दिन के अन्दर भुगतान (UPBoardSolutions.com) करने पर 2% की दर से नकद छूट देय है।
उपरोक्त विवरण से बीजक बनाइए। (2012)
हल
                                            बीजक
                                   मै. साहित्य भवन
(पुस्तक प्रकाशक एवं विक्रेता)

दूरप्रेष्य : ‘भवन’                                                                कोलकाता
कोड : अ. ब. स. (तृतीय संस्करण)                दिनांक : 7 मार्च, 2012
दूरभाष : 286965

UP Board Solutions for Class 10 Commerce Chapter 13 बीजक एवं विक्रय विवरण 7a

सेवा में,
मै, अमन एण्ड चमन ब्रदर्स, वाराणसी।
अस्पताल मार्ग, आगरा।
शर्त : पन्द्रह दिन के अन्दर भुगतान करने पर 2% की दर से नकद छूट देय है।

UP Board Solutions

UP Board Solutions for Class 10 Commerce Chapter 13 बीजक एवं विक्रय विवरण

भूल-चूक लेनी-देनी                                                    वास्ते मै. साहित्य भवन
माल सवारीगाड़ी से भेजा गया                                  राजीव अग्रवाल (प्रबन्धक)
बिल्टी संख्या : R008963
दिनांक : 7 मार्च, 2012 को बिल्टी पंजाब नेशनल बैंक द्वारा भेजी गई।

प्रश्न 5.
मैसर्स तूफानी फैन्स लि. कोलकाता ने मैसर्स सोनू एण्ड सन्स, सोनभद्र को निम्नलिखित पंखे उधार बेचे
30 सीलिंग फैन 48″                              दर प्रति फैन ₹ 1,800
10 सीलिंग फैन 36″                               दर प्रति फैन ₹,600
20 टेबिल फैन डीलक्स                          दर प्रति फैन ₹ 1,500
मै. तूफानी फैन्स लि. ने निम्नलिखित व्यय किए
रेलभाड़ा ₹ 600, पैकिंग व्यय ₹ 1,200, अन्य व्यय ₹ 400
व्यापारिक छूट 10% की दर से और 15 दिन के अन्दर भुगतान करने पर 2% की दर से नकद छूट देय है। उपरोक्त विवरण से बीजक बनाइए। (2013)
हल
                                                    बीजक
                                        मैसर्स तूफानी फैन्स लि.
(पंखों के निर्माता एवं विक्रेता)

दूरप्रेष्य : ‘तूफानी’                                                                        कोलकाता
दूरभाष : 033-6896923b                                  दिनांक : 26 अप्रैल, 2013
कोड : अ. ब. स.

UP Board Solutions for Class 10 Commerce Chapter 13 बीजक एवं विक्रय विवरण 8

सेवा में,
मैसर्स सोनू एण्ड सन्स,
सोनभद्र।
शर्त : 15 दिन के अन्दर भुगतान करने पर 2% की दर से नकद छूट देय।

UP Board Solutions for Class 10 Commerce Chapter 13 बीजक एवं विक्रय विवरण 9
UP Board Solutions for Class 10 Commerce Chapter 13 बीजक एवं विक्रय विवरण

भूल-चूक लेनी-देनी                                                     वास्ते तूफानी फैन्स लि.
माल सवारीगाड़ी से भेजा गया                                    संजीव विश्नोई (साझेदार)
बिल्टी संख्या : R 1008695
दिनांक : 26 अप्रैल, 2013 को बिल्टी इलाहाबाद बैंक से भेजी गई।

प्रश्न 6.
कान्हा एण्ड सन्स, इटावा ने रैली फैन्स प्रा. लि. लखनऊ की ओर से निम्नलिखित पंखें बेचे
30 टेबिल फैन, ‘जनता’ 16″ दर ₹ 1,000 प्रति फैन
32 टेबिल फैन ‘डीलक्स’ 16″ दर ₹ 1,200 प्रति फैन
20 सीलिंग फैन ‘पॉपुलर’ 48″ दर ₹ 1,500 प्रति फैन
एजेण्ट ने निम्नांकित व्यय किए
रेलभाड़ा के 500, चुंगी 600, अन्य व्यय ₹ 400।
एजेण्ट को विक्रय पर 20% कमीशन मिलता है। उपरोक्त विवरणों के आधार पर एक बिक्री विवरण तैयार कीजिए। (2008)
हल
                                                     विक्रय विवरण
                                                  कान्हा एण्ड सन्स
तार : ‘कान्हा’                                                                                     इटावा
दूरभाष : 2896853                                          दिनांक : 19 जुलाई, 2007

सर्वश्री रैली फैन्स प्रा. लि. लखनऊ की ओर से प्राप्त माल तथा उन्हीं के जोखिम पर बेचे (UPBoardSolutions.com) गये माल का विक्रय विवरण मात्रा विवरण

UP Board Solutions for Class 10 Commerce Chapter 13 बीजक एवं विक्रय विवरण

भूल-चूक लेनी-देनी                                                    वास्ते कान्हा एण्ड सन्स
उपरोक्त देय राशि के लिए।                                    ओमपाल सिंह (साझेदार)
चैक सं. UQ8256
दिनांक : 19 जुलाई, 2007, स्टेट बैंक ऑफ इण्डिया का संलग्न है।

प्रश्न 7.
5 जनवरी, 2013 को मैसर्स बदरुद्दीन एण्ड सन्स, अमीनाबाद, लखनऊ ने मैसर्स करुणा ब्रदर्स, महात्मा गाँधी मार्ग, कानपुर की ओर से निम्नलिखित माल बेचा
100 सिल्क साड़ियाँ,                                   ₹ 500 प्रति साड़ी की दर से
100 सूती साड़ियाँ,                                     ₹ 200 प्रति साड़ी की दर से
500 मी शर्लिंग,                                         ₹ 80 प्रति.मी की दर से
100 धोती मरदानी,                                    ₹ 150 प्रति धोती की दर से
रेलभाड़ा ₹ 2,100, गाड़ी भाड़ा ₹ 150, पैकिंग ₹ 250, अन्य व्यय ₹ 150 एवं कमीशन 15% की दर से। उपरोक्त सूचनाओं से विक्रय विवरण तैयार कीजिए। (2014)
हल
                                          विक्रय विवरण
                                मैसर्स बदरुद्दीन एण्ड सन्स

दूरभाष : 2695430                                                   अमीनाबाद, लखनऊ
                                                                          दिनांक : 05 मार्च, 2013

मैसर्स करुणा ब्रदर्स, महात्मा गाँधी मार्ग, कानपुर की ओर से प्राप्त तथा उन्हीं के आदेश पर बेचे गये माल का विक्रय विवरण

UP Board Solutions for Class 10 Commerce Chapter 13 बीजक एवं विक्रय विवरण

भूल-चूक लेनी-देनी।                                     वास्ते बदरुद्दीन एण्ड सन्स
बदरुद्दीन (साझेदार)

प्रश्न 8.
निम्नलिखित विवरण से बीजक तैयार कीजिए।
विक्रेता राजू पुस्तक भण्डार, आदर्श नगर, कानपुर
क्रेता रामपाल एण्ड सन्स, कटरा, इलाहाबाद।
लेन-देनों का विवरण
50 प्रतियाँ – हाईस्कूल वाणिज्य दर ₹ 50 प्रति।
50 प्रतियाँ – इण्टरमीडिएट वाणिज्य दर ₹ 100 प्रति।
40 प्रतियाँ – एडवान्स एकाउण्टेन्सी दर ₹ 80 प्रति।
किए गए व्यय
पैकिंग                                   ₹ 200
भाड़ा।                                   ₹ 175
लोडिंग                                  ₹ 80
बीमा                                     ₹ 400
शर्ते

  1. व्यापारिक छूट 10%
  2. एक माह के अन्दर भुगतान कर देने पर 2% नकद छूट प्रदान की जाती (2015)

हल
                                          बीजक
                               राजू पुस्तक भण्डार

तारः ‘राजू’                                                        आदर्श नगर, कानपुर
दूरभाष :033-6896923                             दिनांक : 25 मार्च, 2015

UP Board Solutions for Class 10 Commerce Chapter 13 बीजक एवं विक्रय विवरण 10

सेवा में,
मैसर्स रामपाल एण्ड सन्स
कटरा,
इलाहाबाद
शर्त : एक माह के अन्दर भुगतान करने पर 2% नकद छूट देय है।

UP Board Solutions for Class 10 Commerce Chapter 13 बीजक एवं विक्रय विवरण

भूल-चूक लेनी–देनी                                             वास्ते राजू पुस्तक भण्डार
माल सवारीगाड़ी से भेजा गया                                                हारून विश्नोई
बिल्टी संख्या : R 1009685                                                       (साझेदार)
दिनांक : 25 मार्च, 2015 को बिल्टी इलाहाबाद बैंक से भेजी गई।

प्रश्न 9.
सम्भल के अनुराग ने सम्भल के ठुल्ला भाई की ओर से निम्नलिखित माल
का विक्रय किया है।
4 ड्रम मेंथा ऑयल प्रत्येक 100 लीटर दर ₹ 850 प्रति लीटर
20 टीन मेंथा ऑयले प्रत्येक 15 लीटर दर ₹ 900 प्रति लीटर
      व्यय                                     (₹)
1. टूक भाड़ा                             2,000
2. बीमा                                     1,000
3. ढुलाई                                     800
4. गोदाम किराया                    9,000
5. अन्य व्यय                            2,000

कमीशन 15% की दर से काटा गया है। विक्रय विवरण तैयार कीजिए। (2017)
हल
                                                     विक्रय विवरण
                                                    मैसर्स अ, ब, स
दूरभाष : 12345678                                                                             सम्भल।
                                                                                   दिनांक : 05-07-2017

ठुल्ला भाई, सम्भल की ओर से प्राप्त तथा उन्हीं के (UPBoardSolutions.com) आदेश पर बेचे गए माल का विक्रय विवरण

UP Board Solutions for Class 10 Commerce Chapter 13 बीजक एवं विक्रय विवरण 11

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UP Board Solutions for Class 10 English Grammar Parts of a Sentence

UP Board Solutions for Class 10 English Grammar Parts of a Sentence are part of UP Board Solutions for Class 10 English. Here we have given UP Board Solutions for Class 10 English Grammar Parts of a Sentence.

Board UP Board
Class Class 10
Subject English
Chapter English Grammar
Chapter Name Parts of a Sentence
Category UP Board Solutions

UP Board Solutions for Class 10 English Grammar Parts of a Sentence

Exercise 1

  1. The tall girl in the room is a singer.
  2. That short boy in the class is intelligent.
  3. The little bird in the cage is eating a guava.
  4. That young man in the office is punctual.
  5. The poor students in the (UPBoardSolutions.com) college are given scholarships.
  6. An old woman with a stick was helped by me.
  7. The new pictures in the drawing room are very beautiful.
  8. Those books in the shelf are all new ones.
  9. A few good poets are present today.
  10. His younger sister in Meerut is suffering from fever

UP Board Solutions

Exercise 2

  1. My mother is a wise woman.
  2. Many persons dislike smoking.
  3. He gave me a book to read.
  4. The boy prefers to play.
  5. The Governor nominated Ravi a member.
  6. My sister never enjoys boating in the lake.
  7. His brother gave him a present.
  8. My younger brother lives in Agra.
  9. Mother heard someone (UPBoardSolutions.com) knocking at the door.
  10. He promised to help me.
  11. The train was late by two hours.
  12. There were few girls in my class.
  13. The hunter killed a tiger in the forest.
  14. My father teaches me English daily.
  15. The poor boy has no shoes to wear.

UP Board Solutions

Exercise 3

  1. I was in Kanpur last week.
  2. I treat my teachers with respect.
  3. He has a well furnished house.
  4. This house was built by your grandfather.
  5. There are several mistakes in your essay.
  6. My son is an officer in the army.
  7. This post of District Magistrate is not a bed of roses.
  8. The students should respect their elders.
  9. Roza is leaving for Agra tomorrow.
  10. She felt sorry for her arrogance.
  11. The monkeys quarrel among themselves.
  12. He gave his daughter a doll.
  13. The old woman sold her golden bowl.
  14. Alan’s father gave him a bicycle.
  15. He advised me to write five pages everyday.
  16. My father taught me swimming.
  17. He had not gone to Delhi (UPBoardSolutions.com) yesterday.
  18. I shall never forgive you.
  19. Please give me something to eat.
  20. Regretting on his loss the greedy seller cried.

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UP Board Solutions for Class 10 Commerce Chapter 17 व्यापारिक बैंक

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Board UP Board
Class Class 10
Subject Commerce
Chapter Chapter 17
Chapter Name व्यापारिक बैंक
Number of Questions Solved 26
Category UP Board Solutions

UP Board Solutions for Class 10 Commerce Chapter 17 व्यापारिक बैंक

बहुविकल्पीय प्रश्न (1 अंक)

प्रश्न 1.
निम्नलिखित में से कौन-सा खाता बैंकों में खोला जाता है?
(a) पूँजी खाता
(b) चालू खाता
(c) बहीखाता
(d) रोकड़ खाता
उत्तर:
(b) चालू खाता

प्रश्न 2.
14 बड़े व्यापारिक बैंकों का राष्ट्रीयकरण किस तिथि को हुआ? (2014)
अथवा
14 बैंकों का राष्ट्रीयकरण किस वर्ष में हुआ था? (2017)
(a) 17 जुलाई, 1970
(b) 1 अप्रैल, 1960
(c) 19 जुलाई, 1969
(d) 15 फरवरी, 1980
उत्तर:
(c) 19 जुलाई, 1969

UP Board Solutions

प्रश्न 3.
निम्नलिखित में से कौन-सा व्यापारिक बैंक नहीं है?
(a) रिज़र्व बैंक ऑफ इण्डिया
(b) देना बैंक
(c) केनरा बैंक
(d) विजया बैंक
उत्तर:
(a) रिज़र्व बैंक ऑफ इण्डिया

प्रश्न 4.
निम्नलिखित में से कौन-सा बैंक राष्ट्रीयकृत है?
(a) बैंक ऑफ महाराष्ट्र
(b) बैंक ऑफ राजस्थान
(c) कर्नाटक बैंक
(d) जम्मू एवं कश्मीर बैंक
उत्तर:
(d) बैंक ऑफ महाराष्ट्र

प्रश्न 5.
निम्न में कौन-सा बैंक भारत में राष्ट्रीयकृत बैंक है? (2016)
(a) एक्सिस बैंक
(b) बैंक ऑफ अमेरिका
(c) पंजाब नेशनल बैंक
(d) एच डी एफ सी बैंक
उत्तर:
(c) पंजाब नेशनल बैंक

प्रश्न 6.
भारत में राष्ट्रीयकृत बैंकों की वर्तमान संख्या है।
(a) 18
(b) 19
(c) 20
(d) 25
उत्तर:
(b) 19

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निश्चित उत्तरीय प्रश्न (1 अंक)

प्रश्न 1.
व्यापारिक बैंक जनता को अल्पकालीन/दीर्घकालीन ऋण देते हैं।
उत्तर:
अल्पकालीन

प्रश्न 2.
व्यापारिक बैंक जमा राशि पर ब्याज देता है/नहीं देता है।
उत्तर:
देता है

प्रश्न 3.
बचत बैंक खाते पर अधिविकर्ष की सुविधा मिलती है/नहीं मिलती है। (2010)
उत्तर:
नहीं मिलती है

प्रश्न 4.
सन् 1969 में भारत सरकार द्वारा 19/14 बैंकों का राष्ट्रीयकरण किया गया। (2010)
उत्तर:
14

प्रश्न 5.
बैंकों के राष्ट्रीयकरण का एक प्रमुख उद्देश्य शहरी/ग्रामीण क्षेत्रों में बैंकिंग सेवा का विकास करना है।
उत्तर:
ग्रामीण

प्रश्न 6.
ऐसा कोई भी व्यक्ति जिसका बैंक में खाता होता है, ………. ” कहलाता है। (ग्राहक/ऋणी)
उत्तर:
ग्राहक

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अतिलघु उत्तरीय प्रश्न (2 अंक)

प्रश्न 1.
व्यापारिक बैंक किसे कहते हैं?
उत्तर:
व्यापारिक बैंक वे बैंक होते हैं, जो सामान्य बैंकिंग का कार्य करते हैं। भारत में सभी राष्ट्रीयकृत बैंक व्यापारिक बैंक हैं। व्यापारिक बैंक अनुसूचित बैंक भी होते हैं। ये बैंक केन्द्रीय बैंक के निर्देशन में कार्य करते हैं। ये बैंक जनता से निक्षेप (UPBoardSolutions.com) स्वीकार करते हैं, अल्पकालीन ऋण प्रदान करते हैं व साख का निर्माण करते हैं। व्यापारिक बैंक साख नियन्त्रण का कार्य नहीं करते हैं।

प्रश्न 2.
अनुसूचित बैंक किसे कहते हैं? (2007)
उत्तर:
भारत में वे बैंक अनुसूचित बैंक कहलाते हैं, जिनका नाम भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम की द्वितीय अनुसूची में सम्मिलित किया हुआ है। ये बैंक निम्न शर्तों का पालन करते हैं

  1. उस बैंक की प्रदत्त पूँजी तथा कोष कम-से-कम ३ 5 लाख हो
  2. उस बैंक के कार्य अपने जमाकर्ताओं के हित के विरुद्ध न हों
  3. वह बैंक भारतीय कम्पनी अधिनियम के अन्तर्गत पंजीकृत हो

प्रश्न 3.
एक व्यापारिक बैंक के दो प्रमुख कार्य लिखिए। (2016)
उत्तर:
व्यापारिक बैंक के दो कार्य निम्नलिखित हैं

  1. जमाएँ स्वीकार करना व्यापारिक बैंक जनता के धन को बचत खाते, चालू खाते, सावधि जमा खाते, आवर्ती जमा खाते, आदि के द्वारा जमा करके उन पर ब्याज देते हैं।
  2. धन उधार देना ये बैंक अनेक प्रकार के अल्पकालीन ऋण प्रदान (UPBoardSolutions.com) करते हैं; जैसे-नकद साख द्वारा, अधिविकर्ष सुविधाओं द्वारा, आदि।

प्रश्न 4.
किन्हीं चार गैर-राष्ट्रीयकृत बैंकों के नाम लिखिए। (2017)
उत्तर:
गैर-राष्ट्रीयकृत बैंक निम्न हैं-

  1. येस बैंक
  2. एच डी एफ सी बैंक
  3. एक्सिस बैंक
  4. आई सी आई सी आई बैंक

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प्रश्न 5.
भारत के किन्हीं चार राष्ट्रीयकृत बैंकों के नाम लिखिए। (2016)
उत्तर:
राष्ट्रीयकृत बैंकों के नाम निम्नलिखित हैं-

  1. सेन्ट्रल बैंक ऑफ इण्डिया
  2. पंजाब नेशनल बैंक
  3. बैंक ऑफ बड़ौदा
  4. यूनियन बैंक

लघु उत्तरीय प्रश्न (4 अंक)

प्रश्न 1.
वाणिज्यिक बैंक के कार्यों की संक्षेप में व्याख्या कीजिए। (2011)
उत्तर:
वाणिज्यिक या व्यापारिक बैंकों के कार्य निम्नलिखित हैं

1. जमाएँ स्वीकार करना व्यापारिक बैंक जनता के धन को बचत खाते, चालू खाते, सावधि जमा खाते, आवर्ती जमा खाते, आदि के द्वारा जमा करके उन पर ब्याज देते हैं।
2. धन उधार देना ये बैंक अनेक प्रकार के अल्पकालीन ऋण भी देते हैं; जैसे-नकद साख द्वारा, अधिविकर्ष सुविधाओं द्वारा, व्यापारिक विपत्रों के हुण्डियों को भुनाकर, आदि।
3. एजेन्सी सम्बन्धी कार्य ये बैंक एजेण्ट के रूप में धन का हस्तान्तरण (UPBoardSolutions.com) करना, ग्राहकों की ओर से भुगतान प्राप्त करना, ग्राहकों की ओर से भुगतान करना, विनिमय-पत्रों आदि का भुगतान प्राप्त करना, ग्राहकों को आर्थिक सलाह देना, आदि कार्य करते हैं।
4. अन्य कार्य

  • विदेशी व्यापार को सरल बनाना।
  • रुपयों के हस्तान्तरण का कार्य।
  • व्यापारिक सूचना सम्प्रेषित करने का कार्य।
  • धन के विनियोजन सम्बन्धी कार्य।

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प्रश्न 2.
वाणिज्यिक बैंकों के पाँच दोषों का वर्णन कीजिए। (2006)
उत्तर:
वाणिज्यिक या व्यापारिक बैंकों के दोष निम्नलिखित हैं

  1. बैंकिंग सिद्धान्तों की अवहेलना व्यापारिक बैंक बैंकिंग सिद्धान्तों की अवहेलना करके अपनी जमाओं को कम सुरक्षित स्थानों पर भी विनियोजित कर देते हैं।
  2. असन्तुलित विकास व्यापारिक बैकों का अधिकतर विकास शहरों में ही किया गया, किन्तु ग्रामीण क्षेत्रों में बैंकिंग विकास पर ध्यान ही नहीं दिया गया।
  3. प्रबन्धकीय अकुशलता व्यापारिक बैंकों में प्रबन्धकीय कुशलता का अभाव पाया जाता है। अधिकतर बैंक बड़े-बड़े उद्योगपतियों के स्वामित्व में कार्य करते हैं।
  4. पारस्परिक सहयोग का अभाव व्यापारिक बैंकों में आपसी सहयोग के .. स्थान पर प्रतिस्पर्धा पाई जाती है।
  5. व्यक्तिगत जमानत पर ऋण न देना व्यापारिक बैंक किसी भी व्यक्ति को व्यक्तिगत जमानत पर ऋण प्रदान नहीं करते हैं।
  6. राष्ट्रीय ऋण नीति का अभाव व्यापारिक बैंकों में कुशल राष्ट्रीय ऋण नीति का अभाव पाया जाता है, जिससे किए जाने वाले विनियोग आर्थिक विकास में योगदान नहीं दे पाते हैं।
  7. ऋण देने की दोषपूर्ण नीति ये बैंक कृषि व लघु उद्योगों को कम ऋण प्रदान करते हैं, जबकि बड़े-बड़े व्यापारियों व उद्योगपतियों को अधिक ऋण प्रदान करते हैं।

प्रश्न 3.
बैंक के राष्ट्रीयकरण के लाभ बताइए। (2008)
उत्तर:
बैंकों के राष्ट्रीयकरण के लाभ बैंकों के राष्ट्रीयकरण से निम्नलिखित लाभ हुए हैं

  1. आर्थिक विकास में वृद्धि बैंकों को राष्ट्रीयकृत किए जाने से इनकी जमाओं में वृद्धि हुई है। अत: इन जमाओं का उपयोग देश की आर्थिक नीति के अनुसार किया जाने लगा, जिससे आर्थिक विकास को बढ़ावा मिला।
  2. सहयोग में वृद्धि 14 बड़े बैंकों का राष्ट्रीयकरण हो जाने से इन्हें रिज़र्व बैंक का सहयोग प्राप्त हुआ, जिससे देश की अर्थव्यवस्था सुदृढ़ हुई है।
  3. बैंकों की कार्यकुशलता में वृद्धि गैर-राष्ट्रीयकृत बैंकों की अपेक्षा राष्ट्रीयकृत बैंकों की कार्यकुशलता में अधिक वृद्धि हुई है।
  4. समाजवाद को बढ़ावा बैंकों के राष्ट्रीयकरण के पश्चात् बैंकों की धनराशि का प्रयोग पूँजीपतियों के अतिरिक्त समाज के सामान्य वर्ग के लिए भी किया गया, जिससे समाजवाद को बढ़ावा मिला।
  5. उद्योग-धन्धों में वृद्धि बैंकों का राष्ट्रीयकरण होने से उद्योग-धन्धों के विकास हेतु सरकार द्वारा उदार ऋण नीति को अपनाया गया।

बैंकों के राष्ट्रीयकरण की हानियाँ बैंकों के राष्ट्रीयकरण से निम्नलिखित हानियाँ हुई हैं-

  1. भ्रष्टाचार में वृद्धि राष्ट्रीयकरण के पश्चात् बैंकों की कार्यप्रणाली में भ्रष्टाचार को प्रोत्साहन मिला, क्योंकि बैंकों का राष्ट्रीयकरण हो जाने से बैंकों से ऋण प्राप्त करने की प्रक्रिया बहुत लम्बी व कठिन हो गई।
  2. राजनीति का प्रवेश राष्ट्रीयकरण के पश्चात् बैंकों के संचालन व प्रबन्ध में राजनीतिज्ञों का प्रवेश होने के कारण बैंकों की समस्त पूँजी कुछ ही हाथों में जाने का भय उत्पन्न हो गया है।
  3. कर्मचारियों की कार्यकुशलता में कमी राष्ट्रीयकरण के पश्चात् बैंकों में (UPBoardSolutions.com) सरकारी नौकरी हो जाने के कारण कर्मचारियों की कार्यकुशलता में कमी आई है।
  4. नौकरशाही का प्रभुत्व बैंकों के राष्ट्रीयकरण के पश्चात् बैंक सरकारी क्षेत्रों में आ गए, जिससे अन्य सरकारी क्षेत्रों की भाँति बैंकों में नौकरशाही व लालफीताशाही व्याप्त होने लगी है।
  5. क्षेत्रीय संकीर्णता राष्ट्रीयकृत बैंकों की अधिक शाखाओं का विस्तार शहरों में होने के कारण शहरी क्षेत्रों की जमाओं का प्रयोग उसी क्षेत्र में किया जाता है, जिस कारण पिछड़े हुए एवं अविकसित क्षेत्रों का विकास रुक जाता है।

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प्रश्न 4.
भारत में बैंकों के राष्ट्रीयकरण के पाँच उद्देश्यों का वर्णन कीजिए। (2006)
अथवा
सन् 1969 में बैंकों के राष्ट्रीयकरण के प्रमुख उद्देश्यों का वर्णन कीजिए। (2006)
अथवा
भारत में वाणिज्यिक बैंकों के राष्ट्रीयकरण के पाँच प्रमुख उद्देश्यों की विवेचना कीजिए।
उत्तर:
भारत में बैंकों के राष्ट्रीयकरण के उद्देश्य निम्नलिखित थे-

  1. बैंकिंग सुविधाओं का सन्तुलित विकास बैंकों के राष्ट्रीयकरण का उद्देश्य देश के ग्रामीण व शहरी क्षेत्रों में बैंकिंग सुविधाओं का पर्याप्त विकास करना था।
  2. आर्थिक सत्ता के केन्द्रीकरण का अन्त राष्ट्रीयकरण का उद्देश्य पूँजीपतियों की सत्ता को समाप्त करना था, जिससे पूँजी का सभी वर्गों में समान वितरण हो।
  3. कृषि साख प्रदान करना बैंकों के राष्ट्रीयकरण द्वारा किसानों को (UPBoardSolutions.com) आवश्यक मात्रा में ऋण उपलब्ध करवाना था।
  4. शाखाओं को प्रसार बैंकों के राष्ट्रीयकरण से सभी क्षेत्रों में बैंकिंग शाखाओं का विस्तार करना था।
  5. राष्ट्रीय आय में वृद्धि राष्ट्रीयकरण से ग्रामीण व शहरी लोगों को बैंकिंग सुविधा उपलब्ध करवाकर उनमें बचते की आदत को प्रोत्साहित करना था, जिससे राष्ट्रीय आय में वृद्धि हो सके।
  6. लघु उद्योगों को साख राष्ट्रीयकरण के द्वारा लघु उद्योगों को ऋण उपलब्ध करवाकर लघु उद्योगों का विकास करना था।
  7. साख का राष्ट्रहित में प्रयोग बैंकों के राष्ट्रीयकरण से साख का प्रयोग देश के विकास के लिए करना था।
  8. सामान्य व्यक्तियों की सहायता राष्ट्रीयकरण का उद्देश्य आम-आदमी को उसकी आवश्यकतानुसार ऋण देकर सहायता उपलब्ध कराना था।
  9. विकास के लिए वित्त बैंकों के राष्ट्रीयकरण के द्वारा देश में तीव्र आर्थिक विकास की वित्त की व्यवस्था करना था, जिससे आर्थिक नियोजन के अनुसार देश का विकास किया जा सके।
  10. समाजवाद की स्थापना बैंकों के राष्ट्रीयकरण का उद्देश्य समाजवाद की स्थापना करना था। जिससे प्रत्येक समाज को विकास की ओर अग्रसर किया जा सके।

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प्रश्न 5.
सन् 1969 में बैंकों के राष्ट्रीयकरणं पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए। (2011)
अथवा
सन् 1969 में भारत सरकार द्वारा राष्ट्रीयकृत दस बैंकों के नामों का उल्लेख कीजिए। (2010, 06)
उत्तर:
व्यापारिक बैंकों का राष्ट्रीयकरण बैंकिंग व्यवसाय को प्रभावी एवं मजबूत बनाने के उद्देश्य से 19 जुलाई, 1969 को देश के 14 बड़े बैंकों का राष्ट्रीयकरण किया गया। इन बैंकों के राष्ट्रीयकरण का प्रमुख उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में बैंकिंग सेवा का विकास करना था। (UPBoardSolutions.com) इन बैंकों की जमा राशि के 50 करोड़ से अधिक थी। ये बैंक निम्नलिखित हैं

  1. सेन्ट्रल बैंक ऑफ इण्डिया
  2. बैंक ऑफ इण्डिया
  3. बैंक ऑफ बड़ौदा
  4. पंजाब नेशनल बैंक
  5. केनरा बैंक
  6. यूनाइटेड कॉमर्शियल बैंक
  7. यूनाइटेड बैंक ऑफ इण्डिया
  8. सिण्डीकेट बैंक
  9. बैंक ऑफ महाराष्ट्र
  10. देना बैंक
  11. इलाहाबाद बैंक
  12. यूनियन बैंक ऑफ इण्डिया
  13. इण्डियन बैंक
  14. इण्डियन ओवरसीज़ बैंक
  15. अप्रैल, 1980 को सरकार ने 6 बड़े बैंकों का राष्ट्रीयकरण कर दिया।

जिन बैंकों की जमाएँ 200 करोड़ तक थीं। ये बैंक हैं-

  1. दी आन्ध्रा बैंक
  2. दो न्यू बैंक ऑफ इण्डिया
  3. कॉर्पोरेशन बैंक
  4. दी ओरिएण्टल बैंक ऑफ कॉमर्स
  5. दी पंजाब एण्ड सिन्ध बैंक
  6. विजया बैंक

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सितम्बर, 1993 में दीं न्यू बैंक ऑफ इण्डिया का पंजाब नेशनल बैंक में विलय कर देने के बाद वर्तमान में राष्ट्रीयकृत बैंकों की संख्या 19 हो गई है।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न (8 अंक)

प्रश्न 1.
वाणिज्यिक बैंकों से आप क्या समझते हैं? वाणिज्यिक बैंकों द्वारा प्रदान की जाने वाली सेवाओं का वर्णन कीजिए। (2008)
अथवा
वाणिज्यिक बैंक किसे कहते हैं? वाणिज्यिक बैंक के कार्यों का वर्णन कीजिए। (2007)
उत्तर:
वाणिज्यिक या व्यापारिक बैंक से आशय व्यापारिक बैंक वे बैंक होते हैं, जो सामान्य बैंकिंग का कार्य करते हैं। भारत में सभी राष्ट्रीयकृत बैंक व्यापारिक बैंक होते हैं तथा ये बैंक अनुसूचित बैंक भी होते हैं। ये बैंक केन्द्रीय बैंक के निर्देशन में कार्य करते हैं एवं (UPBoardSolutions.com) जनता से निक्षेप स्वीकार करते हैं, अल्पकालीन ऋण प्रदान करते हैं तथा साख का निर्माण भी करते हैं। व्यापारिक बैंकों के निम्नलिखित दो प्रकार हैं

1. अनुसूचित बैंक भारत में वे बैंक अनुसूचित बैंक कहलाते हैं, जिनका नाम भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम की द्वितीय अनुसूची में सम्मिलित किया हुआ है। ये बैंक निम्नलिखित शर्तों का पालन करते हैं

  • उस बैंक की प्रदत्त पूँजी तथा कोष कम-से-कम ₹ 5 लाख हो।
  • उस बैंक के कार्य अपने जमाकर्ताओं के हित के विरुद्ध न हों।
  • वह बैंक भारतीय कम्पनी अधिनियम के अन्तर्गत पंजीकृत हो।
  • उस बैंक की आर्थिक स्थिति अच्छी हो।

2. गैर-अनुसूचित बैंक जिन बैंकों का नाम भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम की द्वितीय अनुसूची में शामिल नहीं किया गया है, वे गैर-अनुसूचित वाणिज्यिक बैंक कहलाते हैं।

वाणिज्यिक या व्यापारिक बैंकों के कार्य या सेवाएँ वाणिज्यिक या व्यापारिक बैंकों के कार्य या सेवाएँ निम्नलिखित हैं –

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I. मुख्य कार्य या प्राथमिक कार्य

1. जमा पर धन प्राप्त करना बैंक की प्रमुख कार्य जमा पर धन प्राप्त करना
है। बैंक जनता से जमा के रूप में धन को स्वीकार करता है। बैंक पाँच प्रकार के खातों द्वारा जनता से जमा प्राप्त करता है

(i) चालू खाता ये खाते मुख्य रूप से व्यापारियों और व्यावसायिक संस्थाओं द्वारा खोले जाते हैं। इन खातों में दिन में कई बार धन जमा कराने व निकालने की सुविधा रहती है। इस प्रकार के खाते पर बैंक प्रायः ब्याजे नहीं देते हैं।

(ii) बचत बैंक खाता यह खाता कम तथा निश्चित आय वर्ग वाले व्यक्तियों के लिए अधिक लाभकारी होता है। इस प्रकार के खाते का मुख्य उद्देश्य जनता क़ी छोटी-छोटी बचतों को एकत्र करके उनमें बचत की भावना को विकसित करना होता है। यह खाता कोई भी साधारण व्यक्ति खोल सकता है। बैंक इस खाते पर 4% की दर से ब्याज भी देता है।

(iii) सावधि जमा खाता जिन व्यक्तियों का उद्देश्य अधिक ब्याज कमाना होता है, उनके द्वारा यह खाता खोला जाता है। यह खाता एक निश्चित अवधि के लिए होता है। यह खाता एक नाम, संयुक्त नाम या नाबालिग के द्वारा भी खोला जा सकता है।

(iv) निरन्तर/आवर्ती जमा खाता इस प्रकार के खाते में प्रतिमाह एक निश्चित (UPBoardSolutions.com) धनराशि जमा करानी पड़ती है। यह एक निश्चित अवधि के लिए खोला जाता है। यह खाता ३5 के गुणक में खोला जाता है। इस खाते में चक्रवृद्धि दर से ब्याज मिलता है।

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2. ऋण देना व्यापारिक बैंक सामान्यत: निम्नांकित प्रकार के ऋण प्रदान करते हैं-

(i) अधिविकर्ष द्वारा जब बैंक अपने ग्राहकों को उनके द्वारा जमा की गई राशि से अधिक रुपया निकालने की अनुमति दे देता है, तो वह अतिरिक्त राशि अधिविकर्ष (Overdraft) कहलाती है। यह सुविधा प्रायः बैंक द्वारा चालू खाते पर प्रदान की जाती है। यह सुविधा अल्पकालीन होती है।

(ii) नकद साख इसमें व्यापारी बैंक से अपने ऋण की एक सीमा तय कर लेता है। इस प्रकार वह राशि व्यापार के खाते में जमा हो जाती है। व्यापारी अपनी आवश्यकतानुसार रुपया निकालता और जमा कराता रहता है। इसमें ब्याज सम्पूर्ण राशि पर न लगाकर केवल निकाली गई राशि पर ही लगाया जाता है और यह सुविधा बैंक द्वारा चल-अचल सम्पत्ति की जमानत पर प्रदान की जाती है।

(iii) ऋण और अग्रिम जब ऋण पूर्व निश्चित अवधि के लिए दिया जाता है, तो उसे ऋण और अग्रिम (Loan and Advance) कहते हैं। इसमें पूर्ण धनराशि पर ब्याज प्रारम्भ से ही लगाया जाता है, चाहे ऋण का प्रयोग करें या न करें। यह ऋण भी बैंक द्वारा चल-अचल सम्पत्ति की जमानत पर प्रदान किया जाता है।

(iv) अल्प सूचना पर देय यह ऋण सामान्यत: बड़े नगरों में ही प्रचलित है। इस पर ब्याज 0.5% से लेकर 3.5% तक ही वसूला जाता है।

(v) हुण्डियों तथा विनिमय-विपत्रों को भुनाना व्यापारिक बैंक हुण्डियों तथा विनिमय-विपत्रों को भुनाने का कार्य भी करते हैं। अतः इन्हें भुनाकर बैंक ऋण देने की व्यवस्था करते हैं। ये ऋण व्यक्तिगत जमानत एवं प्रतिभूतियों की जमानत दोनों पर प्रदान किए जाते हैं।

3. एजेन्सी के रूप में कार्य व्यापारिक बैंक अपने ग्राहकों के लिए निम्न एजेन्सी सम्बन्धी कार्य भी करते हैं|

  • ग्राहकों की ओर से बीमे की किस्त का भुगतान करना।
  • लॉकर्स की सुविधा प्रदान करना।
  • ये गहने अथवा बहुमूल्य वस्तुओं का क्रय-विक्रय करते हैं।
  • ये अंश व ऋणपत्रों का क्रय-विक्रय करते हैं।
  • ये बैंक अपने ग्राहकों को आर्थिक सलाह व सम्मति भी देते हैं।
  • ये बैंक साख-पत्रों, बिल, ड्राफ्ट, हुण्डी, विनिमय-विपत्र, आदि का निर्गमन करते हैं।
  • ये बैंक अंशपत्रों पर लाभांश व ऋणपत्रों पर ब्याज एकत्रित करते हैं।

4. विदेशी विनिमय का कार्य आधुनिक व्यापारिक बैंक एक देश की मुद्रा को दूसरे देश की मुद्रा में बदलने का कार्य भी करते हैं।
5. रुपये के हस्तान्तरण का कार्य ये बैंक एक स्थान से दूसरे स्थान पर रुपये भेजने की शीघ्र, सस्ती व सरल सुविधा प्रदान करने का कार्य भी करते हैं।
6. व्यापारिक सूचना सम्प्रेषित करने का कार्य ये बैंक बाजार की माँग से सम्बन्धित आँकड़ों का संग्रह करके अपने ग्राहकों तक पहुँचा देने का कार्य भी करते हैं।
7. धन के विनियोजन सम्बन्धी कार्य ये बैंक अपनी जमा को लगभग 26% धन (UPBoardSolutions.com) विनियोग में लगाते हैं।
8. साख निर्धारण का कार्य सेयर्स के अनुसार, “बैंक केवल एक मुद्रा जुटाने वाली संस्था ही नहीं है, वरन् मुद्रा की निर्माता भी है।” अर्थात् बैंक नकद जमा, साख जमा, आदि का भुगतान करके साख का निर्माण भी करते हैं अर्थात् “बैंक उस जगह पर काटते हैं, जहाँ पर बोते नहीं।’
9. अन्य सेवाएँ बैंक अपने ग्राहकों को अन्य आवश्यक सेवाएँ भी प्रदान करते हैं; जैसे

  1. सरकार तथा अन्य संस्थाओं के ऋणों का अभिगोपन करना।
  2. यात्री चैक जारी करना।
  3. आँकड़ों व व्यापारिक सूचनाओं को एकत्रित करके उनका प्रकाशन करना, आदि।

प्रश्न 2.
बैंकों के राष्ट्रीयकरण के लाभ एवं हानियों का वर्णन कीजिए। (2015)
उत्तर:
बैंकों के राष्ट्रीयकरण के लाभ बैंकों के राष्ट्रीयकरण से निम्नलिखित लाभ हुए हैं

  1. आर्थिक विकास में वृद्धि बैंकों को राष्ट्रीयकृत किए जाने से इनकी जमाओं में वृद्धि हुई है। अत: इन जमाओं का उपयोग देश की आर्थिक नीति के अनुसार किया जाने लगा, जिससे आर्थिक विकास को बढ़ावा मिला।
  2. सहयोग में वृद्धि 14 बड़े बैंकों का राष्ट्रीयकरण हो जाने से इन्हें रिज़र्व बैंक का सहयोग प्राप्त हुआ, जिससे देश की अर्थव्यवस्था सुदृढ़ हुई है।
  3. बैंकों की कार्यकुशलता में वृद्धि गैर-राष्ट्रीयकृत बैंकों की अपेक्षा राष्ट्रीयकृत बैंकों की कार्यकुशलता में अधिक वृद्धि हुई है।
  4. समाजवाद को बढ़ावा बैंकों के राष्ट्रीयकरण के पश्चात् बैंकों की धनराशि का प्रयोग पूँजीपतियों के अतिरिक्त समाज के सामान्य वर्ग के लिए भी किया गया, जिससे समाजवाद को बढ़ावा मिला।
  5. उद्योग-धन्धों में वृद्धि बैंकों का राष्ट्रीयकरण होने से उद्योग-धन्धों के विकास हेतु सरकार द्वारा उदार ऋण नीति को अपनाया गया।

बैंकों के राष्ट्रीयकरण की हानियाँ बैंकों के राष्ट्रीयकरण से निम्नलिखित हानियाँ हुई हैं-

  1. भ्रष्टाचार में वृद्धि राष्ट्रीयकरण के पश्चात् बैंकों की कार्यप्रणाली में भ्रष्टाचार को प्रोत्साहन मिला, क्योंकि बैंकों का राष्ट्रीयकरण हो जाने से बैंकों से ऋण प्राप्त करने की प्रक्रिया बहुत लम्बी व कठिन हो गई।
  2. राजनीति का प्रवेश राष्ट्रीयकरण के पश्चात् बैंकों के संचालन व प्रबन्ध में राजनीतिज्ञों का प्रवेश होने के कारण बैंकों की समस्त पूँजी कुछ ही हाथों में जाने का भय उत्पन्न हो गया है।
  3. कर्मचारियों की कार्यकुशलता में कमी राष्ट्रीयकरण के पश्चात् बैंकों में सरकारी नौकरी हो जाने के कारण कर्मचारियों की कार्यकुशलता में कमी आई है।
  4. नौकरशाही का प्रभुत्व बैंकों के राष्ट्रीयकरण के पश्चात् बैंक सरकारी क्षेत्रों में आ गए, जिससे अन्य सरकारी क्षेत्रों की भाँति बैंकों में नौकरशाही व लालफीताशाही व्याप्त होने लगी है।
  5. क्षेत्रीय संकीर्णता राष्ट्रीयकृत बैंकों की अधिक शाखाओं का विस्तार शहरों में होने के कारण शहरी क्षेत्रों की जमाओं का प्रयोग उसी क्षेत्र में किया जाता है, जिस कारण पिछड़े हुए एवं अविकसित क्षेत्रों का विकास रुक जाता है।

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प्रश्न 3.
एक व्यापारिक बैंक में ग्राहकों द्वारा खोले जाने वाले विभिन्न प्रकार के खातों का वर्णन कीजिए। (2016)
अथवा
बैंक में कितने प्रकार के खाते खोले जा सकते हैं? समझाइए। (2006)
अथवा
बैंक में खोले जाने वाले विभिन्न प्रकार के खातों का वर्णन कीजिए। (2006)
उत्तर:
बैंक मुख्य रूप से निम्नलिखित खाते खोलने की सुविधा देते हैं-

1. चालू खाता यह खाता व्यापारियों तथा उद्योगपतियों के द्वारा खोला जाता है। इस खाते में दिन में कितनी भी बार लेन-देन किया जा सकता है। चालू खाते में जमा राशि पर ब्याज नहीं दिया जाता है।

चालू खाता खोलने की विधि चालू खाता खोलने के लिए बैंक से नि:शुल्क फॉर्म प्राप्त करके इसे भरना पड़ता है। इस आवेदन-पत्र में व्यक्ति या संस्था का नाम, व्यवसाय का पूरा पता, साक्षी के हस्ताक्षर, खाता खोलने वाले के हस्ताक्षर, नमूने के हस्ताक्षर, आदि सूचनाओं की पूर्ति करनी पड़ती है।

नमूने के हस्ताक्षर खाता खोलने वाले व्यक्ति के हस्ताक्षर को बैंक अपनी हस्ताक्षर-प्राप्त पुस्तिका में नमूने के रूप में ले लेता है, जिन्हें बैंक भविष्य के लिए अपने पास सुरक्षित रखता है।

न्यूनतम जमा राशि चालू खाते में ग्राहकों को बैंक द्वारा निश्चित की गई न्यूनतम राशि सदैवं जमा रखनी पड़ती है।

चालू खाता खोलने पर प्राप्त होने वाली पुस्तकें
चालू खाता खोलने पर बैंक द्वारा निम्नलिखित तीन पुस्तकें प्रदान की जाती हैं-

  • पास बुक यह एक छोटी पुस्तक होती है, जिसमें ग्राहक व बैंक के मध्ये किए गए सभी लेन-देन का तिथिवार विवरण लिखा होता है।
  • चैक बुक यह एक पुस्तक की तरह होती है। इसमें धनराशि निकालने के लिए 10 से 100 तक के कोरे फॉर्म लगे रहते हैं। इसके दो भाग होते हैं- बाँया वे दाँया। बाँया भाग प्रतिपर्ण वे दाँया भाग चैक कहलाता है। चैक या चैक बुक खो जाने (UPBoardSolutions.com) पर बैंक को तुरन्त सूचित करना चाहिए।
  • जमा की पुस्तक इस पुस्तक का उपयोग धनराशि जमा कराने के लिए किया जाता है। इसमें धनराशि जमा कराने के लिए कोरे फॉर्म लगे रहते हैं। यह फॉर्म चैक, बिल, ड्राफ्ट व नकदी के साथ जमा कराया जाता

2. बचत बैंक खाता यह खाता सामान्यतः छोटी-छोटी बचतें जमा करने के लिए खोला जाता है। इस खाते पर अधिविकर्ष की सुविधा नहीं मिलती है। खाता खोलने की विधि इस प्रकार का खाता खोलने के लिए बैंक से प्राप्त निःशुल्क आवेदन-पत्र भरना होता है, जिसमें नाम, पता व व्यवसाय, आदि भरकर हस्ताक्षर करके जमा करानी पड़ती है। यह खाता कम-से-कम ₹ 500 जमा करवाकर खोला जा सकता है। खाता खोलते समय बैंक में नमूने के हस्ताक्षर करने होते हैं। इसे बैंक भविष्य के लिए सुरक्षित रखता है। खाताखोलने पर पास बुक, चैक बुक व जमा की पुस्तक, आदि प्रदान की जाती हैं।

3. सावधि जमा खाता सावधि जमा खाता एक निश्चित अवधि के लिए खोला जाता है। परिपक्वता की तिथि पर ब्याज सहित राशि लौटा दी जाती है। खाता खोलने की विधि इसमें बैंक से एक छपा हुआ आवेदन फॉर्म प्राप्त : कर उसे भरना होता है। बैंक जमाकर्ता को एक रसीद देता है, जिसे ‘स्थायी जमा रसीद’ कहा जाता है। इसमें जमाकर्ता का नाम, पता, धनराशि, जमा की अवधि व ब्याज दर, आदि का उल्लेख होता है।

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4. निरन्तर/आवर्ती जमा खाता इस प्रकार के खाते को ‘संचयी जमा खाता भी पड़ती है। यह खाता ₹ 5 के गुणक में खोला जाता है। यह एक निश्चित अवधि के लिए खोला जाता है। इस खाते में चक्रवृद्धि दर से ब्याज मिलता है। इसमें निर्धारित अवधि समाप्त होने पर जमा राशि ब्याज सहित निकाली जा सकती है।

प्रश्न 4.
बैंक तथा ग्राहक के मध्य सम्बन्ध स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
बैंक और ग्राहक का सम्बन्ध बैंक और ग्राहक का सम्बन्ध जानने से पूर्व बैंक और ग्राहक का अर्थ जान लेना चाहिए। बैंक का अर्थ बैंक वह संस्था है, जो मुद्रा को व्यवसाय करती है। यह एक ऐसी संस्था है जहाँ धन जमा कराने, ऋण देने एवं कटौती की सुविधाएँ दी जाती हैं।

ग्राहक का अर्थ ग्राहक की कोई वैधानिक परिभाषा नहीं होती है। सामान्यत: ऐसा कोई भी व्यक्ति जिसका बैंक में खाता है, वह ग्राहक कहलाती है। सामान्यत: बैंक और ग्राहक के मध्य तीन प्रकार के सम्बन्ध पाए जाते हैं

1. ऋणी और ऋणदाता को सम्बन्ध बैंक और ग्राहक के मध्ये सबसे महत्त्वपूर्ण सम्बन्ध ऋणी एवं ऋणदाता का है। जब ग्राहक बैंक में धन जमा कराता है, तो बैंक को इस धन का इच्छानुसार उपयोग करने का अधिकार मिल जाता है। ऐसी स्थिति में बैंक ऋणी तथा ग्राहक ऋणदाता होता है। इसके विपरीत जब ग्राहक अपने खाते में जमा राशि से अधिक राशि निकालता है, तो बैंक ऋणदाता तथा ग्राहक ऋणी होगा। ऋणी व ऋणदाता के रूप में बैंक और ग्राहक के मध्य निम्नलिखित विशेषताएँ पाई जाती हैं

  • ऋण के उपयोग की स्वतन्त्रता बैंक अपने ग्राहकों के जमा धन को अपनी इच्छानुसार उपयोग कर सकता है।
  • ऋण लौटाने की स्वतन्त्रता न होना बैंक ग्राहकों की धनराशि को इच्छानुसार (UPBoardSolutions.com) नहीं लौटा सकता है। वह इस राशि को तभी लौटा सकता है, जब ग्राहक भुगतान प्राप्त करना चाहता है।
  • ग्राहकों के खातों व धनराशि की गोपनीयता बैंक अपने ग्राहकों के खातों की स्थिति गोपनीय रखता है।

2. अभिकर्ता (एजेण्ट) और प्रधान का सम्बन्ध वर्तमान समय में बैंक अपने ग्राहकों को अभिकर्ता के रूप में अनेक प्रकार की सेवाएँ प्रदान करते हैं; जैसे

  • ग्राहकों के चैकों, प्रतिज्ञा-पत्रों, विनिमय बिलों, आदि का भुगतान प्राप्त करना।
  • ग्राहक के ऋणपत्रों पर ब्याज, लाभांश, ऋण की राशि, मकान का किराया, आदि वसूल करना।
  • ग्राहक की ओर से ऋणों की किस्तें, ब्याज, चन्दा, किराया, बीमे की किस्तें, कर, आदि का भुगतान करना।
  • ग्राहकों के धन का एक स्थान से दूसरे स्थान पर स्थानान्तरण करना।
  • ग्राहक की ओर से प्रतिभूतियों का क्रय-विक्रय करना।
  • ग्राहक के आदेशानुसार अन्य कार्य करना।

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3. धरोहरधारी और धरोहरकर्ता का सम्बन्ध बैंक ग्राहकों को धन, बहुमूल्य प्रपत्र एवं अन्य महँगी वस्तुएँ सुरक्षार्थ रखते हैं। इन वस्तुओं का स्वामित्व तो ग्राहक का ही होता है, लेकिन अधिकार बैंक के पास रहता है। बैंक का उन वस्तुओं को सुरक्षित रखने व माँगने पर वापस लौटाने का दायित्व होता है। इस प्रकार, बैंक एक धरोहरधारी व धरोहरकर्ता के रूप में कार्य करता है। बैंक ग्राहक की धरोहर को सुरक्षित रखने व इसे लौटाने की गारण्टी देता है। यदि लापरवाही (UPBoardSolutions.com) से ग्राहक की कोई हानि होती है, तो बैंक ही इसके लिए उत्तरदायी होता है। इस प्रकार मूल्यवान् वस्तु को धरोहर के रूप में रखने वाले ग्राहक को ‘धरोहरकर्ता एवं बैंक को ‘धरोहरधारी’ कहते हैं।

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