UP Board Solutions for Class 10 Commerce Chapter 2 समायोजनाओं सहित अन्तिम खाते

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Board UP Board
Class Class 10
Subject Commerce
Chapter Chapter 2
Chapter Name समायोजनाओं सहित अन्तिम खाते
Number of Questions Solved 34
Category UP Board Solutions

UP Board Solutions for Class 10 Commerce Chapter 2 समायोजनाओं सहित अन्तिम खाते

बहुविकल्पीय प्रश्न (1 अंक)
                                                                                                                                                                               

प्रश्न 1.
तलपट के नीचे जो सूचनाएँ दी होती हैं, उन्हें किस नाम से जानते हैं?
(a) जर्नल
(b) समायोजनाएँ
(c) खाताबही
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(b) समायोजनाएँ

प्रश्न 2.
आहरण पर ब्याज व्यापार के लिए होता है।
(a) लाभ
(b) हानि
(c) ‘a’ और ‘b’ दोनों
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(a) लाभ

प्रश्न 3.
अदत्त मजदूरी को ………….. में दर्शाया जाता है। (2014)
(a) व्यापार खाते के डेबिट पक्ष
(b) लाभ-हानि खाते के डेबिट पक्ष
(c) आर्थिक चिट्ठे के दायित्व पक्ष
(d) आर्थिक चिट्ठे के सम्पत्ति पक्ष
उत्तर:
(c) आर्थिक चिट्ठे के दायित्व पक्ष

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नोट पूर्ण सूचना के अभाव में अदत्त मजदूरी को तलपट के अन्दर मान लिया गया है।

प्रश्न 4.
यदि अन्तिम रहतिया तलपट के अन्दर दिया गया हो, तो उसका लेखा किस खाते में किया जाएगा?
(a) लाभ-हानि खाता।
(b) व्यापार खाता
(c) रोकड़ खाता
(d) आर्थिक चिट्ठा
उत्तर:
(d) आर्थिक चिट्ठा

निश्चित उत्तरीय प्रश्न (1 अंक)

प्रश्न 1.
समायोजनाओं की दोहरी प्रविष्टि आवश्यक है/अनावश्यक है।
उत्तर:
आवश्यक है

प्रश्न 2.
अदत्त व्यय वह व्यय है, जिसकी रकम अभी तक नहीं दी गई है/दी जा चुकी है।
उत्तर:
अभी तक नहीं दी (UPBoardSolutions.com) गई है

प्रश्न 3.
समायोजना में दिए गए ‘अदत्त व्यय’ को कहाँ प्रदर्शित किया जाएगा? (2016)
उत्तर:
व्यापार एवं लाभ-हानि खाते के ऋणी पक्ष में सम्बन्धित व्यय में जोड़कर व आर्थिक चिट्ठे के दायित्व पक्ष में दिखाया जाएगा

प्रश्न 4.
तलपट में दिया गया अन्तिम रहतिया कहाँ लिखा जाता है?
उत्तर:
केवल आर्थिक चिट्ठे के सम्पत्ति पक्ष में

प्रश्न 5.
अनुपार्जित आय वह आय है, जो अर्जित हो चुकी है/अभी अर्जित नहीं हुई है।
उत्तर:
अभी अर्जित नहीं हुई है।

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प्रश्न 6.
पेशगी प्राप्त किराया क्या कहलाता है?
उत्तर:
अनुपार्जित आये

अतिलघु उत्तरीय प्रश्न (2 अंक)

प्रश्न 1.
“डेबिट हमेशा क्रेडिट के बराबर होता है।” व्याख्या कीजिए। (2017)
उत्तर:
किसी भी प्रविष्टि की शुद्धता के लिए आवश्यक है कि उसके दोनों पक्षों ऋणी और धनी (Debit and Credit) का योग बराबर हो। एक व्यवहार से दो या अधिक खाते प्रभावित होते हैं। अत: यदि एक खाते में कोई परिवर्तन (कमी या वृद्धि) होगा, तो (UPBoardSolutions.com) उसका प्रभाव दूसरे खाते पर भी पड़ेगा एवं यदि ऋणी (डेबिट) पक्ष में वृद्धि या कमी हुई, तो धनी (क्रेडिट) पक्ष में भी क्रमशः वृद्धि या कमी होगी। इसलिए डेबिट हमेशा क्रेडिट के बराबर होता है।

प्रश्न 2.
डूबत ऋण से क्या तात्पर्य है? (2007)
उत्तर:
देनदारों द्वारा जिस धनराशि का भुगतान करना अस्वीकार कर दिया जाता है अथवा परिस्थितिवश जिस धनराशि का भुगतान नहीं मिलता है, तो उस अप्राप्त धनराशि को डूबत ऋण (Bad Debts) कहते हैं। यह व्यापार के लिए हानि मानी जाती हैं।

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प्रश्न 3.
उपार्जित आय तथा अनुपार्जित आय में अन्तर बताइए। (2007)
उत्तर:
उपार्जित तथा अनुपार्जित आय में अन्तर 
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लघु उत्तरीय प्रश्न (4 अक)

प्रश्न 1.
समायोजना के उद्देश्य बताइए।
उत्तर:
समायोजना का अर्थ वर्ष के अन्त में अन्तिम खाते बनाते समय कुछ लेन-देन ऐसे होते हैं, जिनका लेखा या तो अभी तक बिल्कुल किया ही नहीं गया है अथवा अधूरा किया गया है। इन लेन-देनों का लेखांकन, अवधि समाप्त होने पर अन्तिम खाते तैयार करते समय ही किया जाता है। ऐसे लेन-देनों को समायोजनाएँ कहते हैं और तत्सम्बन्धी जर्नल लेखे समायोजन लेखे कहलाते हैं। संक्षेप में, व्यापार के अपूर्ण या न लिखे गए लेखों को बहियों में (UPBoardSolutions.com) नियमानुसार उचित प्रकार से लिखने की कला को समायोजन कहते हैं। अत: तलपट के नीचे जो सूचनाएँ दी जाती हैं, उसे ‘समायोजना’ कहते हैं। समायोजनाओं की दोहरी प्रविष्टि करना आवश्यक होता है।

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समायोजन के लेखे करने के उद्देश्य अथवा महत्त्व समायोजन के लेखे करने की आवश्यकता को निम्न उद्देश्यों व महत्त्व द्वारा समझाया जा सकता है

  1. सही एवं पूर्ण लेखे करना कुछ अतिरिक्त लेखे होते हैं जो व्यापार की वित्तीय स्थिति को प्रभावित करते हैं; जैसे-अशोध्य ऋण संचिति हेतु प्रावधान, पूँजी व आहरण पर ब्याज, आदि। समायोजन लेखों के माध्यम से ही इन समस्त तथ्यों का समावेश किया जा सकता है।
  2. व्यापार की आर्थिक स्थिति ज्ञात करना व्यापार की आर्थिक स्थिति का सत्य एवं उचित चित्र प्रस्तुत करने के लिए समायोजन लेखों की आवश्यकता होती है।
  3. वित्तीय वर्ष से सम्बन्धित व्ययों का लेखा किसी वित्तीय वर्ष से सम्बन्धित समस्त अदत्त एवं पूर्वदत्त व्ययों का ठीक प्रकार से समायोजन करके ही व्यापार की वास्तविक आर्थिक स्थिति का ज्ञान हो सकता है।
  4. वित्तीय वर्ष से सम्बन्धित आय का लेखा समायोजन लेखों का प्रमुख उद्देश्य व्यवसाय (UPBoardSolutions.com) के किसी वित्तीय वर्ष में प्राप्त आय का ज्ञान प्राप्त करना है। इसी के माध्यम से आर्थिक स्थिति ज्ञात की जाती है।
  5. खातों की त्रुटियों (गलतियों) को सुधारना समायोजन लेखों के माध्यम से खातों में हुई विभिन्न प्रकार की त्रुटियों को सुधारकर वास्तविक आर्थिक स्थिति का ज्ञान सरलता से किया जा सकता है।
  6. शुद्ध लाभ अथवा शुद्ध हानि का पूर्ण ज्ञान समायोजन के लेखों का प्रमुख उद्देश्य वित्तीय वर्ष के सत्य एवं उचित परिणाम प्रदर्शित करना होता है। समायोजन लेखों के द्वारा ही व्यापार का शुद्ध लाभ अथवा शुद्ध हानि ज्ञात की जाती है।

प्रश्न 2.
निम्न पर टिप्पणी लिखिए।

  1. उपार्जित आय
  2. लेनदारों पर छूट के लिए संचय
  3. अन्तिम रहतिया
  4. अदत्त व्यय

उत्तर:
1. अप्राप्य या अशोध्य ऋण (Bad Debts) देनदारों द्वारा जिस धनराशि का भुगतान करना अस्वीकार कर दिया जाता है अथवा परिस्थितिवश जिस धनराशि का भुगतान नहीं मिलता है, तो इस अप्राप्त धनराशि को ‘अप्राप्य’ या ‘अशोध्य ऋण’ या ‘डूबत ऋण’ कहते हैं।
इसका लेखा जर्नल में निम्नवत् किया जाता हैं-
अशोध्य ऋण खाता                                        ऋणी
देनदार का
(धनराशि अशोध्य ऋण खाते में लिखी गई)
अन्तिम खातों में लेखा अशोध्य ऋण की राशि को लाभ-हानि खाते के ऋणी पक्ष में लिखते हैं एवं आर्थिक चिट्ठे में देनदारों में से इस राशि को घटाकर दिखाते हैं।

2. आहरण पर ब्याज (Interest on Drawings) जब कोई व्यापारी अपनी निजी आवश्यकताओं को पूर्ण करने के लिए फर्म से माल या नकदी निकालता है, तो उसे आहरण’ कहा जाता है। व्यापारी द्वारा आहरण पर दिया गया ब्याज आहरण पर ब्याज’ कहलाता है।
इसका जर्नल में लेखा निम्नवत् किया जाता है
आहरण खाता                                               ऋणी
आहरण पर ब्याज खाते का
(आहरण पर ब्याज वसूला गया)
अन्तिम खातों में लेखा आहरण पर ब्याज की राशि लाभ-हानि खाते के धनी पक्ष में लिखी जाती है तथा आर्थिक चिट्ठे में दायित्व पक्ष की ओर आहरण की राशि में जोड़कर तथा पूँजी में से घटाकर दिखाई जाती है।

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3. अदत्त व्यय (Outstanding Expenses) ऐसे व्यय, जिनका चालू वित्तीय वर्ष में भुगतान नहीं किया गया है अर्थात् जिनका भुगतान बकाया है, ‘अदत्त व्यय’ कहलाते हैं। ऐसे व्यय आर्थिक चिट्ठे के दायित्व पक्ष में दिखाए जाते हैं।
अदत्त व्यय का जर्नल लेखा निम्नवत् किया जाता है|
(सम्बन्धित)व्यय खाता                                  ऋणी
अदत्त व्यय खाते का
(बकाया व्यय की राशि से लेखा किया गया)
अन्तिम खातों में लेखा अदत्त व्यय की धनराशि व्यापार अथवा लाभ-हानि (UPBoardSolutions.com) खाते के ऋणी पक्ष में सम्बन्धित व्यय में जोड़कर दिखाते हैं तथा आर्थिक चिट्ठे में दायित्व पक्ष में लिखते हैं।

4. पूर्वदत्त व्यय (Prepaid Expenses) ऐसे व्यय, जिनका भुगतान चालू वित्तीय वर्ष में सेवा लेने से पूर्व कर दिया गया हो, ‘पूर्वदत्त व्यय’ कहलाते हैं।
पूर्वदत्त व्यय का जर्नल लेखा निम्नवत् किया जाता है
पूर्वदत्त व्यय खाता                                       ऋणी
(सम्बन्धित) व्यय खाते का
(अग्रिम व्यय का लेखा किया गया)
अन्तिम खातों में लेखा पूर्वदत्त व्यय को व्यापार अथवा लाभ-हानि खाते के ऋणी पक्ष में सम्बन्धित व्यय में से घटाकर दिखाते हैं तथा आर्थिक चिट्ठे में सम्पत्ति पक्ष की ओर दिखाते हैं।

5. अन्तिम रहतिया (Closing Stock) वह माल जो वित्तीय वर्ष के अन्त में बिकने से शेष रह जाता है, ‘अन्तिम रहतिया’ कहलाता है। तलपट में दिए गए अन्तिम रहतिये को केवले आर्थिक चिट्ठे के सम्पत्ति पक्ष में दर्शाया जाता है, जबकि तलपट से बाहर समायोजना के रूप में दिए गए अन्तिम रहतिये को व्यापार खाते’ के धनी (Credit) पक्ष में तथा आर्थिक चिट्ठे के सम्पत्ति पक्ष दोनों में दर्शाया जाता है।
इसका जर्नल में लेखा निम्नवत् किया जाता है
अन्तिम रहतियां खाता                                 ऋणी
व्यापार खाते का
(अन्तिम रहतिया पुस्तकों में लाए)
अन्तिम खातों में लेखा अन्तिम रहतिया को व्यापार खाते के धनी (UPBoardSolutions.com) पक्ष में तथा आर्थिक चिट्ठे के सम्पत्ति पक्ष में लिखते हैं।

6. देनदारों पर छट के लिए संचय (Reserve for Discount on Debtors)
व्यापारी द्वारा शीघ्र भुगतान प्राप्त करने के उद्देश्य से देनदारों को एक निश्चित प्रतिशत से छूट दी जाती है। इसके लिए व्यापारी द्वारा संचय का निर्माण किया जाता है, जिसे देनदारों पर छूट के लिए संचय’ कहा जाता है। इसका लेखा जर्नल में निम्नवत् होता है
लाभ-हानि खाता                                        ऋणी
देनदारों पर छूट के लिए संचय खाते का
(देनदारों पर छूट के लिए संचय किया)
अन्तिम खातों में लेखा इसे लाभ-हानि खाते के ऋणी पक्ष में लिखते हैं। तथा आर्थिक चिढ़े में देनदारों में से इस राशि को घटाकर दिखाते हैं।

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7. लेनदारों पर छूट के लिए संचय (Reserve for Discount on Creditors) जिस प्रकार देनदारों से शीघ्र भुगतान प्राप्त होने पर हमें उन्हें छूट देते हैं, उसी प्रकार लेनदार भी शीघ्र भुगतान प्राप्त करने के लिए हमें छूट देते हैं। अतः अनुमान लगाकर उसके लिए संचय कर दिया जाता है, जो व्यापार के लिए लाभ होता है, इसे लेनदारों पर छूट के लिए संचय’ कहा जाता है।
इसका लेखा जर्नल में निम्नवत् होता है
लेनदारों पर छूट के लिए संचय खाता          ऋणी
लाभ-हानि खाते का
(लेनदारों पर छूट के लिए संचय बनाया)
अन्तिम खातों में लेखा छूट की राशि को लाभ-हानि खाते में धनी पक्ष में लिखते हैं तथा आर्थिक चिट्ठे में दायित्व पक्ष की ओर लेनदारों में से घटाकर दिखाते हैं।

8. सम्पत्तियों पर ह्रास (Depreciation on Assets) स्थायी सम्पत्तियों का निरन्तर प्रयोग करने के कारण उनके मूल्य में जो कमी होती है, उस कमी को ही ‘सम्पत्तियों पर हास’ कहा जाता है
इसका जर्नल लेखा निम्नवत् किया जाता है
ह्रास खाता                                                ऋणी
सम्पत्ति खाते का
(सम्पत्ति पर ह्रास लगाया)
अन्तिम खातों में लेखा ह्रास की राशि लाभ-हानि खाते के ऋणी पक्ष में लिखी जाती है तथा आर्थिक चिट्ठे में सम्बन्धित सम्पत्ति में से घटाकर दिखाई जाती है।

9. अशोध्य तथा संदिग्ध ऋणों के लिए संचय (Reserve for Bad and Doubtful Debts) सम्भावित अशोध्य ऋणों की पूर्ति के लिए कुछ धनराशि प्रतिवर्ष संचय कर ली जाती है, जिसे ‘अशोध्य तथा संदिग्ध ऋणों के लिए संचय’ कहते हैं।
इसका लेखा जर्नल में निम्नवत् किया जाता है
लाभ-हानि खाता                                      ऋणी
अशोध्य एवं संदिग्ध ऋण संचय खाते का
(संदिग्ध ऋणार्थ संचय निर्मित किया)
अन्तिम खातों में लेखा इसे लाभ-हानि खाते में ऋणी पक्ष की ओर (UPBoardSolutions.com) लिखते हैं तथा आर्थिक चिट्ठे में देनदारों में से घटाकर दिखाते हैं।

10. पूँजी पर ब्याज (Interest on Capital) पूँजी पर ब्याज दो कारणों से लगाया जाता है

  1. यदि व्यापारी व्यापार में स्वयं की पूँजी न लगाकर अन्य कहीं से ऋण के रूप में पूँजी प्राप्त करता है, तो उसे उस धन-राशि पर ब्याज देना | पड़ता है।
  2. यदि व्यापारी स्वयं व्यापार में रुपया न लगाकर, किसी दूसरी जगह पर उसे विनियोजित करता है, तो उसे विनियोजित राशि पर ब्याज प्राप्त होता है।
    इसका जर्नल लेखा निम्नवत् किया जाता है

पूँजी पर ब्याज खाता                                ऋणी
पूँजी खाते का
(पूँजी पर ब्याज प्रदान करने हेतु लेखा किया)
अन्तिम खातों में लेखा पूँजी पर ब्याज की राशि लाभ-हानि खाते के ऋप्पी पक्ष में लिखी जाती है तथा आर्थिक चिट्ठे में दायित्व पक्ष में पूँजी में जोड़कर दिखाई जाती है।

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11. उपार्जित आय (Accrued Income) ऐसी आय, जो अर्जित तो कर ली जाती है, परन्तु वित्तीय वर्ष के अन्त तक प्राप्त नहीं होती है, ‘उपार्जित आय कहलाती है। उपार्जित आय को जर्नल लेखा निम्नवत् किया जाता है
उपार्जित आय खाता                                ऋणी
(सम्बन्धित) आय खाते का
(उपार्जित आय का लेखा किया गया)
अन्तिम खातों में लेखा उपार्जित आय की राशि को लाभ-हानि खाते के धनी पक्ष में सम्बन्धित आय में जोड़कर दिखाते हैं या धनी पक्ष की ओर ‘ पृथक् से लिख देते हैं तथा आर्थिक चिट्ठे में इसे सम्पत्ति पक्ष की ओर लिखते हैं।

12. अनुपार्जित आय (Unaccrued Income) ऐसी आय, जो वित्तीय वर्ष में प्राप्त तो हो गई है, परन्तु कमाई नहीं गई है, ‘अनुपार्जित आंय’ कहलाती है; जैसे–पेशगी प्राप्त किराया।
अनुपार्जित आय का जर्नल लेखा निम्नवत् किया जाता है
(सम्बन्धित) आय खाता                           ऋणी
अनुपार्जित आय खाते का
(आय पेशगी में प्राप्त हुई)
अन्तिम खातों में लेखा अनुपार्जित आय की राशि लाभ-हानि खाते के धनी पक्ष में सम्बन्धित आय में से घटाकर दिखाई जाती है तथा आर्थिक चिट्ठे में इसे दायित्व पक्ष की ओर लिखते हैं।

समायोजन का अर्थ
समायोजना का अर्थ वर्ष के अन्त में अन्तिम खाते बनाते समय कुछ लेन-देन ऐसे होते हैं, जिनका लेखा या तो अभी तक बिल्कुल किया ही नहीं गया है अथवा अधूरा किया गया है। इन लेन-देनों का लेखांकन, अवधि समाप्त होने पर अन्तिम खाते तैयार करते समय ही किया जाता है। ऐसे लेन-देनों को समायोजनाएँ कहते हैं और तत्सम्बन्धी जर्नल लेखे समायोजन लेखे कहलाते हैं। संक्षेप में, व्यापार के अपूर्ण या न लिखे गए लेखों को बहियों (UPBoardSolutions.com) में नियमानुसार उचित प्रकार से लिखने की कला को समायोजन कहते हैं। अत: तलपट के नीचे जो सूचनाएँ दी जाती हैं, उसे ‘समायोजना’ कहते हैं। समायोजनाओं की दोहरी प्रविष्टि करना आवश्यक होता है।

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समायोजन के लेखे करने के उद्देश्य अथवा महत्त्व समायोजन के लेखे करने की आवश्यकता को निम्न उद्देश्यों व महत्त्व द्वारा समझाया जा सकता है

  1. सही एवं पूर्ण लेखे करना कुछ अतिरिक्त लेखे होते हैं जो व्यापार की वित्तीय स्थिति को प्रभावित करते हैं; जैसे-अशोध्य ऋण संचिति हेतु प्रावधान, पूँजी व आहरण पर ब्याज, आदि। समायोजन लेखों के माध्यम से ही इन समस्त तथ्यों का समावेश किया जा सकता है।
  2. व्यापार की आर्थिक स्थिति ज्ञात करना व्यापार की आर्थिक स्थिति का सत्य एवं उचित चित्र प्रस्तुत करने के लिए समायोजन लेखों की आवश्यकता होती है।
  3. वित्तीय वर्ष से सम्बन्धित व्ययों का लेखा किसी वित्तीय वर्ष से सम्बन्धित समस्त अदत्त एवं पूर्वदत्त व्ययों का ठीक प्रकार से समायोजन करके ही व्यापार की वास्तविक आर्थिक स्थिति का ज्ञान हो सकता है।
  4. वित्तीय वर्ष से सम्बन्धित आय का लेखा समायोजन लेखों का प्रमुख उद्देश्य व्यवसाय के किसी वित्तीय वर्ष में प्राप्त आय का ज्ञान प्राप्त करना है। इसी के माध्यम से आर्थिक स्थिति ज्ञात की जाती है।
  5. खातों की त्रुटियों (गलतियों) को सुधारना समायोजन लेखों के माध्यम (UPBoardSolutions.com) से खातों में हुई विभिन्न प्रकार की त्रुटियों को सुधारकर वास्तविक आर्थिक स्थिति का ज्ञान सरलता से किया जा सकता है।
  6. शुद्ध लाभ अथवा शुद्ध हानि का पूर्ण ज्ञान समायोजन के लेखों का प्रमुख उद्देश्य वित्तीय वर्ष के सत्य एवं उचित परिणाम प्रदर्शित करना होता है। समायोजन लेखों के द्वारा ही व्यापार का शुद्ध लाभ अथवा शुद्ध हानि ज्ञात की जाती है। विभिन्न समायोजनाएँ व उनकी जर्नल प्रविष्टियाँ इसके लिए दीर्घ उत्तरीय प्रश्न 2 देखें।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न (8 अक)

प्रश्न 1.
समायोजनाएँ क्या हैं? इनके उद्देश्यों पर प्रकाश डालिए। समायोजनाओं के किन्हीं आठ प्रकारों का वर्णन कीजिए। (2008)
अथवा
समायोजनाओं से आप क्या समझते हैं? समायोजनाएँ क्यों आवश्यक होती हैं? किन्हीं चार समायोजनाओं के विवरण सहित उपयुक्त रीति से जर्नल लेखे कीजिए। (2013)
अथवा
अन्तिम खाते बनाते समय समायोजन लेखे क्यों किए जाते हैं? किन्हीं तीन समायोजन लेखों की विवेचना कीजिए और उचित रूप से तत्सम्बन्धी लेखे भी दीजिए। (2007)
अथवा
समायोजन लेखे क्यों किए जाते हैं? किन्हीं चार प्रकार की समायोजनाओं से सम्बन्धित जर्नल लेखे दीजिए। (Imp 2010, 09)
उत्तर:
समायोजना का अर्थ वर्ष के अन्त में अन्तिम खाते बनाते समय कुछ लेन-देन ऐसे होते हैं, जिनका लेखा या तो अभी तक बिल्कुल किया ही नहीं गया है अथवा अधूरा किया गया है। इन लेन-देनों का लेखांकन, अवधि समाप्त होने पर अन्तिम खाते तैयार करते (UPBoardSolutions.com) समय ही किया जाता है। ऐसे लेन-देनों को समायोजनाएँ कहते हैं और तत्सम्बन्धी जर्नल लेखे समायोजन लेखे कहलाते हैं। संक्षेप में, व्यापार के अपूर्ण या न लिखे गए लेखों को बहियों में नियमानुसार उचित प्रकार से लिखने की कला को समायोजन कहते हैं। अत: तलपट के नीचे जो सूचनाएँ दी जाती हैं, उसे ‘समायोजना’ कहते हैं। समायोजनाओं की दोहरी प्रविष्टि करना आवश्यक होता है।

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समायोजन के लेखे करने के उद्देश्य अथवा महत्त्व समायोजन के लेखे करने की आवश्यकता को निम्न उद्देश्यों व महत्त्व द्वारा समझाया जा सकता है

  1. सही एवं पूर्ण लेखे करना कुछ अतिरिक्त लेखे होते हैं जो व्यापार की वित्तीय स्थिति को प्रभावित करते हैं; जैसे-अशोध्य ऋण संचिति हेतु प्रावधान, पूँजी व आहरण पर ब्याज, आदि। समायोजन लेखों के माध्यम से ही इन समस्त तथ्यों का समावेश किया जा सकता है।
  2. व्यापार की आर्थिक स्थिति ज्ञात करना व्यापार की आर्थिक स्थिति का सत्य एवं उचित चित्र प्रस्तुत करने के लिए समायोजन लेखों की आवश्यकता होती है।
  3. वित्तीय वर्ष से सम्बन्धित व्ययों का लेखा किसी वित्तीय वर्ष से सम्बन्धित समस्त अदत्त एवं पूर्वदत्त व्ययों का ठीक प्रकार से समायोजन करके ही व्यापार की वास्तविक आर्थिक स्थिति का ज्ञान हो सकता है।
  4. वित्तीय वर्ष से सम्बन्धित आय का लेखा समायोजन लेखों का प्रमुख उद्देश्य व्यवसाय के किसी वित्तीय वर्ष में प्राप्त आय का ज्ञान प्राप्त करना है। इसी के माध्यम से आर्थिक स्थिति ज्ञात की जाती है।
  5. खातों की त्रुटियों (गलतियों) को सुधारना समायोजन लेखों के माध्यम से खातों में हुई विभिन्न प्रकार की त्रुटियों को सुधारकर वास्तविक आर्थिक स्थिति का ज्ञान सरलता से किया जा सकता है।
  6. शुद्ध लाभ अथवा शुद्ध हानि का पूर्ण ज्ञान समायोजन के लेखों का प्रमुख उद्देश्य वित्तीय (UPBoardSolutions.com) वर्ष के सत्य एवं उचित परिणाम प्रदर्शित करना होता है। समायोजन लेखों के द्वारा ही व्यापार का शुद्ध लाभ अथवा शुद्ध हानि ज्ञात की जाती है। विभिन्न समायोजनाएँ व उनकी जर्नल प्रविष्टियाँ इसके लिए दीर्घ उत्तरीय प्रश्न 2 देखें।

प्रश्न 2.
अन्तिम खाते में किए जाने वाले किन्हीं चार समायोजनाओं के बारे में लिखिए। उनके लिए जर्नल लेखे भी दीजिए। (2014)
अथवा
समायोजनाओं से आप क्या समझते हैं? इसके किन्हीं छः प्रकारों के बारे में लिखिए। तत्सम्बन्धी जर्नल लेखे भी दीजिए। (2012)
अथवा
विभिन्न प्रकार की समायोजनाओं का वर्णन कीजिए तथा उनके जर्नल लेखे भी दीजिए। (2011)
अथवा
समायोजनाओं से आप क्या समझते हैं? अन्तिम खाते तैयार करते समय किए जाने वाले किन्हीं आठ समायोजनाओं की विवेचना कीजिए तथा उनसे सम्बन्धित जर्नल प्रविष्टियाँ भी दीजिए। (2006)
उत्तर:
समायोजन का अर्थ 
समायोजना का अर्थ वर्ष के अन्त में अन्तिम खाते बनाते समय कुछ लेन-देन ऐसे होते हैं, जिनका लेखा या तो अभी तक बिल्कुल किया ही नहीं गया है अथवा अधूरा किया गया है। इन लेन-देनों का लेखांकन, अवधि समाप्त होने पर अन्तिम खाते तैयार करते समय ही किया जाता है। ऐसे लेन-देनों को समायोजनाएँ कहते हैं और तत्सम्बन्धी जर्नल लेखे समायोजन लेखे कहलाते हैं। संक्षेप में, व्यापार के अपूर्ण या न लिखे गए लेखों को बहियों में नियमानुसार उचित प्रकार से लिखने की कला को समायोजन कहते हैं। अत: तलपट के नीचे जो सूचनाएँ दी जाती हैं, उसे ‘समायोजना’ कहते हैं। समायोजनाओं की दोहरी प्रविष्टि करना आवश्यक होता है।

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समायोजन के लेखे करने के उद्देश्य अथवा महत्त्व समायोजन के लेखे करने की आवश्यकता को निम्न उद्देश्यों व महत्त्व द्वारा समझाया जा सकता है

  1. सही एवं पूर्ण लेखे करना कुछ अतिरिक्त लेखे होते हैं जो व्यापार की वित्तीय स्थिति को प्रभावित करते हैं; जैसे-अशोध्य ऋण संचिति हेतु प्रावधान, पूँजी व आहरण पर ब्याज, आदि। समायोजन लेखों के माध्यम से ही इन समस्त तथ्यों का समावेश किया जा सकता है।
  2. व्यापार की आर्थिक स्थिति ज्ञात करना व्यापार की आर्थिक स्थिति का सत्य एवं उचित चित्र प्रस्तुत करने के लिए समायोजन लेखों की आवश्यकता होती है।
  3. वित्तीय वर्ष से सम्बन्धित व्ययों का लेखा किसी वित्तीय वर्ष से सम्बन्धित समस्त अदत्त एवं पूर्वदत्त व्ययों का ठीक प्रकार से समायोजन करके ही व्यापार की वास्तविक आर्थिक स्थिति का ज्ञान हो सकता है।
  4. वित्तीय वर्ष से सम्बन्धित आय का लेखा समायोजन लेखों (UPBoardSolutions.com) का प्रमुख उद्देश्य व्यवसाय के किसी वित्तीय वर्ष में प्राप्त आय का ज्ञान प्राप्त करना है। इसी के माध्यम से आर्थिक स्थिति ज्ञात की जाती है।
  5. खातों की त्रुटियों (गलतियों) को सुधारना समायोजन लेखों के माध्यम से खातों में हुई विभिन्न प्रकार की त्रुटियों को सुधारकर वास्तविक आर्थिक स्थिति का ज्ञान सरलता से किया जा सकता है।
  6. शुद्ध लाभ अथवा शुद्ध हानि का पूर्ण ज्ञान समायोजन के लेखों का प्रमुख उद्देश्य वित्तीय वर्ष के सत्य एवं उचित परिणाम प्रदर्शित करना होता है। समायोजन लेखों के द्वारा ही व्यापार का शुद्ध लाभ अथवा शुद्ध हानि ज्ञात की जाती है।

1. अप्राप्य या अशोध्य ऋण (Bad Debts) देनदारों द्वारा जिस धनराशि का भुगतान करना अस्वीकार कर दिया जाता है अथवा परिस्थितिवश जिस धनराशि का भुगतान नहीं मिलता है, तो इस अप्राप्त धनराशि को ‘अप्राप्य’ या ‘अशोध्य ऋण’ या ‘डूबत ऋण’ कहते हैं।
इसका लेखा जर्नल में निम्नवत् किया जाता हैं-
अशोध्य ऋण खाता                                        ऋणी
देनदार का
(धनराशि अशोध्य ऋण खाते में लिखी गई)
अन्तिम खातों में लेखा अशोध्य ऋण की राशि को लाभ-हानि खाते के ऋणी पक्ष में लिखते हैं एवं आर्थिक चिट्ठे में देनदारों में से इस राशि को घटाकर दिखाते हैं।

2. आहरण पर ब्याज (Interest on Drawings) जब कोई व्यापारी अपनी निजी आवश्यकताओं को पूर्ण करने के लिए फर्म से माल या नकदी निकालता है, तो उसे आहरण’ कहा जाता है। व्यापारी द्वारा आहरण पर दिया गया ब्याज आहरण पर ब्याज’ कहलाता है।
इसका जर्नल में लेखा निम्नवत् किया जाता है
आहरण खाता                                               ऋणी
आहरण पर ब्याज खाते का
(आहरण पर ब्याज वसूला गया)
अन्तिम खातों में लेखा आहरण पर ब्याज की राशि लाभ-हानि खाते के धनी पक्ष में लिखी जाती है तथा आर्थिक चिट्ठे में दायित्व पक्ष की ओर आहरण की राशि में जोड़कर तथा पूँजी में से घटाकर दिखाई जाती है।

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3. अदत्त व्यय (Outstanding Expenses) ऐसे व्यय, जिनका चालू वित्तीय (UPBoardSolutions.com) वर्ष में भुगतान नहीं किया गया है अर्थात् जिनका भुगतान बकाया है, ‘अदत्त व्यय’ कहलाते हैं। ऐसे व्यय आर्थिक चिट्ठे के दायित्व पक्ष में दिखाए जाते हैं।
अदत्त व्यय का जर्नल लेखा निम्नवत् किया जाता है|
(सम्बन्धित)व्यय खाता                                  ऋणी
अदत्त व्यय खाते का
(बकाया व्यय की राशि से लेखा किया गया)
अन्तिम खातों में लेखा अदत्त व्यय की धनराशि व्यापार अथवा लाभ-हानि खाते के ऋणी पक्ष में सम्बन्धित व्यय में जोड़कर दिखाते हैं तथा आर्थिक चिट्ठे में दायित्व पक्ष में लिखते हैं।

4. पूर्वदत्त व्यय (Prepaid Expenses) ऐसे व्यय, जिनका भुगतान चालू वित्तीय वर्ष में सेवा लेने से पूर्व कर दिया गया हो, ‘पूर्वदत्त व्यय’ कहलाते हैं।
पूर्वदत्त व्यय का जर्नल लेखा निम्नवत् किया जाता है
पूर्वदत्त व्यय खाता                                       ऋणी
(सम्बन्धित) व्यय खाते का
(अग्रिम व्यय का लेखा किया गया)
अन्तिम खातों में लेखा पूर्वदत्त व्यय को व्यापार अथवा लाभ-हानि खाते के ऋणी पक्ष में सम्बन्धित व्यय में से घटाकर दिखाते हैं तथा आर्थिक चिट्ठे में सम्पत्ति पक्ष की ओर दिखाते हैं।

5. अन्तिम रहतिया (Closing Stock) वह माल जो वित्तीय वर्ष के अन्त में बिकने से शेष रह जाता है, ‘अन्तिम रहतिया’ कहलाता है। तलपट में दिए गए अन्तिम रहतिये को केवले आर्थिक चिट्ठे के सम्पत्ति पक्ष में दर्शाया जाता है, जबकि तलपट से बाहर समायोजना के रूप में दिए गए अन्तिम रहतिये को व्यापार खाते’ के धनी (Credit) पक्ष में तथा आर्थिक चिट्ठे के सम्पत्ति पक्ष दोनों में दर्शाया जाता है।
इसका जर्नल में लेखा निम्नवत् किया जाता है
अन्तिम रहतियां खाता                                 ऋणी
व्यापार खाते का
(अन्तिम रहतिया पुस्तकों में लाए)
अन्तिम खातों में लेखा अन्तिम रहतिया को व्यापार खाते के धनी पक्ष में तथा आर्थिक चिट्ठे के सम्पत्ति पक्ष में लिखते हैं।

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6. देनदारों पर छट के लिए संचय (Reserve for Discount on Debtors)
व्यापारी द्वारा शीघ्र भुगतान प्राप्त करने के उद्देश्य से देनदारों को एक निश्चित प्रतिशत से छूट दी जाती है। इसके लिए व्यापारी द्वारा संचय का निर्माण किया जाता है, जिसे देनदारों पर छूट के लिए संचय’ कहा जाता है। इसका लेखा जर्नल में निम्नवत् होता है
लाभ-हानि खाता                                        ऋणी
देनदारों पर छूट के लिए संचय खाते का
(देनदारों पर छूट के लिए संचय किया)
अन्तिम खातों में लेखा इसे लाभ-हानि खाते के ऋणी पक्ष में लिखते हैं। तथा आर्थिक चिढ़े में देनदारों में से इस राशि को घटाकर दिखाते हैं।

7. लेनदारों पर छूट के लिए संचय (Reserve for Discount on Creditors) जिस प्रकार देनदारों से शीघ्र भुगतान प्राप्त होने पर हमें उन्हें छूट देते हैं, उसी प्रकार लेनदार भी शीघ्र भुगतान प्राप्त करने के लिए हमें छूट देते हैं। अतः अनुमान लगाकर उसके लिए (UPBoardSolutions.com) संचय कर दिया जाता है, जो व्यापार के लिए लाभ होता है, इसे लेनदारों पर छूट के लिए संचय’ कहा जाता है।
इसका लेखा जर्नल में निम्नवत् होता है
लेनदारों पर छूट के लिए संचय खाता          ऋणी
लाभ-हानि खाते का
(लेनदारों पर छूट के लिए संचय बनाया)
अन्तिम खातों में लेखा छूट की राशि को लाभ-हानि खाते में धनी पक्ष में लिखते हैं तथा आर्थिक चिट्ठे में दायित्व पक्ष की ओर लेनदारों में से घटाकर दिखाते हैं।

8. सम्पत्तियों पर ह्रास (Depreciation on Assets) स्थायी सम्पत्तियों का निरन्तर प्रयोग करने के कारण उनके मूल्य में जो कमी होती है, उस कमी को ही ‘सम्पत्तियों पर हास’ कहा जाता है।
इसका जर्नल लेखा निम्नवत् किया जाता है
ह्रास खाता                                                ऋणी
सम्पत्ति खाते का
(सम्पत्ति पर ह्रास लगाया)
अन्तिम खातों में लेखा ह्रास की राशि लाभ-हानि खाते के ऋणी पक्ष में लिखी जाती है तथा आर्थिक चिट्ठे में सम्बन्धित सम्पत्ति में से घटाकर दिखाई जाती है।

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9. अशोध्य तथा संदिग्ध ऋणों के लिए संचय (Reserve for Bad and Doubtful Debts) सम्भावित अशोध्य ऋणों की पूर्ति के लिए कुछ धनराशि प्रतिवर्ष संचय कर ली जाती है, जिसे ‘अशोध्य तथा संदिग्ध ऋणों के लिए संचय’ कहते हैं।
इसका लेखा जर्नल में निम्नवत् किया जाता है
लाभ-हानि खाता                                      ऋणी
अशोध्य एवं संदिग्ध ऋण संचय खाते का
(संदिग्ध ऋणार्थ संचय निर्मित किया)
अन्तिम खातों में लेखा इसे लाभ-हानि खाते में ऋणी पक्ष की ओर लिखते हैं तथा आर्थिक चिट्ठे में देनदारों में से घटाकर दिखाते हैं।

10. पूँजी पर ब्याज (Interest on Capital) पूँजी पर ब्याज दो कारणों से लगाया जाता है

  1. यदि व्यापारी व्यापार में स्वयं की पूँजी न लगाकर अन्य कहीं से ऋण के रूप में पूँजी प्राप्त करता है, तो उसे उस धन-राशि पर ब्याज देना | पड़ता है।
  2. यदि व्यापारी स्वयं व्यापार में रुपया न लगाकर, किसी दूसरी जगह पर उसे विनियोजित करता है, तो उसे विनियोजित राशि पर ब्याज प्राप्त होता है।
    इसका जर्नल लेखा निम्नवत् किया जाता है

पूँजी पर ब्याज खाता                                ऋणी
पूँजी खाते का
(पूँजी पर ब्याज प्रदान करने हेतु लेखा किया)
अन्तिम खातों में लेखा पूँजी पर ब्याज की राशि लाभ-हानि खाते के ऋप्पी पक्ष में लिखी जाती है तथा आर्थिक चिट्ठे में दायित्व पक्ष में पूँजी में जोड़कर दिखाई जाती है।

11. उपार्जित आय (Accrued Income) ऐसी आय, जो अर्जित तो कर ली जाती है, परन्तु वित्तीय वर्ष के अन्त तक प्राप्त नहीं होती है, ‘उपार्जित आय कहलाती है। उपार्जित आय को जर्नल लेखा निम्नवत् किया जाता है
उपार्जित आय खाता                                ऋणी
(सम्बन्धित) आय खाते का
(उपार्जित आय का लेखा किया गया)
अन्तिम खातों में लेखा उपार्जित आय की राशि को लाभ-हानि खाते के धनी (UPBoardSolutions.com) पक्ष में सम्बन्धित आय में जोड़कर दिखाते हैं या धनी पक्ष की ओर ‘ पृथक् से लिख देते हैं तथा आर्थिक चिट्ठे में इसे सम्पत्ति पक्ष की ओर लिखते हैं।

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12. अनुपार्जित आय (Unaccrued Income) ऐसी आय, जो वित्तीय वर्ष में प्राप्त तो हो गई है, परन्तु कमाई नहीं गई है, ‘अनुपार्जित आंय’ कहलाती है; जैसे–पेशगी प्राप्त किराया।
अनुपार्जित आय का जर्नल लेखा निम्नवत् किया जाता है
(सम्बन्धित) आय खाता                           ऋणी
अनुपार्जित आय खाते का
(आय पेशगी में प्राप्त हुई)
अन्तिम खातों में लेखा अनुपार्जित आय की राशि लाभ-हानि खाते के धनी पक्ष में सम्बन्धित आय में से घटाकर दिखाई जाती है तथा आर्थिक चिट्ठे में इसे दायित्व पक्ष की ओर लिखते हैं।

प्रश्न 3.
समायोजन लेखों से क्या आशय है? निम्न समायोजनाओं के जर्नल लेखे कल्पित धनराशि दिखाते हुए कीजिए। (2016)

  1. अन्तिम रहतिया
  2. पूँजी पर ब्याज
  3. आहरण पर ब्याज
  4. देनदारों पर छूट के लिए प्रावधान
  5. अशोध्य एवं संदिग्ध ऋणों के लिए प्रावधान
  6. फर्नीचर पर हास

उत्तर:
समायोजन लेखों से आशय 
समायोजना का अर्थ वर्ष के अन्त में अन्तिम खाते बनाते समय कुछ लेन-देन ऐसे होते हैं, जिनका लेखा या तो अभी तक बिल्कुल किया ही नहीं गया है अथवा अधूरा किया गया है। इन लेन-देनों का लेखांकन, अवधि समाप्त होने पर अन्तिम खाते तैयार करते समय ही किया जाता है। ऐसे लेन-देनों को समायोजनाएँ कहते हैं और तत्सम्बन्धी जर्नल लेखे समायोजन लेखे कहलाते हैं। संक्षेप में, व्यापार के अपूर्ण या न लिखे गए लेखों को बहियों (UPBoardSolutions.com) में नियमानुसार उचित प्रकार से लिखने की कला को समायोजन कहते हैं। अत: तलपट के नीचे जो सूचनाएँ दी जाती हैं, उसे ‘समायोजना’ कहते हैं। समायोजनाओं की दोहरी प्रविष्टि करना आवश्यक होता है।

समायोजन के लेखे करने के उद्देश्य अथवा महत्त्व समायोजन के लेखे करने की आवश्यकता को निम्न उद्देश्यों व महत्त्व द्वारा समझाया जा सकता है

  1. सही एवं पूर्ण लेखे करना कुछ अतिरिक्त लेखे होते हैं जो व्यापार की वित्तीय स्थिति को प्रभावित करते हैं; जैसे-अशोध्य ऋण संचिति हेतु प्रावधान, पूँजी व आहरण पर ब्याज, आदि। समायोजन लेखों के माध्यम से ही इन समस्त तथ्यों का समावेश किया जा सकता है।
  2. व्यापार की आर्थिक स्थिति ज्ञात करना व्यापार की आर्थिक स्थिति का सत्य एवं उचित चित्र प्रस्तुत करने के लिए समायोजन लेखों की आवश्यकता होती है।
  3. वित्तीय वर्ष से सम्बन्धित व्ययों का लेखा किसी वित्तीय वर्ष से सम्बन्धित समस्त अदत्त एवं पूर्वदत्त व्ययों का ठीक प्रकार से समायोजन करके ही व्यापार की वास्तविक आर्थिक स्थिति का ज्ञान हो सकता है।
  4. वित्तीय वर्ष से सम्बन्धित आय का लेखा समायोजन लेखों का प्रमुख उद्देश्य व्यवसाय के किसी वित्तीय वर्ष में प्राप्त आय का ज्ञान प्राप्त करना है। इसी के माध्यम से आर्थिक स्थिति ज्ञात की जाती है।
  5. खातों की त्रुटियों (गलतियों) को सुधारना समायोजन लेखों के माध्यम से खातों में हुई विभिन्न प्रकार की त्रुटियों को सुधारकर वास्तविक आर्थिक स्थिति का ज्ञान सरलता से किया जा सकता है।
  6. शुद्ध लाभ अथवा शुद्ध हानि का पूर्ण ज्ञान समायोजन के लेखों का प्रमुख उद्देश्य वित्तीय वर्ष के सत्य एवं उचित परिणाम प्रदर्शित करना होता है। समायोजन लेखों के द्वारा ही व्यापार का शुद्ध लाभ अथवा शुद्ध हानि ज्ञात की जाती है। विभिन्न समायोजनाएँ व (UPBoardSolutions.com) उनकी जर्नल प्रविष्टियाँ इसके लिए दीर्घ उत्तरीय प्रश्न 2 देखें।

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जर्नल लेखे
(कल्पित धनराशि)

UP Board Solutions for Class 10 Commerce Chapter 2 समायोजनाओं सहित अन्तिम खाते

क्रियात्मक प्रश्न (8 अंट)

प्रश्न 1.
अदत्त वेतन, पूर्वदत्त किराये, पूँजी पर 5% ब्याज तथा फर्नीचर पर 10% हा की समायोजनाएँ करते हुए काल्पनिक आँकड़ों से व्यापारिक एवं लाभ-हा खाता तथा आर्थिक चिट्ठा बनाइए। (2016)
हल
ऋणी                                         व्यापार खाता                              धनी
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आर्थिक चिट्ठा
UP Board Solutions for Class 10 Commerce Chapter 8 सन्देशवाहक प्रणालियाँ 2

प्रश्न 2.
निम्नलिखित समायोजनाओं के लिए उचित रूप से जर्नल में लेखा कीजिए।

  1. कर्मचारियों का ₹ 6,000 वेतन अदत्त है।
  2. पूर्वदत्त बीमा प्रीमियम ₹ 1,500 है।
  3. पूँजी ₹ 1,00,000 पर 6% से ब्याज लगाना है।
  4. ₹ 1,50,000 के भवन पर 10% से हास लगाना है।
  5. कमीशन का ₹ 400 अदत्त है।

हल
जर्नल लेखा
UP Board Solutions for Class 10 Commerce Chapter 2 समायोजनाओं सहित अन्तिम खाते

प्रश्न 3.
एक व्यवसायी ने व्यक्तिगत खर्च के लिए वर्ष के दौरान ₹ 2,400 का आहरण किया। आहरण पर 3% की दर से ब्याज लगाते हुए जर्नल की प्रविष्टियाँ कीजिए। व्यापारिक पूँजी ₹ 18,000 थी। 31 मार्च, 2006 को लाभ-हानि खाता एवं आर्थिक चिट्ठा भी बनाइए। (2007)
हल           
जर्नल लेखा

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लाभ-हानि खाता

ऋणी        (31 मार्च, 2006 को समाप्त होने वाले वर्ष के लिए)     धनी
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आर्थिक चिट्ठा
(31 मार्च, 2006 को)
UP Board Solutions for Class 10 Commerce Chapter 8 सन्देशवाहक प्रणालियाँ 5

प्रश्न 4.
अशोध्य एवं संदिग्ध ऋणों के लिए संचय से आप क्या समझते हैं? 31 दिसम्बर, 2006 को किताब महल की पुस्तकों में कुल देनदार ₹ 40,000 के थे। उन पर 5% की दर से अशोध्य एवं संदिग्ध ऋणों के लिए संचय करना है। उपरोक्त समायोजन के सम्बन्ध में जर्नल। लेखे कीजिए और उन्हें 31 दिसम्बर, 2006 को लाभ-हानि खाते एवं आर्थिक चिट्ठे में प्रदर्शित कीजिए। (2006)
हल
अशोध्य एवं संदिग्ध ऋणों के लिए संचय से आशय
इसके लिए दीर्घ उत्तरीय प्रश्न संख्या 2 का उत्तर देखें।

 जर्नल लेखा
UP Board Solutions for Class 10 Commerce Chapter 2 समायोजनाओं सहित अन्तिम खाते

लाभ-हानि खाता
ऋणी   (31 दिसम्बर, 2006 को समाप्त होने वाले वर्ष के लिए)      धनी
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आर्थिक चिट्ठा
(31 दिसम्बर, 2006 को)
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प्रश्न 5.
निम्नलिखित सूचनाओं से अवनीश कुमार, चेन्नई का 31 दिसम्बर, 2007 को समाप्त होने वाले वर्ष के लिए लाभ-हानि खाता तैयार कीजिए। मशीनरी ₹ 80,000, छूट दिया ₹ 350, बैंक व्यय ₹ 75, देनदार ₹ 45,000, वेतन १ 6,800, अशोध्य ऋणार्थ संचय है 525, बीमा प्रीमियम ₹ 2,000, विज्ञापन ₹ 10,000, छूट प्राप्त है ₹ 800, सकल लाभ ₹ 1,09,100, पूँजी  ₹ 50,000, लेनदार ₹ 35,000|
समायोजनाएँ

  1. मशीनरी पर 6% की दर से हास
  2. पूँजी पर 5% वार्षिक ब्याज
  3. अशोध्य ऋणार्थ संचय ₹ 1,000 (2008)

हल                   लाभ-हानि खातो
ऋणी (31 दिसम्बर, 2007 को समाप्त होने वाले वर्ष के लिए) (UPBoardSolutions.com) धनी
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प्रश्न 6.
निम्नलिखित सूचनाओं से अकरमुल्लाह, असम को 31 दिसम्बर, 2008 को समाप्त होने वाले वर्ष के लिए लाभ-हानि खाता तैयार कीजिए।
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समायोजनाएँ

  1. अदत्त वेतन ₹ 500, पूर्वदत्त बीमा र 2001
  2. देनदारों पर 5% की दर से अशोध्य ऋण हेतु संचय।
  3. मशीनरी पर 15%, भवन पर 10% तथा फर्नीचर पर 6% की दर से हास। (2009)

हल                            लाभ -हानि खाता
ऋणी    (31 दिसम्बर, 2008 को समाप्त होने वाले वर्ष के लिए)    धनी
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प्रश्न 7.
निम्नलिखित सूचनाओं से मैसर्स केशव एण्ड सन्स का 31 दिसम्बर, 2010 को समाप्त होने वाले वर्ष के लिए लाभ-हानि खाता तैयार कीजिए। हाथ में रोकड़ के ₹ 1,000, बैंक में रोकड़ ₹ 5,000, मशीनरी ₹ 21,000, देनदार ₹ 45,000, छूट (क्रेडिट) ₹ 1,750, मरम्मत ₹ 1,200, अशोध्य ऋण ₹ 650, विज्ञापन व्यय ₹ 4,500, बीमा प्रीमियम  ₹ 4,200, पूँजी ₹ 45,000, सकल लाभ ₹ 81,000।
समायोजनाएँ

  1. पूर्वदत्त बीमा प्रीमियम 600
  2. अशोध्य ऋण १ 500 तथा देनदारों पर 5% की दर से संदिग्ध ऋणार्थ संचय
  3. 6% प्रतिवर्ष की दर से पूँजी पर ब्याज।
  4. 10% की दर से मशीनरी पर हास। (2011)

हल
लाभ-हानि खाता
ऋणी      (31 दिसम्बर, 2010 को समाप्त होने वाले वर्ष के लिए)      धनी

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प्रश्न 8.
निम्नलिखित सूचनाओं से मैसर्स किंग्सले ब्रदर्स का 31 दिसम्बर, 2010 को आर्थिक चिट्ठा बनाइए। रोकड़ ₹ 16,000, बैंक ₹ 24,000, देनदार ₹ 61,000, मशीनरी ₹ 74,000, भवन.₹ 1,50,000, प्राप्य विपत्र ₹ 15,000, देय विपत्र ₹ 14,000, लेनदार ₹ 21,000, पूँजी ₹ 2,75,000, आहरण ₹ 16,000, अशोध्य ऋण संचय ₹ 4,500, अन्तिम रहतिया ₹ 17,350, शुद्ध लाभ ₹ 31,460, फर्नीचर ₹ 6,000|
अन्य सूचनाएँ निम्नांकित समायोजनाओं के पश्चात् शुद्ध लाभ की गणना की गई थी।

  1. अदत्त वेतन ₹ 5,0001
  2. पूर्वदत्त बीमा प्रीमियम ₹ 600।
  3. अशोध्य ऋण ₹ 4,000 तथा अशोध्य ऋणार्थ संचय देनदारों पर 5% की दर से।
  4. पूँजी और आहरण पर 6% की दर से ब्याज।
  5. मशीनरी पर 15% की दर से हास। (2011)

हल
आर्थिक चिट्ठा
(31 दिसम्बर, 2010 को)
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UP Board Solutions for Class 10 Commerce Chapter 2 समायोजनाओं सहित अन्तिम खाते

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प्रश्न 9.
31 मार्च, 2016 को समाप्त होने वाले वित्तीय वर्ष के लिए ‘सागर ट्रेडर्स’ के अन्तिम खाते निम्नांकित सूचनाओं के आधार पर बनाइए।

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समायोजनाएँ

  1. अन्तिम रहतिया ₹ 32,000
  2. पूर्वदत्त कर ₹ 6001
  3. हास की व्यवस्था कीजिए- प्लाण्ट पर 10% एवं फर्नीचर पर 15%
  4. अशोध्य ऋण प्रावधान को ₹ 400 से बढ़ाइए। (2017)

हल
‘सागर ट्रेडर्स’ की पुस्तकों में व्यापार एवं लाभ-हानि खाता
ऋणी       (31 मार्च, 2016 को समाप्त होने वाले वर्ष के लिए)           धनी
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आर्थिक चिट्ठा
(31 मार्च, 2016 को)
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प्रश्न 10.
मैसर्स माताराम, दाताराम, कानपुर वाले के निम्नलिखित तलपट से 31 दिसम्बर, 2013 को समाप्त होने वाले वर्ष के लिए व्यापार खाता, लाभ-हानि खाता एवं उसी तिथि का आर्थिक चिट्ठा तैयार कीजिए।
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समायोजनाएँ

  1. 31 दिसम्बर, 2013 को रहतिये का मूल्यांकन ? ₹ 45,000 किया गया।
  2. मशीनरी, भूमि व भवन का 10% की दर से होस काटा गया।
  3. देनदारों पर 5% की दर से अशोध्य एवं संदिग्ध ऋणों के लिए संचय कीजिए।
  4. अदत्त वेतन ₹ 2,500 था। (2014)

हल
व्यापार एवं लाभ-हानि खाता
ऋणी    (31 दिसम्बर, 2013 को समाप्त होने वाले वर्ष के लिए)     धनी
UP Board Solutions for Class 10 Commerce Chapter 2 समायोजनाओं सहित अन्तिम खाते

आर्थिक चिट्ठा
(31 दिसम्बर, 2013 को)
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प्रश्न 11.
निम्नलिखित तलपट से 31 मार्च, 2014 को समाप्त होने वाले वर्ष के लिए व्यापार खाता, लाभ-हानि खाता तथा उसी तिथि का आर्थिक चिट्ठा तैयार कीजिए।

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समायोजनाएँ

  1. अन्तिम रहतिया ₹ 1,500।
  2. मशीन पर 5% प्रतिवर्ष की दर से हास काटिए।
  3. देनदारों पर 5% की दर से अप्राप्य एवं संदिग्ध (UPBoardSolutions.com) ऋणों के लिए संचय कीजिए।
  4. 2% की दर से देनदारों पर कटौती के लिए संचय कीजिए।
  5. ₹ 200 वेतन अदत्त है। (2015)

हल 
व्यापार एवं लाभ-हानि खाता

ऋणी       (31 मार्च, 2014 को समाप्त होने वाले वर्ष के लिए)      धनी
UP Board Solutions for Class 10 Commerce Chapter 2 समायोजनाओं सहित अन्तिम खाते

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आर्थिक चिट्ठा
(31 मार्च, 2014 को)
UP Board Solutions for Class 10 Commerce Chapter 8 सन्देशवाहक प्रणालियाँ 15
नोट डूबत ऋण के लिए संचय = 8000×5% = 8,000×5= ₹ 400
देनदारों पर कटौती के लिए 2% संचय = 8,000- 400 = ₹ 7,600
=7,600×2%=7,600×2 = ₹ 152

प्रश्न 12.
मैसर्स मंगतराम, संगतराम, जबलपुर वाले के निम्नलिखित तलपट से 31 दिसम्बर, 2013 को समाप्त होने वाले वर्ष के लिए व्यापार खाता, लाभ-हानि खाता एवं उसी तिथि का आर्थिक चिट्ठा तैयार कीजिए।
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समायोजनाएँ

  1. 31 दिसम्बर, 2013 को अन्तिम रहतिये को मूल्य ₹ 16,000 था।
  2. मशीनरी पर 10% की देरे से ह्रास लगाना है।
  3. देनदारों पर 5% की दर से अशोध्य ऋणार्थ संचय बनाइए।
  4. अदत्त वेतन ₹ 2,000 है। (2013)

हल
व्यापार एवं लाभ-हानि खाता
ऋणी (31 दिसम्बर, 2013 को समाप्त होने वाले वर्ष के लिए) धनी
UP Board Solutions for Class 10 Commerce Chapter 8 सन्देशवाहक प्रणालियाँ 16

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आर्थिक चिट्ठा
(31 दिसम्बर, 2013 को)
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UP Board Solutions for Class 10 Commerce Chapter 8 सन्देशवाहक प्रणालियाँ 18

प्रश्न 13.
31 मार्च, 2017 को समाप्त होने वाले वर्ष के लिए ‘सागर ट्रेडर्स’ अन्तिम खाते निम्नांकित सूचनाओं के आधार पर बनाइए।

UP Board Solutions for Class 10 Commerce Chapter 2 समायोजनाओं सहित अन्तिम खाते

समायोजनाएँ

  1. अन्तिम रहतिया ₹ 32,000
  2. पूँजी पर 6% और आहरण पर 5% ब्याज लगाना है।
  3. पूर्वदत्त कर ₹ 300 और उपार्जित कमीशन 720 है।
  4. अशोध्य ऋण संचय देनदारों पर 25% किया जाना है। (2018)

हल
लाभ-हानि खाता
ऋणी   (31 मार्च, 2017 को समाप्त होने वाले वर्ष के लिए)      धनी
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आर्थिक चिट्ठा
(31 मार्च, 2017 को)
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प्रश्न 14.
31 मार्च, 2015 को समाप्त होने वाले वित्तीय वर्ष के लिए ‘सिंह ट्रेडर्स’ के अन्तिम खाते निम्नांकित सूचनाओं के आधार पर बनाइए।
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समायोजनाएँ

  1. अन्तिम रहतिया ₹21,4991
  2. ₹4,200 के उधार क्रय को नहीं लिखा गया है।
  3. ₹300 अशोध्य ऋण के अपलिखित कीजिए तथा ₹1,000 अशोध्य एवं संदिग्ध ऋण हेतु प्रावधान कीजिए।
  4. ₹2,000 फर्नीचर के क्रय को भूलवश क्रय बही में लिख दिया गया है।

हल 
व्यापार एवं लाभ-हानि खाता

ऋणी     (31 मार्च, 2015 को समाप्त होने वाले वर्ष के लिए)    धनी
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आर्थिक चिट्ठा
(31 मार्च, 2015 को)

UP Board Solutions for Class 10 Commerce Chapter 2 समायोजनाओं सहित अन्तिम खाते

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UP Board Solutions for Class 10 English Grammar The Sentence : Kinds

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Board UP Board
Class Class 10
Subject English
Chapter English Grammar
Chapter Name The Sentence : Kinds
Category UP Board Solutions

UP Board Solutions for Class 10 English Grammar The Sentence : Kinds

Exercise

  1. Assertive,
  2. Assertive,
  3. Assertive,
  4. Assertive,
  5. Negative,
  6. Interrogative,
  7. Interrogative,
  8. Interrogative,
  9. Exclamatory,
    UP Board Solutions
  10. Imperative,
  11. Optative,
  12. Imperative,
  13. Assertive,
  14. Interrogative,
  15. Interrogative,
  16. Imperative,
  17. Exclamatory,
  18. Negative,
  19. Interrogative,
  20. Optative.

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UP Board Solutions for Class 10 Commerce Chapter 16 भारतीय स्टेट बैंक

UP Board Solutions for Class 10 Commerce Chapter 16 भारतीय स्टेट बैंक are the part of UP Board Solutions for Class 10 Commerce. Here we have given UP Board Solutions for Class 10 Commerce Chapter 16 भारतीय स्टेट बैंक.

Board UP Board
Class Class 10
Subject Commerce
Chapter Chapter 16
Chapter Name भारतीय स्टेट बैंक
Number of Questions Solved 16
Category UP Board Solutions

UP Board Solutions for Class 10 Commerce Chapter 16 भारतीय स्टेट बैंक

बहुविकल्पीय प्रश्न (1 अंक)

प्रश्न 1.
भारतीय स्टेट बैंक की स्थापना हुई है।
(a) 1 जुलाई, 1950 में
(b) 1 जुलाई, 1955 में
(c) 19 जुलाई, 1969 में
(d) 1 जनवरी, 1955 में
उत्तर:
(b) 1 जुलाई, 1955 में

प्रश्न 2.
भारतीय स्टेट बैंक का मुख्यालय स्थित है। (2014)
(a) नई दिल्ली में
(b) चेन्नई में
(c) मुम्बई में
(d) कोलकाता में
उत्तर:
(c) मुम्बई में

प्रश्न 3.
स्टेट बैंक ऑफ इण्डिया का प्रबन्ध कितने सदस्यों के केन्द्रीय संचालक मण्डल द्वारा किया जाता है?
(a) 10
(b) 15
(c) 20
(d) 25
उत्तर:
(c) 20

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निश्चित उत्तरीय प्रश्न (1 अंक)

प्रश्न 1.
इम्पीरियल बैंक ऑफ इण्डिया का राष्ट्रीयकरण करके कौन-सा बैंक बनाया गया?
उत्तर:
भारतीय स्टेट बैंक

प्रश्न 2.
क्या भारतीय स्टेट बैंक भारत का केन्द्रीय बैंक है?
उत्तर:
नहीं

प्रश्न 3.
क्या भारतीय स्टेट बैंक साख नियन्त्रण का कार्य करता है?
उत्तर:
नहीं

प्रश्न 4.
भारतीय स्टेट बैंक की अधिकृत पूँजी कितनी है?
उत्तर:
₹ 1,000 करोड़

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अतिलघु उत्तरीय प्रश्न (2 अंक)

प्रश्न 1.
भारतीय स्टेट बैंक की स्थापना के दो प्रमुख उद्देश्यों का वर्णन कीजिए। (2013)
उत्तर:
भारतीय स्टेट बैंक की स्थापना के दो प्रमुख उद्देश्य निम्नलिखित हैं-

  1. ग्रामीण क्षेत्र में बैंकिंग प्रणाली का विकास करना भारतीय (UPBoardSolutions.com) स्टेट बैंक की स्थापना का मुख्य उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में बैंकिंग प्रणाली का विकास करना है। आर्थिक विकास की दृष्टि से यह अत्यन्त आवश्यक है।
  2. रिज़र्व बैंक की साख नियन्त्रण में सहायता रिज़र्व बैंक के प्रत्यक्ष नियन्त्रण में होने के कारण भारतीय स्टेट बैंक उसकी मौद्रिक और साख नीतियों का पालन करके उसकी साख नियन्त्रण में सहायता करता है।

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प्रश्न 2.
भारतीय स्टेट बैंक की दो असफलताएँ बताइए।
उत्तर:
भारतीय स्टेट बैंक की दो असफलताएँ निम्नलिखित हैं-

  1. यह शाखाओं का विस्तार करने की नीति में पूर्ण रूप से सफल नहीं हुआ है।
  2. इसके द्वारा नौकरशाही को बढ़ावा मिलता है।

लघु उत्तरीय प्रश्न (4 अंक)

प्रश्न 1.
भारतीय स्टेट बैंक के व्यापारिक बैंक के रूप में सामान्य बैंकिंग सम्बन्धी कार्य बताइए।
उत्तर:
भारतीय स्टेट बैंक के कार्य भारतीय स्टेट बैंक के कार्यों को निम्नलिखित दो भागों में बाँटा जा सकता है-

I. रिज़र्व बैंक के एजेण्ट के रूप में कार्य

1. समाशोधन-गृह के रूप में कार्य जिस स्थान पर रिज़र्व (UPBoardSolutions.com) बैंक की शाखा नहीं होती, वहाँ भारतीय स्टेट बैंक रिज़र्व बैंक की ओर से समाशोधन-गृह के रूप में कार्य करता है। यह अन्य बैंकों को धन के हस्तान्तरण के लिए सुलभ व सस्ती सुविधा भी प्रदान करता है।

2. सरकार के बैंक के रूप में कार्य भारतीय स्टेट बैंक केन्द्रीय एवं राज्य सरकार के कोषों को अपने पास सुरक्षित रखता है, सरकार के आदेशानुसार भुगतान करता है, सरकार द्वारा लिए जाने वाले सार्वजनिक ऋण की व्यवस्था करता है तथा उनके धन का लेन-देन करता है। इस प्रकार यह सरकार का बैंकर है।

3. बैंकों का बैंक के रूप में कार्य भारतीय स्टेट बैंक व्यापारिक बैंकों से जमा स्वीकार करता है और आवश्यकता पड़ने पर उनके बिलों की पुनर्कटौती करके तथा प्रतिभूतियों की जमानत पर उन्हें ऋण भी देता है।

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II. व्यापारिक बैंक के रूप में सामान्य बैंकिंग सम्बन्धी कार्य

1. विनिमय-विपत्रों का क्रय-विक्रय करना एवं भुनाना यह विनिमय बिलों तथा विनिमय साख बिलों को लिखता है, स्वीकार करता है तथा भुनाता है।

2. एजेन्सी सम्बन्धी कार्य यह कई प्रकार के एजेन्सी सम्बन्धी कार्य भी करता है; जैसे

  • यह प्रतिज्ञा-पत्र, चैक तथा हुण्डियों, आदि को भुनाता है और राशि एकत्रित करता है।
  • यह ग्राहकों की ओर से भुगतान करता है।
  • यह अंशों एवं प्रतिभूतियों का क्रय-विक्रय करता है।
  •  यह ग्राहकों को आर्थिक सलाह प्रदान करता है।

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3. ऋण तथा अग्रिम प्रदान करना इसके द्वारा व्यवसायियों की माँग पर अन्य सामान्य बैंकों की भाँति ऋण एवं अग्रिम, अधिविकर्ष, नकद साख एवं पुनर्कटौती की सुविधाएँ प्रदान की जाती हैं।

4. जनता से जमा स्वीकार करना यह बैंक अन्य व्यापारिक बैंकों की तरह जनता से विभिन्न खातों द्वारा धन प्राप्त करता है। इसके लिए यह विभिन्न प्रकार की आकर्षक योजनाएँ बनाता है।

5. प्रतिभूतियों में विनियोजन अन्य व्यापारिक बैंकों की भाँति भारतीय स्टेट (UPBoardSolutions.com) बैंक अपने कोष का सरकारी प्रतिभूतियों, रेलवे प्रतिभूतियों, राज्य सरकार की प्रतिभूतियों, कॉपोरेशन की प्रतिभूतियों तथा ट्रेज़री बिलों, आदि में विनियोग करता है।

6. अन्य कार्य उपरोक्त कार्यों के अतिरिक्त भारतीय स्टेट बैंक निम्नलिखित कार्य करता है-

  • यह सोने व चाँदी का क्रय-विक्रय करता है।
  • यह बहुमूल्य वस्तुओं को सुरक्षित रखता है।
  • किसानों को प्रत्यक्ष ऋण प्रदान करता है।
  • सहकारी बैंकों के एजेण्ट के रूप में कार्य करता है।
  • रिज़र्व बैंक द्वारा सौंपे गए कार्य करता है।

प्रश्न 2.
भारतीय स्टेट बैंक के वर्जित कार्य बताइए।
उत्तर:
भारतीय स्टेट बैंक के वर्जित कार्य निम्नलिखित हैं-

  1. भारतीय स्टेट बैंक किसी व्यक्ति या फर्म को निर्धारित सीमा से अधिक का ऋण नहीं दे सकता।
  2. यह सिर्फ ऐसे बिलों को भुना सकता है, जिनमें दो व्यक्तियों या फर्मों के हस्ताक्षर हों।
  3. यह कृषि बिल के अलावा अन्य किसी प्रकार के बिल को नहीं भुना सक।
  4. यह अपनी अचल सम्पत्ति की जमानत पर ऋण नहीं ले सकता।
  5. यह किसी भी प्रकार की अचल सम्पत्ति का क्रय नहीं कर सकता।

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प्रश्न 3.
भारतीय स्टेट बैंक की क्या उपलब्धियाँ या सफलताएँ हैं?
उत्तर:
भारतीय स्टेट बैंक की स्थापना के उद्देश्य भारतीय स्टेट बैंक की स्थापना के निम्नलिखित उद्देश्य हैं-

  1. ग्रामीण क्षेत्र में बैंकिंग प्रणाली का विकास करना ग्रामीण क्षेत्रों में भारतीय स्टेट बैंक की स्थापना का मुख्य उद्देश्य बैंकिंग प्रणाली का विकास करना है।
  2. रिज़र्व बैंक की साख नियन्त्रण में सहायता रिज़र्व बैंक के प्रत्यक्ष नियन्त्रण में होने के कारण भारतीय स्टेट बैंक का उद्देश्य उसकी मौद्रिक और साख नीतियों का पालन करके उसकी साख नियन्त्रण में सहायता करना है।
  3. कृषि वित्त में सहायता करना भारतीय स्टेट बैंक की स्थापना का प्रमुख उद्देश्य कृषि कार्यो; जैसे-खाद, बीज, हल व कृषि उपकरण, आदि खरीदने के लिए ऋण प्रदान करना है।
  4. सरकार की आर्थिक नीति के संचालन में सहायता देना भारतीय स्टेट बैंक की स्थापना का उद्देश्य सरकार की आर्थिक नीतियों के उचित संचालन में सहायता करना है।
  5. कृषि विपणन समितियों की स्थापना में सहायता करना भारतीय (UPBoardSolutions.com) स्टेट बैंक का उद्देश्य कृषि विपणन समितियों की स्थापना में सहयोग प्रदान करना है।
  6. उद्योग व व्यापार को प्रोत्साहन भारतीय स्टेट बैंक की स्थापना का उद्देश्य कृषि के विकास के साथ-साथ उद्योग व व्यापार का विकास करना है।
  7. अनुचित प्रतिस्पर्धा भारतीय स्टेट बैंक की स्थापना का उद्देश्य अन्य बैंकों से अनुचित प्रतिस्पर्धा की प्रवृत्ति समाप्त करना है।
  8. दुर्बल वर्ग की सहायता भारतीय स्टेट बैंक का उद्देश्य दुर्बल वर्गों; जैसे-छोटे व्यापारी, रिक्शा चालक, टैक्सी चालक, आदि को सरल व सस्ते ऋण उपलब्ध करवाना है।
  9. भारतीय मुद्रा बाजार का विकास भारतीय स्टेट बैंक का उद्देश्य भारतीय मुद्रा बाजार का अधिकतम विकास करना है।
  10. नई शाखाएँ खोलने की नीति भारतीय स्टेट बैंक का उद्देश्य देश के विभिन्न क्षेत्रों में बैंक की शाखाएँ खोलकर बैंकिंग प्रणाली का विकास करना है।

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भारतीय स्टेट बैंक की उपलब्धियाँ भारतीय स्टेट बैंक की प्रमुख उपलब्धियाँ निम्नलिखित हैं-

1. भारतीय बैंकों पर विदेशी प्रभाव की समाप्ति भारत में भारतीय स्टेट बैंक की स्थापना के बाद भारत के सभी बैंकों पर विदेशी प्रभाव समाप्त हो गया तथा भारतीयों के साथ किए जाने वाले भेदभाव की समस्याओं का भी अन्त हो गया।

2. बैंकिंग सुविधाओं का विकास भारत में भारतीय स्टेट बैंक की स्थापना होने से कई प्रकार की बैंकिंग सुविधाओं का विकास हुआ है। सन् 1955-56 में स्टेट बैंक व उसके सहायक बैंकों की लगभग 500 शाखाएँ थीं, जो वर्तमान में लगभग 18,992 हो गई हैं।

3. ग्रामीण साख-सुविधाएँ भारतीय स्टेट बैंक ने सभी प्रकार के ग्रामीण क्षेत्रों को विकसित करने के लिए भूमि विकास बैंकों, सहकारी समितियों और सहकारी क्षेत्रों में स्थापित उद्योगों को अल्पकालीन व मध्यकालीन ऋण प्रदान किए हैं।

4. विदेशी मुद्रा व्यवसाय भारतीय स्टेट बैंक अनेक प्रकार की विदेशी मुद्राओं में लेन-देन करता है, जिससे विदेशी भुगतानों में सहायता मिलती है।

5. लघु उद्योगों को सहायता भारतीय स्टेट बैंक लघु उद्योगों के विकास के लिए सभी प्रकार के ऋण (अल्पावधि, मध्यावधि एवं दीर्घावधि) उपलब्ध कराने में सहायता करता है। यह राज्य सहकारी बैंक, राज्य वित्त निगम व राज्य उद्योग विभाग के साथ मिलकर साख व्यवस्था को पूरा करता है।

6. प्रशिक्षण सुविधा भारतीय स्टेट बैंक ने कर्मचारियों को प्रशिक्षित करने के लिए प्रशिक्षण की व्यापक व्यवस्था की है। इसके लिए 28 प्रशिक्षण केन्द्रों की स्थापना की जा चुकी है।

7. मुद्रा-सुविधाएँ भारतीय स्टेट बैंक सभी अनुसूचित बैंकों एवं सहकारी बैंकों को सप्ताह में तीन बार निःशुल्क धन भेजने की सुविधा उपलब्ध करवाता है।

8. विदेशी व्यापार में सहायता भारतीय स्टेट बैंक निर्यात को प्रोत्साहित करने के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करता है। यह व्यावसायियों को आवश्यक विदेशी मुद्रा भी उपलब्ध करवाता है।

9. आँकड़ों का प्रकाशन भारतीय स्टेट बैंक देश की आर्थिक स्थिति के बारे में (UPBoardSolutions.com) महत्त्वपूर्ण आँकड़ों को एकत्र करके उनका प्रकाशन करता है।

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दीर्घ उत्तरीय प्रश्न (8 अंक)

प्रश्न 1.
केन्द्रीय बैंक के प्रतिनिधि के रूप में भारतीय स्टेट बैंक कौन-कौन-से कार्य करता है? (2014)
अथवा
भारतीय स्टेट बैंक के कार्यों का वर्णन कीजिए। (2017, 06)
उत्तर:
भारतीय स्टेट बैंक के कार्य भारतीय स्टेट बैंक के कार्यों को निम्नलिखित दो भागों में बाँटा जा सकता है-

I. रिज़र्व बैंक के एजेण्ट के रूप में कार्य

1. समाशोधन-गृह के रूप में कार्य जिस स्थान पर रिज़र्व बैंक की शाखा नहीं होती, वहाँ भारतीय स्टेट बैंक रिज़र्व बैंक की ओर से समाशोधन-गृह के रूप में कार्य करता है। यह अन्य बैंकों को धन के हस्तान्तरण के लिए सुलभ व सस्ती सुविधा भी प्रदान करता है।

2. सरकार के बैंक के रूप में कार्य भारतीय स्टेट बैंक केन्द्रीय एवं राज्य सरकार (UPBoardSolutions.com) के कोषों को अपने पास सुरक्षित रखता है, सरकार के आदेशानुसार भुगतान करता है, सरकार द्वारा लिए जाने वाले सार्वजनिक ऋण की व्यवस्था करता है तथा उनके धन का लेन-देन करता है। इस प्रकार यह सरकार का बैंकर है।

3. बैंकों का बैंक के रूप में कार्य भारतीय स्टेट बैंक व्यापारिक बैंकों से जमा स्वीकार करता है और आवश्यकता पड़ने पर उनके बिलों की पुनर्कटौती करके तथा प्रतिभूतियों की जमानत पर उन्हें ऋण भी देता है।

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II. व्यापारिक बैंक के रूप में सामान्य बैंकिंग सम्बन्धी कार्य

1. विनिमय-विपत्रों का क्रय-विक्रय करना एवं भुनाना यह विनिमय बिलों तथा विनिमय साख बिलों को लिखता है, स्वीकार करता है तथा भुनाता है।

2. एजेन्सी सम्बन्धी कार्य यह कई प्रकार के एजेन्सी सम्बन्धी कार्य भी करता है; जैसे

  • यह प्रतिज्ञा-पत्र, चैक तथा हुण्डियों, आदि को भुनाता है और राशि एकत्रित करता है।
  • यह ग्राहकों की ओर से भुगतान करता है।
  • यह अंशों एवं प्रतिभूतियों का क्रय-विक्रय करता है।
  •  यह ग्राहकों को आर्थिक सलाह प्रदान करता है।

3. ऋण तथा अग्रिम प्रदान करना इसके द्वारा व्यवसायियों की माँग पर अन्य सामान्य बैंकों की भाँति ऋण एवं अग्रिम, अधिविकर्ष, नकद साख एवं पुनर्कटौती की सुविधाएँ प्रदान की जाती हैं।

4. जनता से जमा स्वीकार करना यह बैंक अन्य व्यापारिक बैंकों की तरह जनता से विभिन्न खातों द्वारा धन प्राप्त करता है। इसके लिए यह विभिन्न प्रकार की आकर्षक योजनाएँ बनाता है।

5. प्रतिभूतियों में विनियोजन अन्य व्यापारिक बैंकों की भाँति भारतीय स्टेट बैंक अपने कोष का सरकारी प्रतिभूतियों, रेलवे प्रतिभूतियों, राज्य सरकार की प्रतिभूतियों, कॉपोरेशन की प्रतिभूतियों तथा ट्रेज़री बिलों, आदि में विनियोग करता है।

6. अन्य कार्य उपरोक्त कार्यों के अतिरिक्त भारतीय स्टेट बैंक निम्नलिखित कार्य करता है-

  • यह सोने व चाँदी का क्रय-विक्रय करता है।
  • यह बहुमूल्य वस्तुओं को सुरक्षित रखता है।
  • किसानों को प्रत्यक्ष ऋण प्रदान करता है।
  • सहकारी बैंकों के एजेण्ट के रूप में कार्य करता है।
  • रिज़र्व बैंक द्वारा सौंपे गए कार्य करता है।

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प्रश्न 2.
भारतीय स्टेट बैंक की स्थापना के किन्हीं पाँच उद्देश्यों तथा तत्सम्बन्धी उपलब्धियों का वर्णन कीजिए। (2009)
अथवा
भारतीय स्टेट बैंक की स्थापना के उद्देश्यों एवं उपलब्धियों का वर्णन कीजिए। (2008)
अथवा
स्टेट बैंक ऑफ इण्डिया की स्थापना के क्या उद्देश्य हैं? वह अपने उद्देश्यों में कहाँ तक सफल हुआ है?
उत्तर:
भारतीय स्टेट बैंक की स्थापना के उद्देश्य भारतीय स्टेट बैंक की स्थापना के निम्नलिखित उद्देश्य हैं-

  1. ग्रामीण क्षेत्र में बैंकिंग प्रणाली का विकास करना ग्रामीण क्षेत्रों में भारतीय स्टेट बैंक की स्थापना का मुख्य उद्देश्य बैंकिंग प्रणाली का विकास करना है।
  2. रिज़र्व बैंक की साख नियन्त्रण में सहायता रिज़र्व बैंक के प्रत्यक्ष नियन्त्रण में होने के कारण भारतीय स्टेट बैंक का उद्देश्य उसकी मौद्रिक और साख नीतियों का पालन करके उसकी साख नियन्त्रण में सहायता करना है।
  3. कृषि वित्त में सहायता करना भारतीय स्टेट बैंक की स्थापना का प्रमुख (UPBoardSolutions.com) उद्देश्य कृषि कार्यो; जैसे-खाद, बीज, हल व कृषि उपकरण, आदि खरीदने के लिए ऋण प्रदान करना है।
  4. सरकार की आर्थिक नीति के संचालन में सहायता देना भारतीय स्टेट बैंक की स्थापना का उद्देश्य सरकार की आर्थिक नीतियों के उचित संचालन में सहायता करना है।
  5. कृषि विपणन समितियों की स्थापना में सहायता करना भारतीय स्टेट बैंक का उद्देश्य कृषि विपणन समितियों की स्थापना में सहयोग प्रदान करना है।
  6. उद्योग व व्यापार को प्रोत्साहन भारतीय स्टेट बैंक की स्थापना का उद्देश्य कृषि के विकास के साथ-साथ उद्योग व व्यापार का विकास करना है।
  7. अनुचित प्रतिस्पर्धा भारतीय स्टेट बैंक की स्थापना का उद्देश्य अन्य बैंकों से अनुचित प्रतिस्पर्धा की प्रवृत्ति समाप्त करना है।
  8. दुर्बल वर्ग की सहायता भारतीय स्टेट बैंक का उद्देश्य दुर्बल वर्गों; जैसे-छोटे व्यापारी, रिक्शा चालक, टैक्सी चालक, आदि को सरल व सस्ते ऋण उपलब्ध करवाना है।
  9. भारतीय मुद्रा बाजार का विकास भारतीय स्टेट बैंक का उद्देश्य भारतीय मुद्रा बाजार का अधिकतम विकास करना है।
  10. नई शाखाएँ खोलने की नीति भारतीय स्टेट बैंक का उद्देश्य देश के विभिन्न क्षेत्रों में बैंक की शाखाएँ खोलकर बैंकिंग प्रणाली का विकास करना है।

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भारतीय स्टेट बैंक की उपलब्धियाँ भारतीय स्टेट बैंक की प्रमुख उपलब्धियाँ निम्नलिखित हैं-

1. भारतीय बैंकों पर विदेशी प्रभाव की समाप्ति भारत में भारतीय स्टेट बैंक की स्थापना के बाद भारत के सभी बैंकों पर विदेशी प्रभाव समाप्त हो गया तथा भारतीयों के साथ किए जाने वाले भेदभाव की समस्याओं का भी अन्त हो गया।

2. बैंकिंग सुविधाओं का विकास भारत में भारतीय स्टेट बैंक की स्थापना होने से कई प्रकार की बैंकिंग सुविधाओं का विकास हुआ है। सन् 1955-56 में स्टेट बैंक व उसके सहायक बैंकों की लगभग 500 शाखाएँ थीं, जो वर्तमान में लगभग 18,992 हो गई हैं।

3. ग्रामीण साख-सुविधाएँ भारतीय स्टेट बैंक ने सभी प्रकार के ग्रामीण क्षेत्रों को विकसित करने के लिए भूमि विकास बैंकों, सहकारी समितियों और सहकारी क्षेत्रों में स्थापित उद्योगों को अल्पकालीन व मध्यकालीन ऋण प्रदान किए हैं।

4. विदेशी मुद्रा व्यवसाय भारतीय स्टेट बैंक अनेक प्रकार की विदेशी मुद्राओं में लेन-देन करता है, जिससे विदेशी भुगतानों में सहायता मिलती है।
5. लघु उद्योगों को सहायता भारतीय स्टेट बैंक लघु उद्योगों के विकास के लिए सभी प्रकार के ऋण (अल्पावधि, मध्यावधि एवं दीर्घावधि) उपलब्ध कराने में सहायता करता है। यह राज्य सहकारी बैंक, राज्य वित्त निगम व राज्य उद्योग विभाग के साथ मिलकर साख व्यवस्था को पूरा करता है।

6. प्रशिक्षण सुविधा भारतीय स्टेट बैंक ने कर्मचारियों को प्रशिक्षित करने के लिए प्रशिक्षण की व्यापक व्यवस्था की है। इसके लिए 28 प्रशिक्षण केन्द्रों की स्थापना की जा चुकी है।

7. मुद्रा-सुविधाएँ भारतीय स्टेट बैंक सभी अनुसूचित बैंकों एवं सहकारी बैंकों को सप्ताह में तीन बार निःशुल्क धन भेजने की सुविधा उपलब्ध करवाता है।

8. विदेशी व्यापार में सहायता भारतीय स्टेट बैंक निर्यात को प्रोत्साहित करने के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करता है। यह व्यावसायियों को आवश्यक विदेशी मुद्रा भी उपलब्ध करवाता है।

9. आँकड़ों का प्रकाशन भारतीय स्टेट बैंक देश की आर्थिक स्थिति के बारे में महत्त्वपूर्ण आँकड़ों को एकत्र करके उनका प्रकाशन करता है।

प्रश्न 3.
स्टेट बैंक ऑफ इण्डिया पर निबन्ध लिखिए।
उत्तर:
भारतीय स्टेट बैंक की स्थापना 1 जुलाई, 1955 को इम्पीरियल बैंक का राष्ट्रीयकरण किया गया तथा इसका नाम बदलकर भारतीय स्टेट बैंक कर दिया गया। इसका मुख्यालय मुम्बई में स्थित है तथा इसकी स्थापना अखिल भारतीय ग्रामीण साख सर्वेक्षण कमेटी के सुझाव पर की गई थी। यह केन्द्रीय बैंक का प्रतिनिधि बैंक है। यह साख नियन्त्रण का कार्य नहीं करता है।

भारतीय स्टेट बैंक की पूँजी भारतीय स्टेट बैंक की निर्गमित, अभिदत्त व प्रदत्त पूँजी को मिलाकर कुल पूँजी ₹ 17,203 करोड़ है। भारतीय स्टेट बैंक ने ₹ 238 करोड़ के अंश निजी क्षेत्र में बेचे हुए हैं। स्टेट बैंक की प्रदत्त पूँजी का 93% भाग रिज़र्व बैंक के पास है व शेष 7% भाग निजी अंशधारियों के पास है। इसकी अधिकृत पूँजी ₹ 1,000 करोड़ है। इसके समता अंशों का अंकित मूल्य ₹ 10 प्रति अंश है।

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भारतीय स्टेट बैंक के कार्यालय भारतीय स्टेट बैंक का केन्द्रीय कार्यालय मुम्बई में स्थित है। इसके अलावा 13 स्थानीय कार्यालय नई दिल्ली, मुम्बई, कोलकाता, चेन्नई, अहमदाबाद, पटना, हैदराबाद, भोपाल, कानपुर, बंगलुरु, भुवनेश्वर, चण्डीगढ़ और गुवाहाटी में स्थित हैं।

भारतीय स्टेट बैंक के कार्य

भारतीय स्टेट बैंक के कार्य भारतीय स्टेट बैंक के कार्यों को निम्नलिखित दो भागों में बाँटा जा सकता है-

I. रिज़र्व बैंक के एजेण्ट के रूप में कार्य

1. समाशोधन-गृह के रूप में कार्य जिस स्थान पर रिज़र्व बैंक की शाखा नहीं होती, वहाँ भारतीय स्टेट बैंक रिज़र्व बैंक की ओर से समाशोधन-गृह के रूप में कार्य करता है। यह अन्य बैंकों को धन के हस्तान्तरण के लिए सुलभ व सस्ती सुविधा भी प्रदान करता है।

2. सरकार के बैंक के रूप में कार्य भारतीय स्टेट बैंक केन्द्रीय एवं राज्य सरकार के कोषों को अपने पास सुरक्षित रखता है, सरकार के आदेशानुसार भुगतान करता है, सरकार द्वारा लिए जाने वाले सार्वजनिक ऋण की व्यवस्था करता है तथा उनके धन का लेन-देन करता है। इस प्रकार यह सरकार का बैंकर है।

3. बैंकों का बैंक के रूप में कार्य भारतीय स्टेट बैंक व्यापारिक बैंकों से जमा स्वीकार करता है और आवश्यकता पड़ने पर उनके बिलों की पुनर्कटौती करके तथा प्रतिभूतियों की जमानत पर उन्हें ऋण भी देता है।

UP Board Solutions

II. व्यापारिक बैंक के रूप में सामान्य बैंकिंग सम्बन्धी कार्य

1. विनिमय-विपत्रों का क्रय-विक्रय करना एवं भुनाना यह विनिमय बिलों तथा विनिमय साख बिलों को लिखता है, स्वीकार करता है तथा भुनाता है।

2. एजेन्सी सम्बन्धी कार्य यह कई प्रकार के एजेन्सी सम्बन्धी कार्य भी करता है; जैसे

  • यह प्रतिज्ञा-पत्र, चैक तथा हुण्डियों, आदि को भुनाता है और राशि एकत्रित करता है।
  • यह ग्राहकों की ओर से भुगतान करता है।
  • यह अंशों एवं प्रतिभूतियों का क्रय-विक्रय करता है।
  •  यह ग्राहकों को आर्थिक सलाह प्रदान करता है।

3. ऋण तथा अग्रिम प्रदान करना इसके द्वारा व्यवसायियों की माँग पर अन्य सामान्य बैंकों की भाँति ऋण एवं अग्रिम, अधिविकर्ष, नकद साख एवं पुनर्कटौती की सुविधाएँ प्रदान की जाती हैं।

4. जनता से जमा स्वीकार करना यह बैंक अन्य व्यापारिक बैंकों की तरह जनता (UPBoardSolutions.com) से विभिन्न खातों द्वारा धन प्राप्त करता है। इसके लिए यह विभिन्न प्रकार की आकर्षक योजनाएँ बनाता है।

5. प्रतिभूतियों में विनियोजन अन्य व्यापारिक बैंकों की भाँति भारतीय स्टेट बैंक अपने कोष का सरकारी प्रतिभूतियों, रेलवे प्रतिभूतियों, राज्य सरकार की प्रतिभूतियों, कॉपोरेशन की प्रतिभूतियों तथा ट्रेज़री बिलों, आदि में विनियोग करता है।

6. अन्य कार्य उपरोक्त कार्यों के अतिरिक्त भारतीय स्टेट बैंक निम्नलिखित कार्य करता है-

  • यह सोने व चाँदी का क्रय-विक्रय करता है।
  • यह बहुमूल्य वस्तुओं को सुरक्षित रखता है।
  • किसानों को प्रत्यक्ष ऋण प्रदान करता है।
  • सहकारी बैंकों के एजेण्ट के रूप में कार्य करता है।
  • रिज़र्व बैंक द्वारा सौंपे गए कार्य करता है।

भारतीय स्टेट बैंक के उद्देश्य व उपलब्धियाँ

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भारतीय स्टेट बैंक की स्थापना के उद्देश्य भारतीय स्टेट बैंक की स्थापना के निम्नलिखित उद्देश्य हैं-

  1. ग्रामीण क्षेत्र में बैंकिंग प्रणाली का विकास करना ग्रामीण क्षेत्रों में भारतीय स्टेट बैंक की स्थापना का मुख्य उद्देश्य बैंकिंग प्रणाली का विकास करना है।
  2. रिज़र्व बैंक की साख नियन्त्रण में सहायता रिज़र्व बैंक के प्रत्यक्ष नियन्त्रण में होने के कारण भारतीय स्टेट बैंक का उद्देश्य उसकी मौद्रिक और साख नीतियों का पालन करके उसकी साख नियन्त्रण में सहायता करना है।
  3. कृषि वित्त में सहायता करना भारतीय स्टेट बैंक की स्थापना का प्रमुख उद्देश्य कृषि कार्यो; जैसे-खाद, बीज, हल व कृषि उपकरण, आदि खरीदने के लिए ऋण प्रदान करना है।
  4. सरकार की आर्थिक नीति के संचालन में सहायता देना भारतीय स्टेट बैंक की स्थापना का उद्देश्य सरकार की आर्थिक नीतियों के उचित संचालन में सहायता करना है।
  5. कृषि विपणन समितियों की स्थापना में सहायता करना भारतीय स्टेट बैंक का उद्देश्य कृषि विपणन समितियों की स्थापना में सहयोग प्रदान करना है।
  6. उद्योग व व्यापार को प्रोत्साहन भारतीय स्टेट बैंक की स्थापना का उद्देश्य कृषि के विकास के साथ-साथ उद्योग व व्यापार का विकास करना है।
  7. अनुचित प्रतिस्पर्धा भारतीय स्टेट बैंक की स्थापना का उद्देश्य अन्य बैंकों से अनुचित प्रतिस्पर्धा की प्रवृत्ति समाप्त करना है।
  8. दुर्बल वर्ग की सहायता भारतीय स्टेट बैंक का उद्देश्य दुर्बल वर्गों; जैसे-छोटे व्यापारी, रिक्शा चालक, टैक्सी चालक, आदि को सरल व सस्ते ऋण उपलब्ध करवाना है।
  9. भारतीय मुद्रा बाजार का विकास भारतीय स्टेट बैंक का उद्देश्य भारतीय (UPBoardSolutions.com) मुद्रा बाजार का अधिकतम विकास करना है।
  10. नई शाखाएँ खोलने की नीति भारतीय स्टेट बैंक का उद्देश्य देश के विभिन्न क्षेत्रों में बैंक की शाखाएँ खोलकर बैंकिंग प्रणाली का विकास करना है।

भारतीय स्टेट बैंक की उपलब्धियाँ भारतीय स्टेट बैंक की प्रमुख उपलब्धियाँ निम्नलिखित हैं-

1. भारतीय बैंकों पर विदेशी प्रभाव की समाप्ति भारत में भारतीय स्टेट बैंक की स्थापना के बाद भारत के सभी बैंकों पर विदेशी प्रभाव समाप्त हो गया तथा भारतीयों के साथ किए जाने वाले भेदभाव की समस्याओं का भी अन्त हो गया।

2. बैंकिंग सुविधाओं का विकास भारत में भारतीय स्टेट बैंक की स्थापना होने से कई प्रकार की बैंकिंग सुविधाओं का विकास हुआ है। सन् 1955-56 में स्टेट बैंक व उसके सहायक बैंकों की लगभग 500 शाखाएँ थीं, जो वर्तमान में लगभग 18,992 हो गई हैं।

3. ग्रामीण साख-सुविधाएँ भारतीय स्टेट बैंक ने सभी प्रकार के ग्रामीण क्षेत्रों को विकसित करने के लिए भूमि विकास बैंकों, सहकारी समितियों और सहकारी क्षेत्रों में स्थापित उद्योगों को अल्पकालीन व मध्यकालीन ऋण प्रदान किए हैं।

4. विदेशी मुद्रा व्यवसाय भारतीय स्टेट बैंक अनेक प्रकार की विदेशी मुद्राओं में लेन-देन करता है, जिससे विदेशी भुगतानों में सहायता मिलती है।

5. लघु उद्योगों को सहायता भारतीय स्टेट बैंक लघु उद्योगों के विकास के लिए सभी प्रकार के ऋण (अल्पावधि, मध्यावधि एवं दीर्घावधि) उपलब्ध कराने में सहायता करता है। यह राज्य सहकारी बैंक, राज्य वित्त निगम व राज्य उद्योग विभाग के साथ मिलकर साख व्यवस्था को पूरा करता है।

6. प्रशिक्षण सुविधा भारतीय स्टेट बैंक ने कर्मचारियों को प्रशिक्षित करने के लिए प्रशिक्षण की व्यापक व्यवस्था की है। इसके लिए 28 प्रशिक्षण केन्द्रों की स्थापना की जा चुकी है।

7. मुद्रा-सुविधाएँ भारतीय स्टेट बैंक सभी अनुसूचित बैंकों एवं सहकारी बैंकों को सप्ताह में तीन बार निःशुल्क धन भेजने की सुविधा उपलब्ध करवाता है।

8. विदेशी व्यापार में सहायता भारतीय स्टेट बैंक निर्यात को प्रोत्साहित करने के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करता है। यह व्यावसायियों को आवश्यक विदेशी मुद्रा भी उपलब्ध करवाता है।

9. आँकड़ों का प्रकाशन भारतीय स्टेट बैंक देश की आर्थिक स्थिति के बारे में महत्त्वपूर्ण आँकड़ों को एकत्र करके उनका प्रकाशन करता है।

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भारतीय स्टेट बैंक की असफलताएँ

  1. यह शाखाओं का विस्तार करने की नीति में पूर्ण रूप से सफल नहीं हुआ
  2. इसके द्वारा नौकरशाही को बढ़ावा मिलता है।
  3. यह नई शाखाओं को प्रारम्भ करने में उचित प्राथमिकता से कार्य करने में असफल रहा है।
  4. यह ग्रामीण क्षेत्रों में पर्याप्त वित्त की व्यवस्था नहीं करता है।

प्रश्न 4.
भारतीय स्टेट बैंक के प्रमुख कार्यों का वर्णन कीजिए। देश की अर्थव्यवस्था में इसके महत्त्व पर प्रकाश डालिए।
उत्तर:
भारतीय स्टेट बैंक के कार्य

भारतीय स्टेट बैंक की स्थापना 1 जुलाई, 1955 को इम्पीरियल बैंक का राष्ट्रीयकरण किया गया तथा इसका नाम बदलकर भारतीय स्टेट बैंक कर दिया गया। इसका मुख्यालय मुम्बई में स्थित है तथा इसकी स्थापना अखिल भारतीय ग्रामीण साख सर्वेक्षण कमेटी के सुझाव पर की गई थी। यह केन्द्रीय बैंक का प्रतिनिधि बैंक है। यह साख नियन्त्रण का कार्य नहीं करता है।

भारतीय स्टेट बैंक की पूँजी भारतीय स्टेट बैंक की निर्गमित, अभिदत्त व प्रदत्त पूँजी को मिलाकर कुल पूँजी ₹ 17,203 करोड़ है। भारतीय स्टेट बैंक ने ₹ 238 करोड़ के अंश निजी क्षेत्र में बेचे हुए हैं। स्टेट बैंक की प्रदत्त पूँजी का 93% भाग रिज़र्व बैंक के पास है (UPBoardSolutions.com) व शेष 7% भाग निजी अंशधारियों के पास है। इसकी अधिकृत पूँजी ₹ 1,000 करोड़ है। इसके समता अंशों का अंकित मूल्य ₹ 10 प्रति अंश है।

भारतीय स्टेट बैंक के कार्यालय भारतीय स्टेट बैंक का केन्द्रीय कार्यालय मुम्बई में स्थित है। इसके अलावा 13 स्थानीय कार्यालय नई दिल्ली, मुम्बई, कोलकाता, चेन्नई, अहमदाबाद, पटना, हैदराबाद, भोपाल, कानपुर, बंगलुरु, भुवनेश्वर, चण्डीगढ़ और गुवाहाटी में स्थित हैं।

भारतीय स्टेट बैंक के कार्य

भारतीय स्टेट बैंक के कार्य भारतीय स्टेट बैंक के कार्यों को निम्नलिखित दो भागों में बाँटा जा सकता है-

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I. रिज़र्व बैंक के एजेण्ट के रूप में कार्य

1. समाशोधन-गृह के रूप में कार्य जिस स्थान पर रिज़र्व बैंक की शाखा नहीं होती, वहाँ भारतीय स्टेट बैंक रिज़र्व बैंक की ओर से समाशोधन-गृह के रूप में कार्य करता है। यह अन्य बैंकों को धन के हस्तान्तरण के लिए सुलभ व सस्ती सुविधा भी प्रदान करता है।

2. सरकार के बैंक के रूप में कार्य भारतीय स्टेट बैंक केन्द्रीय एवं राज्य सरकार के कोषों को अपने पास सुरक्षित रखता है, सरकार के आदेशानुसार भुगतान करता है, सरकार द्वारा लिए जाने वाले सार्वजनिक ऋण की व्यवस्था करता है तथा उनके धन का लेन-देन करता है। इस प्रकार यह सरकार का बैंकर है।

3. बैंकों का बैंक के रूप में कार्य भारतीय स्टेट बैंक व्यापारिक बैंकों से जमा स्वीकार करता है और आवश्यकता पड़ने पर उनके बिलों की पुनर्कटौती करके तथा प्रतिभूतियों की जमानत पर उन्हें ऋण भी देता है।

II. व्यापारिक बैंक के रूप में सामान्य बैंकिंग सम्बन्धी कार्य

1. विनिमय-विपत्रों का क्रय-विक्रय करना एवं भुनाना यह विनिमय बिलों तथा विनिमय साख बिलों को लिखता है, स्वीकार करता है तथा भुनाता है।

2. एजेन्सी सम्बन्धी कार्य यह कई प्रकार के एजेन्सी सम्बन्धी कार्य भी करता है; जैसे

  • यह प्रतिज्ञा-पत्र, चैक तथा हुण्डियों, आदि को भुनाता है और राशि एकत्रित करता है।
  • यह ग्राहकों की ओर से भुगतान करता है।
  • यह अंशों एवं प्रतिभूतियों का क्रय-विक्रय करता है।
  •  यह ग्राहकों को आर्थिक सलाह प्रदान करता है।

3. ऋण तथा अग्रिम प्रदान करना इसके द्वारा व्यवसायियों की माँग पर (UPBoardSolutions.com) अन्य सामान्य बैंकों की भाँति ऋण एवं अग्रिम, अधिविकर्ष, नकद साख एवं पुनर्कटौती की सुविधाएँ प्रदान की जाती हैं।

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4. जनता से जमा स्वीकार करना यह बैंक अन्य व्यापारिक बैंकों की तरह जनता से विभिन्न खातों द्वारा धन प्राप्त करता है। इसके लिए यह विभिन्न प्रकार की आकर्षक योजनाएँ बनाता है।

5. प्रतिभूतियों में विनियोजन अन्य व्यापारिक बैंकों की भाँति भारतीय स्टेट बैंक अपने कोष का सरकारी प्रतिभूतियों, रेलवे प्रतिभूतियों, राज्य सरकार की प्रतिभूतियों, कॉपोरेशन की प्रतिभूतियों तथा ट्रेज़री बिलों, आदि में विनियोग करता है।

6. अन्य कार्य उपरोक्त कार्यों के अतिरिक्त भारतीय स्टेट बैंक निम्नलिखित कार्य करता है-

  • यह सोने व चाँदी का क्रय-विक्रय करता है।
  • यह बहुमूल्य वस्तुओं को सुरक्षित रखता है।
  • किसानों को प्रत्यक्ष ऋण प्रदान करता है।
  • सहकारी बैंकों के एजेण्ट के रूप में कार्य करता है।
  • रिज़र्व बैंक द्वारा सौंपे गए कार्य करता है।

देश की अर्थव्यवस्था में भारतीय स्टेट बैंक का महत्त्व

भारतीय स्टेट बैंक का देश की अर्थव्यवस्था में महत्त्व निम्नलिखित है-

1. निर्यात संवर्द्धन योजना निर्यातकों को सुविधापूर्वक ऋण प्रदान करने के लिए भारतीय स्टेट बैंक ने निर्यात संवर्द्धन योजना चालू की है।
2. सहकारी बैंकों और सहकारी समितियों की उदारतापूर्वक सहायता भारतीय स्टेट बैंक ने देश के सहकारी बैंकों व सहकारी समितियों की सहायता करके इनके विकास में योगदान दिया है।

3. कृषि व लघु उद्योगों को साख सुविधा भारतीय स्टेट बैंक ने कृषि व लघु उद्योगों के क्षेत्र में वित्त व साख-सुविधाओं में बड़ी तेजी से विस्तार किया है।
4. कर्मचारियों व अधिकारियों के प्रशिक्षण की समुचित व्यवस्था भारतीय स्टेट बैंक ने कुशल व योग्य कर्मचारी तैयार करने के लिए इनके प्रशिक्षण की पर्याप्त व्यवस्था की है।

5. रिज़र्व बैंक का सहायक भारतीय स्टेट बैंक, रिज़र्व बैंक के प्रतिनिधि के रूप में कार्य करता है। यह उन स्थानों पर प्रतिनिधि का कार्य करता है, जहाँ पर रिज़र्व बैंक की शाखाएँ न हों।
6. बैंकरहित क्षेत्रों में बैंकिंग विकास बैंकों से पिछड़े हुए क्षेत्रों में (UPBoardSolutions.com) अधिकाधिक शाखाएँ स्थापित करके भारतीय स्टेट बैंक ने बैंकरहित क्षेत्रों का विकास किया है।

7. आर्थिक दृष्टि से दुर्बल वर्गों की सहायता समाजवादी अर्थव्यवस्था की स्थापना के उद्देश्य को पूरा करने की दिशा में भारतीय स्टेट बैंक ने महत्त्वपूर्ण कदम उठाए हैं।

8. विदेशी बैंकों के प्रभाव का अन्त ‘इम्पीरियल बैंक ऑफ इण्डिया’ का राष्ट्रीयकरण होने के पश्चात् भारतीयों के शोषण व उनके साथ किए जाने वाले भेदभाव की समस्या का अन्त हो गया है।

9. एटीएम, डेबिट कार्ड द्वारा भुगतान की योजना भारतीय स्टेट बैंक ने उपभोक्ता बिलों व मोबाइल के प्रीपेड की जमा राशि का एटीएम, डेबिट कार्ड द्वारा भुगतान करने की योजना प्रारम्भ की है। यह बैंक एटीएम की संख्या में निरन्तर वृद्धि कर रहा है।

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10. ब्याज तथा साख दर पर नियन्त्रण भारतीय स्टेट बैंक के पास काफी मात्रा में धन जमा होने के कारण यह अपनी ब्याज की दर तथा साख नीति के द्वारा साख की मात्रा को नियन्त्रित करता है।

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UP Board Solutions for Class 10 English Grammar Comprehension: Unseen Passages

UP Board Solutions for Class 10 English Grammar Comprehension: Unseen Passages are part of UP Board Solutions for Class 10 English. Here we have given UP Board Solutions for Class 10 English Grammar Comprehension: Unseen Passages.

Board UP Board
Class Class 10
Subject English
Chapter English Grammar
Chapter Name Comprehension: Unseen Passages
Category UP Board Solutions

UP Board Solutions for Class 10 English Grammar Comprehension: Unseen Passages

Exercise 1

  1. The parents feel that their children’s studies are affected because they watch T.V. more than their studies.
  2. We notice that under the influence of television the people sleep less, read less and communicate less with their families.
  3. By television viewing the care of children and elderly (UPBoardSolutions.com) people is getting neglected.
  4. Many parents have cut off their TV because their children’s studies are affected due to watching TV.

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Exercise 2

  1. Traditionally it has been the attitude towards the aged in India that they are looked after and they live with their children and grandchildren.
  2. The effect of small flats on the aged is that they are confined to some remote corner or are shared round the year with other member of the family.
  3. The cost of living is steadily going up. (UPBoardSolutions.com) Doctors are expensive and so are the special foods the old need.
  4. The most frightening problem of the old age is loneliness.

Exercise 3

  1. Pratap took a vow that until Chittor was recovered, he would lead a hard life.
  2. Pratap asked his people that no one should plough the fields and no crop should be grown in the country.
  3. With a small body of twenty two thousand Rajputs, he fought against the army of Akbar.
  4. Rana Pratap is honored even today for his spirit of sacrifice.

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Exercise 4

  1. The annual event was the day of the excitement for the writer (UPBoardSolutions.com) because he played the central part—the celebration of the anniversary of his birth.
  2. The writer was interested in this very annual event.
  3. The main grievance of the writer was that his birthdays came so rarely.
  4. The writer did not realize then that a time would come when birthdays would become unpleasant reminders of advancing age.

Exercise 5

  1. When the king found out the prisoner innocent, he gave him a sum of money and set him free.
  2. The prisoner went straight to the market where some birds were kept for sale.
  3. The shopkeeper was surprised because the man purchased all the birds from him and set them free.
  4. The man said to the shopkeeper, “If you had been in prison like me for no fault, you would have done the same.”

Exercise 6

  1. Water is essential for the existence of all living things because all plants, animals and human beings need water to survive.
  2. All plants, animals and human beings need water to survive.
  3. We cannot drink water of the (UPBoardSolutions.com) oceans and seas because it is salty.
  4. We use water for drinking, making food and washing clothes.

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Exercise 7

  1. Florence Nightingale’s sole ambition was to be a nurse.
  2. She visited every bed in the hospital to see that no patient was neglected.

Exercise 8

  1. A businessman who is not punctual causes inconvenience to the persons whom he has to deal.
  2. The reason to most of the failures is the want of habit (UPBoardSolutions.com) of punctuality.

Exercise 9

  1. The Titanic was a huge passenger ship. It enjoyed the reputation of being unsinkable.
  2. The Titanic collided against a huge iceberg. It was a great tragedy.

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Exercise 10

  1. Mount Everest is the highest peak of the Himalayas.
  2. The word ‘Himalayas’ means the (UPBoardSolutions.com) abode of snow.

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UP Board Solutions for Class 10 English Grammar Passages for Translation

UP Board Solutions for Class 10 English Grammar Passages for Translation are part of UP Board Solutions for Class 10 English. Here we have given UP Board Solutions for Class 10 English Grammar Passages for Translation.

Board UP Board
Class Class 10
Subject English
Chapter English Grammar
Chapter Name Passages for Translation
Category UP Board Solutions

UP Board Solutions for Class 10 English Grammar Passages for Translation

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  1. In all seasons I like the spring season most. This is the favorite season of poets and it is called the queen of seasons. When spring approaches, the earth looks beautiful and attractive. Green leaves come out in the trees and the earth wears green clothes. Different types of beautiful flowers blossom, the bright colors of which make us happy. The yellow mustard flowers move in the air happily. The humming bees and beautiful butterflies attract the heart. The sweet songs of koel make us happy.
  2. A young man applied for the post of a clerk in an office. He was called for interview. The officer, after a long discussion, told him that he was not found fit for the post. That young man was disappointed. (UPBoardSolutions.com) When he was going out of the office, he saw a pin lying on the floor. Without saying anything he took up the pin and put it on the table. The officer saw all this and called him back. He appointed the young man and he was very happy.
  3. One day a crow was sitting on a mango tree. It had a piece of cheese in its beak. All of a sudden, a jackal, who was wandering here and there in search of food came there. He decided to take away that piece. He sat down under the tree and said to the crow, “You have a sweet voice.” Hearing this the crow was very happy and it opened its beak to sing a song. As soon as it opened the beak, the piece of cheese fell down upon the ground. The cunning jackal at once took it up and ran away towards the forest.
  4. How beautiful is our earth! Imagine green forests, snow covered mountains and blue oceans. Seeing the valleys of colorful flowers, animals and birds, rivers and lakes, the heart is filled with joy and wonder. We get much peace in the company of nature. For some time we forget all our worries. Today we have become very far from nature. We spend all time in earning money and in spending it. We must pass sometime daily in the company of nature.
  5. Sea life also is very interesting. It is said that in sea there exist living matters more in number than the whole world. In the sea water innumerable living beings are found. The hugest animal of sea is whale. In the whole living kingdom there is no animal as big as whale. Its tail is very strong. Blue whale may be ninety feet long. Its weight may be up to seventy tonnes.
  6. In Meerut every year in the month of April, Nauchandi fair is held. It is famous far and wide. In this fair besides shops, round about also are arranged and an exhibition also is held. The members of my family have been thinking to see it for two years. During the days of seeing the exhibition, we shall stay with our uncle. It will be a great pleasure. Then after this we shall visit Meerut University. If we get tinje, we may visit there the schools and colleges also.
  7. Who has not heard the name of Subhash Chandra Bose ? He was born on 23rd January 1897. He was a very intelligent student. He respected Gandhiji very much. But he did not like the policy of Ahinsa of Gandhiji. He founded Indian National Army. His slogan was ‘Give me blood and I will give you freedom’. It is said that he died in an air crash. But even (UPBoardSolutions.com) today the people don’t believe in this news.
  8. Postman is a useful servant of society. He is a very useful man. He has many messages of joys as well as sorrows in his bag. He causes some one to weep and some one to laugh also by a letter. Some times he becomes the centre of our hope and eagerness. He is dear to all. All welcome him at their gate. So the postman is our dear co-operator.
  9. As soon as I reached the railway platform, the train started. I saw that a man was running towards the train. I understood that he wanted to board into the running train. I checked him to do so but he didn’t obey me. He tried to board into the train and he fell down under the train. The driver stopped the train but the unfortunate man had been crushed down the train. We should not try to board the running train.
  10. A shepherd had the habit of telling a lie. He went in the forest daily to graze his sheep. One day he shouted loudly, ‘wolf, wolf.’ The people of the neighboring village rushed for his help. Seeing the villagers he burst into laughter. In the same way he be fooled the villagers twice or thrice. One day in reality the wolf came. That shepherd went on crying for help but even a single person did not reach for his help.
  11. A blind man lived in a village. Fire broke out in that village. Leaving the village all people ran away. A lame man also lived in the same village. The blind man said to the lame man, “You have eyes but you can’t walk. I have legs but I can’t see, come and sit on my shoulders. You will show the way and I will walk.” Both of them did so and due to their plan and wisdom they went out of the village safely.
  12. In India many great men have born. Lai Bahadur Shastri is one of them. After the death of Pt. Nehru he became the prime minister of India. Shastri ji was born on (UPBoardSolutions.com) October 2, 1904 in a poor family. His father was an ordinary teacher. He died when Shastri was a child. Shastri ji remained the Prime-minister only for eighteen months. On January 11, 1966 he died in Tashkent in Russia.
  13. Shahjahan was a Mughal emperor. He was married to Mumtaz Mahal. After fourteen years to marriage the queen fell ill. Shahjahan loved her very much so he was very sad. Seeing the condition of the queen the king understood that the life of the queen was in danger. Weeping he said to the queen, “What should I do for you ?” Dying Mumtaz Mahal said, “Build a tomb on my grave.” After the death of the queen Shahjahan built Taj Mahal on the bank of the Yamuna in Agra which is famous in the world. This sign of love will always remain immortal.
  14. Who does not know the name of Mahatma Gandhi ? He was one of the greatest leaders of the world. He was bom on October 2,1869 at Porbander in Gujarat. Gandhiji followed truth and non violence through out his life. He went to jail many times. Under his leadership, India became free on 15th August, 1947. Gandhiji is called the Father of the Nation. In reality the whole country will be indebted to him.
  15. Long ago a merchant lived in a country. He was very rich but he had no child. In the end by the grace of God a son was born to hiiji. The boy was only two years old when the merchant died. The mother bought up the boy. When the boy grew young, the mother wanted to employ him in the business and said, “Now you also do business.” The son obeyed the mother and buying the goods, he bade good bye from his mother. Those days other merchants also were going out with goods from that country. The mother sent her son also with them.
  16. Once a master employed a servant. The servant was very truthful. He did the work which nobody could do. He was always happy. One year passed but the master did not give him his salary. The servant also did not ask his salary and went on doing work truthfully and honestly. Second year also passed but the merchant did not give him his salary. After two (UPBoardSolutions.com) years the merchant gave him Rs 1000 as his salary. The servant went home happily.
  17. Long ago a poor boy lived in Allahabad. He earned his living by selling newspapers. His parents had died in his childhood. He was an orphan. He was very good in studies. He did not like begging or taking help from others. He had decided in his mind that by selling newspapers he would meet his expenses and would also study. His labor proved to be fruitful and he became a graduate. Due to his honesty and hard work he got a job also. Today he is very happy.
  18. India is an ancient country. Its culture is very rich. Its effect can be seen in many countries. This country is known for its fairs, temples, saints and festivals. We should make it free from pollution.
  19. One day a crow was sitting on a mango tree. He had a piece of cheese in his beak. All of a sudden a jackal who was wandering here and there in search of food came there. He decided to take that piece.
  20. The boys who work hard always succeed. Always remember, if you work hard, you can make your life great. Ishwar Chandra Vidyasagar could be great due to hard work.
  21. Spring season is very pleasant. In this season there is neither much cold nor much heat. Leaves fall from the trees. New off shoots come out again. The forests and gardens look attractive.
  22. Everybody knows the name of Subhash Chandra Bose. He was born in Cuttack in 1897. He was a great patriot. He fought bravely for the freedom of the country. We respect him very much.
  23. Two bullocks lived in a forest. They were fast friends. They always lived together. They were ready to help each other. Even the lion was afraid to attack upon them.
  24. Who does not know Lai Bahadur Shastri ? He was the second prime minister of India. He was the true disciple of Gandhiji. He believed in simple living and high thinking. He was born on 2nd October, 1904 in a poor family in Moghal Sarai. He died on 11th January, 1966.
  25. Spring season has come. Spring comes in the (UPBoardSolutions.com) months of March and April. It is a very pleasant season. Spring is called Rituraj also.
  26. When I reached the station, the train was about to depart. I rushed to the platform. I had hardly reached there when the train started. Soon the train gathered speed and I was watching it like a fool going out of the platform.
  27. Ram Lai is a promising student of my class. He has many good qualities. He is very punctual, regular and laborious student. He helps the poor students with books.

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