UP Board Solutions for Class 11 Samanya Hindi उपयोगितापरक निबन्ध

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Class Class 11
Subject Samanya Hindi
Chapter Name उपयोगितापरक निबन्ध
Category UP Board Solutions

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मानव-जीवन में वनों की उपयोगिता

सम्बद्ध शीर्षक

  • हमारी वन-सम्पदा और पर्यावरण
  • वन-संरक्षण की उपादेयता
  • वन-संरक्षण का महत्त्व
  • वृक्षारोपण का महत्त्व
  • वनमहोत्सव की उपादेयता
  • पर्यावरण की शुद्धता में सामाजिक वानिकी का योगदान
  • पर्यावरण और वृक्षारोपण

प्रमुख विचार-बिन्दु

  1. प्रस्तावना,
  2. वनों का प्रत्यक्ष योगदान,
  3. वनों का अप्रत्यक्ष योगदान,
  4. भारतीय वन-सम्पदा के लिए उत्पन्न समस्याएँ,
  5. वनों के विकास के लिए सरकार द्वारा किये जा रहे प्रयास,
  6. उपसंहार

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UP Board Solutions for Class 11 Samanya Hindi स्वास्थ्यपरक निबन्ध

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Class Class 11
Subject Samanya Hindi
Chapter Name स्वास्थ्यपरक निबन्ध
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जीवन में खेलकूद की आवश्यकता और स्वरूप

सम्बद्ध शीर्षक

  • स्वस्थ तन, स्वस्थ मन
  • व्यक्तित्व-विकास में खेलों का महत्त्व
  • खेलकूद और योगासन का महत्त्व
  • शिक्षा और क्रीड़ा को सम्बन्ध
  • युवा पीढ़ी और खेलकूद का महत्त्व
  • खेलकूद : शिक्षा और विद्यार्थी
  • विद्यालय में स्वास्थ्य शिक्षा
  • विद्यालय में क्रीड़ा-शिक्षा का महत्त्व
  • शिक्षा में खेलकूद का स्थान

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UP Board Solutions for Class 11 Samanya Hindi राजनीति सम्बन्धी निबन्ध

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Class Class 11
Subject Samanya Hindi
Chapter Name राजनीति सम्बन्धी निबन्ध
Category UP Board Solutions

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भारत में लोकतन्त्र की सफलता

सम्बद्ध शीर्षक

  • भारतीय लोकतन्त्र और राजनीतिक दल
  • भारत में लोकतन्त्र : सफल अथवा असफल
  • भारत में प्रजातन्त्र का भविष्य
  • भारत में लोकतन्त्र

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लोकतन्त्र और समाचार-पत्र

सम्बद्ध शीर्षक

  • आज के युग में समाचार-पत्रों का महत्त्व
  • समाचार-पत्र और वर्तमान जीवन
  • समाचार-पत्रों की उपयोगिता

प्रमुख विचार-बिन्दु

  1. प्रस्तावना,
  2. लोकतन्त्र में समाचार-पत्रों की भूमिका
    (क) राजनीतिक भूमिका;
    (ख) सामाजिक भूमिका;
    (ग) आर्थिक भूमिका,
  3. समाचार-पत्रों के लाभ
    (क) शिक्षा के प्रसार में सहायक;
    (ख) साहित्यिक उन्नति;
    (ग) व्यापार में सहायक;
    (घ) मनोरंजन के साधन,
  4. समाचार-पत्रों से हानियाँ,
  5. उपसंहार

प्रस्तावना-‘लोकतन्त्र’ का अर्थ है ‘लोक का तन्त्र’ अर्थात् ‘जनता द्वारा शासन’। भूतपूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति अब्राहम लिंकन के शब्दों में, “लोकतन्त्र जनता का, जनता के लिए, जनता द्वारा शासन है” (Democracy is the government of the people, for the people, by the people)। इस प्रकार लोकतन्त्र में जनता ही सर्वेसर्वा होती है, अर्थात् अपनी भाग्यविधाता आप होती है। सारा जनसमुदाय प्रत्यक्ष रूप से शासन नहीं कर सकता, इसलिए वह एक निश्चित संख्या में अपने प्रतिनिधि चुनकर भेजता है, जो पारस्परिक सहयोग से देश के लिए हितकारी कानून बनाते हैं। इस प्रकार किसी देश एवं उसमें रहने वाले जनसमुदाय की उन्नति या अवनति उसके द्वारा चुने गये प्रतिनिधियों की योग्यता एवं प्रामाणिकता पर निर्भर करती है। अत: लोकतन्त्र में यह नितान्त वांछनीय है कि प्रतिनिधियों का चुनाव बहुत सोच-समझकर उनकी क्षमता के आधार पर किया जाए। इसके लिए जनता का शिक्षित और ज्वलन्त देशभक्ति से सम्पन्न होना नितान्त आवश्यक है।

दुर्भाग्यवश हमारे देश की अधिकांश जमता अशिक्षित या अर्द्ध-शिक्षित है, इसीलिए उसे लोकतन्त्र की आवश्यकताओं की दृष्टि से यथासम्भव शिक्षित करना प्राथमिक आवश्यकता है। इसकी पूर्ति के दायित्व के गुरुतर भार को सर्वाधिक कुशलता से उठाने की क्षमता एकमात्र समाचार-पत्रों में ही है, क्योंकि समाचारपत्र प्रतिदिन धनी–निर्धन सभी तक पहुंचते हैं।

लोकतन्त्र में समाचार-पत्रों की भूमिका–लोकतन्त्र में समाचार-पत्रों की सबसे महत्त्वपूर्ण भूमिका जनता को शिक्षित करने में है। इस भूमिका पर निम्नलिखित तीन दृष्टियों से विचार किया जा सकता है

(क) राजनीतिक भूमिको–लोकतन्त्र में निर्वाचन का सर्वाधिक महत्त्व है; क्योंकि उसी पर देश को भविष्य निर्भर करता है। समाचार-पत्र विभिन्न राजनीतिक दलों की घोषित नीतियों, उनके द्वारा चुनाव में पार्टी-टिकट पर खड़े किये गये प्रत्याशियों या निर्दलीय रूप में खड़े व्यक्तियों की योग्यता एवं पृष्ठभूमि का विस्तृत परिचय, चुनाव की प्रणाली एवं प्रक्रिया आदि का विवरण तथा विभिन्न नेताओं और प्रत्याशियों के भाषण आदि देकर जनता को शिक्षित करते हैं। इससे मतदाताओं को योग्य प्रत्याशी के चयन में सुविधा होती है।

सरकार बन जाने पर उसके कार्यकलाप एवं विरोधी दलों द्वारा उसकी समय-समय पर की जाने वाली आलोचनाओं, शासन की गतिविधियों एवं उसके द्वारा उठाये गये कदमों के औचित्य-अनौचित्य का पता समाचार-पत्रों के द्वारा चलता रहता है। साथ ही सम्पादक के नाम पत्रों, अग्रलेखों एवं देश के विभिन्न अंचलों में बसे प्रबुद्धजनों के मन्तव्यों से सरकारी गतिविधियों के विषय में जनता की प्रतिक्रिया का पता चलता है, जिससे स्वस्थ जनमत का विकास होता है और जनता सरकार पर दबाव डालकर उसे गलत कार्य करने से रोकती है। यदि सरकार लोक-विरोधी कार्य करती है तो मतदाता उसे अगले चुनाव में अपदस्थ करने का निर्णय ले सकते हैं। इससे शासक-वर्ग लोकमत की अवहेलना करने का साहस नहीं कर पाता।

जनता शान्तिपूर्ण प्रदर्शनों, आन्दोलनों एवं स्मरण-पत्रों द्वारा भी सरकार को अपने मत से अवगत कराकर उसकी देश्ले या समाज-विरोधी गतिविधियों का विरोध करती है या अपनी उचित माँगें मनवाने के लिए दबाव डालती है। इस सबके समाचार भी समाचार-पत्रों में बराबर छपते रहते हैं, जिससे माँग के पक्ष या विपक्ष में जनमत के अधिक सुसंगठित होने में सुविधा होती है।

इसके अतिरिक्त समाचार-पत्रों में देश-विदेश की घटनाएँ एवं अपने देश पर पड़ने वाले उसके सम्भावित प्रभावों आदि का विवरण भी छपता रहता है, जिससे जनता को विश्व के विभिन्न देशों की आन्तरिक और बाह्य स्थिति तथा अपने देश के प्रति उनके मैत्री या शत्रुतापूर्ण रवैये की जानकारी भी मिलती रहती है। दैनन्दिन समाचारों के अतिरिक्त समाचार-पत्रों में राष्ट्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय घटनाचक्र के विषय में सुयोग्य विद्वानों के समीक्षात्मक लेख, परिचर्चा आदि भी छपते रहते हैं, जिससे जनता को विभिन्न घटनाओं को सही परिप्रेक्ष्य में देखने की दिशा मिलती है।

विज्ञजनों के अनुसार लोकतन्त्र की सफलता जनता की सतत जागरूकता पर निर्भर रहती है। यदि जनता अपने चुने प्रतिनिधियों पर प्रत्येक समय कड़ी नजर नहीं रखती तो शासकों के स्वेच्छाचारी या निरंकुश हो जाने की आशंका उत्पन्न हो जाती है। अमेरिकी राष्ट्रपति निक्सन की वाटरगेट काण्ड में लिप्तता को उजागर करने का श्रेय यदि वहाँ के राष्ट्रनिष्ठ समाचार-पत्रों को है तो निक्सन को उसके पद से अविलम्ब हटवाने का श्रेय वहाँ की सतत जागरूक जनता को। ऐसे ही देश में लोकतन्त्र सफल होता है।

किन्तु भारत में लोकतन्त्र एक मजाक बनकर रह गया है। इसका एक कारण तो यह है कि यहाँ के समाचार-पत्र अपना दायित्व पूर्ण निष्ठा से नहीं निभा पाते। जो थोड़े-बहुत स्वतन्त्र विचारों के राष्ट्रनिष्ठ पत्र हैं। भी, वे सरकार द्वारा बुरी तरह नियन्त्रित और प्रताड़ित हैं। जब तक समाचार-पत्र निर्भीकतापूर्वक शासक-दल की राष्ट्रघातक नीतियों का भण्डाफोड़ नहीं करेंगे, जनता को यह नहीं सिखाएँगे कि लोकतन्त्र में राष्ट्र ही सर्वोपरि होता है, व्यक्ति नहीं; तब तक लोकतन्त्र सफल नहीं हो सकता और सत्ताधारी स्वेच्छाचारी बनते रहेंगे। समाचार-पत्रों के माध्यम से भारत की अधिकतर अशिक्षित जनता को इस सम्बन्ध में जागरूक बनाकर ही उसे लोकतन्त्र में सफल बनाया जा सकता है।

(ख) सामाजिक भूमिका-समाचार-पत्रों की सामाजिक भूमिका भी कम महत्त्वपूर्ण नहीं है। समाज में व्याप्त कुरीतियों, कुप्रथाओं, अन्धविश्वासों एवं पाखण्डों का भण्डाफोड़ कर समाचार-पत्र इन बुराइयों को उखाड़ फेंकने की प्रेरणा देकर समाज-सुधार का पथ प्रशस्त करते हैं। इस प्रकार वे विभिन्न प्रकार के अपराधों में संलग्न व्यक्तियों के कारनामे उजागर कर एक ओर जनता को सावधान करते हैं तो दूसरी ओर सरकार द्वारा उनकी रोकथाम में भी सहायक सिद्ध होते हैं। इसी प्रकार बाल-विवाह, दहेज-प्रथा, भ्रष्टाचार, शोषण, अनाचार, अत्याचार आदि के विरुद्ध प्रबल जनमत जगाने में भी समाचार-पत्रों की भूमिका उल्लेखनीय रही है।

(ग) आर्थिक भूमिका-समाचार-पत्र देश के अर्थतन्त्र को पुष्ट करने में पर्याप्त सहयोग देते हैं। इसके लिए दैनिक समाचार-पत्रों में एक पृष्ठ व्यापार से सम्बन्धित होता है। आयात-निर्यात के समाचार अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार की वृद्धि में सहायक होते हैं। अनेके जीवनोपयोगी वस्तुओं के विज्ञापन एवं पते भी समाचार-पत्रों में प्रकाशित होते हैं, जिनसे क्रेता-विक्रेता दोनों को लाभ प्राप्त होता है। सरकार की आर्थिक नीतियों या प्रस्तावित कानूनों आदि की पूर्वसूचना देकर समाचार-पत्र जनता को उनका समर्थन या विरोध करने या संशोधन कराने की प्रेरणा देते हैं। इस प्रकार समाचार-पत्र सरकार, व्यापारी वर्ग एवं जनता के मध्य आर्थिक समाचारों के वाहक एवं समीक्षक के रूप में देश के आर्थिक ढाँचे को सुदृढ़ बनाने में बहुत महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

समाचार-पत्रों के लाभ-समाचार-पत्रों से मुख्य रूप से निम्नलिखित लाभ होते हैं

(क) शिक्षा के प्रसार में सहायक-समाचार-पत्रों में समाचार के अतिरिक्त ऐसे गहन विषयों पर प्रकाश डाला जाता है, जिनके अध्ययन से हमें ज्ञान-विज्ञान से सम्बद्ध अनेक बातें मालूम होती रहती हैं। अल्प शिक्षित लोगों के ज्ञान को बढ़ाने में समाचार-पत्रों का विशेष योगदान होता है। समाचार-पत्रों द्वारा सर्वसाधारण के बीच भी शिक्षा के प्रसार में अधिक सहायता मिलती है। उच्च शिक्षा प्राप्त व्यक्तियों को भी समाचार-पत्रों में नित्य नये-नये तत्त्वों, नये-नये विचारों और आविष्कारों की अनेक तथ्ययुक्त बातें पढ़ने को मिलती हैं, जिनसे उन्हें अपने ज्ञान-विस्तार का सुअवसर प्राप्त होता है।

(ख) साहित्यिक उन्नति–समाचार-पत्रों के प्रकाशन से साहित्यिक क्षेत्र में भी बहुत विकास हुआ है। आज समाचारपत्रों में विशेष रूप से साप्ताहिक और मासिक पत्रिकाओं में अनेक कहानियाँ, निबन्ध, महापुरुषों की जीवनी, लेख, एकांकी व नाटक प्रकाशित होते हैं, जिनसे साहित्य की उन्नति में पर्याप्त सहायता मिलती है।

(ग) व्यापार में सहायक-व्यापारिक उन्नति में भी समाचार-पत्र बहुत सहायक होते हैं। समाचार-पत्रों में अनेक वस्तुओं के विज्ञापन छपते हैं, जिनसे उनको प्रचार होता है और बाजार में उनकी माँग बढ़ती है।

(घ) मनोरंजन के साधन–समाचार-पत्र मनोरंजन का भी अच्छा साधन हैं। समाचार-पत्रों से हम विश्राम के समय कविताएँ, निबन्ध और कहानियाँ पढ़कर अपना मनोरंजन करते हैं।

समाचार-पत्रों से हानियाँ–समाचार-पत्र जब व्यापक देशहित को भुलाकर किसी राजनीतिक दल, पूँजीपति, सम्प्रदाय विशेष या सरकार के हाथ का खिलौना बन जाते हैं तो उनसे भयंकर हानि होती है। क्योंकि प्रतिदिन लाखों लोगों तक पहुँचने के कारण ये प्रचार का सबसे प्रबल साधन हैं। ऐसे समाचार-पत्रों में जो समाचार या सूचनाएँ प्रकाशित होती हैं, वे मुख्यत: अपने स्वामी की स्वार्थ-सिद्धि को दृष्टि में रखने से पक्षपातपूर्ण और संकुचित होती हैं। बहुत-से समाचार-पत्र अपनी बिक्री बढ़ाने के लिए झूठी अफवाहें, निराधार एवं सनसनीपूर्ण समाचार, अभिनेत्रियों और मॉडल गर्ल्स के अश्लील चित्र प्रकाशित कर अनैतिकता को प्रोत्साहित करते हैं। इतिहास इस बात का साक्षी है कि देश में बहुत-से दंगे-झगड़े और साम्प्रदायिक उपद्रव समाचार-पत्रों द्वारा ही प्रोत्साहित किये गये। इस प्रकार के जातिगत, साम्प्रदायिक एवं प्रादेशिक विचार राष्ट्रीय एकता में बाधक सिद्ध होते हैं। कुछ समाचार-पत्र यदि सरकारी नीतियों का विवेचन कर जनता को वस्तुस्थिति से अनभिज्ञ रखकर देश की बड़ा अहित करते हैं तो कुछ सरकार की सही नीतियों की भी अन्यायपूर्ण आलोचना कर जनता को भ्रमित करते हैं।

उपसंहार–वर्तमान युग में समाचार-पत्रों का महत्त्व असन्दिग्ध है। वे यदि देशहित को सर्वोपरि मानकर निर्भीक और निष्पक्ष पत्रकारिता का आदर्श अपनाएँ तो देश का महान् उपकार कर सकते हैं। समाचार-पत्रों को लोकतन्त्र के चार शक्ति-स्तम्भों में से एक माना गया है। समाचार-पत्र लोगों को कूप-मण्डूकता से उबारकर जागरूक बनाते हैं, जनमत का निर्माण करते हैं। निष्पक्ष समाचार-पत्र राष्ट्र के आर्थिक आधार को पुष्ट करने के साथ-साथ सामाजिक बुराइयों का उन्मूलन करते हैं। वे न केवल देश के जनमत, अपितु विश्व-जनमत तक को प्रभावित करने की क्षमता रखते हैं। सच तो यह है कि समाचार-पत्र लोकतन्त्र के सतत सजग प्रहरी हैं। उनके बिना आज स्वस्थ लोकतन्त्र की कल्पना तक नहीं की जा सकती।

आरक्षण की नीति एवं राजनीति

सम्बद्ध शीर्षक

  • आरक्षण : वरदान या अभिशाप

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अनुच्छेद 335 में संघ या राज्य की गतिविधियों से सम्बन्धित किसी पद या सेवा में नियुक्ति में प्रशासनिक कार्यकुशलता बनाये रखने के साथ-साथ अनुसूचित जातियों/जनजातियों के सदस्यों के दावों का लगातार ध्यान रखने की व्यवस्था है।

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इस स्वाभाविक और नैसर्गिक सद्गचाई को न मण्डल आयोग की सिफारिशें लागू करने वालों ने समझना चाहा और न ही संविधान के 104वें संशोधन के अनुसार काम करने का दावा करने वाले वर्तमान में समझना चाह रहे हैं।

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यही समान भागीदारी हमें जोड़ेगी, मजबूत बनाएगी। आवश्यकता आरक्षण को सम्पूर्णत: नकारने की नहीं, उसे विवेकपूर्ण बनाने और सभी पक्षों द्वारा सीमित अवधि के साधन के रूप में स्वीकारने की है।
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UP Board Solutions for Class 11 Samanya Hindi गद्य-साहित्य विकास मिश्रित बहुविकल्पीय प्रश्न

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Board UP Board
Textbook NCERT
Class Class 11
Subject Samanya Hindi
Chapter Chapter 4
Chapter Name गद्य-साहित्य विकास मिश्रित बहुविकल्पीय प्रश्न
Number of Questions 69
Category UP Board Solutions

UP Board Solutions for Class 11 Samanya Hindi गद्य-साहित्य विकास मिश्रित बहुविकल्पीय प्रश्न

उचित विकल्प का चयन कीजिए

प्रश्न 1.
‘साहित्यालोचन’ और ‘हिन्दी साहित्य निर्माता’ इनकी प्रमुख रचनाएँ हैं
(क) जयशंकर प्रसाद
(ख) आचार्य रामचन्द्र शुक्ल
(ग) भारतेन्दु हरिश्चन्द्र
(घ) श्यामसुन्दर दास
उत्तर:
(घ) श्यामसुन्दर दास

प्रश्न 2.
‘काशी नागरी प्रचारिणी सभा’ की स्थापना में इनका सराहनीय योगदान रहा है
या
‘काशी नागरी प्रचारिणी सभा’ की स्थापना किसने की ?
(क) भारतेन्दु हरिश्चन्द्र
(ख) जयशंकर प्रसाद
(ग) श्यामसुन्दर दास
(घ) डॉ० सम्पूर्णानन्द
उत्तर:
(ग) श्यामसुन्दर दास

प्रश्न 3.
निम्नलिखित में से कौन द्विवेदीयुगीन गद्य लेखक/लेखिका हैं ?
(क) महादेवी वर्मा
(ख) श्यामसुन्दर दास
(ग) यशपाल
(घ) भगवतीचरण वर्मा
उत्तर:
(ख) श्यामसुन्दर दास

प्रश्न 4.
‘रूपक रहस्य’ के लेखक कौन हैं ? यह किस विधा की रचना है ?
(क) वियोगी हरि-नाटक
(ख) रामचन्द्र शुक्ल-निबन्ध
(ग) श्यामसुन्दर दास-आलोचना
(घ) प्रतापनारायण मिश्र-निबन्ध
उत्तर:
(ग) श्यामसुन्दर दास-आलोचना

प्रश्न 5.
श्यामसुन्दर दास द्वारा किस पत्रिका का सम्पादन किया गया ?
(क) हिन्दी प्रदीप
(ख) माधुरी
(ग) इन्दु
(घ) नागरी प्रचारिणी पत्रिका
उत्तर:
(घ) नागरी प्रचारिणी पत्रिका

प्रश्न 6.
‘नासिकेतोपाख्यान’शीर्षक से श्यामसुन्दर दास के अतिरिक्त किस लेखक ने गद्य-रचना की है?
(क) हजारीप्रसाद द्विवेदी
(ख) सदल मिश्र
(ग) रामचन्द्र शुक्ल
(घ) महावीरप्रसाद द्विवेदी
उत्तर:
(ख) सदल मिश्र

प्रश्न 7.
श्यामसुन्दर दास का जन्म-काल है-..
(क) सन् 1875 ई०
(ख) सन् 1884 ई०
(ग) सन् 1892 ई०
(घ) सन् 1907 ई०
उत्तर:
(क) सन् 1875 ई०

प्रश्न 8.
मुंशी प्रेमचन्द का जन्म-काल है
(क) 1870 ई
(ख) 1875 ई०
(ग) 1880 ई०
(घ) 1879 ई०
उत्तर:
(ग) 1880 ई०

प्रश्न 9.
सच्चिदानन्द हीरानन्द वात्स्यायन का जन्म-काल है
(क) 1892 ई०
(ख) 1907 ई०
(ग) 1911 ई०
(घ) 1920 ई०
उत्तर:
(ग) 1911 ई०

प्रश्न 10.
इनके द्वारा ‘भारत कला भवन’ नाम के एक विशाल संग्रहालय की स्थापना की गयी
(क) रामचन्द्र शुक्ल
(ख) श्यामसुन्दर दास
(ग) डॉ० सम्पूर्णानन्द
(घ) राय कृष्णदास
उत्तर:
(घ) राय कृष्णदास

प्रश्न 11.
इन्होंने हिन्दी में गद्यगीत विधा का प्रवर्तन किया
(क) हरिशंकर परसाई
(ख) भारतेन्दु हरिश्चन्द्र
(ग) महावीरप्रसाद द्विवेदी
(घ) राय कृष्णदास
उत्तर:
(घ) राय कृष्णदास

प्रश्न 12.
‘भारत की चित्रकला’ तथा ‘ भारतीय मूर्तिकला’ इनके प्रामाणिक ग्रन्थ हैं
(क) डॉ० सम्पूर्णानन्द
(ख) राहुल सांकृत्यायन
(ग) महादेवी वर्मा
(घ) राय कृष्णदास
उत्तर:
(घ) राय कृष्णदास

प्रश्न 13.
‘साधना’ नामक गद्यगीतों के संग्रह के रचयिता कौन हैं ?
(क) वृन्दावनलाल वर्मा
(ख) मोहन राकेश
(ग) राय कृष्णदास
(घ) विनय मोहन शर्मा
उत्तर:
(ग) राय कृष्णदास

प्रश्न 14.
राय कृष्णदास का लेखन-युग है
(क) भारतेन्दु युग
(ख) द्विवेदी युग
(ग) छायावाद युग
(घ) छायावादोत्तर युग
उत्तर:
(ग) छायावाद युग

प्रश्न 15.
प्रेमचन्दोत्तर युग के श्रेष्ठ कथाकार के रूप में जाने जाते हैं
(क) सरदार पूर्णसिंह
(ख) वासुदेवशरण अग्रवाल
(ग) भारतेन्दु हरिश्चन्द्र
(घ) जैनेन्द्र कुमार
उत्तर:
(घ) जैनेन्द्र कुमार

प्रश्न 16.
जैनेन्द्र कुमार की कौन-सी रचना उपन्यास नहीं है ?
(क) कल्याणी
(ख) जयवर्धन
(ग) मुक्तिबोध
(घ) वातायन
उत्तर:
(घ) वातायन

प्रश्न 17.
निम्नलिखित रचनाओं में से कौन-सी रचना नाटक है?
(क) मजदूरी और प्रेम
(ख) रस-मीमांसा
(ग) पाप और प्रकाश
(घ) भारत की एकता
उत्तर:
(ग) पाप और प्रकाश

प्रश्न 18.
जैनेन्द्र कुमार द्वारा रचित निबन्ध-संग्रह है
(क) पृथिवी-पुत्र और वाग्धारा
(ख) पूर्वोदय और प्रस्तुत प्रश्न
(ग) कुली
(घ) पथ के साथी
उत्तर:
(ख) पूर्वोदय और प्रस्तुत प्रश्न

प्रश्न 19.
‘त्यागपत्र’ किस लेखक की उपन्यास-विधा की रचना है ?
(क) प्रेमचन्द
(ख) यशपाल
(ग) जैनेन्द्र कुमार
(घ) मोहन राकेश
उत्तर:
(ग) जैनेन्द्र कुमार

प्रश्न 20.
‘साहित्य का श्रेय और प्रेय’ किस विधा की रचना है ?
(क) कहानी
(ख) आलोचना
(ग) निबन्ध
(घ) संस्मरण
उत्तर:
(ग) निबन्ध

प्रश्न 21.
‘अज्ञेय’ का वास्तविक नाम (पूरा नाम) है
(क) रामवृक्ष बेनीपुरी
(ख) हजारीप्रसाद द्विवेदी
(ग) कन्हैयालाल मिश्र
(घ) सच्चिदानन्द हीरानन्द वात्स्यायन
उत्तर:
(घ) सच्चिदानन्द हीरानन्द वात्स्यायन

प्रश्न 22.
‘विशाल भारत’, ‘सैनिक’, ‘प्रतीक’, ‘वाक्’ तथा ‘दिनमान’ पत्र-पत्रिकाओं का सम्पादन किया—
(क) आचार्य हजारीप्रसाद द्विवेदी ने
(ख) कन्हैयालाल मिश्र ‘प्रभाकर’ ने
(ग) रामवृक्ष बेनीपुरी ने
(घ) सच्चिदानन्द हीरानन्द वात्स्यायन ‘अज्ञेय’ ने
उत्तर:
(घ) सच्चिदानन्द हीरानन्द वात्स्यायन ‘अज्ञेय’ ने

प्रश्न 23.
‘उत्तर प्रियदर्शी’ नाटक के लेखक हैं
(क) मोहन राकेश
(ख) कन्हैयालाल मिश्र ‘प्रभाकर’
(ग) रामवृक्ष बेनीपुरी
(घ) सच्चिदानन्द हीरानन्द वात्स्यायन ‘अज्ञेय’
उत्तर:
(घ) सच्चिदानन्द हीरानन्द वात्स्यायन ‘अज्ञेय’

प्रश्न 24.
‘अरे यायावर रहेगा याद’ किस विधा की रचना है ?
(क) उपन्यास
(ख) नाटक
(ग) कहानी
(घ) यात्रा-साहित्य
उत्तर:
(घ) यात्रा-साहित्य

प्रश्न 25.
अज्ञेय जी द्वारा रचित निम्नलिखित में से कौन-सी रचना निबन्ध-विधा की रचना नहीं है ?
(क) विपथगा
(ख) आत्मनेपद
(ग) त्रिशंकु
(घ) लिखि कागद कोरे
उत्तर:
(घ) लिखि कागद कोरे

प्रश्न 26.
इन्होंने भाषा सम्बन्धी विविध प्रयोग किये और शैली के क्षेत्र में भी नये प्रतिमान स्थापित किये
(क) स० .ही० वात्स्यायन ‘अज्ञेय’
(ख) आचार्य रामचन्द्र शुक्ल
(ग) डॉ० सम्पूर्णानन्द
(घ) श्रीराम शर्मा
उत्तर:
(क) स० .ही० वात्स्यायन ‘अज्ञेय’

प्रश्न 27.
अज्ञेय जी को ज्ञानपीठ पुरस्कार से किस रचना के लिए सम्मानित किया गया था ?
(क) जयदल
(ख) कितनी नावों में कितनी बार
(ग) एक बूंद सहसा उछली
(घ) अरी ओ करुणा प्रभामय
उत्तर:
(ख) कितनी नावों में कितनी बार

प्रश्न 28.
‘सन्नाटा’ के रचनाकार हैं
(क) महावीरप्रसाद द्विवेदी
(ख) राय कृष्णदास
(ग) भारतेन्दु हरिश्चन्द्र
(घ) स० ही० वात्स्यायन ‘अज्ञेय
उत्तर:
(घ) स० ही० वात्स्यायन ‘अज्ञेय

प्रश्न 29.
‘हरिऔध’ का पूरा नाम क्या है ?
(क) मैथिलीशरण गुप्त
(ख) भारतेन्दु हरिश्चन्द्र
(ग) अयोध्यासिंह उपाध्याय
(घ) सच्चिदानन्द हीरानन्द वात्स्यायन
उत्तर:
(ग) अयोध्यासिंह उपाध्याय

प्रश्न 30.
‘कामायनी’ की रचना-विधा क्या है ?
(क) खण्डकाव्य
(ख) नाटिका
(ग) उपन्यास
(घ) महाकाव्य
उत्तर:
(घ) महाकाव्य

प्रश्न 31.
‘भाषा योग-वाशिष्ठ’ के रचयिता हैं
(क) रामप्रसाद निरंजनी
(ख) सदासुख मुंशीलाल ‘नियाज’
(ग) सदल मिश्र
(घ) इंशा अल्ला खाँ
उत्तर:
(क) रामप्रसाद निरंजनी

प्रश्न 32.
डॉ० रघुवीर सिंह का लेखन-युग है
(क) छायावाद युग
(ख) द्विवेदी युग
(ग) भारतेन्दु युग
(घ) छायावादोत्तर युग
उत्तर:
(ख) द्विवेदी युग

प्रश्न 33.
द्विवेदी युग का ख्याति प्राप्त तिलिस्मी उपन्यास है
(क) आत्मदाह
(ख) गबन
(ग) नूतन ब्रह्मचारी
(घ) चन्द्रकान्ता सन्तति
उत्तर:
(घ) चन्द्रकान्ता सन्तति

प्रश्न 34.
‘भारतेन्दु युग’ की कालावधि मानी जाती है।
(क) 1900 से 1922 ई०
(ख) 1919 से 1938 ई०
(ग) 1868 से 1900 ई०
(घ) 1868 ई० तक।
उत्तर:
(ग) 1868 से 1900 ई०

प्रश्न 35.
‘द्विवेदी युग’ की कालावधि मानी जाती है
(क) 1900 से 1922 ई०
(ख) 1919 से 1938 ई०
(ग) 1868 से 1900 ई०
(घ) 1938 ई० से अब तक
उत्तर:
(क) 1900 से 1922 ई०

प्रश्न 36.
तितली’ उपन्यास के रचनाकार हैं
(क) हजारीप्रसाद द्विवेदी
(ख) प्रेमचन्द
(ग) महावीरप्रसाद द्विवेदी
(घ) जयशंकर प्रसाद
उत्तर:
(घ) जयशंकर प्रसाद

प्रश्न 37.
‘शुक्ल युग’ ( छायावाद युग) की कालावधि मानी जाती है,
(क) 1900 से 1922 ई०
(ख) 1919 से 1938 ई०
(ग) 1938 से 1947 ई०
(घ) 1947 ई० से अब तक
उत्तर:
(ख) 1919 से 1938 ई०

प्रश्न 38.
‘शुक्लोत्तर युग’ ( छायावादोत्तर युग) की कालावधि मानी जाती है
(क) 1900 से 1922 ई०
(ख) 1919 से 1938 ई०
(ग) 1938 से 1947 ई०
(घ) 1947 ई० से अब तक
उत्तर:
(ग) 1938 से 1947 ई०

प्रश्न 39.
‘द्विवेदी युग’ और ‘छायावादी युग’ दोनों युगों में लेखन-कार्य करने वाले लेखक-द्वय हैं
(क) महावीरप्रसाद द्विवेदी व गुलाबराय
(ख) प्रतापनारायण मिश्र व प्रेमचन्द
(ग) गुलाबराय व जयशंकर प्रसाद
(घ) जयशंकर प्रसाद व जैनेन्द्र कुमार
उत्तर:
(ग) गुलाबराय व जयशंकर प्रसाद

प्रश्न 40.
‘छायावाद युग’ और ‘छायावादोत्तर युग’ दोनों युगों में अपनी रचनाधर्मिता से हिन्दी साहित्य में विशेष योगदान करने वाले लेखक हैं
(क) आचार्य हजारीप्रसाद द्विवेदी
(ख) स० ही० वात्स्यायन ‘अज्ञेय
(ग) जयशंकर प्रसाद
(घ) डॉ० नगेन्द्र
उत्तर:
(क) आचार्य हजारीप्रसाद द्विवेदी

प्रश्न 41.
किस युग की रचनाएँ मार्क्सवाद से सर्वाधिक प्रभावित हुई हैं ?
(क) छायावादी युग
(ख) छायावादोत्तर युग
(ग) शुक्ल युग
(घ) द्विवेदी युग
उत्तर:
(ख) छायावादोत्तर युग

प्रश्न 42.
गद्य की विधा जो नहीं है
(क) निबन्ध
(ख) आलोचना
(ग) उपन्यास
(घ) गद्यकाव्य
उत्तर:
(घ) गद्यकाव्य

प्रश्न 43.
हिन्दी की गद्य और पद्य विधाओं में समान रूप से लिखने वाले विद्वान् हैं
(क) मैथिलीशरण गुप्त
(ख) विष्णु प्रभाकर
(ग) जयशंकर प्रसाद
(घ) तीनों में से कोई नहीं
उत्तर:
(ग) जयशंकर प्रसाद

प्रश्न 44.
छायावादी युग के लेखक कौन नहीं हैं ?
(क) वियोगी हेरि
(ख) भगवतीचरण वर्मा
(ग) नन्ददुलारे वाजपेयी
(घ) डॉ० रघुवीर सिंह
उत्तर:
(ख) भगवतीचरण वर्मा

प्रश्न 45.
निम्नलिखित में से कौन-सा साहित्यकार छायावादी नहीं है ?
(क) जयशंकर प्रसाद
(ख) रामधारी सिंह दिनकर
(ग) सुमित्रानन्दन पन्त
(घ) महादेवी वर्मा
उत्तर:
(ख) रामधारी सिंह दिनकर

प्रश्न 46.
संस्कृति के चार अध्याय’ किस युग की रचना है ?
(क) भारतेन्दु युग
(ख) द्विवेदी युग
(ग) छायावादोत्तर युग
(घ) छायावाद युग
उत्तर:
(ग) छायावादोत्तर युग

प्रश्न 47.
हमीर हठ’ किस प्रकार की रचना है ?
(क) निबन्ध
(ख) कथा-साहित्य
(ग) आलोचना
(घ) इतिहास
उत्तर:
(घ) इतिहास

प्रश्न 48.
‘खड़ी बोली’ गद्य के विकास का प्रारम्भिक युग कौन-सा है ?
(क) द्विवेदी युग
(ख) छायावाद युग
(ग) भारतेन्दु युग
(घ) छायावादोत्तर युग
उत्तर:
(ग) भारतेन्दु युग

प्रश्न 49.
निम्नलिखित में से किस निबन्धकार को ललित निबन्धकार माना जाता है ?
(क) कुबेरनाथ राय
(ख) आचार्य रामचन्द्र शुक्ल
(ग) सच्चिदानन्द हीरानन्द वात्स्यायन ‘अज्ञेय’
(घ) सरदार पूर्णसिंह
उत्तर:
(क) कुबेरनाथ राय

प्रश्न 50.
निम्नलिखित में असत्य कथन है
(क) गद्य व्याकरण सम्मत वाक्यबद्ध रचना है।
(ख) गद्य प्रधानतया विचार, तर्क चिन्तन एवं विश्लेषण प्रधान होता है।
(ग) गद्य में लय, यति एवं गति आदि को महत्त्व होता है।
(घ) आज का युग गद्य प्रधान है
उत्तर:
(ग) गद्य में लय, यति एवं गति आदि को महत्त्व होता है।

प्रश्न 51.
कौन-सा युग हिन्दी गद्य के उत्कर्ष का सूर्योदय-काल था ?
(क) भारतेन्दु युग
(ख) द्विवेदी युग
(ग) छायावाद युग
(घ) छायावादोत्तर युग
उत्तर:
(ख) द्विवेदी युग

प्रश्न 52.
छायावादोत्तर युग के लेखक नहीं
(क) भीष्म साहनी
(ख) सर्वेश्वर दयाल सक्सेना
(ग) वासुदेवशरण अग्रवाल
(घ) बालकृष्ण भट्ट
उत्तर:
(घ) बालकृष्ण भट्ट

प्रश्न 53.
‘द्विवेदी पत्रावली’ के संकलनकर्ता हैं
(क) बैजनाथ सिंह
(ख) बनारसी दास चतुर्वेदी
(ग) पद्मसिंह शर्मा
(घ) वियोगी हरि
उत्तर:
(क) बैजनाथ सिंह

प्रश्न 54.
हिन्दी साहित्य के आधुनिक काले को गद्य काल की संज्ञा किसने दी ?
(क) भारतेन्दु हरिश्चन्द्र
(ख) महावीरप्रसाद द्विवेदी
(ग) आचार्य रामचन्द्र शुक्ल
(घ) बाबू श्यामसुन्दर दास
उत्तर:
(ग) आचार्य रामचन्द्र शुक्ल

प्रश्न 55.
‘बड़ों के प्रेरणादायक पत्र’ पत्र संकलन किसने प्रकाशित कराया ?
(क) बैजनाथ सिंह
(ख) बनारसीदास चतुर्वेदी
(ग) वियोगी हरि
(घ) हरिवंशराय बच्चन
उत्तर:
(ग) वियोगी हरि

प्रश्न 56.
‘नूतन ब्रह्मचारी’ किस विधा की रचना है ?
(क) नाटक
(ख) उपन्यास
(ग) जीवनी
(घ) आलोचना
उत्तर:
(ख) उपन्यास

प्रश्न 57.
‘हिन्दी प्रगतिशील लेखक संघ’ का प्रथम अधिवेशन हुआया प्रेमचन्द की अध्यक्षता में प्रगतिशील लेखक संघ’ का अधिवेशन हुआ
(क) सन् 1932 में
(ख) सन् 1936 में
(ग) सन् 1938 में
(घ) सन् 1940 में
उत्तर:
(क) सन् 1932 में

प्रश्न 58.
प्रारम्भिक गद्य लेखकों में दो राजाओं में से एक हैं
(क) सदासुख लाल
(ख) सदल मिश्र
(ग) शिवप्रसाद सितारेहिन्द
(घ) लल्लूलाल
उत्तर:
(ग) शिवप्रसाद सितारेहिन्द

प्रश्न 59.
‘दि मैड मैन’ का ‘पगला’ नाम से हिन्दी में अनुवाद किया है–
(क) वासुदेवशरण अग्रवाल ने
(ख) रायकृष्ण दास ने
(ग) डॉ० सम्पूर्णानन्द ने
(घ) जी० सुन्दर रेड्डी ने
उत्तर:
(ख) रायकृष्ण दास ने

प्रश्न 60.
निम्नलिखित में से सदल मिश्र की रचना है–
(क) सनी केतकी की कहानी
(ख) नासिकेतोपाख्यान
(ग) राजा भोज का सपना
(घ) सत्यार्थ प्रकाश
उत्तर:
(ख) नासिकेतोपाख्यान

प्रश्न 61.
कौन-सी रचना धर्मवीर भारती की है ?
(क) अफ्मिा
(ख) अपरा
(ग) अन्धा-युग
(घ) अर्चना
उत्तर:
(ग) अन्धा-युग

प्रश्न 62.
‘भारत-भारती’ की रचना-विधा है
(क) कहानी
(ख) उपन्यास
(ग) नाटक
(घ) काव्य
उत्तर:
(घ) काव्य

प्रश्न 63.
निम्नलिखित में असत्य कथन है
(क) हजारीप्रसाद द्विवेदी निबन्धकार एवं उपन्यासकार हैं।
(ख) महावीरप्रसाद द्विवेदी ‘सरस्वती’ पत्रिका के सम्पादक थे।
(ग) रामचन्द्र शुक्ल ‘हिन्दी साहित्य का इतिहास’ ग्रन्थ के लेखक हैं।
(घ) प्रतापनारायण मिश्र ‘हिन्दी प्रदीप’ के सम्पादक थे।
उत्तर:
(घ) प्रतापनारायण मिश्र ‘हिन्दी प्रदीप’ के सम्पादक थे।

प्रश्न 64.
‘खड़ी बोली गद्य’ की प्रथम रचना है
(क) कविवचन सुधा
(ख) गोरा बादल की कथा
(ग) कामायनी
(घ) चिदम्बरा
उत्तर:
(ख) गोरा बादल की कथा

प्रश्न 65.
‘त्यागपत्र’ विधा की दृष्टि से रचना है
(क) कहानी
(ख) निबन्ध
(ग) उपन्यास
(घ) नाटक
उत्तर:
(ग) उपन्यास

प्रश्न 66.
‘अतिचार’ रचना के सम्पादक हैं
(क) बालमुकुन्द गुप्त
(ख) मुनि जिनविजय
(ग) किशोरीलाल गोस्वामी
(घ) नाभादास
उत्तर:
(ख) मुनि जिनविजय

प्रश्न 67.
श्रृंगार-रस-मंडन’ के रचनाकार हैं
(क) नाभादास
(ख) चतुर्भुज दास
(ग) बिट्ठलनाथ
(घ) ज्योतिरीश्वर ठाकुर
उत्तर:
(ग) बिट्ठलनाथ

प्रश्न 68.
‘राधाकृष्णदास’ लेखक थे–
(क) भारतेन्दु युग के
(ख) द्विवेदी युग के
(ग) छायावाद युग के
(घ) छायावादोत्तर युग के
उत्तर:
(क) भारतेन्दु युग के

प्रश्न 69.
‘हिन्दी साहित्य का इतिहास’ के लेखक हैं
(क) हजारीप्रसाद द्विवेदी
(ख) रामचन्द्र शुक्ल
(ग) डॉ० नगेन्द्र
(घ) डॉ० रामकुमार वर्मा
उत्तर:
(ख) रामचन्द्र शुक्ल

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UP Board Solutions for Class 11 Samanya Hindi विज्ञान सम्बन्धी निबन्ध

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Textbook NCERT
Class Class 11
Subject Samanya Hindi
Chapter Name विज्ञान सम्बन्धी निबन्ध
Category UP Board Solutions

UP Board Solutions for Class 11 Samanya Hindi विज्ञान सम्बन्धी निबन्ध

विज्ञान : वरदान या अभिशाप

सम्बद्ध शीर्षक

  • विज्ञान और समाज
  • विज्ञान के बढ़ते चरण
  • विज्ञान के चमत्कार
  • विज्ञान लाभ एवं हानि
  • विज्ञान की देन
  • वैज्ञानिक प्रगति और मानव-जीवन
  • विज्ञान का कल्याणकारी स्वरूप
  • विज्ञान का रचनात्मक स्वरूप

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कम्प्यूटर : आधुनिक यन्त्र-मानव

सम्बद्ध शीर्षक

  • कम्प्यूटर के प्रयोग से लाभ तथा हानि
  • कम्प्यूटर की उपयोगिता
  • कम्प्यूटर का महत्त्व
  • कम्प्यूटर की आत्मकथा
  • भारत में कम्प्यूटर का महत्त्व

प्रमुख विचार-बिन्दु

  1. प्रस्तावेला : कम्प्यूटर क्या है ?
  2. कम्प्यूटर के उपयोग
  3. कम्प्यूटर तकनीक से हानियाँ
  4. कम्प्यूटर और मानवे-मस्तिष्क
  5. उपसंहार

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इण्टरनेट

सम्बद्ध शीर्षक

  • इण्टरनेट का विकास और उपलब्ध सेवाएँ
  • भारत में इण्टरनेट का विकास’
  • सूचना प्रौद्योगिकी और मानव-कल्याण

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इतिहास और विकास–इण्टरनेट का इतिहास पेचीदा है। इसका पहला दृष्टान्त सन् 1962 ई० में मैसाचुसेट्स टेक्नोलॉजी संस्थान के जे० सी० आर० लिकप्लाइडर द्वारा लिखे गये कई ज्ञापनों के रूप में सामने आया था। उन्होंने कम्प्यूटर की ऐसी विश्वव्यापी अन्तर्सम्बन्धित श्रृंखला की कल्पना की थी जिसके जरिये वर्तमान इण्टरनेट की तरह ही आँकड़ों और कार्यक्रमों को तत्काल प्राप्त किया जा सकता था। इस प्रकार के नेटवर्क में सहायक बनी तकनीकी सफलता पहली बार इसी संस्थान के लियोनार्ड क्लिनरोक ने सुझायी थी। उनकी यह सूझ पैकेट स्विचिंग नाम की नयी टेक्नोलॉजी थी जो सामान्य टेलीफोन प्रणाली में प्रयुक्त सर्किट स्विचिंग टेक्नोलॉजी से मिलती-जुलती थी। पैकेट स्विचिंग उस पत्र पेटी की तरह थी, जिसका इस्तेमाल चाहे जितने लोग कर सकते थे। इसके जरिये दुनिया में कम्प्यूटर अन्य कम्प्यूटरों से जुड़े बिना भी एक-दूसरे से संवाद कायम कर सकते थे।

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भारत की वैज्ञानिक प्रगति

सम्बद्ध शीर्षक

  • भारत की वैज्ञानिक उपलब्धियाँ
  • भारतीय विज्ञान की देने

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