UP Board Solutions for Class 12 Chemistry Chapter 11 Alcohols Phenols and Ethers

UP Board Solutions for Class 12 Chemistry Chapter 11 Alcohols Phenols and Ethers (ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर) are part of UP Board Solutions for Class 12 Chemistry. Here we have given UP Board Solutions for Class 12 Chemistry Chapter 11 Alcohols Phenols and Ethers (ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर).

Board UP Board
Textbook NCERT
Class Class 12
Subject Chemistry
Chapter Chapter 11
Chapter Name Alcohols Phenols and Ethers
Number of Questions Solved 81
Category UP Board Solutions

UP Board Solutions for Class 12 Chemistry Chapter 11 Alcohols Phenols and Ethers (ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर)

अभ्यास के अन्तर्गत दिए गए प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
निम्नलिखित को प्राथमिक, द्वितीयक एवं तृतीयक ऐल्कोहॉल में वर्गीकृत कीजिए –
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उत्तर
प्राथमिक ऐल्कोहॉल : (i), (ii), (iii)
द्वितीयक ऐल्कोहॉल : (iv), (v)
तृतीयक ऐल्कोहॉल : (vi)

प्रश्न 2.
उपर्युक्त उदाहरणों में से ऐलिलिक ऐल्कोहॉलों को पहचानिए।
उत्तर
(ii) तथा (vi)।

प्रश्न 3.
निम्नलिखित यौगिकों के आई०यू०पी०ए०सी० (IUPAC) नामपद्धति से नाम दीजिए –
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उत्तर
(i) 3-क्लोरोमेथिल-2-आइसोप्रोपिलपेण्टेन-1-ऑल
(ii) 2,5-डाइमेथिलहेक्सेन -1,3-डाइऑल
(iii) 3-ब्रोमोसाइक्लोहेक्सेनॉल
(iv) हेक्स-1-ईन-3-ऑल
(v) 2-ब्रोमो-3-मेथिलब्यूट-2-ईन-1-ऑल

प्रश्न 4.
दर्शाइए कि मेथेनल पर उपयुक्त ग्रीन्यार अभिकर्मक से अभिक्रिया द्वारा निम्नलिखित ऐल्कोहॉल कैसे विरचित किए जाते हैं?
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उत्तर
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प्रश्न 5.
निम्नलिखित अभिक्रिया के उत्पादों की संरचना लिखिए –
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उत्तर
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(ii) NaBH4 एक दुर्बल अपचायक है, यह ऐल्डिहाइड/कीटोन को अपचयित कर सकता है, परन्तु एस्टर को नहीं।
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(iii) -CHO समूह -CH2OH में अपचयित हो जाता है।
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प्रश्न 6.
यदि निम्नलिखित ऐल्कोहॉल क्रमशः (a) HCl-ZnCl2, (b) HBr, (c) SOCl2 से अभिक्रिया करें तो आप अपेक्षित उत्पादों की संरचनाएँ दीजिए।
(i) ब्यूटेन-1-ऑल
(ii) 2-मेथिलब्यूटेन-2-ऑल।
उत्तर
(a) HCl-ZnClz (ल्यूकास अभिकर्मक) के साथ
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(b) HBr के साथ
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(c) SOCl2 के साथ
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प्रश्न 7.
(i) 1-मेथिलसाइक्लोहेक्सेनॉल और (ii) ब्यूटेन-1-ऑल के अम्ल उत्प्रेरित निर्जलन के मुख्य उत्पादों की प्रागुक्ति कीजिए।
या
किसी ऐल्कोहॉल की किसी एक निर्जलीकरण अभिक्रिया का रासायनिक समीकरण लिखिए। (2018)
उत्तर
(i) 1-मेथिलसाइक्लोहेक्सेनॉल का अम्ल उत्प्रेरित निर्जलन दो उत्पाद, I तथा II दे सकता है। चूँकि उत्पाद (I) अधिक उच्च प्रतिस्थापित है, इसलिए सेटजेफ नियम के अनुसार यह मुख्य उत्पाद है।
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(ii) ब्यूटेन-1-ऑल का अम्ल उत्प्रेरित निर्जलन मुख्य उत्पाद के रूप में ब्यूट-2-ईन तथा गौण उत्पाद के रूप में ब्यूट-1-ईन उत्पन्न करता है। इसका कारण यह है कि ऐल्कोहॉलों का निर्जलन कार्बोधनायने माध्यमिकों के द्वारा होता है। पुनः ब्यूटेन-1-ऑल 1° ऐल्कोहॉल होने के कारण प्रोटॉनीकरण तथा H2O के विलोपन पर पहले 1° कार्बोधनायन (I) देता है जो कम स्थायी होने के कारण पुनर्व्यवस्थित होकर अधिक स्थायी 2° कार्बोधनायन (II) बनाता है, तब यह दो भिन्न प्रकारों से प्रोटॉन निकालकर ब्यूट-2-ईन या ब्यूटन-1-ईन बनाता है। चूंकि ब्यूट-2-ईन अधिक स्थायी है, इसलिए सेटजेफ नियम के अनुसार यह मुख्य उत्पाद होता है।
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प्रश्न 8.
ऑथों तथा पैरा-नाइट्रोफीनॉल, फीनॉल से अधिक अम्लीय होते हैं। उनके संगत फीनॉक्साइड आयनों की अनुनादी संरचनाएँ बनाइए।
उत्तर
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प्रतिस्थापित फीनॉलों में इलेक्ट्रॉन निष्कासक समूह (electron withdrawing group) जैसे नाइट्रो समूह; फीनॉल की अम्लीय सामर्थ्य को बढ़ा देते हैं। जब ऐसे समूह ऑर्थों एवं पैरा स्थितियों पर उपस्थित होते हैं तो यह प्रभाव अधिक प्रबल हो जाता है। इसका कारण फोनॉक्साइड आयन के ऋणायन का प्रभावी विस्थानने (delocalisation) है। अत: फीनॉल की तुलना में 0-तथा p-नाइट्रोफीनॉल अधिक अम्लीय होते हैं।

प्रश्न 9.
निम्नलिखित अभिक्रियाओं में सम्मिलित समीकरण लिखिए –

  1. राइमर-टीमैन अभिक्रिया
  2. कोल्बे अभिक्रिया अथवा कोल्बे श्मिट अभिक्रिया। (2018)

उत्तर
1. राइमर-टीमैन अभिक्रिया (Reimer-Teimann Reaction) – फीनॉल की सोडियम हाइड्रॉक्साइड की उपस्थिति में क्लोरोफॉर्म के साथ अभिक्रिया से बेन्जीन में,—CHO समूह ऑर्थो स्थिति पर प्रवेश कर जाता है। इस अभिक्रिया को राइमर-टीमैन अभिक्रिया कहते हैं।
प्रतिस्थापित मध्यवर्ती बेन्जिल क्लोराइड क्षार की उपस्थिति में अपघटित होकर सैलिसिलैल्डिहाइड बनाता है।
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2. कोल्बे अभिक्रिया अथवा कोल्बे श्मिट अभिक्रिया (Kolbe’s Reaction or Kolbe Schmidt Reaction) – फीनॉल को सोडियम हाइड्रॉक्साइड के साथ अभिकृत कराने से बना फीनॉक्साइड आयन, फीनॉल की अपेक्षा इलेक्ट्रॉनरागी ऐरोमैटिक प्रतिस्थापन अभिक्रिया के प्रति अधिक क्रियाशील होता है। अतः यह CO2 जैसे दुर्बल इलेक्ट्रॉनरागी के साथ इलेक्ट्रॉनरागी प्रतिस्थापन अभिक्रिया करता है। इससे ऑथों-हाइड्रॉक्सीबेन्जोइक अम्ल मुख्य उत्पाद के रूप में प्राप्त होता है।
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प्रश्न 10.
एथेनॉल एवं 3-मेथिलपेन्टेन-2-ऑल से प्रारम्भ कर 2-एथॉक्सी-3-मेथिलपेन्टेन के विलियमसन संश्लेषण की अभिक्रिया लिखिए –
उत्तर
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प्रश्न 11.
1-मेथॉक्सी-4-नाइट्रोबेन्जीन के विरचन के लिए निम्नलिखित अभिकारकों में से कौन-सा युग्म उपयुक्त है और क्यों?
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उत्तर
अभिकारकों के दोनों युग्म उपयुक्त हैं। प्रथम युग्म में, -NO2 समूह के इलेक्ट्रॉन निष्कासक प्रभाव के कारण Br परमाणु सक्रियित होता है। CH3ONa के नाभिकस्नेही आक्रमण तथा उसके पश्चात् NaBr के विलोपन से वांछित ईथर प्राप्त होता है। दूसरे युग्म में, मेथिल ब्रोमाइड पर 4-नाइट्रोफीनॉक्साइड आयन के नाभिकस्नेही आक्रमण द्वारा वांछित ईथर प्राप्त होता है।

प्रश्न 12.
निम्नलिखित अभिक्रियाओं से प्राप्त उत्पादों का अनुमान लगाइए –
(i) CH3-CH2-CH2-O-CH3 + HBr →
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(iv) (CH3)3C – OC2H5 [latex]\underrightarrow { HI } [/latex]
उत्तर
(i) ऑक्सीजन से जुड़े दोनों ऐल्किल समूह प्राथमिक हैं, इसलिए Br आयन की अभिक्रिया छोटे ऐल्किल समूह (मेथिल समूह) से होगी तथा प्रोपेन-1-ऑल तथा ब्रोमोमेथेन का निर्माण होगा।
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(ii) अनुनाद के कारण, C6H5-O आबन्ध में कुछ द्विआबन्ध गुण विद्यमान होता है, इसलिए यह O-C2H5 आबन्ध से प्रबल होता है। अत: दुर्बल O-C2H5 आबन्ध का विदलन होता है तथा फीनॉल एवं ब्रोमोएथेन प्राप्त होते हैं।
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(iii) इलेक्ट्रॉनरागी प्रतिस्थापन में, ऐल्कॉक्सी समूह ऐरोमैटिक वलय को सक्रिय बनाता है तथा प्रवेश करने वाले समूह को 0-तथा p-स्थितियों की ओर निर्दिष्ट करता है। इसलिए एथॉक्सीबेन्जीन का नाइट्रीकरण 2-तथा 4-नाइट्रोएथॉक्सीबेन्जीन का मिश्रण देता है जिसमें 4-नाइट्रोएथॉक्सीबेन्जीन 2-स्थिति पर त्रिविमीय बाधा के कारण मुख्य उत्पाद होता है।
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(iv) चूंकि एथिल कार्बोधनायन की तुलना में तृतीयक-ब्यूटिल कार्बोधनायन अत्यधिक स्थायी होता है, इसीलिए अभिक्रिया SN 1 क्रियाविधि द्वारा होती है तथा तृतीयक-ब्यूटिल आयोडाइड एवं एथेनॉल निम्नलिखित प्रकार बनते हैं –
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अतिरिक्त अभ्यास

प्रश्न 1.
निम्नलिखित यौगिकों के आई०यू०पी०ए०सी० (IUPAC) नाम लिखिए –
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उत्तर
(i) 2, 2, 4-ट्राइमेथिलपेन्टेन-3-ऑल
(ii) 5-एथिलहेप्टेन-2, 4-डाइऑल
(iii) ब्यूटेन-2, 3-डाइऑल
(iv) प्रोपेन-1,2,3-ट्राइऑल
(v) 2-मेथिलफीनॉल
(vi) 4-मेथिलफीनॉल
(vii) 2,5-डाइमेथिलफोनॉल
(viii) 2,6-डाइमेथिलफीनॉल
(ix) 1-मेथॉक्सी-2-मेथिलप्रोपेन
(x) एथॉक्सीबेन्जीन
(xi) 1-फीनॉक्सीहेप्टेन
(xii) 2-एथॉक्सीब्यूटेन

प्रश्न 2.
निम्नलिखित आई०यू०पी०ए०सी० (IUPAC) नाम वाले यौगिकों की संरचनाएँ लिखिए –
(i) 2-मेथिलब्यूटेन-2-ऑल
(ii) 1-फेनिलप्रोपेन-2-ऑल
(iii) 3,5-डाइमेथिलहेक्सेन-1,3,5-ट्राइऑल
(iv) 2,3-डाइएथिलफीनॉल
(v) 1-एथॉक्सीप्रोपेन
(vi) 2-एथॉक्सी-3-मेथिलपेन्टेन
(vii) साइक्लोहेक्सिलमेथेनॉल
(viii) 3-साइक्लोहेक्सिलपेन्टेन-3-ऑल
(ix) साइक्लोपेन्टेन-3-ईन-1-ऑल
(x) 3-क्लोरोमेथिलपेन्टेन-1-ऑल।
उत्तर
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प्रश्न 3.
(i) С5H12O आणिवक सूत्र वाले ऐलकोहॉलों के सभी समावयवो की सरचना लिखिए एवं  उनके आई०यू०पी०ए०सी० (IUPAC) नाम दीजिए।
(ii) प्रश्न 3(i) के समावयवी ऐल्कोहॉलों को प्राथमिक, द्वितीयक एवं तृतीयक ऐल्कोहॉलों में वर्गीकृत कीजिए।
उत्तर
C5H12O के 8 समावयवी सम्भव हैं। ये निम्नवत् हैं –
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(ii)

  • प्राथमिक ऐल्कोहॉल – उपर्युक्त में से (i), (iv), (v), (vii)
  • द्वितीयक ऐल्कोहॉल – उपर्युक्त में से (ii), (iii), (viii)
  • तृतीयक ऐल्कोहॉल – उपर्युक्त में से (vi)

प्रश्न 4.
समझाइए कि प्रोपेनॉल का क्वथनांक, हाइड्रोकार्बन ब्यूटेन से अधिक क्यों होता है?
उत्तर
प्रोपेनॉल तथा ब्यूटेन लगभग समान अणु द्रव्यमान के होते हैं, लेकिन प्रोपेनॉल का क्वथनांक उच्च होता है, क्योंकि इसके अणुओं के मध्य अन्तरा-आण्विक हाइड्रोजन आबन्धन पाये जाते हैं। ब्यूटेन में ध्रुवीय –OH समूह की अनुपस्थिति के कारण H-आबन्धन नहीं पाये जाते हैं। ये परस्पर दुर्बल वीण्डरवाल आकर्षण बलों द्वारा जुड़े रहते हैं।
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प्रश्न 5.
समतुल्य आण्विक भार वाले हाइड्रोकार्बनों की अपेक्षा ऐल्कोहॉल जल में अधिक विलेय होते हैं। इस तथ्य को समझाइए।
उत्तर
समतुल्य अणुभार वाले हाइड्रोकार्बनों की अपेक्षा ऐल्कोहॉल जल में अधिक विलेय होते हैं क्योंकि ऐल्कोहॉल अणु जल के साथ हाइड्रोजन आबन्धन बनाते हैं तथा जल के अणुओं के मध्य पहले से उपस्थित H-आबन्धों को तोड़ भी सकते हैं। हाइड्रोकार्बन ऐसा नहीं कर पाते हैं।

प्रश्न 6.
हाइड्रोबोरॉनीकरण-ऑक्सीकरण अभिक्रिया से आप क्या समझते हैं? इसे उदाहरण सहित समझाइए।
उत्तर
डाइबोरेन का ऐल्कीनों से योग द्वारा ट्राइऐल्किलबोरेन का निर्माण तथा इसके क्षारीय H2O2 द्वारा ऑक्सीकरण से ऐल्कोहॉल का निर्माण, यह अभिक्रिया हाइड्रोबोरॉनीकरण-ऑक्सीकरण कहलाती है।
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प्रश्न 7.
आण्विक सूत्र C7H8O वाले मोनोहाइड्रिक फीनॉलों की संरचनाएँ तथा आई०यू०पी०ए०सी० (IUPAC) नाम लिखिए।
उत्तर
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प्रश्न 8.
ऑर्थों तथा पैरा-नाइट्रोफीनॉलों के मिश्रण को भाप-आसवन द्वारा पृथक करने में भाप-वाष्पशील समावयवी का नाम बताइए। इसका कारण दीजिए।
उत्तर
o-नाइट्रोफीनॉल अन्त:अणुक हाइड्रोजन आबन्धन (intra-molecular hydrogen bonding) के कारण भाप वाष्पशील होता है, जबकि p-नाइट्रोफीनॉल अन्तरा-अणुक हाइड्रोजन आबन्धन (intermolecular hydrogen bonding) के कारण कम वाष्पशील होता है।

प्रश्न 9.
क्यूमीन से फीनॉल बनाने की अभिक्रिया का समीकरण दीजिए। (2018)
उत्तर
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प्रश्न 10.
क्लोरोबेन्जीन से फीनॉल बनाने की रासायनिक अभिक्रिया लिखिए। (2018)
उत्तर
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प्रश्न 11.
एथीन के जलयोजन से एथेनॉल प्राप्त करने की क्रियाविधि लिखिए।
उत्तर
किसी अम्ल की उपस्थिति में एथीन का जल से सीधा योग नहीं होता है। एथीन को सर्वप्रथम सान्द्र H2SO4 में प्रवाहित किया जाता है जिससे एथिल हाइड्रोजन सल्फेट बनता है।
H2SO4 → H+ + [latex]\overset { – }{ O } [/latex]SO2OH
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एथिल हाइड्रोजन सल्फेट एथिल हाइड्रोजन सल्फेट को जल के साथ उबालकर जल-अपघटन करने पर एथेनॉल बनता है।
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प्रश्न 12.
आपको बेन्जीन, सान्द्र H2SO4 और NaOH दिए गए हैं। इन अभिकर्मकों के उपयोग द्वारा फीनॉल के विरचन की समीकरण लिखिए। (2013, 18)
उत्तर
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प्रश्न 13.
आप निम्नलिखित को कैसे संश्लेषित करेंगे? दर्शाइए।

  1. एक उपयुक्त ऐल्कीन से 1-फेनिलएथेनॉल
  2. SN 2 अभिक्रिया द्वारा ऐल्किल हैलाइड के उपयोग से साइक्लोहेक्सिलमेथेनॉल
  3. एक उपयुक्त ऐल्किल हैलाइड के उपयोग से पेन्टेन-1-ऑल।

उत्तर
1. तनु H2SO4 की उपस्थिति में एथिनिलबेन्जीन से जल का योग 1-फेनिलएथेनॉल देता है।
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2. जलीय NaOH द्वारा साइक्लोहेक्सिलमेथिल ब्रोमाइड का जल-अपघटन साइक्लोहेक्सिलमेथेनॉल देता है।
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3. जलीय NaOH द्वारा 1-ब्रोमोप्रोपेन का जल-अपघटन प्रोपेन-1-ऑल देता है।
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प्रश्न 14.
ऐसी दो अभिक्रियाएँ दीजिए जिनसे फीनॉल की अम्लीय प्रकृति प्रदर्शित होती हो, फीनॉल की अम्लता की तुलना एथेनॉल से कीजिए।
उत्तर
फीनॉल की अम्लीय प्रकृति प्रदर्शित करने वाली अभिक्रियाएँ निम्नलिखित हैं –
(i) सोडियम से अभिक्रिया (Reaction with sodium) – फीनॉल सक्रिय धातुओं; जैसे–सोडियम से अभिक्रिया करके हाइड्रोजन मुक्त करता है।
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(ii) NaOH से अभिक्रिया (Reaction with NaOH) – फीनॉल NaOH में घुलकर सोडियम फीनॉक्साइड तथा जल बनाता है।
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फीनॉल तथा एथेनॉल की अम्लता की तुलना
(Comparison of Acidity of Phenol and Ethanol)
एथेनॉल की तुलना में फीनॉल अधिक अम्लीय होता है। इसका कारण यह है कि फीनॉल से एक प्रोटॉन निकल जाने के बाद प्राप्त फोनॉक्साइड आयन अनुनाद द्वारा स्थायित्व प्राप्त कर लेता है, जबकि एथॉक्साइड आयन (एथेनॉल से एक प्रोटॉन निकलने के बाद) स्थायी नहीं होता है।
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प्रश्न 15.
समझाइए कि ऑर्थों-नाइट्रोफीनॉल, ऑर्थों-मेथॉक्सीफीनॉल से अधिक अम्लीय क्यों होता है।
उत्तर
NO2 समूह के प्रबल –R तथा -[ प्रभाव के कारण O-H आबन्ध पर इलेक्ट्रॉन घनत्व घट जाता है, अत: प्रोटॉन आसानी से मुक्त हो जाता है।
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प्रोटॉन त्यागने के पश्चात् शेष बचा o-नाइट्रोफीनॉक्साइड आयन अनुनाद द्वारा स्थायित्व प्राप्त करता है।
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ऑर्थों-नाइट्रोफीनॉक्साइड आयन अनुनाद स्थायी होता है, अत: 0- नाइट्रोफीनॉल एक प्रबल अम्ल है। दूसरी तरफ OCH3 समूह के +R प्रभाव के कारण O–H आबन्ध पर इलेक्ट्रॉन घनत्व बढ़ जाता है, अत: प्रोटॉन का निष्कासन कठिन हो जाता है।
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अब o- मेथॉक्सीफोनॉक्साइड आयन जो कि प्रोटॉन के खोने के बाद शेष रहता है, अनुनाद के कारण विस्थायी (destablized) हो जाता है।
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दो ऋणावेश परस्पर प्रतिकर्षित करते हैं तथा 0-मेथॉक्सीफीनॉक्साइड आयन को विस्थायी (destablize) करते हैं, अत: o-नाइट्रोफीनॉल, o-मेथॉक्सीफीनॉल से अधिक अम्लीय होता है।

प्रश्न 16.
समझाइए कि बेन्जीन वलय से जुड़ा–OH समूह उसे इलेक्ट्रॉनरागी प्रतिस्थापन के प्रति कैसे सक्रियित करता है?
उत्तर
फीनॉल को निम्नलिखित संरचनाओं को अनुनादी संकर माना जाता है –
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–OH समूह का + R प्रभाव बेन्जीन वलय पर इलेक्ट्रॉन घनत्व बढ़ा देता है जिससे इलेक्ट्रॉनस्नेही की आक्रमण सरल हो जाता है। अतः –OH समूह की उपस्थिति से बेन्जीन वलय इलेक्ट्रॉनस्नेही प्रतिस्थापन क्रियाओं के प्रति सक्रियित होती है। चूंकि ऑथों तथा पैरा स्थानों पर इलेक्ट्रॉन घनत्व आपेक्षिक रूप से उच्च होता है, अत: इलेक्ट्रॉनस्नेही प्रतिस्थापन मुख्यत: ऑर्थों तथा पैरा स्थानों पर अधिक होता है।

प्रश्न 17.
निम्नलिखित अभिक्रियाओं के लिए समीकरण दीजिए –
(i) प्रोपेन-1-ऑल का क्षारीय KMnO4 के साथ ऑक्सीकरण
(ii) ब्रोमीन की CS2 में फीनॉल के साथ अभिक्रिया
(iii) तनु HNO3 की फीनॉल से अभिक्रिया
(iv) फीनॉल की जलीय NaOH की उपस्थिति में क्लोरोफॉर्म के साथ अभिक्रिया।
उत्तर
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प्रश्न 18.
निम्नलिखित को उदाहरण सहित समझाइए –

  1. कोल्बे अभिक्रिया (2018)
  2. राइमर-टीमैन अभिक्रिया
  3. विलियमसन ईथर संश्लेषण
  4. असममित ईथर।

उत्तर
1. पाठ्यनिहित प्रश्न संख्या 9 (ii) देखिए।
2. पाठ्यनिहित प्रश्न संख्या 9 (i) देखिए।
3. विलियमसन ईथर संश्लेषण (Williamson Ether Synthesis) – यह सममित और असममित ईथरों को बनाने की एक महत्त्वपूर्ण प्रयोगशाला विधि है। इस विधि में ऐल्किल हैलाइड की सोडियम ऐल्कॉक्साइड के साथ अभिक्रिया कराई जाती है।
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प्रतिस्थापित (द्वितीयक अथवा तृतीयक) ऐल्किल समूह युक्त ईथर भी इस विधि द्वारा बनाए जा सकते हैं। इस अभिक्रिया में प्राथमिक ऐल्किल हैलाइड पर ऐल्कॉक्साइड आयन का (SN 2) आक्रमण होता है।
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यदि ऐल्किल हैलाइड प्राथमिक होता है तो अच्छे परिणाम प्राप्त होते हैं। द्वितीयक एवं तृतीयक ऐल्किल हैलाइडों की अभिक्रिया में विलोपन, प्रतिस्पर्धा में प्रतिस्थापन से आगे होता है। यदि तृतीयक ऐल्किल हैलाइड का उपयोग किया जाए तो उत्पाद के रूप में केवल ऐल्कीन प्राप्त होती है तथा कोई ईथर नहीं बनता। उदाहरणार्थ– CH3ONa की (CH3)3C-BF के साथ अभिक्रिया द्वारा केवल 2-मेथिलप्रोपीन प्राप्त होती है।
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4. असममित ईथर (Unsymmetrical ethers) – यदि ऑक्सीजन परमाणु से जुड़े ऐल्किल या ऐरिल समूह भिन्न-भिन्न होते हैं तो ईथर को असममित ईथर कहा जाता है। उदाहरणार्थ– एथिल मेथिल ईथर, मेथिल फेनिल ईथर आदि।
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प्रश्न 19.
एथेनॉल के अम्लीय निर्जलन से एथीन प्राप्त करने की क्रियाविधि लिखिए।
उत्तर
क्रियाविधि (Mechanism) – एथेनॉल के अम्लीय निर्जलन से एथीन प्राप्त करने की क्रियाविधि निम्नलिखित पदों में सम्पन्न होती है –
प्रथम पद : प्रोटॉनित ऐल्कोहॉल का बनना (Formation of protonated alcohol) –
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द्वितीय पद : कार्बोधनायन का बनना (Formation of Carbocation) – यह सबसे धीमा पद है, अतः यह अभिक्रिया का दर निर्धारक पद होता है।
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तृतीय पद : प्रोटॉन के निकल जाने से एथीन को बनना (Formation of ethene by elimination of a proton) –
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प्रथम पद में प्रयुक्त अम्ल, अभिक्रिया के तृतीय पद में मुक्त हो जाता है। साम्य को दायीं ओर विस्थापित करने के लिए एथीन बनते ही निष्कासित कर ली जाती है।

प्रश्न 20.
निम्नलिखित परिवर्तनों को किस प्रकार किया जा सकता है?
(i) प्रोपीन → प्रोपेन-2-ऑल
(ii) बेन्जिल क्लोराइड → बेन्जिल ऐल्कोहॉल
(iii) एथिल मैग्नीशियम क्लोराइड → प्रोपेन-1-ऑल
(iv) मेथिल मैग्नीशियम ब्रोमाइड → 2-मेथिलप्रोपेन-2-ऑल।
उत्तर
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प्रश्न 21.
निम्नलिखित अभिक्रियाओं में प्रयुक्त अभिकर्मकों के नाम बताइए –

  1. प्राथमिक ऐल्कोहॉल का कार्बोक्सिलिक अम्ल में ऑक्सीकरण
  2. प्राथमिक ऐल्कोहॉल का ऐल्डिहाइड में ऑक्सीकरण
  3. फीनॉल का 2, 4, 6-ट्राइब्रोमोफीनॉल में ब्रोमीनीकरण
  4. बेन्जिल ऐल्कोहॉल से बेन्जोइक अम्ल
  5. प्रोपेन-2-ऑल का प्रोपीन में निर्जलन ।
  6. ब्यूटेन-2-ऑन से ब्यूटेन-2-ऑल।

उत्तर

  1. अम्लीकृत पोटैशियम डाइक्रोमेट या उदासीन, अम्लीय या क्षारीय KMnO4
  2. पिरीडीनियम क्लोरोक्रोमेट (PCC), C5H5NH+Cr CrO3Cl (CH2Cl2 में)
    या पिरीडीनियम डाइक्रोमेट (PDC), (C5H5[latex]\overset { + }{ N }[/latex]H)2Cr2O7 (CH2Cl2 में)
  3. जलीय ब्रोमीन अर्थात् Br2/H2O
  4. अम्लीकृत या क्षारीय KMnO4
  5. सान्द्र H2SO4 (443 K पर)
  6. Ni/H2 या LiAlH4 या NaBH4

प्रश्न 22.
कारण बताइए कि मेथॉक्सीमेथेन की तुलना में एथेनॉल का क्वथनांक उच्च क्यों होता है?
उत्तर
ऋणविद्युती ऑक्सीजन परमाणु के हाइड्रोजन परमाणु से जुड़े होने के कारण एथेनॉल में अन्तरा-अणुक हाइड्रोजन आबन्धन पाया जाता है जिसके परिणामस्वरूप एथेनॉल संयुग्मी अणु के रूप में पाया जाता है। H-आबन्धों को तोड़ने के लिए ऊर्जा की अत्यधिक मात्रा की आवश्यकता पड़ती है। अतः एथेनॉल का क्वथनांक मेथॉक्सीमेथेन, जो कि हाइड्रोजन आबन्धन नहीं बनाता है, से उच्च होता है।

प्रश्न 23.
निम्नलिखित ईथरों के आई०यू०पी०ए०सी० (IUPAC) नाम दीजिए –
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उत्तर
(i) 1.एथॉक्सी-2-मेथिलप्रोपेन
(ii) 2-क्लोरो-1-मेथॉक्सीएथेन
(iii) 4.नाइट्रोऐनिसोल
(iv) 1-मेथॉक्सीप्रोपेन
(v) 4-एथॉक्सी-1,1-डाइमेथिलसाइक्लोहेक्सेन
(vi) एथॉक्सीबेन्जीन

प्रश्न 24.
निम्नलिखित ईथरों को विलियमसन संश्लेषण द्वारा बनाने के लिए अभिकर्मकों के नाम एवं समीकरण लिखिए –
(i) 1-प्रोपॉक्सीप्रोपेन
(ii) एथॉक्सीबेन्जीन
(iii) 2-मेथॉक्सी-2-मेथिलप्रोपेन
(iv) 1-मेथॉक्सीएथेन।
उत्तर
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प्रश्न 25.
कुछ विशेष प्रकार के ईथरों को विलियमसन संश्लेषण द्वारा बनाने की सीमाओं को उदाहरणों से समझाइए।
उत्तर
विलियमसन संश्लेषण को तृतीयक ऐल्किल हैलाइडों को बनाने में प्रयुक्त नहीं किया जा सकता है, चूंकि इससे ईथर के स्थान पर ऐल्कीन प्राप्त होते हैं। उदाहरणार्थ– CH3ONa की (CH3)3C-Br के साथ अभिक्रिया द्वारा केवल 2-मेथिलप्रोपीन प्राप्त होती है।
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ऐसा इसलिए होता है क्योंकि ऐल्कॉक्साइड ने केवल नाभिकरागी होते हैं, अपितु प्रबल क्षारक भी होते हैं। वे ऐल्किल हैलाइडों के साथ विलोपन, अभिक्रिया देते हैं।

प्रश्न 26.
प्रोपेन-1-ऑल से 1-प्रोपॉक्सीप्रोपेन को किस प्रकार बनाया जाता है? इस अभिक्रिया की क्रियाविधि लिखिए।
उत्तर
निम्नलिखित विधि का प्रयोग किया जाता है –
(a) विलियमसन संश्लेषण द्वारा (By Williamson synthesis)
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(b) 413 K पर 1-प्रोपेनॉल का सान्द्र H2SO4 के साथ निर्जलन द्वारा (By dehydration of 1-propanol with conc. H2SO4 at 413 K)
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प्रश्न 27.
द्वितीयकृ अथवा तृतीयक ऐल्कोहॉलों के अम्लीय निर्जलन द्वारा ईथरों को बनाने की विधि उपयुक्त नहीं है। कारण बताइए।
उत्तर
प्राथमिक ऐल्कोहॉलों का ईथरों में अम्लीय निर्जलन SN 2 क्रियाविधि द्वारा होता है जिसमें ऐल्कोहॉल अणु का नाभिकस्नेही आक्रमण प्रोटॉनीकृत ऐल्कोहॉल अणु पर होता है।
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इन परिस्थितियों में द्वितीयक तथा तृतीयक ऐल्कोहॉल ईथरों के स्थान पर ऐल्कीन देते हैं। प्रोटॉनीकृत ऐल्कोहॉल अणु पर ऐल्कोहॉल अणु का नाभिकस्नेही आक्रमण नहीं होता है। इसके स्थान पर प्रोटॉनीकृत द्वितीयक तथा तृतीयक ऐल्कोहॉल जल का एक अणु खोकर स्थायी 2° तथा 3° कार्बोधनायन बनाते हैं। ये कार्बोधनायन वरीयता से H+ खोकर ऐल्कीन बनाते हैं।
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समान प्रकार से 3° ऐल्कोहॉल ईथरों के स्थान पर ऐल्कीन देते हैं।
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प्रश्न 28.
हाइड्रोजन आयोडाइड की निम्नलिखित के साथ अभिक्रिया के लिए समीकरण लिखिए –
(i) 1-प्रोपॉक्सीप्रोपेन
(ii) मेथॉक्सीबेन्जीन तथा
(iii) बेन्जिल एथिल ईथर।
उत्तर
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प्रश्न 29.
ऐरिल ऐल्किल ईथरों में निम्नलिखित तथ्यों की व्याख्या कीजिए –

  1. ऐल्कॉक्सी समूह बेन्जीन वलय को इलेक्ट्रॉनरागी प्रतिस्थापन के प्रति सक्रियित करता है। तथा
  2. यह प्रवेश करने वाले प्रतिस्थापियों को बेन्जीन वलय की ऑर्थोएवं पैरास्थितियों की ओर निर्दिष्ट करता है।

उत्तर
1. ऐरिल ऐल्किल ईथरों में ऐल्कॉक्सी समूह +R प्रभाव के कारण बेन्जीन वलय पर इलेक्ट्रॉन घनत्व बढ़ा देता है तथा बेन्जीन वलय को इलेक्ट्रॉनस्नेही प्रतिस्थापन अभिक्रियाओं के प्रति सक्रिय करता है।
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2. चूँकि इलेक्ट्रॉन घनत्व m-स्थानों की तुलना में ऑर्थो तथा पैरा स्थानों पर अधिक हो जाता है, इसलिए इलेक्ट्रॉनस्नेही प्रतिस्थापन अभिक्रियाएँ मुख्यत: ऑर्थों तथा पैरा स्थानों पर होती हैं।
उदाहरणार्थ
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ऐरोमैटिक ईथर फ्रीडेल-क्राफ्ट ऐल्किलीकरण तथा फ्रीडेल-क्राफ्ट ऐसिलीकरण अभिक्रियाएँ भी देते हैं।
उदाहरणार्थ
UP Board Solutions for Class 12 Chemistry Chapter 11 Alcohols Phenols and Ethers image 73

प्रश्न 30.
मेथॉक्सीमेथेन की HI के साथ अभिक्रिया की क्रियाविधि लिखिए।
उत्तर
मेथॉक्सीमेथेन तथा HI की सममोलर मात्राएँ मेथिल ऐल्कोहॉल तथा मेथिल आयोडाइड का मिश्रण बनाती हैं। अभिक्रिया की क्रियाविधि इस प्रकार है –
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यदि HI की अधिक मात्रा का प्रयोग किया जाता है तो द्वितीय पद में बना मेथेनॉल निम्नलिखित क्रियाविधि द्वारा मेथिल आयोडाइड में परिवर्तित हो जाता है –
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प्रश्न 31.
निम्नलिखित अभिक्रियाओं के लिए समीकरण लिखिए –

  1. फ्रीडेल-क्राफ्ट अभिक्रिया-ऐनिसोल का ऐल्किलीकरण
  2. ऐनिसोल का नाइट्रीकरण
  3. एथेनोइक अम्ल माध्यम में ऐनिसोल का ब्रोमीनीकरण
  4. ऐनिसोल का फ्रीडेल-क्राफ्ट ऐसीटिलीकरण।

उत्तर
1. फ्रीडेल-क्राफ्ट अभिक्रिया (Friedel-Crafts reaction) – ऐनिसोल फ्रीडेल-क्राफ्ट अभिक्रिया दर्शाता है अर्थात् निर्जलीय ऐलुमिनियम क्लोराइड (लुईस अम्ल) उत्प्रेरक की उपस्थिति में ऐल्किल हैलाइड से अभिक्रिया होने पर ऐल्किल समूह ऑर्थों तथा पैरास्थितियों पर निर्देशित हो जाता है।
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2. ऐनिसोल को नाइट्रीकरण (Nitration of Anisole) – ऐनिसोल की अभिक्रिया सान्द्र सल्फ्यूरिक अम्ल तथा सान्द्र नाइट्रिक अम्ल के मिश्रण से कराने पर ऑथों तथा पैरा-नाइट्रोऐनिसोल का मिश्रण प्राप्त होता है।
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3. एथेनोइक अम्ल के माध्यम में ऐनिसोल का ब्रोमीनीकरण ( हैलोजेनीकरण) [Bromination of Anisole in medium of Ethanoic Acid (Halogenation)] – फेनिलऐल्किल ईथर बेन्जीन वलय में सामान्य हैलोजेनीकरण दर्शाते हैं; उदाहरणार्थ– ऐनिसोल आयरन (II) ब्रोमाइड उत्प्रेरक की अनुपस्थिति में भी एथेनोइक अम्ल माध्यम में ब्रोमीन के साथ ब्रोमीनीकरण दर्शाता है। ऐसा मेथॉक्सी समूह द्वारा बेन्जीन वलय को सक्रियत करने के कारण होता है। पैरा समावयव की 90% मात्रा प्राप्त होती है।
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4. ऐनिसोल का फ्रीडेल-क्राफ्ट ऐसीटिलीकरण (Friedel-Crafts acetylation of anisole) –
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प्रश्न 32.
उपयुक्त ऐल्कीनों से आप निम्नलिखित ऐल्कोहॉलों का संश्लेषण कैसे करेंगे?
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उत्तर
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4-मेथिलहेप्ट-3-ईन से अम्ल की उपस्थिति में H2O के योग से वांछित ऐल्कोहॉल प्राप्त होता है।
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पेन्ट-1-ईन से H2O का योग होने पर वांछित ऐल्कोहॉल प्राप्त होता है।
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अतः वांछित ऐल्कीन पेन्ट-2-ईन के स्थान पर पेन्ट-1-ईन होगा।
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इनमें से किसी भी ऐल्कीन से अम्ल की उपस्थिति में H2O के योग से वांछित ऐल्कोहॉल प्राप्त होता है।
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प्रश्न 33.
3-मेथिलब्यूटेन-2-ऑल को HBr से अभिकृत कराने पर अग्रलिखित अभिक्रिया होती है –
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[संकेत-चरण II में प्राप्त द्वितीयक कार्बोकैटायन हाइड्राईड आयन विचलन के कारण पुनर्विन्यासित होकर स्थायी तृतीयक कार्बोकैटायन बनाते हैं।
उत्तर
दिए गए ऐल्कोहॉल के प्रोटॉनित होकर जल के अणु को निष्कासित करने पर 2° काबकैटायन (I) प्राप्त होता है जो अस्थायी होने के कारण 1,2-हाइड्राइड शिफ्ट द्वारा पुनर्व्यवस्थित होकर अधिक स्थायी 3° कार्बोकिटायन (II) देता है। इस कार्योकैटायन (II) पर Br आयन की नाभिकरागी अभिक्रिया अन्तिम उत्पाद देती है।
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परीक्षोपयोगी प्रश्नोत्तर

बहुविकल्पीय प्रश्न
प्रश्न 1.
ऐल्केनॉल समजात श्रेणी को प्रदर्शित करने वाला सामान्य सूत्र है
(i) CnH2n+2O
(ii) CnH2nO2
(iii) CnH2nO
(iv) CnH2n+1O
उत्तर
(i) CnH2n+2O

प्रश्न 2.
CH3-O-CH3 का सामान्य एवं IUPAC नाम क्या है? (2013)
(i) क्रमश: डाइमेथिल ईथर व मेथॉक्सी मेथेन
(ii) क्रमश: डाइमेथिल ईथर व मेथॉक्सी एथेन
(iii) क्रमश: डाइएथिल ईथर व मेथॉक्सी मेथेन
(iv) क्रमशः डाइएथिल ईथर व मेथॉक्सी एथेन
उत्तर
(i) क्रमश: डाइमेथिल ईथर व मेथॉक्सी मेथेन

प्रश्न 3.
ग्लूकोस को एथिल ऐल्कोहॉल में परिवर्तित करने के लिए प्रयुक्त एन्जाइम है – (2016)
(i) इनवटेंस
(ii) जाइमेस
(iii) डायस्टेस
(iv) ये सभी
उत्तर
(ii) जाइमेस

प्रश्न 4.
जब एक ऐल्कोहॉल सान्द्र H2SO4 से क्रिया करता है, तब निर्मित मध्यवर्ती है –
(i) कार्बोधनायन
(ii) ऐल्कॉक्सी आयन
(iii) ऐल्किल हाइड्रोजन सल्फेट
(iv) इनमें से कोई नहीं
उत्तर
(i) कार्बोधनायन

प्रश्न 5.
तनु अम्ल की उपस्थिति में आइसोप्रोपिल ऐल्कोहॉल वायु-ऑक्सीकृत होकर देता है –
(i) C6H5COOH
(ii) C6H5COCH3
(iii) C6H5CHO
(iv) C6H5OH
उत्तर
(iv) C6H5OH

प्रश्न 6.
फीनॉल पहले सान्द्र सल्फ्यूरिक अम्ल से क्रिया करता है, फिर सान्द्र नाइट्रिक अम्ल से क्रिया करके देता है – (2017)
(i) p-नाइट्रोफीनॉल
(ii) नाइट्रोबेंजीन
(iii) 2, 4, 6-ट्राइनाइट्रोबेंजीन
(iv) 0-नाइट्रोफीनॉल
उत्तर
(iv) 0-नाइट्रोफीनॉल

प्रश्न 7.
सान्द्र H2SO4 की उपस्थिति में फीनॉल को थैलिक ऐनहाइड्राइड के साथ गर्म करने पर बनता है – (2017)
(i) थैलिक अम्ल
(ii) फीनोन
(iii) क्वीनोन
(iv) फिनॉल्फ्थे लीन
उत्तर
(iv) फिनॉल्फ्थेलीन

प्रश्न 8.
निम्नलिखित में पिक्रिक अम्ल है – (2017)
(i) ०-हाइड्रॉक्सी बेन्जोइक अम्ल
(ii) m-नाइट्रोबेन्जोइक अम्ल
(iii) 2, 4, 6-ट्राइनाइट्रो फीनॉल
(iv) ०, ऐमीनो बेन्जोइक अम्ल
उत्तर
(iii) 2, 4, 6-ट्राइनाइट्रो फीनॉल

प्रश्न 9.
आयोडोफॉर्म परीक्षण देने वाला यौगिक है – (2017)
(i) CH3CH2COCH2CH3
(ii) (CH3)2CHOH
(iii) CH3CH2COC6H5
(iv) CH3CH2CH2-OH
उत्तर
(ii) (CH3)2CHOH

प्रश्न10.
ल्यूकास अभिकर्मक का प्रयोग मोनोहाइड्रिक ऐल्कोहॉल के विभेद में किया जाता है – (2017)
(i) प्राथमिक
(ii) द्वितीयक
(iii) तृतीयक
(iv) इनमें से सभी
उत्तर
(iv) इनमें से सभी

प्रश्न 11.
फीनॉल का 0.20% विलयन निम्न में से किस रूप में कार्य करता है? (2016)
(i) ऐन्टीसेप्टिक
(ii) प्रतिऑक्सीकारक
(iii) ज्वरनाशक
(iv) ऐन्टीबायोटिक
उत्तर
(i) ऐन्टीसेप्टिक

प्रश्न 12.
जब ऐल्किल हैलाइड को शुष्क Ag2O के साथ गर्म करते हैं, तब यह बनाता है –
(i) एस्टर।
(ii) ईथर
(iii) कीटोन
(iv) ऐल्कोहॉल
उत्तर
(ii) ईथर

प्रश्न13.
क्लोरोबेन्जीन की क्रिया क्यूप्रस ऑक्साइड की उपस्थिति में अमोनिया से कराने पर प्राप्त होता है – (2017)
(i) फीनॉल
(ii) एनिलीन
(iii) बेन्जीन
(iv) बेन्जोइक ऐसिड
उत्तर
(ii) ऐनिलीन

प्रश्न 14.
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(i) एथेन
(ii) एथिलीन
(iii) ब्यूटेन
(iv) प्रोपेन
उत्तर
(i) एथेन

अतिलघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
प्राथमिक ऐल्कोहॉल की तुलना में t-ब्यूटिल ऐल्कोहॉल धात्विक सोडियम से कम तेजी से क्रिया करता है, क्यों?
उत्तर
तृतीयक ब्यूटिल ऐल्कोहॉल में केन्द्रीय C-परमाणु पर उपस्थित तीन -CH3 समूहों की उपस्थिति के कारण यह आंशिक ऋणावेशित हो जाता है जिसके परिणामस्वरूप यह O-H के इलेक्ट्रॉन युग्म को हाइड्रोजन परमाणु की ओर धकेलता है, अत: H-परमाणु आसानी से प्रतिस्थापित नहीं होता है।

प्रश्न 2.
C2H5OH तथा CH3OCH3 दोनों के अणुभार समान हैं किन्तु कमरे के ताप पर C2H5OH द्रव है तथा CH3OCH3 गैस है क्यों? (2015)
उत्तर
C2H5OH के अणुओं के मध्य अन्तराणुक हाइड्रोजन बन्ध बनता है जिसके कारण इसके अणुओं का संगुणन हो जाता है और यह द्रव अवस्था में रहता है जबकि CH3O-CH3 के अणुओं के मध्य हाइड्रोजन बंध नहीं है इसलिए यह गैस है।

प्रश्न 3.
दुर्बल ऐल्कोहॉल जल में विलेय होते हैं प्रबल ऐल्कोहॉल नहीं, क्यों?
उत्तर
दुर्बल ऐल्कोहॉल जल के साथ H-आबन्ध बनाते हैं, लेकिन प्रबल ऐल्कोहॉल वृहद् जलविरागी भाग के कारण H-आबन्ध नहीं बना सकते हैं।

प्रश्न 4.
क्या होता है जब एथेनॉल को 453 K पर सान्द्र सल्फ्यूरिक अम्ल के साथ गर्म किया जाता है? अभिक्रिया की क्रियाविधि समझाइए।
उत्तर
जब एथेनॉल को 453 K पर सान्द्र सल्फ्यूरिक अम्ल के साथ गर्म किया जाता है, तब एथीन बनती है।
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प्रश्न 5.
सैटजैफ नियम को उदाहरण सहित लिखिए। (2017)
उत्तर
मोनोहाइड्रिक ऐल्कोहॉल को सान्द्र H2SO4 के साथ 160 – 170°C पर गर्म करने पर ऐल्कोहॉल का –OH तथा α-hydrogen परमाणु मिलकर H2O के अणु के रूप में निकल जाते हैं तथा एथिलीन बनती हैं।
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प्रश्न 6.
आप मेथिल ऐल्कोहॉल और एथिल ऐल्कोहॉल में विभेद कैसे करेंगे? (केवल एक रासायनिक परीक्षण तथा अभिक्रिया का समीकरण दीजिए)। (2013, 16)
उत्तर
मेथिल ऐल्कोहॉल और एथिल ऐल्कोहॉल में विभेद आयोडोफॉर्म परीक्षण द्वारा किया जा सकता है। एथिल ऐल्कोहॉल को जब आयोडीन तथा जलीय सोडियम हाइड्रॉक्साइड या जलीय सोडियम कार्बोनेट विलयन के साथ गर्म करते हैं तो पीला क्रिस्टलीय ठोस आयोडोफॉर्म बनता है।
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मेथिल ऐल्कोहॉल आयोडोफॉर्म परीक्षण नहीं देता है।

प्रश्न 7.
एथेनॉल के उपयोग लिखिए। (2016)
उत्तर
एथेनॉल के प्रमुख उपयोग निम्नवत् हैं –

  1. मेथिलित स्पिरिट बनाने में।
  2. पेन्ट, वार्निश, गोंद, सल्फर, आयोडीन आदि के विलयन के रूप में।

प्रश्न 8.
निम्नलिखित यौगिकों को अम्ल की बढ़ती हुई प्रबलता के क्रम में लिखिए- (2015)
(i) Phenol
(ii) 0-Cresol
(iii) m-Cresol
(iv) p-Cresol
उत्तर
o-Cresol < p-Cresol < m-Cresol < Phenol अम्ल की प्रबलता का बढ़ता हुआ क्रम है।

प्रश्न 9.
फीनॉल का लीबरमान अभिक्रिया द्वारा परीक्षण लिखिए। (2013, 18)
उत्तर
जब फीनॉल सान्द्र सल्फ्यूरिक अम्ल में घुले सोडियम नाइट्राइट से अभिक्रिया करता है तो नीला या हरा रंग प्रकट होता है। क्रियाकारी मिश्रण को जल से तनु करने पर रंग लाल हो जाता है तथा आधिक्य में NaOH मिलाने पर रंग पुनः नीला हो जाता है। इस अभिक्रिया को ही लीबरमान अभिक्रिया कहते हैं।
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प्रश्न 10.
आण्विक सूत्र C4H10O वाले सभी सम्भव ईथरों के संरचना सूत्र लिखिए। (2017, 18)
उत्तर
(i) C2H5-O-C2H5 डाइएथिल ईथर
(ii) CH3-O-CH2-CH2-CH3 मेथिल n-प्रोपिल ईथर
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प्रश्न 11.
उदाहरण देते हुए समझाइए कि ईथर लूइस-बेस के समान व्यवहार करता है और अम्लों के साथ क्रिया करके ऑक्सोनियम लवण बनाता है। (2014)
उत्तर
ईथर अणु में ऑक्सीकरण परमाणु पर दो एकाकी इलेक्ट्रॉन युग्म उपस्थित होते हैं जिसके कारण यह प्रबल अम्लों के प्रति क्षारक जैसा व्यवहार प्रदर्शित करता है। ईथर (C2H5-O-C2H5) सान्द्र H2SO4 के साथ ऑक्सोनियम लवण बनाता है।
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प्रश्न 12.
ईथर पर क्लोरीन की अभिक्रिया निरूपित कीजिए। (2009, 10)
उत्तर
ईथरों की क्रिया क्लोरीन से कराने पर ईथरों में कार्बन परमाणु पर प्रतिस्थापन होता है। उदाहरणार्थ– डाइएथिल ईथर अंधेरे में क्लोरीन से क्रिया करके 1, 1 -डाइक्लोरो- डाइएथिल ईथर बनाता है।
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प्रकाश की उपस्थिति में परक्लोरोडाइएथिल ईथर बनता है।
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लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
यौगिक C4H10O एक ऐल्केन की H2SO4/H2O के साथ क्रिया से निर्मित होता है जो कि प्रकाशिक समावयवियों में पृथक नहीं होता है। यौगिक की पहचान कीजिए।
उत्तर
सूत्र सुझाता है कि यौगिक एक ऐल्कोहॉल है। चूंकि यह समावयवियों में पृथक् नहीं होता है अतः यह सममित है तथा यह तृतीयक ब्यूटिल ऐल्कोहॉल है। संगत ऐल्केन आइसोब्यूटेन है। ऐल्कोहॉल का निर्माण निम्नवत् होता है –
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प्रश्न 2.
मेथिल ऐल्कोहॉल बनाने की दो विधियों का वर्णन कीजिए। आवश्यक रासायनिक समीकरण भी लिखिए मेथिल ऐल्कोहॉल से डाइमेथिल ईथर कैसे प्राप्त करेंगे? (2016)
उत्तर
मेथिल ऐल्कोहॉल बनाने की दो विधियाँ निम्नवत् हैं –
1. मेथेन के ऑक्सीकरण द्वारा मेथिल ऐल्कोहॉल का निर्माण – मेथेन और ऑक्सीजन के 9 : 1 (आयतन से) मिश्रण को 100 वायुमण्डल दाब और 200°C ताप पर कॉपर की नली में से प्रवाहित करने पर मेथेन का मेथिल ऐल्कोहॉल में ऑक्सीकरण होता है।
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2. कार्बन मोनॉक्साइड के हाइड्रोजनीकरण द्वारा मेथिल ऐल्कोहॉल का निर्माण – उच्च ताप (300- 400°C) और उच्च दाब (200- 300 atm) पर ZnO – Cr2O3 उत्प्रेरक की उपस्थिति में कार्बन मोनॉक्साइड का हाइड्रोजनीकरण करने पर मेथिल ऐल्कोहॉल बनता है।
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मेथिल ऐल्कोहॉल से डाइमेथिल ईथर का निर्माण – मेथिल ऐल्कोहॉल की अधिकता में 140°C पर डाइमेथिल ईथर बनता है।
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प्रश्न 3.
मेथिल ऐल्कोहॉल से एथिल ऐल्कोहॉल कैसे प्राप्त करेंगे? (2015, 16)
उत्तर
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प्रश्न 4.
प्राथमिक, द्वितीयक तथा तृतीयक ऐल्कोहॉलों में विभेद करने वाला एक रासायनिक परीक्षण लिखिए। समीकरण भी दीजिए। (2009)
या
ल्यूकास परीक्षण क्या है ? यह किस प्रकार के यौगिकों की पहचान में उपयोगी है? (2010, 12, 17, 18)
उत्तर
ल्यूकास परीक्षण – यह प्राइमरी, सेकण्डरी तथा टर्शियरी ऐल्कोहॉलों में विभेद करने की अत्यन्त सरल विधि है। यह भिन्न-भिन्न ऐल्कोहॉलों की ‘ल्यूकास अभिकर्मक’ (सान्द्र HCl + निर्जल ZnCl2) के प्रति भिन्न-भिन्न गति से अभिक्रिया करने पर आधारित है। किसी ऐल्कोहॉल में ल्यूकास अभिकर्मक मिलाने पर ऐल्किल क्लोराइड बनते हैं जिससे धुंधलापन उत्पन्न होता है। इस प्रकार,
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  1. कमरे के ताप पर टर्शियरी ऐल्कोहॉल तुरन्त धुंधलापन उत्पन्न करते हैं।
  2. कमरे के ताप पर सेकण्डरी ऐल्कोहॉल 5-10 मिनट बाद धुंधलापन उत्पन्न करते हैं।
  3. कमरे के ताप पर प्राइमरी ऐल्कोहॉल धुंधलापन उत्पन्न नहीं करते हैं; अत: विलयन पारदर्शक होता है।

प्रश्न 5.
सोडियम एथॉक्साइड तथा निर्जल ऐल्कोहॉल की उपस्थिति में फीनॉल तथा एथिल आयोडाइड की क्रिया से प्राप्त मुख्य उत्पाद डाइएथिल ईथर होता है, फेनीटोल नहीं। क्यों?
उत्तर
एथॉक्साइड आयन की उपस्थिति में फीनॉल फीनेट आयन (C6H5O) में परिवर्तित हो जाता है, इस पर नाभिकस्नेही C2H5I के आक्रमण से अपेक्षित फेनीटोल प्राप्त होना चाहिए लेकिन C2H5O, C6H5O की तुलना में फेनिल समूह की इलेक्ट्रॉन निष्कासक (electron withdrawing) प्रवृत्ति के कारण प्रबल नाभिकस्नेही (nucleophile) होता है, अत: C2H5O आयन C2H5I से क्रिया करके उत्पाद में डाइएथिल ईथर बनाता है।
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फेनीटोल (C6H5-O-C2H5) लघु मात्रा में बन सकता है।

प्रश्न 6.
ऐल्कोहॉल, फीनॉल तथा ईथर के प्रमुख उपयोग लिखिए। (2016)
उत्तर
ऐल्कोहॉल के प्रमुख उपयोग निम्नवत् हैं

  1. मेथिल ऐल्कोहॉल तथा गैसोलीन का 20% मिश्रण एक श्रेष्ठ मोटर ईंधन है।
  2. इसका प्रयोग तेल, वसा तथा वार्निश के विलायक के रूप में किया जाता है।
  3. इसका प्रयोग स्वचालित वाहनों के रेडिएटरों में प्रतिशीतलक के रूप में किया जाता है।
  4. इसका प्रयोग रंजक, औषधियों तथा सुगन्धियों के निर्माण में किया जाता है।
  5. इसका प्रयोग टेरीलीन तथा पॉलीथीन के निर्माण में भी होता है।
  6. इसका प्रयोग ऐल्कोहॉलीय पेय पदार्थ बनाने में किया जाता है।

फीनॉल के प्रमुख उपयोग निम्नवत् हैं

  1. इसका प्रयोग पिक्रिक अम्ल (विस्फोटक) के निर्माण में तथा रेशम व ऊन के रंजन में किया जाता है।
  2. इसका प्रयोग साइक्लोहेक्सेनॉल विलायक के निर्माण में किया जाता है।
  3. इसका प्रयोग साबुन, लोशन तथा आयण्टमेण्ट में ऐण्टिसेप्टिक के रूप में किया जाता है।
  4. इसका प्रयोग ऐजो रंजक, फीनॉल्फ्थेलीन आदि के निर्माण में किया जाता है।
  5. इसका प्रयोग बैकेलाइट प्लास्टिक के निर्माण में किया जाता है।
  6. इसका प्रयोग ऐस्प्रिन, सेलॉल आदि औषधियों के निर्माण में किया जाता है।

ईथरों के प्रमुख उपयोग निम्नवत् हैं

  1. इनका सर्वाधिक प्रयोग प्रयोगशाला एवं उद्योगों में तेल, रेजिन, गोद आदि के विलायकों के रूप में किया जाता है।
  2. ईथर ग्रिगनार्ड अभिकर्मकों के बनाने तथा वुज अभिक्रिया में अभिकर्मक के रूप में प्रयुक्त होते हैं।
  3. ईथर का प्रयोग ‘सामान्य बेहोशीकारक (anaesthetic) के रूप में किया जाता है।
  4. ऐल्कोहॉल तथा ईथर के मिश्रण का प्रयोग पेट्रोल के विकल्प के रूप में किया जाता है।
  5. ईथर का प्रयोग प्रशीतक के रूप में किया जाता है क्योंकि यह वाष्पन पर ठण्डक उत्पन्न करता है। ईथर तथा शुष्क बर्फ (ठोस CO2) -110°C ताप उत्पन्न करता है।
  6. ईथर का प्रयोग धुआँरहित (smokeless) पाउडर बनाने में करते हैं। इनका प्रयोग सुगन्धी उद्योग में भी किया जाता है।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
निम्नलिखित को समझाइए – (2015)

  1. ऐल्कोहॉलों का अणुभार बढ़ने पर जल में इनकी विलेयता घटती है।
  2. पावर ऐल्कोहॉल क्या है? उसका उपयोग क्या है?
  3. फीनॉल अम्लीय होते हैं। क्यों? (2009, 11, 12, 13, 17)

उत्तर

  1. क्योंकि ऐल्किल समुह जलविरोधी होते हैं तथा जल में अविलेय हैं। निम्न ऐल्कोहॉल में ऐल्किल समूह छोटा होता है तथा ऐल्कोहॉल का -OH समूह अणु को जल में विलेय बनाने में प्रभावी रहता है। जैसे-जैसे ऐल्किल समूह का आकार बढ़ता है उच्च अणुभार के ऐल्कोहॉलों में ऐल्किल समूह की जल विरोधी प्रकृति -OH समूह की जल स्नेही प्रकृति पर प्रभावी होती जाती है इसलिए विलेयता घटती है।
  2. परिशोधित स्पिरिट बेंजीन की उपस्थिति में पेट्रोल में मिश्रित हो जाती है। पेट्रोल + औद्योगिक ऐल्कोहॉल और बेंजीन का मिश्रण मोटर ईंधन के रूप में प्रयुक्त किया जाता है। यह मिश्रण पावर
    ऐल्कोहॉल कहलाता है।
  3. फीनॉल को जल में घोलने पर यह H+ आयन तथा फीनॉक्साइड आयन देता है जो अनुनाद के कारण स्थायी होता है इसलिए फीनॉल अम्लीय गुण प्रदर्शित करता है।
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प्रश्न 2.
स्टार्च से एथिल ऐल्कोहॉल उत्पादन की औद्योगिक विधि का वर्णन कीजिए। सम्बन्धित रासायनिक अभिक्रियाओं के समीकरण लिखिए। परिशुद्ध ऐल्कोहॉल उत्पादन कैसे किया जाता है? (2009, 11, 12, 13)
उत्तर
स्टार्च से एथिल ऐल्कोहॉल के निर्माण में आलू, चावल, जौ आदि स्टार्चयुक्त पदार्थ कच्चे पदार्थ के रूप में प्रयुक्त होते हैं।
1. स्टार्च से वाश बनाना – अंकुरित जौ को उबालकर, पीसकर छानने से प्राप्त निष्कर्ष को माल्ट-निष्कर्ष (malt-extract) कहते हैं। इसमें डायस्टेस एन्जाइम होता है। स्टार्चयुक्त पदार्थों को छोटे-छोटे टुकड़ों में काटकर वे कुचलकर उच्च दाब तथा 150°C ताप पर भाप में गर्म करते हैं, जिससे एक पेस्ट बन जाता है। इस पदार्थ को मैश (mash) कहते हैं। इसमें स्टार्च होता है। मैश में माल्ट-निष्कर्ष मिलाकर उसे 50-60°C पर गर्म करते हैं। माल्ट-निष्कर्ष में उपस्थित डायस्टेस एन्जाइम स्टार्च को माल्टोस नामक शर्करा में जल-अपघटित कर देता है।
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माल्टोस के तनु विलयन में यीस्ट मिलाने पर, यीस्ट में उपस्थित माल्टेस एन्जाइम, माल्टोस को ग्लूकोस में जल अपघटित कर देता है, जिसे यीस्ट में उपस्थित जाइमेस एन्जाइम, एथिल ऐल्कोहॉल में अपघटित कर देता है, इससे प्राप्त विलयन को वाश कहते हैं, जिसमें लगभग 10% एथिल ऐल्कोहॉल होता है।
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2. वाश से शुद्ध एथिल ऐल्कोहॉल प्राप्त करना – वाश के प्रभाजी आसवन से एथिल ऐल्कोहॉल कॉफे भभके (Coffey’s still) द्वारा प्राप्त किया जाता है। इस भभके में दो प्रभाजक स्तम्भ होते हैं, इनमें एक विश्लेषक (analyser) और दूसरा परिशोधक (rectifier) कहलाता है। विश्लेषक तथा परिशोधक एक-दूसरे से जुड़े होते हैं। विश्लेषक ताँबे की प्लेटों द्वारा कई खानों में विभक्त रहता है। जिनके तल समान्तर रहते हैं। इन प्लेटों में छिद्र होते हैं, जिनमें ऊपर की ओर खुलने वाले वाल्व लगे। होते हैं। प्रत्येक से एक नली निकलकर अपने से नीचे वाले प्याले में डूबी रहती है। परिशोधक (rectifier) का निचला आधा अंश भी विश्लेषक (analyser) की भाँति इसी प्रकार खानों में विभक्त होता है।

वाश को शोधन में ले जाने वाली सर्पाकार नली में पम्प द्वारा विश्लेषक के ऊपर पहुँचाकर नीचे छोड़ा जाता है। विश्लेषक में नीचे से ऊपर की ओर भाप प्रवाहित की जाती है, जो नीचे आने वाले द्रव के वाष्पशील द्रव को वाष्पों में बदलकर ऊपर ले जाती है। यह वाष्प विश्लेषक से लगी नली द्वारा परिशोधक के नीचे पहुँचती है और फिर परिशोधक में ऊपर उठती है। परिशोधक के ऊपर एक नली लगी होती है जो एक संघनित्र से जुड़ी होती है। ऊपर आने वाली वाष्प इस नली से होती हुई परिशोधक के ऊपर पहुँचती है और ठण्डी होकर द्रवित हो जाती है। जिसमें 95.6% एथिल ऐल्कोहॉल होता है। इसको परिशोधित स्पिरिट (rectified spirit) कहते हैं। विश्लेषक (analyser) के पेंदे में बचा हुआ पदार्थ स्पेन्ट वाश (spent wash) कहलाता है।
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3. परिशोधित स्पिरिट का शोधन – कॉफे भभके से प्राप्त परिशोधित स्पिरिट में जल के अतिरिक्त, ग्लिसरीन, सक्सिनिक अम्ल, ऐसीटेल्डिहाइड और फ्यूजेल तेल आदि अशुद्धियाँ मिली होती हैं। इन | अशुद्धियों को दूर करने के लिए पहले परिशोधित स्पिरिट को कोयले के छन्ने में छान लेते हैं और फिर इसका प्रभाजी आसवन करते हैं। प्रभाजी आसवन से मुख्य तीन अंश मिलते हैं –

  1. प्रथम अंश-इसमें ऐसीटेल्डिहाइड होता है।
  2. द्वितीय अंश-इसमें 95.6% शुद्ध एथिल ऐल्कोहॉल तथा 4.4% जल होता है।
  3. अन्तिम अंश-इसमें फ्यूजेल तेल होता है। यह बहुत विषैला पदार्थ होता है, जिसके मिलाने पर एथिल ऐल्कोहॉल दवाइयाँ बनाने के लिए अयोग्य हो जाता है।

4. व्यापारिक मात्रा में परिशुद्ध ऐल्कोहॉल बनाना – परिशोधित स्पिरिट और बेंजीन के मिश्रण का प्रभाजी आसवन करने से 64.8°C पर जल, ऐल्कोहॉल तथा बेंजीन को स्थिर क्वथनी मिश्रण (constant boiling mixture) प्राप्त होता है। फिर 68.30°C पर बेंजीन तथा ऐल्कोहॉल का स्थिर क्वथनी मिश्रण अलग हो जाता है। इस मिश्रण को पुनः आसवित करने पर 78.3°C पर परिशुद्ध ऐल्कोहॉल पृथक् हो जाता है।

प्रश्न 3.
मोनोहाइड्रिक ऐल्कोहॉल बनाने की दो सामान्य विधियाँ लिखिए और एथिल ऐल्कोहॉल की सान्द्र सल्फ्यूरिक अम्ल के साथ भिन्न तापों पर अभिक्रिया लिखिए। उपर्युक्त अभिक्रियाओं से सम्बन्धित सभी समीकरण भी दीजिए। (2016)
उत्तर
मोनोहाइड्रिक ऐल्कोहॉल बनाने की सामान्य विधियाँ निम्नलिखित हैं –
1. ऐल्किल हैलाइडों के जल-अपघटन द्वारा – ऐल्किल हैलाइड (RX) को जलीय सोडियम हाइड्रॉक्साइड या नम (moist) सिल्वर ऑक्साइड के साथ गर्म करने पर ऐल्कोहॉल बनता है।
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2. एस्टरों के जल-अपघटन द्वारा – एस्टर का सोडियम हाइड्रॉक्साइड या पोटैशियम हाइड्रॉक्साइड विलयन द्वारा जल-अपघटन करने पर कार्बोक्सिलिक अम्ल का लवण और ऐल्कोहॉल बनते हैं।
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3. प्राथमिक ऐमीनों की नाइट्रस अम्ल से क्रिया द्वारा – ऐलिफैटिक प्राथमिक ऐमीन की नाइट्रस अम्ल (NaNO2 + HCl) से क्रिया कराने पर ऐल्कोहॉल बनता है और नाइट्रोजन गैस निकलती है।
NaNO2 + HCl → NaCl + HNO2
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उदाहरणार्थ– एथिलऐमीन की नाइट्रस अम्ल (NaNO2 + HCl) से क्रिया कराने पर एथिल ऐल्कोहॉल बनता है और नाइट्रोजन गैस निकलती है।
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4. ऐल्कीनों के जलयोजन द्वारा – सान्द्र सल्फ्यूरिक अम्ल में ऐल्कीन को अवशोषित करने पर ऐल्किल हाइड्रोजन सल्फेट बनता है, जिसका जल-अपघटन करने पर ऐल्कोहॉल प्राप्त होता है।
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एथिल ऐल्कोहॉल की सान्द्र सल्फ्यूरिक अम्ल से अभिक्रिया – एथिल ऐल्कोहॉल पर सान्द्र सल्फ्यूरिक अम्ल की क्रिया से भिन्न-भिन्न परिस्थितियों में भिन्न-भिन्न पदार्थ बनते हैं।
(i) एथिल ऐल्कोहॉल और सान्द्र सल्फ्यूरिक अम्ल के मिश्रण को 100°C पर गर्म करने पर एथिल हाइड्रोजन सल्फेट बनता है।
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एथिल हाइड्रोजन सल्फेट का समानीत दाब (reduced pressure) पर आसवन करने पर एथिल सल्फेट बनता है।
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(ii) एथिल ऐल्कोहॉल के आधिक्य को सान्द्र सल्फ्यूरिक अम्ल के साथ 140°C पर गर्म करने पर डाइ एथिल ईथर बनता है। अभिक्रिया अग्रलिखित पदों में होती है –
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(iii) एथिल ऐल्कोहॉल को सान्द्र सल्फ्यूरिक अम्ल के आधिक्य में 170-180°C पर गर्म करने पर एथिलीन बनती है।
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प्रश्न 4.
प्रयोगशाला में डाइ एथिल ईथर बनाने की विधि का सचित्र वर्णन कीजिए। सम्बन्धित रासायनिक अभिक्रिया लिखिए। इस विधि को अविरत ईथरीकरण विधि क्यों कहते हैं? इसके मुख्य रासायनिक गुण भी दीजिए। (2010)
या
डाइ एथिल ईथर बनाने की प्रयोगशाला विधि का सचित्र वर्णन कीजिए। सम्बन्धित अभिक्रियाओं के रासायनिक समीकरण भी दीजिए। इसकी अंधेरे में क्लोरीन के साथ अभिक्रिया का समीकरण दीजिए। (2009, 12, 16, 17)
या
ईथर की शुद्धता का परीक्षण कैसे करेंगे? (2012)
उत्तर
प्रयोगशाला में डाइ एथिल ईथर, एथिल ऐल्कोहॉल के आधिक्य और सान्द्र H2SO4 को 140°C पर गर्म करके बनाया जाता है।
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एक गोल पेंदी के फ्लास्क में C2H5OH और सान्द्र H2SO4, 2 : 1 के अनुपात में लेकर उपकरण को चित्रानुसार लगाया जाता है। फ्लास्क को बालू ऊष्मक पर 140-145°C तक गर्म करते हैं जिससे ईथर बर्फ के जल में रखे ग्राही पात्र में एकत्र होने लगता है। इस विधि को अविरत ईथरीकरण विधि कहते हैं, क्योंकि एथिल ऐल्कोहॉल और सल्फ्यूरिक अम्ल के गर्म मिश्रण में एथिल ऐल्कोहॉल डालकर ईथर लगातार प्राप्त किया जा सकता है।
इस प्रकार प्राप्त आसवित ईथर में अल्प मात्रा में H2SO4, ऐल्कोहॉल और जल की अशुद्धियाँ मिली रहती हैं। इसके लिए ईथर को कास्टिक सोडा विलयन के साथ धोते हैं फिर इसमें निर्जल CaCl2 डालकर रख देते हैं। इसके बाद छानकर आसवित करने पर 34-35°C पर शुद्ध एवं शुष्क ईथर एकत्र कर लिया जाता है।

1. PCl5 से क्रिया – एथिल क्लोराइड बनता है।
C2H5OC2H5 + PCl5 → 2C2H5Cl + POCl3

2. अंधेरे में ईथर क्लोरीन और ब्रोमीन के साथ हैलोजनीकृत व्युत्पन्न देता है।
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3. H2O के साथ अभिक्रिया – ईथर साधारण परिस्थितियों में अम्लों या क्षारों द्वारा जल अपघटित नहीं होते हैं। तनु सल्फ्यूरिक अम्ल के साथ उच्च दाब और उच्च ताप पर गर्म करने पर डाइएथिल ईथर बहुत कठिनाई से एथिल ऐल्कोहॉल में जल अपघटित होता है।
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4. ठण्डे HI के साथ अभिक्रिया – डाइ एथिल ईथर की ठण्डे सान्द्र हाइड़िऑडिक अम्ल (HI) से क्रिया कराने पर एक अणु एथिल आयोडाइड और एक अणु एथिल ऐल्कोहॉल बनता है।
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ईथर की शुद्धता का परीक्षण – ईथर की शुद्धता का परीक्षण पोटेशियम आयोडाइड विलयन द्वारा करते हैं। यदि ईथर में पोटैशियम आयोडाइड डालने पर आयोडीन मुक्त होती है तो ईथर अशुद्ध है। शुद्ध ईथर में आयोडीन मुक्त नहीं होती है।

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UP Board Solutions for Class 12 Chemistry Chapter 15 Polymers

UP Board Solutions for Class 12 Chemistry Chapter 15 Polymers (बहुलक) are part of UP Board Solutions for Class 12 Chemistry. Here we have given UP Board Solutions for Class 12 Chapter 15 Polymers (बहुलक).

Board UP Board
Textbook NCERT
Class Class 12
Subject Chemistry
Chapter Chapter 15
Chapter Name Polymers
Number of Questions Solved 75
Category UP Board Solutions

UP Board Solutions for Class 12 Chemistry Chapter 15 Polymers (बहुलक)

अभ्यास के अन्तर्गत दिए गए प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
बहुलक क्या होते हैं? (2018)
उत्तर :
ऐसे वृहदाणु (macromolecules) जो कि पुनरावृत्त संरचनात्मक इकाइयों के वृहत पैमाने पर जुड़ने से बनते हैं बहुलक कहलाते हैं। बहुलकों के कुछ उदाहरण हैं-पॉलिथीन, नाइलॉन-6, 6, बैकलाइट, रबर आदि।

प्रश्न 2.
संरचना के आधार पर बहुलकों का वर्गीकरण कैसे किया जाता है?
उत्तर :
संरचना के आधार पर बहुलक तीन प्रकार के होते हैं
(1) रैखिक बहुलक (Linear polymers) :
इन बहुलकों में लम्बी और रेखीय श्रृंखलाएँ होती हैं। उच्च घनत्व पॉलिथीन, पॉलिवाइनिल क्लोराइड आदि इसके उदाहरण हैं। इन्हें निम्नानुसार निरूपित करते हैं
UP Board Solutions for Class 12 Chemistry Chapter 15 Polymers image 1
(2) शाखित श्रृंखला बहुलक (Branched chain polymers) :
इन बहुलकों में रेखीय श्रृंखलाओं में कुछ शाखाएँ होती हैं। उदाहरण-निम्न घनत्व पॉलिथीन। इन्हें निम्नांकित प्रकार से चित्रित करते
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(3) तिर्यकबन्धित अथवा जालक्रम बहुलक (Cross linked polymers) :
यह साधारणत: द्विक्रियात्मक और त्रिक्रियात्मक समूहों वाले एकलकों से बनते हैं तथा विभिन्न रेखीय बहुलक श्रृंखलाओं के बीच प्रबल सहसंयोजक बन्ध होते हैं।
उदाहरणार्थ :
बँकेलाइट, मेलैमीन आदि। इन बहुलकों को व्यवस्थात्मक रूप में निम्नलिखित प्रकार से प्रदर्शित करते हैं
UP Board Solutions for Class 12 Chemistry Chapter 15 Polymers image 3

प्रश्न 3.
निम्नलिखित बहुलकों को बनाने वाले एकलकों के नाम लिखिए
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उत्तर :
(i) हेक्सामेथिलीनडाइऐमीन, (H2N – (CH2)6– NH2) और ऐडिपिक अम्ल, (HOOC – (CH2)4– COOH)
(ii) कैपरोलैक्टम
(iii) टेट्राफ्लुओरोएथीन (F2C = CF2)

प्रश्न 4.
निम्नलिखित को योगज और संघनन बहुलकों में वर्गीकृत कीजिए टेरिलीन, बैकलाइट, पॉलिवाइनिल क्लोराइड, पॉलिथीन।
उत्तर :

  1. योगज बहुलक : पॉलिवाइनिल क्लोराइड, पॉलिथीन;
  2. संघनन बहुलक : टेरीलीन, बैकेलाइट।

प्रश्न 5.
ब्यूना – N और ब्यूना – S के मध्य अन्तर समझाइए।
उत्तर :
ब्यूना – N ब्यूटा -1, 3 -डाइईन और ऐक्रिलोनाइट्राइल का सहबहुलक है। जबकि ब्यूना -S ब्यूटा -1, 3-डाइईन और स्टाइरीन का सहबहुलक है।

प्रश्न 6.
निम्नलिखित बहुलकों को उनके अन्तराआण्विक बलों के बढ़ते क्रम में व्यवस्थित कीजिए

  1. नाइलॉन-6, 6, ब्यूना-S, पॉलिथीन
  2.  नाइलॉन-6, निओप्रीन, पॉलिवाइनिल क्लोराइड।

उत्तर :
अंतराआण्विक आकर्षण बलों को बढ़ता हुआ क्रम निम्न होता है। प्रत्यास्थ बहुलक (इलास्टोमर) < प्लास्टिक < रेशे। अत:

  1.  ब्यूना – S < पॉलिथीन < नाइलॉन 6, 6
  2.  निओप्रीन < पॉलिवाइनिल क्लोराइड < नाइलॉन 6

अतिरिक्त अभ्यास

प्रश्न 1.
बहुलक और एकलक पदों की व्याख्या कीजिए।
उत्तर :

  1. बहुलक : ऐसे वृहदाणु जो कि पुनरावृत्त संरचनात्मक इकाइयों के वृहत पैमाने पर जुड़ने से बनते हैं, बहुलक कहलाते हैं।
  2. एकलक : ऐसे सरल और क्रियाशील अणु जिनके योग तथा संघनन मे व्रहुलकों का निर्माण होता है, एकलक कहलाते हैं।

प्रश्न 2.
प्राकृतिक और संश्लिष्ट बहुलक क्या हैं? प्रत्येक के दो उदाहरण दीजिए। (2018)
उत्तर :
(i) प्राकृतिक बहुलक : प्रकृति (जन्तुओं और पौधों) में पाए जाने वाले बहुलक, प्राकृतिक बहुलक कहलाते हैं।
उदाहरणार्थ :
स्टार्च, सेलुलोस, प्रोटीन, रबर आदि।

(ii) संश्लिष्ट बहुलक : ऐसे बहुलक जो प्रयोगशाला में कृत्रिम रूप से बनाए जाते हैं, संश्लिष्ट बहुलक कहलाते हैं।
उदाहरणार्थ :
पॉलिथीन, PVC, नाइलॉन 6, 6 आदि।

प्रश्न 3.
समबहुलक और सहबहुलक पदों (शब्दों) में विभेद कर प्रत्येक को एक उदाहरण दीजिए।
उत्तर :
समबहुलक :
जिन बहुलकों में पुनरावृत्त संरचनात्मक इकाई की उत्पत्ति केवल एक ही प्रकार की एकलक इकाइयों से होती है, समबहुलक कहलाते हैं।
उदाहरणार्थ :
पॉलिथीन, PVC, पॉलिस्टाइरीन, नाइलॉन 6 आदि। सहबहुलक-जिन बहुलकों में पुनरावृत्त संरचनात्मक इकाई की उत्पत्ति दो या अधिक प्रकार की एकलक इकाइयों द्वारा होती है, सहबहुलक कहलाते हैं। उदाहरणार्थ-ब्यूना – S, ब्यूना – N आदि।

प्रश्न 4.
एकलक की प्रकार्यात्मकता को आप किस प्रकार समझाएँगे?
उत्तर :
किसी एकलक में उपस्थित आबन्धी स्थलों (bonding sites) की संख्या उसकी प्रकार्यात्मकता कहलाती है।
उदाहरणार्थ :
एथीन, प्रोपीन तथा स्टाइरीन की प्रकार्यात्मकता 1 है जबकि 1, 3-ब्यूटाडाइईन, हेक्सामेथिलीनडाइऐमीन तथा ऐडिपिक अम्ल की प्रकार्यात्मकता 2 है।

प्रश्न 5.
बहुलकन पद (शब्द) को परिभाषित कीजिए।
उत्तर :
वह प्रक्रम जिसमें एक अथवा अधिक एकलकों से व्युत्पन्न पुनरावृत्त संरचनात्मक इकाइयाँ आपस में एक नियमित क्रम में जुड़कर अत्यधिक अणुभार वाले वृहदाणु (बहुलक) का निर्माण करती हैं। बहुलकन कहलाता है।

प्रश्न 6.
(NH-CHR-CO)n, एक समबहुलक है या सहबहुलक?
उत्तर :
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एक समबहुलक है क्योंकि पुनरावृत्त संरचनात्मक इकाई में केवल एक ही प्रकार के एकलक अणु अर्थात्  NH2– CHR– COOH विद्यमान हैं।

प्रश्न 7.
आण्विक बलों के आधार पर बहुलक किन संवर्गों में वर्गीकृत किए जाते हैं? आण्विक बलों के आधार पर बहुलकों का वर्गीकरण किस प्रकार किया गया है? प्रत्येक का एक उदाहरण भी दीजिए। (2018)
उत्तर :
आण्विक बलों के आधार पर, बहुलकों का वर्गीकरण निम्नलिखित वर्गों में किया जाता है

  1. इलास्टोमर्स, (वल्कनीकृत रबड़)
  2. फाइबर (रेशे) (नायलॉन 6, 6)
  3.  ताप सुघट्य बहुलक (पॉलिथीन)
  4. ताप दृढ़ बहुलक (बैकेलाइट)

प्रश्न 8.
संकलन और संघनन बहुलकन के मध्य आप किस प्रकार विभेद करेंगे? ।
उत्तर :
योगात्मक बहुलकन में बहुत से समान अथवा असमान एकलक अणु आपस में जुड़कर बहुलक श्रृंखला बनाते हैं। एकलक इकाइयों में प्रायः द्वि या त्रिबंध उपस्थित रहते हैं। इस प्रक्रिया में H2O, NHजैसे छोटे अणुओं का निराकरण नहीं होता है। इसके विपरीत, संघनन बहुलकन में संघनन अभिक्रियाओं की एक श्रेणी सम्पन्न होती है जिसमें H2O, NH3 जैसे छोटे अणुओं का निराकरण होता है। इस प्रकार का बहुलकन दो या अधिक क्रियात्मक समूहों युक्त एकलकों के मध्य सम्पन्न होता है।

प्रश्न 9.
सहबहुलकन पद (शब्द) की व्याख्या कीजिए और दो उदाहरण दीजिए।
उत्तर :
सहबहुलकन (copolymerisation) एक बहुलकन अभिक्रिया है जिसमें एक से अधिक प्रकार की एकलक स्पीशीज के मिश्रण का बहुलकन एक सहबहुलक बनाने के लिए किया जाता है। सहबहुलक को न केवल श्रृंखला वृद्धि बहुलकन से बनाया जा सकता है, अपितु पदशः वृद्धि बहुलकन से भी बनाया जा सकता है। अत: सहबहुलक में एक ही बहुलकन श्रृंखला में प्रत्येक एकलक की अनेक इकाइयाँ होती हैं।
उदाहरणार्थ :
ब्यूना-S; 1, 3-ब्यूटाडाईन तथा स्टाइरीन का सहबहुलक है, जबकि ब्यूना-N; 1, 3-ब्यूटाडाईन तथा ऐक्रिलोनाइट्राइल का सहबहुलक हैं।

प्रश्न 10.
एथीन के बहुलकन के लिए मुक्त मूलक क्रियाविधि लिखिए।
उत्तर :
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प्रश्न 11.
तापसुघट्य और तापदृढ़ बहुलकों को प्रत्येक के दो उदाहरण के साथ परिभाषित कीजिए।
उत्तर :
1. तापसघटय बहुलक (Thermoplastic polymers) :
ये रेखीय या अल्पशाखित दीर्घ श्रृंखला अणु होते हैं। इन्हें बार-बार तापन द्वारा मृदुलित और शीतलन द्वारा कठोर बनाया जा सकता है। इन बहुलकों के अन्तराआण्विक आकर्षण बल प्रत्यास्थ बहुलकों और रेशों के मध्यवर्ती होते हैं। पॉलिथीन, पॉलिस्टाइरीन, पॉलिवाइनिल क्लोराइड आदि कुछ सामान्य तापसुघट्य बहुलक हैं।

2. तापदृढ़ बहुलक (Thermosetting polymers) :
ये बहुलक तिर्यकबद्ध अथवा अत्यधिक शाखित अणु होते हैं जो साँचों में तापन से विस्तीर्ण तिर्यकबन्ध में परिवर्तित हो जाते हैं और दोबारा दुर्गलनीय बन जाते हैं। इनका दोबारा उपयोग नहीं किया जा सकता। बैकेलाइट, यूरिया-फॉर्मेल्डिहाइड रेजिन आदि कुछ सामान्य तापदृढ़ बहुलक हैं।

प्रश्न 12.
निम्नलिखित बहुलकों को प्राप्त करने के लिए प्रयुक्त एकलक लिखिए

  1. पॉलिवाइनिल क्लोराइड
  2. टेफ्लॉन
  3. बैकलाइट

उत्तर :

  1. CH2,= CHCl (वाइनिल क्लोराइड)
  2.  F2C = = CF2, (टेट्राफ्लोरोएथीन)
  3.  C6H5O व HCHO (फीनॉल तथा फॉर्मेल्डिहाइड)

प्रश्न 13.
मुक्त मूलक योगज बहुलकन में प्रयुक्त एक सामान्य प्रारम्भक का नाम और संरचना लिखिए।
उत्तर :
बेन्जोइल परॉक्साइड।
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प्रश्न 14.
रबड़ अणुओं में द्विबन्धों की उपस्थिति किस प्रकार उनकी संरचना और क्रियाशीलता को प्रभावित करती है?
उत्तर :
प्राकृतिक रबर सिस-पॉलिआइसोप्रीन है तथा इसका निर्माण आइसोप्रीन इकाइयों के 1, 4-बहुलकन द्वारा निम्न प्रकार होता है
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इस बहुलक में प्रत्येक आइसोप्रीन इकाई के C2 व C3 के मध्य द्विबन्ध उपस्थित हैं। आइसोप्रीन इकाइयों की इस प्रकार सिस व्यवस्था के कारण बहुलक श्रृंखलाएँ दुर्बल अन्त:अणुक आकर्षण बल की उपस्थिति के कारण प्रभावशाली अन्तः अणुक क्रिया हेतु एक-दूसरे के समीप नहीं आ पातीं। अत: निकटस्थ श्रृंखलाओं के मध्य केवल दुर्बल वाण्डरवाल्स बल विद्यमान रहते हैं। इसलिए रबर की अनियमित कुण्डलित संरचना होती है। इसे एक स्प्रिंग की भाँति खींचा जा सकता है, अर्थात् इसमें प्रत्यास्थता का गुण पाया जाता है।

प्रश्न 15.
रबड़ के वल्कनीकरण के मुख्य उद्देश्य की विवेचना कीजिए।
उत्तर :
रबड़ का वल्कनीकरण (Vulcanization of rubber) : 
प्राकृतिक रबड़ उच्च ताप (> 335 K) पर नर्म और निम्न ताप (< 283 K) पर भंगुर हो जाता है एवं उच्च जल अवशोषण क्षमता प्रदर्शित करता है। यह अध्रुवीय विलायकों में घुलनशील है और ऑक्सीकरण कर्मकों के आक्रमण के प्रति प्रतिरोधी नहीं है। इन भौतिक गुणों में सुधार के लिए वल्कनीकरण की प्रक्रिया की जाती है। इस प्रक्रिया में अपरिष्कृत रबड़ को सल्फर और उपयुक्त योगजों के साथ 373 K से 415 K के ताप परास के मध्य गर्म किया जाता है। वल्कनीकरण से द्विबन्धों की अभिक्रियाशील स्थितियों पर सल्फर तिर्यक बन्ध बनाता है और इस प्रकार रबड़ कठोर हो जाता है।

प्रश्न 16.
नाइलॉन-6 और नाइलॉन-6, 6 में पुनरावृत्त एकलक इकाइयाँ क्या हैं?
उत्तर :
नाइलॉन-6,
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प्रश्न 17.
निम्नलिखित बहुलकों के एकलकों का नाम और संरचना लिखिए
(i) ब्यूना-S
(ii) ब्यूना-N
(iii) डेक्रॉन
(iv) निओप्रीन।
उत्तर :
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प्रश्न 18.
निम्नलिखित बहुलक संरचनाओं के एकलक की पहचान कीजिए
(i)
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(ii)
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उत्तर :
(i)
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(ii)
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प्रश्न 19.
एथिलीन ग्लाइकॉल और टेरेफ्थैलिक अम्ल से डेक्रॉन किस प्रकार प्राप्त किया जाता है?
उत्तर :
डेक्रॉन को एथिलीन ग्लाइकॉल और टेरेफ्थैलिक अम्ल के संघनन बहुलकन से जल के अणुओं के विलोपन के साथ प्राप्त किया जाता है। अभिक्रिया को 420 – 460 K पर जिंक ऐसीटेट तथा ऐण्टीमनी ट्राइऑक्साइड के मिश्रण से बने उत्प्रेरक की उपस्थिति में कराया जाता है।
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प्रश्न 20.
जैव-निम्नीकरणीय बहुलक क्या हैं? एक जैव-निम्नीकरणीय ऐलिफैटिक पॉलिएस्टर का उदाहरण दीजिए।
उत्तर :
वे बहुलक जो एक समय बाद जीवाण्विक निम्नीकरण के कारण स्वयं ही विघटित हो जाते हैं, जैव-निम्नीकरणीय बहुलक (biodegradable polymers) कहलाते हैं।
उदाहरण :
पॉलि – β – हाइड्रॉक्सीब्यूटिरेट-को – β -हाइड्रॉक्सी-वैलेरेट (PHBV) :
यह 3-हाइड्रॉक्सीब्यूटेनोइक अम्ल और 3-हाइड्रॉक्सीपेन्टेनोइक अम्ल के सहबहुलकन से प्राप्त होता है। PHBV को उपयोग विशिष्ट पैकेजिंग, अस्थियों में प्रयुक्त युक्तियों और औषधों के नियन्त्रित मोचन में भी होता है। पर्यावरण में PHVB का जीवाण्विक निम्नीकरण हो जाता है।
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परीक्षोपयोगी प्रश्नोत्तर

बहुविकल्पीय प्रश्न
प्रश्न 1.
निम्नलिखित में से प्राकृतिक बहुलक है (2015)
(i)पॉलीथीन
(ii) सेलुलोस
(iii) पी० वी० सी०
(iv) टेफ्लॉन
उत्तर :
(ii) सेलुलोस

प्रश्न 2.
संश्लेषित बहुलक का उदाहरण है
(i) RNA
(ii) प्रोटीन
(iii) पॉलीऐमाइड
(iv) स्टार्च
उत्तर :
(iii) पॉलीऐमाइड

प्रश्न 3.
निम्नलिखित में संघनन बहुलक नहीं है (2017)
(i) नाइलॉन 6, 6
(ii) स्टाइरीन
(iii) डेक्रॉन
(iv) टैरोलीन
उत्तर :
(ii) स्टाइरीन

प्रश्न 4.
संघनन बहुलक है (2015)
(i) टेफ्लॉन
(ii) पॉलीथीन
(iii) पॉलीवाइनिल क्लोराइड
(iv) टेरीलीन
उत्तर :
(iv) टेरीलीन

प्रश्न 5.
बैकेलाइट है एक (2016)
(i) प्राकृतिक बहुलक
(ii) योगात्मक बहुलक
(iii) संघनन बहुलक
(iv) समबहुलक
उत्तर :
(iii) संघनन बहुलक

प्रश्न 6.
निम्नलिखित में कौन-सा थर्मोप्लास्टिक बहुलक नहीं है? (2015)
(i) बैकलाइट
(ii) टेफ्लॉन
(iii) पॉलीथीन
(iv) पी०वी०सी०
उत्तर :
(i) बैकेलाइट

प्रश्न 7.
ताप-सुनम्य प्लास्टिक का उदाहरण है (2017)
(i) बैकलाइट
(ii) टेफ्लॉन
(iii) रेजिन
(iv) मैलेमीन
उत्तर :
(ii) टेफ्लॉन

प्रश्न 8.
थर्मोसेटिंग प्लास्टिक है
(i) पी०वी०सी
(ii) पॉलीथीन
(iii) बैकेलाइट
(iv) इनमें से कोई नहीं
उत्तर :
(iii) बैकलाइट।

प्रश्न 9.
प्रबल अन्तराण्विक बल जैसे हाइड्रोजन बन्ध युक्त बहुलक हैं (2018)
(i) प्राकृतिक रबड़
(ii) पॉलिस्टाइरिन
(iii) टेफ्लॉन
(iv) नायलॉन 6, 6
उत्तर :
(iv) नायलॉन 6, 6

प्रश्न 10.
निम्नलिखित में से कौन-सा बहुलक है? (2018)
(i) पॉलिथीन
(ii) बैकेलाइट
(iii) रबड़
(iv) ये सभी
उत्तर :
(iv) ये सभी

प्रश्न11.
निम्न में से कौन-सा पॉलीएमाइड है? (2015, 16, 17)
(i) बैकेलाइट
(ii) टेरीलीन
(iii) नाइलॉन-6, 6
(iv) टेफ्लॉन
उत्तर :
(iii) नाइलॉन-6, 6 (2015)

प्रश्न12.
निम्न में से कौन-सा एकलक बहुलक निओप्रीन देता है?
(i) CH2= CHCl
(ii) CCl2= CCl2
(iii) CH2= C(Cl) -C =H2
(iv) CF2= CF2
उत्तर :
(iii) CH2= C(Cl)-C =H2

प्रश्न13.
निम्न में से किस बहुलक का विरचन संघनन बहुलकन द्वारा किया जा सकता है?
(i) पॉलीस्टाइरीन
(ii) नाइलॉन-6,6
(iii) टेफ्लॉन
(iv) रबर
उत्तर :
(ii) नाइलॉन-6,6

प्रश्न14.
फीनॉल की किसके साथ अभिक्रिया से बैकलाइट प्राप्त होता है? (2016)
(i) HCHO
(ii) (CH2OH)2
(iii) CH3CHO
(iv) CH3COCH3
उत्तर :
(i) HCHO

प्रश्न15.
पॉलीवाइनिल क्लोराइड का एकलक है (2015)
(i) वाइनिल क्लोराइड
(ii) क्लोरोप्रीन
(iii) प्रोपिलीन
(iv) वाइनिल सायनाइड
उत्तर :
(i) वाइनिल क्लोराइड

प्रश्न 16.
निओप्रीन का एकलक है (2015)
(i) एथिलीन
(ii) टेट्राफ्लुओरोएथिलीन
(iii) फ्लु ओरीन
(iv) क्लोरोप्रीन
उत्तर :
(iv) क्लोरोप्रीन

प्रश्न 17.
टेरीलीन है (2014)
(i) पॉलीएमाइड
(ii) पॉलीस्टाइरीन
(iii) पॉलीएथिलीन
(iv) पॉलीएस्टर
उत्तर :
(iv) पॉलीएस्टर

प्रश्न18.
निम्न में से कौन-सा पॉलीस्टर बहुलक है?
(i) नाइलॉन-6,6
(ii) टेरीलीन
(iii) बैकलाइट
(iv) मैलेमीन
उत्तर :
(ii) टेरीलीन

प्रश्न19.
निम्न में से किस बहुलक का प्रयोग स्नेहक तथा अचालक के रूप में किया जाता है?
(i) SBR
(ii) PVC
(iii) PTFE
(iv) PAN
उत्तर :
(iii) PTFE

प्रश्न20.
निम्न में कौन एक पॉलीएमाइड वर्ग का जैव निम्नीकरणीय बहुलक है?
(i) डेक्स्ट्रॉन
(ii) नाइलॉन-2-नाइलॉन-6
(iii) नाइलॉन-6
(iv) PHPV
उत्तर :
(ii) नाइलॉन-2-नाइलॉन-6

अतिलघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
दो प्राकृतिक बहुलकों के नाम लिखिए।
उत्तर :
स्टार्च तथा प्रोटीन।

प्रश्न 2.
क्रॉस-लिंक बहुलकों के दो उदाहरण दीजिए।
उत्तर :
बैकेलाइट तथा यूरिया-फॉर्मेल्डिहाइड।

प्रश्न 3.
बहुलकन की कोटि से क्या तात्पर्य है?
उत्तर :
बहुलक में उपस्थित पुनरावर्तित इकाइयों की संख्या को बहुलकन की कोटि कहते हैं।

प्रश्न 4.
रेशों (fibres) के गलनांक उच्च क्यों होते हैं?
उत्तर :
प्रबल अंतरा :
अणुक बलों के कारण रेशों की बहुलक श्रृंखलाओं की व्यवस्था निविड संकुलित होती है। इसी कारण से इनके गलनांक उच्च होते हैं।

प्रश्न 5.
प्लास्टिसाइजर क्या हैं?
उत्तर :
ऐसे कार्बनिक यौगिक जिन्हें प्लास्टिकों में मिलाने पर प्लास्टिक मुलायम और कार्यन योग्य (workable) हो जाती है प्लास्टिसाइजर कहलाते हैं।

प्रश्न 6.
योगात्मक बहुलकीकरण को एक उदाहरण द्वारा समझाइए। (2016, 17)
उत्तर :
योगात्मक बहुलकीकरण में एकलक अणुओं के योग द्वारा बहुलक बनता है। उदाहरण के लिए, उच्च दाब और उच्च ताप पर ऑक्सीजन और परॉक्साइड की उपस्थिति में एथिलीन अणुओं के योग बहुलकीकरण द्वारा पॉलिएथिलीन बहुलक बनता है।
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प्रश्न 7.
किस प्रकार के बहुलकन में H2O, NH3 जैसे अणुओं का विलोपन होता है। योगात्मक बहुलकन में यो संघनन बहुलकन में?
उत्तर :
संघनन बहुलकन में।

प्रश्न 8.
मुक्त मूलक बहुलकन में हमेशा शुद्धतम एकलक का प्रयोग क्यों करना चाहिए?
उत्तर :
यदि अशुद्धियाँ उपस्थित हों तब ऐल्कीन एकलक या तो श्रृंखला स्थानान्तरण कारक या संदमक का कार्य करता है। यदि यह श्रृंखला स्थानान्तरण कारक के रूप में कार्य करता है तब कम अणु द्रव्यमान का बहुलक प्राप्त होता है और जब यह संदमक का कार्य करता है तब बहुलकन की क्रिया संदमित होती है। अत: इन जटिलताओं से बचने के लिए प्रयुक्त ऐल्कीन एकलक अति शुद्ध होने चाहिए।

प्रश्न 9.
बेन्जोक्विनोन मुक्त मूलक बहुलकन में संदमक का कार्य करता है, क्यों?
उत्तर :
बेन्जोक्विनोन बहुलीकृत होने वाले मुक्त मूलकों को जकड़ लेता है तथा अक्रियाशील मुक्त मूलक बनाता है।

प्रश्न 10.
इलेक्ट्रॉन दाता समूहों युक्त विनायलिक एकलकों के लिए धनायनिक बहुलकन को वरीयता क्यों दी जाती है?
उत्तर :
इलेक्ट्रॉन दाता समूह(EDG) एकलक इकाई पर इलेक्ट्रॉन घनत्व बढ़ा देते हैं जिसके परिणामस्वरूप धनायनिक आक्रमण शीघ्रता से होता है।
उदाहरणार्थ :
एक इलेक्ट्रॉन विमोचक CH समूह (+I प्रभाव)युक्त प्रोपीन का धनायनिक बहुलकन।

प्रश्न 11.
HO2CCH2CH2COOH , (सक्सिनिक अम्ल) तथा H2NCH2CH2NH2, (एथिलीनडाइऐमीन) के संयुक्त होने पर संघनन बहुलक में पुनरावर्तित इकाई क्या है?
उत्तर :
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प्रश्न12.
टेफ्लॉन बनाने का रासायनिक समीकरण लिखिए। (2017)
उत्तर :
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प्रश्न 13.
टेफ्लॉन के दो उपयोग लिखिए। (2017)
उत्तर :

  1. इसका उपयोग तेल सीलों एवं गैस्केटों को बनाने में किया जाता है।
  2. इसका उपयोग रसोईघर में नॉनस्टिक बर्तन बनाने में किया जाता है।

प्रश्न14.
किस बहुलक से ऑरलॉन अथवा ऐक्रिलन जैसे रेशे बनाए जाते हैं ?
उत्तर :
पॉलीऐक्रिलोनाइट्राइल।

प्रश्न15.
नाइलॉन-6, 6 क्या है? इसके एकलकों से नाइलॉन-6, 6 बहुलक बनाने की अभिक्रिया समीकरण लिखिए। (2017)
उत्तर :
नाइलॉन-6, 6 ऐडिपिक अम्ल और हेक्सामेथिलीन डाइऐमीन के संघनन बहुलीकरण द्वारा बनाया जाता है।
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प्रश्न 16.
किस बहुलक का प्रयोग कॉन्टैक्ट लेन्स (contact lens) बनाने के लिए किया जाता है?
उत्तर :
पॉलीमेथिलमेथएँक्रिलेट (PMMA).

प्रश्न 17.
प्राकृतिक रबर का एकलक क्या है?
उत्तर :
आइसोप्रीन।

प्रश्न 18.
किस सहबहुलक का प्रयोग न टूटने वाली प्लास्टिक क्रॉकरी बनाने के लिए किया जाता है?
उत्तर :
मैलेमीन-फॉर्मेल्डिहाइड रेजिन।

प्रश्न 19.
प्राकृतिक रबर और गुट्टा पर्चा में एक अंतर बताइए।
उत्तर :
प्राकृतिक रबर समपक्ष पॉलीआइसोप्रीन है जबकि गुट्टा पर्चा विपक्ष पॉलीआइसोप्रीन है।

प्रश्न 20.
वल्कनीकरण में सल्फर का क्या महत्त्व है? (2015)
उत्तर :
सल्फर बहुलीकृत श्रृंखलाओं में तिर्यक बन्धन उत्पन्न करता है जिससे रबर की तनन सामर्थ्य तथा प्रत्यास्थता बढ़ जाती है।

प्रश्न 21.
रेयॉन को कृत्रिम सिल्क तथा पुनर्जीनित तन्तु क्यों कहते हैं।
उत्तर :
क्योंकि इसकी चमक सिल्क के समान होती है तथा ये पुनर्जनित रेशों (regenerated fibres) से प्राप्त होता है।

प्रश्न 22.
पॉलीएथिलीन से पॉलीप्रोपिलीन को वरीयता क्यों दी जाती है?
उत्तर :
क्योकि पॉलीप्रोपिलीन पॉलीएथिलीन से कठोर तथा मजबूत होता है।

प्रश्न 23.
कोयले की खानों में निओप्रीन बैल्ट क्यों प्रयुक्त की जाती है?
उत्तर :
कोयले की खानों में निओप्रीन बैल्ट प्रयुक्त की जाती है क्योंकि यह आग नहीं पकड़ती है।

प्रश्न 24.
शल्यचिकित्सकीय ड्रेसिंग में रेयॉन कपास से श्रेष्ठ क्यों है?
उत्तर :
क्योंकि यह अपने भार का 90% जल अवशोषित कर लेती है तथा यह न चिपकने वाला होने के कारण घावों पर चिपकती नहीं है।

प्रश्न 25.
किसी एक जैव-निम्नीकरणीय पॉलीएमाइड सहबहुलक का नाम लिखिए।
उत्तर :
नाइलॉन 2-नाइलॉन 6

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
(i) एथीन के बहुलकन में बेन्जॉइल परॉक्साइड का क्या योगदान है?
(ii) LDPE तथा HDPE क्या हैं? इन्हें कैसे विरचित किया जाता है? (2015)
उत्तर :
(i) बेन्जॉइल परॉक्साइड एथीन के बहुलकन में प्रारम्भक (initiator) का कार्य करता है।
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(ii) LDPE का अभिप्राय निम्न घनत्व पॉलीएथिलीन (low density polyethylene) तथा HDPE का अभिप्राय उच्च घनत्व पॉलीएथिलीन (high density polyethylene) से है।
(a)
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(b)
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प्रश्न 2.
पॉलीवाइनिल क्लोराइड (PVC) के निर्माण की विधि एवं उपयोग लिखिए। (2014, 17)
उत्तर :
इसका निर्माण वाइनिल क्लोराइड के योगात्मक बहुलकीकरण द्वारा किया जाता है। इसका एकलक वाइनिल क्लोराइड (CH2, = CH—Cl) है। उच्च दाब एवं निष्क्रिय विलायक C6H5 – O— O— C6H5 की उपस्थिति में वाइनिल क्लोराइड को गर्म करने पर पॉलीवाइनिल क्लोराइड (PVC) बनता है।
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प्रश्न 3.
बैकेलाइट पर टिप्पणी लिखिए। (2016, 17)
उत्तर :
ये फीनॉल की अम्ल अथवा क्षार उत्प्रेरक की उपस्थिति में फॉर्मेल्डिहाइड के साथ संघनन अभिक्रिया द्वारा प्राप्त होते हैं। अभिक्रिया का आरम्भ 0-अथवा p-हाइड्रॉक्सीमेथिलफीनॉल व्युत्पन्नों के विरचन से होता है जो पुनः फोनॉल से अभिक्रिया करके ऐसे यौगिक बनाते हैं जिनमें आपस में, -CH2,-सेतुओं के माध्यम से जुड़ी वलय होती हैं। प्रारम्भिक उत्पाद एक रैखिक उत्पाद हो सकता है; जैसे-नोवोलेक, जिसका उपयोग पेंटों में किया जाता है।
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फॉर्मेल्डिहाइड के साथ गर्म करने पर नोवोलेक तिर्यक बंधन निर्मित करके एक दुर्गलनीय ठोस बनाता है। जिसे बैकलाइट (bakelite) कहते हैं।
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दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
निम्नलिखित बहुलक क्या हैं? इन्हें बनाने की विधि तथा उपयोग लिखिए।
(i) पॉलिऐमाइड
(ii) पॉलिएस्टर
(iii) फीनॉल-फॉर्मेल्डिहाइड बहुलक
(iv) मेलैमीन-फॉर्मेल्डिहाइड बहुलक।
उत्तर :
(i) पॉलिऐमाइड (Polyamide) :
ऐमाइड बन्ध युक्त बहुलक संश्लिष्ट रेशे के महत्त्वपूर्ण उदाहरण हैं, इन्हें नाइलॉन (nylon) कहा जाता है। इन्हें बनाने की सामान्य विधियों में डाइऐमीनों को डाइकार्बोक्सिलिक अम्लों के साथ तथा ऐमीनो अम्लों और उनके लैक्टमों का भी संघनन बहुलकन होता है। नाइलॉनों का निर्माण या विरचन (Preparation of Nylons)
(a) नाइलॉन-6, 6 (Nylon-6, 6) :
इसका विरचन हेक्सामेथिलीनडाइऐमीन एवं ऐडिपिक अम्ल के उच्च दाब और उच्च ताप पर संघनन द्वारा किया जाता है।
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उपयोग (Uses) :
नाइलॉन-6,6 का उपयोग शीटों, ब्रशों के शूकों (bristles) और वस्त्र उद्योग में किया जाता है।

(b) नाइलॉन-6 (Nylon-6) :
यह कैपरोलैक्टम को जल के साथ उच्च ताप पर गर्म करके प्राप्त किया जाता है।
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उपयोग (Uses) :
नाइलॉन-6 का उपयोग टायर की डोरियों, वस्त्रों और रस्सियों के निर्माण में किया जाता है।

(ii) पॉलिएस्टर (Polyester) :
ये द्विकार्बोक्सिलिक अम्लों और डाइऑल के बहुसंघनन उत्पाद हैं। पॉलिएस्टर का सबसे अधिक ज्ञात उदाहरण डेक्रॉन अथवा टेरिलीन है। बनाने की विधि (Method of preparation)— यह एथिलीन ग्लाइकॉल और टेरेफ्थैलिक अम्ल के मिश्रण को 420K से 460K ताप तक जिंक ऐसीटेट-एण्टीमनी ट्राइऑक्साइड उत्प्रेरक की उपस्थिति में गर्म करने पर उपर्युक्त अभिक्रिया की भाँति निर्मित होता है।
उपयोग (Uses) :
डेक्रॉन रेशा (टेरिलीन) क्रीजरोधी है और इसका उपयोग सूती तथा ऊनी रेशे के साथ सम्मिश्रण करने में तथा सुरक्षा हैल्मेट (helmets) आदि में काँच प्रबलन पदार्थों की तरह होता है।

(iii) फीनॉल :
फॉर्मेल्डिहाइड बहुलक (Phenol-Formaldehyde Polymer)–फीनॉलफॉर्मेल्डिहाइड बहुलक सबसे प्राचीन तथा संश्लिष्ट बहुलक हैं। बनाने की विधि (Method of preparation) – ये फीनॉल की अम्ल अथवा क्षार उत्प्रेरक की उपस्थिति में फॉर्मेल्डिहाइड के साथ संघनन अभिक्रिया द्वारा प्राप्त होते हैं। अभिक्रिया का आरम्भ 0तथा/अथवा p-हाइड्रॉक्सीमेथिलफीनॉल व्युत्पन्नों के बनने से होता है, जो पुनः फोनॉल के साथ अभिक्रिया करके इस प्रकार के यौगिक बनाते हैं जिनमें आपस में -CH2, समूहों के माध्यम से जुड़ी वलय होती है। प्रारम्भिक उत्पाद एक रैखिक उत्पाद हो सकता है; जैसे-नोवोलेका
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फॉर्मेल्डिहाइड के साथ गर्म करने पर नोवोलेक तिर्यकबन्धन निर्मित करके एक दुर्गलनीय ठोस बनाता है। जिसे बैकलाइट कहते हैं।
उपयोग (Uses) :
नोवोलेक का उपयोग प्रलेपों (paints) में होता है तथा बैकेलाइट का उपयोग कंघियों, फोनोग्राफ रिकॉर्ड/अभिलेखों, विद्युत स्विचों, बर्तनों के हत्थे बनाने में किया जाता है।
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(iv) मेलैमीन :
फॉर्मेल्डिहाइड बहुलक (Melamine-Formaldehyde Polymer) बनाने की विधि (Method of preparation) – यह मेलैमीन और फॉर्मेल्डिहाइड के संघनन बहुलकन द्वारा प्राप्त होता है।
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उपयोग (Uses) :
इसका उपयोग अभंजनीय बर्तनों (unbreakable crockery) के निर्माण में किया जाता है।

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UP Board Solutions for Class 12 Chemistry Chapter 14 Biomolecules

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Board UP Board
Textbook NCERT
Class Class 12
Subject Chemistry
Chapter Chapter 14
Chapter Name Biomolecules
Number of Questions Solved 96
Category UP Board Solutions

UP Board Solutions for Class 12 Chemistry Chapter 14 Biomolecules (जैव-अणु)

अभ्यास के अन्तर्गत दिए गए प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
ग्लूकोस तथा सुक्रोस जल में विलेय हैं, जबकि साइक्लोहेक्सेन अथवा बेन्जीन (सामान्य छह सदस्यीय वलय युक्त यौगिक) जल में अविलेय होते हैं। समझाइए।
उत्तर :
ग्लूकोस तथा सुक्रोस में क्रमश: 5 तथा 8 –OH समूह होते हैं। ये जल के अणुओं के साथ हाइड्रोजन आबन्ध बनाते हैं। अत्यधिक H- आबन्धन के कारण ग्लूकोस तथा सुक्रोस जल में विलेय हैं। दूसरी ओर, साइक्लोहेक्सेन में –OH समूह नहीं होते हैं। यह जल के साथ हाइड्रोजन आबन्ध नहीं बनाता है, अतएव इसमें अविलेय रहता है।

प्रश्न 2.
लैक्टोस के जल-अपघटन से किन उत्पादों के बनने की अपेक्षा करते हैं?
उत्तर :
जल-अपघटन पर लैक्टोस मोनोसैकेराइड के दो अणु देता है अर्थात् D – (+) – ग्लूकोस तथा D – (+) गैलेक्टोस का एक-एक अणु।
UP Board Solutions for Class 12 Chemistry Chapter 14 Biomolecules image 1

प्रश्न 3.
D – ग्लूकोस के पेन्टाऐसीटेट में आप ऐल्डिहाइड समूह की अनुपस्थिति को कैसे । समझाएँगे?
उत्तर :
ग्लूकोस ऐल्डोहेक्सोस होने के कारण ऐल्डिहाइड समूह की लाक्षणिक अभिक्रियाएँ देता है; जैसे -NH2OH, टॉलेन अभिकर्मक तथा फेहलिंग अभिकर्मक के साथ अभिक्रिया। ग्लूकोस के ऐसीटिक ऐनहाइड्राइड के साथ ऐसिलीकरण से प्राप्त ग्लूकोस पेण्टाऐसीटेट इन अभिक्रियाओं को नहीं देता है।
UP Board Solutions for Class 12 Chemistry Chapter 14 Biomolecules image 2
इसका अभिप्राय है कि ग्लूकोस पेण्टाऐसीटेट में ऐल्डिहाइड समूह या तो अनुपस्थित होता है या इन अभिक्रियाओं के लिए उपलब्ध नहीं रहता है। वास्तव में D – ग्लूकोस के पेण्टाऐसीटेट में ऐल्डिहाइड समूह हेमीऐसीटल संरचना का भाग होता है, अतएव इन अभिक्रियाओं में भाग लेने के लिए उपलब्ध नहीं रहता है।

प्रश्न 4.
ऐमीनो अम्लों के गलनांक एवं जल में विलेयता सामान्यतः संगत हैलो अम्लों की तुलना में अधिक होती है। समझाइए।
उत्तर :
ऐमीनो अम्ल ज्विट्टर आयन (H3  [latex]\overset { + }{ N } { H }_{ 3 }[/latex] -CHR-COO) के रूप में पाए जाते हैं। द्विध्रुवीय लवण सदृश लक्षण के कारण इनमें प्रबल द्विध्रुव-द्विध्रुव अथवा स्थिर-विद्युत आकर्षण बल पाए जाते हैं, अतएव ऐमीनो अम्लों के क्वथनांक उच्च होते हैं। ऐमीनो अम्ल H20 अणुओं के साथ प्रबल अन्योन्यक्रिया करते हैं। तथा इसमें विलेय होते हैं। हैलो अम्लों की लवण सदृश्य संरचना नहीं होती है, अत: इनके क्वथनांक निम्न होते हैं। हैलोअम्ल ऐमीनो अम्लों की तरह H20 अणुओं के साथ प्रबलता के साथ अन्योन्यक्रिया नहीं करते हैं, अत: जल में ऐमीनो अम्लों की विलेयता हैलोअम्लों से अधिक होती है।

प्रश्न 5.
अण्डे को उबालने पर उसमें उपस्थित जल कहाँ चला जाता है?
उत्तर :
उबालने पर अण्डे में उपस्थित प्रोटीनों का पहले विकृतिकरण और फिर स्कंदन हो जाता है। इन स्कंदित प्रोटीनों द्वारा जल अवशोषित या अधिशोषित हो जाता है।

प्रश्न 6.
हमारे शरीर में विटामिन C संचित क्यों नहीं होता?
उत्तर :
विटामिन C (ऐस्कॉर्बिक अम्ल) जल में विलेय होता है। यह शीघ्र ही मूत्र के साथ उत्सर्जित हो जाता है तथा हमारे शरीर में संचित नहीं रह सकता है।

प्रश्न 7.
यदि DNA के थायमीनयुक्त न्यूक्लियोटाइड का जल-अपघटन किया जाए तो कौन-कौन से उत्पाद बनेंगे?
उत्तर :
2-डीऑक्सी-D-राइबोस, फॉस्फोरिक अम्ल तथा थायमीन।

प्रश्न 8.
जब RNA का जल-अपघटन किया जाता है तो प्राप्त क्षारकों की मात्राओं के मध्य कोई सम्बन्ध नहीं होता। यह तथ्य RNA की संरचना के विषय में क्या संकेत देता है?
उत्तर :
DNA अणु में दो कुण्डलिनियों (strands) में चार पुरक क्षारक परस्पर युग्म बनाए रखते हैं जैसे साइटोसीन (C) सदैव ग्वानीन (G) के साथ युग्म बनाता है, जबकि थायमीन (T) सदैव ऐडेनीन के साथ युग्म बनाता है। इसलिए जब एक DNA अणु जल-अपघटित होता है, तब साइटोसीन की मोलर मात्राएँ सदैव ग्वानीन के तुल्य तथा इसी प्रकार ऐडेनीन की सदैव थायमीन के तुल्य होती हैं। RNA में भी चार क्षारक होते हैं जिनमें प्रथम तीन DNA के समान, परन्तु चौथा क्षारक यूरेसिल (U) होता है। चूंकि RNA में प्राप्त चारों क्षारकों (C,G, A तथा U) की मात्राओं के मध्य कोई सम्बन्ध नहीं होता है, इसलिए क्षारक-युग्मन सिद्धान्त (अर्थात् A के साथ U तथा C के साथ G का युग्म) का पालन नहीं होता है, इससे यह संकेत मिलता है कि DNA के विपरीत RNA में एक कुण्डलिनी होती है।

अतिरिक्त अभ्यास

प्रश्न 1.
मोनोसैकेराइड क्या होते हैं? (2018)
उत्तर :
वे कार्बोहाइड्रेट जो छोटे अणुओं में जल – अपघटित नहीं हो सकते, मोनोसैकेराइड कहलाते हैं।

प्रश्न 2.
अपचायी शर्करा क्या होती है?
उत्तर :
कार्बोहाइड्रेट जो टॉलेन अभिकर्मक को अपचयित करते हैं तथा फेहलिंग विलयन के साथ लाल अवक्षेप देते हैं, अपचायी शर्कराएँ कहलाते हैं। सभी मोनोसैकेराईड (ऐल्डोस तथा कीटोस) तथा डाइसैकेराइड (सुक्रोस को छोड़कर) अपचायी शर्कराएँ हैं।

प्रश्न 3.
पौधों में कार्बोहाइड्रेटों के दो मुख्य कार्यों को लिखिए।
उत्तर :
(i) पादप कोशिका भित्तियों का संरचनात्मक पदार्थ (Structural material for plant cell walls)
उदाहरणार्थ :
पॉलीसैकेराइड सेलुलोस पादप कोशिका भित्ति का प्रमुख संरचनात्मक पदार्थ होता है।

(ii) जैव ईंधन (Bio fuels) कार्बोहाइड्रेट जैसे :
ग्लूकोस, फ्रक्टोस, शर्करा, स्टार्च तथा ग्लाइकोजन जैव ईंधनों के रूप में कार्य करते हैं तथा जैव तन्त्रों में विभिन्न कार्यों के लिए ऊर्जा प्रदान करते हैं।
उदाहरणार्थ :
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प्रश्न 4.
निम्नलिखित को मोनोसैकेराइड तथा डाइसैकेराइड में वर्गीकृत कीजिएराइबोस, 2-डिऑक्सीराइबोस, माल्टोस, गैलेक्टोस, फ्रक्टोस तथा लैक्टोस
उत्तर :

  1. मोनोसैकेराइड :राइबोस, 2-डीऑक्सीराइबोस, गैलेक्टोस, तथा फ्रक्टोस।
  2. डाइसैकेराइड :माल्टोस तथा लैक्टोस।

प्रश्न 5.
ग्लाइकोसाइडी बन्ध से आप क्या समझते हैं?
उत्तर :
दो मोनोसैकेराइड अणु परस्पर ऑक्सीजन आबन्ध द्वारा जुड़े होते हैं जिसका निर्माण जल के अणु की हानि से होता है। दो मोनोसैकेराइड इकाइयों के मध्य ऑक्सीजन से होकर आबन्ध ग्लाइकोसाइडिक आबन्ध कहलाते हैं।
उदाहरणार्थ :
माल्टोस अणु में ग्लाइकोसाइडिक आबन्ध नीचे प्रदर्शित है
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प्रश्न 6.
ग्लाइकोजन क्या होता है तथा ये स्टार्च से किस प्रकार भिन्न है?
उत्तर :
जन्तुओं के शरीर में कार्बोहाइड्रेट ग्लाइकोजन के रूप में संचित रहता हैं। इसे जन्तु स्टार्च भी कहते हैं, क्योंकि इसकी संरचना ऐमाइलोपेक्टिन के समान होती है, लेकिन यह इससे अत्यधिक शाखित होता है। यह यकृत तथा पेशियों में संचित रहता है। जब हमारे शरीर को ग्लूकोस की आवश्यकता होती है तब एन्जाइम ग्लाइकोजन को ग्लूकोस में परिवर्तित कर देते हैं। दूसरी ओर, स्टार्च ऐमाइलोस (15-20%) जो कि जल में विलेय होता है तथा ऐमाइलोपेक्टिन (80-85%) जो कि जल में अविलेय होता है का मिश्रण होता है। ग्लाइकोजन तथा ऐमाइलोपेक्टिन दोनों α -D.ग्लूकोस के शाखित बहुलक होते हैं। स्टार्च पौधों का प्रमुख संचित पॉलीसैकेराइड होता है।

प्रश्न 7.
(अ) सुक्रोस तथा
(ब) लैक्टोस के जल-अपघटन से कौन-से उत्पाद प्राप्त होते हैं?
उत्तर :
(अ) सुक्रोस जल :
अपघटित होकर 1-अणु ग्लूकोस तथा 1-अणु फ्रक्टोस देता है।
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(ब) लैक्टोस जल :
अपघटित होकर D-ग्लूकोस तथा D-गैलेक्टोस का सममोलर मिश्रण देता है।
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प्रश्न 8.
स्टार्च तथा सेलुलोस में मुख्य संरचनात्मक अन्तर क्या है?
उत्तर :
स्टार्च ऐमिलोस तथा ऐमिलोपेक्टिन से मिलकर बनता है। ऐमिलोस α – D -ग्लूकोस का रेखीय बहुलक होता है, जबकि सेलुलोस β – D-ग्लूकोस का रेखीय बहुलक होता है। ऐमिलोस में एक ग्लूकोस इकाई का C-1 अन्य ग्लूकोस इकाई के C-4 से α – ग्लाइकोसाइडी बन्ध द्वारा जुड़ा रहता है। इसे अग्रांकित चित्र में देखा जा सकता है
UP Board Solutions for Class 12 Chemistry Chapter 14 Biomolecules image 7
सेलुलोस, β – D -ग्लूकोस से बनी ऋजु शृंखलायुक्त पॉलिसैकेराइड है जिसमें एक ग्लूकोस इकाई के C-1 तथा दूसरी ग्लूकोस इकाई के C-4 के मध्य β ग्लाइकोसाइडी बन्ध बनता है।

प्रश्न 9.
क्या होता है जब D-ग्लूकोस की अभिक्रिया निम्नलिखित अभिकर्मकों से करते हैं?
(i) HI
(ii) ब्रोमीन जल
(iii) HNO3.
उत्तर :
(i)
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प्रश्न 10.
ग्लूकोस की उन अभिक्रियाओं का वर्णन कीजिए जो इसकी विवृत श्रृंखला संरचना के द्वारा नहीं समझाई जा सकतीं।
उत्तर :
निम्नलिखित अभिक्रियाएँ ग्लूकोस की विवृत श्रृंखला संरचना के द्वारा नहीं समझाई जा सकती हैं, इन्हें बॉयर ने प्रस्तावित किया था

  1.  ऐल्डिहाइड समूह उपस्थित होते हुए भी ग्लूकोस 2 , 4 – DNP परीक्षण तथा शिफ़-परीक्षण नहीं देता एवं यह NaHSO3 के साथ हाइड्रोजन सल्फाइड योगज उत्पाद नहीं बनाता।
  2. ग्लूकोस का पेन्टाऐसीटेट, हाइड्रॉक्सिलऐमीन के साथ अभिक्रिया नहीं करता जो मुक्त —CHO समूह की अनुपस्थिति को इंगित करता है।
  3.  जब D-ग्लूकोस को शुष्क हाइड्रोजन क्लोराईड गैस की उपस्थिति में मेथेनॉल के साथ अभिकृत कराया जाता है, तब यह दो समावयव मोनोमेथिल व्युत्पन्न देता है जिन्हें मेथिल -α – D-ग्लूकोसाइड तथा मेथिल β-D-ग्लूकोसाइड के नाम से जाना जाता है। ये ग्लूकोसाइड फेहलिंग विलयन को अपचयित नहीं करते तथा हाइड्रोजन सायनाइड अथवा हाइड्रॉक्सिलऐमीन के साथ अभिक्रिया नहीं करते हैं तथा मुक्त -CHO समूह की अनुपस्थिति को इंगित करते हैं।

प्रश्न 11.
आवश्यक तथा अनावश्यक ऐमीनो अम्ल क्या होते हैं? प्रत्येक प्रकार के दो उदाहरण दीजिए।
उत्तर :
(i) आवश्यक ऐमीनो अम्ल (Essential amino acids) :
ऐमीनो अम्ल जिनकी आवश्यकता मानव स्वास्थ्य तथा वृद्धि के लिए होती है, लेकिन इनका संश्लेषण मनुष्य के शरीर में नहीं होता है, आवश्यक ऐमीनो अम्ल कहलाते हैं; जैसे-वेलिन, ल्यूसीन, फेनिलऐलानीन आदि।
(ii) अनावश्यक ऐमीनो अम्ल (Non-essential amino acids) :
ऐमीनो अम्ल जिनकी आवश्यकता मानव स्वास्थ्य तथा वृद्धि के लिए होती है तथा जिनका संश्लेषण मानव शरीर में होता है, अनावश्यक ऐमीनो अम्ल कहलाते हैं; जैसे-ग्लाइसीन, ऐलानीन, ऐस्पार्टिक अम्ल आदि।

प्रश्न 12.
प्रोटीन के सन्दर्भ में निम्नलिखित को परिभाषित कीजिए
(i) पेप्टाइड बन्ध
(ii) प्राथमिक संरचना
(iii) विकृतीकरण। (2015)
उत्तर :
(i) पेप्टाइड बन्ध (Peptide bond) :
रासायनिक रूप से पेप्टाइड आबन्ध, -COOH समूह तथा -NH2, समूह के मध्य बना एक आबन्ध होता है। दो एक जैसे अथवा भिन्न ऐमीनो अम्लों के अणुओं के मध्य अभिक्रिया एक अणु के ऐमीनो समूह तथा दूसरे अणु के कार्बोक्सिल समूह के मध्य संयोग से होती है जिसके फलस्वरूप एक जल का अणु मुक्त होता है तथा पेप्टाइड आबन्ध -CO-NH- बनता है। चूँकि उत्पाद दो ऐमीनो अम्लों के द्वारा बनता है, अत: इसे डाइपेप्टाइड कहते हैं। उदाहरणार्थ :
जब ग्लाइसीन का कार्बोक्सिल समूह, ऐलेनीन के ऐमीनो समूह के साथ संयोग करता है तो हमें एक डाइपेप्टाइड, ग्लाइसिलऐलैनीन प्राप्त होता है।
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(ii) प्राथमिक संरचना (Primary structure) :
प्रोटीन में एक अथवा अनेक पॉलिपेप्टाइड श्रृंखलाएँ उपस्थित हो सकती हैं। किसी प्रोटीन के प्रत्येक पॉलिपेप्टाइड में ऐमीनो अम्ल एक विशिष्ट क्रम में संयुक्त होते हैं। ऐमीनो अम्लों का यह विशिष्ट क्रम प्रोटीन्स की प्राथमिक संरचना बनाता है। प्राथमिक संरचना में किसी भी प्रकार का परिवर्तन अर्थात् ऐमीनो अम्लों के क्रम में परिवर्तन से भिन्न प्रोटीन उत्पन्न होती हैं।

(iii) विकृतीकरण (Denaturation) :
जैविक निकाय में पायी जाने वाली विशेष त्रिविम संरचना तथा जैविक सक्रियता वाली प्रोटीन, प्राकृत प्रोटीन कहलाती हैं। जब प्राकृत प्रोटीन में भौतिक परिवर्तन जैसे ताप में परिवर्तन अथवा रासायनिक परिवर्तन करते हैं (जैसे-pH में परिवर्तन आदि) तो हाइड्रोजन आबन्धों में अस्तव्यस्तता उत्पन्न हो जाती है जिसके कारण गोलिका (ग्लोब्यूल) खुल जाती है तथा हेलिक्स अकुण्डलित हो जाती है तथा प्रोटीन अपनी जैविक सक्रियता को खो देती है। इसे प्रोटीन का विकृतीकरण कहते हैं। विकृतीकरण के दौरान 2° तथा 3° संरचनाएँ नष्ट हो जाती हैं, परन्तु 1° संरचना अप्रभावित रहती है। उबालने पर अण्डे की सफेदी का स्कन्दन विकृतीकरण का एक सामान्य उदाहरण है। एक अन्य उदाहरण दही का जमना है जो दूध में उपस्थित बैक्टीरिया द्वारा लैक्टिक अम्ल उत्पन्न होने के कारण होता है।

प्रश्न 13.
प्रोटीन की द्वितीयक संरचना के सामान्य प्रकार क्या हैं?
उत्तर :
किसी प्रोटीन की द्वितीयक संरचना का सम्बन्ध उस आकृति से है जिसमें पॉलिपेप्टाइड श्रृंखला विद्यमान होती है। यह दो भिन्न प्रकार की संरचनाओं में विद्यमान होती हैं α – हेलिक्स तथा β – प्लीटेड शीट संरचना। ये संरचनाएँ पेप्टाइड आबन्ध के
[latex]\\ \begin{matrix} O \\ \parallel \\ -C- \end{matrix}[/latex]
तथा – NH -समूह के मध्य हाइड्रोजन आबन्ध के कारण पॉलिपेप्टाइड की मुख्य श्रृंखला के नियमित कुण्डलन में उत्पन्न होती हैं।

प्रश्न 14.
प्रोटीन की -हेलिक्स संरचना के स्थायीकरण में कौन-से आबन्ध सहायक होते हैं?
उत्तर :
प्रोटीन की z-हेलिक्स संरचना एक ऐमीनो अम्ल अवशिष्ट के C=0 तथा चतुर्थ ऐमीनो अम्ल अवशेष के N – H के मध्य अन्तरा – आणविक H-आबन्ध द्वारा स्थायित्व प्राप्त करती है।

प्रश्न 15.
रेशेदार तथा गोलिकाकार (globular) प्रोटीन को विभेदित कीजिए।
उत्तर :
(i) रेशेदार प्रोटीन (Fibrous proteins) :
जब पॉलिपेप्टाइड श्रृंखलाएँ समानान्तर होती हैं। तथा हाइड्रोजन एवं डाइसल्फाइड आबन्धों द्वारा संयुक्त रहती हैं तो रेशासम (रेशे जैसी) संरचना बनती है। इस प्रकार के प्रोटीन सामान्यत: जल में अविलेय होती हैं। रेशेदार प्रोटीन जन्तु ऊतकों की प्रमुख संरचनात्मक पदार्थ होती हैं। कुछ सामान्य उदाहरण किरेटिन (बाल, ऊन तथा रेशम में उपस्थित) तथा मायोसिन (मांसपेशियों में उपस्थित) आदि हैं।

(ii) गोलिकाकार प्रोटीन (Globular proteins) :
जब पॉलिपेप्टाइड की श्रृंखलाएँ कुण्डली बनाकर गोलाकृति प्राप्त कर लेती हैं तो ऐसी संरचनाएँ प्राप्त होती हैं। ये सामान्यतः जल में विलेय होती हैं क्योकि इनके अणु दुर्बल अन्तराअणुक बलों द्वारा जुड़े रहते हैं। इन्सुलिन तथा ऐल्बुमिन इनके सामान्य उदाहरण

प्रश्न 16.
ऐमीनो अम्लों की उभयधर्मी प्रकृति को आप कैसे समझाएँगे? (2016, 18)
उत्तर :
ऐमीनो अम्ल में एक कार्बोक्सिल समूह (अम्लीय) तथा एक ऐमीन समूह (क्षारीय) समान अणु में पाए जाते हैं। जलीय विलयन में -COOH समूह एक H+ खोता है तथा —NH2, समूह इसे स्वीकार करता है। इस प्रकार ज्विट्टर आयन (zwitter ion) का निर्माण होता है।
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द्विध्रुवीय या ज्विट्टर आयन संरचना के कारण ऐमीनो अम्ल उभयधर्मी (amphoteric) प्रकृति के होते हैं। ऐमीनो अम्ल की अम्लीय प्रकृति [latex]\overset { + }{ N } { H }_{ 3 }[/latex] के कारण होती है तथा क्षारीय प्रकृति COO समूह के कारण होती है।
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प्रश्न 17.
एन्जाइम क्या होते हैं? (2016, 17, 18)
उत्तर :
एन्जाइम जैव-उत्प्रेरक होते हैं। जीवधारियों में होने वाली विभिन्न रासायनिक अभिक्रियाओं में समन्वयन के कारण ही जीवन सम्भव होता है।
उदाहरणार्थ :
भोजन का पाचन, उपयुक्त अणुओं का अवशोषण तथा अन्तत: ऊर्जा का उत्पादन। इस प्रक्रम में अभिक्रियाएँ एक अनुक्रम में होती हैं तथा ये सभी अभिक्रियाएँ शरीर में मध्यम परिस्थितियों में सम्पन्न होती हैं। यह कुछ जैव-उत्प्रेरकों की सहायता से होता है। इन्हीं जैव-उत्प्रेरकों को एन्जाइम कहा जाता है। रासायनिक रूप में लगभग सभी एन्जाइम गोलिकाकार प्रोटीन होते हैं। एन्जाइम किसी विशेष अभिक्रिया अथवा विशेष क्रियाधार के लिए विशिष्ट होते हैं अर्थात् प्रत्येक जैव-तन्त्र के लिए भिन्न एन्जाइम की आवश्यकता होती है, इसलिए एन्जाइम अन्य प्रचलित उत्प्रेरकों से भिन्न होते हैं। ये अत्यन्त सक्रिय होते हैं तथा इनकी अत्यन्त सूक्ष्म मात्रा की ही आवश्यकता होती है। ये अनुकूल ताप (310K) तथा pH(7.4) एवं एक वायुमण्डलीय दाब पर कार्य करते हैं।

प्रश्न 18.
प्रोटीन की संरचना पर विकृतीकरण का क्या प्रभाव होता है?
उत्तर :
प्रोटीन ऊष्मा, खनिज अम्ल, क्षार आदि की क्रिया के प्रति अत्यधिक संवेदनशील होते हैं। गर्म करने या खनिज अम्लों की क्रिया कराने पर गोलिकामय प्रोटीन (विलेय प्रोटीन) स्कन्दित या अवक्षेपित होकर तन्तुमय प्रोटीन देते हैं जोकि जल में अविलेय होते है जिसके परिणामस्वरूप प्रोटीन की जैव सक्रियता समाप्त हो जाती है। रासायनिक रूप से विकृतिकरण प्राथमिक संरचना को परिवर्तित नहीं करता है, लेकिन प्रोटीन की द्वितीयक तथा तृतीयक संरचनाएँ परिवर्तित हो जाती हैं।

प्रश्न 19.
विटामिनों को किस प्रकार वर्गीकृत किया गया है? रक्त के थक्के जमने के लिए जिम्मेदार विटामिन का नाम दीजिए। (2016)
उत्तर :
विटामिनों को जल या वसा में विलेयता के आधार पर दो वर्गों में वर्गीकृत किया जाता है

  1. जल में विलेय विटामिन (Water soluble vitamins) : विटामिन B-कॉम्प्लेक्स तथा विटामिन Cl
  2. वसा में विलेय विटामिन (Fat soluble vitamins) : विटामिन A, D, E, K आदि। विटामिन K रक्त के थक्के जमने के लिए उत्तरदायी है।

प्रश्न 20.
विटामिन A व C हमारे लिए आवश्यक क्यों हैं? उनके महत्त्वपूर्ण स्रोत दीजिए।
उत्तर :
विटामिन A की कमी से जीरोफ्थैल्मिया (xerophthalmia) तथा रतौंधी (night blindness) हो जाते हैं, अत: इसका प्रयोग हमारे लिए आवश्यक होता है।
(i) स्रोत (Sources) :
मछली के यकृत का तेल, गाजर, मक्खन तथा दूध। विटामिन C की कमी से स्कर्वी (scurvy) तथा पायरिया हो जाता है।
(ii) स्रोत (Sources) :
नींबू, आँवला, हरी पत्तेदार सब्जियाँ, अंकुरित अनाज आदि।

प्रश्न 21.
न्यूक्लीक अम्ल क्या होते हैं? इनके दो महत्त्वपूर्ण कार्य लिखिए। (2016, 17)
उत्तर :
न्यूक्लीक अम्ल वे जैव-अणु होते हैं जो सभी जीवित कोशिकाओं के नाभिकों में न्यूक्लियो- प्रोटीन अथवा क्रोमोसोम के रूप में पाए जाते हैं। न्यूक्लीक अम्ल मुख्यत: दो प्रकार के होते हैं—डिऑक्सीराइबोस न्यूक्लीक अम्ल (DNA) तथा राइबोसन्यूक्लीक अम्ल (RNA)। चूंकि न्यूक्लीक अम्ल न्यूक्लियोटाइडों की लम्बी श्रृंखला वाले बहुलक होते हैं, अतः इन्हें पॉलिन्यूक्लियोटाइड भी कहते हैं। न्यूक्लीक अम्लों के दो महत्त्वपूर्ण कार्य निम्नलिखित हैं

(i) DNA आनुवंशिकता का रासायनिक आधार है तथा इसे आनुवंशिक सूचनाओं के संग्राहक के रूप में जाना जाता है। DNA लाखों वर्षों से किसी जीव की विभिन्न प्रजातियों की पहचान बनाए रखने के लिए विशिष्ट रूप से उत्तरदायी है। कोशिका विभाजन के समय एक DNA अणु स्वप्रतिकरण (self replication) में सक्षम होता है तथा पुत्री कोशिका में समान DNA रज्जुक का अन्तरण होता है।
(ii) न्यूक्लीक अम्ल (DNA तथा RNA) का दूसरा महत्त्वपूर्ण कार्य कोशिका में प्रोटीन का संश्लेषण है। वास्तव में कोशिका में प्रोटीन का संश्लेषण विभिन्न RNA अणुओं द्वारा होता है, परन्तु किसी विशेष प्रोटीन के संश्लेषण का सन्देश DNA में उपस्थित होता है।

प्रश्न 22.
न्यूक्लियोसाइड तथा न्यूक्लियोटाइड में क्या अन्तर होता है? (2012)
उत्तर :
1. न्यूक्लियोसाइड (Nucleosides) :
न्यूक्लियोसाइड में न्यूक्लिक अम्ल के दो आधारीय घटक होते हैं—पेण्टोस शर्करा तथा एक नाइट्रोजनी क्षारक।
नाइट्रोजनी क्षारक + पेन्टोस शर्करा → न्यूक्लियोसाइड
उपस्थित शर्करा के आधार पर न्यूक्लियोसाइड राइबोसाइड तथा डीऑक्सीराइबोसाइड प्रकार के होते हैं।

2. न्यूक्लियोटाइड (Nucleotides) :
न्यूक्लियोटाइड में न्यूक्लिक अम्लों के तीनों घटक अर्थात् H3 PO4, पेण्टोस शर्करा तथा नाइट्रोजनी क्षारक पाए जाते हैं।
नाइट्रोजनी क्षारक + पेन्टोस शर्करा + H3 PO4 न्यूक्लियोटाइड  या  न्यूक्लियोसाइड + H3 PO न्यूक्लियोटाइड
उपस्थित शर्करा के प्रकार के आधार पर न्यूक्लियोटाइड दो प्रकार के होते हैं

  1. राइबोन्यूक्लियोटाइड
  2. डीऑक्सीराइबोन्यूक्लियोटइड।

प्रश्न 23.
DNA के दो रज्जुक समान नहीं होते, अपितु एक-दूसरे के पूरक होते हैं। समझाइए।
उत्तर :
DNA अणु में दो रज्जुक, एक रज्जुक के प्यूरीन क्षारक तथा अन्य के पिरिमिडीन क्षारक के मध्य या इसके विपरीत के मध्य हाइड्रोजन आबन्धों के द्वारा जुड़े रहते हैं। क्षारकों के विभिन्न आकारों एवं ज्यामितियों के कारण DNA में एकमात्र सम्भव युग्मन G (ग्वानीन) तथा C (साइटोसीन) के मध्य तीन हाइड्रोजन आबन्धों द्वारा हो सकता है। दूसरे शब्दों में क्षारकों A (ऐडीनीन) तथा T (थायमीन) के मध्य दो हाइड्रोजन आबन्धों द्वारा युग्मन सम्भव होता है।
UP Board Solutions for Class 12 Chemistry Chapter 14 Biomolecules image 13
इस क्षारक-युग्मन सिद्धान्त के कारण एक रज्जुक में क्षारकों का अनुक्रम दूसरे रज्जुक में क्षारकों के अनुक्रम को स्वत: व्यवस्थित कर देता है। अत: DNA के दो रज्जुक समान नहीं होते, अपितु एक-दूसरे के पूरक होते हैं।

प्रश्न 24.
DNA तथा RNA में महत्त्वपूर्ण संरचनात्मक एवं क्रियात्मक अन्तर लिखिए।
उत्तर :
संरचनात्मक अन्तर (Structural Difference)
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क्रियात्मक अन्तर (Functional Difference)
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प्रश्न 25.
कोशिका में पाए जाने वाले विभिन्न प्रकार के RNA कौन-से हैं?
उत्तर :
कोशिका में तीन प्रकार के RNA पाए जाते हैं

  1. राइबोसोमल RNA (r-RNA)
  2. सन्देशवाहक RNA (m-RNA)
  3. स्थानान्तरण RNA (t-RNA)

परीक्षोपयोगी प्रश्नोत्तर

बहुविकल्पीय प्रश्न
प्रश्न 1.
यौगिकों का युग्म जिसमें दोनों यौगिक टॉलेन्स अभिकर्मक के साथ धनात्मक परीक्षण देते (2016)
(i) ग्लूकोस तथा सुक्रोस
(ii) फ्रक्टोस तथा सुक्रोस
(iii) ग्लूकोस तथा फ्रक्टोस
(iv) ये सभी
उत्तर :
(iii) ग्लूकोस तथा फ्रक्टोस

प्रश्न 2.
सुक्रोस (sucrose) है एक (2017)
(i) मोनोसैकेराइड
(ii) डाइसैकेराइड
(iii) ट्राइसैकेराइड
(iv) पॉलिसैकेराइड
उत्तर :
(i) डाइसैकेराइड

प्रश्न 3.
इन्युलिन के जल-अपघटन से प्राप्त होता है (2017)
(i) ग्लूकोस
(ii) फ्रक्टोस
(iii) ग्लूकोस तथा फ्रक्टोस
(iv) लैक्टोस
उत्तर :
(ii) फ्रक्टोस

प्रश्न 4.
सेलुलोस (cellulose) है एक (2017)
(i) मोनोसैकेराइड
(ii) डाइसैकेराइड
(iii) ट्राइसैकेराइड
(iv) पॉलिसैकेराइड
उत्तर :
(iv) पॉलिसैकेराइड

प्रश्न 5.
ग्लूकोस में ऐल्डिहाइड समूह के अतिरिक्त होता है
(i) एक द्वितीयक तथा चार प्राथमिक –OH समूह
(ii) एक प्राथमिक तथा चार द्वितीयक –OH समूह
(iii) दो प्राथमिक -OH तथा तीन द्वितीयक –OH समूह
(iv) तीन प्राथमिक –OH तथा दो द्वितीयक –OH समूह
उत्तर :
(ii) एक प्राथमिक तथा चार द्वितीयक –OH समूह

प्रश्न 6.
लैक्टोस के तनु अम्ल के साथ जल-अपघटन में प्राप्त होता है
(i) D-ग्लूकोस तथा D.ग्लूकोस का सममोलर मिश्रण।
(ii) D-ग्लूकोस तथा D-गैलेक्टोस को सममोलर मिश्रण
(iii) D-ग्लूकोस तथा D-फ्रक्टोस का सममोलर मिश्रण
(iv) L-ग्लूकोस तथा D.फ्रक्टोस को सममोलर मिश्रण
उत्तर :
(ii) D-ग्लूकोस तथा D-गैलेक्टोस का सममोलर मिश्रण

प्रश्न 7.
ग्लूकोस फेनिलहाइड्राजीन के आधिक्य से क्रिया करके बनाता है
(i) ग्लूकोसाजोन
(ii) ग्लूकोस फेनिलहाइड्राजीन
(iii) ग्लूकोस ऑक्सिम
(iv) सोरबिटॉल
उत्तर :
(i) ग्लूकोसाजोन

प्रश्न 8.
मेथिल α – D-ग्लूकोसाइड तथा मेथिल β -D-ग्लूकोसाइड हैं
(i) ऐपीमर
(ii) एनोमर
(iii) एनेन्शियोमर
(iv) डाइस्टीरियोमर
उत्तर :
(ii) एनोमर

प्रश्न 9.
वह कार्बोहाइड्रेट, जो मनुष्यों के पाचन तन्त्र में नहीं पचता है, है (2014)
(i) स्टार्च
(ii) सेलुलोस
(iii) ग्लाइकोजन
(iv) ग्लूकोस
उत्तर :
(ii) सेलुलोस

प्रश्न 10.
निम्न में से कौन-सा यौगिक बाइयूरेट परीक्षण नहीं देता है? (2014)
(i) कार्बोहाइड्रेट
(ii) पॉलीपेप्टाइड
(iii) यूरिया
(iv) प्रोटीन
उत्तर :
(i) कार्बोहाइड्रेट

प्रश्न 11.
दूध में शर्करा होती है
(i) सुक्रोस
(ii) माल्टोस
(iii) ग्लूकोस
(iv) लैक्टोस
उत्तर :
(iv) लैक्टोस

प्रश्न 12.
शरीर में आरक्षित ग्लूकोस के रूप में कार्य करने वाला कार्बोहाइड्रेट है (2017)
(i) सुक्रोस
(ii) स्टार्च
(iii) ग्लाइकोजन
(iv) फ्रक्टोस
उत्तर :
(iii) ग्लाइकोजन

प्रश्न 13.
इन्सुलिन किसके उपापचय को नियन्त्रित करता है?
(i) खनिज
(ii) ऐमीनो अम्ल
(iii) ग्लूकोस
(iv) विटामिन
उत्तर :
(iii) ग्लूकोस

प्रश्न 14.
शर्करा के किस कार्बन परमाणु पर हाइड्रॉक्सिल समूह की उपस्थिति अथवा अनुपस्थिति RNA तथा DNA में विभेद करती है?
(i) दूसरे
(ii) तीसरे
(iii) चौथे
(iv) पहले
उत्तर :
(i) दूसरे

प्रश्न 15.
बायर अभिकर्मक का उपयोग किया जाता है (2016)
(i) ऑक्सीकरण के लिए
(ii) द्वि-बन्ध की जाँच के लिए
(iii) ग्लूकोस की जाँच के लिए
(iv) अपचयन के लिए।
उत्तर :
(i) ऑक्सीकरण के लिए

प्रश्न 16.
प्रोटीनों में पाये जाने वाले ऐमीनो अम्ल जिन्हें मानव शरीर संश्लेषित करता है, हैं
(i) 20
(ii) 10
(iii) 5
(iv) 4
उत्तर :
(ii) 10

प्रश्न 17.
निम्न में से कौन-सा परीक्षण प्रोटीनों के लिए नहीं किया जाता है?
(i) मिलन परीक्षण
(ii) मोलिश परीक्षण
(iii) बाइयूरेट परीक्षण
(iv) निनहाइडूिन परीक्षण
उत्तर :
(ii) मोलिश परीक्षण

प्रश्न 18.
मानव शरीर में संश्लेषित हो सकने वाला ऐमीनो अम्ल है
(i) लाइसीन
(ii) हिस्टीडीन
(iii) वेलीन
(iv) ऐलानीन
उत्तर :
(iv) ऐलानीन

प्रश्न 19.
α -ऐमीनो अम्ल जिसमें ऐरोमैटिक पाश्र्व श्रृंखला होती है, है
(i) प्रोलीन
(ii) टाइरोसीन
(iii) वेलीन
(iv) ट्रिप्टोफेन
उत्तर :
(iv) ट्रिप्टोफेन

प्रश्न 20.
ऐमीनो अम्लों के सन्दर्भ में निम्न में से कौन-सा कथन सही नहीं है?
(i) ये सभी प्रोटीनों के घटक होते हैं
(ii) ये सभी उच्च गलनांक वाले होते हैं
(iii) प्राकृतिक रूप में पाये जाने वाले ऐमीनो अम्लों का D-विन्यास होता है।
(iv) इनके अभिलाक्षणिक आइसोइलेक्ट्रिक बिन्दु होते हैं।
उत्तर :
(iii) प्राकृतिक रूप में पाये जाने वाले ऐमीनो अम्लों का D-विन्यास होता है।

प्रश्न 21.
ऐमीनो अम्ल निम्न में से किसके निर्माण की इकाई होते हैं? (2011, 12)
(i) कार्बोहाइड्रेट के
(ii) प्रोटीन के
(iii) वसा के
(iv) विटामिन के
उत्तर :
(ii) प्रोटीन के

प्रश्न 22.
एन्जाइम होते हैं (2017)
(i) तेल
(ii) वसा-अम्ल
(iii) प्रोटीन
(iv) खनिज
उत्तर :
(iii) प्रोटीन

प्रश्न 23.
विटामिन B1, का रासायनिक नाम है (2016, 18)
(i) एस्कॉर्बिक अम्ल
(ii) रिबोफ्लेविन
(iii) थायमिन
(iv) पाइरीडॉक्सीन
उत्तर :
(iii) थायमिन

प्रश्न 24.
मानव शरीर में निम्न में से किसका निर्माण नहीं हो सकता है?
(i) एन्जाइम
(ii) DNA
(iii) विटामिन्स
(iv) हॉर्मोन्स
उत्तर :
(iii) विटामिन्स

प्रश्न 25.
कैल्सीफेरॉल कहलाता है (2011)
(i) विटामिन A
(ii) विटामिन B
(iii) विटामिन C
(iv) विटामिन D
उत्तर :
(iv) विटामिन D

प्रश्न 26.
विटामिन A की कमी से होता है (2012)
(i) स्कर्वी
(ii) बेरी-बेरी
(iii) रतौंधी
(iv) अरक्तता
उत्तर :
(iii) रतौंधी

प्रश्न 27.
निम्नलिखित में से कौन-सा विटामिन स्कर्वी रोग के लिए उत्तरदायी है? (2011)
(i) A
(ii) C
(iii) K
(iv) D
उत्तर :
(ii) C

प्रश्न 28.
ऐस्कॉर्बिक अम्ल है (2010)
(i) प्रोटीन
(ii) एन्जाइम
(iii) हॉर्मोन
(iv) विटामिन
उत्तर :
(iv) विटामिन

प्रश्न 29.
बन्ध्यारोधी विटामिन है
(i) विटामिन D
(ii) विटामिन B समूह
(iii) विटामिन E
(iv) विटामिन A
उत्तर :
(iii) विटामिन E

प्रश्न 30.
वसा के साथ आँत में अवशोषित होने वाले विटामिन हैं
(i) A, D
(ii) B, C
(iii) A, C
(iv) B, D
उत्तर :
(i) A, D

प्रश्न 31.
बायोटीन यीस्ट में पाये जाने वाला कार्बनिक पदार्थ है। इसे अन्य किस नाम से पुकारते हैं?
(i) विटामिन H
(ii) विटामिन K
(iii) विटामिन E
(iv) विटामिन B12
उत्तर :
(i) विटामिन H

प्रश्न 32.
वह विटामिन जो न तो जल में और न ही वसा में विलेय है, है
(i) बायोटीन
(ii) थायमीन
(iii) कैल्सीफेरॉल
(iv) ये सभी
उत्तर :
(i) बायोटीन

प्रश्न 33.
निम्न में से प्यूरीन व्युत्पन्न है
(i) साइटोसीन
(ii) ग्वानीन
(iii) यूरेसिल
(iv) थायमीन
उत्तर :
(ii) ग्वानीन

प्रश्न 34.
DNA की द्विकुण्डलीत संरचना का कारण है
(i) स्थिर विद्युत आकर्षण
(ii) वाण्डरवाल्स बल
(iii) द्विध्रुव-द्विध्रुव अन्योन्यक्रियाएँ
(iv) हाइड्रोजन आबन्धन
उत्तर :
(iv) हाइड्रोजन आबन्धन

प्रश्न 35.
DNA में पाये जाने वाले पिरीमिडीन क्षार हैं
(i) साइटोसीन तथा ऐडेनीन
(ii) साइटोसीन तथा ग्वानीन
(iii) साइटोसीन तथा थायमीन
(iv) साइटोसीन तथा यूरेसिल
उत्तर :
(iii) साइटोसीन तथा थायमीन

प्रश्न 36.
निम्न में से कौन-सा अंग फाइट या फ्लाइट हॉर्मोन स्रावित करता है?
(i) ऐड्रीनेलिन
(ii) ऐड्रीनल
(iii) पिट्यूटरी
(iv) वृक्क
उत्तर :
(ii) ऐड्रीनल

प्रश्न 37.
निम्न में से किस हॉर्मोन में आयोडीन होती है?
(i) टेस्टेस्टोरेन
(ii) ऐड्रीनेलिन
(iii) थायरोक्सिन
(iv) इन्सुलिन
उत्तर :
(iii) थायरोक्सिन

अतिलघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
कार्बोहाइड्रेट को परिभाषित कीजिए। (2016, 17)
उत्तर :
कार्बोहाइड्रेट ध्रुवण घूर्णक पॉलीहाइड्रॉक्सी ऐल्डिहाइड या कीटोन होते हैं या वे पदार्थ होते हैं जो जल-अपघटित होकर मोनोसैकेराइड के कई अणु देते हैं।

प्रश्न 2.
स्टार्च तथा सेलुलोस के मोनोमरों में संरचनात्मक अन्तर क्या होता है।
उत्तर :
स्टार्च ऐमाइलोस (20%) तथा ऐमाइलोपेक्टिन (80%) से बना होता है तथा ये दोनों α – D -ग्लूकोस से बने होते हैं। सेलुलोस β – D -ग्लूकोस अणुओं का रैखिक (linear) बहुलक (polymer) होता है।

प्रश्न 3.
मानव शरीर के लिए कार्बोहाइड्रेट्स का महत्त्व क्या है? (2017)
उत्तर :

  1. कार्बोहाइड्रेट्स पौधों तथा जन्तुओं दोनों के लिये आवश्यक हैं ये भोजन का मुख्य घटक हैं।
  2. मोनोसैकेराइड शरीर की उपापचयी क्रियाओं में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
  3.  ये शारीरिक ईंधन के रूप में कार्य करते हैं।
  4. ग्लूकोस शरीर के रक्त का एक मुख्य घटक है।
  5. कार्बोहाइड्रेट संचित ऊर्जा के रूप में कार्य करता है।

प्रश्न 4.
ग्लूकोस के दो रासायनिक परीक्षण लिखिए। (2009)
उत्तर :

  1. शुष्क परखनली में ग्लूकोस गर्म करने पर पिघलता है और फिर भूरा पड़ जाता है तथा जली शर्करा की-सी गन्ध आती है।
  2. अमोनियामय सिल्वर नाइट्रेट विलयन के साथ ग्लूकोस चाँदी का दर्पण देता है।

प्रश्न 5.
मोलिश परीक्षण क्या है? (2012, 17, 18)
उत्तर :
यह कार्बोहाइड्रेट का परीक्षण है। एक परखनली में ग्लूकोस का जलीय विलयन लेकर उसमें 2 मिली 2-नैफ्थॉल का ऐल्कोहॉलिक विलयन मिलाकर उसमें कुछ बूंद सान्द्र H2SO4 की डालने पर दो द्रवों के बीच बैंगनी रंग का वलय बनता है।

प्रश्न 6.
सुक्रोस का रासायनिक सूत्र लिखिए। शुष्क अवस्था में गर्म करने का इस पर क्या प्रभाव होता है? (2010)
उत्तर :
सुक्रोस का रासायनिक सूत्र  C12H22O11 है। शुष्क अवस्था में गर्म करने पर यह भूरे रंग का पदार्थ बनाता है।

प्रश्न 7.
इनुलिन क्या है ? इनुलिन से फ्रक्टोस कैसे प्राप्त करते हैं। समीकरण दीजिए। (2009, 17, 18)
उत्तर :
इनुलिन डहेलिया के पौधे की गाँठों से प्राप्त एक प्रकार का स्टार्च है। इनुलिन को तनु H2SO4 के साथ जल-अपघटित करने पर फ्रक्टोस औद्योगिक मात्रा में बनता है।
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प्रश्न 8.
किस बैक्टीरिया की सहायता से पशु सेलुलोस को पचाते हैं। (2014)
उत्तर :

  1. फाइब्रोबैक्टर सक्सिनोजिनस (Fibrobactor succinoginus)।
  2. रूमिनोकस फ्लेवीफेशियन्स (Ruminocus flacifaciens)।

प्रश्न 9.
स्टार्च तथा ग्लूकोस में दो अन्तर बताइए। (2016)
उत्तर :
स्टार्च तथा ग्लूकोस में प्रमुख अन्तर निम्नवत् हैं

  1. स्टार्च फेहलिंग विलयन के साथ गर्म करने पर क्यूप्रस ऑक्साइड का लाल अवक्षेप नहीं बनाता है, जबकि ग्लूकोस बनाता है।
  2. स्टार्च टॉलेन अभिकर्मक के साथ गर्म करने पर सिल्वर दर्पण नहीं बनाता है जबकि ग्लूकोस बनाता

प्रश्न 10.
प्रोटीन के मुख्य स्रोत क्या हैं? इनमें पाये जाने वाले विभिन्न तत्त्वों के नाम लिखिए। प्रोटीन का हमारे भोजन में क्या महत्त्व है? (2009, 10, 11, 13, 15, 18)
उत्तर :
मुख्य स्रोत : दूध, अण्डा, दालें, मछली, माँस आदि।
मुख्य तत्त्व : C, H, N, 0, S हैं। महत्त्व-प्रोटीन हमारे शरीर की वृद्धि के लिए अत्यन्त आवश्यक हैं। ये हमारे शरीर में नये ऊतकों का निर्माण करते हैं तथा पुराने ऊतकों की टूट-फूट को ठीक करते हैं। प्रोटीन हमारे शरीर को ऊर्जा भी प्रदान करते हैं, परन्तु यह कार्य कार्बोहाइड्रेट तथा वसा की अनुपस्थिति में होता है। प्रोटीन संकीर्ण नाइट्रोजनयुक्त यौगिक हैं। ये हमारे शरीर में पाये जाने वाले खून आदि का pH भी ठीक रखते हैं।

प्रश्न 11.
प्रोटीन क्या हैं? इनके महत्त्वपूर्ण उपयोग लिखिए। (2009, 16, 17)
उत्तर :
प्रोटीन :
प्रोटीन उच्च अणुभार वाले नाइट्रोजन युक्त जटिल कार्बनिक यौगिक हैं जो वनस्पति तथा जन्तु दोनों में प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं और जल अपघटन पर 2-ऐमीनो अम्ल देते हैं। ये सभी जीव-जन्तुओं के शरीर का प्रमुख अवयव हैं। जन्तु शरीर का लगभग 19% भाग प्रोटीन का बना होता है। प्रोटीनों के उपयोग

  1. आहार के रूप में : यह भोजन का आवश्यक अंग हैं; जैसे-अण्डा, मांस, दाल इत्यादि।
  2. एन्जाइम : समस्त एन्जाइम प्रोटीन हैं।
  3. हॉर्मोन : शरीर की अनेक आवश्यक क्रियाओं में भाग लेने वाले पदार्थ प्रोटीन ही हैं।
  4. वस्त्रों में : केसीन (casein) का उपयोग कृत्रिम ऊन और रेशम के बनाने में किया जाता है। इसके अतिरिक्त केसीन प्लास्टिक का उपयोग बटन बनाने में किया जाता है।
  5. औषधियों में : जिलेटिन का उपयोग कैप्सूल (capsules) और फोटोग्राफी की फिल्म तथा प्लेट बनाने में किया जाता है। दवाइयों में प्रयुक्त होने वाले ऐमीनो अम्ल प्रोटीन से प्राप्त किए जाते हैं।
  6. चमड़ा उद्योग में : चमड़े का निर्माण जानवरों की खालों की प्रोटीनों की कमाई (tanning) करके किया जाता है।

प्रश्न 12.
विटामिन A का अणुसूत्र क्या है ? इसकी कमी से क्या हानि होती है? (2010)
उत्तर :
विटामिन A का अणुसूत्र C20H29OH है। इसकी कमी से शरीर की वृद्धि रुक जाती है और रतौंधी नामक नेत्र रोग हो जाता है।

प्रश्न 13.
उन बीमारियों के नाम बताइए जो विटामिन ‘B’ की कमी के कारण उत्पन्न होती हैं। इसके दो स्रोत भी लिखिए। या विटामिन B का क्या महत्त्व है? या विटामिन बी कॉम्प्लेक्स पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए। (2012)
उत्तर :
विटामिन बी कॉम्प्लेक्स जल में विलेय कई विटामिनों B, B2, B6, B12 आदि का जटिल मिश्रण है। आजतक लगभग 12 विटामिन B ज्ञात हैं और इनको B1, B2,…., B6…. B12आदि कहा जाता है। बेरी-बेरी का रोग विटामिन B1 के अभाव से होता है। विटामिन B2 की कमी से त्वचा के रोग हो जाते हैं। विटामिन B12 की कमी से ऐनीमिया हो जाता है। अधिक कमी होने पर स्नायविक दोष हो जाते हैं। इनकी कमी से बच्चों का शारीरिक विकास रुक जाता है। यह विटामिन खमीर में अधिक मात्रा में पाया जाता है। इसके अतिरिक्त दाल, अनाज, पत्तेदार तरकारियाँ, दूध के पदार्थ, माँस, कलेजी, अण्डे आदि इसके मुख्य स्रोत हैं।

प्रश्न 14.
विटामिन C का रासायनिक नाम तथा अणुसूत्र लिखिए। शरीर में इस विटामिन की कमी होने पर क्या हानि होती है? (2009, 11, 15, 16)
उत्तर :
विटामिन C का रासायनिक नाम ऐस्कॉर्बिक ऐसिड है तथा इसका अणुसूत्र C6H806 है। इस विटामिन के अभाव से स्कर्वी रोग हो जाता है, हड्डियाँ भंगुर होने लगती हैं तथा मसूड़े फूल जाते हैं और उनमें से रक्त आने लगता है तथा दाँत ढीले होकर गिरने लगते हैं। गर्म करने पर यह विटामिन नष्ट हो जाता है परन्तु आँवले में पाया जाने वाला विटामिन C गर्मी से नष्ट नहीं होता है। जल में अत्यधिक विलेय होने के कारण यह मूत्र के साथ शीघ्र उत्सर्जित हो जाता है तथा हमारे शरीर में संचित नहीं हो पाता। स्रोत-नींबू, आँवला, नारंगी, टमाटर, फल आदि।

प्रश्न 15.
विटामिन A तथा विटामिन D के क्या स्रोत हैं? शरीर में इनकी कमी से कौन-सी बीमारियाँ हो सकती हैं? (2009, 10, 15, 17)
उत्तर :
(i) विटामिन A के मुख्य स्रोत :
दूध, कॉड मछली का तेल, पालक, पपीता, गाजर, टमाटर आदि। इसकी कमी से शरीर की वृद्धि रुक जाती है और रतौंधी नामक नेत्ररोग हो जाता है।
(ii) विटामिन D के मुख्य स्रोत :
सूर्य का प्रकाश, मक्खन, घी, अण्डे, मछली का तेल आदि। विटामिन D की कमी से हड्डियाँ कमजोर, लचीली और टेढ़ी पड़ जाती हैं और रिकेट्स नामक रोग हो जाता है। इसकी कमी से दाँत भी कमजोर हो जाते हैं।

प्रश्न 16.
सूर्य की किरणों की उपस्थिति में त्वचा के द्वारा कौन-सा विटामिन संश्लेषित होता है और कैसे? (2009)
उत्तर :
सूर्य के प्रकाश की उपस्थिति में त्वचा में स्थित अगस्टीरॉल, अल्ट्रा-वायलेट किरणों के प्रभाव में विटामिन D2 में परिवर्तित हो जाता है।

प्रश्न17.
विटामिन E की कमी से होने वाले रोग का नाम बताइए तथा इसके दो स्रोत लिखिए। (2014)
उत्तर :
विटामिन E की कमी से पेशियों में अपह्यसन होता है तथा जन्तुओं में बन्ध्यता रोग उत्पन्न होता है। विटामिन E गेहूँ के अंकुर के तेल, बिनौले के तेल आदि में पाया जाता है।

प्रश्न 18.
लिपिड क्या हैं? इनके मुख्य कार्य क्या हैं? (2014, 16)
उत्तर :
वे वसा और तेल जो जन्तुओं एवं वनस्पतिओं से प्राप्त होते हैं उन्हें लिपिड वर्ग के अन्तर्गत रखा गया है। लिपिड जल में अविलेय कार्बनिक पदार्थ हैं जो निम्न ध्रुवण के कार्बनिक विलायकों (जैसे-ईथर, क्लोरोफॉर्म) में विलेय होते हैं। कुछ महत्त्वपूर्ण लिपिड इस प्रकार हैं

  1. वसा और तेल
  2. फॉस्फोलिपिड
  3. स्टेरॉयड
  4. टर्मीन्स

लिपिड के कार्य :

  1. कार्बोहाइड्रेट तथा प्रोटीन के अभाव में शरीर को ऊर्जा प्रदान करना।
  2. शरीर के ताप को नियन्त्रित करना।
  3. स्टेरॉयड कोशिका झिल्ली के घटक हैं।
  4. ये हॉर्मोन्स विकास, वृद्धि, पोषण, जनन क्षमता को नियन्त्रित करते हैं।

प्रश्न 19.
मानव शरीर के लिए वसा का क्या महत्त्व है? ।
उत्तर :
वसा शरीर को ऊर्जा प्रदान करती है। शरीर के कोमल भागों की रक्षा करती है और शरीर को बाहरी सर्दी, गर्मी से बचाती है।

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
मोनोसैकेराइड, ओलिगोसैकेराइड तथा पॉलीसैकेराइड कार्बोहाइड्रेट से आप क्या समझते हैं? इनमें कैसे विभेद कीजिएगा? । (2012) कार्बोहाइड्रेटों को उदाहरण देते हुए वर्गीकृत कीजिए। (2011, 12, 13, 17) या मोनोसैकेराइड एवं पॉलीसैकेराइड से आप क्या समझते हैं? उदाहरण सहित वर्णन (2018) कीजिए।
उत्तर :
कार्बोहाइड्रेटों का वर्गीकरण-कार्बोहाइड्रेट का वर्गीकरण उनकी आणविक जटिलता या उनके जल-अपघटन पर उत्पन्न पदार्थों पर आधारित है। कार्बोहाइड्रेटों को निम्नलिखित मुख्य वर्गों में बाँटा गया है।
1. मोनोसैकेराइड :
ये सरल शक्कर होती हैं। इनका जल-अपघटन नहीं किया जा सकता है। इसके अणु में कार्बन परमाणु 6 से अधिक नहीं होते हैं, जैसे कि- C6H12O6 (ग्लूकोस), C6H12O6 (फ्रक्टोस) आदि।

2. ओलिगोसैकेराइड :
जो शर्कराएँ जल-अपघटित करने पर मोनोसैकेराइड के कुछ अणु (2 से 10 अणु ) देती हैं ओलिगोसैकेराइड कहलाती हैं। ये शर्कराएँ डाइसैकेराइड, ट्राइसैकेराइड आदि प्रकार की होती हैं।

3. डाइसैकेराइड :
ये वे शक्करें हैं जो जल-अपघटने पर मोनोसैकेराइडों के दो अणु देती हैं; जैसे कि— C12H22O11 (सुक्रोस), C12H22O11 (माल्टोस) आदि।
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4. ट्राइसैकेराइड :
ये वे शक्करें हैं जो जल-अपघटन पर मोनोसैकेराइडों के तीन अणु देती हैं, जैसे कि– C18H32O16 (रैफिनोस)।
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5. पॉलीसैकेराइड :
ये स्वाद में मीठे नहीं होते हैं; अत: इन्हें शक्कर नहीं कहते हैं। ये जल-अपघटन पर मोनोसैकेराइडों के बहुत अधिक अणु बनाते हैं। इनका सामान्य सूत्र (C6H10O5)n, है। इनका अणुभार बहुत अधिक होता है, जैसे कि स्टार्च, सेलुलोस आदि।
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प्रश्न 2.
(i) ग्लूकोस और स्टार्च में विभेद के परीक्षण लिखिए।
(ii) फ्रक्टोस फेहलिंग विलयन को अपचयित कर देता है, जबकि उसमें कीटोन समूह होता है। (2016)
उत्तर :
(i) ग्लूकोस और स्टार्च में विभेद के परीक्षण निम्नवत् हैं
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(ii) फ्रक्टोस, टॉलेन अभिकर्मक तथा फेहलिंग विलयन द्वारा ऑक्सीकृत होकर क्रमशः रजत दर्पण तथा लाल अवक्षेप बनाता है। इसका कारण यह है कि दोनों अभिकर्मकों में उपस्थित क्षार की उपस्थिति में फ्रक्टोस का ग्लूकोस में पुनर्विन्यास हो जाता है, इस प्रकार प्राप्त ग्लूकोस की टॉलेन अभिकर्मक तथा फेहलिंग विलयन से अभिक्रिया के फलस्वरूप क्रमशः रजत दर्पण तथा लाल अवक्षेप प्राप्त होते हैं।

प्रश्न 3.
ग्लूकोस तथा सुक्रोस में विभेद करने वाले दो रासायनिक समीकरण लिखिए। (2016)
उत्तर :
1. ग्लूकोस सान्द्रH2SO4 के साथ ठण्डे में नहीं झुलसता परन्तु गर्म करने पर काला हो जाता है।
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2. सुक्रोस सान्द्र H2SO4 के साथ ठण्डे में झुलसकर काली हो जाती है।
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प्रश्न 4.
डाइसैकेराइड क्या हैं? इनके प्रकार तथा किसी एक के रासायनिक परीक्षण भी लिखिए। (2017)
उत्तर :
डाइसैकेराइड (Disaccharides) :
जो कार्बोहाइड्रेट जल अपघटित करने पर मोनोसैकेराइड के दो अणु देते हैं, डाइसैकेराइड कहलाते हैं
उदाहरण :
सुक्रोस, नाटोस, लैक्टोस। डाइसैकेराइड दो प्रकार के होते हैं

  1. अपचायी शर्कराएँ : जो शर्करा फेहलिंग विलयन को अपचयित करते हैं उन्हें अपचायी शर्करा कहते हैं; जैसे—माल्टोज और लैक्टोस
  2. अनपचयी शर्कराएँ : जो शर्करा फेहलिंग विलयन को अपचयित नहीं करते हैं उन्हें अनपचयी शर्करा कहते हैं; जैसे-सुक्रोस

परीक्षण :

  1. डाइसैकेराइड भी अन्य कार्बोहाड्रेट की तरह मॉलिश परीक्षण देते हैं।
  2. सुक्रोस फेहलिग विलयन को अपचयित नहीं करता जबकि माल्टोस और लेक्टोस फेहलिंग विलयन को अपचयित करता है।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
ग्लूकोस का संरचना सूत्र लिखिए। इसकी तीन रासायनिक अभिक्रियाओं का वर्णन कीजिए जिनसे इसके पॉलीहाइड्रॉक्सी ऐल्डिहाइड का होना सिद्ध होता है। (2015) या  उस रासायनिक समीकरण का उल्लेख कीजिए जिससे ज्ञात होता है कि ग्लूकोस में पाँच हाइड्रॉक्सिल समूह उपस्थित हैं। (2014, 15, 16)
उत्तर :
ग्लूकोस की संरचना
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(i) ग्लूकोस में –OH समूह की उपस्थिति :
ग्लूकोस की CH3,COCI के साथ क्रिया कराने पर ग्लूकोस पेन्टा ऐसीटेट बनता है जिससे यह सिद्ध होता है कि ग्लूकोस में 5(–OH) समूह उपस्थित
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(ii) ग्लूकोस में कार्बोनिल समूह की उपस्थिति :
ग्लूकोस की HCN के साथ क्रिया कराने पर ग्लूकोस सायनोहाइड्रिन बनता है।
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(iii) ग्लूकोस में-CHO समूह की उपस्थिति :
ग्लूकोस फेहलिंग विलयन एवं टॉलेन अभिकर्मक को अपचयितं करता है।
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उपर्युक्त अभिक्रियाओं से यह प्रदर्शित होता है कि ग्लूकोस पॉलिहाइड्रॉक्सी ऐल्डिहाइड है।

प्रश्न 2.
ऐमीनो अम्ल क्या हैं? इनका वर्गीकरण कैसे किया जाता है। उदाहरण देकर समझाइए। (2015)
उत्तर :
ऐमीनो अम्ल-ऐमीनो अम्लों के अणु प्रोटीन अणुओं की निर्माण की इकाई या एकलक इकाइयाँ हैं।
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जहाँ  R  ऐल्किल या ऐरिल समूह है।
ऐमीनो अम्लों का वर्गीकरण
1.
प्रकृति के आधार पर
(i) उदासीन ऐमीनो अम्ल :
वे ऐमीनो अम्ल जिनमें -NH2, तथा —COOH समूह की संख्या समान होती है, उन्हें उदासीन ऐमीनो अम्ल कहते हैं।
उदाहरण :
-NH2-CH2-COOH

(ii) अम्लीय ऐमीनो अम्ल :
वे ऐमीनो अम्ल जिनमें प्रत्येक अणु में केवल एक ऐमीनो (-NH2) समूह तथा एक से अधिक कार्बोक्सिल (-COOH) समूह होते हैं।
उदाहरण :
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(iii) क्षारीय ऐमीनो अम्ल :
इनमें एक-COOH समूह तथा एक से अधिक -NH2, समूह होते हैं।
उदाहरण :
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(iv) सल्फरयुक्त ऐमीनो अम्ल :
इनमें सल्फर उपस्थित होता है।
उदाहरण :
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2.
हाइड्रोकार्बन की प्रकृति के आधार पर
(i) ऐलिफैटिक ऐमीनो अम्ल :
इनमें पार्श्व श्रृंखला भाग R ऐल्किल समूह होता है।
उदाहरण :
ग्लाइसीन, ऐलानीन आदि।

(ii) ऐरोमैटिक ऐमीनो अम्ल :
इनमें पार्श्व श्रृंखला भाग R ऐरिल समूह होता है।
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(iii) विषम चक्रीय ऐमीनो अम्ल :
इनमें पार्श्व श्रृंखला भाग R विषम चक्रीय होता है।
उदाहरण :
प्रोलीन
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प्रश्न 3.
प्रोटीन की द्वितीयक संरचना से आप क्या समझते हैं। प्रोटीन की संरचना को स्थायित्व प्रदान करने वाले कारकों को लिखिए। (2016)
उत्तर :
प्रोटीन की द्वितीयक संरचना-किसी प्रोटीन की द्वितीयक (2°) संरचना का सम्बन्ध उस आकृति से है जिसमें पॉलिपेप्टाइड श्रृंखला पायी जाती हैं। ये दो प्रकार की संरचनाएँ हैं α -हैलिक्स तथा β-प्लीटेड शीट संरचना।
1.α -हैलिक्स संरचना :
इस संरचना में पॉलिपेप्टाइड श्रृंखला दक्षिणावर्ती पेंच के समान मुड़ी रहती है। इसमें प्रत्येक ऐमीनो अम्ल अवशिष्ट का – NH समूह, कुण्डली के अगले मोड़ पर स्थित (- C = O) समूह के साथ हाइड्रोजन आबन्ध बनाता है। हैलिक्स संरचना को 3-613हैलिक्स भी कहते हैं क्योंकि हैलिक्स के प्रत्येक घुमाव में 3- 6 ऐमीनो अम्ल अवशेष रहते हैं। हैलिक्स विभिन्न भागों में C = O तथा —NH समूहों के मध्य H – आबन्ध द्वारा 13 सदस्य वलय बनाती है। बालों व ऊन जैसी रेशेदार प्रोटीनों की संरचना इस प्रकार की होती है।

2. β -प्लीटेड शीट संरचना :
इस प्रकार की संरचना में सभी पॉलीपेप्टाइड श्रृंखलाएँ खुली हुई अवस्था में एक-दूसरे के पार्श्व में स्थित होती हैं तथा परस्पर अन्तराण्विक हाइड्रोजन बन्धों द्वारा
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जुड़ी होती हैं। अत: इस प्रकार की संरचना वाली प्रोटीन मुलायम होती है। रेशम की संरचना ऐसी ही होती है।
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प्रोटीन की संरचना को स्थायित्व प्रदान करने वाले कारक प्रोटीन की संरचना को स्थायित्व प्रदान करने वाले प्रमुख कारक निम्न हैं

    1. आयनिक आबन्ध या लवण आबन्ध
    2. हाइड्रोजन आबन्ध
  1. हाइड्रोफोबिक आबन्ध (जलविरोधी बन्ध)
  2. डाइसल्फाइड आबन्ध

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UP Board Solutions for Class 12 Chemistry Chapter 10 Haloalkanes and Haloarenes

UP Board Solutions for Class 12 Chemistry Chapter 10 Haloalkanes and Haloarenes (हैलोऐल्केन तथा हैलोऐरीन) are part of UP Board Solutions for Class 12 Chemistry. Here we have given UP Board Solutions for Class 12 Chemistry Chapter 10 Haloalkanes and Haloarenes (हैलोऐल्केन तथा हैलोऐरीन).

Board UP Board
Textbook NCERT
Class Class 12
Subject Chemistry
Chapter Chapter 10
Chapter Name Haloalkanes and Haloarenes
Number of Questions Solved 65
Category UP Board Solutions

UP Board Solutions for Class 12 Chemistry Chapter 10 Haloalkanes and Haloarenes (हैलोऐल्केन तथा हैलोऐरीन)

अभ्यास के अन्तर्गत दिए गए प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
निम्नलिखित यौगिकों की संरचनाएँ लिखिए –
(i) 2- क्लोरो-3-मेथिलपेन्टेन
(ii) 1-क्लोरो-4-एथिलसाइक्लोहेक्सेन
(iii) 4-तृतीयक-ब्यूटिल-3-आयोडोहेप्टेन
(iv) 1, 4-डाइब्रोमोब्यूट-2-ईन ।
(v) 1-ब्रोमो-4-द्वितीयक-ब्यूटिल-2-मेथिलबेंजीन।
उत्तर
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प्रश्न 2.
ऐल्कोहॉल तथा KI की अभिक्रिया में सल्फ्यूरिक अम्ल का उपयोग क्यों नहीं करते हैं?
उत्तर
2KI + H2SO4 → 2KHSO4 + 2HI
2HI + H2SO4 → 2H2O + I2 + SO2
इन अभिक्रियाओं में H,SO, एक ऑक्सीकारक है। यह अभिक्रिया के दौरान निर्मित HI को I2 में ऑक्सीकृत कर देता है एवं HI तथा ऐल्कोहॉल की क्रिया से ऐल्किल हैलाइड के निर्माण को रोकता है। इस समस्या के निदान के लिए H2SO4 के स्थान पर फॉस्फोरिक अम्ल (H3PO4) का प्रयोग किया जाता है, जो कि अभिक्रिया के लिए HI उपलब्ध कराता है तथा H2SO4 के समान I2 नहीं देता है।

प्रश्न 3.
प्रोपेन के विभिन्न डाइहैलोजेन व्युत्पन्नों की संरचनाएँ लिखिए।
उत्तर
प्रोपेन (CH3 CH2 CH3) के चार समावयवी डाइहैलोजन व्युत्पन्न सम्भव हैं।
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प्रश्न 4.
C5H12 अणुसूत्र वाले समावयवी ऐल्केनों में से उसको पहचानिए जो प्रकाश रासायनिक क्लोरीनीकरण पर देता है –
(i) केवल एक मोनोक्लोराइड
(ii) तीन समावयवी मोनोक्लोराइड
(iii) चार समावयवी मोनोक्लोराइड
उत्तर
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निओपेन्टेन निओपेन्टेन के सभी H-परमाणु तुल्य हैं अतएव किसी भी H-परमाणु के प्रतिस्थापन से समान उत्पाद प्राप्त होता है।
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[latex]\overset { a }{ C } { H }_{ 3 }[/latex] [latex]\overset { b }{ C } { H }_{ 2 }[/latex] [latex]\overset { c }{ C } { H }_{ 2 }[/latex] [latex]\overset { b }{ C } { H }_{ 2 }[/latex] [latex]\overset { a }{ C } { H }_{ 3 }[/latex] में समान H-परमाणुओं के तीन समुच्चय हैं, जिन्हें a, b तथा c से चिह्नित किया गया है। प्रत्येक समुच्चय से किसी एकसमान हाइड्रोजन के विस्थापन से समान उत्पाद प्राप्त होता है। अत: तीन समावयवी मोनोक्लोराइड सम्भव हैं।
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चार प्रकार के तुल्य H-परमाणु उपस्थित हैं, जिन्हें a, b,c तथा d से चिह्नित किया गया है। अतः चार समावयवी मोनोक्लोराइड संभव हैं।

प्रश्न 5.
निम्नलिखित प्रत्येक अभिक्रिया के लिए मोनोहैलो उत्पाद की संरचना बनाइए-
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उत्तर
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प्रश्न 6.
निम्नलिखित यौगिकों को क्वथनांकों के बढ़ते क्रम में व्यवस्थित कीजिए –

  1. ब्रोमोमेथेन, ब्रोमोफॉर्म, क्लोरोमेथेन, डाइब्रोमोमेथेन
  2. 1-क्लोरोप्रोपेन, आइसोप्रोपिल क्लोराइड, 1-क्लोरोब्यूटेन

उत्तर

  1. क्वथनांकों का बढ़ता क्रम है- क्लोरोमेथेन < ब्रोमोमेथेन < डाइब्रोमोमेथेन < ब्रोमोफॉर्म
    कारण (Reason) – आण्विक द्रव्यमान बढ़ने के साथ क्वथनांक बढ़ता है।
  2. क्वथनांकों का बढ़ता क्रम है –
    आइसोप्रोपिल क्लोराइड < 1-क्लोरोप्रोपेन < 1-क्लोरोब्यूटेन
    कारण (Reason) – आण्विक द्रव्यमान बढ़ने पर क्वथनांक बढ़ता है। समावयवी ऐल्किल हैलाइडों में शाखित समावयवी का क्वथनांक निम्न होता है।

प्रश्न 7.
निम्नलिखित युग्मों में से आप कौन-से ऐल्किल हैलाइड द्वारा SK 2क्रियाविधि से अधिक तीव्रता से अभिक्रिया करने की अपेक्षा करते हैं? अपने उत्तर को समझाइए।
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उत्तर
यदि विशेष सूत्र के समावयवियों में छोड़ने वाला समूह (leaving group) समान हो तब SN 2 क्रियाविधि के सापेक्ष समावयवियों की क्रियाशीलता त्रिविम बाधा (steric hindrance) बढ़ने के साथ घटती है, अतः
(i) CH3 CH2 CH2 CH2 Br (1° ऐल्किल हैलाइड)CH3CH2– CHBr – CH3 (2° ऐल्किल हैलाइड) से अधिक क्रियाशील होता है।
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(2° ऐल्किल हैलाइड), (CH3)3 CBr (3° ऐल्किल हैलाइड) से अधिक क्रियाशील होता है।

(iii) दोनों 2° ऐल्किल हैलाइड हैं, लेकिन (II) ऐल्किल हैलाइड में C2 पर स्थित- CH3 समूह Br परमाणु के निकट स्थित है जबकि (I) ऐल्किल हैलाइड में C3 पर स्थित -CH3 समूह Br परमाणु से कुछ दूर स्थित है। इसके परिणामस्वरूप ऐल्किल हैलाइड (II) अधिक त्रिविम बाधा अनुभव करता है, अतएव SN 2 अभिक्रिया में (I), (II) की तुलना में अधिक तीव्रता से क्रिया करेगा।

प्रश्न 8.
हैलोजेन यौगिकों के निम्नलिखित युग्मों में से कौन-सा यौगिक तीव्रता से SN 1 अभिक्रिया करेगा?
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उत्तर
SN 1 अभिक्रिया में हैलोजेन यौगिकों की क्रियाशीलता आयनन के परिणामस्वरूप निर्मित कार्बोधनायन के स्थायित्व पर निर्भर करती है। स्थायित्व का क्रम तृतीयक > द्वितीयक > प्राथमिक है। अत:
(i) (a) 3° ऐल्किल क्लोराइड है जबकि (b) 2° ऐल्किल क्लोराइड है। अतएव (a) SN 1 अभिक्रिया में अधिक क्रियाशील है।
(ii) (a) 2° ऐल्किल क्लोराइड है जबकि (b) 1° ऐल्किल क्लोराइड है। अतएव 2° ऐल्किल क्लोराइड sN 1 अभिक्रिया में अधिक क्रियाशील है।

प्रश्न 9.
निम्नलिखित में A,B,C,D,E,R तथा R’ को पहचानिए –
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उत्तर
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अतिरिक्त अभ्यास

प्रश्न 1.
निम्नलिखित हैलाइडों के नाम आई०यू०पी०ए०सी० (IUPAC) पद्धति से लिखिए तथा उनका वर्गीकरण, ऐल्किल, ऐलिलिक, बेन्जिलिक (प्राथमिक, द्वितीयक एवं तृतीयक), वाइनिल अंथवा ऐरिल हैलाइड के रूप में कीजिए –

  1. (CH3)2CHCH(Cl)CH3
  2. CH3CH2CH(CH3)CH(C2H5)Cl
  3. CH3CH2C(CH3)2CH2I
  4. (CH3)3 CCH2CH(Br)C6H5
  5. CH3CH(CH3)CH(Br)CH3
  6. CH3C(C2H5)2CH2Br
  7. CH3C(Cl)(C2H5)CH2CH3
  8. CH3CH = C(Cl)CH2CH(CH3)2
  9. CH3CH = CHC(Br)(CH3)2
  10. p-ClC6H4CH2CH(CH3)2
  11. m-ClCH2C6H4CH2C(CH3)3
  12. o-Br-C6H4CH(CH3)CH2CH3

उत्तर

  1. 2-क्लोरो-3-मेथिलब्यूटेन, 2° ऐल्किल हैलाइड
  2. 3-क्लोरो-4 मेथिलहेक्सेन, 2° ऐल्किल हैलाइड
  3. 1-आयोडो-2,2-डाइमेथिलब्यूटेन, 1° ऐल्किल हैलाईड
  4. 1-ब्रोमो-3, 3-डाइमेथिल-1- फेनिलब्यूटेन, 2° बेन्जिलिक हैलाइड
  5. 2-ब्रोमो-3-मेथिलब्यूटेन, 2° ऐल्किल हैलाइड
  6. 1-ब्रोमो-2-एथिल-2-मेथिलब्यूटेन, 1° ऐल्किल हैलाइड
  7. 3-क्लोरो-3-मेथिलपेन्टेन, 3° ऐल्किल हैलाइड
  8. 3-क्लोरो-5-मेथिलहेक्स-2-ईन, वाइनिलिक हैलाइड
  9. 4-ब्रोमो-4-मेथिलपेन्ट-2-ईन, ऐलीलिक हैलाइड
  10. 1-क्लोरो-4-(2-मेथिलप्रोपिल)- बेंजीन, ऐरिल हैलाइड
  11. 1-क्लोरोमेथिल-3-(2, 2-डाइमेथिलप्रोपिल) बेंजीन, 1° बेंजाइलिक हैलाइड
  12. 1-ब्रोमो-2-(1-मेथिलप्रोपिल) बेंजीन, ऐरिल हैलाइड

प्रश्न 2.
निम्नलिखित यौगिकों के IUPAC नाम दीजिए –

  1. CH3CH(Cl)CH(Br)CH3
  2. CHF2CBrClF
  3. ClCH2C ≡ CCH2Br
  4. (CCl3)3CCl
  5. CH3C(p- ClC6H4)2CH(Br)CH3
  6. (CH3)3CCH = ClC6HI-P

उत्तर

  1. 2-ब्रोमो-3-क्लोरोब्यूटेन
  2. 1-ब्रोमो-1-क्लोरो-1, 2, 2-ट्राइफ्लोरोएथेन
  3. 1-ब्रोमो-4-क्लोरोब्यूट-2-आइन
  4. 2-(ट्राइक्लोरोमेथिल) -1,1,1, 2, 3, 3, 3,-हैप्टाक्लोरोप्रोपेन
  5. 2-ब्रोमो-3,3-बिस (4-क्लोरोफेनिल)ब्यूटेन
  6. 1-क्लोरो-1-(4-आयोडोफेनिल)-3, 3-डाइमेथिलब्यूट- 1-ईन

प्रश्न 3.
निम्नलिखित कार्बनिक हैलोजेन यौगिकों की संरचना दीजिए –
(i) 2-क्लोरो-3-मेथिलपेन्टेन
(ii) p-ब्रोमोक्लोरो बेन्जीन
(iii) 1-क्लोरो-4-एथिलसाइक्लोहेक्सेन
(iv) 2-(2-क्लोरोफेनिल)-1-आयोडोऑक्टेन
(v) 2-ब्रोमोब्यूटेन
(vi) 4-तृतीयक-ब्यूटिल-3-आयोडोहेप्टेन
(vii) 1-ब्रोमो-4-द्वितीयक-ब्यूटिल-2-मेथिल बेन्जीन
viii) 1,4-डाइब्रोमोब्यूट-2-ईन।
उत्तर
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प्रश्न 4.
निम्नलिखित में से किसका द्विध्रुव आघूर्ण सर्वाधिक होगा?

  1. CH2Cl2
  2. CHCl3
  3. CCl4

उत्तर
CH2Cl2 का द्विध्रुव आघूर्ण सर्वाधिक है। इसका कारण यह है कि इसमें दोनों C-Cl आबन्ध आघूर्गों का परिणामी तथा दोनों C-H आबन्ध आघूर्गों के परिणामी एक ही दिशा में कार्य करते हैं।
CHCl3 में दोनों C – Cl आबन्ध आघूर्गों का परिणामी तीसरे C – Cl आबन्ध आघूर्ण के विपरीत दिशा में कार्य करता है।
CCl4 की आकृति सममित होने के कारण इसका द्विध्रुव आघूर्ण शून्य है।
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प्रश्न 5.
एक हाइड्रोकार्बन C5H10 अँधेरे में क्लोरीन के साथ अभिक्रिया नहीं करता, परन्तु सूर्य के तीव्र प्रकाश में केवल एक मोनोक्लोरो यौगिक C5H9Cl देता है। हाइड्रोकार्बन की संरचना क्या है?
उत्तर
हाइड्रोकार्बन C5H10 या तो एक ऐल्कीन है अथवा साइक्लोऐल्केन। चूँकि यह क्लोरीन से अन्धेरे में क्रिया नहीं करता है, अतएव यह ऐल्कीन नहीं हो सकता। इस प्रकार इसे एक साइक्लोऐल्केन होना चाहिए।
साइक्लोऐल्केन सूर्य के प्रकाश की उपस्थिति में Cl2 से अभिक्रिया करके मोनोक्लोरो यौगिक, C5H9Cl देता है। इसलिए साइक्लोऐल्केन के सभी 10 H-परमाणु तुल्य होंगे। अत: साइक्लोऐल्केन साइक्लोपेन्टेन (cyclopentane) है। सूर्य के प्रकाश में साइक्लोपेन्टेन निम्न प्रकार से क्लोरीन से क्रिया कर एक मोनोक्लोरो यौगिक C5H9Cl देता है –
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इस प्रकार C5H10 साइक्लोपेन्टेन है।

प्रश्न 6.
C4H9Br सूत्र वाले यौगिक के सभी समावयवी लिखिए।
उत्तर
C4H9Br एक संतृप्त यौगिक है, क्योंकि इसका पितृ हाइड्रोकार्बन C4H10 है। इसके समावयवी निम्न हैं –
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प्रश्न 7.
निम्नलिखित से 1-आयोडोब्यूटेन प्राप्त करने की समीकरण दीजिए –
(i) 1-ब्यूटेनॉल
(ii) 1-क्लोरोब्यूटेन
(iii) ब्यूट-1-ईन।
उत्तर
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प्रश्न 8.
उभयदन्ती नाभिकरागी क्या होते हैं? एक उदाहरण की सहायता से समझाइए।
उत्तर
जो नाभिकरागी अभिकर्मक किसी इलेक्ट्रॉन न्यून केन्द्र पर अपने दो भिन्न परमाणुओं के माध्यम से आक्रमण करने में सक्षम होते हैं, उन्हें उभयदन्ती नाभिकरागी कहा जाता है; जैसे- सायनाइड आयन एक उभयदन्ती नाभिकरागी है, क्योंकि यह निम्न दो अनुनाद संरचनाओं का एक संकर है और C तथा N, दोनों परमाणुओं के माध्यम से इलेक्ट्रॉन न्यून केन्द्र पर आक्रमण करने में सक्षम है।
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प्रश्न 9.
निम्नलिखित प्रत्येक युग्मों में से कौन-सा यौगिक OH के साथ SN 2 अभिक्रिया में अधिक तीव्रता से अभिक्रिया करेगा?

  1. CH2Br अथवा CH3I
  2. (CH3)3 CCl अथवा CH3Cl

उत्तर

  1. CH3I अधिक तेजी से क्रिया करेगा, क्योंकि Br की अपेक्षा I आसानी से यौगिक को छोड़ देगा।
  2. कम त्रिविम बाधा (steric hindrance) प्रदर्शित करने के कारण CH3Cl,SN 2अभिक्रिया में तेजी से क्रिया करेगा।

प्रश्न10.
निम्नलिखित हैलाइडों के एथेनॉल में सोडियम हाइड्रॉक्साइडे द्वारा विहाइड्रोहैलोजेनीकरण के फलस्वरूप बनने वाली सभी ऐल्कीनों की संरचना लिखिए। इसमें से मुख्य ऐल्कीन कौन-सी होगी?

  1. 1-ब्रोमो-1-मेथिलसाइक्लोहेक्सेन
  2. 2-क्लोरो-2-मेथिलब्यूटेन
  3. 2,2,3-ट्राइमेथिल-3-ब्रोमोपेन्टेन।

उत्तर
1. चूँकि Br के दोनों ओर स्थित है-हाइड्रोजन परमाणु समतुल्य हैं, अतएव केवल एक ऐल्कीन प्राप्त होगी।
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2. 2-क्लोरो-2-मेथिलब्यूटेन में समतुल्य β- हाइड्रोजनों के 2 अलग-अलग समुच्चय हैं अत: यह 2 ऐल्कीन देगा।
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चूँकि अधिक प्रतिस्थापित ऐल्कीन अधिक स्थायी होगी अत: 2-मेथिलब्यूट-2-ईन ही मुख्य ऐल्कीन होगी।
(iii) हैलाइड में दो भिन्न प्रकार के β- हाइड्रोजन परमाणु उपस्थित हैं। अतएव विहाइड्रोहैलोजनीकरण अभिक्रिया में यह दो ऐल्कीन 3,4,4-ट्राइ-मेथिल पेंट-2-ईन तथा 2-एथिल-3, डाइमेथिलब्यूट-1-ईन का निर्माण करेगा। पहला ऐल्कीन अधिक स्थिर है, क्योंकि यह अधिक प्रतिस्थापित (more substituted) है (सैटजैफ नियम के अनुसार)। अतएव यह प्रमुख उत्पाद है।
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प्रश्न 11.
निम्नलिखित परिवर्तन आप कैसे करेंगे?
(i) एथेनॉल से ब्यूट-1-आइन
(ii) एथीन से ब्रोमोएथेन
(iii) प्रोपीन से 1-नाइट्रोप्रोपीन
(iv) टॉलूईन से बेन्जिल ऐल्कोहॉल
(v) प्रोपीन से प्रोपाइन
(vi) एथेनॉल से एथिल फ्लुओराइड
(vii) ब्रोमोमेथेन से प्रोपेनोन
(viii) ब्यूट-1-ईन से ब्यूट-2-ईन
(ix) 1-क्लोरोब्यूटेन से n-ऑक्टेन
(x) बेन्जीन से बाइफेनिल
उत्तर
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प्रश्न 12.
समझाइए, क्यों –

  1. क्लोरोबेन्जीन का द्विध्रुव आघूर्ण साइक्लोहेक्सिले क्लोराइड की तुलना में कम होता है?
  2. ऐल्किल हैलाइड ध्रुवीय होते हुए भी जल में अमिश्रणीय हैं?
  3. ग्रीन्यार अभिकर्मक का विरचन निर्जलीय अवस्थाओं में करना चाहिए?

उत्तर
1. उच्च s- लक्षण के कारण sp2 – संकरित कार्बन sp3 – संकरित कार्बन से अधिक ऋणविद्युती होता है। अत: क्लोरोबेंजीन में C-Cl आबन्ध के sp2 – संकरित कार्बन में साइक्लोहेक्सिल क्लोराइड के sp3 – ‘संकरित कार्बन की तुलना में Cl की इलेक्ट्रॉन मुक्त करने की प्रवृत्ति कम होती है, जिसके परिणामस्वरूप क्लोरोबेंजीन में C-Cl आबन्ध साइक्लोहेक्सिल क्लोराइड में C-Cl आबन्ध से कम ध्रुवीय होता है। बेंजीन वलय पर Cl परमाणु के एकाकी युग्म इलेक्ट्रॉनों के विस्थानीकरण (delocalization) के कारण क्लोरोबेंजीन के C-Cl आबन्ध में आंशिक द्विआबन्ध लक्षण आ जाते हैं। दूसरे शब्दों में क्लोरोबेंजीन में C-Cl आबन्ध साइक्लोहेक्सिल क्लोराइड में C-Cl आबन्ध से छोटा होता है।
चूँकि द्विध्रुव आघूर्ण आवेश तथा दूरी को गुणनफल होता है, अत: क्लोरोबेंजीन को द्विध्रुव आघूर्ण साइक्लोहेक्सिल क्लोराइड से कम होता है।

2. ऐल्किल हैलाइड ध्रुवीय (polar) होते हैं अत: इनके अणु द्विध्रुव आकर्षण द्वारा परस्पर बँधे रहते हैं। H2O के अणु परस्पर हाइड्रोजन आबन्ध द्वारा जुड़े रहते हैं। चूँकि जल तथा ऐल्किल हैलाइड में नये बने आबन्ध बल पूर्व से उपस्थित बलों से दुर्बल होते हैं। अतः ऐल्किल हैलाइड जल में अमिश्रणीय (immiscible) होते हैं।

3. ग्रिगनार्ड (ग्रीन्यार) अभिकर्मक अत्यधिक क्रियाशील होते हैं। ये उपकरण के अन्दर उपस्थित नमी से अभिक्रिया करते हैं। अतः ग्रिगनार्ड अभिकर्मकों को निर्जल परिस्थितियों (anhydrous conditions) में बनाते हैं।
R – MgX + H – OH → RH + Mg(OH)X

प्रश्न 13.
फ्रेऑन-12, DDT, कार्बन टेट्राक्लोराइड तथा आयोडोफॉर्म के उपयोग दीजिए। (2017, 18)
उत्तर
फ्रेऑन-12 के उपयोग (Uses of Freon-12) – यह ऐरोसॉल प्रणोदक, प्रशीतक तथा वायु शीतलन में उपयोग करने के लिए उत्पादित किए जाते हैं।
DDT के उपयोग (Uses of DDT) – DDT का उपयोग कीटनाशी के रूप में किया जाता है, परन्तु जीवों में इसके सतत अन्तर्ग्रहण से उत्पन्न विषैले प्रभावों के कारण इसे प्रतिबन्धित कर दिया गया है।
कार्बन टेट्राक्लोराइड के उपयोग (Uses of Carbon Tetrachloride)

  1. यह शुष्क धुलाई में विलायक के रूप में प्रयुक्त होता है।
  2. यह औषधियों में हुकवर्म तथा कीटनाशक के रूप में प्रयुक्त होता है।
  3. यह वसा, तेल, मोम तथा रेजिन के लिए भी उचित विलायक है।
  4. आयोडाइड तथा ब्रोमाइड के क्लोरीन जल परीक्षण में भी यह विलायक के रूप में प्रयुक्त किया जाता
  5. इससे फ्रेऑन-12 भी प्राप्त होता है।
  6. यह पाइरीन नाम से अग्निशामक के रूप में प्रयुक्त होता है। इसके घने वाष्प जलते पदार्थ के ऊपर सुरक्षात्मक परत बनाते हैं और ऑक्सीजन या वायु को जलते पदार्थ के सम्पर्क में आने से रोकते हैं। इसके उपयोग के बाद कक्ष का संवातन (ventilation) करते हैं जिससे बनी हुई फॉस्जीन पूर्णतया दूर हो जाए।

आयोडोफॉर्म के उपयोग (Uses of Iodoform) – इसका उपयोग प्रारम्भ में पूतिरोधी (ऐण्टीसेप्टिक) के रूप में किया जाता था, परन्तु आयोडोफॉर्म का यह पूतिरोधी गुण आयोडोफॉर्म के कारण स्वयं नहीं, बल्कि मुक्त हुई आयोडीन के कारण होता है। इसकी अरुचिकर गन्ध के कारण अब इसके स्थान पर आयोडीनयुक्त अन्य दवाओं का उपयोग किया जाता है।

प्रश्न 14.
निम्नलिखित प्रत्येक अभिक्रिया में बनने वाले मुख्य कार्बनिक उत्पाद की संरचना लिखिए –
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उत्तर
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प्रश्न 15.
निम्नलिखित अभिक्रिया की क्रियाविधि लिखिए –
n-BuBr + KCN [latex]\underrightarrow { { EtOH-H }_{ 2 }O } [/latex] nBuCN
उत्तर
KCN निम्न संरचनाओं का अनुनादी संकर होता है –
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अत: CN उभयदन्ती नाभिकस्नेही के रूप में कार्य करता है। अतः यह n – BuBr में C-Br आबन्ध के कार्बन परमाणु पर C या N परमाणु से आक्रमण करता है। चूंकि C-N आबन्ध, C-C आबन्ध से दुर्बल होता है अत: C पर आक्रमण होता है तथा n -ब्यूटिल सायनाइड बनता है।
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प्रश्न 16.
SN 2 प्रतिस्थापन के प्रति अभिक्रियाशीलता के आधार पर इन यौगिकों के समूहों को क्रमबद्ध कीजिए –

  1. 2-ब्रोमो-2-मेथिलब्यूटेन, 1-ब्रोमोपेन्टेन, 2-ब्रोमोपेन्टेन
  2. 1-ब्रोमो-3-मेथिलब्यूटेन, 2-ब्रोमो-2-मेथिलब्यूटेन, 2-ब्रोमो-3-मेथिलब्यूटेन
  3. 1-ब्रोमोब्यूटेन, 1-ब्रोमो-2,2-डाइमेथिलप्रोपेन, 1-ब्रोमो-2-मेथिलब्यूटेन, 1-ब्रोमो-3-मेथिलब्यूटेन।

उत्तर

  1. 1-ब्रोमोपेन्टेन > 2-ब्रोमोपेन्टेन > 2-ब्रोमो-2-मेथिलब्यूटेन
  2. 1-ब्रोमो-3-मेथिलब्यूटेन > 2-ब्रोमो-3-मेथिलब्यूटेन > 2-ब्रोमो-2-मेथिलब्यूटेन
  3. 1-ब्रोमोब्यूटेन > 1-ब्रोमो-3-मेथिलब्यूटेन > 1-ब्रोमो-2- मेथिलब्यूटेन, 1-ब्रोमो-2, 2-डाइमेथिलप्रोपेन

प्रश्न 17.
C6H5CH2Cl तथा C6H5CHClC6H5 में से कौन-सा यौगिक जलीय KOH से , शीघ्रता से जल-अपघटित होगा?
उत्तर

  • SN 1 परिस्थितियों में C6H5CHClC6H5,C6H5CH2Cl की तुलना में शीघ्रता से जल अपघटित होगा।
  • SN 2 परिस्थितियों में C6H5CH2Cl, C6H5CHClC6H5 की तुलना में शीघ्रता से जल-अपघटित होगा।

प्रश्न 18.
o- तथा m- समावयवियों की तुलना में p- डाइक्लोरोबेन्जीन का गलनांक उच्च एवं विलेयता निम्न होती है, विवेचना कीजिए।
उत्तर
p-समावयव अधिक सममिताकार होने के कारण क्रिस्टल जालक में भली-भाँति स्थित हो जाता है, इसलिए इसमें o- तथा m- समावयवों की तुलना में प्रबल अन्तराअणुक आकर्षण बल उपस्थित होते हैं।
चूँकि संगलन अथवा विलायकीकरण (solvation) के दौरान क्रिस्टल जालक टूटता है, इसलिए p- समावयव के संगलन अथवा इसे विलेय करने के लिए सम्बन्धित o- तथा m- समावयवों की तुलना में अधिक ऊष्मा की आवश्यकता होती है। दूसरे शब्दों में, p- समावयव का गलनांक सम्बन्धित o- तथा m- समावयव की तुलना में उच्च होता है, जबकि इसकी विलेयता निम्न होती है।

प्रश्न 19.
निम्नलिखित परिवर्तन कैसे सम्पन्न किए जा सकते हैं?
(i) प्रोपीन से प्रोपेन-1-ऑल
(ii) एथेनॉल से ब्यूट-2-आइन
(iii) 1-ब्रोमोप्रोपेन से 2-ब्रोमोप्रोपेन
(iv) टॉलूईन से बेन्जिल ऐल्कोहॉल।
(v) बेन्जीन से 4-ब्रोमोनाइट्रोबेन्जीन
(vi) बेन्जिल ऐल्कोहॉल से 2-फेनिल एथेनोइक अम्ल
(vii) एथेनॉल से प्रोपेननाइट्राइल
(viii) ऐनिलीन से क्लोरोबेन्जीन
(ix) 2-क्लोरोब्यूटेन से 3,4-डाइमेथिलहेक्सेन
(x) 2-मेथिल-1-प्रोपीन से 2-क्लोरो-1-मेथिलप्रोपेन
(xi) एथिल क्लोराइड से प्रोपेनोइक अम्ल
(xii) ब्यूट-1-ईन से n-ब्यूटिल आयोडाइड
(xiii) 2-क्लोरोप्रोपेन से 1-प्रोपेनॉल
(xiv) आइसोप्रोपिल ऐल्कोहॉल से आयोडोफॉर्म
(xv) क्लोरोबेन्जीन से p-नाइट्रोफीनॉल
(xvi) 2-ब्रोमोप्रोपेन से 1-ब्रोमोप्रोपेन
(xvii) क्लोरोएथेन से ब्यूटेन
(xviii) बेन्जीन से डाइफेनिल
(xiv) तृतीयक-ब्यूटिल ब्रोमाइड से आइसो-ब्यूटिल ब्रोमाइड
(xx) ऐनिलीन से फेनिलआइसोसायनाइडे।
उत्तर
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प्रश्न 20.
ऐल्किल क्लोराइड की जलीय KOH से अभिक्रिया द्वारा ऐल्कोहॉल बनता है, लेकिन ऐल्कोहॉलिक KOH की उपस्थिति में ऐल्कीन मुख्य उत्पाद के रूप में प्राप्त होती है। समझाइए।
उत्तर
जलीय विलयन में KOH लगभग पूर्ण आयनित होकर OH आयन देता है जो प्रबल नाभिकरागी होने के कारण ऐल्किल हैलाइडों पर प्रतिस्थापन अभिक्रिया करके ऐल्कोहॉल बनाते हैं। जलीय विलयन में OH आयन उच्च जलयोजित होते हैं। इससे OH आयनों का क्षारीय गुण घट जाता है जिससे ये ऐल्किल हैलाइड के β- कार्बन से हाइड्रोजन परमाणु पृथक्कृत करने में असफल हो जाते हैं तथा ऐल्कीन नहीं बना पाते।
दूसरी ओर KOH के ऐल्कोहॉली विलयन में ऐल्कॉक्साइड (RO) आयन होते हैं जो OH से प्रबल क्षार होने के कारण सरलतापूर्वक ऐल्किल क्लोराइड से HCl अणु का विलोपन करके ऐल्कीन बना लेते हैं।

प्रश्न 21.
प्राथमिक ऐल्किल हैलाइड C4H9Br (क), ऐल्कोहॉलिक KOH से अभिक्रिया द्वारा यौगिक (ख) देता है। यौगिक ‘ख’ HBr के साथ अभिक्रिया से यौगिक ‘ग देता है जो कि यौगिक ‘क’ का समावयवी है। जब यौगिक ‘क’ की अभिक्रिया सोडियम धातु से होती है तो यौगिक ‘घ’ C8H18 बनता है, जो कि ब्यूटिल ब्रोमाइड की सोडियम से अभिक्रिया द्वारा बने उत्पाद से भिन्न है। यौगिक ‘क’ का संरचना सूत्र दीजिए तथा सभी अभिक्रियाओं की समीकरण दीजिए।
उत्तर
आण्विक सूत्र C4H9Br के दो प्राथमिक हैलाइड निम्नलिखित हो सकते हैं –
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अतः यौगिक (क) या तो n- ब्यूटिल ब्रोमाइड है या आइसोब्यूटिल ब्रोमाइड।
चूँकि यौगिक ‘क’ की अभिक्रिया सोडियम धातु से होने पर यौगिक ‘घ’ (आण्विक सूत्र C8H18) प्राप्त होता है जो कि n-ब्यूटिल ब्रोमाइड की अभिक्रिया सोडियम धातु से होने पर प्राप्त यौगिक से भिन्न है, इसलिए यौगिक ‘क’ आइसोब्यूटिल ब्रोमाइड होना चाहिए तथा यौगिक ‘घ’ 2,5-डाइमेथिलहेक्सेन होना चाहिए।
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अब यदि यौगिक ‘क’ आइसोब्यूटिल ब्रोमाइड है तो यौगिक ‘ख’, जो यौगिक ‘क’ की ऐल्कोहॉलिक KOH से अभिक्रिया द्वारा प्राप्त होता है, 2-मेथिल-1-प्रोपीन होना चाहिए।
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यौगिक ‘ख’ HBr के साथ अभिक्रिया से मार्कोनीकॉफ नियम के अनुसार यौगिक ‘ग’ देता है। इसलिए यौगिक ‘ग’ तृतीयक-ब्यूटिल ब्रोमाइड है जो यौगिक ‘क’ (आइसोब्यूटिल ब्रोमाइड) का एक समावयव है।
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इस प्रकार, ‘क’ आईसोब्यूटिल ब्रोमाइड, ‘ख’ 2-मेथिल-1-प्रोपीन, ‘ग’ तृतीयक-ब्यूटिल ब्रोमाइड तथा ‘घ’ 2,5-डाइमेथिलहेक्सेन है।

प्रश्न 22.
तब क्या होता है जब –
(i) n-ब्यूटिल क्लोराइड को ऐल्कोहॉलिक KOH के साथ अभिकृत किया जाता है?
(ii) शुष्क ईथर की उपस्थिति में ब्रोमोबेन्जीन की अभिक्रिया मैग्नीशियम से होती है?
(iii) क्लोरोबेन्जीन का जल-अपघटन किया जाता है?
(iv) एथिल क्लोराइड की अभिक्रिया जलीय KOH से होती है?
(v) शुष्क ईथर की उपस्थिति में मेथिल ब्रोमाइड की अभिक्रिया सोडियम से होती है?
(vi) मेथिल क्लोराइड की अभिक्रिया KCN से होती है?
उत्तर
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(vi) मेथिल सायनाइड बनता है।
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परीक्षोपयोगी प्रश्नोत्तर

बहुविकल्पीय प्रश्न
प्रश्न 1.
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(i) 1, 1-डाइएथिल-2, 2-डाइमेथिलपेन्टेन
(ii) 4, 4 डाइमेथिल-5, 5-डाइएथिलपेन्टेन
(iii) 5, 5- डाइएथिल-4, 4-डाइमेथिलपेन्टेन
(iv) 3-एथिल-4, 4-डाइमेथिलहेप्टेन
उत्तर
(iv) 3-एथिल-4, 4-डाइमेथिलहेप्टेन

प्रश्न 2.
प्रदर्शित यौगिक का IUPAC नाम है –
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(i) 2-ब्रोमो-6-क्लोरोसाइक्लोहेक्स-1-ईन
(ii) 6-ब्रोमो-2-क्लोरोसाइक्लोहेक्सेन
(iii) 3-ब्रोमो-1-क्लोरोसाइक्लोहेक्सीन
(iv) 1-ब्रोमो-3-क्लोरोसाइक्लोहेक्सीन
उत्तर
(iii) 3-ब्रोमो-1-क्लोरोसाइक्लोहेक्सीन

प्रश्न 3.
निम्न यौगिकों में से किसका क्वथनांक उच्चतम है?
(i) CH3CH2CH2Cl
(ii) CH3CH2CH2CH2Cl
(iii) CH3CH2(CH3)CH2Cl
(iv) (CH3)3Cl
उत्तर
(ii) CH3CH2CH2CH2Cl

प्रश्न 4.
3-फेनिलप्रोपीन HBr से क्रिया करके मुख्य उत्पाद देता है –
(i) C6H5CH2CH(Br)CH3
(ii) C6H5CH(Br)CH2CH3
(iii) C6H5CH2CH2CH2Br
(iv) C6H5CH(Br)CH = CH2
उत्तर
(i) C6H5CH2CH(Br)CH3

प्रश्न 5.
ऐल्कोहॉलीय KOH के प्रति निम्न में से सर्वाधिक क्रियाशील है- ,
(i) CH = CHBr
(ii) CH3COCH2CH2Br
(iii) CH3CH2Br
(iv) CH3CH2CH2Br
उत्तर
(iv) CH3CH2CH2Br

प्रश्न 6.
अभिक्रियाओं के निम्न अनुक्रम में ऐल्कीन यौगिक बनाती है। यौगिक B है
CH3CH = CHCH3 [latex]\xrightarrow [ { O }_{ 3 } ]{ { cCl }_{ 4 } } [/latex] A [latex]\xrightarrow [ { H }_{ 2 }O ]{ Zn }[/latex] B
(i) CH3CH2CHO
(ii) CH3COCH3
(iii) CH3CH2COCH3
(iv) CH3CHO
उत्तर
(iv) CH3CHO

प्रश्न 7.
CH3CH BrCH2 -CH3 [latex]\underrightarrow { Alc.KOH } [/latex] का मुख्य उत्पाद है – (2017)
(i) प्रोपीन-1
(ii) ब्यूटीन-2
(iii) ब्यूटेन
(iv) ब्यूटाइन-1
उत्तर
(ii) ब्यूटीन-2

प्रश्न 8.
ऐल्कोहॉलीय KOH की उपस्थिति में किस मिश्रण के साथ कार्बिल ऐमीन परीक्षण किया जाता है? (2017)
(i) क्लोरोफॉर्म एवं रजत चूर्ण
(ii) त्रि-हैलोजनीकृत मेथेन और एक प्राथमिक ऐमीन
(iii) एक ऐल्किल हैलाइड और एक प्राथमिक ऐमीन
(iv) एक ऐल्किल सायनाइड और एक प्राथमिक ऐमीन
उत्तर
(ii) त्रि-हैलोजनीकृत मेथेन और एक प्राथमिक ऐमीन

प्रश्न 9.
निम्नलिखित अभिक्रिया C6H6 + Cl, I उत्पाद, में उत्पाद है। (2014)
(i) C6H5Cl
(ii) o- C6C4Cl2
(iii) C6H6Cl6
(iv) p-C6H4Cl2
उत्तर
(iii) C6H6Cl6

प्रश्न 10.
CHCl3 ऑक्सीकरण पर देता है – (2017, 18)
(i) फॉस्जीन
(ii) फॉर्मिक अम्ल
(iii) कार्बन टेट्रा क्लोराइड
(iv) क्लोरोपिक्रिन
उत्तर
(i) फॉस्जीन

प्रश्न11.
क्लोरोपिक्रिन है – (2018)
(i) CCl3HNO2
(ii) CCl3. NO2
(iii) CCl2(NO2)2
(iv) CCl2H2NO2
उत्तर
(ii) CCl3. NO2

प्रश्न 12.
जब क्लोरोफॉर्म सान्द्र HNO3 से अभिक्रिया करता है तो निम्न में से क्या बनता है? (2017)
(i) CHCl3NO2
(ii) C(NO2)Cl3
(iii) CHCl3HNO3
(iv) CHCl2NO2
उत्तर
(ii) C(NO2)Cl3

प्रश्न 13.
फॉस्जीन है – (2017)
(i) PH3
(ii) POCl3
(iii) CS2
(iv) COCl2
उत्तर
(iv) C0Cl2

प्रश्न 14.
क्लोरोफॉर्म का प्रयोग होता है – (2014)
(i) एक कीटनाशक के रूप में।
(ii) एक फफूदीनाशक के रूप में
(iii) औद्योगिक विलायक के रूप में
(iv) अवशोषक के रूप में
उत्तर
(iii) औद्योगिक विलायक के रूप में

प्रश्न 15.
आयोडोफॉर्म निम्न में से किससे नहीं बनाई जा सकती?
(i) एथिल मेथिल कीटोन
(ii) आइसोप्रोपिल ऐल्कोहॉल
(iii) 2-मेथिल-2-ब्यूटेनॉन
(iv) आइसोब्यूटिल ऐल्कोहॉल
उत्तर
(iv) आइसोब्यूटिल ऐल्कोहॉल

अतिलघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
कारण दीजिए- ऐल्किल हैलाइडों में C-X के ध्रुवीय होने पर भी यह जल में अविलेय होता है।
उत्तर
ऐसा जल के साथ हाइड्रोजन आबन्ध बनाने की अयोग्यता एवं जल में उपस्थित हाइड्रोजन आबन्ध को न तोड़ पाने के कारण होता है।

प्रश्न 2.
ध्रुवण घूर्णक पदार्थ से क्या तात्पर्य है?
उत्तर
वह पदार्थ जो समतल ध्रुवित प्रकाश के तल को एक निश्चित कोण तक घुमाने की प्रवृत्ति रखता है, ध्रुवण घूर्णक पदार्थ कहलाता है।

प्रश्न 3.
असममित कार्बन परमाणु किसे कहते हैं?
उत्तर
वह कार्बन परमाणु जिसकी चारों संयोजकताएँ भिन्न-भिन्न परमाणुओं या समूहों द्वारा सन्तुष्ट होती हैं, उसे असममित कार्बन परमाणु कहते हैं।

प्रश्न 4.
प्रकाश समावयवी से क्या तात्पर्य है?
उत्तर
समान अणुसूत्र तथा समान रासायनिक संरचनाओं वाले दो-या-दो से अधिक यौगिक जो समतल ध्रुवित प्रकाश के प्रति भिन्न व्यवहार दर्शाते हैं, प्रकाश समावयवी कहलाते हैं।

प्रश्न 5.
C2H5O2Br सूत्र वाला एक कार्बोक्सिलिक अम्ल प्रकाश सक्रिय है। उसकी संरचना लिखिए।
उत्तर
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प्रश्न 6.
किस ऐल्किल हैलाइड का घनत्व सर्वाधिक होता है और क्यों?
उत्तर
CH3I का घनत्व सर्वाधिक होता है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि इसमें कार्बन की संख्या न्यूनतम है और यह सबसे भारी हैलोजन है।

प्रश्न 7.
निम्न को क्वथनांक के बढ़ते क्रम में व्यवस्थित कीजिए –
CH3 CH2 CH2 CH2Br, (CH3)3 CBr, (CH3)2 CHCH2Br
उत्तर
(CH3)3 CBr < (CH3)2 CHCH2Br < CH3CH2CH2CH2Br

प्रश्न 8.
कारण दीजिए-ऐल्किल हैलाइड ऐरिल हैलाइड से श्रेष्ठ विलायक होते हैं।
उत्तर
हैलोऐल्केनों में C- X आबन्ध हैलोऐरीनों से अधिक ध्रुवीय होता है। C – X आबन्ध की ध्रुवता के कारण ऐल्किल हैलाइड ऐरिल हैलाइड से श्रेष्ठ विलायक होते हैं।

प्रश्न 9.
कारण दीजिए-उद्योगों में प्रयुक्त विलायक हैलोऐल्केन ब्रोमो यौगिकों के विपरीत क्लोरो यौगिक होते हैं।
उत्तर
क्लोरीन, ब्रोमीन की तुलना में अधिक ऋणविद्युती होने के कारण ऐल्किल क्लोराइड में C-Cl आबन्ध ऐल्किल ब्रोमाइड में C- Br आबन्ध से अधिक ध्रुवीय (polar) होता है। आबन्ध की उच्च ध्रुवता के कारण क्लोरोऐल्केन ब्रोमोऐल्केनों की तुलना में श्रेष्ठ विलायक होते हैं।

प्रश्न 10.
किन परिस्थितियों में 2-मेथिलप्रोपीन को हाइड्रोजन ब्रोमाइड द्वारा आइसोब्यूटिल ब्रोमाइड में परिवर्तित किया जा सकता है?
उत्तर
परॉक्साइडों की उपस्थिति में HBr के प्रतिमार्कोनीकॉफ योग द्वारा।
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प्रश्न11.
निम्न में से कौन-सा यौगिक SN 2 अभिक्रिया में OH के साथ शीघ्रता से अभिक्रिया करेगा?
CH2= CHBr अथवा CH= CHCH2Br
उत्तर
CH2= CHCH2Br शीघ्रता से अभिक्रिया करेगा क्योंकि ऐलिल ब्रोमाइड, वाइनिल ब्रोमाइड से अधिक क्रियाशील होते हैं।

प्रश्न 12.
वाइनिल क्लोराइड एथिल क्लोराइड की तुलना में धीमे जल-अपघटित होता है, क्यों?
उत्तर
वाइनिल क्लोराइड को निम्नलिखित संरचनाओं के अनुनादी संकर के रूप में प्रदर्शित किया जा सकता है –
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अनुनाद के कारण C-Cl आबन्ध में कुछ द्विआबन्ध लक्षण आ जाते हैं। दूसरी ओर एथिल क्लोराइड में कार्बन-क्लोरीन आबन्ध शुद्ध एकल आबन्ध होता है। अतः वाइनिल क्लोराइड एथिल क्लोराइड की तुलना में धीमे जल-अपघटित होता है।

प्रश्न 13.
ट्राइक्लोरोमेथेन को गहरी रंगीन बोतलों में संगृहीत करते हैं। तर्क दीजिए। (2017)
उत्तर
ट्राइक्लोरोमेथेन या क्लोरोफॉर्म प्रकाश की उपस्थिति में वायुमण्डलीय ऑक्सीजन से ऑक्सीकृत होकर अत्यधिक विषैली गैस फॉस्जीन (COCl2) बनाता है।
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अत: प्रकाश से बचाने के लिए क्लोरोफॉर्म को गहरी रंगीन, बोतलों में संगृहीत किया जाता है।

प्रश्न 14.
कारण दीजिए-क्लोरोफॉर्म क्लोरीन यौगिक है फिर भी यह सिल्वर नाइट्रेट विलयन के साथ कोई अवक्षेप नहीं देता है, क्यों?
उत्तर
क्लोरोफॉर्म सहसंयोजी यौगिक है, अत: यह क्लोराइड आयन नहीं देता है। इसलिए यह AgNO3 के साथ किसी प्रकार का अवक्षेप नहीं देता है।

प्रश्न 15.
क्लोरोफॉर्म को प्रकाश एवं वायु के प्रभाव से बचाने के लिए कौन-सी सावधानियाँ बरती जाती हैं? (2017)
उत्तर
क्लोरोफॉर्म को रंगीन बोतलों में, काले कागज में लपेटकर, अंधेरे में, मुँह तक भर कर तथा 1 % C2H5OH की कुछ बूंद मिलाकर रखना चाहिए।

प्रश्न 16.
क्लोरोबेन्जीन की बेन्जीन रिंग की एक प्रतिस्थापन अभिक्रिया को समीकरण लिखिए। (2017)
उत्तर
क्लोरोबेन्जीन का नाइट्रीकरण
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प्रश्न17.
कौन-सा रसायन ओजोन परत को क्षति पहुँचाता है?
उत्तर
फ्रेऑन (CFCs)।

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
निम्नलिखित पर टिप्पणी लिखिए

  1. राइमर टीमन अभिक्रिया (2016, 17)
  2. कार्बिल ऐमीन अभिक्रिया (2016)
  3. वुज-फिटिग अभिक्रिया। (2016, 17, 18)
  4. फ्रीडेल-क्राफ्ट्स अभिक्रिया (2016)
  5. विहाइड्रोहैलोजेनीकरण या डिहाइड्रोहैलोजेनीकरण (2016)

उत्तर
1. जब फीनॉल, क्लोरोफॉर्म तथा ऐल्कोहॉलिक KOH के मिश्रण को गर्म किया जाता है तो सैलिसिलेल्डिहाइड बनता है, जिसे ऑर्थों-हाइड्रॉक्सीबेन्जेल्डिहाइड कहते हैं।
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यह अभिक्रिया राइमर यमन अभिक्रिया कहलाती है।
2. क्लोरोफॉर्म को ऐनिलीन और ऐल्कोहॉलीय KOH के साथ गर्म करने पर अभिक्रिया द्वारा तीव्र दुर्गन्ध युक्त पदार्थ आइसोसायनाइड बनता है। यह अभिक्रिया कार्बिलऐमीन अभिक्रिया कहलाती है।
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3. जब ऐरिल हैलाइड को ऐल्किल हैलाइड के साथ धात्विक सोडियम की उपस्थिति में शुष्क ईथर विलयन में अभिकृत किया जाता है तो बेन्जीन का ऐल्किल व्युत्पन्न प्राप्त होता है। यह अभिक्रिया वुज-फिटिग अभिक्रिया कहलाती है।
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4. क्लोरोबेन्जीन मेथिल क्लोराइड के साथ निर्जल AlCl3 की उपस्थिति में अभिक्रिया द्वारा o- मेथिल तथा p- मेथिल क्लोरोबेन्जीन का मिश्रण देता है।
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यह अभिक्रिया फ्रीडेल-क्राफ्ट्स अभिक्रिया कहलाती है।
5. ऐल्कोहॉलिक KOH वे NaNH2 को गर्म करने पर ऐल्काइन बनते हैं।
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इसे विहाइड्रोहैलोजेनीकरण अभिक्रिया कहते हैं।

प्रश्न 2.
ट्राइआयोडोमेथेन (आयोडोफॉर्म) पर एक टिप्पणी लिखिए। (2017, 18)
उत्तर
यह मेथेन का ट्राइआयोडो व्युत्पन्न (derivative) है तथा औषधियों एवं रासायनिक उद्योगों में कई प्रकार से उपयोग किया जाता है। सामान्यत: इसे आयोडोफॉर्म (iodoform) कहते हैं।
यह विशिष्ट गन्ध वाला पीला क्रिस्टलीय ठोस है। इसका उपयोग प्रारम्भ में पूतिरोधी (ऐंटिसेप्टिक) के रूप में किया जाता था। आयोडोफॉर्म का यह पूतिरोधी गुण स्वयं आयोडोफॉर्म के कारण नहीं बल्कि मुक्त हुई आयोडीन के कारण होता है। इसकी अरुचिकर गंध के कारण अब इसके स्थान पर आयोडीनयुक्त अन्य दवाओं का उपयोग किया जाता है।

प्रश्न 3.
फ्रेऑन क्या है? इसका पर्यावरण पर क्या प्रभाव पड़ता है? (2016, 17)
या
किसी फ्रेऑन का रासायनिक सूत्र लिखिए। (2017)
या
फ्रेऑन क्या है? इसका एक उपयोग लिखिए। (2018)
उत्तर
ऐल्केनों के पॉलिक्लोरोफ्लुओरो व्युत्पन्नों को फ्रेऑन कहते हैं। पॉलिक्लोरोफ्लुओरोमेथेन तथा पॉलिक्लोरोफ्लुओरोएथेन महत्त्वपूर्ण फ्रेऑन हैं, जैसे –

  1. CFCl3 ट्राइक्लोरोफ्लुओरोमेथेन (फ्रेऑन-11)
  2. CF2Cl2 डाइक्लोरोडाइफ्लुओरोमेथेन (फ्रेऑन-12)
  3. C2F2Cl4 ट्रेट्रीक्लोरोडाइफ्लुओरोएथेन (फ्रेऑन-112)

CFCl3 में कार्बन तथा फ्लुओरीन का अनुपात 1: 1 है, अत: इस कारण इसका नाम फ्रेऑन-11 है। CF2Cl2 में कार्बन तथा फ्लुओरीन का अनुपात 1: 2 है, अतः इस कारण इसका नाम फ्रेऑन-12 है।
फ्रेऑन के गुण – फ्रेऑन रंगहीन, गन्धहीन, विषहीन, अत्यन्त अक्रिय तथा कम क्वथनांक वाले द्रव हैं। ये बहुत कम दाब पर ही गैस अवस्था में परिवर्तित हो जाते हैं, इस कारण इनका उपयोग रेफ्रीजेरेटर तथा वातानुकूलन में प्रशीतक के रूप में होता है। इन यौगिकों को संक्षिप्त रूप में CFCs भी कहते हैं। इनका पर्यावरण पर विनाशकारी प्रभाव पड़ता है। इनको ओजोन परत को नष्ट करने के लिए उत्तरदायी माना जा रहा है।

प्रश्न 4.
डी डी टी पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए। (2017)
या
डी डी टी का उपयोग लिखिए तथा पर्यावरण पर इसका क्या प्रभाव पडता है? (2016, 17)
उत्तर
DDT का उपयोग एक सम्पर्क कीटनाशक (contact insecticide) की भाँति किया जाता है। सस्ता तथा शक्तिशाली होने के कारण मक्खी, मच्छर, कीड़े-मकोड़े, शलभ तथा कृषि पीड़कों को मारने के लिए इसका व्यापक स्तर पर उपयोग किया जाता है।
यह मुख्यत: मलेरिया फैलाने वाले ऐनोफीलीज मच्छर (Anopheles mosquito) तथा टाइफस वाहक जुओं को समाप्त करने में प्रभावकारी है।

द्वितीय विश्व युद्ध के पश्चात् कीटनाशक के रूप में DDT का उपयोग विश्व स्तर पर तेजी से बढ़ा। 1940 ई० के अन्त में DDT के अत्यधिक उपयोग के कारण उत्पन्न होने वाली समस्याएँ सामने आने लगीं। कीटों की अनेक प्रजातियों ने DDT के प्रति प्रतिरोधात्मकता विकसित कर ली तथा यह मछलियों के लिए अति विषैली सिद्ध हुई। DDT के अत्यधिक रासायनिक स्थायित्व तथा इसकी वसा में विलेयता ने समस्या को और जटिल बना दिया। जन्तुओं द्वारा DDT का शीघ्रता से उपापचय नहीं होता है बल्कि यह वसीय ऊतकों में एकत्र तथा संग्रहित हो जाती है। यदि जन्तु इसका निरन्तर अन्तर्ग्रहण करता रहता है तो समय के साथ इसकी मात्रा निरन्तर बढ़ती जाती है। यह बढ़ी हुई मात्रा जन्तुओं के जनन तन्त्र पर विपरीत प्रभाव डालती है। इसके दुष्प्रभावों (ill effects) को देखते हुए, यू० एस० ए० ने 1973 ई० में DDT पर प्रतिबन्ध लगा दिया था यद्यपि विश्व में अनेक स्थानों पर इसका उपयोग आज भी हो रहा है।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
क्लोरोबेन्जीन बनाने की विधियों का वर्णन कीजिए। इसके भौतिक तथा रासायनिक गुण लिखिए। इसके उपयोग बताइए। (2016)
या
टिप्पणी लिखिए-सैण्डमायर अभिक्रिया। (2016)
या
क्लोरोबेन्जीन का हैलोजन वाहक की उपस्थिति में हैलोजनीकरण किस प्रकार होता है? सम्बन्धित समीकरण लिखिए। (2018)
उत्तर
सूत्र
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प्रयोगशाला विधि – प्रयोगशाला में क्लोरोबेन्जीन को विरचन बेन्जीन डाइऐजोनियम क्लोराइड को सान्द्र हाइड्रोक्लोरिक अम्ल के साथ क्यूप्रस क्लोराइड (Cu2Cl2) की उपस्थिति में लगभग 60°C ताप पर गर्म करके किया जाता है। इस अभिक्रिया को सैण्डमायर अभिक्रिया कहते हैं। अभिक्रिया में प्रयुक्त डाइऐजोनियम लवण ऐनिलीन की 0°C से 5°C पर सोडियम नाइट्राइट तथा तनु HCl की डाइऐजोटीकरण (diazotisation) अभिक्रिया द्वारा प्राप्त किया जाता है।
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बेन्जीन से – हैलोजेनवाहक की उपस्थिति में गर्म बेन्जीन में शुष्क क्लोरीन गैस प्रवाहित करने से क्लोरोबेन्जीन बनती है।
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फीनॉल से – फीनॉल पर फॉस्फोरस पेन्टाक्लोराइड की अभिक्रिया से C6H5Cl बनता है। इस अभिक्रिया में मुख्य उत्पाद (C6H5)3PO4 होता है।
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गाटरमान अभिक्रिया द्वारा – इस अभिक्रिया में बेन्जीन डाइऐजोनियम क्लोराइड को कॉपर चूर्ण व HCl के साथ गर्म करने पर क्लोरोबेन्जीन बनती है।
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भौतिक गुण – क्लोरोबेन्जीन रंगहीन, सुगन्धित भारी द्रव होता है। इसका क्वथनांक 132°C होता है। यह जल में अविलेय, परन्तु ऐल्कोहॉल तथा ईथर में पूर्ण विलेय है।

रासायनिक गुण 
1. सोडियम हाइड्रॉक्साइड के साथ अभिक्रिया – क्लोरोबेन्जीन को उच्च दाब (200 वायुमण्डल) तथा उच्च ताप (300°C) पर जलीय NaOH के साथ अभिकृत करने पर फीनॉल बनता है।
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2. अमोनिया की अभिक्रिया – क्लोरोबेन्जीन को अमोनिया के जलीय विलयन के साथ क्यूप्रस ऑक्साइड की उपस्थिति में उच्च दाब पर 200°C ताप तक गर्म करने पर इसका CI परमाणु-NH, समूह द्वारा प्रतिस्थापित होकर ऐनिलीन बनाता है।
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3. वुज-फिटिग अभिक्रिया – जब एक अणु ऐरिल हैलाइड तथा दूसरा अणु ऐल्किल हैलाइड सोडियम के साथ शुष्क ईथर की उपस्थिति में अभिक्रिया करके ऐल्किल ऐरीन देता है, तो यह अभिक्रिया वुज-फिटिग अभिक्रिया कहलाती है। जैसे- क्लोरोबेन्जीन शुष्क ईथर की उपस्थिति में सोडियम और मेथिल क्लोराइड के साथ गर्म करने पर टॉलुईन देती है।
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4. फ्रीडेल-क्राफ्ट्स अभिक्रिया – इस अभिक्रिया में क्लोरोबेन्जीन मेथिल क्लोराइड के साथ निर्जल AlCl3 की उपस्थिति में अभिक्रिया द्वारा o-मेथिल तथा p- मेथिल क्लोरोबेन्जीन का मिश्रण देता है।
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5. हैलोजनीकरण – जब क्लोरोबेन्जीन का किसी हैलोजनवाहक की उपस्थिति में हैलोजनीकरण कराया जाता है, तो 0- वे p- डाईक्लोरोबेंजीन की प्राप्ति होती है।
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क्लोरोबेन्जीन के उपयोग

  1. विभिन्न ऐरोमैटिक यौगिकों के निर्माण में।
  2. कीटनाशक पदार्थ डी०डी०टी० के निर्माण में।
  3. फफूदनाशी, डाइऐजोरंजकों आदि के निर्माण में।

प्रश्न 2.
प्रयोगशाला में क्लॉरोफॉर्म बनाने की विधि का सचित्र वर्णन कीजिए। प्राप्त क्लॉरोफॉर्म से शुद्ध क्लोरोफॉर्म कैसे प्राप्त करोगे? इसके प्रमुख गुणधर्म व उपयोग भी दीजिए। या रासायनिक समीकरण देते हुए समझाइए कि एथिल ऐल्कोहॉल से क्लोरोफॉर्म कैसे बनाया जाता है? क्लोरोफॉर्म को गहरे रंग की बोतलों में क्यों रखा जाता है? (2017)
उत्तर
सूत्र– CHCl3 I.U.P.A.C. नाम – ट्राइक्लोरोमेथेन
प्रयोगशाला में शुद्ध क्लॉरोफॉर्म का विरचन – प्रयोगशाला में शुद्ध क्लोरोफॉर्म का विरचन निम्न दो प्रकार से किया जाता है –
(i) एथिल ऐल्कोहॉल से क्लोरोफॉर्म – एथिल ऐल्कोहॉल को नम विरंजक चूर्ण (bleaching powder) के साथ मिलाकर आसवन करने पर क्लोरोफॉर्म प्राप्त होता है। यह अभिक्रिया निम्नलिखित पदों में होती है –
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(ii) ऐसीटोन से क्लोरोफॉर्म – ऐसीटोन के नम विरंजक चूर्ण के साथ आसवन से भी क्लोरोफॉर्म बनता है। यह अभिक्रिया निम्नलिखित पदों में होती है –
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एक गोल पेंदी के फ्लास्क में 200 ग्राम विरंजक चूर्ण की 400 मिली जल से बनी लेई और 50 मिली ऐसीटोन या ऐल्कोहॉल लेकर जल ऊष्मक के ऊपर गर्म करते हैं। जिससे जल तथा क्लोरोफॉर्म का मिश्रण आसवित होकर जल से भरे ग्राही पात्र में इकट्ठा हो जाता है। पृथक्कारी कीप द्वारा आसुत द्रव का नीचे वाला अंश एकत्रित करते हैं। अम्लीय अशुद्धियों को दूर करने के लिए इसे NaOH विलयन द्वारा धोकर, फिर जल से धोकर और इसमें निर्जल CaCl2 मिलाकर पुन: आसवित करते हैं जिससे लगभग 61°C पर शुद्ध क्लोरोफॉर्म प्राप्त होता है।

भौतिक गुण – यह एक रंगहीन, मीठी गन्ध वाला, ज्वलनशील द्रव है। इसका क्वथनांक 61°C तथा आपेक्षिक घनत्व 1.485 है। यह जल में अविलेय, किन्तु ईथर व ऐल्कोहॉल में विलेय है। इसकी वाष्प को सँघने से कुछ समय के लिए मूच्र्छा आ जाती है। इसी गुण के कारण इसका उपयोग निश्चेतक (anaesthetic) के रूप में किया जाता है।

रासायनिक गुण
1. ऑक्सीकरण – सूर्य के प्रकाश तथा वायु में खुला रखने से फॉस्जीन (विषैली) या कार्बोनिल क्लोराइड गैस बनती है।
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क्लोरोफॉर्म को गहरे भूरे रंग की बोतल में ऊपर तक भरकर इसलिए रखते हैं, जिससे प्रकाश और वायु अन्दर न पहुँच सके अन्यथा क्लोरोफॉर्म धीरे-धीरे ऑक्सीकृत होकर फॉस्जीन गैस बनाता है जो कि अत्यन्त घातक विष है। क्लोरोफॉर्म में 1% एथिल ऐल्कोहॉल संदमक (inhibitor) के रूप में डालते हैं और लाल-भूरे रंग की बोतल में रखते हैं जो प्रकाश को रोकती है। एथेनॉल इस अभिक्रिया में ऋणात्मक उत्प्रेरक का कार्य करता है। एथिल ऐल्कोहॉल की उपस्थिति में वायु द्वारा क्लोरोफॉर्म के ऑक्सीकरण की गति अत्यन्त धीमी पड़ जाती है अर्थात् क्लोरोफॉर्म को स्थायित्व बढ़ जाता है। यदि कुछ फॉस्जीन बनता भी है तो वह एथिल ऐल्कोहॉल से अभिक्रिया करके डाइएथिल कार्बोनेट बनाता है जो विषैला नहीं होता है।
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2. अपचयन – यह जिंक और जल के साथ उबालने पर अपचयित होकर मेथेन देता है, Zn और तनु HCl के साथ अपचयित होकर मेथिलीन क्लोराइड देता है, जबकि Zn तथा ऐल्कोहॉलिक HCl द्वारा अपचयन पर मेथिल क्लोराइड बनता है।
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3. क्लोरीन से अभिक्रिया – कार्बन टेट्रोक्लोराइड प्राप्त होता है।
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4. ऐसीटोन से अभिक्रिया – क्षार की उपस्थिति में ऐसीटोन से संघनन अभिक्रिया द्वारा क्लोरीटोन प्राप्त होता है जिसका उपयोग निद्राकारी औषधि के निर्माण में होता है।
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5. नाइट्रिक अम्ल से क्रिया – नाइट्रोक्लोरोफॉर्म (या क्लोरोपिक्रिन) प्राप्त होता है, जिसका उपयोग कीटनाशक व अश्रु (tear) गैस के रूप में होता है।
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उपयोग – क्लोरोफॉर्म के निम्नलिखित उपयोग हैं –

    1. 30% ईथर में इसका विलयन शल्य चिकित्सा में निश्चेतक के रूप में।
    2. लाख, रबड़, चर्बी आदि के लिए विलायक के रूप में।
  1. दवाईयों के रूप में।
  2. जीवाणुनाशक के रूप में।
  3. सुगन्धित पदार्थ के रूप में।
  4. टेफ्लॉन (PTFE) के निर्माण में।

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UP Board Solutions for Class 12 Chemistry Chapter 13 Amines

UP Board Solutions for Class 12 Chemistry Chapter 13 Amines (ऐमीन) are part of UP Board Solutions for Class 12 Chemistry. Here we have given UP Board Solutions for Class 12 Chapter 13 Amines (ऐमीन).

Board UP Board
Textbook NCERT
Class Class 12
Subject Chemistry
Chapter Chapter 13
Chapter Name Amines
Number of Questions Solved 67
Category UP Board Solutions

UP Board Solutions for Class 12 Chemistry Chapter 13 Amines (ऐमीन)

अभ्यास के अन्तर्गत दिए गए प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
निम्नलिखित ऐमीनों को प्राथमिक, द्वितीयक अथवा तृतीयक ऐमीनों में वर्गीकृत कीजिए.
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(iii) (C2H5)CHNH2,
(iv) (C2H5)2 NH.
उत्तर :
(i) प्राथमिक ऐमीन
(ii) तृतीयक ऐमीन ।
(iii) प्राथमिक ऐमीन
(iv) द्वितीयक ऐमीन।

प्रश्न 2.
(i) अणुसूत्र C4H11N  से प्राप्त विभिन्न समावयवी ऐमीनों की संरचना लिखिए।
(ii) सभी समावयवों के आई०यू०पी०ए०सी० नाम लिखिए।
(iii) विभिन्न युग्मों द्वारा कौन-से प्रकार की समावयवता प्रदर्शित होती है? या सूत्र  C4H11N  से कितने प्राथमिक ऐमीन सम्भव हैं?
उत्तर :
आठ समावयवी ऐल्कीन सम्भव हैं
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N,N-डाइमेथिलएथेनेमीन (तृतीयक)
विभिन्न ऐमीनों द्वारा प्रदर्शित समावयवता :

  • श्रृंखला समावयवी : (i) तथा(ii); (iii) तथा (iv); (i) तथा (iv)
  • स्थाने समावयवी : (ii) तथा (iii); (ii) तथा (iv)
  • मध्यावयवी : (v) तथा (vi); (vii) तथा (viii)
  • क्रियात्मक समावयवी : तीनों प्रकार की ऐमीन एक-दूसरे की क्रियात्मक समावयवी होती हैं।

प्रश्न 3.
आप निम्नलिखित परिवर्तन कैसे करेंगे?
(i) बेन्जीन से ऐनिलीन
(ii) बेन्जीन से N, N-डाइमेथिल ऐनिलीन
(iii) Cl—(CH2)4—Cl से हेक्सेन – 1, 6 – डाइऐमीन
उत्तर :
UP Board Solutions for Class 12 Chemistry Chapter 13 Amines image 4

प्रश्न 4.
निम्नलिखित को उनके बढ़ते हुए क्षारकीय प्रबलता के क्रम में लिखिए
(i) C2H5NH2,  C6H5NH2,  NH3,  C6H5NH2NH2)  तथा  (C2H5)2 NH
(ii) C2H5NH2,  (C2H5)2 NH,  (C2H5)3 N,  C6H5NH2
(iii) CH3NH2,  (CH3)2NH,  (CH3)3N,  C6H5NH2,  C6H5CH2NH2
उत्तर :
(i) C6H5NH2 < NH3 < C6H5CH2NH2 < C2H5NH2, < (C2H5)2 NH
(ii) C6H5NH2 <  C2H5NH2<  (C2H5)3N < (C2H5)2 NH
(iii) C6H5NH2  <  C6H5CH2NH2 < (CH3)3N < CH3NH2 < (CH3)2NH

प्रश्न 5.
निम्नलिखित अम्ल-क्षारक अभिक्रिया को पूर्ण कीजिए तथा उत्पादों के नाम लिखिए
(i) CH3CH2CH2NH2 + HCl →
(ii) ( (C2H5)2 N  + HCl   →
उत्तर :
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प्रश्न 6.
सोडियम कार्बोनेट विलयन की उपस्थिति में मेथिल आयोडाइड के आधिक्य द्वारा ऐनिलीन के ऐल्किलन में उत्पन्न होने वाले उत्पादों के लिए अभिक्रिया लिखिए।
उत्तर :
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प्रश्न 7.
ऐनिलीन की बेन्जोइल क्लोराइड के साथ रासायनिक अभिक्रिया द्वारा उत्पन्न उत्पादों के नाम लिखिए।
उत्तर :
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प्रश्न 8.
अणुसूत्र C3H9 N से प्राप्त विभिन्न समावयवों की संरचना लिखिए। उन समावयवों के आई०यू०पी०ए०सी० नाम लिखिए जो नाइट्रस अम्ल के साथ नाइट्रोजन गैस मुक्त। करते हैं।
उत्तर :
आण्विक सूत्र C3H9 N चार समावयवी ऐलिफैटिक ऐमीनों को निरूपित करता है। ये निम्नवत् है।
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केवल प्राथमिक ऐमीन नाइट्रस अम्ल (HONO) के साथ क्रिया करके N2 गैस मुक्त करती हैं तथा संगत प्राथमिक ऐल्कोहॉल बनाती हैं।
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प्रश्न 9.
निम्नलिखित परिवर्तन कीजिए
(i) 3 – मेथिल ऐनिलीन से 3 – नाइट्रोटॉलूईन
(ii) ऐनिलीन से 1, 3, 5 – ट्राइब्रोमो बेन्जीन।
उत्तर :
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अतिरिक्त अभ्यास

प्रश्न 1.
निम्नलिखित यौगिकों को प्राथमिक, द्वितीयक एवं तृतीयक ऐमीनों में वर्गीकृत कीजिए तथा इनके आई०यू०पी०ए०सी० नाम लिखिए

  1. (CH3)2CHNH2
  2. CH3(CH2)2CH2NH2
  3. CH3NHCH(CH3)2
  4. (CH3)3CNH2
  5.  C6H5NHCH3
  6. (CH3CH2)2NCH3
  7. m-BrC6H4NH

उत्तर :

  1. प्रोपेन-2-ऐमीन (1°)
  2. प्रोपेन-1-ऐमीन (1°)
  3. N-मेथिल प्रोपेन-2-ऐमीन (2°)
  4. 2-मेथिलप्रोपेन-2-ऐमीन (3°)
  5. N-मेथिलबेन्जीनेमीन या N-मेथिलऐनिलीन (2°)
  6. N-एथिल, N-मेथिलऐथेनेमीन (3°)
  7. 3-ब्रोमोबेन्जैनेमीन या 3-ब्रोमोऐनिलीन (1°)

प्रश्न 2.
निम्नलिखित युग्मों के यौगिकों में विभेद के लिए एक रासायनिक परीक्षण दीजिए
(i) मेथिल ऐमीन एवं डाइमेथिल ऐमीन
(ii) द्वितीयक एवं तृतीयक ऐमीन
(iii) एथिल ऐमीन एवं ऐनिलीन
(iv) ऐनिलीन एवं बेन्जिल ऐमीन
(v) ऐनिलीन एवं N-मेथिल ऐनिलीन।
उत्तर :
(i) मेथिल ऐमीन एवं डाइमेथिल ऐमीन :
इनमें कार्बिलऐमीन परीक्षण द्वारा विभेद किया जा सकता है। मेथिलऐमीन प्राथमिक ऐमीन है, इसलिए यह कार्बिलऐमीन परीक्षण देती है अर्थात् KOH के ऐल्कोहॉलिक विलयन तथा CHCl3 के साथ गर्म करने पर यह मेथिल काबिलेमीन की तीव्र गन्ध देती है। इसके विपरीत, डाइमेथिलऐमीन एक द्वितीयक ऐमीन है, इसलिए यह कार्बिलऐमीन परीक्षण नहीं देती।
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(ii) द्वितीयक एवं तृतीयक ऐमीन :
इनमें लिबरमैन नाइट्रोसोऐमीन परीक्षण द्वारा विभेद किया जा सकता है। द्वितीयक ऐमीन लिबरमैन नाइट्रोसोऐमीन परीक्षण देती हैं, जबकि तृतीयक ऐमीन ये परीक्षण नहीं देती।। द्वितीयक ऐमीन HNO2, से अभिक्रिया करके पीले रंग का तैलीय N-नाइट्रोसोऐमीन देती हैं। यहाँ HNO2, को खनिज अम्ल (HCI) तथा सोडियम नाइट्राइट की अभिक्रिया द्वारा माध्यम में (in situ) ही बनाया जाता है
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N-नाइट्रोसोडाइएथिल ऐमीन को फीनॉल के क्रिस्टल तथा सान्द्र H2SO2 के साथ गर्म करने पर यह एक हरा विलयन देती है जिसे जलीय NaOH के साथ क्षारीय बनाए जाने पर गहरा नीला विलयन प्राप्त होता है जो तनुकरण पर लाल हो जाता है। तृतीयक ऐमीन यह परीक्षण नहीं देती हैं।

(iii) एथिल ऐमीन एवं ऐनिलीन : 
एथिलऐमीन प्राथमिक ऐलिफैटिक ऐमीन है, जबकि ऐनिलीने प्राथमिक ऐरोमैटिक ऐमीन है। इन्हें ऐजो रंजक परीक्षण द्वारा विभेदित किया जा सकता है। ऐजो रंजक परीक्षण – इसमें ऐरोमैटिक प्राथमिक ऐमीन की HNO2, (NaNO2, + तनु HCl ) के साथ 273–278K पर अभिक्रिया होती है तथा इसके पश्चात् 2 नैफ्थॉल (β – नैफ्थॉल) के क्षारीय विलयन के साथ अभिक्रिया से गहरे पीले, नारंगी या लाल रंग का रंजक प्राप्त होता है।
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ऐलिफैटिक प्राथमिक ऐमीन उपर्युक्त परिस्थितियों के अन्तर्गत प्राथमिक ऐल्कोहॉलों के निर्माण के साथ नाइट्रोजन गैस तीव्रता से मुक्त करती हैं अर्थात् विलयन पारदर्शी ही रहता है।
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(iv) ऐनिलीन एवं बेन्जिल ऐमीन :
इन्हें नाइट्रस अम्ल परीक्षण द्वारा विभेदित किया जा सकता है। नाइट्रस अम्ल परीक्षण – बेन्जिल ऐमीन नाइट्रस अम्ल से अभिक्रिया करके डाइऐजोनियम लवण बनाती है जो कम ताप पर भी अस्थायी होने के कारण N2, के विमुक्तन के साथ विघटित हो जाता है।
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ऐनिलीन HNO2, से अभिक्रिया करके बेन्जीन डाइऐजोनियम क्लोराइड बनाती है जो 273 – 278 K पर स्थायी होता है, इसलिए विघटित होकर नाइट्रोजन गैस नहीं देता है।
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(v) ऐनिलीन एवं N-मेथिल ऐनिलीन :
इनमें कार्बिलऐमीन परीक्षण द्वारा विभेद किया जा सकता है। ऐनिलीन प्राथमिक ऐमीन होने के कारण कार्बिलऐमीन परीक्षण देती है अर्थात् ऐल्कोहॉलिक KOH विलयन तथा CHCl3 के साथ गर्म करने पर यह फेनिल आइसोसायनाइड की हानिकारक गन्ध देती है। इसके विपरीत, N – मेथिल ऐनिलीन द्वितीयक ऐमीन होने के कारण यह परीक्षण नहीं देती।
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प्रश्न 3.
निम्नलिखित के कारण बताइए
(i) ऐनिलीन का pKb मेथिल ऐमीन की तुलना में अधिक होता है।
(ii) एथिल ऐमीन जल में विलेय है, जबकि ऐनिलीन नहीं।
(iii) मेथिल ऐमीन फेरिक क्लोराइड के साथ जल में अभिक्रिया करने पर जलयोजित फेरिक ऑक्साइड का अवक्षेप देती है।
(iv) यद्यपि ऐमीनो समूह इलेक्ट्रॉनरागी प्रतिस्थापन अभिक्रियाओं में ऑर्थों एवं पैरा-निर्देशक होता है, फिर भी ऐनिलीन नाइट्रीकरण द्वारा यथेष्ट मात्रा में     मेटा-नाइट्रोऐनिलीन देती है।
(v) ऐनिलीन फ्रीडेल-क्राफ्ट्स अभिक्रिया प्रदर्शित नहीं करती।
(vi) ऐरोमैटिक ऐमीनों के डाइऐजोनियम लवण ऐलिफैटिक ऐमीनों से प्राप्त लवण से अधिक स्थायी होते हैं।
(vii) प्राथमिक ऐमीन के संश्लेषण में गैब्रिएल थैलिमाइड संश्लेषण को प्राथमिकता दी जाती
उत्तर :
(i) ऐनिलीन, मेथिलऐमीन से अधिक दुर्बल क्षार होती है। ऐनिलीन में  N – परमाणु पर एकाकी युग्म इलेक्ट्रॉन बेन्जीन वलय पर विस्थानीकृत हो जाता है जिसके परिणामस्वरूप नाइट्रोजन पर इलेक्ट्रॉन घनत्व घट जाता है। दूसरी ओर, मेथिलऐमीन में CH3 समूह के + I  प्रभाव के कारण N-परमाणु पर इलेक्ट्रॉन घनत्व बढ़ जाता है। अत: ऐनिलीन मेथिलऐमीन से दुर्बल क्षार होता है, अत: इसका  pKb, मान मेथिलऐमीन से उच्च होता है।

(ii) एथिलऐमीन जल के अणुओं के साथ हाइड्रोजन आबन्ध बनाने के कारण जल में विलेय होती है।
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दूसरी ओर, ऐनिलीन जल में वृहत् हाइड्रोकार्बन भाग CH5 के कारण अविलेय होता है, क्योंकि यह हाइड्रोजन आबन्ध नहीं बनाता है।

(iii) मेथिलऐमीन जल से अधिक क्षारीय होने के कारण जल से प्रोटॉन ग्रहण करके OH आयन मुक्त करती है।
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ये OH आयन जल में उपस्थित Fe3+ आयनों से संयुक्त होकर जलयोजित फेरिक ऑक्साइड का भूरा अवक्षेप देती हैं।
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(iv) नाइट्रीकरण की प्रक्रिया सान्द्र HNO3 तथा सान्द्र H2SO4 के मिश्रण की उपस्थिति में होती है। इन अम्लों की उपस्थिति में अधिकांश ऐनिलीन प्रोटॉनीकृत होकर ऐनिलीनियम आयन बनाती है। अतः । अम्लों की उपस्थिती में अभिक्रिया मिश्रण में ऐनिलीन और ऐनिलीनियम आयन होते हैं -NH2, समूह ऐनिलीन में ऑर्थों तथा पैरा निर्देशक होता है तथा सक्रियक (dactivating) होता है, जबकि ऐनिलीनियम आयन में [latex]\overset { + }{ N } { H }_{ 3 }[/latex] समूह मेटा निर्देशक तथा निष्क्रियकारक होता है। ऐनिलीन के नाइट्रीकरण से p-नाइट्रोऐनिलीन प्राप्त होती है, जबकि ऐनिलीनियम आयन मेटा नाइट्रोऐनिलीन देता है।
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अतः ऐनिलीन का नाइट्रीकरण ऐमीनो समूह के प्रोटॉनीकरण द्वारा m – नाइट्रोऐनिलीन देता है।

(v) ऐल्किलीकरण तथा ऐसिलीकरण की तरह ऐनिलीन फ्रीडल-क्राफ्ट्स अभिक्रिया नहीं देती है क्योंकि यह एलुमिनियम क्लोराइड जो कि उत्प्रेरक के रूप में प्रयुक्त होता है (लुईस अम्ल) के साथ लवण बनाती है। इस नाइट्रोजन परमाणु के कारण ऐनिलीन -NH2, समूह के नाइट्रोजन परमाणु पर धनावेश आ जाता है अतः यह पुनः अभिक्रिया के लिए प्रबल निष्क्रियकारक समूह का कार्य करता है।

(vi) ऐरोमैटिक ऐमीनों के डाइऐजोनियम लवण ऐलिफैटिक ऐमीनों के लवणों से अधिक स्थायी होते हैं। क्योंकि निम्न ताप पर ऐलिफैटिक ऐमीनों के डाइऐजोनियम लवण वियोजित होकर नाइट्रोजन गैस देते हैं।
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(vii) गैब्रिएल थैलिमाइड अभिक्रिया से शुद्ध प्राथमिक ऐमीन प्राप्त होती है। अतएव, इसका प्रयोग प्राथमिक ऐमीनों के संश्लेषण में किया जाता है।

प्रश्न 4.
निम्नलिखित को क्रम में लिखिए
(i) pKb, मान के घटते क्रम में
C2H5NH2, C6H5NHCH3, (C2H5)2 NH एांव C6H5NH2,

(ii) क्षारकीय प्राबल्य के घटते क्रम में
C6H5NH2, C6H5N(CH3)2, (C2H5)2 NH, एांव CH3NH2

(iii) क्षारकीय प्राबल्य के बढ़ते क्रम में
(क) ऐनिलीन, पैरा-नाइट्रोऐनिलीन एवं पैरा-टॉलूडीन
(ख)C6H5NH2, C6H5NHCH3, C6H5CH2NH2

(iv) गैस अवस्था में घटते हुए क्षारकीय प्राबल्य के क्रम में
C2H5NH2, (C2H5)2 NH, (C2H5)3 N एवं  NH3

(v) क्वथनांक के बढ़ते क्रम में
C2H5OH, (CH3)2NH, C6H5NH2

(vi) जल में विलेयता के बढ़ते क्रम में
C2H5NH2,  (C2H5)2 NH, C2H5NH2
उत्तर :
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प्रश्न 5.
इन्हें आप कैसे परिवर्तित करेंगे
(i) एथेनोइक अम्ल को मेथेनेमीन में
(ii) हेक्सेननाइट्राइल को 1-ऐमीनोपेन्टेन में
(iii) मेथेनॉल को एथेनोइक अम्ल में
(iv) एथेनेमीन को मेथेनेमीन में
(v) एथेनोइक अम्ल को प्रोपेनोइक अम्ल में
(vi) मेथेनेमीन को एथेनेमीन में
(vii) नाइट्रोमेथेन को डाइमेथिल ऐमीन में
(viii) प्रोपेनोइक अम्ल को एथेनोइक अम्ल में?
उत्तर :
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प्रश्न 6.
प्राथमिक, द्वितीयक एवं तृतीयक ऐमीनों की पहचान की विधि का वर्णन कीजिए। इन अभिक्रियाओं के रासायनिक समीकरण भी लिखिए।
उत्तर :
बेन्जीन सल्फोनिल क्लोराइड (C6H5SO4Cl), जिसे हिन्सबर्ग अभिकर्मक भी कहा जाता है, प्राथमिक और द्वितीयक ऐमीनों से अभिक्रिया करके सल्फोनेमाइड बनाता है।
(i) बेन्जीन सल्फोनिल क्लोराइड और प्राथमिक ऐमीन की अभिक्रिया से N-एथिलबेन्जीन सल्फोनेमाइड प्राप्त होता है।
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सल्फोनेमाइड की नाइट्रोजन से जुड़ी हाइड्रोजन प्रबल इलेक्ट्रॉन खींचने वाले सल्फोनिल समूह की उपस्थिति के कारण प्रबल अम्लीय होती है, अत: यह क्षार में विलेय होता है।

(ii) द्वितीयक ऐमीन की अभिक्रिया से N,N-डाइएथिलबेन्जीनसल्फोनेमाइड बनता है।
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N, N – डाइएथिलबेन्जीन सल्फोनेमाइड N, N – डाइएथिलबेन्जीन सल्फोनेमाइड में कोई भी हाइड्रोजन परमाणु नाइट्रोजन परमाणु से नहीं जुड़ा है। अत: यह अम्लीय नहीं होता तथा क्षार में अविलेय होता है।

(iii) तृतीयक ऐमीन बेन्जीन सल्फोनिल क्लोराइड से अभिक्रिया नहीं करती। विभिन्न वर्गों के ऐमीनों का यह गुण जिसमें वे बेन्जीन सल्फोनिल क्लोराइड से भिन्न-भिन्न प्रकार से अभिक्रिया करती हैं, प्राथमिक, द्वितीयक एवं तृतीयक ऐमीनों में विभेद करने एवं इन्हें मिश्रण से पृथक् करने में प्रयुक्त होता है। यद्यपि आजकल बेन्जीन सल्फोनिल क्लोराइड के स्थान पर p – टॉलूईन सल्फोनिल क्लोराइड का प्रयोग होता है।

प्रश्न 7.
निम्नलिखित पर लघु टिप्पणी लिखिए
(i) कार्बिलऐमीन अभिक्रिया (2014, 16, 17)
(ii) डाइऐजोकरण (2015)
(iii) हॉफमान ब्रोमेमाइड अभिक्रिया (2018)
(iv) युग्मन अभिक्रिया
(v) अमोनीअपघटन
(vi) ऐसीटिलन
(vii) गैब्रिएल थैलिमाइड संश्लेषण।
उत्तर :
(i) काबिलऐमीन अभिक्रिया (Carbylamine Reaction) :
जब ऐलिफैटिक या ऐरोमैटिक प्राथमिक ऐमीन (जैसे – ऐनिलीन, एथिल या मेथिल ऐमीन) को ऐल्कोहॉलीय KOH की उपस्थिति में क्लोरोफॉर्म की कुछ बूंदों के साथ गर्म किया जाता है तो तीव्र दुर्गन्धयुक्त आइसोसायनाइड प्राप्त होता है। इस अभिक्रिया को कार्बिलऐमीन अभिक्रिया कहते हैं। इसका उपयोग प्राथमिक ऐमीन समूह की उपस्थिति ज्ञात करने में होता है।
उदाहरण :
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(ii) डाइऐजोकरण अभिक्रिया (Diazotisation Reaction) :
वह क्रिया जिसमें ऐरोमैटिक प्राथमिक ऐमीन सोडियम नाइट्राइट व तनु HCl के मिश्रण (तनु खनिज अम्ल) के साथ 273 से 278 K ताप पर अभिक्रिया द्वारा ऐमीनो समूह को डाइऐजो समूह में परिवर्तित करते हों, डाइऐजोकरण अभिक्रिया कहलाती है।
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उदाहरण :
ऐनिलीन को सोडियम नाइट्राइट व तनु HCl के मिश्रण के साथ 273 से 278 K ताप पर अभिकृत करने पर बेन्जीन डाइऐजोनियम क्लोराइड बनता है।
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(iii) हॉफमान ब्रोमेमाइड अभिक्रिया (Hofmann’s Bromamide Reaction) : 
वह अभिक्रिया जिसमें ऐलिफैटिक या ऐरोमैटिक ऐसिड ऐमाइड द्रव ब्रोमीन के साथ कास्टिक पोटाश के जलीय विलयन की उपस्थिति में अभिक्रिया करके प्राथमिक ऐमीन (1C कम का) बनाते हैं, तो यह अभिक्रिया हॉफमान ब्रोमेमाइड अभिक्रिया कहलाती है। इस अभिक्रिया की सहायता से – CONH2, समूह को -NH2, समूह में परिवर्तित किया जाता है।
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इस अभिक्रिया में ऐसीटेमाइड, प्रोपिल ऐमाइड तथा बेन्जेमाइड को क्रमशः मेथिल ऐमीन, एथिल ऐमीन । तथा ऐनिलीन में परिवर्तित किया जा सकता है। यह अभिक्रिया निम्नलिखित पदों में होती है
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(iv) युग्मन अभिक्रिया (Coupling Reaction) :
डाइऐजोनियम लवणों की फीनॉलों तथा ऐरोमैटिक ऐमीनों के साथ अभिक्रिया जिससे सामान्य सूत्र, Ar – N = N – Ar के ऐजो यौगिक बनते हैं। युग्मन अभिक्रियाएँ कहलाती हैं। इस अभिक्रिया में डाइऐजो समूह का नाइट्रोजन परमाणु उत्पाद में भी उपस्थित रहता है। फीनॉलों के साथ युग्मन अल्प क्षारीय माध्यम में होता है, जबकि ऐमीनों के साथ यह पर्याप्त अम्लीय माध्यम में होता है।
उदाहरणार्थ :
बेन्जीन डाइऐजोनियम क्लोराइड फीनॉल से अभिक्रिया करके इसके पैरा स्थान पर युग्मित होकर पैरा हाइड्रॉक्सीऐजोबेन्जीन बनाता है। इसी प्रकार की अभिक्रिया को युग्मन अभिक्रिया कहते हैं। इसी प्रकार से डाइऐजोनियम लवण की ऐनिलीन से अभिक्रिया द्वारा पैरा-ऐमीनोऐजोबेन्जीन बनती है। यह एक इलेक्ट्रॉनरागी अभिक्रिया का उदाहरण है।
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युग्मन सामान्यतया पैरा स्थिति [हाइड्रॉक्सिल अथवा ऐमीनो समूह के सापेक्ष (यदि मुक्त है)] पर होता है, अन्यथा यह ऑर्थो स्थिति पर होता है।

(v) अमोनीअपघटन (Ammonolysis) :
ऐल्किल अथवा बेन्जिल हैलाइडों में कार्बन-हैलोजेन आबन्ध नाभिकरागी द्वारा सरलता से विदलित हो जाता है, इसलिए ऐल्किल अथवा बेन्जिल हैलाइड अमोनिया के एथेनॉलिक विलयन से नाभिकरागी प्रतिस्थापन अभिक्रिया करते हैं जिसमें हैलोजेन परमाणु ऐमीनो (NH2) समूह से प्रतिस्थापित हो जाता है। अमोनिया अणु द्वारा C-X आबन्ध के विदलन की प्रक्रिया को अमोनीअपघटन (ammonolysis) कहते हैं। यह अभिक्रिया 373 K ताप पर सील बन्द नलिका में कराते हैं। इस प्रकार से प्राप्त प्राथमिक ऐमीन नाभिकरागी की तरह व्यवहार करती है और पुनः ऐल्किल हैलाइड से अभिक्रिया करके द्वितीयक एवं तृतीयक ऐमीन तथा अन्तत: चतुष्क अमोनियम लवण बना सकती है।
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इस अभिक्रिया में हैलाइडों की ऐमीनों से अभिक्रियाशीलता का क्रम RI > RBr > RCI होता है। अमोनियम लवण से मुक्त ऐमीन प्रबल क्षार द्वारा अभिक्रिया से प्राप्त की जा सकती है।
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अमोनीअपघटन में यह असुविधा है कि इससे प्राथमिक, द्वितीयक एवं तृतीयक ऐमीन तथा चतुष्क अमोनियम लवण का मिश्रण प्राप्त होता है। यद्यपि अमोनिया आधिक्य में लेने पर प्राप्त मुख्य उत्पाद प्राथमिक ऐमीन हो सकता है।

(vi) ऐसीटिलन या ऐसीटिलीकरण (Acetylation) :
किसी –OH या –NH, समूह के हाइड्रोजन परमाणु का ऐसीटिल (CH3CO) समूह द्वारा विस्थापन ऐसीटिलन या ऐसीटिलीकरण कहलाता है। यह प्रक्रम ऐसीटिल क्लोराइड (CH3COCI), ऐसीटिक ऐनहाइड्राइड या ग्लेशियल ऐसीटिक अम्ल द्वारा किया जाता है।
उदाहरण :
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इस प्रक्रम का उपयोग ऐमीनो तथा हाइड्रॉक्सी समूहों की संख्या ज्ञात करने में होता है।

(vii) गैब्रिएल थैलिमाइड संश्लेषण (Gabriel Phthalimide Synthesis) :
गैब्रिएल संश्लेषण का प्रयोग प्राथमिक ऐमीनों के विरचन के लिए किया जाता है। थैलिमाइड एथेनॉलिक पोटैशियम हाइड्रॉक्साइड से अभिक्रिया द्वारा थैलिमाइड का पोटैशियम लवण बनाता है जो ऐल्किल हैलाइड के साथ गर्म करने के पश्चात् क्षारीय जल-अपघटन द्वारा संगत प्राथमिक ऐमीन उत्पन्न करता है।
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ऐरोमैटिक प्राथमिक ऐमीन इस विधि से नहीं बनाई जा सकती क्योंकि ऐरिल हैलाइड थैलिमाइड से प्राप्त ऋणायन के साथ नाभिकरागी प्रतिस्थापन अभिक्रिया नहीं कर सकते।

प्रश्न 8.
निम्नलिखित परिवर्तन निष्पादित कीजिए
(i) नाइट्रोबेन्जीन से बेन्जोइक अम्ल
(ii) बेन्जीन से m-ब्रोमोफीनॉल
(iii) बेन्जोइक अम्ल से ऐनिलीन
(iv) ऐनिलीन से 2,4,6-ट्राइब्रोमोफ्लुओरोबेन्जीन
(v) बेन्जिल क्लोराइड से 2 – फेनिलएथेनेमीन
(vi) क्लोरोबेन्जीन से p – क्लोरोऐनिलीन
(viii) बेन्जेमाइड से टॉलूईन
(vii) ऐनिलीन से p – ब्रोमोऐनिलीन
(ix) ऐनिलीन से बेन्जिल ऐल्कोहॉल
उत्तर :
(i)
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(ix) (vii) के समान ऐनिलीन से अभिक्रिया लिखिए, तब
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प्रश्न 9.
निम्नलिखित अभिक्रियाओं में  A, B  तथा  C की संरचना दीजिए
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उत्तर :
(i)
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प्रश्न 10.
एक ऐरोमैटिक यौगिक  ‘A’  जलीय अमोनिया के साथ गर्म करने पर यौगिक  ‘B’  बनाता है जो Br2, (ब्रोमीन) एवं KOH के साथ गर्म करने पर अणुसूत्र C6H7N वाला यौगिक ‘C’ बनाता है। A, B एवं C यौगिकों की संरचना एवं इनके आई०यू०पी०ए०सी० नाम। लिखिए।
उत्तर :
चूंकि यह ऐरोमैटिक यौगिक है अत: इसमें बेन्जीन वलय होगी। B, Brतथा KOH के साथ गर्म करने पर (हॉफमान ब्रोमेमाइड अभिक्रिया) यौगिक ‘C’ (अणुसूत्र C6H7N ) बनाता है। केवल उच्च ऐमाइड हॉफमैन ब्रोमेमाइड अभिक्रिया [Br2 +KOH] द्वारा निम्न ऐमीन देते हैं। अतएव  B, C6H5CONH2, तथा  C, C6H5NH, हैं। चूंकि यौगिक C6H5CONH2, A से प्राप्त होता है, अत: A, C6H5COOH (कार्बोक्सिलिक अम्ल) होगा, अभिक्रियाओं का अनुक्रम और A, B तथा C की संरचनाएँ अग्रवत् होंगी
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प्रश्न 11.
निम्नलिखित अभिक्रियाओं को पूर्ण कीजिए
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उत्तर :
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प्रश्न 12.
ऐरोमैटिक प्राथमिक ऐमीन को गैब्रिएल थैलिमाइड संश्लेषण से क्यों नहीं बनाया जा सकता?
उत्तर :
ऐरोमैटिक प्राथमिक ऐमीन गैब्रिएल थैलिमाइड संश्लेषण द्वारा नहीं बनाई जा सकती क्योंकि ऐरिल हैलाइड थैलिमाइड द्वारा निर्मित ऋणीयन के साथ नाभिकस्नेही प्रतिस्थापने अभिक्रियाएँ नहीं देते हैं।
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प्रश्न.13.
ऐलिपैटिक एवं ऐरोमैटिक प्राथमिक ऐमीनों की नाइट्रस अम्ल से अभिक्रिया लिखिए।
उत्तर :
(i) ऐरोमैटिक प्राथमिक ऐमीन HCI की उपस्थिचिभमें माइट्रस अम्ल के साथ अभिक्रिया करके ऐरोमैटिक डाइऐजोनियम लवण बनाती हैं।
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(ii) ऐलिफैटिक प्राथमिक ऐमीन नाइट्रस अम्ल से अभिक्रिया करके प्राथमिक ऐल्कोहॉल तथानाइट्रोजन गैस देती हैं।
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प्रश्न 14.
निम्नलिखित में प्रत्येक का सम्भावित कारण बताइए
(i) समतुल्य अणु द्रव्यमान वाले ऐमीनों की अम्लता ऐल्कोहॉलों से कम होती है।
(ii) प्राथमिक ऐमीनों का क्वथनांक तृतीयक ऐमीनों से अधिक होता है।
(iii) ऐरोमैटिक ऐमीनों की तुलना में ऐलिफैटिक ऐमीन प्रबल क्षारक होते हैं।
उत्तर :
(i) किसी ऐमीन से एक प्रोटॉन निकलने पर ऐमाइड आयन प्राप्त होता है, जबकि ऐल्कोहॉल से एक प्रोटॉन निकलने पर ऐल्कॉक्साइड आयन प्राप्त होता है जैसा कि निम्नवत् दर्शाया गया है
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चूँकि N की तुलना में 0 अधिक विद्युतऋणात्मक है, इसलिए RO° पर ऋणावेश RNH° की तुलना में अधिक सरलता से रह सकता है। दूसरे शब्दों में, ऐमीन ऐल्कोहॉल से कम अम्लीय होती हैं।

(ii) प्राथमिक ऐमीनों के N-परमाणुओं पर दो हाइड्रोजन परमाणुओं की उपस्थिति के कारण ये विस्तीर्ण अन्तराअणुक हाइड्रोजन आबन्ध दर्शाती हैं, जबकि तृतीयक ऐमीन में नाइट्रोजन पर हाइड्रोजन अणुओं के अभाव के कारण अन्तराआण्विक संघटन नहीं होता। इसलिए प्राथमिक ऐमीनों का क्वथनांक तृतीयक ऐमीनों से अधिक होता है।
उदाहरणार्थ :
n-ब्यूटिलऐमीन का क्वथनांक (351 K) तृतीयक ब्यूटिलऐमीन (क्वथनांक 319 K) से अधिक होता है।
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(iii) ऐरोमैटिक ऐमीनों की तुलना में ऐलिफेटिक ऐमीन प्रबल क्षारक होते हैं क्योंकि
(क) ऐरोमैटिक ऐमीनों में अनुनाद के कारण नाइट्रोजन परमाणु का एकाकी इलेक्ट्रॉन-युग्म बेन्जीन वलय पर विस्थानीकृत हो जाता है, इसलिए यह प्रोटॉनीकरण के लिए सरलतापूर्वक उपलब्ध हो जाता है।
(ख) ऐरिल ऐमीन आयनों को स्थायित्व संगत ऐरिल ऐमीनों की तुलना में कम होता है अर्थात् ऐरोमैटिक ऐमीनों का प्रोटॉनीकरण उपयुक्त नहीं होता है।

परीक्षोपयोगी प्रश्नोत्तर

बहुविकल्पीय प्रश्न
प्रश्न 1.
गैब्रिएल थैलिमाइड संश्लेषण का प्रयोग किसके विरचन के लिए किया जाता है?
(i) 1° ऐमीन
(ii) 2° ऐमीन
(iii) 3° ऐमीन
(iv) ये सभी
उत्तर :
(i) 1° ऐमीन

प्रश्न 2.
क्लोरोफॉर्म तथा ऐल्कोहॉलीय KOH के साथ किसे गर्म करने पर कार्बिलऐमीन की अरुचिकर गन्ध प्राप्त होती है?
(i) कोई ऐरोमैटिक ऐमीन
(ii) कोई प्राथमिक ऐमीन
(iii) कोई ऐमीन
(iv) कोई ऐलिफैटिक ऐमीन
उत्तर :
(ii) कोई प्राथमिक ऐमीन

प्रश्न 3.
निम्न में से किस अभिक्रिया द्वारा ऐमाइड ऐमीन में परिवर्तित किये जा सकते हैं?
(i) पर्किन
(ii) क्ले जन
(iii) हॉफमान ब्रोमेमाइड
(iv) क्लीमेन्सन
उत्तर :
(iii) हॉफमैन ब्रोमेमाइड

प्रश्न 4.
निम्न में से कौन हॉफमान अभिक्रिया द्वारा प्राथमिक ऐमीन देता है?
(i) RCOCI
(ii) RCONHCH3
(iii) RCONH2
(iv) RCOOR
उत्तर :
(iii) RCONH2

प्रश्न 5.
C3H7NH2, NH3, CH3NH2, C2H5NH2  तथा   C6H5NH, में से सबसे कम क्षारीय यौगिक है।
(i) C3H7NH2
(ii) NH3
(iii) CH3NH2
(iv) C6H5NH2
उत्तर :
(iv) C6H5NH2

प्रश्न 6.
निम्नलिखित में से कौन-सा यौगिक KOH तथा प्राथमिक ऐमीन के साथ गर्म करने पर कार्बिलेमीन परीक्षण देता है?
(i) CHCl3
(ii) CH3Cl
(iii) CH3OH
(iv) CH3 CN
उत्तर :
(i) CHCl3

प्रश्न 7.
निम्न में से कौन-सी ऐमीन नाइट्रस अम्ल के साथ क्रिया करके N, मुक्त नहीं करती है?
(i) ट्राइमेथिलेमीन
(ii) ऐथिलेमीन
(iii) s – ब्यूटिलेमीन
(iv) t – ब्यूटिलेमीन
उत्तर :
(i) ट्राइमेथिलेमीन

प्रश्न 8.
निम्न में से कौन – सी ऐमीन  KMnO4, द्वारा संगत नाइट्रोयौगिक में सीधे ऑक्सीकृत हो जाती है?
(i)CH3NH2
(ii) C6H5NH2
(iii) (CH3)2NH
(iv) (CH3)3C– NH2
उत्तर :
(iii) (CH3)2NH

प्रश्न 9.
निम्नलिखित में से धनात्मक कार्बिलेमीन परीक्षण कौन देता है?
(i) 2,  4 – डाइमेथिलेनिलीन
(ii) N, N – डाइमेथिलेनिलीन
(iii) N – मेथिल -o- मेथिलेनिलीन
(iv) p – मेथिलबेन्जिलेमीन
उत्तर :
(i) 2, 4-डाइमेथिलेनिलीन

प्रश्न10.
n – प्रोपिलेमीन वाष्पशील यौगिक X देती है जो ऐल्कोहॉलीय क्षार तथा क्लोरोफॉर्म के साथ गर्म करने पर अरुचिकर गन्ध देती है।xकी संरचना है।
(i) CHCH2CHCN
(ii) (CH3)2CHCN
(iii) CHCH2CHNC
(iv) (CH3)2CHNC
उत्तर :
(iii) CHCH2CHNC

प्रश्न 11.
नाइट्रोबेन्जीन का प्रबल अम्लीय माध्यम में अपचयन करने पर अन्तिम उत्पाद बनता है (2017)
(i) ऐनिलीन
(ii) फेनिल हाइड्रॉक्सिल ऐमीन
(iii) p – ऐमीनो फीनॉल
(iv) ऐजोबेन्जीन
उत्तर :
(i) ऐनिलीन

प्रश्न 12.
नाइट्रोबेन्जीन को कहते हैं   (2017)
(i) कसीस का तेल
(ii) मिरवेन का तेल
(iii) सिनेमन ऑयल
(iv) विन्टरग्रीन का तेल
उत्तर :
(ii) मिरवेन का तेल

अतिलघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
ऐमीन किन्हें कहते हैं? प्राथमिक, द्वितीयक एवं तृतीयक ऐमीन का एक-एक उदाहरण दीजिए तथा उनके साधारण नाम लिखिए।
उत्तर :
ऐमीन :
अमोनिया के ऐल्किल व्युत्पन्न को ऐल्किल ऐमीन कहते हैं।
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प्रश्न 2.
नाइट्रोबेन्जीन के उदासीन माध्यम में अपचयन की अभिक्रिया लिखिए। (2014, 15)
उत्तर :
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प्रश्न 3.
क्या होता है जब ऐनिलीन की क्रिया Br, जल से करायी जाती है?
उत्तर :
2, 4, 6 – ट्राइब्रोमोऐनिलीन बनता है।

प्रश्न 4.
क्या होता है जब एथिलेमीन की क्रिया बेन्जेल्डिहाइड से कराते हैं?
उत्तर :
बेन्जेलिडीन एथिलेमीन (शिफ क्षारक) बनता है।
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प्रश्न 5.
मेण्डियस अभिक्रिया को प्रदर्शित कीजिए।
उत्तर :
यह ऐल्किल या ऐरिल सायनाइडों का सोडियम तथा ऐल्कोहॉल के साथ अपचयन है, इससे प्राथमिक (1°) ऐमीन प्राप्त होती है।
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प्रश्न 6.
क्या होता है जब बेन्जेमाइड को ब्रोमीन के साथ क्षार की उपस्थिति में गर्म किया जाता है? रासायनिक समीकरण लिखिए।
उत्तर :
ऐनिलीन बनती है।
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प्रश्न 7.
आप एथेनेमाइड को मेथेनेमीन में किस प्रकार परिवर्तित करेंगे?
उत्तर :
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प्रश्न 8.
क्या होता है जब R – N = C का जल अपघटन अम्लीय माध्यम में किया जाता है? रासायनिक समीकरण लिखिए।
उत्तर :
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प्रश्न 9.
निम्न अभिक्रियाओं को पूर्ण कर उनके नाम लिखिए
(i) RNH2 +CHCl+ 3KOH
(ii) RCONH2 + Br2 + 4NaOH 
उत्तर :
(i)
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यह अभिक्रिया कार्बिलेमीन अभिक्रिया कहलाती है।
(ii)
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इस अभिक्रिया को हॉफमान ब्रोमेमाइड अभिक्रिया या हॉफमान निम्नीकरण अभिक्रिया कहते हैं।

प्रश्न 10.
निम्न में A तथा B को पहचानिए
उत्तर :
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प्रश्न 11.
ऐमीनों के क्वथनांक संगत ऐल्केनों से उच्च क्यों होते हैं?
उत्तर :
ऐमीनों के क्वथनांक संगत ऐल्केनों से हाइड्रोजन आबन्धन के कारण उच्च होते हैं। ऐल्केनों में केवल दुर्बल वाण्डरवाल्स बल पाए जाते हैं।

प्रश्न 12.
ट्राइमेथिलेमीन तथा n-प्रोपिलेमीन का अणुभार समान होता है लेकिन ट्राइमेथिलेमीन निम्न ताप (276 K) तथा n-प्रोपिलेमीन अधिक ताप (322 K) पर उबलता है। समझाइए।
उत्तर :
n-प्रोपिलेमीन में N-परमाणु पर दो हाइड्रोजन परमाणु होते हैं, अत: इसका क्वथनांक अन्तरा – आणविक हाइड्रोजन आबन्धन के कारण अधिक होता है। ट्राइमेथिलेमीन (CH3)2N तृतीयक ऐमीन होने के कारण इसमें N-परमाणु पर H-परमाणु नहीं होते हैं। जिसके परिणामस्वरूप इसमें हाइड्रोजन आबन्धन अनुपस्थित होता है तथा इसका क्वथनांक निम्न होता है।

प्रश्न13.
कौन अधिक क्षारीय है-ऐनिलीन या अमोनिया?
उत्तर :
अमोनिया ऐनिलीन से अधिक क्षारीय होती है।

प्रश्न 14.
बेन्जीन वलय पर एक इलेक्ट्रॉन विमोचक प्रतिस्थापी की उपस्थिति किस प्रकार ऐरोमैटिक ऐमीन की क्षारीय सामर्थ्य को प्रभावित करती है?
उत्तर :
ऐरोमैटिक ऐमीन की क्षारीय सामर्थ्य बढ़ती है।

प्रश्न 15.
ऐरोमैटिक ऐमीनों में इलेक्ट्रॉनस्नेही प्रतिस्थापन, बेन्जीन की तुलना में शीघ्रता से क्यों होता है।
उत्तर :
अनुनाद के कारण ऐनिलीन के N-परमाणु पर इलेक्ट्रॉन बेन्जीन वलय पर विस्थानीकृत (delocalised) हो जाते हैं जिसके परिणामस्वरूप बेन्जीन वलय पर इलेक्ट्रॉन घनत्व बढ़ जाता है। दूसरे शब्दों में, ऐनिलीन सक्रिय हो जाती है अत: ऐनिलीन में इलेक्ट्रॉनस्नेही प्रतिस्थापन शीघ्रता से होता है।

प्रश्न16.
क्या होता है जब एथिलेमीन की क्रिया एथिल मैग्नीशियम ब्रोमाइड से कराते हैं?
उत्तर :
एथेन बनती है।

प्रश्न 17.
एथिलेमीन से एथिल आइसोसायनाइड के विरचन के लिए रासायनिक समीकरण लिखिए।
उत्तर :
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प्रश्न18.
एथिल ऐमीन की पहचान करने वाला एक रासायनिक परीक्षण लिखिए। (2017)
उत्तर :
C2H5NH2, को CHCl3 और (alc.) KOH के साथ गर्म करने पर तीव्र दुर्गन्ध युक्त पदार्थ एथिल आइसोसायनाइड बनता है।
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प्रश्न19.
ऐमीनोएथेन (एथिलेमीन) किस प्रकार एथेनल (ऐसीटेल्डिहाइड) से प्राप्त करते हैं?
उत्तर :
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प्रश्न 20.
निम्न अभिक्रिया को पूर्ण कीजिए
उत्तर :
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प्रश्न 21.
ऐमाइड ऐमीनों से अधिक अम्लीय होते हैं, क्यों?
उत्तर :
ऐमाइड ऐमीनों से अधिक अम्लीय होते हैं, क्योंकि -NH, समूह के N-परमाणु में एक एकाकी इलेक्ट्रॉन युग्म उपस्थित होता है, लेकिन एकाकी युग्म में निम्नवत् अनुनाद (resonance) पाया जाता है
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+R प्रभाव के कारण –NH, समूह के नाइट्रोजन परमाणु पर एकाकी युग्म इलेक्ट्रॉन की उपलब्धता घटती है जिसके परिणामस्वरूप ऐसिड ऐमाइड ऐमीन से दुर्बल क्षार होते हैं। N-परमाणु पर धनावेश के कारण यह आसानी से प्रोटॉन त्यागकर दुर्बल अम्ल के समान व्यवहार करता है।

प्रश्न 22.
निम्नलिखित को घटते हुए अम्लीयता के क्रम में व्यवस्थित कीजिए
0 – नाइट्रो बेन्जोइक एसिड
p – नाइट्रो बेन्जोइक एसिड
m – नाइट्रो बेन्जोइक एसिड
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प्रश्न 23.
सल्फैनेलिक अम्ल के दो महत्त्वपूर्ण उपयोग लिखिए।
उत्तर :
सल्फैनेलिक अम्ल का प्रयोग सल्फा औषधियों तथा रंजकों के निर्माण के लिए किया जाता है।

प्रश्न 24.
बेन्जीन डाइऐजोनियम क्लोराइड से बेन्जोनाइट्राइल के निर्माण का रासायनिक समीकरण लिखिए।
उत्तर :
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प्रश्न 25.
अभिक्रिया को पूर्ण कीजिए C6H5NCI+KI 
उत्तर :
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प्रश्न 26.
आप बेन्जीन डाइऐजोनियम क्लोराइड को नाइट्रोबेन्जीन में किस प्रकार परिवर्तित करेंगे ?
उत्तर :
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प्रश्न 27.
निम्न अभिक्रिया के मुख्य उत्पाद का सूत्र दीजिए
उत्तर :
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लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
नाइट्रोबेन्जीन की —NO2, समूह तथा बेन्जीन वलय की एक-एक अभिक्रियाओं के रासायनिक समीकरण लिखिए। (2016)
उत्तर :
NO2, समूह की अभिक्रिया :
नाइट्रोबेन्जीन में नाइट्रोसमूह बेन्जीन वलय से जुड़ा होता है जो एक ऑक्सीकारक समूह है। इस कारण अभिक्रियाओं में इसका अपचयन होता है।
अपचयन :
नाइट्रोबेन्जीन का अपचयन निम्न पदों में होता है
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नाइट्रोबेन्जीन का अपचयन उत्पाद माध्यम के pH और अपचायक की प्रकृति पर निर्भर करता है।
बेन्जीन वलय की अभिक्रिया
इलेक्ट्रॉन स्नेही प्रतिस्थापन अभिक्रिया नाइट्रोबेन्जीन में – NO2 समूह बेन्जीन वलय से जुड़ा होता है। नाइट्रीकरण – नाइट्रोबेन्जीन को सान्द्र नाइट्रिक अम्ल तथा सान्द्र सल्फ्यूरिक अम्ल के साथ 95- 100°C पर गर्म करने पर m-डाइनाइट्रो बेन्जीन बनती है।
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प्रश्न 2.
एक कार्बनिक यौगिक A के अपचयन से अणुसूत्र C2H7N वाला ऐमीन प्राप्त होता है जो क्लोरोफॉर्म तथा कास्टिक पोटाश के साथ गर्म करने पर तीव्र दुर्गन्ध वाला यौगिक B बनाता है। A तथा B के संरचनात्मक सूत्र तथा नाम लिखिए। (2017)
उत्तर :
प्रश्नानुसार यौगिक A की C6H5NO2, होने की सम्भावना लगती है।
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प्रश्न 3.
डाइऐजोनियम लवण क्या है? बेन्जीन डाइऐजोनियम क्लोराइड से क्लोरोबेन्जीन प्राप्त करने की रासायनिक अभिक्रिया लिखिए। (2016)
उत्तर :
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दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
प्रयोगशाला में एथिल ऐमीन बनाने की विधि का चित्र सहित वर्णन कीजिए तथा सम्बन्धित अभिक्रिया भी लिखिए। इसके दो रासायनिक गुण भी दीजिए। (2012, 13)
उत्तर :
प्रयोगशाला विधि :
प्रोपिओनेमाइड पर ब्रोमीन तथा कास्टिक पोटाश विलयन (आधिक्य में) की क्रिया कराने से एथिल ऐमीन बनती है। यह क्रिया हॉफमान ब्रोमेमाइड अभिक्रिया कहलाती है और यह निम्नलिखित पदों में होती है
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संलग्न चित्रानुसार, एक गोल पेंदी वाले फ्लास्क में 20 ग्राम प्रोपिओनेमाइड और 18 मिली ब्रोमीन लेकर ठण्डा करते हैं, फिर इसमें 10% KOH का 200 मिली विलयन मिलाते हैं। मिश्रण को तब तक हिलाते रहते हैं जब तक कि ब्रोमो प्रोपिओनेमाइड के कारण पीले रंग का विलयन न बन जाए। अब इसमें 50% KOH को 100 मिली विलयन पृथक्कारी कीप से डालकर जल ऊष्मक पर 60-70°C पर गर्म करते हैं जिससे विलयन रंगहीन हो जाए। तत्पश्चात् फ्लास्क के द्रव का आसवन करते हैं जिससे एथिल ऐमीन गैस निकलती है जो ग्राही में रखे तनु HCI से क्रिया करके एथिल ऐमीन हाइड्रोक्लोराइड का विलयन देती है। इसे तनु KOH विलयन से क्रिया कराकर एथिल ऐमीन प्राप्त कर ली जाती है। एथिल ऐमीन के रासायनिक गुण
(i) ऐसीटिल क्लोराइड से अभिक्रिया :
प्रतिस्थापित ऐमाइड बनाता है।
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(ii) ऐल्कोहॉलीय कास्टिक पोटाश तथा क्लोरोफॉर्म के साथ क्रिया करके एथिल आइसोसायनाइड (C2H5NC) बनता है।
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प्रश्न 2.
प्रयोगशाला में ऐनिलीन बनाने की विधि का वर्णन कीजिए। सम्बन्धित रासायनिक समीकरण भी दीजिए तथा इसका प्रमुख रासायनिक गुण एवं उपयोग भी बताइए।
उत्तर :
प्रयोगशाला विधि प्रयोगशाला में नाइट्रोबेन्जीन का टिन तथा सान्द्र हाइड्रोक्लोरिक अम्ल द्वारा अपचयन करने से ऐनिलीन प्राप्त होती है।
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उपर्युक्त अभिक्रिया में बनी ऐनिलीन, स्टैनिक क्लोराइड और हाइड्रोक्लोरिक अम्ल से संयोग करके ऐनिलीन स्टैनिक क्लोराइड नामक ठोस लवण बनाती है।
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जब इस ठोस लवण को कास्टिक सोड़े के सान्द्र विलयन के साथ हिलाते हैं तो ऐनिलीन काले रंग के तेल के रूप में पृथक् हो जाती है।
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मिश्रण का भाप आसवन करने पर ऐनिलीन आसुत में आ जाती है।
रासायनिक गुण
1. कार्बिल ऐमीन अभिक्रिया :
फेनिल आइसोसायनाइड बनता है।
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2. ऐल्डिहाइडों के साथ अभिक्रिया :
बेन्जिलीडीनऐनिलीन बनता है।
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3. ग्रिगनार्ड अभिकर्मक के साथ अभिक्रिया-ऐनिलीन ग्रिगनार्ड अभिकर्मक के साथ अभिक्रिया करके हाइड्रोकार्बन बनाती है।
C2H5MgBr + C6H5NH→ C2H6 + C6H5NHMgBr
पयोग :

  1. दवाइयाँ तथा सल्फा औषधियों के निर्माण में
  2. ऐजोरंजक बनाने में मध्यवर्ती यौगिक के रूप में
  3. रबड़ उत्पाद बनाने में
  4. फेनिल आइसोसायनेट बनाने में जिसका उपयोग पॉलियूरिथेन नामक प्लास्टिक बनाने में होता है।

प्रश्न 3.
प्रयोगशाला में नाइट्रोबेन्जीन बनाने की विधि का वर्णन कीजिए तथा सम्बन्धित रासायनिक समीकरण भी लिखिए। इसके प्रमुख रासायनिक गुण एवं उपयोग भी बताइए।
उत्तर :
प्रयोगशाला विधि प्रयोगशाला में नाइट्रोबेन्जीन बेन्जीन को सान्द्र नाइट्रिक अम्ल और सान्द्र सल्फ्यूरिक अम्ल के मिश्रण के साथ 50- 60°C ताप पर गर्म करके बनाते हैं।
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विधि :
एक गोल पेंदी के फ्लास्क में बेन्जीन (60 मिली) लेकर उसमें धीरे-धीरे सान्द्र नाइट्रिक अम्ल (60 मिली) और सान्द्र सल्फ्यूरिक अम्ल (90 मिली) का ठण्डा मिश्रण मिलाते हैं। फ्लास्क में एक सीधा खड़ा हुआ वायु संघनित्र लगाकर मिश्रण को जल-ऊष्मक पर 50- 60°C पर लगभग 1 घण्टे तक गर्म करते हैं। नाइट्रोबेन्जीन बनती है और अम्ल के ऊपर पीले रंग के द्रव की परत के रूप में एकत्रित हो जाती है। फ्लास्क को ठण्डा करके एक पृथक्कारी फनल की सहायता से अम्ल की परत को नाइट्रोबेन्जीन की परत से अलग कर देते हैं। नाइट्रोबेन्जीन को क्रमशः सोडियम कार्बोनेट विलयन और जल से धोकर निर्जल कैल्सियम क्लोराइड के ऊपर सुखाते हैं। फिर एक सूखे हुए वायु-संघनित्र लगे आसवन फ्लास्क में उसका आसवन करते हैं। शुद्ध नाइट्रोबेन्जीन 208- 211°C ताप रेन्ज में आसवित होकर ग्राही में एकत्रित हो जाती है।
रासायनिक गुण
अपचयन :
नाइट्रोबेन्जीन का अपचयन निम्नलिखित पदों में होता है
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नाइट्रोबेन्जीन का अपचयन उत्पाद माध्यम के pH और अपचायक की प्रकृति पर निर्भर करता है।
1. अम्लीय माध्यम में अपचयन :
टिन और हाइड्रोक्लोरिक अम्ल (Sn + HCl), या आयरन और हाइड्रोक्लोरिक अम्ल (Fe+ HCl), द्वारा नाइट्रोबेन्जीन का ऐनिलीन में अपचयन होता है।
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2. उदासीन माध्यम में अपचयन :
ऐलुमिनियम-मर्करी युग्म और जल, या जिंक चूर्ण और अमोनियम क्लोराइड (Zn + NH4Cl), द्वारा नाइट्रोबेन्जीन का फेनिलहाइड्रॉक्सिल ऐमीन में
अपचयन होता है।
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बेन्जीन वलय की प्रतिस्थापन अभिक्रियाएँ।
1. सल्फोनीकरण :
नाइट्रोबेन्जीन को सधूम सल्फ्यूरिक अम्ल के साथ गर्म करने पर m-नाइट्रोबेन्जीनसल्फोनिक अम्ल बनता है।
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2. हैलोजनीकरण :
नाइट्रोबेन्जीन की क्लोरीन के साथ क्रिया कराने पर m-क्लोरोनाइट्रोबेन्जीन बनती
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उपयोग :

  1. विलायक के रूप में।
  2. मिरबेन के तेल के नाम से जूतों की पॉलिश और साबुन बनाने में सस्ती सुगन्ध के रूप में।
  3. ऐनिलीन और ऐजो-रंजकों (azo-dyes) के निर्माण में।
  4. ऑक्सीकारक के रूप में।

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