UP Board Solutions for Class 12 Geography Chapter 3 Human Development

UP Board Solutions for Class 12 Geography Chapter 3 Human Development (मानव विकास)

UP Board Class 12 Geography Chapter 3 Text Book Questions

UP Board Class 12 Geography Chapter 3 पाठ्यपुस्तक से अभ्यास प्रश्न

प्रश्न 1.
नीचे दिए गए चार विकल्पों में से सही उत्तर को चुनिए
(i) मानव विकास सूचकांक (2011) के सन्दर्भ में विश्व के देशों में भारत की निम्नलिखित में से कौन-सी कोटि थी
(क) 126
(ख) 134
(ग) 128 .
(घ) 129.
उत्तर:
(ख) 134.

(ii) मानव विकास सूचकांक में भारत के निम्नलिखित राज्यों में से किस एक की कोटि उच्चतम
(क) तमिलनाडु
(ख) पंजाब
(ग) केरल
(घ) हरियाणा।
उत्तर:
(ग) केरल।

(iii) भारत के निम्नलिखित राज्यों में से किस एक में स्त्री साक्षरता निम्नतम है
(क) जम्मू और कश्मीर
(ख) अरुणाचल प्रदेश
(ग) झारखण्ड
(घ) बिहार।
उत्तर:
(घ) बिहार।

(iv) भारत के निम्नलिखित में से किस एक में 0-6 आयु वर्ग के बच्चों में लिंग अनुपात निम्नतम है
(क) गुजरात
(ख) हरियाणा
(ग) पंजाब
(घ) हिमाचल प्रदेश।
उत्तर:
(ख) हरियाणा।

(v) भारत के निम्नलिखित केन्द्र शासित प्रदेशों में से किस एक की साक्षरता दर उच्चतम है
(क) लक्षद्वीप
(ख) चण्डीगढ़
(ग) दमन और दीव
(घ) अण्डमान और निकोबार द्वीप।
उत्तर:
(क) लक्षद्वीप।

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प्रश्न 2.
निम्नलिखित प्रश्नों का उत्तर लगभग 30 शब्दों में दें
(i) मानव विकास को परिभाषित कीजिए।
उत्तर:
मानव विकास –“मानव विकास, स्वस्थ भौतिक पर्यावरण से लेकर आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक स्वतन्त्रता तक सभी प्रकार के मानव विकल्पों को सम्मिलित करते हुए लोगों के विकल्पों में विस्तार और उनके शिक्षा, स्वास्थ्य सेवाओं एवं सशक्तीकरण के अवसरों में वृद्धि की प्रक्रिया है।”

(ii) उत्तरी भारत के अधिकांश राज्यों में मानव विकास के निम्न स्तरों के दो कारण बताइए।
उत्तर:
उत्तरी भारत में मानव विकास के निम्न स्तर के प्रमुख कारण हैं
1. गरीबी – पंजाब व हरियाणा के अतिरिक्त उत्तरी भारत के राज्य जैसे उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश, असम आदि राज्यों में गरीबी के कारण मानव विकास नहीं हो पाया है।

2. पिछड़ापन – उत्तरी भारत के राज्य कृषिप्रधान होने के कारण अन्य क्षेत्रों में पिछड़े हुए हैं जैसे-औद्योगीकरण आदि। शिक्षा का स्तर भी नीचा है। पिछड़ेपन के कारण ही इन राज्यों का मानव विकास नहीं हो पाया है।

(iii) भारत में बच्चों के घटते लिंगानुपात के दो कारण बताइए।
उत्तर:
भारत में बच्चों के घटते लिंगानुपात के निम्नलिखित कारण हैं

  • परिवार में पुरुष प्रधानता – भारतीय हिन्दू परिवार अधिकतर पुरुष प्रधान हैं। स्त्रियों का स्थान गौण रह जाता है।
  • कन्या भ्रूण हत्या – कन्या भ्रूण हत्या भी घटते लिंगानुपात का प्रमुख कारण है। .

प्रश्न 3.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 150 शब्दों में दें
(i) भारत में 2001 के स्त्री साक्षरता के स्थानिक प्रारूपों की विवेचना कीजिए और इसके लिए उत्तरदायी कारणों को समझाइए।
उत्तर:
भारत में 2001 के स्त्री साक्षरता के स्थानिक प्रारूप

  • जनगणना-2001 के अनुसार देश में स्त्री साक्षरता दर मात्र 54.16 प्रतिशत है। स्त्री साक्षरता की दृष्टि से देश के सभी राज्यों/केन्द्रशासित प्रदेशों में केरल (87.86 प्रतिशत) प्रथम स्थान पर है।
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  • स्त्री साक्षरता की दृष्टि से मिजोरम (88.49 प्रतिशत) का द्वितीय स्थान तथा लक्षद्वीप (87.52 प्रतिशत) का तृतीय स्थान है।
  • देश में सबसे कम महिला साक्षरता बिहार (33.57 प्रतिशत) राज्य की है।
  • देश में कम महिला साक्षरता वाले राज्य झारखण्ड, जम्मू-कश्मीर, अरुणाचल प्रदेश तथा उत्तर प्रदेश हैं।

भारत में स्त्री साक्षरता कम होने के कारण
भारत में स्त्री साक्षरता के कम होने के प्रमुख कारण निम्नलिखित हैं

  • पुरुषप्रधान समाज
  • कन्या भ्रूण हत्या
  • स्त्री शिक्षा की उपेक्षा
  • सरकारी प्रयासों का अभाव आदि।

(ii) भारत के 15 प्रमुख राज्यों में मानव विकास के स्तरों में किन कारकों ने स्थानिक भिन्नता उत्पन्न की है?
उत्तर:
भारत के योजना आयोग ने राज्यों एवं केन्द्रशासित प्रदेशों को विश्लेषण की इकाई मानकर मानव विकास सूचकांक तैयार किया है। विश्व विकास रिपोर्ट के अनुसार भारत मध्यम मानव विकास वाला देश है और विश्व के 188 देशों में इसका 131वाँ स्थान है। भारत के विभिन्न राज्यों में (तालिका) 0.790 संयुक्त सूचकांक मूल्य के साथ केरल कोटिक्रम में सर्वोच्च है। इसके बाद दिल्ली, हिमाचल प्रदेश, गोवा और पंजाब आते हैं। अपेक्षा के अनुरूप बिहार, ओडिशा और छत्तीसगढ़ जैसे राज्य देश के 23 प्रमुख राज्यों में सबसे नीचे हैं।

तालिका: भारत-मानव विकास सूचकांक 2007-08
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स्रोत : भारत का योजना आयोग, भारत राष्ट्रीय मानव विकास रिपोर्ट 2011.
भारत में मानव विकास की प्रादेशिक विषमताओं के लिए कई सामाजिक, राजनीतिक, आर्थिक तथा ऐतिहासिक कारण उत्तरदायी हैं।

UP Board Class 12 Geography Chapter 3 Other Important Questions

UP Board Class 12 Geography Chapter 3 अन्य महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर

विस्तृत उत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
मानव विकास क्यों आवश्यक है? व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
विकास लोगों के लिए होता है न कि लोग विकास के लिए। विकास की सभी प्रक्रिया मानव-केन्द्रित हैं। मानव विकास की संकल्पना केवल अर्थव्यवस्था के विकास से सम्बन्धित नहीं है, बल्कि यह मानव के समग्र विकास से जुड़ी है। मानव विकास में लक्ष्य और साधन दोनों पर विशेष ध्यान दिया जाता है।

पाल स्ट्रीटन के अनुसार मानव विकास निम्नलिखित कारणों से अनिवार्य होता है

  • आर्थिक, सामाजिक अथवा भौतिक हर प्रकार के विकास का अन्तिम लक्ष्य मानव जीवन की दशाओं को सुधारना तथा लोगों के लिए विकल्पों को बढ़ाना है।
  • मानव विकास उच्चतर उत्पादकता का साधन है। कुशल, शिक्षित, स्वस्थ और सतर्क श्रमिक और गुणात्मक उत्पादन करने में सक्षम होते हैं। यही कारण है कि आज अनेक देश मानव विकास में विनिवेश कर रहे हैं।
  • मानव विकास के परिणामस्वरूप प्रजनन की गति धीमी होती है जिससे परिवारों का आकार छोटा करने में सहायता मिलती है।
  • मानव विकास भौतिक पर्यावरण के संरक्षण में सहायक सिद्ध होता है। विकास के होने और गरीबी के घटने से वनों का अवैध कटान, मृदा अपरदन तथा मरुस्थलीकरण का बढ़ना कम हो जाता है।
  • जीवन की समुन्नत दशाएँ और गरीबी में कमी सभ्य, स्वस्थ और तार्किक समाज की रचना में सहायक होती हैं। ऐसे समाज में लोकतन्त्र और सामाजिक स्थिरता की जड़ें मजबूती से फैलती हैं।
  • मानव विकास सामाजिक अशान्ति को कम करने तथा राजनीतिक स्थिरता में बढ़ाने में सहायक हो सकता है।

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प्रश्न 2.
स्वस्थ जीवन के सूचक का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
स्वस्थ जीवन के सूचक आरोग्य एवं दीर्घायु होना एक स्वस्थ जीवन के सूचक हैं। स्वास्थ्य मानव विकास का प्रमुख आधार है। स्वतन्त्रता प्राप्ति के बाद देश के लोगों के स्वास्थ्य-सुधार की दिशा में अनेक कदम उठाए गए। स्वस्थ और लम्बे जीवन के कुछ महत्त्वपूर्ण माप अनलिखित हैं
शिशु मर्त्यता, माताओं में प्रजननोत्तर मृत्यु-दर घटाने के उद्देश्य से पूर्व और प्रसवोत्तर स्वास्थ्य सुविधाओं की उपलब्धता, वृद्धों के लिए स्वास्थ्य सेवाएँ, पर्याप्त पोषण और व्यक्तियों की सुरक्षा इत्यादि। जिन स्वास्थ्य सूचकों के क्षेत्र में भारत ने सराहनीय कार्य किया है, वे निम्नलिखित हैं

1. अशोधित मृत्यु-दर

  • भारत में मृत्यु – दर तेजी से कम हुई है। सन् 1951 में मृत्यु-दर 25.1 थी जो घटकर सन् 2015 में 6.5 रह गई।
  • सन् 2015 में शिशु मृत्यु-दर सन् 1951 की शिशु मृत्यु-दर की अपेक्षा लगभग एक-तिहाई से भी कम रह गई है अर्थात् यह 148 प्रति हजार से 37 प्रति हजार रह गई है।
  •  चार वर्ष से कम आयु के बच्चों की मृत्यु-दर भी एक-तिहाई रह गई है।
    अत: इन तथ्यों से स्पष्ट है कि मृत्यु का खतरा जीवन की प्रत्येक अवस्था में घट गया है। यह स्वास्थ्य सेवाओं में पर्याप्त सुधार की निशानी है।

2. अशोधित जन्म – दर-20वीं सदी के उत्तरार्द्ध में किए गए प्रयत्नों से जन्म-दर घटी तो है, लेकिन तेजी से नहीं घटी है। उदाहरणत: सन् 1951 में जन्म-दर 40.8 (प्रति हजार) थी जो सन् 2011 में 20.8 रह गई अर्थात् इसमें 19 अंकों की कमी आई है। जन्म-दर का कम होना भी शिक्षा के प्रसार, जागरूकता और आर्थिक विकास का सूचक है।

3. कुल प्रजनन दर – इस अवधि में कुल प्रजनन दर भी घटी है। सन् 1951 में बच्चा पैदा करने की उम्र छह बच्चे प्रति स्त्री थी जो सन् 2011 में घटकर 2.9 रह गई है।

4. जीवन प्रत्याशा – लोगों की आयु में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है।

  • सन् 1951 में पुरुष जीवन प्रत्याशा 37.1 वर्ष थी जो बढ़कर सन् 2011 में 62.6 वर्ष हो गई है।
  • इसी तरह स्त्री जीवन प्रत्याशा सन् 1951 में 36.2 वर्ष से बढ़कर सन् 2011 में 64.6 वर्ष हो गई है।

प्रश्न 3.
मानव विकास की अवधारणा का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
मानव विकास की अवधारणा लोगों के जीवन की गुणवत्ता में सुधार का दूसरा नाम मानव विकास है। मानव विकास केवल धन से नहीं हो जाता। यह तभी सम्भव है जब मनुष्य की आर्थिक, सामाजिक एवं सांस्कृतिक सभी प्रकार की उन्नति हो। मानव विकास जीवन की उत्कृष्टता हेतु एक सतत प्रक्रिया है।

मानव विकास का सम्बन्ध उन सभी अवसरों के विस्तार से है जिनका लाभ मानव उठा सकता है और अपनी क्षमताओं का निर्माण कर सकता है। वे क्षमताएँ हैं—दीर्घ जीवन और स्वस्थ तन-मन, शिक्षा, सूचना एवं ज्ञान प्राप्त करना, जीविकोपार्जन के अवसरों की उपलब्धि, जीवन-यापन के उच्च स्तर के लिए प्राकृतिक संसाधनों तक पहुँच का होना। मानव विकास के इन मुख्य तत्त्वों के अतिरिक्त जीवन के कई और भी अनिवार्य पक्ष हैं जिनके बिना जीवन की गुणवत्ता नहीं बढ़ सकती; जैसे-व्यक्तिगत एवं सामाजिक सुरक्षा, राजनीतिक स्वतन्त्रता, मानव अधिकारों की गारण्टी व समानता, व्यक्तिगत आत्म-सम्मान से युक्त शिष्ट जीवन, सामुदायिक जीवन में सहभागिता, उत्तरदायी सरकार, आत्मनिर्भरता और शान्ति। इस तरह मानव विकास मनुष्य की रुचियों, अवसरों और क्षमताओं के विस्तार पर बल देता है।

इन्हीं सब बातों को ध्यान में रखकर संयुक्त राष्ट्र संघ ने मानव विकास को इस प्रकार परिभाषित किया है-“मानव विकास, स्वस्थ भौतिक पर्यावरण से लेकर आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक स्वतन्त्रता तक सभी प्रकार के मानव विकल्पों को शामिल करते हुए लोगों के विकल्पों में विस्तार और उनके शिक्षा, स्वास्थ्य सेवाओं तथा सशक्तीकरण के अवसरों में वृद्धि की प्रक्रिया है।”

लघ उत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
विकास के भारतीय अनुभवों के निष्कर्ष को समझाइए।
उत्तर:
भारत में पश्चिम की तर्ज पर हुए आधुनिक विकास के हमारे अनुभव बताते हैं कि

  • आधुनिक विकास स्वयं को सामाजिक अन्याय, प्रादेशिक असन्तुलन और पर्यावरणीय निम्नीकरण जैसे आवश्यक मुद्दों से जोड़ नहीं पाया।
  • वर्तमान विकास जीवन की गुणवत्ता और मानव विकास में गिरावट, सामाजिक अशान्ति, सामाजिक वितरण, अन्यायों व पारिस्थितिक संकट का कारण बना है।
  • इतना ही नहीं, विकास इन संकटों व समस्याओं की उत्पत्ति, उनका प्रणयन और स्थिरीकरण करता है।

प्रश्न 2.
विकास और निर्धनों के सामर्थ्य में कमी को समझाइए।
उत्तर:
विकास के यूरोपीय मॉडल का असर यह हुआ कि भारत जैसे देशों में गरीबों की सामर्थ्य में गिरावट के लिए तीन अन्तर्सम्बन्धित प्रक्रियाएँ कार्यरत हो गईं

  • विस्थापन के फलस्वरूप दुर्बल होते सामाजिक बन्धनों के कारण सामाजिक सामर्थ्य में कमी।
  • वायु, मृदा, जल और ध्वनि प्रदूषण के कारण पर्यावरण सामर्थ्य की कमी।
  • बढ़ते गम्भीर रोगों व दुर्घटनाओं के कारण व्यक्तिगत सामर्थ्य में कमी। इन प्रक्रियाओं का गरीबों के जीवन की गुणवत्ता और मानव विकास पर प्रतिकूल असर पड़ता है।

प्रश्न 3.
विकास का विश्लेषण करते समय ध्यान रखी जाने वाली बातें क्या हैं? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
विकास का विश्लेषण करते समय निम्नलिखित बातों को ध्यान में रखा जाता है

  • विकास से एक आदमी को कितना लाभ पहुँचा?
  • उसे जीवन में आगे बढ़ने के लिए कितने अवसर मिल पाए?
  • विकास का फल स्त्रियों और पुरुषों में समान रूप से वितरित हुआ कि नहीं?

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प्रश्न 4.
यू०एन०डी०पी० ने मानव विकास की प्रकृति के निर्धारण में किन कारकों की अवहेलना की है? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
यू०एन०डी०पी० ने मानव विकास की प्रकृति के निर्धारण में निम्नलिखित कारकों की अवहेलना की है

  • उपनिवेशवाद, साम्राज्यवाद और नव-साम्राज्यवाद जैसे ऐतिहासिक कारक;
  • मानवाधिकार उल्लंघन, प्रजाति, लिंग, धर्म और जाति के आधार पर सामाजिक भेदभाव जैसे सामाजिक-सांस्कृतिक कारक;
  • अपराध, आतंकवाद और युद्ध जैसी सामाजिक समस्याएँ और राज्य की प्रकृति, सरकार का स्वरूप (लोकतन्त्र अथवा तानाशाही), सशक्तीकरण का स्तर जैसे राजनीतिक कारक इत्यादि।

प्रश्न 5.
स्वच्छ भारत मिशन के विषय में संक्षेप में लिखिए।
उत्तर:
स्वच्छ भारत मिशन कारखानों से निकलने वाले विषैले और जैविक क्रियाओं से नष्ट न हो पाने वाले कचरे, शहरों के सीवर तथा खुले में शौच आदि के कारण स्वास्थ्य से सम्बन्धित बहुत-से खतरे पैदा हुए हैं। भारत सरकार ने इन समस्याओं का समाधान करने के लिए बहुत-से कदम उठाए हैं, स्वच्छ भारत मिशन उनमें से एक है।

स्वस्थ मस्तिष्क एक स्वस्थ शरीर में निवास करता है और एक स्वस्थ शरीर के लिए स्वच्छ वातावरण विशेष रूप से स्वच्छ हवा, पानी, शोर मुक्त माहौल और स्वच्छ परिवेश प्राथमिक आवश्यकताएँ हैं।

नगर निगम के कचरे, उद्योगों से निकलने वाले प्रदूषित जल और परिवहन से निकलने वाले धुएँ आदि शहरों में प्रदूषण के मुख्य स्रोत हैं। ग्रामीण इलाकों और शहरों में झुग्गी-झोपड़ियों में खुले में शौच प्रदूषण के मुख्य स्रोत हैं।

भारत सरकार ने देश को प्रदूषण रहित बनाने के विचार से स्वच्छ भारत अभियान चलाया है जिसके उद्देश्य निम्नलिखित हैं

  • स्वच्छ भारत अभियान का उद्देश्य देश को खुले में शौच से मुक्ति और नगर निगम के शत-प्रतिशत ठोस कचरे का वैज्ञानिक तरीके से उचित प्रबन्धन, घरों में शौचालय, सामुदायिक शौचालय, सार्वजनिक शौचालय का निर्माण है।
  • ग्रामीण भारत में घरों से होने वाले प्रदूषण को कम करने के लिए साफ ईंधन के तौर पर एल०पी०जी० को सुलभ करना।
  • जल से होने वाले रोगों की रोकथाम के लिए प्रत्येक घर में पीने लायक जल की व्यवस्था करना।
  • अपरम्परागत ईंधन के स्रोत जैसे पवन तथा सौर ऊर्जा को बढ़ावा देना।

प्रश्न 6.
मानव विकास के उद्देश्य स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
मानव विकास के उद्देश्य निम्नलिखित हैं

  • राजनीतिक स्वतन्त्रता, आत्म-निर्भरता तथा स्वाभिमान प्रत्येक मानव की चाहत है।
  • मानव विकास की प्रक्रिया में स्त्री-पुरुष, बच्चे सभी को शामिल किया जाता है।
  • विकास लोगों के हित और कल्याण के लिए होना चाहिए।
  • विकास सहभागीय होना चाहिए।

प्रश्न 7.
पर्यावरण पर मानव के प्रभाव को प्रभावित करने वाले कारकों को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
पर्यावरण पर मानव प्रभाव प्राकृतिक संसाधनों के उपयोग के द्वारा होता है। यह निम्न प्रकार से प्रभावित करता है

  • मानव आर्थिक विकास के लिए प्राकृतिक संसाधनों का दोहन करता है।
  • वस्तुओं के उत्पादन और उपभोग की प्रक्रिया से भी प्रदूषकों का उत्सर्जन होता है।
  • सेवाओं जैसे परिवहन व संचार के साधनों के कारण भी पर्यावरण प्रदूषित होता है।
  • जनसंख्या की वृद्धि का भी पर्यावरण पर बुरा प्रभाव पड़ता है।

प्रश्न 8.
मानव विकास के लक्षणों को समझाइए।
उत्तर:
मानव विकास के प्रमुख लक्षण निम्नलिखित हैं

  • लोगों के विकल्पों को परिवर्धन की प्रक्रिया और जनकल्याण के स्तरों को ऊँचा उठाना मानव विकास है।
  • मानव विकास के लिए आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक जैसे मानवीय विकल्पों के परिवर्धन पर बल दिया जाता है।
  • दीर्घ और स्वस्थ जीवन, शिक्षा और उच्च जीवन स्तर मानव विकास के मुख्य विकल्प हैं। इन विकल्पों . को परिवर्धित करने की प्रक्रिया ही मानव विकास है।

प्रश्न 9.
मानव विकास के मूलभूत क्षेत्रों की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
मानव विकास के मूलभूत क्षेत्र निम्नलिखित हैं

  • स्वास्थ्य – स्वास्थ्य का मूल्यांकन करने के लिए चुना गया सूचक जन्म के समय जीवन प्रत्याशा है। उच्चतर जीवन प्रत्याशा का अर्थ है कि लोगों के पास दीर्घ और स्वस्थ जीवन जीने के अधिक अवसर हैं।
  • शिक्षा – प्रौढ़ साक्षरता दर और सकल नामांकन अनुपात ज्ञान तक पहुँच को दर्शाता है। किसी देश में ज्ञान तक शत-प्रतिशत पहुँच बहुत आसान नहीं है।
  • संसाधनों तक पहुँच को क्रय – शक्ति (अमेरिकी डॉलर) के सन्दर्भ में मापा जाता है।

प्रश्न 10.
जीवन प्रत्याशा विशेष रूप से बढ़ने के कारणों को समझाइए।
उत्तर:
जीवन प्रत्याशा विशेष रूप से बढ़ने के प्रमुख कारण निम्नलिखित हैं

  • जीवन प्रत्याशा बढ़ने का कारण निरन्तर बढ़ती खाद्य सुरक्षा है।
  • चिकित्सा और स्वास्थ्य सुविधाओं का विस्तार हुआ है।
  • अनाज और दालों की प्रति व्यक्ति और प्रतिदिन उपलब्धि में वृद्धि हुई है।
  • अस्पतालों और डिस्पेंसरियों की संख्या में वृद्धि हुई है।

प्रश्न 11.
“मानव विकास की प्रक्रिया का केन्द्रबिन्दु है।” व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
मानव विकास का लक्ष्य है-जनकल्याण; इसलिए मानव ही विकास का केन्द्रबिन्दु है। विकास लोगों के लिए हो, न कि लोग विकास के लिए। लोगों को स्वास्थ्य, शिक्षा आदि की क्षमताओं को सुधारने के लिए पूरे अवसर मिलने चाहिए ताकि वे अपनी क्षमताओं का पूरा-पूरा उपयोग कर सकें। इन निर्णयों में पुरुष, स्त्रियाँ, बच्चे सभी शामिल हों। सबको मानवीय, आर्थिक और राजनीतिक स्वतन्त्रता प्राप्त करने के अवसर प्राप्त हों। विकास का मुख्य लक्ष्य मानव जीवन की समृद्धि होना चाहिए।

प्रश्न 12.
भारत में साक्षरता दर निम्न होने के कारण बताइए।
उत्तर:
भारत में निम्न साक्षरता दर के प्रमुख कारण निम्नलिखित हैं

  • गरीबी – भारत में आज भी बड़ी संख्या में लोग गरीबी रेखा से नीचे जीवनयापन कर रहे हैं।
  • शिक्षा सुविधाओं का अभाव – भारत में प्राथमिक विद्यालयों का अभाव है। ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा का व्यापक प्रचार नहीं हुआ है।
  • अज्ञानता – अनेक जनजातीय क्षेत्रों में अज्ञानता के कारण शिक्षा पर विशेष ध्यान नहीं दिया जाता इसलिए साक्षरता दर निम्न है।
  • समाज में स्त्रियों की स्थिति-भारत में स्त्रियों को पुरुषों के समान दर्जा प्राप्त नहीं है। विशेषकर ग्रामीण क्षेत्रों में स्त्री शिक्षा पर बल नहीं दिया जाता। इसीलिए स्त्री-शिक्षा आज भी काफी कम है।

अतिलघ उत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
वर्तमान सन्दर्भ में विकास का प्रतीक किसे समझा जाता है?
उत्तर:
कम्प्यूटरीकरण, औद्योगीकरण, सक्षम परिवहन जाल, वृहत् शिक्षा प्रणाली, उन्नत व आधुनिक चिकित्सा सुविधाएँ और वैयक्तिक सुरक्षा इत्यादि को ही वर्तमान सन्दर्भ में विकास का प्रतीक समझा जाता है।

प्रश्न 2.
आर्थिक उपलब्धियों के सूचक बताइए।
उत्तर:
आर्थिक उपलब्धियों के सूचक हैं

  • सकल घरेलू उत्पादन
  • प्रति व्यक्ति आय
  • गरीबी, तथा
  • रोजगार।

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प्रश्न 3.
स्वस्थ जीवन के सूचक बताइए।
उत्तर:
स्वस्थ जीवन के सूचक हैं

  • अशोधित मृत्यु-दर
  • अशोधित जन्म-दर
  • कुल प्रजनन दर, तथा
  • जीवन प्रत्याशा।

प्रश्न 4.
केरल में साक्षरता दर ऊँची होने के क्या कारण हैं?
उत्तर:
केरल में साक्षरता दर ऊँची होने के कारण हैं-गैर-कृषि कामगारों का ऊँचा अनुपात, शिक्षा पर पारम्परिक रूप से अधिक ध्यान दिया जाना तथा कुशल व सजग प्रशासन आदि। ।

प्रश्न 5.
मानव विकास की कुंजी क्या है?
उत्तर:
भूख, गरीबी, दासता, बँधुआकरण, अज्ञानता, निरक्षरता और किसी भी अन्य प्रकार की प्रबलता से मुक्ति मानव विकास की कुंजी है।

प्रश्न 6.
एक स्वस्थ और लम्बे जीवन के महत्त्वपूर्ण माप क्या हैं?
उत्तर:
शिशु मर्त्यता और माताओं के प्रजननोत्तर मृत्यु-दर को घटाने के उद्देश्य से पूर्व और प्रसवोत्तर स्वास्थ्य सुविधाओं की उपलब्धता, वृद्धों के लिए स्वास्थ्य सेवाएँ, पर्याप्त पोषण और व्यक्तियों की सुरक्षा आदि स्वस्थ जीवन और लम्बे जीवन के महत्त्वपूर्ण माप हैं।

प्रश्न 7.
मानव विकास सूचकांक 2007-08 के अनुसार केरल का मानव विकास सूचकांक मूल्य क्या है?
उत्तर:
0.790.

प्रश्न 8.
गांधी जी के अनुसार एक व्यक्ति और एक राष्ट्र के जीवन में उच्चतर लक्ष्य प्राप्त करने की कुंजी क्या है?
उत्तर:
गांधी जी के अनुसार व्यक्तिगत मितव्ययिता, सामाजिक धन की न्यासधारिता और अहिंसा एक व्यक्ति और एक राष्ट्र के जीवन में उच्चतर लक्ष्य प्राप्त करने की कुंजी है।

प्रश्न 9:
शूमाकर की पुस्तक का क्या नाम है?
उत्तर:
‘स्मॉल इज ब्यूटीफुल’ (1974)।

प्रश्न 10.
सन् 1993 की मानव विकास रिपोर्ट के प्रमुख मुद्दे क्या थे?
उत्तर:
लोगों की प्रतिभागिता और उनकी सुरक्षा सन् 1993 की मानव विकास रिपोर्ट के प्रमुख मुद्दे थे।

प्रश्न 11.
मानव विकास के संकेतक/पक्ष बताइए।
उत्तर:
मानव विकास के संकेतक/पक्ष हैं

  • मानव संकेतक
  • स्वास्थ्य संकेतक
  • सामाजिक संकेतक, तथा
  • आर्थिक संकेतक।

प्रश्न 12.
मानव विकास के उपागमों के नाम बताइए।
उत्तर:
मानव विकास के उपागम हैं

  • आय उपागम
  • कल्याण उपागम
  • आधारभूत उपागम, तथा
  • क्षमता सम्बन्धी उपागम।

बहुविकल्पीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम ने अपना पहला प्रतिवेदन कब प्रकाशित किया
(a) सन् 1990 में
(b) सन् 1992 में
(c) सन् 1995 में
(d) सन् 1998 में।
उत्तर:
(a) सन् 1990 में।

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प्रश्न 2.
मानव विकास का प्रमुख तत्त्व है
(a) दीर्घ एवं स्वस्थ जीवन
(b) शिक्षा
(c) उच्च जीवन स्तर
(d) उपर्युक्त सभी।
उत्तर:
(d) उपर्युक्त सभी।

प्रश्न 3.
वर्तमान सन्दर्भ में विकास का प्रतीक किसे समझा जाता है
(a) कम्प्यूटरीकरण
(b) औद्योगीकरण
(c) सक्षम परिवहन
(d) उपर्युक्त सभी।
उत्तर:
(d) उपर्युक्त सभी।

प्रश्न 4.
सामाजिक संकेतक हैं
(a) स्त्री साक्षरता
(b) स्कूल जाने वाले बच्चों का नामांकन
(c) छात्र-अध्यापक अनुपात
(d) उपर्युक्त सभी।
उत्तर:
(d) उपर्युक्त सभी।

प्रश्न 5.
आर्थिक संकेतक है
(a) वेतन
(b) आय
(c) रोजगार
(d) ये सभी।
उत्तर:
(d) ये सभी।

प्रश्न 6.
स्वस्थ जीवन का सूचक है
(a) अशोधित मृत्यु-दर
(b) अशोधित जन्म-दर
(c) जीवन प्रत्याशा
(d) उपर्युक्त सभी।
उत्तर:
(d) उपर्युक्त सभी।

प्रश्न 7.
गांधी जी के अनुसार एक व्यक्ति और एक राष्ट्र के जीवन में उच्चतर लक्ष्य प्राप्त करने की कुंजी है
(a) व्यक्तिगत मितव्ययिता
(b) सामाजिक धन की न्यासधारिता
(c) अहिंसा
(d) उपर्युक्त सभी।
उत्तर:
(d) उपर्युक्त सभी।

प्रश्न 8.
गरीबी, प्रतिबिम्बित होती है
(a) जीवन की निम्न गुणवत्ता से
(b) भूख से
(c) कुपोषण से
(d) उपर्युक्त सभी से।
उत्तर:
(d) उपर्युक्त सभी से।

प्रश्न 9.
जनगणना-2011 के अनुसार भारत में कुल साक्षरता दर थी
(a) 74.04 प्रतिशत
(b) 62.14 प्रतिशत
(c) 60.28 प्रतिशत
(d) 58.22 प्रतिशत।
उत्तर:
(a) 74.04 प्रतिशत।

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प्रश्न 10.
1999-2000 के अनुसार भारत में गरीबी-रेखा की दर थी
(a) 26.10 प्रतिशत
(b) 30.12 प्रतिशत
(c) 22.18 प्रतिशत
(d) 18.60 प्रतिशत।
उत्तर:
(a) 26.10 प्रतिशत।

UP Board Solutions for Class 12 Geography

UP Board Solutions for Class 12 Geography Chapter 10 Transport And Communication

UP Board Solutions for Class 12 Geography Chapter 10 Transport And Communication (परिवहन तथा संचार)

UP Board Class 12 Geography Chapter 10 Text Book Questions

UP Board Class 12 Geography Chapter 10 पाठ्यपुस्तक से अभ्यास प्रश्न

प्रश्न 1.
नीचे दिए गए चार विकल्पों में से सही उत्तर को चुनिए-
(i) भारतीय रेल प्रणाली को कितने मण्डलों में विभाजित किया गया है-
(क) 9
(ख) 12
(ग) 16
(घ) 14
उत्तर:
(ग) 16

(ii) निम्नलिखित में से कौन-सा भारत का सबसे लम्बा राष्ट्रीय महामार्ग है-
(क) एन०एच०-1
(ख) एन०एच०-6
(ग) एन०एच०-7
(घ) एन०एच०-8
उत्तर:
(ग) एन०एच०-7

(iii) राष्ट्रीय जलमार्ग संख्या-1 किस नदी पर तथा किन दो स्थानों के बीच पड़ता है-
(क) ब्रह्मपुत्र-सादिया-धुबरी
(ख) गंगा-हल्दिया-इलाहाबाद
(ग) पश्चिमी तट नहर-कोट्टापुरम से कोल्लाम
उत्तर:
(ख) गंगा-हल्दिया-इलाहाबाद।

(iv) निम्नलिखित में से किस वर्ष में पहला रेडियो कार्यक्रम प्रसारित हुआ था-
(क) 1911
(ख) 1936
(ग) 1927
(घ) 1923
उत्तर:
(घ) 1923

प्रश्न 2.
निम्नलिखित प्रश्नों का उत्तर लगभग 30 शब्दों में दें-
(i) परिवहन किन क्रियाकलापों को अभिव्यक्त करता है? परिवहन के तीन प्रमुख प्रकारों के नाम बताइए।
उत्तर:
परिवहन, तृतीयक क्रियाकलाप को अभिव्यक्त करता है। परिवहन के प्रमुख तीन प्रकार-

  1. स्थल,
  2. जल एवं
  3. वायु परिवहन।

(ii) पाइप लाइन परिवहन से लाभ एवं हानि की विवेचना करें।
उत्तर:
पाइप लाइन द्वारा किया गया परिवहन काफी सस्ता होता है लेकिन इसके रिसाव होने का खतरा सदैव बना रहता है, जिस कारण इस माध्यम में अत्यधिक सावधानी रखने की आवश्यकता होती है।

(iii) संचार’ से आपका क्या तात्पर्य है? उत्तर-एक स्थान से दूसरे स्थान तक संदेश अथवा सूचना पहुँचाने की व्यवस्था को ‘संचार’ कहते हैं। संचार के साधनों के दो वर्ग-

  1. वैयक्तिक संचार जाल एवं
  2. सार्वजनिक संचार जाल।

(iv) भारत में वायु परिवहन के क्षेत्र में ‘एयर इण्डिया’ तथा ‘इण्डियन’ के योगदान की विवेचना करें।
उत्तर:
एयर इण्डिया-यह विदेशी उड़ानों का संचालन करता है। यह विश्व के सभी प्रमुख नगरों को मिलाती है।
इण्डियन एयरलाइन्स–यह देश में मुख्य घरेलू उड़ानों का संचालन करता है। 8 दिसम्बर, 2005 को इण्डियन एयरलाइन्स ने अपने नाम से ‘एयरलाइन्स’ शब्द को अलग कर दिया और इसे केवल ‘इण्डियन’ के नाम से ही जाना जाता है।

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प्रश्न 3.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 150 शब्दों में दें-
(i) भारत में परिवहन के प्रमुख साधन कौन-कौन-से हैं? इनके विकास को प्रभावित करने वाले, कारकों की विवेचना करें।
उत्तर:
UP Board Solutions for Class 12 Geography Chapter 10 Transport And Communication 1
परिवहन के विकास को प्रभावित करने वाले कारक-

परिवहन के विकास को प्रभावित करने वाले प्रमुख कारक निम्नलिखित हैं-

  1. आर्थिक कारक-परिवहन साधनों के विकास में आर्थिक स्थिति को देखा जाता है। परिवहन साधनों का विकास उन्हीं क्षेत्रों में अधिक किया जाता है जहाँ आर्थिक विकास अधिक हुआ है।
  2. भौगोलिक कारक-भारत के उत्तरी मैदानों में रेल तथा सड़क मार्गों का जाल बिछा हुआ है। इस प्रदेश में समतल भूमि, सघन जनसंख्या, समृद्ध कृषि और विकसित उद्योग के साथ-साथ बड़े-बड़े नगर भी हैं। ये सभी कारक परिवहन साधनों के विकास में सहायक हैं।
  3. राजनीतिक कारक-ब्रिटिशकाल में अंग्रेजों ने रेलों के द्वारा प्रमुख नगरों को जोड़ा था, लेकिन स्वतन्त्रता के बाद रेलों व सड़कों का विकास काफी तेजी से हुआ है।
    स्पष्ट है कि उपर्युक्त सभी कारक परिवहन साधनों के विकास को प्रभावित करते हैं।

(ii) पाइप लाइन परिवहन के लाभ एवं हानि की विवेचना करें। उत्तर-लाभ-पाइप लाइन परिवहन से निम्नलिखित लाभ होते हैं-

  1. पाइप लाइनें तरल तथा गैस पदार्थों के परिवहन के लिए आदर्श माध्यम हैं।
  2. इनके संचालन एवं रख-रखाव में काफी कम खर्चा होता है।
  3. यह ऊबड़-खाबड़ भू-भागों तथा पानी के भीतर बिछाई जा सकती है।
  4. इसमें ऊर्जा का उपयोग काफी कम होता है।

हानि-पाइप लाइन परिवहन से निम्नलिखित हानियाँ होती हैं-

  1. पाइप लाइन परिवहन में लोच का अभाव होता है। इसे निश्चित स्थानों के लिए ही प्रयोग किया जा सकता है।
  2. इनकी सुरक्षा व्यवस्था करना कठिन कार्य है।
  3. एक बार निर्माण के बाद इसकी क्षमता को घटाया या बढ़ाया नहीं जा सकता।
  4. भूमिगत पाइप लाइनों में रिसाव का पता लगाने तथा उनकी मरम्मत करने में भी काफी कठिनाई आती है।

(iii) भारत के आर्थिक विकास में सड़कों की भूमिका का वर्णन करें।
उत्तर:
भारत में आर्थिक विकास में सड़कों की भूमिका (महत्त्व)

  1. रेलें सीमित स्थानों तक ही पहुँच सकती हैं, परन्तु सड़कें दूर-दूर तक पहुँच जाती हैं। भारत की अधिकांश रेलें बड़े-बड़े शहरों को ही मिलाती हैं, जबकि सड़कें छोटे-छोटे गाँव तक भी पहुँच जाती हैं।
  2. पर्वतीय क्षेत्रों में रेलों का लगभग पूर्णत: अभाव है। इन भागों में सड़कें आसानी से पहुँच सकती हैं।
  3. कृषि के विकास के लिए सड़कों का महत्त्व कहीं अधिक है। उर्वरक, बीज, कृषि यन्त्र आदि को खेतों तक पहुँचाने के लिए सड़कों का ही प्रयोग किया जाता है। कृषि उत्पादों को ग्रामीण क्षेत्रों की मण्डियों तक पहुँचाने में भी सड़कों का काफी योगदान है।
  4. सड़कों के माध्यम से ग्रामीण क्षेत्रों की शीघ्रनाशी वस्तुओं जैसे दूध, पनीर, सब्जी, फल, मछली इत्यादि को खपत क्षेत्रों तक शीघ्रता से पहुँचाया जा सकता है।
  5. सीमावर्ती दुर्गम क्षेत्रों में तैनात सेना के जवानों को आवश्यक वस्तुएँ पहुँचाने के लिए भी सड़कों का ही। प्रयोग किया जाता है। इसी कारण ‘सीमा सड़क संगठन’ ने सीमावर्ती क्षेत्रों में सड़कों का निर्माण किया।
  6. प्राकृतिक आपदाओं (सूखा, बाढ़, अतिवृष्टि एवं अन्य दैवी विपत्तियों आदि के समय) के दौरान सड़कें, रेलों की तुलना में अधिक प्रभावशाली हो जाती हैं, क्योंकि उनसे दूर-दूर तक जाया जा सकता है।
  7. सड़कों से शिक्षा व सभ्यता के प्रसार में भी सहायता मिलती है, क्योंकि सड़कों ने नगरों व गाँवों को आपस में जोड़ दिया है।

UP Board Class 12 Geography Chapter 10 Other Important Questions

UP Board Class 12 Geography Chapter 10 अन्य महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
सड़कों का वर्गीकरण कीजिए।
उत्तर:
सड़कों का वर्गीकरण निर्माण एवं रख-रखाव की दृष्टि से भारत में सड़कों के निम्नलिखित प्रकार हैं-

  1. राष्ट्रीय महामार्गः-राष्ट्रीय महामार्गों के निर्माण, रख-रखाव, विकास एवं गुणवत्ता की जिम्मेदारी केन्द्र सरकार की है। केन्द्र सरकार का भूतल परिवहन मन्त्रालय इन सड़कों का निर्माण राज्यों के लोक निर्माण विभागों, भारतीय राष्ट्रीय महामार्ग प्राधिकरण (NHAI) और सीमा सड़क संगठन (BRO) के माध्यम से करता है। ये महामार्ग राज्यों की राजधानियों, प्रमुख नगरों, महत्त्वपूर्ण पत्तनों तथा रेलवे जंक्शनों को जोड़ते हैं।
  2. राज्य महामार्ग—ये सड़कें राज्यों की प्रमुख सड़कें हैं जो राज्यों की राजधानियों को जिला मुख्यालयों व अन्य महत्त्वपूर्ण शहरों को जोड़ती हैं। ये सड़कें राष्ट्रीय महामार्गों से भी जुड़ी हुई होती हैं। इनका निर्माण व रख-रखाव राज्य सरकार द्वारा किया जाता है।
  3. जिला सड़कें-ये सड़कें जिला मुख्यालयों को जिले के अन्य महत्त्वपूर्ण स्थानों से मिलाती हैं।
  4. ग्रामीण सड़कें-ये सड़कें न केवल ग्रामीण क्षेत्रों को आपस में मिलाती हैं बल्कि गाँवों को कस्बों और शहरों से भी जोड़ती हैं।
  5. अन्य सड़कें अन्य सड़कों में सीमान्त सड़कें व अन्तर्राष्ट्रीय महामार्ग आते हैं।
  6. सीमान्त सड़कें देश की उत्तरी तथा उत्तर-पूर्वी सीमा से सटी सामरिक दृष्टि से महत्त्वपूर्ण सड़कों के तीव्र एवं समन्वित सुधार के लिए मई 1960 में सीमा सड़क संगठन (B.R.0.) स्थापित किया गया।
  7. अन्तर्राष्ट्रीय महामार्ग अन्तर्राष्ट्रीय महामार्गों का उद्देश्य पड़ोसी राष्ट्रों के बीच भारत के सम्पर्क बढ़ाना तथा सद्भावनापूर्ण सम्बन्धों को बढ़ावा देना है।

प्रश्न 2.
परिवहन के स्थलीय साधनों में रेलमार्गों के सापेक्षिक महत्त्व की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
स्थानीय साधनों में रेलमार्गों के सापेक्षिक महत्त्व स्थलीय साधनों में रेलमार्गों का सापेक्षिक महत्त्व इस प्रकार है-

  1. रेल परिवहन संसार के आर्थिक विकास में एकमात्र सबसे अधिक शक्तिशाली कारक सिद्ध हुआ है। यह सर्वाधिक विभिन्न उत्पादों, सवारियों तथा डाक ले जाने की सुविधा प्रदान करता है।
  2. रेल स्थल पर अत्यन्त तीव्र गति वाला परिवहन का साधन है।
  3. यह मोटर गाड़ियों की अपेक्षा कई गुना अधिक भार ढोने की क्षमता रखता है।
  4. रेल भारी तथा सस्ती वस्तुओं को दूर-दूर तक ले जाती है।
  5. अधिक दूरी तय करने के लिए रेल सबसे उपयुक्त एवं सुविधाजनक साधन है।
  6. स्थल पर पशुओं के परिवहन के लिए रेलों से बढ़कर कोई और सस्ता, सुविधाजनक और विस्तृत साधन उपलब्ध नहीं है।
  7. रेल-तन्त्र किसी भी देश के आन्तरिक परिवहन का आधार होता है।

प्रश्न 3.
“भारत में सड़कों का वितरण समरूप नहीं है।” उपयुक्त तर्कों की सहायता से इस कथन की पुष्टि कीजिए।
उत्तर:
भारत में सड़कों का वितरण एकसमान नहीं है, जिसके प्रमुख कारण निम्नलिखित हैं-
1. भौतिक बनावट-सड़क घनत्व भौतिक बनावट से प्रभावित होता है। पर्वतीय क्षेत्रों में सड़को का घनत्व कम है, जबकि मैदानी भागों में घनत्व अधिक है।
2. जलवायु-जलवायु के प्रभाव से भी सड़क वितरण प्रभावित होता है। उत्तर-पूर्वी राज्यों में मनत्य इसलिए कम है कि यहाँ वर्षा अधिक होती है।
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3. आर्थिक विकास–आर्थिक रूप से विकसित प्रदेशों में सड़कों का घनत्व कम है। केरल में सबसे अधिक सड़क घनत्व 37.5 किमी है। अरुणाचल प्रदेश में सबसे कम 10 किमी है।
4. अधिक जनसंख्या–प्रायः अधिक जनसंख्या वाले क्षेत्रों में सड़कें अधिक हैं। सड़क ही यहाँ का यातायात का प्रमुख साधन है।
5. निर्माण सामग्री-सड़कों की निर्माण सामग्री का भी इसके वितरण पर प्रभाव पड़ता है। पश्चिम बंगाल तथा राजस्थान में निर्माण सामग्री का अभाव है, इसलिए सड़कों का वितरण कम है, जबकि दक्षिण भारत में निर्माण सामग्री के रूप में पत्थर आदि उपलब्ध हैं; इसलिए यहाँ सड़कों का वितरण अधिक है।

लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
सड़क परिवहन के दोषों पर प्रकाश डालिए।
उत्तर:
सड़क परिवहन के दोष/अवगुण/कमियाँ/सीमाएँ निम्नलिखित हैं-

  1. लम्बी दूरियों को तय करने के लिए सड़क मार्ग सुरक्षित एवं सुविधाजनक नहीं होते।
  2. लोहा व कोयले जैसी भारी वस्तुओं की ढुलाई सड़क मार्गों से महँगी पड़ती है।
  3. सड़क यात्रा रेल यात्रा की तुलना में महँगी है।
  4. सड़कों द्वारा यात्रा रात्रि में सुरक्षित नहीं है।
  5. सड़क परिवहन में वाहन के अन्दर टॉयलेट व कैण्टीन आदि की सुविधा नहीं होती है।

प्रश्न 2.
कोंकण रेलवे पर टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
कोंकण रेलवे-सन् 1998 में कोंकण रेलवे का निर्माण भारतीय रेल की एक महत्त्वपूर्ण उपलब्धि है। यह 760 किमी लम्बा रेलमार्ग महाराष्ट्र में रोहा को कर्नाटक के मंगलौर से जोड़ता है। इसे अभियान्त्रिकी का एक अनूठा चमत्कार माना जाता है। यह रेलमार्ग 146 नदियों व धाराओं तथा 2000 पुलों एवं 91 सुरंगों को पार करता है। इस मार्ग में महाराष्ट्र, गोवा तथा कर्नाटक राज्य शामिल हैं।

प्रश्न 3.
संचार तन्त्र के अर्थ एवं महत्त्व को समझाइए।
उत्तर:
संचार तन्त्र का अर्थ–एक स्थान से दूसरे स्थान पर सूचना अथवा संदेश भेजने या प्राप्त करने की विस्तृत व्यवस्था को ‘संचार तन्त्र’ कहा जाता है।

संचार तन्त्र का महत्त्व देश के आर्थिक, सामाजिक तथा सांस्कृतिक विकास के साथ-साथ संचार तन्त्र राष्ट्रीय एकता और अखण्डता को बनाए रखने में भी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। भारत जैसे बड़े देश में बाढ़, सूखा, भूकम्प, चक्रवात तथा दुर्घटना जैसी आपदाओं का प्रबन्धन विकसित संचार तन्त्र के बिना सम्भव नहीं है।

प्रश्न 4.
संचार साधनों को,वर्गीकृत कीजिए।
उत्तर:
संचार साधनों के वर्ग-व्यापकता और गुणवत्ता के आधार पर संचार साधनों को निम्नलिखित श्रेणियों में विभक्त किया जा सकता है-
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प्रश्न 5.
मुक्त आकाश नीति को समझाइए।
उत्तर:
मुक्त आकाश नीति-सरकार ने अप्रैल 1992 में मुक्त आकाश नीति को अपनाया। इसका मुख्य उद्देश्य भारतीय निर्यातकों को सहायता देना तथा उनके निर्यात को विश्व बाजार में अधिक प्रतियोगितापूर्ण बनाना था। इस नीति में विदेशी एयरलाइन्स या निर्यातकों का संगठन कोई भी मालवाहक वायुयान देश में ला सकता है।

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प्रश्न 6.
भारतीय रेल-मार्गों के प्रकारों को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
भारतीय रेल-मार्गों के प्रकार भारतीय रेल-मार्ग गेज की दृष्टि से निम्नलिखित तीन प्रकार के हैं-

  1. बड़ी लाइन अथवा चौड़ी गेज-इसकी चौड़ाई अर्थात् दोनों पटरियों की आपसी दूरी 1676 मिलीमीटर अथवा 1.676 मीटर होती है।
  2. मध्यम लाइन अथवा मीटर गेज—इसकी चौड़ाई, 1,000 मिलीमीटर अथवा 1 मीटर होती है।
  3. छोटी लाइन अथवा सँकरी गेज-इसकी चौड़ाई 762 मिलीमीटर तथा 610 मिलीमीटर है। यह लाइन कुछ पर्वतीय क्षेत्रों तक ही सीमित है और कम दूरी तक ही चलती है।

प्रश्न 7.
स्वर्ण चतुष्कोण परम राजमार्ग को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
स्वर्ण चतुष्कोण परम राजमार्ग-राष्ट्रीय महामार्ग परियोजना में सड़कों के विकास की एक महत्त्वाकांक्षी योजना बनाई गई है। इसे 2 जनवरी, 1999 में शुरू किया गया था और यह सड़कों को सुधारने की सबसे बड़ी योजनाओं में से एक है। इन राजमार्ग परियोजनाओं के निर्माण का दायित्व भारत के राष्ट्रीय महामार्ग प्राधिकरण को है। इसके दो घटक हैं-
चरण-I : स्वर्ण चतुष्कोण
चरण-II : उत्तर-दक्षिण गलियारा एवं पूर्व-पश्चिम गलियारा

प्रश्न 8.
भारत में उपग्रह संचार के लाभों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
भारत में उपग्रह संचार के लाभ निम्नलिखित हैं-

  1. इससे दूरदर्शन सेवाएँ प्राप्त होती हैं जो देश में दूरस्थ भागों में भी उपलब्ध है।
  2. यह विभिन्न भागों में दूर तक विभिन्न सूचनाएँ भेज सकता है।
  3. INSAT प्रणाली बहुउद्देशीय प्रणाली है जिसके द्वारा संवाद किया जा सकता है।
  4. इसका उपयोग आँकड़ों के एकत्रीकरण तथा कार्यान्वयन के लिए किया जाता है।

प्रश्न 9.
सीमावर्ती सड़कों के महत्त्व को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
सीमावर्ती सड़कों का महत्त्व निम्नलिखित है-

  1. इन सड़कों ने दुर्गम क्षेत्रों के आवागमन को सुलभ बनाया है।
  2. इन सड़कों के बनने से सीमावर्ती क्षेत्रों के आर्थिक विकास में सहायता मिलती है।
  3. सुरक्षाकर्मियों को गन्तव्य स्थान तक पहुँचने तथा उन्हें सामान की निरन्तर आपूर्ति करने में इन सड़कों का विशेष महत्त्व है।

प्रश्न 10.
भारत में वैयक्तिक संचार तन्त्र के क्षेत्र में इण्टरनेट की सेवाओं के महत्त्व को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
वैयक्तिक संचार तन्त्र के क्षेत्र में इण्टरनेट सेवाओं का महत्त्व निम्नलिखित है-

  1. इण्टरनेट के द्वारा सभी प्रकार के कम्प्यूटरों को जोड़ा जा सकता है।
  2. इण्टरनेट से हम किसी भी तरह की सूचना प्राप्त कर सकते हैं।
  3. इण्टरनेट से ई-मेल द्वारा सूचना तथा पत्र भेजे जा सकते हैं।
  4. इण्टरनेट टेलीफोन, कम्प्यूटर पर बात करने के लिए उपयुक्त हैं।

अतिलघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
सड़कों के कोई दो महत्त्व लिखिए।
उत्तर:
सड़क परिवहन का महत्त्व (गुण)-

  1. उपभोक्ता के घर तक सेवा एवं
  2. शीघ्र नाशवान वस्तुओं का परिवहन।

प्रश्न 2.
परिवहन का सबसे सस्ता साधन कौन-सा है?
उत्तर:
परिवहन का सबसे सस्ता साधन जल परिवहन है।

प्रश्न 3.
परिवहन का सबसे महँगा साधन कौन-सा है?
उत्तर:
परिवहन का सबसे महँगा साधन वायु परिवहन है।

प्रश्न 4.
भारत में वायु परिवहन की शुरुआत कब हुई थी?
उत्तर:
भारत में वायु परिवहन की शुरुआत सन् 1911 में हुई।

प्रश्न 5.
भारत में वायु परिवहन के महत्त्व के दिनों-दिन बढ़ने का क्या कारण है?
उत्तर:
भारत में वायु परिवहन के महत्त्व के बढ़ने का कारण-

  1.  यहाँ दूरियाँ बहुत लम्बी हैं तथा
  2. भू-भाग एवं जलवायवी दशाएँ अत्यन्त विविधतापूर्ण हैं।

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प्रश्न 6.
वायु परिवहन का राष्ट्रीयकरण कब किया गया?
उत्तर:
वायु परिवहन का राष्ट्रीयकरण,सन् 1953 में किया गया।

प्रश्न 7.
स्वर्णिम चतुष्कोण मार्ग की कोई दो विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर:

  1. इन्हें ‘परम राजमार्ग’ कहते हैं। यह छह लेन के होंगे जिनसे यातायात बिना किसी रुकावट के चलता रहेगा।
  2. इन राजमार्गों के बन जाने से महानगरों के बीच की दूरी कम हो जाएगी।

प्रश्न 8.
‘साइबर स्पेस’ का क्या अर्थ है?
उत्तर:
साइबर स्पेस कम्प्यूटर में एक काल्पनिक स्थान है जिसमें इलेक्ट्रॉनिक संवाद सूचनाएँ तथा फोटों का आदान-प्रदान होता है।

प्रश्न 9.
सड़क घनत्व से क्या तात्पर्य है?
उत्तर:
प्रति 100 वर्ग किमी क्षेत्र में पायी जाने वाली सड़कों को ‘सड़क घनत्व’ कहा जाता है।

प्रश्न 10.
‘उपग्रह संचार’ किसे कहते हैं?
उत्तर:
यह संचार की विधि है जिसके द्वारा संवाद तथा सूचनाएँ भेजी जाती हैं। यह अन्य संचार साधनों को भी नियमित करता है।

बहुविकल्पीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
दिल्ली और अमृतसर के मध्य महामार्ग को क्या कहते हैं-
(a) राष्ट्रीय महामार्ग-2
(b) राष्ट्रीय महामार्ग-1
(c) राष्ट्रीय महामार्ग-3
(d) राष्ट्रीय महामार्ग-4
उत्तर:
(b) राष्ट्रीय महामार्ग-1

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प्रश्न 2.
दिल्ली और मुम्बई को कौन-सा राष्ट्रीय महामार्ग जोड़ता है-
(a) राष्ट्रीय महामार्ग-1
(b) राष्ट्रीय महामार्ग-6
(c) राष्ट्रीय महामार्ग-4
(d) राष्ट्रीय महामार्ग-8
उत्तर:
(d) राष्ट्रीय महामार्ग-8

प्रश्न 3.
नैरो गेज में दो पटरियों के बीच की दूरी कितनी होती है-
(a) 1.676 मीटर
(b) 0.610 मीटर
(c) 1 मीटर
(d) 1.4 मीटर।
उत्तर:
(b) 0.610 मीटर।

प्रश्न 4.
भारत में पहली रेलगाड़ी कब चलाई गई-
(a) सन् 1853 में
(b) सन् 1856 में
(c) सन् 1861 में
(d) सन् 1864 में।
उत्तर:
(a) सन् 1853 में।

प्रश्न 5.
सीमा सड़क संगठन कब बनाया गया-
(a) सन् 1950 में
(b) सन् 1960 में
(c) सन् 1965 में
(d) सन् 1970 में।
उत्तर:
(b) सन् 1960 में।

प्रश्न 6.
भारत में रेडियो प्रसारण कब शुरू हुआ-
(a) सन् 1920 में
(b) सन् 1923 में
(c) सन् 1925 में
(d) सन् 1930 में।
उत्तर:
(b) सन् 1923 में।

प्रश्न 7.
उत्तर-दक्षिण गलियारा किन स्थानों को जोड़ता है-
(a) वाराणसी-कन्याकुमारी
(b) श्रीनगर-कन्याकुमारी
(c) पोरबन्दर-गुवाहाटी
(d) पटना-कोच्चि।
उत्तर:
(b) श्रीनगर-कन्याकुमारी।

प्रश्न 8.
भारत में सड़कों का सर्वाधिक घनत्व किस राज्य में है-
(a) केरल
(b) तमिलनाडु
(c) गोवा
(d) कर्नाटक।
उत्तर:
(a) केरल।

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प्रश्न 9.
सन् 1853 में मुम्बई और ठाणे के बीच चली पहली भारतीय रेल ने कितना सफर तय किया था-
(a) 18 किमी
(b) 54 किमी
(c) 34 किमी
(d) 100 किमी।
उत्तर:
(c) 34 किमी।

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UP Board Solutions for Class 12 Geography Chapter 2 Migration: Types, Causes and Consequences

UP Board Solutions for Class 12 Geography Chapter 2 Migration: Types, Causes and Consequences (प्रवास-प्रकार, कारण और परिणाम)

UP Board Class 12 Geography Chapter 2 Text Book Questions

UP Board Class 12 Geography Chapter 2 पाठ्यपुस्तक से अभ्यास प्रश्न

प्रश्न 1.
नीचे दिए गए चार विकल्पों में से सही उत्तर चुनिए :
(i) निम्नलिखित में से कौन-सा भारत में पुरुष प्रवास का मुख्य कारण है
(क) विवाह
(ख) व्यवसाय
(ग) काम और रोजगार
(घ) विवाह।
उत्तर:
(ग) काम और रोजगार।

(ii) निम्नलिखित में से किस राज्य में सर्वाधिक संख्या में आप्रवासी आते हैं
(क) उत्तर प्रदेश
(ख) दिल्ली
(ग) महाराष्ट्र
(घ) बिहार।
उत्तर:
(ग) महाराष्ट्र।

(iii) भारत में प्रवास की निम्नलिखित धाराओं में से कौन-सी एक धारा पुरुष प्रधान है
(क) ग्रामीण से ग्रामीण
(ख) नगरीय से ग्रामीण
(ग) ग्रामीण से नगरीय
(घ) नगरीय से नगरीय।
उत्तर:
(ग) ग्रामीण से नगरीय।

(iv) निम्नलिखित में से किस नगरीय समूहन में प्रवासी जनसंख्या का अंश सर्वाधिक है—
(क) मुम्बई नगरीय समूहन
(ख) दिल्ली नगरीय समूहन
(ग) बंगलुरु नगरीय समूहन
(घ) चेन्नई नगरीय समूहन।
उत्तर:
(क) मुम्बई नगरीय समूहन।

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प्रश्न 2.
निम्नलिखित प्रश्नों का उत्तर लगभग 30 शब्दों में दें
(i) जीवनपर्यन्त प्रवासी और पिछले निवास के अनुसार प्रवासी में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
जीवनपर्यन्त प्रवास – यह वह प्रवास होता है जो जन्म के स्थान, यदि जन्म का स्थान गणना के स्थान से भिन्न है। इसे ‘जीवनपर्यन्त प्रवास’ के नाम से जाना जाता है।
पिछले स्थान प्रवास – इसमें निवास का स्थान पिछले निवास से भिन्न होता है। इसे निवास के पिछले स्थान के प्रवासी के रूप में जाना जाता है।

(ii) पुरुष/स्त्री चयनात्मक प्रवास के मुख्य कारण की पहचान कीजिए।
उत्तर:
पुरुष बड़ी संख्या में ग्रामीण इलाकों से नगरों की तरफ रोजगार की तलाश में प्रवास करते हैं। स्त्रियाँ विवाह के कारण प्रवास करती हैं। भारत में प्रत्येक लड़की को विवाह के बाद अपने मायके के घर से ससुराल के घर तक प्रवास करना होता है।

(iii) उद्गम और गन्तव्य स्थान की आयु एवं लिंग संरचना पर ग्रामीण-नगरीय प्रवास का क्या प्रभाव पड़ता है?
उत्तर:
बड़ी संख्या में युवक रोजगार की तलाश में ग्रामीण इलाकों से नगरों की ओर प्रवास करते हैं। इससे ग्रामीण क्षेत्रों में युवकों की संख्या में कमी हो जाती है और नगरों में उनकी संख्या में वृद्धि हो जाती है। गाँवों में वृद्ध, बच्चे और स्त्रियाँ रह जाती हैं, अत: ग्रामीण-नगरीय प्रवास से उद्गम तथा गन्तव्य दोनों ही स्थानों की आयु एवं लिंग संरचना पर प्रभाव पड़ता है।

प्रश्न 3.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 150 शब्दों में दें
(i) भारत में अन्तर्राष्ट्रीय प्रवास के कारणों की विवेचना कीजिए।
उत्तर:
अन्तर्राष्ट्रीय प्रवास – जब किसी देश-विशेष का निवासी किन्हीं विशेष कारणों से अन्य देश में प्रवासित हो जाता है तो उसे ‘अन्तर्राष्ट्रीय प्रवास’ कहते हैं।
भारत में अन्तर्राष्ट्रीय प्रवास के कारण भारत में अन्तर्राष्ट्रीय प्रवास के प्रमुख कारण निम्नलिखित हैं
1. आर्थिक कारण – भारत में संसाधनों का भण्डार है। यहाँ प्राकृतिक एवं मानवीय संसाधन पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध हैं। अन्तर्राष्ट्रीय प्रवास में इन संसाधनों की भूमिका महत्त्वपूर्ण है। भारत में प्रवासी इन्हीं आर्थिक कारणों की वजह से अधिक आते हैं। वर्तमान में अनेक विदेशी कम्पनियाँ भारत में इसी आकर्षण के कारण स्थापित हुई हैं, क्योंकि उन्हें यहाँ अपने उत्पादों के लिए कच्चा माल, सस्ता श्रम और व्यापक बाजार आदि सभी आवश्यक सुविधाएँ उपलब्ध हैं।

2. राजनीतिक कारण – भारत में राजनीतिक कारणों या सरकारी नीतियों के लचीलेपन के कारण भी विदेशी प्रवास करते हैं। सीमावर्ती देशों से होने वाला प्रवास इसका उदाहरण है।

3. धार्मिक और सामाजिक कारण – भारत सर्वधर्म समभाव, वसुधैव कुटुम्बकम् सिद्धान्त एवं आदि संस्कृतियों वाला देश है। यहाँ सभी धर्मों को सम्मान दिया जाता है। यहाँ की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक सम्पन्नता आदि से प्रभावित होकर और समाज में सहायता से समन्वय के कारण प्रवासी आकर्षित होते हैं जिसके कारण भारत में अन्तर्राष्ट्रीय प्रवास होता है।

इस तरह भारत में अन्तर्राष्ट्रीय प्रवास के प्रमुख कारण आर्थिक, राजनीतिक, सामाजिक तथा सांस्कृतिक हैं. किन्तु वर्तमान समय में अनेक अन्य कारणों; जैसे-तकनीकी सुविधाओं, उच्च प्रतिभा तथा उच्च शिक्षा आदि से भी भारत के लोग खाड़ी देशों एवं यू०एस०ए० और यूरोपीय देशों को प्रवास करते हैं।

(ii) प्रवास के सामाजिक जनांकिकीय परिणाम क्या-क्या हैं?
उत्तर:
प्रवास के सामाजिक परिणाम

  • नवीन प्रौद्योगिकी, परिवार कल्याण, बालिका शिक्षा आदि नए विचारों का ग्रामीण क्षेत्रों में प्रसार होता है।
  • विविध संस्कृतियों का अन्त:मिश्रण होता है।
  • प्रवास लोगों को अपराध और औषध दुरुपयोग जैसी असामाजिक क्रियाओं में फँसा देता है।

प्रवास के जनांकिकीय परिणाम

  • प्रवास से आयु लिंगानुपात में असन्तुलन उत्पन्न होता है।
  • नगरों में लिंगानुपात घट जाता है तथा युवा वर्ग श्रमिकों का अनुपात बढ़ जाता है।
  • ग्रामीण क्षेत्रों में लिंगानुपात बढ़ जाता है तथा कुशल युवा श्रमिकों का अनुपात घट जाता है।

UP Board Class 12 Geography Chapter 2 Other Important Questions

UP Board Class 12 Geography Chapter 2 अन्य महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर

विस्तृत उत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
प्रवास के प्रमुख कारणों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
प्रवास के प्रमुख कारण प्रवास के प्रमुख कारण निम्नलिखित हैं
1. आजीविका – सीमित कृषि भूमि और बढ़ती ग्रामीण जनसंख्या के कारण कृषि एवं सम्बन्धित क्षेत्रों में एक निश्चित जनसंख्या को ही रोजगार उपलब्ध हो पाता है। कुटीर उद्योगों की पतली हालत और कृषि में बढ़ते . मशीनीकरण के कारण ग्रामीण जनसंख्या के एक बड़े भाग को गाँवों में आजीविका नहीं मिल पाती। गाँवों में ये बेरोजगार अधिशेष जनसंख्या के रूप में नगरों में रोजगार की तलाश में प्रवास कर जाते हैं। नगरों में निश्चित तौर पर विविध प्रकार की आर्थिक सम्भावनाएँ होती हैं।

2. विवाह – सामाजिक रीति-रिवाजों के अन्तर्गत विवाह के उपरान्त लड़कियों को माता-पिता का घर छोड़कर ससुराल जाकर रहना होता है। भारत में इसी कारण स्त्रियों के प्रवास की संख्या उच्च है।

3. शिक्षा और वृत्तिका – योग्यता की वृद्धि हेतु लोग शहरों में विभिन्न प्रकार की उच्च तथा तकनीकी शिक्षा प्राप्त करने हेतु शहरों में प्रवास करते हैं। अपनी वृत्तिका को उत्कृष्ट बनाने के लिए भी सुनिश्चित, निपुण व्यक्ति, कलाकार, वैज्ञानिक अथवा किसी भी क्षेत्र में योग्य व्यक्ति शहरों में उन्नति के अवसर तलाशते हैं।

4. सामाजिक असुरक्षा एवं प्रकोप – राजनीतिक अस्थिरता एवं गड़बड़ी, जातीय दंगे, देश-विभाजन, वर्ग-संघर्ष से त्रस्त होकर लोग सुरक्षित स्थानों की तरफ प्रवास करते हैं। अनेक बार प्राकृतिक प्रकोप भी जनसंख्या को प्रवास करने के लिए बाधित करते हैं; जैसे—बाढ़, सूखा, चक्रवाती तूफान, भूकम्प, सुनामी आदि।

UP Board Solutions for Class 12 Geography Chapter 2 Migration: Types, Causes and Consequences

प्रश्न 2.
प्रवास के आर्थिक परिणामों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
प्रवास के आर्थिक परिणाम प्रवासी उद्गम प्रदेश में स्थित अपने घरों को कमाई का पैसा भेजते हैं। अन्तर्राष्ट्रीय प्रवासियों द्वारा भेजी गई धनराशियाँ विदेशी-विनिमय के प्रमुख स्रोतों में से एक हैं। पंजाब, केरल और तमिलनाडु अपने अन्तर्राष्ट्रीय प्रवासियों से सर्वाधिक राशि प्राप्त करते हैं। अन्तर्राष्ट्रीय प्रवासियों की तुलना में आन्तरिक प्रवासियों द्वारा भेजी गई राशि काफी कम है, किन्तु यह उद्गम क्षेत्र की आर्थिक वृद्धि में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती है। इस राशि का प्रयोग मुख्यतः भोजन, ऋणों की अदायगी, उपचार, विवाहों, बच्चों की शिक्षा, कृषि में निवेश, गृह-निर्माण इत्यादि के लिए किया जाता है। बिहार, उत्तर प्रदेश, ओडिशा, आन्ध्र प्रदेश, हिमाचल प्रदेश इत्यादि के हजारों निर्धन गाँवों की अर्थव्यवस्था के लिए यह राशि शरीर में धमनियों की तरह कार्य करती हैं। पूर्वी उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश और ओडिशा के ग्रामीण क्षेत्रों से पंजाब, हरियाणा, पश्चिमी उत्तर प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में प्रवास कृषि विकास के लिए, उसकी हरित क्रान्ति कार्ययोजना की सफलता के लिए उत्तरदायी है।
UP Board Solutions for Class 12 Geography Chapter 2 Migration Types, Causes and Consequences 1

लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
भारत में ग्रामीण क्षेत्रों से नगरीय क्षेत्रों की ओर अकुशल प्रवासियों के प्रवास के प्रमुख कारण बताइए।
उत्तर:
भारत में ग्रामीण क्षेत्रों से नगरीय क्षेत्रों की ओर अकुशल प्रवासियों के प्रवास के प्रमुख कारण निम्नलिखित हैं

  • इसका सबसे प्रमुख कारण निर्धनता है।
  • नगरों में श्रमिकों की माँग प्रायः अधिक रहती है।
  • नगरीय क्षेत्रों में रोजगार के अवसर बेहतर होते हैं।
  • ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के अवसर कम तथा वेतनमान निम्न होता है।

प्रश्न 2.
भारत में ग्रामीण क्षेत्रों से नगरीय क्षेत्रों की ओर अकुशल प्रवासियों के प्रवास के कष्टों को समझाइए।
उत्तर:
भारत में ग्रामीण क्षेत्रों से नगरीय क्षेत्रों की ओर अकुशल प्रवासियों के प्रवास के कष्ट निम्नलिखित

  • नगरीय क्षेत्रों में मजबूरन कम वेतन पर नौकरी करना।
  • परिवार के सदस्यों की अनुपस्थिति व्याकुलता उत्पन्न करती है।
  • ग्रामीण क्षेत्रों से पुरुषों के प्रवास के कारण परिवार पीछे छूट जाता है, जिससे परिवार पर अतिरिक्त दबाव पड़ता है।
  • प्रवास से विविध संस्कृतियों का मिश्रण होता है। इससे गुमनामी जैसे नकारात्मक परिणाम भी होते हैं।

प्रश्न 3.
प्रवास के अपकर्ष व प्रतिकर्ष कारक से आप क्या समझते हैं? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
जनसंख्या प्रवास को अपकर्ष और प्रतिकर्ष दोनों प्रकार के कारक प्रभावित करते हैं
1. अपकर्ष कारक-जब लोग नगर की सुविधाओं तथा आर्थिक अवसरों से आकर्षित होकर नगर की ओर प्रवास करते हैं तो यह ‘अपकर्ष प्रेरित प्रवास’ कहलाता है।

2. प्रतिकर्ष कारक-जब लोग शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार, मनोरंजन व अन्य सुविधाओं की कमी अथवा गरीबी और भुखमरी के कारण मजबूरी में गाँव छोड़कर शहर में जा बसते हैं तो इसे ‘प्रतिकर्ष प्रेरित प्रवास’ कहते हैं।

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प्रश्न 4.
दिक् परिवर्तन से आप क्या समझते हैं? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
नगरों तथा गाँवों से शहरों के बीच जनसंख्या के दैनिक स्थानान्तरण को ‘दिक परिवर्तन’ कहते हैं। यह केवल दैनिक होता है।

प्रश्न 5.
भारत में प्रवास के परिणामों को समझाइए।
उत्तर:
भारत में प्रवास के परिणाम निम्नलिखित हैं

  • प्रवास के कारण क्षेत्र-विशेष में जनसंख्या बढ़ती है; इसलिए आवास की समस्या उत्पन्न हो जाती है।
  • प्रवासी लोगों को रोजगार चाहिए; इसलिए रोजगार के साधनों का अभाव हो जाता है।
  • जनसंख्या वृद्धि के कारण परिवहन साधनों की समस्या उत्पन्न हो जाती है।
  • अधिक जनसंख्या के कारण स्वच्छता की समस्या उत्पन्न हो जाती है।

प्रश्न 6.
उत्प्रवास के लिए उत्तरदायी प्रतिकर्ष कारकों को समझाइए।
उत्तर:
उत्प्रवास के लिए उत्तरदायी प्रतिकर्ष कारक निम्नलिखित हैं

  • गरीबी – गरीबी के कारण जनसंख्या उन स्थानों को प्रवास करती है जहाँ पर उन्हें रोजगार प्राप्त हो सके।
  • शिक्षा – शिक्षा सुविधाओं की कमी के कारण अधिक शिक्षा लेने के लिए लोग उत्प्रवास करते हैं।
  • जनसंख्या का अधिक दबाव – जनसंख्या के अधिक दबाव से बच्चे के लिए लोग अन्य स्थानों पर जहाँ जनसंख्या कम होती है, प्रवास करते हैं।
  • सुरक्षा – सुरक्षा की दृष्टि से भी लोग सुरक्षित स्थानों को प्रवास करते हैं। .

अतिलघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
प्रवास का क्या अर्थ है?
उत्तर:
प्रवास’ का अर्थ जनसंख्या का उद्गम स्थान से गन्तव्य की ओर गमन है।

प्रश्न 2.
उत्प्रवास किसे कहते हैं?
उत्तर:
जब एक व्यक्ति एक स्थान को छोड़कर अन्य स्थान पर जाता है तो यह ‘उत्प्रवास’ कहलाता है।

प्रश्न 3.
आप्रवास किसे कहते हैं?
उत्तर:
यदि व्यक्ति अन्य स्थानों से आकर एक विशिष्ट स्थान पर बस जाता है, तो यह ‘आप्रवास’ कहलाता है।

प्रश्न 4.
आन्तरिक प्रवास से क्या आशय है? .
उत्तर:
आन्तरिक प्रवास में लोगों का पलायन मुख्य रूप से देश की राजनीतिक सीमाओं के अन्दर ही होता है। उदाहरण के लिए; बिहार के लोगों का उत्तर प्रदेश में प्रवास।

प्रश्न 5.
अन्तर्राष्ट्रीय प्रवास से क्या आशय है?
उत्तर:
अन्तर्राष्ट्रीय प्रवास में लोग राजनीतिक सीमाओं (देश) से बाहर पलायन कर जाते हैं। उदाहरण के लिए; राजस्थान के लोगों का यू०के० तथा कनाडा में प्रवास।

प्रश्न 6
भारत में आन्तरिक प्रवास के कितने प्रवाह हैं? नाम लिखिए।
उत्तर:
भारत में आन्तरिक प्रवास के चार प्रवाह हैं

  • ग्रामीण से ग्रामीण
  • ग्रामीण से नगरीय
  • नगरीय से नगरीय, तथा
  • नगरीय से ग्रामीण।

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प्रश्न 7.
प्रवास के पर्यावरणीय परिणाम बताइए।
उत्तर:
प्रवास के पर्यावरणीय परिणाम हैं

  • नगरों की अनियोजित वृद्धि
  • गन्दी बस्तियाँ
  • विभिन्न प्रकार के प्रदूषण, तथा
  • अपशिष्ट निपटान की समस्या आदि।

प्रश्न 8.
अन्तर्राज्यीय प्रवास से क्या आशय है?
उत्तर:
लोगों का एक राज्य से दूसरे राज्य में जाना अन्तर्राज्यीय प्रवास कहलाता है, जैसे—अम्बाला से मेरठ प्रवास को जाना।

प्रश्न 9.
अन्तःराज्यीय प्रवास से क्या आशय है?
उत्तर:
लोगों का एक ही राज्य में एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाना अन्तःराज्यीय प्रवास कहलाता है, जैसे-आगरा से मेरठ प्रवास को जाना।

प्रश्न 10.
प्रवास को प्रभावित करने वाले कोई चार कारक बताइए।
उत्तर:
प्रवास को प्रभावित करने वाले कारक है

  • बेहतर सुविधाएँ
  • सुरक्षा
  • नागरिक सुविधाएँ, तथा
  • स्वास्थ्य सुविधाएँ।

बहुविकल्पीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
स्थानान्तरण की दिशा के आधार पर आन्तरिक प्रवास की कितनी धाराओं की पहचान की गई
(a) तीन
(b) चार
(c) पाँच .
(d) छह।
उत्तर:
(b) चार।

प्रश्न 2.
प्रवास का प्रतिकर्ष कारक है
(a) शिक्षा
(b) मनोरंजन
(c) रोजगार
(d) उपर्युक्त संभी।
उत्तर:
(d) उपर्युक्त सभी।

प्रश्न 3.
प्रवास को प्रभावित करने वाला कारक है
(a) आजीविका
(b) विवाह
(c) शिक्षा और वृत्तिका
(d) उपर्युक्त सभी।
उत्तर:
(d) उपर्युक्त सभी।

प्रश्न 4.
यदि प्रवास राज्य की सीमा के बाहर हो तो उसे कहते हैं
(a) अन्त:राज्यीय प्रवास
(b) अन्तर्राज्यीय प्रवास
(c) अन्तर्राष्ट्रीय प्रवास
(d) उत्प्रवास।
उत्तर:
(b) अन्तर्राज्यीय प्रवास।

प्रश्न 5.
प्रवास होता है
(a) नगर से नगर को
(b) ग्राम से नगर को
(c) ग्राम से ग्राम को
(d) उपर्युक्त सभी।
उत्तर:
(d) उपर्युक्त सभी।

UP Board Solutions for Class 12 Geography Chapter 2 Migration: Types, Causes and Consequences

प्रश्न 6.
कौन-सा कारण प्रतिकर्ष का कारक नहीं है
(a) मनोरंजन
(b) गरीबी
(c) जनसंख्या दबाव
(d) आपदा।
उत्तर:
(c) जनसंख्या दबाव।

प्रश्न 7.
सामाजिक प्रवास के कितने रूप हैं
(a) दो
(b) तीन
(c) चार
(d) पाँच।
उत्तर:
(a) दो।

प्रश्न 8.
किस राज्य में विवाह स्त्रियों के प्रवास का मुख्य कारण नहीं है
(a) केरल
(b) कर्नाटक
(c) बिहार
(d) मेघालय।
उत्तर:
(d) मेघालय।

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UP Board Solutions for Class 12 Geography Chapter 1 Population: Distribution, Density, Growth and Composition

UP Board Solutions for Class 12 Geography Chapter 1 Population: Distribution, Density, Growth and Composition (जनसंख्या: वितरण, घनत्व, वृद्धि एवं संघटन)

UP Board Class 12 Geography Chapter 1 Text Book Questions

UP Board Class 12 Geography Chapter 1 पाठ्यपुस्तक से अभ्यास प्रश्न

प्रश्न 1.
नीचे दिए गए चार विकल्पों में से सही उत्तर को चनिए
(i) सन् 2011 की जनगणना के अनुसार भारत की जनसंख्या निम्नलिखित में से कौन-सी है
(क) 102.8 करोड़
(ख) 318.2 करोड़
(ग) 328.7 करोड़
(घ) 121 करोड़ा
उत्तर:
(घ) 121 करोड़।

(ii) निम्नलिखित राज्यों में से किस एक में जनसंख्या का घनत्व सर्वाधिक है
(क) पश्चिम बंगाल
(ख) केरल
(ग) उत्तर प्रदेश
(घ) पंजाब।
उत्तर:
(क) पश्चिम बंगाल।

(iii) सन् 2011 की जनगणना के अनुसार निम्नलिखित में से किस राज्य में नगरीय जनसंख्या का अनुपात सर्वाधिक है
(क) तमिलनाडु
(ख) महाराष्ट्र
(ग) केरल
(घ) गोवा।
उत्तर:
(ख) महाराष्ट्र

(iv) निम्नलिखित में से कौन-सा एक समूह भारत में विशालतम भाषाई समूह है
(क) चीनी-तिब्बती
(ख) भारतीय-आर्य
(ग) आस्ट्रिक
(घ) द्रविड़।
उत्तर:
(ख) भारतीय-आर्य।

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प्रश्न 2.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 30 शब्दों में दें
(i) भारत के अत्यन्त उष्ण एवं शुष्क तथा अत्यन्त शीत व आर्द्र प्रदेशों में जनसंख्या का घनत्व निम्न है। इस कथन के दृष्टिकोण से जनसंख्या के वितरण में जलवायु की भूमिका को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
जनसंख्या के वितरण पर जलवायु का गहरा प्रभाव पड़ता है। राजस्थान के अत्यन्त उष्ण व शुष्क प्रदेश; जम्मू कश्मीर, उत्तराखण्ड, सिक्किम, असम, अरुणाचल प्रदेश के अन्तर्गत शीत तथा मेघालय के अत्यन्त आर्द्र प्रदेशों में जलवायु के अनुकूल न होने के कारण जनसंख्या का घनत्व निम्न है।

(ii) भारत के किन राज्यों में विशाल ग्रामीण जनसंख्या है? इतनी विशाल ग्रामीण जनसंख्या के लिए उत्तरदायी एक कारण को लिखिए।
उत्तर:
भारत के उत्तर प्रदेश, बिहार, आन्ध्र प्रदेश, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, पश्चिम बंगाल, राजस्थान आदि राज्यों में विशाल ग्रामीण जनसंख्या है, क्योंकि इन राज्यों में उपजाऊ मिट्टी, अनुकूल जलवायु तथा सिंचाई की सुविधा के कारण कृषि व्यवसाय को ठोस आधार प्राप्त है।

(iii) भारत के कुछ राज्यों में अन्य राज्यों की अपेक्षा श्रम-सहभागिता ऊँची क्यों है?
उत्तर:
भारत के कुछ राज्यों में सहभागिता-दर अपेक्षाकृत ऊँची है, क्योंकि निर्वाह अथवा लगभग निर्वाह की आर्थिक क्रियाओं के निष्पादन के लिए अनेक कामगारों की आवश्यकता होती है।

(iv) “कृषि सेक्टर में भारतीय श्रमिकों का सर्वाधिक अंश संलग्न है।” स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
सन् 2011 की जनगणना के अनुसार कुल श्रमजीवी जनसंख्या का लगभग 54.6 प्रतिशत कृषक और कृषि मजदूर हैं, अत: कृषि सेक्टर में भारतीय श्रमिकों का सर्वाधिक अंश संलग्न है। इसका कारण यह है कि कृषि भारतीय अर्थव्यवस्था का मूल आधार है।

प्रश्न 3.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 150 शब्दों में दें
(i) भारत में जनसंख्या के घनत्व के स्थानिक वितरण की विवेचना कीजिए।
उत्तर:
भारत में जनसंख्या के घनत्व का स्थानिक वितरण
2011 की जनगणना के अनुसार भारत का जनसंख्या घनत्व 382 व्यक्ति प्रति वर्ग किमी हैं। 1951 ई० में जनसंख्या का घनत्व 117 व्यक्ति प्रति वर्ग किमी से बढ़कर 2011 में 382 व्यक्ति प्रति वर्ग किमी होने से पिछले 50 वर्षों में 200 व्यक्ति प्रति वर्ग किमी से अधिक उत्तरोत्तर वृद्धि हुई है।
UP Board Solutions for Class 12 Geography Chapter 1 Population Distribution, Density, Growth and Composition 1
राज्य स्तर पर जनसंख्या के घनत्व में बहुत अधिक विषमताएँ पायी जाती हैं। अरुणाचल प्रदेश में जनसंख्या का घनत्व केवल 17 व्यक्ति प्रति वर्ग किमी है, जबकि बिहार में यह घनत्व 1102 व्यक्ति प्रति वर्ग किमी (सर्वाधिक) है। केन्द्रशासित प्रदेशों में दिल्ली का जनसंख्या घनत्व सर्वाधिक 11,320 व्यक्ति प्रति वर्ग किमी है, जबकि अण्डमान तथा निकोबार द्वीप समूह में जनसंख्या का घनत्व केवल 46 व्यक्ति प्रति वर्ग किमी है।

बिहार के बाद पश्चिम बंगाल में सबसे अधिक 1029 व्यक्ति प्रति वर्ग किमी जनसंख्या घनत्व पाया जाता है। केरल (860), उत्तर प्रदेश (828), हरियाणा (573) तथा तमिलनाडु (555) अन्य अधिक घनत्व वाले . राज्य हैं।

प्रायद्वीपीय भारत के राज्य केरल का घनत्व 860 व्यक्ति प्रति वर्ग किमी है, जोकि सर्वाधिक है। केरल के बाद तमिलनाडु का स्थान है जहाँ 555 व्यक्ति प्रति वर्ग किमी जनसंख्या का घनत्व पाया जाता है। पर्यावरण की विपरीत परिस्थितियों के कारण उत्तरी तथा उत्तर-पूर्वी भारत के राज्यों में जनसंख्या का घनत्व काफी कम है। उदाहरणतया, जनसंख्या का घनत्व मिजोरम में 52 व्यक्ति प्रति वर्ग किमी से मणिपुर में 122 व्यक्ति प्रति वर्ग किमी तक है। असम, गुजरात, आन्ध्र प्रदेश, हरियाणा, झारखण्ड, ओडिशा आदि राज्यों में मध्यम जनसंख्या घनत्व पाया जाता है।

उपर्युक्त विवेचन से स्पष्ट है कि भारत में जनसंख्या के घनत्व का स्थानिक वितरण अत्यधिक असमानता लिए हुए है।

(ii) भारत की जनसंख्या के व्यावसायिक संघटन का विवरण दीजिए।
उत्तर:
भारत की जनसंख्या का व्यावसायिक संघटन–आर्थिक दृष्टि से भारत की जनसंख्या को तीन वर्गों या स्तरों में विभक्त किया जाता है
(1) मुख्य श्रमिक, (2) सीमान्त श्रमिक और (3) अश्रमिक।
2011 की जनगणना के अनुसार भारत में श्रमिकों (मुख्य और सीमान्त दोनों) का अनुपात 39.8 प्रतिशत है, जबकि 60 प्रतिशत विशाल संख्या अश्रमिकों की है। यह एक अश्रमिक स्तर को इंगित करता है जिसमें एक बड़ा अनुपात आश्रित जनसंख्या का है।

राज्यों और केन्द्रशासित प्रदेशों में श्रमजीवी जनसंख्या का अनुपात गोवा में लगभग 39.6 प्रतिशत, दमन एवं दीव में लगभग 49.9 प्रतिशत सामान्य भिन्नता प्रदर्शित करता है। श्रमिकों की अपेक्षाकृत अधिक प्रतिशत वाले राज्य हिमाचल प्रदेश, सिक्किम, छत्तीसगढ़, आन्ध्र प्रदेश, कर्नाटक, अरुणाचल प्रदेश, नागालैण्ड, मणिपुर और मेघालय हैं। केन्द्रशासित प्रदेशों में दादरा और नगर हवेली तथा दमन और दीव की प्रतिभागिता दर उच्च है।
तालिका: भारत में श्रम शक्ति का सेक्टरवार संघटन, 2011
UP Board Solutions for Class 12 Geography Chapter 1 Population Distribution, Density, Growth and Composition 2
तालिका में द्वितीयक और तृतीयक सेक्टरों की तुलना में प्राथमिक सेक्टर के श्रमिकों के एक बड़े अनुपात को दर्शाया गया है। कुल श्रमजीवी जनसंख्या का लगभग 54.6 प्रतिशत कृषक और कृषि मजदूर हैं, जबकि 3.8 प्रतिशत श्रमिक घरेलू उद्योगों में लगे हैं और 41.6 प्रतिशत अन्य श्रमिक हैं।

जहाँ तक देश की पुरुष और स्त्री जनसंख्या के व्यवसाय का प्रश्न है पुरुष श्रमिकों की संख्या तीनों ही सेक्टरों में स्त्री श्रमिकों से अधिक है।

पिछले कुछ दशकों में भारत के कृषि सेक्टर के श्रमिकों के अनुपात में उतार-चढ़ाव नजर आया है। परिणामस्वरूप द्वितीयक और तृतीयक सेक्टर में सहभागिता दर बढ़ी है। यह देश की अर्थव्यवस्था में सेक्टरीय स्थानान्तरण है।
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UP Board Class 12 Geography Chapter 1 Other Important Questions

UP Board Class 12 Geography Chapter 1 अन्य महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर

विस्तृत उत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
भारत में जनसंख्या के वितरण का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
भारत में जनसंख्या का वितरण
भारत में जनसंख्या के वितरण के सम्बन्ध में (जनगणना-2011) निम्नलिखित विशेषताएँ उभरती हैं
(1) देश में सर्वाधिक जनसंख्या उत्तर प्रदेश (19.9 करोड़) में बसी हुई है। यहाँ पर भारत की 16 प्रतिशत से अधिक जनसंख्या निवास करती है। इसके बाद क्रमश: महाराष्ट्र (11.23 करोड़), बिहार (10.40 करोड़), पश्चिम बंगाल (9.12 करोड़) तथा आन्ध्र प्रदेश एवं तेलंगाना (8.45 करोड़) का स्थान आता है। इन पाँच राज्यों में देश की लगभग आधी जनसंख्या (48.9%) रहती है।

(2) भारत की एक-चौथाई जनसंख्या दो राज्यों उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र में रहती है।

(3) क्षेत्रफल की दृष्टि से देश के दो सबसे बड़े राज्य राजस्थान और मध्य प्रदेश हैं जिनका क्षेत्रफल देश के कुल क्षेत्रफल का क्रमश: 10.4 प्रतिशत और 9.37 प्रतिशत है, परन्तु इन राज्यों में भारत की केवल 5.6 प्रतिशत और 6.00 प्रतिशत जनसंख्या निवास करती है।

(4) उत्तर प्रदेश, देश के कुल क्षेत्रफल के 7.26 प्रतिशत भाग पर स्थित है, जबकि इस राज्य में देश की 16.49 प्रतिशत जनसंख्या निवास करती है।

(5) बिहार, देश के कुल क्षेत्रफल के 2.86 प्रतिशत भाग पर स्थित है, जबकि इस राज्य में देश की 8.58 प्रतिशत जनसंख्या निवास करती है।

(6) देश के 11 राज्यों और 6 केन्द्रशासित प्रदेशों में जनसंख्या उनके क्षेत्रफल की तुलना में अधिक है। परिणामस्वरूप इन राज्यों में प्रति इकाई क्षेत्रफल पर जनसंख्या का दबाव राष्ट्रीय औसत से अधिक है।

(7) जम्मू-कश्मीर (1.04%), अरुणाचल प्रदेश (0.11%) और उत्तराखण्ड (0.84%) जैसे राज्यों की जनसंख्या का आकार इनके विशाल भौगोलिक क्षेत्र के बावजूद अत्यन्त छोटा है।

(8) हिमालयी लघु राज्य सिक्किम की जनसंख्या (6.07 लाख) भारत के सभी राज्यों की जनसंख्या से कम है जबकि दिल्ली की जनसंख्या (1.67 करोड़), जम्मू-कश्मीर की जनसंख्या या सभी केन्द्रशासित प्रदेशों की संयुक्त जनसंख्या से भी अधिक है।
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UP Board Solutions for Class 12 Geography Chapter 1 Population: Distribution, Density, Growth and Composition

प्रश्न 2.
भारत में जनसंख्या की वृद्धि की प्रावस्थाओं का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
भारत में जनसंख्या वृद्धि की प्रावस्थाएँ
भारत में जनसंख्या की वृद्धि वार्षिक जन्म-दर, मृत्यु-दर तथा प्रवास की दर के कारण हुई है और यह वृद्धि विभिन्न प्रवृत्तियों और प्रावस्थाओं को दर्शाती है। भारत के जनांकिकीय इतिहास को चार सुस्पष्ट प्रावस्थाओं में बाँटा जा सकता है
प्रावस्था ‘क’ – 1901 से 1921 की अवधि को भारत की जनसंख्या की वृद्धि की रुद्ध अथवा स्थिर प्रावस्था कहा जाता है, क्योंकि इस अवधि में वृद्धि-दर अत्यन्त निम्न थी। 1911-21 के दौरान जनसंख्या बढ़ने के स्थान पर 0.31 प्रतिशत कम हो गई।

प्रावस्था ‘ख’ – 1921-1951 के दशकों को जनसंख्या की स्थिर वृद्धि की अवधि के रूप में जाना जाता है, क्योंकि 1921 के बाद भारत की जनसंख्या में सामान्य वृद्धि होने लगी।

प्रावस्था ‘ग’ – 1951-1981 के दशकों को भारत में जनसंख्या-विस्फोट की अवधि के रूप में जाना जाता है। यह देश में मृत्यु-दर में तीव्र ह्रास और जनसंख्या की उच्च प्रजनन-दर के कारण हुआ। इस दौरान जनसंख्या की औसत वार्षिक वृद्धि दर 2.2 प्रतिशत तक उच्च रही और जनसंख्या दुगुनी हो गई।

प्रावस्था ‘घ’ – 1981 के बाद वर्तमान तक देश की जनसंख्या वृद्धि दर यद्यपि उच्च बनी रही, परन्तु मन्द गति से घटने भी लगी। इसका अभिप्राय यह नहीं कि देश की कुल अथवा निरपेक्ष जनसंख्या घट गई। इसका अभिप्राय केवल यह है कि जनसंख्या बढ़ने की गति पर थोड़े ब्रेक लग गए। लोग तो बढ़े लेकिन कम गति से।

प्रश्न 3.
किशोर जनसंख्या की चुनौतियों और युवा नीति का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
भारत में 10 से 19 आयु वर्ग ‘किशोर जनसंख्या’ कहलाती है। देश में किशोरों की जनसंख्या का बढ़ता अनुपात जनसंख्या वृद्धि का महत्त्वपूर्ण पक्ष है। किशोर जनसंख्या उच्च सम्भावनाओं से युक्त युवा जनसंख्या समझी जाती है। वे आने वाले कल के ‘उत्पादक’ हैं।
किशोर जनसंख्या की चुनौतियाँ
भारत में किशोर जनसंख्या की प्रमुख चुनौतियाँ निम्नलिखित हैं

  • विवाह की निम्न आयु
  • निरक्षरता
  • स्कूली शिक्षा का बीच में छूट जाना
  • पोषक व सन्तुलित भोजन का न मिलना
  • किशोरी माताओं में उच्च मातृ मृत्यु-दर
  • एड्स संक्रमण की उच्च दरें
  • शारीरिक व मानसिक अपंगता,
  • मदिरापान व धूम्रपान आदि।

राष्ट्रीय युवा नीति
किशोरों की उपर्युक्त चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए भारत सरकार ने 2003 में राष्ट्रीय युवा नीति को लागू किया। इस नीति के प्रमुख ध्येय निम्नलिखित हैं

  • भारत की विशाल युवा और किशोर जनसंख्या का समग्र विकास सुनिश्चित करना ताकि वे देश के रचनात्मक विकास में अपने उत्तरदायित्वों को निभा सकें।
  • इस वर्ग की जनसंख्या को उपयुक्त शिक्षा प्रदान करना ताकि उनमें विवेक उत्पन्न हो।
  • किशोरों व युवाओं के गुणों का बेहतर मार्गदर्शन और सही उपयोग किया जा सके।
  • निर्णय लेने में युवाओं की प्रभावी सहभागिता हो और वे स्वयं भी सुयोग्य नेतृत्व दे सकें।
  • पुरुषों और महिलाओं की स्थिति में समता लाने के लिए महिलाओं के सशक्तीकरण पर विशेष बल देना।

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प्रश्न 4.
जनसंख्या के वितरण को प्रभावित करने वाले भौतिक कारकों की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
जनसंख्या के वितरण को प्रभावित करने वाले भौतिक कारक
उच्चावच, जलवायु, मृदा तथा खनिज संसाधनों की सुलभता जनसंख्या के वितरण को प्रभावित करने वाले प्रमुख भौतिक कारक हैं। पर्याप्त वर्षा प्राप्त करने वाली अथवा सुविकसित सिंचाई की सुविधाओं वाली गहरी, उपजाऊ समतल भूमि पर प्रायः सघन जनसंख्या पायी जाती है। यह इन्हीं कारकों का असर है कि उत्तर भारत के मैदानों, डेल्टाओं और तटीय मैदानों में जनसंख्या का अनुपात. दक्षिणी और मध्य भारत के राज्यों के आन्तरिक जिलों; हिमालय, उत्तर-पूर्वी और पश्चिमी कुछ राज्यों की अपेक्षा अधिक है। सामान्यतः ऊबड़-खाबड़ पर्वतीय क्षेत्र तथा जलविहीन रेतीली व पथरीली भूमि जनसंख्या के जमाव को प्रोत्साहित नहीं करती। फिर भी सिंचाई के विकास (राजस्थान) और खनिज एवं ऊर्जा संसाधनों की उपलब्धता (झारखण्ड) और परिवहन तन्त्र के विकास (प्रायद्वीपीय राज्य) की वजह से उन क्षेत्रों में जहाँ कभी जनसंख्या कम पायी जाती थी, वहाँ अब मध्यम से उच्च जनसंख्या घनत्व पाया जाता है।

प्रश्न 5.
1951-1981 के दशकों में भारत में जनसंख्या-विस्फोट के कारणों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
1951-1984 के दशकों में भारत में जनसंख्या विस्फोट के कारण
1951-1981 के दशकों में भारत में जनसंख्या विस्फोट के प्रमुख कारण निम्नलिखित थे
(1) स्वतन्त्रता प्राप्ति के बाद यही वह अवधि थी, जिसमें केन्द्रीकृत नियोजन प्रक्रिया के माध्यम से विकासात्मक कार्यों को आरम्भ किया गया। कृषि और उद्योग खण्डों के विकास, रोजगार में वृद्धि, चिकित्सा सुविधाओं की प्रगति और विस्तार तथा जन्म और मृत्यु-दर पर नियन्त्रण जैसी उपलब्धियों के कारण जनसंख्या तेजी से बढ़ने लगी।

(2) साठ के दशक में देश में आई हरित क्रान्ति से उपजी खाद्यान्नों में आत्म-निर्भरता से अर्थव्यवस्था में सुधार हुआ। सुनिश्चित भोजन ने जीवन की दशाओं को उन्नत किया जिससे जनसंख्या की बेतहाशा वृद्धि हुई।

(3) इसी अवधि में तिब्बतियों, नेपालियों, बंगलादेशियों और पाकिस्तान से आने वाले लोगों के बढ़ते अन्तर्राष्ट्रीय प्रवास के कारण भी भारत की जनसंख्या में वृद्धि हुई।

(4) सन् 1971 के बाद, शिक्षा के प्रचार-प्रसार के प्रभाव तथा चिकित्सा सुविधाओं के विस्तार से जनसंख्या की वृद्धि दर में कुछ-कुछ कमी आने लगी। सन् 1981 में जनसंख्या की वृद्धि-दर हल्की-सी घटकर 24.66 प्रतिशत रह गई। इसे ‘प्रजनन प्रेरित वृद्धि’ कहा गया है।

लघ उत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
भारत में आर्थिक कारक किस प्रकार जनसंख्या वितरण के प्रतिरूप को निर्धारित करते हैं? उदाहरण सहित स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
आर्थिक कारकों में द्वितीयक तथा तृतीयक आर्थिक क्रियाएँ शामिल होती हैं। तकनीकी ज्ञान भी आर्थिक कारकों का एक प्रमुख अंग है; इसलिए जहाँ भी इस प्रकार की क्रियाओं पर विकास निर्भर होता है वहाँ अधिक जनसंख्या निवास करती है। औद्योगिक क्षेत्र और नगरीय क्षेत्र इसी कारण अधिक घने बसे होते हैं; जैसे—मुम्बई, कोलकाता, दिल्ली आदि, लेकिन जहाँ कृषि जैसी प्राथमिक क्रियाएँ अधिक पायी जाती हैं और उत्पादन अधिक मात्रा में होता है, वे क्षेत्र भी अधिक घने बसे होते हैं; जैसे—पश्चिमी उत्तर प्रदेश, हरियाणा, पंजाब आदि।

प्रश्न 2.
जनसंख्या वितरण को प्रभावित करने वाले जनांकिकीय कारक को समझाइए।
उत्तर:
जनांकिकीय कारक – जनसंख्या वितरण को प्रभावित करने वाले जनांकिकीय कारक तीन हैंप्रजनन दर, मृत्यु-दर और प्रवास। प्रजनन दर अधिक और मृत्यु-दर कम होने पर जनसंख्या की वृद्धि होती है। . आप्रवासन महानगरों व औद्योगिक क्षेत्रों में विशाल जनसंख्या के संकेन्द्रण का मुख्य कारक है।

प्रश्न 3.
जनसंख्या घनत्व और जनसंख्या वितरण के अध्ययन के महत्त्व को समझाइए।
उत्तर:
भारत एक विकासशील देश है जो जनांकिकी संक्रमण के विस्फोटक दौर से गुजर रहा है। देश में नई आर्थिक नीति के लागू होने के कारण रोजगार के अवसरों में क्षेत्रीय पुनर्वितरण की प्रवृत्ति चल रही है, इस कारण जनसंख्या का घनत्व और वितरण प्रारूप. भी गुणात्मक ढंग से परिवर्तित हो रहा है, अत: देश के योजनाबद्ध विकास के लिए जनसंख्या के वितरण और घनत्व का समुचित अध्ययन आवश्यक है।

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प्रश्न 4.
जनसंख्या की धनात्मक एवं ऋणात्मक वृद्धि को समझाइए।
उत्तर:
धनात्मक वृद्धि – धनात्मक वृद्धि तब होती है जब दो समय बिन्दुओं के बीच जन्म-दर, मृत्यु-दर से अधिक हो या किसी अन्य देश से लोग आकर बस जाएँ।

ऋणात्मक वृद्धि – यदि दो समय बिन्दुओं के बीच जनसंख्या कम हो जाए तो ऋणात्मक वृद्धि कहते हैं। यह तब होती है जब जन्म-दर, मृत्यु-दर से कम हो या लोग विदेश में जा बसें।

प्रश्न 5.
जनसंख्या वृद्धि के घटक बताइए।
उत्तर:
जनसंख्या वृद्धि के दो घटक निम्नलिखित हैं
1. प्राकृतिक वृद्धि – दो समय बिन्दुओं में जन्म-दर और मृत्यु-दर के अन्तर से बढ़ने वाली जनसंख्या को उस क्षेत्र की प्राकृतिक वृद्धि कहते हैं।
प्राकृतिक वृद्धि = जन्म – मृत्यु

2. अभिप्रेरित वृद्धि – जनसंख्या वृद्धि के अभिप्रेरित घटकों जैसे प्रवास को किसी दिए गए क्षेत्र में लोगों के अन्तर्वर्ती और बहिर्वर्ती संचालन की प्रबलता द्वारा स्पष्ट किया जा सकता है।

प्रश्न 6.
1901 से 1921 की अवधि को भारत की जनसंख्या की वृद्धि की स्थिर प्रावस्था क्यों कहा जाता है? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
1901 से 1921 की अवधि को भारत की जनसंख्या की वृद्धि की स्थिर प्रावस्था कहे जाने के कारण निम्नलिखित हैं

  • स्वास्थ्य एवं चिकित्सा सुविधाएँ निम्न-स्तरीय थीं
  • प्रथम विश्वयुद्ध में हजारों भारतीय काम आए
  • लगातार हो रही फसलों की खराबी से भी अनेक लोग भुखमरी का शिकार हो गए
  • निरक्षरता भी उच्च जन्म-दरों व मृत्यु-दरों के लिए उत्तरदायी थी।

प्रश्न 7.
1921 से 1951 के दशकों को भारत में जनसंख्या की स्थिर वृद्धि की अवधि के रूप में क्यों जाना जाता है? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
1921 से 1951 के दशकों को भारत में जनसंख्या की स्थिर वृद्धि की अवधि के रूप में जाना जाने के कारण निम्नलिखित हैं

  • इस अवधि में चिकित्सा विज्ञान में हुई उन्नति से अनेक महामारियों पर काफी हद तक काबू पा लिया गया।
  • परिवहन के साधनों के विकास ने अकाल-ग्रस्त क्षेत्रों में राहत सामग्री पहुँचाने का कार्य आसान कर दिया।
  • कृषीय अर्थव्यवस्था में उल्लेखनीय सुधार हुआ।
  • जनसंख्या की वृद्धि दर 1941 में 1.42 से घटकर सन् 1951 में 1.33 प्रतिशत रह गई।

प्रश्न 8.
आर्थिक दृष्टि से भारत की जनसंख्या को कितने वर्गों में बाँटा जाता है?
उत्तर:
आर्थिक दृष्टि से भारत की जनसंख्या को तीन वर्गों या स्तरों में बाँटा जाता है

  • मुख्य श्रमिक – वह व्यक्ति है जो एक वर्ष में कम-से-कम 183 दिन कार्य करता है। देश की जनसंख्या में 30.5 प्रतिशत मुख्य श्रमिक हैं।
  • सीमान्त श्रमिक – वह व्यक्ति है, जो एक वर्ष में 183 दिनों से कम कार्य करता है। देश की जनसंख्या में 8.7 प्रतिशत लोग सीमान्त श्रमिक हैं।
  • अश्रमिक – अश्रमिक या गैर-कामगार वह व्यक्ति है जो वर्ष-भर अपनी आजीविका के लिए कोई कार्य नहीं करता।

प्रश्न 9.
स्त्रियों की निम्न सहभागिता के प्रमुख कारणों को समझाइए।
उत्तर:
स्त्रियों की निम्न सहभागिता के प्रमुख कारण निम्नलिखित हैं

  • संयुक्त परिवार का दायित्व और समय की कमी
  • स्त्रियों में शिक्षा का निम्न स्तर,
  • बारम्बार शिशु जन्म
  • बढ़ती जनसंख्या के कारण रोजगार के सीमित अवसर
  • महिलाओं को घर से बाहर न निकलने देने व उनकी कमाई न खाने जैसे रूढ़िवादी विचार।

प्रश्न 10.
भारत के उत्तर-पूर्वी और उत्तरी राज्यों में ग्रामीण जनसंख्या का कृषि पर दबाव अधिक क्यों है?
उत्तर:
उत्तरी तथा उत्तर-पूर्वी भारत में कृषि पर जनसंख्या का अधिक दबाव है। इसके निम्नलिखित कारण हैं

  • भारत के उत्तरी तथा उत्तर-पूर्वी राज्यों में ग्रामीण जनसंख्या आज भी लगभग 80 प्रतिशत है।
  • इन राज्यों में कृषि योग्य उपजाऊ भूमि है तथा पर्याप्त जलापूर्ति के कारण कृषि सम्भव है।
  • इन राज्यों में कृषि पर निरन्तर दबाव बढ़ता जा रहा है क्योंकि कृषि के अतिरिक्त इन भागों में रोजगार के अवसर कम हैं।

अतिलघ उत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
भारत में नियमित रूप से हर 10 वर्ष के बाद जनगणना कब से की जा रही है?
उत्तर:
भारत में नियमित रूप से हर 10 वर्ष के बाद जनगणना सन् 1881 से की जा रही है।

प्रश्न 2.
जनसंख्या को प्रभावित करने वाले भौतिक कारक बताइए।
उत्तर:
जनसंख्या को प्रभावित करने वाले भौतिक कारक हैं-उच्चावच, जलवायु, मृदा तथा खनिज संसाधन आदि।

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प्रश्न 3.
जनसंख्या का घनत्व क्या है?
उत्तर:
जनसंख्या का घनत्व वह माप है जो किसी क्षेत्र की जनसंख्या व वहाँ के क्षेत्रफल के बीच आनुपातिक सम्बन्ध को व्यक्त करता है।

प्रश्न 4.
जनसंख्या घनत्व ज्ञात करने का सूत्र लिखिए।
उत्तर:
UP Board Solutions for Class 12 Geography Chapter 1 Population Distribution, Density, Growth and Composition 5

प्रश्न 5:
कायिक घनत्व ज्ञात करने का सूत्र लिखिए।
उत्तर:
UP Board Solutions for Class 12 Geography Chapter 1 Population Distribution, Density, Growth and Composition 6

प्रश्न 6.
कृषीय घनत्व ज्ञात करने का सूत्र लिखिए।
उत्तर:
UP Board Solutions for Class 12 Geography Chapter 1 Population Distribution, Density, Growth and Composition 7

प्रश्न 7.
जनसंख्या की धनात्मक वृद्धि से क्या आशय है?
उत्तर:
यदि समय के दो बिन्दुओं के बीच जनसंख्या में वृद्धि होती है, तो इसे ‘जनसंख्या की धनात्मक वृद्धि’ कहते हैं।

प्रश्न 8.
जनसंख्या की ऋणात्मक वृद्धि से क्या आशय है?
उत्तर:
यदि समय के दो बिन्दुओं के बीच जनसंख्या में कमी होती है, तो इसे ‘जनसंख्या की ऋणात्मक . वृद्धि’ कहते हैं।

प्रश्न 9.
जनसंख्या की वृद्धि दर से क्या आशय है?
उत्तर:
दो समय बिन्दुओं के मध्य जनसंख्या में होने वाले शुद्ध परिवर्तन को ‘जनसंख्या की वृद्धि दर’ कहते हैं।

प्रश्न 10.
जनसंख्या वृद्धि के प्रकार बताइए।
उत्तर:
जनसंख्या वृद्धि के दो प्रकार हैं

  • धनात्मक वृद्धि एवं
  • ऋणात्मक वृद्धि।

प्रश्न 11.
किशोर जनसंख्या से जुड़ी प्रमुख समस्याएँ क्या हैं?
उत्तर:
किशोर जनसंख्या से जुड़ी प्रमुख समस्याएँ हैं

  • विवाह की निम्न आयु
  • निरक्षरता
  • स्कूली शिक्षा का बीच में छूट जाना
  • सन्तुलित भोजन न मिलना
  • शारीरिक व मानसिक अपंगता
  • मदिरापान व धूम्रपान आदि।

प्रश्न 12.
जनसंख्या संघटन क्या है?
उत्तर:
जनसंख्या संघटन, जनसंख्या भूगोल में अध्ययन का एक सुस्पष्ट क्षेत्र है जिसमें आयु व लिंग का विश्लेषण, निवास का स्थान, मानव जातीय लक्षण, जनजातियाँ, भाषा, धर्म, वैवाहिक स्थिति, साक्षरता और शिक्षा, न्यावसायिक विशेषताएँ आदि का अध्ययन किया जाता है।

प्रश्न 13.
निवास स्थान के आधार पर जनसंख्या कितने वर्गों में संयोजित होती है?
उत्तर:
निवास स्थान के आधार पर जनसंख्या दो वर्गों में संयोजित होती है

  • ग्रामीण एवं
  • नगरीय जनसंख्या।

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प्रश्न 14.
किशोर जनसंख्या किसे कहते हैं?
उत्तर:
भारत में 10 से 19 वर्ष का आयु वर्ग किशोर जनसंख्या कहलाता है।

प्रश्न 15.
नगरीकरण से क्या आशय है?
उत्तर:
ग्रामीण जनसंख्या से नगरीय जनसंख्या में समाज के बदलने की प्रक्रिया को ‘नगरीकरण’ कहते हैं।

बहुविकल्पीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
2011 की जनगणना के अनुसार भारत का जनसंख्या घनत्व कितना है
(a) 382 व्यक्ति प्रति वर्ग किमी
(b) 360 व्यक्ति प्रति वर्ग किमी
(c) 344 व्यक्ति प्रति वर्ग किमी
(d) 316 व्यक्ति प्रति वर्ग किमी।
उत्तर:
(a) 382 व्यक्ति प्रति वर्ग किमी।।

प्रश्न 2.
जनगणना-2011 के अनुसार भारत में न्यूनतम जनसंख्या घनत्व वाला राज्य है
(a) आन्ध्र प्रदेश
(b) अरुणाचल प्रदेश
(c) हरियाणा
(d) ओडिशा।
उत्तर:
(b) अरुणाचल प्रदेश।

प्रश्न 3.
जनगणना-2011 के अनुसार जनसंख्या की वार्षिक वृद्धि दर है
(a) 1.64 प्रतिशत
(b) 1.18 प्रतिशत
(c) 0.92 प्रतिशत
(d) 2.22 प्रतिशत।
उत्तर:
(a) 1.64 प्रतिशत।

प्रश्न 4.
जनगणना-2011 के अनुसार किशोरों अर्थात् 10-19 वर्ष की आयु वर्ग का अंश है
(a) 20.9 प्रतिशत
(b) 18.4 प्रतिशत
(c) 24.8 प्रतिशत
(d) 28.2 प्रतिशत।
उत्तर:
(a) 20.9 प्रतिशत।

प्रश्न 5.
किशोरों के समक्ष प्रमुख चुनौती/समस्या है
(a) विवाह की निम्न आयु
(b) शारीरिक व मानसिक अपंगता
(c) औषध दुरुपयोग व मदिरा सेवन
(d) उपर्युक्त सभी।
उत्तर:
(d) उपर्युक्त सभी।

प्रश्न 6. भारत सरकार द्वारा युवा नीति कब प्रायोजित की गई
(a) सन् 2003
(b) सन् 2006
(c) सन् 2005
(d) सन् 2008.
उत्तर:
(a) सन् 2003.

प्रश्न 7.
जनसंख्या संघटन में अध्ययन किया जाता है
(a) निवास स्थान का
(b) जनजातियों का
(c) भाषा व धर्म का
(d) उपर्युक्त सभी का।
उत्तर:
(d) उपर्युक्त सभी का।

प्रश्न 8.
आधुनिक भारत के सन्दर्भ में कितनी भाषाएँ हैं
(a) 22
(b) 24
(c) 20
(d) 26
उत्तर:
(a) 22

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प्रश्न 9.
जनगणना-2011 के अनुसार भारत में श्रमिकों का अनुपात है
(a) 39.8 प्रतिशत
(b) 34.2 प्रतिशत
(c) 30.8 प्रतिशत
(d) 27.3 प्रतिशत।
उत्तर:
(a) 39.8 प्रतिशत।

प्रश्न 10.
कुल श्रमजीवी जनसंख्या का लगभग कितना भाग कृषक और कृषि मजदूर है
(a) 54.6 प्रतिशत
(b) 56.2 प्रतिशत
(c) 52.6 प्रतिशत
(d) 50.5 प्रतिशत।
उत्तर:
(a) 54.6 प्रतिशत।

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UP Board Solutions for Class 12 Civics Chapter 9 Recent Developments in Indian Politics

UP Board Solutions for Class 12 Civics Chapter 9 Recent Developments in Indian Politics (भारतीय राजनीति : नए बदलाव)

UP Board Class 12 Civics Chapter 9 Text Book Questions

UP Board Class 12 Civics Chapter 9 पाठ्यपुस्तक से अभ्यास प्रश्न

प्रश्न 1.
उन्नी-मुन्नी ने अखबार की कुछ कतरनों को बिखेर दिया है। आप इन्हें कालक्रम के अनुसार व्यवस्थित करें
(क) मण्डल आयोग की सिफारिशों और आरक्षण विरोधी हंगामा
(ख) जनता दल का गठन
(ग) बाबरी मस्जिद का विध्वंस
(घ) इन्दिरा गांधी की हत्या
(ङ) राजग सरकार का गठन
(च) संप्रग सरकार का गठन
(छ) गोधरा की दुर्घटना और उसके परिणाम।
उत्तर:
(घ) इन्दिरा गांधी की हत्या (1984)
(ख) जनता दल का गठन (1988)
(क) मण्डल आयोग की सिफारिशों और आरक्षण विरोधी हंगामा (1990)
(ग) बाबरी मस्जिद का विध्वंस (1992)
(ङ) राजग सरकार का गठन (1999)
(छ) गोधरा की दुर्घटना और उसके परिणाम (2002)
(च) संप्रग सरकार का गठन (2004)।

प्रश्न 2.
निम्नलिखित में मेल करें-
UP Board Solutions for Class 12 Civics Chapter 9 Recent Developments in Indian Politics 1
उत्तर
UP Board Solutions for Class 12 Civics Chapter 9 Recent Developments in Indian Politics 2

प्रश्न 3.
1989 के बाद की अवधि में भारतीय राजनीति के मुख्य उद्देश्य क्या रहे हैं? इन मुद्दों से राजनीतिक दलों के आपसी जुड़ाव के क्या रूप सामने आए हैं?
उत्तर:
1989 के बाद भारतीय राजनीति के मुख्य मुद्दे – सन् 1989 के बाद भारतीय राजनीति में कई बदलाव आए जिनमें कांग्रेस का कमजोर होना, मण्डल आयोग की सिफारिशें एवं आन्दोलन, आर्थिक सुधारों को लागू करना, राजीव गांधी की हत्या तथा अयोध्या मामला प्रमुख हैं। इन स्थितियों में भारतीय राजनीति में अग्र मुद्दे प्रमुख रूप से उभरे-

  1. कांग्रेस ने स्थिर सरकार का मुद्दा उठाया।
  2. भाजपा ने राम मन्दिर बनाने का मुद्दा उठाया।
  3. लोकदल व जनता दल ने मण्डल आयोग की सिफारिशों का मुद्दा उठाया।

इन मुद्दों में कांग्रेस ने दूसरे दलों की गैर-कांग्रेस सरकारों की अस्थिरता का मुद्दा उठाकर कहा कि देश में स्थिर सरकार कांग्रेस दल ही दे सकता है। दूसरी तरफ भाजपा ने अयोध्या में राम मन्दिर का मुद्दा उठाकर हिन्दू मतों को अपने पक्ष में कर अपने जनाधार को ग्रामीण क्षेत्रों में व्यापक करने का प्रयास किया।

तीसरी तरफ लोक मोर्चा, जनता पार्टी व लोकदल आदि दलों ने पिछड़ी जातियों को अपने पक्ष में लामबन्द करने के उद्देश्य से मण्डल की 27 प्रतिशत पिछड़ी जातियों के आरक्षण का मुद्दा उठाया।

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प्रश्न 4.
“गठबन्धन की राजनीति के इस दौर में राजनीतिक दल विचारधारा को आधार मानकर गठजोड़ नहीं करते हैं।” इस कथन के पक्ष या विपक्ष में आप कौन-कौन से तर्क देंगे?
उत्तर:
वर्तमान युग में गठबन्धन की राजनीति का दौर चल रहा है। इस दौर में राजनीतिक दल विचारधारा को आधार बनाकर गठजोड़ नहीं कर रहे बल्कि अपने निजी स्वार्थी हितों की पूर्ति के लिए गठजोड़ करते हैं। वर्तमान समय में अधिकांश राजनीतिक दलों को राष्ट्रीय हित की चिन्ता नहीं रहती, बल्कि वे सदैव इस प्रयास में रहते हैं कि किस प्रकार अपने राजनीतिक हितों को पूरा किया जाए, इसी कारण अधिकांश राजनीतिक दल विचारधारा और सिद्धान्तों के आधार पर गठजोड़ न करके स्वार्थी हितों की पूर्ति के लिए गठजोड़ करते हैं।

पक्ष में तर्क-गठबन्धन की राजनीति के भारत में चल रहे नए दौर में राजनीतिक दल विचारधारा को आधार मानकर गठजोड़ नहीं करते। इनके समर्थन में निम्नलिखित तर्क दिए जा सकते हैं-

(1) सन् 1977 में जे०पी० नारायण के आह्वान पर जो जनता दल बना था उसमें कांग्रेस के विरोधी प्रायः सी०पी०आई० को छोड़कर अधिकांश विपक्षी दल जिनमें भारतीय जनसंघ, कांग्रेस फॉर डेमोक्रेसी, भारतीय क्रान्ति दल, तेलुगू देशम, समाजवादी पार्टी, अकाली दल आदि शामिल थे। इन सभी दलों को हम एक ही विचारधारा वाले दल नहीं कह सकते।

(2) जनता दल की सरकार गिरने के बाद केन्द्र में राष्ट्रीय मोर्चा बना जिसमें एक ओर जनता पार्टी के वी०पी० सिंह तो दूसरी तरफ उन्हें समर्थन देने वाले सी०पी०एम० वामपन्थी और भाजपा जैसे तथाकथित हिन्दुत्व समर्थक गांधीवादी राष्ट्रवादी दल भी थे। कुछ महीनों बाद वी०पी० सिंह प्रधानमन्त्री नहीं रहे तो केवल सात महीनों के लिए कांग्रेस ने चन्द्रशेखर को समर्थन देकर प्रधानमन्त्री बनाया। चन्द्रशेखर वही नेता थे जिन्होंने इन्दिरा गांधी के आपातकाल के दौरान श्रीमती गांधी का विरोध किया था और श्रीमती गांधी ने चन्द्रशेखर और मोरारजी को कारावास में डाल दिया था।

(3) कांग्रेस की सरकार, सन् 1991 से सन् 1996 तक नरसिंह राव के नेतृत्व में अल्पमत होते हुए भी इसलिए चलती रही क्योंकि उसे अनेक दलों का समर्थन प्राप्त था।

(4) अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में जनतान्त्रिक गठबन्धन (एन०डी०ए०) की सरकार लगभग 6 वर्ष तक चली लेकिन उसे जहाँ एक ओर अकालियों ने तो दूसरी ओर तृणमूल कांग्रेस, बीजू पटनायक कांग्रेस, कुछ समय के लिए समता दल, जनता पार्टी आदि ने भी सहयोग और समर्थन दिया।

संक्षेप में हम कह सकते हैं कि राजनीति में किसी का कोई स्थायी शत्रु नहीं होता। अवसरवादिता हकीकत में सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण है।
विपक्ष में तर्क-उपर्युक्त कथन के विपक्ष में निम्नलिखित तर्क दिए जा सकते हैं-

  1. गठबन्धन की राजनीति के नए दौर में भी वामपन्थ के चारों दल अर्थात् सी०पी०एम०; सी०पी०आई०, फारवर्ड ब्लॉक, आर०एस० ने भारतीय जनता पार्टी से हाथ नहीं मिलाया, वे उसे अब भी राजनीतिक दृष्टि से अस्पर्शीय पार्टी मानती है।
  2. समाजवादी पार्टी, वामपन्थी मोर्चा, डी०पी०के० जैसे क्षेत्रीय दल किसी भी उस प्रत्याशी को खुला समर्थन नहीं देना चाहते जो एन०डी०ए० अथवा भाजपा का प्रत्याशी हो क्योंकि उनकी वोटों की राजनीति को ठेस पहुँचती है।
  3. कांग्रेस पार्टी ने अधिकांश मोर्चों पर बीजेपी विरोधी और बीजेपी ने कांग्रेस विरोधी रुख अपनाया है।

प्रश्न 5.
आपातकाल के बाद के दौर में भाजपा एक महत्त्वपूर्ण शक्ति के रूप में उभरी। इस दौर में इस पार्टी के विकास-क्रम का उल्लेख करें।
उत्तर:
भारतीय जनता पार्टी का विकासक्रम आपातकाल के बाद भारतीय जनता पार्टी की शक्ति में निरन्तर वृद्धि हुई और एक सशक्त राजनीतिक दल के रूप में उभरी। भाजपा की इस विकास यात्रा को निम्न प्रकार से समझा जा सकता है-

  1. जनता पार्टी सरकार के पतन के बाद जनता पार्टी के भारतीय जनसंघ घटक ने वर्ष 1980 में भारतीय जनता पार्टी का गठन किया। श्री अटल बिहारी वाजपेयी इसके संस्थापक अध्यक्ष बने।
  2. सन् 1984 के चुनावों में कांग्रेस के पक्ष में श्रीमती इन्दिरा गांधी की हत्या हो जाने के बाद पैदा हुई सहानुभूति की लहर में भाजपा को लोकसभा में केवल दो सीटें प्राप्त हुईं।
  3. सन् 1989 के चुनावों में वी०पी० सिंह के जनमोर्चा के साथ गठजोड़ कर भाजपा ने चुनाव में भाग लिया तथा राम मन्दिर बनवाने के नारे को उछाला। फलत: इस चुनाव में भाजपा को आशा से अधिक सफलता मिली। भाजपा ने वी०पी० सिंह को बाहर से समर्थन देकर संयुक्त मोर्चा सरकार का गठन करने में सहयोग दिया।
  4. सन् 1991 के चुनाव में इसने अपनी स्थिति को लगातार मजबूत किया। इस चुनाव में राम मन्दिर निर्माण का नारा विशेष लाभदायक सिद्ध हुआ।
  5. सन् 1996 के चुनावों में यह लोकसभा में सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी लेकिन लोकसभा में स्पष्ट बहुमत का समर्थन प्राप्त नहीं कर सकी।
  6. सन् 1998 के चुनावों में इसने कुछ क्षेत्रीय दलों से गठबन्धन कर सरकार बनाई तथा सन् 1999 के चुनावों में भाजपानीत गठबन्धन ने फिर सत्ता प्राप्त की। राष्ट्रीय जनतान्त्रिक गठबन्धन के काल में अटल बिहारी वाजपेयी प्रधानमन्त्री बने।
  7. सन् 2004 तथा सन् 2009 के चुनावों में भाजपा को पुनः अपेक्षित सफलता नहीं मिल पायी। फिर भी कांग्रेस के बाद आज यह दूसरी सबसे बड़ी पार्टी है।

प्रश्न 6.
कांग्रेस के प्रभुत्व का दौर समाप्त हो गया है। इसके बावजूद देश की राजनीति पर कांग्रेस का असर लगातार कायम है। क्या आप इस बात से सहमत हैं? अपने उत्तर के पक्ष में तर्क दीजिए।
उत्तर:
देश की राजनीति से यद्यपि कांग्रेस का प्रभुत्व समाप्त हो गया है परन्तु अभी कांग्रेस का असर कायम है, क्योंकि अब भी भारतीय राजनीति कांग्रेस के इर्द-गिर्द घूम रही है तथा सभी राजनीतिक दल अपनी नीतियाँ एवं योजनाएँ कांग्रेस को ध्यान में रखकर बनाते हैं। सन् 2004 के 14वें लोकसभा के चुनावों में इसने अन्य दलों के सहयोग से केन्द्र में सरकार बनाई। इसके साथ-साथ जुलाई 2007 में हुए राष्ट्रपति के चुनाव में भी इस दल की महत्त्वपूर्ण भूमिका रही। सन् 2009 के आम चुनावों में पहले से काफी अधिक सीटों पर जीत प्राप्त कर गठबन्धन की सरकार बनाई। अत: कहा जा सकता है कि कांग्रेस के कमजोर होने के बावजूद इसका असर भारतीय राजनीति पर कायम है।

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प्रश्न 7.
अनेक लोग सोचते हैं कि सफल लोकतन्त्र के लिए दो-दलीय व्यवस्था जरूरी है। पिछले बीस सालों के भारतीय अनुभवों को आधार बनाकर एक लेख लिखिए और इसमें बताइए कि भारत की मौजूदा बहुदलीय व्यवस्था के क्या फायदे हैं।
उत्तर:
कुछ लोगों का मानना है कि सफल लोकतन्त्र के लिए दो-दलीय व्यवस्था जरूरी है। इनका मानना है कि द्वि-दलीय व्यवस्था में साधारण बहुमत के दोष समाप्त हो जाते हैं, सरकार स्थायी होती हैं, भ्रष्टाचार कम फैलता है, निर्णय शीघ्रता से लिए जा सकते हैं।

भारत में बहुदलीय प्रणाली भारत में बहुदलीय प्रणाली है। कई विद्वानों का मत है कि भारत में बहुदलीय प्रणाली उचित ढंग से कार्य नहीं कर पा रही है। यह भारतीय लोकतन्त्र के लिए बाधा उत्पन्न कर रही है अत: भारत को द्वि-दलीय पद्धति अपनानी चाहिए परन्तु पिछले बीस वर्षों के अनुभव के आधार पर यह कहा जा सकता है कि बहुदलीय प्रणाली से भारतीय राजनीतिक व्यवस्था को निम्नलिखित फायदे हुए हैं-

  1. विभिन्न मतों का प्रतिनिधित्व-बहुदलीय प्रणाली के कारण भारतीय राजनीति में सभी वर्गों तथा हितों को प्रतिनिधित्व मिल जाता है। इस प्रणाली से सच्चे लोकतन्त्र की स्थापना होती है।
  2. मतदाताओं को अधिक स्वतन्त्रता-अधिक दलों के कारण मतदाताओं को अपने वोट का प्रयोग करने के लिए अधिक स्वतन्त्रताएँ होती हैं। मतदाताओं के लिए अपने विचारों से मिलते-जुलते दल को वोट देना आसान हो जाता है।
  3. राष्ट्र दो गुटों में नहीं बँटता-बहुदलीय प्रणाली होने के कारण भारत कभी भी दो विरोधी गुटों में . विभाजित नहीं हुआ।
  4. मन्त्रिमण्डल की तानाशाही स्थापित नहीं होती-बहुदलीय प्रणाली के कारण भारत में मन्त्रिमण्डल तानाशाह नहीं बन सकता।
  5. अनेक विचारधाराओं का प्रतिनिधित्व-बहुदलीय प्रणाली में व्यवस्थापिका में देश की अनेक विचारधाराओं का प्रतिनिधित्व हो सकता है।

प्रश्न 8.
निम्नलिखित अवतरण को पढ़ें और इसके आधार पर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दें-
भारत की दलगत राजनीति ने कई चुनौतियों का सामना किया है। कांग्रेस प्रणाली ने अपना खात्मा ही नहीं किया बल्कि कांग्रेस के जमावड़े के बिखर जाने से आत्म-प्रतिनिधित्व की नयी प्रवृत्ति का भी जोर बढ़ा। इससे दलगत व्यवस्था और विभिन्न हितों की समाई करने की इसकी क्षमता पर भी सवाल उठे। राज-व्यवस्था के सामने एक महत्त्वपूर्ण काम एक ऐसी दलगत व्यवस्था खड़ी करने अथवा राजनीतिक दलों को गढ़ने की है, जो कारगर तरीके से विभिन्न हितों को मुखर और एकजुट करें। -जोया हसन
(क)इस अध्याय को पढ़ने के बाद क्या आपदलगत व्यवस्था की चुनौतियों की सूची बना सकते हैं?
(ख) विभिन्न हितों का समाहार और उनमें एकजुटता का होना क्यों जरूरी है?
(ग) इस अध्याय में आपने अयोध्या विवाद के बारे में पढ़ा। इस विवाद ने भारत के राजनीतिक दलों की समाहार की क्षमता के आगे क्या चुनौती पेश की?
उत्तर:
(क) इस अध्याय में दलगत व्यवस्था की निम्नलिखित चुनौतियाँ उभरकर सामने आती हैं-

  1. गठबन्धन की राजनीति को चलाना।
  2. कांग्रेस के कमजोर होने से खाली हुए स्थान को भरना।
  3. पिछड़े वर्गों की राजनीति का उभरना।
  4. अयोध्या विवाद का उभरना।
  5. गैर-सैद्धान्तिक राजनीतिक समझौते का होना।
  6. गुजरात दंगों से साम्प्रदायिक दंगे होना।

(ख) विभिन्न हितों का समाहार और उनमें एकजुटता का होना जरूरी है, क्योंकि तभी भारत अपनी एकता और अखण्डता को बनाए रखकर विकास कर सकता है।
(ग) अयोध्या विवाद ने भारत में राजनीतिक दलों के सामने साम्प्रदायिकता की चुनौती पेश की तथा भारत में साम्प्रदायिक आधार पर राजनीतिक दलों की राजनीति बढ़ गई।

UP Board Class 12 Civics Chapter 9 InText Questions

UP Board Class 12 Civics Chapter 9 पाठान्तर्गत प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
अगर हर सरकार एक-सी नीति पर अमल करे, तो मुझे नहीं लगता कि इससे राजनीति में कोई बदलाव आएगा।
उत्तर:
यदि सभी सरकारें या उनसे सम्बद्ध राजनीतिक दल एक ही प्रकार की नीतियाँ अपनाएँ तो इससे राजनीतिक व्यवस्था स्थिर व जड़ हो जाएगी।

लेकिन लोकतान्त्रिक व्यवस्था में इस प्रकार की नीति लागू होना सम्भव नहीं है क्योंकि लोकतान्त्रिक व्यवस्था में जनमत सर्वोपरि होता है और जनसामान्य के हित अलग-अलग होते हैं और यह हित समय और परिस्थितियों के अनुसार निरन्तर परिवर्तित भी होते रहते हैं, इसलिए प्रत्येक सरकार को जन इच्छाओं को ध्यान में रखते हुए कार्य करना पड़ता है। ऐसी स्थिति में सभी सरकारें एक जैसी नीति का अनुसरण नहीं कर सकतीं।

इसके अलावा भारत जैसे बहुदलीय व्यवस्था वाले देश में तो इस प्रकार की नीति लागू करना बिल्कुल भी सम्भव नहीं है क्योंकि भारत में प्रत्येक दल की विचारधारा व कार्यक्रमों में व्यापक अन्तर है और ये राजनीतिक दल सत्ता में आने पर अलग-अलग ढंग से निर्णय लेते हैं।

प्रश्न 2.
चलो मान लिया कि भारत जैसे देश में लोकतान्त्रिक राजनीति का तकाजा ही गठबन्धन बनाना है। लेकिन क्या इसका मतलब यह निकाला जाए कि हमारे देश में हमेशा से गठबन्धन बनते चले आ रहे हैं। अथवा, राष्ट्रीय स्तर के दल एक बार फिर से अपना बुलन्द मुकाम हासिल करके दिखाएँगे।
उत्तर:
भारतीय राजनीतिक व्यवस्था में गठबन्धन का दौर हमेशा से चला आ रहा है। यह बात कुछ हद तक सही है, लेकिन इन गठबन्धनों के स्वरूप में व्यापक अन्तर है। पहले जहाँ एक ही पार्टी के भीतर गठबन्धन (जैसे—कांग्रेस पार्टी में क्रान्तिकारी और शान्तिवादी, कंजरवेटिव और रेडिकल, गरमपन्थी और नरमपन्थी, दक्षिणपन्थी और वामपन्थी आदि) होता था अब पार्टियों के बीच गठबन्धन होता है।

जहाँ तक राष्ट्रीय दलों के प्रभुत्व का सवाल है, वर्तमान दलीय व्यवस्था के बदलते दौर में अपना बुलन्द मुकाम पाना बहुत कठिन है। क्योंकि वर्तमान में भारतीय दलीय व्यवस्था का स्वरूप बहुदलीय हो गया है, जिसमें राष्ट्रीय दलों के साथ-साथ क्षेत्रीय दलों के महत्त्व को भी नकारा नहीं जा सकता। यही कारण है कि आज राष्ट्रीय स्तर पर किसी भी एक दल को स्पष्ट बहुमत नहीं मिल पा रहा और मिली-जुली सरकारों का निर्माण हो रहा है। भारत में नब्बे के दशक में गठबन्ध सरकारों का दौर शुरू हुआ और यह सिलसिला अभी तक जारी है।

प्रश्न 3.
मुझे इसकी चिन्ता नहीं है कि सरकार किसी एक पार्टी की है यां गठबन्धन की। मसला तो यह है कि कोई सरकार काम कौन-से कर रही है। क्या गठबन्धन सरकार में ज्यादा समझौते करने पड़ते हैं? क्या गठबन्धन सरकार साहसी और कल्पनाशील नीतियाँ नहीं अपना सकती?
उत्तर:
सरकारों का स्वरूप चाहे कैसा भी हो। चाहे वह गठबन्धन सरकार हो या एक ही दल की सरकार हो लेकिन सरकार जनता की कसौटियों पर खरी उतरे वही सफल सरकार है।

गठबन्धन सरकारों में विभिन्न दल आपसी समझौतों या शर्तों के आधार पर सरकार का गठन करते हैं। इन दलों के सभी के अपने-अपने हित व स्वार्थ होते हैं जिन्हें पूरा करने हेतु निरन्तर प्रयास करते रहते हैं। जहाँ आपसी हितों में रुकावट या टकराव आता है वहीं दल अलग हो जाते हैं और सरकारें गिर जाती हैं। इस प्रकार गठबन्धन सरकारों में स्थिरता बहुत कम पायी जाती है। इस प्रकार की सरकारों में स्वतन्त्र निर्णय लेना सम्भव नहीं है। इस प्रकार गठबन्धन सरकार साहसी और कल्पनाशील नीतियाँ नहीं अपना सकतीं।

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प्रश्न 4.
क्या हम यह सुनिश्चित कर सकते हैं कि जो लोग ऐसे जनसंहार की योजनाए बनाएँ, अमल करें और उसे समर्थन दें, वे कानून के हाथों से बच न पाएँ? ऐसे लोगों को कम-से-कम राजनीतिक रूप से तो सबक सिखाया ही जा सकता है।
उत्तर:
भारत में धर्म, जाति व सम्प्रदाय के नाम पर अनेक बार साम्प्रदायिक दंगे हुए तथा देश की शान्ति और व्यवस्था पर प्रश्न चिह्न भी लगा। इन साम्प्रदायिक दंगों के पीछे प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से विभिन्न राजनीतिक दलों का हाथ रहा है। यह दल अपने राजनीतिक स्वार्थों की पूर्ति हेतु दुष्प्रचार करते हैं जिसमें जनसामान्य इनके बहकावे में आकर गलत कदम उठाते हैं। भारत में सन् 1984 के सिक्ख दंगे हों, सन् 1992 की अयोध्या की घटना हो या सन् 2002 में गुजरात का गोधरा काण्ड, इन सभी चटनाओं के पीछे राजनीतिक दलों की स्वार्थपूर्ण नीति रही है।

इस प्रकार ये सभी घटनाएँ हमें आगाह करती हैं कि राजनीतिक उद्देश्यों के लिए धार्मिक भावनाओं को भड़काना खतरनाक है। इससे हमारी लोकतान्त्रिक व्यवस्था को खतरा उत्पन्न हो सकता है, अतः यह जरूरत है कि ऐसी घटनाओं को रोका जाए। इन घटनाओं को रोकने के लिए आवश्यक है कि ऐसे राजनीतिक दल व उनके नेतृत्वकर्ता जिनका आपराधिक रिकॉर्ड रहा है या साम्प्रदायिक दंगों में लिप्त रहे हैं उन पर चुनावी प्रक्रिया में भाग लेने पर आजीवन प्रतिबन्ध लगा दिया जाना चाहिए।

UP Board Class 12 Civics Chapter 9 Other Important Questions

UP Board Class 12 Civics Chapter 9 अन्य महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
वर्तमान में भारतीय दलीय व्यवस्था की उभरती प्रवृत्तियों का विवेचन कीजिए।
उत्तर:
भारतीय दलीय व्यवस्था की उभरती प्रवृत्तियाँ वर्तमान में भारतीय दलीय व्यवस्था की उभरती हुई प्रवृत्तियाँ निम्नलिखित हैं-

  1. एक दल से साझा सरकारों की ओर-भारतीय राजनीति में सन् 1989 के बाद कांग्रेस की एक दलीय प्रभुत्व की स्थिति भी नहीं रही। 11वीं, 12वीं, 13वीं, 14वीं तथा 15वीं लोकसभा के चुनावों में किसी भी दल को स्पष्ट बहुमत नहीं मिला। परिणामतः साझा सरकारें अस्तित्व में आईं।
  2. क्षेत्रीय दलों का बढ़ता वर्चस्व-वर्तमान राजनीतिक दलीय स्थिति में क्षेत्रीय दलों की भूमिका बढ़ी है। किसी भी दल को स्पष्ट बहुमत के अभाव में सत्ता की जोड़-तोड़ में इन दलों की भूमिका बढ़ रही है।
  3. निर्दलीय सदस्यों की बढ़ती भूमिका-भारत में प्रत्येक लोकसभा और राज्य विधानसभा के चुनावों में निर्दलीय उम्मीदवार बड़ी संख्या में रहे हैं। किसी भी दल को स्पष्ट बहुमत न मिलने की स्थिति में निर्दलीय उम्मीदवारों की भूमिका बढ़ जाती है।
  4. दलीय प्रणाली का सत्ता केन्द्रित स्वरूप-वर्तमान समय में राजनीतिक दलों का उद्देश्य केवल सत्ता प्राप्त करना रह गया है तथा उनके लिए विचारधाराएँ समस्याएँ गौण हो गई हैं।
  5. भाषावाद, जातिवाद, सम्प्रदायवाद का प्रभाव-सत्ता प्राप्ति के लिए राजनीतिक दल भाषा, जाति एवं सम्प्रदायों का भी सहारा लेते हैं। चुनावी घोषणा-पत्र में इनका विरोध करते हैं, परन्तु दलीय प्रत्याशी खड़ा करते समय इन आधारों को महत्त्व प्रदान करते हैं।
  6. दलों में आन्तरिक गुटबन्दी–भारत की दल प्रणाली का एक प्रमुख लक्षण विभिन्न दलों में आन्तरिक गुटबन्दी का होना है। सभी राजनीतिक दल इस समस्या से पीड़ित हैं। इन दलों में एक गुट तो वह होता है जो संगठन तथा सत्ता में पद प्राप्त किए हुए है और दूसरा गुट इन पदों से अलग रहने वाला असन्तुष्ट गुट होता है।
    भारतीय राजनीतिक दलों में व्याप्त गुटबन्दी की स्थिति भारतीय राजनीति का अभिशाप बनी हुई है।
  7. राजनीतिक अपराधीकरण-राजनीतिक व्यवस्था में आपराधिक प्रवृत्ति के लोगों की संख्या निरन्तर बढ़ती जा रही है। प्रायः सभी राजनीतिक दलों द्वारा आपराधिक प्रवृत्ति के लोगों को चुनावों में खड़ा किया जा रहा है जो धन-बल व भुज-बल के आधार पर मत प्राप्त करते हैं।
  8. दल की कथनी व करनी में अन्तर—यद्यपि लोकतान्त्रिक देशों में राजनीतिक दलों व उनके नेताओं की कथनी और करनी में अन्तर रहता है लेकिन पिछले कुछ वर्षों में भारत में यह अन्तर अपने भीषणतम रूप में उभरा है।
  9. केन्द्र व राज्य में टकराहट केन्द्र व राज्यों में अलग-अलग दलों की सरकारें होती हैं जिससे केन्द्र व राज्यों के मध्य विभिन्न राजनीतिक मुद्दों को लेकर टकराहट की स्थिति बनी रहती है। केन्द्र, राज्य की दूसरे दलों की सरकार को किसी-न-किसी बहाने दबाव व उलझन में रखते हैं।

प्रश्न 2.
भारतीय दलीय व्यवस्था की प्रमुख समस्याओं की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
भारतीय दलीय व्यवस्था की समस्याएँ भारतीय दलीय व्यवस्था की प्रमुख समस्याएँ निम्नलिखित हैं-

  1. दलों की संख्या में वृद्धि-भारत में बहुदलीय व्यवस्था है। बहुदलीय व्यवस्था में राजनीतिक अस्थिरता का दौर जारी है। राजनीतिक दलों की भरमार ने अस्थिर राजनीतिक स्थिति के साथ-साथ अन्य समस्याओं को भी जन्म दिया है।
  2. वैचारिक प्रतिबद्धता का अभाव-राजनीतिक दल आर्थिक और राजनीतिक विचारधारा पर आधारित होना चाहिए तथा दल एवं उसके सदस्यों में वैचारिक प्रतिबद्धता होनी चाहिए लेकिन भारतीय राजनीतिक दलों में वैचारिक प्रतिबद्धता का अभाव है।
    वैचारिक प्रतिबद्धता से रहित इन दलों का मुख्य उद्देश्य येन-केन प्रकारेण सत्ता प्राप्त करना होता है तथा सत्ता से जुड़े लाभ प्राप्त करने के लिए ये अपने सिद्धान्तों की तिलांजलि देने में तत्पर रहते हैं।
  3. दलीय व्यवस्था में अस्थायित्व-भारतीय राजनीतिक दल निरन्तर बिखराव और विभाजन के शिकार हैं। इस कारण इन दलों में तथा भारतीय दलीय व्यवस्था में स्थायित्व का अभाव है। कई बार तो राज्यों में सत्ता हेतु पूरे-के-पूरे राजनीतिक दल ने अपना चरित्र बदल दिया।
  4. दलों में आन्तरिक लोकतन्त्र का अभाव-भारत के अधिकांश राजनीतिक दलों में आन्तरिक लोकतन्त्र का अभाव है और वे घोर अनुशासनहीनता से पीड़ित हैं।
  5. राजनीतिक दलों में गुटीय राजनीति-लगभग सभी राजनीतिक दल तीव्र आन्तरिक गुटबन्दी की समस्या से पीड़ित हैं। लगभग सभी राजनीतिक दलों में अनेक छोटे-बड़े गुट विद्यमान हैं। इन दलों में गुटीय राजनीति इतनी तीव्र है कि चुनावों में एक गुट के समर्थन प्राप्त उम्मीदवार को उसी दल के दूसरे गुट के सदस्य पराजित करने की भरसक कोशिश करते हैं।
  6. सत्ता के लिए संविधानेतर और विघटनकारी प्रवृत्तियों को अपनाना-वैचारिक प्रतिबद्धता के अभाव तथा गहरी सत्ता लिप्सा के कारण राजनीतिक दलों ने पिछले दशक की राजनीति में बहुत अधिक मात्रा में संविधानेतर और विघटनकारी प्रवृत्तियों को अपना लिया है।
  7. नेतृत्व का संकट-भारत में वर्तमान में राजनीतिक दलों के समक्ष नेतृत्व का संकट भी बना हुआ है। अधिकांश राजनीतिक दलों के पास ऐसा नेतृत्व नहीं है, जिसका अपना ऊँचा राजनीतिक कद हो। प्रायः बौना नेतृत्व बना हुआ है। नेतृत्व का यह बौना कद न तो दल को एकजुट रख पा रहा है और न ही वह अपने दल या देश की राजनीति को कोई दिशा दे पा रहा है।

लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
शाहबानो मामला क्या था? इस मामले पर भारतीय जनता पार्टी ने कांग्रेस विरोधी रुख क्यों अपनाया?
उत्तर:
शाहबानो मामला-शाहबानो मामला एक 62 वर्षीय तलाकशुदा मुस्लिम महिला शाहबानो का है। उसने अपने भूतपूर्व पति से गुजारा भत्ता हासिल करने के लिए अदालत में एक अर्जी दायर की थी। सर्वोच्च न्यायालय ने शाहबानो के पक्ष में निर्णय लिया। पुरातनपन्थी मुसलमानों ने अदालत के इस निर्णय को अपने ‘पर्सनल लॉ’ में हस्तक्षेप माना। कुछ मुस्लिम नेताओं की माँग पर सरकार ने मुस्लिम महिला अधिनियम, 1986 पास किया जिसमें सर्वोच्च फैसले के निर्णय को निरस्त कर दिया गया।

भाजपा ने कांग्रेस सरकार के इस कदम की आलोचना की और इसे अल्पसंख्यक समुदाय को दी गई अनावश्यक रियायत तथा तुष्टीकरण करार दिया।

प्रश्न 2.
जनता दल के प्रमुख कार्यक्रमों एवं नीतियों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
जनता दल के कार्यक्रम एवं नीतियाँ-जनता दल के प्रमुख कार्यक्रम एवं नीतियाँ निम्नलिखित हैं-

  1. जनता दल का लोकतन्त्र में दृढ़ विश्वास है और उत्तरदायी प्रशासनिक व्यवस्था को अपनाने के पक्ष में है।
  2. जनता दल ने भ्रष्टाचार को समाप्त करने के लिए सात-सूत्रीय कार्यक्रम को अपनाने की बात कही है।
  3. पार्टी राजनीति में बढ़ते हुए भ्रष्टाचार को रोकने के लिए लोकपाल की नियुक्ति के पक्ष में है।
  4. पार्टी पंचायती राज संस्थाओं को अधिक स्वायत्तता देने के पक्ष में है।
  5. जनता दल महिलाओं को संसद और राज्य विधानमण्डलों में 33 प्रतिशत और सरकारी, सार्वजनिक व निजी क्षेत्र की नौकरियों में 30 प्रतिशत आरक्षण दिलाने के पक्ष में है।

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प्रश्न 3.
भारत में गठबन्धन की राजनीति के प्रभाव समझाइए।
उत्तर:
सन् 1989 में भारत में गठबन्धन की राजनीति का श्रीगणेश हुआ। इस गठबन्धन की राजनीति के निम्नलिखित प्रमुख प्रभाव पड़े-

  1. एक दलीय प्रभुत्व की समाप्ति-गठबन्धन की राजनीति में कांग्रेस के दबदबे की समाप्ति हुई और बहुदलीय प्रणाली का युग शुरू हुआ।
  2. क्षेत्रीय पार्टियों का बढ़ता प्रभाव क्षेत्रीय पार्टियों ने गठबन्धन सरकार बनाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभायी। प्रान्तीय और राष्ट्रीय दल का भेद अब लगातार कम होता जा रहा है और प्रान्तीय दल केन्द्र सरकार में साझेदार बन रहे हैं।
  3. विचारधारा की जगह कार्यसिद्धि पर जोर-गठबन्धन की राजनीति के इस दौर में राजनीतिक दल विचारधारागत अन्तर की जगह सत्ता में भागीदारी की बातों पर जोर दे रहे हैं।
  4. जन-आन्दोलन और संगठन विकास के नए रूप-गठबन्धन की राजनीति में प्रतिस्पर्धी राजनीति के बीच राजनीतिक दलों में कुछ मसलों पर सहमति है, वहीं जन-आन्दोलन और संगठन विकास के नए रूप सामने आ रहे हैं। ये रूप गरीबी, विस्थापन, न्यूनतम मजदूरी, भ्रष्टाचार विरोध, आजीविका और सामाजिक सुरक्षा के मुद्दों पर जन-आन्दोलन के जरिए राजनीति में उभर रहे हैं।

प्रश्न 4.
1990 का दशक भारतीय राजनीति में नए बदलाव का दशक माना जाता है? कारण बताइए।
उत्तर:
1990 का दशक भारतीय राजनीति में नए बदलाव का दशक निम्नलिखित कारणों से माना जाता है-

  1. सन् 1984 में भारत की प्रथम महिला प्रधानमन्त्री इन्दिरा गांधी की हत्या। लोकसभा के चुनाव व सहानुभूति की लहर में कांग्रेस का विजयी होना। लेकिन सन् 1989 में कांग्रेस की हार तथा सन् 1991 में मध्यावधि चुनाव होना तथा सन् 1991 में राजीव गांधी की हत्या।
  2. राष्ट्रीय राजनीति में अन्य पिछड़ा वर्ग से सम्बन्धित मण्डल मुद्दे का उदय होना।
  3. अयोध्या में स्थित एक विवादित ढाँचे का विध्वंस, राष्ट्र में साम्प्रदायिक तनाव व दंगे।
  4. देश में गठबन्धन की राजनीति का तीव्रता से उदय होना तथा नए राजनीतिक दलों के रूप में भाजपा, उसके सहयोगी एवं संयुक्त प्रगतिशील गठबन्धन के समर्थक दलों का तेजी से उत्थान।
  5. विभिन्न सरकारों द्वारा नवीन आर्थिक नीति व सुधारों को अपनाकर उदारीकरण एवं वैश्वीकरण को बढ़ावा देना।
    ये सभी महत्त्वपूर्ण बदलाव हैं और आगामी राजनीति इन्हीं बदलावों के दायरे में आकार लेगी। इस . प्रतिस्पर्धी राजनीति के बीच मुख्य राजनीतिक दलों में कुछ मसलों पर सहमति है। अगर राजनीतिक दल इस सहमति के दायरे में सक्रिय हैं तो जन-आन्दोलन और संगठन विकास के नए रूप, स्वप्न और तरीकों की पहचान कर रहे हैं।

प्रश्न 5.
1990 के दशक में कांग्रेस के पतन के प्रमुख कारणों पर प्रकाश डालिए।
उत्तर:
1990 के दशक में कांग्रेस के पतन के प्रमुख कारण निम्नलिखित हैं-

  1. अन्य पिछड़ा वर्ग ओ०बी०सी० के कारण मण्डल एवं कमण्डल की राजनीति कुछ समय तक देश के क्षितिज पर छा गई।
  2. देश की बहुदलीय प्रणाली व गठबन्धन राजनीति की बढ़ती लोकप्रियता।
  3. बहुजन समाज पार्टी का जन्म, उदय एवं विकास होना।
  4. कई प्रान्तों एवं क्षेत्रों में क्षेत्रीय दलों का उदय तथा अनेक वर्ग समूहों का कांग्रेस से हटकर अन्य बड़े राजनीतिक दलों से जुड़ना।
  5. कुछ राजनीतिक दलों द्वारा साम्प्रदायिकता की राजनीति करने में सफल होना।
  6. सन् 1971 के बाद बहुत बड़ी संख्या में बंगलादेशियों का आगमन तथा वोट की राजनीति के कारण उनकी वापसी के बारे में टालमटोल की राजनीति।
  7. सन् 1984 के सिक्ख दंगे तथा उससे पूर्व अमृतसर के स्वर्ण मन्दिर में सैन्य बलों का प्रवेश अथवा ऑपरेशन ब्लू स्टार की घटना।

प्रश्न 6.
‘मण्डल कमीशन’ अथवा ‘मण्डल आयोग’ की नियुक्ति क्यों की गयी? इसकी प्रमुख सिफारिशें बताइए।
उत्तर:
मण्डल आयोग का गठन-केन्द्र सरकार ने सन् 1978 में एक आयोग का गठन किया और इसको पिछड़ा वर्ग की स्थिति को सुधारने के उपाय बताने का कार्य सौंपा गया। आमतौर पर इस आयोग को इसके अध्यक्ष बिन्देश्वरी प्रसाद मण्डल के नाम पर ‘मण्डल कमीशन’ कहा जाता है। मण्डल आयोग का गठन भारतीय समाज के विभिन्न वर्गों के बीच शैक्षिक और सामाजिक पिछड़ेपन की व्यापकता का पता लगाने और इन पिछड़े वर्गों की पहचान के तरीके बताने के लिए किया गया था। आयोग से यह भी अपेक्षा की गयी थी कि वह इन वर्गों के पिछड़ेपन को दूर करने के उपाय सुझाएगा।

मण्डल आयोग की सिफारिशें-आयोग ने सन् 1980 में अपनी सिफारिशें पेश की। इस समय तक जनता पार्टी की सरकार गिर चुकी थी। आयोग का मशविरा था कि पिछड़ा वर्ग को पिछड़ी जाति के अर्थ में स्वीकार किया जाए। आयोग ने एक सर्वेक्षण किया और पाया कि इन पिछड़ी जातियों की शिक्षा संस्थाओं तथा सरकारी नौकरियों में बड़ी कम मौजूदगी है। इस वजह से आयोग ने इन समूहों के लिए शिक्षा संस्थाओं तथा सरकारी नौकरियों में 27 प्रतिशत सीट आरक्षित करने की सिफारिश की। मण्डल आयोग ने अन्य पिछड़ा वर्ग की स्थिति सुधारने के लिए कई और समाधान सुझाए जिनमें भूमि-सुधार भी एक था।

अति उत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
भारतीय जनता पार्टी की स्थापना कब हुई? इसके प्रथम अध्यक्ष कौन थे?
उत्तर:
भारतीय जनता पार्टी की स्थापना सन् 1980 में हुई। अटल बिहारी वाजपेयी पार्टी के प्रथम अध्यक्ष थे।

प्रश्न 2.
दल-बदल से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
कोई जन-प्रतिनिधि किसी खास दल के चुनाव चिह्न को लेकर चुनाव लड़े और चुनाव जीतने के बाद इस दल को छोड़कर किसी दूसरे दल में शामिल हो जाए, तो इसे ‘दल-बदल’ कहते हैं।

प्रश्न 3.
संयुक्त मोर्चा सरकार कब और किसके नेतृत्व में बनी?
उत्तर:
संयुक्त मोर्चा सरकार 1 जून, 1996 को एच०डी० देवगौड़ा के नेतृत्व में बनी।

प्रश्न 4.
भारतीय दलीय व्यवस्था की दो विशेषताएँ बताइए।
उत्तर:

  1. बहुदलीय व्यवस्था, एवं
  2. विभिन्न मतों का प्रतिनिधित्व।

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प्रश्न 5.
राजनीतिक दल के कोई दो कार्य बताइए।
उत्तर:

  1. राजनीतिक चेतना का प्रसार, एवं
  2. शासन सत्ता को मर्यादित करना।

प्रश्न 6.
वर्तमान दलीय व्यवस्था की उभरती हुई दो प्रवृत्तियाँ बताइए।
उत्तर:

  1. जाति आधारित दलों का गठन, एवं
  2. राजनीतिक अपराधीकरण।

प्रश्न 7.
भारतीय दलीय व्यवस्था के कोई दो अवगुण/दोष/कमियाँ बताइए।
उत्तर:

  1. साम्प्रदायिकता तथा क्षेत्रवाद की प्रबलता, एवं
  2. नैतिकता का अभाव।

प्रश्न 8.
राजनीतिक दलों के दो आवश्यक तत्त्व बताइए।
उत्तर:

  1. संगठन, एवं
  2. सामान्य सिद्धान्तों की एकता।

प्रश्न 9.
किन्हीं चार क्षेत्रीय दलों के नाम लिखिए।
उत्तर:

  1. डी०एम०के०
  2. ए०डी०एम०के०
  3. अकाली दल, एवं
  4. तेलुगू देशम।

प्रश्न 10.
जन मोर्चा का गठन किसने और कब किया?
उत्तर:
जन मोर्चा का गठन वी०पी० सिंह ने 2 अक्टूबर, 1987 को किया।

प्रश्न 11.
बाबरी मस्जिद कब गिराई गई, उस समय केन्द्र में किस पार्टी की सरकार थी?
उत्तर:
बाबरी मस्जिद 6 दिसम्बर, 1992 को गिराई गई, उस समय केन्द्र में कांग्रेस पार्टी की सरकार थी तथा पी०वी० नरसिम्हा राव प्रधानमन्त्री थे।

बहुविकल्पीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
भारतीय दलीय व्यवस्था का स्वरूप है-
(a) एकदलीय
(b) द्विदलीय
(c) बहुदलीय
(d) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर:
(c) बहुदलीय।

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प्रश्न 2.
निर्बल व अस्थिर जिस शासन-प्रणाली का दोष है, वह है-
(a) एकदल की तानाशाही
(b) द्विदलीय प्रणाली
(c) बहुदलीय प्रणाली
(d) दलविहीन प्रणाली।
उत्तर:
(c) बहुदलीय प्रणाली।

प्रश्न 3.
जनता पार्टी का उदय कब हुआ-
(a) सन् 1980 में
(b) सन् 1998 में
(c) सन् 1999 में
(d) सन् 1977 में।
उत्तर:
(d) सन् 1977 में।

प्रश्न 4.
निम्नलिखित में कौन-सा दल अखिल भारतीय दल है-
(a) तेलुगू देशम
(b) कांग्रेस
(c) समाजवादी पार्टी
(d) राष्ट्रीय जनता दल।
उत्तर:
(b) कांग्रेस।

प्रश्न 5.
केन्द्र में मिली-जुली सरकार कब बनी-
(a) सन् 1977 में
(b) सन् 1978 में
(c) सन् 1979 में
(d) सन् 1980 में।
उत्तर:
(a) सन् 1977 में।

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