UP Board Solutions for Class 8 Hindi Chapter 6 बिहारी के दोहे (मंजरी)

UP Board Solutions for Class 8 Hindi Chapter 6 बिहारी के दोहे (मंजरी)

These Solutions are part of UP Board Solutions for Class 8 Hindi. Here we have given UP Board Solutions for Class 8 Hindi Chapter 6 बिहारी के दोहे (मंजरी).

समस्त पद्याशों की व्याख्या

नीति के पद

बड़े न हूजै …………………………………….…………………….. जाय ॥1॥
संदर्भ-प्रस्तुत दोहा हमारी पाठ्यपुस्तक मंजरी’ के बिहारी के नामक पाठ से लिया गया है। इसके रचयिता बिहारी लाल जी हैं।
प्रसंग-प्रस्तुत दोहे में कवि ने गुणों की महत्ता का वर्णन किया है। (UPBoardSolutions.com)
व्याख्या-कविवर बिहारी लाल जी कहते हैं कि कोई भी मनुष्य चाहे कितना ही बड़ा यश प्राप्त क्यों न कर ले परन्तु बिना गुणों के महान नहीं हो सकता, जैसे- धतूरे को भी कनक कहा जाता है। परन्तु उसका गहना नहीं बन सकता।

UP Board Solutions

अति अगाध………………………………………………………… बुझाइ॥2॥
संदर्भ एवं प्रसंग-पूर्ववत्।
व्याख्या-नदी, कुआँ, तालाब और बावड़ी कितने ही गहरे हों या कितने ही उथले। जिसके द्वारा किसी की प्यास बुझ जाए (शान्त हो जाए), वही उसके लिए समुद्र के समान होता है।

ओछे बड़े ………………………………………………………………नैन ॥3॥
संदर्भ एवं प्रसंग-पूर्ववत्।
व्याख्या-छोटे कभी बड़े नहीं हो सकते हैं। चाहे वे कितना भी ऐंठकर गगन छूने की कोशिश क्यों न कर लें। छोटी वस्तु बड़ी नहीं हो सकती चाहे उसे कितना भी आँखें फाड़कर क्यों न देखा जाय।

कनक कनक ……………………………………………………….बौराय ॥4॥
संदर्भ एवं प्रसंग-
पूर्ववत्।
व्याख्या-धतूरे की अपेक्षा सोने में सौ गुना अधिक मादकता होती है, क्योंकि धतूरे को खाने पर आदमी पागल हो जाता है, जबकि सोने (स्वर्ण) की प्राप्ति होने पर भी वह पागल हो जाता है अर्थात् । सोना मिलने पर वह घमण्डी हो जाता है।

दिन दस………………………………………………………….. सनमानु ॥5॥
संदर्भ एवं प्रसंग-पूर्ववत्।
व्याख्या-मनुष्य को यह बात जान लेनी चाहिए कि उसका थोड़े दिन ही आदर (सम्मान) होता है। जिस प्रकार श्राद्ध पक्ष (क्वार मास के आरंभिक पन्द्रह दिन) में कौए को बुला-बुलाकर आदर होता है।

भक्ति के पद

 बन्धु भएँ ……………………………………….…….. कहाई ॥1॥
संदर्भ एवं प्रसंग-पूर्ववत्।
व्याख्या-हे रघुराई, आपने गरीब के बन्धु (UPBoardSolutions.com) बनकर उसे संसार सागर से पार उतार दिया। आप प्रसन्न हो जाइए और मेरा उद्धार कीजिए जिससे आपके बड़े होने  की बड़ाई झूठी न हो।

UP Board Solutions

 

मोहन मूरति …………………………..……………. जग होई ॥2॥
संदर्भ एवं प्रसंग-पूर्ववत्।
व्याख्या-श्याम की मोहने वाली मूर्ति की अद्भुत गति होती है। यह जिसके अच्छे हृदय में बस जाती है, उससे सारा संसार प्रतिबिम्बित हो जाता है। भजन कयौ …………………………………………………….गॅवार ॥3॥

संदर्भ एवं प्रसंग-पूर्ववत्।
व्याख्या-हे मूर्ख! तुम्हें जिसका भजन (गुणगान) करने के लिए कहा गया, उसे तो तुमने एक बार भी नहीं भजा, किंतु तुम्हें जिन दुर्गुणों से दूर रहने के लिए कहा गया, तुमने उन्हीं दुर्गुणों को अपनाया।

प्रश्न-अभ्यास

कुछ करने को-                             नोट-विद्यार्थी स्वयं करें।
विचार और कल्पना-

प्रश्न 1.
‘धतूरे’ की अपेक्षा ‘सोने’ को अधिक मादक क्यों कहा गया है?
उत्तर-
मनुष्य जितना पागल धतूरे को खाने से होता है उससे सौ गुना अधिक पागल सोने (स्वर्ण) को केवल पाने से हो जाता है। अतः सोने में अधिक मादकता होती है।

UP Board Solutions

प्रश्न 2.
नीति के दोहों में कोई न कोई मूल्य छिपा होती है, जैसे-पहले दोहे में व्यक्ति अपने गुणों से बड़ा होता है’ से सम्बन्धित मूल्य है। इसी प्रकार निम्नलिखित मूल्यों से सम्बन्धित दोहों को लिखिए
(क) दिखावा करने से बड़प्पन नहीं आता।
उत्तर-बड़े न हुजै गुनन बिन, बिरद-बड़ाई पाय।कहत धतूरे सो कनक, गहनों गढ्यौ न जाय।
(ख) स्वयं अपनी प्रशंसा नहीं करनी चाहिए। (UPBoardSolutions.com)
उत्तर- ओछे बड़े न ह्वै सकें, लगौं सतर ह्वै गैन। 
दीरघ होहिं न नैकहूँ, फारि निहारै नैन।
(ग)
जिस वस्तु से हमारा कार्य सिद्ध हो, वही महत्त्वपूर्ण है।
उत्तर- अति अगाध, अति ओथरो, नदी, कूप, सर बाइ।सो ताकौ सागर जहाँ, जाकि प्यास बुझाइ।
(घ) गुण, सौंदर्य से अधिक महत्त्वपूर्ण है।
उत्तर- बड़े न हूजे गुनन बिन, विरद बंड़ाई पाय। 
कहत धतूरे सों कनक, गहनों गढ्यो न जाय।

कविता से-

प्रश्न 1.
‘नाम बड़ा होने से ही कोई बड़ा नहीं हो सकता’ इस कथन की पुष्टि के लिए कवि ने कौन-सा उदाहरण दिया है?।
उत्तर-धतूरे को कनक (सोना) कहने से वह बड़ा नहीं हो जाता क्योंकि उससे गहने नहीं बनाए जा सकते। (उसमें बड़ा होने का गुण नहीं है।) –

प्रश्न 2.
कवि ने नदी, कूप, सर, बावली को सागर के समान किस स्थिति में सागर माना है?
उत्तर-
कवि ने नदी, कूप, तालाब और बावली को सागर के समान इसलिए माना है क्योंकि इन्होंने जिसकी प्यास बुझाई उसके लिए तो यह सागर ही है।

प्रश्न 3.
‘छोटे बड़े नहीं हो सकते’ इसके लिए कौन सा उदाहरण दिया गया है?
उत्तर-
छोटे बड़े नहीं हो सकते’ उदाहरणार्थ हम लाख अपनी आँखें फाड़-फाड़ कर क्यों न देखें, छोटी वस्तु हमें बड़ी नहीं दिखाई दे सकती। .

UP Board Solutions

 

प्रश्न 4.
कृष्ण की मोहन मूरति क्यों अद्भुत है?
उत्तर-
कृष्ण की मोहन मूरति इसलिए अद्भुत है क्योंकि उन्होंने गरीब का बन्धु बनकर उन्हें भव सागर से पार उतार दिया।

प्रश्न 5.
पंक्तियों का भाव स्पष्ट कीजिए
(क) सो ताकौ सागर जहाँ, जाकी प्यास बुझाई।
भाव-
जिसकी जो प्यास बुझा दे उसके लिए तो वही सागर है।
(ख)
दूरि भजन जातें कयौ, सौ रौं भन्यौ गॅवार।
भावे-तुम्हें जिन दुर्गुणों से दूर रहने के लिए कहा गया; तुमने उन्हीं दुर्गुणों को अपनाया।
(ग) तूठे तूठे फिरत हौ, झूठे बिरद कहाई।।
भाव-दीन बन्धु आप मेरा उद्धार कीजिए जिससे आपके बड़े होने की बडाई झुठी न हो।

भाषा की बात-

प्रश्न 1.
कविता में प्रयुक्त निन्नलिखित शब्दों को देखिए और उनके खड़ी बोली के रूप पर ध्यान दीजिए। सो = वह, ताकौ = उसके लिए, हुवै सकें = हो सके। नीचे लिखे शब्दों के खड़ी बोली रूप लिखिए
उत्तर-
तऊ = उससे, ताते = उतना, जातें = जितना, कह्यौं = कहा।

UP Board Solutions

प्रश्न 2.
कविता में जहाँ एक ही शब्द दो या दो से अधिक बार आए और उसका अर्थ भिन्न-भिन्न हो, वहाँ यमक अलंकार होता है। नीचे लिखी पंक्तियों में कौन-सा अलंकार है और क्यों?
उत्तर-
(क)
भजन कयौ, ताते भन्यौ, भन्यौ न एकौ बार।
दूरि भजन जातें कह्यौ, सौ तों भन्यौ गॅवार। यमक अलंकार है क्योंकि भजन और भज्यौ शब्द दो बार आकर भिन्न-भिन्न अर्थ में प्रयुक्त हुए हैं।
(ख)
‘इस धरा का इस धरा पर ही धरा रह जायेगा।
(ग) “काली घटा का घमण्ड घटा’

We hope the UP Board Solutions for Class 8 Hindi Chapter 6 बिहारी के दोहे (मंजरी) help you. If you have any query regarding UP Board Solutions for Class 8 Hindi Chapter 6 बिहारी के दोहे (मंजरी), drop a comment below and we will get back to you at the earliest.

UP Board Solutions for Class 10 Sanskrit Chapter 6 कार्यं वा साधयेयं देहं वा पातयेयम् (गद्य – भारती)

UP Board Solutions for Class 10 Sanskrit Chapter 6 कार्यं वा साधयेयं देहं वा पातयेयम् (गद्य – भारती)

These Solutions are part of UP Board Solutions for Class 10 Sanskrit Here we have given UP Board Solutions for Class 10 Sanskrit Chapter 6 कार्यं वा साधयेयं देहं वा पातयेयम् (गद्य – भारती)

परिचय

औरंगजेब के अत्याचारी और साम्प्रदायिक शासन के विरोध में शिवाजी ने दक्षिण में विद्रोह किया था। शिवाजी एक कुशल संगठनकर्ता थे। इन्होंने बलिदानी वीरों की सेना एकत्र करके बीजापुर के नवाब के राज्य का अधिकांश भाग अपने अधिकार में कर लिया था, जो मुगल (UPBoardSolutions.com) साम्राज्य का अंग था।
औरंगजेब ने जिसे भी शिवाजी के विरुद्ध सेना लेकर भेजा, उसे असफलता ही हाथ लगी। प्रस्तुत पाठ पं० अम्बिकादत्त व्यास द्वारा रचित ‘शिवराज-विजय’ के चतुर्थ नि:श्वास से लिया गया है। छत्रपति शिवाजी ही व्यास जी के शिवराज हैं। इस पाठ में शिवाजी के गुप्तचर रघुवीर सिंह के साहस, धैर्य और निर्भीकता का वर्णन है।

UP Board Solutions

पाठ-सारांश (2006, 07, 09, 14]

रघुवीर सिंह का परिचय रघुवीर सिंह शिवाजी का एक विश्वासपात्रे सेवक है। उसकी आयु मात्र सोलहवर्ष की है। वह शिवाजी का एक आवश्यक और गोपनीय पत्र लेकर सिंह दुर्ग से तोरण दुर्ग की ओर जा रहा है।

गमन-समय एवं वेशभूषा आषाढ़ मास में सायं समय सूर्य अस्त होने ही वाला था। पक्षी अपने घोंसलों में लौट रहे थे। अचानक आकाश में बादल छा गये। उस समय गौर वर्ण के शरीर वाला युवक, शिवाजी का विश्वासपात्र अनुचर रघुवीर सिंह उनका आवश्यक पत्र लेकर सिंह दुर्ग से घोड़े पर तोरण दुर्ग जा रहा था। उसका सुगठित शरीर गौर वर्ण का था और बाल बुंघराले काले थे। वह प्रसन्नमुख, हरा कुर्ता और हरी पगड़ी पहने हुए चला जा रहा था।

मौसम का प्रतिकूल होना उसी समय,अचानक तेज वर्षा और आँधी आयी। काले बादलों से शाम के समय में अन्धकार दुगुना हो गया। धूल और पत्ते उड़ रहे थे जिससे रघुवीर सिंह को पर्वतों, वनों, ऊँचे शिखरों, झरनों का मार्ग सूझ नहीं रहा था। वर्षा के कारण हुई चिकनी चट्टानों पर उसका घोड़ा क्षण-प्रतिक्षण फिसल जाता था। वृक्षों की शाखाओं से बार-बार ताड़ित होता हुआ भी दृढ़ संकल्पी वह घुड़सवार अपने काम से विमुख नहीं हो रहा था।

कर्तव्य-परायणता कभी रघुवीर सिंह का घोड़ा डरकर दोनों पैरों पर खड़ा हो जाता था, कभी पीछे लौट पड़ता था और कभी कूद-कूदकर दौड़ने लगता था, परन्तु यह वीर लगाम हाथ में पकड़े, घोड़े के कन्धों और गर्दन को हाथ से थपथपाता हुआ आगे बढ़ता ही चला जा रहा था। एक ओर आँखों में चकाचौंध पैदा करने वाली दर्शकों के मनों को कम्पित करती हुई, आकाश को चीरती हुई बिजली चमक रही थी तो दूसरी ओर सैकड़ों तोपों की गर्जना (UPBoardSolutions.com) के समान घोर शब्द जंगल में पूँज रहा था, परन्तु “या तो कार्य पूरा करके रहूँगा या मर मिटूगा यह दृढ़-संकल्प मन में लिये हुए वह अपने कार्य से लौट नहीं रहा था।

अपने स्वामी से प्रेरित जिसका स्वामी परिश्रमी, अद्भुत साहसी, विपत्तियों में धैर्यशाली और दृढ़-संकल्पी हो, उसका विश्वासपात्र सेवक फिर वैसा परिश्रमी, साहसी, वीर और दृढ़-संकल्पी क्यों न हो? वह आँधी-तूफान, तेज वर्षा और भयानक वातावरण से डरकर अपने स्वामी के कार्य की कैसे उपेक्षा कर सकता है? यह सोचता हुआ तथा घोड़े को तेज दौड़ाता हुआ वह आगे बढ़ता ही चला जा रहा था।

UP Board Solutions

गद्यांशों का ससन्दर्भ अनुवाद

(1)
शिववीरस्य कोऽपि सेवकः श्रीरघुवीरसिंहः तस्यावश्यकं पत्रञ्चादाय महताक्लेशेन सिंहदुर्गात् तोरणदुर्गं प्रयाति। मासोऽयमाषाढस्यास्ति समयश्च सायम्। अस्तं जिगमिषुर्भगवान् भास्करः, सिन्दूर-द्रव-स्नातानामिव वरुणदिगवलम्बिनामरुण-वारिवाहानामभ्यन्तरं प्रविष्टः। कलविङ्काः नीडेषु प्रतिनिवर्तन्ते। वनानि प्रतिक्षणमधिकाधिक श्यामतां कलयन्ति। अथाकस्मात् परितो मेघमाला पर्वतश्रेणिरिव प्रादुर्भूय समस्तं गगनतलं प्रावृणोत्।।

शब्दार्थ शिववीरस्य = वीर शिवाजी का! कोऽपि = कोई। महताक्लेशेन = अत्यधिक कष्ट से। प्रयाति = जा रहा है। जिगमिषुः = जाने की इच्छा करने वाला। वरुणदिक् = पश्चिम दिशा। अवलम्बिनाम् = अवलम्ब लेने वालों के समान वारिवाहानाम् = बादलों के अभ्यन्तरम् = (UPBoardSolutions.com) भीतर। कलविङ्काः = गौरैया नाम के पक्षी। नीडेषु = घोंसलों में। प्रतिनिवर्तन्ते = लौटते हैं। कलयन्ति = धारण करते हैं। अथाकस्मात् = इसके बाद सहसा। परितः = चारों ओर से प्रादुर्भूय = उत्पन्न होकर प्रावृणोत् = ढक लिया।

सन्दर्भ प्रस्तुत गद्यांश हमारी पाठ्य-पुस्तक ‘संस्कृत’ के गद्य-खण्ड ‘गद्य-भारती’ में संकलित ‘कार्यं वा साधयेयं देहं वा पातयेयम्’ शीर्षक पाठ से उद्धृत है।

[ संकेत इस पाठ के शेष सभी गद्यांशों के लिए यही सन्दर्भ प्रयुक्त होगा।]

प्रसंग प्रस्तुत गद्यांश में उस समय का रोचक वर्णन किया गया है, जब शिवाजी का विश्वासपात्र अनुचर उनका गोपनीय पत्र लेकर सन्ध्या के समय सिंह दुर्ग से तोरण दुर्ग की ओर जा रहा है।

अनुवाद वीर शिवाजी का कोई सेवक श्री रघुवीर सिंह उनका आवश्यक पत्र लेकर अत्यन्त कष्ट से सिंह दुर्ग से तोरण दुर्ग को जा रहा है। यह आषाढ़ का महीना और सायं का समय है। अस्ताचल की ओर जाने को इच्छुक भगवान् सूर्य सिन्दूर के घोल में स्नान किये हुए के समान, पश्चिम दिशा में छाये हुए लाल बादलों के अन्दर प्रविष्ट हो गये। गौरैया नामक पक्षी घोंसलों में लौट रहे हैं। वन प्रत्येक क्षण अधिकाधिक कालिमा को धारण कर रहे हैं। इसके बाद सामने अचानक मेघमालाओं ने पर्वतमाला की भाँति उमड़कर सारे आकाश को चारों ओर से घेर लिया।

UP Board Solutions

(2)
अस्मिन् समये एकः षोडशवर्षदेशीयो गौरो युवा हयेन पर्वतश्रेणीरुपर्युपरि गच्छति स्म। एष सुघटित-दृढ-शरीरः, श्यामश्यामैर्गुच्छगुच्छैः कुञ्चित-कुञ्चितैः कचकलापैः कमनीयकपोलपालिः, दूरागमनायास-वशेन-स्वेदबिन्दु-व्रजेन समाच्छादित-ललाट-कपोल-नासाग्रोत्तरोष्ठः, प्रसन्नवदनाम्भोजः, हरितोष्णीषशोभितः, हरितेनैव च कञ्चुकेन प्रकटीकृत-व्यूढ-गूढचरता-कार्यः, कोऽपि शिववीरस्य विश्वासपात्रं, सिंहदुर्गात् तस्यैव पत्रमादाय, तोरणदुर्गं प्रयाति स्म। [2009]

शब्दार्थ षोडशवर्षदेशीयः = सोलह वर्ष का हयेन = घोड़े के द्वारा कुञ्चित-कुञ्चितैः कचकलापैः = धुंघराले बालों के समूह से। कमनीयकपोलपालिः = सुन्दर गालों वाला। दूरागमनायास-वशेन = दूर से परिश्रम के साथ आने के कारण। स्वेदबिन्दुव्रजेन = पसीने की बूंदों के समूह से। समाच्छादित (UPBoardSolutions.com) = ढक गया है। ललाटकपोलनासाग्रोत्तरोष्ठः = मस्तक, गाल, नाक का अग्रभाग और ऊपर का होंठ। प्रसन्नवदनाम्भोजः = प्रसन्न है मुखरूपी कमल जिसका। हरितोष्णीष = हरी पगड़ी। कञ्चुकेन = लम्बा कुर्ता प्रकटीकृतव्यूढ-गूढचरता-कार्यः = प्रकट हो रहा है गुप्तचर का विशेष कार्य जिसका। तस्यैव = उसका ही। प्रयाति स्म = जा रहा था।

प्रसंग प्रस्तुत गद्यांश में शिवाजी के विश्वासपात्र अनुचर रघुवीर सिंह के बाह्य व्यक्तित्व का वर्णन किया गया है।

अनुवाद इस समय एक सोलह वर्ष की उम्र को गौरवर्ण युवक घोड़े से पर्वतश्रेणियों के ऊपर-ऊपर जा रहा था। यह सुगठित और पुष्ट शरीर वाला, अत्यन्त काले गुच्छेदार घंघराल बालों के समूह से शोभित कपोलों वाला, दूर चलने की थकावट के कारण पसीन की बूंदों के समूह से आच्छादित मस्तक, कपोल, नाक और होंठ वाला, प्रसन्न मुख-कमल वाला, हरी पगड़ी से शोभित और हरे कुर्ते से गुप्तचर के कठिन कार्य को प्रकट करने वाला, वीर शिवाजी का कोई विश्वासपात्र सेवक सिंह दुर्ग से उन्हीं (शिवाजी) का पत्र लेकर तोरण दुर्ग की ओर जा रहा था।

UP Board Solutions

(3)
तावदकस्मादुत्थितो महान् झञ्झावातः एकः सायं समयप्रयुक्तः स्वभाववृत्तोऽन्धकारः स च द्विगुणितो मेघमालाभिः। झञ्झावातोदधूतैः रेणुभिः शीर्षपत्रैः कुसुमपरागैः शुष्कपुष्पैश्च पुनरेष द्वैगुण्यं प्राप्तः। इह पर्वतश्रेणीतः पर्वतश्रेणीः, वनाद वनानि, शिखराच्छिखराणि प्रपातात् प्रपातान्, अधित्यकातोऽधित्यकाः, उपत्यकातः उपत्यकाः, न कोऽपि सरलो मार्गः, पन्था अपि नावलोक्यते, क्षणे क्षणे हयस्य खुराश्चिक्कणपाषाणखण्डेषु प्रस्खलन्ति, पदे पदे दोधूयमानाः वृक्षशाखाः सम्मुखमाघ्नन्ति, परं दृढ़-सङ्कल्पोऽयं सादी न स्वकार्याद विरमति।

शब्दार्थ तावदकस्मादुत्थितः = तब तक सहसा उठा। झञ्झावातः = वर्षासहित तूफान। स्वभाववृत्तोऽन्धकारः = अपने आप फैला हुआ अन्धकार। द्विगुणितः = दो गुना। झञ्झावातोधूतैः = आँधी से उठी हुई। शीर्णपत्रैः = टूटे पत्तों से। द्वैगुण्यं प्राप्तः = दोगुनेपन को प्राप्त हो गया। शिखराच्छिखराणि = पर्वत की चोटी से चोटियों तक प्रपातात् = झरने से। अधित्यकाः = पर्वत का ऊपरी भाग। उपत्यका = पर्वत का निचला भाग, तलहटी। नावलोक्यते = नहीं दिखाई देता है। हयस्य = घोड़े के। चिक्कणपाषाणखण्डेषु = चिकने पत्थर के टुकड़ों पर प्रस्खलन्ति = फिसलते हैं। दोधूयमानाः = हिलते हुए। आघ्नन्ति = चोट करती हैं। सादी = घुड़सवार। न विरमति = नहीं रुकता है।

प्रसंग प्रस्तुत गद्यांश में तोरण दुर्ग की ओर जाते हुए शिवाजी के अनुचर के मार्ग की कठिनाइयों का वर्णन रोचकता के साथ किया गया है।

अनुवाद उसी समय अचानक बड़ी तेज वर्षासहित आँधी उठी। एक तो शाम का समय होने से स्वाभाविक रूप से अन्धकार घिरा हुआ था और वह मेघमालाओं से दुगुना हो गया था। वर्षासहित तेज तूफान से उड़ी हुई धूल से, टूटे हुए पत्तों से, फूलों के पराग से और सूखे फूलों (UPBoardSolutions.com) से पुन: यह दुगुना हो गया था। यहाँ एक पर्वतश्रेणी से पर्वतमालाओं तक, वन से वनों तक, चोटी से चोटियों तक, झरने से झरनों तक, पहाड़ के ऊपर की समतल भूमि से दूसरे पहाड़ के ऊपर की समतल भूमि तक, तलहटी से तलहटियों तक जाने का कोई भी सीधा रास्ता दिखाई नहीं दे रहा है। क्षण-क्षण पर घोड़े के खुर चिकने पत्थर के टुकड़ों पर फिसल रहे हैं। कदम-कदम पर तेज हिलते हुए वृक्षों की शाखाएँ सामने से लगकर चोट कर रही हैं, परन्तु दृढ़ संकल्प वाला यह घुड़सवार अपने कार्य से नहीं रुक रहा है।

(4)
कदाचित् किञ्चिद् भीत इव घोटकः पादाभ्यामुत्तिष्ठति, कदाचिच्चलन्नकस्मात् परिवर्तते, कदाचिदुत्प्लुत्य च गच्छति। परमेष वीरो वल्गां सम्भालयन्, मध्ये-मध्ये सैन्धवस्य स्कन्धौ कन्धराञ्च करतलेनऽऽस्फोटयन्, चुचुत्कारेण सान्त्वयंश्च न स्वकार्याद विरमति। यावदेकस्यां दिशि नयने विक्षिपन्ती, कर्णो स्फोटयन्ती, अवलोचकान् कम्पयन्ती, वन्यस्त्रासयन्ती, गगनं कर्त्तयन्ती, मेघान् सौवर्णकषयेवघ्नन्ती, अन्धकारमग्निना दहन्ती इव चपला चमत्करोति, तावदन्यस्यामपि दिशि ज्वालाजालेन बलाहकानावृणोति, स्फुरणोत्तरं स्फुरणं गज्र्जनोत्तरं गज्र्जनमिति परः शतः-शतघ्नी-प्रचारजन्येनेव, महाशब्देन पर्यपूर्यत साऽरण्यानी। परमधुनाऽपि “कार्यं वा साधयेयं देहं वा पातयेयम्” इति कृतप्रतिज्ञोऽसौ शिववीर-चरो न निजकार्यान्निवर्तते।

UP Board Solutions

शब्दार्थ कदाचित् = कभी। किञ्चित् = कुछ। घोटकः = घोड़ा। पादाभ्यामुत्तिष्ठति = दो पैरों पर उठ जाता है। कदाचिच्चलन्नकस्मात् = कभी चलता हुआ सहसा परिवर्त्तते = लौट जाता है। उत्प्लुत्य = कूदकर। वल्गाम् = लगाम को। सम्भालयन् = सँभालता हुआ। सैन्धवस्य = घोड़े के। स्कन्ध = दोनों कन्धों को। कन्धराम् = गर्दन को। आस्फोटयन् = थपथपाता हुआ। चुचुत्कारेण = पुचकार से। यावदेकस्याम् = जब तक एक में विक्षिपन्ती = चौंधियाती हुई। अवलोचकान् = दर्शकों को त्रासयन्ती = भयभीत करती हुई। कर्त्तयन्ती = चीरती हुई। सौवर्णकषया = सोने की चाबुक से। घ्नन्ती = मारती हुई। बलाहकान् = बादलों को। आवृणोति = ढक लेती है। (UPBoardSolutions.com) स्फुरणोत्तरम् = चमकने के बाद। परः शतः = सैकड़ों से भी अधिक शतघ्नी = तोपें। पर्यपूरत = भर गयीं, पूर्ण हो गयीं। अरण्यानी = वन। साधयेयम् = सिद्ध करूँगा। पातयेयम् = गिरा दूंगा। कृतप्रतिज्ञोऽसौ = प्रतिज्ञा करने वाला यह। चरः = गुप्तचर।

प्रसंग प्रस्तुत गद्यांश में शिवाजी के अनुचर के मार्ग में आयी हुई कठिनाइयों का वर्णन मनोरम शैली में किया गया है।

अनुवाद कभी कुछ डरे हुए के समान घोड़ा (अगले) दोनों पैरों को उठा लेता है, कभी चलता हुआ अचानक लौट पड़ता है और कभी कूद-कूदकर चलता है, परन्तु वह वीर लगाम को पकड़े हुए बीच-बीच में घोड़े के दोनों कन्धों और गर्दन को हाथ से थपथपाता हुआ, पुचकार से सान्त्वना देता हुआ अपने कार्य से नहीं रुकता है। जब तक एक दिशा में नेत्रों को चौंधियाती हुई, कानों को फाड़ती हुई, देखने वालों को कॅपाती हुई, जंगली जीवों को भयभीत करती हुई, आकाश को चीरती हुई, बादलों को सोने की चाबुक से मानो पीटती हुई, अन्धकार को अग्नि से जलाती हुई-सी बिजली चमकती है, तब तक दूसरी दिशा में भी बादलों को ज्वाला के समूह से ढक लेती है। चमक के बाद चमक, गर्जना के बाद गर्जना, इस प्रकार सैकड़ों से भी अधिक तोपों के चलने से उत्पन्न हुए के समान घोर शब्द से वह वन भर गया, परन्तु इस समय भी ‘या तो कार्य को पूरा करूगा या शरीर को नष्ट कर दूंगा’ इस प्रकार की प्रतिज्ञा करने वाला वह वीर शिवाजी का दूत अपने कार्य (कर्तव्य) से नहीं रुकता है।

(5)
यस्याध्यक्षः स्वयं परिश्रमी, कथं स न स्यात् स्वयं परिश्रमी? यस्य प्रभुः स्वयं अदभुतसाहसः, कथं स न भवेत् स्वयं तथा? यस्य स्वामी स्वयमापदो न गणयति, कथं स गणयेदापदः? यस्य च महाराजः स्वयंसङ्कल्पितं निश्चयेन साधयति, कथं स न साधयेत् स्व-सङ्कल्पितम्? अस्त्येष महाराज-शिववीरस्य दयापात्रं चरः, तत्कथमेष झञ्झाविभीषिकाभिर्विभीषितः प्रभु-कार्यं विगणयेत्? तदितोऽप्येष तथैव त्वरितमश्वं चालयंश्चलति। [2013]

UP Board Solutions

शब्दार्थ कथं = कैसे। प्रभुः = स्वामी। स्वयमापदः = अपने आप आपत्तियों को। गणयेदापदः = गिने, आपत्तियों को। साधयति = पूरा करता है। साधयेत् = सिद्ध करे। अस्त्येषः (अस्ति + एषः) = है यह। विभीषिकाभिर्विभीषितः = भयों से डरा हुआ। विगणयेत् = उपेक्षा करे, त्याग दे। त्वरितमश्वं = तेज गति से घोड़े को। चालयन् = चलाता हुआ।

प्रसंग प्रस्तुत गद्यांश में शिवाजी के अनुचर के दृढ़-संकल्प, वीरता और स्वामिभक्ति का वर्णन किया गया है।

अनुवाद जिसका (सेना) अध्यक्ष स्वयं परिश्रमी है, वह स्वयं परिश्रमी क्यों न हो? जिसका स्वामी स्वयं अद्भुत साहसी है, वह स्वयं साहसी क्यों न हो? जिसका स्वामी स्वयं आपत्तियों की गणना (परवाह) नहीं करता है, वह क्यों आपत्तियों की गणना (परवाह) करे? जिसका राजा (UPBoardSolutions.com) स्वयं संकल्प किये गिये कार्य को निश्चय से पूरा करता है, वह क्यों न अपने संकल्पित कार्य को पूरा करे? यह महाराज और वीर शिवाजी को दयापात्र अनुचर है तो कैसे यह वर्षा और आँधी के भय से डरकर स्वामी के कार्य की उपेक्षा करे? तो यह यहाँ से भी उसी प्रकार घोड़े को तेज चलाता हुआ चला जा रहा है।

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
श्री रघुवीर सिंह का चरित्र-चित्रण कीजिए।
उत्तर :
रघुवीर सिंह शिवाजी का एक विश्वासपात्र सेवक है। वह उनका एक आवश्यक और गोपनीय पत्र लेकर सिंह दुर्ग से तोरण दुर्ग की ओर जा रहा है। तेज वर्षा और आँधी जैसे प्रतिकूल मौसम में जब रास्ता भी

स्पष्ट नहीं दिखाई पड़ रहा था, घोड़ा क्षण-प्रतिक्षण चिकनी चट्टानों पर बार-बार फिसल जाता था, वृक्षों की शाखाओं से लगातार प्रताड़ित होता हुआ भी यह दृढ़-संकल्पी वीर आगे बढ़ता ही चला जा रहा था। लगाम हाथ में पकड़े, घोड़े के कन्धों और गर्दन को हाथ से थपथपाता हुआ और प्रतिज्ञा करता हुआ कि “या तो कार्य पूरा करके रहूँगा या मर मिटूगा’ अपने कार्य से लौट नहीं रहा था। निश्चय ही रघुवीर सिंह एक परिश्रमी, अद्भुत साहसी, दृढ़-संकल्पी, विपत्तियों में धैर्यशाली और विश्वासपात्र सेवक था।

UP Board Solutions

प्रश्न 2.
तोरण दुर्ग जाते समय रघुवीर सिंह के मार्ग में आने वाली कठिनाइयों का वर्णन कीजिए।
उत्तर :
तोरण दुर्ग जाते समय अचानक बड़ी तेज वर्षासहित आँधी उठी। शाम का समय होने के कारण स्वाभाविक रूप से अन्धकार घिरा था और वह अन्धकार मेघमालाओं से दुगुना हो गया था। एक पर्वतश्रेणी से पर्वतमालाओं तक, वन से वनों तक, चोटी से चोटियों तक, झरने से झरनों तक, पर्वत की घाटी से पर्वत की घाटियों तक, तलहटी से तलहटियों तक जाने का कोई सीधा रास्ता दिखाई नहीं दे रहा था। क्षणक्षण पर घोड़े के खुर चिकने पत्थर के टुकड़ों पर फिसल (UPBoardSolutions.com) रहे थे तथा कदम-कदम पर तेज हिलते हुए वृक्षों की शाखाएँ सामने से लगकर चोट कर रही थीं, परन्तु दृढ़-संकल्प वाला यह घुड़सवार चलता ही जा रहा था।

प्रश्न 3.
रघुवीर सिंह के शारीरिक गठन का वर्णन कीजिए।
उत्तर :
रघुवीर सिंह एक सोलह वर्ष का गौरवर्ण युवक है। इसका शरीर सुगठित और दृढ़ है, बाल काले, गुच्छेदार और धुंघराले हैं, कपोल सुन्दर हैं तथा मुख कमल के समान है। थकान के कारण इसका मस्तक, कपोल, नाक एवं होंठ पसीने की बूंदों से आच्छादित हैं। यह हरे रंग का कुर्ता पहने हुए है और इसी रंग की पगड़ी धारण किये हुए है।

प्रश्न 4.
रघुवीर सिंह का स्वामी कौन है और वह कैसा है?
या
शिववीर के पत्रवाहक सेवक का क्या नाम था? [2007,09, 15]
या
रघुवीर सिंह किसका विश्वासपात्र सेवक था? [2007]
उत्तर :
रघुवीर सिंह के स्वामी महाराज शिवाजी हैं। महाराज शिवाजी परिश्रमी और अद्भुत साहसी हैं। वे आपत्तियों की परवाह नहीं करते और संकल्पित कार्य को निश्चित ही पूरा करते हैं। उनका विश्वासपात्र, पत्रवाहक और सेवक रघुवीर सिंह भी उनके जैसा ही है।

UP Board Solutions

प्रश्न 5.
“कार्यं वा साधयेयं, देहं वा पातयेयम्’ का मूल उद्देश्य क्या है?
उत्तर :
“कार्यं वा साधयेयं, देहं वा पातयेयम्” सूक्ति का मूल उद्देश्य हमें यह समझाना है कि किसी भी कार्य को करते समय हमें उसमें दत्त-चित्त होकर लग जाना चाहिए। उस कार्य को सम्पन्न करने में हमारे सामने चाहे कितनी भी और कैसी भी परेशानियाँ क्यों न आये, हमें (UPBoardSolutions.com) अपने कार्य से विरत नहीं होनी चाहिए।
या तो कार्य पूरा करूगा या मर मिटूगा’ के संकल्प से उस कार्य में लगे रहना चाहिए।

प्रश्न 6.
‘कार्यं वा साधयेयं, देहं वा पातयेयम्’ प्रतिज्ञा किसने की थी? [2010, 12]
उत्तर :
“कार्यं वा साधयेयं, देहं वा पातयेयम्’ प्रतिज्ञा महाराज शिवाजी के सेवक रघुवीर सिंह ने की थी, जब वह उनका एक गोपनीय पत्र लेकर सिंह दुर्ग से तोरण दुर्ग की ओर जा रहा था।

UP Board Solutions

प्रश्न 7.
शिवाजी के अनुचर रघुवीर सिंह की प्रतिज्ञा संस्कृत में लिखिए। [2010, 12]
या
शिवाजी के वीर अनुचर रघुवीर सिंह का प्रतिज्ञा वाक्य क्या था? [2013]
या
शिवाजी के वीर अनुचर का नाम और उसकी प्रतिज्ञा का उल्लेख कीजिए। [2014]
उत्तर :
शिवाजी के अनुचर रघुवीर सिंह की संस्कृत में प्रतिज्ञा है-कार्यं (UPBoardSolutions.com) वा साधयेयं, देहं वा पातयेयम्।

Hope given UP Board Solutions for Class 10 Sanskrit Chapter 6 are helpful to complete your homework.
If you have any doubts, please comment below. UP Board Solutions try to provide online tutoring for you

UP Board Solutions for Class 9 Science Chapter 7 Diversity in Living Organisms

UP Board Solutions for Class 9 Science Chapter 7 Diversity in Living Organisms (जीवों में विविधता)

These Solutions are part of UP Board Solutions for Class 9 Science. Here we have given UP Board Solutions for Class 9 Science Chapter 7 Diversity in Living Organisms (जीवों में विविधता).

पाठ्य – पुस्तक के प्रश्नोत्तर

पाठगत प्रश्न (पृष्ठ संख्या – 91)

प्रश्न 1.
हम जीवधारियों का वर्गीकरण क्यों करते
उत्तर-
जीवों को वर्गीकरण इनकी विविधता के अध्ययन को सरल बनाता है इससे हमारी एक झलक से सभी जीवों की एक तस्वीर हमारे सामने आ जाती है तथा भिन्न-भिन्न जीवों (UPBoardSolutions.com) के मध्य आपसी सम्बन्धों के अध्ययन में भी सहायता करता है अतः इसी कारण हम जीवों का वर्गीकरण करते हैं।

UP Board Solutions

प्रश्न 2.
अपने चारों ओर फैले जीव रूपों की विभिन्नता के तीन उदाहरण दें।
उत्तर-

  1. हम अपने आस-पास सूक्ष्म जीवाणुओं को देखते हैं जिनके आकार कुछ माइक्रोमीटर तक ही होता है। और बहुत कम समय तक ही जीवित रहते हैं, जैसे प्लाज्मोडियम, अमीबा, नीली-हरी शैवाल इत्यादि।
  2. हम 30 मीटर या इससे बड़े जीव भी देखते हैं जो काफी लम्बे समय तक जीवित रहते हैं, जैसे नीली व्हेल आदि।
  3. हमें इसे भी अधिक बड़े व हजारों वर्षों तक जीवित रहने वाले जीव भी मिलते हैं, जैसे रैड वुड आदि।

पाठगत प्रश्न (यून संख्या – 92)

प्रश्न 1.
जीवों के वर्गीकरण के लिए सर्वाधिक मूलभूत लक्षण क्या ले सकता है?
(a) उनका निवास स्थान
(b) उनकी कोशिका संरचना।।
उत्तर-
हमारे विचार के अनुसार जीवों के वर्गीकरण का आधारे उन कोशिकाओं का प्रकार है जिनके द्वारा उनका शरीर बना है क्योंकि जीव की सभी क्रियाएँ कोशिका (UPBoardSolutions.com) की रचना पर ही आधारित होती हैं। जीव एककोशी है या बहुकोशी, उसमें केन्द्रक झिल्ली सहित है या झिल्ली रहित यही कोशिका के गुण जीव को प्रभावित करते हैं।

प्रश्न 2.
जीवों के प्रारम्भिक विभाजन के लिए किस मृल लक्षण को आधार बनाया गया?
उनर-
वह मूल लक्षण जिस पर जीवों का प्रारंभिक विभाजन आधारित है वह कोशिका का स्वभाव है अर्थात् वह कोशिका ससीम केद्रक है। ससीम केन्द्रक कोशिका में एक केन्द्रक होता है जो कोशिका के सभी कोशिकीय कार्य जैसे विभाजन की क्षमता और बहुकोशिकीय जीव बनाने की क्षमता इत्यादि गुण पाए जाते हैं जिससे फिर ये विशेष कार्य योग्य बन जाते हैं। इसलिए इस गुण को प्राथमिक गुण माना जाता है।

प्रश्न 3.
किस आधार पर जन्तुओं और वनस्पति को एक दूसरे से भिन्न वर्ग में रखा जाता है?
उत्तर-
पौधों और जन्तुओं को विभिन्न वर्गों में रखने का आधार कोशिकाओं की संरचना व भोजन संश्लेषण करने की क्षमता है। यदि कोशिका की संरचना में कौर कोशिका भीति का होना, पर्णहरित पाया जाना, सूर्य के प्रकाश में भोजन का संश्लेषण करने की क्षमता से तो पौधों के वर्ग में होते हैं। (UPBoardSolutions.com) दूसरी ओर जिन कोशिकाओं में कोशिका भीति के स्थान पर कोशिका झिल्ली पाई जाती है और पर्णहरित नहीं होता तथा वे अपने भोजन का संश्लेषण नहीं करते बल्कि दूसरों के स्वरा,(पौ) बनाए गए भोजन ग्रहण करते हैं जन्तु वर्ग में वर्गीकृत किए जाते हैं। इसी आधार पर पौधे व जन्तु अलग-अलग वर्ग में रखे रोए हैं।’

UP Board Solutions

पाठगत प्रश्न (पृष्ठ संख्या – 93)

प्रश्न 1.
आदिम जीव किन्हें कहते हैं ? ये तथाकथित उन्नत जीवों से किस प्रकार भिन्न हैं?
उत्तर-
पुरातन जीवों को साधारण व आदिम जीव कहा जाता है क्योंकि उनमें कोई विशेष परिवर्तन नहीं हुआ। नए जीवों को जटिल या विकसित जीव कहते हैं क्योंकि उनमें अधिक परिवर्तन हुआ है और उन्होंने अभी ही विशेष डिजाइन के शरीर को ग्रहण किया है।

प्रश्न 2.
क्या उन्नत जीव और जटिल जीव एक होते हैं?
उत्तर-
हाँ, विकसित जीव व जटिल जीव एक समान (जैसे) ही है क्योंकि विकास के समय में ही उनकी जटिलता में वृद्धि हुई है। अतः यह कहना गलत नहीं होगा। कि नए बने या विकसित जीव ही अधिक जटिल जीव हैं।

पाठ्गत प्रश्न (पृष्ठ संख्या – 96)

प्रश्न 1.
मोनेरा या प्रोटिस्टा जैसे जीवों के वर्गीकरण के मापदंड क्या हैं ?
उत्तर-
जीवों को मोनेरा या प्रोटिस्टा किंगडम में वर्गीकृत करने का आधार उनकी कोशिका संरचना, पोषण विधि, पोषण का स्रोत और शारीरिक रचना है। मोनेरा को आर्किबैक्टीरीय और यूबैक्टीरिया (जीवाणु) में विभाजित किया जाता है।

प्रश्न 2.
प्रकाश संश्लेषण करने वाले एककोशिक, यूकैरियोदी जीवों को आप किस जगत में संगै ?
उत्तर-
पादप जगत में रखते हैं।

प्रश्न 3.
वर्गीकरण के विभिन्न पदानुक्रमों में किस समूहमें सर्वाधिक समान लक्षण वाले सबसे कम जीवों को और किस समूह में सबसे ज्यादा संख्या में जीवों को रखा जायेगा ?
उत्तर-
स्पीसीज में सबसे कम जीव लेकिन अधिकतम समानताएँ वाले जीव रखे गये हैं। जरात में सबसे अधिक जीव रखे जाते हैं।

पाठ्गत प्रश्न (पृष्ठ संख्या – 99)

प्रश्न 1.
सरलतम पौधों को किस वर्ग में रखा गया है ?
उत्तर-
सरलतम पौधे थैलोफाइटा वर्ग में रखे गये हैं।

UP Board Solutions

प्रश्न 2.
टेरिडोफाइटा और फैनरोगैमस में क्या अन्तर है ?
उत्तर-
टेरिडोफाइटा – इसमें भ्रूण (एम्ब्रीओ) नग्न होता है जिसे बी एणु कहते हैं। इस डिवीजन में देह तना, पत्तियों व जड़ों से बनी है। संवहन तंत्र विद्यमान होता है। बीज नहीं बनते। इसीलिए इन्हें क्रिप्टोगेमस (बिना बीज) पौधे कहते हैं। सभी फर्न इसी से सम्बन्धित हैं।
फैनरोगेम्स – इनमें देह असली तना, पत्तियाँ व जड़ में विभाजित होती है। इसमें जनन ऊतक बीज बनाते है। निषेवन के पश्चात् भ्रूण बनता है जिसमें संगृहीत भोजन होता है जो अकुरण में सहायक होता है। अतः यह टेरिडोफाइटा से अधिक विकसित होता है। इसमें संवहन तंत्र भी अच्छी प्रकार विकसित होता है। बीज फलों में बन्द होते या नहीं इसी आधार पर इन्हें वर्गीकृत करते हैं।

प्रश्न 3.
जिम्नोस्पर्म और एन्जियोस्पर्म एक-दूसरे से किस प्रकार भिन्न हैं ?
उत्तर-
जैसे तो दोनों वर्ग (डिवीजन) फैनरोगेम्स में पौधे जड़, तने, पत्तियाँ व बीज में विभाजित होते हैं, फिर भी बीजों के अन्तर के आधार पर इन्हें दो वर्गों में विभाजित किया जाता है

  1. जिम्नोस्पर्म – इनमें बीज फलों में बन्द नहीं होते। अतः इन्हें नग्नबीजी भी कहते हैं। ये पौधे काष्ठीय व सदाबहार होते हैं।
    उदाहरण-पाइनस, साइकस, सिड्स।
  2. एन्जियोस्पर्म – इनमें बीज फलों में बन्द होते हैं, अतः ये आवृतबीजी कहलाते हैं। बीजों में बीजपत्रों की संख्या के आधार पर इन्हें दो वर्गों में बाँटा गया है-
    • एकबीजपत्र वाले एक बीजपत्री और
    • दो बीजपत्र वाले पौधे द्विबीजपत्री कहलाते हैं।

अत: दोनों में से कुछ सीमा तक जिम्नोस्पर्म अधिक विकसित समझे जाते हैं।
उदाहरण- पैफियोपडिलम (एकबीजपत्री), आइपोमिया (द्विबीजपत्री)।

पाठगत प्रश्न (पृष्ठ संख्या – 105)

प्रश्न 1.
पोरीफेरा और सिलेन्ट्रेटा वर्ग के जन्तुओं में क्या अन्तर है ?
उत्तर-
दोनों वर्ग के जन्तुओं में निम्नलिखित अन्तर है-
UP Board Solutions for Class 9 Science Chapter 7 Diversity in Living Organisms image - 1

प्रश्न 2.
एनीलिडा के जन्तु आर्थोपोडा के जन्तुओं से किस प्रकार भिन्न हैं?
उत्तर-
एनीलिडा के जीव आर्थोपोडा के जीवों से निम्न गुणों में भिन्न है-
UP Board Solutions for Class 9 Science Chapter 7 Diversity in Living Organisms image - 2
UP Board Solutions for Class 9 Science Chapter 7 Diversity in Living Organisms image - 3

प्रश्न 3.
जल-स्थलचर और सरीसृप में क्या अंतर हैं ?
उत्तर-
जल-स्थलचर और सरीसृप में निम्नलिखित अंतर हैं-
UP Board Solutions for Class 9 Science Chapter 7 Diversity in Living Organisms image - 4

प्रश्न 4.
पक्षी वर्ग और स्तनपायी वर्ग के जंतुओं में क्या अंतर है?
उत्तर-
पक्षी तथा स्तनपायी वर्ग के जंतुओं में निम्नलिखित अंतर हैं-
UP Board Solutions for Class 9 Science Chapter 7 Diversity in Living Organisms image - 5

अभ्यास प्रश्न (पृष्ठ संख्या – 107)

प्रश्न 1.
जीवों के वर्गीकरण से क्या लाभ है ?
उत्तर-
जीवों के वर्गीकरण के निम्नलिखित लाभ हैं

  1. वर्गीकरण करने से जीवों का अध्ययन करना सरल हो जाता है।
  2. वर्गीकरण सभी जीवों की एकदम स्पष्ट तस्वीर प्रस्तुत करता है।
  3. इससे विभिन्न जीवों के समूहों के बीच आपसी सम्बन्धों के बारे में जानकारी मिलती है।
  4. यह अन्य जैविक विज्ञान के विकास को आधार प्रदान करता है।

UP Board Solutions

प्रश्न 2.
वर्गीकरण में पदानुक्रम निर्धारण के लिए दो लक्षणों में से आप किस लक्षण का चयन करेंगे ?
उत्तर-
वर्गीकरण के पदानुक्रम के लक्षणों का चयन हम निम्नरूप से कर सकते हैं

  1. हम जीव के निर्माण की इकाई अर्थात् कोशिका को ध्यान में रखेंगे, इसके बाहर कोशिका झिल्ली है या कोशिका भित्ति, इसमें केन्द्रक है कोशिकांगों में झिल्ली है, (UPBoardSolutions.com) उनके कार्य और उनकी उत्पत्ति जैसे सभी गुणों का अध्ययन करेंगे। इस प्रकार इन गुणों के विकास के आधार पर ही उनका वर्गीकरण करेंगे।
  2. हमें यह भी देखना है अर्थात् अध्ययन करना होगा कि जीव स्वपोषी (स्वयं भोजन बनाना) है या परपोषी (दूसरों को बनाया भोजन ग्रहण करना)। यह विशेष गुण भी वर्गीकरण में सहायता करता है।

प्रश्न 3.
जीवों के पाँच जगत में वर्गीकरण के आधार की व्याख्या कीजिए।
उत्तर-
जीवों को पाँच मुख्य किंगडम में वर्गीकृत करने के लिए प्रयोग किए गए कुछ आधार निम्नलिखित है-

  1. वे जीव असीमकेन्द्री कोशिका से बने हैं या ससीमकेन्द्री कोशिका से। यदि उनकी संरचना असीमकेन्द्री कोशिका से बनी है तो वे प्राथमिक श्रेणी में आते हैं परन्तु यदि वे ससीमकेन्द्री कोशिका से बने हैं तो वे अपेक्षाकृत विकसित जीव होंगे।
  2. जीवों की रचना एक कोशिका से है या वे बहुकोशी हैं। एककोशीय जीव निम्न फाइलमों में होंगे और बहुकोशीय जटिल होंगे।
  3. कोशिकाओं के बाहर कोशिका भित्ति या कोशिका झिल्ली, यदि बाहर कोशिका भित्ति होगी तो उनका आधार कठोर व अधिक सुरक्षात्मक होगा, साथ-ही-साथ अधिक जटिल व विकसित होंगे।
  4. जीव स्वपोषी है या परपोषी। स्वपोषी पौधों की श्रेणी व परपोषी जन्तुओं की किंगडम में होंगे।

प्रश्न 4.
पादप जगत के प्रमुख वर्ग कौन हैं? इस वर्गीकरण का क्या आधार है?
उत्तर-
पादप प्रमुख पाँच वर्ग में बाँटे जाते हैं। ये पाँच वर्ग निम्नलिखित हैं

  1. थैलोफाइटा – इस प्रकार के पौधों के शरीर में विभाजन नहीं होता ये थैलस के रूप में होते हैं जैसे शैवाल, काई।
  2. ब्रायोफाइटा – इसमें पौधे का शरीर तने व पत्तियों के रूप में विभाजित होता है। कोई जल संवहन के लिए ऊतक विशेष नहीं होते, जैसे-मार्केशिया, मॉस इत्यादि।
  3. टैरीडोफाइटा – पादप जड़, तना व पत्तियों के रूप में बँटा होता है। जल संवहन के लिए विशेष ऊतक पाए जाते हैं। जैसे-मारसीलिया आदि।
    ऊपरलिखित तीन विभाजन के पौधों के बीज नहीं होते। इनमें केवल नग्न भुण होता है जिन्हें बीजाणु (spores) कहते हैं। इनको सम्मिलित रूप से क्रिप्टोगेम्स कहते हैं। जिन पौधों में बीज पाए जाते हैं उन्हें फैनरोगेम्स कहते हैं। इनको दो भागों में बाँटते हैं-
    (i) जिम्नोस्पर्म
    (ii) एन्जियोस्पर्म
    (i) जिम्नोस्पर्म – इन पौधों के बीज नग्न होते हैं। ये पौधे सदाबहार व काष्ठीय होते हैं जैसे-पाइनस व साइकस आदि।
    (ii) एन्जियोस्पर्म – इन पौधों के बीज आवृतबीजी होते हैं। पौधों में फल व फूल भी लगते हैं। बीजों में एक या दो बीजपत्र पाए जाते हैं जो अंकुरण में सहायता करते हैं। एक बीजपत्र वाले बीजों को एकबीजपत्री (गेहूँ, चावल आदि) और दो बीजपत्र वालों को द्विबीजपत्री (चना, मटर, मॅग आदि) कहते हैं।

वर्गीकरण का आधार – विभाजनों का पहला आधार है कि पौधे का शरीर जड़, तने, और पत्ती में विभाजित है। या नहीं। दूसरे स्तर पर देखते हैं कि जल व अन्य पदार्थों के संवहन के लिए विशेष प्रकार के ऊतक उपस्थित हैं। तीसरे स्तर पर हमारा आधार होगा कि क्या पौधा बीज उत्पन्न करने में सक्षम है यदि है तो वे बीज आवृतबीजी हैं या नग्नबीजी । आवृतबीजी है तो उनमें कितने बीजपत्र (एक या दो) हैं। यह सभी पौधों के विभाजन के मुख्य आधार हैं।

प्रश्न 5.
जन्तुओं और पौधों के वर्गीकरण के आधारों में मूल अन्तर क्या है?
उत्तर-
पौधों के विभाजन का आधार जन्तुओं के विभाजन (वकर) आधार से भिन्। है। इस विभाजन का मुख्य आः उनकी रचना की उगलता है। पौधों की कोशिका में कोशिका भित्ति होती है और ये अपना भोजन पर्णहरिम (हरावर्णक) की सहायता से सूर्य के प्रकाश में भोजन को संश्लेषण करते हैं। ऐौधे स्थिर होते हैं। जन्तु की को में रोई कोशिका भित्ति ही होती, ये पौधों द्वारा, भोजन ग्रहण करते हैं (परपोषी)। ये गति कर (UPBoardSolutions.com) सकते हैं। इन सभी गुणों के अन्तर को ही वर्गीकरण का आधार माना जाता है जिससे वर्ग, उराव इयादि में जन्तुओं को वर्गीकृत किया जाता है।

UP Board Solutions

प्रश्न 6.
वटा (कशेरुक प्राणी) को विभिन्न वर्गों में बाँटने के आधार की व्याख्या कीजिए।
उत्तर-
सभी वर्टीब्रेटा (कशेरुक प्राणियों) में मेरुदंड पाई जाती है। यह पृष्ठीय खोखली मेरुजु को घेरे रहती है। ग्रसनी विदर या क्लोम विदर प्रायः भ्रूण अवस्था में ही पाए जाते हैं। जलीय जंतुओं; जैसे मछली की वयस्क अवस्था में क्लोम (gills) पाए जाते हैं। मेरुरज्जु का अग्रभाग मस्तिष्क बनाता है। सिर पर नेत्र, कर्ण तथा घ्राणग्राही आदि संवेदी अंग होते हैं। अंतः कंकाल सुविकसित होता है। पेशियाँ अंतः कंकाल से लगी होती हैं। पेशियाँ तथा अस्थियाँ प्रचलन में सहायक होती हैं। वर्टीबेटा के वर्गीकरण के मुख्य आधार – वर्टीब्रेटा के वर्गीकरण के मुख्य आधार निम्नलिखित हैं-

  1. वयस्क अवस्था में या भ्रूण अवस्था में क्लोम विदर का पाया जाना।
  2. त्वचा पर श्लेष्म ग्रन्थियाँ, स्वेद ग्रन्थियाँ, तैल ग्रन्थियाँ, दुग्ध ग्रन्थियाँ आदि का पाया जाना । ।
  3. बाह्य काल शल्क, हॉर्नीप्लेट्स, पर (feathers), बाल से बना हुआ।
  4. अंतः कंकाल उपास्थि या अस्थि से बना हुआ।
  5. श्वसन क्लोम, त्वचा या फेफड़ों द्वारा।
  6. हृदय में वेश्मों की संख्या
  7. अग्रपादों का पंखों में रूपांतरण।
  8. असमतापी या समतापी।
  9. अंडज या जरायुज।
  10. अंडे जल में देना या जल से बाहर देना। अंडे कवचरहित या कवचयुक्त।

अन्य महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
जीतन की विविधता किसे कहते हैं ?
अथवा
नैव विविधग’ से क्या समझते हो ?
उत्तर-
नै विविधता या जीवन की विविधता (Diversits of Life) – जीवों में पाई जाने वाली विभिन्नता या अग्नता को सीवन की विविधता या जैव विविधता रूदने हैं।

प्रश्न 2.
जीवो के वर्गीकरण से क्या तात्पर्य है ?
उत्तर-
लीटों का वर्गीकरण (Classification of living organisms) – नीवों को खोजकर पहचानने, नाम देने तथा इनके गुणों एवं आदतों का पता लगाकर समूहबद्ध करने की क्रिया के जीवों का वर्गीकरण कहते हैं।

प्रश्न 3.
र्गिकी से आप क्या सम्झते हैं ?
उत्तर-
वर्गकी (Taxonomy) – विज्ञान की वह शाखा (UPBoardSolutions.com) जिसके अन्तर्गत जीवों के वर्गीकरण का अध्ययन किया जाता है, वर्गिकी कहलाती है।

प्रश्न 4.
विकासात्मक वर्गीकरण किसे कहते हैं ?
उत्तर-
विकासात्मक वर्गीकरण (Evolutionary Classification) – जो वर्गीकरण विकास के आधार पर किया जाता है उसे विकासात्मक वर्गीकरण कहते हैं।

प्रश्न 5.
वर्गीकरण का पिता किसे कहा जाता है?
उत्तर-
कैरोलस लीनियस को वर्गीकरण का पिता कहा जाता है।

UP Board Solutions

प्रश्न 6.
जगत-मोनेरा के उदाहरण दीजिए।
उत्तर-
जगत-मोनेरा के उदाहरण-जीवाणु, नीली- हरी शैवाल।

प्रश्न 7.
जगत-प्रोटिस्टा के उदाहरण दीजिए।
उत्तर-
जगत-प्रोटिस्टा के उदाहरण-अमीबा, पैरामीशियम।

प्रश्न 8.
जगत-प्लाण्टी के उदाहरण दीजिए।
उत्तर-
जगत- प्लाण्टी के उदाहरण-शैवाल, आवृतबीजी पौधे।

प्रश्न 9.
जगत-फंजाई के उदाहरण दीजिए।
उत्तर-
जगत-फजाई के उदाहरण-सभी कवक।

प्रश्न 10.
जगत-ऐनीमेलिया के उदाहरण दीजिए।
उत्तर-
जगत-ऐनीमेलिया के उदाहरण-सभी बहुकोशिकीय जन्तु जैसे-फीताकृमि, केंचुआ इत्यादि।

प्रश्न 11.
सर्वप्रथम नामकरण पद्धति किसने प्रारम्भ की ?
उत्तर-
सर्वप्रथम नामकरण की पद्धति कैरोलस लीनियस ने प्रारम्भ की।

UP Board Solutions

प्रश्न 12.
ब्रायोफाइटा के उदाहरण दीजिए।
उत्तर-
ब्रायोफाइटा के उदाहरण-मॉस।

प्रश्न 13.
टेरिडोफाइटा के उदाहरण दीजिए।
उत्तर-
टेरिडोफाइटा के उदाहरण-फर्न

प्रश्न 14.
अनावृतबीजी के उदाहरण दीजिए।
उत्तर-
अनावृतबीजी के उदाहरण- पाइनस, साइकस, विलियम सोनिया।

प्रश्न 15.
आवृतबीजी के उदाहरण दीजिए।
उत्तर-
आवृतबीजी के उदाहरण-आम, सरसों, गेहूँ।

प्रश्न 16.
एकबीजपत्री के उदाहरण दीजिए।
उत्तर-
एकबीजपत्री के उदाहरण-मक्का, गेहूँ, जौ, प्याज

प्रश्न 17.
द्विबीजपत्री के उदाहरण दीजिए।
उत्तर-
द्विबीजपत्री के उदाहरण-चना, सरसों, मटर, आम।

UP Board Solutions

प्रश्न 18.
अमीबा किस संघ का प्राणी है ?
उत्तर-
अमीबा प्रोटोजोआ संघ का प्राणी है।

प्रश्न 19.
अमीबा के चलन अंग का नाम बताइये।
उत्तर-
अमीबा के चलन अंग का नाम कूटपाद है।

प्रश्न 20.
अमीबा में चलन (गति) किस अंग द्वारा होता है ?
अथवा
कूटपाद द्वारा किस जन्तु में चलन होता है ?
उत्तर-
अमीबा में चलन कूटपाद द्वारा होता है।

प्रश्न 21.
यूग्लीना किस संघ का प्राणी है ?
उत्तर-
युग्लीना प्रोटोजोआ संघ का प्राणी है।

प्रश्न 22.
यूग्लीना के चलन अंग का नाम बताइये।
उत्तर-
युग्लीना के चलन अंग का नाम फ्लैजिला है।

प्रश्न 23.
यूग्लीना में चलन (गति) किस अंग द्वारा होता है ?
अथवा
फ्लैजिला द्वारा किस जन्तु में चलन होता है ?
उत्तर-
युग्लीना में चलन फ्लैजिला द्वारा होता है।

UP Board Solutions

प्रश्न 24.
सीलिया द्वारा गति किस जन्तु में होती
अथवा
पैरामीशियम में किस अंग के द्वारा गति होती है ?
उत्तर-
पैरामीशियम में गति सीलिया द्वारा होती है।

प्रश्न 25.
संघ-मोलस्का के जन्तुओं के उदाहरण दीजिए।
अथवा
संघ-मोलस्का के दो जन्तुओं के नाम लिखिए।
उत्तर-
संघ-मोलस्का के जन्तुओं का नाम-पाइला, यूनियो (सीप), ऑक्टोपस।

प्रश्न 26.
संघ-इकाइनोडर्मेटा के प्रमुख जन्तुओं के नाम लिखिए।
उत्तर-
संघ-इकाइनोडर्मेटा के जन्तुओं के नाम-स्टारफिश, सी-आरचिन, सी-कुकुम्बर।

प्रश्न 27.
स्टारफिश में चलन किस अंग द्वारा होता है ? नाम बताइये।
उत्तर-
स्टारफिश में चलन नाल पादों (Tube feet) द्वारा होता है।

प्रश्न 28.
मत्स्य वर्ग के जन्तुओं के नाम लिखिए।
उत्तर-
मत्स्य वर्ग के जन्तुओं के नाम-शार्क, रोहू (लेबियो), समुद्री घोड़ा (हिप्पोकैम्पस)

प्रश्न 29.
एम्फीबिया वर्ग के जन्तुओं के नाम लिखिए।
उत्तर-
एम्फीबिया वर्ग के जन्तुओं के नाम-मेंढक, टोड।

UP Board Solutions

प्रश्न 30.
पक्षी वर्ग के उदाहरण दीजिए।
उत्तर-
पक्षी वर्ग के जन्तुओं के उदाहरण-मोर, कबूतर, मुर्गा

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
सम्पूर्ण जीव जगत को कितने जगतों में विभाजित किया गया है ? उनके नाम लिखिए।
उत्तर-
जीव जगत का विभाजन-सम्पूर्ण जीव जगत को निम्न दो जगतों में विभाजित किया गया है

  1. पादप जगत (Plant Kingdom)
  2. जन्तु जगत (Animal Kingdom)

प्रश्न 2.
द्विजगत वर्गीकरण किसे कहते हैं ?
उत्तर-
द्विजगत वर्गीकरण-जिस वर्गीकरण में सम्पूर्ण जीवों को दो जगतों में विभाजित किया गया है, उसे द्विजगत वर्गीकरण कहते हैं।

प्रश्न 3.
द्विजगत वर्गीकरण किस वैज्ञानिक ने किया था ?
उत्तर-
द्विजगत वर्गीकरण स्वीडिस के वैज्ञानिक कैरोलस लीनियस ने किया था।

प्रश्न 4.
कैरोलस लीनियस की वर्गीकरण से सम्बन्धित पुस्तक का नाम क्या है ?
उत्तर-
कैरोलस लीनियस की वर्गीकरण से सम्बन्धित पुस्तक का नाम सिस्टेमा नेचुरी (Systema Naturae) है।

प्रश्न 5.
जीवों का आधुनिक वर्गीकरण किस वैज्ञानिक ने किया ?
उत्तर-
जीवों का आधुनिक वर्गीकरण आर. एच. ह्विटेकर ने किया।

प्रश्न 6.
पाँच जगत वर्गीकरण या आधुनिक वर्गीकरण किसे कहते हैं ?
उत्तर-
आधुनिक वर्गीकरण या पाँच जगत वर्गीकरण-जिस वर्गीकरण में सम्पूर्ण जीवों को पाँच जगतों में विभाजित किया गया है
उस वर्गीकरण को आधुनिक वर्गीकरण या पाँच जगत वर्गीकरण कहते हैं।

UP Board Solutions

प्रश्न 7.
जीवों के नामकरण की पद्धति की क्या आवश्यकता है?
अथवा
जीवों के वैज्ञानिक नामों की क्या आवश्यकता है?
उत्तर-
जीवों को विभिन्न स्थानों पर विभिन्न नामों से पुकारा जाता था।
अतः सम्पूर्ण विश्व में अध्ययन के लिए जीवों के ऐसे नामों की आवश्यकता हुई जो विश्वभर में एकसमान हों। ऐसे नामों को वैज्ञानिक नाम कहा गया।

प्रश्न 8.
द्विनाम पद्धति क्या है ?
उत्तर-
द्विनाम पद्धति (Binomial system) – जिस पद्धति में जीवों का नाम दो शब्दों में रखा जाता है, जिसमें पहला शब्द वंश (Genus) और दूसरा शब्द उसकी जाति (Species) को बतलाता है, उस पद्धति को द्विनाम पद्धति कहते हैं।

प्रश्न 9.
त्रिनाम पद्धति क्या है ?
उत्तर-
त्रिनाम पद्धति-जिस पद्धति में जीवों का नाम तीन शब्दों का रखा जाता है, जिसमें पहला शब्द वंश, दूसरा शब्द उसकी जाति तथा तीसरा शब्द उसकी उपजाति को बतलाता है, उस पद्धति को त्रिनाम पद्धति कहते हैं।

प्रश्न 10.
त्रिनाम पद्धति की क्या आवश्यकता पड़ी?
उत्तर-
त्रिनाम पद्धति की आवश्यकताकभी-कभी अलग-अलग वातावरण में रहने वाले एक ही जाति में कुछ भिन्नताएँ आ जाती हैं। इस समस्या को दूर करने के लिए त्रिनाम पद्धति की आवश्यकता पड़ी।

प्रश्न 11.
पादप जगत को कितने प्रभागों में बाँटा गया है? उनके नाम लिखिए।
उत्तर-
पादप जगत का वर्गीकरण- पादप जगत को निम्न तीन भागों में विभाजित किया गया है

  1. शैवाल (Algae),
  2. ब्रायोफाइटा (Bryophyta) तथा
  3. ट्रेकियोफाइटा (Tracheophyta)

UP Board Solutions

प्रश्न 12.
ट्रेकियोफाइटा को कितने उप-प्रभाग में बाँटा गया है? नाम लिखिए।
उत्तर-
ट्रेकियोफाइटा का वर्गीकरण-ट्रेकियोफाइटा को निम्न तीन उप-प्रभागों में बाँटा गया है

  1. टेरिडोफाइटा (Pteridophyta)
  2. अनावृतबीजी (Gymnosperms)
  3. आवृतबीजी (Angiosperm)

प्रश्न 13.
आवृत्तबीजी पौधों को कितने वर्गों में बाँटा गया है? उनके नाम लिखिए।
उत्तर-
आवृत्तबीजी पौधों का वर्गीकरण आवृतबीजी पौधों को निम्न दो वर्गों में बाँटा गया है

  1. एकबीजपत्री (Monocotyledons)
  2. द्विबीजपत्री (Dicotyledons)

प्रश्न 14.
जन्तु जगत को कितने उप-जगतों में विभाजित किया गया है? उनके नाम लिखिये।
उत्तर-
जन्तु जगत का वर्गीकरण- जन्तु जगत को निम्नांकित उप-जगत में विभाजित किया गया है

  1. अपृष्ठवंशी या अकशेरुकी या नॉन-कॉडेटा (Non-chordata)
  2. पृष्ठवंशी या कशेरुकी या कॉउँटा (Chordata)

प्रश्न 15.
मेंढक को एम्फीबिया वर्ग में क्यों रखा गया है?
उत्तर-
मेंढक एक असमतापी उभयचर है जिसमें एम्फीबिया वर्ग के लगभग सभी लक्षण मौजूद हैं इसलिए इसे एम्फीबिया वर्ग में रखा गया है।

प्रश्न 16.
वर्गीकरण के लाभ लिखिए।
उत्तर-
वर्गीकरण के लाभ-वर्गीकरण के निम्नलिखित प्रमुख लाभ हैं

  1. जीवों की पहचान होना।
  2. जीवों की विविधता का ज्ञान होना।
  3. जीवों के आपसी सम्बन्धों का ज्ञान होना।
  4. जीवों के उत्पत्ति की जानकारी होना।
  5. जीवों के विकास के क्रम का ज्ञान होना।

UP Board Solutions

प्रश्न 17.
द्विजगत वर्गीकरण की कमियाँ बताइये।
उत्तर-
द्विजगत वर्गीकरण की कमियाँ-द्विजगत वर्गीकरण की निम्नलिखित कमियाँ हैं

  1. एककोशिकीय एवं बहुकोशिकीय जीवों को साथ-साथ रखना।
  2. प्रोकैरियोटिक एवं यूकैरियोटिक को साथ-साथ रखना।
  3. स्वपोषी एवं विषमपोषी जीवों को साथ-साथ रखना।
  4. जन्तु समूहों में कुछ पादपों एवं पादप समूहों में कुछ जन्तुओं को रखना।

प्रश्न 18.
वे पाँच लक्षण कौन-कौन से हैं जिनके आधार पर आधुनिक वर्गीकरण किया गया?
उत्तर-
निम्नलिखित पाँच लक्षणों के आधार पर आधुनिक वर्गीकरण किया गया|

  1. कोशिका की जटिलता प्रोकैरियोटिक या यूकैरियोटिक।
  2. पोषण विधियाँ।
  3. जीवन शैली।
  4. जीव जगत की संगठनात्मक जटिलता-एक कोशिकीयता एवं बहुकोशिकीयता।
  5. जीवों का विकासात्मक या जातिवृत्तीय सम्बन्ध।

प्रश्न 19.
पाँच जगत वर्गीकरण (आधुनिक वर्गीकरण) की कमियाँ बताइये।
उत्तर-
पाँच जगत वर्गीकरण (आधुनिक वर्गीकरण) की कमियाँ-इस वर्गीकरण की निम्नलिखित कमियाँ हैं

  1. एककोशिकीय शैवालों को अलग रखना।
  2. प्रोटिस्टा जगत का विविधतापूर्ण होना।
  3. जीवों की उत्पत्ति को बहुस्रोत वाली दर्शाना।
  4. विषाणु का स्थान निश्चित न होना।
  5. मिलते-जुलते गुणों वाले जीवों को दूर रखना।

प्रश्न 20.
शैवालों के लक्षण लिखिए।
उत्तर-
शैवाल के लक्षण

  1. इनका शरीर शूकायवत (Thalloid) होता है। अर्थात् यह जड़, तना एवं पत्ती में विभेदित नहीं होता है।
  2. ये स्वपोषी जीव होते हैं।
  3. इनके शरीर में संवहनी ऊतक नहीं पाया जाता है।
  4. ये जलीय वातावरण या नम स्थानों में पाये जाते हैं।

प्रश्न 21.
ब्रायोफाइटा के लक्षण लिखिए।
उत्तर-
ब्रायोफाइटा के लक्षण

  1. ये असंवहनी (Non-vascular), हरित लवक युक्त पौधे हैं।
  2. इनमें निषेचन के बाद भ्रूण (Embryo) बनता है तथा इनके निषेचन के लिए जल आवश्यक है।
  3. इनमें प्रतिपृष्ठ सतह पर मूलरोमों के समान रचनाएँ पाई जाती हैं जिन्हें मूलाभास (Rhizoids) कहते हैं।
  4. कुछ विकसित ब्रायोफाइट्स में तने सदृश रचनाएँ पाई जाती हैं।
  5. ये नम भूमि या पेड़ की छालों आदि पर पाये जाते हैं।

प्रश्न 22.
ट्रेकियोफाइटा के लक्षण लिखिए।
उत्तर-
ट्रेकियोफाइटा के लक्षण

  1. इनमें संवहनी ऊतक जाइलम (Xylem) एवं फ्लोएम (Phloem) पाये जाते हैं।
  2. इनका शरीर विभिन्न परिस्थितियों में रहने के लिए अनुकूलित होता है।
  3. ये पौधे जड़, तना तथा पत्ती में विभेदित होते हैं।
  4. इनमें श्रम विभाजन पाया जाता है।

UP Board Solutions

प्रश्न 23.
टेरिडोफाइटा के लक्षण लिखिए।
उत्तर-
टेरिडोफाइटा के लक्षण

  1. इनका शरीर जड़, तना तथा पत्ती में विभेदित होता है।
  2. इनमें संवहनी ऊतक पाया जाता है जो जाइलम एवं फ्लोएम का बना होता है।
  3. ये पुष्पहीन होते हैं अतः इनमें बीज का निर्माण ही नहीं होता।
  4. इनका मुख्य पौधा बीजाणुभिद् होता है जिस पर बीजाणु पैदा होते हैं, जो अंकुरित होकर युग्मोद्भिद पौधे का निर्माण करते हैं।

प्रश्न 24.
जिम्नोस्पर्म (अनावृत्तबीजी) के लक्षण लिखिए।
उत्तर-
जिम्नोस्पर्म (अनावृत्तबीजी) के लक्षण

  1. इन पौधों के बीजों के चारों तरफ कोई आवरण नहीं पाया जाता है अतः इनके बीज नग्नं बीज होते हैं।
  2. इनमें वायु द्वारा परागण होता है।
  3. ये पौधे बहुवर्षी, काष्ठीय तथा मरुद्भिद स्वभाव के होते हैं।
  4. इनका संवहनी ऊतक जाइलम एवं फ्लोएम में विभेदित रहता है।

प्रश्न 25.
एन्जियोस्पर्म (आवृत्तबीजी) के लक्षण लिखिए।
उत्तर-
एन्जियोस्पर्म (आवृत्तबीजी) के लक्षण

  1. इन पौधों के बीजों के चारों ओर आवरण पाया जाता है।
  2. इनमें दोहरे निषेचन की क्रिया पाई जाती है।
  3. इनमें वातावरण के प्रति बहुत अधिक अनुकूलन पाया जाता है।
  4. ये परजीवी (अमरबेल), मृतजीवी (ऑर्किड), सहजीवी (दाल वाले पादप) तथा स्वपोषी रूप में पाये जाते हैं।

प्रश्न 26.
एकबीजपत्री के लक्षण लिखिए।
उत्तर-
एकबीजपत्री के लक्षण

  1. इनके बीजों में केवल एक बीजपत्र पाया जाता है।
  2. इनकी पत्तियों में समानान्तर शिराविन्यास पाया जाता है।
  3. इनकी पत्तियाँ अवृन्त रहती हैं।
  4. इनमें प्रायः रेशेदार (झकड़ा) जड़े होती हैं।
  5. इनके पुष्पों के तीन भाग या इसके गुणांक में होते हैं।

प्रश्न 27.
द्विबीजपत्री के लक्षण लिखिए।
उत्तर-
द्विबीजपत्री के लक्षण

  1. इनके बीजों में दो बीजपत्र पाये जाते हैं।
  2. इनकी पत्तियों में जालिकावत् शिराविन्यास होता है।
  3. इनकी पत्तियाँ प्रायः सवृन्त होती हैं।
  4. इनमें मूसला जड़ पाई जाती है।
  5. इनके पुष्प के भाग चार या पाँच या इनके गुणांक में होते हैं।

UP Board Solutions

प्रश्न 28.
एम्फीबिया वर्ग (उभयचरों) के लक्षण लिखिए।
उत्तर-
वर्ग-उभयचर या एम्फीबिया (ClassAmphibia) के लक्षण

  1. ये जन्तु उभयचर होते हैं अर्थात् ये अपना जीवनयापन जल एवं थल दोनों में करते हैं।
  2. इनकी त्वचा, नम, चिकनी एवं ग्रन्थिमय होती है।
  3. ये असमतापी या शीत रुधिर प्राणी होते हैं।
  4. इनमें बाह्य निषेचन होता है।

प्रश्न 29.
सरीसृप या रेप्टीलिया वर्ग के लक्षण लिखिए।
उत्तर-
वर्ग-सरीसृप या रेष्टीलिया (Class-Reptilia) के लक्षण

  1. ये जन्तु असमतापी तथा रेंगकर चलने वाले जलचर एवं स्थलचर होते हैं।
  2. इनके हृदय में दो अलिंद एवं एक निलय अर्थात् तीन कोष्ठ पाये जाते हैं।
  3. इनकी त्वचा रूखी एवं ग्रन्थिविहीन होती है। लेकिन इनकी त्वचा पर शल्क पाये जाते हैं।

प्रश्न 30.
पक्षी वर्ग के लक्षण लिखिए।
उत्तर-
पक्षी वर्ग (Class-Aves) के लक्षण

  1. ये समतापी या गर्म रक्त प्राणी हैं।
  2. इनका शरीर सिर, धड़ एवं पूँछ में बँटा होता है।
  3. इनके हृदय में चार कोष्ठ अर्थात् दो अलिंद एवं दो निलय पाये जाते हैं।
  4. इनके कंकाल में छोटे-छोटे कोष्ठ पाये जाते हैं। जिनमें हवा भरी होती है अर्थात् इनकी हड्डियाँ खोखली एवं हल्की होती हैं। इनसे इन जन्तुओं को उड़ने में सहायता मिलती है।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
ऐसे लक्षणों के तीन वास्तविक उदाहरण उद्धत कीजिए जो पदानुक्रम वर्गीकरण के लिए प्रयोग किए जाते हैं।
उत्तर-
(i) एक यूकैरियोटी कोशिका में केन्द्रक समेत कुछ झिल्ली से घिरे कोशिकांग होते हैं, जिसके कारण कोशिकीय क्रिया अलग-अलग कोशिकाओं में दक्षतापूर्वक होती रहती है। यही कारण है कि जिन कोशिकाओं में झिल्लीयुक्त कोशिकांग और केन्द्रक नहीं होते हैं, उनकी जैव रासायनिक (UPBoardSolutions.com) प्रक्रियाएँ भिन्न होती हैं। इसका असर कोशिकीय संरचना के सभी पहलुओं पर पड़ता है। इसके अतिरिक्त केन्द्रकयुक्त कोशिकाओं में बहुकोशिक जीव के निर्माण की क्षमता होती है क्योंकि वे किसी विशेष कार्यों के लिए विशिष्टीकृत हो सकते हैं। इसलिए कोशिकीय संरचना और कार्य वर्गीकरण का आधारभूत लक्षण है।
(ii) कोशिकाएँ जो एक साथ समूह बनाकर किसी जीव का निर्माण करती हैं, उनमें श्रम-विभाजन पाया जाता है। शारीरिक संरचना में सभी कोशिकाएँ एक समान नहीं होती हैं, बल्कि कोशिकाओं के समूह कुछ विशेष कार्यों के लिए विशिष्टीकृत हो जाते हैं। यही कारण है कि जीवों की शारीरिक संरचना में इतनी विभिन्नता होती है।
(iii) स्वयं भोजन बनाने की क्षमता रखने वाले और बाहर से भोजन प्राप्त करने वाले जीवों की शारीरिक संरचना में आवश्यक भिन्नता पाई जाती है।

UP Board Solutions

प्रश्न 2.
जल-स्थलचर और सरीसृप में तीन अन्तर लिखिए।
उत्तर-
जल-स्थलचर और सरीसृप में तीन अन्तर निम्नलिखित हैं-
UP Board Solutions for Class 9 Science Chapter 7 Diversity in Living Organisms image - 6

प्रश्न 3.
फाइलम कॉडेटा के तीन विशेष लक्षण बताइए।
उत्तर-
फाइलम (संघ) कॉडेटा (chordata) के विशेष लक्षण निम्नलिखित हैं

  • जीवन की किसी न किसी अवस्था में नोटोकॉर्ड (notochord) अवश्य पाई जाती है।
  • तंत्रिका रज्जु (nerve chord) खोखला तथा पृष्ठतलीय होता है।
  • हृदय अधर तल पर स्थित होता है। चल रुधिराणु हीमोग्लोबिन के कारण श्वसन में सहायक होते हैं।

प्रश्न 4.
उन तीन मुख्य लक्षणों का उल्लेख कीजिए जिन्हें जीवों को वर्गीकृत करने के लिए ध्यान में रखा गया है।
उत्तर-
जीवों को वर्गीकृत करने के लिए निम्नलिखित लक्षणों को ध्यान में रखा गया है|

  • जीव प्रोकेरियोटी या यूकेरियोटी (UPBoardSolutions.com) कोशिका का बना है।
  • कोशिकाएँ स्वतंत्र हैं या बहुकोशिकीय संगठन और जटिल जीव के रूप में हैं।
  • कोशिकाओं में कोशिका भित्ति है। वे अपना भोजन संश्लेषित करते हैं।

प्रश्न 5.
वर्ग जल-स्थलचर की छह विशेषतायें लिखिए।
उत्तर-
जल-स्थलचर वर्ग की छह विशेषतायें

  • जीव जल तथा नम स्थानों में स्थल पर रहते हैं। शीत रुधिर एवं अंडज वर्टीब्रेट।
  • त्वचा मुलायम, आर्द्र तथा बिना स्केल की होती
  • अधिकतर पाँच अँगुलियों वाले दो जोड़ी हाथ होते हैं।
  • नेत्र गोलक इधर-उधर घुमाये जा सकते हैं।
  • नासा छिद्र होते हैं।
  • जीभ चिपचिपी एवं श्लेष्मिक झिल्ली से जुड़ी होती है।

UP Board Solutions

प्रश्न 6.
वर्ग सरीसृप की छः विशेषतायें लिखिए।
उत्तर-
सरीसृप वर्ग की छह विशेषतायें

  • ये अधिकांश थलचर हैं।
  • त्वचा सूखी एवं शल्कों से ढकी होती है।
  • शीत रुधिर चाले जंतु हैं।
  • श्वसन मुख्य रूप से फेफड़ों से होता है।
  • शरीर सिर, ग्रीवा, धड़ तथा पूँछ में बँटा होता है।
  • अंत: कंकाल अस्थियों (bones) का बना होता है।

प्रश्न 7.
(a) अमीबा किस संघ का प्राणी है ? इसका प्राप्ति स्थान क्या है ? यह एक स्थान से दूसरे स्थान पर कैसे जाता है ?
(b) कवक अपना भोजन क्यों नहीं बना पाते हैं?
(c) सीलेण्टरॉन क्या है ? किन्हीं दो जंतुओं के नाम लिखिए जिनमें सीलेण्टरॉन पाई जाती है।
उत्तर-
(a) अमीबा प्रोटियस (Amoeba proteus) –  संघ प्रोटोजोआ का एक कोशिकीय प्राणी है। यह साधारणतः पोखरों, तालाबों की कीचड़ में पाया जाने वाला सूक्ष्म जीव है। इसमें चलन पादाभ या कूटपाद द्वारा होता है।
(b) कवकों में पर्णहरित (chlorophyll) – नहीं होता, अतः वे अपना भोजन नहीं बना पाते। ये विषमपोषी (heterotrophic) या परपोषी होते हैं। ये मृतपोषी, परजीवी या सहजीवी होते हैं।
(c) सीलेण्टरॉन देहगुहा तथा आहारनाल दोनों का कार्य करने वाली गुहा (cavity) होती है। उदाहरण-हाइड्रा या ओबीलिया।

प्रश्न 8.
“जीवों के वर्गीकरण का जैव विकास से निकट का सम्बन्ध है।” क्या आप इसे कथन से सहमत हैं ? एक उदाहरण के साथ टिप्पणी कीजिए।
उत्तर-
जैव विकास की अवधारणा को वर्गीकरण से संबंधित करके देखें तो दो तरह के जीव पाये जाते हैं
(i) आदिम अथवा निम्न जीव।
(ii) उन्नंत अथवा उच्च जीव।
(i) आदिम अथवा निम्न जीव – वे जीव जिनकी शारीरिक संरचना में प्राचीन काल से लेकर आज तक कोई विशेष परिवर्तन नहीं हुआ है, आदिम अथवा निम्न जीव कहलाते हैं।
(ii) उन्नत अथवा उच्च जीव – वे जीव जिनकी शारीरिक संरचना में प्राचीन काल से आज तक पर्याप्त परिवर्तन हुआ है, उन्नत अथवा उच्च जीव कहलाते हैं। वर्गीकरण में हम जीवों को सरल से जटिल की तरफ व्यवस्थित करने का प्रयास करते हैं, जैसा कि निर्विवाद प्रमाणित हो चुका (UPBoardSolutions.com) है कि जीवों का विकास सरल से जटिल की ओर या आदिम से उन्नत की ओर हुआ। शारीरिक संरचना में समय के साथ या विकास के साथ परिवर्तन आते गये। अत: वर्गीकरण जैव विकास से निकट संबंधित है।

प्रश्न 9.
निम्न में से प्रत्येक का एक उदाहरण दीजिए
(i) अंडे देने वाला एक स्तनपायी।
(ii) एक मछली जिसका कंकाल केवल उपास्थि का बना होता है।
(iii) कवकों की कुछ प्रजातियाँ जो नील हरित शैवाल (साइनोबैक्टीरिया) के साथ स्थायी अंतर्सम्बन्ध बनाती हैं।
(iv) पादप वर्ग का उभयचर।
उत्तर-
(i) प्लेटिपस,
(ii) शार्क,
(iii) लाइकेन,
(iv) ब्रायोफाइट।

UP Board Solutions

प्रश्न 10.
द्विबीजपत्री एवं एकबीजपत्री में पाँच अन्तर लिखिए।
उत्तर-
द्विबीजपत्री एवं एकबीजपत्री में पाँच प्रमुख अन्तर निम्नलिखित हैं-
UP Board Solutions for Class 9 Science Chapter 7 Diversity in Living Organisms image - 7

प्रश्न 11.
वंश कोशिका किस संघ के जन्तुओं में पाई जाती है? इस संघ के दो उदाहरण दीजिए।
उत्तर-
दंश कोशिका संघ सीलेण्टरेटा के जन्तुओं में पाई जाती है। इस संघ के दो जन्तु हाइड्रा तथा ओबीलिया हैं।

प्रश्न 12.
बरसात में रास्ता फिसलने वाला क्यों हो जाता है ? ऐसी दशा उत्पन्न करने वाले इन जीवों को किस संघ में रखते हैं ?
उत्तर-
बरसात में रास्ते में नमी के कारण नीले-हरे शैवाल (UPBoardSolutions.com) उग आते हैं। इन शैवालों की कोशिका भित्ति से काफी मात्रा में श्लेष्मक होता है। अतः रास्ता फिसलने वाला हो जाता है। इन जीवों को संघ साइनोफाइटा में रखते हैं।

प्रश्न 13.
पादप जगत के वर्गीकरण का रेखाचित्र बनाइये।
उत्तर-
पादप जगत के वर्गीकरण रेखाचित्र-
UP Board Solutions for Class 9 Science Chapter 7 Diversity in Living Organisms image - 8

प्रश्न 14.
अपृष्ठवंशी या अकशेरुकी या नॉनकॉर्डेटा के विशिष्ट लक्षण लिखिए।
अथवा
उप-जगत नॉन-कॉडेटा के मुख्य लक्षण लिखिए।
उत्तर-
अपृष्ठवंशी (अकशेरुकी) या नॉन-कॉउँटा (Non-chordata) के विशिष्ट लक्षण

  1. शरीर में मेरुदण्ड का अभाव रहता है।
  2. रक्त में लाल रक्त कणिकाओं का अभाव रहता है।
  3. मस्तिष्क ठोस होता है।
  4. हृदय स्पष्ट नहीं होता। यदि उपस्थित रहता है। तो शरीर के पृष्ठ तल पर उपस्थित रहता है।
  5. शरीर पर बाह्य कंकाल (Exoskeleton) पाया जाता है।

UP Board Solutions

प्रश्न 15.
अकशेरुकी (अपृष्ठवंशी या नॉनकॉडेटा) को कितने संघों में विभाजित किया गया है? उनके नाम लिखिए।
अथवा
नॉन-कॉडेटा के वर्गों के नाम लिखिए।
उत्तर-
अकशेरुकी, अपृष्ठवंशी या नॉन-कार्डेटा (Non-chordata) का वर्गीकरण – इस उप-जगत को निम्नलिखित 9 संघों में विभाजित किया गया है

  1. प्रोटोजोआ (Protozoa),
  2. पोरीफेरा (Porifera),
  3. सीलेन्टरेटा (Coelenterata)
  4. प्लैटीहेल्मेन्थीस (Platyhelminthes),
  5. निमैटहेल्मिन्थीस (Nemathelminthes)
  6. ऐनेलिडा (Annelida)
  7. आर्थोपोडा (Arthropoda)
  8. मोलस्का (Mollusca)
  9. इकाइनोडर्मेटा (Echinodermata)

प्रश्न 16.
संघ-पोरीफेरा के लक्षण लिखिए।
उत्तर-
संघ-पोरीफेरा (Phylum-Porifera) के लक्षण-

  1. ये जन्तु बहुकोशिकीय होते हैं।
  2. ये जन्तु द्विस्तरीय (Diploblastic) होते हैं।
  3. इस संघ के जन्तुओं में मुख नहीं होता, परन्तु छोटे-छोटे रन्ध्र (Ostia) ही मुख का कार्य करते हैं।

प्रश्न 17.
संघ-सीलेन्टरेटा के लक्षण लिखिए।
उत्तर-
संघ-सीलेन्टरेटा (Phylum-Coelenterata)-

  1. ये जन्तु द्विस्तरीय (Diploblastic) होते हैं।
  2. इनके शरीर में लम्बी केन्द्रीय गुहा होती है।
  3. इन जन्तुओं की पीढ़ियों में एकान्तरण होता है।
  4. ये जन्तु द्विलिंगी (Bisexual) होते हैं।
  5. इनमें श्रम विभाजन पाया जाता है।

अभ्यास प्रश्न

बहुविकल्पीय प्रश्न

1. कूटपाद से गति करता है
(a) अमीबा
(b) कॉकरोच
(c) केचुआ
(d) पैरामीशियम।

2. श्रम विभाजन पाया जाता है
(a) मनुष्य में
(b) हाइड्रा में
(c) मेंढक में
(d) पक्षियों में

3. अमीबा निम्न वर्ग का प्राणी है
(a) पोरीफेरा
(b) सीलेन्टरेटा
(c) प्रोटोजोआ
(d) प्लेटीहेल्मिन्थीस।

UP Board Solutions

4. ऑर्थोपोडा संघ का जन्तु है
(a) बिच्छू
(b) हाईड्रा
(c) ऑक्टोपस
(d) केंचुआ।

5. स्टारफिश में चलन होता है
(a) कूटपाद से
(b) सीलिया से
(c) टाँगों से
(d) नाल पादों से।

6. सीलेण्टेरेटा फाइलम का जन्तु है
(a) सी एनीमोन
(b) स्पांज
(c) यूग्लीना
(d) टेपवर्म

7. अमीबा और पैरामीशियम हैं
(a) एनीलिड
(b) आर्थोपोड
(c) सीलेन्टरेट
(d) प्रोटिस्टा।

8. फाइलम प्लेटीहेलमिन्थीज का जन्तु है
(a) सी एनीमोन
(b) स्पॉन्ज
(c) यूग्लीना
(d) टेपवर्म

UP Board Solutions

9. पोरीफेरा फाइलम का जन्तु है
(a) सी एनीमोन
(b) स्पॉन्ज
(c) यूग्लीना
(d) टेपवर्म
(d) टपवमा

10. एस्केहेलमिन्थीज फाइलम का जन्तु है
(a) पिन वर्म
(b) टेपवर्म
(c) फ्लेट वर्म
(d) फ्लूक।

11. आर्थोपोडा का उदाहरण है
(a) केचुआ।
(b) जोंक
(c) मकड़ी।
(d) एस्केरिस

12. कौन मोलस्क फाइलम का जन्तु है
(a) केंचुआ।
(b) ऑक्टोपस
(c) कॉकरोच
(d) घरेलू मक्खी

13. उपफाइलम वर्टीब्रेटा का उदाहरण है
(a) डोलियोलम
(b) मेंढक
(c) ब्रान्कियोस्टोमा
(d) पायरोसोमा।

UP Board Solutions

14. गिल्स के द्वारा श्वसन किसमें नहीं होता
(a) टोरपीडो में
(b) डॉगफिश में
(c) छिपकली में
(d) सी हॉर्स में।

15. गर्म रुधिर वाला जन्तु है
(a) गौरेया
(b) साँप
(c) मेंढक
(d) डॉग फिश

16. शीत रुधिर वाला जन्तु है
(a) कबूतर
(b) मेंढक
(c) कौआ
(d) बकरी।

17. तीन प्रकोष्ठों वाला हृदय पाया जाता है|
(a) फ्लाइंग लिजार्ड में
(b) एनावास में
(c) डॉग फिश में
(d) उपर्युक्त सभी में।

18. चार प्रकोष्ठों वाला हृदयं पाया जाता है
(a) उल्लू में
(b) चिम्पैंजी में
(c) कुत्ते में
(d) उपरोक्त सभी में।

19. स्तनधारी वर्ग का जन्तु है
(a) उल्लू
(b) चिम्पैंजी
(c) कौआ
(d) इनमें में से कोई भी नहीं।

20. मनुष्य का वैज्ञानिक नाम है
(a) एबेना
(b) होमोसेपियन्स
(c) पेन्थरालियो
(d) इनमें से कोई नहीं।

21. द्विपदीय नाम पद्धति को शुरू किया
(a) ई. एच. हीकल ने
(b) रॉबर्ट व्हिटेकर ने
(c) केरोलस लीनियस ने
(d) डार्विन ने।

UP Board Solutions

22. जुड़े हुए पैर पाए जाते हैं
(a) एनीलिडा में
(b) आर्थोपोडा में
(c) सीलेण्टरेटा.में
(d) इनमें से कोई नहीं।

23. अप्रत्यक्ष जननांगे पाये जाते हैं
(a) जिम्नोस्पर्म में
(b) एंजियोस्पर्म में
(c) टेरिडोफाइट में
(d) इनमें से कोई नहीं।

24. किसमें थैलस नहीं पाया जाता
(a) शैवाल
(b) मॉस
(c) कवक
(d) लाइकेन।

25. शैवाल है
(a) एस्परजीलस
(b) पेनीसिलियम
(c) एगारीकस
(d) यूलोथ्रिक्स।

26. यूलोथिक्स है
(a) एल्गी
(b) कवक
(c) टेरिडोफाइट
(d) ब्रायोफाइटा

27. ब्रायोफाइटा का उदाहरण है
(a) नील हरित शैवाल
(b) जीवाणु
(c) लिवर वर्ट
(d) फर्न

28. टेरिडोफाइटा का उदाहरण है
(a) यूलोथिरेक्स
(b) जीवाणु
(c) लिवर वर्ट।
(d) फर्न

UP Board Solutions

29. जिम्नोस्पर्म है
(a) हॉर्नवर्ट
(b) फर्न
(c) लिवरवर्ट
(d) साइकस।

30. एन्जियोस्पर्म है
(a) मटर
(b) हॉर्नवर्ट
(c) फर्न
(d) मॉस।

31. पेनिसीलियम सदस्य है
(a) शैवाल का
(b) कवक का
(c) टेरियोफाइट का
(d) फेनरोगेम का।

32. प्रोटोजोआ है-
(a) सी एनीमोन।
(b) स्पांज
(c) यूग्लीना
(d) टेपवर्म

33. नग्न बीज पाये जाते हैं
(a) जिम्नोस्पर्म में
(b) एंजियोस्पर्म में
(c) टेरिडोफाइट में
(d) इन सभी में।

34. बीज फल के अन्दर पाये जाते हैं
(a) जिम्नोस्पर्म में
(b) एंजियोस्पर्म में
(c) टेरिडोफाइट में
(d) इन सभी में।

UP Board Solutions

35. द्विकोष्ठकीय हृदय पाया जाता है
(a) मछली में
(b) साँप में
(c) मेंढक में
(d) छिपकली में।

36. त्रिकोष्ठीय हृदय पाया जाता है
(a) साँप में
(b) मेंढक में
(c) छिपकली में
(d) इन सभी में

37, चार कोष्ठकीय हृदय पाया जाता है
(a) मेंढक में
(b) छिपकली में
(c) मगरमच्छ में
(d) उपर्युक्त में से किसी में नहीं।

38. चार कोष्ठकीय हृदय पाया जाता है
(a) मगरमच्छ में
(b) मनुष्य में
(c) कुत्ते में
(d) उपर्युक्त सभी में।

39. पक्षी वर्ग को जन्तु नहीं है|
(a) मोर
(b) चमगादड़
(c) कबूतर
(d) गौरैया।

40. अंडज है
(a) मछली
(b) मेंढक
(c) साँप
(d) ये सभी।

UP Board Solutions

41. शिशु को जन्म देते हैं
(a) स्तनपायी
(b) सरीसृप
(c) पक्षी
(d) ये सभी।

उत्तरमाला

  1. (a)
  2. (b)
  3. (c)
  4. (a)
  5. (d)
  6. (a)
  7. (d)
  8. (d)
  9. (b)
  10. (a)
  11. (c)
  12. (b)
  13. (b)
  14. (c)
  15. (a)
  16. (b)
  17. (a)
  18. (d)
  19. (b)
  20. (b)
  21. (c)
  22. (b)
  23. (c)
  24. (b)
  25. (d)
  26. (a)
  27. (c)
  28. (d)
  29. (d)
  30. (a)
  31. (b)
  32. (c)
  33. (a)
  34. (b)
  35. (a)
  36. (d)
  37. (c)
  38. (d)
  39. (b)
  40. (d)
  41. (a)

We hope the UP Board Solutions for Class 9 Science Chapter 7 Diversity in Living Organisms (जीवों में विविधता) help you. If you have any query regarding UP Board Solutions for Class 9 Science Chapter 7 Diversity in Living Organisms (जीवों में विविधता), drop a comment below and we will get back to you at the earliest.

UP Board Solutions for Class 9 English Grammar Chapter 5 Modal Auxiliaries

UP Board Solutions for Class 9 English Grammar Chapter 5 Modal Auxiliaries

SOLVED EXERCISES BASED ON TEXT BOOK

These Solutions are part of UP Board Solutions for Class 9 English. Here we have given UP Board Solutions for Class 9 English Grammar Chapter 5 Modal Auxiliaries

EXERCISE ::
Fill in the blanks with modal auxiliaries will/shall in the following sentences :

Questions.

1. Radha is a good girl she ……………………………………help you.
2. Hari is a good boy. He……………………………… obey his elders.
3.I …………………………………………. go to the play ground today.
4.He …………………………………………….. get a new shirt today.
5.They ……………………………… go to Delhi to see the Red Fort.
6.I ………………….. not go with you as my examinations are near.
7. These boys …………………………………….. play a match today.
8. He …………………………………….. be rewarded for his bravery.
9. …………………………………………………….. you do me a favour?
10. ……………………………………………………. he call you in need?
Answers:
1. will
2. will
3. shall
4. shall
5. will
6. shall
7. shall
8. will
9. Will
10. Will.

UP Board Solutions

EXERCISE :: 2
Fill in the blanks with modal auxiliaries may/can/must or must not in the following sentences :

Questions.

1. I am sorry. I ……………………………………………………… not help you.
2. It is very dark. You …………………………………………….. not go now.
3. Everyone ……………………………………………….. love his motherland.
4.A student ……………. write his name anywhere in the answer book.
5.You should go there. Your brother…………………………… be in danger.
6. Time is very short. I ……………………… work hard to finish the work.
7. The chair is for Kumar. You …………………………………………. sit here.
8.It ………………………………………………………………………rain today.
9. He is my friend. He …………………………………………. take any book.
10. …………………………………………………………. you succeed in life !
Answers:
1. can
2. can
3. must
4. must not
5. may
6. must
7. may
8. may
9. can
10. May.

EXERCISE :: 3
Fill in the blanks with modal auxiliaries should/would/might/ought/need or need not in the following sentences :

Questions.

1. A good boy……………………………………. get up early in the morning.
2. We…………………………………………………… obey our teachers.
3. An honest boy ………………………………………. not steal anything.
4.We …………………………………………………… help the poor.
5.He ………………………………………………. do his home-work daily.
6. Hari told me that he ……………………………………………. not go there.
7. ……………………………………………………….. you please do it?
8.Sometimes my father ………………………. get angry and…………beat us.
9. The sky is clear. But it …………………………………. rain in the evening.
10. He ……………………………………………… to do his duty sincerely.
Answers:
1. would
2. should
3. would
4. should
5. ought to
6. would
7. Might
8. might
9. might
10. ought.

UP Board Solutions

EXERCISE :: 4
Fill in the blanks with suitable Modals given in the brackets in the following sentences :

Questions.

1. He …………… rent a house for hundred rupees ten years ago. (must, could, can, should)
2. We are getting late so we ……. go to the station by taxi.(must, can, might, ought)
3.All students ….. answer the first question and any other four questions.(could, might, can, must)
4. He …………………. drive any car.(must, can, should, might)
5.The Headmaster said that the students .. …… go for a picnic.(may, might, should, must)
6. For every tree that is cut down, we……………………. plant two.(may, might, must, can)
7. The teacher said that we ……………. go and see the match.(may, can, shall, might)
8. Walk carefully lest you …………….. fall.(should, will, may, can)
9. Your hair have grown too long, you ……………… have a hair-cut. (can, may, will, should)
10. ………………………… I take your pen just for a minute? (will, may, must, could)
Answers:
1. could
2. must
3. must
4. can
5. might
6. must
7. should
8. should
9. should
10. May.

EXERCISE :: 5
Fill in the blanks with suitable Modals given in the brackets in the following sentences :

Questions.

1.This is not heavy. You ………………. lift it easily. (can, should, must)
2.Our examination is drawing near. We ………………………………………..
work hard………………………………………………………(should, ought, can)
3.He ……………….. have received my letter by now. (must, ought, will)
4.You ……………………….. worry about Mukesh. (need, would, should)
5.We………………………………. defend our country. (must, ought, could)
6.I …………………………….. try to do better next time. (will, shall, need)
7.You …………………………………… keep your promise. (must, may, can)
8.The sky is clear now. But it ………………………………. ………………. rain
within two hours. ……………………………………………(may, could, might)
Answers:
1. can
2. should
3. must
4. need
5. must
6.shall
7. must
8. might.

UP Board Solutions

We hope the UP Board Solutions for Class 9 English Grammar Chapter 5 Modal Auxiliaries help you. If you have any query regarding UP Board Solutions for Class 9 English Grammar Chapter 5 Modal Auxiliaries, drop a comment below and we will get back to you at the earliest.

UP Board Solutions for Class 8 Hindi Chapter 5 अपराजिता (मंजरी)

UP Board Solutions for Class 8 Hindi Chapter 5 अपराजिता (मंजरी)

These Solutions are part of UP Board Solutions for Class 8 Hindi. Here we have given UP Board Solutions for Class 8 Hindi Chapter 5 अपराजिता (मंजरी).

महत्वपूर्ण गद्यांशों की व्याख्या 

कभी-कभी अचानक ………………………………………………………. नहीं ठहराता।
संदर्भ-प्रस्तुत गद्यांश हमारी पाठ्यपुस्तक ‘मंजरी’ के संकलित पाठ अपराजिता’ नामक कहानी से उद्धत है। इस कहानी की लेखिका शिवानी हैं।
प्रसंग-प्रस्तुत गद्यांश में लेखिका ने दिव्यांगों की स्थिति को मार्मिक वर्णन किया है।
व्याख्या-कभी-कभी हमें ऐसे विकलांग व्यक्ति भी मिलते हैं जिन्हें देखकर हमें अपने जीवन का खालीपन बहुत छोटा लगने लगती है। तब हमें यह एहसास होता है कि भले ही ईश्वर ने हमें कुछ विपत्ति दी है (UPBoardSolutions.com) परन्तु हमारे शरीर के किसी अंग को तो नहीं छीना। फिर भी हम सब विपत्ति में भगवान को ही दोषी ठहराते हैं। लेखिका ने एक विकलांग लड़की को देखा, जिसने खुशी से यातना झेलकर जीवन में संघर्ष किया, सफलता पाई और ईश्वर को दोष नहीं दिया।

UP Board Solutions 

बहुत बड़ी-बड़ी ………………………………………………………………… भी देता है।
संदर्भ-प्रस्तुत गद्यांश में लेखिका ने एक दिव्यांग बेटी की माँ की संघर्ष का वर्णन किया है।
प्रसंग-डॉ० चन्द्रा की माता शारदा सुब्रहमण्यम् को जे०सी० बेंगलुरू द्वारा वीर जननी पुरस्कार मिला। इस अवसर पर वे किस मुद्रा में दिखाई दे रही थीं, उसका वर्णन किया गया है।
व्याख्या-उनकी बड़ी-बड़ी आँखों में उदासी थी। उनमें माँ की व्यथा और पुत्री की करुण व्यथा छिपी थी। वह पुत्री जिसके लिए वह अपना सुख भूलकर उसकी पहिया लगी कुर्सी को जहाँ-तहाँ घुमाती रही, नाकं के दोनों ओर हीरे की चमकदार लौंग पहने, होठों पर जीत की खुशी और जूड़े में फूलों की चोटी लगाए हुए। उस हिम्मत वाली असाधारण मा शारदा सुब्रह्मण्यम् के ये शब्द लेखिका के कानों में आवाज़ कर रहे हैं। “ईश्वर एक रास्ता बन्द करता है तो दूसरा खोलता है” भाव यह है कि ईश्वर क लड़की को विकलांग किया, तो असाधारण बुद्धि, धैर्य और साहस देकर उसे सफल जीवन का मार्ग भी दिखाया।

पाठ का सर (सारांश)

कभी-कभी विधाता हमें ऐसे विलक्षण व्यक्ति से मिला देता है, जिसे देख हमें अपने जीवन की रिक्तता बहुत छोटी लगने लगती है। हमें तब लगता है कि भले ही उस अनर्यामी ने हमें जीवन में कभी अकस्मात् दन्डित कर दिया हो किन्तु हमारे किसी अंग को हमसे वंचित नहीं किया। फिर भी हममें से कौन ऐसा है जो अपनी विपत्ति के कठिन क्षणों में विधाता को दोषी ठहराता। मैंने अभी पिछले ही महीने, एक ऐसी अभिशप्त काया देखी है, जिसे विधाता ने कठोरतम दंड दिया है। किन्तु उसे वह नतमस्तक तथा आनन्दित मुद्रा में झेल रही है, विधाता को कोसकर नहीं।कठिनतम स्थिति में भी मनुष्य अपने साहस, धैर्य और निरन्तर कोशिश से प्रगति कर सकता है। चन्द्रा एक विकलांग लड़की थी। उसे बचपन में पोलियो हो गया था।

इस उसका गले से निचला भाग बेजान हो गया था। चन्द्रा की माता श्रीमती टी० सुब्रह्मण्यम् ने हिम्मत हारी। उसने एक सर्जन से एक वर्ष तक चन्द्रा का इलाज करवाया, जिससे उसकी ऊपरी धड़ में हरआ गई। निचला धड़ बेजान ही रहा। माँ ने उसे सहारा देकर उठना-बैठना सिखाया चन्द्रा बहुत ही कुशाग्र बुद्धि की थी। पाँच साल की आयु में उसक, पढाई शुरू हुई। माता ने पूरी . लगन से उसे पढ़ाना-लिखाना शुरू किया। बड़ी ही मिन्नतें करने के ब चन्द्रा को बेंगलुरु के माउंट (UPBoardSolutions.com) कारमेल में प्रवेश मिला क्योंकि स्कूल की मदर ने चन्द्रा की माता से का था “कौन आपकी पुत्री को ह्वील चेयर (पहिए वाली कुर्सी) में क्लास रूम में घुमाता रहेगा।” लंकन श्रीमती टी० सुब्रह्मण्यम् कई वर्ष तक अपनी बेटी को स्वयं क्लास रूम में घुमाती रहीं। चन्द्रा ने प्रत्येक परीक्षा में सर्वोच्च स्थान प्राप्त किया। उसे स्व. पदक मिले। प्राणी शास्त्र में एम०एस०सी० किया, जिसमें चन्द्रा ने पहला स्थान प्राप्त किया। प्रोफेसर ठना के निर्देशन में पाँच साल तक शोध कार्य किया। अन्त में उसे विज्ञान में डॉक्टरेट मिल गई।

इतना सब कुछ होने पर भी डॉ० चन्द्रा ने कविताएँ लिखीं। जिनमें सकी उदासी का चित्रण हुआ था। उसने लेखिका को अपनी कढ़ाई-बुनाई के नमूने भी दिखाए। गर्ल ग ड में राष्ट्रपति का स्वर्ण कार्ड पाने वाली चन्द्रा पहली अपंग बालिका थी।  चन्द्रा के अलबम के अन्तिम पृष्ठ में है, उसकी जननी का बड़ा-सा चित्र, जिसमें वे जे०सी० बेंगलुरु द्वारा प्रदत्त एक विशिष्ट पुरस्कार ग्रहण कर रही हैं- ‘वीर जननी’ का पुरस्कार। बहुत बड़ी-बड़ी उदास आँखें, जिनमें स्वयं माँ की व्यथा भी है और पुत्री की भी, (UPBoardSolutions.com) अपने सारे सुख त्यागकर नित्य छाया बनी पुत्री की पहिया लगी कुर्सी के पीछे चक्र सी घूती जननी की व्यथा, नाक के दोनों ओर हीरे की दो जगमगाती लौंगें, होंठों पर विजय का उल्लास, जूड़े में पुष्पवेणी। मेरे कानों में उस अद्भुत साहसी जननी शारदा सुब्रमण्यम् के शब्द अभी भी जैसे गूंज रहे हैं, “ईश्वर सब द्वार एक साथ बन्द नहीं करता। यदि एक द्वार बन्द करता भी है, तो दूसरा द्वार खोल भी देता है।”

UP Board Solutions

 प्रश्न-अभ्यास

विचार और कल्पना-   नोट-विद्यार्थी स्वयं करें।
कुछ करने को-            नोट-
विद्यार्थी स्वयं करें।
कहानी से-

प्रश्न 1.
कौन-कौन से कथन सही हैं? हमें अपने जीवन की रिक्तता बहुत छोटी लगने लगती है, जब|
(क) दूसरों के दुख अपने दुखों से बड़े लगने लगते हैं।
(ख) हमारे कष्टों से बड़े कष्ट को कोई हँसकर झेलता दिखाई देता है।
(ग) अपने कष्टों के लिए विधाता को दोषी मान लेते हैं।
(घ) कष्टों को ईश्वर की इच्छा मानकर स्वीकार कर लेते हैं।
उत्तर-
हमारे कष्टों से बड़े कष्ट को कोई हंसकर झेलता दिखाई देता है  कष्टों को ईस्वर की इच्छा मानकर स्वीकार कर लेते है।

प्रश्न 2.
लेखिका क्यों चाहती थीं कि लखनऊ का युवक उनकी पंक्तियॉ पढ़े?
उत्तर-
लखनऊ के युवक का केवल एक हाथ कटा था, वह भी तब जब वह उच्च शिक्षा प्राप्त युवक . था। डॉ० चन्द्रा बचपन से अपंग थी, फिर भी उसने कभी हार नहीं मानी। युवक को नियति का आघात (UPBoardSolutions.com) सहर्ष स्वीकार करने की प्रेरणा लेनी चाहिए। डॉ० चन्द्रा अपनी लगन से उत्साहपूर्वक आगे बढ़ी। उससे उत्साह, लगन, महत्त्वाकाक्षा और जिजीविषा की प्रेरणा लखनऊ के युवक को ग्रहण करनी चाहिए। इसलिए लेखिका चाहती थी कि लखनऊ का युवक उनकी पंक्तियाँ पढ़े।

UP Board Solutions

प्रश्न 3.
डॉ० चन्द्रा की कविताएँ देखकर लेखिका की आँखें क्यों भर आयीं?
उत्तर-
डॉ० चन्द्रा की कविताएँ देखकर लेखिका की आँखें भर आईं क्योंकि वह उदासी जो चन्द्रा के चेहरे पर कभी नहीं देखी गई थी, वह उसकी कविता में परिलक्षित थी।

प्रश्न 4.
डॉ० चन्द्रा ने विज्ञान के अतिरिक्त किन अन्य क्षेत्रों में उपलब्धियाँ प्राप्त कीं? | उत्तर-डॉ० चन्द्रा ने विज्ञान के अतिरिक्त कई अन्य क्षेत्रों में भी उपलब्धियाँ प्राप्त कीं। उनकी कविता, कढाई-बुनाई और संगीत में रुचि थी। उसने जर्मन भाषा में विशेष योग्यता प्राप्त की। उन्होंने गर्ल गाइड में राष्ट्रपति का स्वर्णकार्ड प्राप्त किया।

प्रश्न 5.
निम्नलिखित कथनों का भाव स्पष्ट कीजिए-
(क) वह बित्ते भर की लड़की मुझे किसी देवांगना से कम नहीं लगी।
भाव-लेखिका ने अपंग डा० चन्द्रा, जिसका छोटा-सा शरीर था, को देवलोक की स्त्री समान समझा क्योंकि उसके गुण, बुद्धि, पुरुषार्थ और उपलब्धियाँ किसी भी सांसारिक महिला से ज्यादा थीं।

(ख) पूरा निचला धड़ सुन्न है, फिर भी बोटी-बोटी फड़क रही है।
भाव-शरीर निष्क्रिय होते हुए भी जिन्दगी में कुछ करने की ललक (उत्सुकता)।

(ग) मैं चाहती हूँ कि कोई मुझे सामान्य-सा सहारा भी न दे।
भाव-आशय यह है कि वह किसी पर भी आश्रित न होकर स्वावलम्बी हो।

(घ) चिकित्सा ने जो खोया है, वह विज्ञान ने पाया है।
भाव-चन्द्रा पहले चिकित्सक बनना चाहती थी, पर प्रवेश परीक्षा में प्रथम आने पर भी उसे इसलिए प्रवेश नहीं मिल पाया क्योंकि उसका धड़ काम नहीं करता था। यदि वह चिकित्सा के क्षेत्र में जाती, तो महान शल्य चिकित्सक बनती। प्रवेश न मिलने पर उसने विज्ञान के क्षेत्र में शोध किया और प्राणी-विज्ञान में पी०एच०डी० की (UPBoardSolutions.com) उपाधि पाने वाली पहली भारतीय बनी। वह एक अच्छी डॉक्टर बन सकती थी लेकिन बन गई वैज्ञानिक। इस प्रकार चिकित्सा ने चन्द्रा की प्रतिभा को खोया और विज्ञान ने उसे प्राप्त कर लिया।

(ङ) ईश्वर सब द्वार एक साथ बन्द नहीं करता। यदि एक द्वार बन्द करता है तो दूसरी द्वार खोल भी देता है।
भाव-ईश्वर कर्तव्य करने के लिए कोई रास्ता (क्षमता) जरूर प्रदान करता है.

प्रश्न 6.
शारदा सुब्रह्मण्यम को ‘वीर जननी’ का पुरस्कार क्यों मिला?
उत्तर-
शारदा सुब्रह्मण्यम कों ‘वीर जननी’ का पुरस्कार इसलिए मिला क्योंकि चन्द्रा जैसी अपंग । बालिका को उसकी माँ ने स्वयं यातनाएँ सहकर भी पढ़ा-लिखा कर उच्चकोटि का वैज्ञानिक बनाया।

UP Board Solutions

भाषा की बात
प्रश्न 1.
नोट-विद्यार्थी स्वयं शुद्ध बोलकर पढ़ें।

प्रश्न 2.
‘यातना’ शब्द संज्ञा है। उसमें ‘प्रद’ प्रत्यय जोड़ देने से ‘यातनाप्रद’ शब्द विशेषण बन जाता है, जिसका अर्थ है- कष्ट देने वाला। नीचे लिखे शब्दों में ‘प्रद’ जोड़कर नए शब्द बनाइए और उनके अर्थ लिखिए।
उत्तर-
शब्द। ‘                 प्रद’ जोड़कर नए शब्द              अर्थ
कट                        कष्टप्रद                                        
कष्ट देने वाला
आनन्द                  आनन्दप्रद                                 
आनन्द देने वाला
लाभ                       लाभप्रद                                      
लाभ देने वाला
हानि                       हानिप्रद                                      
हानि देने वाला
ज्ञान                       ज्ञानप्रद                                        
ज्ञान देने वाला 

प्रश्न 3.
निम्नलिखित वाक्य पढ़िए-
(क) इसके इस जीवन से तो मौत भली है।
(ख) मैंने जब वे कविताएँ देखीं तो आँखें भर आईं।
वाक्य (क) में ‘तो’ निपात के रूप में प्रयुक्त है। ‘निपात’ उस शब्द को कहते हैं, जो वाक्य में कहीं भी रखा जा सकता है, जैसे- पर, भर, ही, तो। किन्तु वाक्य (ख) में ‘तो’, ‘जब’ के साथ ‘तब’ के अर्थ में प्रयुक्त हुआ है। क और ख की भाँति दो-दो वाक्य बनाकर लिखिए।
उत्तर-
(क) गुलामी करने से तो मर जाना अच्छा है।
(ख) जब मैंने आसमान में काले बादल देखे तो भीगने से बचने को घर की तरफ दौड़ लगाई।
(क) गरीबी के जीवन से तो पुरुषार्थ करना भला है।
(ख) जब विद्यार्थी बस से टकराकर घायल हो गया तो लोगों ने उसे अस्पताल पहुँचाया।

UP Board Solutions

प्रश्न 4.
‘वह बैसाखियों से ही हुवील चेयर तक पहुँच उसमें बैठ गई और बड़ी तटस्थता से उसे स्वयं चलाती कोठी के भीतर चली गई।’ इस वाक्य में दो वाक्य हैं, दोनों वाक्य स्वतन्त्र अर्थ दे रहे हैं। किन्तु ये वाक्य ‘और’ से (UPBoardSolutions.com) जुड़े हुए हैं, ऐसे वाक्य को संयुक्त वाक्य कहते हैं। संयुक्त वाक्य में दो या दो से अधिक सरल वाक्य होते हैं, जो ‘और’,’किन्तु’ या ‘इसलिए’ से जुड़े रहते हैं। संयुक्त वाक्य के कोई दो उदाहरण पाठ से चुनकर लिखिए।
उत्तर-
(क) “पहले दुख भुलाने के लिए नशे की गोलियाँ खाने लगा और अब नूरमंजिल की शरण गही है।”
(ख) “एक वर्ष तक कष्टसाध्य उपचार चला और एक दिन स्वयं ही ऊपरी धड़ में गति आ गई।”

प्रश्न 5.
पाठ में आए हुए अंग्रेजी भाषा के शब्दों को छाँटिए और लिखिए।
उत्तर-
‘कार’, ‘सीट’, ‘ह्वीलचेयर’, ‘मशीन’, ‘बटन’, ‘आई०ए०एस०’, ‘स्टेशन’, ‘ट्रेन’, ‘मैडम’, ‘ड्रग रिसर्च इंस्टिट्यूट’, ‘माइक्रोबायोलॉजी’, ‘ईस्ट’, ‘वेस्ट’, ‘सेंटर’,’बायोडाटा’, ‘फेलोशिप’, ‘आई०आई०टी०’, ‘थीसिस’, ‘डाक्टरेट’, ‘पी०एच-डी०’, ‘आर्थोपेडिक’, ‘सर्जन’, ‘डॉक्टर’, ‘पीरियड’, ‘एम०एस-सी०’, ‘स्पेशल’, ‘प्रोफेसर’, ‘लैदर’, ‘जैकेट’, ‘गर्ल’, ‘गाइड’, ‘कॉन्वेंट’, ‘बी०एस०सी०’, ‘इंस्टिट्यूट ऑफ साइंस’, ‘अलबम’।

We hope the UP Board Solutions for Class 8 Hindi Chapter 5 अपराजिता (मंजरी) help you. If you have any query regarding UP Board Solutions for Class 8 Hindi Chapter 5 अपराजिता (मंजरी), drop a comment below and we will get back to you at the earliest.