UP Board Class 8 Home Craft Model Paper गृहशिल्प

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Board UP Board
Class Class 8
Subject Home Craft
Model Paper Paper 1
Category UP Board Model Papers

UP Board Class 8 Home Craft Model Paper गृहशिल्प

सत्र-परीक्षा प्रश्न पत्र
कक्षा-8
विषय-गृह शिल्प

अति लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
पोलियो ड्रॉप बच्चे को कितने वर्ष तक पिलानी चाहिए?
उत्तर:
5 वर्ष तक।

प्रश्न 2.
बी.सी.जी, का टीका कौन से रोग से बचाव के लिए लगवाया जाता है?
उत्तर:
तपेदिक से बचाव के लिए।

प्रश्न 3.
प्रोटीन की कमी से होने वाले रोग का नाम लिखिए।
उत्तर:
क्वाशरकोर।

प्रश्न 4.
सूखा रोग किन तत्वों की कमी के कारण होता है?
उत्तर:
कैल्शियम एवं फास्फोरस की कमी के कारण।

प्रश्न 5.
खसरे का टीका बच्चे को कितने माह से पूर्व लगवाना चाहिए?
उत्तर:
9 माह से पूर्व।

प्रश्न 6.
बिना मौसम के फल एवं सब्जियाँ हमें किस विधि से उपलब्ध हो सकते हैं?
उत्तर:
निर्जलीकरण विधि से।

प्रश्न 7.
मुरब्बा, जैम एवं जैली किस विधि द्वारा सुरक्षित रखते हैं?
उत्तर:
परिरक्षण विधि द्वारा।

प्रश्न 8.
मलेरिया रोग कौन-से मच्छर के काटने से होता है?
उत्तर:
मादा एनाफिलीज मच्छर के काटने से।

प्रश्न 9.
क्यूलेक्स जाति के मच्छर के काटने से कौन-सा रोग होता है?
उत्तर:
फाइलेरिया रोग।

प्रश्न 10.
निमोनिया रोग को और किस नाम से जाना जाता है?
उत्तर:
फेफड़े की सूजन।

प्रश्न 11.
अच्छा स्वास्थ्य कैसे परिवार की नींव है?
उत्तर:
सुखी परिवार की।

प्रश्न 12.
अनाज भण्डारण की सबसे अच्छी एवं सुरक्षित विधि कौन-सी है?’
उत्तर:
फ्यूमीगेशन विधि।

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 13.
माँ का प्रारम्भिक दूध बच्चे के लिए क्यों आवश्यक है?
उत्तर:
माँ के प्रारम्भिक दूध (कोलेस्ट्रम) में प्रतिरोधी क्षमता पाई जाती है, इसलिए यह बच्चे के लिए बहुत आवश्यक है।

प्रश्न 14.
हड्डियों व वाँतों के निर्माण में कौन से खनिज लवण सहायक होते हैं?
उत्तर:
हड्डियों व दाँतों के निर्माण में कैल्शियम और फॉस्फोरस खनिज लवण सहायक होते हैं।

प्रश्न 15.
पोलियो जैसी खतरनाक बीमारी से बचने के लिए हमें क्या करना चाहिए?
उत्तर:
पोलियो जैसी खतरनाक बीमारी से बचने के लिए हमें समय-समय पर बच्चों को पोलियो की खुराक पिलवानी चाहिए तथा इसके टीके लगवाने चाहिए।

प्रश्न 16.
वर्षा जल का संचयन एवं पुनर्भरण क्यों आवश्यक है?

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 17.
खाद्य पदार्थों के संरक्षण के कारण एवं महत्त्व लिखिए।

प्रश्न 18.
निर्जलीकरण किसे कहते हैं? लक्षण एवं उपचार लिखिए।

प्रश्न 19.
कपड़े पर ड्राफ्टिंग करते समय किन-किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?

अर्द्धवार्षिक-परीक्षा
कक्षा-8
विषय-गृह शिल्प

अति लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
लेड क्रोमेट क्या है?
उत्तर:
यह सीसे का यौगिक है, जिसे हल्दी में मिलाते हैं।

प्रश्न 2.
पच्चड़ी टूट क्या है?
उत्तर:
इसमें हड्डी के सिरे एक दूसरे में घुस जाते हैं।

प्रश्न 3.
लू से बचने के कोई दो उपाय लिखिए।
उत्तर:

  1. आम का पन्ना पीएँ।
  2. खाने में कच्ची प्याज़ का प्रयोग करें।

प्रश्न 4.
वस्त्र मुख्यतः कितने प्रकार के होते हैं?
उत्तर:
वस्त्र मुख्यत: तीन प्रकार के होते हैं-

  1. सूती
  2. रेशमी
  3. ऊनी

प्रश्न 5.
लाल रंग का विरोधी रंग कौन-सा है?
उत्तर:
हरा।

प्रश्न 6.
प्राकृतिक रंग कौन-कौन से होते हैं?
उत्तर:
लाल, नीला, पीला।

प्रश्न 7.
पीले का विरोधी रंग कौन सा है?
उत्तर:
नीला।

प्रश्न 8.
बैंगनी, हरा और नारंगी रंग जो मुख्य रंगों के मिलाने से बनते हैं, क्या कहलाते हैं? .
उत्तर:
द्वितीय रंग अथवा गौण रंग।

प्रश्न 9.
काला और सफेद रंग मिलाकर कौन से रंग के कई शेड्स बनते हैं?
उत्तर:
स्लेटी रंग के।

प्रश्न 10.
रेशम के तन्तु किससे प्राप्त होते हैं?
उत्तर:
रेशम के तन्तु रेशम के कीड़े के कोकून से प्राप्त होते हैं।

प्रश्न 11.
मुनाफाखोर व्यापारी मिलावट कब करते हैं?
उत्तर:
जब बाजार में भोज्य पदार्थ कम मात्रा में उपलब्ध हों।

प्रश्न 12.
दूध विक्रेता दूध में क्या मिला वेता है?
उत्तर:
पानी, अरारोट अथवा कृत्रिम दूध।

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 13.
शैडो वर्क की कढाई किन वस्त्रों में अच्छी बनती है?
उत्तर:
शैडो वर्क की कढाई महीन वस्त्र वायल, जॉरजेट, आरगंडी आदि में ही अच्छी लगती है।

प्रश्न 14.
स्वरयन्त्र की सूजन में क्या उपचार करते हैं?
उत्तर:
उपचार

  1. रोगी के बिस्तर को गर्म रखाना चाहिए।
  2. रोगी को गर्म पानी में एक चुटकी नमक डालकर गरारा करना चाहिए।
  3. रोगी को सादा व हल्का भोजन दिया जाना चाहिए।

प्रश्न 15.
लू लग जाने पर क्या उपचार करना चाहिए?

प्रश्न 16.
घर पर सिलाई करने के कोई दो लाभ लिखिए।
उत्तर:

  1. नाप के अनुसार सिलाई।
  2. बचे हुए कपड़े का सदुपयोग।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 17.
मस्तिष्क ज्वर के कारण एवं लक्षण लिखिए।

प्रश्न 18.
मिलावटी वस्तुओं से बचाव के लिए आप क्या करेंगे? वर्णन करें।

प्रश्न 19.
वृद्धि निगरानी से क्या तात्पर्य है? इसका क्या महत्व है?

वार्षिक-परीक्षा
कक्षा-8
विषय-गृह शिल्प

अति लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
पूरी को प्लेट में रखने से पहले प्लेट में कागज क्यों बिछा लेते हैं?
उत्तर:
ताकि पूरी में लगा घी कागज द्वारा सोख लिया जाए।

प्रश्न 2.
चाशनी में केवड़ा व गुलाब जल क्यों डाला जाता है?
उत्तर:
खुशबू के लिए।

प्रश्न 3.
लौकी की बरफी के लिए कितने तार की चाशनी बनाते हैं?
उत्तर:
तीन तार की।

प्रश्न 4.
द्वीड क्या है?
उत्तर:
द्वीड मोटे गर्म धागों का बना हुआ ऊनी वस्त्र है।

प्रश्न 5.
हाथ से वस्त्र सिलने से क्या लाभ है?
उत्तर:
हाथ से वस्त्र सिलने पर पैसों की बचत होती है।

प्रश्न 6.
मशीन में तेल डालते समय क्या करना चाहिए?
उत्तर:
नीडल बार को ऊँचा कर लेना चाहिए।

प्रश्न 7.
दुसूती कपड़े पर कौन-सी कढ़ाई सरलता से हो जाती है?
उत्तर:
क्रॉस स्टिच।

प्रश्न 8.
कच्ची टूट क्या होती है?
उत्तर:
इस प्रकार की टूट में हड्डियाँ टूटती नहीं लचके जाती हैं।

प्रश्न 9.
निर्जलीकरण क्या है?
उत्तर:
शरीर में पानी की कमी होना निर्जलीकरण कहलाता है।

प्रश्न 10.
यदि कपड़े में सिकुड़ने का भय हो तो क्या करना चाहिए?
उत्तर:
कपड़े को काटने से दो घंटे पूर्व पानी में भिगोकर सुखा देना चाहिए।

प्रश्न 11.
पैंट एवं नेकर बनाने के लिए कौन-सा कपड़ा इस्तेमाल करना चाहिए?
उत्तर:
जीन्स का।

प्रश्न 12.
कोट एवं सूट बनाने के लिए कौन-सा कपड़ा प्रयोग करते हैं?
उत्तर:
सर्ज।

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 13.
पूरी फुलाने के लिए क्या करना चाहिए?
उत्तर:
पूरी फुलाने के लिए उसे एक तरफ से सेंकने के बाद पलटकर कुछ दबाते हैं।

प्रश्न 14.
उड़द की दाल की कचौड़ी के लिए भरावन तैयार करने की विधि लिखिए।
उत्तर:
पाँच-छह घंटे भीगी हुई दाल को महीन पीस कर उसमें हींग, धनिया, सौंफ, लाल मिर्च, नमक एवं हरी धनिया मिलाकर भरावन तैयार करते हैं।

प्रश्न 15.
हलवे का कैसे पता लगाएँगे कि वह बन गया है?
उत्तर:
जब हलवा कड़ाही से चिपकना बन्द हो जाए तो समझ लेना चाहिए कि हलवा तैयार है।

प्रश्न 16.
खीर में चीनी कब डालनी चाहिए?
उत्तर:
खीर पक जाने के बाद अन्त में चीनी डालनी चाहिए।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 17.
गुलाबजामुन बनाने की विधि लिखिए।

प्रश्न 18.
गृह सज्जा के लिए उपयुक्त साधन क्या हैं? घर सजाने में इनकी क्या भूमिका है?

प्रश्न 19.
मृदु एवं कठोर जल में क्या अन्तर है? कठोर जल को मृदु कैसे बनाया जा सकता है?

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UP Board Solutions for Class 11 Samanya Hindi सामाजिक व सांस्कृतिक निबन्ध

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Board UP Board
Textbook NCERT
Class Class 11
Subject Samanya Hindi
Chapter Name सामाजिक व सांस्कृतिक निबन्ध
Category UP Board Solutions

UP Board Solutions for Class 11 Samanya Hindi सामाजिक व सांस्कृतिक निबन्ध

भारतीय समाज में नारी का स्थान

सम्बद्ध शीर्षक

  • भारतीय समाज में स्त्रियों की स्थिति
  • आधुनिक भारत में नारी का स्थान
  • आधुनिक नारी
  • स्वातन्त्र्योत्तर भारत में महिलाओं की स्थिति
  • भारतीय नारी: आज और कल
  • नारी सम्मान: भारतीय संस्कृति की पहचान
  • नारी-चिन्तन को बदलता स्वरूप

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भारतीय नारी की समस्याएँ

सम्बद्ध शीर्षक

  • कामकाजी महिलाओं की समस्याएँ
  • आधुनिक समाज में नारी की समस्याएँ

प्रमुख विचार-बिन्दु

  1. प्रस्तावना : वैदिक काल में नारी,
  2. मध्यकाल में नारी,
  3. आधुनिक काल में नारी,
  4. संविधान द्वारा दिये गये अधिकार,
  5. कामकाजी महिलाओं की समस्याएँ,
  6. कामकाज से इतर महिलाओं की समस्याएँ,
  7. उपसंहार

प्रस्तावना : वैदिक काल में नारी-भारत में महिलाओं का स्थान कुछ वर्षों पहले तक घर-परिवार की सीमाओं तक ही सीमित माना जाता रहा है। प्राचीन भारत में नारी के पूर्ण स्वतन्त्र तथा सभी प्रकार के दबावों से पूर्ण मुक्त रहने के विवरण मिलते हैं। उस समय वे अपनी पारिवारिक स्थिति के अनुसार इस प्रकार की शिक्षा प्राप्त किया करती थीं; क्योंकि तब शिक्षा-प्रणाली आश्रम-व्यवस्था पर आधारित थी। इस कारण नारियाँ भी उन आश्रमों में पुरुषों के समान रहकर ही शिक्षा प्राप्त किया करती थीं। गार्गी, मैत्रेयी, अरुन्धती जैसी महिलाओं के विवरण भी मिलते हैं कि वे मन्त्र-द्रष्टा थीं। अपने पतियों के साथ आश्रमों में रहकरवहाँ की सम्पूर्ण व्यवस्था की, वहाँ रहने वाले अन्य स्त्री-पुरुष व विद्यार्थियों; यहाँ तक कि आश्रमवासी पशु-पक्षियों तक की वे देखभाल किया करती थीं। महर्षि वाल्मीकि और कण्व के आश्रमों में भी नारियों के निवास के विवरणं मिलते हैं। इस प्रकार कहा जा सकता है कि वैदिक काल में नारी सुरक्षित तो होती ही थी, प्रत्येक प्रकार से स्वतन्त्र भी हुआ करती थी। फिर भी ऐसे विवरण कहीं नहीं मिलते कि घर-गृहस्थी चलाने के लिए उसे कहीं काम करके धनोपार्जन भी करना पड़ता था। गृहस्वामिनी एवं माँ के रूप में उसे पिता एवं आचार्य से भी उच्च स्थान प्राप्त था। महाभारत में उल्लेख भी है कि “गुरुणां चैव सर्वेषां माता परमं को गुरुः।”

मध्यकाल में नारी–इतिहास के अध्ययन से स्पष्ट है कि मध्यकाल में आकर नारी पूर्णरूपेण घरपरिवार की चारदीवारी में बन्द होकर रह गयी थी। यह काल नारियों के लिए अवनति का काल था। भोग-विलास की प्रवृत्ति बढ़ जाने के कारण नारी के शारीरिक पक्ष को अधिक महत्त्व दिया जाने लगा। मध्यकालीन कुरीतियों में सती–प्रथा, बाल-विवाह और विधवाओं को हेय दृष्टि से देखना प्रमुख थीं । इस काल के सन्तों एवं सिद्ध कवियों ने भी नारी के प्रति अत्यन्त कटु दृष्टिकोण अपनाया—

नारी तो हम भी करी, जाना नहीं बिचार।।
जब जाना तब परिहरी, नारी बड़ा बिकार॥
नारी की झाँई परत, अंधा होत भुजंग।
कबिरा तिन की कौन गति, जेनित नारी के संग ।।।

(कबीरदोस)

आधुनिक काल में नारी-अंग्रेजों के आगमन के बाद, कुछ उनके और कुछ उनकी चलाई शिक्षादीक्षा के, कुछ यहाँ चलने वाले अनेक प्रकार के शैक्षणिक, सामाजिक और राजनीतिक आन्दोलनों के प्रभाव से भारतीय नारी को घर-परिवार से बाहर कदम रखने का अवसर मिला। इस काल में महान् समाज-सुधारक’राजा राममोहन राय ने सती–प्रथा की समाप्ति, विधवाओं के पुनर्विवाह, स्त्री-शिक्षा आदि पर जोर दिया। महात्मा गाँधी मे अछूतोद्धार की भॉति नारी मुक्ति के लिए भी प्रयास किया। समाज-सुधारकों के सामूहिक प्रयास, देश में सामाजिक और राजनीतिक चेतना के प्रादुर्भाव, पाश्चात्य सभ्यता के प्रभाव तथा प्रगतिशील विचारधा ने नारी दासता की बेड़ियों को काटा और वह मुक्ति की ओर अग्रसर हुई। आज नारी जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में व्याप्त है। वह राजनीतिज्ञ, राजनयिक, विधिवेत्ता, न्यायाधीश, प्रशासक, कवि, चिकित्सकै आदि के रूप में समाज को अपना योगदान दे रही है।

संविधान द्वारा दिये गये अधिकार स्वतन्त्रता मिलने के पश्चात् लागू भारतीय संविधान में (अनुच्छेद 14 और 15) पुरुषों और स्त्रियों की पूर्ण समानता की गारण्टी दी गयी तथा लैंगिक आधार पर किसी प्रकार का भेदभाव न करने की बात कही गयी। हिन्दू उत्तराधिकार अधिनियम, 1956 में लड़की को लड़के के समान सह-उत्तराधिकारी बना दिया गया। हिन्दू विवाह अधिनियम, 1956 ने विशेष आधारों पर विवाह के सम्बन्ध को समाप्त करने की अनुमति दी। दहेज को अवैध घोषित किया गया तथा इसके लिए सजा की व्यवस्था की गयी। दहेज की विकरालता को देखते हुए सन् 1961 में एक दहेज विरोधी कानून बनाया गया।

बीसवीं सदी के उत्तरार्द्ध में नारी ने लगभग प्रत्येक आन्दोलन में पुरुषों के साथ कन्धे से कन्धा मिलाकर योगदान दिया है तथा समाज की प्रत्येक समस्या के विरुद्ध अपनी आवाज उठायी है। शोषण की घटनाओं के विरुद्ध तो उसने शक्तिशाली प्रतिक्रियाएँ व्यक्त की हैं। यह इस बात का संकेत है कि महिलाओं में पर्याप्त जागरूकता आयी है। नारियों को विभिन्न स्तरों पर आरक्षण देने की बातें हो रही हैं, परन्तु संविधान में यह व्यवस्था अभी तक नहीं की जा सकी है।

कामकाजी महिलाओं की समस्याएँ--अभाव और महँगाई से दो-चार होने के लिए महिलाओं को कुछ मात्रा में स्वतन्त्रता-प्राप्ति से पहले और अधिकतर स्वतन्त्रता-प्राप्ति के बाद कई तरह के काम-काज का भी सहारा लेना पड़ा। पुरुषों एवं महिलाओं को एक वर्ग यह समझता है कि कामकाजी नारी की समस्त समस्याएँ समाप्त हो जाती हैं। नौकरी मिलते ही नारी नारीत्व के अभिशापों से मुक्त हो जाती है, परन्तु वस्तुस्थिति सर्वथा भिन्न है, यथा—

(1) नारी कामकाजी महिला बनने का निर्णय लेने में स्वतन्त्र नहीं होती है। विवाह के पहले माता-पिता और बाद में ससुरालीजनों की इच्छा पर निर्भर रहता है कि वह कामकाजी बनी रहे अथवा नहीं।
(2) कामकाजी होने पर भी महिला आर्थिक दृष्टि से स्वतन्त्र नहीं बन पाती है। उसको अपनी कमाई का हिसाब घरवालों को देना पड़ता है। प्राय: यह भी देखने में आता है कि ससुराल वाले विवाह के पूर्व की जाने वाली उसकी कमाई का भी हिसाब माँगते हैं।
(3) दोहरी जिम्मेदारी कामकाजी महिलाओं को नौकरी से लौटकर घरेलू, कार्य करने पड़ते हैं। अत: एक अतिरिक्त जिम्मेदारी सँभालकर भी कामकाजी महिलाएँ अपनी पूर्व जिम्मेदारी से मुक्त नहीं हो पायी हैं।
(4) बच्चों की परवरिश-कामकाजी महिलाओं के पास बच्चों को देने के लिए समय का अभाव होता है। फलतः उनके बच्चे संस्कारित नहीं हो पाते और उनका भविष्य बिगड़ जाने की सम्भावना रहती है।
(5) समाज में बदनामी-आधुनिक युग में भी स्त्रियों को नौकरी करना उचित नहीं माना जाता। बहू को नौकरी नहीं करने देने के लिए सास-ससुर, देवर-ज्येष्ठ और पति तक भी तनकर खड़े हो जाते हैं।
(6) परिजनों का शक-नौकरी-पेशा करने वाली महिलाएँ चरित्र के प्रति सन्देह की समस्या से कभी नहीं उबर पाती हैं। कार्यालय में किसी भी कारण से थोड़ी भी देर हो जाए तो परिजनों, विशेषकर पति की शक की निगाहें उसे अन्दर तक बेध डालती हैं। यह समस्या उस वक्त और भी बढ़ जाती है, जब महिला कोई स्टेनो या सेक्रेटरी हो।
(7) यौनशुचिता-आज भी स्त्री की सबसे बड़ी समस्या उसकी यौन शुचिता है। ऑफिस में किसी भी मुस्कराहट या स्पर्श से भी वह दूषित हो जाती है। यौन शुचिता का यह परिवेश नारी को खुलकर कार्य करने से रोकता है तथा उसकी प्रतिभा को कुण्ठित करता है।
(8) यौन-शोषण-सरकारी कार्यालयों में कार्य करने वाली महिलाएँ पूर्ण तो नहीं, किन्तु अपेक्षाकृत सुरक्षित हैं। सरकारी कार्यालयों में कार्यरत महिलाओं के भी यौन-शोषण होते हैं, किन्तु निजी संस्थानों में अथवा मजदूरी करने वाली महिलाओं की दशा तो अत्यधिक दारुण है।
(9) वरीयता का मापदण्ड योग्यता नहीं--प्राइवेट संस्थानों के रोजगार विज्ञापनों में स्मार्ट, सुन्दर वे आधुनिक महिलाओं की वरीयता यह प्रश्न खड़ा करती है कि कार्यक्षमता के आधार पर आगे बढ़ने वाले। निजी संस्थानों का काम क्या स्मार्ट, सुन्दर व आधुनिक महिलाएँ ही सँभाल सकती हैं ? योग्यता कोई मापदण्ड नहीं? यह भी एक बीमारे मानसिकता की परिचायक है।
(10) परिधान कामकाजी महिलाओं के लिए परिधान (ड्रेस) बहुत बड़ी समस्या रहती है। वह जरा-सी भी सज-सँवर करके चले तो उस पर फब्तियाँ कसी जाती हैं, उसको तितली अथवा फैशन परेड की नारी कहा जाता है।
(11) पुरुषों की अपेक्षा सौतेला व्यवहार–महिलाओं को पुरुषों की अपेक्षा कम वेतन दिया जाता है। तथा पुरुषों की तुलना में इनके साथ सौतेला व्यवहार किया जाता है। पहले विमान परिचारिकाओं के गर्भवती होते ही उन्हें सेवा-मुक्त कर दिया जाता था। लम्बे संघर्ष के उपरान्त अब विमान परिचारिकाओं ने माँ बनने का अधिकार पाया है।
(12) बाहरी दौरे कार्य के लिए अपने गृह जिले के बाहर जाना भी कामकाजी महिलाओं की एक प्रमुख समस्या है। घर की जिम्मेदारी, शील व गरिमा की चिन्ता, पति व बच्चों से आत्मीयता आदि उसे दौरे पर जाने से रोक देते हैं।
(13) रात्रि ड्यूटी–कामकाजी महिलाओं के लिए रात्रि ड्यूटी करना बहुत कठिन होता है। लोगों की शक की निगाहें मुसीबत कर देती हैं। अस्पतालों में रात्रि की पारी में काम करने वाली नर्से, बड़े होटलों में काम करने वाली महिलाएँ अपनी ड्यूटी सुरक्षित निकालकर सुकून का अनुभव करती हैं।
(14) नारी की नौकरी यदि पति की अपेक्षा श्रेष्ठ होती है तो उसको पति की हीन भावना का भी शिकार होना पड़ता है।
(15) नौकरी करते हुए पति-पत्नी एक ही स्थान पर कार्यरत रहें, तब तो कुछ ठीक है, अन्यथा उनको दाम्पत्य तथा गृहस्थ जीवन समाप्त हो जाते हैं, वैसे भी कामकाजी महिलाओं की गृहस्थी अव्यवस्थित तो हो ही जाती है।
(16) कुछ कामकाजी महिलाओं के लिए तो नौकरी अभिशाप बन जाती है। ऐसा प्रायः उन महिलाओं के साथ होता है, जिनके पतियों की आमदनी कम होती है, अथवा पति शराबी व कुमार्गी होते हैं। ऐसे पति अपनी पत्नी की आमदनी को भी उड़ाने के लिए पत्नी को भाँति-भाँति से उत्पीड़ित एवं प्रताड़ित करते हैं।

कामकाज से इतर महिलाओं की समस्याएँ-सुधारों की गर्जना तथा संवैधानिक प्रयास नारी की मौलिक समस्याओं को सुलझा नहीं सके हैं। संविधान ने नारी को मताधिकार एवं सार्वजनिक क्षेत्र में रोजगार प्राप्त करने का अधिकार दे दिया है, परन्तु समाज की दृष्टि में नारी को आज भी पुरुष की अंकशायिनी और दासी ही माना जाता है। हम आज भी अनेकानेक नारियों के उत्पीड़न, आत्मदाह तथा उनकी हत्या के समाचार सुनते रहते हैं। इनमें नौकरी करने वाली यानी कामकाजी महिलाएँ भी सम्मिलित हैं। आज भी.दहेज का दानव नारी के जीवन को त्रस्त किये हुए है। विधवा-विवाह के नाम पर आज भी लोग नाक-भौंह सिकोड़ते हैं। नारी की उन्नति के नाम पर हम कितनी भी बातें करें, परन्तु नारी आज भी उपेक्षित है। वह घर-परिवार में एक सामान्य नारी से अधिक कुछ नहीं है। आज भी गर्भ में बच्ची (लड़की) को मार दिया जाता है तथा प्रसूति के समय दूषित प्रकृति का शिकार होना पड़ता है। अपनी रक्षा के लिए मुस्तैद नारी पर लोग तरह-तरह की फब्तियाँ कसते हैं।

उपसंहार–महिला हो या पुरुष, काम करना किसी के लिए भी अनुचित या बुरा नहीं है। आवश्यकता इस बात की है कि समाज की मानसिकता, घर-परिवार और समूचे जीवन की परिस्थितियाँ ऐसी बनायी जाएँ, ऐसे उचित वातावरण का निर्माण किया जाए कि कामकाजी महिला भी पुरुष के समान व्यवहार और व्यवस्था पा सके। नारियों की समस्याओं के निराकरण के लिए फैमिली कोर्ट बनाये जाने चाहिए और उनके प्रति किये जाने वाले आपराधिक मामलों में तकनीकी नहीं, व्यावहारिक दृष्टिकोण अपनाया जाना चाहिए। दहेज, बलात्कार, अपहरण आज की नारी के सामने बहुत बड़ी चुनौतियाँ हैं। नारियों के समर्थन में किये ज़ाने वाले हमारे आन्दोलन पश्चिम के अन्धानुकरण को लेकर नहीं होने चाहिए। उनको भारतीय गृहिणी के आदर्शों के अनुरूप ढालने का प्रयास करना चाहिए। पाश्चात्य चिन्तन के अन्धानुकरण से इस देश की नारियों को भी जल्दी-जल्दी तलाक, अवैध शिशु-जन्म आदि समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है।

निष्कर्ष रूप में कहा जा सकता है कि जब तक नारी के प्रति समाज के दृष्टिकोण में बदलाव नहीं आएगा, तब तक नारी का जीवन त्रस्त ही बना रहेगा। भारतीय नारी की मुक्ति के लिए सांस्कृतिक आन्दोलन की आवश्यकता है, संविधान और कानून तो उसमें सिर्फ मददगार हो सकते हैं।

वर्तमान समाज पर दूरदर्शन

सम्बद्ध शीर्षक

  • दूरदर्शन : एक वरदान अथवा अभिशाप
  • मेरे जीवन पर दूरदर्शन का प्रभाव
  • दूरदर्शन : गुण एवं दोष का प्रभाव
  • दूरदर्शन और भारतीय समाज
  • दूरदर्शन : लाभ-हानि
  • दूरदर्शन और आधुनिक जीवन
  • दूरदर्शन का शैक्षिक उपयोग

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UP Board Solutions for Class 10 Commerce Chapter 7 अनुक्रमणिका या सूची

UP Board Solutions for Class 10 Commerce Chapter 7 अनुक्रमणिका या सूची are the part of UP Board Solutions for Class 10 Commerce. Here we have given UP Board Solutions for Class 10 Commerce Chapter 7 अनुक्रमणिका या सूची.

Board UP Board
Class Class 10
Subject Commerce
Chapter Chapter 7
Chapter Name अनुक्रमणिका या सूची
Number of Questions Solved 18
Category UP Board Solutions

UP Board Solutions for Class 10 Commerce Chapter 7 अनुक्रमणिका या सूची

बहुविकल्पीय प्रश्न ( 1 अंक)

प्रश्न 1.
पत्र-पुस्तक अनुक्रमणिका का प्रयोग होता है।
(a) छोटे व्यवसाय में
(b) बड़े व्यवसाय में
(c) सहकारी समितियों में
(d) इन तीनों में
उत्तर:
(d) छोटे व्यवसाय में

प्रश्न 2.
पुस्तकालय के लिए कौन-सी अनुक्रमणिका का प्रयोग किया जाता है?
(a) खुली अनुक्रमणिका
(b) स्वरात्मक अनुक्रमणिका
(c) कार्ड अनुक्रमणिका
(d) उपरोक्त सभी
उत्तर:
(c) कार्ड अनुक्रमणिका

UP Board Solutions

प्रश्न 3.
‘संकेत काई’ का प्रयोग किया जाता है।
(a) कार्ड अनुक्रमणिका में
(b) जिल्ददार पुस्तक सूची में
(c) ‘a’ और ‘b’ दोनों में
(d) उपरोक्त में से कोई नहीं
उत्तर:
(a) कार्ड अनुक्रमणिकां में

निश्चित उत्तरीय प्रश्न (1 अंक)

प्रश्न 1.
अनुक्रमणिका के अभाव की कोई एक कठिनाई लिखिए।
उत्तर:
ग्राहकों से प्राप्त आदेशों की पूर्ति (UPBoardSolutions.com) में कठिनाई बनी रहती है।

प्रश्न 2.
पहले और बाद वाले पत्रों का सन्दर्भ देने वाली अनुक्रमणिका कौन-सी होती हैं?
उत्तर:
शृंखला अनुक्रमणिका

प्रश्न 3.
कार्ड अनुक्रमणिका का आविष्कार किस विद्वान ने किया था?
उत्तर:
ऐबे जीन रोजियर

प्रश्न 4.
बैंक में नमूने के हस्ताक्षर के लिए कौन-सी अनुक्रमणिका उपयुक्त है?
उत्तर:
कार्ड अनुक्रमणिका

प्रश्न 5.
दृश्य कार्ड सूची की मुख्य विशेषता क्या है?
उत्तर:
इसमें अनेक कार्ड एक साथ देखे जा सकते हैं।

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अतिलघु उत्तरीय प्रश्न (2 अंक)

प्रश्न 1.
अनुक्रमणिका के चार लाभ या महत्त्व बताइए। (2014, 12)
उत्तर:
अनुक्रमणिका के चार लाभ या महत्त्व निम्नलिखित हैं-

  1. अनुक्रमणिका पत्रों को निश्चित क्रम में रखने की सुविधा प्रदान करती है।
  2. अनुक्रमणिका खड़ी फाइलिंग के लिए अनिवार्य होती है।
  3. अनुक्रमणिका पत्रों को फाइल करने में सुविधा प्रदान करती है।
  4. अनुक्रमणिका द्वारा पत्रों एवं महत्त्वपूर्ण प्रलेखों को सुरक्षित रखा जा सकता

प्रश्न 2.
अनुक्रमणिका की विभिन्न विधियों के नाम लिखिए।
उत्तर:
अनुक्रमणिका की विभिन्न विधियों के नाम निम्नलिखित हैं-

  1. साधारण/पत्र-पुस्तक या वर्णात्मक अनुक्रमणिका
  2. स्वरात्मक अनुक्रमणिका
  3. श्रृंखला अनुक्रमणिका
  4. कार्ड अनुक्रमणिका
  5. दिखने वाली (खुली/दृश्य) कार्ड अनुक्रमणिका
  6. चक्रीय अनुक्रमणिका

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प्रश्न 3.
शृंखला अनुक्रमणिका क्यों बनाई जाती है?
उत्तर:
शृंखला अनुक्रमणिका या सूची एक ऐसी पद्धति है, जिसकी सहायता से किसी ग्राहक को अलग-अलग तिथियों पर लिखे गए पत्रों की ऐसी जानकारी एक ही पृष्ठ पर प्राप्त हो जाती है कि पत्र विशेष से पहले के पत्रों व आगे के पत्रों की प्रतिलिपि किन (UPBoardSolutions.com) पृष्ठों पर दी गई है, जिससे पुराने पत्रों को सरलता से प्राप्त किया जा सके। इस उद्देश्य से श्रृंखला अनुक्रमणिका बनाई जाती है।

प्रश्न 4.
कार्ड अनुक्रमणिका क्या है? इसके दो गुणों का उल्लेख कीजिए। (2014)
उत्तर:
कार्ड अनुक्रमणिका इस अनुक्रमणिका में संकेत कार्डों का प्रयोग किया जाता है तथा प्रत्येक ग्राहक के लिए एक कार्ड बना दिया जाता है, जिस पर उसका नाम, पता एवं सूचनाएँ स्पष्ट रूप से लिख दी जाती हैं। बैंक में नमूने के हस्ताक्षर के लिए भी इसी अनुक्रमणिका का प्रयोग किया जाता है। इसके लिए विभिन्न वस्तुओं की आवश्यकता होती है; जैसे-दराजदार अलमारी, नाम कार्ड, संकेत कार्ड, अनुपस्थिति कार्ड, आदि। कार्ड अनुक्रमणिका के दो गुण निम्नलिखित हैं।

  1. यह प्रणाली लोचदार होती है।
  2. यह सरल एवं सुविधाजनक प्रणाली है।

लघु उत्तरीय प्रश्न (4 अंक)

प्रश्न 1.
अनुक्रमणिका से क्या आशय है? इसके दो महत्त्वों का उल्लेख कीजिए। (2012)
अथवा
अनुक्रमणिका क्या है? अनुक्रमणिका के क्या-क्या लाभ हैं? संक्षेप में वर्णन कीजिए। (2011)
अथवा
अनुक्रमणिका से आप क्या समझते हैं? इसके उद्देश्यों का वर्णन कीजिए। (2010)
उत्तर:
अनुक्रमणिका से आशय अनुक्रमणिका एक ऐसी युक्ति या सूची होती है, जिसके द्वारा शीघ्रतापूर्वक यह पता लगाया जा सकता है कि अमुक पत्र या प्रलेख कहाँ रखा हुआ है। इसकी सहायता से भविष्य में सन्दर्भ के लिए उसे निकालने में सुविधा रहती है।

अनुक्रमणिका की आवश्यकता/उद्देश्य/महत्त्व/लाभ प्रत्येक प्रगतिशील व्यापारिक कार्यालय के लिए वर्तमान युग में अनुक्रमणिका का अत्यधिक महत्त्व होता है। पत्र-व्यवहार व्यापार की आत्मा होती है। बिना पत्र-व्यवहार के कोई भी व्यापार वर्तमान समय (UPBoardSolutions.com) में सुचारु रूप से संचालित नहीं किया जा सकता है। इस उद्देश्य से पत्रों को सँभालकर रखना व्यापार के हित में होता है। इन्हें शीघ्रता व सुगमता से प्राप्त करने के लिए अनुक्रमणिका की आवश्यकता होती है। अनुक्रमणिका के महत्त्व या उद्देश्यों को निम्न प्रकार से स्पष्ट किया जा सकता है

  1. पत्रों को फाइल करने में सुविधा ग्राहकों के पत्रों व प्रलेखों को सुगमता व शीघ्रता से उपयुक्त स्थान पर फाइल करने के लिए अनुक्रमणिका सहायक होती है।
  2. पत्रों को ढूंढने में सुविधा व्यापारिक कार्यालय में आने व जाने वाले पत्रों को फाइलों में सुरक्षित रखा जाता है, जिससे किसी भी पत्र को ढूंढने में अनुक्रमणिका सहायता प्रदान करती है।
  3. पत्रों को नस्तीकरण करने में सुविधा अनुक्रमणिका तैयार करने से पत्रों को सुरक्षित रखने में भी काफी सुविधा मिलती है।
  4. समय तथा श्रम दोनों की बचत अनुक्रमणिका की सहायता से आवश्यकता पड़ने पर पत्रों को खोजने में समय व श्रम दोनों की बचत होती है।
  5. पत्रों को निश्चित क्रम में रखने की सुविधा अनुक्रमणिका एक निश्चित आधार के अनुसार बनाई जाती है। इस कारण, पत्रों को भी एक निश्चित क्रम में सुरक्षित रखा जा सकता है।
  6. पुस्तकालय में उपयोगी पुस्तकालय में रखी हजारों पुस्तकों में से कोई एक पुस्तक सरलतापूर्वक निकालने के लिए अनुक्रमणिका का प्रयोग किया जा सकता है।
  7. पत्रों एवं महत्त्वपूर्ण प्रलेखों की सुरक्षा अनुक्रमणिका की सहायता से पत्रों एवं प्रलेखों को रखने एवं निकालने में पत्रों को अधिक उलटना-पलटना नहीं पड़ता है। इससे पत्र फटने से बच जाते हैं।
  8. खाताबही के लिए अनिवार्य खाताबही में अनुक्रमणिका अवश्य बनाई जाती है। इससे ग्राहक के खाते का तुरन्त ज्ञान हो जाता है।
  9. खड़ी फाइलिंग के लिए अनिवार्य खड़ी फाइलिंग के अन्तर्गत अनुक्रमणिका तैयार करना अनिवार्य होता है।
  10. अन्य लाभ अनुक्रमणिका द्वारा ग्राहकों के पते, उनके बैंक खातों की संख्या, उनके बैंक का नाम, उधार किस्तें, उनकी आर्थिक स्थिति, ग्राहकों के व्यवसाय एवं पूर्व सन्दर्भो, आदि की जानकारी सरलतापूर्वक प्राप्त हो जाती है।

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प्रश्न 2.
अनुक्रमणिका क्या है? वर्णात्मक अनुक्रमणिका का वर्णन कीजिए। (2009)
उत्तर:
अनुक्रमणिका का अर्थ
अनुक्रमणिका से आशय अनुक्रमणिका एक ऐसी युक्ति या सूची होती है, जिसके द्वारा शीघ्रतापूर्वक यह पता लगाया जा सकता है कि अमुक पत्र या प्रलेख कहाँ रखा हुआ है। इसकी सहायता से भविष्य में सन्दर्भ के लिए उसे निकालने में सुविधा रहती है।

अनुक्रमणिका की आवश्यकता/उद्देश्य/महत्त्व/लाभ प्रत्येक प्रगतिशील व्यापारिक कार्यालय के लिए वर्तमान युग में अनुक्रमणिका का अत्यधिक महत्त्व होता है। पत्र-व्यवहार व्यापार की आत्मा होती है। बिना पत्र-व्यवहार के कोई भी व्यापार वर्तमान समय में सुचारु रूप से संचालित नहीं किया जा सकता है। इस उद्देश्य से पत्रों को सँभालकर रखना व्यापार के हित में होता है। इन्हें शीघ्रता व सुगमता से प्राप्त करने के लिए अनुक्रमणिका की आवश्यकता होती है। अनुक्रमणिका के महत्त्व या उद्देश्यों को निम्न प्रकार से स्पष्ट किया जा सकता है

  1. पत्रों को फाइल करने में सुविधा ग्राहकों के पत्रों व प्रलेखों को सुगमता व शीघ्रता से उपयुक्त स्थान पर फाइल करने के लिए अनुक्रमणिका सहायक होती है।
  2. पत्रों को ढूंढने में सुविधा व्यापारिक कार्यालय में आने व जाने वाले पत्रों को फाइलों में सुरक्षित रखा जाता है, जिससे किसी भी पत्र को ढूंढने में अनुक्रमणिका सहायता प्रदान करती है।
  3. पत्रों को नस्तीकरण करने में सुविधा अनुक्रमणिका तैयार करने से पत्रों को सुरक्षित रखने में भी काफी सुविधा मिलती है।
  4. समय तथा श्रम दोनों की बचत अनुक्रमणिका की सहायता से (UPBoardSolutions.com) आवश्यकता पड़ने पर पत्रों को खोजने में समय व श्रम दोनों की बचत होती है।
  5. पत्रों को निश्चित क्रम में रखने की सुविधा अनुक्रमणिका एक निश्चित आधार के अनुसार बनाई जाती है। इस कारण, पत्रों को भी एक निश्चित क्रम में सुरक्षित रखा जा सकता है।
  6. पुस्तकालय में उपयोगी पुस्तकालय में रखी हजारों पुस्तकों में से कोई एक पुस्तक सरलतापूर्वक निकालने के लिए अनुक्रमणिका का प्रयोग किया जा सकता है।
  7. पत्रों एवं महत्त्वपूर्ण प्रलेखों की सुरक्षा अनुक्रमणिका की सहायता से पत्रों एवं प्रलेखों को रखने एवं निकालने में पत्रों को अधिक उलटना-पलटना नहीं पड़ता है। इससे पत्र फटने से बच जाते हैं।
  8. खाताबही के लिए अनिवार्य खाताबही में अनुक्रमणिका अवश्य बनाई जाती है। इससे ग्राहक के खाते का तुरन्त ज्ञान हो जाता है।
  9. खड़ी फाइलिंग के लिए अनिवार्य खड़ी फाइलिंग के अन्तर्गत अनुक्रमणिका तैयार करना अनिवार्य होता है।
  10. अन्य लाभ अनुक्रमणिका द्वारा ग्राहकों के पते, उनके बैंक खातों की संख्या, उनके बैंक का नाम, उधार किस्तें, उनकी आर्थिक स्थिति, ग्राहकों के व्यवसाय एवं पूर्व सन्दर्भो, आदि की जानकारी सरलतापूर्वक प्राप्त हो जाती है।

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वर्णात्मक अनुक्रमणिका
अनुक्रमणिका से आशय अनुक्रमणिका एक ऐसी युक्ति या सूची होती है, जिसके द्वारा शीघ्रतापूर्वक यह पता लगाया जा सकता है कि अमुक पत्र या प्रलेख कहाँ रखा हुआ है। इसकी सहायता से भविष्य में सन्दर्भ के लिए उसे निकालने में सुविधा रहती है।

अनुक्रमणिका की आवश्यकता/उद्देश्य/महत्त्व/लाभ प्रत्येक प्रगतिशील व्यापारिक कार्यालय के लिए वर्तमान युग में अनुक्रमणिका का अत्यधिक महत्त्व होता है। पत्र-व्यवहार व्यापार की आत्मा होती है। बिना पत्र-व्यवहार के कोई भी व्यापार वर्तमान समय में सुचारु रूप से संचालित नहीं किया जा सकता है। इस उद्देश्य से पत्रों को सँभालकर रखना व्यापार के हित में होता है। इन्हें शीघ्रता व सुगमता से प्राप्त करने के लिए अनुक्रमणिका की आवश्यकता होती है। अनुक्रमणिका के महत्त्व या उद्देश्यों को निम्न प्रकार से स्पष्ट किया जा सकता है

  1. पत्रों को फाइल करने में सुविधा ग्राहकों के पत्रों व प्रलेखों को सुगमता व शीघ्रता से उपयुक्त स्थान पर फाइल करने के लिए अनुक्रमणिका सहायक होती है।
  2. पत्रों को ढूंढने में सुविधा व्यापारिक कार्यालय में आने व जाने वाले पत्रों को फाइलों में सुरक्षित रखा जाता है, जिससे किसी भी पत्र को ढूंढने में अनुक्रमणिका सहायता प्रदान करती है।
  3. पत्रों को नस्तीकरण करने में सुविधा अनुक्रमणिका तैयार करने से पत्रों को सुरक्षित रखने में भी काफी सुविधा मिलती है।
  4. समय तथा श्रम दोनों की बचत अनुक्रमणिका की सहायता से आवश्यकता पड़ने पर पत्रों को खोजने में समय व श्रम दोनों की बचत होती है।
  5. पत्रों को निश्चित क्रम में रखने की सुविधा अनुक्रमणिका एक निश्चित आधार के अनुसार बनाई जाती है। इस कारण, पत्रों को भी एक निश्चित क्रम में सुरक्षित रखा जा सकता है।
  6. पुस्तकालय में उपयोगी पुस्तकालय में रखी हजारों पुस्तकों में से कोई एक पुस्तक सरलतापूर्वक निकालने के लिए अनुक्रमणिका का प्रयोग किया जा सकता है।
  7. पत्रों एवं महत्त्वपूर्ण प्रलेखों की सुरक्षा अनुक्रमणिका की सहायता से पत्रों एवं प्रलेखों को रखने एवं निकालने में पत्रों को अधिक उलटना-पलटना नहीं पड़ता है। इससे पत्र फटने से बच जाते हैं।
  8. खाताबही के लिए अनिवार्य खाताबही में अनुक्रमणिका अवश्य बनाई (UPBoardSolutions.com) जाती है। इससे ग्राहक के खाते का तुरन्त ज्ञान हो जाता है।
  9. खड़ी फाइलिंग के लिए अनिवार्य खड़ी फाइलिंग के अन्तर्गत अनुक्रमणिका तैयार करना अनिवार्य होता है।
  10. अन्य लाभ अनुक्रमणिका द्वारा ग्राहकों के पते, उनके बैंक खातों की संख्या, उनके बैंक का नाम, उधार किस्तें, उनकी आर्थिक स्थिति, ग्राहकों के व्यवसाय एवं पूर्व सन्दर्भो, आदि की जानकारी सरलतापूर्वक प्राप्त हो जाती है।

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दीर्घ उत्तरीय प्रश्न (8 अंक)

प्रश्न 1.
अनुक्रमणिका क्या है? अनुक्रमणिका की विभिन्न रीतियों एवं उनके महत्त्व का वर्णन कीजिए। (2008)
उत्तर:
अनुक्रमणिका से आशय
अनुक्रमणिका से आशय अनुक्रमणिका एक ऐसी युक्ति या सूची होती है, जिसके द्वारा शीघ्रतापूर्वक यह पता लगाया जा सकता है कि अमुक पत्र या प्रलेख कहाँ रखा हुआ है। इसकी सहायता से भविष्य में सन्दर्भ के लिए उसे निकालने में सुविधा रहती है।

अनुक्रमणिका की आवश्यकता/उद्देश्य/महत्त्व/लाभ प्रत्येक प्रगतिशील व्यापारिक कार्यालय के लिए वर्तमान युग में अनुक्रमणिका का अत्यधिक महत्त्व होता है। पत्र-व्यवहार व्यापार की आत्मा होती है। बिना पत्र-व्यवहार के कोई भी व्यापार वर्तमान समय में सुचारु रूप से संचालित नहीं किया जा सकता है। इस उद्देश्य से पत्रों को सँभालकर रखना व्यापार के हित में होता है। इन्हें शीघ्रता व सुगमता से प्राप्त करने के लिए अनुक्रमणिका की आवश्यकता होती है। अनुक्रमणिका के महत्त्व या उद्देश्यों को निम्न प्रकार से स्पष्ट किया जा सकता है

  1. पत्रों को फाइल करने में सुविधा ग्राहकों के पत्रों व प्रलेखों को सुगमता व शीघ्रता से उपयुक्त स्थान पर फाइल करने के लिए अनुक्रमणिका सहायक होती है।
  2. पत्रों को ढूंढने में सुविधा व्यापारिक कार्यालय में आने व जाने वाले पत्रों को फाइलों में सुरक्षित रखा जाता है, जिससे किसी भी पत्र को ढूंढने में अनुक्रमणिका सहायता प्रदान करती है।
  3. पत्रों को नस्तीकरण करने में सुविधा अनुक्रमणिका तैयार करने से पत्रों को सुरक्षित रखने में भी काफी सुविधा मिलती है।
  4. समय तथा श्रम दोनों की बचत अनुक्रमणिका की सहायता से आवश्यकता (UPBoardSolutions.com) पड़ने पर पत्रों को खोजने में समय व श्रम दोनों की बचत होती है।
  5. पत्रों को निश्चित क्रम में रखने की सुविधा अनुक्रमणिका एक निश्चित आधार के अनुसार बनाई जाती है। इस कारण, पत्रों को भी एक निश्चित क्रम में सुरक्षित रखा जा सकता है।
  6. पुस्तकालय में उपयोगी पुस्तकालय में रखी हजारों पुस्तकों में से कोई एक पुस्तक सरलतापूर्वक निकालने के लिए अनुक्रमणिका का प्रयोग किया जा सकता है।
  7. पत्रों एवं महत्त्वपूर्ण प्रलेखों की सुरक्षा अनुक्रमणिका की सहायता से पत्रों एवं प्रलेखों को रखने एवं निकालने में पत्रों को अधिक उलटना-पलटना नहीं पड़ता है। इससे पत्र फटने से बच जाते हैं।
  8. खाताबही के लिए अनिवार्य खाताबही में अनुक्रमणिका अवश्य बनाई जाती है। इससे ग्राहक के खाते का तुरन्त ज्ञान हो जाता है।
  9. खड़ी फाइलिंग के लिए अनिवार्य खड़ी फाइलिंग के अन्तर्गत अनुक्रमणिका तैयार करना अनिवार्य होता है।
  10. अन्य लाभ अनुक्रमणिका द्वारा ग्राहकों के पते, उनके बैंक खातों की संख्या, उनके बैंक का नाम, उधार किस्तें, उनकी आर्थिक स्थिति, ग्राहकों के व्यवसाय एवं पूर्व सन्दर्भो, आदि की जानकारी सरलतापूर्वक प्राप्त हो जाती है।

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1. साधारण या पत्र-पुस्तक अनुक्रमणिका या वर्णात्मक अनुक्रमणिका यह अनुक्रमणिका उन कार्यालयों के लिए होती है, जहाँ थोड़ी मात्रा में ही पत्र आते-जाते हैं। इस अनुक्रमणिका में प्रत्येक अक्षर के लिए एक पृष्ठ नियत कर दिया जाता है। इस प्रकार, अंग्रेजी की अनुक्रमणिका बनाने के लिए 24 पृष्ठ आवश्यक होते हैं, जबकि A से W तक प्रत्येक अक्षर के लिए एक-एक कुल 23 पृष्ठ और Y Y 7 इन तीनों अक्षरों के लिए केवल एक पृष्ठ होता है। क्योंकि इन (UPBoardSolutions.com) अक्षरों से आरम्भ होने वाले नाम बहुत कम होते हैं। हिन्दी की अनुक्रमणिका के लिए 36 पृष्ठों की आवश्यकता होती है; जैसे-अ, इ, उ, ए, ओ, अं, क, ख, ग, घ, च, छ (क्ष), ज, झ, ट, ठ, ड, ढ़, त, थ, द, ध, न, प, फ, ब, भ, म, य, र, ल, व, श (षे, स), हे, त्र, ज्ञा ये पृष्ठ दाईं ओर इस प्रकार से कटे होते हैं कि वर्णमाला के सभी अक्षरे एक सीधी रेखा में दिखाई देते हैं तथा पृष्ठों को पलटे बिना यह मालूम किया जा सकता है कि अमुक नाम का हवाला किस पृष्ठ पर मिलेगा।

हिन्दी वर्णमाला का आधार
UP Board Solutions for Class 10 Commerce Chapter 7 अनुक्रमणिका या सूची 1

  • सरलता यह प्रणाली अत्यन्त सरल होती है। इसका प्रयोग सामान्य स्तर वाला व्यापारी भी सरलता से कर सकता है।
  • लोचदार अनुक्रमणिका की इस प्रणाली में लोचता का गुण अधिक पाया जाता है।
  • मितव्ययी इस प्रणाली में समय व श्रम दोनों की बचत होती है।

2. स्वरात्मक अनुक्रमणिका यह अनुक्रमणिका वस्तुतः साधारण अनुक्रमणिका का ही विकसित रूप होता है। बड़े-बड़े व्यापारिक कार्यालयों में जहाँ ग्राहकों की संख्या अधिक होती है, वहाँ इस पद्धति का प्रयोग किया जाता है। इसके अन्तर्गत स्वर के आधार पर अनुक्रमणिका तैयार की जाती है अर्थात् जब एक अक्षर से प्रारम्भ होने वाले नामों की संख्या अधिक हो जाती है, तब उसे स्वर के आधार पर विभाजित कर दिया जाता है। इसे अंग्रेजी एवं हिन्दी में निम्न प्रकार से तैयार किया जा सकता है

(i) अंग्रेजी स्वरों के आधार पर अंग्रेजी भाषा में पाँच स्वर होते हैं- (A, E, I, 0, U) जिनके आधार पर वर्णमाला के अक्षरों को 5 भागों में विभक्त किया जाता है; जैसे-R के 5 उपनाम RA, RE, RI, RO, RU के द्वारा निम्न प्रकार से स्वरात्मक अनुक्रमणिका बनाई जा सकती है-

UP Board Solutions for Class 10 Commerce Chapter 7 अनुक्रमणिका या सूची

(ii) हिन्दी स्वरों के आधार पर हिन्दी में मात्राओं के आधार पर 13 स्वर (अ, आ, इ, ई, उ, ऊ, ऋ, ए, ऐ, ओ, औ, अं, अ:) होते हैं।

इसे निम्न उदाहरण द्वारा समझा जा सकता है-
हिन्दी में ‘क’ अक्षर से शुरू होने वाले ग्राहकों के नाम
UP Board Solutions for Class 10 Commerce Chapter 7 अनुक्रमणिका या सूची

स्वरात्मक अनुक्रमणिका के गुण या महत्त्व स्वरात्मक अनुक्रमणिका के गुण या महत्त्व निम्नलिखित हैं

  1. सरलता अनुक्रमणिका की इस प्रणाली के अन्तर्गत पत्रों को सरलता से ढूंढा जा सकता है।
  2. उपयुक्तता अनुक्रमणिका की यह प्रणाली छोटे, मध्यम एवं बड़े सभी प्रकार के व्यापारियों के लिए उपयुक्त होती है, परन्तु मध्यम स्तर के व्यापारियों के लिए यह अत्यधिक उपयुक्त होती है।
  3. बचत इस प्रणाली में पत्रों को आसानी से ढूंढा जा सकता है, जिससे समय वे श्रम दोनों की बचत होती है।
  4. लोचदार व्यापार की आवश्यकतानुसार इसमें परिवर्तन किया जा सकता है। अतः यह लोचदार पद्धति होती है।

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3. श्रृंखला अनुक्रमणिका अथवा श्रृंखला संकेत क्रम शृंखला अनुक्रमणिका, अनुक्रमणिका की एक ऐसी विधि है, जिसकी सहायता से किसी ग्राहक विशेष को अलग-अलग तिथियों पर लिखे गए पत्रों के सम्बन्ध में यह जानकारी एक ही स्थान पर मिल जाती है (UPBoardSolutions.com) कि इन पत्रों की प्रतिलिपि किन-किन पृष्ठों पर दी गई है, ताकि उन्हें सरलता एवं शीघ्रता से प्राप्त किया जा सके।

श्रृंखला अनुक्रमणिका बनाने की विधि

मान लीजिए कि श्याम को भेजे गए पत्रों की नकलें पृष्ठ संख्या 8, 12, 15, 20 पर हैं, तो पृष्ठ संख्या 8 पर हर 0/12 पृष्ठ के ऊपर हाशिए में बीचों-बीच लाल स्याही या पेन्सिल से लिख दिया जाएगा। अंश व हर पृष्ठ 12 पर 8/15, पृष्ठ 15 पर 12/20 तथा पृष्ठ 20 पर 15 लिखा जाएगा। बीसवें पृष्ठ पर केवल अंश ही लिखा हुआ हैं, हर नहीं। इसका तात्पर्य यह है। कि पिछले पत्र की नकल 15वें पृष्ठ पर है और अभी इससे आगे कोई पत्र नहीं लिखा गया है।
UP Board Solutions for Class 10 Commerce Chapter 7 अनुक्रमणिका या सूची 2

श्रृंखला अनुक्रमणिका के गुण या महत्त्व श्रृंखला अनुक्रमणिका के गुण या महत्त्व निम्नलिखित हैं

  1. सरल इस प्रणाली के अन्तर्गत ग्राहकों को अलग-अलग तारीखों पर भेजे गए पत्रों की प्रतिलिपि को आसानी से एक निश्चित स्थान पर प्राप्त किया जा सकता है।
  2. मितव्ययिता इस प्रणाली के अन्तर्गत अधिक धन व्यय करने की आवश्यकता नहीं होती है।
  3. बचत इस प्रणाली के अन्तर्गत पत्रों को आसानी से ढूंढा जा सकता है, जिससे समय व श्रम दोनों की बचत होती है।

4. कार्ड अनुक्रमणिका इसका आविष्कार 18वीं शताब्दी में फ्रांसीसी विद्वान ऐबे जीन रोजियर ने किया था। इस अनुक्रमणिका का प्रयोग पुस्तकालय में किया जाता है। इस अनुक्रमणिका में कार्डों का प्रयोग किया जाता है। प्रत्येक ग्राहक के लिए एक कार्ड बना दिया जाता है, जिस पर उसका नाम, पता एवं सूचनाएँ स्पष्ट रूप से लिख दी जाती हैं। बैंक में नमूने के हस्ताक्षर के लिए भी इसी अनुक्रमणिका का प्रयोग किया जाता है। इसमें निम्नलिखित वस्तुओं की आवश्यकता होती है

  1. दराजदार अलमारी दराजों की संख्या व्यापार की आवश्यकता पर निर्भर करती है। प्रत्येक दराज के सामने अंग्रेजी वर्णमाला में क्रमवार संकेत चिन्ह लगे होते हैं।
  2. नाम कार्ड इन्हें दराजों में वर्णात्मक क्रम में रखा जाता है। नाम कार्ड पर ग्राहक का नाम, पता, टेलीफोन नं., खाता पृष्ठ संख्या, आदि लिखी होती है।
  3. संकेत कार्ड इन कार्डों के माध्यम से दराज को संख्यात्मक, वर्णात्मक या स्वरात्मक क्रमानुसार कई भागों में बाँट सकते हैं। इसमें प्रत्येक कार्ड का एक सिरा ऊपर उठा होता है, जिस पर अक्षर व संख्या लिखी होती है।
  4. अनुपस्थिति कार्ड जब किसी वस्तु को उसके स्थान से हटाया जाता है, तो उसके स्थान पर जो विवरण युक्त कार्ड रखा जाता है, उसे अनुपस्थिति कार्ड कहते हैं।

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कार्ड अनुक्रमणिका के गुण या महत्त्व कार्ड अनुक्रमणिका के प्रमुख गुण निम्नलिखित हैं

  1. लोचता यह प्रणाली लोचदार होती है, क्योंकि इसमें व्यापार की आवश्यकतानुसार दराजों की संख्या कम व अधिक की जा सकती है।
  2. स्वच्छता यह अनुक्रमणिका हमेशा स्वच्छ रहती है, क्योंकि इसको (UPBoardSolutions.com) पुस्तक-सूची की तरह काटना नहीं पड़ता है। यदि किसी व्यापारी से पत्र-व्यवहार बन्द हो जाता है, तो उसके कार्ड को निकालकर नए व्यापारी का कार्ड लगा दिया जाता है।
  3. सुविधाजनक इस सूची में संकेत-पत्रों के कारण कार्ड आसानी से प्राप्त किया जाता है वे संकेत कार्डों का पता सरलता से लग जाता है।
  4. नवीनतम इसमें नए ग्राहकों के कार्ड समायोजित किए जा सकते हैं, जिससे सूची सदैव नवीनतम बनी रहती है।
  5. केवल चालू कार्डों को रखना इस प्रणाली में ऐसे ग्राहकों के कार्ड, जिनसे व्यापार बन्द हो गया है, आसानी से हटाए जा सकते हैं। इस प्रकार इसमें केवल चालू कार्ड ही रहते हैं।
  6. मितव्ययिता इस प्रणाली में बार-बार पुस्तकें या जिल्दें नहीं खरीदनी पड़ती हैं, इसलिए यह प्रणाली अन्य प्रणालियों से मितव्ययी
  7. उपयुक्तता यह प्रणाली बड़े व्यापारिक कार्यालयों के लिए अधिक उपयुक्त रहती है।

5. दिखने वाली (खुली) कार्ड अनुक्रमणिका दिखने वाली अनुक्रमणिका, कार्ड अनुक्रमणिका का ही एक विकसित रूप होता है। इसे खुली अनुक्रमणिका के नाम से भी जाना जाता है। यह एक ऐसी प्रणाली है, जिसमें अनेक कार्डों को एक साथ देखा जा सकता है, जबकि कार्ड अनुक्रमणिका में एक समय में केवल एक ही कार्ड को देखा जा सकता है।

प्रयोग विधि इस अनुक्रमणिका की पद्धति के अन्तर्गत अनुक्रमणिका को तैयार करने के लिए नाम कार्डों को पारदर्शी लिफाफे में रखकर धातु के चौखटों में लगा दिया जाता है। इन चौखटों में नीचे कब्जे लगे होते हैं, जिनमें कार्डों को इस प्रकार से लगाया जाता है कि कार्ड ऊपर से नीचे की ओर एक विशेष क्रम में आ जाएँ, ताकि उन्हें बाहर से देखा जा सके। कार्ड को शीघ्रता से ढूंढने के लिए बीच-बीच में संकेत कार्ड भी लगे होते हैं।

दिखने वाली अनुक्रमणिका के गुण या महत्त्व दिखने वाली अनुक्रमणिका के गुण निम्नलिखित हैं-

  1. सरलता इस प्रणाली के अन्तर्गत एक से अधिक कार्ड एक साथ सरलतापूर्वक देखे जा सकते हैं।
  2. उपयुक्तता बड़े व्यापारिक कार्यालयों के लिए यह प्रणाली उपयुक्त होती है।
  3. लोचता यह प्रणाली लोचपूर्ण होती है। इसमें पुराने कार्डों के क्रमानुसार नए कार्डों को लगाया जा सकता है।
  4. कम स्थान इस प्रणाली के अन्तर्गत अधिक स्थान की आवश्यकता (UPBoardSolutions.com) नहीं होती है।
  5. सुरक्षा यह प्रणाली अनुक्रमणिका की अन्य प्रणालियों की अपेक्षा अधिक सुरक्षित होती है, क्योकि ग्राहकों के नाम कार्ड होल्डरों में लगे हुए होते हैं।

6. चक्रीय अनुक्रमणिका यह अनुक्रमणिका दिखने वाली कार्ड अनुक्रमणिका का ही विकसित रूप होता है। इसमें लोहे के स्टैण्ड में एक घुमावदार पहिया लगा होता है, जो चारों ओर घूमता है। इस पहिए में ऊपर की ओर कार्डो को फँसाने के लिए स्थान होता है। इस पहिए में लगभग 1,000 से 5,000 तक कार्ड लगाए जा सकते हैं। इसमें कार्ड को देखने के लिए पहिए को घुमाया जाता है। चक्रीय अनुक्रमणिका के गुण या महत्त्व चक्रीय अनुक्रमणिका के गुण या लाभ निम्नलिखित हैं

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  1. सरलता इस प्रणाली के अन्तर्गत ग्राहकों से सम्बन्धित सूचनाओं को सरलतापूर्वक देखा जा सकता है।
  2. अल्पव्ययी वृहद् आकार के व्यापार के लिए यह प्रणाली कम खर्चीली या अल्पव्ययी होती है।
  3. लोचता इस प्रणाली में व्यापार की आवश्यकता व सुविधा के अनुसार परिवर्तन किया जा सकता है।
  4. सुविधाजनक चक्रीये अनुक्रमणिका प्रणाली के अन्तर्गत कम स्थान की आवश्यकता होती है तथा इसे आसानी से एक स्थान से दूसरे स्थान पर लाया व ले जाया जा सकता है। अतः यह पद्धति अधिक सुविधाजनक होती है।

प्रश्न 2.
कार्ड अनुक्रमणिका का वर्णन कीजिए तथा इसकी उपयोगिता समझाइट। (2017)
उत्तर:
कार्ड अनुक्रमणिका 
अनुक्रमणिका से आशय अनुक्रमणिका एक ऐसी युक्ति या सूची होती है, जिसके द्वारा शीघ्रतापूर्वक यह पता लगाया जा सकता है कि अमुक पत्र या प्रलेख कहाँ रखा हुआ है। इसकी सहायता से भविष्य में सन्दर्भ के लिए उसे निकालने में सुविधा रहती है।

अनुक्रमणिका की आवश्यकता/उद्देश्य/महत्त्व/लाभ प्रत्येक प्रगतिशील व्यापारिक कार्यालय के लिए वर्तमान युग में अनुक्रमणिका का अत्यधिक महत्त्व होता है। पत्र-व्यवहार व्यापार की आत्मा होती है। बिना पत्र-व्यवहार के कोई भी व्यापार वर्तमान समय में सुचारु रूप (UPBoardSolutions.com) से संचालित नहीं किया जा सकता है। इस उद्देश्य से पत्रों को सँभालकर रखना व्यापार के हित में होता है। इन्हें शीघ्रता व सुगमता से प्राप्त करने के लिए अनुक्रमणिका की आवश्यकता होती है। अनुक्रमणिका के महत्त्व या उद्देश्यों को निम्न प्रकार से स्पष्ट किया जा सकता है

  1. पत्रों को फाइल करने में सुविधा ग्राहकों के पत्रों व प्रलेखों को सुगमता व शीघ्रता से उपयुक्त स्थान पर फाइल करने के लिए अनुक्रमणिका सहायक होती है।
  2. पत्रों को ढूंढने में सुविधा व्यापारिक कार्यालय में आने व जाने वाले पत्रों को फाइलों में सुरक्षित रखा जाता है, जिससे किसी भी पत्र को ढूंढने में अनुक्रमणिका सहायता प्रदान करती है।
  3. पत्रों को नस्तीकरण करने में सुविधा अनुक्रमणिका तैयार करने से पत्रों को सुरक्षित रखने में भी काफी सुविधा मिलती है।
  4. समय तथा श्रम दोनों की बचत अनुक्रमणिका की सहायता से आवश्यकता पड़ने पर पत्रों को खोजने में समय व श्रम दोनों की बचत होती है।
  5. पत्रों को निश्चित क्रम में रखने की सुविधा अनुक्रमणिका एक निश्चित आधार के अनुसार बनाई जाती है। इस कारण, पत्रों को भी एक निश्चित क्रम में सुरक्षित रखा जा सकता है।
  6. पुस्तकालय में उपयोगी पुस्तकालय में रखी हजारों पुस्तकों में से कोई एक पुस्तक सरलतापूर्वक निकालने के लिए अनुक्रमणिका का प्रयोग किया जा सकता है।
  7. पत्रों एवं महत्त्वपूर्ण प्रलेखों की सुरक्षा अनुक्रमणिका की सहायता से पत्रों एवं प्रलेखों को रखने एवं निकालने में पत्रों को अधिक उलटना-पलटना नहीं पड़ता है। इससे पत्र फटने से बच जाते हैं।
  8. खाताबही के लिए अनिवार्य खाताबही में अनुक्रमणिका अवश्य बनाई जाती है। इससे ग्राहक के खाते का तुरन्त ज्ञान हो जाता है।
  9. खड़ी फाइलिंग के लिए अनिवार्य खड़ी फाइलिंग के अन्तर्गत अनुक्रमणिका तैयार करना अनिवार्य होता है।
  10. अन्य लाभ अनुक्रमणिका द्वारा ग्राहकों के पते, उनके बैंक खातों की संख्या, उनके बैंक का नाम, उधार किस्तें, उनकी आर्थिक स्थिति, ग्राहकों के व्यवसाय एवं पूर्व सन्दर्भो, आदि की जानकारी सरलतापूर्वक प्राप्त हो जाती है।

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कार्ड अनुक्रमणिका की उपयोगिता कार्ड अनुक्रमणिका की उपयोगिता निम्नलिखित है-

  1. कार्ड अनुक्रमणिका का प्रयोग बीमा कम्पनी द्वारा पॉलिसी धारकों के विवरण जैसे-नाम, पता, पॉलिसी संख्या, अवधि, आदि लिखने हेतु किया। जाता है।
  2. कार्ड अनुक्रमणिका के द्वारा किसी ग्राहक को दिए गए ऋण का विवरण जैसे-कार्ड पर लिखित अनुबन्ध की तिथि, ऋण का समय व मात्रा, आदिका पता लगाया जा सकती है।
  3. किसी ग्राहक को आगे के पत्र लिखने हेतु भी कार्ड अनुक्रमणिका का उपयोग किया जाता है।
  4. कार्ड अनुक्रमणिका द्वारा पता सूची तैयार कर उसे उपयोग (UPBoardSolutions.com) में ले सकते हैं, जिसमें ग्राहक का नाम, पता, टेलीफोन नं., आदि विवरण होता है।
  5. कार्ड अनुक्रमणिका का प्रयोग खड़ी फाइल रखने हेतु भी किया जाता है।
  6. कार्ड अनुक्रमणिका का उपयोग पुस्तकालय में किसी विशेष पुस्तक को खोजने हेतु भी किया जाता है।
  7. बैंक द्वारा अपने ग्राहकों के खातों की जानकारी एवं ग्राहकों के हस्ताक्षरों के नमूने रखने हेतु भी कार्ड अनुक्रमणिका का प्रयोग किया जाता है।
  8. कार्ड अनुक्रमणिका का प्रयोग व्यापार सूची के रूप में भी किया जाता है, जिसमें व्यापार का विवरण, शर्ते, माल सम्बन्धी सूचनाओं का विवरण, आदि दिया जाता है।
  9. किस्तों द्वारा माल खरीदने एवं बेचने का विवरण भी कार्ड अनुक्रमणिका द्वारा ज्ञात किया जा सकता है।
  10. ग्राहकों के पूछताछ का लेखा भी कार्ड अनुक्रमणिका द्वारा किया जा सकता
    है, जिससे आदेश प्राप्त नहीं होने पर उससे पत्र-व्यवहार किया जा सके।

प्रश्न 3.
कार्ड अनुक्रमणिका के गुण एवं दोषों का वर्णन कीजिए। (2010, 09)
अथवा
कार्ड अनुक्रमणिका क्या है? इसके गुणों एवं दोषों का वर्णन कीजिए। (2014, 13)
उत्तर:
कार्ड अनुक्रमणिका का अर्थ 
अनुक्रमणिका के चार लाभ या महत्त्व निम्नलिखित हैं-

  1. अनुक्रमणिका पत्रों को निश्चित क्रम में रखने की सुविधा प्रदान करती है।
  2. अनुक्रमणिका खड़ी फाइलिंग के लिए अनिवार्य होती है।
  3. अनुक्रमणिका पत्रों को फाइल करने में सुविधा प्रदान करती है।
  4. अनुक्रमणिका द्वारा पत्रों एवं महत्त्वपूर्ण प्रलेखों को सुरक्षित रखा जा सकता

कार्ड अनुक्रमणिका के गुण
अनुक्रमणिका से आशय अनुक्रमणिका एक ऐसी युक्ति या सूची होती है, जिसके द्वारा शीघ्रतापूर्वक यह पता लगाया जा सकता है कि अमुक पत्र या प्रलेख कहाँ रखा हुआ है। इसकी सहायता से भविष्य में सन्दर्भ के लिए उसे निकालने में सुविधा रहती है।

अनुक्रमणिका की आवश्यकता/उद्देश्य/महत्त्व/लाभ प्रत्येक प्रगतिशील व्यापारिक कार्यालय के लिए वर्तमान युग में अनुक्रमणिका का अत्यधिक महत्त्व होता है। पत्र-व्यवहार व्यापार की आत्मा होती है। बिना पत्र-व्यवहार के कोई भी व्यापार वर्तमान समय में सुचारु रूप से संचालित नहीं किया जा सकता है। इस उद्देश्य से पत्रों को सँभालकर रखना व्यापार के हित में होता है। इन्हें शीघ्रता व सुगमता से प्राप्त करने के लिए अनुक्रमणिका की आवश्यकता होती है। अनुक्रमणिका के महत्त्व या उद्देश्यों को निम्न प्रकार से स्पष्ट किया जा सकता है

  1. पत्रों को फाइल करने में सुविधा ग्राहकों के पत्रों व प्रलेखों को सुगमता व शीघ्रता से उपयुक्त स्थान पर फाइल करने के लिए अनुक्रमणिका सहायक होती है।
  2. पत्रों को ढूंढने में सुविधा व्यापारिक कार्यालय में आने व जाने वाले पत्रों को फाइलों में सुरक्षित रखा जाता है, जिससे किसी भी पत्र को ढूंढने में अनुक्रमणिका सहायता प्रदान करती है।
  3. पत्रों को नस्तीकरण करने में सुविधा अनुक्रमणिका तैयार करने से पत्रों को सुरक्षित रखने में भी काफी सुविधा मिलती है।
  4. समय तथा श्रम दोनों की बचत अनुक्रमणिका की सहायता से आवश्यकता पड़ने पर पत्रों को खोजने में समय व श्रम दोनों की बचत होती है।
  5. पत्रों को निश्चित क्रम में रखने की सुविधा अनुक्रमणिका एक निश्चित आधार के अनुसार बनाई जाती है। इस कारण, पत्रों को भी एक निश्चित क्रम में सुरक्षित रखा जा सकता है।
  6. पुस्तकालय में उपयोगी पुस्तकालय में रखी हजारों पुस्तकों में से कोई एक पुस्तक सरलतापूर्वक निकालने के लिए अनुक्रमणिका का प्रयोग किया जा सकता है।
  7. पत्रों एवं महत्त्वपूर्ण प्रलेखों की सुरक्षा अनुक्रमणिका की सहायता से पत्रों एवं प्रलेखों को रखने एवं निकालने में पत्रों को अधिक उलटना-पलटना नहीं पड़ता है। इससे पत्र फटने से बच जाते हैं।
  8. खाताबही के लिए अनिवार्य खाताबही में अनुक्रमणिका अवश्य बनाई जाती है। इससे ग्राहक के खाते का तुरन्त ज्ञान हो जाता है।
  9. खड़ी फाइलिंग के लिए अनिवार्य खड़ी फाइलिंग के अन्तर्गत अनुक्रमणिका तैयार करना अनिवार्य होता है।
  10. अन्य लाभ अनुक्रमणिका द्वारा ग्राहकों के पते, उनके बैंक खातों की संख्या, (UPBoardSolutions.com) उनके बैंक का नाम, उधार किस्तें, उनकी आर्थिक स्थिति, ग्राहकों के व्यवसाय एवं पूर्व सन्दर्भो, आदि की जानकारी सरलतापूर्वक प्राप्त हो जाती है।

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कार्ड अनुक्रमणिका के दोष कार्ड अनुक्रमणिका के दोष निम्नलिखित हैं:

  1. अधिक स्थान घेरना इस पद्धति में प्रयोग की जाने वाली अलमारी अधिक स्थान घेरती है, इसलिए बहुत बड़े व्यापारी ही इसका प्रयोग कर सकते हैं।
  2. खोजने में कठिनाई इस प्रणाली में यदि भूल से कोई कार्ड इधर-उधर होजाए या गलत स्थान पर रख दिया जाए, तो उसे खोजने में अधिक समयलगता है।
  3. सूचना प्राप्ति में कठिनाई यदि कोई कार्ड खो जाता है, तो उससे सम्बन्धित सूचना प्राप्त करने में बहुत कठिनाई होती है।
  4. नियन्त्रण में कठिनाई यदि कार्डों के निकालने एवं रखने की उचित व्यवस्था न हो, तो अनुक्रमणिका की इस पद्धति पर नियन्त्रण करना कठिन हो जाता है।
  5. मँहगी प्रणाली कार्ड अनुक्रमणिका प्रणाली छोटे एवं मध्यम व्यापारिक कार्यालयों हेतु महँगी होती है, क्योंकि इसमें अलमारी, संकेत कार्ड, नाम  कार्ड, अनुपस्थिति कार्ड, आदि की आवश्यकता होती है, जिस पर अधिक व्यय करना पड़ता है।
  6. अधिक समय लगना इसमें एक बार में केवल एक ही कार्ड को देख सकते हैं, इससे इस प्रणाली में अपेक्षाकृत अधिक समय लगता है।

प्रश्न 4.
दिखने वाली अनुक्रमणिका से क्या आशय है? इसके गुण और दोष लिखिए। (2007)
अथवा
दिखने वाली अनुक्रमणिका के गुण एवं दोषों को बताइए।
उत्तर:
अनुक्रमणिका से आशय 
अनुक्रमणिका से आशय अनुक्रमणिका एक ऐसी युक्ति या सूची होती है, जिसके द्वारा शीघ्रतापूर्वक यह पता लगाया जा सकता है कि अमुक पत्र या प्रलेख कहाँ रखा हुआ है। इसकी सहायता से भविष्य में सन्दर्भ के लिए उसे निकालने में सुविधा रहती है।

अनुक्रमणिका की आवश्यकता/उद्देश्य/महत्त्व/लाभ प्रत्येक प्रगतिशील व्यापारिक कार्यालय के लिए वर्तमान युग में अनुक्रमणिका का अत्यधिक महत्त्व होता है। पत्र-व्यवहार व्यापार की आत्मा होती है। बिना पत्र-व्यवहार के कोई भी व्यापार वर्तमान समय (UPBoardSolutions.com) में सुचारु रूप से संचालित नहीं किया जा सकता है। इस उद्देश्य से पत्रों को सँभालकर रखना व्यापार के हित में होता है। इन्हें शीघ्रता व सुगमता से प्राप्त करने के लिए अनुक्रमणिका की आवश्यकता होती है। अनुक्रमणिका के महत्त्व या उद्देश्यों को निम्न प्रकार से स्पष्ट किया जा सकता है

  1. पत्रों को फाइल करने में सुविधा ग्राहकों के पत्रों व प्रलेखों को सुगमता व शीघ्रता से उपयुक्त स्थान पर फाइल करने के लिए अनुक्रमणिका सहायक होती है।
  2. पत्रों को ढूंढने में सुविधा व्यापारिक कार्यालय में आने व जाने वाले पत्रों को फाइलों में सुरक्षित रखा जाता है, जिससे किसी भी पत्र को ढूंढने में अनुक्रमणिका सहायता प्रदान करती है।
  3. पत्रों को नस्तीकरण करने में सुविधा अनुक्रमणिका तैयार करने से पत्रों को सुरक्षित रखने में भी काफी सुविधा मिलती है।
  4. समय तथा श्रम दोनों की बचत अनुक्रमणिका की सहायता से आवश्यकता पड़ने पर पत्रों को खोजने में समय व श्रम दोनों की बचत होती है।
  5. पत्रों को निश्चित क्रम में रखने की सुविधा अनुक्रमणिका एक निश्चित आधार के अनुसार बनाई जाती है। इस कारण, पत्रों को भी एक निश्चित क्रम में सुरक्षित रखा जा सकता है।
  6. पुस्तकालय में उपयोगी पुस्तकालय में रखी हजारों पुस्तकों में से कोई एक पुस्तक सरलतापूर्वक निकालने के लिए अनुक्रमणिका का प्रयोग किया जा सकता है।
  7. पत्रों एवं महत्त्वपूर्ण प्रलेखों की सुरक्षा अनुक्रमणिका की सहायता से पत्रों एवं प्रलेखों को रखने एवं निकालने में पत्रों को अधिक उलटना-पलटना नहीं पड़ता है। इससे पत्र फटने से बच जाते हैं।
  8. खाताबही के लिए अनिवार्य खाताबही में अनुक्रमणिका अवश्य बनाई जाती है। इससे ग्राहक के खाते का तुरन्त ज्ञान हो जाता है।
  9. खड़ी फाइलिंग के लिए अनिवार्य खड़ी फाइलिंग के अन्तर्गत अनुक्रमणिका तैयार करना अनिवार्य होता है।
  10. अन्य लाभ अनुक्रमणिका द्वारा ग्राहकों के पते, उनके बैंक खातों की संख्या, उनके बैंक का नाम, उधार किस्तें, उनकी आर्थिक स्थिति, ग्राहकों के व्यवसाय एवं पूर्व सन्दर्भो, आदि की जानकारी सरलतापूर्वक प्राप्त हो जाती है।

1. साधारण या पत्र-पुस्तक अनुक्रमणिका या वर्णात्मक अनुक्रमणिका यह अनुक्रमणिका उन कार्यालयों के लिए होती है, जहाँ थोड़ी मात्रा में ही पत्र आते-जाते हैं। इस अनुक्रमणिका में प्रत्येक अक्षर के लिए एक पृष्ठ नियत कर दिया जाता है। इस प्रकार, अंग्रेजी की अनुक्रमणिका बनाने के लिए 24 पृष्ठ आवश्यक होते हैं, जबकि A से W तक प्रत्येक अक्षर के लिए एक-एक कुल 23 पृष्ठ और Y Y 7 इन तीनों अक्षरों के लिए केवल एक पृष्ठ होता है। (UPBoardSolutions.com) क्योंकि इन अक्षरों से आरम्भ होने वाले नाम बहुत कम होते हैं। हिन्दी की अनुक्रमणिका के लिए 36 पृष्ठों की आवश्यकता होती है; जैसे-अ, इ, उ, ए, ओ, अं, क, ख, ग, घ, च, छ (क्ष), ज, झ, ट, ठ, ड, ढ़, त, थ, द, ध, न, प, फ, ब, भ, म, य, र, ल, व, श (षे, स), हे, त्र, ज्ञा ये पृष्ठ दाईं ओर इस प्रकार से कटे होते हैं कि वर्णमाला के सभी अक्षरे एक सीधी रेखा में दिखाई देते हैं तथा पृष्ठों को पलटे बिना यह मालूम किया जा सकता है कि अमुक नाम का हवाला किस पृष्ठ पर मिलेगा।

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हिन्दी वर्णमाला का आधार
UP Board Solutions for Class 10 Commerce Chapter 7 अनुक्रमणिका या सूची 3

  • सरलता यह प्रणाली अत्यन्त सरल होती है। इसका प्रयोग सामान्य स्तर वाला व्यापारी भी सरलता से कर सकता है।
  • लोचदार अनुक्रमणिका की इस प्रणाली में लोचता का गुण अधिक पाया जाता है।
  • मितव्ययी इस प्रणाली में समय व श्रम दोनों की बचत होती है।

2. स्वरात्मक अनुक्रमणिका यह अनुक्रमणिका वस्तुतः साधारण अनुक्रमणिका का ही विकसित रूप होता है। बड़े-बड़े व्यापारिक कार्यालयों में जहाँ ग्राहकों की संख्या अधिक होती है, वहाँ इस पद्धति का प्रयोग किया जाता है। इसके अन्तर्गत स्वर के आधार पर अनुक्रमणिका तैयार की जाती है अर्थात् जब एक अक्षर से प्रारम्भ होने वाले नामों की संख्या अधिक हो जाती है, तब उसे स्वर के आधार पर विभाजित कर दिया जाता है। इसे अंग्रेजी एवं हिन्दी में निम्न प्रकार से तैयार किया जा सकता है

(i) अंग्रेजी स्वरों के आधार पर अंग्रेजी भाषा में पाँच स्वर होते हैं- (A, E, I, 0, U) जिनके आधार पर वर्णमाला के अक्षरों को 5 भागों में विभक्त किया जाता है; जैसे-R के 5 उपनाम RA, RE, RI, RO, RU के द्वारा निम्न प्रकार से स्वरात्मक अनुक्रमणिका बनाई जा सकती है-

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(ii) हिन्दी स्वरों के आधार पर हिन्दी में मात्राओं के आधार पर 13 स्वर (अ, आ, इ, ई, उ, ऊ, ऋ, ए, ऐ, ओ, औ, अं, अ:) होते हैं।

इसे निम्न उदाहरण द्वारा समझा जा सकता है-
हिन्दी में ‘क’ अक्षर से शुरू होने वाले ग्राहकों के नाम
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स्वरात्मक अनुक्रमणिका के गुण या महत्त्व स्वरात्मक अनुक्रमणिका के गुण या महत्त्व निम्नलिखित हैं

  1. सरलता अनुक्रमणिका की इस प्रणाली के अन्तर्गत पत्रों को सरलता | से ढूंढा जा सकता है।
  2. उपयुक्तता अनुक्रमणिका की यह प्रणाली छोटे, मध्यम एवं बड़े सभी प्रकार के व्यापारियों के लिए उपयुक्त होती है, परन्तु मध्यम स्तर के व्यापारियों के लिए यह अत्यधिक उपयुक्त होती है।
  3. बचत इस प्रणाली में पत्रों को आसानी से ढूंढा जा सकता है, जिससे समय वे श्रम दोनों की बचत होती है।
  4. लोचदार व्यापार की आवश्यकतानुसार इसमें परिवर्तन किया जा सकता है। अतः यह लोचदार पद्धति होती है।

3. श्रृंखला अनुक्रमणिका अथवा श्रृंखला संकेत क्रम शृंखला अनुक्रमणिका, अनुक्रमणिका की एक ऐसी विधि है, जिसकी सहायता से किसी ग्राहक विशेष को अलग-अलग तिथियों पर लिखे गए पत्रों के सम्बन्ध में यह जानकारी एक ही स्थान पर मिल जाती है कि इन (UPBoardSolutions.com) पत्रों की प्रतिलिपि किन-किन पृष्ठों पर दी गई है, ताकि उन्हें सरलता एवं शीघ्रता से प्राप्त किया जा सके।

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श्रृंखला अनुक्रमणिका बनाने की विधि

मान लीजिए कि श्याम को भेजे गए पत्रों की नकलें पृष्ठ संख्या 8, 12, 15, 20 पर हैं, तो पृष्ठ संख्या 8 पर हर 0/12 पृष्ठ के ऊपर हाशिए में बीचों-बीच लाल स्याही या पेन्सिल से लिख दिया जाएगा। अंश व हर पृष्ठ 12 पर 8/15, पृष्ठ 15 पर 12/20 तथा पृष्ठ 20 पर 15 लिखा जाएगा। बीसवें पृष्ठ पर केवल अंश ही लिखा हुआ हैं, हर नहीं। इसका तात्पर्य यह है। कि पिछले पत्र की नकल 15वें पृष्ठ पर है और अभी इससे आगे कोई पत्र नहीं लिखा गया है।
UP Board Solutions for Class 10 Commerce Chapter 7 अनुक्रमणिका या सूची 6

श्रृंखला अनुक्रमणिका के गुण या महत्त्व श्रृंखला अनुक्रमणिका के गुण या महत्त्व निम्नलिखित हैं

  1. सरल इस प्रणाली के अन्तर्गत ग्राहकों को अलग-अलग तारीखों पर भेजे गए पत्रों की प्रतिलिपि को आसानी से एक निश्चित स्थान पर प्राप्त किया जा सकता है।
  2. मितव्ययिता इस प्रणाली के अन्तर्गत अधिक धन व्यय करने की आवश्यकता (UPBoardSolutions.com) नहीं होती है।
  3. बचत इस प्रणाली के अन्तर्गत पत्रों को आसानी से ढूंढा जा सकता है, जिससे समय व श्रम दोनों की बचत होती है।

4. कार्ड अनुक्रमणिका इसका आविष्कार 18वीं शताब्दी में फ्रांसीसी विद्वान ऐबे जीन रोजियर ने किया था। इस अनुक्रमणिका का प्रयोग पुस्तकालय में किया जाता है। इस अनुक्रमणिका में कार्डों का प्रयोग किया जाता है। प्रत्येक ग्राहक के लिए एक कार्ड बना दिया जाता है, जिस पर उसका नाम, पता एवं सूचनाएँ स्पष्ट रूप से लिख दी जाती हैं। बैंक में नमूने के हस्ताक्षर के लिए भी इसी अनुक्रमणिका का प्रयोग किया जाता है। इसमें निम्नलिखित वस्तुओं की आवश्यकता होती है

  1. दराजदार अलमारी दराजों की संख्या व्यापार की आवश्यकता पर निर्भर करती है। प्रत्येक दराज के सामने अंग्रेजी वर्णमाला में क्रमवार संकेत चिन्ह लगे होते हैं।
  2. नाम कार्ड इन्हें दराजों में वर्णात्मक क्रम में रखा जाता है। नाम कार्ड पर ग्राहक का नाम, पता, टेलीफोन नं., खाता पृष्ठ संख्या, आदि लिखी होती है।
  3. संकेत कार्ड इन कार्डों के माध्यम से दराज को संख्यात्मक, वर्णात्मक या स्वरात्मक क्रमानुसार कई भागों में बाँट सकते हैं। इसमें प्रत्येक कार्ड का एक सिरा ऊपर उठा होता है, जिस पर अक्षर व संख्या लिखी होती है।
  4. अनुपस्थिति कार्ड जब किसी वस्तु को उसके स्थान से हटाया जाता है, तो उसके स्थान पर जो विवरण युक्त कार्ड रखा जाता है, उसे अनुपस्थिति कार्ड कहते हैं।

कार्ड अनुक्रमणिका के गुण या महत्त्व कार्ड अनुक्रमणिका के प्रमुख गुण निम्नलिखित हैं

  1. लोचता यह प्रणाली लोचदार होती है, क्योंकि इसमें व्यापार की आवश्यकतानुसार दराजों की संख्या कम व अधिक की जा सकती है।
  2. स्वच्छता यह अनुक्रमणिका हमेशा स्वच्छ रहती है, क्योंकि इसको पुस्तक-सूची की तरह काटना नहीं पड़ता है। यदि किसी व्यापारी से पत्र-व्यवहार बन्द हो जाता है, तो उसके कार्ड को निकालकर नए व्यापारी का कार्ड लगा दिया जाता है।
  3. सुविधाजनक इस सूची में संकेत-पत्रों के कारण कार्ड आसानी से प्राप्त किया जाता है वे संकेत कार्डों का पता सरलता से लग जाता है।
  4. नवीनतम इसमें नए ग्राहकों के कार्ड समायोजित किए जा सकते हैं, (UPBoardSolutions.com) जिससे सूची सदैव नवीनतम बनी रहती है।
  5. केवल चालू कार्डों को रखना इस प्रणाली में ऐसे ग्राहकों के कार्ड, जिनसे व्यापार बन्द हो गया है, आसानी से हटाए जा सकते हैं। इस प्रकार इसमें केवल चालू कार्ड ही रहते हैं।
  6. मितव्ययिता इस प्रणाली में बार-बार पुस्तकें या जिल्दें नहीं खरीदनी पड़ती हैं, इसलिए यह प्रणाली अन्य प्रणालियों से मितव्ययी
  7. उपयुक्तता यह प्रणाली बड़े व्यापारिक कार्यालयों के लिए अधिक उपयुक्त रहती है।

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5. दिखने वाली (खुली) कार्ड अनुक्रमणिका दिखने वाली अनुक्रमणिका, कार्ड अनुक्रमणिका का ही एक विकसित रूप होता है। इसे खुली अनुक्रमणिका के नाम से भी जाना जाता है। यह एक ऐसी प्रणाली है, जिसमें अनेक कार्डों को एक साथ देखा जा सकता है, जबकि कार्ड अनुक्रमणिका में एक समय में केवल एक ही कार्ड को देखा जा सकता है।

प्रयोग विधि इस अनुक्रमणिका की पद्धति के अन्तर्गत अनुक्रमणिका को तैयार करने के लिए नाम कार्डों को पारदर्शी लिफाफे में रखकर धातु के चौखटों में लगा दिया जाता है। इन चौखटों में नीचे कब्जे लगे होते हैं, जिनमें कार्डों को इस प्रकार से लगाया जाता है कि कार्ड ऊपर से नीचे की ओर एक विशेष क्रम में आ जाएँ, ताकि उन्हें बाहर से देखा जा सके। कार्ड को शीघ्रता से ढूंढने के लिए बीच-बीच में संकेत कार्ड भी लगे होते हैं।

दिखने वाली अनुक्रमणिका के गुण या महत्त्व दिखने वाली अनुक्रमणिका के गुण निम्नलिखित हैं-

  1. सरलता इस प्रणाली के अन्तर्गत एक से अधिक कार्ड एक साथ सरलतापूर्वक देखे जा सकते हैं।
  2. उपयुक्तता बड़े व्यापारिक कार्यालयों के लिए यह प्रणाली उपयुक्त होती है।
  3. लोचता यह प्रणाली लोचपूर्ण होती है। इसमें पुराने कार्डों के क्रमानुसार नए कार्डों को लगाया जा सकता है।
  4. कम स्थान इस प्रणाली के अन्तर्गत अधिक स्थान की आवश्यकता नहीं होती है।
  5. सुरक्षा यह प्रणाली अनुक्रमणिका की अन्य प्रणालियों की अपेक्षा अधिक सुरक्षित होती है, क्योकि ग्राहकों के नाम कार्ड होल्डरों में लगे हुए होते हैं।

6. चक्रीय अनुक्रमणिका यह अनुक्रमणिका दिखने वाली कार्ड अनुक्रमणिका का ही विकसित रूप होता है। इसमें लोहे के स्टैण्ड में एक घुमावदार पहिया लगा होता है, जो चारों ओर घूमता है। इस पहिए में ऊपर की ओर कार्डो को फँसाने के लिए स्थान होता है। (UPBoardSolutions.com) इस पहिए में लगभग 1,000 से 5,000 तक कार्ड लगाए जा सकते हैं। इसमें कार्ड को देखने के लिए पहिए को घुमाया जाता है। चक्रीय अनुक्रमणिका के गुण या महत्त्व चक्रीय अनुक्रमणिका के गुण या लाभ निम्नलिखित हैं

  1. सरलता इस प्रणाली के अन्तर्गत ग्राहकों से सम्बन्धित सूचनाओं को सरलतापूर्वक देखा जा सकता है।
  2. अल्पव्ययी वृहद् आकार के व्यापार के लिए यह प्रणाली कम खर्चीली या अल्पव्ययी होती है।
  3. लोचता इस प्रणाली में व्यापार की आवश्यकता व सुविधा के अनुसार परिवर्तन किया जा सकता है।
  4. सुविधाजनक चक्रीये अनुक्रमणिका प्रणाली के अन्तर्गत कम स्थान की आवश्यकता होती है तथा इसे आसानी से एक स्थान से दूसरे स्थान पर लाया व ले जाया जा सकता है। अतः यह पद्धति अधिक सुविधाजनक होती है।

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  1. महँगी प्रणाली यह प्रणाली अन्य प्रणालियों की अपेक्षा अधिक महँगी होती है।
  2. सीमित क्षेत्र अधिक खर्चीली होने के कारण छोटे एवं मध्यम वर्ग के व्यापारी इस प्रणाली का प्रयोग करने में सक्षम नहीं होते हैं। अत: इसका प्रयोग केवल  बड़े व्यापारियों द्वारा ही किया जाता है।
  3. अन्य दोष
  • इसमें कार्डों के बदले जाने एवं खोने का भय रहता है।
  • इसका स्थानान्तरण करना कठिन होता है।
  • यदि कार्ड सही क्रम में नहीं रखे गए हैं, तो उन्हें खोजना कठिन कार्य

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UP Board Solutions for Class 11 Samanya Hindi बैंक/विभिन्न व्यवसायों से सम्बन्धित ऋण-प्राप्ति हेतु आवेदन-पत्र

UP Board Solutions for Class 11 Samanya Hindi बैंक/विभिन्न व्यवसायों से सम्बन्धित ऋण-प्राप्ति हेतु आवेदन-पत्र are part of UP Board Solutions for Class 11 Samanya Hindi. Here we have given UP Board Solutions for Class 11 Samanya Hindi बैंक/विभिन्न व्यवसायों से सम्बन्धित ऋण-प्राप्ति हेतु आवेदन-पत्र.

Board UP Board
Textbook NCERT
Class Class 11
Subject Samanya Hindi
Chapter Name बैंक/विभिन्न व्यवसायों से सम्बन्धित ऋण-प्राप्ति हेतु आवेदन-पत्र
Number of Questions 3
Category UP Board Solutions

UP Board Solutions for Class 11 Samanya Hindi बैंक/विभिन्न व्यवसायों से सम्बन्धित ऋण-प्राप्ति हेतु आवेदन-पत्र

प्रश्न 1.
ऋण-प्राप्ति हेतु आवेदन-पत्र ऋण-प्राप्ति हेतु भारतीय स्टेट बैंक के शाखा प्रबन्धक को आवेदन-पत्र लिखिए।
या
भारतीय स्टेट बैंक के शाखा प्रबन्धक को निजी कम्प्यूटर प्रशिक्षण केन्द्र की स्थापना हेतु ऋण-प्राप्ति के लिए एक आवेदन-पत्र लिखिए।
या
अपना कुटीर उद्योग प्रारम्भ करने हेतु किसी बैंक के प्रबन्धक को ऋण प्रदान करने हेतु एक पत्र लिखिए।
या
अपने निकटस्थ बैंक के शाखा प्रबन्धक के नाम एक प्रार्थना-पत्र लिखिए, जिसमें निजी रोजगार के लिए ऋण लेने का निवेदन किया गया हो।
या
इलाहाबाद बैंक के शाखा-प्रबन्धक को फसली ऋण योजनान्तर्गत ऋण-प्राप्ति हेतु एक आवेदन-पत्र लिखिए।
(बैंक के नाम में स्वयं परिवर्तन कर लें।]
उत्तर:
सेवा में,
प्रबन्धक,
भारतीय स्टेट बैंक,
गोलाकुआँ, शोहराबगेट शाखा, मेरठ।
महोदय,
पिछले दिनों माननीय प्रधानमन्त्री महोदय ने प्रधानमन्त्री रोजगार योजना का शुभारम्भ किया था, जिसमें शिक्षित बेरोजगारों को एक लाख रुपए का ऋण देने का प्रावधान है। मैं भी बी० ए० पास एक शिक्षित बेरोजगार युवक हूँ और इस योजना का लाभ उठाकर एक लाख रुपए का ऋण लेकर इससे बॉल पेन बनाने को लघु उद्योग आरम्भ करना चाहता हूँ। इस हेतु आपकी सेवा में अपने विवरणसहित अपनी भावी योजना का संक्षिप्त प्रारूप प्रस्तुत कर रहा हूँ, जो कि इस प्रकार है-
UP Board Solutions for Class 11 Samanya Hindi बैंक विभिन्न व्यवसायों से सम्बन्धित ऋण-प्राप्ति हेतु आवेदन-पत्र img-1

श्रीमान् जी से मेरी नम्र निवेदन है कि मेरे इस ऋण आवेदन-पत्र को स्वीकृत करके मुझे ऋण प्रदान कर कृतार्थ करें।
धन्यवाद सहित!
संलग्नक-

  1. आयु प्रमाण-पत्र,
  2. योग्यता प्रमाण-पत्र,
  3. स्थायी निवास प्रमाण-पत्र,
  4. आय प्रमाण-पत्र।

दिनांक : 18/05/2017

भवदीय
किशनचन्द्र धानुक

प्रश्न 2.
केनरा बैंक के प्रबन्धक को अध्ययनार्थ ऋण-प्राप्ति हेतु एक पत्र लिखिए।
या
भारतीय स्टेट बैंक के शाखा प्रबन्धक को निजी उच्च शिक्षा-अध्ययन (चिकित्सा अथवा इंजीनियरिंग) हेतु शिक्षा ऋण प्राप्ति के लिए एक आवेदन-पत्र लिखिए।
उत्तर:
सेवा में,
श्रीमान् शाखा प्रबन्धक महोदय,
केनरा बैंक, शहर शाखा, वाराणसी।

विषय-अध्ययन के लिए ऋण-प्राप्ति हेतु।

महोदय,
मैं, विकास कुमार जैन ने चौधरी चरणसिंह विश्वविद्यालय, मेरठ से बी० एस-सी० (भौतिकी, रसायन और गणित) परीक्षा प्रथम श्रेणी में 70% अंकों के साथ उत्तीर्ण की है। मैंने एम० बी० ए० (द्वि-वर्षीय पाठ्यक्रम) में प्रवेश लिया है और साथ-साथ प्रशासनिक सेवाओं की परीक्षा के लिए तैयारी भी करना चाहता हूँ। मेरा अध्ययन अबाध चलता रहे, इसके लिए मुझे र 2,00,000.00 की आवश्यकता है। मुझे पता चला है कि आपके बैंक की अनेक ऋण योजनाओं में से एक योजना के अन्तर्गत अध्ययन के लिए भी ऋण । प्रदान किया जाता है। मैं आपको विश्वास दिलाता हैं कि आपके द्वारा प्रदत्त ऋण की भुगतान-प्रक्रिया अध्ययन पूर्ण होते ही यथाशीघ्र शुरू कर दी जाएगी।

उपर्युक्त उद्देश्य हेतु आपके सक्रिय सहयोग की अपेक्षा है।
धन्यवाद!
दिनांक ………………..
संलग्न सभी उत्तीर्ण परीक्षाओं की अंक-प्रतियाँ व प्रमाण-पत्र।

भवदीय
विकास कुमार जैन
ठठेरवाड़ा, मेरठ।

प्रश्न 3.
अपने पिता जी की ओर से भारतीय स्टेट बैंक के प्रबन्धक को पत्र लिखकर ट्रैक्टर खरीदने के लिए ऋण स्वीकृत कराने का अनुरोध कीजिए।
उत्तर:
सेवा में,

30-6-2017

श्रीमान प्रबन्धक महोदय,
भारतीय स्टेट बैंक,
मुख्य शाखा
सोनीपत, हरियाणा।

विषय-ट्रैक्टर खरीदने के लिए ऋण की स्वीकृति हेतु आवेदन।

महोदय,
निवेदन है कि मेरे पिता जी एक प्रगतिशील कृषक हैं, जिनके पास खेती योग्य उपजाऊ सत्तर एकड़ भूमि है। इस भूमि पर खेती से उन्हें पर्याप्त आमदनी हो जाती है।
मुझे खण्ड विकास अधिकारी द्वारा विदित हुआ कि आपके बैंक ने किसानों को आसान किश्तों पर ट्रैक्टर खरीदने हेतु ऋण देने के लिए एक योजना प्रारम्भ की है।
अपने पिता की आर्थिक स्थिति की पुष्टि में जमीन के कागजातों तथा मकान की रजिस्ट्री की छाया प्रतियाँ संलग्न कर रही हूँ जिससे आपको हमारी आर्थिक स्थिति तथा ऋण अदायगी सम्बन्धी अर्हताओं का आकलन करने में कोई कठिनाई न हो।
आपसे निवेदन है कि आप मेरे पिता को इस योजना के अन्तर्गत ट्रैक्टर खरीदने के लिए ऋण की स्वीकृति प्रदान करने का कष्ट करें।

धन्यवाद!

भवदीय
मंगल सेन आर्य
आत्मज श्री बुध सेन आर्य
मकान नं० 646, गाँधी नगर
सोनीपत, हरियाणा।

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UP Board Class 8 Sanskrit Model Paper संस्कृत पीयूषम्

UP Board Class 8 Sanskrit Model Paper are part of UP Board Class 8 Model Papers. Here we have given UP Board Class 8 Sanskrit Model Paper.

Board UP Board
Class Class 8
Subject Sanskrit
Model Paper Paper 1
Category UP Board Model Papers

UP Board Class 8 Sanskrit Model Paper संस्कृत पीयूषम्

सत्र-परीक्षा प्रश्न पत्र
कक्षा-8
विषय-संस्कृत (पीयूषम्)

अति लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
आश्रमस्य समीपे का नदी प्रवहति?
उत्तर:
गोमती नदी।

प्रश्न 2.
उपनिषद् किम् उपविशति?
उत्तर:
मातृदेवो भवः

प्रश्न 3.
दीपावली कस्य महोत्सवः अस्ति?
उत्तर:
प्रकाशस्य।

प्रश्न 4.
वर्धमानमहावीरस्य पितुः नाम किम् आसीत्?
उत्तर:
सिद्धार्थः।

प्रश्न 5.
निम्नलिखित पदों का सन्धि-विच्छेद कीजिए-
(क) इत्यासीत्
(ख) त्रिरत्नोपसनयो
उत्तर:

  • (क) इति + आसीत् = इत्यासीत्
  • (ख) त्रिरत्न + उपसनया = त्रिरत्नोपसनयो

प्रश्न 6.
निम्नलिखित पदों का समास विग्रह कीजिए-
(क) लक्ष्मीपूजनम्
(ख) पीताम्बरम्
उत्तर:

  • (क) लक्ष्म्याः + पूजनम् = लक्ष्मीपूजनम्
  • (ख) पीत + अम्बरम् = पीताम्बरम्

प्रश्न 7.
फलवाय-कानां पञ्चवृक्षाणां नामानि लिखत।
उत्तर:
आम्रम्, पनसः, पेरुवृक्षाः, कदली, नारिकेलः |

प्रश्न 8.
कः दुःखितोऽभवत्?
उत्तर:
मुकुल:

प्रश्न 9.
ईसाईजनानां रमणीयं प्रमुख पर्वं किमस्ति?
उत्तर:
क्रिसमसः

प्रश्न 10.
वृक्षेषु कस्य कूर्दनम् आनन्दं ददाति?
उत्तर:
वानरस्य।

प्रश्न 11.
निम्नलिखित पदों की संधि कीजिए-..
(क) अद्य + एव
(ख) पक्षिणः + च
उत्तर:
(क) अचैव
(ख) पक्षिणश्च

प्रश्न 12.
कानि पञ्चमहाव्रतानि सन्ति?
उत्तर:
सत्य – अहिंसा – अस्तेय – ब्रह्मचर्य – अपरिग्रह।

प्रश्न 13.
स्वास्थ्यसंवर्धनाय आश्रमे किं किं भवति?
उत्तर:
नाना विधानां व्यायामाः।

प्रश्न 14.
का प्रमुदिता अभवत्?
उत्तर:
सतीशस्य माता प्रमुदिता अभवत्।

प्रश्न 15.
निम्नलिखित पव का लकार, पुरुष तथा वचन लिखिए- गच्छ
उत्तर:
गच्छ – लोट्लकार, मध्यमपुरुष, एकवचन

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 16.
जीवने वृक्षाणाम् उपयोगं लिखत।
उत्तर:
जीवने वृक्षाणाम् बहु उपयोगं अस्ति। एभिः विना जीवनः असम्भवः। वृक्षैः पर्यावरणं रक्षितम्। पर्यावरणेन सृष्टि रक्षितम्। सृष्ट्या पृथिवी रक्षितम्।

प्रश्न 17.
यदि भवतः सहपाठी रुग्णः स्यात् तदा भवान् किं करिष्यति? इति लिखत।
उत्तर:
यदि मम सहपाठी रुग्णः स्यात्, तदा अहं तस्य चिकित्सा सेवा-शुश्रूषां च करिष्यामि।

प्रश्न 18.
शब्दों का उचित मिलान कीजिए
UP Board Class 8 Sanskrit Model Paper संस्कृत पीयूषम् 1
उत्तर :
(i) ब.
(ii) द
(iii) स
(iv) अ

प्रश्न 19.
आश्रमः किं किं शिक्षयति?
उत्तर:
आश्रमः त्याग, तपस्या, परोपकारं उदारतां च शिक्षयति।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 20.
‘स्या’ धातु लोट्लकार लिखिए
उत्तर:
UP Board Class 8 Sanskrit Model Paper संस्कृत पीयूषम् 2

प्रश्न 21.
निम्नलिखित वाक्यों का हिन्दी भाषा में अनुवाद कीजिए
(क) सर्वे जनाः स्वकीयान् गृहान् दीपमालया सज्जयन्ति।
(ख) महावीरस्य मातुः नाम त्रिशला आसीत्।
(ग) सिक्खजना: गुरुग्रन्थसाहबं नमन्ति।
उत्तर:
(क) सभी लोग अपने घरों में दीए सजाते हैं।
(ख) महावीर की माता का नाम त्रिशला था।
(ग) सिक्खजन गुरुग्रंथसाहब को नमस्कार करते हैं।

प्रश्न 22.
निम्नलिखित प्रश्नों का उत्तर संस्कृत में दीजिए
(क) महावीरस्य मनसः विकलतायाः कानि कारणानि आसन्?
(ख) रामः अयोध्या कदा प्रत्यागच्छत् ।
(ग) छात्राणां कृते आश्रमे के के नियमाः आसन्?
उत्तर:
(क) समाजे प्रचलितः आडम्बरः, वर्गभेदः, जीवहिंसा च तस्य मनसः विकलतायाः कारणानि आसन्।
(ख) रामः अयोध्या कार्तिक्याम् अमावस्याम् तिथौ प्रत्यागच्छत्।

 

अर्द्धवार्षिक-परीक्षा प्रश्न-पत्र
कक्षा-8
विषय-संस्कृत (पीयूषम् )

अति लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
निम्नलिखित प्रश्न का उत्तर एक पद में दीजिए
(क) नारिकेलफलाम्बुवत् का आगच्छति?
उत्तर:
लक्ष्मी।

प्रश्न 2.
निम्नलिखित पदों के समानार्थक लिखिए
(क) गङ्गा
(ख) समुद्रः
उत्तर:

  • (क) जाह्नवी
  • (ख) जलधिः

प्रश्न 3.
निम्नलिखित धातुओं में ‘क्वा’ प्रत्यय जोड़कर पदों की रचना कीजिए- ।
(क) पठ्
(ख) गम्
उत्तर:

  • (क) पठ् + क्त्वा = पठित्वा
  • (ख) गम् + क्त्वा = गत्वा

प्रश्न 4.
निम्नलिखित पदों की विभक्ति एवं वचन लिखिए
(क) मित्राणि (ख) क्रीडाक्षेत्रात्
उत्तर:
(के) मित्राणि – प्रथमा / द्वितीया विभक्ति, बहुवचन
(ख) क्रीडाक्षेत्रात् – पञ्चमी विभक्ति, एकवचन

प्रश्न 5.
निम्नलिखित पदों के लकार, पुरुष तथा वचन लिखिए
(क) अवदत्
(ख) छात्राः
उत्तर:
(क) अवदत् – ललकारे, प्रथमपुरुष, एकवचन
(ख) छात्राः – ललकार, प्रथमपुरुष, बहुवचन

प्रश्न 6.
किसने कहा?
(क) त्वं सहस्रबुधिः असि।
(ख) एतस्मिन् जलाशये बहवः मत्स्याः सन्ति
उत्तर:
(क) शतबुद्धि
(ख) धीवर

प्रश्न 7.
अनीयर् प्रत्यय की सहायता से पद बनाइए
(क) वन्द्
(ख) पूज्
उत्तर:

  • (क) वन्द् + अनीयर् = वन्दनीयम्
  • (ख) पूज् + अनीयर् = पूजनीयम्

प्रश्न 8.
कस्याः शक्रसमो भर्ता?
उत्तर:
कैकेय्या।

प्रश्न 9.
जलाशये बहवः के सन्ति?
उत्तर:
मत्स्या

प्रश्न 10.
भारतस्य ललाटे किमस्ति?
उत्तर:
हिमाद्रिः।

प्रश्न 11.
निम्नलिखित ‘पद की विभक्ति एवं वचन लिखिए धीवराः
उत्तर:
प्रथमा विभक्ति, बहुवचन।

प्रश्न 12.
निम्नलिखित क्रियापद के लकार, पुरुष तथा वचन लिखिए ददाति
उत्तर:
ललकार, प्रथम पुरुष, एकवचन

प्रश्न 13.
निम्नलिखित समासों का समास विग्रह कीजिए
(क) जालमध्ये
(ख) जन्मस्थानम्
उत्तर:
(क) जालस्य मध्ये
(ख) जन्मस्थ स्थानम्

प्रश्न 14.
सन्धि-विच्छेद कीजिए
(क) महर्षि
(ख) इत्युक्तम्
उत्तर:
(क) महा + ऋषि = महर्षि
(ख) इति + उक्तम् = इत्युक्तम्

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 15.
‘वन’ शब्द रूप की द्वितीया विभक्ति लिखिए।
उत्तर:
UP Board Class 8 Sanskrit Model Paper संस्कृत पीयूषम् 3

प्रश्न 16.
वयं भारतीयाः किं किम् अप्रयामः?
उत्तर:
वयं भारतीयाः धनं-जीवनं अप्रयामः।

प्रश्न 17.
निम्नलिखित में समास विग्रह करते हुए समास का नाम लिखिए
(क) दुष्टचेतसाम्
(ख) मत्स्यकूर्मण्डूकाः
उत्तर:
(क) दुष्टचेतसाम् = दुष्टस्य चेतसाम् – तत्पुरुष समास
(ख) मत्स्यकूर्मण्डूकाः = मत्स्य – कूर्म – मण्डूकाः च – द्वन्द्व समास

प्रश्न 18.
निम्नलिखित वस्तुओं का नाम संस्कृत में लिखिए
(क) स्याही
(ख) कागज
(ग) पेंसिल
(घ) कलम
उत्तर:
(क) मसि
(ख) कागदः, पत्रम्
(ग) तूलिका
(घ) कलम:, लेखनी

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 19.
निम्नलिखित शब्दों के विलोम लिखिए.
(क) उदारः
(ख) निजः
(ग) सुखम्
(घ) सबलः
उत्तर:
(क) कृपणः
(ख) परः
(ग) दुखम्
(घ) निर्बलः

प्रश्न 20.
निम्नलिखित पदों में ‘तुमुन् प्रत्यय जोड़कर पदों की रचना कीजिए
(क) पद्
(ख) चल्
(ग) गम्
(घ) हस्
उत्तर:
(क) पठ् + तुमुन् = पठितुम्
(ख) चल् + तुमुन् = चलितुम्
(ग) गम् + तुमुन् = गन्तुम्
(घ) हस् + तुमुन् = हसितुम्

प्रश्न 21.
निम्नलिखित पदों में सन्धि-विच्छेद कीजिए
(क) तवेदम् (ख) मेऽन्या
(ग) मधुमयजलैभरतभुवम्
(घ) तथोत्सङ्गे
उत्तर:
(क) तवेदम् = तव + इदम्
(ख) मेऽन्या = में + अन्या
(ग) मधुमयजलैर्भारतभुवम् = मधुमय जलैः + भारत भुवम्
(घ) तवोत्सङ्ग = तव + उत्सङ्गे

वार्षिक-परीक्षा प्रश्न-पत्र
कक्षा-8
विषय-संस्कृत (पीयूषम्)

अति लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
निम्नलिखित पदों में प्रयुक्त उपसर्ग अलग कीजिए।
(क) अभिलषति
(ख) प्रयत्नम्
उत्तर:
(क) अभिलषति – अभिः
(ख) प्रयत्नम् – प्र .

प्रश्न 2.
निम्नलिखित शब्दों के विपरीतार्थक लिखिए
(क) वैरेण
(ख) त्यज्यताम्
उत्तर:
(क) प्रेम्ण
(ख) गृह्यताम्

प्रश्न 3.
शरीराणि’ पद के शब्द, विभक्ति तथा वचन लिखिए।
उत्तर:
शरीराणि – शरीरम्, प्रथमा ।द्वितीया विभक्ति, बहुवचन।

प्रश्न 4.
द्रोणाचार्यः कति दिनानि सेनापतिः आसीत्?
उत्तर:
द्रोणाचार्यः पञ्च दिनानि सेनापतिः आसीत्।।

प्रश्न 5.
निम्नलिखित शब्दों के विलोम लिखिए
(क) नूनम्
(ख) अन्ते
(ग) वीराः
(घ) विनम्
उत्तर:
(क) प्रायः
(ख) आदौ
(ग) कापुरुषाः
(घ) रात्रिः

प्रश्न 6.
अर्जुनं विहाय चक्रव्यूह-भेदन-विधिं कः अजानात्?
उत्तर:
अभिमन्युः।

प्रश्न 7.
भगवान् बुद्धः शिष्येभ्यः प्रथमज्ञानोपदेशं कुत्र अददात्?
उत्तर:
सारनाथे।

प्रश्न 8.
निम्नलिखित पव की विभक्ति एवं वचन बताइए- ऐतिहासिकस्य
उत्तर:
षष्ठी विभक्ति, एकवचन।

प्रश्न 9.
त्रयोदशे दिने कः सेनापतिः आसीत्?
उत्तर:
त्रयोदशे दिने द्रोणाचार्य: सेनापति आसीत्।।

प्रश्न 10.
तपः कृत्वा किं पूरयेम?
उत्तर:
तपः कृत्वा वाञ्छाकमनीयं पूरयेम।

प्रश्न 11.
भारतीयैः किम् त्यज्यताम्?
उत्तर:
भारतीयैः विभेदं त्यज्यताम्।

प्रश्न 12.
पुराणः पुरुषः कः?
उत्तर:
श्रीकृष्णः

प्रश्न 13.
कं पावकः न वहति?
उत्तर:
आत्मनम् पावकः न दहति।

प्रश्न 14.
द्रोणाचार्यः विजयाय किं रचितवान्?
उत्तर:
द्रोणाचार्य: विजयाय चक्रव्यूहम् रचितवान्।

प्रश्न 15.
भारतमाता मन्दिरं कुत्र अस्ति?
उत्तर:
सारनाथे।

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 16.
निम्नलिखित सब्जियों के नाम संस्कृत में लिखिए
(क) भिंडी
(ख) मूली
(ग) परवल
(घ) करेला
उत्तर:
(क) कोशातकी
(ख) मलकम्
(ग) पटोलः
(घ) कारवेल्लम्

प्रश्न 17.
निम्नलिखित शब्दों के समानार्थक लिखिए
(क) एकाकी
(ख) युद्धम्
(ग) सेनापतिः
(घ) हतवान्
उत्तर:
(क) एकाकी – एकला
(ख) युद्धम् – समरः
(ग) सेनापतिः – चमूपतिः
(घ) हतवान् – मारितवान्

प्रश्न 18.
निम्नलिखित पदों की विभक्ति एवं वचन लिखिए|
(क) विजयाय
(ख) पराक्रमेण
उत्तर:
(क) विजयाय – चतुर्थी विभक्ति, एकवचन
(ख) पराक्रमेण – तृतीया विभक्ति, एकवचन

प्रश्न 19.
निम्नलिखित पदों की सन्धि करके उनके नाम लिखिए
(क) कर्मणि + एव
(ख) ग्लानिः + भवति
उत्तर:
(क) कर्मणि + एव = कर्मण्येव – यण सन्धि
(ख) ग्लानिः + भवति – ग्लानिर्भवति – विसर्ग सन्धि

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 20.
निम्नलिखित पदों का सन्धि-विच्छेद कीजिए
(क) कोषालयः
(ख) राष्ट्रकता
(ग) तपश्र्चया
(घ) एकेकेन
(ङ) भूतलेऽस्मिन्
उत्तर:
(क) कोषालय = कोष + आलयः
(ख) राष्ट्रकता = राष्ट्र + एकता।
(ग) तपश्र्चया = तपस् + चर्या
(घ) एकेकैन = एक + एकेन
(ङ) भूतलेऽस्मिन् = भूतले + अस्मिन्

प्रश्न 21.
‘दृश’ (पश्य) धातु रूप विधिलिङ्लकार में लिखिए।
उत्तर:
UP Board Class 8 Sanskrit Model Paper संस्कृत पीयूषम् 4

प्रश्न 22, रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए|
(क) इदं भारतं ………. तुल्यम्।।
(ख) तदर्थं धनं जीवनं च …………. |
(ग) अनेकानि रूपाणि, भाषा ………… |
(घ) प्रियं भारतं …………………….. दर्शनीयम्।
(ङ) वयं भारतीयां …………… नमामः।
उत्तर:
(क) देवलोकेन्
(ख) अप्रयामः
(ग) अनेकाः
(घ) सर्वथा
(ङ) स्वदेशम्

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