UP Board Solutions for Class 12 Computer Chapter 12 फंक्शन्स एण्ड फंक्शन्स ओवरलोडिंग

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Board UP Board
Textbook NCERT
Class Class 12
Subject Computer
Chapter Chapter 12
Chapter Name फंक्शन्स एण्ड फंक्शन्स ओवरलोडिंग
Number of Questions Solved 24
Category UP Board Solutions

UP Board Solutions for Class 12 Computer Chapter 12 फंक्शन्स एण्ड फंक्शन्स ओवरलोडिंग

बहुविकल्पीय प्रश्न (1 अंक)

प्रश्न 1
C++ भाषा में कितने प्रकार के फंक्शन्स होते हैं?
(a) एक
(b) दो
(c) तीन
(d) असंख्य
उत्तर:
(b) C++ भाषा में दो प्रकार के फंक्शन्स होते हैं-लाइब्रेरी फंक्शन व यूजर डिफाइण्ड फंक्शन

प्रश्न 2
ऐसे फंक्शन जो C++ भाषा में पहले से ही सम्मिलित हैं, क्या कहलाते हैं?
(a) बिल्ट-इन फंक्शन
(b) लाइब्रेरी फंक्शन।
(c) ‘a’ और ‘b’ दोनों
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(c) बिल्ट-इन या लाइब्रेरी फंक्शन C++ भाषा में पहले से ही सम्मिलित होते हैं।

प्रश्न 3
log( ) फंक्शन किस हैडर फाइल में उपस्थित होता है?
(a) math.h
(b) ctype.h
(c) iostream.h
(d) string.h
उत्तर:
(d) math,h

प्रश्न 4
islower( ) फंक्शन किस हैडर फाइल में होता है?
(a) string.h
(b) ctype.h
(c) math.h
(d) conio.h
उत्तर:
(b) ctype.h

प्रश्न 5
वह कौन-सा फंक्शन है, जो स्वयं को ही बार-बार कॉल करता है?
(a) रिकर्सिव फंक्शन
(b) strlen( )
(c) main( )
(d) clrscr( )
उत्तर:
(a) रिकर्सिव फंक्शन

प्रश्न 6
हैडर फाइल के विस्तारक का क्या नाम है?
(a).e
(b) .f
(c) .h
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(c) .h

प्रश्न 7
हैडर फाइल ‘Conio.h’ निम्न किस फंक्शन को declare करता है, जो DOs कन्सोल I/O routines को Call करने में प्रयुक्त होता है? [2017]
(a) fwrite
(b) delline
(C) abs
(d) Ifind
उत्तर:
(d) fwrite

प्रश्न 8
निम्न में से कौन-सा फंक्शन हैडर फाइल stdlib.h में पाया जाता है? [2018]
(a) feof
(b) abs
(c) strch
(d) cgets
उत्तर:
(d) cgets

अतिलघु उत्तरीय प्रश्न (1 अंक)

प्रश्न 1
फंक्शन शब्द को समझाइए। [2012]
उत्तर:
प्रोग्राम को छोटे-छोटे भागों में विभाजित करना, जो किसी विशेष ऑपरेशन या कार्य उद्देश्य को पूरा कर सके, फंक्शन कहलाता है।

प्रश्न 2
फंक्शन के क्या उपयोग है? [2012]
उत्तर:
फंक्शन का उपयोग गणितीय गणनाएँ करने के लिए किया जाता है।

प्रश्न 3
tan(x) फंक्शन का प्रयोग लिखिए।
उत्तर:
tan(x) फंक्शन किसी कोण x की टेण्जेण्ट ज्ञात करने के लिए प्रयोग होता है।

प्रश्न 4
फंक्शन को डिक्लेयर करने का प्रारूप लिखिए।
उत्तर:
return_type function_name(parameter_list);

प्रश्न 5
किसी फंक्शन को कॉल कैसे किया जाता है?
उत्तर:
किसी फंक्शन को किसी प्रोग्राम में उसका नाम देकर, उसके साथ वास्तविक पैरामीटर को लगाकर एक कोष्ठक के अन्दर रखकर तथा सेमीकॉलन लगाकर कॉल किया जाता है।

प्रश्न 6
लोकल वैरिएबल किसे कहते हैं?
उत्तर:
जहाँ वैरिएबल एक फंक्शन या ब्लॉक में प्रयोग किए जाते हैं, लोकल वैरिएबल कहलाते हैं।

लघु उत्तरीय प्रश्न I (2 अंक)

प्रश्न 1
फंक्शन के लाभ लिखिए।
उत्तर:
फंक्शन के निम्नलिखित लाभ हैं।

  • फंक्शन किसी भी प्रोग्राम को छोटा बना देता है, जिससे प्रोग्राम समझने में आसानी होती है।
  • फंक्शन की सहायता से एक कोड को पुनः नहीं लिखना पड़ता है, यूजर अपनी आवश्यकतानुसार फंक्शन प्रोग्राम में कहीं भी प्रयोग कर सकता है।
  • फंक्शन के प्रयोग से प्रोग्राम में त्रुटि खोजना बहुत आसान हो जाता है।

प्रश्न 2
उदाहरण देकर फॉर्मल (Formal) व एक्चुअल (Actual) पैरामीटर्स को समझाइए। [2012]
उत्तर:
फॉर्मल पैरामीटर जो पैरामीटर फंक्शन को परिभाषित करने में प्रयोग होते हैं, फॉर्मल पैरामीटर कहलाते हैं।
एक्चुअल पैरामीटर जो पैरामीटर फंक्शन कॉल करने में प्रयोग किए जाते हैं, एक्चुअल पैरामीटर कहलाते हैं।

उदाहरण
int square (int);
int main( )
{
int v, s = 5;
:
square (S);
:
int square (int a)
{
return a*a;
}

(S); एक्चुअल पैरामीटर
(int a)फॉर्मल पैरामीटर

प्रश्न 3
C++ फंक्शन के केवल उस प्रोग्राम खण्ड को लिखें, जो 100 से 1 तक की गिनती ‘for’ लूप का प्रयोग करके प्रिण्ट करें। [2012]
उत्तर:
Reverse ( )
{
cout<<“The Reverse number”<<end1;
for (int i = 100; i> = 1; i–)
{
cout<<i;
}
}

प्रश्न 4
C++ फंक्शन के केवल उस प्रोग्राम खण्ड को लिखें, जिसका नाम औसत है और जो प्रथम 20 अंकों का योग व औसत ‘do-while’ लूप का प्रयोग करके निकालिए। [2012]
उत्तर:
Average ( )
int sum=0, i=1, avg;
do
{
sum=sum+i;
i++;
}
while (i<=20) ;
cout<<“The sum is”<<sum<<end1;
avg = sum/20;
cout<<“The average is” <<avg;
}

लघु उत्तरीय प्रश्न II (3 अंक)

प्रश्न 1
streat ( ) व strepy ( ) फंक्शनों को उदाहरण सहित समझाइए। [2004]
उत्तर:
strcat ( ) यह फंक्शन दो स्ट्रिगों को जोड़ने के लिए प्रयोग किया जाता है। strcpy ( ) इस फंक्शन का प्रयोग एक स्ट्रिग को दूसरी स्ट्रिग में कॉपी करने के लिए किया जाता है।

उदाहरण
#include<iostream.h>
#include<string.h>
#include<conio.h>
void main( )
{
char str1 [10] = “Hello”;
char str2[10]= “World”;
char str3[10];
strcpy (str3, str1); //copies strl into str3
cout<<“strcpy(str3, str1):”<<str3< <end1;
strcat (str1, str2);
//concatenation str1 and str2 into str1
cout<<“strcat(stri, str2):”
<<str1<<end1;
getch ( );
}

आउटपुट
strepy(str3, str1): Hello
streat(str1, str2): HelloWorld

प्रश्न 2
रिकर्सिव फंक्शन को उदाहरण सहित समझाइए।
उत्तर:
जब कोई फंक्शन अपनी परिभाषा में स्वयं को ही कॉल करता है, तो ऐसी स्थिति को रिकर्सन कहा जाता है और ऐसे फंक्शन को रिकर्सिव फंक्शन कहा जाता है।

उदाहरण
#include<iostream.h>
int fibonacci(int i)
{
if (i = 0)
{
return 0;
}
if(i=1)
{
return 1;
}
return fibonacci (i-1) + fibonacci (i-2);
}
void main( )
int i; for ( i = 0; i < 10; i++)
{
cout<<“\n”<<fibonacci(i);
}
}

आउटपुट

o
1
1
2
3
5
8
13
21
34

प्रश्न 3
हैडर फाइल का संक्षिप्त वर्णन कीजिए। [2012]
उत्तर:
C++ में, फाइल स्टैण्डर्ड फंक्शन्स को संग्रहीत करती है, जिसे यूजर अपने प्रोग्राम में प्रयोग कर सकता है, हैडर फाइल कहलाती है। प्रत्येक हैडर फाइल के पास एक्सटेन्शन (Extension) नाम’.h होता है। कुछ प्रमुख हैडर फाइलें इस प्रकार हैं।

(i) studio.h यह हैडर फाइल इनपुट/आउटपुट फंक्शन्स का समूह होती है;
जैसे gets( ), puts( ) आदि।

(ii) ctype.h यह हैडर फाइल उन फंक्शन्स को संग्रहीत करती है, जो कैरेक्टर को बदलने और जाँचने के लिए प्रयोग किए जाते हैं;
जैसे isalnum( ), tolower( ) आदि।

(iii) string.h यह हैडर फाइले एक से अधिक स्ट्रिग मैनिपुलेशन फंक्शन्स को संग्रहीत करती है;
जैसे stremp( ), strlen( ) आदि।

(iv) math.h इस हैडर फाइल के पास एक से अधिक फंक्शन्स का समूह होता है, जो अर्थमैटिक गणनाएँ करने के लिए प्रयोग किए जाते हैं;
जैसे sin( ), fabs( ) आदि।

(v) stdlib.h यह हैडर फाइल सामान्यतः प्रयोग होने वाले फंक्शन्स को डिक्लेयर करती है;
जैसे कन्वर्सन, सर्च/सॉर्ट आदि।

प्रश्न 4
फंक्शन ओवरलोडिंग क्या है? उदाहरण सहित समझाइए। [2016, 15, 10, 08]
उत्तर:
फंक्शन ओवरलोडिंग का अर्थ है कि किसी एक फंक्शन नाम से विभिन्न परिस्थितियों में विभिन्न कार्य कराना, जिससे एक फंक्शन के कोड को पुनः नहीं लिखना पड़ता और समय की बचत होती है। इसका प्रयोग करके हम फंक्शन को समान नाम से किन्तु अलग-अलग argument list से डिक्लेयर तथा परिभाषित कर सकते हैं।

उदाहरण
#include<iostream.h>
#include<conio.h>
sum (int, int);
sum (float, float);
void main( )
{
int a, b;
float c, d;
sum (8, 6) ;
sum (2.2f, 3.5f);
getch( );
}
sum(int a, int b)
{
int s;
s = a+b;
cout<<“sum is “<<s<<end1;
}
sum (float c, float d)
{
float s1;
s1 = c + d;
cout<<“sum is “<<s1;
}

आउटपुट
sum is 14
sum is 5.7

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न (5 अंक)

प्रश्न 1
स्टैटिक वैरिएबल किस प्रकार अन्य वैरिएबल से भिन्न है? उदाहरण सहित समझाइए।
उत्तर:
किसी वैरिएबल के प्रारम्भ में यदि static की-वर्ड लगा होता है, तो उसे स्टैटिक वैरिएबल कहते हैं। स्टैटिक वैरिएबल केवल एक बार डिक्लेयर किए जाते हैं तथा उनकी वैल्यू स्थिर रहती है।

उदाहरण:
स्टैटिक वैरिएबल द्वारा वैल्यू प्रिण्ट करना।

#include<iostream.h>
#include<conio.h>
void counter( )
{
static int count=0;
cout<<count++;
}
int main()
{
clrscr( );
for (int i=0; i<5;i++)
{
counter ( );
}
getch( );
}

आउटपुट

0  1  2  3  4

उदाहरण
बिना स्टैटिक वैरिएबल द्वारा वैल्यू प्रिण्ट करना।
#include<iostream.h>
#include<conio.h>
void counter( )
{
int count = 0;
cout<<count++;
}
int main( )
{
clrscr( ); for (int i=0; i<5; i++)
{
counter( );
}
getch( );
}

आउटपुट
0 0 0 0 0

प्रश्न 2
फंक्शन का प्रयोग करते हुए C++ में एक प्रोग्राम लिखिए, जो दिए गए अंकों में से सबसे बड़ा व सबसे छोटा अंक प्राप्त करें। [2016]
उत्तर:
#include<iostream.h>
#include<conio.n>
int largest (int x, int y);
void main( )
{
int a, b;
cout<<“Enter the first number: “;
cin>>a;
cout<<“Enter the second number: “;
cin>>b;
largest (a, b);
getch( );
}
largest (int a, int b)
{
if(a > b)
cout<<“The first number is greater and second is smaller”;
else
cout<<“The second number is greater and first is smaller”,
}

आउटपुट
Enter the first number: 8
Enter the second number: 5
The first number is greater and second is smaller

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UP Board Solutions for Class 12 Home Science Chapter 13 बाल-विवाह: गुण व दोष

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Board UP Board
Class Class 12
Subject Home Science
Chapter Chapter 13
Chapter Name बाल-विवाह: गुण व दोष
Number of Questions Solved 14
Category UP Board Solutions

UP Board Solutions for Class 12 Home Science Chapter 13 बाल-विवाह: गुण व दोष

बहुविकल्पीय प्रश्न (1 अक)

प्रश्न 1.
बाल विवाह वर्जित है, क्योंकि 
(2005, 10)
(a) बालिका शारीरिक रूप से परिपक्व नहीं होती।
(b) ऐसी सरकारी नियम है।
(c) लड़का कोई रोजगार नहीं करता
(d) उपरोक्त सभी ।
उत्तर:
(b) पैसा सरकारी नियम है

प्रश्न 2.
बाल-विवाह का दोष नहीं है 
(2018)
(a) जनसङ्ख्या वृद्धि
(b) निर्वहन सन्तान
(c) व्यक्तित्व विकास में बाधक
(d) वैवाहिक समायोजन में सहायक
उत्तर:
(d) वैवाहिक समायोजन में सहायक।

प्रश्न 3.
कम आयु में बालिका का विवाह कर देने पर 
(2018)
(a) बालिका के स्वास्थ्य को खादा रहा है।
(b) माता-पिता का कम हो जाता है।
(c) कम दहेज देना पड़ता है।
(d) उसकी पढ़ाई पर खर्च नहीं करना पड़ता है।
उत्तर:
(a) बालिका के स्वास्थ्य को खतरा रहता है

प्रश्न 4.
दाल-विवाह को समाप्त करने के क्या उपाय हैं। 
(2014)
(a) अधिक-से-अधिक शिक्षा का प्रसार
(b) छोर कानून व्यवस्था।
(e) बाल-विवाह विरोधी व्यापक प्रबार
(d) उपरोक्त सभी
उत्तर:
(d) उपरोक्त सभी

प्रश्न 5.
बाल-विवाह के उनातन हेतु आवश्यक है। 
(2015)
(a) दहेज प्रथा का विरोध
(b) जन-जागरूकता
(c) शिक्षा का प्रसार
(d) ये भी
उत्तर:
(d) ये सभी

अतिलघु उत्तरीय प्रश्न (1 अंक)

प्रश्न 1.
बालिका का विवाह कम-से-कम कितनी आयु में होना चाहिए? (2005)
उत्तर:
बालिका का विवाह कम-से-कम 18 वर्ष की आयु में होना चाहिए।

प्रश्न 2.
पुरुष को विवाह कब करना चाहिए? (2006)
उत्तर:
पुरुष को उचित जविकोपार्जन की योग्यता अर्जित करने पर 21 वर्ष की आयु 
के बाद बिगाह करना चाहिए।

प्रश्न 3.
लड़कियाँ सरकार से अपनी सुरक्षा हेतु क्या अपेक्षा करती हैं? 
(2018)
उत्तर:
लड़कियाँ सरकार से अपनी सुरक्षा हेतु लैंगिक भेदभाव, यौन शोषण, हिंसक घटनाओं आदि से सुरक्षा की अपेक्षा करती है।

लघु उत्तरीय प्रश्न (2 अंक)

प्रश्न 1.
बाल-विवाह के तथाकथित लाभों का उल्लेख कीजिए। (2010, 12)
उत्तर:
वर्तमान समय में आता विवाह को मान्यता प्राप्त नहीं है, किन्तु जब यह प्रथा प्रचलित हुई थी, तब इसके तथाकथित स्वीकृत गुण या लाभ निम्नलिखित थे ।

  1. वैवाहिक सामंजस्य बाल- जिह से पति-पत्नी के स्वभाव में अच्छा वैवाहिक सामंजस्य हो जाता है, जिससे संघर्ष होने की सम्भावना अत्यन्त कम रहती हैं।
  2. अनैतिकता तथा व्यभिचार से बचाव बालक-बालिकाओं में | किशोरावस्था में तीब्र कामवासना जाग्रत होती हैं। इस वासना की तृप्ति न होने के कारण समाज में व्यभिचार तथा अनैतिकता फैलती है। अतः इसे रोकने के लिए एकमात्र उपाय बाल गिय मना जाता था।
  3. उत्तरदायित्व समझना लड़के-लड़कियों को उत्तरदायित्व समझाने एवं उन्हें बिगड़ने से बचाने के लिए उनका विवाह अल्पायु में ही कर दिया शाया।
  4. अनेक रोगों का निराकरण आत विवाह से अनेक व्याधियों के होने की आशंका कम रहती है। हैवलिक एलिस के अनुसार, विलम्ब से निबाह होने पर कन्याओं को हिस्टीरिया, रज सम्बन्धी बहुत-सी ध्याधियां, अजीर्ण, सिसई, सिर घूमना, भाँति-भाँति के रोग, अत्यन्त दूषित रक्तहीनता तथा मृत पिण्ड की बीमारी हो जाती हैं। लड़कों में भी शारीरिक व मानसिक दोष उत्पन्न हो जाते हैं।”
  5. प्राकृतिक नियमों के अनुकूल जिस प्रकार अन्य सभी प्राणियों में यौन इच्छा के जाग्रत होते हो यौन सम्बन्ध स्थापित किए जाते हैं, उसी प्रकार मनुष्यों में भी यौन शक्ति के प्रबल होते ही, मौन तृप्ति का असर दिया जाना चाहिए, इस दृष्टिकोण से बाल-विवाह को उचित ठहराने का प्रयास किया जाता है।

प्रश्न 2.
बाल-विवाह से होने वाली हानियों का उल्लेख कीजिए। (2012)
या
बाल-विवाह के दुष्परिणामों पर प्रकाश डाला
 हैं ! (2006, 07)
या
कम आयु में विवाह का बालिका पर क्या दुष्प्रभाव पड़ता है?
(2009, 17)
उत्तर:
बाल-विवाह या अल्पायु में होने वाले विवाह से निम्नलिखित हानियाँ या दुष्परिणाम/कुपरिणाम होते हैं।

  1. व्यक्तित्व विकास में बाधा कम आयु में विवाह के कारण बालक-बालिकाओं पर दायित्व का बोझ आ जाता है। इस कारण उनको अपने व्यझिाव का विकास करने का अवसर नहीं मिल पाता है।
  2. स्वास्थ्य पर अरितकर प्रभाव अपरिपक्व अवस्था में बालक बालिका में यौन सम्बन्ध स्थापित होने से जल्द ही बालिका र सन्तान के शन-पोषण का भार आ जाता है। बहुत-सी स्त्रियों प्रस्वकालीन पीड़ा सहन नहीं कर पाती है, उन्हें अनेक रोग हो जाते हैं, कभी-कभी तो मृत्यु तक भी हो जाती है तथा सन्तान भी अस्वस्थ होती हैं।
  3. जनसंख्या में वृद्धि बाल-विवाह के फलस्वरुप जनसंख्या वृद्धि दर तेज हो जाती है। बाल विवाह हो जाने से माता-पिता जल्दी जल्दी सन्तान उत्पन्न करने लगते या तव व सन्तान से जाती है।
  4. बेरोजगारी भारत में बेरोजगारी की समस्या अधिक हैं। बेरोजगारी को गह समस्या जनसंख्या वृद्धि के कारण होती है। अतः अप्रत्यक्ष रूप में बाल-विवाह से बेरोजगारी को प्रोत्साहन मिलता है।
  5. बाल-विधवाओं की समस्या बालविङ्ग, बाल-विधवा की समस्या को भो जन्म देता है। अनेक बीमारियों या फिर किसी घटना के द्वारा बालकों की मृत्यु हो आती है। भारतीय समाज में विधवा विवाह को मान्यता नहीं थी। कम उम्र में विवाह होने के कारण बालिकाएँ पढ़ी-लिखी भी नहीं होती हैं।
  6. अस्वस्थ सन्तानें बाल विवाह के कारण सन्तान शीघ्र उत्पन्न होने में अपरिपक्व माता द्वारा रानान को जन्म दिया जाता है, जिससे बच्चों का स्वास्थ्य सही नहीं रहता है, इससे बाल-मृत्यु को भी बढ़ावा मिलता है।
  7. अकाल मृत्यु वय वालिकाएँ अल्पायु में हो गर्भमती हो जाती है, तो प्रसव के समय कोश की अकाल मृत्यु हो जाती है। 8. शिक्षा में वाधक अल्पायु में विवाह होने में प्रायः लड़की को शिक्षा प्राप्त की सम्भावना समाप्त हो जाती हैं, साथ ही सड़कों की शिक्षा प्रक्रिया भी बाधित होती है, क्योंकि उन्हें अपनी पढ़ाई बीच में ही छोड़कर जीविकोपार्जन के लिए प्रयास करने पड़ते हैं।

प्रश्न 3.
बाल विवाह रोकने के क्या उपाय हैं? 
(2018)
या
बाल-विवाह को रोकने के वैधानिक उपाय लिखिए। (2013)
उत्तर:
बाल-विवाह को रोकने के लिए सरकार द्वारा निम्नलिखित अधिनियम पारित किए गए हैं।
1. बाल-विवाह परिसीमन कानून या शारदा एक्ट, 1999 इस अधिनियम के 
प्रमुख अनुबन्ध निम्नलिखित हैं।

  • विवाह के समय लड़के को आयु 18 वर्ष तथा लड़की की आयु 14 वर्ष होनी चाहिए। यदि किसी व्यक्ति की आयु 18 वर्ष से अधिक है और वह 14 वर्ष से कम आयु की लड़की के साथ विवाह करता है, तो ऐसे व्यक्ति को 15 दिन का कारावास या ₹ 100 जुर्माना या दोनों हो सकते है।
  • निर्धारित आयु से कम आयु में विवाह करने पर माता-पिता या साक्षक को 3 माह का कारावास तथा 300 का जुर्माना भुगतना पड़ेगा।

2. हिन्दू विवाह अधिनियम, 1955 हिन्दू विवाह अधिनियम 1955 ई. में पारित किया गया, जिसके अनुसार विवाह के समय सड़कों की आयु 18 वर्ष तथा लड़कियों की आयु 16 वर्ष निर्धारित की गई। 1976 में एक संशोधन अधिनियम के द्वारा लड़कियो की आयु 18 वर्ष तथा लड़कों की 21 वर्ष निश्चित की गई। वर्तमान में यही नियम लागू है।

3. बाल-विवाह प्रतिषेध अधिनियम, 2006 यह अधिनियम 1 नवम्बर, 2007 से प्रभाव में आया, इसने शारदा अधिनियम को प्रतिस्थापित किया है। इस अधिनियम के प्रमुख प्रावधान निम्नलिखित हैं।

  • विवाह के समय लड़के की न्यूनतम आयु 21 वर्ष एवं सह की 18 वर्ष होनी चाहिए।
  • इस अधिनियम के अनुसार, बाल-विवाह के लिए बाध्य किए गए अवयस्क बालक, पूर्ण अयस्कता प्राप्त करने के न्यूनतम वर्ष पश्चात् विवाह-विच्छेद कर सकते हैं।
  • यदि 18 वर्ष से अधिक आयु का व्यक्ति बाल विवाह करता है, तो ऐसे व्यक्ति को  वर्ष का कठोर कारावास या ₹ 100000 तक का जुर्माना | या दोनों हो सकते हैं।
  • इस अधिनियम में बाल-विवाह को सम्पन्न कराने वाले, संचालित करने वाले या निर्दिष्ट करने बाले के लिए भी दण्ड का प्रावधान है।

प्रश्न 4.
बाल-विवाह को रोकने के क्या उपाय हैं? 
(2005, 06)
उत्तर:
बाल विवाह को रोकने के लिए निम्नलिखित सुझाव सहायक हो सकती हैं।

  1. शिक्षा का प्रसार अल-विवाह जैसी कुप्रथाओं के उम्तन हेतु शिक्षा का अधिक-से-अधिक प्रसार किया जाना आवश्यक है, इससे लोगों में बाल-विमाह के दोष के प्रति अधिकाधिक जागरूकता उत्पन होगी तवा वे इस कुप्रथा का डटकर विरोध करने में समर्ष होगे। इसके अतिरिक्त बालिकाओं में शिक्षा के प्रसार से आत्मनिर्भरता उत्पन्न होगी तथा वे भी बाल-विवाह के विरुद्ध। उता सकेगी।
  2. बाल-विवाह के विरुद्ध जनमत का निर्माण जनमत निर्माण के क्रम में पत्र-पत्रिकाओं, रेडियो, दूरदर्शन, सोशल मीडिया आदि के माध्यम से बाल-विवाह के दोषों का व्यापक प्रचा किया जाना चाहिए। प्रामीण क्षेत्रों में नाटकों, नौटंकी तथा कवपुतली आदि के माध्यम से जन जागरूकता का लक्ष्य प्राप्त किया जा सकता है।
  3. दहेज प्रथा का विरोध दहेज प्रथा तथा वर-मूल्य जैसी कुप्रथाएं भो बाल-विवाह को पर्याप्त सीमा तक प्रोत्साहन देती रही हैं। अतः इन कुप्रथाओं को समाप्त किया जाना अत्यन्त आवश्यक है।
  4. अन्तर्जातीय विवाहों का प्रचलन अन्तर्जातीय विवाहों के प्रचलन से सम्भवतः समज में दहेज-प्रथा, कुलीन विवाह तथा वर-मूल्य प्रथा भी घट जाए, इस स्थिति में बात विवाह के उन्मूलन में भी योगदान मिल सकता है।
  5. कानूनों को कठोरता से लागू करना बाल-विवाह को रोकने के लिए सम्बद्ध कानूनों को अधिक कठोरता से लागू किया जाना चाहिए।

प्रश्न 5.
आधुनिक समाज में बालिकाएँ सुरक्षित नहीं है क्यों? (2018)
उत्तर:
समाज में प्राचीनकाल से ही बालिकाएँ सुरक्षित नहीं रहीं हैं, इसके निम्न कारण हैं।

  • समाज में लड़के एवं लड़कियों में भेदभाव
  • आपराधिक मानसिकता
  • मनोवैज्ञानिक दत्रय
  • अशिक्षा

समाज में व्याप्त है। भेदभाव बालिकाओं की सुरक्षा में सबसे बड़ा बाधक है। आज भी छोटे कस्बों से लेकर बड़े शहरों तक में यह विभेद चला आ रहा है। यह असुरक्षा उन्हें अपने ही थर से मिलती है। आज भी प्रों में बालिकाओं को शिक्षा देने एवं उन्हें स्वावलम्बी बनाने के लिए तत्पर नहीं है। बढ़ते अपराधों में सबसे अकि बालिकाओं को ही समस्याओं का सामना करना पड़ता है। बलात्कार की घटनाएँ प्रतिदिन बढ़ती ही जा रही हैं। यही नहीं यौन शोषण, घरेलु हिंसा, अपहरण एवं वेश्यावृति की घटनाओं ने भी इन्हें समाज के प्रति इरा रखा। है। आंकड़ों पर नजर डाले तो प्रति 5 में से 3 बालिकाएं किसी न किसी प्रकार के यौन उत्पीड़न का शिकार हैं। सड़को, बसो या स्कूलों में भी आए दिन ऐसी घटनाएँ सुनाई पड़ती है। इन बढ़ती आपराधिक प्रवृत्तियों के कारण ही आज कोई भी का स्वयं को सुरक्षित नहीं समझ सकती।

विस्तृत उत्तरीय प्रश्न (5 अंक)

प्रश्न 1.
बाल-विवाह से क्या तात्पर्य है? बाल-विवाह के प्रचलन के मुख्य कारणों का उल्लेख कीजिए। 
(2012)
उत्तर:
बाल-विवाह बाल-विवाह का तात्पर्य कम आयु में होने वाले विवाह से है अर्थात् ऐसा विवाह, जिसमें वर एवं कन्या में से कोई एक या दोनों ही बाल्यावस्था में होते हैं। बाल्यावस्था, किशोरावस्था में पूर्व की अवस्था होती है, जिसमें बालक-बालिकाएँ पूर्णतः अबोध होते हैं। इस उम्र में न तो वे विवाह का अर्थ समझते हैं और न ही उनमें विवाहू के उत्तरदायित्व निभाने को शारीरिक एवं मानसिक क्षमता होती हैं। इस प्रकार यह कहा जा सकता है कि पूर्ण यौवनावस्था प्राप्त करने से पूर्ण किया गया विवाह बाल-विवाह’ कहलाता है। वर्तमान भारतीय कानून में लड़कियों के लिए विवाह की न्यूनतम आयु 18 वर्ष तथा सड़कों के लिए 21 वर्ष निर्धारित की गई है। इस पारित आयु से कम आयु में विवाह करना अवैधानिक एवं हना अपराध माना ।

बाल-विवाह के प्रचलन के मुख्य कारण

समाज में प्राप्त विवाह के प्रचलन के मुख्य कारण निम्नलिखित है।
1. धार्मिक विश्वास हमारे पर्म में कहा गया है कि कन्यादान का पुण्य सौ 
अश्वमेध यज्ञ कराने के बराबर है। माता-पिता दिनभर व्रत रखका कन्यादान देते है एवं यह पुण्य लेते हैं, भारतीय धर्म में पत्नी को पतिव्रता बताया गया है। अतः कन्या की शादी जितनी जल्दी कर दी जाएगी, पतिव्रत करने का उसे उतना ही अवसर प्राप्त होगा। स्मृतियों में बताया गया है कि कन्या को रजस्वला होने के बाद पिता यदि कन्या को प्रम में रखता है या विवाह नहीं करता, तो यह प्रतीमा उसका रुधिर पोता है। इन सब कारणों से बाल-विवाह को प्रोत्साहन मिला।

2. कृषि व्यवसाय भारत की लगभग। 65-70% जनसंख्या ग्रामीण हैं, जिनका शल के प्रचलन के मुग्य व्यवसाय कृषि है। कृषि के लिए मुख्य कारण वा परिवार होना आवश्यक है कि पार्मिक विषम मार्ग पा में जितने ज्यादा मद के पि माप इश उतना ही ज्यादा होगा, इसलिए परिवार। में सदस्यों की संध्या बढ़ाने की दृष्टि से शिक्षा का अभाव भी बाल विवाह को प्रोत्साहन मिला।

3. स्त्रियों की निम्न दशा स्मृतिहास के संयुक्त परिवार समय से ही स्त्रियों की इशा चिन्तनीय हो गई उन्हें भी आ यो से वंचित राति नियम का पालन कर दिया गया। माता-पिता के घर में दहेज प्रथा वह माता-पिता पर पति के घर में पति । पर, वृद्धावस्था में पुत्र पर बोझ समझी जाने लगी। कन्या को जल्दी-से-जल्दी ससुराल भेजकर माता-पिता अपना बोझ हल्का करना चाहते थे, इस कारण भी बाल-विवाह को प्रोत्साहन मिला है।

4. कौमार्य भंग का भय पारम्परिक रूप से भारत में विवाह पूर्व यौन सम्बन्धो को अत्यधिक बुरा माना जाता है। यदि कोई लड़को ऐसा करती है, तो उसका कौमार्य भंग माना जाता है और उससे कोई विवाह नहीं करता। कौमार्य भंग होने के भय से भपतीय माता-पिता लड़की का विवाह अल्पायु में ही कर देते हैं। एक मतानुसार, भारतीय समाज में विदेशी आक्रमणों के कारण बाल विवाङ को प्रोत्साहन प्राप्त हुआ। इस मत के समर्थन में प्रायः इसी तर्क को प्रस्तुत किया जाता है।

5. शिक्षा का अभाव भारत की अधिकांश जनसंख्या स्तरीय शिक्षा से वंचित हैं। शिक्षा का प्रसार गाँव-गाँव एवं सुदुर क्षेत्रों तक सही तरीके से नहीं होने के कारण यहाँ अज्ञानता पाई जाती है। अज्ञानता के अन्धकार में लोग एक दूसरे के पीछे चलते रहते हैं। इस प्रकार अशिक्षित लोगों में बाल-विवाह का प्रचलन अधिक है।

6. विवादिता भनिता एवं रूढ़िवादिता एक-दूसरे के पर्याय बन चुके हैं। ऋदिवादी लोग जो उनके पूर्वज करते हैं अर्थात् जो उनके परिवार में होता आया है वे उसी का अनुसरण करते हैं। बच्चों के मन भविष्य को अनदेखा का अप। परम्पराओं एवं रीति-रिवाज को देखते हैं।

7. संयुक्त परिवार संयुक्त परिवार में एक मुखिया होता है, वही अपने पूरे परिवार का भार संभालता है। संयुक्त परिवार में बालकों का आत्मनिर्भर होना जरूरी नहीं हैं। माँ-बाप अपनी इच्छानुसार विवाह कर देते हैं और उनका भार भी संभालते हैं। न्या को पराया धन व योन सममकर उडी ही विवाह कर दिया जाता है।

8. अनुलोम विवाह का प्रभाव अनुलोम मिाह में प्रायेक माता-पिता चाहते है, कि उनको कन्या उचल में आए। अतः जैसे ही पर मिलता है, कन्या का विवाह कर देते हैं। कई बार 4-5 वर्ष की कन्याओं का विवाह भी कर दिया जाता था। इस प्रकार अनुलोम विवाह या फुलौन जिमाह के कारण भी बाल-विवाह का प्रचलन हुआ।

9. जाति नियम का पालन सामान्यतः परम्परागत समाज में अन्तर्जातीय विवाह पर रोक लगाई जाती थी तभी अपनी जाति को मिाह की अनुमति प्रदान की। जाती दी। इस स्थिति में कन्या के माता-पिता को जैसे ही अपनी जाति में उपयुक्त वा मिलता था, चाहे वह अल्पायु ही क्यों न हो, उसका विवाह कर इस जाना

10. दहेज प्रथा दहेज प्रथा भी बाल-विवाह का एक प्रमुख कारण हैं। सड़की की आयु अधिक होने पर उसके विवाह के लिए अधिक दहेज का प्रबन्ध करना पड़ता है। अत: अधिक दहेज देने से बचने के लिए भी बाल-विवाह कर दिए जाते है।

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UP Board Solutions for Class 11 Samanya Hindi अलंकार

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Board UP Board
Textbook NCERT
Class Class 11
Subject Samanya Hindi
Chapter Chapter 2
Chapter Name अलंकार
Number of Questions 2
Category UP Board Solutions

UP Board Solutions for Class 11 Samanya Hindi अलंकार

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काव्य में स्थान—मनुष्य स्वभाव से ही सौन्दर्य-प्रेमी है। वह अपनी प्रत्येक वस्तु को सुन्दर और सुसज्जित देखना चाहता है। अपनी बात को भी वह इस प्रकार कहना चाहता है कि जिससे सुनने वाले पर स्थायी प्रभाव पड़े। वह अपने विचारों को इस रीति से व्यक्त करना चाहता है कि श्रोता चमत्कृत हो जाए। इसके साधन हैं उपर्युक्त दोनों अलंकार। शब्द और अर्थ द्वारा काव्य की शोभा-वृद्धि करने वाले इन अलंकारों का काव्य में वही स्थान है, जो मनुष्य (विशेष रूप से नारी) शरीर में आभूषणों का।

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( काव्यांजलि: आँसू)

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(iii) श्रुत्यनुप्रास–जहाँ कण्ठ, तालु आदि एक ही स्थान से उच्चरित वर्गों की आवृत्ति हो, वहाँ श्रुत्यनुप्रास होता है; जैसे—रामकृपा भव-निसा सिरानी जागे फिर न डसैहौं ।

( काव्यांजलि:विनयपत्रिका)

स्पष्टीकरण-इस पंक्ति में ‘स्’ और ‘न्’ जैसे दन्त्य वर्गों (अर्थात् जिह्वा द्वारा दन्तपंक्ति के स्पर्श से उच्चरित वर्गों) की आवृत्ति के कारण श्रुत्यनुप्रास है।

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(काव्यांजलिः छत्रसाल प्रशस्ति)

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उत्प्रेक्षा और रूपकं अलंकारं में अन्तर–जहाँ पर उपमेय (जिसके लिए उपमा दी जाती है) में उपमान (उपमेय की जिसके साथ तुलना की जाती है) की सम्भावना प्रकट की जाती है, वहाँ अप्रेक्षा अलंकार होता है; जैसे-‘मुख मानो चन्द्रमा है। जहाँ उपमेय और उपमान में ऐसा आरोप हो कि दोनों में किसी प्रकार का भेद ही न रह जाए, वहाँ रूपक अलंक्रार होता है; जैसे-‘मुख चन्द्रमा है।

4. भ्रान्तिमान

लक्षण (परिभाषा)-जहाँ समानता के कारण भ्रमवश उपमेय में उपमान का निश्चयात्मक ज्ञान हो, वहाँ भ्रान्तिमान अलंकार होता है; जैसे-रस्सी (उपमेय) को साँप (उपमान) समझ लेना।

कपि करि हृदय बिचार, दीन्हें मुद्रिका डारि तब।
जानि अशोक अँगार, सीय हरषि उठि कर गहेउ ॥

स्पष्टीकरण-यहाँ सीताजी श्रीराम की हीरकजटित अँगूठी को अशोक वृक्ष द्वारा प्रदत्त अंगारा समझकर उठा लेती हैं। अँगूठी (उपमेयं) में उन्हें अंगारे (उपमान) का निश्चयात्मक ज्ञान होने से यहाँ भ्रान्तिमान अलंकार है।

5. सन्देह

UP Board Solutions for Class 11 Samanya Hindi अलंकार 1

अतिलघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
निम्नलिखित पंक्तियों में प्रयुक्त अलंकार का नाम लिखिए
(क) मनो चली आँगन कठिन तातें राते पाय ।।
(ख) मकराकृति गोपाल के, सोहत कुंडल कान ।।
धरयो मनौ हिय धर समरु, इयौढ़ी लसत निसान ।।
(ग) तरनि तनूजा तट तमाल तरुवर बहु छाये ।।
(घ) उदित उदयगिरि मंच पर, रघुवर बाल पतंग ।
(ङ) घनानंद प्यारे सुजान सुनौ, यहाँ एक से दूसरो आँक नहीं ।
तुम कौन र्धी पाटी पढ़े हौ कहौ, मन लेह पै देहु छटाँक नहीं ।।
(च) का पूँघट मुख मूंदहु अबला नारि ।।
चंद सरग पर सोहत यहि अनुहारि ||
(छ) पच्छी पर छीने ऐसे परे पर छीने वीर,
तेरी बरछी ने बर छीने हैं खलन के ।।
(ज) अनियारे दीरघ दृगनि, किती न तरुनि समान ।
वह चितवनि औरै कछू, जिहिं बस होत सुजान ।।
(झ) चरण कमल बंद हरिराई ।
उत्तर
(क) उत्प्रेक्षा।
(ख) उत्प्रेक्षा।
(ग) अनुप्रास।
(घ) रूपक।
(ङ) श्लेष।
(च) रूपक।
(छ) यमक।
(ज) अनुप्रास।
(झ) रूपक।

प्रश्न 2.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए
(क) उत्प्रेक्षा और उपमा अलंकार में मूलभूत अन्तर बताइए और उत्प्रेक्षा अलंकार का एक उदाहरण अपनी पाठ्य-पुस्तक से लिखिए।
(ख) श्लेष अलंकार का लक्षण लिखकर उदाहरण दीजिए।
(ग) सन्देह और भ्रान्तिमान अलंकारों में अन्तर स्पष्ट करते हुए उदाहरण दीजिए।
(घ) सन्देह और भ्रान्तिमान अलंकारों का अन्तर स्पष्ट कीजिए और दोनों में से किसी एक का उदाहरण लिखिए।
(ङ) उत्प्रेक्षा और रूपक अलंकार में मूलभूत अन्तर स्पष्ट कीजिए और अपनी पाठ्य-पुस्तक से उत्प्रेक्षा अलंकार का एक उदाहरण लिखिए।
(च) रूपक अलंकार के भेद लिखिए और किसी एक भेद का लक्षण और उदाहरण प्रस्तुत कीजिए।
(छ) सन्देह और भ्रान्तिमान में अन्तर बताइए। अपनी पाठ्य-पुस्तक से भ्रान्तिमान अलंकार का एक उदाहरण लिखिए।
(ज) ‘यमक’ अथवा ‘श्लेष अलंकार का लक्षण लिखिए और एक उदाहरण दीजिए।
(झ) “रूपक’ तथा ‘उपमा’ अलंकारों में मूलभूत अन्तर बताइए और दोनों में से किसी एक अलंकार का उदाहरण प्रस्तुत कीजिए।
(ञ), ‘उपमा’ अथवा ‘उत्प्रेक्षा’ अलंकार का लक्षण लिखकर एक उदाहरण दीजिए।
(ट) अनुप्रास’ अथवा ‘उत्प्रेक्षा अलंकार का लक्षण लिखिए तथा उस अलंकार का एक उदाहरण दीजिए।
(ठ) ‘लेष’, ‘उपमा’ तथा ‘सन्देह अलंकारों में से किसी एक अलंकार की परिभाषा देते हुए उदाहरण प्रस्तुत कीजिए।
उत्तर:
[संकेत इन सभी प्रश्नों के उत्तर के लिए इन अलंकारों से सम्बन्धित सामग्री का अध्ययन ‘अलंकार’ प्रकरण के अन्तर्गत प्रश्न 1 व 2 से करें। “पाठ्य-पुस्तक ‘काव्यांजलि’ से उदाहरण’ शीर्षक के अन्तर्गत सभी अलंकारों (पाठ्यक्रम में निर्धारित) के उदाहरण दिये गये हैं।]

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UP Board Solutions for Class 12 Home Science Chapter 6 संक्रामक रोग : प्रसार तथा नियन्त्रण

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Board UP Board
Class Class 12
Subject Home Science
Chapter Chapter 6
Chapter Name संक्रामक रोग : प्रसार तथा नियन्त्रण
Number of Questions Solved 50
Category UP Board Solutions

UP Board Solutions for Class 12 Home Science Chapter 6 संक्रामक रोग : प्रसार तथा नियन्त्रण

बहुविकल्पीय प्रश्न (1 अंक)

प्रश्न 1.
संक्रामक रोगों का संक्रमण किनके द्वारा होता है? (2010)
(a) वायु द्वारा
(b) भोजन तथा जल द्वारा
(c) कीटों द्वारा
(d) ये सभी
उत्तर:
(d) ये सभी

प्रश्न 2.
डी.पी.टी. का टीका किन-किन रोगों की रोकथाम के लिए लगाया जाता है? (2004,06)
(a) सिर दर्द
(b) पैर में सूजन
(c) डिफ्थीरिया, कुकुर खाँसी, टिटनेस
(d) आँख दुखना
उत्तर:
(c) डिफ्थीरिया, कुकुर खाँसी, टिटनेस

प्रश्न 3.
शरीर की रोगों से संघर्ष करने की शक्ति को कहते हैं?
(a) नि:संक्रमण
(b) रोग-प्रतिरोधक क्षमता
(C) उदभवन अवधि
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(b) रोग-प्रतिरोधक क्षमता

प्रश्न 4.
निम्नलिखित में से कौन-सा पदार्थ रासायनिक नि:संक्रामक नहीं है? (2006)
(a) चूना
(b) ब्लीचिंग पाउडर
(c) पोटैशियम परमैंगनेट
(d) जलाना
उत्तर:
(d) जलाना

प्रश्न 5.
ठोस नि:संक्रामक है। (2006)
(a) फिनायल
(b) फार्मेलीन
(C) डी.डी.टी.
(d) चूना
उत्तर:
(d) चूना

प्रश्न 6.
छोटी माता का रोगाणु कारक है।
(a) वायरस
(b) जीवाणु
(c) प्रोटोजोआ
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(a) वायरस

प्रश्न 7 .
किस जीवाणु द्वारा क्षय रोग फैलता है? (2003, 07)
(a) क्यूलेक्स
(b) बैसिलस
(c) वायरस
(d) अमीबा
उत्तर:
(b) बैसिलस

प्रश्न 8.
मक्खियों द्वारा कौन-सा रोग फैलता है? (2004)
(a) चेचक
(b) हैजा
(c) टायफाइड
(d) मलेरिया
उत्तर:
(b) हैजा

प्रश्न 9.
मलेरिया रोग फैलता है। (2006, 11)
(a) चूहे द्वारा
(b) मच्छर द्वारा
(C) मक्खी द्वारा
(d) तिलचट्टा द्वारा
उत्तर:
(b) मच्छर द्वारा

प्रश्न 10.
टायफाइड रोगी को रोग के पश्चात् किस प्रकार का भोजन देना चाहिए? (2018)
(a) तरल
(b) अर्द्धतरल आहार
(c) सामान्य आहार
(d) इनमें से सभी
उत्तर:
(b) सामान्य आहार

प्रश्न 11.
हैजा के जीवाणु का नाम है? (2018)
(a) वायरस
(b) विब्रियो कॉलेरी
(c) कोमा बैसिलस
(d) साल्मोनेका टाइफी
उत्तर:
(b) विब्रियो कॉलेरी

प्रश्न 12.
कौन-सा रोग दूषित जल से फैलता है? (2018)
(a) हैजा
(b) मियादी बुखार
(c) अतिसार
(d) ये सभी
उत्तर:
(b) हैजा

प्रश्न 13.
पागल कुत्ते के काटने से कौन-सा रोग हो जाता है? (2013)
(a) मलेरिया
(b) रेबीज.
(c) फाइलेरिया
(d) प्लेग
उत्तर:
(b) रेबीज

प्रश्न 14.
रेबीज रोग का कौन-सा लक्षण है? (2010, 13)
(a) उल्टी होना।
(b) पानी से डरना
(C) दस्त होना
(d) जाड़े से काँपना
उत्तर:
(b) पानी से डरना

प्रश्न 15.
प्लेग रोग फैलता है। (2007)
(a) चूहे द्वारा
(b) मच्छर द्वारा
(C) मक्खी द्वारा
(d) तिलचट्टे द्वारा
उत्तर:
(a) चूहे द्वारा

प्रश्न 16.
निम्न में से कौन-सा हिपेटाइटिस सर्वाधिक खतरनाक होता है?
(a) B
(b) C
(C) D
(d) G
उत्तर:
(d) B

प्रश्न 17.
निम्न में से मस्तिष्क में सूजन आने का कौन-सा विशिष्ट लक्षण है?
(a) मलेरिया का
(b) डेंगू का
(C) इन्सेफलाइटिस का
(d) पीत ज्वर
उत्तर:
(c) इन्सेफलाइटिस का

अतिलघु उत्तरीय प्रश्न (1 अंक, 25 शब्द)

प्रश्न 1.
संक्रामक रोग क्या हैं? (2006)
उत्तर:
विभिन्न रोगाणुओं (जीवाणु, विषाणु, कवक तथा प्रोटोजोआ आदि) के कारण होने वाले रोग ‘संक्रामक रोग’ कहलाते हैं। इनको संक्रमण विभिन्न माध्यमों द्वारा एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में होता है।

प्रश्न 2.
संक्रामक रोगों की उदभवन अवधि से क्या आशय है?
उत्तर:
शरीर में रोगाणुओं के प्रवेश तथा रोग के लक्षण प्रकट होने के मध्य जो अन्तराल होता है, उसे रोग की उद्भवन अवधि अथवा सम्प्राप्ति काल कहते हैं।

प्रश्न 3.
संक्रामक रोग किन-किन माध्यमों द्वारा फैलते हैं? (2006)
उत्तर:
संक्रामक रोग जल एवं भोजन, वायु, रोगवाहक कीटों, चोट अथवा घाव, रोगी के प्रत्यक्ष सम्पर्क अथवा यौन सम्बन्धों के माध्यम से फैलते हैं।

प्रश्न 4.
किन्हीं पाँच संक्रामक रोगों के नाम बताइए। (2016)
उत्तर:
क्षय रोग, हैजा, टाइफाइड, अतिसार, रेबीज आदि संक्रामक रोग हैं।

प्रश्न 5.
जल द्वारा संवाहित होने वाले रोग कौन-कौन-से हैं? (2012)
उत्तर:
जल के माध्यम से फैलने वाले मुख्य रोग हैं-टायफाइड, हैजा, अतिसार, पेचिश, पीलिया आदि।

प्रश्न 6.
निःसंक्रमण एवं निःसंक्रामक शब्दों का अर्थ स्पष्ट कीजिए। (2011,16)
उत्तर:
रोगाणुओं को नष्ट करने की प्रक्रिया को ‘नि:संक्रमण’ कहते हैं। नि:संक्रमण के लिए अपनाए जाने वाले पदार्थों को ‘नि:संक्रामक’ कहा जाता है।

प्रश्न 7.
जीवाणुओं द्वारा फैलने वाले दो रोगों के नाम लिखिए। (2014)
अथवा
उन बीमारियों के नाम लिखिए, जो जीवाणुओं के कारण होती हैं।
उत्तर:
जीवाणुओं द्वारा फैलने वाले रोग हैं-हैजा, क्षय रोग, अतिसार, प्लेग आदि।

प्रश्न 8.
क्षय रोग का कारण लिखिए। (2006)
उत्तर:
क्षय रोग माइक्रोबैसिलस ट्यूबरकुलोसिस नामक जीवाणु के संक्रमण के कारण होता है।

प्रश्न 9.
बी.सी.जी. का टीका किस रोग की रोकथाम के लिए लगाया जाता है?
उत्तर:
बी.सी.जी. का टीका क्षय रोग (टी. बी.) की रोकथाम के लिए लगाया जाता है।

प्रश्न 10.
मलेरिया रोग का कारण लिखिए। (2004)
उत्तर:
मलेरिया नामक रोग ‘प्लाज्मोडियम’ नामक परजीवी प्रोटोजोआ के कारण होता है। इसका संक्रमण मादा ऐनाफ्लीज मच्छर के माध्यम से होता है।

प्रश्न 11.
मलेरिया रोग में किस प्रकार का भोजन देना चाहिए? (2007)
उत्तर:
मलेरिया रोग में हल्का, सुपाच्य तथा पर्याप्त कैलोरीयुक्त भोजन दिया जाना चाहिए।

प्रश्न 12.
पागल कुत्ते के काटने से उत्पन्न रोग के दो लक्षण लिखिए। (2009)
उत्तर:
पागल कुत्ते के काटने से उत्पन्न रोग (हाइड्रोफोबिया) के लक्षण हैं।

  • तीव्र सिरदर्द, तीव्र ज्वर तथा गले एवं छाती की पेशियों के संकुचन से पीड़ा होती है।
  • गले की नलियों के अवरुद्ध होने से तरल आहार ग्रहण करने में कठिनाई तथा रोगी को जल से भय लगता है।

प्रश्न 13.
कुत्ते के काटने के दो प्राथमिक उपचार लिखिए। (2003)
उत्तर:
कुत्ते के काटने के दो प्राथमिक उपचार हैं।

  • कटे हुए स्थान को कार्बोलिक साबुन एवं स्वच्छ जल से भली प्रकार धोएँ।
  • एण्टीसेप्टिक औषधि का लेप लगाएँ।

प्रश्न 14.
अतिसार के रोगी को कैसा भोजन देना चाहिए? (2009)
उत्तर:
अतिसार के रोगी को तरल, हल्का एवं सुपाच्य भोजन देना चाहिए।

प्रश्न 15.
जोड़ों में दर्द एवं लसीका वाहिनियों में सूजन किन-किन रोगों के प्रमुख लक्षण है?
उत्तर:
जोड़ों में दर्द एवं लसीका वाहिनियों में सूजन क्रमश: डेंगू एवं हाथीपाँव रोग के लक्षण हैं।

प्रश्न 16.
एल्फा विषाणु जनित रोग का नाम बताते हुए इसके संवाहक का नाम भी बताइट
उत्तर:
चिकनगुनिया रोग का कारक एल्फा विषाणु होता है, जिसका संवहन एडीज एजिप्टी एवं एल्बोपिक्टस मच्छर द्वारा होता है।

लघु उत्तरीय प्रश्न (2 अंक, 50 शब्द)

प्रश्न 1.
संक्रामक रोगों की रोकथाम के सामान्य उपाय क्या हैं? (2012)
उत्तर:
संक्रामक रोगों के उपचार की तुलना में नियन्त्रण एवं बचाव के उपाय अधिक महत्त्वपूर्ण होते हैं, क्योंकि संक्रामक इसकी रोगों का प्रसार एक साथ असंख्य व्यक्तियों को प्रभावित करता है। इसके अतिरिक्त इसकी रोकथाम के उपायों को व्यापक स्तर पर होना भी अतिआवश्यक है। व्यक्तिगत भागीदारी के साथ-साथ सार्वजनिक प्रयास दोनों ही समान रूप से महत्त्वपूर्ण हैं।

संक्रामक रोगों की रोकथाम के सामान्य उपाय

संक्रामक रोगों की रोकथाम के कुछ सामान्य उपाय निम्नलिखित हैं।

  1. स्वास्थ्य विभाग को सूचित करना किसी भी व्यक्ति को संक्रामक रोग होने की स्थिति में उसकी सूचना निकट के स्वास्थ्य अधिकारी अथवा चिकित्सक को अवश्य देनी चाहिए, जिससे समय रहते रोग के प्रसार को रोका जा सके।
  2. रोगग्रस्त (संक्रमित) व्यक्ति को अलग रखना संक्रामक रोगों को फैलने से | रोकने के लिए विशेषकर वायुवाहित (एयर-बॉर्न) रोगों के मामले में, संक्रमित व्यक्तियों के उपचार की अलग से विशेष व्यवस्था की जानी चाहिए, जिससे रोगी का समुचित उपचार भी हो जाए एवं अन्य स्वस्थ व्यक्ति भी संक्रमण से बच जाए।
  3. रोग-प्रतिरक्षा के उपाय संक्रामक रोगों की रोकथाम का महत्त्वपूर्ण उपाय शरीर की रोग-प्रतिरोधक क्षमता को विकसित करना है। नियमित रूप से शुद्ध जल एवं पौष्टिक भोजन का सेवन, विभिन्न रोगों से लड़ने की शक्ति प्रदान करता है। वर्तमान में विभिन्न संक्रामक रोगों से बचने तथा रोग प्रतिरक्षा शक्ति के विकास हेतु टीके भी उपलब्ध हैं। सभी स्वस्थ व्यक्तियों को ऐसे टीके लगाना अतिआवश्यक है।

प्रश्न 2.
रोग-प्रतिरोधक क्षमता से आप क्या समझते हैं? (2011)
अथवा
टिप्पणी लिखिए-रोग-प्रतिरोधक क्षमता (2018, 12)
उत्तर:
रोग-प्रतिरोधक क्षमता
हमारा शरीर अधिकांश बाह्य कारकों से स्वयं अपनी रक्षा कर लेता है। शरीर की विभिन्न रोगकारक जीवों से लड़ने की क्षमता, जो उसे प्रतिरक्षी-तन्त्र के कारण मिली है, रोग-प्रतिरोधक क्षमता कहलाती है। रोग-प्रतिरोधक क्षमता दो प्रकार की सेती है ।

1. सहज प्रतिरक्षा सहज प्रतिरक्षा एक प्रकार की अविशिष्ट रक्षा है, जो जन्म के समय से ही मौजूद होती है। वस्तुतः हमारे शरीर में सभी प्रकार के संक्रमणों के विरुद्ध कुछ अवरोध (बैरियर) कार्य करते हैं, इन्हें ‘अविशिष्ट प्रतिरक्षी तन्त्र’ (Non-Specific Defense Mechanism) कहते हैं। ये अवरोध चार प्रकार के होते हैं ।

  • शारीरिक अवरोध (फीजिकल बैरियर) शरीर पर त्वचा मुख्य अवरोध है, जो बाहर से रोगाणुओं के प्रवेश को रोकती है।
  • कायिकीय अवरोध (फिजियोलॉजिकल बैरियर) आमाशय में अम्ल, मुँह में लार, आँखों के आँसू ये सभी रोगाणुओं की वृद्धि को रोकते हैं।
  • कोशिकीय अवरोध (सेल्युलर बैरियर) रक्त में उपस्थित श्वेत रुधिर कणिकाएँ, न्यूट्रोफिल्स एवं मोनोसाइट्स रोगाणुओं का भक्षण करती हैं।
  • साइटोकाइन अवरोध विषाणु संक्रमित कोशिकाएँ इण्टरफेरॉन नामक प्रोटीनों का स्रावण करती हैं, जो असंक्रमित कोशिकाओं को और आगे विषाणु संक्रमण से बचाती है।

2. उपार्जित प्रतिरक्षा उपार्जित प्रतिरक्षा रोगजनक विशिष्ट रक्षा है। हमारे शरीर का जब पहली बार किसी रोगजनक (रोगाणु) से सामना होता है, तो शरीर निम्न तीव्रता की प्राथमिक अनुक्रिया (रेस्पॉन्स) करता है। बाद में उसी रोग से सामना होने पर बहुत ही उच्च तीव्रता की द्वितीय अनुक्रिया होती है।
उपार्जित प्रतिरक्षा भी दो प्रकार की होती है।

  • सक्रिय प्रतिरक्षण (Active Immunity) हमारे शरीर के रक्त में मौजूद दो विशेष प्रकार के लसीकाणु प्रतिरक्षी अनुक्रियाएँ करते हैं। ये हैं-बी लसीकाणु और टी-लसीकाणु। बी-लसीकाणु हमारे शरीर में एण्टीबॉडीज उत्पन्न करते हैं, जबकि टी-लसीकाणु एण्टीबॉडीज उत्पन्न करने में बी-कोशिकाओं की सहायता करती है।
  • निष्क्रिय प्रतिरक्षण (Passive Immunity) जब शरीर की रक्षा के लिए बने-बनाए प्रतिरक्षी (एण्टीबॉडीज) सीधे ही शरीर को दिए जाते हैं, तो यह निष्क्रिय प्रतिरक्षा कहलाती है।

प्रश्न 3.
चेचक (बड़ी माता) रोग का सामान्य विवरण प्रस्तुत कीजिए।
उत्तर:
चेचक कारक एवं प्रसार वेरियोला वाइरस नामक विषाणु इस रोग का कारक है। ये विषाणु वायु के माध्यम से व्यक्ति के श्वसन-तन्त्र में प्रवेश करते हैं। परम्परानुसार इसे ‘शीतला रोग’ की संज्ञा भी दी जाती है।
उद्भवन काल सामान्यत: इस रोग के लक्षण संक्रमण से 10 से 12 दिन की अवधि के अन्तराल पर प्रकट होते हैं। लक्षण रोग के प्रमुख लक्षण निम्नलिखित हैं।

  1. तीव्र ज्वर के साथ, सिर व कमर में दर्द होता है।
  2. जी मिचलाना एवं वमन की शिकायत हो सकती है।
  3. लक्षण स्पष्ट होने पर आँखें लाल हो जाती हैं तथा मुँह आदि पर लाल दाने निकल आते हैं। चेचक के दाने लाल रंग के होते हैं, बाद में इनमें तरल द्रव भर जाता है।
  4. रोग के ठीक होने की प्रक्रिया में 9-10 दिन बाद दाने मुरझाने लगते हैं एवं उनके स्थान पर पपड़ी-सी जम जाती है।

बचाव के उपाय इस रोग से बचाव हेतु निम्नलिखित उपाय किए जा सकते हैं

  1. प्रत्येक व्यक्ति को समयानुसार चेचक का टीका अवश्य लगवा लेना चाहिए।
  2. रोगी की अलग व्यवस्था करनी चाहिए एवं स्वस्थ व्यक्तियों को उसके सम्पर्क में नहीं आने देना चाहिए।
  3. रोगी के बर्तन, बिस्तर तथा कपड़ों आदि को अलग ही रखना चाहिए तथा रोगी के ठीक होने पर उन्हें भली-भाँति नि:संक्रमित किया जाना चाहिए।
  4. रोगी के मल-मूत्र, थूक तथा उल्टी आदि को खुले में नहीं छोड़ना चाहिए तथा उनके विसर्जन की समुचित व्यवस्था होनी चाहिए।

प्रश्न 4.
खसरा नामक रोग का सामान्य विवरण प्रस्तुत कीजिए।
उत्तर:
खसरा
कारण एवं प्रसार
यह एक विषाणु जनित रोग है। बच्चे इससे अधिक प्रभावित होते हैं। इसके विषाणु रोगी के गले के श्लेष्म तथा नाक के स्राव में विद्यमान रहते हैं तथा हवा में मिलकर संक्रमण का कारण बन जाते हैं।

उद्भवन काल
विषाणु के शरीर में प्रवेश करने से रोग के लक्षण उत्पन्न होने में सामान्यतः 10-15 दिन लगते हैं। कभी-कभी यह अवधि 20 दिन की भी हो सकती है
लक्षण इस रोग के प्रमुख लक्षण निम्नलिखित हैं।

  • व्यक्ति को ठण्ड के साथ बुखार आता है तथा बेचैनी महसूस होती है।
  • आँखें लाल हो जाती हैं तथा खाँसी, छींक आदि की तीक्ष्णता बढ़ जाती है।
  • धीरे-धीरे पूरे शरीर पर दाने निकल आते हैं तथा बुखार तीव्र हो जाता है।

बचाव के उपाय इस रोग से बचने के उपाय निम्नलिखित हैं।

  • खसरे से पीड़ित बच्चे को एक अलग हवादार कमरे में रखना चाहिए।
  • रोगी की नाक व मुँह से निकले स्राव को पुराने व स्वच्छ कपड़े से पोंछकर उसे जला देना चाहिए।
  • इधर-उधर थूकने की जगह केवल थूकदान का प्रयोग करना चाहिए। थूकने | वाले बर्तन में नि:संक्रामक पदार्थ डालना भी ठीक रहता है।
  • रोगी शिशु के वस्त्रों एवं खिलौनों को भी नि:संक्रामक पदार्थ से साफ करना आवश्यक है।
  • इस रोग से बचाव हेतु व्यक्तिगत स्वच्छता विशेषत: नाक व गले की सफाई विशेष महत्त्व रखती है।

उपचार इस रोग के विरुद्ध स्वाभाविक प्रतिरोधक क्षमता बहुत ही कम शिशुओं में होती है यद्यपि एक बार खसरा होने पर प्रतिरक्षक क्षमता उत्पन्न हो जाती है। तथापि भविष्य में इसके होने की सम्भावना को कम करने के लिए बच्चों को खसरे का टीका लगवाना अनिवार्य होता है। देखभाल में रोगी को अधिक गर्मी तथा अधिक ठण्ड से बचाना आवश्यक होता है, क्योंकि इस रोग के साथ निमोनिया होने का भी भय रहता है।

प्रश्न 5.
रेबीज नामक संक्रामक रोग के लक्षण, उदभवन काल एवं उपचार के उपायों पर प्रकाश डालिए।
अथवा
टिप्पणी लिखिए- कुत्ते का काटना (2018)
उत्तर:
रेबीज
रेबीज एक विषाणुजनित रोग है। इस रोग के विषाणु रोगी पशु (कुत्ता, गीदड़, बन्दर आदि) की लार में रहते हैं। अतः जब कोई रोगग्रस्त पशु मुख्यतः कुत्ता, गीदड, बन्दर किसी व्यक्ति को काटता है, तो उसकी लार में विद्यमान विषाणु स्वस्थ व्यक्ति के शरीर में प्रवेश कर जाते हैं एवं व्यक्ति को रोगग्रस्त कर देते हैं।
लक्षण रेबीज के विषाणु रोगी व्यक्ति के केन्द्रीय तन्त्रिका तन्त्र पर प्रभाव डालते हैं। इस स्थिति में निम्नलिखित लक्षण प्रकट होते हैं।

  • तीव्र सिरदर्द, तीव्र ज्वर तथा गले एवं छाती की पेशियों के संकुचन से पीड़ा होती है।
  • गले की नलियों के अवरुद्ध होने से रोगी को तरल आहार ग्रहण करने में – कठिनाई होती है तथा जल से भय लगता है।

उद्भवन काल प्रायः पागल कुत्ते के काटने पर 15 दिन की अवधि में रोग के लक्षण प्रकट होने लगते हैं, किन्तु कभी-कभी 7-8 महीने अथवा इससे भी अधिक समय तक इसका प्रभाव बना रह सकता है। सामान्यतः रोगग्रस्त या पागल कुत्ता काटने के बाद अधिकतम 15 दिन की अवधि में मर जाता है। अतः यदि कुत्ता मनुष्य को काटने के बाद भी जीवित रहे अथवा पागल न हो तो उसे रोगग्रस्त नहीं माना जाना चाहिए।
उपचार रोगग्रस्त पशु के काटने पर निम्नलिखित उपचार करने चाहिए

  • काटे गए स्थान को काबलिक साबुन एवं स्वच्छ जल से भली-भाँति धोना चाहिए।
  • घाव पर एण्टीसेप्टिक की औषधि का लेप लगाना चाहिए।
  • घाव पर पट्टी नहीं बाँधनी चाहिए, अपितु उसे खुला रखना चाहिए।
  • कुत्ते के काटने पर एण्टीरेबीज इंजेक्शन लगवाने भी अनिवार्य हैं।

प्रश्न 6.
प्लेग रोग पर टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
प्लेग
कारण एवं प्रसार यह रोग पाश्च्यूरेला पेस्टिस नामक जीवाणु से होता है। इसका संक्रमण चूहों पर पाए जाने वाले पिस्सुओं से होता है। प्लेग के जीवाणु पिस्सुओं के माध्यम से चूहों को संक्रमित करते हैं, जिससे चूहे मरने लगते हैं। तत्पश्चात् पिस्सुओं द्वारा मनुष्यों को काटने पर, ये जीवाणु व्यक्ति के रक्त परिसंचरण में शामिल हो जाते हैं एवं व्यक्ति को रोगग्रस्त कर देते हैं। इसके बाद व्यक्ति से व्यक्ति में संक्रमित होने वाला यह रोग महामारी का रूप धारण कर लेता है।
लक्षण इस रोग के प्रमुख लक्षण निम्नलिखित हैं।

  • प्लेग के विषाणु के आक्रमण के प्रारम्भ में ही व्यक्ति अति तीव्र ज्वर (107°F | तक) से ग्रस्त हो जाता है।
  • व्यक्ति की आँखें लाल हो जाती हैं एवं अन्दर फँसती हुई प्रतीत होती हैं।
  • कभी-कभी रोगी को दस्त तथा कमजोरी भी होने लगती है।.
  • रोगी की दशा गम्भीर होने पर उसकी बगल तथा जाँघों में कुछ गिल्टियाँ निकल आती हैं। इस दशा में उसकी मृत्यु भी हो सकती है।

बचाव के उपाय इस रोग से बचाव के लिए निम्नलिखित उपाय किए जा सकते हैं।

  • इस रोग से बचाव के लिए घर तथा सार्वजनिक स्थलों को स्वच्छ रखना अत्यन्त आवश्यक है।
  • विषाणु से संक्रमित क्षेत्र में चूहों को समाप्त करके भी महामारी के प्रकोप | को नियन्त्रित किया जा सकता है।
  • प्लेग के प्रकोप के दिनों में नंगे पैर नहीं रहना चाहिए इससे रोगवाहक कीटों के काटने की सम्भावना बढ़ जाती है।
  • प्लेग का टीका लगवाना भी अनिवार्य है।
    उपचार प्लेग के लक्षण प्रकट होते ही रोगी को तुरन्त अस्पताल में भर्ती कर लेना चाहिए। इस रोग में अच्छी चिकित्सकीय सलाह एवं उपचार का विशेष महत्त्व होता है, अन्यथा रोगी की मृत्यु भी हो सकती है।

प्रश्न 7.
कुष्ठ रोग कैसे फैलता है? इस रोग के लक्षण, बचाव तथा उपचार के उपायों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
कुष्ठ रोग
कारण एवं प्रसार
माइकोबैक्टीरियम लैप्री नामक जीवाणु इस रोग का कारक है। ये जीवाणु रोगी व्यक्ति के शरीर के घावों में विद्यमान रहते हैं। अतः स्वस्थ व्यक्ति के रोगी के घावों के सम्पर्क में आने पर, ये जीवाणु स्वस्थ व्यक्ति के शरीर में प्रवेश कर उसे संक्रमित कर सकते हैं।

लक्षण प्रारम्भ में रोगी के शरीर में सफेद रंग के दाग पड़ते हैं, जो क्रमश: घावों में बदल जाते हैं। रोगी में दो प्रकार के लक्षण प्रकट हो सकते हैं।

1. चकत्ते वाली त्वचा संवेदनाहीन हो जाए अथवा स्पर्श करने पर उसमें | असहनीय पीड़ा का अनुभव हो। इन स्थानों पर बने फफोले बाद में घाव में बदल जाते हैं। इन घावों से रक्त व मवाद निकलता है। हाथ-पैरों की अंगुलियाँ गलने लगती हैं। यह अवस्था संक्रमण-योग्य होती है।

2. त्वचा के सूखने पर, पहले लाल दाने बनते हैं, जो धीरे-धीरे सफेद रंग के हो जाते हैं। शरीर के बालों को स्वतः गिरना अन्य प्रमुख लक्षण है। इसके अतिरिक्त गले में गिल्टियाँ बनना, आवाज भारी एवं भद्दी होना, सिरदर्द आदि लक्षण दिखाई दे सकते हैं। यह अवस्था संक्रमण-योग्य नहीं होती।

बचाव के उपाय इस रोग से बचाव के उपाय निम्नलिखित हैं

  1. रोगी को स्वस्थ मनुष्य के सम्पर्क में आने से बचना चाहिए।
  2. व्यक्तिगत स्वच्छता पर विशेष ध्यान देना चाहिए।
  3. रोगी के वस्त्रों को उबालकर धोना चाहिए इससे संक्रमण की आशंका कम | हो जाती है। रोगी द्वारा प्रयोग की गई वस्तुओं; जैसे-बर्तन आदि को नि:संक्रामक से धोना चाहिए।

उपचार कुष्ठ रोग पूर्णतः उपचार योग्य रोग है। सरकार द्वारा अनुदान प्राप्त अनेक अस्पतालों में इसका नि:शुल्क इलाज उपलब्ध कराया जा रहा है। आवश्यक है कि संक्रमण की प्रारम्भिक अवस्था में ही इसका निदान हो जाए, जिससे इस रोग को समय रहते ठीक किया जा सके। रोगी का सामाजिक समायोजन उपचार-प्रक्रिया का ही महत्त्वपूर्ण चरण है। अत: इस ओर ध्यान देना अत्यन्त महत्त्वपूर्ण है।

प्रश्न 8.
पेचिश एवं अतिसार में क्या अन्तर है? (2007)
उत्तर:
पेचिश एवं अतिसार दोनों ही पाचन तन्त्र से सम्बन्धित संक्रामक रोग हैं। दूषित पेय जल एवं भोजन, संक्रमण के प्रमुख स्रोत हैं। घरेलू मक्खियाँ इन | रोगों को फैलाने में रोगवाहक का कार्य करती हैं।

इन समानताओं के बावजूद पेचिश एवं अतिसार में कुछ स्पष्ट अन्तर भी हैं, जो निम्न प्रकार हैं।

क्र.सं.

 पेचिश  अतिसार

1

पेचिश, मनुष्य की बड़ी आँत में पाए जाने वाले एण्टअमीबा हिस्टोलिटिका नामक प्रोटोजोआ एवं वैसीलरी  जीवाणु से होती है। अतिसार जीवाणु जनित रोग है। निरन्तर अपच रहने से भी अतिसार का रोग हो सकता है।

2

पेचिश रोग में मल के साथ आँव (श्लेष्म) एवं रक्त आता है। ज्वर, उदरीय पीड़ा एवं ऐंठन, पेचिश के अन्य लक्षण हैं। अतिसार के रोगी को भी निरन्तर जलीय दस्त होते रहते हैं, किन्तु पेचिश के इसमें मल के साथ आँव (श्लेष्म) एवं रक्त नहीं आता है।

3

पेचिश, बच्चों एवं बड़ों सभी को हो सकता है। अतिसार का संक्रमण मुख्य रूप से  प्राय: बच्चों को हुआ करता है।

प्रश्न 9.
अतिसार के कारण, लक्षण एवं उपचार लिखिए। (2007)
अथवा
डायरिया रोग के लक्षण और उपचार लिखिए।(2018)
उत्तर:
अतिसार के कारण
बार-बार दस्त आना अतिसार (Diarrhoea) कहलाता है। कुछ जीवाणु जैसे इश्चेरीचिया कोलाई, शिगेला आदि इसके प्रमुख कारक हैं। यह रोग दूषित जल एवं भोजन के माध्यम से फैलता है। यह रोग मुख्यत: बच्चों को होता है यद्यपि बड़े भी इससे संक्रमित हो सकते हैं। इसके संक्रमण के प्रसार में मक्खियाँ रोगवाहक का कार्य करती हैं।

अतिसार के लक्षण
इस रोग के प्रमुख लक्षण निम्नलिखित हैं।

  1. अत्यधिक दस्त के कारण निर्जलीकरण की स्थिति उत्पन्न होती है।
  2. सामान्यतः निर्जलीकरण की अवस्था में रोगी चिड़चिड़ा हो जाता है, आँखें अन्दर धंस जाती हैं, जीभ तथा गालों का अन्त: भाग सूख जाता है।
  3. शारीरिक भार में अचानक कमी, मन्द नाड़ी, गहरी साँसें इसके प्रमुख लक्षण हैं।

अतिसार के नियन्त्रण एवं उपचार के उपाय
अतिसार को नियन्त्रित करने के लिए निम्न उपाय किए जा सकते हैं।

  1. रोग के पूर्णरूपेण ठीक होने तक बिस्तर पर पूरा आराम आवश्यक है।
  2. निर्जलीकरण से रक्षा के उपाय किए जाने चाहिए। एक अच्छा जीवनरक्षक घोल, एक चम्मच चीनी तथा एक चुटकी नमक को 200 मिली जल में घोलकर बनाया जा सकता है। इसे मुख द्वारा दिया जाने वाला पुनर्जलीकरण विलयन (ORS) कहते हैं।
  3. थोड़ा आराम मिलने पर रोगी को हल्के, तरल एवं सुपाच्य भोज्य पदार्थ दिए जा सकते हैं।
  4. पानी को उबालकर ठण्डा करके रोगी को देना चाहिए।
  5. चिकित्सक की सलाहानुसार प्रतिसूक्ष्मजैविक दवाओं का प्रयोग करना चाहिए।

प्रश्न 10.
डेंगू के लक्षण व उपचार पर टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
इस रोग के प्रमुख लक्षण निम्नलिखित हैं।

  1. ठण्ड लगने के बाद अचानक तेज बुखार चढ़ना।
  2. सिर मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द होना।
  3. आँखों के पिछले हिस्से में दर्द होना, जो आँखों को दबाने या हिलाने से और बढ़ जाता है।
  4. बहुत ज्यादा कमजोरी लगना, भूख न लगना और जी मिचलाना और मुँह का स्वाद खराब होना।
  5. गले में हल्का -सा दर्द होना।
  6. शरीर विशेषकर चेहरे, गर्दन और छाती पर लाल-गुलाबी रंग के रैशेज होना।

उपचार इस रोग से बचाव के उपाय निम्नलिखित हैं

  1. यदि रोगी को साधारण डेंगू बुखार है, तो उसका इलाज व देखभाल घर पर की जा सकती है।
  2. डॉक्टर की सलाह लेकर पैरासिटामोल (क्रोसिन आदि) ले सकते हैं।
  3. इनसे प्लेटलेट्स कम हो सकते हैं।
  4. यदि बुखार 102 डिग्री फॉरनेहाइट से ज्यादा है, तो रोगी के शरीर पर ठण्डे पानी की पट्टियाँ रखें।
  5. सामान्य रूप से खाना देना जारी रखें। बुखार की हालत में शरीर कोऔर ज्यादा खाने की जरूरत होती है।
  6. मरीज को आराम करने दें।

किसी भी तरह के डेंगू में रोगी के शरीर में पानी की कम नहीं आने देनी चाहिए। उसे अधिक मात्रा में पानी और तरल पदार्थ (नींबू पानी, छाछ, नारियल पानी आदि) पिलाएँ, ताकि ब्लड गाढ़ा न हो और जमे नहीं। साथ ही मरीज को पूरा आराम करना चाहिए।

विस्तृत उत्तरीय प्रश्न (5 अंक, 100 शब्द)

प्रश्न 1.
संक्रामक रोग किसे कहते हैं? इनके फैलने के कारण बताइट। (2009)
अथवा
संक्रामक रोग किसे कहते हैं? यह किस प्रकार फैलता है? बचाव के लिए क्या उपाय करने चाहिए? (2018)
उत्तर:
जब शरीर के एक या अधिक अंगों या तन्त्रों के प्रकार्यों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है और विभिन्न चिह्न एवं लक्षण प्रकट होते हैं, तो इस स्थिति को रोगग्रस्तता कहते हैं। रोगों के मुख्यत: दो प्रकार हैं।

1. संक्रामक रोग यह रोग हानिकारक सूक्ष्म जीवों (रोगाणुओं) के द्वारा होता है; जैसे-जीवाणु, विषाणु कवक एवं प्रोटोजोआ।
इन रोग कारकों का संचरण विभिन्न माध्यमों द्वारा एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति तक होता है, इसलिए इन्हें संचरणीय रोग कहा जाता है; जैसे-हैजा, मलेरिया, टायफाइड, क्षय रोग, पोलियो, डिफ्थीरिया आदि।
2. असंक्रामक रोग यह रोग, रोगी से स्वस्थ व्यक्ति में स्थानान्तरिक नहीं होते हैं; जैसे–मधुमेह, कैंसर, हृदय रोग आदि।

संक्रामक रोगों का फैलना
अनेकानेक जीव जिसमें जीवाणु (बैक्टीरिया), विषाणु (वायरस), कवक (फंजाई), प्रोटोजोअन, कृमि (हेल्यिथ) आदि शामिल हैं, जो मनुष्य में रोग पैदा करते हैं। ऐसे रोगकारक जीवों को रोगजनक (पैथोजन) कहते हैं। रोगजनक हमारे शरीर में कई तरह से प्रवेश कर सकते हैं।
इनका संक्रमण मुख्यत: निम्नलिखित छः प्रकार से होता है।

  • जल एवं भोजन के माध्यम से
  • वायु के माध्यम से
  • रोगवाहक कीटों के माध्यम से
  • चोट अथवा घाव के माध्यम से
  • प्रत्यक्ष सम्पर्क के माध्यम से
  • यौन सम्बन्धों के माध्यम से

1. जल एवं भोजन के माध्यम से रोगाणुओं से दूषित जल एवं भोजन को ग्रहण करने से ये रोगाणु व्यक्ति के शरीर में पहुँच जाते हैं; जैसे-हैजा, टायफाइड, पीलिया, अतिसार तथा पेचिश आदि रोगों का संक्रमण मुख्य रूप से संक्रमित जल एवं आहार के माध्यम से होता है। इन रोगों के व्यापक संक्रमण में संक्रामक रोगों का फैलना मक्खियों की सहायक भूमिका होती है। मक्खियों के मल  आदि रोगाणुयुक्त स्थानों पर बैठने से रोगाणु उनके साथ चिपक कर हमारे खाद्य पदार्थों तक पहुँच जाते हैं, जिसे खाने से रोग को संक्रमण हो जाता है।

2. वायु के माध्यम से दूषित अथवा संक्रमित वायु में श्वास लेने से विभिन्न रोगाणु वायु के माध्यम से हमारे शरीर में प्रवेश कर रोगग्रस्त बना देते हैं। रोगग्रस्त व्यक्तियों के खाँसने, छींकने अथवा श्वसन क्रिया द्वारा साँस छोड़ने की क्रियाओं द्वारा वायु में रोगाणुओं की सान्द्रता बढ़ती जाती है।

इसी प्रकार रोगी व्यक्तियों के थूक व मल-मूत्र के उचित निस्तारण के अभाव में उनके रोगाणु वायु को दूषित करते हैं। यही दूषित वायु चेचक, छोटी माता, खसरा, तपेदिक (क्षय रोग), डिफ्थीरिया, काली खाँसी जैसे संक्रामक रोगों के प्रसार काकारण बनती है।

3. रोगवाहक कीटों के माध्यम से कुछ रोग विभिन्न कीटों के माध्यम से भी फैलते हैं, जैसे प्लेग का संक्रमण चूहों पर पाए जाने वाले पिस्सुओं के माध्यम से होता है। इसके अतिरिक्त मलेरिया, डेंगू, चिकनगुनिया, पीत ज्वर, फाइलेरिया एवं पागल कुत्ते तथा कुछ अन्य पशुओं द्वारा काटने के परिणास्वरूप होने वाला हाइड्रोफोबिया नामक रोग इसी श्रेणी में आता है। रोगाणुयुक्त कीटों अथवा अन्य जीवों के काटने पर, रोगाणु रक्त के माध्यम से हमारे शरीर में प्रवेश कर जाते हैं और मनुष्य रोगग्रस्त हो जाता है।

4. चोट अथवा घावे के माध्यम से शरीर के किसी भी भाग में चोट लगने पर जब घाव बन जाता है, तब धूल, मिट्टी आदि में उपस्थित रोगाणु, घाव के माध्यम से हमारे शरीर में प्रवेश कर जाते हैं। टिटनेस इस प्रकार होने वाला प्रमुख रोग है।

5. प्रत्यक्ष सम्पर्क के माध्यम से कुछ रोग संक्रमित व्यक्तियों के प्रत्यक्ष सम्पर्क में आने से भी होते हैं। छूने अथवा स्पर्श के माध्यम से फैलने वाले मुख्य रोग हैं-दाद, खाज, खुजली तथा कुष्ठ रोग आदि।

6. यौन सम्बन्धों के माध्यम से लैंगिक क्रिया या यौन सम्बन्धों के द्वारा एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में कई प्रकार के रोग फैलते हैं। सूजाक (Gonorrhoea), सिफिलिस, एड्स (AIDS), इसी प्रकार के यौन संचारित रोगों के उदाहरण हैं।

संक्रामक रोगों की रोकथाम के सामान्य उपाय
संक्रामक रोगों की रोकथाम के कुछ सामान्य उपाय निम्नलिखित हैं।

  1. स्वास्थ्य विभाग को सूचित करना।
  2. रोगग्रस्त व्यक्ति को अलग करना।
  3. रोग-प्रतिरक्षा के उपाय करना; जैसे-टीकाकरण।
  4. रोगवाहकों पर नियन्त्रण करना।
  5. रोगाणुनाशन के उपाय करना

प्रश्न 2.
नि:संक्रमण का क्या आशय है? निःसंक्रमण की भौतिक विधियों का सविस्तार वर्णन कीजिए।(2010)
अथवा
नि:संक्रमण से आप क्या समझते हैं? नि:संक्रमण की प्राकृतिक विधि लिखिए।(2014)
अथवा
निःसंक्रमण से आप क्या समझते हैं? उदाहरण सहित समझाइए। (2007)
अथवा
टिप्पणी लिखिए–भौतिक निःसंक्रमण। (2013)
उत्तर:
निःसंक्रमण का अर्थ
संक्रामक रोगों का कारण विभिन्न प्रकार के रोगाणु होते हैं। इन रोगाणुओं द्वारा रोग के प्रसार की प्रक्रिया ‘संक्रामकता’ कहलाती है। रोगों के उद्भवन एवं प्रसार को रोकने का सर्वोत्तम उपाय-सम्बन्धी रोगाणुओं को नष्ट करना तथा इन्हें बढ़ने से रोकना है। रोगाणुओं को नष्ट करने की प्रक्रिया को ही नि:संक्रमण (Disinfection) कहा जाता है। नि:संक्रमण की इस प्रक्रिया में प्रयुक्त पदार्थ नि:संक्रामक पदार्थ’ कहलाते हैं।
निःसंक्रमण की विधियाँ
नि:संक्रमण के लिए सामान्यतः तीन विधियों-भौतिक, प्राकृतिक एवं रासायनिक का प्रयोग किया जाता है। इन विधियों का सामान्य विवरण निम्नलिखित है।

भौतिक नि:संक्रमण

  • जलाना
  • वाष्प या भाप द्वारा
  • सूखी गर्म हवा द्वारा
  • उबालना

1. भौतिक निःसंक्रमण
इसके अन्तर्गत भौतिक उपायों द्वारा वस्तुओं को रोगाणुमुक्त किया जाता है। नि:संक्रमण हेतु निम्नलिखित चार भौतिक विधियों का प्रयोग किया जाता है।
(i) जलाना व्यर्थ एवं अनुपयोगी संक्रमित वस्तुओं को आग में जलाना श्रेयस्कर होता है। इस क्रिया से कीटाणुओं का पूर्ण नाश सम्भव होता है। यद्यपि इसके अन्तर्गत सभी संक्रमित वस्तुओं को जलाना सम्भव नहीं होता है कारण कि कुछ वस्तुओं को जलाने से हानिकारक गैसों का उत्सर्जन होता है, जो स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव डालता है।

(ii) वाष्प या भाप द्वारा वाष्प द्वारा। नि:संक्रमण भी एक उत्तम विधि है।  इससे वस्त्रों एवं अन्य वस्तुओं को नि:संक्रमित किया जा सकता है। इससे  कुछ ही समय में कीटाणु मर जाते हैं। यह विधि अस्पतालों में प्रयोग में लाई जाती है।

(iii) सूखी गर्म हवा द्वारा यह विधि अत्यधिक प्रभावी नहीं है। अतः यह कम प्रयोग में लाई जाती है यद्यपि चमड़े, शीशे, प्लास्टिक के बर्तन तथा रबड़ की वस्तुओं आदि के नि:संक्रमण में इसका उपयोग किया जाता है, क्योंकि ये वस्तुएँ अन्य प्रकार से नि:संक्रमित नहीं की जा सकती।

(iv) उबालना जिन संक्रमित वस्तुओं को नष्ट करना सम्भव नहीं है, उन्हें खौलते हुए पानी में (100° C पर) 20 से 30 मिनट तक उबालकर कीटाणुमुक्त किया जा सकता है। यदि उबलते जल में 2% सोडियम कार्बोनेट मिला दिया जाए, तो इसकी कीटाणुनाशक क्षमता और अधिक बढ़ जाती है। उबलते हुए जल में धातु के बर्तन भी नि:संक्रमित किए जा सकते हैं।

2. प्राकृतिक निःसंक्रमण
प्राकृतिक रूप से हमारे चारों ओर अनेक नि:संक्रामक कारक मौजूद रहते हैं। उदाहरणत: सूर्य से उत्सर्जित होने वाली पराबैंगनी किरणें बहुत ही सक्रिय कीटाणुनाशक हैं। जल शुद्धि में इनका उपयोग सर्वविदित है। सूर्य के प्रकाश की किरणों की गर्मी से भी अनेक रोगाणु मर जाते हैं। अत: वस्तुओं को समय समय पर धूप दिखाना आवश्यक है। इसी प्रकार शुद्ध वायु का अन्तर्ग्रहण भी शरीर के लिए लाभदायक है, क्योंकि ऑक्सीजन जीवाणुओं को नष्ट करने में सहायक होती है।

प्रश्न 3.
रासायनिक निःसंक्रमण किसे कहते हैं? रासायनिक । विसंक्रामक के नाम लिखिए।(2014)
उत्तर:
रासायनिक निःसंक्रमण
जब नि:संक्रमण की प्रक्रिया रासायनिक पदार्थों के माध्यम से सम्पन्न होती है, तो इसे रासायनिक नि:संक्रमण की संज्ञा दी जाती है। रासायनिक नि:संक्रामकों को अवस्था के आधार पर तीन वर्गों में विभक्त किया जा सकता है-तरल, गैसीय एवं ठोस नि:संक्रामक। इन तीनों प्रकार के नि:संक्रामकों के उदाहरण निम्नवत् हैं।

रासायनिक नि:संक्रमण

  • तरल रासायनिक नि:संक्राम
  • गैसीय रासायनिक नि:संक्रामक
  • ठोस रासायनिक निःसंक्रामक

1. तरल रासायनिक निःसंक्रामक तरल रासायनिक नि:संक्रामकों का प्रयोग सामान्यत: पानी में घोल बनाकर किया जाता है। इस वर्ग के मुख्य नि:संक्रामक निम्न हैं।

  • फिनॉयल यह कार्बोलिक अम्ल से  बनाया जाता है यद्यपि .  उससे अधिक प्रभावी  होता है। फिनॉयल मिश्रित जल के दूधिया घोल का प्रयोग, घर को कीटाणुमुक्त करने में किया जाता है। स्नानघर व शौचालय की सफाई में भी उपयोगी है।
  • कार्बोलिक एसिड यह कोलतार से निकलता है। सान्द्र कार्बोलिक एसिड त्वचा को जलाने वाला होता है। इसके घोल का प्रयोग वस्त्र आदि को नि:संक्रमित करने में किया जाता है।
  • फार्मेलिन यह एक तीव्र गन्ध वाला नि:संक्रामक है। यह आँखों में लगता है। इसका घोल शौचालय के कीटाणुओं को मारने में सहायक होता है। उपरोक्त के अतिरिक्त लाइजॉल एवं आइजॉल अन्य तरल नि:संक्रामक पदार्थ हैं। इनका इस्तेमाल कपड़ों आदि को रोगाणुमुक्त करने में किया जाता है।

2. गैसीय रासायनिक निःसंक्रामक सल्फर डाइऑक्साइड एवं क्लोरीन गैस प्रमुख रासायनिक नि:संक्रामक है। गन्धक को जलाने से बनने वाली सल्फर डाई-ऑक्साइड गैस से, कमरे की वायु को रोगाणुमुक्त किया जा सकता है। इसी प्रकार क्लोरीन जल तथा वायु को नि:संक्रमित करने में सक्षम है। नगरों में जल आपूर्ति विभाग द्वारा जल शुद्धि में इसका प्रयोग सामान्य है।

3. ठोस रासायनिक निःसंक्रामक ठोस रासायनिक नि:संक्रमिकों में प्रमुख है।

  • चूना यह जीवाणुओं को नष्ट करने वाला एक सस्ता रसायन है। दीवारों पर चूने की सफेदी का प्रयोग कीटाणुओं को नष्ट करने में सहायक है। फर्श, नाली तथा शौच आदि के स्थान पर चूने का छिड़काव उपयोगी होता है। घर के दरवाजे के सामने थोड़ी दूरी तक चूना बिछा देने से प्लेग के वाहक पिस्सू मकान में प्रवेश नहीं कर पाते।
  • ब्लीचिंग पाउडर यह पाउडरे, जल को रोगाणुमुक्त करने में सहायक होता है। इस पाउडर से क्लोरीन गैस निकलती है।
  • पोटैशियम परमैंगनेट यह नि:संक्रामक लाल दवा के नाम से जाना जाता है। ग्रामीण क्षेत्रों में कुओं एवं तालाबों के जल को कीटाणुरहित करने के लिए इसका प्रयोग किया जाता है। फलों, सब्जियों एवं बर्तनों आदि को रोगाणुमुक्त करने में इसका घोल सहायक है।
  • कॉपर सल्फेट यह एक तीव्र कीटाणुनाशक पदार्थ है। इसे तूतिया या नीला थोथा भी कहा जाता है।

प्रश्न 4.
क्षय रोग के लक्षण व उपचार पर टिप्पणी लिखिए। (2018)
अथवा
क्षय रोग के फैलने के कारण, लक्षण, बचाव के उपाय तथा उपचार का वर्णन कीजिए। (2012, 14)
अथवा
वायु द्वारा कौन कौन-से रोग फैलते हैं? किसी एक रोग के लक्षण तथा रोकथाम के उपाय लिखिए। (2007, 11, 13)
उत्तर:
कुछ संक्रामक रोगों के रोगाणु वायु में व्याप्त रहते हैं तथा स्वस्थ व्यक्तियों के शरीर में श्वसन क्रिया द्वारा प्रवेश करते हैं। वायु के माध्यम से फैलने वाले मुख्य रोग हैं-क्षय रोग या तपेदिक, चेचक, खसरा, काली खाँसी, डिफ्थीरिया तथा इन्फ्लू एंजा आदि।

क्षय रोग (तपेदिक)
यह एक संक्रामक रोग है, जो माइक्रोबैसीलस ट्यूबरकुलोसिस नामक जीवाणु से होता है। इस रोग को ‘यक्ष्मा’ या ‘काक रोग’ भी कहते हैं। यह रोग शरीर के विभिन्न अंगों; जैसे-लसीका ग्रन्थियों, आँत, अस्थियों में प्रकट हो सकता है। यद्यपि इसके सर्वाधिक रोगी फेफड़ों के क्षय से पीड़ित होते हैं।
कारण
इस रोग के फैलने के सम्भावित कारण निम्नलिखित हैं।

  1. यदि रहने के स्थान पर शुद्ध वायु का अभाव हो एवं समुचित संवातन व्यवस्था न हो।
  2. पर्याप्त पौष्टिक भोजन उपलब्ध न हो।
  3. शारीरिक एवं मानसिक दुर्बलता के कारण प्रतिरोधक क्षमता का क्षीण होजाना।
  4. स्वस्थ व्यक्ति को रोगी के संसर्ग में होना। उल्लेखनीय है कि इस रोग केजीवाणु मुँह से थूकते समय या चूमने से प्रसारित होते हैं।
  5. रोगी द्वारा प्रयुक्त संक्रमित वस्तु का स्वस्थ मनुष्य द्वारा प्रयोग किया जाना।
  6. क्षमता से अधिक कार्य किया जाना।

लक्षण
क्षय रोग के प्रमुख लक्षण निम्नलिखित हैं।

  1. रोग के शुरुआत में ही थकान एवं कमजोरी का अनुभव होने लगता है। साँस जल्दी-जल्दी फूलने लगती है।
  2. हर समय हल्का-हल्का ज्वर रहने लगता है। रात को पसीना आता है।
  3. रोगी को बार-बार जुकाम व खाँसी होती रहती है। खाँसी में कफ (बलगम) | निकलता है। धीरे-धीरे बलगम के साथ रक्त भी आने लगता है।
  4. भूख लगनी बन्द हो जाती है। कमजोरी के कारण व्यक्ति की कार्यक्षमता घट जाती है।
  5. शरीर में खून की कमी से त्वचा पीली पड़ जाती है।
  6. फेफड़ों के प्रभावित होने की स्थिति में, छाती में दर्द रहने लगता है।

बचाव के उपाय
क्षय रोग से बचाव के प्रमुख उपाय निम्नलिखित हैं।

  1. बच्चों को बी.सी.जी. (बैसिलस कैलमिटि ग्यूरीन) का टीका अवश्य लगाना चाहिए।
  2. व्यक्ति को नियमित रूप से व्यायाम करा चाहिए।
  3. प्रातः काल टहलना लाभप्रद है, इससे शुद्ध वायु फेफड़ों में प्रवेश करती है।
  4. व्यक्ति को नियमित रूप से शुद्ध जल एवं पौष्टिक आहार लेना चाहिए।
  5. इधर-उधर थूकने की जगह केवल थूकदान का प्रयोग करना चाहिए।
  6. घर, आस-पड़ोस एवं मौहल्ले में सार्वजनिक स्वच्छता के प्रति जागरुकता रहनी चाहिए।
  7. टी. बी. के रोगी के सम्पर्क में आने से बचना चाहिए। रोगी के थूक, वस्त्र, बर्तन, बिस्तर आदि से अलग रहना चाहिए।
  8. रोगी को टी. बी. के अस्पताल में भर्ती करा देना चाहिए।

उपचार
क्षय रोग के उपचार के प्रमुख बिन्दु हैं

  1. रोगी को शुद्ध वायु, जल एवं पौष्टिक आहार की उपलब्धता अत्यन्त आवश्यक है।
  2. चिकित्सक की सलाह से रोगी को ‘डॉट’ (DOTS) प्रणाली के अधीन स्वीकृत दवाओं का सेवन करना चाहिए। इस रोग के उपचार हेतु दवाओं का नियमित सेवन अत्यन्त आवश्यक है, अन्यथा रोग का जीवाणु दवाओं के विरुद्ध प्रतिरोधक क्षमता विकसित कर सकता है। ऐसी स्थिति में टी. बी. को इलाज मुश्किल हो जाता है।
  3. गरम जलवायु क्षय रोग के रोगी के लिए ठीक नहीं होती। अतः रोगी को सम जलवायु में रखना चाहिए।

प्रश्न 5.
टायफाइड रोग के कारण, लक्षण एवं रोकथाम के विषय में लिखिए। (2005, 09, 11)
अथवा
जल द्वारा फैलने वाले कौन कौन-से रोग हैं? उनमें से किसी एक रोग के कारण, लक्षण एवं बचने के उपाय लिखिए। (2014)
उत्तर:
टायफाइड (मोतीझरा)
जल के माध्यम से फैलने वाले मुख्य रोग हैं-टायफाइड, हैजा, अतिसार, पेचिश, पीलिया आदि। टायफाइड रोगी को एक निश्चित अवधि तक बुखार अवश्य रहता है, इसलिए इसे मियादी बुखार भी कहा जाता है।
कारण
यह रोग, मनुष्य की आन्त्र (छोटी आँत) में मिलने वाले साल्मोनेला टाइफी नामक जीवाणु से होता है। यह जीवाणु जल तथा भोजन के माध्यम से हमारे शरीर में प्रवेश करता है। घरेलू मक्खी के मल पर बैठने से रोगाणु उनके साथ चिपक कर हमारे खाद्य पदार्थों तक पहुँच जाते हैं, जिसे खाने से रोग का संक्रमण हो जाता है। टायफाइड रोग की उद्भवन अवधि 4 से 10 दिन तक होती है।

लक्षण
व्यक्ति के शरीर में जीवाणु के सक्रिय होते ही रोग के लक्षण प्रकट होने लगते हैं। इस रोग के प्रमुख लक्षण निम्नलिखित हैं।

  1. सिरदर्द तथा बुखार, जो दोपहर बाद अपने चरम पर होता है। संक्रमण के प्रथम सप्ताह के प्रत्येक दिन शारीरिक ताप (ज्वर) में वृद्धि होती जाती है।
  2. दूसरे सप्ताह में तेज ज्वर होता है, जो धीरे-धीरे तीसरे तथा चौथे सप्ताह में कम होता है।
  3. कुछ टायफाइड रोगियों के शरीर पर छोटे-छोटे सफेद रंग के मोती जैसे दाने भी निकल जाते हैं, इसलिए इस रोग को मोतीझरा भी कहते हैं।
  4. इस रोग से आँतें भी प्रभावित होती हैं। आँतों में सूजन तथा घाव हो जाते हैं।

बचाव के उपाय
इस रोग के रोकथाम के प्रमुख उपाय निम्नलिखित हैं

  1. TAB-टीकाकरण से प्रतिरक्षण का प्रभाव तीन वर्षों तक रहता है। अतः समय-समय पर टीका लगवाते रहना चाहिए।
  2. व्यक्तिगत स्वच्छता का विशेष ध्यान रखना चाहिए। कुछ भी खाने से पूर्व हाथों को अवश्य धोना चाहिए।
  3. टायफाइड के रोगी को अन्य व्यक्तियों से अलग रखना चाहिए, जिससे संक्रमण का प्रसार न हो। रोगी के बर्तन, बिस्तर तथा कपड़ों आदि को अलग ही रखना चाहिए तथा रोगी के ठीक होने पर उन्हें भली-भाँति नि:संक्रमित किया जाना चाहिए।
  4. रोगी के मल-मूत्र को खुले में नहीं छोड़ना चाहिए। मल विसर्जन व्यवस्था समुचित होनी चाहिए।
  5. दूध को उबालकर पीना चाहिए तथा पेय जल की शुद्धता सुनिश्चित होनी चाहिए।

उपचार
मियादी बुखार का व्यवस्थित उपचार सम्भव है, इसके लिए समुचित चिकित्सकीय परामर्श लेना आवश्यक है। उपचार के दौरान निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना आवश्यक है।

  1. रोगी को पूर्ण विश्राम देना चाहिए।
  2. रोगी को उबला हुआ पानी एवं हल्का-सुपाच्य आहार प्राप्त हो।
  3. रोगी को फलों का रस दिया जाना चाहिए।
  4. चिकित्सक द्वारा दी गई औषधियों को नियमित रूप से लिया जाना चाहिए।

प्रश्न 6.
हैजा रोग के उद्गम, फैलने की विधि, लक्षण एवं उपचार लिखिए। (2006)
अथवा
हैजा रोग के कारण, लक्षण व बचने के उपाय लिखिए। (2008, 13, 18)
उत्तर:
हैजा
यह एक अति तीव्र संक्रामक रोग है, जो प्रायः भीड़-भाड़ वाले स्थानों; जैसे-मेलों, तीर्थस्थानों आदि में अथवा बाढ़ जैसी आपदा के उपरान्त फैलता है। कभी कभी तो यह महामारी का रूप लेकर बहुत बड़े जन-समुदाय में फैल जाता है।

कारण एवं प्रसार
विब्रिओकॉलेरी नामक जीवाणु इस रोग का कारक है। ये जीवाणु पानी में अधिक पनपते हैं तथा अधिक गर्मी व अधिक ठण्ड में जीवित नहीं रह पाते। इन जीवाणुओं को संवहन मुख्य रूप से मक्खियों द्वारा होता है। मक्खी के मल, वमन आदि पर बैठने से रोगाणु उनके साथ चिपककर हमारे भोज्य पदार्थों तक पहुँच जाते हैं। ऐसे भोजन को ग्रहण करने से रोग का संक्रमण होता है। स्पष्टतः स्वच्छता में कमी से यह रोग बहुत तेजी से फैलता है। इस रोग का उद्भवन काल बहुत कम होता है। संक्रमण के पश्चात् कुछ ही घण्टों में यह विकराल रूप धारण कर लेता है।
लक्षण
रोग के प्रमुखलक्षण निम्नलिखित हैं

  1. जलीय दस्त जो सामान्तया वेदनामुक्त होता है।
  2. हैजे के रोगी को वमन (उल्टी) होती रहती है।
  3. कुछ ही घण्टों में भारी मात्रा में तरल की हानि जिससे निर्जलीकरण, पेशीय | ऐंठन तथा भार में कमी हो जाती है।
  4. चेहरे की चमक खत्म हो जाती है तथा आँखें अन्दर धंस जाती हैं।
  5. शरीर में जल की कमी से नाड़ी की गति धीमी हो जाती है। समय पर उपचार | न मिलने से रोगी की मृत्यु भी हो सकती है।

बचाव के उपाय
हैजे से बचने के प्रमुख उपाय निम्नलिखित हैं।

  1. हैजे के टीके द्वारा प्रतिरक्षीकरण आवश्यक है, इसकी एक खुराक का प्रभाव लगभग छ: माह तक रहता है।
  2. हैजा प्रभावित क्षेत्रों में उबले हुए जल का प्रयोग महत्त्वपूर्ण है। इसके अतिरिक्त भोजन ठीक से पका हुआ एवं शुद्ध होना चाहिए। हैजे के प्रसार की स्थिति में, बाजार में उपलब्ध कटे हुए फल अथवा बिना ढकी मिठाइयों आदि का सेवन नहीं करना चाहिए।
  3. हैजा प्रभावित क्षेत्रों में तालाब, नदी तथा कुएँ के पानी को नि:संक्रमित किया जाना चाहिए।
  4. व्यक्तिगत एवं सार्वजनिक स्वच्छता के लिए विशेष प्रयास किए जाने चाहिए, | जो हैजा से बचाव के लिए आवश्यक है। रोगी के मल-मूत्र, वमन तथा थूक आदि के निस्तारण की समुचित व्यवस्था होनी चाहिए। स्वच्छता मक्खियों से बचाव का कारगर उपाय है।
  5. हैजे का प्रकोप बढ़ने पर भीड़-भाड़ वाले स्थानों में जाने से बचना चाहिए।
  6. जीवनरक्षक घोल (नमक, चीनी, ग्लूकोज, सोडियम बाइकार्बोनेट तथा पोटैशियम क्लोराइड का जलीय विलयन) का अविलम्ब प्रयोग करना चाहिए। इस विलयन को पीते रहने से निर्जलीकरण रुक जाता है।

उपचार
अनुभवी चिकित्सक की सलाह के साथ निम्नलिखित उपाय किए जा सकते हैं।

  1. प्रारम्भिक अवस्था में रोगी को प्याज का अर्क (रस) तथा अमृतधारा जैसी दवा दी जा सकती है।
  2. रोगी को पर्याप्त आराम मिलना चाहिए।
  3. निर्जलीकरण से बचने के उपाय करने चाहिए।
  4. रोगी को ठोस भोज्य पदार्थ नहीं देना चाहिए। थोड़ा आराम होने पर सन्तरे | का रस, जौ- का पानी तथा थोड़ा पानी मिलाकर गाय का दूध दिया जा सकता है।

प्रश्न 7.
मलेरिया रोग फैलने के कारण, लक्षण, बचने के उपाय एवं उपचार लिखिए।(2010)
अथवा
मलेरिया किस मच्छर से फैलता है? कोई चार लक्षण लिखिए। (2018)
अथवा
मलेरिया रोग के कारण, लक्षण व रोकथाम के उपाय लिखिए। (2016)
अथवा
टिप्पणी लिखिए-मलेरिया रोग के कारण व लक्षण। (2018)
उत्तर:
मलेरियो मलेरिया मच्छर द्वारा फैलने वाला संक्रामक रोग है। गर्म देशों (Tropical Countries) तथा नमी वाले क्षेत्रों में इसका प्रकोप अधिक होता है। कारण
मलेरिया का कारक प्लाज्मोडियम नामक परजीवी प्रोटोजोआ है। प्लाज्मोडियम की विभिन्न जातियाँ (वाइवैक्स, मेलिरिआई और फैल्सीपेरम) विभिन्न प्रकार के मलेरिया के लिए उत्तरदायी हैं। इनमें से प्लाज्मोडियम फैल्सीपेरम द्वारा होने वाला रोग सबसे गम्भीर है और यह घातक भी हो सकता है।

यह रोगवाहक मादा ऐनाफ्लीज मच्छर के काटने से होता है, जो मनुष्य का खून चूसती है। जब मादा ऐनाफ्लीज मच्छर किसी संक्रमित व्यक्ति को काटती है, तब परजीवी उसके शरीर में प्रवेश कर जाते हैं और आगे का परिवर्धन वहाँ होता है। ये परजीवी मच्छर में बहुसंख्यात्मक रूप से बढ़ते रहते हैं और जीवाणुज (स्पोरोजाइट्स) बन जाते हैं। जीवाणुज, परजीवी का संक्रामक रूप है।

जब मच्छर किसी स्वस्थ व्यक्ति को काटता है, तो जीवाणुज मच्छर की लार ग्रन्थियों से व्यक्ति के शरीर में प्रवेश कर जाता है। प्रारम्भ में परजीवी यकृत में अपनी संख्या बढ़ाते रहते हैं और फिर लाल रुधिर कणिकाओं पर आक्रमण करते हैं। विभिन्न जाति के परजीवी, मनुष्य के यकृत तथा रक्त में भिन्न-भिन्न जीवन चक्र चलाते हैं। ये चक्र 24, 48 तथा 72 घण्टों में समाप्त होते हैं। इन्हीं के अनुसार रोग भी कई रूपों में होता है।

लक्षण
जब परजीवी लाल रुधिर कणिकाओं पर आक्रमण करते हैं, तो लाल रक्त कणिकाओं के फटने के साथ ही एक टॉक्सिक पदार्थ हीमोजोइन निकलता है, जो ठिठुरन एवं प्रत्येक तीन से चार दिन के अन्तराल पर आने वाले तीव्र ज्वर के लिए उत्तरदायी होता है। सिरदर्द, मिचली, पेशीय वेदना तथा तीव्र ज्वर मलेरिया के प्रमुख लक्षण हैं। मलेरिया के प्रत्येक आक्रमण के तीन चरण होते हैं।
1. शीत चरण सर्दी तथा कपकपी महसूस होती है।
2. उष्ण चरण तीव्र ज्वर, हृदय की धड़कन तथा श्वास की गति में वृद्धि होती है।
3. स्वेदन चरण पसीना आता है तथा ताप ज्वर सामान्य स्तर तक कम हो जाता है। मलेरिया के प्रकोप से मुक्त होने के बाद व्यक्ति कमजोर हो जाता है रुधिर की कमी हो जाती है। यकृत तथा प्लीहा का बढ़ जाना मलेरिया के अन्य प्रभाव हैं।

बचाव अथवा रोकथाम के उपाय

मलेरिया मच्छर के काटने से संक्रमित व्यक्ति से स्वस्थ व्यक्ति तक फैलता है, इसलिए मच्छर के काटने से बचाव ही मलेरिया की रोकथाम का एकमात्र उपाय है। इसके लिए कुछ उपाय निम्नलिखित हैं।

  1. खिड़की व दरवाजों पर महीन जाली लगवाएँ, जिससे घरों में मच्छरों का प्रवेश रोका जा सके।
  2. मच्छर भगाने या मारने वाले रसायन का प्रयोग किया जा सकता है।
  3. मच्छरदानी में सोएँ।
  4. ठहरे हुए पानी पर मिट्टी के तेल का छिड़काव करना चाहिए, जिससे मच्छरों के लार्वा मर जाएँ अथवा लार्वाभक्षक मछली (उदाहरणतः गेम्बुसिया, ट्राउट, मिनोस) और बत्तख इत्यादि के प्रयोग से भी लार्वा नियन्त्रण किया जा सकता है।
  5. कीटनाशक दवाओं के छिड़काव से मच्छरों को मारना।
  6. मच्छरों के प्रजनन स्थानों को नष्ट करना।

उपचार
मलेरिया से पीड़ित व्यक्ति के उपचार के लिए कुनैन (सिनकोना वृक्ष की छाल से प्राप्त) नामक औषधि का प्रयोग किया जाता है। चिकित्सक की सलाह से कुछ अन्य औषधियाँ भी ली जा सकती हैं; जैसे-पैल्युड्रिना।
मलेरिया के रोगी को पूर्ण विश्राम एवं हल्का व सुपाच्य भोजन दिया जाना चाहिए।

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UP Board Class 7 Maths Model Paper गणित

UP Board Class 7 Maths Model Paper are part of UP Board Class 7 Model Papers. Here we have given UP Board Class 7 Maths Model Paper.

Board UP Board
Class Class 7
Subject Maths
Model Paper Paper 1
Category UP Board Model Papers

UP Board Class 7 Maths Model Paper गणित

सत्र परीक्षा प्रश्न-पत्र ।
कक्षा-7
विषय-गणित

अति लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
क्या सभी भिन्नै परिमेय संख्याएँ हैं?
हल:
हाँ, सभी भिन्ने परिमेय संख्याएँ हैं।

प्रश्न 2.
[latex]\frac { 4 } { 5 } + \left( \frac { – 2 } { 5 } \right)[/latex]को सरल कीजिए।
हल:
[latex]\frac { 4 }{ 5 } -\frac { 2 }{ 5 } =\frac { 4-2 }{ 5 } =\frac { 2 }{ 5 } [/latex]

प्रश्न 3.
[latex]\frac { -8 }{ 10 } [/latex]को सरलतम रूप में लिखिए।
हल:
[latex]\frac { -8 }{ 10 } =\frac { -8\div 2 }{ 10\div 2 } =\frac { -4 }{ 5 } [/latex]

प्रश्न 4.
4x × (-7x) का मान बताइए।
हल:
4x × (-7x)
= -4 × 7 × x × x = -28 [latex]{ x }^{ 2 }[/latex]

प्रश्न 5.
[latex]{ (x+5) }^{ 2 }[/latex] का मान बताइए।
हल:
[latex]{ (x+5) }^{ 2 }[/latex] = [latex]({ x) }^{ 2 }[/latex] +2 × x × 5 + [latex]{ (5 })^{ 2 }[/latex] = [latex]{ x }^{ 2 }[/latex] + 10x + 25

प्रश्न 6.
पावं चित्र में, ∠B समकोण है, भुजा CA की माप ज्ञात कीजिए।
हल:
UP Board Class 7 Maths Model Paper गणित 1

प्रश्न 7.
किसी त्रिभुज की माध्यिकाएँ कैसी होती हैं?
हल:
त्रिभुज की माध्यिकाएँ संगामी होती हैं।
UP Board Class 7 Maths Model Paper गणित 2

प्रश्न 8.
[latex]2 – \left( \frac { – 3 } { 4 } \right)[/latex] को सरल कीजिए।
हल:
[latex]2 – \left( \frac { – 3 } { 4 } \right) = 2 + \frac { 3 } { 4 } = \frac { 8 + 3 } { 4 } = \frac { 11 } { 4 } = 2 \frac { 3 } { 4 }[/latex]

प्रश्न 9.
(x + 4) (x – 4) का गुणनफल ज्ञात कीजिए।
हल:
[latex]( x + 4 ) ( x – 4 ) = x ^ { 2 } – 4 ^ { 2 } = x ^ { 2 } – 16[/latex]

प्रश्न 10.
पाइथागोरस प्रमेय क्या है?
हल:
किसी समकोण त्रिभुज में कर्ण पर बने वर्ग का क्षेत्रफल शेष दोनों भुजाओं पर बने वर्गों के क्षेत्रफल के योगफल के बराबर होता है।

प्रश्न 11.
[latex]\left( – \frac { 1 } { 8 } \right) \div \frac { 3 } { 4 }[/latex] को हल कीजिए।
हल:
[latex]- \frac { 1 } { 8 } \times \frac { 4 } { 3 } = – \frac { 1 } { 2 } \times \frac { 1 } { 3 } = – \frac { 1 } { 6 }[/latex]

प्रश्न 12.
5 × 2x का गुणनफल बताइए।
हल:
5 × 2x = 10x

प्रश्न 13.
[latex]\left( \frac { – 2 } { 3 } \right) \frac { – 5 } { 3 }[/latex] को हल कीजिए।
हल:
[latex]\left( \frac { – 2 } { 3 } \right) \frac { – 5 } { 3 } = \frac { – 2 } { 3 } \times \frac { – 5 } { 3 } = \frac { 10 } { 9 } = 1 \frac { 1 } { 9 }[/latex]

प्रश्न 14.
[latex]3 x ^ { 2 } y \times 7 x y ^ { 2 }[/latex] का गुणनफल ज्ञात कीजिए।
हल:
[latex]3 x ^ { 2 } y \times 7 x y ^ { 2 } = 21 x ^ { 3 } y ^ { 3 }[/latex]

प्रश्न 15.
न्यूनकोण त्रिभुज का परिकेन्द्र त्रिभुज के————में स्थित होता है। वाक्य पर्ण कीजिए।
हल:
न्यूनकोण त्रिभुज का परिकेन्द्र त्रिभुज के अन्तःक्षेत्र में स्थित होता है।

प्रश्न 16.
[latex]( x – 7 ) ^ { 2 }[/latex] का मान ज्ञात कीजिए।
हल:
[latex]( x – 7 ) ^ { 2 } = ( x ) ^ { 2 } – 2 \times x \times 7 + ( 7 ) ^ { 2 } = x ^ { 2 } – 14 x + 49[/latex]

प्रश्न 17.
समकोण त्रिभुज की सबसे बड़ी भुजा को क्या कहते हैं?
हल:
समकोण त्रिभुज की सबसे बड़ी भुजा को कर्ण कहते हैं।

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 18.
[latex]\left( \frac { – 5 } { 6 } \right) + \frac { 17 } { 10 } + \left( \frac { 7 } { – 12 } \right)[/latex] का मान ज्ञात कीजिए
हल:
UP Board Class 7 Maths Model Paper गणित 3

प्रश्न 19.
दो परिमेय संख्याओं का गुणनफल [latex]\left( \frac { – 5 } { 6 } \right)[/latex] है यदि इनमें से एक संख्या [latex]\left( \frac { – 7 } { 12 } \right)[/latex] है दूसरी संख्या ज्ञात कीजिए।
हल:
UP Board Class 7 Maths Model Paper गणित 4

प्रश्न 20.
[latex]\left( 5 x ^ { 2 } – 6 x + 9 \right)[/latex] में [latex]( 2 x – 3 )[/latex] से गुणा कीजिए।
हल:
UP Board Class 7 Maths Model Paper गणित 5

प्रश्न 21.
एक आयताकार मैदान की लम्बाई (2x + 1) मी तथा चौड़ाई (2x-1) मी है तो आयत का क्षेत्रफल ज्ञात कीजिए।
हल:
आयताकार मैदान की लम्बाई = (2x + 1) मी
आयताकार मैदान की चौड़ाई = (2x- 1) मी
आयताकार मैदान का क्षेत्रफल = लं. ४ चौ.
= (2x + 1) (2x-1)
= [latex]( 2 x ) ^ { 2 } – ( 1 ) ^ { 2 }[/latex] मी²
= [latex]\left( 4 x ^ { 2 } – 1 \right)[/latex] मी²

प्रश्न 22.
एक समकोण त्रिभुज ABC खींचिए, जिसमें ∠c समकोण हो। AB का बिन्दू O ज्ञात कीजिए। केन्द्र O और त्रिज्या OA वाला एक वृत्त खींचिए। क्या यह C से होकर जाता है? AABC के सन्दर्भ
में, बिन्दु O को क्या कहते हैं?
हल:
हाँ, केन्द्र O और त्रिज्या OA वाला वृत्त C से होकर जाता है। Δ ABC के सन्दर्भ में, बिन्दु O को परिकेन्द्र कहते हैं।
UP Board Class 7 Maths Model Paper गणित 6

प्रश्न 23.
[latex]\frac { 2 } { 5 } , \frac { 4 } { 7 } , \frac { 5 } { 9 } , \frac { 1 } { 6 }[/latex] को अवरोही क्रम में लिखिए।
हल:
UP Board Class 7 Maths Model Paper गणित 7
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 24.
10 मीटर लम्बी सीढ़ी एक दीवार से 8 मीटर दूरी पर लगाई गई है। इस दीवार पर सीढी कितनी ऊँचाई तक पहुँचेगी?
हल:
मान लीजिए कि सीढी दीवार पर h मी ऊँचाई तक पहुँची।
पाइथागोरस प्रमेय से,
UP Board Class 7 Maths Model Paper गणित 8
UP Board Class 7 Maths Model Paper गणित 9

प्रश्न 25.
एक रेलगाड़ी की चाल [latex]\left( 2 x ^ { 2 } + x + 4 \right)[/latex] किमी प्रति घण्टा है। ज्ञात कीजिए :
हल:
UP Board Class 7 Maths Model Paper गणित 10

प्रश्न 26.
5 सेमी का एक रेखाखण्ड MN खींचिए। रेखाखण्ड MN पर एक बिन्दु P लेकर, बिन्दु P से रेखाखण्ड MN पर एक लम्ब डालिए।
हल:
रचना – सर्वप्रथम MN एक रेखाखण्ड
खींचा, उस एक बिन्दु P लिया।
UP Board Class 7 Maths Model Paper गणित 11
बिन्दु Pसे एक चाप लगाया जो रेखाखण्ड MN को Rs बिन्दुओं पर काटता है। Rसे RP से बड़ी त्रिज्या लेकर चाप लगाया।S से उसी त्रिज्या का दूसरा चाप लगाया। दोनों चाप बिन्दु पर काटते हैं। बिन्दु L तथा Pको दोनों ओर बढ़ाया। अत: LP रेखा MN पर लम्ब है।

प्रश्न 27.
एक त्रिभुज के अन्तः कोण क्रमशः 3x°, (2x + 20)° तथा (5x-40)° हैं। सिद्ध कीजिए कि यह एक समबाहु त्रिभुज है।
हुल:
त्रिभुज के तीनों कोणों का योग 180° होता है।
UP Board Class 7 Maths Model Paper गणित 12

प्रश्न 28.
[latex]\frac { 3 } { 7 } – \frac { 8 } { 7 }[/latex] को संख्या रेखा की सहायता से सरल करके परिमेय संख्या ज्ञात कीजिए।
हुल:
UP Board Class 7 Maths Model Paper गणित 13

अर्धवार्षिक परीक्षा प्रश्न-पत्र
कक्षा-7
विषय-गणित

अति लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
[latex]2 ^ { 3 } \times 2 ^ { 2 }[/latex] को सरल कीजिए।
हल:
[latex]2 ^ { 3 } \times 2 ^ { 2 } = 2 ^ { 3 + 2 } = 2 ^ { 5 } = 2 \times 2 \times 2 \times 2 \times 2 = 32[/latex]

प्रश्न 2.
[latex]\frac { -4 }{ 9 } [/latex]  को किस संख्या से गुणा करें कि गुणनफल (-1) प्राप्त हो जाए?
हल:
माना संख्या = x
[latex]\therefore \quad \left( \frac { – 4 } { 9 } \right) \times x = ( – 1 ) \Rightarrow x = ( – 1 ) \times \frac { 9 } { – 4 } = \frac { 9 } { 4 } = 2 \frac { 1 } { 4 }[/latex]

प्रश्न 3.
[latex]\frac { – 5 } { 4 }[/latex] को दशमलव रूप में बदलिए।
हल:
[latex]\frac { – 5 } { 4 } = \frac { – 5 \times 25 } { 4 \times 25 } = \frac { – 125 } { 100 } = – 1.25[/latex]

प्रश्न 4.
0.0001 को 0.01 पर घात के रूप में लिखिए।
हल:
0.0001 = 0.01 x 0.01
= [latex]( 0.01 ) ^ { 2 }[/latex]

प्रश्न 5.
[latex]2.5 \times 10 ^ { 4 }[/latex] को साधारण संख्या के रूप में लिखिए।
हल:
[latex]2.5 \times 10 ^ { 4 } = 2.5 \times 10000 = 25000[/latex]

प्रश्न 6.
[latex]3 ^ { 4 } \times 3 ^ { 5 } \times 3 ^ { – 9 }[/latex] का मान ज्ञात कीजिए।
हुल:
[latex]3 ^ { 4 } \times 3 ^ { 5 } \times 3 ^ { – 9 } = 3 ^ { 4 + 5 – 9 } = 3 ^ { 9 – 9 } = 3 ^ { \circ } = 1[/latex]

प्रश्न 7.
वर्ग के विकर्ण …………. पर समद्विभाजित करते हैं। वाक्य पूर्ण कीजिए।
हल:
वर्ग के विकर्ण समकोण पर समद्विभाजित करते हैं।

प्रश्न 8.
संख्या 0.000045 रूप में लिखिए।
हल:
0.000045 = [latex]\frac { 4.5 } { 100000 } = \frac { 4.5 } { 10 ^ { 5 } } = 4.5 \times 10 ^ { – 5 }[/latex]

प्रश्न 9.
3125 का घातीय संकेतन क्या हैं?
हल:
3125 = 5 × 5 × 5 × 5 × 5 = [latex]5 ^ { 5 }[/latex]

प्रश्न 10.
42500000 को वैज्ञानिक संकेतन के रूप में लिखिए।
हल:
42500000 = [latex]4.25 \times 10 ^ { 7 }[/latex]

प्रश्न 11.
आयते के विकर्ण ………… होते हैं। वाक्य पूर्ण कीजिए।
हल:
आयत के विकर्ण बराबर होते हैं।

प्रश्न 12.
किसी वृत्त में यदि उसके किसी लघुचाप का अंशमाप 70° है, तो उसके दीर्घचाप को अंशमाप कितना होगा?
हल:
लघुचाप का अंशमाप = 70° दीर्घचाप का अंशमाप = 360° -70° = 290°

प्रश्न 13.
पाश्र्व चित्र में, 9 वृत्त का केन्द्र है। चाप A×B की अंशमाप बताइए।
हल:
∠APB = 35°
चाप A×B का अंशमाप =∠AOB = 2∠APB = 2 × 35° = 70°
UP Board Class 7 Maths Model Paper गणित 14

प्रश्न 14.
[latex]( – 4 ) ^ { – 4 }[/latex] किस संख्या का गुणात्मक प्रतिलोम है?
हल:
[latex]( – 4 ) ^ { – 4 }[/latex] का गुणात्मक प्रतिलोम = [latex]\frac { 1 } { ( – 4 ) ^ { – 4 } } = ( – 4 ) ^ { 4 } = ( 4 ) ^ { 4 }[/latex]

प्रश्न 15.
व्यंजक 3ab + 2ac + 3ad का गुणनखण्ड कीजिए।
हल:
3ab + 2ac + 3ad = a (3b + 2c + 3d)

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 16.
[latex]\left\{ ( 4 \times 5 ) ^ { – 2 } \div \left( \frac { 1 } { 10 } \right) ^ { 2 } \right\} + \frac { 3 } { 4 }[/latex]को सरल कीजिए।
हल:
UP Board Class 7 Maths Model Paper गणित 15

प्रश्न 17.
[latex]a b ^ { 2 } – ( a – c ) b – c[/latex] का गुणनखण्ड ज्ञात कीजिए।
हल:
[latex]a b ^ { 2 } – ( a – c ) b – c[/latex]
= [latex]a b ^ { 2 } – a b + b c – c = a b ( b – 1 ) + c ( b – 1 ) = ( a b + c ) ( b – 1 )[/latex]

प्रश्न 18.
किसी चतुर्भुज के अन्तः कोण बराबर हैं। प्रत्येक कोण का मान ज्ञात कीजिए।
हल:
माना चतुर्भुज का प्रत्येक कोण = x°
प्रश्नानुसार, [latex]x ^ { \circ } + x ^ { \circ } + x ^ { \circ } + x ^ { \circ } = 360 ^ { \circ }[/latex]
⇒ [latex]4 x ^ { \circ } = 360 ^ { \circ }[/latex]
⇒ [latex]x ^ { \circ } = \frac { 360 } { 4 } = 90 ^ { \circ }[/latex]
अतः प्रत्येक कोण का मान 90° है।

प्रश्न 19.
उस समान्तर चतुर्भुज का क्षेत्रफल ज्ञात कीजिए, जिसका आधार 7 सेमी तथा ऊँचाई 4.3 सेमी हो।
हुल:
समान्तर चतुर्भुज का क्षेत्रफल
= आधार × ऊँचाई = 7 ×4.3 वर्ग सेमी = 30.1 वर्ग सेमी

प्रश्न 20.
एक हॉल की लंबाई 11 मीटर, चौड़ाई 8 मीटर तथा ऊँचाई 5 मीटर है। हाल की चारों दीवारों का क्षेत्रफल ज्ञात कीजिए।
हल:
हॉल की लंबाई (l) = 11 मीटर, चौड़ाई (b) = 8 मीटर तथा ऊँचाई (1) = 5 मीटर
चारों दीवारों का क्षेत्रफल = 2(लंबाई + चौड़ाई) × ऊँचाई
= 2(11 + 8)×5 मी²
= 10 × 19 मी = 190 मी²

प्रश्न 21.
[latex]2 ^ { 38 } \times 5 ^ { 32 }[/latex] का मान ज्ञात कीजिए तथा बताइए इसमें कुल कितने अंक हैं।
हल:
[latex]2 ^ { 38 } \times 5 ^ { 32 } = 2 ^ { 6 } \times 2 ^ { 32 } \times 5 ^ { 32 } = 2 ^ { 6 } \times ( 2 \times 5 ) ^ { 32 }[/latex]
= [latex]64 \times 10 ^ { 32 } = 64 \times 10 ^ { 32 } \times \frac { 10 } { 10 }[/latex]
=[latex]6.4 \times 10 ^ { 33 }[/latex]
अतः कुल अंक 1 + 33 = 34

प्रश्न 22
एक इलेक्ट्रॉन का द्रव्यमान [latex]9.107 \times 10 ^ { – 28 }[/latex] ग्राम है इसे साधारण वशमलव भिन्न में बदलने पर दशमलव बिन्तु (.) तथा अंक 9 के बीच कितने शुन्य होंगे?
हल:
[latex]9.107 \times 10 ^ { – 28 } = .9107 \times 10 ^ { – 2341 } = 0.9107 \times 10 ^ { – 27 }[/latex]
अतः दशमलव बिन्दु तथा 9 के बीच 27 शून्य होंगे।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 23.
[latex]a ^ { 3 } – b ^ { 3 }[/latex] का गुणनखंड ज्ञात कीजिए।
हल:
UP Board Class 7 Maths Model Paper गणित 16

प्रश्न 24.
[latex]\left( \frac { 3 } { 4 } \right) ^ { 2 } \times \left( \frac { 3 } { 4 } \right) ^ { 10 } \div \left( \frac { 3 } { 4 } \right) ^ { 8 }[/latex] का मान ज्ञात कीजिए।
हल:
UP Board Class 7 Maths Model Paper गणित 17

प्रश्न 25.
x (y-z) + y (z-४) + z (x-y) को सरल कीजिए।
हल:
x (y-2) + y (z-x) + z (x – y)
= xy – xz + yz -yx + zx-zy
= xy-xz + yz-xy+xz-yz
= xy xy ty2-yz-xz + xz
= 0

प्रश्न 26.
पावं चित्र में, o वृत्त का केन्द्र है। ∠OBC = 40°, तो ∠BAC का मान ज्ञात कीजिए।
हल:
UP Board Class 7 Maths Model Paper गणित 18
UP Board Class 7 Maths Model Paper गणित 19

प्रश्न 27.
[latex]3 x ^ { 2 } – b x ^ { 2 } + b y ^ { 2 } – 3 y ^ { 2 }[/latex] का गुणनखंड कीजिए।
हल:
UP Board Class 7 Maths Model Paper गणित 20

प्रश्न 28.
एक समद्विबाहु त्रिभुज ABC का शीर्ष कोण 40° है। त्रिभुज की भुजा AB और AC के मध्य बिन्दु क्रमशः M और N हैं। बिन्दुओं M और N को मिलाइए। इस प्रकार बने चतुर्भुज BMNC के अन्त:कोण BMN तथा कोण CNM का योग ज्ञात कीजिए। इनका अलग-अलग मान भी ज्ञात कीजिए।
हल:
समद्विबाहु त्रिभुज ABC में,
UP Board Class 7 Maths Model Paper गणित 21

प्रश्न 29.
[latex]a b \left( c ^ { 2 } + d ^ { 2 } \right) – a ^ { 2 } c d – b ^ { 2 } c d[/latex] को सरल कीजिए।
हल:
UP Board Class 7 Maths Model Paper गणित 22

प्रश्न 30.
समान्तर चतुर्भुज की दो संलग्न भुजाओं का अनुपात 1: 2 है। यदि इसका परिमाप 30 सेमी हो, तो प्रत्येक भुजा की माप ज्ञात कीजिए।
हल:
माना समान्तर चतुर्भुज की दो संलग्न भुजाएँ x तथा 2x सेमी हैं। प्रश्नानुसार,
x + 2x + x + 2x = 30
6x = 30
[latex]x = \frac { 30 } { 6 } = 5[/latex] सेमी
2x = 2 x 5 = 10 सेमी
अतः समान्तर चतुर्भुज की प्रत्येक भुजा की माप = 5 सेमी, 10 सेमी
5 सेमी, 10 सैमी

वार्षिक परीक्षा प्रश्न-पत्र
कक्षा-7
विषय-गणित

अति लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
x- 5 = 9 को हल कीजिए।
हल:
x-5 + 5 = 9 +5
x = 9 + 5 = 14

प्रश्न 2.
वह राशि ज्ञात कीजिए जिसका 35% = 280 है।
हल:
माना राशि x है।
x का 35% = 280
[latex]\Rightarrow \quad x \times \frac { 35 } { 100 } = 280[/latex]
[latex]\Rightarrow \quad x = \frac { 280 \times 100 } { 35 } = 800[/latex]

प्रश्न 3.
किसी कक्षा में 5 विद्यार्थियों ने गणित परीक्षा में क्रमशः 40, 50, 68, 70, 72 अंक प्राप्त किए। प्राप्तांकों का समान्तर माध्य ज्ञात कीजिए।
हल:
समान्तर माध्य = [latex]\frac { 40 + 50 + 68 + 70 + 72 } { 5 } = \frac { 300 } { 5 } = 60[/latex] अंक

प्रश्न 4.
⇒ 3x-5 = 4 को हल कीजिए।
हल:
⇒ 3x-5 = 4
⇒ 3x = 4+5
⇒ 3x = 9
⇒ x = [latex]\frac { 9 } { 3 }[/latex] =3

प्रश्न 5.
150 रु का 4% वार्षिक ब्याज की दर से 1 वर्ष का साधारण ब्याज ज्ञात कीजिए।
हल:
<UP Board Class 7 Maths Model Paper गणित 23

प्रश्न 6.
घन के प्रत्येक कोर की लंबाई 4% सेमी है, तो उस घन का सम्पूर्ण पृष्ठ ज्ञात कीजिए।
हल:
दिया है भुजा a = 4 सेमी
घन के सम्पूर्ण पृष्ठ का क्षेत्रफल = [latex]6 a ^ { 2 }[/latex]
= 6 ×4 × 4 = 96 वर्ग सेमी

प्रश्न 7.
एक त्रिभुज का आधार 5 सेमी और संगत ऊँचाई 6 सेमी है। त्रिभुज का क्षेत्रफल ज्ञात कीजिए।
हलं:
त्रिभुज का आधार = 5 सेमी तथा ऊँचाई = 6 सेमी।
त्रिभुज का क्षेत्रफल = [latex]\frac { 1 } { 2 }[/latex] × आधार × ऊँचाई
= [latex]\frac { 1 } { 2 }[/latex] 5 × 6 वर्ग सेमी = 15 वर्ग सेमी

प्रश्न 8.
यदि एक कार 45 किमी प्रति घण्टा की चाल से जाती है तो 1 सेकंड में कितनी दर जाएगी?
हल:
कार द्वारा 1 सेकंड चली गई दूरी ।
[latex]= \frac { 45 \times 1000 } { 60 \times 60 } = \frac { 45 \times 10 } { 36 } = 12.5[/latex] मीटर

प्रश्न 9.
एक आयत का क्षेत्रफल ज्ञात कीजिए, जिसकी लम्बाई तथा चौड़ाई क्रमशः 12 मी तथा 5 मी है।
हल:
आयत का क्षेत्रफल = लंबाई × चौड़ाई
= 12 मी × 5 मी = 60 वर्ग मीटर

प्रश्न 10.
एक वर्ग की भुजा 7 सेमी है तो इसका परिमाप ज्ञात कीजिए।
हल:
वर्ग का परिमाप = 4 × भुजा = 4 × 7 सेमी = 28 सेमी

प्रश्न 11.
18 – 5x = 3x-6 को हल कीजिए।
हल:
18 – 5x = 3x – 6
⇒ – 5x-3x = – 6 – 18
[latex]- 8 x = – 24 \Rightarrow x = \frac { – 24 } { – 8 } = 3[/latex]

प्रश्न 12.
[latex]\frac { 1 } { 3 } x + 5 = 6[/latex] को हल कीजिए।
हल:
[latex]\frac { 1 } { 3 } x + 5 = 6[/latex]
[latex]\Rightarrow \quad \frac { 1 } { 3 } x = 6 – 5[/latex]
[latex]\Rightarrow \quad \frac { 1 } { 3 } x = 1 \Rightarrow x = 1 \times 3 = 3[/latex]

प्रश्न 13.
यदि किसी संख्या x में 5 से भाग देने पर भागफल 7 आता है, तो वह संख्या क्या होगी?
हल:
x + 5 = 7 ⇒ x = 7 × 5 = 35

प्रश्न 14.
18 सेमी भुजा वाले घन का सम्पूर्ण पृष्ठ ज्ञात कीजिए।
हल:
घन का सम्पूर्ण पृष्ठ = 6 × भुजा
= 6 × (18)
= [latex]6 \times ( 18 ) ^ { 2 } = 6 \times 324[/latex] सेमी²
= 1944 सेमी²

प्रश्न 15.
अर्द्धवृत्त में बने कोण का माप कितना होता है?
हल:
अर्द्धवृत्त में बने कोण का माप 90° (समकोण) होता है।

प्रश्न 16.
यदि एक विषम संख्या 2x + 1 है, तो दूसरी क्रमागत विषम संख्या क्या होगी?
हल:
दूसरी क्रमागत विषम संख्या = (2x + 1) + 2 = 2x + 3

प्रश्न 17.
एक त्रिभुज का क्षेत्रफल 48 सेमी है। यदि उसकी ऊँचाई 8 सेमी हो, तो त्रिभुज को आधार बताइए।
हल:
त्रिभुज का क्षेत्रफल = 48 सेमी तथा त्रिभुज की ऊँचाई = 8 सेमी
UP Board Class 7 Maths Model Paper गणित 24

प्रश्न-18.
एक वर्गाकार टाइल की एक भुजा 12 सेमी है उसका क्षेत्रफल ज्ञात कीजिए।
हल:
वर्गाकार टाइल की एक भुजा = 12 सेमी
टाइल का क्षेत्रफल = 12 × 12 = 144 वर्ग सेमी

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 19.
उस घनाभ का सम्पूर्ण पृष्ठ ज्ञात कीजिए, जिसकी लम्बाई 10 सेमी, चौड़ाई 8 सेमीतथा ऊँचाई 5 सेमी है।
हल:
दिया है, l= 10 सेमी, b = 8 सेमी, h = 5 सेमी
अतः घनाभ का सम्पूर्ण पृष्ठ = (lb + bh + hl)
=2 (10 × 8 + 8 × 5 + 10 × 5) सेमी² = 2 (80 + 40 + 50) सेमी²
= 2 × 170 सेमी² = 340 सेमी²

प्रश्न 20.
कक्षा 7 के 10 शिक्षार्थियों के भार (किग्रा में) क्रमशः 56, 42, 40, 38, 52, 48, 45, 45, 44 तथा 40 किग्रा हैं। उनके भार को समान्तर माघ्य ज्ञात कीजिए।
हल:
UP Board Class 7 Maths Model Paper गणित 25

प्रश्न 21.
रमेश के कृषि फार्म की लम्बाई 240 मीटर और चौड़ाई 110 मीटर है। कृषि फार्म को क्षेत्रफल हेक्टेयर में ज्ञात कीजिए।
हल:
UP Board Class 7 Maths Model Paper गणित 26

प्रश्न 22.
उस त्रिभुज की ऊँचाई ज्ञात कीजिए जिसका क्षेत्रफल 45 सेमी है तथा आधार 15 सेमी है।
हल:
UP Board Class 7 Maths Model Paper गणित 27

प्रश्न 23.
वो संख्याओं को योगफल 710 है। जब बड़ी संख्या की छोटी संख्या से भाग दिया | जाता है, तो भागफल 12 और शेषफल 8 आता है। बड़ी संख्या ज्ञात कीजिए।
हल:
माना छोटी संख्या b है, तो बड़ी संख्या 710 – b होगी।
प्रश्नानुसार, 12b + 8 = 710 – b
13b = 710-8 = 702
[latex]\Rightarrow \quad b = \frac { 702 } { 13 }[/latex]
b = 54
बड़ी संख्या = 710 – 54 = 656

प्रश्न 24.
एक सिलाई मशीन का अंकित मूल्य 830 रुपये है। यदि दुकानदार ग्राहकों को 20% का बट्टा देता है, तो मशीन का विक्रय मूल्य ज्ञात कीजिए।
हल:
सिलाई मशीन का अंकित मूल्य = ₹ 830
बट्टे की प्रतिशत दर = 20%
बट्टा = [latex]830 \times \frac { 20 } { 100 }[/latex] = ₹ 166
अतः सिलाई मशीन का विक्रय मूल्य = अंकित मूल्य – बट्टा
= 830 – 166 = 664

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 25.
एक कमीज का अंकित मूल्य 50 रुपये था और वह 45 रुपये में उपलब्ध थी। उस पर किस प्रतिशत दर से बढ़ा दिया गया?
हल:
कमीज का अंकित मूल्य = 50 रुपये
विक्रय-मूल्य = 45 रुपये
बट्टा = अंकित मूल्य-विक्रय मूल्य
= 50 रुपये – 45 रुपये = 5 रुपये
बट्टा प्रतिशत = [latex]\frac { 5 } { 50 } \times 100 = 10 \%[/latex]
अतः बट्टे की दर 10%

प्रश्न 26.
एक रेलगाड़ी की लंबाई 270 मीटर है; एक खम्भे को 9 सेकंड में पार कर लेती है। उसकी चाल किमी प्रति घण्टा में ज्ञात कीजिए।
हल:
UP Board Class 7 Maths Model Paper गणित 28

प्रश्न 27.
3000 रुपये का 10% वार्षिक ब्याज की दर से 3 वर्ष बाद चक्रवृद्धि मिश्रधन तथा चक्रवृद्धि ब्याज ज्ञात कीजिए।
हल:
UP Board Class 7 Maths Model Paper गणित 29

प्रश्न 28.
एक मीनार की ऊँचाई 100 मीटर है। धरातल पर स्थित किसी बिन्दु से उसके शिखर का उन्नयन कोण यदि 30° हो, तो धरातल बिन्दु से मीनार के पाद की दूरी ज्ञात कीजिए, जहाँ पर 10 मी = 1 सेमी।
हल:
UP Board Class 7 Maths Model Paper गणित 30

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