UP Board Solutions for Class 8 Hindi Chapter 29 स्वामी प्रणवानंद (महान व्यक्तित्व)

UP Board Solutions for Class 8 Hindi Chapter 29 स्वामी प्रणवानंद (महान व्यक्तित्व)

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पाठ का सारांश

भारत सेवाश्रम संघ के संस्थापक स्वामी प्रणवानंद जी का जन्म 29 जनवरी, सन् 1886 को माघी पूर्णिमा के दिन वर्तमाने बांग्ला देश के फरीदपुर जिले के बाजितपुर नामक गाँव में हुआ था। इनके बचपन का नाम विनोर था। इनके पिता का नाम विष्णुचरण दास तथा माता का नाम शारदा देवी था। वे बचपन से ही शांत स्वभाव (UPBoardSolutions.com) के तथा बुद्धिमान थे। वे प्रायः किसी वृक्ष के नीचे ध्यानमग्न रहते थे। गाँव की पाठशाला से प्राथमिक शिक्षा के बाद उन्होंने अंग्रेजी हाई-स्कूल में प्रवेश लिया। इस समय पढ़ाई की अपेक्षा वे साधना एवं चिंतन में अधिक सक्रिय रहते थे। वे शुद्ध शकाहारी थे तथा ब्रह्मचर्य साधना पर उनका विशेष बल था। गाँव वाले उन्हें विनोद ब्रहमचारी के रूप में जानते थे।

जब वे दश्वीं कक्षा के विद्यार्थी थे तभी उनके सन्यास की प्रबल इच्छा को जानकर उनके शिक्षक ने गोरखपुर के नाथ संप्रदाय के प्रमुख योगीराज गंभीरनाथ की शरण में जाने की सलाह दी। गोरखपुर आने के बाद इन्होंने बाबा गंभीर नाथ से दीक्षा ग्रहण की तथा वहाँ कुछ दिन साधना करने के बाद अपने गुरू की सलाह पर ये काशी चले गए और वहाँ गंगा किनारे अस्सी घाट पर साधना करने लगे। कुछ दिनो बाद गुरु के आदेश पर वे , अपने पैतृक गाँव बाजितपुर लौट आए। वर्ष 1924 में प्रयाग में इन्होंने (UPBoardSolutions.com) सन्नयास की विधि वत दीक्षा ग्रहण की तथा उनका प्रणवानंद स्वामी हो गया। अब उनका अधिकांश समय आध्यात्मिक उन्नति की साधना में बीतने लगा। वर्ष 1917 में उन्होंने भारत सेवाश्रम संघ’ की स्थापना की। इस संस्थ ने अकाल, बाढ़ तथा अन्य प्राकृति आपदा पीड़ितो की खूब सहायता की।

उन्होंने शक्ति साधना एवं शक्तिशाली राष्ट्र गठन के प्रचार-प्रसार के लिए सन् 1929 में भारत सेवाश्रम संघ की मुख्य पत्रिका प्रलव का प्रकाशन आरंभ किया। स्वामी प्रणवानंद ने पश्चिम बंगाल को भारत के साथ जोड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इसके लिए उन्होंने डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी को आगे बढ़ाया और बंगाल के पश्चिमी हिस्से को भारत में सम्मिलित करने के लिए ब्रिटिश शासन को विवश कर दिया जो आज पश्चिम बंगाल के नाम से जाना जाता है। आजीवन समाज व राष्ट्र सेवा हेतु कठोर परिश्रम करते हुए इस विलक्षण महापुरुष ने 8 जनवरी, 1941 को अपना स्थूल शरीर त्याग दिया। उनके द्वारा स्थापित ‘भारत सेवाश्रम संघ निरंतर मानवजाति की सच्ची सेवा और कल्याण भावना की ओर अग्रसर हैं।

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अभ्यास-प्रश्न

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लिखिए
प्रश्न 1.
विनोद ब्रह्मचारी ने प्रथम दीक्षा कब और किससे ग्रहण की?
उत्तर :
विनोद ब्रह्मचारी ने 1913 में गोरखपुर में नाथ संप्रदाय के प्रमुख योगीराज बाबा गंभीरनाथ से प्रथम दीक्षा ग्रहण की।

प्रश्न 2.
विनोद ब्रह्मचारी के चारों महावाक्य लिखिए।
उत्तर :
विनोद ब्रह्मचारी के चार महाकाव्य हैं।

  • यह युग महाजागरण का युग है,
  • महामिलन का युग है, (UPBoardSolutions.com)
  • महासमन्वय का युग है और
  • यह युग महामुक्ति का युग है।

प्रश्न 3.
वे ‘विनोद ब्रह्मचारी’ से ‘स्वामी प्रणवानंद’ कब और कैसे हुए?
उत्तर :
वर्ष 1924 के प्रयाग के अर्धकुम्भ मेले में विनोद ब्रह्मचारी ने स्वामी गोविंदा नंद गिरि से संन्यास की विधिवत दीक्षा ग्रहण की। इसके बाद वे विनोद ब्रह्मचारी से स्वामी प्रणवानंद हो गए।

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प्रश्न 4.
स्वामी प्रणवानंद ने भारत सेवाश्रम संघ की स्थापना क्यों की?
उत्तर :
स्वामी प्रणवानंद ने अकाल, बाढ़, प्राकृतिक (UPBoardSolutions.com) प्रकोप आदि से पीड़ित लोगों के सहायतार्थ भारत सेवाश्रम संघ’ की स्थापना की। दूसरे शब्दों में हम कह सकते हैं कि, मानव जाति की सेवा के लिए उन्होंने भारत सेवाश्रम संघ’ की स्थापना की।

प्रश्न 5.
स्वामी प्रणवानंद का क्या उद्घोष था?
उत्तर :
स्वामी प्रणवानंद का उद्घोष था कि धर्म है- त्याग, सत्य और ब्रह्मचर्य में। धर्म है- आचार, अनुष्ठान और अनुभूति में।” स्वामी जी की यह अनमोल वाणी चिरकाल तक हमारा. मार्गदर्शक करती रहेगी।

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UP Board Solutions for Class 8 Maths Chapter 12 बैंकिंग

UP Board Solutions for Class 8 Maths Chapter 12 बैंकिंग

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बैंकिंग

अभ्यास – 12 (a)

प्रश्न 1.
विभिन्न प्रकार के खातों के नाम लिखिए।
उत्तर
बैंक में हम कई तरह के खाते खोल सकते हैं, जिनमें से कुछ, प्रमुख खाते निम्नवत् हैं:

  1. बचत खाता (Savings Bank Account)
  2. चालू खाता (Current Account)
  3. सावधि जमा खाता (Fixed Deposit Account)
  4. आवर्ती (संचयी) जमा खाता (Recurring Deposit Account)
  5. अल्पवयस्क का खाता (Minor Account)

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प्रश्न 2.
चेक क्या है? चेक के प्रकार लिखिए?
उत्तर
चेक एक शर्त रहित आज्ञापत्र है जो सम्बंधित खाते से रुपये निकालने के लिए काम आता है।

प्रश्न 3.
एक बचत बैंक की पासबुक में दर्ज की गई प्रविष्टियाँ निम्नांकित हैं। यदि बयाज दर 4% वार्षिक हो, तो नवम्बर माह के अन्त में मिलने वाले ब्याज का परिकलन कीजिए।
UP Board Solutions for Class 8 Maths Chapter 12 बैंकिंग img-1
उत्तर
UP Board Solutions for Class 8 Maths Chapter 12 बैंकिंग img-2

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प्रश्न 4.
मिस्ट x की बैंक पास बुक में दर्ज की गई प्रविष्टियों के आधार पर, जून 2017 के अन्त में कितना ब्याज मिलेगा, यदि ब्याज दर 3.5% वार्षिक है।
UP Board Solutions for Class 8 Maths Chapter 12 बैंकिंग img-3
उत्तर
UP Board Solutions for Class 8 Maths Chapter 12 बैंकिंग img-4

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UP Board Solutions for Class 9 Science Chapter 5 The Fundamental Unit of Life

UP Board Solutions for Class 9 Science Chapter 5 The Fundamental Unit of Life (जीवन की मौलिक इकाई)

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पाठ्य – पुस्तक के प्रश्नोत्तर

पाठगत प्रश्न (पृष्ठ संख्या – 66)

प्रश्न 1.
कोशिका की खोज किसने और कैसे की?
उत्तर-
कोशिका की खोज रॉबर्ट हुक ने 1665 में की। उसने कॉर्क की पतली काट को स्वनिर्मित सूक्ष्मदर्शी से अवलोकन करने पर पाया कि इसमें अनेक छोट-छोटे प्रकोष्ठ हैं, (UPBoardSolutions.com) जिसकी संरचना मधुमक्खी के छत्ते जैसी प्रतीत हुई। इन प्रकोष्ठों को रॉबर्ट हुक ने कोशिका का नाम दिया।

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प्रश्न 2.
कोशिका को जीवन की संरचनात्मक व क्रियात्मक इकाई क्यों कहते हैं ?
उत्तर-
सभी जीव-जन्तु जो हम अपने आस-पास देखते हैं, कोशिकाओं से मिलकर बनते हैं। कुछ जीव एक- कोशी होते हैं तथा अन्य बहुकोशी होते हैं। प्रत्येक बहुकोशी जीव एक कोशिका से ही विकसित हुआ है। कुछ जीवों में विभिन्न प्रकार की कोशिकाएँ भी होती हैं।
प्रत्येक कोशिका में कुछ मूलभूत कार्य करने की क्षमता होती है जो सभी जीवों का गुण है। प्रत्येक कोशिका में कुछ विशिष्ट अंग होते हैं जो विशिष्ट कार्य करते हैं इन्हें कोशिकांग कहते हैं। इन कोशिकांगों के कारण ही एक कोशिका जीवित रहती है। ये कोशिकांग मिलकर कोशिका बनाते हैं। प्रत्येक (UPBoardSolutions.com) कोशिकांग विभिन्न कार्य करता है। जैसे-नये पदार्थ का निर्माण, अपशिष्ट पदार्थों का निष्कासन आदि। अतः कोशिका जीवन की संरचनात्मक व क्रियात्मक इकाई है।

पाठगत प्रश्न (पृष्ठ संख्या – 68)

प्रश्न 1.
CO2 तथा पानी जैसे पदार्थ कोशिका से कैसे अन्दर तथा बाहर जाते हैं ? इस पर चर्चा करें।
उत्तर-
CO2 की सांद्रता जब कोशिका में उच्च हो जाती है तो विसरण द्वारा ये कोशिका से बाहर निकल जाती है और जब CO2 की सांद्रता निम्न होती है तो बाहर से यह कोशिका में आ जाती है।
जल के अणु परासरण के कारण कोशिका की वर्णात्मक पारगम्य झिल्ली द्वारा उच्च जल की सांद्रता से निम्न जल की सांद्रता की ओर जाता है।

प्रश्न 2.
प्लाज्मा झिल्ली को वर्गात्मक पारगम्य झिल्ली क्यों कहते हैं?
उत्तर-
प्लाज्मा झिल्ली को अर्धपारगम्य झिल्ली इसलिए कहते हैं क्योंकि ये कोशिका में आने-जाने वाले पदार्थों पर नियन्त्रण रखती है। यह कुछ पदार्थों को अन्दर आने व बाहर जाने देती है जबकि कुछ पदार्थों को अन्दर आने व बाहर जाने से रोकती है अतः इसे अर्धपारगम्य झिल्ली कहते हैं।

पाठगत प्रश्न (पृष्ठ संख्या – 70)

प्रश्न 1.
क्या अब आप निम्नलिखित तालिका में दिए गए रिक्त स्थानों को भर सकते हैं, जिससे कि प्रोकैरियोटी तथा यूकैरियोटी कोशिकाओं में अंतर स्पष्ट हो सके?
UP Board Solutions for Class 9 Science Chapter 5 The Fundamental Unit of Life image -1

पाठगत प्रश्न (पृष्ठ संख्या – 73)

प्रश्न 1.
क्या आप दो ऐसे अंगकों का नाम बता सकते हैं जिनमें अपना आनुवंशिक पदार्थ होता है ?
उत्तर-
हाँ-दो ऐसे अंगक केन्द्रक व माइटोकोण्डिया हैं जिनमें अपना आनुवंशिक पदार्थ पाया जाता है।

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प्रश्न 2.
यदि किसी कोशिका का संगठन किसी भौतिक या रासायनिक प्रभाव के कारण नष्ट हो जाता है, तो क्या होगा ?
उत्तर-
यदि किसी भौतिक या रासायनिक प्रभाव के कारण कोशिका का जैविक संगठन नष्ट हो जाएगी तो कोशिका मृत हो जाएगी।

प्रश्न 3.
लाइसोसोम को आत्मघाती थैली क्यों कहते हैं ? .
उत्तर-
लाइसोसोम में शक्तिशाली जल अपघटनीय, एंजाइम होते हैं जो सभी कार्बनिक पदार्थों को पचाने में सहायक होते हैं। यदि पूर्ण क्षतिग्रस्त यी मृत कोशिकाओं को नष्ट करने की आवश्यकता हो तो वे अपनी झिल्ली, तोड़कर एक ही बार में अपना सारा द्रव्य मुक्त कर देते। हैं और क्योंकि इस क्रिया में ये स्वयं भी नष्ट हो जाते हैं। इसलिए इन्हें आत्मघाती थैली भी कहा जाता है।

प्रश्न 4.
कोशिका के अन्दर प्रोटीन का संश्लेषण कहाँ होता है ?
उत्तर-
केन्द्रिका (Nucleolus) में ही राइबोसोम्स का (UPBoardSolutions.com) संश्लेषण होता है। ये राइबोसोम्स ही प्रोटीन का संश्लेषण करते हैं।

अभ्यास प्रश्न (पृष्ठ संख्या – 75)

प्रश्न 1.
पादप कोशिकाओं तथा जन्तु कोशिकाओं में तुलना करो।
उत्तर-
जन्तु कोशिका व पादप कोशिका में निम्नलिखित अन्तर हैं-
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प्रश्न 2.
प्रोकैरियोटी कोशिकाएँ, युकेरियोटी कोशिकाओं से किस प्रकार भिन्न होती हैं ?
उत्तर-
प्रोकैरियोटिक कोशिकाओं और यूकैरियोटिक कोशिकाओं के बीच भिन्नताएँ
UP Board Solutions for Class 9 Science Chapter 5 The Fundamental Unit of Life image -3
UP Board Solutions for Class 9 Science Chapter 5 The Fundamental Unit of Life image -4

प्रश्न 3.
यदि प्लाज्मा झिल्ली फट जाए या टूट जाए तो क्या होगा ?
उत्तर-
यदि प्लाज्मा झिल्ली फट जाए या टूट जाए। तो कोशिका के भीतर होने वाली क्रियाएँ संभव नहीं होंगी। अतः कुछ समय में कोशिका नष्ट हो जाएगी।

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प्रश्न 4.
यदि गॉल्जी उपकरण न हो तो कोशिका के जीवन में क्या होगा ?
उत्तर-
गॉल्जी उपकरण चिकने, चपटे व नलिकाकार उपक्रम समूह के रूप में केन्द्रक के पास उपस्थित होता है। ये प्रायः समान्तर पंक्तियों में एक ढेर के रूप में होते हैं और स्रवण का कार्य करते हैं। इनका मुख्य कार्य कोशिका में संश्लेषित पदार्थों के पैकेज बनाकर कोशिका के अन्दर (प्लाज्मा झिल्ली व लाइसोसोम) व बाहर के लक्ष्यों को भेजना है। यह लाइसोसोम को बनाने में भी सहायक है। यदि गॉल्जी (UPBoardSolutions.com) उपकरण कोशिका में नहीं होगा तो स्रवण का कार्य, संश्लेषित पदार्थों के पैकेज बनाकर अन्दर व बाहर स्थानान्तरण तथा लाइसोसोम्स बनाने का कार्य नहीं होंगे।

प्रश्न 5.
कोशिका का कौन-सा अंगक बिजलीघर है?
उत्तर-
माइटोकॉण्डिया कोशिका को बिजलीघर (Power house) है। ये दोहरे आवरण से घिरा होता है। और इसमें कोशिका के भोज्य पदार्थों का ऑक्सीकरण होता है तथा ऊर्जा उत्पन्न होती है। मुक्त हुई ऊर्जा (A.T.P.) ऐडिनोसीन ट्राईफॉस्फेट के रूप में संगृहीत हो जाती है। जो शरीर के विभिन्न कार्यों में प्रयोग की जाती है। इनके पास अपना DNA और राइबोसोम्स होता है जिससे अपने लिए प्रोटीन का संश्लेषण भी कर सकते हैं।

प्रश्न 6.
कोशिका झिल्ली को बनाने वाले लिपिड तथा प्रोटीन का संश्लेषण कहाँ होता है ?
उत्तर-
कोशिका झिल्ली का निर्माण करने वाले प्रोटीन, कोशिका द्रव्य में पाई जाने वाली खुरदरी अंतर्द्रव्यी जालिका द्वारा संश्लेषित होती है। लिपिड का निर्माण चिकनी अन्तर्द्रव्यी जालिका द्वारा कार्बनिक कणों के स्रवण से होता है। ये प्रोटीन व लिपिड़ ही कोशिका झिल्ली का निर्माण करते हैं।

प्रश्न 7.
अमीबा अपना भोजन कैसे प्राप्त करता है?
उत्तर-
अमीबा अन्त:ग्रहण विधि द्वारा अपना भोजन प्राप्त करता है। इसकी कोशिका झिल्ली अत्यधिक लचीली होती है जिसके कारण यह बाहर के वातावरण में से भोजन के कण और अन्य पदार्थ ग्रहण कर लेता है। इस कार्य के लिए इसके कूटपाद आगे की ओर बढ़कर भोजन के (UPBoardSolutions.com) कण को पूरा घेर लेते हैं और इस प्रकार भोजन जीवद्रव्य में पहुँच जाता है।

प्रश्न 8.
परासण क्या है?
उत्तर-
वर्णात्मक पारगम्य झिल्ली द्वारा पानी के अणुओं की उच्च सान्द्रण क्षेत्र से निम्न सान्द्रण क्षेत्र की तरफ गति को परासरण कहते हैं। पानी की गति उसमें घुले हुए पदार्थों पर निर्भर करती है।

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प्रश्न 9.
निम्नलिखित परासरण प्रयोग करें| छिले हुए आधे-आधे आलू के चार टुकड़े लो, इन चारों को खोखला करो जिससे कि आलू के कप बन जाएँ। इनमें से एक कप को उबले आलू में बनाना है। आलू के प्रत्येक कप को जल वाले बर्तन में रखो। अब
(a) कप ‘A’ को खाली रखो,
(b) कप ‘B’ में एक चम्मच चीनी डालो,
(c) कप ‘C’ में एक चम्मच (UPBoardSolutions.com) नमक डालो तथा
(d) उबले आलू से बनाए गए कप ‘D’ में एक चम्मच चीनी डालो।
आलू के इन चारों कपों को दो घंटे तक रखने के पश्चात् उनका अवलोकन करो तथा निम्न प्रश्नों का उत्तर दो
(i) ‘B’ तथा ‘C’ के खाली भाग में जल क्यों एकत्र हो गया ? इसका वर्णन करो।
(ii) ‘A’ आलू इस प्रयोग के लिए क्यों महत्त्वपूर्ण है?
(iii) ‘A’ तथा ‘D’ आलू के खाली भाग में जल एकत्र क्यों नहीं हुआ ? इसका वर्णन करो।
उत्तर-
(i) आलू बहुत-सी कोशिकाओं से बना हुआ होता है। कोशिकाओं की कोशिका झिल्ली अर्द्धपारगम्य होती है। आलू A व C के खाली भाग में क्रमशः चीनी तथा नमक भरा है जबकि इनके बाहरी भाग पानी के सम्पर्क में हैं। अत: पानी का सान्द्रण आलू के अन्दर की तुलना में बाहर के बर्तन में अधिक होता है। अतः पानी की गति परासरण के कारण बाहर के बर्तन से आलू के अन्दर की तरफ होता है। अत: आलू का B व C में पानी भर जाता है।
(ii) इस प्रयोग में खाली कप A इसलिए आवश्यक है क्योंकि यह दर्शाता है कि यदि दो विलयनं लिए जाएँ जिनका सान्द्रण बराबर होता है तो पानी के अणुओं में कोई गति नहीं होती।
(iii) आलू कप A व D में पानी इसलिए नहीं भरता क्योंकि आलू कप D उबले हुए आलू से बना है। अतः उसकी कोशिकाएँ मृत हो जाती हैं तथा कोशिका झिल्ली अर्द्धपारगम्यता खो देती है। अतः परासरणे नहीं होता जिससे पानी बाहरी बर्तन से आलू में प्रवेश नहीं करता। आलू कप A (UPBoardSolutions.com) को खाली रखा गया है। अत: अर्द्धपारगम्य कोशिका झिल्ली के दोनों तरफ का सान्द्रण बराबर होता है। अतः पानी के अणु बाहर से अन्दर की तरफ गति नहीं करते। अतः आलू कप A व D में पानी नहीं भरता है।

अन्य महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर

अतिलघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
एक कोशिकीय जीवों के उदाहरण दीजिए।
उत्तर-
एक कोशिकीय जीवों के उदाहरण
(1) अमीबा,
(2) पैरामीशियम।

प्रश्न 2.
जटिल बहुकोशिकीय जीवों के उदाहरण दीजिए।
उत्तर-
जटिल बहुकोशिकीय जीवों के उदाहरण-
(i) मनुष्य,
(ii) विभिन्न प्रकार के पशु-पक्षी तथा
(iii) वृक्ष

प्रश्न 3.
‘कोशा’ किसे कहते हैं?
अथवा
कोशिको क्या है ?
उत्तर-
कोशा (Cell)- जीवन की संरचनात्मक इकाई कोशा कहलाती है। कोशा जैव संगठन का प्रथम जैविक स्तर है।

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प्रश्न 4.
कोशिका की खोज किस वैज्ञानिक ने की थी ?
उत्तर-
कोशिका की खोज रॉबर्ट हुक ने की थी।

प्रश्न 5.
कोशिका में केन्द्रक की खोज किस वैज्ञानिक ने की ?
उत्तर-
कोशिका में केन्द्रक की खोज रॉबर्ट ब्राउन ने की।

प्रश्न 6.
कोशिकाद्रव्य को जीवद्रव्य नाम किस वैज्ञानिक ने दिया?
उत्तर-
कोशिकाद्रव्य को जीवद्रव्य नाम जे. ई. पुरकिन्जे ने दिया।

प्रश्न 7.
कोशिका सिद्धान्त क्या है ?
उत्तर-
कोशिका सिद्धान्त-कोशिका जीवन की मूलभूत इकाई है।”

प्रश्न 8.
कोशिका सिद्धान्त किन-किन वैज्ञानिकों ने प्रतिपादित किया ?
उत्तर-
कोशिका सिद्धान्त को एम. जे. श्लीडन एवं टी. श्वान ने प्रतिपादित किया।

प्रश्न 9.
‘कोशिका भित्ति’ से क्या समझते हो ?
उत्तर-
कोशिका भित्ति (Cell wall)- पादप, कोशिका प्लाज्मा झिल्ली के बाहर सेल्यूलोज से बनी एक परत द्वारा घिरी होती है जिसे कोशिका भित्ति कहते हैं।

प्रश्न 10.
‘कोशिकाद्रव्य’ (साइटोप्लाज्म) किसे कहते हैं ?
उत्तर-
कोशिकाद्रव्य (Cytoplasm)-कोशिका के अन्दर पाया जाने वाला तरल द्रव्य कोशिकाद्रव्य (साइटोप्लाज्म) कहलाता है। यह एक चिपचिपा, रंगहीन, समांगी, तरल, कोलाइडी अर्द्ध-पारदर्शक पदार्थ है।

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प्रश्न 11.
‘कोशिकांग’ किसे कहते हैं ?
उत्तर-
कोशिकांग (Cell Organelles) कोशिकाद्रव्य में कई अन्य जीवित संरचनाएँ पायी जाती हैं जो कोशिकांग कहलाती हैं।

प्रश्न 12.
‘केन्द्रक’ किसे कहते हैं ?
उत्तर-
केन्द्रक (Nucleus)- कोशिका के अन्दर पायी जाने वाली संरचना केन्द्रक’ कहलाती है।

प्रश्न 13.
‘अन्त:प्रद्रव्यी जालिका’ किसे कहते हैं?
उत्तर-
अन्त:प्रद्रव्यी जालिको (Endoplasmic Reticulum)- केन्द्रक से जुड़ी हुई लम्बी धागेनुमा असंख्य शाखाओं वाली झिल्लियों का जाल, अन्त:प्रद्रव्यी जालिका कहलाती है।

प्रश्न 14.
राइबोसोम किसे कहते हैं?
उत्तर-
राइबोसोम (Ribosomes)- अन्त:प्रद्रव्य जालिका की सतह पर पायी जाने वाली संरचना राइबोसोम कहलाती है।

प्रश्न 15.
‘हरित लवक’ किसे कहते हैं?
उत्तर-
हरित लवक (Chloroplast)- कोशिका के अन्दर पाये जाने वाला हरे रंग का कोशिकांग हरित लवक कहलाता है।

प्रश्न 16.
‘माइटोकॉण्डिया’ किसे कहते हैं ?
उत्तर-
माइटोकॉण्डुिया (Mitochondria)कोशिका में पाया जाने वाला वह कोशिकांग जो ऊर्जा उत्पन्न करने में सहायक होता है, माइटोकॉण्ड्रिया कहलाता है।

प्रश्न 17.
कोशिका का ऊर्जा घर किसे कहते हैं?
उत्तर-
माइटोकॉण्ड्रिया को कोशिका का ऊर्जा घर या पावर हाउस कहते हैं।

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प्रश्न 18.
‘पक्ष्माभिका’ (सीलिया) किन्हें कहते हैं?
उत्तर-
पक्ष्माभिका (सीलिया) (Cilia)- जन्तु कोशिका की सतह पर पायी जाने वाली सूक्ष्म उभरी हुई। संरचना, पक्ष्माभिका (सीलिया) कहलाती है।

प्रश्न 19.
‘कशाभिका (फ्लेजिला)’ किन्हें कहते हैं?
उत्तर-
कशोभिका (Flagella)- “कोशिका की सतह पर पायी जाने वाली लम्बी, पतली तथा चाबुक के समान संरचना कशाभिका (फ्लेजिला) कहलाती है।”

प्रश्न 20.
कोशिका झिल्ली को बनाने वाले प्रोटीन का नाम बताइये।
उत्तर-
कोशिका झिल्ली को बनाने वाले प्रोटीन का नाम लिपोप्रोटीन है।

प्रश्न 21.
अवर्णी लवक क्या होते हैं ? .
उत्तर-
अवर्णी लवक (Leucoplasts)- भोज्य पदार्थों का संग्रह करने वाले रंगहीन लवक अवर्णी लवक कहलाते हैं।

प्रश्न 22.
अवर्णी लवक कहाँ पाये जाते हैं ?
उत्तर-
अवर्णी लवक पौधों के उस भाग में पाये जाते हैं जहाँ सूर्य का प्रकाश नहीं पहुँचता।

प्रश्न 23.
अवर्णी लवक का क्या काम है ?
उत्तर-
अवर्णी लवक का कार्य-अवण लवक को कार्य मांड, तेल, वसा तथा प्रोटीन आदि भोज्य पदार्थों का संचय करना है।

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प्रश्न 24.
हरित लवक कहाँ पाया जाता है ?
उत्तर-
हरित लवक पौधों के हरे भाग में पाया जाता है।

प्रश्न 25.
हरित लवक का रंग हरा क्यों होता है ?
उत्तर-
हरित लवक में हरे रंग का वर्णक पर्णहरिम या क्लोरोफिल होता है इस कारण इसका रंग हरा होता है।

प्रश्न 26.
क्लोरोप्लास्ट (हरित लवक) का प्रमुख कार्य बताइये।
उत्तर-
क्लोरोप्लास्ट का कार्य-क्लोरोप्लास्ट का प्रमुख कार्य प्रकाश संश्लेषण है।

प्रश्न 27.
वर्णी लवक किसे कहते हैं ?
उत्तर-
वर्णी लवक-पौधों में पाये जाने वाले रंग-बिरंगे (हरे रंग को छोड़कर) लवक वर्णी लवक कहलाते हैं।

प्रश्न 28.
वर्णी लवक पौधों के किन भागों में पाये जाते हैं ?
उत्तर-
वर्णी लवक पुष्पों, दलों एवं फलों में पाये जाते हैं।

प्रश्न 29.
वर्णी लवक का कार्य क्या है ?
उत्तर-
वर्णी लवक का कार्य पुष्पों, पत्रों एवं फलों को आकर्षक बनाना है।

प्रश्न 30.
गॉल्जी बॉडी, गॉल्जीकार्य या गॉल्जी उपकरण की खोज किसने की थी ?
उत्तर-
गॉल्जी बॉडी, गॉल्जीकाय या गॉल्जी उपकरण की खोज केमिलियो गॉल्जी ने की।

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प्रश्न 31.
आत्महत्या करने वाली थैली या सुसाइड बैग्स किन्हें कहते हैं ?
उत्तर-
आत्महत्या करने वाली थैली या सुसाइड बैग्स लाइसोसोम्स को कहते हैं।

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
अन्तःप्रद्रव्यी जालिका के कार्य लिखिए।
उत्तर-
अन्त:प्रद्रव्यी जालिका के कार्य

  1. यह प्रोटीन संश्लेषण में सहायक होते हैं।
  2. यह कोशिका विभाजन के समय केन्द्रकीय झिल्ली के निर्माण में भाग लेता है।
  3. यह ग्लाइकोजन के उपापचय में सहायता करता है।
  4. यह केन्द्रक से विभिन्न आनुवंशिक पदार्थों को कोशिकाद्रव्य के विभिन्न अंगों तक पहुँचाता है।

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प्रश्न 2.
गॉल्जीकाय या गॉल्जी उपकरण के कार्य लिखिए।
अथवा
गॉल्जी उपकरण के कोशिका में क्या कार्य हैं ?
उत्तर-
गॉल्जीकाय या गॉल्जी उपकरण के कार्य

  1. ये लाइसोसोम्स का निर्माण करते हैं।
  2. ये अनेक प्रकार के स्रावी पदार्थों का निर्माण करते हैं।
  3. ये स्रावण द्वारा कोशिका भित्ति का निर्माण करते हैं।
  4. ये अनेक कार्बोहाइड्रेट्स के दीर्घ अणुओं का संश्लेषण करते हैं।
  5. ये शुक्राणुजनन के समय शुक्राणु के ऊपरी भाग (एक्रोसोम) का निर्माण करते हैं।

प्रश्न 3.
प्याज के शल्क-पत्र की झिल्ली की कोशिकाओं का चित्र बनाइये।
उत्तर-
प्याज के शल्क-पत्र की झिल्ली की कोशिकाओं का चित्र-
UP Board Solutions for Class 9 Science Chapter 5 The Fundamental Unit of Life image -5

प्रश्न 4.
निम्नलिखित घटकों के कार्य लिखिए
(i) राइबोसोम
(ii) गॉल्जीकाय
(iii) माइटोकॉण्ड्यिा
(iv) रसधानी
(v) पादप कोशाभित्ति
(vi) क्रोमोसोम्स
(vii) क्लोरोप्लास्ट
(viii) केन्द्रिका
(ix) प्लाज्मा मेम्ब्रेन।
उत्तर-
UP Board Solutions for Class 9 Science Chapter 5 The Fundamental Unit of Life image -6

प्रश्न 5.
एक प्राणी (जन्तु) कोशिका की आन्तरिक संरचना को स्वच्छ नामांकित चित्र बनाइये।
अथवा
जन्तु कोशिका का नामांकित चित्र बनाइए।
उत्तर-
इलेक्ट्रॉन सूक्ष्मदर्शी द्वारा प्रदर्शित प्राणी (जन्तु) कोशिका की संरचना का नामांकित चित्र
UP Board Solutions for Class 9 Science Chapter 5 The Fundamental Unit of Life image -7

प्रश्न 6.
एक पादप कोशिका की आन्तरिक संरचना का स्वच्छ नामांकित चित्र बनाइये। अथवा एक पादप कोशिका का नामांकित चित्र बनाइए।
उत्तर-
इलेक्ट्रॉन सूक्ष्मदर्शी द्वारा प्रदर्शित पादप कोशिका की आन्तरिक संरचना का नामांकित चित्र-
UP Board Solutions for Class 9 Science Chapter 5 The Fundamental Unit of Life image -8

प्रश्न 7.
जन्तु एवं पादप कोशिका में अन्तर लिखिए।
उत्तर-
जन्तु एवं पादप कोशिका में अन्तर-
UP Board Solutions for Class 9 Science Chapter 5 The Fundamental Unit of Life image -9

प्रश्न 8.
माइटोकॉण्ड्यिा के कार्य लिखिए।
उत्तर-
माइटोकॉण्डिया के कार्य
(1) ये भोज्य पदार्थों का ऑक्सीकरण करके ऊर्जा मुक्त करते हैं तथा इस ऊर्जा को ATP के रूप में संचित करते हैं जो जैविक कार्यों में प्रयुक्त होती है।
(2) ये प्रोटीन का संश्लेषण भी करते हैं।
(3) ये अण्डों का योक तथा शुक्राणुओं के मध्यमान का निर्माण करते हैं।

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प्रश्न 9.
लाइसोसोम के कार्य लिखिए।
उत्तर-
लाइसोसोम के कार्य

  1. ये कोशिका में पाये जाने वाले प्रकीर्णो (Enzyme) का स्रावण एवं संग्रहण करते हैं।
  2. ये मृत या पुरानी कोशिकाओं (UPBoardSolutions.com) का भक्षण करते हैं।
  3. ये कोशिका में प्रवेश करने वाले सूक्ष्म जीवों व कणों का पाचन करते हैं।
  4. ये भोजन की कमी के समय कोशिकाओं तथा कोशिकाद्रव्य में उपस्थित अवयवों का पाचन करते हैं।
  5. ये उपवास या रोग की स्थिति में शरीर को पोषण देते हैं।
  6. शुक्राणु इन्हीं के कारण अण्डाणु में प्रवेश करते हैं।
  7. इन्हें आत्महत्या करने वाली थैली (Suicide bags) कहते हैं।

प्रश्न 10.
तारककाय (सेण्ट्रोसोम) के कार्य लिखिए।
उत्तर-
तारककाय (सेण्ट्रोसोम) के कार्य

  1. ये जन्तु कोशिकाओं में कोशिका विभाजन के समय त रूप रेशों का निर्माण करते हैं।
  2. ये शुक्राणु में स्थित दो सेण्ट्रिओल में से कशाभ का अक्षीय तन्तु बनाते हैं।
  3. ये सेण्ट्रिओल पक्ष्मों व कशाभों के काइनेटोसोम या आधारकाय बनाते हैं।

प्रश्न 11.
सूक्ष्मकाओं के कार्य लिखिए।
उत्तर-
सूक्ष्मकाओं के कार्य

  1. ये कोशिकाओं के कंकाल का निर्माण करती हैं।
  2. ये कोशिका के आकार, विस्तार को नियमित करती हैं।
  3. ये कोशिकाओं की गति एवं गुणसूत्रों का नियन्त्रण करती हैं।
  4. ये कोशिकाद्रव्य चक्रण में सहायता करती हैं।

प्रश्न 12.
रिक्तिकाओं के कार्य लिखिए।
उत्तर-
रिक्तिकाओं के कार्य

  1. ये भोजन के पाचन, उत्सर्जन आदि क्रियाओं में सहायता करती हैं।
  2. ये कोशाओं में परासरण नियन्त्रण का कार्य करती हैं।
  3. ये भोज्य पदार्थों का संग्रहण करती हैं।
  4. टोनोप्लास्ट के अर्द्ध-पारगम्य होने के कारण, ये कोशा के अन्दर विभिन्न पदार्थों के संवहन का कार्य करती हैं।

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प्रश्न 13.
माइटोकॉण्ड्रिया को सचित्र वर्णन कीजिए।
उत्तर-
माइटोकॉण्ड्रिया का वर्णन-माइटोकॉण्डिया सभी यूकैरियोटिक कोशिकाओं के कोशिकाद्रव्य में पाया जाता है। यह दोहरो झिल्ली का बना होता है जिसमें एक तरल पदार्थ भरा रहता है। इसे बाह्य कक्ष कहते हैं। माइटोकॉण्डूिया की आन्तरिक झिल्ली के बीच की गुहा को आन्तरिक (UPBoardSolutions.com) कक्ष कहते हैं। इसमें मैट्रिक्स (आधानी) भरा होता है। आन्तरिक झिल्ली अन्दर की ओर अंगुलियों जैसी संरचनाएँ बनाती है जिन्हें क्रिस्टी कहते हैं। क्रिस्टी की सतह पर ऑक्सीसोम (F कण) नामक संरचनाएँ पाई जाती हैं।
UP Board Solutions for Class 9 Science Chapter 5 The Fundamental Unit of Life image -10
मैट्रिक्स में लिपिड्स, प्रोटीन, प्रकीण्व, कुण्डलित दोहरे स्टेण्ड वाले DNA एवं RNA तथा राइबोसोम पाये जाते हैं।

प्रश्न 14.
कोशिका झिल्ली के प्रमुख कार्य लिखिए।
उत्तर-
कोशिका झिल्ली के प्रमुख कार्य

  1. यह कोशिका को एक आकार प्रदान करती है।
  2. यह कोशिका के जीवित अंगों की सुरक्षा के लिए एक आवरण प्रदान करने का कार्य भी करती है।
  3. इसका मुख्य कार्य कोशिका के अन्दर और उसके बाहरी माध्यमों के बीच आणविक आदान-प्रदान को नियन्त्रित करना है।

प्रश्न 15.
गॉल्जीकाय या गॉल्जी बॉडी या गॉल्जी उपकरण का सचित्र वर्णन कीजिए।
उत्तर-
गॉल्जीकार्य या शल्जी उपकरण का वर्णन-गॉल्जीकाय दोहरी झिल्ली की बनी संरचनाएँ हैं। जो एक खाली स्थान के द्वारा एक-दूसरे से अलग-अलग स्थित होती हैं। इनमें तीन घटक होते हैं|
(1) चपटे कोष,
(2) आशय,
(3) रिक्तिकाएँ।
एक जन्तु कोशिका में 3 से 7 एवं पादप कोशिका में 10 से 20 गॉल्जीकाय पाये जाते हैं।
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ये लाल रुधिर कणिकाओं को छोड़कर सभी यूकैरियोटिक कोशिकाओं में समतल इकाई झिल्लियों के गुच्छे के रूप में पायी जाती हैं। कुछ अकशेरुकी जन्तुओं तथा पौधों की कोशिकाओं में अनेक असम्बद्ध इकाइयों के रूप में बिखरी होती हैं जिन्हें डिक्टियोसोम कहते हैं।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
एक जन्तु कोशिका का वर्णन कीजिए।
उत्तर-
जन्तु कोशिका का वर्णन – जन्तु कोशिका में अग्रलिखित भाग होते हैं

  1. कोशिका कला (झिल्ली) – यह तीन परतों की बनी होती है– बीच की परत लिपिड की तथा शेष दो प्रोटीन की। यह अर्द्ध-पारगम्य झिल्ली होती है।
  2. अन्तःप्रद्रव्यी जालिका – झिल्लियों से बना नलिकाकार तन्त्र जो बाहर कोशिका कला से तथा अन्दर केन्द्रक कला से जुड़ा हुआ है। इस तन्त्र की सतह पर राइबोसोम पाये जाते हैं।
  3. राइबोसोम – प्रोटीन एवं राइबोन्यूक्लिक अम्ल से बनी कणिकामय संरचनाएँ।
  4. लाइसोसोम – एकल झिल्ली से घिरी गोल संरचनाएँ जिनमें हाइड्रोजन एन्जाइम प्रचुर मात्रा में पाया जाता है।
  5. सेण्ट्रोसोम – केन्द्रक के निकट पाई जाने वाली संरचना जिसके खोखले भाग में तीन-तीन सूक्ष्म नलिकाओं के 9 समूह होते हैं।
  6. माइटोकॉण्डूिया – दो झिल्लियों से घिरी गोल अथवा चपटी संरचना जिसकी बाहरी झिल्ली चिकनी तथा भीतरी झिल्ली माइटोकॉण्डूिया की गुहिका में फँसी होती है जिसमें क्रिस्टी नामक अंग्रलासर प्रवर्ध निकले रहते हैं। यह कोशिका का ऊर्जा घर (Power house) होती है।
  7. गॉल्जी बॉडी – सिस्टर्नी नलिकाओं तथा गुहिकाओं से मिलकर बनी अर्द्धचन्द्राकार रचनाएँ हैं। यह सिस्टर्नी जाल के रूप में होती है।
  8. केन्द्रक – यह दोहरी केन्द्रक कला से घिरा हुआ गोल अथवा चपटे आकार का सबसे बड़ा कोशिकांग है। केन्द्रक में उपस्थित कणिकामय द्रव्य केन्द्रकद्रव्य कहलाता है। इसमें क्रोमेटिन तन्तुओं का जाल-सा बिछा रहता है।

प्रश्न 2.
वनस्पति कोशिका का वर्णन कीजिए।
उत्तर-
वनस्पति कोशिका का वर्णन-वनस्पति कोशिका की संरचना भी जन्तु कोशिका की तरह होती। है। लेकिन इसमें तारक काय (सेण्ट्रोसोम) नहीं पाया जाता है। इसके अतिरिक्त इसमें जन्तु कोशा के अतिरिक्त निम्नलिखित भाग और पाये जाते हैं

  1. कोशिका भित्ति – सेल्यूलोज का बना कोशिका का आवरण होता है।
  2. लवक – वनस्पति कोशा में तीन प्रकार के लवक पाये जाते हैं-(1) अवर्णी लवक, (2) हरित लवक तथा (3) वर्णी लवक। हरित लवक के कारण ही पौधों के विभिन्न भाग हरे दिखाई देते हैं।
  3. रसधानी – कोशिका के मध्य में विस्तृत रसधानी उपस्थित होती है।

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प्रश्न 3.
समसूत्री विभाजन की कितनी प्रावस्थाएँ होती हैं ? उनके नाम लिखिए।
उत्तर-
समरूपी विभाजन की प्रावस्थाएँ – समसूत्री विजन की निम्नलिखित पाँच प्रावस्थाएँ होती हैं।

  1.  विश्रामावस्था (Resting Period) अथवा अन्तरालावस्था या इण्टरफेज (Interphase)
  2. पूर्वावस्था या प्रोफेज (Prophase)
  3. मध्यावस्था या मेटाफेज (Metaphase)
  4. आश्वावस्था या एनाफेज (Anaphase)
  5. अत्यावस्था या टीलोफेज (Telophase)

प्रश्न 4.
अत:प्रद्रव्यी जालिका का सचित्र वर्णन कीजिए।
उत्तर-
अन्त: प्रद्रव्यी जालिका का वर्णन अन्त:प्रद्रव्यी जालिका में सूक्ष्म आशय (थैलियाँ) एवं नलिकाओं का जालक तन्त्र होता है। यह केन्द्रक झिल्ली से कोशिका झिल्ली तक कोशिकाद्रव्य में फैली रहती हैं।
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अन्तप्रद्रव्यी जालिका, जीवाणु, विषाणु, स्तनधारियों की लाल रक कणिकाओं तथा हरे-नीले शैवालों को छोड़कर सभी कोशिकाओं में पाई जाती है।

प्रश्न 5.
तारककाय का संचित्र वर्णन कीजिए।
उत्तर-
तारककाय (Centrosome) का वर्णन-तारककाय जन्तु कोशिकाओं में केन्द्रक के पास पाया जाता है। इसके अतिरिक्त यह शैवाल तथा कवक की कोशिकाओं में भी पाया (UPBoardSolutions.com) जाता है। प्रत्येक तारककाय में तारक केन्द्र होते हैं।
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प्रश्न 6.
लाइसोसोम का सचित्र वर्णन कीजिए।
उत्तर-
लाइसोसोम का वर्णन-लाइसोसोम 0.2 से 0.8 तक व्यास वाली इकाई झिल्ली की बनी गोलाकार या अण्डाकार संरचनाएँ होती हैं। इनमें पाचक प्रकोण्व (Digestive enzyme) पाये जाते हैं। इनमें 24 प्रकार के एन्जाइम पाये जाते हैं।
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लाइसोसोम यकृत, प्लीहा, श्वेत रक्त कणिकाएँ, अग्न्याशय, वृक्क, थॉयराइड ग्रन्थि आदि ऊतकों की कोशिकाओं में तथा पादप की विभाजी कोशिकाओं में पाये जाते हैं।

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प्रश्न 7.
राइबोसोम का सचित्र वर्णन कीजिए।
उत्तर-
राइबोसोम का वर्णन-राइबोसोम्स सघन, गोलाकार, कणिकामय संरचनाएँ हैं तथा कोशिका में उपस्थित सबसे छोटे कोशिकांग हैं। इनका व्यास लगभग 250A होता है। ये केवल RNA एवं प्रोटीन से निर्मित होते हैं तथा कलाविहीन कणों के रूप में क्लोरोप्लास्ट, माइटोकॉण्ड्रिया, केन्द्रक के अन्दर या अन्त:प्रद्रव्यी जालिका के ऊपर या कोशिकाद्रव्य में स्वतन्त्र रूप से पाये जाते हैं। ये अपारदर्शी होते हैं।
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प्रश्न 8.
लवक का सचित्र वर्णन कीजिए।
उत्तर-
लवक का वर्णन-लवक अधिकांश पादप तथा कुछ प्रकाश-संश्लेषी एक कोशिकीय जन्तुओं (Protoz0a) की कोशिकाओं में पाई जाने वाली छोटी-छोटी बिम्ब के समान, गोल अथवा अण्डाकार दोहरी दीवार युक्त संरचना होती है। ये तीन प्रकार के होते हैं

  1. अवर्णी लवक,
  2. हरित लवक तथा
  3. वर्णी लवक।
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प्रश्न 9.
प्रोकैरियोटिक एवं यूकैरियोटिक कोशिकाओं में अन्तर बताइये।
उत्तर-
प्रोकैरियोटिक तथा यूकैरियोटिक कोशिकाओं में अन्तर
UP Board Solutions for Class 9 Science Chapter 5 The Fundamental Unit of Life image -17

अभ्यास प्रश्न

बहुविकल्पीय प्रश्न

1. लाल रक्त कणिकाओं का निर्माण होता है
(a) फेफड़ों में
(b) हृदय में
(c) अस्थिमज्जा में
(d) गुर्दो में।

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2. कोशिका का ऊर्जागृह कहलाता है-
(a) लाइसोसोम
(b) माइटाकण्डूया
(c) गाजीबॉडी नीलॉटी
(d) केन्द्रक।

3. राइबोसोम संश्लेषण करता है
(a) प्रोटीन का
(b) RNA का
(c) DNA का
(d) इन सभी का

4. पौधों में हरा रंग निम्न के कारण होता है
(a) वर्णी लवक
(b) अवर्णी लवक
(c) हरित लवक
(d) ये सभी।

5. मानव शरीर में सबसे बड़ी कोशिका है
(a) नर्व सेल
(b) मसल सेल
(c) लिवर सेल
(d) किडनी सेल

6. जन्तु कोशिका में प्रोटोप्लाज्म तथा अन्य वातावरण के बीच रोधिका है
(a) सेल वाल
(b) न्यूक्लियर मेम्ब्रेन
(c) टोनोप्लास्ट
(d) प्लाज्मा मेम्ब्रेन

7. शब्द सेल’ देने वाले थे
(a) ल्यूवेन हुक
(b) रॉबर्ट हुक
(c) फ्लेमिंग।
(d) रॉबर्ट ब्राउन

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8. कोशिका सिद्धान्त प्रस्तावित करने वाले थे
(a) श्लीडेन तथा श्वान
(b) वाट्सन तथा क्रिक
(c) डार्विन तथा वैलेस
(d) मेण्डेल तथा मॉर्गन

9. निम्नलिखित की अनुपस्थिति के कारण पादप कोशिका जंतु कोशिका से भिन्न होती है
(a) एण्डोप्लाज्मिक रेटिकुलम
(b) माइटोकॉण्ड्रिया
(c) राइबोसोम
(d) सेण्ट्रियोल

10. सेन्ट्रोसोम निम्नलिखित में पाया जाता है
(a) साइटोप्लाज्मा
(b) न्यूक्लियस
(c) कोमोसोम
(d) न्यूक्लियोलस

11. कोशिका का बिजलीघर है
(a) क्लोरोप्लास्ट
(b) माइटोकॉण्डिॉन
(c) गॉल्जी अपरेटस
(d) न्यूक्लियोलस

12. कोशिका के भीतर श्वसन (ऑक्सीकरण) का स्थान है
(a) राइबोसोम
(b) गॉल्जी अपरेटस
(c) माइटोकॉण्डुिऑन
(d) एण्डोप्लाज्मिक रेटिकुलम

13. पाचक थैला कहलाता है
(a) सेण्ट्रोसोम
(b) लाइसोसोम
(c) मेसोसोम
(d) क्रोमोसोम

14. राइबोसोम निम्नलिखित के केन्द्र हैं
(a) रेस्पिरेशन
(b) फोटोसिथेसिस
(c) प्रोटीन सिन्थेसिस
(d) फैट सिन्थेसिप

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15. द्विक झिल्ली निम्नलिखित में अनुपस्थित होती है
(a) माइटोकॉण्डुिऑन
(b) क्लोरोप्लास्ट
(c) न्यूक्लियस
(d) लाइसोसोम

16. केवल पादपों में पाये जाने वाला कोशिकांगक है
(a) गॉल्जी अपरेटस
(b) माइटोकॉण्डिया
(c) प्लास्टिड
(d) राइबोसोम

17. केन्द्रक तथा कला परिबद्ध कोशिकांगक रहित जीव हैं
(a) डिप्लॉयड्स
(b) प्रोकैरियोट्स
(c) हैप्लॉयड्स
(d) यूकैरियोट

18. जंतु कोशिका निम्नलिखित के द्वारा सीमित होती है
(a) प्लाज्मा मेम्ब्रेन
(b) सेल मेम्ब्रेन
(c) सेल वाल।
(d) बेसमेन्ट मेम्ब्रेन

19. एण्डोप्लाज्पिक रेटिकुलम का जाल निम्नलिखित में उपस्थित होता है
(a) न्यूक्लियस
(b) न्यूक्लिमेलस
(c) साइटोप्लाज्म
(d) क्रोमोसोम्स

20. लाइसोसोम निम्नलिखित के आशय (reservoirs) हैं
(a) फैट
(b) RNA
(c) सिक्रीटरी ग्लाइकोप्रोटीन्स
(d) हाइड्रोलिटिक एन्जाइम्स

21. पादप कोशिका की रसधानी को घेरनेवाली झिल्ली कहलाते हैं
(a) टोनोप्लास्ट
(b) प्लाज्मा मेम्ब्रेन
(c) न्यूक्लियर मेम्ब्रेन
(d) सेले वाल

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22. कोशिका स्रवण निम्नलिखित के द्वारा किया जात है
(a) प्लास्टिड्स
(b) एण्डोप्लाज्मिक रेटिकुलम
(c) गॉल्नो अपरेटस
(d) न्यूक्लियोलस

23. सेण्ट्रियोल निम्नलिखित से सम्बद्ध है
(a) DNA सिन्थेसिस
(b) शिरोडक्शन
(c) स्पिण्डिल निर्माण
(d) रेस्पिरेशन

24. जंतु कोशिका और पादप कोशिका के बीच प्रमुख अंतर है
(a) न्यूट्रिशन
(b) ग्रोथ
(c) पूवमेन्ट
(d) रेस्पिरेशन

25. केन्द्रक रहित जंतु कोशिका में निम्नलिखित का भी अभाव होता है
(a) क्रोणेम
(b) राइबोसोम
(c) लाइसोसोम
(d) एन्डोप्लामिक रेटिकुलम

26. प्लाज्मोलिसिस निम्नलिखित के कारण होती है
(a) ऐब्जॉर्पशन
(b) एण्डॉस्मोसिस
(c) ऑस्मोसिस
(d) एक्सॉस्मोसिस

27. पादप कोशिका निम्नलिखित के कारण फूल जाती है
(a) प्लाज्मोलिसिस
(b) एक्सॉस्मोसिस
(c) एण्डॉस्मोरिस
(d) इलेक्ट्रोलिसिस

28. बाह्य विलयन में, निलेय सान्द्रण उच्चतर होने पर कहलाता है।
(a) हाइपोटॉनिल
(b) आइसटॉनिक
(c) हाइपरटॉनिक
(d) इनमें से कोई नहीं

29. हाइपोटॉनिक विलयन में रखी कोशिका
(a) सिकुड़ जाये।
(b) प्लाज्मोलिसिस प्रदर्शित कोगी।
(c) फूल जायेगी
(d) आकृति अथवा कार अपरिवर्तित रहे।

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30. सूर्यप्रकाश की विकिरण ऊर्जा, रासायनिक ऊर्जा में परिवर्तित होकर निम्नलिखित के रूप में संगृहीत होती है
(a) AMP
(b) ADP
(c) ATP
(d) APP

उत्तरमाला

  1. (d)
  2. (d)
  3. (a)
  4. (b)
  5. (a)
  6. (d)
  7. (b)
  8. (a)
  9. (d)
  10. (a)
  11. (b)
  12. (c)
  13. (b)
  14. (c)
  15. (d)
  16. (c)
  17. (b)
  18. (a)
  19. (c)
  20. (d)
  21. (a)
  22. (c)
  23. (c)
  24. (a)
  25. (a)
  26. (d)
  27. (c)
  28. (c)
  29. (c)
  30. (c)

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UP Board Solutions for Class 9 Social Science Economics Chapter 3 निर्धनता : एक चुनौती

UP Board Solutions for Class 9 Social Science Economics Chapter 3 निर्धनता : एक चुनौती

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पाठ्य-पुस्तक के प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
भारत में निर्धनता रेखा का आकलन कैसे किया जाता है?
उत्तर:
भारत में निर्धनता रेखा का आकलन करने के लिए आय या उपभोग स्तरों पर आधारित एक सामान्य पद्धति का प्रयोग किया जाता है। भारत में गरीबी रेखा का निर्धारण करते समय जीवन निर्वाह हेतु खाद्य आवश्यकता, कपड़ों, जूतों, ईंधन और प्रकाश, शैक्षिक एवं चिकित्सा सम्बन्धी आवश्यकताओं को प्रमुख माना जाता है। निर्धनता रेखा का आकलन करते समय खाद्य आवश्यकता के लिए वर्तमान सूत्र वांछित कैलोरी आवश्यकताओं पर आधारित है। खाद्य वस्तुएँ जैसे अनाज, दालें, आदि मिलकर इस आवश्यक (UPBoardSolutions.com) कैलोरी की पूर्ति करती है। भारत में स्वीकृत कैलोरी आवश्यकता ग्रामीण क्षेत्रों में 2400 कैलोरी प्रति व्यक्ति प्रतिदिन एवं नगरीय क्षेत्रों में 2100 कैलोरी प्रति व्यक्ति प्रतिदिन है। चूंकि ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले लोग अधिक शारीरिक कार्य करते हैं, अतः ग्रामीण क्षेत्रों में कैलोरी आवश्यकता शहरी क्षेत्रों की तुलना में अधिक मानी गई है।

अनाज आदि रूप में इन कैलोरी आवश्यकताओं को खरीदने के लिए प्रति व्यक्ति मौद्रिक व्यय को, कीमतों में वृद्धि को ध्यान में रखते हुए समयसमय पर संशोधित किया जाना है। इन परिकल्पनाओं के आधार पर वर्ष 2000 में किसी व्यक्ति के लिए निर्धनता रेखा का निर्धारण ग्रामीण क्षेत्रों में १ 328 प्रतिमाह और शहरी क्षेत्रों में २ 454 प्रतिमाह किया गया था।

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प्रश्न 2.
क्या आप समझते हैं कि निर्धनता आकलन का वर्तमान तरीका सही है?
उत्तर:
वर्तमान निर्धनता अनुमान पद्धति पर्याप्त निर्वाह स्तर की बजाय न्यूनतम स्तर को महत्त्व देती है। सिंचाई और क्रान्ति के फैलाव ने कृषि के क्षेत्र में कई नौकरियों के अवसर दिए लेकिन भारत में इसका प्रभाव कुछ भागों तक ही सीमि रहा है। सार्वजनिक और निजी दोनों क्षेत्रों के उद्योगों ने नौकरियों के (UPBoardSolutions.com) अवसर दिए हैं। लेकिन ये नौकरी लेने वालों की अपेक्षा बहुत कम है। निर्धनता को विभिन्न संकेतकों के द्वारा जाना जा सकता है। जैसे अशिक्षा का स्तर, कुपोषण के कार मान्य प्रतिरोधक क्षमता में कमी, स्वास्थ्य सेवाओं तक कम पहुँच, नौकरी के कम अवसर, पीने के पानी में कमी, सफाई व्यवस्था आदि। सामाजिक अपवर्जन और असुरक्षा के आधार पर निर्धनता का विश्लेषण अब सामान्य है। गरीबी पर सामाजिक उपेक्षा एवं गरीबी का शिकार होने की प्रवृत्ति के आधार पर भी विचार किया जा सकता है।

प्रश्न 3.
भारत में 1973 से निर्धनता की प्रवृत्तियों की चर्चा करें।
उत्तर:
भारत में 1973 से निर्धनता की प्रवृत्ति को निम्न तालिका द्वारा प्रदर्शित किया गया है-
UP Board Solutions for Class 9 Social Science Economics Chapter 3 निर्धनता एक चुनौती

प्रश्न 4.
भारत में निर्धनता की अंतर-राज्य असमानताओं का एक विवरण प्रस्तुत करें।
उत्तर:
भारत में निर्धनता की अन्तर्राज्य असमानता का वितरण निम्नलिखित तालिका द्वारा स्पष्ट है
UP Board Solutions for Class 9 Social Science Economics Chapter 3 निर्धनता एक चुनौती
भारत के निश्चित क्षेत्रों के गरीबी अनुपात (1999-2000) से यह स्पष्ट होता है कि ओडिशा भारत का सबसे गरीब राज्य है जिसकी 47.2% जनसंख्या गरीबी रेखा से नीचे रहती है। जम्मू-कश्मीर में सबसे कम 3.5% लोग गरीबी रेखा के नीचे रहते हैं। भारत में कुल 26.1% लोग निर्धनता की रेखा के नीचे हैं।

प्रश्न 5.
उन सामाजिक और आर्थिक समूहों की पहचान करें जो भारत में निर्धनता के समक्ष निरुपाय हैं।
उत्तर:
अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति तथा अन्य पिछड़े वर्ग के परिवार उन सामाजिक समूहों में शामिल हैं, जो निर्धनता के प्रति सर्वाधिक असुरक्षित हैं। इसी प्रकार, आर्थिक समूहों में सर्वाधिक असुरक्षित समूह, ग्रामीण कृषि श्रमिक परिवार और नगरीय अनियमित मजदूर परिवार हैं। इसके अलावा महिलाओं, वृद्ध लोगों और बच्चियों को अति निर्धन माना जाता है क्योंकि उन्हें सुव्यवस्थित ढंग से परिवार के उपलब्ध संसाधनों तक पहुँच से वंचित रखा जाता है।

प्रश्न 6.
भारत में अन्तर्राज्यीय निर्धनता में विभिन्नता के कारण बताइए।
उत्तर:
भारत में अन्तर्राज्यीय निर्धनता में विभिन्नता के प्रमुख कारण इस प्रकार हैं

  1. केन्द्रीय प्रादेशिक सरकार समान रूप से सभी क्षेत्रों में समान निवेश नहीं करती।
  2.  दूर स्थित ग्रामीण क्षेत्रों, पहाड़ी एवं रेगिस्तानी इलाकों की अवहेलना की जाती है।
  3.  प्राकृतिक आपदा जैसे—बाढ़, तूफान, सूनामी का सभी राज्यों में न होना।
  4.  प्रत्येक राज्य में निर्धन लोगों का अनुपात एकसमान नहीं है।
  5. प्रत्येक राज्य का प्राकृतिक वातावरण, जलवायु, मिट्टी, वर्षा आदि समान नहीं है।
  6.  प्रत्येक राज्य समान रूप से मानव संसाधन अर्थात् शिक्षा और स्वास्थ्य का विकास नहीं कर पाए हैं।
  7.  प्रत्येक राज्य में भूमि सुधार का कार्य समान नहीं हुआ है।

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प्रश्न 7.
वैश्विक निर्धनता की प्रवृत्तियों की चर्चा करें।
उत्तर:
विश्व बैंक के अनुसार सार्वभौमिक निर्धनता जो 1990 में 28% थी, घटकर 2001 में 21% हो गयी। निर्धनता में स्थिरता से चीन एवं दक्षिणी एशिया के देशों में मानवीय संसाधनों में वृद्धि के कारण कम है। भारत, पाकिस्तान, श्रीलंका, नेपाल, भूटान एवं बांग्लादेश में तेजी से निर्धनता में कमी नहीं हुई है।
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प्रश्न 8.
निर्धनता उन्मूलन की वर्तमान सरकारी रणनीति की चर्चा करें।
उत्तर:
भारत से निर्धनता उन्मूलन करने हेतु निम्नलिखित उपाय अपनाये गए हैं|

  1. आर्थिक विकास में वृद्धि–आर्थिक विकास की दर में वृद्धि करना निर्धनता उन्मूलन हेतु महत्त्वपूर्ण कदम है। राष्ट्रीय आय में जनसंख्या के अनुपात में वृद्धि तेजी से होनी चाहिए तभी आर्थिक विकास में वृद्धि हो सकती है।
  2. भूमि सुधार-निर्धनता दूर करने के लिए भूमि की हदबंदी कानून के अन्तर्गत प्राप्त भूमि को भूमिहीन एवं गरीब किसानों में बाँट देना चाहिए। भूमि के बिखराव को रोकना चाहिए और खेतों की चकबंदी की जानी चाहिए।
  3. जनसंख्या पर नियंत्रण-गरीबी को अधिक सीमा तक कम किया जा सकता है यदि हम परिवार नियोजन पर जोर दें। जनसंख्या नियंत्रण से प्रति व्यक्ति आय में वृद्धि होगी। यह जनसंख्या वृद्धि की दर में एवं आर्थिक संसाधनों के बीच अन्तर करने में सहायक होगा।
  4. अत्यधिक रोज़गार के अवसर-ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्रों में रोज़गार के अवसरों को बढ़ाकर भारत में बेरोज़गारी को कम किया जा सकता है। इस प्रकार सार्वजनिक कार्य विस्तृत पैमाने (extensive scale) पर प्रारम्भ किया। जाना चाहिए। लघु एवं कुटीर उद्योग को प्रोत्साहित (UPBoardSolutions.com) करना चाहिए। मानवशक्ति का कुशल उपयोग निःसंदेह अर्थव्यवस्था में आय उत्पन्न करेगी और इससे गरीबी को कुछ सीमा तक कम किया जा सकता है।

प्रश्न 9.
निम्नलिखित प्रश्नों के संक्षेप में उत्तर दें
(क) मानव निर्धनता से आप क्या समझते हैं?
(ख) निर्धनों में भी सबसे निर्धन कौन हैं?
(ग) राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम, 2005 की मुख्य विशेषताएँ क्या हैं?
उत्तर:
(क) “मानव निर्धनता’ की अवधारणा मात्र-आय की न्यूनता तक ही सीमित नहीं है। इसका अर्थ है किसी व्यक्ति को राजनीतिक, सामाजिक और आर्थिक अवसरों का उचित स्तर न मिलना। अशिक्षा, रोजगार के अवसरों की कमी, स्वास्थ्य सेवा की सुविधाओं और सफाई व्यवस्था में कमी, जाति, लिंग-भेद आदि मानव निर्धनता के कारक हैं।
(ख) महिलाओं, वृद्ध लोगों और बच्चों को अति निर्धन माना जाता है क्योंकि उन्हें सुव्यवस्थित ढंग से परिवार के उपलब्ध संसाधनों तक पहुँच से वंचित रखा जाता है।
(ग) राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम, 2005 (एन.आर.ई.जी.ए.) की विशेषताएँ निम्नलिखित हैं

  1. 200 जिलों में प्रत्येक वर्ष गृहस्थ को 100 दिन के रोजगार का आश्वासन प्रदान करना। बाद में यह योजना 600 | जिलों में कर दी गई।
  2. 1/3 आरक्षित कार्य (jobs) महिलाओं के लिए होंगे।
  3.  केन्द्रीय सरकार राष्ट्रीय रोज़गार आश्वासन कोष का निर्माण करेगी।
  4.  यदि कार्य 50 दिन के भीतर प्रदान नहीं कराया गया तो प्रतिदिन रोज़गार भत्ता दिया जाएगा।

अतिलघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
भारत और चीन की निर्धनता में कमी के आँकड़ों के बारे में बताइए।
उत्तर:
भारत में निर्धनता का अनुपात 1990 के 20 प्रतिशत से बढ़कर 2001 में 21 प्रतिशत हो गया है। चीन में निर्धनता की संख्या 1981 के 60.6 करोड़ से घटकर 2001 में 21.2 करोड़ हो गयी।

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प्रश्न 2.
सरकार द्वारा चलाए गए निर्धनता निरोधी कार्यक्रम ज्यादा कारगर साबित क्यों नहीं हो रहा है?
उत्तर:
निर्धनता निरोधी कार्यक्रम के कम प्रभावी होने का एक मुख्य कारण उचित कार्यान्वयन और सही लक्ष्य निश्चित करने की।

प्रश्न 3.
उन पाँच राज्यों के नाम बताएँ जहाँ निर्धनता सबसे कम और सबसे अधिक है।
उत्तर:
भारत के पाँच सबसे कम निर्धन राज्य-जम्मू कश्मीर, पंजाब, हिमाचल प्रदेश, हरियाणा, केरल। भारत के पाँच सबसे अधिक निर्धन राज्य–ओडिशा, बिहार, झारखण्ड, मध्य प्रदेश, असम।

प्रश्न 4.
भारत में निर्धनता के किन्हीं दो कारणों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
भारत की दीर्घकालिक बेरोजगारी में वृद्धि होना।
स्वतन्त्रता के पश्चात् भूमि और अन्य संसाधनों का असमान वितरण।

प्रश्न 5.
भारत में निर्धनता सम्बन्धी चुनौतियों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
(क) लैंगिक समता तथा निर्धनों में सम्मान ।
(ख) शिक्षा व रोजगार सुरक्षा उपलब्ध कराना
(ग) न्यूनतम आवश्यक आय की उपलब्धता
(घ) सभी को स्वास्थ्य सेवाएँ उपलब्ध कराना।

प्रश्न 6.
उन पाँच देशों का उल्लेख कीजिए, जिनकी ज्यादातर जनसंख्या गरीबी रेखा से नीचे है।
उत्तर:

  1. नाइजीरिया,
  2. बांग्लादेश,
  3.  भारत,
  4.  पाकिस्तान,
  5.  चीन।।

प्रश्न 7.
उन पाँच राज्यों का नामोल्लेख कीजिए जिनकी अल्पसंख्या गरीबी की रेखा के नीचे हैं
उत्तर:

  1. जम्मू-कश्मीर,
  2.  गोवा,
  3.  पंजाब,
  4. हरियाणा,
  5. हिमाचल प्रदेश।

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प्रश्न 8.
उन पाँच राज्यों के नाम बताइए जिनमें लोगों का अधिकांश भाग गरीबी रेखा से नीचे है।
उत्तर:

  1. ओडिशा,
  2. बिहार,
  3.  मध्य प्रदेश,
  4. उत्तर प्रदेश,
  5. पश्चिम बंगाल।

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
देश में गरीबी दूर करने के लिए सरकार द्वारा शुरू की गयी योजनाओं का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:

  1. राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार आश्वासन अधिनियम (NREGA), 2005
  2.  राष्ट्रीय कार्य के बदले भोजन योजना (NFWP), 2004
  3.  प्रधानमंत्री रोज़गार योजना (PMRY), 1993
  4. ग्रामीण रोज़गार विकास योजना (REGP), 1995
  5.  स्वर्णजयंती ग्राम स्वरोज़गार योजना (SGSY), 1999
  6.  प्रधानमंत्री ग्रामोद्योग योजना (PMGY), 2000
  7. अन्त्योदय अन्न योजना (AAY)

प्रश्न 2.
‘आर्थिक संवृद्धि एवं निर्धनता उन्मूलन के बीच घनिष्ठ सम्बन्ध है।’ स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
विकास की उच्च दर ने निर्धनता को कम करने में एक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है। 1980 के दशक से भारत | की आर्थिक संवृद्धि-दर विश्व में सबसे अधिक रही। संवृद्धि-दर 1970 के दशक के करीब 3.5 प्रतिशत के औसत से बढ़कर 1980 और 1990 के दशक में 6 प्रतिशत के करीब पहुँच गई। अधिक संवृद्धि-दर निर्धनता उन्मूलन को कम करने में सहायक (UPBoardSolutions.com) होती है। इसलिए यह स्पष्ट होता जा रहा है कि आर्थिक संवृद्धि और निर्धनता उन्मूलन के बीच एक घनिष्ठ सम्बन्ध है। आर्थिक संवृद्धि अवसरों को व्यापक बना देती है और मानव विकास में निवेश के लिए आवश्यक संसाधन उपलब्ध कराती है। यह शिक्षा में निवेश से अधिक आर्थिक प्रतिफल पाने की आशा में लोगों को अपने बच्चों को लड़कियों सहित स्कूल भेजने के लिए प्रोत्साहित करती है।

प्रश्न 3.
सरकार की वर्तमान निर्धनता-निरोधी रणनीतियाँ किन दो कारकों पर आधारित हैं? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
निर्धनता-उन्मूलन भारत की विकास रणनीति का प्रमुख उद्देश्य रहा है। सरकार की वर्तमान निर्धनता-निरोधी रणनीति मुख्य रूप से निम्न दो कारकों पर आधारित है

लक्षित निर्धनता-निरोधी कार्यक्रम-सरकार ने निर्धनता को समाप्त करने के लिए कई निर्धनता-निरोधी कार्यक्रम चलाए। जैसे-राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम, 2005, प्रधानमंत्री रोजगार योजना, ग्रामीण रोजगार सृजन, स्वर्ण जयंती ग्राम स्वरोज़गार योजना, प्रधानमंत्री ग्रामोदय योजना, अंत्योदय अन्न योजना, राष्ट्रीय काम के बदले अनाज।

आर्थिक संवृद्धि को प्रोत्साहन-विकास की उच्च दर ने निर्धनता को कम करने में एक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है। 1980 के दशक से भारत की आर्थिक संवृद्धि-दर विश्व में सबसे अधिक रही। संवृद्धि-दर 1970 के दशक के करीब 3.5 प्रतिशत के औसत से बढ़कर 1980 और 1990 के (UPBoardSolutions.com) दशक में 6 प्रतिशत के करीब पहुँच गई। इसलिए यह स्पष्ट होता जा रहा है कि आर्थिक संवृद्धि और निर्धनता उन्मूलन के बीच एक घनिष्ठ सम्बन्ध है। आर्थिक संवृद्धि अवसरों को व्यापक बना देती है और मानव विकास में निवेश के लिए आवश्यक संसाधन उपलब्ध कराती है।

प्रश्न 4.
गरीबी की विशेषताएँ बताइए।
उत्तर:
गरीब चाहे ग्रामीण हों या शहरी उनकी विशेषताएँ लगभग एक जैसी होती हैं। उनकी सामान्य विशेषताओं को नीचे समझाया गया है–

  1. भूख, भुखमरी एवं कुपोषण-अपर्याप्त भोजन गरीबी की महत्त्वपूर्ण विशेषता है। यह कुपोषण भूख और भुखमरी को पैदा करती है।
  2.  बुरा स्वास्थ्य एवं शिक्षा-बुरा स्वास्थ्य एवं बुरी शिक्षा सदैव गरीबी का ही परिणाम होता है।
  3. कार्य का निरंतर न होना, सौदेबाजी की क्षमता में कमी-गरीब लोग बेरोज़गारी, अल्प रोज़गार एवं मौसमी बेरोज़गारी के शिकार होते हैं जो उनकी मज़दूरी को कम करता है और इससे दुबारा उनकी गरीबी बढ़ती है। 4. सीमित आर्थिक अवसर-गरीबी संसाधनों की कमी से (UPBoardSolutions.com) पीड़ित होती है। गरीबों को सीमित आर्थिक अवसरों की उपलब्धता के कारण फिर गरीबी का सामना करना पड़ता है। यह गरीब लोगों को निर्धनता के चक्र से निकलने नहीं देती।

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प्रश्न 5.
गरीब कौन है और इसकी पहचान किस आधार पर की जा सकती है?
उत्तर:
सामान्य तौर पर एक व्यक्ति तब तक गरीब माना जाता है यदि वह भूमिहीन है, कृषि मजदूर, शहरी मजदूर, गंभीर ऋणग्रस्तता के शिकार, बुरा स्वास्थ्य, भूख एवं भुखमरी में है। गरीब लोग कुपोषण, बेरोज़गारी, परिवार के बड़े आकार, असहाय एवं दुर्भाग्य के शिकार (UPBoardSolutions.com) होते हैं। योजना आयोग के अनुसार वह व्यक्ति जो गरीबी रेखा से नीचे है, गरीब है। ग्रामीण क्षेत्रों में जिनके पास 2400 से कम एवं शहरी क्षेत्रों में 2100 से कम कैलोरी है।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
आर्थिक विकास की दर में वृद्धि के उपाय बताइए।
उत्तर:
आर्थिक विकास की दर में वृद्धि गरीबी को दूर करने के लिए सबसे महत्त्वपूर्ण कार्य है। इसके लिए निम्नलिखित कार्य किए जा सकते हैं

  1. देश के पिछड़े हुए क्षेत्रों में कुटीर एवं लघु उद्योगों का निर्माण करना।
  2.  देश के प्राकृतिक, मानवीय एवं पूँजी संसाधनों का कुशलतम उपयोग करना।
  3. सार्वजनिक अनुत्पादित व्यय के स्थान पर सार्वजनिक उत्पादित व्यय को प्राथमिकता देना।
  4.  गरीब लोगों के लिए पूर्ण एवं अधिक उत्पादित रोज़गार।।
  5. गरीबों को न्यूनतम एवं उपयुक्त मजदूरी।
  6.  समाज के गरीब वर्गों के लिए स्वयं रोज़गार के अवसरों में वृद्धि करना।
  7. गरीब श्रमिकों की श्रम उत्पादकता में वृद्धि के लिए शिक्षा, प्रशिक्षण एवं स्वास्थ्य की व्यवस्था करना।

प्रश्न 2.
ग्रामीण गरीब की विशेषताएँ बताइए तथा शहरी गरीबी के कारण बताइए।
उत्तर:
ग्रामीण गरीब की प्रमुख विशेषताएँ इस प्रकार हैं

गंभीर ऋणग्रस्तता–एक ग्रामीण गरीब के पास सीमित साधन होते हैं। उसकी आय उसके परिवार की आधारभूत आवश्यकताओं को सन्तुष्ट करने में अपर्याप्त होती है। इस प्रकार वह ऊँची ब्याज दर पर ऋण प्राप्त करने के लिए मजबूर होता है।

बाल श्रम–बच्चों को अपने माता-पिता की कम आय में सहायता करने की आवश्यकता होती है। इसलिए उन्हें ग्रामीण फैक्ट्रियों या ढाबों में श्रमिक के रूप में कार्य करना पड़ता है।

ईंधन के रूप में गोबर एवं लकड़ी का उपयोग करना-गंभीर गरीबी के कारण ग्रामीण लोग अपना खाना पकाने के लिए ईंधन के रूप में गोबर एवं लकड़ी का उपयोग करते हैं। वह ईंधन के रूप में कोयला, मिट्टी का तेल, बिजली एवं गैस के खर्चे को सहन नहीं कर सकते।

भूमिहीन–ग्रामीण गरीबों के पास अपनी भूमि नहीं होती। यदि कोई भूमि का टुकड़ा होता है तो यह बहुत छोटा टुकड़ा होता है जो उसके परिवार की आवश्यकताओं को सन्तुष्ट नहीं कर सकता।

कृषि श्रमिक–अपर्याप्त एवं भूमि के टुकड़े का नहीं होना ग्रामीण व्यक्ति को कार्य से वंचित रखता है। इस प्रकारउन्हें कृषि श्रमिक के रूप में साहूकारों के पास कार्य करना पड़ता है और वह स्वयं को शोषण के लिए उन्हें समर्पित कर देते हैं। अधिकांश कार्य मौसमी एवं अस्थायी होते हैं एवं परेशानियाँ जारी रहती हैं।

 कच्ची घर-ग्रामीण मज़दूरों का घर कच्चा होता है, जहाँ दीवारें मिट्टी की एवं छत सामान्य तौर पर घास-फूस एवं लकड़ियों से बनी होती है। यह घर तेज हवा, वर्षा एवं ठंड का सामना करने में असमर्थ होते हैं। शहरी गरीबी के प्रमुख कारण इस प्रकार हैं

  1. बुरा स्वास्थ्य-गरीबी, भुखमरी, ऋणग्रस्तता एवं मानसिक परेशानी को पैदा करती है जो बुरे स्वास्थ्य को बढ़ावा | देती है और जो कार्य की हानि करके गरीबी में दोबारा योगदान देती है।
  2. अस्वच्छता एवं बिजली की अनुपलब्धता-सफाई सुविधाओं का झुग्गी-झोंपड़ी के क्षेत्रों में अभाव है। सामान्य तौर पर बिजली उपलब्ध नहीं है। अस्वच्छता गंभीर बीमारियों एवं बुरे स्वास्थ्य का कारण होती है।
  3.  स्वच्छ पीने के पानी की अनुपलब्धता-यह बहुत दुख की बात है कि इन असहाय एवं दुर्भाग्य लोगों को पीने को स्वच्छ पानी भी उपलब्ध नहीं है।
  4.  झुग्गी-झोंपड़ी के निवासी-शहरी गरीब आवासीय क्षेत्रों में घर का प्रबन्ध नहीं कर सकते। इसलिए वह अपने घर शहर के किनारे एवं झुग्गी-झोंपड़ी के क्षेत्रों में बनाते हैं जो गंदे, अस्वच्छ कीचड़ एवं कूड़ा करकट वाले होते | हैं और मानवीय निवास के लिए अनुपयुक्त हैं।
  5. निरक्षरता-गरीबी एवं निरक्षरता दोनों एक-दूसरे पर निर्भर हैं। गरीबी, निरक्षरता को बढ़ाती है और निरक्षरता गरीबी को सामान्य तौर पर गरीब बच्चों को अपने माता-पिता की कम आय में सहायता के लिए कार्य करना पड़ता है। स्कूल जाने के लिए उनके पास समय एवं पैसा नहीं होता।
  6. अनिरन्तर रोज़गार-शहरी गरीबों के पास सामान्य तौर पर निरन्तर कार्य नहीं होता। कुछ समय वह कार्यरत होते हैं और वर्ष के कई महीने तक वह बेरोज़गार होते हैं। वह मौसमी एवं वार्षिक बेरोज़गारी के शिकार होते हैं। जो उनके जीवन को कठिन बनाती है।

प्रश्न 3.
विश्व में प्रत्येक व्यक्ति के लिए भोजन है फिर भी लोग भूख की वजह से क्यों मरते हैं?
उत्तर:
निर्धनता का आशय है भोजन एवं आवास का अभाव। यह एक अवस्था है जहाँ व्यक्ति की मूलभूत सुविधाएँ जैसे–चिकित्सा सुविधा, शैक्षिक सुविधा, आधारभूत नागरिक सुविधायें प्रप्त नहीं कर पाता। यूनाइटेड नेशन के अनुसार लगभग 25000 लोग प्रतिदिन भूख या भूख-सम्बन्धी बीमारियों के कारण मर जाते हैं, जिनमें अधिकतर बच्चे होते हैं। हालांकि विश्व में प्रत्येक व्यक्ति के लिए भोजन है परन्तु उसे खरीदने के लिए पैसों की कमी के कारः लोग कुपोषित हैं, वे कमजोर और बीमार रहते हैं। इस कारण वे कम काम कर पाते हैं (UPBoardSolutions.com) जिससे वे और निर्धन तथा भूखे हाते जाते हैं।

यह चक्र उनके और उनके परिवार वालों के लिए मृत्यु तक चलता रहता है। इस समस्या को सुलझाने के लि। कई कार्यक्रम भी चलाए । ‘खाने के लिए काम कार्यक्रम-जिसमें व्यस्कों को स्कूल बनाने, कुएं खोदने, सड़कें बनाने आदि के काम के लिए रवाना दिया जाता है। इससे निर्धनों को पोषण मिलता है और निर्धनता को समाप्त करने के लिए संरचना तैयार होती है। ‘ग्वाने के लिए शिक्षा कार्यक्रम –जिसमें बच्चों को भोजन दिया जाता है जब वे स्कूल में उपस्थित हो। उनकी शिक्षा उन्हें भूख और वैश्विक निर्धनत बचा सकती है।

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प्रश्न 4.
सरकार द्वारा संचालित निर्धनता निरोधी रणनीतियों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
सरकार द्वारा संचालित निर्धनता निधी रणनीतियों का विवर!

ग्रामीण रोजगार सृजन कार्यक्रम

  • के इस कार्यक्रम को 1995 में आरम्भ किया गया।
  • इसका उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों और छोटे शहरों में स्वराजः के अनः जिन ३रन है।\दसवीं पंचवर्षीय योजना में इस कार्यक्रम के अन्तर्गत 2 लाख नए जिगार के अवसर सृजित करने का नक्ष्य गल्ला गया है

स्वर्ण जयंती ग्राम स्वरोजगार योजना

  • इस कार्यक्रम का आरम्भ 1999 में किया गया।इस कार्यक्रम का उद्देश्य सहायता प्राप्त निर्धन परिवारों के सहाय।
  • सही में ३ बैंक ऋण और सरकारी सहायिकी के संयोजन द्वारा निर्धनता रेखा से ऊपर लाना ।

प्रधानमंत्री ग्रामोदय योजना

  • यह योजना 2000 में आरम्भ की गई।
  •  इसके अन्तर्गत प्राथमिक स्वास्थ्य, प्राथमिक शिक्षा, ग्रामीण आश्रय, ग्रामीण पेयजल और ग्रामीण विद्युतीकरण जैसी मूल सुविधाओं के लिए राज्यों को अतिरिक्त केन्द्रीय महायता प्रदान की जाती है।

राष्ट्रीय काम के बदले अनाज कार्यक्रम

  • यह कार्यक्रम 2004 में देश के सबसे पिछड़े 150 जिलों में लागू किया गया था। यह कार्यक्रम उन सभी ग्रामी निर्धनों के लिए है, जिन्हें मजदूरी पर रोजगार की आवश्यकता है और जो अकुशल शारीरिक काम करने के इच्छुक हैं।
  • इसके लिए राज्यों को खाद्यान्न निःशुल्क उपलब्ध कराए जा रहे हैं।

प्रधानमंत्री रोजगार योजना

• इस योजना को 1993 में आरम्भ किया गया।
• इस कार्यक्रम का उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों और छोटे शहरों में शिक्षित बेरोजगार युवाओं के लिए स्वरोजगार के अवसर सृजित करना है।
• इस कार्यक्रम में लघु व्यवसाय और उद्योग स्थापित करने में उनकी सहायता की जाती है।

राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम, 2005

  • राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम, 2005 को सितम्बर, 2005 में पारित किया गया।
  • प्रत्येक ग्रामीण परिवार को 100 दिन के सुनिश्चित रोजगार का प्रावधान करता है। | प्रारम्भ में यह विधेयक प्रत्येक वर्ष देश के 200 जिलों में और बाद में इस योजना का विस्तार 600 जिलों में किया गया। प्रस्तावित रोजगारों का एक तिहाई रोजगार महिलाओं के लिए (UPBoardSolutions.com) आरक्षित है। केन्द्र सरकार राष्ट्रीय रोजगार गारंटी कोष भी स्थापित करेगी।
  • इसी तरह राज्य सरकारें भी योजना के कार्यान्वयन के लिए राज्य स्वरोजगार गारंटी कोष की स्थापना करेंगी। कार्यक्रम के अन्तर्गत अगर आवेदक को 15 दिन के अंदर रोजगार उपलब्ध नहीं कराया गया तो वह दैनिक बेरोजगारी भत्ते का हकदार होगा।

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UP Board Solutions for Class 10 Home Science Chapter 23 नाड़ी, श्वास-गति और ताप का चार्ट बनाना

UP Board Solutions for Class 10 Home Science Chapter 23 नाड़ी, श्वास-गति और ताप का चार्ट बनाना

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विस्तृत उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
मनुष्य के शरीर की तापमान ज्ञात करने के उपकरण एवं उनका प्रयोग करने की विधि का वर्णन कीजिए। चित्र की सहायता से थर्मामीटर के बारे में लिखिए। [2011]
                                                                                  या
थर्मामीटर से तापक्रम नापने की विधि लिखिए। थर्मामीटर का प्रयोग करते समय आप क्या सावधानियाँ रखेंगी? [2010, 13, 14, 16]
                                                                                  या
रोगी के तापक्रम चार्ट का क्या महत्त्व है? टाइफाइड तथा मलेरिया रोग के तापमान अंकन चार्ट का नमूना बनाइए। [2008]
                                                                                  या
तापक्रम चार्ट कैसे और क्यों बनाया जाता है ? किन रोगों में इसका बनाना अति आवश्यक है ? [2009]
                                                                                  या
रोगी का तापमान लेते समय किन-किन बातों का ध्यान रखना चाहिए? [2012, 13, 14, 15]
                                                                                  या
थर्मामीटर से आप क्या समझती हैं? थर्मामीटर का प्रयोग करते समय ध्यान में रखने योग्य तथ्य क्या हैं? [2012, 13, 14, 15, 16]
                                                                                  या
तापमान चार्ट में आप क्या-क्या लिखेंगी ? [2016]
उत्तर:
क्लीनिकल थर्मामीटर व्यक्ति के स्वास्थ्य के मूल्यांकन के लिए उसके शरीर के तापमान को जानना आवश्यक होता है। स्वस्थ व्यक्ति के शरीर का सामान्य तापक्रम 98.4° फारेनहाइट होता है। शरीर के तापमान को मापने वाले उपकरण को क्लीनिकल थर्मामीटर कहा जाता है। (UPBoardSolutions.com) यह एक विशेष प्रकार का उपकरण है जिससे किसी भी व्यक्ति के शरीर का तापमान ज्ञात किया जा सकता है। यह एक काँच की बनी नली होती है जिसके बीच में एक सँकरी नली  के समान रिक्त स्थान होता है। इसके एक सिरे : पर एकै घुण्डी के अन्दर पारा भरा होता है।
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घुण्डी को उच्च ताप पर रखने पर पारा सँकरे रिक्त स्थान में ऊपर की ओर बढ़ने लगता है। थर्मामीटर लम्बाई में चिह्नांकित रहता है। प्रायः दो प्रकार के थर्मामीटर प्रयोग में लाए जाते हैं। एक प्रकार का थर्मामीटर शरीर का ताप फारेनहाइट में नापता है। इसमें सामान्यतः 95° फारेनहाइट से 110° फारेनहाइट तक चिह्न लगे होते हैं। दूसरे प्रकार के थर्मामीटर से शरीर का ताप सेल्सियस में नापा जाता है तथा इस पर 35° सेण्टीग्रेड से 43° सेण्टीग्रेड तक चिह्न लगे होते हैं। प्रथम प्रकार के थर्मामीटर में 98.4° फारेनहाइट पर तथा दूसरे प्रकार के थर्मामीटर में 36° सेण्टीग्रेड पर तीर को लाल चिह्न बना होता है, जो कि एक स्वस्थ मनुष्य के शारीरिक ताप का द्योतक होता है।

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थर्मामीटर का प्रयोग-
प्रयोग करने से पूर्व थर्मामीटर को स्वच्छ पानी से भली प्रकार साफ कर लेना चाहिए। चिकित्सालय में थर्मामीटर अनेक व्यक्तियों का ताप ज्ञात करने के लिए प्रयुक्त होता है। अत: प्रत्येक बार प्रयोग में लाने के लिए इसे स्प्रिट द्वारा साफ कर रोगाणुरहित किया जाता है। तत्पश्चात् थर्मामीटर को झटककर इसके पारे को सबसे नीचे के चिह्न परे उतार लेते हैं। अब इसे घुण्डी (बल्ब) की ओर से रोगी के मुँह (जीभ के नीचे) लगा दिया जाता है। दो-तीन मिनट बाद थर्मामीटर को रोगी (UPBoardSolutions.com) के मुंह से निकालकर देखा जाता है कि इसमें पारा किस चिह्न तक चढ़ा है। यह चिह्न रोगी के शारीरिक ताप को प्रदर्शित करता है। छोटी आयु के बच्चों का शारीरिक ताप ज्ञात करने के लिए थर्मामीटर को उनकी बगल में लगाया जाता है। थर्मामीटर का प्रयोग करते समय निम्नलिखित सावधानियाँ रखनी चाहिए-

  1. थर्मामीटर का प्रयोग करने से पूर्व उसे भली प्रकार से साफ कर लेना चाहिए। प्रत्येक बार प्रयोग में लाने से पहले किसी नि:संक्रामक घोल (प्राय: स्प्रिट) से इसे धो लेना चाहिए।
  2. रोगी यदि अचेतावस्था में हो, तो उसके मुँह में थर्मामीटर नहीं लगाना चाहिए।
  3. रोगी को यदि पसीना आ रहा हो तो उसे पोंछकर तथा कुछ देर रुककर ही उसका तापमान लेना चाहिए।
  4. थर्मामीटर लगाते व निकालते समय शीघ्रता नहीं करनी चाहिए।
  5. तापमान लेने के पश्चात् थर्मामीटर को साफ कर सुरक्षित स्थान पर रख देना चाहिए।

मलेरिया का ताप-चार्ट बनाना –
मलेरिया में ताप में अधिक उतार-चढ़ाव की प्रवृत्ति पायी जाती है। यदि मलेरिया तीसरे दिन आता है तो पहले दिन ताप । अत्यधिक होगी एवं दूसरे दिन सामान्य होकर तीसरे दिन पुनः अत्यधिक हो जाएगी। परन्तु आन्त्र ज्वर । (typhoid) में ताप रोग के प्रथम सप्ताह में उच्च, दूसरे सप्ताह में अत्यन्त स्थिर तथा तीसरे सप्ताह में धीरे-धीरे नीचा होकर सामान्य हो जाता है। यद्यपि आजकल ओषधियों द्वारा ताप की इस सामान्य प्रवृत्ति को डॉक्टरों द्वारा परिवर्तित कर दिया जाता है।
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रोगी के ताप का चार्ट बनाना –
तीव्र ज्वर या अधिक समय तक रहने वाले ज्वर से पीड़ित रोगियों के तापमान का चार्ट बनाना आवश्यक होता है, क्योंकि इसके आधार पर चिकित्सक को ओषधियों के उचित प्रयोग की सुविधा हो जाती है। तापमान का चार्ट बनाने के लिए रोगी को प्रत्येक दो अथवा चार घण्टे बाद ताप (UPBoardSolutions.com) लेकर निम्न प्रकार से तालिका बनानी चाहिए-
रोगी का नाम  ………………..
आयु  ………………..
सम्भावित रोग ………………..
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प्रश्न 2.
मनुष्य में नाड़ी की गति का परीक्षण किस प्रकार किया जाता है? तपेदिक के रोगी की अवस्था को ग्राफ द्वारा आप किस प्रकार प्रदर्शित करेंगी?
उत्तर:
नाड़ी की गति मनुष्य के शरीर में रक्त प्रवाह की क्रिया हर समय चलती रहती है। इस क्रिया में फेफड़ों द्वारा शुद्ध किया गया रक्त हृदय द्वारा सारे शरीर में वितरित किया जाता है तथा शरीर के सभी अंगों से अशुद्ध रक्त हृदय तक जाता है।
जहाँ से यह फेफड़ों में शुद्ध होने के लिए भेज दिया जाता ताप सु-शः सुशा- सुश है। इन सब कार्यों को करने के लिए एक विशेष, निश्चित 106° तथा नियमित गति से हृदय में हर समय सिकुड़न और शिथिलन होता रहता है। जब यह सिकुड़ता है, तो रुधिर दबाव के साथ धमनियों में (UPBoardSolutions.com) पहुँचता है, जोकि रुधिर के
अधिक दबाव के कारण फैल जाती हैं। जब हृदय फैलता है, तो धमनियों में रुधिर का दबाव कम हो जाता है तथा वे पूर्वावस्था में आ जाती हैं। इस प्रकार हृदय के साथ-साथ धमनियों में भी धड़कन होती है, जिसे हम नाड़ी की गति कहते हैं।
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सामान्यत: स्वस्थ व्यक्ति को हृदय प्रति मिनट 72  बार फैलता व सिकुड़ता है। इसके साथ ही उसकी धमनियाँ भी धड़कती हैं। इनको कुछ स्थानों पर अनुभव किया जा सकता है, विशेषकर उन स्थानों पर जहाँ इन धमनियों को आगे बढ़ने के लिए किसी हड्डी के ऊपर से (UPBoardSolutions.com) गुजरना पड़ता है। इन स्थानों पर उँगली रखने पर धमनी की धड़कन को स्पष्टतः अनुभव किया जा सकता है। अतः हम इसकी संख्या घड़ी देखकर प्रति मिनट ज्ञात कर सकते सुबह तथा शाम को ताप लेकर हैं। यह नाड़ी की गति का परीक्षण कहलाता है। प्राय: एक सामान्य व्यक्ति के लिए नाड़ी की गति 70-80 बार प्रति मिनट होती है। आयु के अनुसार इसमें कुछ अन्तर होते हैं, जिन्हें निम्नांकित सारणी में प्रदर्शित किया गया है-

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UP Board Solutions for Class 10 Home Science Chapter 23 नाड़ी, श्वास-गति और ताप का चार्ट बनाना
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नाड़ी की गति शरीर में अनेक स्थानों पर अनुभव की जा सकती है। उदाहरण के लिए-गर्दन पर, पैर पर, कलाई पर व पेट के मध्य में आदि-आदि। किन्तु सामान्यत: सबसे अधिक सुविधाजनक स्थान कलाई के पास अँगूठे की दिशा में पहुँचने पर होता है जहाँ यह सहज ही अनुभव (UPBoardSolutions.com) की जा सकती है। नाड़ी देखते समय घड़ी भी देखनी आवश्यक है, जिससे कि नाड़ी की गति का आकलन प्रति मिनट किया जा सके। चिकित्सक को सूचित करने के लिए नाड़ी के गुण देखना भी आवश्यक है; जैसे-

  1. नाड़ी कमजोर चलती है या तेज,
  2. निश्चित समय पर चलती है अथवा रुक-रुक कर,
  3. निश्चित गति जानने के लिए प्रत्येक पन्द्रह मिनट बाद नाड़ी की गति को गिनना चाहिए। यदि एक ही गति आती है, तो गति को स्थिर व निश्चित माना जाता है अन्यथा अनिश्चित व अस्थिर माना जाएगा।

तपेदिक के रोगी की अवस्था का ग्राफ – रोगी की अवस्था का ग्राफ बनाने के लिए उसके तापमान, नाड़ी की गति, श्वास की गति, मल-मूत्र आदि की स्थिति को ग्राफ पेपर पर अंकित किया जाता है। ग्राफ कागज पर रोगी का नाम, आयु, रोग का नाम व रोग के प्रारम्भ एवं मुक्ति की तिथि अंकित कर दी जाती है।

प्रत्येक दिन प्रात: और सायंकाल का ताप लेकर निर्धारित तिथि व समय के नीचे ग्राफ पेपर पर नीचे से ऊपर की ओर (ऊर्ध्वतल में) निर्धारित स्थान पर बिन्दु लगाकर अंकित कर दिया जाता है। बाद में बिन्दुओं को मिलाकर ग्राफ बना दिया जाता है। नाड़ी की गति के अंकन के लिए ग्राफ पेपर के आधार के साथ तापक्रम के समान बिन्दु लगाये जाते हैं। इसके लिए पहले खाने में जो दस खाने हैं उन्हें एक के बराबर माना जाएगा। इस प्रकार नाड़ी गति की विभिन्न संख्याओं को अंकित कर दिया जाएगा। इसके नीचे श्वास गति व मल-मूत्र की अवस्था भी अंकित की जाती है।

प्रश्न 3.
रोगी को मल-मूत्र कराते समय किन-किन बातों का ध्यान रखा जाता है? एनिमा का प्रयोग आप किस प्रकार करेंगी?
उत्तर:
रोगी को मल-मूत्र विसर्जन कराना वह रोगी जिसको चलने-फिरने की अनुमति प्राप्त है, सामान्य व्यक्ति की तरह से परिचारिका की देख-रेख में मल-त्याग कर सकता है। परन्तु यदि रोगी सम्पूर्ण समय बिस्तर पर ही रहता है और चल-फिर सकने की क्षमता नहीं रखता अथवा उसे चलने-फिरने की अनुमति नहीं है, तो उसे परिचारिका की सहायता से बिस्तर में लेटी हुई दशा में ही मल-त्याग करना होता है। इसके लिए उसे एक विशेष प्रकार के मल-पात्र (बेड-पैन) की आवश्यकता होती है। परिचारिका को इस प्रकार के रोगी का मल-मूत्र विसर्जन कराते समय निम्नलिखित विधि एवं सावधानी अपनानी चाहिए-

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  1. मल-मूत्र त्याग के समय रोगी के बिस्तर पर रबर-शीट डालनी चाहिए।
  2. रोगी को सीधे लिटाकर, उसके घुटने मुड़वा देने चाहिए।
  3. रोगी के बिस्तर के कपड़ों को मोड़ देना चाहिए।
  4. साफ, साबुत मल-पात्र (बेड-पैन) रोगी की कमर के नीचे लगा देना चाहिए। यह अधिक ठण्डा नहीं होना चाहिए।
  5. मल-पात्र (बेड-पैन) रखने के बाद रोगी को सहारा देने के लिए तकिया लगा देना चाहिए।
  6. ओढ़ने की चादर को गन्दा होने से बचाने के लिए इसके नीचे कोई पुराना अखबार लगा देना चाहिए।
  7. मल-त्याग के उपरान्त रोगी के मल-पात्र को धीरे से एक हाथ से उठा देना चाहिए।
  8. मल-त्याग के बाद रोगी की गुदा को गीली रूई या टॉयलेट-पेपर अथवा जल से धोकर भली-भाँति साफ कर देना चाहिए।
  9. मल-पात्र को हटाते ही ढक देना चाहिए तथा उसे कमरे से बाहर कर देना चाहिए।
  10. यदि रोगी बार-बार मल-त्याग करता है, तो सुरक्षात्मक-पैडों का प्रयोग करना चाहिए।
  11. यदि रोगी को केवल मूत्र-त्याग करना है, तो मूत्र-पात्र (UPBoardSolutions.com) का प्रयोग करना चाहिए।
  12. प्रयोग के बाद रोगी के मल-मूत्र पात्र को खौलते पानी से साफ कर व कपड़े से पोंछसुखाकर रखना चाहिए।

मल-विसर्जन के समय ध्यान देने योग्य बातें-

  1. रोगी ने दिन में कितनी बार मल-मूत्र त्याग किया ?
  2. मल का रंग कैसा रहा? स्वस्थ अवस्था में यह भूरा होता है। ऐसा न होने की दशा में चिकित्सक को अवगत कराना चाहिए।
  3. मल किस तरह का है? गाँठदार, पतला, रक्तयुक्त अथवा कीड़े होने की दशा में चिकित्सक से परामर्श प्राप्त करना चाहिए।
  4. प्राकृतिक रूप से मल-त्याग न होने पर भी चिकित्सक से परामर्श करना चाहिए।

एनिमा का प्रयोग। रोगी को यदि प्राकृतिक रूप से मल-त्याग नहीं हो रहा है, तो उसे आवश्यकतानुसार चिकित्सक से परामर्श प्राप्त कर एनिमा देना उचित रहता है। एनिमा आवश्यकतानुसार कई प्रकार के होते हैं और उन्हें अलग-अलग प्रकार के उपकरणों द्वारा रोगी को दिया जा सकता है।

कुछ महत्त्वपूर्ण प्रकार के एनिमा, उनके उपकरणों तथा उनको लगाने की विधि निम्नलिखित है-
(1) साबुन के घोल का एनिमा – इसके लिए एक निश्चित पात्र होता है जिसमें एक ओर तले के पास एक टोंटी या नली लगी होती है जिससे रबर की एक लम्बी व पतली नली लगी होती है। रबर की नली के सिरे पर एक प्लास्टिक की लम्बी नली लगी होती है। इस नली को रोगी की गुदा में 10-12 सेमी अन्दर तक डाला जाता है। ऊपर के पात्र में साबुन का पानी भर दिया जाता है। साबुन का घोल बनाने के लिए 15 ग्राम साबुन को पाँच लीटर गर्म जल में घोला जाता है। यह घोल अधिक गर्म नहीं होना चाहिए। एनिमा पात्र की ऊँचाई रोगी के बिस्तर से न्यूनतम आधा मीटर होनी चाहिए। अब टोंटी खोल देने पर साबुन का घोल । रोगी की बड़ी (UPBoardSolutions.com) आंत में प्रवेश करने लगता है। इस समय रोगी को लम्बे-लम्बे श्वास दिलाने चाहिए। जब पर्याप्त घोल पेट में पहुँच जाए, तो नोजल को धीरे-धीरे रोगी की गुदा से निकालकर रोगी को सीधा कर देना चाहिए।

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(2) नमक के पानी का एनिमा – इस एनिमा को प्रयोग करने के लिए उपर्युक्त उपकरण की ही आवश्यकता होती है। आधा लीटर जल में आधा चम्मच नमक डाल दिया जाता है। पानी हल्का गर्म ही होना चाहिए। इसे उपर्युक्त विधि द्वारा ही लगाया जाता है। यह एनिमा रोगी के कमजोर होने या कोई आघात पहुंचने पर लगाया जाता है। यदि अधिक दुर्बलता के कारण रोगी जल इत्यादि लेने में असमर्थ हो तो नमक के घोल में थोड़ा ग्लूकोज भी मिला देते हैं।

(3) अरण्डी के तेल का एनिमा – इसके लिए एक विशेष प्रकार के उपकरण की आवश्यकता होती है। अरण्डी के तेल को जल-ऊष्मक में गर्म करते हैं। इसके लिए एक बर्तन में जल गर्म , करते हैं तथा एक अन्य छोटे बर्तन में तेल रख देते हैं। जल के गर्म होने पर तेल भी गर्म हो जाता है। अब 200 मिली तेल एनिमा के उपकरण में भर लेते हैं। अरण्डी के तेल का एनिमा उन रोगियों को दिया जाता है जिनको मल की गाँठे बन गई हैं।
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(4) ग्लिसरीन का एनिमा – यह प्राय: बच्चों को दिया जाता है। इसे देने के लिए एक विशेष प्रकार की सिरिंज की आवश्यकता पड़ती है। दो चम्मच ग्लिसरीन को एक शीशी में डालकर जल-ऊष्मक में हल्का गर्म कर लिया जाता है। अब इसे पिचकारी में भरकर एनिमा लगाते हैं।
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लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1. 
किसी रोगी की श्वास की गति का निरीक्षण आप किस प्रकार करेंगी? या श्वसन-क्रिया की दर से क्या तात्पर्य है? [2018]
उत्तर:
सामान्य अवस्था में एक स्वस्थ मनुष्य निश्चित गति से श्वास लेता है। यदि इस गति में तेजी अथवा कमी आती है तो उसके स्वास्थ्य में अवश्य ही कोई कमी है। मनुष्य में श्वसन-क्रिया नि:श्वसन (श्वास बाहर छोड़ना) व प्र:श्वसन (श्वास भीतर लेना) के दो पदों में सम्पूर्ण होती है। एक (UPBoardSolutions.com) मिनट में होने वाली श्वसन क्रिया को श्वसन की दर माना जाता है। एक स्वस्थ मनुष्य में यह प्रक्रिया एक मिनट में लगभग 15 से 18 बार दोहराई जाती है। एक शिशु में यह गति अधिक तेज होती है। श्वास की गति को भी ताप या नाड़ी की गति के अनुसार ही तालिका या ग्राफ पर अंकित किया जाता है। किसी व्यक्ति की श्वास की गति का निरीक्षण करते समय निम्नलिखित बातों पर ध्यान दिया जाता है-

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  1. श्वास हल्का है अथवा गहरा,
  2. श्वास लेते समय कोई कठिनाई अथवा कष्ट तो नहीं है,
  3. श्वास लेते समय किसी प्रकार की आवाज तो नहीं होती है,
  4. श्वास क्रिया नियमित है अथवा अनियमित।

प्रश्न 2. 
नाड़ी, श्वास-गति तथा तापमान मनुष्य के स्वास्थ्य से किस प्रकार जुड़े रहते हैं?
उत्तर:
नाड़ी, श्वास-गति तथा तापमान का मनुष्य के स्वास्थ्य से सीधा सम्बन्ध है। सामान्यतः नाड़ी तथा श्वास की गति का 4 और 1 अनुपात होता है। नाड़ी की गति सामान्यतया शरीर का ताप 1° फारेनहाइट बढ़ने पर 10 बार बढ़ जाती है। अत: श्वास की गति भी उपर्युक्त अनुपात के अनुसार बढ़ जाएगी। इस प्रकार नाड़ी, श्वास की गति और तापमान भी परस्पर सम्बन्धित होते हैं तथा किसी व्यक्ति के तापमान को देखकर उसकी नाड़ी की गति एवं श्वास की गति का अनुमान लगाया जा सकता है, परन्तु यह तब ही सम्भव हो सकता है, जबकि उस व्यक्ति की सामान्य अवस्था में हमें उसकी नाड़ी व श्वास की गति का पूर्ण ज्ञान हो।

प्रश्न 3.
रोगी को मल-मूत्र विसर्जन कराते समय चिकित्सक की सूचनार्थ आप किन-किन बातों का लिखित विवरण तैयार करेंगी?
उत्तर:
रोगी के मल-मूत्र विसर्जन के सम्बन्ध में चिकित्सक को प्राय: निम्नलिखित सूचनाएँ देनी होती हैं-

  1. मल-मूत्र का रंग और बनावट कैसी है?
  2. मल-मूत्र से किस प्रकार की दुर्गन्ध आती है?
  3. रोगी को मल-मूत्र विसर्जन में किस प्रकार का कष्ट होता है?
  4. रोगी मल-मूत्र त्यागते समय किसी प्रकार की रुकावट की अनुभूति तो नहीं करता?
  5. रोगी कितनी बार और किस-किस समय मल-मूत्र त्याग करता है?
  6. रोगी के मल-मूत्र की जाँच की विभिन्न रिपोर्ट।

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अतिलघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
शरीर का ताप ज्ञात करने के लिए किस उपकरण का प्रयोग किया जाता है। [2008, 10]
उत्तर:
उक्ट शरीर का ताप लेने के लिए क्लीनिकल थर्मामीटर प्रयुक्त किया जाता है।

प्रश्न 2.
थर्मामीटर की उपयोगिता बताइए। [2012]
उत्तर:
थर्मामीटर से व्यक्ति के शरीर का तापमान मापा जाता है। इससे ज्वर का निर्धारण किया जाता है।

प्रश्न 3.
शरीर का तापक्रम मापने के लिए किन इकाइयों का प्रयोग किया जाता है? [2007]
उत्तर:
शरीर का तापक्रम मापने के लिए प्रायः डिग्री फारेनहाइट नामक इकाई का प्रयोग किया जाता है। किन्तु कुछ थर्मामीटर डिग्री सेण्टीग्रेड में भी होते हैं। अतः डिग्री सेण्टीग्रेड भी शरीर का ताप मापने की एक प्रचलित इकाई है।

प्रश्न 4.
थर्मामीटर में कौन-सा पदार्थ भरा जाता है और क्यों?
उत्तर:
थर्मामीटर में पारा भरा जाता है। यह चमकदार होता है तथा थर्मामीटर की दीवारों (UPBoardSolutions.com) से चिकता भी नहीं है। ताप पाकर इसका विस्तार समान रूप में होता है।

प्रश्न 5.
एक सामान्य स्वस्थ व्यक्ति के शरीर का ताप कितना होता है?
                                          या
थर्मामीटर (तापमापक यन्त्र) में न्यूनतम तापमान कितना होता है? [2008 ]
उत्तर:
एक सामान्य स्वस्थ व्यक्ति के शरीर का ताप प्रायः 98.4° फारेनहाइट होता है।

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प्रश्न 6.
तापक्रम चार्ट बनाने से क्या लाभ हैं? [2009, 11, 12]
                                       या
रोग का तापक्रम चार्ट बनाना क्यों आवश्यक है? [2007, 09, 10, 11, 12, 13, 14, 15, 16, 18]
उत्तर:
तापक्रम चार्ट बनाने से यह लाभ होता है कि चिकित्सक उसको देखकर आसानी से रोगी के स्वास्थ्य में हो रहे परिवर्तनों तथा रोगी की दशा आदि का उचित ज्ञान प्राप्त कर सकता है और तद्नुसार दवा आदि में तत्काल परिवर्तन भी कर सकता है।

प्रश्न 7.
शरीर का ताप बढ़ने पर किसी व्यक्ति की नाड़ी की गति में क्या परिवर्तन होता है?
उत्तर:
शरीर का ताप बढ़ने पर (प्राय: ज्वर आदि में) नाड़ी की गति प्रति डिग्री फारेनहाइट पर दस बार बढ़ जाती है।

प्रश्न 8.
ऐसे रोगी, जिन्हें श्वास लेने में कठिनाई हो, को तत्काल किस प्रकार की सहायता दी जानी चाहिए?
उत्तर:
श्वास लेने में कठिनाई महसूस करने वाले रोगी को तत्काल ऑक्सीजन दी जानी चाहिए।

प्रश्न 9.
सामान्यतः श्वास की गति कितनी होती है?
                                  या
एक स्वस्थ मनुष्य एक मिनट में कितनी बार श्वास लेता है?
उत्तर:
सामान्यतः एक स्वस्थ व्यक्ति एक मिनट में 15-18 बार श्वास लेता है।

बहुविकल्पीय प्रश्न

प्रश्न-निम्नलिखित बहुविकल्पीय प्रश्नों के सही विकल्पों का चुनाव कीजिए-

1. एक सामान्य स्त्री की नाड़ी की गति प्रति मिनट होती है-
(क) 72-80
(ख) 77-85
(ग) 80-90
(घ) 90-100

2. स्वस्थ मनुष्य की नाड़ी एक मिनट में कितनी बार चलती है?
(क) 20-30
(ख) 40-50
(ग) 60-70
(घ) 72-80

3. शरीर का तापमान कब लेना चाहिए?
(क) खाना खाने के 15 मिनट बाद
(ख) खाना खाने के तुरन्त बाद
(ग) कुछ भी खाने-पीने के 15 मिनट बाद
(घ) पेय पदार्थ लेने के तुरन्त बाद

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4. एक स्वस्थ मनुष्य एक मिनट में कितनी बार साँस लेता है ? [2009]
(क) 14 से 15 बार
(ख) 15 से 16 बार
(ग) 17 से 18 बार
(घ) 18 से 20 बार

5. मानव शरीर का सामान्य तापक्रम कितना होता है? [2010, 15, 16, 17]
(क) 98.4° फारेनहाइट
(ख) 99° फारेनहाइट
(ग) 97.6° फारेनहाईट
(घ) 100° फारेनहाइट

6. शरीर का तापमान देखने का अल्पतम समय है
(क) 13 से 2 मिनट
(ख) 2 से 3 मिनट
(ग) 3 से 4 मिनट
(घ) 5 मिनट

7. थर्मामीटर द्वारा ज्ञात करते हैं [2010, 13, 14, 17]
(क) नाड़ी की गति
(ख) श्वसन की दर
(ग) रुधिर का दाबे
(घ) शरीर का तापमान

8. श्वसन तन्त्र का मुख्य अंग होता है [2009]
(क) फेफड़े
(ख) अग्न्याशय
(ग) यकृत
(घ) आमाशय

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9. शरीर का तापमान नापने के लिए प्रयुक्त किया जाता है- [2008, 10]
(क) लैक्टोमीटर
(ख) थर्मामीटर
(ग) बैरोमीटर
(घ) हाइड्रोमीटर

10. एक स्वस्थ व्यक्ति का हृदय एक मिनट में कितनी बार धड़कता है ? [2016, 17]
(क) 72
(ख) 80
(ग) 100
(घ) 200

11. नाड़ी दर का सम्बन्ध होता है [2015, 18]
(क) मानव हृदय की धड़कन से
(ख) भोजन पाचने से।
(ग) श्वास लेने से
(घ) इनमें से कोई नहीं

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उत्तर:

  1. (ख) 77-85,
  2. (घ) 72-80,
  3. (ग) कुछ भी खाने-पीने के 15 मिनट बाद,
  4. (ख) 15 से 16 बार,
  5. (क) 98.4° फारेनहाइट,
  6. (ख) 2 से 3 मिनट,
  7. (घ) शरीर का तापमान,
  8. (क) फेफड़े,
  9. (ख) थर्मामीटर,
  10. (क) 72,
  11. (क) मानव हृदय की धड़कन से।

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