UP Board Solutions for Class 12 Civics गुट-निरपेक्ष आन्दोलन

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Board UP Board
Textbook NCERT
Class Class 12
Subject Civics
Chapter 22 d
Chapter Name गुट-निरपेक्ष आन्दोलन
Number of Questions Solved 21
Category UP Board Solutions

UP Board Solutions for Class 12 Civics गुट-निरपेक्ष आन्दोलन

विस्तृत उत्तीय प्रश्न (6 अंक)

प्रश्न 1
गुट-निरपेक्षता से आप क्या समझते हैं? गुट-निरपेक्षता के प्रमुख लक्षणों का वर्णन कीजिए।
या
गुट-निरपेक्षता के प्रमुख लक्षण बताइए। [2008, 10]
उत्तर :
गुट-निरपेक्षता

गुट-निरपेक्षता को अन्तर्राष्ट्रीय राजनीति में ‘तटस्थता’ के नाम से भी सम्बोधित किया जाता है, लेकिन अन्तर्राष्ट्रीय कानून और व्यवहार में तटस्थता का जो अर्थ लिया जाता है, गुट-निरपेक्षता उससे नितान्त भिन्न स्थिति है। तटस्थता और गुट-निरपेक्षता में भेद स्पष्ट करते हुए जॉर्ज लिस्का लिखते हैं –

“किसी विवाद के सन्दर्भ में यह जानते हुए कि कौन सही है और कौन गलत है किसी का पक्ष नहीं लेना तटस्थता है किन्तु गुट-निरपेक्षता का आशय सही और गलत में विभेद करते हुए सदैव सही का समर्थन करना है।”

गुट-निरपेक्षता की नीति के प्रणेता पं० नेहरू ने 1949 ई० में अमेरिकी जनता के सम्मुख कहा था –

जब स्वतन्त्रता के लिए संकट उत्पन्न हो, न्याय पर आघात पहुँचे या आक्रमण की घटना घटित हो, तब हम तटस्थ नहीं रह सकते और न ही हम तटस्थ रहेंगे।” गुट-निरपेक्षता को स्पष्ट करते हुए उन्होंने आगे कहा, “हमारी तटस्थता का अर्थ है निष्पक्षता, जिसके अनुसार हम उन शक्तियों और कार्यों का समर्थन करते हैं जिन्हें हम उचित समझते हैं और उनकी निन्दा करते हैं जिन्हें हम अनुचित समझते हैं, चाहे वे किसी भी विचारधारा की पोषक हों।”

गुट-निरपेक्षता की नीति के प्रमुख लक्षण

गुट-निरपेक्षता के अर्थ और प्रकृति को स्पष्ट करने के लिए इस नीति के लक्षणों का अध्ययन किया जा सकता है, जो निम्न प्रकार हैं –

1. शक्ति गुटों से पृथक रहने और महाशक्तियों के साथ सैनिक समझौता न करने की नीति – गुट-निरपेक्षता का सबसे प्रमुख लक्षण है-शक्ति गुटों से पृथक् रहने की नीति। इसमें यह बात भी निहित है कि गुट-निरपेक्ष देश किसी भी महाशक्ति के साथ सैनिक समझौता नहीं करेगा। गुट-निरपेक्षता का मूल विचार है कि विश्व के देशों को परस्पर विरोधी शिविरों में विभक्त करने के प्रयासों या महाशक्तियों के प्रभाव क्षेत्रों के विस्तार के प्रयासों ने विश्व में तनाव की स्थिति को जन्म दिया है और गुट-निरपेक्षता का उद्देश्य इन शक्ति गुटों से अलग रहते हुए तनाव की शक्तियों को निर्बल करना है।

2. स्वतन्त्र विदेश नीति – गुट-निरपेक्षता का आशय यह है कि सम्बद्ध देश अन्तर्राष्ट्रीय राजनीति में किसी शक्ति गुट के साथ बँधा हुआ नहीं है, वरन् उसका अपना स्वतन्त्र मार्ग है। जो सत्य, न्याय, औचित्य और शान्ति पर आधारित है। गुट-निरपेक्ष देश अन्तर्राष्ट्रीय राजनीति में किसी का पिछलग्गू नहीं होता वरन् राष्ट्रीय हित को दृष्टि में रखते हुए सत्य, न्याय, औचित्य और विश्वशान्ति की प्रवृत्तियों का समर्थन करता है। स्वतन्त्र विदेश नीति का पालन गुट-निरपेक्षता की नीति की सबसे महत्त्वपूर्ण विशेषता है। इस नीति के कारण ही प्रत्येक गुट-निरपेक्ष देश प्रत्येक वैश्विक मामले पर गुण-दोष के आधार पर फैसला करता है।

3. शान्ति की नीति – गुट-निरपेक्षता का उदय विश्वशान्ति की आकांक्षा और उद्देश्य से हुआ है। यह शान्ति के उद्देश्यों और संकल्पों की अभिव्यक्ति है। इसका लक्ष्य है, तनाव की प्रवृत्तियों को कमजोर करते हुए शान्ति का विस्तार। गुट-निरपेक्षता की नीति को अपनाते हुए भारत ने विश्व के विभिन्न क्षेत्रों (कोरिया, कांगो, साइप्रस) में शान्ति स्थापना के प्रयत्न किये और गुट-निरपेक्ष आन्दोलन के सातवें शिखर सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए श्रीमती गांधी ने कहा था, ‘गुट-निरपेक्ष आन्दोलन इतिहास का सबसे बड़ा शान्ति आन्दोलन है।’

4. साम्राज्यवाद, उपनिवेशवाद, शोषण एवं आधिपत्य विरोधी नीति – गुट-निरपेक्षता साम्राज्यवाद, उपनिवेशवाद, नव-उपनिवेशवाद, रंगभेद और शोषण तथा आधिपत्य के सभी रूपों का विरोध करने वाली नीति है। गुट-निरपेक्षता विभिन्न राष्ट्रों के आपसी व्यवहार में राष्ट्रीय प्रभुसत्ता, स्वतन्त्रता, समानता और विकास में विश्वास करती है; संघर्ष, अन्याय, दमन और असहिष्णुता का विरोध करती है एवं भूख तथा अभाव की स्थितियों को दूर करने पर बल देती है। विश्व के अनेक क्षेत्रों यथा एशिया व अफ्रीका में उपनिवेशवाद की समाप्ति में गुटनिरपेक्ष आन्दोलन की महत्त्वपूर्ण भूमिका रही है।

5. निरन्तर विकासशील नीति – गुट-निरपेक्षता एक स्थिर नीति नहीं वरन् निरन्तर विकासशील नीति है जिसे अपनाते हुए सम्बद्ध देशों द्वारा राष्ट्रीय हित और विश्व की बदलती हुई परिस्थितियों को दृष्टि में रखते हुए अपने दृष्टिकोण और कार्य-शैली में परिवर्तन किया जा सकता है। 1971 की ‘भारत-सोवियत रूस मैत्री सन्धि’ गुट-निरपेक्षता की विकासशीलता की। परिचायक है। गुट-निरपेक्षता के समस्त सन्दर्भ में भी विकासशीलता का परिचय मिलता है। 1975 के पूर्व गुट-निरपेक्ष आन्दोलन में राजनीतिक विषयों पर अधिक बल दिया जाता था। पिछले एक दशक में गुट-निरपेक्ष आन्दोलन के अन्तर्गत आर्थिक विषयों और आर्थिक विकास पर अधिक बल दिया जा रहा है।

6. गुट-निरपेक्षता एक आन्दोलन है, गुट नहीं – गुट-निरपेक्षता एक गुट नहीं वरन् एक आन्दोलन है। एक ऐसा आन्दोलन, जो राष्ट्रों के बीच स्वैच्छिक सहयोग चाहता है, प्रतिद्वन्द्विता या टकराव नहीं।

7. गुट-निरपेक्ष आन्दोलन संयुक्त राष्ट्र का सहायक है, विकल्प नहीं – गुट-निरपेक्षता का विश्वास है कि “संयुक्त राष्ट्र के बिना आज के विश्व की कल्पना नहीं की जा सकती। गुट-निरपेक्ष आन्दोलन संयुक्त राष्ट्र का विकल्प या उसका प्रतिद्वन्द्वी नहीं वरन् इस संगठन की सहायक प्रवृत्ति है, जिसका उद्देश्य है संयुक्त राष्ट्र को सही दिशा में आगे बढ़ाते हुए उसे शक्तिशाली बनाना।”

UP Board Solutions for Class 12 Civics गुट-निरपेक्ष आन्दोलन

प्रश्न 2.
गुट-निरपेक्ष आन्दोलन को प्रारम्भ करने का क्या उद्देश्य था ? वर्तमान परिस्थितियों में इसका क्या महत्त्व है ? [2007, 12]
या
गुट-निरपेक्ष आन्दोलन की विशेषताओं का उल्लेख कीजिए तथा वर्तमान परिस्थितियों में इसकी प्रासंगिकता पर प्रकाश डालिए।
या
गुट-निरपेक्ष आन्दोलन के महत्त्व पर प्रकाश डालते हुए उसमें भारत की भूमिका का उल्लेख कीजिए।
या
गुट-निरपेक्ष आन्दोलन पर एक निबन्ध लिखिए। [2014]
या
गुट-निरपेक्ष आन्दोलन के महत्व को स्पष्ट कीजिए।
या
गुट-निरपेक्ष आन्दोलन कब और किसके द्वारा प्रारम्भ किया गया? वर्तमान विश्व की परिवर्तनशील परिस्थितियों में गुट-निरपेक्ष आन्दोलन की सार्थकता पर एक संक्षिप्त लेख लिखिए [2013]
या
गुट-निरपेक्ष आन्दोलन को पं० जवाहरलाल नेहरू के योगदान का उल्लेख कीजिए। [2014]
उत्तर :
गुट-निरपेक्ष आन्दोलन

गुट-निरपेक्षता का आशय है, “अन्तर्राष्ट्रीय राजनीति में सैनिक गुट की सदस्यता या किसी भी महाशक्ति के साथ द्वि-पक्षीय सैनिक समझौते से दूर रहते हुए शान्ति, न्याय और राष्ट्रों की समानता के सिद्धान्त पर आधारित स्वतन्त्र रीति-नीति का अवलम्बन।”

गुट-निरपेक्षता की नीति के प्रमुख लक्षण (विशेषताएँ) – गुट-निरपेक्षता का सबसे प्रमुख लक्षण है-शक्ति गुटों से पृथक् रहने की नीति। गुट-निरपेक्ष देश का स्वतन्त्र मार्ग होता है तथा वह अन्तरष्ट्रिीय राजनीति में किसी का पिछलग्गू नहीं होता। गुट-निरपेक्षता का लक्ष्य है–तनाव की प्रवृत्तियों को कमजोर करते हुए शान्ति का विस्तार। गुट-निरपेक्षता साम्राज्यवाद, उपनिवेशवाद, नवउपनिवेशवाद, रंग-भेद और शोषण तथा आधिपत्य के सभी रूपों का विरोध करने वाली नीति है। गुट-निरपेक्षता एक गुट नहीं वरन् एक आन्दोलन है तथा निरन्तर विकासशील नीति है। गुट-निरपेक्षता को यह भी विश्वास है कि संयुक्त राष्ट्र के बिना आज के विश्व की कल्पना नहीं की जा सकती।

गुट-निरपेक्ष आन्दोलन को प्रारम्भ करने का उद्देश्य – वर्तमान अन्तर्राष्ट्रीय राजनीति में गुट-निरपेक्ष अथवा असंलग्नता का सिद्धान्त अत्यन्त प्रभावशाली और लोकप्रिय बन गया है। गुटनिरपेक्षता की नीति को सर्वप्रथम अपनाने का श्रेय भारत को प्राप्त है।

ऐतिहासिक पृष्ठभूमि – युद्धोत्तर अन्तर्राष्ट्रीय राजनीति का सबसे प्रमुख और दुर्भाग्यपूर्ण तथ्य विश्व का दो विरोधी गुटों में बँट जाना था। एक गुट का नेता संयुक्त राज्य अमेरिका था और दूसरे गुट का नेता था सोवियत संघ। इन दोनों गुटों के बीच मतभेदों की एक ऐसी खाई उत्पन्न हो गयी थी और दोनों गुट एक-दूसरे के विरोध में इस प्रकार सक्रिय थे कि इसे शीतयुद्ध का नाम दिया गया। 1947 ई० में जब भारत स्वतन्त्र हुआ, तो एशिया और विश्व में भारत की अत्यन्त महत्त्वपूर्ण स्थिति को देखते हुए दोनों विरोधी गुटों के देशों द्वारा भारत को अपनी ओर शामिल करने के प्रयत्न प्रारम्भ कर दिये गये और परस्पर विरोधी गुटों के इन प्रयासों ने वैदेशिक नीति के क्षेत्र में भारत के लिए एक समस्या खड़ी कर दी। लेकिन इन कठिन परिस्थितियों में भारत के द्वारा अपने विवेकपूर्ण मार्ग का शीघ्र ही चुनाव कर लिया गया और वह मार्ग था, गुट-निरपेक्षता अर्थात् अन्तर्राष्ट्रीय राजनीति में दोनों ही गुटों से अलग रहते हुए विश्व शान्ति, सत्य और न्याय का समर्थन करने की स्वतन्त्र, विदेश नीति।

प्रारम्भ में अन्तर्राष्ट्रीय राजनीति में गुट-निरपेक्षता को सही रूप में नहीं समझा जा सका। केवल दो महाशक्तियों ने इसे ‘अवसरवादी नीति’ बतलाया, वरन् अन्य देशों द्वारा भी यह सोचा गया कि ‘आज की अन्तर्राष्ट्रीय राजनीति में निरपेक्षता का कोई मार्ग नहीं हो सकता। लेकिन समय के साथ भ्रान्तियाँ कमजोर पड़ीं और शीघ्र ही कुछ देश गुट-निरपेक्षता की ओर आकर्षित हुए। ऐसे देशों में सबसे प्रमुख थे—मार्शल टीटो के नेतृत्व में यूगोस्लाविया और कर्नल नासिर के नेतृत्व में मिस्र। अन्तर्राष्ट्रीय राजनीति में गुट-निरपेक्षता की एक त्रिमूर्ति बन गयी ‘नेहरू, नासिर और टीटो’। कालान्तर में, एशियाई-अफ्रीकी देशों ने सोचा कि गुट-निरपेक्षता को अपनाना न केवल सम्भव है, वरन् उनके लिए यह लगभग स्वाभाविक और उचित मार्ग है। 1961 ई० में 25 देशों ने इस मार्ग को अपनाया।

लेकिन अब इस आन्दोलन से जुड़े सदस्य देशों की संख्या 120 हो गयी है। ‘गुट-निरपेक्षता’। आज अन्तर्राष्ट्रीय राजनीति की सबसे अधिक लोकप्रिय धारणा बन गयी है और गुट-निरपेक्ष आन्दोलन ने आज अन्तर्राष्ट्रीय राजनीति की एक प्रमुख प्रवृत्ति का स्थान ले लिया है।

वर्तमान में गुट-निरपेक्षता का महत्त्व

बदलती परिस्थितियों में गुट-निरपेक्षता का स्वरूप भी बदला है, किन्तु इसका महत्त्व पहले से अधिक हो गया है। यही कारण है कि आज गुट-निरपेक्षता का पालन करने वाले राष्ट्रों की संख्या उत्तरोत्तर बढ़ती जा रही है। संयुक्त राष्ट्र में गुट-निरपेक्ष राष्ट्रों की आवाज प्रबल बन सकी है। विश्व के दो प्रतिस्पर्धी गुटों में सन्तुलन पैदा करने और विश्व-शान्ति बनाये रखने में गुट-निरपेक्ष राष्ट्रों ने महत्त्वपूर्ण भूमिका निभायी है। आज की अन्तर्राष्ट्रीय स्थिति के सन्दर्भ में ‘निर्गुट आन्दोलन (NAM) पर महत्त्वपूर्ण जिम्मेदारी आ गयी है। आज की परिस्थितियों में निर्गुट देश ही अन्तर्राष्ट्रीय क्षेत्र में शान्ति स्थापित करने और बनाये रखने में योग दे सकते हैं।

विश्व के परतन्त्र राष्ट्रों को स्वतन्त्र कराने और रंगभेद की नीति का विरोध करने में निर्गुट आन्दोलन की महत्त्वपूर्ण भूमिका रही है। आज निर्गुट आन्दोलन निर्धन और पिछड़े हुए देशों के आर्थिक विकास पर जोर दे रहा है। गुट-निरपेक्ष देशों की यह बराबर माँग रही है कि विश्व की ऐसी आर्थिक रचना हो, जिसमें विश्व की सम्पत्ति का न्यायपूर्ण ढंग से वितरण हो सके। गुट-निरपेक्ष आन्दोलन की मान्यता है ‘आर्थिक शोषण का अन्त किये बिना’ विश्व-शान्ति सम्भव नहीं है। विश्व में शान्ति, स्वतन्त्रता और न्याय की रक्षा के लिए गुट-निरपेक्ष आन्दोलन ने एक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभायी है। इस आन्दोलन ने विश्व में तनाव, शैथिल्य में पर्याप्त योग दिया है। तीसरी दुनिया के आर्थिक विकास के लिए यह आन्दोलन आशा की किरण है। श्रीमती गाँधी ने निर्गुट आन्दोलन के सातवें शिखर सम्मेलन में ठीक ही कहा था-“गुट-निरपेक्षता का जो रूप था वह बदल गया है, किन्तु गुट-निरपेक्षता का युग नहीं बीता है।” उन्होंने आगे कहा-“गुट- निरपेक्षता मानव-व्यवहार का दर्शन है। इसमें समस्याओं के समाधान के लिए बल-प्रयोग का कोई स्थान नहीं है। गुट-निरपेक्षता का औचित्य कल भी उतना ही रहेगा, जितना आज है।”

[ संकेत – गुट-निरपेक्षता आन्दोलन में भारत की भूमिका हेतु लघु उत्तरीय प्रश्न (150 शब्द) प्रश्न 1 का अध्ययन करें। ]

प्रश्न 3.
गुट-निरपेक्ष आन्दोलन की सार्थकता पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए। [2010, 16]
या
क्या गुट-निरपेक्ष आन्दोलन आज भी प्रासंगिक है? उदाहरण सहित व्याख्या कीजिए। [2014, 16]
या
आधुनिक विश्व के सन्दर्भ में गुटनिरपेक्षता की सार्थकता पर एक निबन्ध लिखिए। [2012]
उत्तर :
गुट-निरपेक्ष आन्दोलन की उपादेयता (सार्थकता)

वर्तमान समय में बदलती हुई अन्तर्राष्ट्रीय परिस्थितियों में बहुत-से राजनीतिक विचारकों का यह दृष्टिकोण है कि गुट-निरपेक्ष आन्दोलन की उपादेयता समाप्त हो चुकी है, अर्थात् गुटनिरपेक्ष आन्दोलन महत्त्वहीन हो गया है, अथवा आधुनिक परिस्थितियों में इस आन्दोलन की कोई आवश्यकता नहीं है, जबकि आधुनिक परिस्थितियों में इस आन्दोलन को और भी मजबूत बनाने की आवश्यकता है।

1. पहला दृष्टिकोण – गुट-निरपेक्ष आन्दोलन अपनी उपादेयता खो चुका है-इस परिप्रेक्ष्य में अन्तर्राष्ट्रीय राजनीति के विद्वानों ने यह मत प्रकट किया है कि आधुनिक अन्तर्राष्ट्रीय राजनीति में गुट-निरपेक्ष आन्दोलन का कोई सैद्धान्तिक एवं व्यावहारिक महत्त्व नहीं रह गया है। उनका यह मत इसे धारणा पर आधारित है कि 1991 ई० में सोवियत संघ के विघटन एवं शीतयुद्ध की समाप्ति के बाद गुट-निरपेक्ष आन्दोलन के अस्तित्व की कोई आवश्यकता नहीं है। गुटनिरपेक्ष आन्दोलन की स्थापना एवं विकास में शीतयुद्ध की राजनीति ने बहुत अधिक प्रभाव डाला था। एशिया तथा अफ्रीका के नवोदित स्वतन्त्र हुए राष्ट्रों ने इस विचारधारा को इसलिए अपनाया था कि वे दोनों महाशक्तियों की गुटबन्दियों से पृथक् रहकर अपना विकास कर सकें एवं अपनी स्वतन्त्र विदेश नीति का संचालन कर सकें। परन्तु आधुनिक समय में विश्व राजनीति द्वि-ध्रुवीय के स्थान पर एक-ध्रुवीय अथवा बहु-ध्रुवीय रूप में परिवर्तित हो रही है। शक्ति के नये केन्द्र उदय हो रहे हैं। सैनिक शक्ति के स्थान पर आर्थिक शक्ति की महत्ता स्थापित होती जा रही है। क्षेत्रीय सहयोग के नये आयाम स्थापित हो रहे हैं। राज्यों की राजनीतिक व्यवस्था स्थिरता के स्थान पर गतिशील है। अतः ऐसे राष्ट्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय वातावरण में गुट-निरपेक्ष आन्दोलन की प्रासंगिकता पर प्रश्न-चिह्न लग गया है। शीतयुद्ध की राजनीति के कारण इस आन्दोलन का जन्म हुआ तथा जब शीतयुद्ध ही समाप्त हो गया है तो इस आन्दोलन का औचित्य निरर्थक है। अतः इसकी उपादेयता समाप्त हो चुकी है।

2. दूसरा दृष्टिकोण : मजबूत बनने की दिशा में सक्रिय – कुछ विचारकों का यह मत है। कि आधुनिक अन्तर्राष्ट्रीय परिस्थितियों में भी गुट-निरपेक्ष आन्दोलन की उपादेयता है तथा इसको अधिक मजबूत बनाने की आवश्यकता है। इसका कारण यह है कि स्वयं गुट-निरपेक्ष राष्ट्र अभी इन परिस्थितियों से हतोत्साहित नहीं हुए हैं, वरन् वे सक्रिय रूप से इसको सुदृढ़ बनाने का प्रयत्न कर रहे हैं। विश्व के राष्ट्र इसकी भूमिका के प्रति आशावान हैं; क्योंकि गुट-निरपेक्ष राष्ट्रों की संख्या घटने के स्थान पर बढ़ती जा रही है, जिसका प्रमाण है सोलहवाँ शिखर सम्मेलन, जिसमें सदस्य राष्ट्रों की संख्या 120 हो गयी है। आज भी संयुक्त राष्ट्र संघ एवं अन्य अन्तर्राष्ट्रीय संगठनों पर अमेरिका एवं पश्चिमी राष्ट्रों का आधिपत्य स्थापित है। ऐसे में इन विकासशील राष्ट्रों को संयुक्त संगठन की आवश्यकता है, जो कि अन्तर्राष्ट्रीय मंचों पर इन राष्ट्रों की एकाधिकारवाद की भावना को चुनौती दे सके तथा अपने विकास सम्बन्धी नियमों एवं व्यवस्थाओं की स्थापना करवा सकें। संयुक्त राष्ट्र संघ के 193 राष्ट्रों में 120 निर्गुट राष्ट्रों की स्थिति पर्याप्त महत्त्व रखती है और इन राष्ट्रों की सहमति के बिना संयुक्त राष्ट्र संघ की महासभा कोई निर्णय लेने में असमर्थ है। ये राष्ट्र कुछ सामान्य समस्याओं; जैसे-आतंकवाद, नशीली दवाओं के प्रयोग, जाति भेद, रंग-भेद, गरीबी, बेरोजगारी, पिछड़ापन, निरक्षरता आदि; से पीड़ित हैं। इनका समाधान इन राष्ट्रों के पारस्परिक सहयोग से ही सम्भव है। यदि ये राष्ट्र संगठित होंगे तो ये अन्तर्राष्ट्रीय राजनीति को काफी सीमा तक प्रभावित कर सकते हैं।

3. भविष्य की सम्भावनाएँ – आधुनिक समय में संयुक्त राष्ट्र संघ के लगभग २/३ सदस्य। गुट-निरपेक्ष राष्ट्रों के हैं तथा इन्होंने इन अन्तर्राष्ट्रीय मंचों से विश्व शान्ति, उपनिवेशवाद एवं साम्राज्यवाद के अन्त, रंगभेद की समाप्ति, परमाणु शस्त्रों पर रोक, नि:शस्त्रीकरण, हिन्दमहासागर को शान्ति क्षेत्र घोषित करना आदि विषयों को उठाया, विचार-विमर्श किया तथा अनेक मुद्दों पर सफलताएँ भी प्राप्त की।

इस आन्दोलन के जन्म के पश्चात् से ही इसमें विसंगतियाँ आनी प्रारम्भ हो गयी थीं। इस आन्दोलन में धीरे-धीरे ऐसे राष्ट्रों का आगमन प्रारम्भ हो गया जो कि सोवियत संघ एवं अमेरिका से वैचारिक दृष्टिकोण के आधार पर जुड़ गए। क्यूबा साम्यवादी देश होने के बावजूद निर्गुट आन्दोलन से जुड़ गया। 1962 ई० में जब चीन ने भारत पर आक्रमण किया तो कोई भी गुट-निरपेक्ष राष्ट्र भारत की सहायता के लिए नहीं आया वरन् भारत को ब्रिटेन तथा अमेरिका से सैनिक सहायता प्राप्त हुई। 1965 ई० में पाकिस्तान के साथ युद्ध में भारत का पक्ष सोवियत संघ ने लिया। कश्मीर के मसले पर अनेक बार सोवियत संघ ने वीटो का प्रयोग किया। वियतनाम जैसे गुट-निरपेक्ष राष्ट्र पर 1979 ई० में चीन ने आक्रमण कर दिया और उसे सोवियत संघ से मैत्री करने पर मजबूर होना पड़ा। अफगानिस्तान पर सोवियत आक्रमण तथा गुट-निरपेक्ष राष्ट्रों का मूकदर्शक बना रहना इसकी सार्थकता को कम करता है। अत: इस आन्दोलन के विकास के साथ इसके अर्थ एवं परिभाषाएँ भी बदलनी प्रारम्भ हो गईं। अब यह स्वीकार किया जाने लगा है कि विदेश नीति की स्वतन्त्रता ही गुट-निरपेक्षता का एकमात्र मापदण्ड है। किसी भी राष्ट्र के साथ किसी भी प्रकार की सन्धि करने पर गुट-निरपेक्षता की स्थिति पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है।

इस आन्दोलन के जन्म के पश्चात् से ही इसमें विसंगतियाँ आनी प्रारम्भ हो गयी थीं। इस आन्दोलन में धीरे-धीरे ऐसे राष्ट्रों का आगमन प्रारम्भ हो गया जो कि सोवियत संघ एवं अमेरिका से वैचारिक दृष्टिकोण के आधार पर जुड़ गए। क्यूबा साम्यवादी देश होने के बावजूद निर्गुट आन्दोलन से जुड़ गया। 1962 ई० में जब चीन ने भारत पर आक्रमण किया तो कोई भी गुट-निरपेक्ष राष्ट्र भारत की सहायता के लिए नहीं आया वरन् भारत को ब्रिटेन तथा अमेरिका से सैनिक सहायता प्राप्त हुई। 1965 ई० में पाकिस्तान के साथ युद्ध में भारत का पक्ष सोवियत संघ ने लिया। कश्मीर के मसले पर अनेक बार सोवियत संघ ने वीटो का प्रयोग किया। वियतनाम जैसे गुट-निरपेक्ष राष्ट्र पर 1979 ई० में चीन ने आक्रमण कर दिया और उसे सोवियत संघ से मैत्री करने पर मजबूर होना पड़ा। अफगानिस्तान पर सोवियत आक्रमण तथा गुट-निरपेक्ष राष्ट्रों का मूकदर्शक बना रहना इसकी सार्थकता को कम करता है। अत: इस आन्दोलन के विकास के साथ इसके अर्थ एवं परिभाषाएँ भी बदलनी प्रारम्भ हो गईं। अब यह स्वीकार किया जाने लगा है कि विदेश नीति की स्वतन्त्रता ही गुट-निरपेक्षता का एकमात्र मापदण्ड है। किसी भी राष्ट्र के साथ किसी भी प्रकार की सन्धि करने पर गुट-निरपेक्षता की स्थिति पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है।

गुट-निरपेक्ष आन्दोलन की कमजोरी के लिए कुछ तो संरचनात्मक कमियाँ हैं; जैसे-स्थायी सचिवालय का न होना और इसके स्थान पर औपचारिक संगठनों; जैसे-समन्वय ब्यूरो तथा सम्मेलन; की स्थापना आदि उत्तरदायी हैं, तो दूसरी ओर सदस्य-राष्ट्रों के पारस्परिक मतभेद, विवाद एवं संघर्ष इसकी संगठित शक्ति को कमजोर कर रहे हैं। गुट-निरपेक्ष आन्दोलन के सदस्य होने पर भी भारत तथा पाकिस्तान के मध्य अनेक सैनिक युद्ध हो चुके हैं और अभी भी अघोषित युद्ध की स्थिति बनी हुई है। पाकिस्तान की परमाणु बम बनाने की क्षमता तथा अमेरिका एवं चीन से अत्याधुनिक हथियारों को खरीदने से भारत की शान्ति एवं सुरक्षा को गम्भीर खतरा पैदा हो गया है और यह सम्भव है कि भारत और पाकिस्तान का किसी भी समय भयंकर युद्ध प्रारम्भ हो सकता है। भारत-चीन सीमा-विवाद, वियतनाम-कम्पूचिया विवाद, अफगानिस्तान में सोवियत हस्तक्षेप, ईरान-इराक विवाद, इराक द्वारा कुवैत पर आक्रमण आदि अनेक समस्याएँ हैं जिनका कोई निश्चित समाधान गुट-निरपेक्ष आन्दोलन के पास नहीं है। इस प्रकार स्पष्ट है कि ऐसे क्षेत्र स्पष्ट रूप से दिखायी देते हैं जहाँ इस आन्दोलन की आज भी प्रासंगिकता, उपादेयता एवं महत्त्वपूर्ण भूमिका है; जैसे –

  1. नयी अन्तर्राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था की स्थापना के लिए प्रयास करना।
  2. उत्तर-दक्षिण संवाद के लिए पृष्ठभूमि तैयार करना।
  3. निरस्त्रीकरण के लिए प्रयास करना।
  4. मादक द्रव्यों की तस्करी एवं आतंकवाद को रोकने में पारस्परिक सहयोग को बढ़ावा देना।
  5. पर्यावरण की सुरक्षा के लिए प्रयास करना।
  6. दक्षिण-दक्षिण संवाद को प्रोत्साहन प्रदान करना।
  7. एक-ध्रुवीय व्यवस्था में अन्तर्राष्ट्रीय राजनीति में अमेरिका के बढ़ते हुए वर्चस्व को रोकने के लिए सामूहिक प्रयास करना।

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प्रश्न 4.
गुट-निरपेक्षता की उपलब्धियों तथा विफलताओं का विवरण दीजिए। [2009, 10]
उत्तर :
गुट-निरपेक्षता की उपलब्धियाँ

गुट-निरपेक्षता विदेश-नीति का वह मूल सिद्धान्त है, जिसमें कोई भी राष्ट्र सम्मिलित हो सकता है। इस प्रकार गुट-निरपेक्षता का प्रादुर्भाव तथा विकास वर्तमान समय की सर्वाधिक लोकप्रिय तथा प्रभावशाली नीति है। गुट-निरपेक्ष आन्दोलन की प्रमुख उपलब्धियों को अध्ययन निम्नलिखित रूपों में किया जा सकता है –

1. गुट-निरपेक्षता की नीति को मान्यता – विश्व के दोनों राष्ट्र-अमेरिका तथा सोवियत संघ यह समझते थे कि भुट-निरपेक्ष आन्दोलन सिवाय एक ‘धोखे’ के और कुछ नहीं है। अतः विश्व के राष्ट्रों को किसी एक गुट में अवश्य सम्मिलित हो जाना चाहिए, परन्तु गुट-निरपेक्ष आन्दोलन अपनी नीतियों पर दृढ़ रहा। समय व्यतीत होने के साथ-साथ विश्व के दोनों गुटों के दृष्टिकोण में भी परिवर्तन आया। साम्यवादी देशों का विश्वास साम्यवादी विचारधारा से हटकर एक नवीन स्वतन्त्र विचारधारा की ओर आकर्षित होने लगा। उन्होंने विश्व में पहली बार इस बात को स्वीकार किया कि गुट-निरपेक्ष देश वास्तव में स्वतन्त्र हैं। उन्होंने यह भी अनुभव किया कि सोवियत संघ तथा गुट-निरपेक्ष देशों के समक्ष मूलभूत समस्याएँ समान हैं। पश्चिमी गुटों ने तो सातवें दशक में गुट-निरपेक्ष नीति को मान्यता प्रदान की। इस प्रकार गुटनिरपेक्ष देशों के प्रति सद्भावना तथा सम्मान का वातावरण उत्पन्न करने में आन्दोलनकारियों को जो सफलता प्राप्त हुई उसकी सराहना की जानी चाहिए।

2. शीत-युद्ध के भय को दूर करना – शीत-युद्ध के कारण अन्तर्राष्ट्रीय राजनीति में तनाव का वातावरण व्याप्त था। परन्तु गुट-निरपेक्षता की नीति ने इस तनाव को शिथिलता की दशा में लाने के लिए भरसक प्रयत्न किया तथा इसमें सफलता भी प्राप्त की।

3. शीत-युद्ध को सक्रिय करना – अनेक गुट-निरपेक्ष देश चाहते थे कि विश्व के दोनों गुटों के मध्य शान्ति तथा सद्भावना का वातावरण बने। शीत-युद्ध के कारण अनेक देशों में भ्रम व्याप्त था कि यह शान्ति किसी भी समय युद्ध के रूप में भड़क सकती है। गुट-निरपेक्ष आन्दोलन ने शीत युद्ध को हथियारों के युद्ध में बदलने से रोका तथा अन्तर्राष्ट्रीय जगत में व्याप्त भ्रम को दूर किया। सर्वोच्च शक्तियाँ समझ गईं कि व्यर्थ में रक्त बहाने से कोई लाभ नहीं है।

4. विश्व के संघर्षों को दूर करना – गुट-निरपेक्षता की सबसे बड़ी उपलब्धि यह है कि इसने विश्व में होने वाले कुछ भयंकर संघर्षों को टाल दिया। धीरे-धीरे उनके निदान ढूंढ़ लिये गये। गुट-निरपेक्ष राष्ट्रों ने आणविक अस्त्र के खतरों को दूर करके अन्तर्राष्ट्रीय जगत में शान्ति तथा सुरक्षा को बनाए रखने में योगदान दिया। विश्व के छोटे-छोटे विकासशील तथा विकसित राष्ट्रों को दो भागों में विभाजित होने से रोका। गुट-निरपेक्ष राष्ट्रों ने सर्वोच्च शक्तियों को सदैव यही प्रेरणा दी कि “संघर्ष अपने हृदय में सर्वनाश लेकर चलता है इसलिए इससे बचकर चलने में विश्व का कल्याण है। इसके स्थान पर यदि सर्वोच्च शक्तियाँ विकासशील राष्ट्रों के कल्याण के लिए कुछ कार्य करती हैं तो इससे अन्तर्राष्ट्रीय राजनीति को बल मिलेगा।

5. अपनी प्रकृति के अनुसार पद्धतियों का आविष्कार करना – गुट-निरपेक्ष राष्ट्रों की एक उपलब्धि यह भी है कि इसने संयुक्त राज्य अमेरिका तथा सोवियत संघ जैसे देशों की नीतियों को नकराते हुए अपनी प्रकृति के अनुकूल पद्धतियों का विकास किया। इस प्रकार भारत ने विश्व-बन्धुत्व, समाज-कल्याण तथा समाज के समाजवादी ढाँचे के अनुसार गुट-निरपेक्ष राष्ट्रों को चलने के लिए प्रेरित किया।

6. आर्थिक सहयोग का वातावरण बनाना – गुट-निरपेक्ष राष्ट्रों ने विकासशील राष्ट्रों के बीच अपनी विश्वसनीयता का ठोस परिचय दिया जिसके कारण विकासशील राष्ट्रों को समय-समय पर आर्थिक सहायता प्राप्त हो सकी। कोलम्बो शिखर सम्मेलन में तो आर्थिक घोषणा-पत्रे तैयार किया गया जिससे गुट-निरपेक्ष राष्ट्रों के मध्य अधिक-से-अधिक आर्थिक सहयोग की स्थिति निर्मित हो सके। एक प्रकार से गुट-निरपेक्षता का आन्दोलन आर्थिक सहयोग का एक संयुक्त मोर्चा है।

7. नयी अन्तर्राष्ट्रीय व्यवस्था की अपील – वर्तमान में अन्तर्राष्ट्रीय राजनीति ने नयी करवट बदली है। अत: नयी अन्तर्राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था के सम्बन्ध में गुट-निरपेक्ष राष्ट्रों की यह अपील तथा माँग है कि विश्व मंच पर ‘आर्थिक विकास सम्मेलन का आयोजन किया जाए जो विश्व में व्यापार की स्थिति सुधारे, विकासशील राष्ट्रों को व्यापार करने के अवसर प्रदान करे, ‘सामान्य पहल’ के अनुसार गुट-निरपेक्ष राष्ट्रों की तकनीकी तथा प्रौद्योगिकी दोनों प्रकार का अनुदान प्राप्त हो। गुट-निरपेक्ष राष्ट्रों की पहल के परिणामस्वरूप 1974 ई० में संयुक्त राष्ट्र संघ ने छठा विशेष अधिवेशन आयोजित किया जिसमें नयी अन्तर्राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था स्थापित करने की घोषणा का प्रस्ताव पारित किया गया। कुछ समय बाद इस घोषणा-पत्र के विषय पर विकसित राष्ट्रों ने भी विचार-विमर्श किया, जो गुट-निरपेक्ष राष्ट्रों की एक बहुत बड़ी उपलब्धि है।

8. निःशस्त्रीकरण तथा अस्त्र-नियन्त्रण की दिशा में भूमिका – गुट-निरपेक्ष आन्दोलन के देशों ने नि:शस्त्रीकरण तथा अस्त्र-नियन्त्रण के लिए विश्व में अवसर तैयार किया। यद्यपि इस क्षेत्र में गुट-निरपेक्ष देशों को तुरन्त सफलता नहीं मिली, तथापि विश्व के राष्ट्रों को यह विश्वास होने लगा कि हथियारों को बढ़ावा देने से विश्व-शान्ति संकट में पड़ सकती है। यह गुट-निरपेक्षता का ही परिणाम है कि 1954 ई० में आणविक अस्त्र के परीक्षण पर प्रतिबन्ध लगा तथा 1963 ई० में आंशिक परीक्षण पर प्रतिबन्ध स्वीकार किए गए।

9. संयुक्त राष्ट्र संघ का सम्मान – गुट-निरपेक्ष राष्ट्रों ने विश्व संस्था संयुक्त राष्ट्र संघ का भी सदैव सम्मान किया, साथ ही संगठन के वास्तविक रूप को रूपान्तरित करने में भी सहयोग दिया। पहली बात तो यह है कि गुट-निरपेक्ष राष्ट्रों की संख्या इतनी है कि शीत-युद्ध के वातावरण को तटस्थता की नीति के रूप में परिवर्तन करने में राष्ट्रों के संगठन की बात सुनी गई। इससे छोटे राष्ट्रों पर संयुक्त राष्ट्र संघ का नियन्त्रण सरलतापूर्वक लागू हो सका। गुट-निरपेक्ष राष्ट्रों ने संयुक्त राष्ट्र महासभा के महत्त्व की वृद्धि करने में भी सहायता दी।

गुट-निरपेक्षता की विफलताएँ

गुट-निरपेक्षता की विफलताओं का अध्ययन निम्नलिखित रूपों में किया जा सकता है –

1. सिद्धान्तहीन नीति – पश्चिमी आलोचकों का कहना है कि गुट-निरपेक्षता की नीति अवसरवादी तथा सिद्धान्तहीन है। ये देश साम्यवादी तथा पूँजीवादी देशों के साथ अवसरानुकूल ‘कार्य सम्पन्न करने में निपुण हैं। अत: ये देश दोहरी चाल चलते रहते हैं। इनका कोई निश्चित ध्येय नहीं है। ये देश अधिकाधिक लाभ प्राप्त करने की गतिविधियों से नहीं चूकते हैं।

2. बाहरी आर्थिक तथा रक्षा सहायता पर निर्भरता – गुट-निरपेक्ष देशों पर विफलता का यह आरोप भी लगाया जाता है कि उन्होंने बाहरी सहायता का आवरण पूर्ण रूप से ग्रहण कर लिया है। चूंकि वे हर प्रकार की सहायता चाहते थे, इसलिए उन्होंने एक मार्ग निकालकर अपना कार्य सिद्ध करने की नीति अपना ली है। आलोचकों का कहना है कि यदि गुट-निरपेक्षता की भावना सत्य पर आधारित होती तो ये देश आत्म-निर्भरता की नीति को मानकर चलते। अतः गुट-निरेपक्ष राष्ट्रों ने स्वतन्त्रता के मार्ग में कील ठोंक दी है।

3. गुट-निरपेक्षता की नीति में सुरक्षा का अभाव – आलोचकों ने इस बात पर भी टीका टिप्पणी की है कि गुट-निरपेक्ष देश आर्थिक स्थिति सुधारने की ओर संलग्न रहते हैं। ये देश सुरक्षा को पर्याप्त नहीं मानते हैं। ऐसी दशा में यदि वे बाहरी सैनिक सहायता स्वीकार करते हैं तो उनकी गुट-निरपेक्षता धरी की धरी रह जाएगी। सन् 1962 में चीन से आक्रमण के समय भारत को यह विदित हो गया कि बाहरी शक्ति के समक्ष गुट-निरपेक्ष राष्ट्र मुँह ताकते रह जाते हैं। इस प्रकार बाहरी शक्ति का सामना करने के लिए बाहर से सैनिक सहायता पर निर्भर नहीं रहा जा सकता।

4. अव्यावहारिक सिद्धान्तों की नीति – आलोचकों के कथनानुसार गुट-निरपेक्षता के सिद्धान्त अव्यावहारिक हैं। ये व्यवहार में विफल हुए हैं। सिद्धान्तों के अनुसार गुट-निरपेक्ष देशों को स्वतन्त्रता की नीतियों को सुदृढ़ करना था, परन्तु वे अपने दायित्व को निभाने में असफल रहे। पश्चिमी राष्ट्रों का तो यहाँ तक कहना है कि गुट-निरपेक्षता साम्यवाद के प्रति सहानुभूति रखती है परन्तु विश्व राजनीति में उसे गुप्त रखना चाहती है। पं० नेहरू ने सदा साम्यवादी रूस की प्रशंसा की तथा भारत में पंचवर्षीय योजनाओं का निर्माण सोवियत संघ की नीतियों से प्रेरित होकर किया गया।

5. संकुचित नीति का पोषक – विदेश नीति का क्षेत्र अत्यधिक विस्तृत है। इस सम्बन्ध में आलोचकों का कहना है कि गुट-निरपेक्षता का सीमित वृत्त इतने व्यापक वृत्त को कैसे अपने में समेट सकता है। अतः गुट-निरपेक्ष आन्दोलन एक प्रकार से अफसल है। गुटों से बाहर रहकर विश्व राजनीति में क्रियाशीलता का प्रदर्शन करना अत्यधिक कठिन है। विश्व की सम्पूर्ण नीति गुटों के चतुर्दिक घूमती है। अतः गुटों से पृथक् रहकर कोई भी राष्ट्र विकास के पथ पर नहीं पहुँच सकता।

6. राष्ट्रहित के स्थान पर नेतागिरी की नीति – कुछ आलोचकों का मानना है कि गुट निरपेक्षता की भावना ऊर्ध्वगामी है, जबकि विश्व राजनीति की जड़ें अधोगामी हैं। ऐसी स्थिति में इस नीति के केन्द्र में राष्ट्रहित की भावना नहीं दिखाई देती है।

7. गुट-निरपेक्षता एक दिशाहीन आन्दोलन – कुछ आलोचकों का मानना है कि विश्व की नवीन मुक्त व्यापार की नीति के अन्तर्गत गुटे-निरपेक्षता का आन्दोलन निरर्थक सिद्ध हो रहा है। आज अन्तर्राष्ट्रीय रंगमंच पर सद्भावना की आवश्यकता है, अलगावाद की नहीं। गुट-र्निरपेक्षता का आन्दोलन इस दृष्टि से दिशाहीनता का प्रदर्शन मात्र बनकर रह गया है।

8. गुट-निरपेक्षता की नीति से अन्तर्राष्ट्रीय व्यवस्था में कोई परिवर्तन नहीं – आलोचकों का कहना है कि गुट-निरपेक्षता की नीति ने अन्तर्राष्ट्रीय राजनीतिक व्यवस्था में अभी तक कोई ठोस परिवर्तन नहीं किया है। शीत-युद्ध के समय में सारा विश्व प्रमुख शिविरों में विभक्त रहा। इन शिविरों ने गुट-निरपेक्ष आन्दोलन के नेताओं के कहने में अपनी नीति में किसी प्रकार का कोई परिवर्तन नहीं किया। भारत के विरोध करने के पश्चात् भी अमेरिका ने कोरिया में अभियान चलाया, चीन ने तिब्बत पर अधिकार कर लिया तथा लेबनान में अमेरिकी सेनाएँ। प्रविष्ट हो गईं। पश्चिमी एशिया में अरब-इजराइल युद्ध हुए। इस प्रकार गुट-निरपेक्षता की नीति निरर्थक सिद्ध हुई।

इस प्रकार गुट-निरपेक्ष आन्दोलन का कोई ठोस आधार नहीं है।

लघु उत्तरीय प्रश्न (शब्द सीमा : 150 शब्द) (4 अंक)

प्रश्न 1.
‘गुट-निरपेक्ष आन्दोलन एवं भारत पर एक टिप्पणी लिखिए।
या
गुट-निरपेक्ष आन्दोलन में भारत की भूमिका का उल्लेख कीजिए।
उत्तर :
गुट-निरपेक्ष आन्दोलन में भारत की भूमिका सदैव केन्द्रीय रही है। भारत के प्रधानमन्त्री पं० जवाहरलाल नेहरू को इस आन्दोलन का संस्थापक माना जाता है। 1947 से 1950 ई० तक पं० नेहरू के नेतृत्व में गुट-निरपेक्षता को सकारात्मक तटस्थता” के रूप में स्वीकार किया गया था। तत्पश्चात् 1977 से 1979 ई० तक मोरारजी देसाई के नेतृत्व में भारत ने अमेरिका व रूस दोनों के साथ अपने सम्बन्धों को सुधारों व= उनमें समन्वय स्थापित किया। इस काल को वास्तविक गुट-निरपेक्षता का काल कहा जाता है। 1980 ई० में भारत का नेतृत्व प्रधानमन्त्री इन्दिरा गाँधी के हाथों में सौंपा गया। इन्दिरा गाँधी के नेतृत्व में भारत ने 1983 ई० में गुट-निरपेक्ष आन्दोलन में भाग लिया। इस काल में इन्दिरा गाँधी द्वारा दो समस्याओं पर प्रमुख रूप से ध्यान केन्द्रित किया गया, जिसमें प्रथम, शीतयुद्ध को समाप्त करने तथा द्वितीय, परमाणु अस्त्रों की होड़ को समाप्त करने से सम्बन्धित थी। आठवाँ शिखर सम्मेलन जो जिम्बाब्वे की राजधानी हरारे में सम्पन्न हुआ, में भारत का नेतृत्व प्रधानमन्त्री राजीव गाँधी द्वारा किया गया था।

इस सम्मेलन में राजीव गाँधी द्वारा विकासशील राष्ट्रों के मध्य स्वतन्त्र संचार-प्रणाली’ की स्थापना का प्रस्ताव रखा गया। इसके अतिरिक्त 1989 ई० में नवें शिखर सम्मेलन के समय भारत में राष्ट्रीय मोर्चा की सरकार थी जिसके नेतृत्व में भारत द्वारा “पर्यावरण की सुरक्षा पर बल देते हुए संयुक्त राष्ट्र संघ के तत्वावधान में “पृथ्वी संरक्षण कोष’ की स्थापना का प्रस्ताव प्रस्तुत किया गया। 1992 ई० में होने वाले दसवें शिखर सम्मेलन में भारत द्वारा विश्व की प्रमुख समस्या परमाणु नि:शस्त्रीकरण वे राष्ट्रों के मध्य आर्थिक समानता कायम करने के प्रश्न को उठाया गया। इस सम्मेलन के अन्तर्गत दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति नेल्सन मण्डेला ने अपने अध्यक्षीय भाषण में जम्मू-कश्मीर जैसे भारत के द्विपक्षीय मसले पर बोलकर भारतीय भावनाओं के आन्दोलन की मूल भावनाओं को ठेस पहुँचायी। यद्यपि तत्कालीन भारतीय प्रधानमन्त्री अटल बिहारी वाजपेयी द्वारा नेल्सन मण्डेला के अध्यक्षीय भाषण की आलोचना की गयी व अपने कूटनीतिक चातुर्य के द्वारा उन्होंने सम्मेलन में भारत की साख को बचा लिया, परन्तु इस घटना ने भारत को भविष्य के लिए सतर्क रहने की शिक्षा दी।

प्रश्न 2.
गुटनिरपेक्षता का महत्त्व बताइए।
उत्तर :
गुटनिरपेक्षता का महत्त्व

वर्तमान विश्व के सन्दर्भ में गुटनिरपेक्षता का व्यापक महत्त्व है, जिसे निम्न प्रकार से स्पष्ट किया जा सकता है –

  1. गुटनिरपेक्षता ने तृतीय विश्वयुद्ध की सम्भावना को समाप्त करने में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया है।
  2. गुटनिरपेक्षता राष्ट्रों ने साम्राज्यवाद का अन्त करने और विश्व में शान्ति व सुरक्षा बनाए रखने के लिए महत्त्वपूर्ण प्रयास किए हैं।
  3. गुटनिरपेक्ष के कारण ही विश्व की महाशक्तियों के मध्य शक्ति-सन्तुलन बना रही।
  4. गुटनिरपेक्ष सम्मेलनों ने सदस्य-राष्ट्रों के मध्य होने वाले युद्धों एवं विवादों का शान्तिपूर्ण ढंग से समाधान किया है।
  5. गुटनिरपेक्ष राष्ट्रों ने विज्ञान व तकनीक के क्षेत्र में एक-दूसरे को पर्याप्त सहयोग दिया है।
  6. गुटनिरपेक्षता ने अन्तर्राष्ट्रीय राजनीति को व्यापक रूप से प्रभावित किया है।
  7. गुटनिरपेक्ष आन्दोलन ने विश्व के परतन्त्र राष्ट्रों को स्वतन्त्र कराने और रंग-भेद की नीति का विरोध करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
  8. यह आन्दोलन निर्धन तथा पिछड़े हुए देशों के आर्थिक विकास पर बहुत बल दे रहा है।
  9. गुटनिरपेक्ष आन्दोलन राष्ट्रवाद को अन्तर्राष्ट्रवाद में परिवर्तित करने तथा द्विध्रुवीकरण को बहु-केन्द्रवाद में परिवर्तित करने का उपकरण बना।
  10. इसने सफलतापूर्वक यह दावा किया कि मानव जाति की आवश्यकता पूँजीवाद तथा साम्यवाद के मध्य विचारधारा सम्बन्धी विरोध से दूर है।
  11. इसने सार्वभौमिक व्यवस्था की तरफ ध्यान आकर्षित किया तथा अन्तर्राष्ट्रीय सम्बन्धों में शीत-युद्ध की भूमिका को कम करने तथा इसकी समाप्ति में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई।
  12. गुटनिरपेक्षता नए राष्ट्रों के सम्बन्धों में स्वतन्त्रतापूर्वक विदेशों से सम्बन्ध स्थापित करके तथा सदस्यता प्रदान करके उनकी सम्प्रभुता की सुरक्षा का साधन बनी है।

लघु उत्तरीय प्रश्न (शब्द सीमा : 50 शब्द) (2 अंक)

प्रश्न 1.
‘गुट-निरपेक्षता की नीति के आवश्यक तत्त्व बताइए।
उत्तर :
गुट-निरपेक्षता की नीति के आवश्यक तत्त्व

सन् 1961 में बेलग्रेड में आयोजित गुट-निरपेक्ष देशों के प्रथम शिखर सम्मेलन में असंलग्नता की नीति के कर्णधारों-नेहरू, नासिर और टीटो ने इस नीति के 5 आवश्यक तत्त्व माने हैं, जो निम्नलिखित हैं

  1. सम्बद्ध देश स्वतन्त्र नीति का अनुसरण करता हो।
  2. वह उपनिवेशवाद का विरोध करता हो।
  3. वह किसी भी सैनिक गुट का सदस्य न हो।
  4. उसने किसी भी महाशक्ति के साथ द्विपक्षीय सैनिक समझौता नहीं किया हो।
  5. उसने किसी भी महाशक्ति को अपने क्षेत्र में सैनिक अड्डा बनाने की स्वीकृति न दी हो।

उपर्युक्त आवश्यक तत्त्वों के अनुसार गुट-निरपेक्षता का आशय ‘‘अन्तर्राष्ट्रीय राजनीति में सैनिक गुट की सदस्यता या किसी भी महाशक्ति के साथ द्विपक्षीय सैनिक समझौते से दूर रहते हुए शान्ति, न्याय और राष्ट्रों की समानता के सिद्धान्त पर आधारित रीति-नीति का अवलम्बन है।

प्रश्न 2.
गुट-निरपेक्ष आन्दोलन के उद्देश्यों पर प्रकाश डालिए।
उत्तर :

  1. स्वतन्त्र राष्ट्रों के मध्य पारस्परिक एकता व शान्तिपूर्ण सम्बन्धों की स्थापना हेतु।
  2. नवस्वतन्त्र राष्ट्रों के मध्य व्यापारिक व तकनीकी सम्बन्धों की स्थापना करना।
  3. पर्यावरण प्रदूषण पर नियन्त्रण करना।
  4. स्वतन्त्रता की रक्षा करना।
  5. साम्राज्यवाद, उपनिवेशवाद व रंगभेद जैसी नीतियों का विरोध करना।
  6. मानव अधिकारों का समर्थन करना।
  7. निरस्त्रीकरण का समर्थन व युद्धों का विरोध करना।
  8. अन्तर्राष्ट्रीय तनाव को कम करने हेतु प्रयत्न करना।
  9. सैनिक गुटबन्दी से दूर रहना।
  10. परस्पर सहयोग द्वारा विकास की गति में वृद्धि करना।

अतिलघु उत्तरीय प्रश्न (1 अंक)

प्रश्न 1.
गुट-निरपेक्षता की त्रिमूर्ति से क्या आशय है?
या
गुट-निरपेक्ष आन्दोलन के दो संस्थापकों के नाम लिखिए। [2011, 13]
उत्तर :
गुट-निरपेक्षता की त्रिमूर्ति से आशय पं० जवाहरलाल (प्रधानमन्त्री भारत), कर्नल नासिर (राष्ट्रपति मिस्र) तथा मार्शल टीटो (राष्ट्रपति यूगोस्लाविया) से है।

प्रश्न 2.
गुट-निरपेक्ष देशों का प्रथम शिखर सम्मेलन कहाँ और कब सम्पन्न हुआ था? [2011]
उत्तर :
गुट-निरपेक्ष देशों का प्रथम शिखर सम्मेलन यूगोस्लाविया की राजधानी बेलग्रेड में 1961 ई० में हुआ था।

प्रश्न 3.
गुट-निरपेक्ष आन्दोलन के प्रणेता कौन थे? [2013]
उत्तर :
गुट-निरपेक्ष की नीति के प्रणेता पं० जवाहरलाल नेहरू थे।

UP Board Solutions for Class 12 Civics गुट-निरपेक्ष आन्दोलन

प्रश्न 4.
गुट-निरपेक्ष आन्दोलन का 12वाँ शिखर सम्मेलन कहाँ आयोजित हुआ था?
उत्तर :
गुट-निरपेक्ष आन्दोलन का 12वाँ शिखर सम्मेलन डरबन (दक्षिण अफ्रीका) में 1998 ई० में आयोजित हुआ था। गुट-निरपेक्ष आन्दोलन का 12वाँ विदेश मन्त्री सम्मेलन 1997 ई० में नयी दिल्ली में सम्पन्न हुआ था।

प्रश्न 5.
किन्हीं चार गुट-निरपेक्ष देशों के नाम अंकित कीजिए। [2007, 10, 11]
उत्तर :
भारत, मिस्र, मलेशिया एवं यूगोस्लाविया

बहुविकल्पीय प्रश्न (1 अंक)

प्रश्न 1.
गुट-निरपेक्षता की नीति का प्रतिपादन किसने किया था ?
(क) इन्दिरा गाँधी ने
(ख) पं० जवाहरलाल नेहरू ने
(ग) लाल बहादुर शास्त्री ने
(घ) राजीव गाँधी ने

प्रश्न 2.
गुट-निरपेक्ष आन्दोलन का प्रथम शिखर सम्मेलन कहाँ हुआ था ? [2013]
(क) काठमाण्डू
(ख) कोलम्बो
(ग) बेलग्रेड
(घ) नयी दिल्ली

प्रश्न 3.
निम्नलिखित में से कौन-सा एक गुट-निरपेक्ष देश नहीं है ? [2011, 14]
(क) ब्रिटेन
(ख) श्रीलंका
(ग) मिस्र
(घ) इण्डोनेशिया

प्रश्न 4.
गुट निरपेक्ष आन्दोलन नरम पड़ता जा रहा है क्योंकि [2012]
(क) इसके नेतृत्व में दूरदर्शिता का अभाव है।
(ख) इसके सदस्य राष्ट्रों की सभी समस्याओं का समाधान हो गया है।
(ग) विश्व में अब एक ही गुट प्रभावशाली रह गया है।
(घ) गुट-निरपेक्षता का विचार वैश्वीकरण के कारण अप्रासंगिक हो गया है।

प्रश्न 5.
गुट-निरपेक्ष आन्दोलन की नींव कब पड़ी? [2013]
या
गुट-निरपेक्ष आन्दोलन का प्रारम्भ हुआ था। [2016]
(क) 1960
(ख) 1961
(ग) 1962
(घ) 1965

प्रश्न 6.
वर्ष 2012 में गुट-निरपेक्ष आन्दोलन का शिखर सम्मेलन कहाँ आयोजित हुआ था? [2013]
(क) इराक
(ख) ईरान
(ग) चीन
(घ) अमेरिका

प्रश्न 7.
निम्नलिखित में से कौन गुट-निरपेक्ष आन्दोलन से सम्बन्धित नहीं है? [2012]
(क) मिस्र के कर्नल नासिर
(ख) यूगोस्लाविया के मार्शल टीटो
(ग) भारत के पं० जवाहरलाल नेहरू
(घ) चीन के चाऊ-एनलाई

प्रश्न 8.
गुट-निरपेक्ष आन्दोलन के संस्थापक नेता कौन थे? [2015]
(क) पं० मोतीलाल नेहरू, सुहात, यासर अराफात
(ख) इंदिरा गांधी, फिडेल कास्त्रो, कैनिथ कौन्डा
(ग) नासिर, जवाहरलाल नेहरू, टीटो।
(घ) श्रीमावो भण्डारनाईके, अनवर सदात, जुलियस नायरेरे

उत्तर :

  1. (ख) पं० जवाहरलाल नेहरू ने
  2. (ग) बेलग्रेड
  3. (क) ब्रिटेन
  4. (घ) गुटनिरपेक्षता का विचार वैश्वीकरण के कारण अप्रासंगिक हो गया है
  5. (ख) 1961
  6. (ख) ईरान
  7. (घ) चीन के चाऊ-एनलाई
  8. (ग) नासिर, जवाहरलाल नेहरू, टीटो।

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UP Board Class 12 Geography Model Papers Paper 4

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Board UP Board
Textbook NCERT
Class Class 12
Subject Geography
Model Paper Paper 4
Category UP Board Model Papers

UP Board Class 12 Geography Model Papers Paper 4

समय : 3 घण्टे 15 मिनट
पूर्णांक : 70

निर्देश :
प्रारम्भ के 15 मिनट परीक्षार्थियों के प्रश्न-पत्र पढ़ने के लिए निर्धारित हैं।
नोट :

  • सभी प्रश्न अनिवार्य हैं।
  • प्रश्न संख्या-1 से 8 तक बहुविकल्पीय प्रश्न है। प्रश्न संख्या-9 से 16 तक अतिलघु उत्तरीय प्रश्न हैं, जिनका प्रत्येक उत्तर लगभग 20 शब्दों में, प्रश्न संख्या-17 से 24 तक लघु उत्तरीय प्रश्न हैं, जिनका प्रत्येक उत्तर लगभग 100 शब्दों में और प्रश्न संख्या-25 से 26 तक विस्तृत उत्तरीय प्रश्न हैं, जिनका प्रत्येक उत्तर लगभग 300 शब्दों में दीजिए।
  • सभी प्रश्नों के लिए निर्धारित अंक उनके सम्मुख अंकित हैं।
  • उपयुक्त रेखा मानचित्रों एवं आरेखों द्वारा अपने उत्तरों की पुष्टि कीजिए।

बहुविकल्पीय प्रश्न

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर अपनी उत्तर-पुस्तिका में लिखिए। [1]

प्रश्न 1.
उत्तरी अमेरिका तथा उत्तरी यूरेशिया में किस प्रकार के वन पाए जाते है। [1]
(a) कोणधारी वैन
(b) मानसूनी वन
(c) विषुतूरेखीय वन
(d) भूमध्यसागरीय

प्रश्न 2.
पारिस्थितिक-तन्त्र की कार्यप्रणाली निर्भर करती है। [1]
(a) उपभोक्ता पर
(b) स्वपोषित पर
(c) वियोजक पर
(d) ऊर्जा प्रवाह

प्रश्न 3.
नेपानगर किस लिए प्रसिद्ध है? [1]
(a) अख़बारी कागज के लिए
(b) रेशम उद्योग के लिए
(c) सीमेण्ट उद्योग के लिए
(d) चीनी उद्योग के लिए

प्रश्न 4.
कैनेडियन पैसिफिक रेलमार्ग जोड़ता है। [1]
(a) हैलीक्स को प्रिन्स जॉर्ज से
(b) सेप्ट जॉन को प्रिन्स रुपर्ट से
(c) हैलीक्स को बैंकूवर से
(d) सेप्ट जॉन को बैंकूवर से

प्रश्न 5.
भारत में सबसे अधिक कहवा उत्पादक राज्य है। [1]
(a) केरल
(b) तमिलनाडु
(c) कर्नाटक
(d) आन्ध्र प्रदेश

प्रश्न 6.
निम्नलिखित में से कौन-सा बन्दरगाह भारत के पूर्वी तट पर स्थित है। [1]
(a) फ़ाज़ला
(b) कोच्चि
(c) न्यू मंगलौर
(d) चेन्नई

प्रश्न 7.
निम्नलिखित में से कौन-सा भारत का बाढ़ प्रभावित क्षेत्र है। [1]
(a) पूर्वी उत्तर प्रदेश
(b) पूर्वी मध्य प्रदेश
(c) पूर्वी महाराष्ट्र
(d) पूर्वी कर्नाटक

प्रश्न 8.
भारत में विश्व का कितना प्रतिशत जल संसाधन उपलब्ध है? [1]
(a) 16%
(b) 5%
(c) 4%
(d) 2.4%

अतिलघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 9.
उष्णकटिबन्धीय चौड़ी पत्ती वाले सदाबहार वन के वितरण को लिखिए। [2]

प्रश्न 10.
किन्हीं दो गैर-परम्परागत ऊर्जा स्रोतों का उल्लेख कीजिए। [2]

प्रश्न 11.
जापान के लौह-इस्पात उद्योग के दो केन्द्रों के नाम लिखिए। [2]

प्रश्न 12.
विश्व में चावल के प्रमुख आयातक देश कौन-कौन से हैं? [2]

प्रश्न 13.
विश्व के किन्हीं दो बन्दरगाहों के नाम बताइए। [2]

प्रश्न 14.
भारत में वनों पर आधारित दो उद्योगों के नाम लिखिए। [2]

प्रश्न 15.
‘गलियारा परियोजना’ क्या है?

प्रश्न 16.
भूकम्प को प्राकृतिक आपदा क्यों कहा गया है? [2]
अथवा
भूकम्प के दो प्रमुख कारणों का उल्लेख कीजिए। [2]

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 17.
प्राकृतिक वनस्पति की विभिन्न विशेषताओं का उल्लेख कीजिए। [4]

प्रश्न 18.
चक्रवातों के पूर्वानुमान की विधियों क्या हैं? [4]

प्रश्न 19.
जनसंख्या के वितरण को प्रभावित करने वाले चार कारकों का उल्लेख कीजिए। [4]

प्रश्न 20.
एशिया के दो प्रमुख बन्दरगाहों का उल्लेख कीजिए। [4]

प्रश्न 21.
भूकम्प आपदा के प्रमुख कारणों का वर्णन कीजिए। [4]

प्रश्न 22. ग्रामीण बस्तियों के दो प्रकारों का वर्णन कीजिए। [4]

प्रश्न 23.
कोलकाता की भौगोलिक स्थिति को रेखा-मानचित्र द्वारा प्रदर्शित कीजिए। [4]

प्रश्न 24.
भारतीय अर्थव्यवस्था की संरचना में कृषि के महत्त्व का परीक्षण कीजिए। [4]

विस्तृत उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 25.
भारत के रेल परिवहन पर एक निबन्ध लिखिए। [7]
अथवा
जनसंख्या स्थानान्तरण के विभिन्न प्रकार एवं कारणों का विवरण दीजिए। [7]

प्रश्न 26.
निम्नलिखित पर टिप्पणियाँ लिखिए। [7]

  1. भारत में जनसंख्या की व्यावसायिक संरचना
  2. भारत में लिंगानुपात

अथवा
भारत में गेहूं की कृषि पर वर्णन निम्नलिखित शीर्षकों के अन्तर्गत कीजिए। [7]

  1. भौगोलिक दशाएँ
  2. प्रमुख उत्पादक राज्य

उत्तर

उत्तर 1:
(a) कोणधारी वैन

उत्तर 2:
(d) ऊर्जा प्रवाह

उत्तर 3:
(a) अख़बारी कागज के लिए

उत्तर 4:
(c) हैलीक्स को बैंकूवर से

उत्तर 5:
(c) कर्नाटक

उत्तर 6:
(d) चेन्नई

उत्तर 7:
(a) पूर्वी उत्तर प्रदेश

उत्तर 8:
(c) 4%

उत्तर 9:
इस वन को विषुवत्रेखीय वन भी कहा जाता है। यह विश्व के कुल 245 करोड़ हेक्टेयर भू-भाग पर विस्तृत है, जिसमें दक्षिण अमेरिका में सर्वाधिक (51.3%) तथा उत्तरी अमेरिका में न्यूनतम (3%) भू-भाग पर पाई जाती है।

उत्तर 10:
गैर-परम्परागत दो ऊर्जा स्रोत निम्नलिखित हैं।

  1. सौर ऊर्जा
  2. पवन ऊर्जा

उत्तर 11:
जापान के लौह-इस्ताप उद्योग के दो केन्द्र निम्नलिखत हैं।

  1. नागासाकी-मौजी क्षेत्र
  2. ओसाका-कैमेशी क्षेत्र

उत्तर 12:
विश्व में चावल के प्रमुख आयातक देश हैं—जापान, फ्रांस, बांग्लादेश, जर्मनी एवं मध्य एशिया आदि।

उत्तर 13:
विश्व के दो प्रमुख बन्दरगाह निम्न हैं।

  1. लन्दन बन्दरगाह
  2. न्यूयॉर्क बन्दरगाह

उत्तर 14:
भारत में वनों पर आधारित दो उद्योग निम्नलिखित हैं।

  1. दियासलाई उद्योग
  2. कागज उद्योग

उत्तर 15:
श्रीनगर को कन्याकुमारी से तथा सिल्चर को पोरबन्दर से जोड़ने वाले राजमार्ग परियोजना को गलियारा परियोजना का नाम दिया गया है। [2]

उत्तर 16:
जब पृथ्वी की आन्तरिक शक्तियों की उथल-पुथल के कारण पृथ्वी हिलती या काँपती है, तो इसे भूकम्प कहा जाता है। भूकम्प के समय पृथ्वी में कम्पन्न होने लगता है, जिससे बड़ी-बड़ी इमारतें एवं सड़कें, पुल, रेलमार्ग आदि नष्ट हो जाते हैं तथा बहुत लोगों की मृत्यु भी मकानों के नीचे दबकर हो जाती है।

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UP Board Class 12 Geography Model Papers Paper 3

UP Board Class 12 Geography Model Papers Paper 3 are part of UP Board Class 12 Geography Model Papers. Here we have given UP Board Class 12 Geography Model Papers Paper 3.

Board UP Board
Textbook NCERT
Class Class 12
Subject Geography
Model Paper Paper 3
Category UP Board Model Papers

UP Board Class 12 Geography Model Papers Paper 3

समय : 3 घण्टे 15 मिनट
पूर्णांक : 70

निर्देश :
प्रारम्भ में 15 मिनट परीक्षार्थियों को प्रश्न-पत्र पढ़ने के लिए निर्धारित हैं।
सामान्य निर्देश :

  • सभी प्रश्न अनिवार्य है।
  • प्रश्न संख्या 1 से 8 बदुविकल्पीय प्रश्न हैं। प्रश्न संख्या 9 से 18 तक अतिलघु छतरीय प्रश्न हैं, जिनका जुत्तर लगभग 25 शब्दों में लिखना है। प्रश्न संख्या 19 से 24 तक लघु उत्तरीय प्रश्न हैं, जिनका उत्तर लगभग 50 शब्दों में तथा प्रश्न संख्या 25 से 26 तक दीर्घ उत्तरीय प्रश्न हैं, जिनका उत्तर लगभग 150 शब्दों के अन्तर्गत लिखना है।
  • मानचित्र कार्य, जिसके अन्तर्गत विश्व तथा भारत के सन्दर्भ में 10 प्रश्न पूछे जाते हैं।
  • बहुविकल्पीय प्रश्नों में प्रत्येक पर 1 अंक, अतिलघु उत्तरीय पर 1 अंक, लघु उत्तरीय पर 4 अंक तथा दीर्घ उत्तरीय प्रश्नों में प्रत्येक पर 9 अंक निर्धारित किए गए हैं। मानचित्र कार्य के लिए 10 अंक निर्धारित किए गए हैं।

बहुविकल्पीय प्रश्न

प्रश्न 1.
निम्न में से कौन-सा जैविक संसाधन है?
(a) मिट्टी
(b) जस्ता
(c) वनस्पति
(d) वायु

प्रश्न 2.
निम्नलिखित में से कौन-सी पश्चिम बंगाल की प्रमुख फसल है?
(a) गेहूं।
(b) चावल
(c) पास
(d) जूट

प्रश्न 3.
निम्नलिखित में से किसका सम्बन्ध सूती वस्त्र उद्योग से है?
(a) भिलाई
(b) नेपानगर
(c) झायमियानगर
(d) कोयम्बटूर

प्रश्न 4.
विश्व में सर्वाधिक सड़कों का जाल किस देश में है?
(a) यू.एस.ए
(b) चीन
(c) भारत
(d) ब्राजील

प्रश्न 5.
जनसंख्या के वितरण को कौन-कौन से कारक प्रभावित करते हैं?
(a) प्राकृतिक कारक
(b) राजनैतिक कारक
(c) आर्थिक कारक
(d) ये सभी

प्रश्न 6.
निम्नलिखित इस्पात केन्द्रों में से कौन-सा छत्तीसगढ़ में स्थित है?
(a) राउरकेला
(b) भिलाई
(c) दुर्गापुर
(d) बोकारों

प्रश्न 7.
निम्नलिखित में से कौन आकस्मिक प्राकृतिक आपदा नहीं है?
(a) ज्वालामुखी
(b) मरुस्थलीकरण
(c) भूस्खलन
(d) भूकम्प

प्रश्न 8.
भूमिगत जलस्तर में गिरावट का कौन-सा कारण नहीं है?
(a) नलय द्वारा सिंचाई
(b) नगरीय पेयजल के लिए नलकूप
(c) जलीय क्षेत्र का अतिक्रमण
(d) जलसम्मर क्षेत्र

अतिलघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 9.
विश्व के उष्णकटिबन्धीय घास के मैदान के क्षेत्रों का वर्णन कीजिए।

प्रश्न 10.
पर्यावरण संरक्षण से आप क्या समझते हैं?

प्रश्न 11.
संयुक्त राज्य अमेरिका के दो लौह-इस्पात उद्योग क्षेत्र के नाम बताइए।

प्रश्न 12.
सड़कों के विकास के लिए आवश्यक दशाएँ कौन-सी हैं?

प्रश्न 13.
भिलाई किस उद्योग के लिए प्रसिद्ध है तथा वह भारत के किस राज्य में स्थित है?

प्रश्न 14.
उद्योगों के स्थानीयकरण के दो प्रमुख कारकों के नाम लिखिए।

प्रश्न 15.
भूकम्प को प्राकृतिक आपदा क्यों कहा जाता है?

प्रश्न 16.
भूमिगत जलस्तर में गिरावट के दो प्रमुख कारण बताइए।

प्रश्न 17.
विश्व के दो पार-महाद्वीपीय रेलमार्गों के नाम लिखिए।

प्रश्न 18.
भारत में जल के अभाव के दो प्रमुख कारण लिखिए।

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 19.
मानव और पर्यावरण के बीच सम्बन्ध की व्याख्या कीजिए।

प्रश्न 20.
विश्व में लौह इस्पात उद्योग के स्थानीयकरण के प्रमुख कारकों का वर्णन कीजिए।

प्रश्न 21.
पारिस्थितिक असन्तुलन की समस्या के निराकरण के उपाय बताएँ।

प्रश्न 22.
भारत में लौह-इस्पात के दो उत्पादन केन्द्रों का वर्णन कीजिए।

प्रश्न 23.
भारत के सड़क यातायात के आर्थिक महत्त्व की विवेचना कीजिए।

प्रश्न 24.
भारत में बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों की समस्याओं का वर्णन कीजिए।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 25.
विश्व में जनसंख्या के असमान वितरण के लिए उत्तरदायी भौगोलिक कारकों का वर्णन कीजिए।
अथवा
संयुक्त राज्य अमेरिका में लौह-अयस्क उत्पादन के प्रमुख क्षेत्रों का वर्णन कीजिए।

प्रश्न 26 .
गहन निर्वाहन कृषि की विशेषताओं और एशिया में इसके वितरण की विवेचना कीजिए।
अथवा
वर्षा-जल प्रबन्धन से आप क्या समझते हैं? वर्षा-जल प्रबन्धन की उपयोगिता को स्पष्ट कीजिए।
26. i. मानचित्र कार्य
1. निम्नलिखित को विश्व मानचित्र में दर्शाइए

  1. स्वेज नहर
  2. सिंगापुर बन्दरगाह
  3. टोकियो बन्दरगाह
  4. कागज उत्पादक देश
  5. कोयला उत्पादक देशः
    • संयुक्त राज्य अमेरिका
    • ऑस्ट्रेलिया

26. ii. निम्नलिखित को भारत के सन्दर्भ में दर्शाइए

  1. मुम्बई बन्दरगाह
  2. चाय उत्पादक राज्य
    • असम
    • पश्चिम बंगाल
  3. उत्तर प्रदेश के बाढ़ प्रभावित दो क्षेत्र
  4. प्रमुख गेहूं उत्पादक क्षेत्र
    • उत्तर प्रदेश
    • पंजाब
  5. प्रमुख इस्पात उद्योग
    • दुर्गापुर
    • राउरकेला

उत्तर

उत्तर 1:
(c) वनस्पति

उत्तर 2:
(d) जूट

उत्तर 3:
(d) कोयम्बटूर

उत्तर 4:
(a) यू.एस.ए

उत्तर 5:
(d) ये सभी

उत्तर 6:
(b) भिलाई

उत्तर 7:
(b) मरुस्थलीकरण

उत्तर 8:
(d) जलसम्मर क्षेत्र

उत्तर 9:
ये घास के मैदान सवाना वनस्पति के क्षेत्र हैं, इन्हें पार्कलैण्ड या बुशलैण्ड भी कहा जाता है, क्योंकि इनमें छतरीनुमा वृक्ष 3 मी. से 5 मी. लम्बी घास के बीच-बीच में पाए जाते हैं। ये उष्ण मरुस्थलों एवं विषुवतीय प्रदेशों के बीच के संक्रमण प्रदेश हैं। इनका सर्वोत्तम विकास सूडान में हुआ है, इसलिए इन्हें सूडान तुल्य घास के मैदान भी कहते हैं। इनमें निम्नलिखित घास के मैदान सम्मिलित हैं।

  1. दक्षिणी अमेरिका में लानोज (वेनेजुएला)
  2. दक्षिणी अमेरिका में कम्पास (ब्राजील)।
  3. अफ्रीका में सवाना (सूडान)

उत्तर 10:
पर्यावरण संरक्षण से तात्पर्य पर्यावरण के सन्तुलन एवं गुणवत्ता को अनुकूलतम अथवा आदर्श स्थिति पर बनाए रखने से हैं, क्योंकि जीवों की समस्त जैविक एवं रासायनिक प्रक्रियाओं का संचालन पर्यावरण के माध्यम से ही ” होता है।

उत्तर 11:
संयुक्त राज्य अमेरिका के दो लौह-इस्ताप उद्योग केन्द्र निम्नलिखित हैं।

  1. उत्तरी अप्लेशियन या पिट्सबर्ग क्षेत्र
  2. महान झील क्षेत्र

उत्तर 12:
सड़कों के विकास के लिए आवश्यक दशाएँ निम्नवत् हैं। समतल भूमि, जनसंख्या, नगरीकरण, औद्योगीकरण आदि।

उत्तर 13:
भिलाई लौह-इस्पात उद्योग के लिए प्रसिद्ध है तथा ये भारत के छत्तीसगढ़ राज्य में स्थित है।

उत्तर 14:
उद्योगों के स्थानीयकरण के दो प्रमुख कारक निम्नलिखित है।

  1. पर्याप्त कच्चे माल की उपलब्धता
  2. उद्योगों की स्थापना के लिए अनुकूलतम जलवायवीय दशाएँ।

उत्तर 15:
जब पृथ्वी की आन्तरिक शक्तियों की उथल-पुथल के कारण पृथ्वीं हिलतो या उसमें कम्पन्न होती है, तो इसे भूकम्प कहा जाता है। भूकम्प के समय पृथ्वी में कम्पन्न होने लगता है, जिससे बड़ी-बड़ी इमारतें एवं सड़कें, पुल, रेलमार्ग आदि नष्ट हो जाते हैं तथा बहुत लोगों की मृत्यु भी मकानों के नीचे दबकर हो जाती है। इस कारण मूकम्प को एक प्राकृतिक आपदा कहते हैं।

  1. पृथ्वी को आन्तरिक प्लेटों के आपस में टकराने से पृथ्वी में कम्पन्न होने लगता है।
  2. ज्वालामुखी क्रिया के कारण भी भूकम्पों का जनन होता हैं।

उत्तर 16:
भूमिगत जलस्तर में गिरावट के निम्नलिखित दो कारण

  1. नलकूपों द्वारा सिंचाई के लिए जल का अत्यधिक दोहन
  2. झीलों, तालाबों आदि का अतिक्रमण

उत्तर 17:
विश्व के दो पार-महाद्वीपीय रेलमार्गों के नाम निम्नलिखित हैं।

  1. ट्रांस साइबेरियन रेलमार्ग-रूस।
  2. कैनेडियन पैसिफिक रेलमार्ग-कनाड़ा।

उत्तर 18:
भारत में जल के अभाव के निम्नलिखित दो प्रमुख कारण हैं।

  1. जनसंख्या में तीव्र गति से वृद्धि
  2. नलकूपों द्वारा अतार्किक ढंग से सिंचाई

उत्तर 26. i:

UP Board Class 12 Geography Model Papers Paper 3 image 1

अथवा

उत्तर 26. ii:
UP Board Class 12 Geography Model Papers Paper 3 image 2

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UP Board Solutions for Class 12 Economics Chapter 27 Measure of Central Tendency: Arithmetic Mean

UP Board Solutions for Class 12 Economics Chapter 27 Measure of Central Tendency: Arithmetic Mean (केन्द्रीय प्रवृत्ति की माप : समान्तर माध्य) are part of UP Board Solutions for Class 12 Economics. Here we have given UP Board Solutions for Class 12 Economics Chapter 27 Measure of Central Tendency: Arithmetic Mean (केन्द्रीय प्रवृत्ति की माप : समान्तर माध्य).

Board UP Board
Textbook NCERT
Class Class 12
Subject Economics
Chapter Chapter 27
Chapter Name Measure of Central Tendency: Arithmetic Mean (केन्द्रीय प्रवृत्ति की माप : समान्तर माध्य)
Number of Questions Solved 44
Category UP Board Solutions

UP Board Solutions for Class 12 Economics Chapter 27 Measure of Central Tendency: Arithmetic Mean (केन्द्रीय प्रवृत्ति की माप : समान्तर माध्य)

विस्तृत उत्तरीय प्रश्न (6 अंक)

प्रश्न 1
समान्तर माध्य से आप क्या समझते हैं ? समान्तर माध्य के प्रकार बताइए। [2010]
उत्तर:
साधारण बोलचाल की भाषा में समान्तर माध्य को औसत कहते हैं। समान्तर माध्य केन्द्रीय प्रवृत्ति का एक मापक है। वह संख्या जो किसी समूह विशेष के सभी आँकड़ों का प्रतिनिधित्व करती है, समान्तर माध्य कहलाती है। समान्तर माध्य वह मान है जो दिये हुए पदों के योगफल में पदों की संख्या से भाग देने पर प्राप्त होता है। उदाहरण के लिए-यदि छ: बालकों की आयु क्रमशः 5, 7, 9, 11, 13 व 15वर्ष है तो इसका समान्तर माध्य = [latex]\frac { 5+7+9+11+13+15 }{ 6 }[/latex] = [latex]\frac { 60 }{ 6 }[/latex] = 10 वर्ष होगा।

समान्तर माध्य निम्नलिखित रूप में परिभाषित किया जा सकता है
प्रो० होरेस सैक्रिस्ट के अनुसार, “एक समंकमाला के पदों के मूल्यों के योग को उनकी संख्या से भाग देने पर जो संख्या प्राप्त होती है, उसे ‘माध्य’ कहते हैं।”
क्रॉक्सटन व क्राउड़न के अनुसार, “माध्य समंकों के विस्तार के अन्तर्गत स्थित एक ऐसा मूल्य है जिसका प्रयोग श्रेणी के सभी मूल्यों का प्रतिनिधित्व करने के लिए किया जाता है, क्योंकि माध्य समंकों के विस्तार के अन्तर्गत ही कहीं होता है; अत: यह केन्द्रीय मूल्य का माप कहा जाता है।”

गणितीय माध्य या समान्तर माध्य के प्रकार
गणितीय या समान्तर माध्य के निम्नलिखित दो प्रकार होते हैं
1. सरल समान्तर माध्य तथा
2. भारित समान्तर माध्य।

1. सरले समान्तर माध्य – सरल समान्तर माध्य में समूह के सभी पदों या समंकों को समान महत्त्व दिया जाता है तथा इसकी गणना पदों के योगफल में पदों की संख्या से भाग देकर की जाती है।
2. भारित समान्तर माध्य – भारित समान्तर माध्य में प्रत्येक पद को उसके महत्त्व के अनुसार कम या अधिक भार प्रदान किया जाता है। पद मूल्यों को उसके महत्त्व के अनुसार भार देकर समान्तर माध्य निकालना ही भारित समान्तर माध्य कहलाता है।

प्रश्न 2
समान्तर माध्य के गुण-दोष लिखिए। [2008, 11, 12, 13, 15]
उत्तर:
समान्तर माध्य के गुण- समान्तर माध्य में निम्नलिखित गुण पाये जाते हैं

  1. सरलता – समान्तर मध्य में सरलता का गुण पाया जाता है। एक साधारण व्यक्ति भी इसकी गणना सरलतापूर्वक कर सकता है, क्योंकि इसको समझना आसान होता है।
  2. समस्त पदों का प्रतिनिधित्व – समान्तर माध्य ज्ञात करने के लिए सम्पूर्ण समंकों का प्रयोग किया जाता है; अत: यह सभी पदों का प्रतिनिधित्व करता है।
  3. निश्चितता – संमान्तर मध्य सदैव एक ही होता है। श्रेणी चाहे जिस ढंग से लिखी जाए, इसमें कोई अन्तर नहीं आता; अत: इसमें निश्चितता का गुण पाया जाता है।
  4. तुलना का आधार – समान्तर माध्य के द्वारा विभिन्न समंकों में तुलना की जा सकती है; अतः समान्तर माध्य तुलना का आधार प्रस्तुत करता है।
  5. बीजगणितीय विवेचन सम्भव होता है – समान्तर माध्य का प्रयोग बीजगणितीय क्रियाओं में सम्भव है; अत: इस माध्य का प्रयोग उच्च-स्तरीय सांख्यिकीय विश्लेषण में किया जाता है।

समान्तर माध्य के दोष – समान्तर माध्य में निम्नलिखित दोष पाये जाते हैं

  1. समान्तर माध्य ज्ञात करते समय सभी पदों को महत्त्व दिया जाता है, परन्तु बड़े मूल्यों के पद माध्य को अधिक प्रभावित करते हैं, जिसके कारण समान्तर माध्य श्रेणी का ठीक प्रतिनिधित्व करने में असफल रहता है; जैसे – किसी कार्यालय के प्रबन्धक का वेतन ₹14,000 और दो लिपिकों का वेतन क्रमशः ₹3,000 और ₹4,000 है तो इस समूह के वेतन का माध्य हैं ₹7,000 होगा, जो कि श्रेणी का उचित प्रतिनिधित्व नहीं करता।
  2. समान्तर माध्य द्वारा कभी-कभी अशुद्ध परिणाम भी निकल जाते हैं। उदाहरण के लिए-यदि तीन फर्मों के विभिन्न वर्षों के लाभ निम्नवत् हैं
    UP Board Solutions for Class 12 Economics Chapter 27 Measure of Central Tendency Arithmetic Mean 1
    उपर्युक्त लाभ को देखने से स्पष्ट होता है कि तीनों फर्मों का औसत लाभ या समान्तर माध्य 50,000 है। इस आधार पर यह निष्कर्ष निकाला जा सकता है कि तीनों फर्म समान प्रगति पर हैं, परन्तु फर्म A प्रगति पथ पर है और फर्म B की स्थिति शोचनीय।
  3. गुणात्मक सामग्री का समान्तर माध्य ज्ञात नहीं किया जा सकता है। इस कारण गुणात्मक सामग्री के लिए यह अनुपयुक्त है।
  4. समान्तर माध्य के द्वारा कभी-कभी विचित्र व हास्यास्पद परिणाम प्राप्त होते हैं; जैसे-एक व्यक्ति के पास 4 गाय हैं और दूसरे व्यक्ति के पास 3 गाय हैं तो इनका समान्तर माध्य 3.5 होता है। जबकि 3.5 गाय नहीं होती हैं; अत: जिन वस्तुओं का विभाजन असम्भव है उनके समान्तर माध्य को ज्ञात करना कठिन है।
  5. समान्तर माध्य का बिन्दुरेखीय प्रदर्शन या रेखाचित्र असम्भव है।
  6. समंकमाला को देखकर समान्तर मध्य का अनुमान लगाना कठिन होता है।
  7. सम्पूर्ण समंकों में से यदि कोई एक समंक गायब हो जाता है, तो ऐसी स्थिति में समान्तर माध्य ज्ञात करना कठिन होता है।
  8. समान्तर माध्य छोटे पदों को कम और बड़े पदों को अधिक महत्त्व देता है।

प्रश्न 3
समान्तर माध्य की गणना हेतु प्रयुक्त प्रत्यक्ष एवं लघु रीतियों को उदाहरण सहित समझाइए। [2010]
उत्तर:
समान्तर माध्य ज्ञात करने की दो विधियाँ हैं- 1. प्रत्यक्ष विधि (Direct Method) तथा 2. परोक्ष विधि या लघु विधि (Indirect or Short-cut Method)

1. प्रत्यक्ष विधि – समान्तर माध्य ज्ञात करने की यह विधि अत्यन्त सरल है, परन्तु यदि समंकों का मूल्य बड़ा होता है और उनकी संख्या भी अधिक होती है तो इस विधि का प्रयोग उचित नहीं रहता, क्योंकि गणना करने में अधिक समय व श्रम का व्यय होता है।

2. परोक्ष विधि या लघु विधि – इस विधि को अप्रत्यक्ष विधि या कल्पित माध्य विधि भी कहते हैं। इसमें दिये हुए पद-मूल्यों में से किसी एक को अथवा पद-मूल्यों से भिन्न किसी दूसरी संख्या को कल्पित माध्य (Assumed Mean) मान लेते हैं तथा कल्पित माध्य को प्रत्येक पद-मूल्य में से घटाकर धनात्मक या ऋणात्मक विचलन ज्ञात कर लेते हैं। कल्पित माध्य से प्रत्येक पद-मूल्य के विचलनों के योग को पदों की संख्या से भाग देते हैं। इस प्रकार जो भागफल प्राप्त होता है यदि वह धनात्मक (+) धनात्मक या ऋणात्मक विचलन ज्ञात कर लेते हैं। कल्पित माध्य से प्रत्येक पद-मूल्य के विचलनों के योग को पदों की संख्या से भाग देते हैं। इस प्रकार जो भागफल प्राप्त होता है यदि वह धनात्मक (+) होता है तो उसे कल्पित माध्य में जोड़ देते हैं और यदि ऋणात्मक (-) होता है तो उसे कल्पित माध्य से घटा देते हैं। जो मूल्य प्राप्त होता है वही समान्तर माध्य होता है। यदि समंकों का मूल्य बड़ा हो तथा समंकों की संख्या भी अधिक हो तो इस विधि का प्रयोग उचित होता है, क्योंकि गणना करने में समय व श्रम का कम व्यय होता है।

विशेष – समंक तीन प्रकार की श्रेणियों में मिल सकते हैं

  1. व्यक्तिगत श्रेणी (Individual Series) में,
  2. खण्डित श्रेणी (Discrete Series) में तथा
  3. सतत् (अखण्डित) श्रेणी (Continuous Series) में। प्रत्येक प्रकार की श्रेणी का समान्तर मध्य प्रत्यक्ष या परोक्ष दोनों ही विधियों से ज्ञात किया जा सकता है।

व्यक्तिगत श्रेणी में समान्तर माध्य की गणना

(अ) प्रत्यक्ष विधि – व्यक्तिगत श्रेणी में सभी पदों के मूल्यों को जोड़कर, कुल योग को पदों की संख्या से भाग देते हैं।
सूत्र रूप में:
UP Board Solutions for Class 12 Economics Chapter 27 Measure of Central Tendency Arithmetic Mean 2
यहाँ, [latex]\overline { X }[/latex] संकेताक्षर का प्रयोग सरल समान्तर माध्य के लिए है। x1, x2, x3, x4, आदि व्यक्तिगत पद-मूल्य हैं तथा n पदों की संख्या है।
Σ(Sigma) ग्रीक भाषा का अक्षर है, जिसका अर्थ दिये गये समस्त पद-मूल्यों का योग है।

(ब) अप्रत्यक्ष विधि या लघु रीति – अप्रत्यक्ष विधि को कल्पित माध्य रीति भी कहते हैं। इसमें दिये हुए पद-मूल्यों में से किसी एक को अथवा पद-मूल्यों में से भिन्न किसी दूसरी संख्या को कल्पित माध्य मान लेते हैं, फिर निम्नलिखित क्रियाएँ करनी पड़ती हैं
सूत्र [latex]\overline { X }[/latex] = A + [latex]\frac { \Sigma dx }{ n } [/latex]
यहाँ
n A = offrea FTET (Assumed Mean)
Σdx = कल्पित माध्य से विचलन (Deviations from Assumed Mean)
n = पदों की संख्या

उदाहरण 1
एक कक्षा के 12 विद्यार्थियों के भार सम्बन्धी ऑकड़े निम्नलिखित हैं। प्रत्यक्ष तथा अप्रत्यक्ष रीति से समान्तर माध्य की गणना कीजिए
भार (किग्रा में) : 45         42       47        55      58        60          61       44      49         52         48        45
हल:
समान्तर माध्य की गणना (प्रत्यक्ष विधि से)
UP Board Solutions for Class 12 Economics Chapter 27 Measure of Central Tendency Arithmetic Mean 3

हल:
समान्तर माध्य की गणना (अप्रत्यक्ष विधि से)
UP Board Solutions for Class 12 Economics Chapter 27 Measure of Central Tendency Arithmetic Mean 4

खण्डित श्रेणी में समान्तर साध्य की गणना
खण्डित श्रेणी में प्रत्येक पद-मूल्य की तत्सम्बन्धी आवृत्तियाँ दी हुई रहती हैं। इस श्रेणी में भी समान्तर माध्य दोनों विधियों से ज्ञात किया जा सकता है।

(अ) प्रत्यक्ष विधि द्वारा – खण्डित श्रेणी में प्रत्यक्ष रीति से समान्तर माध्य ज्ञात करने के लिए पद-मूल्यों को सम्बन्धित आवृत्तियों से गुणा करके गुणनफलों के योग में कुल आवृत्तियों का भाग दे देते हैं।
सूत्र [latex]\overline { X }[/latex] = A + [latex]\frac { \Sigma fx }{ n } [/latex]
इस सूत्र में- fx = आवृत्ति का उसके मूल्य का गुणनफल।
Σfx = सभी गुणनफलों का योग।
n = आवृत्तियों का योग अर्थात् Σf

(ब) अप्रत्यक्ष (लघु) विधि – कल्पित माध्य से पद-मूल्यों का विचलन निकालकर सम्बन्धित आवृत्तियों से गुणा करते हैं। गुणनफलों के योग में कुल आवृत्तियों का भाग देने पर प्राप्त भागफल यदि धनात्मक है तो उसे कल्पित माध्य में जोड़ देते हैं और यदि ऋणात्मक है तो उसे कल्पित माध्य से घटा देते हैं। इस प्रकार समान्तर माध्य ज्ञात हो जाता है।
सूत्र [latex]\overline { X }[/latex] = A + [latex]\frac { \Sigma fdx }{ n } [/latex]
यहाँ A = कल्पित माध्य;
Σfdx = कल्पित माध्य से पद-मूल्यों के विचलनों व आवृत्तियों के गुणनफल का योग;
n = पदों की संख्या।

उदाहरण 2
निम्नांकित श्रेणी के समान्तर माध्य की गणना प्रत्यक्ष तथा अप्रत्यक्ष रीति से कीजिए
UP Board Solutions for Class 12 Economics Chapter 27 Measure of Central Tendency Arithmetic Mean 5
हल:
प्रत्यक्ष रीति से समान्तर माध्य की गणना
UP Board Solutions for Class 12 Economics Chapter 27 Measure of Central Tendency Arithmetic Mean 6
अप्रत्यक्ष रीति से समान्तर माध्य की गणना
UP Board Solutions for Class 12 Economics Chapter 27 Measure of Central Tendency Arithmetic Mean 7

सतत या अखण्डित श्रेणी में समान्तर माध्य की गणना
सतत् श्रेणी में मूल्य (x) वर्गों में दिये हुए रहते हैं; अतः सर्वप्रथम प्रत्येक वर्गान्तर का मध्य बिन्दु (mid point) या मध्य मूल्य (mid value) ज्ञात करते हैं। यह मध्य मूल्य M.V. को x यानि पद-मूल्य मानकर आगे की गणना की जाती है। इस प्रकार सतत् श्रेणी खण्डित श्रेणी में परिवर्तित हो जाती है। इसके बाद वे सभी क्रियाएँ करनी पड़ती हैं जो खण्डित श्रेणी में की जाती हैं। सतत् श्रेणी में समान्तर माध्य ‘प्रत्यक्ष विधि तथा ‘लघु विधि’ दोनों प्रकार से ज्ञात किया जा सकता है।

(अ) प्रत्यक्ष विधि – सतत् श्रेणी में प्रत्यक्ष रीति से समान्तर माध्य ज्ञात करने के लिए वर्गों के ‘मध्य मूल्य निकाले जाते हैं। तत्पश्चात् उनको आवृत्तियों (f) से गुणा करते हैं। गुणनफल के योग में
आवृत्तियों के योग से भाग दे देते हैं।
सूत्र [latex]\overline { X }[/latex] = A + [latex]\frac { \Sigma fx }{ n } [/latex]
इस सूत्र में – fx = आवृत्ति का सम्बन्धित मध्य मूल्य से गुणनफल।
Σfx = सभी गुणनफलों का योग।
n = आवृत्तियों का योग अर्थात् Σf ।

(ब) अप्रत्यक्ष या लघु विधि – सतत् श्रेणी में लघु विधि द्वारा समान्तर माध्य ज्ञात करना प्रत्यक्ष विधि की अपेक्षा सरल होता है। लघु विधि में समान्तर माध्य ज्ञात करने के लिए निम्नलिखित क्रियाएँ करनी पड़ती हैं

  1. सर्वप्रथम वर्गान्तरों के मध्य मूल्य ज्ञात करते हैं।
  2. मध्य मूल्य में से एक मूल्य या कोई अन्य कल्पित माध्य (A) मान लिया जाता है।
  3. कल्पित माध्य को प्रत्येक मूल्य में से घटाकर विचलन (dx) ज्ञात करते हैं।
  4. dx को तत्सम्बन्धी आवृत्तियों से गुणा कर fdx ज्ञात करते हैं।
  5. गुणनफलों का योग करके Σfdx ज्ञात करते हैं।
  6. समान्तर माध्य ज्ञात करने के लिए निम्नलिखित सूत्र का प्रयोग करते हैं

सूत्र- [latex]\overline { X }[/latex] = A + [latex]\frac { \Sigma fdx }{ n } [/latex]
यहाँ, A = कल्पित माध्य;
fdx = कल्पित माध्य से विचलन X आवृत्ति;
Σfdx = आवृत्ति तथा विचलन के गुणनफल का योग;
n = पदों की संख्या।

उदाहरण 3
निम्नलिखित तालिका में दिये गये आँकड़ों के आधार पर समान्तर माध्य की गणना प्रत्यक्ष तथा अप्रत्यक्ष रीति से कीजिए विद्यार्थियों की संख्या
UP Board Solutions for Class 12 Economics Chapter 27 Measure of Central Tendency Arithmetic Mean 8
हल:
प्रत्यक्ष विधि द्वारा समान्तर माध्य की गणना
UP Board Solutions for Class 12 Economics Chapter 27 Measure of Central Tendency Arithmetic Mean 9
अप्रत्यक्ष विधि द्वारा समान्तर माध्य की गणना
UP Board Solutions for Class 12 Economics Chapter 27 Measure of Central Tendency Arithmetic Mean 10
UP Board Solutions for Class 12 Economics Chapter 27 Measure of Central Tendency Arithmetic Mean 11

संचयी आवृत्तियाँ दिये रहने पर समान्तर माध्य की गणना
सतत् श्रेणी में संचयी आवृत्तियाँ दो प्रकार से हो सकती हैं
(1) ‘से अधिक’ तथा (2) ‘से कम। दोनों प्रकार से दी गयी संचयी आवृत्तियों में समान्तर माध्य की गणना उदाहरण 4 तथा 5 द्वारा स्पष्ट की जा रही है।

उदाहरण 4
निम्नलिखित आवृत्ति वितरण से समान्तर माध्य ज्ञात कीजिए
UP Board Solutions for Class 12 Economics Chapter 27 Measure of Central Tendency Arithmetic Mean 86
हल:
उपर्युक्त प्रश्न ‘से अधिक के आधार पर संचयी आवृत्ति में दिया हुआ है। इसमें वर्गों की निम्न सीमाएँ दी गयी हैं; अत: इसे सर्वप्रथम सतत् श्रेणी में बदलेंगे। श्रेणी को देखने से ज्ञात होता है कि श्रेणी में वर्गान्तर 10 का है। अत: पहला वर्ग 10-20 का बनेगा तथा पहले संचयी आवृत्ति में से अगली संचयी आवृत्ति को घटाते जाएँगे, अर्थात् संचयी आवृत्ति से सामान्य आवृत्ति बनाएँगे; अब साधारण श्रेणी में प्रश्न निम्नलिखित प्रकार से बनेगा
UP Board Solutions for Class 12 Economics Chapter 27 Measure of Central Tendency Arithmetic Mean 12
हल:
UP Board Solutions for Class 12 Economics Chapter 27 Measure of Central Tendency Arithmetic Mean 13
UP Board Solutions for Class 12 Economics Chapter 27 Measure of Central Tendency Arithmetic Mean 14

उदाहरण 5
निम्नलिखित आवृत्ति-वितरण से समान्तर माध्य ज्ञात कीजिए
UP Board Solutions for Class 12 Economics Chapter 27 Measure of Central Tendency Arithmetic Mean 15
हल:
उपर्युक्त प्रश्न ‘से कम के आधार पर संचयी आवृत्ति में दिया हुआ है। इसमें वर्गान्तर की उच्च सीमाएँ दी हैं। हम देखते हैं कि श्रेणी के प्रत्येक वर्ग में अन्तर 10 का है। सर्वप्रथम हम इसे सतत् श्रेणी में बदलेंगे। हमारा पहला वर्ग 10-20 का होगा। प्रत्येक वर्ग की आवृत्ति ज्ञात करने के लिए अगले वर्ग की संचयी आवृत्ति में से पहले वर्ग की संचयी आवृत्ति घटा देंगे। सतत् श्रेणी में प्रश्न निम्नलिखित प्रकार से बनेगा
UP Board Solutions for Class 12 Economics Chapter 27 Measure of Central Tendency Arithmetic Mean 16
हल:
UP Board Solutions for Class 12 Economics Chapter 27 Measure of Central Tendency Arithmetic Mean 17

उदाहरण 6
निम्नलिखित श्रेणी से समान्तर माध्य ज्ञात कीजिए
UP Board Solutions for Class 12 Economics Chapter 27 Measure of Central Tendency Arithmetic Mean 18
हल:
विशेष – समानान्तर माध्य ज्ञात करने की दोनों विधियाँ (प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष) इस प्रश्न के हल हेतु दर्शायी गयी हैं
UP Board Solutions for Class 12 Economics Chapter 27 Measure of Central Tendency Arithmetic Mean 19

विशेष – समान्तर माध्य ज्ञात करने की यह कोई भिन्न विधि नहीं है, वरन् लघु विधि की सहायक विधि ही है। इस विधि में कल्पित माध्य से अन्तर की संख्याओं को किसी उभयनिष्ठ संख्या से भाग दे दिया जाता है, जिससे पद-विचलन बहुत छोटे हो जाते हैं। इस प्रकार इन छोटे पद-विचलनों में उनकी आवृत्तियों से गुणा करने पर कुल विचलन ज्ञात हो जाते हैं। अन्त में विचलनों के योग में उक्त उभयनिष्ठ संख्या का गुणा कर दिया जाता है। शेष विधि वही रहती है जिसे लघु विधि के अन्तर्गत समझाया गया है। चिह्नों के अर्थ भी वही होते हैं जिन्हें लघु रीति के अन्तर्गत स्पष्ट किया गया है।

उदाहरण 7
एक परीक्षा में 50 विद्यार्थियों द्वारा प्राप्तांक नीचे तालिका में दिये गये हैं। अंकगणितीय माध्य की गणना कीजिए
UP Board Solutions for Class 12 Economics Chapter 27 Measure of Central Tendency Arithmetic Mean 20
हल:
UP Board Solutions for Class 12 Economics Chapter 27 Measure of Central Tendency Arithmetic Mean 21
UP Board Solutions for Class 12 Economics Chapter 27 Measure of Central Tendency Arithmetic Mean 22

उदाहरण 8
UP Board Solutions for Class 12 Economics Chapter 27 Measure of Central Tendency Arithmetic Mean 23
या
निम्न समंकों में से समान्तर माध्य ज्ञात कीजिए [2014]
UP Board Solutions for Class 12 Economics Chapter 27 Measure of Central Tendency Arithmetic Mean 24
या
निम्नलिखित श्रेणी के समान्तर माध्य की गणना कीजिए [2014]
UP Board Solutions for Class 12 Economics Chapter 27 Measure of Central Tendency Arithmetic Mean 25
या
निम्नलिखित आवृत्ति वितरण में समान्तर माध्य ज्ञात कीजिए [2014]
UP Board Solutions for Class 12 Economics Chapter 27 Measure of Central Tendency Arithmetic Mean 26
हल:
UP Board Solutions for Class 12 Economics Chapter 27 Measure of Central Tendency Arithmetic Mean 27
प्रश्न 4
भारित समान्तर माध्य क्या है? भारित समान्तर माध्य ज्ञात करने की विधि उदाहरण के द्वारा समझाइए।
उत्तर:
आर्थिक समस्याओं के अध्ययन में भारित समान्तर माध्य का महत्त्वपूर्ण स्थान होता है। यह वह माध्य होता है जिसमें पदों को उनके सापेक्षिक महत्त्व के अनुसार भार देकर माध्य की गणना की जाती है। अनेक स्थितियों में तुलना करने के लिए भारित समान्तर माध्य ही उपयुक्त विधि होती है। उदाहरणार्थ-एक कारखाने के कर्मचारियों की औसत आय ज्ञात करने के लिए व्यवस्थापक के वेतन तथा कर्मचारियों के वेतन को समान महत्त्व देना अनुचित होगा; क्योंकि कारखाने में व्यवस्थापक तो एक होगा तथा कर्मचारियों की संख्या अधिक होगी। उचित औसत आय तब ही प्राप्त हो सकती है, जब हम व्यवस्थापक तथा कर्मचारियों को उनके महत्त्व के अनुसार भार दें। इसके लिए भारित समान्तर माध्य ही उपयुक्त है।

भारित समान्तर माध्य ज्ञात करने की विधियाँ – भारित समान्तर माध्य भी प्रत्यक्ष विधि एवं अप्रत्यक्ष या लघु विधि से ज्ञात किया जा सकता है

(क) प्रत्यक्ष विधि से भारित समान्तर माध्य – (1) प्रत्येक पद को उसके महत्त्व के आधार पर भार (w) प्रदान किया जाता है।
(2) प्रत्येक मूल्य (x) को उसके भार (W) से गुणा करके गुणनफल (Wx) ज्ञात करते हैं। इसके बाद गुणनफलों का योग करके ΣWx निकालते हैं। ।
(3) गुणनफलों (Σwx) में भारों के योग (ΣW) का भाग देकर समान्तर माध्य निकालते हैं। सूत्र रूप में
[latex]\overline { X }[/latex] = A + [latex]\frac { \Sigma Wx }{ \Sigma W } [/latex]
यहाँ, [latex]\overline { X }[/latex] w = भारित समान्तर माध्य है।
ΣWx = मूल्यों तथा भारों के गुणनफलों का योग है।
Σw = भारों का योग है।

(ख) लघु रीति से भारित समान्तर माध्य – इस विधि द्वारा भारित समान्तर माध्य ज्ञात करने के लिए निम्नलिखित क्रियाएँ करनी पड़ती हैं

  1. प्रत्येक पद को महत्त्व के अनुसार भार देना।
  2. कल्पित माध्य (A) मानकर मूल्यों से विचलन (dx) ज्ञात करना।
  3. विचलनों को तत्सम्बन्धी भार से गुणा करके गुणनफल ज्ञात करना तथा उनका योग करना। इस प्रकार ΣWdx ज्ञात हो जाएगा।
  4. निम्नलिखित सूत्र का प्रयोग करके भारित समान्तर माध्य ज्ञात किया जाएगा

[latex]\overline { X }[/latex]W = A + [latex]\frac { \Sigma Wdx }{ \Sigma W } [/latex]
यहाँ परे, [latex]\overline { X }[/latex]W = भारित समान्तर माध्य;
A = कल्पित माध्य।
ΣWdx = कल्पित माध्य से प्राप्त विचलनों और तत्सम्बन्धी भारों के गुणनफल का योग।
Σw = भारों का योग।

उदाहरण 9
एक व्यक्ति ने निम्नलिखित वस्तुएँ विविध मूल्यों पर नीचे दी गयी तालिका के अनुसार खरीदी हैं। उनका भारित समान्तर माध्य ज्ञात कीजिए
UP Board Solutions for Class 12 Economics Chapter 27 Measure of Central Tendency Arithmetic Mean 28
हल:
प्रत्यक्ष विधि द्वारा भारित समान्तर माध्य की गणना।
UP Board Solutions for Class 12 Economics Chapter 27 Measure of Central Tendency Arithmetic Mean 29
UP Board Solutions for Class 12 Economics Chapter 27 Measure of Central Tendency Arithmetic Mean 30
लघु रीति द्वारा भारित समान्तर माध्य की गणना
UP Board Solutions for Class 12 Economics Chapter 27 Measure of Central Tendency Arithmetic Mean 31

लघु उत्तरीय प्रश्न (4 अंक)

प्रश्न 1
निम्नांकित समंकों की सहायता से प्राप्तांकों का समान्तर माध्य ज्ञात कीजिए। प्रश्न-पत्र के अधिकतम अंक 50 थे
UP Board Solutions for Class 12 Economics Chapter 27 Measure of Central Tendency Arithmetic Mean 32
हल:
[ संकेत–उपर्युक्त प्रश्न व्यक्तिगत श्रेणी के अन्तर्गत आता है। ] ।
समान्तर माध्य सूत्र
UP Board Solutions for Class 12 Economics Chapter 27 Measure of Central Tendency Arithmetic Mean 33

प्रश्न 2
निम्नलिखित आँकड़ों से लघु विधि द्वारा समान्तर माध्य ज्ञात कीजिए
7, 10, 13, 18, 24, 30
हल:
UP Board Solutions for Class 12 Economics Chapter 27 Measure of Central Tendency Arithmetic Mean 34
UP Board Solutions for Class 12 Economics Chapter 27 Measure of Central Tendency Arithmetic Mean 35

प्रश्न 3
उत्तर प्रदेश सरकार के निम्नलिखित वार्षिक व्यय के माध्य की गणना कीजिए
UP Board Solutions for Class 12 Economics Chapter 27 Measure of Central Tendency Arithmetic Mean 36
हल:
समान्तर माध्य की गणना
UP Board Solutions for Class 12 Economics Chapter 27 Measure of Central Tendency Arithmetic Mean 37
UP Board Solutions for Class 12 Economics Chapter 27 Measure of Central Tendency Arithmetic Mean 38

प्रश्न 4
लघु विधि द्वारा समान्तर माध्य ज्ञात कीजिए गणना
UP Board Solutions for Class 12 Economics Chapter 27 Measure of Central Tendency Arithmetic Mean 39
हल:
लघु विधि द्वारा समान्तर माध्य
UP Board Solutions for Class 12 Economics Chapter 27 Measure of Central Tendency Arithmetic Mean 40

प्रश्न 5
8 व्यक्तियों के समूह के मासिक व्यय का समान्तर माध्य ₹5,000 है। 12 व्यक्तियों के एक समूह का समान्तर माध्य ₹6,000 है। सभी 20 व्यक्तियों के मासिक व्यय का समान्तर माध्य ज्ञात करें।
हल:
समान्तर माध्य की गणना
UP Board Solutions for Class 12 Economics Chapter 27 Measure of Central Tendency Arithmetic Mean 41
UP Board Solutions for Class 12 Economics Chapter 27 Measure of Central Tendency Arithmetic Mean 42

प्रश्न 6
एक शहर के 100 परिवारों की मासिक आय निम्नवत है
UP Board Solutions for Class 12 Economics Chapter 27 Measure of Central Tendency Arithmetic Mean 43
उपर्युक्त आँकड़ों की सहायता से इस शहर के परिवारों की मासिक आय का समान्तर माध्य लघु विधि द्वारा ज्ञात कीजिए।
हल:
विधि द्वारा समान्तर माध्य की गणना
UP Board Solutions for Class 12 Economics Chapter 27 Measure of Central Tendency Arithmetic Mean 44

प्रश्न 7
निम्नांकित श्रेणी से समान्तर माध्य की गणना प्रत्यक्ष तथा लघु दोनों रीति से कीजिए
UP Board Solutions for Class 12 Economics Chapter 27 Measure of Central Tendency Arithmetic Mean 45
हल:
प्रत्यक्ष एवं लघु विधि द्वारा समान्तर माध्य की गणना
UP Board Solutions for Class 12 Economics Chapter 27 Measure of Central Tendency Arithmetic Mean 46
UP Board Solutions for Class 12 Economics Chapter 27 Measure of Central Tendency Arithmetic Mean 47
UP Board Solutions for Class 12 Economics Chapter 27 Measure of Central Tendency Arithmetic Mean 48

प्रश्न 8
निम्नलिखित का प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष विधियों द्वारा समान्तर माध्य ज्ञात कीजिए
UP Board Solutions for Class 12 Economics Chapter 27 Measure of Central Tendency Arithmetic Mean 49
हल:
संकेत – सर्वप्रथम वर्गान्तर समान अन्तराल के बनाने होंगे; क्योकि पहले वर्गान्तर में 1 का अन्तर है, दूसरे व तीसरे में 2 का तथा चौथे व पाँचवें में 5 का। अतः सुविधा के लिए पहले, दूसरे व तीसरे को मिलाकर एक वर्गान्तर बना लेंगे, जिसमें 5 का अन्तर होगा।

प्रत्यक्ष तथा अप्रत्यक्ष विधि द्वारा समान्तर माध्य की गणना
UP Board Solutions for Class 12 Economics Chapter 27 Measure of Central Tendency Arithmetic Mean 50
UP Board Solutions for Class 12 Economics Chapter 27 Measure of Central Tendency Arithmetic Mean 51
UP Board Solutions for Class 12 Economics Chapter 27 Measure of Central Tendency Arithmetic Mean 52

प्रश्न 9
निम्नांकित का लघु विधि द्वारा समान्तर माध्य ज्ञात कीजिए
UP Board Solutions for Class 12 Economics Chapter 27 Measure of Central Tendency Arithmetic Mean 53
हल:
लघु विधि द्वारा समान्तर माध्य की गणना
UP Board Solutions for Class 12 Economics Chapter 27 Measure of Central Tendency Arithmetic Mean 54
UP Board Solutions for Class 12 Economics Chapter 27 Measure of Central Tendency Arithmetic Mean 55

प्रश्न 10
क, ख और ग आगरा के किसी इण्टरमीडिएट कॉलेज के परीक्षार्थी हैं। इन्होंने निम्नलिखित प्रश्न का समान्तर माध्य निकाला। तीनों परीक्षार्थियों के उत्तर एक-दूसरे से भिन्न थे। क का उत्तर 347, जबकि ख और ग के उत्तर क्रमशः 35 और 37 थे। समान्तर माध्य की गणना करके ज्ञात कीजिए कि इन परीक्षार्थियों में किसका उत्तर सही है?
UP Board Solutions for Class 12 Economics Chapter 27 Measure of Central Tendency Arithmetic Mean 56
हल:
UP Board Solutions for Class 12 Economics Chapter 27 Measure of Central Tendency Arithmetic Mean 57

प्रश्न 11
एक विद्यार्थी के पाँच विषयों में प्राप्त अंकों का समान्तर माध्य 40 है। छठे विषय में प्राप्त अंकों को सम्मिलित कर लेने पर समान्तर माध्य 46 हो जाता है। छठे विषय में उसे कितने अंक मिले?
हल:
पाँच विषयों में प्राप्त अंकों का समान्तर माध्य = 40
पाँच विषयों में कुल प्राप्त अंक = 40 x 5 = 200
छः विषयों में प्राप्त अंकों का समान्तर माध्य = 46
छः विषयों में कुल प्राप्त अंक। = 46 x 6 = 276
छठे विषय में प्राप्तांक = छः विषयों के कुल प्राप्तांक-पाँच विषयों के कुल प्राप्तांक
छठे विषय के प्राप्तांक = 276 – 200 = 76

प्रश्न 12
निम्नलिखित आँकड़ों से लघु विधि द्वारा समान्तर माध्य ज्ञात कीजिए
UP Board Solutions for Class 12 Economics Chapter 27 Measure of Central Tendency Arithmetic Mean 58
हल:
लघु विधि द्वारा समान्तर माध्य की गणना
UP Board Solutions for Class 12 Economics Chapter 27 Measure of Central Tendency Arithmetic Mean 59

प्रश्न 13
निम्नलिखित आँकड़ों से प्राप्तांकों का समान्तर माध्य ज्ञात कीजिए
UP Board Solutions for Class 12 Economics Chapter 27 Measure of Central Tendency Arithmetic Mean 60
हल:
सर्वप्रथम वर्गान्तर को अपवर्जी श्रेणी बनाकर तथा संचयी आवृत्ति को सामान्य आवृत्ति में बदल लेंगे, तत्पश्चात् प्रश्न को अग्रवत् हल करेंगे
UP Board Solutions for Class 12 Economics Chapter 27 Measure of Central Tendency Arithmetic Mean 61

प्रश्न 14
10 छात्रों के अंक इस प्रकार हैं
10, 28, 32, 12, 18, 20, 25, 15, 26, 14. प्रत्यक्ष विधि से समान्तर माध्य ज्ञात कीजिए।
हल:
UP Board Solutions for Class 12 Economics Chapter 27 Measure of Central Tendency Arithmetic Mean 62

प्रश्न 15
निम्नलिखित समंकों में से प्रत्यक्ष रीति द्वारा समान्तर माध्य ज्ञात कीजिए
UP Board Solutions for Class 12 Economics Chapter 27 Measure of Central Tendency Arithmetic Mean 63
हल:
UP Board Solutions for Class 12 Economics Chapter 27 Measure of Central Tendency Arithmetic Mean 64
UP Board Solutions for Class 12 Economics Chapter 27 Measure of Central Tendency Arithmetic Mean 65

प्रश्न 16
निम्नलिखित समंकों में से अप्रत्यक्ष विधि से समान्तर माध्य ज्ञात कीजिए
UP Board Solutions for Class 12 Economics Chapter 27 Measure of Central Tendency Arithmetic Mean 66
हल:
समान्तर माध्य की गणना
UP Board Solutions for Class 12 Economics Chapter 27 Measure of Central Tendency Arithmetic Mean 67

अतिलघु उत्तरीय प्रश्न (2 अंक)

प्रश्न 1
समान्तर माध्य की गणना हेतु व्यक्तिगत श्रेणी की प्रत्यक्ष विधि का सूत्र लिखिए।
उत्तर:
UP Board Solutions for Class 12 Economics Chapter 27 Measure of Central Tendency Arithmetic Mean 68

प्रश्न 2
एक आदर्श माध्य के गुण बताइए।
उत्तर:
एक आदर्श माध्य में निम्नलिखित आवश्यक गुण होने चाहिए

  1. स्पष्ट परिभाषा।
  2. श्रेणी के सभी पदों पर आधारित।
  3. माध्य सरल होना चाहिए।
  4. अंकगणितीय एवं बीजगणितीय विवेचन सम्भव।
  5. उच्चावचनों का कम प्रभाव।
  6. माध्य से निकाली गयी संख्या निश्चित एवं निरपेक्ष होनी चाहिए।

प्रश्न 3
एक व्यक्ति की मासिक आय रुपये में नीचे दी गयी है। प्रत्यक्ष विधि से समान्तर माध्य कीजिए [2008]
1400, 1350, 1500, 1750, 1100
हल:
UP Board Solutions for Class 12 Economics Chapter 27 Measure of Central Tendency Arithmetic Mean 69

प्रश्न 4
निम्नलिखित आवृत्ति सारणी के आधार पर छात्रों को प्राप्त अंकों का समान्तर माध्य ज्ञात कीजिए [2007]
UP Board Solutions for Class 12 Economics Chapter 27 Measure of Central Tendency Arithmetic Mean 70
हल:
UP Board Solutions for Class 12 Economics Chapter 27 Measure of Central Tendency Arithmetic Mean 71

निश्चित उतरीय प्रश्न (1 अंक)

प्रश्न 1
समान्तर माध्य किसे कहते हैं? [2008, 11, 12, 13, 15]
या
समान्तर माध्य को परिभाषित कीजिए। [2013, 14]
उत्तर:
समान्तर माध्य वह मान है जो दिये हुए पदों के योगफल में पदों की संख्या से भाग देने पर प्राप्त होता है।
या
वह संख्या जो किसी समूह विशेष के सभी आँकड़ों का प्रतिनिधित्व करती है, उस समूह का समान्तर माध्य कहलाती है।

प्रश्न 2
समान्तर माध्य कितने प्रकार के होते हैं?
उत्तर:
समान्तर माध्य दो प्रकार के होते हैं

  1. सरल समान्तर माध्य तथा
  2. भारित समान्तर माध्य।

प्रश्न 3
सरल समान्तर माध्य से क्या अभिप्राय होता है?
उत्तर:
सरल समान्तर माध्य की गणना पदों के योगफल में पदों की संख्या से भाग देकर की जाती है। सरल समान्तर माध्य में समूह के सभी पदों या समंकों को समान महत्त्व दिया जाता है।

प्रश्न 4
भारित समान्तर माध्य से क्या अभिप्राय होता है? [2009, 11]
उत्तर:
भारित समान्तर माध्य में प्रत्येक पद को उसके महत्त्व के अनुसार कम या अधिक भार प्रदान किया जाता है।
पद मूल्यों को उसके महत्त्व के अनुसार भार देकर समान्तर माध्य ज्ञात करना भारित समान्तर माध्य है।

प्रश्न 5
समान्तर माध्य की तीन सीमाओं की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
(1) समान्तर माध्य की गणना करते समय सभी समंक समान गुण वाले होने चाहिए।
(2) उच्चावचनों का कम प्रभाव होना चाहिए।
(3) समान्तर माध्य की गणना योग्य एवं कुशल व्यक्ति के द्वारा की जानी चाहिए जिससे कि समान्तर माध्य शुद्ध प्राप्त हो सके।

प्रश्न 6
अप्रत्यक्ष विधि से समान्तर माध्य ज्ञात करने का सूत्र लिखिए।
उत्तर:
UP Board Solutions for Class 12 Economics Chapter 27 Measure of Central Tendency Arithmetic Mean 72

प्रश्न 7
समान्तर माध्य के दो गुण बताइए।
उत्तर:
(1) समान्तर माध्य में सरलता का गुण पाया जाता है।
(2) समान्तर माध्य सभी पदों का प्रतिनिधित्व करता है।

प्रश्न 8
समान्तर माध्य के दो दोष लिखिए।
उत्तर:
(1) समान्तर माध्य ज्ञात करने में सभी पदों को महत्त्व दिया जाता है। किन्तु बड़े मूल्यों के पद समान्तर माध्य को अधिक प्रभावित करते हैं।
(2) समान्तर माध्य द्वारा कभी-कभी अशुद्ध परिणाम भी निकल जाते हैं।

प्रश्न 9
समान्तर माध्य की गणना हेतु व्यक्तिगत श्रेणी की प्रत्यक्ष विधि का सूत्र लिखिए।
उत्तर:
UP Board Solutions for Class 12 Economics Chapter 27 Measure of Central Tendency Arithmetic Mean 73

प्रश्न 10
समान्तर माध्य की गणना हेतु व्यक्तिगत श्रेणी की अप्रत्यक्ष विधि का सूत्र लिखिए। [2009,11]
उत्तर:
UP Board Solutions for Class 12 Economics Chapter 27 Measure of Central Tendency Arithmetic Mean 74

प्रश्न 11
समान्तर माध्य की गणना हेतु खण्डित श्रेणी की प्रत्यक्ष विधि का सूत्र लिखिए। [2009, 11]
उत्तर:
UP Board Solutions for Class 12 Economics Chapter 27 Measure of Central Tendency Arithmetic Mean 75

प्रश्न 12
समान्तर माध्य की गणना हेतु खण्डित श्रेणी की अप्रत्यक्ष विधि का सूत्र लिखिए।
उत्तर:
UP Board Solutions for Class 12 Economics Chapter 27 Measure of Central Tendency Arithmetic Mean 76

प्रश्न 13
भारित समान्तर माध्य की गणना हेतु लघु विधि का सूत्र लिखिए।
उत्तर:
भारित समान्तर माध्य का लघु विधि का सूत्र
UP Board Solutions for Class 12 Economics Chapter 27 Measure of Central Tendency Arithmetic Mean 77

बहुविकल्पीय प्रश्न (1 अंक)

प्रश्न 1
केन्द्रीय प्रवृत्ति की एक माप है
(क) समान्तर माध्य
(ख) माध्य विचलन
(ग) प्रमाप विचलन
(घ) सह-सम्बन्ध
उत्तर:
(क) समान्तर माध्य।

प्रश्न 2
समान्तर माध्य का मूल्य श्रेणी के सभी चरों के मूल्य के
(क) योग के बराबर होता है।
(ख) वर्गों के योग के बराबर होता है।
(ग) योग में चरों की संख्या से गुणा करने पर प्राप्त मूल्य के बराबर होता है।
(घ) योग में चरों की संख्या से भाग देने पर प्राप्त मूल्य के बराबर होता है ।
उत्तर:
(घ) योग में चरों की संख्या से भाग देने पर प्राप्त मूल्य के बराबर होता है।

प्रश्न 3
खण्डित या विच्छिन्न श्रेणी में प्रत्यक्ष रीति से समान्तर माध्य निकालने का सूत्र है
UP Board Solutions for Class 12 Economics Chapter 27 Measure of Central Tendency Arithmetic Mean 78
उत्तर:
UP Board Solutions for Class 12 Economics Chapter 27 Measure of Central Tendency Arithmetic Mean 79

प्रश्न 4
खण्डित या विच्छिन्न श्रेणी में अप्रत्यक्ष रीति से समान्तर माध्य निकालने का सूत्र है
UP Board Solutions for Class 12 Economics Chapter 27 Measure of Central Tendency Arithmetic Mean 79
उत्तर:
UP Board Solutions for Class 12 Economics Chapter 27 Measure of Central Tendency Arithmetic Mean 81

प्रश्न 5
अविच्छिन्न अथवा सतत् श्रेणी में प्रत्यक्ष रीति से समान्तर माध्य निकालने का सूत्र है
UP Board Solutions for Class 12 Economics Chapter 27 Measure of Central Tendency Arithmetic Mean 82
उत्तर:
UP Board Solutions for Class 12 Economics Chapter 27 Measure of Central Tendency Arithmetic Mean 83

प्रश्न 6
अविच्छिन्न अथवा सतत् श्रेणी में अप्रत्यक्ष रीति से समान्तर माध्य निकालने का सूत्र है
UP Board Solutions for Class 12 Economics Chapter 27 Measure of Central Tendency Arithmetic Mean 84
उत्तर:
UP Board Solutions for Class 12 Economics Chapter 27 Measure of Central Tendency Arithmetic Mean 85

प्रश्न 7
53 छात्रों के प्राप्तांकों का समान्तर माध्य 53 है। यदि प्रत्येक छात्र के प्राप्तांकों में 3 की वृद्धि कर दी जाए तो प्राप्तांकों का समान्तर माध्य
(क) 53 +[latex]\frac { 3 }{ 53 }[/latex] = 53 [latex]\frac { 3 }{ 53 }[/latex] हो जाएगा।
(ख) 53 + 3 = 56 हो जाएगा।
(ग) 53 +[latex]\frac { 3 }{ 4 }[/latex] = 54[latex]\frac { 1 }{ 2 }[/latex] हो जाएगा।
(घ) 53 + 32 = 62 हो जाएगा।
उत्तर:
(ख) 53 +3 = 56 हो जाएगा।

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UP Board Class 12 Computer Model Papers Paper 3

UP Board Class 12 Computer Model Papers Paper 3 are part of UP Board Class 12 Computer Model Papers. Here we have given UP Board Class 12 Computer Model Papers Paper 3.

Board UP Board
Textbook NCERT
Class Class 12
Subject Computer
Model Paper Paper 3
Category UP Board Model Papers

UP Board Class 12 Computer Model Papers Paper 3

समय : 3 घण्टे 15 मिनट
पूर्णांक : 70

निर्देश प्रारम्भ के 15 मिनट परीक्षार्थियों को प्रश्न-पत्र पढ़ने के लिए निर्धारित हैं।
नोट

  • इस प्रश्न-पत्र में कुल पाँच प्रश्न हैं।
  • सभी प्रश्न अनिवार्य हैं।
  • आवश्यकतानुसार अपने उत्तरों की पुष्टि नामांकित रेखाचित्रों द्वारा कीजिए।
  • सभी प्रश्नों के निर्धारित अंक उनके सम्मुख अंकित हैं।

प्रश्न 1.
I. निम्न प्रश्नों के उत्तर दिए गए विकल्पों में से दीजिए: (5 × 1 = 5)
(क) LibreOffice उदाहरण है।
(a) ट्राइनक्स
(b) रेड हैट
(c) डेवियन
(d) इनमें से कोई नहीं

(ख) निम्न में से कौन-सा ऑपरेटिंग सिस्टम केवल एक बार में एक उपयोगकर्ता को ही कार्य करने की अनुमति प्रदान करता है?
(a) मल्टी यूजर OS
(b) सिंगल यूजर OS
(c) सिंगल टास्किंग OS
(d) बैच OS

(ग) निम्न में से कौन-से पहले से परिभाषित फंक्शन्स होते हैं?
(a) बिल्ट इन फंक्शन
(b) गणितीय फंक्शन
(c) यूजर डिफाइण्ड फंक्शन
(d) इनमें से कोई नहीं

(घ) निम्न में से कौन-सा सीधे मेमोरी के एड्स पर कार्य करने की सुविधा प्रदान करता हैं?
(a) पॉइण्टर
(b) ऐरेज
(e) इनहेरिटेन्स
(d) स्ट्रिंग

(ङ) RDBMS का पूर्ण रूप क्या है?
(a) रेशनल डाटाबेस मैनेज सिस्टम
(b) रिकॉर्ड डाटाबेस मैनेजमेण्ट सिस्टम
(c) रिलेशनल डाटाबेस मैनेजमेण्ट सिस्टम
(d) रिकॉर्ड डाटाबेस मैनेज सिस्टम

(च) HTML में, इमेज को URL देने के लिए किस एट्रिब्यूट का प्रयोग किया जाता है?
(a) align
(b) src
(c) width
(d) alt

प्रश्न 2.
निम्न प्रश्नों के उत्तर सत्य अथवा असत्य में दें। (5 × 1 = 5)
(क) clrscr () फंक्शन का प्रयोग आउटपुट स्क्रिन पर आउटपुट प्रदर्शित करने के लिए किया जाता है।
(ख) ऑब्जेक्ट को ऑब्जेक्ट के नाम से पहचाना जाता हैं।
(ग) HTML में, लिंकिंग तीन प्रकार की होती है।
(घ) कम्प्यूटर के क्षेत्र में आदेशों के समूह को प्रोग्राम कहा जाता है।

प्रश्न 3.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए। (5 × 2 = 10)
(क) सॉफ्टवेयर व हार्डवेयर में अन्तर बताइए।
(ख) प्रचालन तन्त्र (ऑपरेटिंग सिस्टम) के प्रकार की व्याख्या कीजिए।
(ग) लाइनक्स के फाइल सिस्टम को समझाइए।
(घ) उदाहरण सहित टोकन का अर्थ समझाइए।
(ङ) स्ट्रिग से आपका क्या तात्पर्य है?

प्रश्न 4.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए। (5 × 3 = 15)
(क) स्यूडोकोड के लाभ व सीमाएँ बताइए।
(ख) एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर को परिभाषित कीजिए।
(ग) कम्प्यूटर प्रोग्राम के विकास की प्रक्रिया लिखिए।
(घ) C++ का परिचय दीजिए तथा इसके तत्त्व भी बताइए।
(ङ) लूपिंग स्टेटमेण्ट को उदाहरण देकर समझाइए

प्रश्न 5.
निम्नलिखित प्रश्नों में से किन्हीं 6 प्रश्नों के उत्तर दीजिए। (5 × 5 = 25)
[प्रश्न (झ) अथवा (ज) में से कोई एक अनिवार्य है।
(क) सिस्टम सॉफ्टवेयर से आपको क्या तात्पर्य है? इनके प्रमुख कार्यों को लिखिए।
(ख) लाइनक्स ऑपरेटिंग सिस्टम के भागों का वर्णन कीजिए।
(ग) एल्गोरिथ्म से आप क्या समझते है? इसकी संरचना क्यों करते हैं? समझाइए।
(घ) वेबसाइट पर एक निबन्ध लिखिए।
(ङ) ब्रांचिंग का संक्षिप्त विवरण दीजिए। दी गई 2 से विभाज्य है या नहीं, जानने के लिए C++ में प्रोग्राम लिखिए।
(च) C++ में दस संख्याओं की ऐरे में सबसे छोटी तथा सबसे बड़ी संख्या छापने हेतु प्रोग्राम लिखिए।
(छ) स्टैटिक वैरिएबल किस प्रकार अन्य वैरिएबल से भिन्न है? उदाहरण सहित समझाइए।
(ज) क्लास की परिभाषा का प्रारूप लिखिए और उसके प्रत्येक भाग का अर्थ समझाइए।
(झ) एक वेब पेज बनाइए जो मल्टीपल हाइपरटैक्स्ट को लिंक करता हो।
(त्र) C++ में, एक प्रोग्राम बनाए जो यूजर द्वारा करैक्टर एण्टर कराए और प्रिण्ट कराए कि दिया गया करैक्टर एल्फाबेट है या डिजिट।

Solutions

उत्तर 1.
(क) (b) रेड हैट
(ख) (b) सिंगल यूजर OS
(ग) (a) बिल्ट इन फंक्शन
(घ) (a) पॉइण्टर
(ङ) (c) रिलेशनल डाटाबेस मैनेजमेण्ट सिस्टम
(च) (b) src

उत्तर 2.
(क) असत्य
(ख) सत्य
(ग) असत्य
(घ) सत्य

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