UP Board Solutions for Class 11 Biology Chapter 9 Biomolecules 

UP Board Solutions for Class 11 Biology Chapter 9 Biomolecules (जैव अणु)

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अभ्यास के अन्तर्गत दिए गए प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
वृहत अणु क्या है? उदाहरण दीजिए।
उत्तर :
जो तत्त्व अम्ल अविलेय अंश में पाये जाते हैं वे वृहत् अणु या वृहत् जैविक अणु कहलाते हैं।

उदाहरणार्थ :
(i) न्यूक्लिक अम्ल।

प्रश्न 2.
ग्लाइकोसाइडिक, पेप्टाइड तथा फॉस्फोडाइएस्टर बन्धों का वर्णन कीजिए।
उत्तर :

1. ग्लाइकोसाइडिक बन्ध (Glycosidic Bond) :
बहुलकीकरण में मोनोसैकेराइड अणु एक-दूसरे के पीछे जिस सहसंयोजी बन्ध द्वारा जुड़ते हैं उसे ग्लाइकोसाइडिक बन्ध कहते हैं। इस बन्ध में एक मोनोसैकेराइड अणु का ऐल्डिहाइड या कीटोन समूह दूसरे अणु के एक ऐल्कोहॉलिय अर्थात् हाइड्रॉक्सिल (UPBoardSolutions.com) समूह (-OH) से जुड़ता है जिसमें कि जल (H,O) का एक अणु पृथक् हो जाता है।

2. पेप्टाइड बन्ध (Peptide Bond) :
जिस बन्ध द्वारा अमीनो अम्लों के अणु एक-दूसरे से आगे-पीछे जुड़ते हैं, उसे पेप्टाइड या ऐमाइड बन्ध कहते हैं। यह बन्ध सहसंयोजी होता है और एक अमीनो अम्ल के कार्बोक्सिलिक समूह की अगले अमीनो अम्ल के अमीनो समूह से अभिक्रिया के फलस्वरूप बनता है। इसमें जल का एक अणु हट जाता है।

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3. फॉस्फोडाइएस्टर बन्ध (Phosphodiester Bonds) :
न्यूक्लीक अम्ल के न्यूक्लिओटाइड्स (nucleotides) फॉस्फोडाइएस्टर बन्धों (phosphodiester bonds) द्वारा एक-दूसरे से संयोजित होकर पॉलीन्यूक्लियोटाइड श्रृंखला बनाते हैं। फॉस्फोडाइएस्टर बन्ध समीपवर्ती दो न्यूक्लियोटाइड्स के फॉस्फेट अणुओं के मध्य बनता है। DNA की दोनों पॉलीन्यूक्लियोटाइड श्रृंखलाओं के नाइट्रोजन क्षारक हाइड्रोजन बन्धों द्वारा जुड़े होते हैं।

प्रश्न 3.
प्रोटीन की तृतीयक संरचना से क्या तात्पर्य है?
उत्तर :
प्रोटीन की तृतीयक संरचना के अन्तर्गत प्रोटीन की एक लम्बी कड़ी अपने ऊपर ही ऊन के एक खोखले गोले के समान मुड़ी हुई होती है यह संरचना प्रोटीन के त्रिआयामी रूप को प्रदर्शित करती है।

प्रश्न 4.
10 ऐसे रुचिकर सूक्ष्म जैव अणुओं का पता लगाइए जो कम अणुभार वाले होते हैं व इनकी संरचना बनाइए। ऐसे उद्योगों का पता लगाइए जो इन यौगिकों का निर्माण विलगन द्वारा करते हैं? इनको खरीदने वाले कौन हैं? मालूम कीजिए।
उत्तर :
सूक्ष्म जैव अणु जीवधारियों में पाए जाने वाले सभी कार्बनिक यौगिकों को जैव अणु कहते हैं।

(i) कार्बोहाइड्रेट्स (Carbohydrates); जैसे :
ग्लूकोस, फ्रक्टोस, राइबोस, डिऑक्सीराइबोस शर्करा, माल्टोस आदि।

(ii) वसा व तेल (Fat & Oils) :
पामिटिक अम्ल, ग्लिसरॉल, ट्राइग्लिसराइड, फॉस्फोलिपिड्स, कोलेस्टेरॉल आदि।

(iii) ऐमीनो अम्ल (Amino Acids) :
ग्लाइसीन, ऐलेनीन, सीरीन आदि।।

(iv) नाइट्रोजन क्षारक (Nitrogenous Base) :
ऐडेनीन (adenine), ग्वानीन : (guanine), थायमीन (thymine), यूरेसिल (uracil), सायटोसीन (cytosine) आदि।
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शर्करा उद्योग, तेल एवं घी उद्योग, औषधि उद्योग आदि इनका निर्माण करते हैं। मनुष्य इनका उपयोग अपनी शारीरिक आवश्यकताओं की पूर्ति हेतु करती है।

प्रश्न 5.
प्रोटीन में प्राथमिक संरचना होती है, यदि आपको जानने हेतु ऐसी विधि दी गई है जिसमें प्रोटीन के दोनों किनारों पर ऐमीनो अम्ल है तो क्या आप इस सूचना को प्रोटीन की शुद्धता अथवा समांगता (homogeneity) से जोड़ सकते हैं?
उत्तर :
प्रोटीन्स की पॉलीपेप्टाइड श्रृंखलाएँ लम्बी व रेखाकार होती हैं। प्रोटीन कुण्डलन एवं वलन द्वारा विभिन्न प्रकार की आकृति धारण करती हैं। इन्हें प्रोटीन्स के प्राकृत संरूपण (native conformations) कहते हैं। प्रोटीन के प्राकृत संरूपण चार स्तर के होते हैं—प्राथमिक, (UPBoardSolutions.com) द्वितीयक, तृतीयक एवं चतुष्क स्तर। पॉलीपेप्टाइड श्रृंखला में पेप्टाइड बन्धों द्वारा जुड़े ऐमीनो अम्लों के अनुक्रम प्रोटीन की संरचना का प्राथमिक स्तर प्रदर्शित करते हैं। प्रोटीन में ऐमीनो अम्लों का अनुक्रमे इसके जैविक प्रकार्य का निर्धारण करता है।
पॉलीपेप्टाइड श्रृंखला के एक सिरे पर प्रथम ऐमीनो अम्ल का खुला ऐमीनो समूह तथा दूसरे सिरे पर अन्तिम ऐमीनो अम्ल का खुला कार्बोक्सिल समूह (carboxyl group) होता है। अतः इन सिरों को क्रमशः N-छोर तथा C-छोर कहते हैं। इससे प्रोटीन की शुद्धता या समांगता प्रदर्शित होती है।UP Board Solutions for Class 11 Biology Chapter 9 Biomolecules image 3

प्रश्न 6.
चिकित्सार्थ अभिकर्ता (therapeutic agents) के रूप में प्रयोग में आने वाले प्रोटीन का पता लगाइए व सूचीबद्ध कीजिए। प्रोटीन की अन्य उपयोगिताओं को बताइए। (जैसे-सौन्दर्य-प्रसाधन आदि)।
उत्तर :
साइटोक्रोम ‘C’, हीमोग्लोबिन तथा इम्यूनोग्लोबिन ‘G’ चिकित्सार्थ अभिकर्ता के रूप में प्रयोग में आने वाले प्रोटीन हैं। प्रोटीन के निम्नलिखित कार्यों की वजह से इनकी उपयोगिता अधिक है।

  1. लगभग सभी एन्जाइम्स (enzymes) प्रोटीन के बने होते हैं।
  2. थ्रोम्बिन (thrombin) तथा फाइब्रोजिन (fibrogen) रुधिर प्रोटीन्स हैं जो चोट लगने पर रुधिर का थक्का बनने में सहायक होती हैं।
  3. एक्टिन तथा मायोसिन (actin & myosin) संकुचन प्रोटीन्स हैं जो सभी कंकालीय (UPBoardSolutions.com) पेशियों के संकुचन में भाग लेती हैं।
  4. रेशम में फाइब्रोइन (fibroin) प्रोटीन होती है।
  5. कुछ हार्मोन्स; जैसे—अग्र पिट्यूटरी ग्रन्थि का वृद्धि हार्मोन (somatotropic) तथा अग्न्याशय ग्रन्थि से स्रावित इन्सुलिन (insulin) हार्मोन शुद्ध प्रोटीन के बने होते हैं।
  6. एन्टीबॉडीज या इम्यूनोग्लोब्यूलिन जोकि शरीर की सुरक्षा करती है प्रोटीन से ही बनी होती है।

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प्रश्न 7.
ट्राइग्लिसराइड के संगठन का वर्णन कीजिए।
उत्तर :
एक ग्लिसरॉल (glycerol or glycerine) अणु से एक-एक करके तीन वसीय अम्ल अणुओं के तीन सहसंयोजी बन्धों (covalent bonds) द्वारा जुड़ने से वास्तविक वसा का एक अणु बनता है। इन बन्धों को एस्टर बन्ध (ester bonds) कहते हैं। ग्लिसरॉल एक ट्राइहाइड्रिक ऐल्कोहॉल trihydric alcohol) होता है, क्योंकि इसकी कार्बन श्रृंखला के तीनों कार्बन परमाणुओं से एक-एक हाइड्रॉक्सिल समूह (hydroxyl group, -OH) जुड़ा होता है। एस्टर बन्ध प्रत्येक हाइड्रॉक्सिल समूह तथा एक वसीय अम्ल के कार्बोक्सिल समूह ( COOH) के बीच बनती है। इसीलिए वसा अणु को ट्राइग्लिसराइड या ट्राइऐसिलग्लिसरॉल (triglyceride or triacylglycerol) कहते हैं।
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प्रश्न 8.
क्या आप प्रोटीन की अवधारणा के आधार पर वर्णन कर सकते हैं कि दूध का दही अर्थवा योगर्ट में परिवर्तन किस प्रकार होता है?
उत्तर :
दूध की विलेय प्रोटीन केसीनोजन (caseinogen) को अविलेय केसीन (casein) में बदलने का कार्य रेनिन (rennin) एन्जाइम तथा स्ट्रेप्टोकोकस जीवाणु करते हैं। ये किण्वन द्वारा दूध को ही या योगर्ट में बदल देते हैं; क्योंकि केसीनोजन प्रोटीन अवक्षेपित हो जाती है।

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प्रश्न 9.
क्या आप व्यापारिक दृष्टि से उपलब्ध परमाणु मॉडल (बॉल व स्टिक नमूना) का प्रयोग करते हुए जैव अणुओं के उन प्रारूपों को बना सकते हैं?
उत्तर :
बॉल व स्टिक नमूना (Ball and Stick Model) के द्वारा जैव अणुओं के प्रारूपों को (UPBoardSolutions.com) प्रदर्शित किया जा सकता है।

प्रश्न 10.
ऐमीनो अम्लों का दुर्बल क्षार से अनुमापन (itrate) कर, ऐमीनो अम्ल में वियोजी क्रियात्मक समूहों का पता लगाने का प्रयास कीजिए।
उत्तर :
ऐमीनो अम्लों का दुर्बल क्षार से अनुमापन करने से कार्बोक्सिल समूह (-COOH) तथा ऐमीनो समूह (-NH2) पृथक् हो जाते हैं।

प्रश्न 11.
ऐलेनीन ऐमीनो अम्ल की संरचना बताइए।
उत्तर :
ऐलेनीन में R समूह अत्यधिक जलरोधी हाइड्रोकार्बन समूह होते हैं जिन्हें पार्श्व श्रृंखलाएँ कहते हैं। इसमें पाश्र्व श्रृंखला मेथिल समूह की होती है।UP Board Solutions for Class 11 Biology Chapter 9 Biomolecules image 5

प्रश्न 12.
गोंद किससे बने होते हैं? क्या फेविकोल इससे भिन्न है?

उत्तर :

गोंद (Gum) :
यह एक द्वितीयक उपापचयज (secondary metabolite) है। यह एक कार्बोहाइड्रेट बहुलक (polymer) है। गोंद पौधों की काष्ठ वाहिकाओं (xylem vessels) से प्राप्त होने वाला उत्पाद है। यह कार्बनिक घोलक में अघुलनशील होता है। गोंद जल के साथ चिपचिपा घोल (sticky solution) बनाता है। फेविकोल (fevicol) एक कृत्रिम औद्योगिक उत्पाद है।

प्रश्न 13.
प्रोटीन, वसा व तेल, ऐमीनो अम्लों का विश्लेषणात्मक परीक्षण बताइए एवं किसी भी फल के रस, लार, पसीना तथा मूत्र में इनका परीक्षण कीजिए?
उत्तर :
प्रोटीन एवं ऐमीनो अम्ल का परीक्षण प्रोटीन के वृहत् अणु (macromolecules) ऐमीनो अम्लों की लम्बी श्रृंखलाएँ होते हैं। ऐमीनो अम्ल पेप्टाइड बन्धों द्वारा जुड़े रहते हैं। इनका आण्विक भार बहुत अधिक होता है। अण्डे की सफेदी, सोयाबीन, दालों (मटरे, राजमा आदि) में प्रोटीन (ऐमीनो अम्ल) प्रचुर मात्रा में पाई जाती हैं। अण्डे की सफेदी या दालों (सेम, चना, मटरे, राजमा) आदि को जल के साथ पीसकर पतली लुगदी बना लेते हैं। इसे जल के साथ उबाल कर छान लेते हैं। निस्वंद द्रव में प्रोटीन (ऐमीनो अम्ल) होती है।

प्रयोग 1 :
एक परखनली में 3 मिली प्रोटीन नियंद लेकर, इसमें 1 मिली सान्द्र नाइट्रिक अम्ल (HNO3) मिलाइए। सफेद अवक्षेप बनता है। परखनली को गर्म करने पर अवक्षेप घुल जाता है तथा विलयन का रंग पीला हो जाता है। अब इसे ठण्डा करके इसमें 10% सोडियम हाइड्रॉक्साइड (NaOH) (UPBoardSolutions.com) विलयन मिलाते हैं। परखनली में विलयन का रंग पीले से नारंगी हो जाता है।

प्रयोग 2 :
एक परखनली में प्रोटीन नियंद की 1 मिली मात्रा लेकर इसमें लगभग 1 मिली मिलन अभिकर्मक (Millon’s Reagent) मिलाने पर हल्के पीले रंग का अवक्षेप बनता है। इस अवक्षेप में 4-5 बूंदें सोडियम नाइट्रेट (NaNO3,) की मिलाकर विलयन को गर्म करने पर अवक्षेप का रंग लाल हो जाता है।

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वसा व तेल का परीक्षण

ये जल में अविलेय और ईथर, पेट्रोल, क्लोरोफॉर्म आदि में घुलनशील (विलेय) होती हैं। साधारण ताप पर जब वसाएँ ठोस होती हैं तो वसा (चर्बी-fat) और जब ये तरल होती हैं तो तेल (oil) कहलाती हैं। पादप वसाएँ असंतृप्त (नारियल का तेल तथा ताड़ का तेल संतृप्त) तथा जन्तु वसाएँ संतृप्त होती हैं।

प्रयोग 1 :
मूंगफली के कच्चे दाने लेकर उनको सफेद कागज पर रखकर पीस लीजिए। अब इस कागज के टुकड़े को प्रकाश के किसी स्रोत की ओर रखकर देखिए। यह अल्पपारदर्शी नजर आता है। इस पर एक बूंद पानी डालकर देखिए। कागज पर पानी का प्रभाव नहीं होता। यह प्रयोग जन्तु वसा (देशी घी) के साथ भी किया जा सकता है।

प्रयोग 2 :
एक परखनली में 0:5 मिली परीक्षण तेल या वसा तथा 0:5 मिली जल (दोनों बराबर मात्रा में) लेते हैं। अब इसमें 2-3 बूंदें सुडान-III विलयन की डालकर हिलाते हैं तथा पाँच मिनट तक ऐसे ही रख देते हैं। परखनली में जल तथा तेल की पृथक् पर्यों में, तेल की पर्त लाल नजर आती है। (नोट-फल के रस, लार, पसीना तथा मूत्र में इनका परीक्षण उपर्युक्त विधियों द्वारा किया जा सकता है।)

प्रश्न 14.
पता लगाइए कि जैवमण्डल में सभी पादपों द्वारा कितने सेलुलोस का निर्माण होता है? इसकी तुलना मनुष्यों द्वारा उत्पादित कागज से कीजिए। मानव द्वारा प्रतिवर्ष पादप पदार्थों की कितनी खपत की जाती है? इसमें वनस्पतियों की कितनी हानि होती है?
उत्तर :
सेलुसोस (cellulose) पृथ्वी पर सबसे अधिक मात्रा में पाए जाने वाला कार्बोहाइड्रेट है। यह जटिल बहुलक होता है। पादपों में सेलुलोस की मात्रा सर्वाधिक होती है। यह पादप कोशिकाओं की कोशिका भित्ति को यान्त्रिक दृढ़ता प्रदान करता है। पौधों के काष्ठीय भागों व कपास तथा रेशेदार पौधों में इसकी मात्रा बहुत अधिक होती है। काष्ठ में लगभग 50% तथा कपास के रेशे में इसकी मात्रा लगभग 90% होती है। मनुष्य द्वारा सेलुलोस का उपयोग ईंधन तथा इमारती लकड़ी के रूप में, तन्तुओं के रूप में वस्त्र निर्माण, कृत्रिम रेशे निर्माण, कागज निर्माण में प्रमुखता से किया जाता है। नाइट्रोसेलुलोस का उपयोग विस्फोटक पदार्थ के रूप (UPBoardSolutions.com) में किया जाता है। इसका उपयोग पारदर्शी प्लास्टिक सेलुलॉयड, (celluloid) बनाने के लिए किया जाता है जिससे खिलौने, कंघे आदि बनाए जाते हैं। मनुष्य‘सेलुलोस का सबसे बड़ा उपभोक्ता है। मनुष्य अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए वनस्पतियों को हानि पहुँचा रहा है। इसके फलस्वरूप प्राकृतिक वन क्षेत्रों में निरन्तर कमी होती जा रही है। पारितन्त्र के प्रभावित होने के कारण अनेक पादप प्रजातियाँ विलुप्त होती जा रही हैं।

प्रश्न 15.
एन्जाइम के महत्त्वपूर्ण गुणों का वर्णन कीजिए।
उत्तर-
एन्जाइमों के महत्त्वपूर्ण गुण निम्नवत् हैं-

  1. विकर (enzymes), उत्प्रेरकों (catalyst) के रूप में कार्य करते हैं और जीवों (living organisms) में अभिक्रिया की दर (rate of reaction) को प्रभावित करते हैं।
  2. क्रियाधारों (reactants or substrate) को उत्पादों (products) में बदलने के लिए एन्जाइम की बहुत सूक्ष्म मात्रा अथवा सान्द्रता की आवश्यकता होती है।
  3. एन्जाइम उत्प्रेरक (enzyme catalyst) उच्च अणुभार के, जटिल, नाइट्रोजनी कार्बनिकः यौगिक, प्रोटीन होते हैं जो जीवित कोशिकाओं में उत्पन्न होते हैं। एन्जाइम का अणु उसके क्रियाधार के अणु की तुलना में बहुत बड़ा होता है। एन्जाइम का आणविक भार हजारों से लेकर लाखों तक होता है, जबकि क्रियाधारों का अणुभार प्रायः कुछ सैकड़ों में ही होता है।
  4. ये किसी रासायनिक क्रिया को प्रारम्भ नहीं करते, बल्कि क्रिया की गति को उत्प्रेरित (catalysed) करते हैं।
  5. अधिकांश एन्जाइम जल अथवा नमक के घोल में घुलनशील होते हैं। कोशिकाद्रव्य में ये कोलॉइडी (colloidal) विलयन बनाते हैं।
  6. एन्जाइम जीवों में होने वाली समस्त शरीर-क्रियात्मक अभिक्रियाओं (physiological reactions), जैसे-जल-अपघटन, ऑक्सीकरण, अपचयन, अपघटन आदि को उत्प्रेरित करते हैं।
  7. एन्जाइम प्रायः विशिष्ट (specific) होते हैं, अर्थात् एक एन्जाइम एक विशेष क्रिया का ही उत्प्रेरण करता है। उदाहरणार्थ-एन्जाइम इन्वटेंस (invertase) केवल सुक्रोस के जल-अपघटन को उत्प्रेरित करता है।
    UP Board Solutions for Class 11 Biology Chapter 9 Biomolecules image 6
    इन्वटेंस (invertase) एन्जाइम द्वारा माल्टोस का ग्लूकोस में जल-अपघटन उत्प्रेरित नहीं होता
  8. एन्जाइम ताप परिवर्तन से अत्यधिक प्रभावित होते हैं। किसी एन्जाइम की उत्प्रेरक सक्रियता जिस ताप पर सर्वाधिक होती है उसे अनुकूलन ताप (optimum temperature) कहते हैं। अनुकूलन ताप पर अभिक्रिया की दर उच्चतम होती है। अधिक ताप पर एन्जाइम की विकृति (denatured) हो जाती है अर्थात् एन्जाइम की प्रोटीन संरचना और उसकी उत्प्रेरक सक्रियता नष्ट हो जाती है। एन्जाइमों का अनुकूलन ताप साधारणत: 25-40°C होता है। बहुत कम ताप पर एन्जाइम निष्क्रिय (inactive) हो जाते हैं।
  9. एन्जाइम उत्प्रेरित अभिक्रियाओं की दर pH परिवर्तमं से बहुत प्रभावित होती है। प्रत्येक एन्जाइम एक विशेष (UPBoardSolutions.com) pH माध्यम में ही पूर्ण सक्रिय होता है। प्रत्येक एन्जाइम की उत्प्रेरक सक्रियता जिस pH पर अधिकतम होती है उसे अनुकूलनःH (optimum pH) कहते हैं। एन्जाइमों की अनुकूलन pH साधारणत: 5-7 होती है।
  10. कुछ एन्जाइम अम्लीय माध्यम में तथा कुछ क्षारीय माध्यम में क्रिया करते हैं।
  11. कुछ एन्जाइम कोशिका के अन्दर सक्रिय होते हैं तथा कुछ एन्जाइम कोशिका के बाहर भी सक्रिय होते हैं।

परीक्षोपयोगी प्रश्नोत्तर

बहुविकल्पीय प्रश्न

प्रश्न 1.
एन्जाइम की रासायनिक प्रकृति (स्वभाव) है।
(क) वसा
(ख) कार्बोहाइड्रेट्स
(ग) हाइड्रोकार्बन
(घ) प्रोटीन
उत्तर :
(घ) प्रोटीन

प्रश्न 2.
उस विकर (एन्जाइम) का नाम लिखिए जो बेकरी उद्योग में प्रयुक्त होता है।
(क) फॉस्फेटेज
(ख) एमाइलेज
(ग) जाइमेज
(घ) फॉस्फोरिलेज
उत्तर :
(ख) एमाइलेज

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अतिलघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
फॉस्फो-प्रोटीन्स के दो उदाहरण दीजिए।
उत्तर :
फॉस्फो-प्रोटीन्स में फॉस्फोरस सम्मिलित होता है; जैसे-दुग्ध प्रोटीन-केसीन (castin), अण्डे की पीतक प्रोटीन-फॉस्फोवाइटिन (phosphovitin) आदि।

प्रश्न 2.
वसा अम्ल क्या है?
उत्तर :
वसा अम्ल (fatty acids) लम्बी हाइड्रोकार्बन श्रृंखला वाले कार्बोक्सिलिक अम्ल (carboxylic acids) हैं।

प्रश्न 3.
दो आवश्यक वसा अम्लों के नाम लिखिए।
उत्तर :
जन्तुओं में वसीय अम्ल प्रायः संतृप्त होते हैं तथा पादपों में असंतृप्त। मनुष्य सहित सभी स्तनियों में लाइनोलीक (linoleic) तथा लाइनोलीनिक (linolenic) वसीय अम्ल शरीर की कोशिकाओं में संश्लेषित नहीं होते अतः ये दोनों केवल पादपों से प्राप्त होते हैं तथा आवश्यक (essential) वसीय अम्ल कहलाते हैं।

प्रश्न 4.
स्तनधारियों में दुग्ध शर्करा किस रूप में उपस्थित होती है?
उत्तर :
स्तनधारियों में दुग्ध शर्करा (milk sugar) एक डाइसैकेराइड (disaccharide)लैक्टोज (lactose) के रूप में पायी जाती है। यह हेटेरोडाइसैकेराइड (heterodisaccharide) होती है, क्योंकि इसका एक अणु ग्लूकोज एवं गैलेक्टोज के एक-एक अणु 3-1,4 से ग्लाइकोसिडिक बन्ध द्वारा जुड़ने से बनता है। यह पानी में कम घुलनशील तथा कम मीठी होती है।

प्रश्न 5.
प्रोटीन की संरचनात्मक इकाइयों को क्या कहते हैं? जन्तुओं में ये कितने प्रकार के होते हैं?
उत्तर :
प्रोटीन की संरचनात्मक इकाइयों को अमीनो अम्ल (amino acids) कहते हैं। ये जन्तु शरीर में 20 होते हैं जिनमें से 10 अमीनो अम्ल आवश्यक कहे जाते हैं, क्योंकि इनका संश्लेषण शरीर नहीं कर सकता है। शेष अनावश्यक कहलाते हैं जिनका संश्लेषण जन्तु शरीर स्वयं कर लेता है।

प्रश्न 6.
उपापचयी निष्क्रिय पदार्थ किसे कहते हैं? पौधों में संचित पदार्थ कार्बोहाइड्रेट का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
उत्तर :
उपापचयी क्रिया के फलस्वरूप प्राप्त उत्पादों के निष्क्रिय रहने की अवस्था को उपापचयी निष्क्रिय पदार्थ कहते हैं। पौधों में संचित पदार्थ मण्ड (कार्बोहाइड्रेट) होता है जो कि एक पॉलिसैकेराइड है। इसमें ग्लूकोज इकाइयों से बने दो प्रकार के होमोपॉलिसैकेराइड अणु होते (UPBoardSolutions.com) हैं-10 से 30% तक ऐमाइलोस के तथा 70 से 90% का ऐमाइलोपेक्टिन के अणु। ऐमाइलोपेक्टिन के अणु शाखान्वित और संकेन्द्रीय रूप से कुण्डलित होते हैं। ऐमाइलोस और ऐमाइलोपेक्टिन के अणु प्रायः समूहों में एकत्रित होकर विभिन्न आकृतियों एवं माप के मण्ड कण बना लेते हैं।

प्रश्न 7.
न्यूक्लियोसाइड्स तथा न्यूक्लियोटाइड्स में दो अन्तर बताइए।
उत्तर :

  1. एक न्यूक्लियोटाइड न्यूक्लिक अम्ल की एक पूर्ण इकाई है, जबकि न्यूक्लियोसाइड में एक फॉस्फेट मूलक (PO4) की कमी होती है।
  2. स्वभाव में न्यूक्लियोसाइड्स क्षारकीय होते हैं जबकि न्यूक्लियोटाइड्स अम्लीय होते हैं।

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प्रश्न 8.
ATP तथा ADP के पूरे नाम लिखिए।
उत्तर :

  1. ATP = ऐडीनोसीन ट्राइफॉस्फेट (adenosine triphosphate)
  2. ADP = ऐडीनोसीन डाइफॉस्फेट (adenosine diphosphate)

प्रश्न 9.
जीवधारियों में खनिजों के दो कार्य लिखिए। या जीवन के लिए आवश्यक दो महत्त्वपूर्ण खनिज तत्त्वों के नाम लिखिए तथा इनके महत्त्व बताइए।
उत्तर :

  1. कई धात्विक खनिज अनेक एन्जाइम्स को क्रियाशील बनाते हैं अर्थात् सह-कारक (co-factor) का कार्य करते हैं; जैसे-लौह (Fe) एवं कॉपर (Cu)।
  2. कुछ खनिज; जैसे–सोडियम, पोटैशियम तथा क्लोराइड्स आयन्स के रूप में कोशिका कला की पारगम्यता (permeability) तथा विद्युत विभव को प्रभावित करते हैं।

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
संदेश वाहक RNA पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
उत्तर :
संदेशवाहक-RNA m-RNA, DNA के ऊपर निर्देशित सूचना का संदेशवाहक है। इसकी जीवन अवधि अल्प होती है। इसका संश्लेषण तीव्र गति से होता है। इसका अणुभार तथा लम्बाई सूचना संदेश के अनुसार कम या अधिक होती रहती है। m-RNA के विषय में सर्वप्रथम जानकारी ब्रेनर आदि (Brenner etal) ने 1961 ई० में दी। नीरेनबर्ग तथा मथाई (Nirenberg and Matthaei) ने 1961 ई० में प्रयोगशाला में कोशिका के बाहर प्रोटीन संश्लेषण में इसे दर्शाया। बेसीलस सबटिलिस (Bacillus subtilis) के m-RNA की अर्द्धआयु केवल 2.30 मिनट होती है। इसका अणुभार 50,000 से 2,00,000 डाल्टन तक हो सकता है। m-RNA सदैव (UPBoardSolutions.com) एकरज्जुकी (single stranded) होता है। इसमें मिलने वाले क्षारक यूरेसिल, साइटोसीन, ग्वानीन तथा एडीनीन हैं। यह केन्द्रक में DNA से बनता है तथा प्रत्येक जीन अपना अलग m-RNA अनुलेखित (transcribe) करती है। जब m-RNA केवल एक जीन (सिस्ट्रोन) से बना होता है तब इसको मोनोसिस्ट्रोनिक अथवा मोनोजीनिक m-RNA (monocistronic or monogenic m-RNA) कहते हैं। यूकैरियोट का m-RNA मोनोसिस्ट्रोनिक होता है।

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जब एक m-RNA दो या अधिक जीन से बनते हैं तब उसे पॉलिसिस्ट्रोनिक अथवा पॉलिजीनिक m-RNA (polycistronic or polygenic m-RNA) कहते हैं। प्रोकैरियोट का m-RNA पॉलिसिस्ट्रोनिक होता है। एक मोनोसिस्ट्रोनिक m-RNA की संरचना के निम्नलिखित भाग हैं

1. कैप (Cap) :
यूकैरियोट तथा कुछ विषाणुओं के m-RNA पर 5′ अन्त (5’end) पर 7-मिथाइल ग्वानोसीन समूह मिलता है। यह कैप (cap) कहलाता है। इस कैप के द्वारा ही m-RNA राइबोसोम से जुड़ता है। प्रोटीन संश्लेषण की गति इसकी उपस्थिति से तीव्र हो जाती है। क्योंकि यदि m-RNA पर कैप न हो तो वह राइबोसोम के साथ ठीक से नहीं जुड़ पाता है तथा प्रोटीन संश्लेषण की गति अति धीमी हो जाती है।

2. नॉन कोडिंग क्षेत्र  :
(Non-coding Region )-कैप के पश्चात् 10 से 100 न्यूक्लिओटाइड होते हैं जो प्रोटीन संश्लेषण में भाग नहीं लेते हैं। इस क्षेत्र में ‘A’ तथा ‘U’ अधिक मात्रा में होते हैं।

3. इनीशिएसन कोडोन (Initiation Codon) :
सभी प्रोकैरियोट तथा यूकैरियोट में प्रोटीन संश्लेषण की शुरुआत इनीशिएशन कोडोन AUG से होती है।

4. कोडिंग क्षेत्र (Coding Region) :
यह AUG के पश्चात् उपस्थित क्षारक क्रमों का क्षेत्र है जो प्रोटीन संश्लेषण की क्रिया में भाग लेता है। इसमें उपस्थित सभी न्यूक्लिओटाइड एक जीन के निर्देश को प्रोटीन में अनुवादित करते हैं।

5. टर्मिनेटिंग कोडोन (Terminating Codon) :
ये क्षारक क्रम UAA, UAG या UGA से अंकित होते हैं। इन कोडोन के आते ही प्रोटीन बनने की श्रृंखला समाप्त हो जाती है।

6. पॉली ‘A’ क्रम (Poly ‘A’ Sequence) :
m-RNA के छोर (end) पर एक लम्बी लगभग 200 न्यूक्लिओटाइड की श्रृंखला होती है जो Adenylic acid (poly’A’ अर्थात् AAAAAA….A) क्रम में रहती है। यह m-RNA की पूँछ (tail) है। यह m-RNA के साइटोप्लाज्म तक पहुँचने से पूर्व केन्द्रक में जोड़ी जाती है।

प्रश्न 2.
ए०टी०पी० की संरचना तथा कार्य लिखिए। या पादप कोशिका में ऊर्जा की मुद्रा क्या है? किन्हीं तीन ऊर्जा वाहकों का नाम लिखिए।
उत्तर :

ए०टी०पी० या ऐडीनोसीन ट्राइफॉस्फेट

सभी जीवित कोशिकाओं में ए०टी०पी० अणु महत्त्वपूर्ण संरचना वाले पदार्थ हैं। ये अपने अन्तिम दो फॉस्फेट समूहों के अन्तर्गत अत्यधिक ऊर्जा को इस प्रकार संचित रखते हैं कि आवश्यकतानुसार (कम ऊर्जा वाले स्थान या समय में) टूटकर इसको मुक्त कर देते हैं और इस (UPBoardSolutions.com) ऊर्जा का उपयोग जीव अपने कार्यों के सम्पादन हेतु कर लेता है। इस प्रकार, ये ऊर्जा के सिक्के (energy coins) हैं, जो सभी प्रकार की उपापचयिक क्रियाओं में, फिर चाहे ये उपचयी (anabolic) हों अथवा अपचयी (catabolic), अपना स्थान रखते हैं ऊर्जा ग्रहण करते हैं अथवा ऊर्जा मुक्त करते हैं, अतः इन्हें उपापचयी (metabolic) जगत का सिक्का भी कहते हैं।

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किसी भी ऐसे स्थान पर, कोशिका में जहाँ ऊर्जा की कमी होती है, ATP का एक उच्च ऊर्जा बन्ध टूट जाता है और यह ADP (ऐडीनोसीन डाइफॉस्फेट) में बदल जाता है। इस प्रकार जो ऊर्जा प्राप्त होती है। वह सभी प्रकार की उपापचयी (metabolic) अभिक्रियाओं में प्रयुक्त होती है। विभिन्न प्रकार की ऑक्सीकारक क्रियाओं में (विशेषकर श्वसन में) ऊर्जा उत्पन्न होती है। यही ऊर्जा ABP से ATP बनाने के लिए प्रयुक्त की जाती है। ऊर्जा वाहक (Energy carriers)-पादप कोशिका में ए०टी०पी० (ATP) के अतिरिक्त कई अन्य पदार्थ भी ऊर्जा वाहक का कार्य करते हैं; जैसे

  1. ऐसीटिल को-एन्जाइम ‘ए’ (acetyl co-enzyme (‘A’)
  2. ग्वानोसीन ट्राइफॉस्फेट (guanosine triphosphate = GTP)
  3. निकोटिनेमाइड ऐडीनीन डाइन्यूक्लियोटाइड (nicotinamide adenine dinucleotide =NAD) इन ऊर्जा वाहकों का मुख्य मध्यस्थ यौगिक भी ए०टी०पी० ही होता है।

प्रश्न 3.
एन्जाइम के कार्यों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर :
एन्जाइम्स के कार्य एन्जाइम्स वे रासायनिक पदार्थ हैं जो जीवों में होने वाली विभिन्न रासायनिक क्रियाओं की गति को प्रेरित करते हैं। ये सामान्यत: अभिक्रिया में भाग नहीं लेते हैं। ये मुख्य रूप से निम्नलिखित प्रकार के रासायनिक परिवर्तनों को प्रेरित करते हैं।

1. जल अपघटन (Hydrolysis) :
जब पदार्थ के अणु जल के अणु ग्रहण करके अपेक्षाकृत छोटे अणुओं में विघटित हो जाते हैं, इस प्रकार की क्रियाओं को जल अपघटन कहते हैं; जैसे—प्रोटीन्स जल अपघटन द्वारा प्रोटिओजेज, पेप्टोन्स, पॉलिपेप्टाइड्स (proteoses, peptones, polypeptides) तथा अन्त में अमीनो अम्ल (amino acid) में परिवर्तित हो जाते हैं। इसी प्रकार मण्ड, शर्करा आदि के मोनोसैकेराइड्स (monosaccharides) में परिवर्तन भी जल अपघटन क्रिया के ही उदाहरण हैं। जीवित कोशिकाओं में निर्जलीकरण (dehydration) की भी उतनी ही सम्भावनाएँ हैं जितनी कि जल अपघटन की होती हैं। इन्हें भी एन्जाइम्स ही प्रेरित करते हैं।

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2. कार्बोक्सिलीकरण (Carboxylation) :
इस प्रकार की क्रियाओं में COOH-समूह विलग होने से कार्बन डाइऑक्साइड (CO2) का निर्माण होता है। पाइरुविक अम्ल (pyruvic acid), डीकार्बोक्सीलेज (decarboxylase) एन्जाइम द्वारा ऐसीटैल्डिहाइड (acetaldehyde) तथा CO2 में विघटित हो जाता है।UP Board Solutions for Class 11 Biology Chapter 9 Biomolecules image 8
यद्यपि इस क्रिया में को-फैक्टर तथा को–एन्जाइम भी कार्य करते हैं और यह क्रिया अत्यधिक जटिल होती है।

3. ऑक्सीकरण व अवकरण (Oxidation and reduction) :

उपापचय क्रिया के समय खाद्य पदार्थों के ऑक्सीकरण के फलस्वरूप ऊर्जा उत्पन्न होती है। ग्लूकोज के एक ग्राम अणु से ,0 व CO, बनने में ऑक्सीकरण के फलस्वरूप 4.1 cal ऊर्जा उत्पन्न होती है। सदैव ही ऑक्सीकरण की क्रिया के अन्तर्गत एक पदार्थ का ऑक्सीजन क्षय अथवा (UPBoardSolutions.com) हाइड्रोजन ग्रहण द्वारा अवकरण होता है। ऑक्सीजन क्षय द्वारा अवकृत पदार्थ ऑक्सीजन दाता (Oxygen donor) कहलाता है। तथा ऑक्सीकृत पदार्थ ग्राहक (acceptor) कहलाता है। इसी प्रकार हाइड्रोजन ग्रहण द्वारा अवकृत पदार्थ हाइड्रोजन ग्राहक (hydrogen acceptor) तथा अवकारक पदार्थ हाइड्रोजन दाता (hydrogen donor) कहलाते हैं।

प्रश्न 4.
विकर के प्रकार का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
उत्तर :
सन् 1961 में अन्तर्राष्ट्रीय जैव रसायनज्ञ संघ (IUB) ने विकर वर्गीकरण वे नामकरण की एक नवीन पद्धति का अनुसरण किया। इसके अनुसार विकर का नाम ‘‘स्वव्याख्या’ (self explanatory) द्वारा सम्पन्न होता है। इस पद्धति के अनुसार विकरों का वर्गीकरण छ: मुख्य वर्गों में किया गया है

1. ऑक्सीडोरिडक्टेजेज (Oxidoreductases) :
इस वर्ग में ऑक्सीकरण-अपचयन (oxidation-reduction) की अभिक्रियाएँ उत्प्रेरित करने वाले विकर आते हैं। ये इलेक्ट्रॉन स्थानान्तरण (electron transport) को उत्प्रेरित करते हैं।

उदाहरणार्थ
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(ii) 
Cytochrome-oxidase (साइटोक्रोम-ऑक्सीडेज) ऑक्सीजन का अपचयन करके cyt. a3 का ऑक्सीकरण करता है।

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2. ट्रान्सफरेजेज (Transferases) :
वे विकर जो एक क्रियाधार (substrate) से H के अतिरिक्त अन्य किसी भी समूह को दूसरे अणु में स्थानान्तरित कर देते हैं, ट्रान्सफरेज कहलाते हैं। स्थानान्तरित होने वाले समूह प्राय: अमीनो एसाइल, मिथाइल ग्लूकोसिल, फॉस्फेट, थायोल, कीटोन, फार्माइल आदि होते हैं; जैसे– डी-हेक्सोज-6-फॉस्फोट्रान्सफरेज (हेक्सोकाइनेज-hexokinase) ATP से एक फॉस्फेट अणु का स्थानान्तरण ग्लूकोस को कर देता है।
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3. हाइड्रोलेजेज (Hydrolases) :
वे विकर जो क्रियाधार (substrate) का जल अपघटन (hydrolysis) करते हैं, हाइड्रोलेज कहलाते हैं; जैसे–पाचक एन्जाइम, ग्लूटामीन हाइड्रोलेज (ग्लूटामिनेज- glutaminase) आदि।
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4. लायेजेज (Lyases or Desmolases) :
वे विकर जो जल अपघटन के अतिरिक्त किसी अन्य विधि से क्रियाधार (substrate) में से समूहों को हटाते या जोड़ते हैं, लायेजेज कहलाते हैं; जैसे

  1. मैलेट-हाइड्रोलायेज (फ्यूमेरेज-fumerase)
  2.  डीकार्बोक्सीलेज (कार्बनिक एनहाइड्रेज-carbonic anhydrase)
  3. कीटोज-1-फॉस्फेट ऐल्डिहाइड लायेज (ऐल्डोलेज-aldolase) आदि।

5. आइसोमेरेजेज (Isomerases) :
ये विकर क्रियाधार (substrate) में समूहों की अन्त: अवस्था में परिवर्तन कर पुनर्व्यवस्था को उत्प्रेरित करते हैं अर्थात् किसी यौगिक के एक समावयवी (isomer) को दूसरे समावयवी में बदलते हैं। इन्हें आइसोमेरेज कहते हैं, जैसे

  1. ट्रायोज आइसोमेरेज (triose isomerase)
  2.  फॉस्फोहेक्सोसआइसोमेरेज (phosphohexoseisomerase)
  3.  फॉस्फोग्लिसरोम्यूटेज (phosphoglyceromutase) आदि।

6. लाइगेजेज (Ligases) :
ये विकर सिन्थेटेज (synthetase) के नाम से भी जाने जाते हैं। ये ATP से ऊर्जा प्राप्त कर यौगिकों को जोड़ने की अभिक्रिया को उत्प्रेरित करते हैं; जैसे

  1. को-एन्जाइम ए लाइगेज (ऐसीटाइल को-एन्जाइम-ए सिन्थेटेज)
  2. अमोनिया लाइगेज (ग्लूटामीन सिन्थेटेज) आदि।।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
कार्बोहाइड्रेट्स के विभिन्न प्रकारों का वर्णन कीजिए। मानव शरीर में कार्बोहाइड्रेट्स का क्या महत्त्व है? या कार्बोहाइड्रेट्स की प्रमुख श्रेणियों के नाम लिखिए। इन श्रेणियों में प्रमुख अन्तर क्या होते हैं? इन्हें सैकेराइड्स क्यों कहते हैं?
उत्तर :

कार्बोहाइड्रेट्स तथा उनके प्रकार (संवर्ग) या श्रेणियाँ

ये कार्बन, हाइड्रोजन व ऑक्सीजन के यौगिक हैं तथा इनका सामान्य सूत्र (CH2O)n होता है अर्थात् इनमें कार्बन, हाइड्रोजन तथा
ऑक्सीजन का अनुपात 1: 2 : 1 का होता है। कार्बोहाइड्रेट्स को सैकेराइड्स (saccharides) भी कहते हैं क्योंकि इनके छोटे अणु स्वाद में मीठे होते हैं। स्पष्टतः इनमें हाइड्रोजन तथा ऑक्सीजन का अनुपात जेल के समान (H2O) होता है। कुछ कार्बोहाइड्रेट्स में सल्फर, नाइट्रोजन (UPBoardSolutions.com) तथा फॉस्फोरस तत्त्व भी होते हैं। कार्बोहाइड्रेट्स का निर्माण सभी क्लोरोफिल युक्त जीवाणुओं, शैवालों, पौधों आदि के द्वारा किया जाता है। कार्बोहाइड्रेट्स के प्रमुखत: तीन प्रकार (संवर्ग) होते हैं

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(i) मोनोसैकेराइड्स (Monosaccharides) :
ये सरलतम कार्बोहाइड्रेट्स हैं तथा सबसे छोटे होते हैं। इन्हें प्राय: सरल शर्कराएँ (simple sugars) कहते हैं तथा ये स्वाद में मीठे और जल में घुलनशील होते हैं। इनके बनने की इस क्रिया को बहुलीकरण (polymerization) कहते हैं। इनमें उपस्थित कार्बन परमाणुओं की संख्या के आधार पर इन्हें ट्राइओज (triose) जैसे ग्लिसरैल्डिहाइड (glyceraldehyde); टेट्रोज (tetrose) जैसे इरिथ्रोज (erythrose); पेण्टोज (pentose) जैसे राइबोज (ribose), डीऑक्सीराइबोज (deoxyribose) आदि; हेक्सोज (hexose) जैसे ग्लूकोज (glucose C6H1206), फ्रक्टोज (fructose) आदि, हेप्टोज (heptose) जैसे हेप्ट्यू लोज (heptulose) आदि वर्गों में वर्गीकृत किया गया है।

(ii) ऑलिगोसैकेराइड्स (Oligosaccharides) :
ऐसे कार्बोहाइड्रेट्स दो से दस तक मोनोसैकेराइड इकाइयों से मिलकर इनके बहुलक के रूप में होते हैं। इनके बनने की इस क्रिया को बहुलीकरण (polymerization) कहते हैं। बेहुलीकरण के लिए मोनोसैकेराइड्स ग्लाइकोसिडिक बन्ध (glycosidic bond) के द्वारा जुड़ते हैं। ये भी अधिकतर स्वाद में मीठे तथा जल में घुलनशील होते हैं। ये रेखीय श्रृंखला में होते हैं किन्तु जल में घुलने पर चक्रीय स्वरूप में आ जाते हैं। इसी अवस्था में इनका बहुलीकरण भी होता है। ग्लाइकोसिडिक बन्ध बनाने में एक मोनोसैकेराइड का ऐल्डिहाइड या कीटोन (aldehyde or ketone) समूह दूसरे मोनोसैकेराइड के हाइड्रोक्सिल (ऐल्कोहॉलीय) समूह से जुड़ता है तथा जल का एक अणु बनाता है। सामान्यत: ऑलिगोसैकेराइड्स डाइसैकेराइड्स (disaccharides) ही पाये जाते हैं। इनमें दो मोनोसैकेराइड्स होते हैं। अधिक मोनोसैकेराइड्स वाले ऑलिगोसैकेराइड्स अन्य कार्बनिक यौगिकों जैसे-प्रोटीन्स, लिपिंड्स के साथ मिलकर ग्लाइकोप्रोटीन्स, ग्लाइकोलिपिड्स आदि बनाते हैं। जन्तुओं में ये प्रायः कोशिका कला (plasma membrane) का बाह्य आवरण बनाते हैं। डाइसैकेराइड प्रमुखतः माल्टोज (maltose), सुक्रोज (sucrose) आदि होते हैं।

(iii) पॉलिसैकेराइड्स (Polysaccharides) :
इन्हें ग्लाइकन्स (glycans) भी कहते हैं। ये सामान्यत: संगृहीत खाद्य के रूप में जीवद्रव्य में पाये जाते हैं। इनके निर्माण में दस से अधिक (कभी-कभी काफी जैसे सैकड़ों, हजारों) मोनोसैकेराइड इकाइयाँ (शाखित या अशाखित रेखीय श्रृंखला में) आपस में सम्बन्धित होती हैं; जैसे–मण्ड (starch), सेल्यूलोज (cellulose), ग्लाइकोजन (glycogen) आदि। इनका अणुभार (molecular weight) लाखों में होता है।

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कार्बोहाइड्रेट्स का मानव शरीर में महत्त्व

मानव शरीर में कार्बोहाइड्रेट्स का महत्त्व इस प्रकार है

  1. ये श्वसन आधार (respiratory substrate) होते हैं। इन्हीं से ऊर्जा (energy) उत्पन्न की जाती है, इसीलिए इन्हें ‘जीव का ईंधन’ कहते हैं अर्थात् ये शरीर के लिए ऊर्जा के प्रमुख स्रोत है
  2. अन्य कार्बनिक अथवा अकार्बनिक अणुओं या मूलकों से मिलकर ये अनेक महत्त्वपूर्ण पदार्थ बनाते हैं; जैसे—पेण्टोज शर्कराएँ न्यूक्लिक अम्लों के अणुओं का अनिवार्य भाग होती हैं। ये ATP के संश्लेषण में भी सहायक होते हैं।
  3. इनका महत्त्व खाद्य संचय के लिए अत्यधिक है; जैसे शरीर में ये ग्लाइकोजन (glycogen) के रूप में संचित रहते हैं।
  4. ये रुधिर का थक्का जमने (clotting) से रोकने में सहायक होते हैं; जैसे—हीपैरिन (heparin)।
  5. शर्करा के कुछ अणु अस्थि सन्धियों पर स्नेहक (चिकनाई) का कार्य करते हैं।
  6. कोशिका कला की बाहरी सतह पर ग्लाइकोप्रोटीन्स तथा ग्लाइकोलिपिड्स के रूप में संयुक्त कार्बोहाइड्रेट्स की उपस्थिति कलाओं की पहचान बनाती है और ग्राही का कार्य करती है।
  7. लारे, म्यूकस, रुधिर समूह के एण्टीजेन्स में भी शर्करा के अणु उपस्थित होते हैं।

प्रश्न 2.
एन्जाइम की क्रिया-विधि का वर्णन कीजिए। विभिन्न प्रकार के कारकों को एन्जाइम की क्रिया-विधि पर पड़ने वाले प्रभावों का वर्णन कीजिए। या विकर की संरचना का वर्णन कीजिए तथा इसकी उत्प्रेरित अभिक्रियाओं को प्रभावित करने वाले किन्हीं दो कारकों का वर्णन संक्षेप में कीजिए।
उत्तर :

एन्जाइम्स

एन्जाइम्स (enzyme, Gr, en = in; zyme = yeast) विशेष प्रकार के कार्बनिक उत्प्रेरक (organic catalysts) हैं जो जीवों में रासायनिक प्रक्रियाओं के उत्प्रेरण के लिए उत्तरदायी होते हैं। जीवतन्त्र में एन्जाइम्स की उपस्थिति का ज्ञान बहुत पुराना है। यद्यपि एन्जाइम (enzyme) नाम तब पड़ा, जब कुहने (Kuhne, 1878) ने यीस्ट (yeast) में पाये जाने वाले खमीर को इस नाम से पुकारा। प्राय: सभी एन्जाइम्स प्रोटीन (protein) के बने होते हैं। इनकी संरचना जटिल तथा अणुभार भी बहुत अधिक होता है। जीव तन्त्र के बाहर अर्थात् प्रयोगशाला में इनका संश्लेषण अभी सम्भव नहीं है। वैज्ञानिकों ने कई एन्जाइम्स (enzymes) को कोशिकाओं से (UPBoardSolutions.com) निकालकर उनके रवे (crystals) प्राप्त किये हैं। अनेक एन्जाइम; जैसे—पेप्सिन (pepsin) में शुद्ध प्रोटीन के साथ अन्य पदार्थ जुड़े रहते हैं। अनेक एन्जाइम में प्रोटीन के साथ किसी धातु; जैसे-लोहा (Fe), जस्ता (Zn), ताँबा (Cu) आदि के अंश सम्बद्ध होते हैं, जैसे—साइटोक्रोम्स (cytochromes) में लोहा होता है आदि। एज़ाइम के प्रोटीन तथा नॉन-प्रोटीन भाग क्रमश: एपोएन्जाइम  (apoenzyme) तथा प्रोस्थेटिक ग्रुप (prosthetic group) कहलाते हैं तथा सम्पूर्ण एन्जाइम को होलोएन्जाइम (holoenzyme) कहते हैं। कुछ एन्जाइम्स की सक्रियता उनसे लगे हुए आयनों (ions) पर निर्भर करती है। ऐसे आयनों को डायलिसिस (dialysis) द्वारा विलग किया जा सकता है। इस प्रकार के आयन सक्रिय कारक होते हैं।UP Board Solutions for Class 11 Biology Chapter 9 Biomolecules image 13

एन्जाइम्स की क्रिया-विधि

वास्तव में, एन्जाइम जिस क्रिया के प्रति अपनी सक्रियता प्रदर्शित करते हैं, वे अपने-आप भी होती हैं। किन्तु अत्यधिक धीमी गति से। एन्जाइम कैसे कार्य करता है? इस बारे में समय-समय पर अनेक विचारधाराएँ प्रस्तुत की गई हैं, जैसे. हेनरी (Henry, 1903) ने बताया कि एन्जाइम अपने क्रियाधार या सब्सट्रेट (substrate) से मिलकर एक यौगिक बना लेते हैं। बाद में, इस सिद्धान्त को एन्जाइम-सब्सट्रेट कॉम्प्लेक्स (enzyme-substrate complex) परिकल्पना कहा गया। इसके अनुसार, एन्जाइम के बाह्य तल पर विशेष प्रकार की संरचनाएँ होती हैं जिनको टेम्प्लैट (template) कहते हैं। इन्हीं में आधारीय पदार्थों के अणु हँस जाते हैं। इन अणुओं की संरचना टेम्प्लैट के अनुसार होती है। इस प्रकार बनने वाले विशिष्ट घनिष्ठ साहचर्य की स्थापना के विषय में निम्नलिखित दो सिद्धान्त प्रस्तुत किये गये हैं

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1. ताला-कुँजी सिद्धान्त
इस विचारधारा को वैज्ञानिक एमिल फिशर (Emil Fisher, 1894) ने दिया। इसके अनुसार, एन्जाइम क्रियाधार (substrate) के साथ क्रिया कर एन्जाइम-सब्सट्रेट कॉम्प्लेक्स (enzyme-substrate complex) नामक अत्यधिक सक्रिय अस्थाई यौगिक बनाता है। इस कॉम्प्लेक्स से अन्त में एन्जाइम अलग हो जाता है तथा क्रियाधार से नया पदार्थ बनता है।
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2. प्रेरित आसंजन सिद्धान्त
कॉशलेण्ड (Koshland, 1960) द्वारा प्रतिपादित इस सिद्धान्त में ये माना गया है कि एन्जाइम का सक्रिय स्थल (active site) स्थिर संरचना का न होकर परिवर्तन योग्य होता है। एक विशेष प्रकार का क्रियाधार (substrate) एक विशेष एन्जाइम के सक्रिय स्थल में परिवर्तन प्रेरित करने में सक्षम होता
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है अर्थात् प्रारम्भ में सब्सट्रेट की रचना तथा सक्रिय स्थल की रचना अनुपूरक (complementary) नहीं होती, किन्तु सक्रिय स्थल में परिवर्तन प्रेरित कर यह क्रियाधार इसे अपने अनुपूरक बना लेता है और एन्जाइम के साथ संयुक्त हो जाता है। इसके बाद की क्रियाओं में सक्रिय स्थल क्रियाधार के बॉण्ड्स (bonds) को विच्छेदित कर उत्पादक पदार्थों को मुक्त कर देता है।

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एन्जाइम की सक्रियता को प्रभावित करने वाले कारक निम्नलिखित कारक

एन्जाइम की क्रियाशीलता को प्रभावित करते हैं

1. ताप (Temperature) :
एन्जाइम को जिस स्थान पर कार्य करना है, वहाँ का ताप; सामान्यतः 35° से 45°C होना चाहिये। इससे अधिक या कम ताप पर एन्जाइम की क्रियाशीलता कम हो जाती है। 60°-65°C ताप तथा इससे अधिक ताप पहुँचने पर एन्जाइम प्रायः नष्ट हो जाते हैं। इसी प्रकार, कम ताप (UPBoardSolutions.com) पर भी इनकी क्रियाशीलता घटती है और 0°C पर पहुँचने पर ये प्रायः निष्क्रिय होकर परिरक्षित (preserve) हो जाते हैं।

2. pH का मान (Value of pH) :
कुछ एन्जाइम्स अम्लीय माध्यम में तथा अन्य क्षारीय माध्यम में क्रियाशील होते हैं, इसके विपरीत ये कार्य नहीं करेंगे। वास्तव में, प्रत्येक एन्जाइम एक विशेष pH माध्यम में ही उच्चतम क्रियाशीलता प्रदर्शित करता है। pH मान कम या अधिक होने पर एन्जाइम की सक्रियता कम हो जाती है। pH परिवर्तन से अभिक्रिया की दिशा भी बदल सकती है।
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pH परिवर्तन से एन्जाइम, क्रियाधार, सक्रियकारक व संदमकों की घुलनशीलता तथा आयनीकरण प्रभावित होते हैं। एन्जाइमों पर अम्लीय अथवा क्षारीय आयनों युक्त अनेक पाश्र्व श्रृंखलाएँ पायी जाती हैं। pH परिवर्तनों से इन पार्श्व श्रृंखलाओं में परिवर्तन होने से आयनीकरण प्रभावित होता है।

3. आर्द्रता (Humidity) :
10-25% आर्द्रता पर एन्जाइम सक्रियता समाप्त हो जाती है। अनुकूलतम बिन्दु तक आर्द्रता बढ़ाने पर एन्जाइम की सक्रियता बढ़ती है।

4. अन्तिम उत्पादों की सान्द्रता (Concentration of end products) :
अन्तिम उत्पादों के संचयन (accumulation) से एन्जाइम की सक्रियता कम हो जाती है। उत्पाद संचयन से अभिक्रिया का विपरीत दिशा में तीव्र होना, एन्जाइम की सतह पर संचयन
से एन्जाइम का निष्क्रिय होना अथवा उत्पादों द्वारा pH प्रभावित होना आदि पाया जाता है। कभी-कभी उत्पाद सक्रिय स्थल पर जुड़कर उसे अवरुद्ध कर देता है। इस घटना को पुनर्निवेशित
संदमन feedback inhibition)कहते हैं।

5. सक्रियकारक (Activators) :
अनेक अकार्बनिक आयन अथवा परमाणु सूक्ष्म मात्रा में रहकर एन्जाइमों की सक्रियता बढ़ा देते हैं; जैसे-K+, Mg++, Mn++, Cl आदि। सक्रियकारक क्रियाधार व एन्जाइम के जुड़ने में सहायक होते हैं।

6. प्रोटीनविष (Protein poisons) :
भारी धातु (Hg++, Ag++, Pb++ आदि)-COOH अथवा -SH से जुड़ जाते हैं। ऑक्सीकारक (oxidants) S-S बन्ध बनाकर एन्जाइम की संरचना में परिवर्तन कर देते हैं। साइनाइड्स (cyanides), कार्बन मोनोऑक्साइड (carbon monoxide), फ्लोराइड्स (fluorides) आदि सक्रियकारक के साथ जुड़कर सम्मिश्र बनाते हैं। ये सब अप्रतियोगी संदमक (non-competitive inhibitors) कहलाते हैं।

7. क्रियाधार आकृतिक अनुरूप पदार्थ (Substrate analogues) :
क्रियाधार आकृतिक अनुरूप पदार्थ एन्जाइम के सक्रिय स्थल के लिये होड़ करते हैं। इनकी उपस्थिति से एन्जाइम सक्रियता में कमी होती है। इन पदार्थों को प्रतियोगी संदमक (competitive inhibitors) कहते हैं। इस संदमन को क्रियाधार की सान्द्रता बढ़ाने से दूर किया जा सकता है।

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8. विकिरण (Radiant rays) :
उच्च ऊर्जा किरणों (X-rays, gamma rays, ultraviolet rays) आदि से विभिन्न बन्ध टूटकर (-SH) नये बन्ध (S-S) बनते हैं जिससे एन्जाइम सक्रियता कम हो जाती है।

9. क्रियाधार की सान्द्रता (Substrate concentration) :
यदि एन्जाइम की मात्रा अधिक हो तो क्रियाधार की सान्द्रता बढ़ाने से अभिक्रिया की दर में वृद्धि होती है।

10. एन्जाइम की सान्द्रता (Enzyme concentration) :
यदि क्रियाधार की सान्द्रता अधिक हो तो एन्जाइम की सान्द्रता बढ़ाने से अभिक्रिया की दर में वृद्धि होती है। एन्जाइम के द्वारा सम्पादित प्रतिक्रियाएँ प्रतिवर्ती (reversible) होती हैं। अतः संश्लेषणात्मक (synthetic) प्रतिक्रिया होगी या विखण्डनात्मक (decompositional), इसका निर्णय अन्य दशाओं पर निर्भर होगा, न कि एन्जाइम पर। सामान्यतः किसी भी ऐसी प्रक्रिया के फलस्वरूप उत्पादित (produced) पदार्थ को अन्य प्रक्रियाओं के द्वारा हटाया जाते रहना चाहिये। (UPBoardSolutions.com) इसलिये एन्जाइम प्रक्रियाएँ सामूहिक एवं शृंखलाबद्ध serial) होती हैं, क्योंकि प्रत्येक क्रिया में बना हुआ उत्पाद (product) अगली प्रतिक्रिया के लिये आधारीय पदार्थ (substrate) का कार्य करता है।

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UP Board Solutions for Class 11 Geography: Practical Work in Geography Chapter 8 Weather Instruments. Maps and Charts

UP Board Solutions for Class 11 Geography: Practical Work in Geography Chapter 8 Weather Instruments. Maps and Charts (मौसम यंत्र, मानचित्र तथा चार्ट)

These Solutions are part of UP Board Solutions for Class 11 Geography. Here we have given UP Board Solutions for Class 11 Geography: Practical Work in Geography Chapter 8 Weather Instruments Maps and Charts (मौसम यंत्र, मानचित्र तथा चार्ट)

पाठ्य-पुस्तक के प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1. नीचे दिए गए चार विकल्पों में से सही उत्तर चुनें|
(i) प्रत्येक दिन के लिए भारत के मौसम मानचित्र का निर्माण कौन-सा विभाग करता है?
(क) विश्व मौसम संगठन
(ख) भारतीय मौसम विभाग
(ग) भारतीय सर्वेक्षण विभाग
(घ) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर-(ख) भारतीय मौसम विभाग।

(ii) उच्च एवं निम्न तापमानों में कौन-से द्रवों का प्रयोग किया जाता है?
(क) पारी एवं जल
(ख) जल एवं अल्कोहल ।
(ग) पारा एवं अल्कोहल
(घ) इनमें से कोई नहीं ।
उत्तर-(ग) पारा एवं अल्कोहल।

(iii) समान दाब वाले स्थानों को जोड़ने वाली रेखाओं को क्या कहा जाता है?
(क) समदाब रेखाएँ
(ख) समवर्षा रेखाएँ
(ग) समताप रेखाएँ
(घ) आइसोहेल रेखाएँ।
उत्तर-(क) समदाब रेखाएँ।

(iv) मौसम पूर्वानुमान का प्राथमिक यन्त्र है
(क) तापमापी
(ख) दाबमापी
(ग) मानचित्र
(घ) मौसम चार्ट
उत्तर-(क) तापमापी।

(v) अगर वायु में आर्द्रता अधिक है, तब आई एवं शुष्क बल्ब के बीच पाठ्यांक का अन्तर होगा
(क) कम ।
(ख) अधिक
(ग) समान
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर-(क) कम।

प्रश्न 2. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 30 शब्दों में दें
(i) मौसम के मूल तत्त्व क्या हैं?
उत्तर-मौसम तत्त्वों के अन्तर्गत तापमान, वायुदाब, पवन, आर्द्रता तथा मेघों की दशाएँ सम्मिलित हैं। इन तत्त्वों के आधार पर वायुमण्डलीय दशाओं में कम समय अन्तराल पर परिवर्तन होता रहता है। इन्हीं तत्त्वों के आधार पर मौसम का पूर्वानुमान लगाया जाता है।

(ii) मौसम चार्ट क्या है?
उत्तर-मौसम पूर्वानुमान के लिए मौसम चार्ट प्राथमिक यन्त्र है। ये विभिन्न वायुमण्डलीय दशाओं; जैसे-वायुराशियों, वायुदाब यन्त्रों, वाताग्रों तथा वर्षण को जानने एवं पहचानने में सहयोग करते हैं।

(iii) वर्ग 1 के वेधशालाओं में सामान्यतः कौन-सा यन्त्र मौसम परिघटनाओं को मापने के लिए होता है?
उत्तर-भारत में मौसम वेधशालाओं को उनके यन्त्रों तथा प्रतिदिन लिए गए प्रेक्षणों की संख्या के आधार पर पाँच वर्गों में विभाजित किया जाता है। इनमें उच्चतम वर्ग-1 की वेधशाला है। वर्ग-1 की वेधशाला में अग्रलिखित यन्त्रों द्वारा मौसम के तत्त्वों को मापन किया जाता है

  1. अधिकतम एवं न्यूनतम तापमापी,
  2. पनवेग तथा वात-दिग्दर्शी,
  3. शुष्क एवं आर्द्र बल्ब तापमाण,
  4. वर्षामापी तथा
  5. वायुदाबमापी। |

(iv) समताप रेखाएँ क्या हैं?
उत्तर-मानचित्र पर समान तापमान वाले स्थानों को मिलाकर खींची गई रेखाएँ समताप रेखाएँ कहलाती हैं।

(v) निम्नलिखित को मौसम मानचित्र पर चिह्नित करने के लिए किस प्रकार के मौसम प्रतीकों का प्रयोग किया जाता है?
(क) धुन्ध, (ख) सूर्य का प्रकाश, (ग) तड़ित, (घ) मेघों से ढका आकाश
उत्तर-
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प्रश्न 3. निम्नलिखित प्रश्न का उत्तर लगभग 125 शब्दों में दें
(i) मौसम मानचित्रों एवं चार्टी को किस प्रकार तैयार किया जाता है तथा ये हमारे लिए कैसे उपयोगी हैं?
उत्तर–मौसम मानचित्र पृथ्वी या उसके किसी भाग का अल्प समय (एक दिन) के मौसमी परिघटनाओं का समतल धरातल पर प्रदर्शन है। इन मानचित्रों पर एक निश्चित दिन के विभिन्न मौसम तत्त्वों; जैसे—तापमान, वर्षा, सूर्य का प्रकाश, मेघमयता, वायु की दिशा एवं वेग, वायुदाब इत्यादि को दर्शाया जाता है। इनको तैयार करने में केन्द्रीय कार्यालय द्वारा प्राप्त सूचनाओं, अभिलेख, निर्धारित प्रतीक या चिह्न और मौसम मानचित्र विधियों का प्रयोग किया जाता है। अतः मौसम मानचित्र बनाने के लिए मौसम सम्बन्धी सूचनाओं और प्रतीकों का सम्यक् ज्ञान आवश्यक है। इन्हीं चिह्नों या प्रतीकों को विभिन्न स्थानों की सूचनाओं के साथ निर्धारित केन्द्रों पर अवस्थित किया जाता है। भारत में भारतीय मौसम विज्ञान विभाग की स्थापना के बाद से

मौसम मानचित्र एवं चार्यों को नियमित रूप से तैयार किया जाता है। मौसम चार्ट में मौसम सम्बन्धी सूचनाओं एवं प्रतीकों को प्रदर्शित किया जाता है। इस चार्ट के माध्यम से कम स्थान पर मौसम सम्बन्धी अधिकतम सूचनाएँ प्राप्त हो जाती हैं। इनको तैयार करने में मानचित्र की आवश्यकता नहीं होती, केवल मौसम सूचनाओं को प्रतीकों द्वारा क्रमबद्ध रूप से संयोजन किया जाता है। मौसम मानचित्र एवं मौसम चार्ट सम्बन्धित स्थान की मौसम दशाओं को समझने में अत्यन्त उपयोगी हैं। इनके आधार पर निर्धारित स्थान की मौसम दशाओं के आधार पर कृषि एवं अन्य कार्यों की विशेष योजनाएँ तैयार की जा सकती हैं जो सामाजिक-आर्थिक विकास की दृष्टि से अत्यन्त महत्त्वपूर्ण होती हैं।

मानचित्र पठन

प्रश्न 1. पाठ्य-पुस्तक चित्र 8.12 एवं 8.13 को पढे एवं निम्न प्रश्नों के उत्तर दें
(i) इन मानचित्रों में किन ऋतुओं को दर्शाया गया है?
उत्तर-मानचित्र 8.12 में शीत ऋतु (जनवरी माह) की दशाओं को तथा मानचित्र 8.13 में ग्रीष्म ऋतु (जुलाई माह) की दशाएँ दर्शाई गई हैं।

(ii) पाठ्य-पुस्तक चित्र 8.12 में अधिकतम समदाब रेखा का मान क्या है तथा यह देश के किस भाग से गुजर रही है?
उत्तर-पाठ्य-पुस्तक चित्र 8.12 में अधिकतम समदाब रेखा का मान ‘1020 है। यह देश के उत्तरी-पश्चिमी भाग (जम्मू-कश्मीर) से गुजरती है।

(iii) पाठ्य-पुस्तक चित्र 8.13 में सबसे अधिक एवं सबसे कम समदाब रेखाओं का मान क्या है। तथा ये कहाँ स्थित हैं?
उत्तर-पाठ्य-पुस्तक चित्र 8.13 में सबसे अधिक 1010 की समदाब रेखा दक्षिण-पश्चिम (केरल) भारत में तथा सबसे न्यून समदाब रेखा 997 उत्तर-पश्चिमी भारत (राजथान से जम्मू-कश्मीर के सीमान्त भाग) में स्थित है।

(iv) दोनों मानचित्रों में तापमान वितरण का प्रतिरूप क्या है?
उत्तर-पाठ्य-पुस्तक चित्र 8.12 में उत्तर की ओर तापमान घटता जाता है तथा चित्रे 8.13 में तापमान उत्तर एवं दक्षिण में अधिक है। (v) पाठ्य-पुस्तक चित्र 8.12 में किस भाग का अधिकतम औसत तापमान तथा न्यूनतम औसत तापमान आप देखते हैं? उत्तर-अधिकतम औसत तापमान दक्षिण भारत (25°C तमिलनाडु) में तथा न्यूनतम औसत तापमान (10°C जम्मू-कश्मीर) उत्तरी भारत में है।

(vi) दोनों मानचित्रों में आप तापमान वितरण एवं वायुदाब के बीच क्या सम्बन्ध देखते हैं?
उत्तर-तापमान बढ़ता है और वायुदाब कम होता जाता है।

परीक्षोपयोगी प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1. मौसम मानचित्र क्या है? इसका प्रकाशन किस प्रकार होता है?
उत्तर-मौसम मानचित्र
प्रायः किसी स्थान की एक समय-विशेष की वायुमण्डलीय दशाओं के योग को मौसम कहा जाता है। तापमान, वायुदाबे, आर्द्रता, वर्षा, पवनें तथा आकाशीय दशाएँ वायुमण्डल के प्रमुख अंग हैं, जिन्हें जलवायु या मौसम के प्रमुख तत्त्व कहा जाता है।

जिन मानचित्रों में मौसम-चिह्नों की सहायता से मौसम के विभिन्न तत्त्वों का प्रदर्शन किया जाता है, उन्हें मौसम मानचित्र कहा जाता है। मौसम मानचित्र की परिभाषा इस प्रकार दी जा सकती है-

मौसम मानचित्र उन मानचित्रों को कहते हैं जिनमें किसी क्षेत्र के निश्चित समय के तापमान, वायुदाब, पवन-संचार, वर्षा आदि के विवरण प्रकाशित किए गए हों।’ मौसम की भविष्यवाणी करने के लिए इने मानचित्रों की विशेष सहायता ली जाती है।

मौसम मानचित्रों का प्रकाशन

मौसम मानचित्रों की उपयोगिता को देखते हुए भारत सरकार ने इनके नियमित प्रकाशन हेतु मौसम विज्ञान की स्थापना की है। इस विभाग का मुख्य कार्यालय पुणे (महाराष्ट्र) में है। उत्तरी भारत में मौसम निदेशालय (Directorate of Meteorology) की स्थापना लोधी रोड, नई दिल्ली में की गई है। इस विभाग द्वारा देश के विभिन्न भागों में स्थित वेधशालाओं से मौसम सम्बन्धी आँकड़े एवं विवरण प्राप्त किए जाते हैं, उन्हीं के आधार पर प्रतिदिन मौसम मानचित्रों की रचना की जाती है। मौसम मनिचित्रों में मौसम सम्बन्धी विवरण मौसम-चिह्नों की सहायता से प्रकाशित किए जाते हैं। यह विभाग मौसम मानचित्रों के साथ-साथ प्रतिदिन मौसम भविष्यवाणियों का रेडियो तथा दूरदर्शन से प्रसारण भी करता है।

प्रश्न 2. मौसम मानचित्रों में प्रयुक्त विभिन्न प्रकार के मौसम चिह्न या प्रतीक बनाइए।
या मौसम चिह्न क्या हैं? विभिन्न प्रकार के मौसम चिह्नों को प्रदर्शित कीजिए।
उत्तर-मौसम चिह्न मौसम मानचित्रों में मौसम के विभिन्न विवरण दर्शाने के लिए जिन चिह्नों का प्रयोग किया जाता है, उन्हें मौसम चिह्न कहते हैं। चिह्नों के अभाव में मानचित्रों की उपयोगिता समाप्त हो जाती है। वस्तुतः मौसम मानचित्रों का अध्ययन अधूरा है। मौसम-चिह्नों का प्रयोग सर्वप्रथम एडमिरल ब्यूफोर्ट ने 1805 ई० में किया था। 1935 ई० में वारसा में सम्पन्न अन्तर्राष्ट्रीय मौसम विज्ञान सम्मेलन ने इन चिह्नों को मान्यता प्रदान कर दी है। अब इनका प्रयोग अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर सभी देशों में प्रकाशित होने वाले मौसम मानचित्रों में किया जाने लगा है। महत्त्वपूर्ण मौसम चिह्न अग्रांकित हैं-

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मेघ दशाचिह

मेघ की दशाओं या मेघाच्छादन की मात्रा के चिह्न निम्नांकित चित्र 8.2 में दर्शाए गए हैं
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ब्यूफोर्ट वायुगति चिह

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प्रश्न 3. निम्नलिखित मौसम यन्त्रों का सचित्र वर्णन कीजिए
(i) तापमापी, (ii) वायुदाबमापी, (iii) वातदिग्दर्शी, (iv) पवन वेगमापी, (v) वर्षामापी।
उत्तर-(i) तापमापी ।
किसी स्थान का तापमान थर्मामीटर द्वारा नापा जाता है। अधिकांश तापमापी संकीर्ण बन्द शीशे की नली के रूप में होते हैं, जिनके एक सिरे पर प्रसारित बल्ब होता है। नली के निचले भाग एवं बल्ब में तरल पदार्थ (जैसे—अल्कोहल या पारा) भरा होता है। तापमापी का बल्ब जो वायु के सम्पर्क में रहता है। तात्कालिक अवस्था के परिणामस्वरूप गर्म या ठण्डा होता है। गर्म होने पर पारा ऊपर की ओर चढ़ता है, जबकि ठण्डा होने पर नीचे की ओर गिरता है। शीशे की नली पर एक मापनी बनी होती है, जिससे तापमान पढ़ी जाता है। यह मापनी सेण्टीग्रेड तथा फॉरेनहाइट में तापमान बताती है।
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वायु के तापमान को मापने के लिए उच्च तापमापी (चित्र 8.4) तथा निम्न तापमापी (चित्र 8.5) का उपयोग किया जाता है, जबकि वायु की आर्द्रता मापने के लिए शुष्क बल्ब एवं आर्द्र बल्ब तापमापी प्रयोग में लाई जाती है। इस तापमापी में दो भुजाएँ होती हैं जिनमें पारा भरा होता है। एक भुजा का निचला भाग पानी की बोतल में डूबा हुआ होता है तथा दूसरा शुष्क होने के कारण काँच की थैली के रूप में होता है (चित्र 8.6)।
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(ii) वायुदाबमापी

वायुमण्डलीय दाब को मापने के लिए वायुदाबमापी का प्रयोग किया जाता है। ये विभिन्न प्रकार के होते हैं, पर सबसे अधिक पारद वायुदाबमापी, निद्रव वायुदाबमापी तथा वायुदाब लेखीयन्त्र का उपयोग किया जाता है। वायुदाब मापने की इकाई मिलीबार होती है। पारद वायुदाबमापी एक यथार्थ यन्त्र है। इसका उपयोग मानक के रूप में किया जाता है। निद्रव वायुदाबमापी को एनीरोइड बैरोमीटर भी कहा जाता है। यह शुष्क बैरोमीटर है। इसका आकार घड़ीनुमा होता है जिसे आसानी से जेब में रखकर कहीं भी ले जा सकते हैं।
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यह धातु को बना डिब्बा होता है, जिसे वायु से खाली कर दिया जाता है। इसके अन्दर के भाग में सिंप्रग लगी होती है। ऊपर के भागमें एक डायल होता है जिस पर अंक अंकित होते हैं। मध्य भाग में एक बटन लगा होता है जिससे सुइयाँ सम्बन्धित होती हैं। यह सुई वायु के दबाव से प्रभावित होकर चलती है जिससे वायु को कम या अधिक वायुदाब ज्ञात होता है (चित्र 8.8)।।

(iii) वातदिग्दर्शी

इस यन्त्र द्वारा वायु की दिशा ज्ञात की जाती है। यह यन्त्र किसी ऊँचे स्थान पर जैसे किसी भवन की सबसे ऊपरी मंजिल पर लगाया जाता है। इस यन्त्र के ऊपरी भाग में लगे तीर की नोंक वायु दिशा का संकेत देती है। यन्त्र के निचले भाग में सूचक लोहे की छड़े लगी होती हैं। इन छड़ों की तुलना से तीर की नोंक की स्थिति का निरीक्षण करके वायु की दिशा ज्ञात करते हैं (चित्र 8.9)। वायुदिशा ज्ञात करने का एक अन्य यन्त्र भी होता है जिसमें ऊपर एक मुर्गा बना होता है, जो वायु की दिशा के साथ घूमता है। जिस ओर मुर्गे का मुँह होता है, उस दिशा को पढ़कर दिशा का ज्ञान हो जाता है। इस यन्त्र को वैदर कॉक कहते हैं (चित्र 8.10)।
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(iv) पवनवेगमापी

वायु की गति मापने के लिए पवनवेगमापी (एनीमोमीटर) का प्रयोग किया जाता है। इस यन्त्र को खुले में किसी ऊँचे स्थान पर लगाते हैं। यह यन्त्र एक डिब्बे के अन्दर स्थित धुरी के रूप में होता है। इस धुरी के ऊपरी भाग में चार अर्द्धवृत्ताकार कटोरियाँ लगी होती हैं। वायु भर जाने पर ये कटोरी घूमती हैं तथा धुरी के निचले भाग द्वारा सम्बन्धित अंकित डायल पर मील या किमी प्रति घण्टा के रूप में वायु व्यक्त करती है (चित्र 8.11)।
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(v) वर्षामापी

वर्षामापी द्वारा वर्षा का मापन किया जाता है। सामान्यतः यह एक धातु का बेलनाकार पात्र होता है, जिसमें एक कीप’ लगी होती है। इस कीप पर पड़ने वाली वर्षा की बूंदें पात्र के अन्दर रखी बोतल में एकत्र होती रहती हैं। इस प्रकार 24 घण्टे में होने वाली वर्षा को नापने वाले पात्र जिसमें इंच व सेमी के निशान बने होते हैं, डालकर वर्षा का मापन करते हैं (चित्र 8.12)।

प्रश्न 4. जनवरी के मौसम मानचित्र के आधार पर वायुमण्डलीय दशाओं का सचित्र वर्णन कीजिए।
उत्तर-जनवरी के मौसम मानचित्र का अध्ययन
(1) प्रारम्भिक सूचना :
यह दैनिक मौसम मानचित्र बुधवार, 1 जनवरी, 1986 ई० (पोष 11 शक, 1908) को भारतीय मानक समय (IST) के अनुसार प्रात: 8.30 बजे (ग्रीनविच औसत समय-GMT 0300 बजे) की मौसम सम्बन्धी दशाओं को प्रदर्शित कर रहा है। इस मानचित्र में प्रातः 8.30 बजे मंगलवार 31 दिसम्बर से प्रातः 8.30 बजे बुधवार, 1 जनवरी तक अर्थात् पिछले 24 घण्टे की वर्षा की मात्रा एवं वायुदाब को दिखाया गया है।
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(II) वायुमण्डलीय दबाव
प्रस्तुत मौसम मानचित्र के अध्ययन से स्पष्ट होता है कि दक्षिणी भारत में 1014 मिबा से और पूर्वी भारत में 1016 मिबा से घिरे निम्न दाब के क्षेत्र से उत्तरी और उत्तर-पश्चिमी भारत की ओर वायुदाब बढ़ता चला गया है। अफगानिस्तान में यह 1024 मिबा हो गया है, जबकि उत्तरी राजस्थान में 1020 मिबा से घिरा उच्च दाब का क्षेत्र स्थापित है। अरब सागर में निकोबार द्वीपसमूह के पास 1010 मिबा से घिरा निम्न दाब का क्षेत्र उपस्थित है। H अक्षर द्वारा उत्तरी राजस्थान में उच्च वायुमण्डलीय दाब तथा L अक्षर द्वारा निकोबार द्वीपसमूह में निम्न वायुमण्डलीय दाब दर्शाया गया है।
1. समदाब रेखाओं की प्रवृत्ति-प्रस्तुत मानचित्र के अध्ययन से यह स्पष्ट होता है कि मानचित्र के उत्तर-पश्चिमी भाग की समदाबे रेखाएँ बहुत दूर-दूर हैं। पश्चिमी विक्षोभ, जो पहले उत्तरी पाकिस्तान और निकटवर्ती अफगानिस्तान में था, अब जम्मू-कश्मीर में प्रवेश कर गया है।

2. दाब प्रवणता-उत्तरी भारत में दक्षिणी भारत की अपेक्षा दाब प्रवणता बहुत कम है। समदाब रेखाओं को दूर-दूर होना दाबे प्रवणता की कमी को तथा पास-पास होना दाब प्रवणता की
अधिकता को प्रदर्शित करता है।

(III) पवनें
मौसम मानचित्र में पवनों की दिशा एवं वेग पर उच्च और निम्न वायुदाब के क्षेत्रों की स्थिति तथा दाब प्रवणता का गहरा प्रभाव पड़ता है।
1. पवनों की दिशा-प्रस्तुत मानचित्र से यह स्पष्ट होता है कि हरियाणा और उत्तर प्रदेश में पछुवा पवनें चल रही हैं। उत्तर-पूर्वी भारत में उत्तर-पूर्व से पवनें चल रही हैं। राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में उत्तर और उत्तर-पूर्व से तथा दक्षिणी भारत में उत्तर-पूर्व और उत्तर से पवनें चल रही

2. पवनों का वेग-समस्त उत्तरी भारत में पवनों का वेग 5 नॉट गति/घण्टा से कम है। उत्तर-पूर्व | और दक्षिणी भारत में स्थल पर वायु वेगे 5 नॉट प्रति घण्टा से लेकर 10 नॉट प्रति घण्टा तक है।

(IV) समुद्र की दशा
प्रस्तुत मानचित्र के अध्ययन से ज्ञात होता है कि दक्षिणी अरब सागर में कोचीन पत्तन के पश्चिम में सागर की स्थिति सामान्य तरंगित है, जबकि मिनीकॉय द्वीप के पास क्षुब्ध सागर दिखाया गया है।

(V) आकाश की दशा
1. देश के विभिन्न भागों में आकाश की दशा निर्मल आकाश से लेकर पूर्ण मेघाच्छादन तक है। मेघरहित आकाश बिहार, झारखण्ड, पूर्वी उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़, दक्षिणी मध्य प्रदेश, दक्षिणी गुजरात और तमिलनाडु में पाया जाता है। जम्मू-कश्मीर में 7/8 आकाश; हिमाचल प्रदेश, हरियाणा, पंजाब और राजस्थान में आधे से 3/4 भाग तक आकाश बादलों से आच्छादित है।
मानचित्र में सभी मेघ निम्न ऊँचाई वाले हैं।

2. अन्य वायुमण्डलीय दशाएँ-प्रस्तुत मानचित्र के दिल्ली, ग्वालियर, इलाहाबाद, डाल्टनगंज, सिलचर, इम्फाल, कोलकाता, आसनसोल, भोपाल, इन्दौर, रायपुर, नागपुर, विशाखपट्टनम, बंगलुरु, मुम्बई, नासिक, कोच्चि और तिरुवनन्तपुरम नगरों में धुन्ध छाई हुई है। लखनऊ, गोरखपुर, गोहाटी और हैदराबाद नगरों के आस-पास में कोहरा प्रदर्शित किया गया है।

(VI) वर्षण
देश के किसी भी भाग में पिछले 24 घण्टों में वर्षा नहीं हुई तथा न ही हिमपात हुआ है।

(VII) न्यूनतम ताप का प्रसामान्य ताप से विचलन
न्यूनतम ताप का प्रसामान्य ताप से विचलन का अर्थ है किसी स्थान पर किसी तिथि का न्यूनतम तापमान उसी स्थान के उसी तिथि के पिछले 30 वर्षों के औसत न्यूनतम ताप (सामान्य न्यूनतम तापमान) से कितने अंश सेल्सियस अधिक या कम है। इसे समान विचलन वाले स्थानों को मिलाकर खींची गई सम विचलन रेखाओं द्वारा प्रदर्शित करते हैं (देखिए चित्र 8.14)।
* 1 नॉट = 1.84 किमी।
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इस मानचित्र में उत्तरी ओडिशा, बिहार के मैदान और जम्मू में रात्रि का तापमान प्रसामान्य से 4° से लेकर 5° सेल्सियस तक कम है। कुछ भागों में तापमान की यह कमी 2° से लेकर 3° सेल्सियस तक है। प्रायद्वीपीय भारत में कोरोमण्डल तट के साथ और वहाँ से भीतर की ओर बढ़े हुए भाग में न्यूनतम तापमान सामान्य से 2° सेल्सियस तक अधिक है।

(VIII) अधिकतम ताप का सामान्य ताप से विचलन
किसी भी स्थान के 30 या अधिक वर्षों के तापमान का औसत वहाँ का सामान्य (Normal) तापमान होता है। अधिकतम तापमान का सामान्य से विचलने किसी स्थान के किसी तिथि के अधिकतम
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तापमान का उसी स्थान के उसी तिथि के पिछले लगभग 30 वर्षों के औसत अधिकतम तापमान से अन्तर को प्रकट करता है। अधिकतम तापमान उस तिथि के औसत अधिकतम तापमान से अधिक भी हो सकता है और कम भी। कम को ऋणात्मक चिह्न (-) से और अधिक को धनात्मक चिह्न (+) से प्रदर्शित करते हैं (देखिए चित्र 8.15)

इस मानचित्र के उत्तरी भाग में अधिकतम तापमान सामान्य से 2 से 4° सेल्सियस तक नीचे कित किया गया है तथा नेपाल में 6° सेल्सियस तक नीचे है। प्रायद्वीपीय भारत में तटों पर सामान्य से लेकर . भीतरी भाग में 2° सेल्सियस तापमान अधिक पाया जाता है।

अगले 24 घण्टे का पूर्वानुमान

प्रस्तुत मौसम-मानचित्र के अध्ययन से यह स्पष्ट होता है कि हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर और उत्तराखण्ड की उत्तरी पहाड़ियों में व्यापक रूप से हिमपात और वर्षा होने की सम्भावनाएँ हैं। अण्डमान व निकोबार द्वीपसमूह, अरुणाचल प्रदेश, असम, मेघालय, नागालैण्ड, मणिपुर, मिजोरम, त्रिपुरा, तटीय तमिलनाडु, दक्षिणी केरल और लक्षद्वीप में कहीं-कहीं वर्षा हो सकती है तथा तेज पवनों के साथ झंझावात आने की प्रबल सम्भावना है।

मौखिक परीक्षा के लिए प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1. मौसम विज्ञान किसे कहते हैं?
उत्तर-मौसम की विभिन्न दशाओं एवं उनसे सम्बन्धित लक्षणों का अध्ययन करने वाले शास्त्र को मौसम-विज्ञान कहते हैं।

प्रश्न 2. मौसम क्या है?
उत्तर-किसी स्थान-विशेष की अल्पकालीन वायुमण्डलीय दशाओं; जैसे–तापमान, वर्षा, वायु वेग एवं दिशा, ओला, कोहरा, ओस आदि को मौसम कहते हैं।

प्रश्न 3. मौसम के प्रमुख तत्त्व कौन-कौन से हैं?
उत्तर-तापमान, वायुदाब, वायु-दिशा एवं गति, वर्षा तथा आर्द्रता आदि मौसम के प्रमुख तत्त्व हैं।

प्रश्न 4. तापमान किस यन्त्र से नापा जाता है?
उत्तर-तापमान को तापमापी (थर्मामीटर) नामक यन्त्र से नापा जाता है।

प्रश्न 5. तापमापी कितने प्रकार के होते हैं?
उत्तर-तापमापी तीन प्रकार के होते हैं

  • साधारण तापमापी,
  • उच्चतम न्यूनतम तापमापी एवं
  • आर्द्र एवं शुष्क बल्ब तापमापी।

प्रश्न 6. आर्द्रता किस यन्त्र से ज्ञात की जाती है?
उत्तर-आर्द्रता, आर्द्र एवं शुष्क बल्ब तापमापी द्वारा ज्ञात की जाती है।

प्रश्न 7. बैरोमीटर क्या है?
उत्तर-बैरोमीटर, वायुमण्डल का वायुदाब नापने का यन्त्र है।

प्रश्न 8. बैरोमीटर कितने प्रकार के होते हैं?
उत्तर-बैरोमीटर तीन प्रकार के होते हैं

  • साधारण बैरोमीटर,
  • फोर्टिन बैरोमीटर एवं
  • एनीरोइड बैरोमीटर।

प्रश्न 9. बैरोमीटर का उपयोग बताइए।
उत्तर बैरोमीटर का उपयोग निम्नलिखित तथ्यों को ज्ञात करने के लिए किया जाता है

  • वायुदाब की माप,
  • आगामी मौसम का ज्ञान,
  • ऊँचाई का ज्ञान एवं
  • तापमान का अनुमान।

प्रश्न 10. वर्षा किस यन्त्र से नापी जाती है?
उत्तर-वर्षा, वर्षामापी यन्त्र द्वारा नापी जाती है।

प्रश्न 11. वायु दिक्सूचक क्या है?
उत्तर-वायु दिक्सूचक द्वारा वायु के चलने की दिशा का ज्ञान प्राप्त होता है। प्रश्न 12. पवन वेगमापी क्या है? उत्तर-पवन की गति ज्ञात करने वाले यन्त्र को पवन वेगमापी यन्त्र कहते हैं।

प्रश्न 13. सामान्य तापमान का क्या अर्थ है?
उत्तर-सामान्य तापमान लगभग 30-35 वर्षों का औसत तापमान होता है।

प्रश्न 14. अधिकतम तापमान का प्रसामान्य से विचलन किसे कहते हैं?
उत्तर-किसी स्थान पर किसी तिथि के अधिकतम तापमान को उस स्थान के औसत अधिकतम तापमान से अन्तर को प्रसामान्य से विचलन कहते हैं। यह धनात्मक (+) अथवा ऋणात्मक (-) दोनों ही हो सकते हैं।

प्रश्न 15. मौसम मानचित्रों में H और I. अक्षरों से क्या प्रकट होता है?
उत्तर-मौसम मानचित्रों में H अक्षर उच्च दाब और L अक्षर निम्न दाब को प्रकट करता है।

प्रश्न 16. NLM का क्या अर्थ है?
उत्तर-NLM का अर्थ मानसून की उत्तरी सीमा है। इसे प्रकट करने के लिए जुलाई के मानचित्र में दोहरी खण्डित रेखाओं का प्रयोग किया जाता है।

प्रश्न 17, IST से क्या अभिप्राय है?
उत्तर-भारतीय मानक समय को संक्षेप में IST कहते हैं।

प्रश्न 18. GMT का क्या अभिप्राय है?
उत्तर-ग्रीनविच औसत समय GMT कहलाता है।

प्रश्न 19. भारतीय मौसम विभाग का मुख्यालय कहाँ है?
उत्तर-भारतीय मौसम विभाग का मुख्यालय पुणे में स्थित है।

प्रश्न 20. मौसम चिह्नों का सर्वप्रथम प्रयोग किसने किया था?
उत्तर-मौसम चिह्नों का सर्वप्रथम प्रयोग एडमिरल ब्यूफोर्ट (1805) ने किया था।

प्रश्न 21. तापमान मापने की कौन-कौन सी इकाइयाँ हैं?
उत्तर-तापमान को फारेनहाइट, सेण्टीग्रेड तथा यूमर में मापा जाता है। इन इकाइयों को निम्नलिखित सूत्र से एक-दूसरे में परिवर्तित कर सकते हैं –
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UP Board Solutions for Class 11 English Prose Chapter 1 My Struggle for an Education

UP Board Solutions for Class 11 English Prose Chapter 1 My Struggle for an Education

These Solutions are part of UP Board Solutions for Class 11 English. Here we have given UP Board Solutions for Class 11 English Prose Chapter 1 My Struggle for an Education.

LESSON at a Glance
The writer was a Negro (coloured man). His early life was full of difficulties and hardships. He began working in a coal mine. It was here that he overheard about Normal and Agricultural Institute. The author felt an urge to join this institute. His mother reluctantly permitted him for it whereas his brother John helped him as much as he could.

Finally, he started for Hampton with just a few clothes in a bag and a little money. Taking lift in cars and wagons he reached the city of Richmond only about eighty two miles away from Hampton. Here, he had all sorts of difficulties and had to spend his night under a sidewalk. But he was not the least discouraged.

The next day, he got a job of unloading cargo from a ship to make some money. He worked in the ship for a number of days to save some money. When he had enough money to reach Hampton, he resumed his journey.
He reached Hampton and presented himself before the head teacher for assignment to a class. The teacher asked him to sweep a recitation room which he did in a very lous way and quite thoroughly. The head teacher was so pleased with his work that she allowed him to join the institute. It was one of the happiest day of the author’s life.

पाठ का हिन्दी अनुवाद 

1. One day …….. great deal.

एक दिन, जब मैं कोयले की खान में काम कर रहा था, तब मुझे खान में काम करने वाले दो मजदूरों की बात को छिपकर सुनने का अवसर मिला जो वर्जीनिया के किसी स्थान पर नीग्रो के एक बड़े स्कूल के विषय में बातें कर रहे थे। यह पहला अवसर था जब मैंने किसी ऐसे स्कूल या कॉलेज के विषय में सुना था जो हमारे नगर के नीग्रो के छोटे स्कूल से कहीं अधिक आकर्षक था।

जब वे स्कूल का वर्णन कर रहे थे, तब मुझे ऐसा लगा कि यह पृथ्वी का सबसे महान् स्थान होगा। उस समय मुझे स्वर्ग में भी इतने आकर्षण प्रतीत नहीं हुए जितने कि वर्जीनिया के उस हैम्पटन नॉर्मल एवं एग्रीकल्चरल इन्स्टीट्यूट में हुए, जिसके विषय में ये व्यक्ति बातें कर रहे थे। मैंने तुरन्त उस स्कूल में जाने का निश्चय किया, यद्यपि मुझे यह भी पता नहीं था कि यह कहाँ और कितने मील दूर है या मैं वहाँ कैसे पहुँचूँगा। लगातार मुझे एक ही अभिलाषा प्रेरित कर रही थी कि मैं हैम्पटन में जाऊँ। दिन-रात यह विचार मेरे मन में रहा।

सन् 1872 के पतझड़ के मौसम में मैंने वहाँ जाने का निश्चय किया। मेरी माताजी इस गम्भीर भय से दु:खी थीं कि मैं एक ऐसे कार्य को करने जा रहा हूँ जो असम्भव है। कुछ भी हो मेरी माँ ने बे-मन से मुझे जाने की स्वीकृति दे दी। मेरे पास बहुत थोड़ा धन था जिससे मैं कपड़े खरीदें और यात्रा के लिए व्यय करूं। मेरे भाई जॉन ने जितनी सहायती वह कर सकता था की, किन्तु वास्तव में वह काफी नहीं थी।

2. Finally the great ………….. over my head.

वह महान् दिन आ गया और मैं हैम्पटन के लिए चल पड़ा। मेरे पास एक छोटा सस्ता थैला था जिसमें कुछ कपड़े थे जो मैं प्राप्त कर सका। उस समय मेरी माताजी बीमार और कमजोर थीं। मुझे यह आशा नहीं थी कि मैं पुनः उनसे मिल पाऊँगा और इसलिए हमारा वियोग दुःखदायी था, किन्तु फिर भी वह पूरे समय बहादुर बनी रहीं।

माल्डेन से हैम्पटन की दूरी लगभग पाँच सौ मील है। कभी पैदल चलकर, कभी घोड़ागाड़ी या कारों से लिफ्ट लेकर किसी प्रकार कई दिनों के बाद मैं वर्जीनिया के नगर रिचमंड में पहुँचा जो हैम्पटन से लगभग 82 मील दूर है। जब मैं वहाँ पहुँचा तब बहुत थका हुआ, भूखा और गन्दा था और रात काफी बीत चुकी थी। इससे पहले मैं इतने बड़े शहर में कभी नहीं गया था, इस कारण मेरी परेशानी और बढ़ गई। जब मैं रिचमंड पहुँचा तब मेरे पास बिल्कुल धन नहीं था। उस स्थान पर मेरी जान-पहचान का एक भी व्यक्ति नहीं था और नगर के रास्तों से अनभिज्ञ होने के कारण मैं नहीं जान सका कि कहाँ जाऊँ। कई स्थानों पर मैंने रहने के स्थान के विषय में पूछा, लेकिन वे सब पैसा चाहते थे जो मेरे पास नहीं था और अधिक अच्छी बात समझ में न आने के कारण मैं सड़कों पर घूमता रहा।

मैं आधी रात के बाद तक सड़कों पर चक्कर काटता रहा। अन्त में, मैं इतना थक गया था कि और अधिक नहीं चल सकता था। मैं थका हुआ था, भूखा था और सभी कुछ होते हुए भी मैं हतोत्साहित नहीं था। जब मैं शारीरिक रूप से अत्यधिक थक गया, तब मैं सड़क के एक ऐसे किनारे पर आ गया जहाँ फुटपाथ का चबूतरा कुछ उठा हुआ था। कुछ क्षण मैंने प्रतीक्षा की जब तक मुझे यह विश्वास नहीं हो गया कि इधर से जाने वाला कोई व्यक्ति मुझे देखेगा नहीं, तब मैं रेंगकर चबूतरे के नीचे पहुँच गया और रात बिताने के लिए। धरती पर लेट गया और कपड़ों के थैले को तकिये के स्थान पर लगा लिया। लगभग पूरी रात मैंने ऐसा सुना मानो राह चलने वालों के पैर मेरे सिर पर पड़ रहे हों।

3. The next morning …….. what was in me.

दूसरे दिन प्रात:काल मैंने स्वयं को कुछ तरोताजा पाया, किन्तु मैं अत्यन्त भूखा था। ज्यों ही इतना प्रकाश हो गया कि मैं अपने चारों ओर की वस्तुएँ देख सकें, मैंने देखा कि पास में एक बड़ा जहाज था। ऐसा लगा कि इसमें से कच्चा लोहा उतारा जा रहा है। मैं तुरन्त जहाज के पास गया और मैंने जहाज के कप्तान से प्रार्थना । की कि वह मुझे जहाज से सामान उतारने में सहायता करने की स्वीकृति दे दे ताकि मैं भोजन के लिए कुछ धन प्राप्त कर सकें। कप्तान, जो एक अंग्रेज था और दयालु हृदय वाला व्यक्ति मालूम पड़ता था, सहमत हो। गया। अपने नाश्ते के लिए धन कमाने के लिए मैंने काफी समय तक कार्य किया और जैसा कि मुझे अब भी याद है, ऐसा मालूम पड़ता है कि मैंने इससे अच्छा नाश्ता पहले कभी नहीं खाया था।

मेरे कार्य ने कप्तान को इतना प्रसन्न कर दिया कि उसने मुझसे कहा कि मैं थोड़ी मजदूरी प्रतिदिन करता रहूँ। ऐसा करने के लिए मैं बहुत प्रसन्न था। मैंने कई दिनों तक इस जहाज पर कार्य किया। अपनी थोड़ी-सी मजदूरी से भोजन खरीदने के बाद मेरे पास हैम्पटन जाने के लिए अधिक पैसे नहीं बचते थे। हर प्रकार से बचत करने के लिए मैंने चबूतरे पर सोना जारी रखा।

जब हैम्पटन पहुँचने के लिए मैंने काफी धन बचा लिया, तो जहाज के कप्तान को उसकी दया के लिए। धन्यवाद दिया और फिर चल पड़ा। बिना किसी असाधारण घटना के मैं हैम्पटन पहुँच गया। मेरे पास अपनी शिक्षा आरम्भ करने के लिए पूरे पचास सैण्ट फालतू थे। इस बड़ी तीन मंजिल की ईंटों की बनी हुई इमारत पर पहली दृष्टि पड़ते ही मुझे ऐसा लगा कि इस स्थान तक पहुँचने में जो परेशानियाँ उठानी पड़ीं उन सभी का मुझे इनाम मिल गया है। इस भवन के दृश्य ने मुझे नया जीवन प्रदान किया।

हैम्पटन स्कूल के प्रांगण में पहुँचने के तुरन्त बाद कक्षा में प्रवेश के लिए कोई कार्य प्राप्त करने के लिए मैं मुख्य अध्यापिका के समक्ष प्रस्तुत हुआ। इतने समय तक बिना भोजन, स्नान और कपड़े न बदलने के कारण। वास्तव में मैं उन पर बहुत अनुकूल प्रभाव नहीं डाल सका। मैंने तुरन्त पहचान लिया कि उनके मस्तिष्क में मुझे प्रवेश देने के लिए सन्देह था। कुछ समय तक उन्होंने मुझे प्रवेश देने के लिए न तो मना ही किया और न मेरे पक्ष में कोई निर्णय लिया। मैं उनके पीछे-पीछे फिरता रहा और अपनी योग्यता के अनुसार हर प्रकार से उन्हें प्रभावित करता रहा। इसी बीच मैंने उन्हें अन्य विद्यार्थियों को प्रवेश देते हुए देखा और इससे मेरी परेशानी और बढ़ गई। मेरे हृदय में तीव्र इच्छा थी कि मुझे भी यदि अपनी योग्यता दिखाने का एक अवसर मिल जाए, तो मैं भी उन विद्यार्थियों के समान ही अच्छा कार्य करके दिखा सकता हूँ।

4. After some hours ………..Lever passed.

कुछ घण्टे गुजरने के बाद मुख्य अध्यापिका ने मुझसे कहा, “बगल के संगीत के कमरे में सफाई की आवश्यकता है। झाडू लो और इसे साफ करो।”

मुझे ऐसा लगा मानो अब मुझे अवसर मिल गया है। मैंने किसी आदेश को पहले कभी इतनी प्रसन्नता से स्वीकार नहीं किया था।

मैंने संगीत कक्ष में तीन बार झाडू लगाई फिर मैंने झाड़ने का कपड़ा उठाया और चार बार पोंछा लगाया। दीवारों पर लगा लकड़ी का सामान, प्रत्येक बेंच, मेज, डेस्क सभी को चार बार झाड़न से साफ किया। प्रत्येक फर्नीचर को हटाया और कमरे की सभी अलमारियों तथा कोनों को पूर्ण रूप से साफ किया। मेरा यह विचार था कि काफी हद तक मेरा भविष्य उस प्रभाव पर निर्भर करता है जो कमरे को साफ करके अपनी अध्यापिका पर छोडूंगा। जब मैंने अपना कार्य पूरा कर लिया तब मैंने मुख्य अध्यापिका को बताया। वह अमेरिका के उत्तरी राज्यों में रहने वाली एक महिला थी जो जानती थी कि धूल कहाँ हो सकती है। वह कमरे में गई और फर्श तथा अलमारियों का निरीक्षण किया। फिर उसने रूमाल निकाला और दीवारों से लगीं लकड़ी की वस्तुओं पर, मेज तथा बैंचों पर इसे रगड़ा। जब उसे फर्श या किसी फर्नीचर पर धूल का एक कण भी नहीं मिला तब उसने धीरे से कहा, “मेरा विचार है कि तुम्हें भी इस विद्यालय में प्रवेश मिलना चाहिए।”

उस समय मैं इस पृथ्वी पर सबसे प्रसन्न व्यक्तियों में से एक था। कमरे में झाडू लगाना मेरी विद्यालय की परीक्षा थी। तब से मैंने अनेक परीक्षाएँ पास की हैं, किन्तु मैंने सदा यह अनुभव किया कि यह सर्वोत्तम परीक्षा थी जो मैंने पास की।

Understanding the Text

Explanations
Explain one of the following passages with reference to the context :

1. As they went on. ……… me day and night.

Reference: These lines have been taken from the lesson ‘My Struggle for an Education’ written by Booker T. Washington.

(N.B.: The above reference will be used for all explanations of this lesson.]

Context : One day the writer heard two miners talking about a great school in Virginia. He says that very first time he had heard about a school which was more attractive than the Negro school of his town.

Explanation : So he thought that it must be the greatest place on earth. He had realized that this school had more attraction than Heaven. So he decided at once to go to that school, although he did not know where it was, how far it was and how to reach there. All the twenty-four hours he remained thinking to reach Hampton.

2. In the fall of 1872…….. a great deal. [M. Imp.)

Context : One day the writer heard two miners talking about a great school in Virginia. He thought that it must be the greatest place on earth. So, he decided at once to go to that school, although he did not know where it was.

Explanation: The writer made up his mind to go to that school in the fall of 1872. But his mother was afraid that he would not be able to achieve his goal. Yet she allowed him to go half-heartedly. The author had very little money with him for travelling expenses and for buying other necessary items. Anyhow his brother John helped him with some money.

3. I had only a ……… through it all.

Context : The writer had a keen desire to go to Hampton for education. He was a person with little means but he was determined to proceed to Hampton. Finally the day of his departure came.

Explanation : The writer says that he had only a few things to take with him like his clothes which he put into a cheap school bag. He further says that his mother was so weak and in so poor health that he did not hope her to survive for long. For this reason he had to leave her with a heavy heart. But his mother faced the parting with courage and showed no sign of sadness.

4. I had never been ……. walked the streets.

Context: The writer reached the city of Richmond at night by begging rides both in wagons and in cars. It took him number of days to reach here. At this time he was tired, hungry and in dirty clothes.

Explanation: The writer was a quite stranger in Richmond. He had never come before in a large city and he had no money. So he was much worried. Nobody was known to him there. He was quite unfamiliar with the ways of the city. He wanted to stay somewhere and eat food. But wherever he went everybody wanted money and he had no money to give. So, he went on walking on the streets.

5. I must have walked ………….over my head. [M. Imp.)

Context: The writer started his journey to Hampton for getting good education. He had to travel a very long distance on foot because he was short of money. At one point he was completely exhausted.

Explanation: The writer reached Richmond but he had no money. He was so tired that he had no energy to walk any more. He was hungry also. But he did not lose courage. Then he came to a place where the sidewalk was considerably elevated. So, he crept under the sidewalk and laid down there. He could not sleep well because he heard the tramp of feet of the passers-by over his head the whole night.

6. My work pleased ………… under the sidewalk.

Context: Anyhow the writer reached Richmond on his way to Hampton. He had no money and no acquaintance there. So, he slept under a sidewalk. In the morning he saw that he was near a ship. So, he went to its captain and requested him to allow him to work on the ship for sometime. The captain allowed him. .

Explanation: In this passage the writer says that he worked very sincerely on the ship. The captain of the ship was very pleased with him. So, the writer continued working for a few days more. He earned some money. But major portion of it was spent on food. The money which the writer could save was not enough to reach Hampton, so he slept under the sidewalk and saved money to reach Hampton.

7. Without any unusual …………….me new life.

Context: The writer was very much eager to reach the Hampton Institute. He had no more money and no acquaintance there. Yet he started. On the way he faced many difficulties. He had to work on a ship as a labourer to earn money. Thus he reached Hampton.

Explanation: The writer reached Hampton safe and sound and he had also fifty cents with him to begin his education. When he saw the Hampton Institute he was most happy. The school building was three storeyed and it was made of bricks. Seeing this grand building the writer forgot all the troubles of the journey to Hampton. The sight of the school gave him a new life and vigour. Thus he faced all the troubles boldly and succeeded in getting his aim fulfilled.

8. For sometime she …………… my worthiness.

Context: The writer worked on a ship and saved money to reach Hampton. When he reached Hampton, he was very much delighted to see the grand three storeyed brick school building. Then he presented himself before the head teacher for assignment to a class.

Explanation : The writer stood before the head teacher seeking admission in her school. But soon he guessed that his dirty appearance made no favourable impression upon her. She doubted whether it would be wise to admit him as a student. But the writer did not lose his heart. He tried his best to please her by his patience and good manners. He had some hope also to get admission because the head teacher had not yet refused him openly.

9. In the meantime ………………what was in me.

Context: Seeing the dirty appearance of the writer the head teacher was in a great ase. She could neither allow him admission nor could refuse him. But the writer did not lose heart. He tried his best to please her by his patience and good manners.

Explanation : At the same time the writer saw that the head teacher was admitting other students who were not better than he in his own opinion. Seeing this he became restless but did not lose heart. He was confident that he would prove himself a more worthy student than others only if he got a chance. So he waited for his turn patiently for some time and ultimately got a chance.

10. I was one of …………ever passed.

Context : The writer dusted and cleaned the room again and again. When he was satisfied, he reported to the head teacher. She inspected everything very minutely and was very happy. She said to Washington, “Now you will get admission in this institution.”

Explanation : Nice sweeping of the room pleased the head teacher and she allowed him to take admission. The ambition of the writer was fulfilled. He thought that he was the happiest person on the earth. Sweeping of the room was the most thrilling examination for him. His sincerity and devotion to his duty convinced the head teacher, so much that she decided that she would be right in giving him admission.

Short Answer Type Questions

Answer the following questions in not more than 30 words each :

Question 1.
Who were talking about an unusually good school ? Where did the writer hear them ?
(एक असाधारण अच्छे स्कूल के विषय में कौन व्यक्ति बातचीत कर रहे थे ? लेखक ने उन्हें कहाँ सुना?)
Answer:
Two miners were talking about an unusually good school. The writer heard them in a coal mine.
(खान खोदने वाले दो मजदूर एक असाधारण अच्छे स्कूल के विषय में बात कर रहे थे। लेखक ने उन्हें एक कोयले की खान में सुना।)

Question 2.
What was the full name of the school ?
(विद्यालय का पूरा नाम क्या था ?)
Or
The author had heard of a great school for the coloured people. What was the full name of the school and where was it situated ?
(लेखक ने नीग्रो के लिए एक बड़े स्कूल के बारे में सुन रखा था। स्कूल का पूरा नाम क्या था और यह कहाँ स्थित था ?)
Answer:
The full name of the school was Hampton Normal and Agricultural Institute. It was situated at Hampton in Virginia.
(विद्यालय का पूरा नाम हैम्पटन नॉर्मल तथा एग्रीकल्चरल इन्स्टीट्यूट था। यह वर्जीनिया में हैम्पटन में स्थित था।)

Question 3.
what inspired Booker T. Washington to go to Hampton Institute ?
(बूकर टी० वाशिंगटन को हैम्पटन इन्स्टीट्यूट में जाने के लिए किस बात ने प्रेरित किया ?)
Or
How was the author of the lesson ‘My Struggle for an Education’ motivated to join the school?
(My Struggle for an Education पाठ का लेखक स्कूल में प्रवेश लेने के लिए कैसे प्रेरित हुआ ?)
Answer:
The conversation of two miners about an unusually good institute at Hampton inspired Booker
T. Washington to go to Hampton Institute.
(हैम्पटन में एक असाधारण रूप से एक अच्छे इन्स्टीट्यूट के विषय में खान के दो मजदूरों की बातचीत ने . बूकर टी० वाशिंगटन को हैम्पटन इन्स्टीट्यूटे जाने के लिए प्रेरित किया।)

Question 4.
Why did the school appear to the writer to be the greatest place on earth?
(लेखक को यह विद्यालय पृथ्वी पर सबसे महान् स्थान क्यों लगा ?)
Answer:
The school appeared to the writer to be the greatest place on earth because there were more attractions for him than heaven. The miners were speaking very highly about that pretentious school.
(लेखक को यह विद्यालय इस पृथ्वी पर सबसे महान् स्थान इसलिए लगा, क्योंकि यहाँ उसके लिए स्वर्ग से भी अधिक आकर्षण थे। खान के मजदूर इस आकर्षक विद्यालय की बहुत प्रशंसा कर रहे थे।)

Question 5.
What fear did the author’s mother have ?
Or
What was the author’s mother afraid of ?
(लेखक की माँ को किस बात का भय था ?)
Answer:
The author’s mother was afraid that he would not be able to achieve his goal.
(लेखक की माँ को यह भय था कि वह अपने उद्देश्य को प्राप्त नहीं कर सकेगा।)

Question 6.
why was the author sad on leaving his mother?
(लेखक अपनी माँ को छोड़ते हुए दु:खी क्यों था ?)
Answer:
The author’s mother was very weak and sick. He had no hope of seeing her again. So, he was very sad on leaving her.
(लेखक की माँ बहुत कमजोर और बीमार थी। उसे उससे दोबारा मिलने की कोई आशा न थी। इसीलिए उसे छोड़ते हुए वह बहुत दु:खी था।)

Question 7.
“She, however, was very brave through it all.” what does the word ‘brave signify here ?
(दिए हुए वाक्य में ‘brave’ शब्द क्या प्रदर्शित करता है ?)
Answer:
The word ‘brave’ signifies that the author’s mother was very bold, courageous and patient enough. (‘Brave’ शब्द यह प्रदर्शित करता है कि लेखक की माँ बहुत बहादुर, साहसी तथा काफी धैर्यशाली थी।)

Question 8.
what problems did the author face when he reached Richmond ?
(रिचमंड पहुँचकर लेखक ने किन समस्याओं का सामना किया ?)
Answer:
When the author reached Richmond, he was tired, hungry and dirty. He had no money and knew nobody there. He did not know the city ways also.
(जब लेखक रिचमंड पहुँचा तब वह थका हुआ, भूखा और गन्दा था। उसके पास बिल्कुल धन नहीं था और न किसी व्यक्ति को जानता था। वह नगर के रास्तों से भी परिचित नहीं था।)

Question 9.
How did the writer reach Richmond?
(लेखक रिचमंड कैसे पहुँचा ?)
Or
How and when did the writer reach Richmond ?
(लेखक कैसे और कब रिचमंड पहुँचा ?)
Or
What did Booker do to help himself to reach Hampton ?
(हैम्पटन पहुँचने के लिए बूकर ने स्वयं की सहायता के लिए क्या किया ?)
Answer:
The writer travelled some distance on foot and some distance by begging lifts in wagons and cars. Thus, he reached Richmond very late in the night.
(लेखक ने कुछ दूरी पैदल चलकर तय की और कुछ दूरी घोड़ागाड़ी तथा कारों में लिफ्ट माँगकर तय की। इस प्रकार वह रिचमंड रात को देर से पहुँचा।)

Question 10.
How did the author earn and save money in Richmond ?
(लेखक ने रिचमंड में धन कैसे कमाया और कैसे बचाया ?)
Answer:
By working on a ship as a labourer the author earned money. For saving money he continued to sleep under the sidewalk.
(लेखक ने जहाज पर मजदूर के रूप में कार्य करके धन कमाया। धन को बचाने के लिए वह सड़क के किनारे पटरी पर सोता रहा।)

Question 11.
How did the writer feel to see the school building?
(विद्यालय भवन को देखकर लेखक ने कैसा अनुभव किया ?)
Or
What gave a new life to the writer ?
(कौन-सी वस्तु ने लेखक को नवजीवन प्रदान किया ?)
Answer:
The grand building and beautiful sight of the school gave a new life to the writer.
(विद्यालय के भव्य भवन एवं सुन्दर दृश्य ने लेखक को नया जीवन प्रदान किया।)

Question 12.
Why could the writer not make a favourable impression upon the head teacher ?
(मुख्य अध्यापिका पर लेखक अच्छा प्रभाव क्यों नहीं डाल सका ?)
Answer:
The writer could not make a good impression upon the head teacher because he was not looking smart. He was tired, hungry and in dirty clothes.
(लेखक मुख्य अध्यापिका पर अच्छा प्रभाव इस कारण न डाल सका, क्योंकि वह चुस्त दिखाई नहीं दे रहा था। वह थका हुआ, भूखा तथा गन्दे कपड़े पहने हुए था।)

Question 13.
what did the head teacher ask him to do ? why ?
(मुख्य अध्यापिका ने उससे क्या करने को कहा ? क्यों ?)
Answer:
The head teacher asked him to sweep the recitation room to judge his suitability for admission.
(मुख्य अध्यापिका ने प्रवेश के लिए उसकी योग्यता को आँकने के लिए उससे संगीत कक्ष को साफ करने के लिए कहा।)

Question 14.
Never did Ireceive an order with more delight.’ which order Booker T. Washington is referring to ?
(‘मैंने कोई भी आदेश इससे अधिक प्रसन्नता से प्राप्त नहीं किया। बूकर टी० वाशिंगटन यहाँ कौन-से आदेश की ओर संकेत कर रहा है ?)
Answer:
Booker T. Washington is referring to the order of sweeping the recitation room given by the head teacher. (बूकर टी० वाशिंगटन यहाँ मुख्य अध्यापिका द्वारा दिए गए संगीत कक्ष को साफ करने के आदेश की ओर संकेत कर रहा है।)

Question 15.
why did the writer receive the order with great delight?
(लेखक ने इस आदेश को प्रसन्नता से क्यों स्वीकार किया ?)
Answer:
The writer received the order with great delight because he thought that it was a golden opportunity to impress the head teacher and to get admission.
(लेखक ने इस आदेश को बड़ी प्रसन्नता से स्वीकार किया, क्योंकि उसने सोचा कि यह मुख्य अध्यापिका को प्रभावित करने तथा प्रवेश पाने का सुनहरा अवसर है।)

Question 16.
Why was the writer delighted when the head teacher asked him to sweep the room ?
(जब मुख्य अध्यापिका ने लेखक से कमरे में झाडू लगाने के लिए कहा तो वह क्यों प्रसन्न हुआ ?)
Answer:
The writer was delighted when the head teacher asked him to sweep the room because he thought that it was a golden opportunity to impress the head teacher and to get admission.
(जब मुख्य अध्यापिका ने लेखक से कमरे में झाड़ लगाने के लिए कहा तो वह बहुत प्रसन्न हुआ, क्योंकि उसने सोचा कि यह मुख्य अध्यापिका को प्रभावित करने तथा प्रवेश पाने का सुनहरा अवसर है।)

Question 17.
what did the teacher do when the author had done his duties ?
(जब लेखक ने अपना कार्य पूरा कर लिया तब अध्यापिका ने क्या किया ?)
Or
How did the head teacher inspect the room ?
(मुख्य अध्यापिका ने कमरे का निरीक्षण कैसे किया ?)
Answer:
When the author had done his duties, the head teacher inspected every corner of the room. She rubbed the handkerchief at several places. But she did not find even a single particle of dust anywhere.
(जब लेखक ने अपना कार्य पूरा कर लिया तब मुख्य अध्यापिका ने कमरे के प्रत्येक कोने को देखा। उसने अपने रूमाल से कई स्थानों पर रगड़ा। किन्तु उसे कहीं धूल का एक कण भी नहीं मिला।)

Question 18.
What exactly was his college examination and why ?
(वास्तव में उसके लिए विद्यालय की परीक्षा क्या थी और क्यों ?)
Or
Why does the writer call the sweeping of the room as the best of all examinations he had passed in his life ?
(लेखक कमरे की सफाई को उन परीक्षाओं में सबसे अच्छी परीक्षा क्यों कहता है जो उसने अपने जीवन में उत्तीर्ण की हैं ?)
Answer:
The sweeping of the recitation room was the college examination for the writer because success in it meant his admission in the college.
(संगीत कक्ष में झाड़ लगाना लेखक के लिए विद्यालय की परीक्षा थी, क्योंकि उसकी इस परीक्षा में सफलता को अर्थ था—विद्यालय में प्रवेश।)

Question 19.
How did the teacher test the suitability of Booker to admit him as a student?
(अध्यापिका ने बूकर को विद्यार्थी के रूप में प्रवेश देने की योग्यता की परीक्षा कैसे ली ?)
Answer:
The teacher gave him the test of sweeping the recitation room which was a ” menial work. Booker passed it easily and proved his suitability for admission.
(अध्यापिका ने उसकी संगीत कक्ष को साफ करने की परीक्षा ली जो एक छोटा कार्य था, किन्तु बूकर ने इसे सफलतापूर्वक पास कर लिया और प्रवेश के लिए अपनी उपयुक्तता को सिद्ध कर दिया।)

Question 20.
How can you say that the author of the lesson ‘My Struggle for an Education is a man of perseverance ? Give examples in support of your answer.
(आप कैसे कह सकते हैं कि My Struggle for an Education पाठ का लेखक बहुत धैर्यशाली व्यक्ति था ? अपने उत्तर की पुष्टि में उदाहरण दीजिए।)
Answer:
No doubt the author of the lesson faced all the difficulties boldly and did not lose courage. He started with a very little money, faced many difficulties in the way and faced the strict behaviour of the head teacher and succeeded. These examples show that he was a man of perseverance.
(नि:सन्देह रूप से इस पाठ के लेखक ने सारी परेशानियों का मुकाबला बहादुरी से किया और हिम्मत नहीं हारा। वह बहुत थोड़ा धन लेकर चला, रास्ते में बहुत-सी परेशानियों का मुकाबला किया और मुख्य
अध्यापिका के कठोर स्वभाव का मुकाबला किया और सफल हुआ। ये उदाहरण बताते हैं कि वह धैर्यशाली व्यक्ति था )

Question 21.
What did the author, Booker T. Washington, ask the captain?
(लेखक बूकर टी० वाशिंगटन ने जहाज के कैप्टन से क्या पूछा?)
Answer:
The author, Booker T. Washington, asked the captain to permit him to help unload the vessel in order to get money for food.
(लेखक बूकर टी० वाशिंगटन ने जहाज के कैप्टन से जहाज से सामान उतारने में सहायता की स्वीकृति के लिए पूछा ताकि वह भोजन के लिए धन प्राप्त कर सके।)

Vocabulary

Choose the most appropriate word or phrase that best completes the sentence:

1. The ….. from Maiden to Hampton is about five hundred miles.
(a) area
(b) distance
(c) unity
(d) difference
Answer:
(b) distance

2. In the fall of 1872, I ….. to make an effort to get there.
(a) planned
(b) determined
(c) decided
(d) made up my mind.
Answer:
(b) determined

3. I had not a single ….. in the place; and being unused to city ways, I did not know where to go.
(a) friend
(b) known person
(C) relation
(d) acquaintance
Answer:
(d) acquaintance

4. I must have walked the streets till after….
(a) mid-day
(b) mid-night
(c) late evening
(d) early morning
Answer:
(b) mid-night

5. The next morning I found myself somewhat refreshed, but I was extremely …….
(a) hungry
(b) excited
(c) thirsty
(d) emotional
Answer:
(a) hungry

6. When I was through, I ……. to the head teacher.
(a) reported
(b) went
(c) said
(d) came
Answer:
(a)
reported

7. I was one of the happiest.. on earth.
(a) sherry
(b) souls
(c) shay
(d) sheaf
Answer:
(b)
souls

8. Finally the ……… day came, and I started for Hampton.
(a) mentioned
(b) great
(c) final
(d) stated
Answer:
(b) great

9. I had the feeling that in a large measure my future depended upon the impression, I made upon the teacher in the ………of the room.
(a) washing
(b) cleaning
(c) dusting
(d) sweeping
Answer:
(b) cleaning

10. I continued to ……….. about her, and to impress her in all the ways I could with my worthiness.
(a) linger
(b) cling
(c) dodge
(d) shout
Answer:
(a) linger

11. I was on fire constantly with one ………. and that was to go to Hampton.
(a) wish
(b) desire
(c) ambition
(d) motive
Answer:
(c) ambition

12. My work pleased the captain so well that he told me I could …….. Working for the small amount per day.
(a) continue
(b) stop
(c) deny
(d) like
Answer:
(a) continue

13. The sight of the school was ……..
(a) engaging
(b) inspiring
(c) attracting
(d) inviting
Answer:
(c) attracting

14. Take the broom and ……..it.
(a) sweep
(b) brush
(c) scrub
(d) clean
Answer:
(a) sweep

15. The …… recitation room needs sweeping.
(a) good-looking
(b) attractive
(c) dirty
(d) adjoining
Answer:
(b) attractive

16. The …….. of that room was my college examination.
(a) looking
(b) locking
(c) sweeping
(d) washing
Answer:
(c) sweeping

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UP Board Solutions for Class 11 Chemistry Chapter 8 Redox Reactions

UP Board Solutions for Class 11 Chemistry Chapter 8 Redox Reactions (अपचयोपचय अभिक्रियाएँ)

These Solutions are part of UP Board Solutions for Class 11 Chemistry. Here we have given UP Board Solutions for Class 11 Chemistry Chapter 8 Redox Reactions (अपचयोपचय अभिक्रियाएँ).

पाठ के अन्तर्गत दिए गए प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
निम्नलिखित स्पीशीज में प्रत्येक रेखांकित तत्व की ऑक्सीकरण संख्या का निर्धारण कीजिए-
(क) NaH2PO4
(ख) Na HSO4
(ग) H4P2O7
(घ) K2MnO4
(ङ) CaO2
(च) NaBH4
(छ) H2S2O7
(ज) KAl(SO4).12H2O
उत्तर
UP Board Solutions for Class 11 Chemistry Chapter 8 Redox Reactionsimg-1
UP Board Solutions for Class 11 Chemistry Chapter 8 Redox Reactions img-2
UP Board Solutions for Class 11 Chemistry Chapter 8 Redox Reactionsimg-2

प्रश्न 2.
निम्नलिखित यौगिकों के रेखांकित तत्वों की ऑक्सीकरण संख्या क्या है तथा इन परिणामों को आप कैसे प्राप्त करते हैं?
(क) KI3
(ख) H2S4O6
(ग) Fe3O4
(घ) CH2CH2OH
(ङ) CH3COOH
उत्तर
UP Board Solutions for Class 11 Chemistry Chapter 8 Redox Reactionsimg-3
UP Board Solutions for Class 11 Chemistry Chapter 8 Redox Reactionsimg-4
UP Board Solutions for Class 11 Chemistry Chapter 8 Redox Reactionsimg-5
UP Board Solutions for Class 11 Chemistry Chapter 8 Redox Reactionsimg-6

प्रश्न 3.
निम्नलिखित अभिक्रियाओं का अपचयोपचय अभिक्रियाओं के रूप में औचित्य स्थापित करने का प्रयास कीजिए–
(क) CuO(s)+ H2(g) + Cu(s) + H2O(g)
(ख) Fe2O3(s) + 3CO(g)—-→ 2Fe(s) + 3CO2(g)
(ग) 4BCl3(g) + 3LiAlH4(s) → 2B2H6(g) + 3LiCl(s) + 3AlCl3(s)
(घ) 2K(s) + F2(g) → 2K+F (s)
(ङ) 4NH3(g) + 5O2(g) → 4NO(g) + 6H2O(g)
उत्तर
UP Board Solutions for Class 11 Chemistry Chapter 8 Redox Reactionsimg-7
इस अभिक्रिया में, Cu की ऑक्सीकरण अवस्था +2(CuO में) से घटकर शून्य (Cu में) हो जाती है जबकि H की ऑक्सीकरण अवस्था शून्य (H2 में) से बढ़कर +1(H2O में) हो जाती है। इसलिए अभिक्रिया में CuO का अपचयन तथा H का ऑक्सीकरण हो रहा है। अतः यह एक अपचयोपचय अभिक्रिया है।
UP Board Solutions for Class 11 Chemistry Chapter 8 Redox Reactionsimg-8
इस अभिक्रिया में, Fe2O3 का अपचयन हो रहा है क्योंकि Fe की ऑक्सीकरण अवस्था +3(Fe2O3 में) से घटकर शून्य (Fe में) हो जाती है। CO का ऑक्सीकरण हो रहा है क्योंकि C की ऑक्सीकरण अवस्था +2 (CO में) से बढ़कर +4 (CO,2में) हो जाती है। अत: यह एक अपचयोपचय अभिक्रिया (redox reaction) है।
UP Board Solutions for Class 11 Chemistry Chapter 8 Redox Reactionsimg-9
इस अभिक्रिया में, BCl3 का अपचयन हो रहा है क्योकि B की ऑक्सीकरण अवस्था +3 (BCl3 में) से घटकर -3 (B2H6 में) हो जाती है तथा LiAlH4 का ऑक्सीकरण हो रहा है क्योकि H की ऑक्सीकरण अवस्था -1(LiAlH4 में) से बढ़कर +1 (B2H6 में) हो जाती है। अतः यह एक अपचयोपचय (redox) अभिक्रिया है।
UP Board Solutions for Class 11 Chemistry Chapter 8 Redox Reactionsimg-10
इस अभिक्रिया में, K का ऑक्सीकरण हो रहा है क्योंकि इसकी ऑक्सीकरण अवस्था शून्य से बढ़कर +1 हो जाती है तथा F को अपचयन हो रहा है क्योंकि इसकी ऑक्सीकरण अवस्था । शून्य से घटकर -1 हो जाती है। अत: यह एक अपचयोपचय अभिक्रिया है।
UP Board Solutions for Class 11 Chemistry Chapter 8 Redox Reactionsimg-11
इस अभिक्रिया में, NH3 को ऑक्सीकरण हो रहा है क्योंकि इसकी ऑक्सीकरण अवस्था -3 से बढ़कर +2 हो जाती है तथा O2 का अपचयन हो रहा है क्योंकि इसकी ऑक्सीकरण अवस्था शून्य से घटकर -2 (H2O में) हो जाती है। अतः यह एक अपचयोपचय (redox) अभिक्रिया है।

प्रश्न 4.
फ्लुओरीन बर्फ से अभिक्रिया करके यह परिवर्तन लाती है
H2O(s) + F2(g) → HF(g) + HOF(g)
इस अभिक्रिया का अपचयोपचय औचित्य स्थापित कीजिए।
उत्तर
H2O(s) + F (g) → HF(g) + HOF (g)
इस अभिक्रिया में, F2 का अपचयन के साथ-साथ ऑक्सीकरण भी हो रहा है क्योंकि यह H (वैद्युत धनात्मक तत्त्व) को जोड़कर HF बनाती है तथा 0 (एक वैद्युत ऋणात्मक तत्त्व) को जोड़कर HOF बनाती है। अत: यह एक ऑक्सीकरण अपचयन अभिक्रिया (redox reaction) है।

प्रश्न 5.
H2SO5, Cr2O2-7 तथा NO3 में सल्फर, क्रोमियम तथा नाइट्रोजन की ऑक्सीकरण संख्या की गणना कीजिए। साथ ही इन यौगिकों की संरचना बताइए तथा इसमें हेत्वाभास | (fallacy) का स्पष्टीकरण दीजिए।
उत्तर
(i) H2SO5 में S की ऑक्सीकरण संख्या :
(+1)x2 + (x) + [(-2)x5]= 0
अथवा x= 10-2= +8
S की ऑक्सीकरण संख्या +8 सम्भव नहीं है क्योंकि s के बाह्य कोश में 6 इलेक्ट्रॉन होते हैं और उसकी अधिकतम ऑक्सीकरण संख्या +6 हो सकती है। अत: H, SO में दो ऑक्सीकरण परमाणुओं को एक-दूसरे से जुड़ा होना चाहिए। इस हेत्वाभास (fallacy) को H2SO4 की निम्नलिखित संरचना द्वारा स्पष्ट किया जा सकता है
UP Board Solutions for Class 11 Chemistry Chapter 8 Redox Reactionsimg-12
(ii) Cr2O2-7 में Cr की ऑक्सीकरण संख्या :
UP Board Solutions for Class 11 Chemistry Chapter 8 Redox Reactionsimg-13
(iii) NO3 में N की ऑक्सीकरण संख्या :
UP Board Solutions for Class 11 Chemistry Chapter 8 Redox Reactionsimg-14
UP Board Solutions for Class 11 Chemistry Chapter 8 Redox Reactionsimg-15

प्रश्न 6.
निम्नलिखित यौगिकों के सूत्र लिखिए-
(क) मर्करी (II) क्लोराइड
(ख) निकिल (II) सल्फेट
(ग) टिन (IV) ऑक्साइड
(घ) थैलियम (I) सल्फेट
(ङ) आयरन (II) सल्फेट
(च) क्रोमियम (III) ऑक्साइड
उत्तर
(क) HgCl2
(ख) NiSO4
(ग) SnO2
(घ) Th2SO4
(ङ) Fe2(SO4 )3
(च) Cr2O7

प्रश्न 7.
उन पदार्थों की सूची तैयार कीजिए जिनमें कार्बन-4 से +4 तक की तथा नाइट्रोजन-3 से +5 तक की ऑक्सीकरण अवस्था होती है।
उत्तर
UP Board Solutions for Class 11 Chemistry Chapter 8 Redox Reactionsimg-16

प्रश्न 8.
अपनी अभिक्रियाओं में सल्फर डाइऑक्साइड तथा हाइड्रोजन परॉक्साइड ऑक्सीकारक तथा अपचायक-दोनों ही रूपों में क्रिया करते हैं, जबकि ओजोन तथा नाइट्रिक अम्ल केवल ऑक्सीकारक के रूप में ही। क्यों?
उत्तर
SO2 में S की ऑक्सीकरण संख्या +4 होती है। S अपनी अभिक्रियाओं में -2 और +6 के बीच की कोई भी ऑक्सीकरण-संख्या दर्शा सकता है। अत: SO2 में S की ऑक्सीकरण संख्या घट सकती है और बढ़ भी सकती है; अर्थात् इसका ऑक्सीकरण तथा अपचयन दोनों सम्भव है। इस कारण SO2 ऑक्सीकारक तथा अपचायक दोनों अभिकर्मकों की तरह व्यवहार करती है। H2O2 की स्थिति भी समान प्रकार की है। H2O2 में, O की ऑक्सीकरण अवस्था -1 होती है। ऑक्सीजन -2 और 0 (शून्य) के बीच की कोई भी ऑक्सीकरण अवस्था दर्शाता है (+2 भी जब F से जुड़ा होता है) अतः H2O2 में ऑक्सीजन अपनी ऑक्सीकरण संख्या घटा तथा बढ़ा सकता है। इस कारण H2O2 ऑक्सीकारक तथा अपचायक दोनों अभिकर्मकों की तरह व्यवहार करता है।
O3 में, ऑक्सीजन की ऑक्सीकरण अवस्था शून्य है। यह अपनी ऑक्सीकरण-अवस्था को -1 तथा -2 तक घटा सकता है परन्तु अपनी ऑक्सीकरण-अवस्था को बढ़ा नहीं सकता। अत: O3 केवल एक ऑक्सीकारक की तरह व्यवहार करती है। H2O2 की स्थिति भी समान प्रकार की है। HNO3 में, N की ऑक्सीकरण-अवस्था +5 होती है जो N की अधिकतम ऑक्सीकरण अवस्था है। अत: N केवल अपनी ऑक्सीकरण अवस्था घटा सकता है। इस कारण HNO3 केवल ऑक्सीकारक की तरह व्यवहार करता है।

प्रश्न 9.
इन अभिक्रियाओं को देखिए
(क) 6CO2(g) + 6H2O(l) → C6H12O6 (aq) + 6O2(g)
(ख) O3(g) + H2O2(l) → H2O(l) + 2O2(g)
बताइए कि इन्हें निम्नलिखित ढंग से लिखना ज्यादा उचित क्यों है?
(क) 6CO2(g) + 12H2O(I) → C2H12O6 (aq) + 6H2O(I) + 6O2(g)
(ख) O2(g) + H2O2(l) → H2O(I) + O2(g) + O2(g)
उपर्युक्त अपचयोपचय अभिक्रियाओं (क) तथा (ख) के अन्वेषण की विधि सुझाइए।
उत्तर
(क) यह प्रकाश संश्लेषण (photosynthesis) की अभिक्रिया है जो कि एक बहुत ही जटिल प्रक्रिया है और अनेक चरणों में सम्पन्न होती है। इस अभिक्रिया में, 12H2O अणु क्लोरोफिल (chlorophyll) की उपस्थिति में पहले अपघटित होकर H2 तथा O2 देते हैं। इस प्रकार निर्मित H2CO2 को अपचयित कर C2H12O6 का निर्माण करती है। अतः अभिक्रिया को एक सरल रूप में अभिक्रिया निम्न प्रकार दिखाया जा सकता है|
UP Board Solutions for Class 11 Chemistry Chapter 8 Redox Reactionsimg-17
इसलिए इस अभिक्रिया को समीकरण (iii) की भाँति लिखना ज्यादा उचित है। इस निरूपण में 12H2O अणु भाग लेते हैं तथा 6H2O अणु उत्पन्न होते हैं।
(ख) दी गई अभिक्रिया का वास्तविक प्रारूप निम्न प्रकार है-
UP Board Solutions for Class 11 Chemistry Chapter 8 Redox Reactionsimg-18
समीकरण (iii) प्रदर्शित करती है कि O2 का एक अणु O3 से प्राप्त होता है, जबकि दूसरा H2O2 से प्राप्त होता है। इसलिए, समीकरण को प्रदर्शित करने की यह विधि अधिक उपयुक्त है। समीकरण (क) तथा (ख) का अन्वेषण ट्रेसर तकनीक (tracer technique) के द्वारा किया जा सकता है। समीकरण (क) में H2O18 तथा समीकरण (ख) में H2O18 (या O183) का प्रयोग कर अभिक्रिया के पथ को निर्धारित किया जा सकता है।

प्रश्न 10.
AgF2 एक अस्थिर यौगिक है। यदि यह बन जाए तो यह यौगिक एक अति शक्तिशाली ऑक्सीकारक की भाँति कार्य करता है। क्यों?
उत्तर
AgF2 में, Ag की ऑक्सीकरण-अवस्था +2 होती है जो Ag की अत्यधिक अस्थायी अवस्था है। इसलिए, यह एक इलेक्ट्रॉन ग्रहण करने के बाद शीघ्रता से अपचयित होकर स्थायी ऑक्सीकरण-अवस्था +1 प्राप्त कर लेता है।
UP Board Solutions for Class 11 Chemistry Chapter 8 Redox Reactionsimg-19
इसी कारण AgF2 (यदि प्राप्त हो जाये) एक अत्यन्त प्रबल ऑक्सीकारक की भाँति व्यवहार करता है।

प्रश्न 11.
“जब भी एक ऑक्सीकारक तथा अपचायक के बीच अभिक्रिया सम्पन्न की जाती है, तब अपंचायक के आधिक्य में निम्नतर ऑक्सीकरण अवस्था का यौगिक तथा ऑक्सीकारक के आधिक्य में उच्चतर ऑक्सीकरण अवस्था का यौगिक बनता है। इस वक्तव्य का औचित्य तीन उदाहरण देकर दीजिए।
उत्तर
दिये गये वक्तव्य का औचित्य निम्नलिखित उदाहरणों द्वारा स्पष्ट किया जा सकता है
UP Board Solutions for Class 11 Chemistry Chapter 8 Redox Reactionsimg-20
अभिक्रिया (i) में अपचायक (reducing agent) कार्बन अधिकता में है, जबकि अभिक्रिया (ii) में ऑक्सीकारक (oxidising agent) O2 अधिकता में है। अभिक्रिया (i) में CO (कार्बन की O.S.= +2) तथा अभिक्रिया (ii) में CO2 (कार्बन की O.S. = +4) का निर्माण होता है।
UP Board Solutions for Class 11 Chemistry Chapter 8 Redox Reactionsimg-21

प्रश्न 12.
इन प्रेक्षणों की अनुकूलता को कैसे समझाएँगे?
(क) यद्यपि क्षारीय पोटैशियम परमैंगनेट तथा अम्लीय पोटैशियम परमैंगनेट दोनों ही
ऑक्सीकारक हैं। फिर भी टॉलूईन से बेन्जोइक अम्ल बनाने के लिए हम ऐल्कोहॉलिक पोटैशियम परमैंगनेट का प्रयोग ऑक्सीकारक के रूप में क्यों करते हैं? इस अभिक्रिया के लिए सन्तुलित अपचयोपचय समीकरण दीजिए।
(ख) क्लोराइडयुक्त अकार्बनिक यौगिक में सान्द्र सल्फ्यूरिक अम्ल डालने पर हमें तीक्ष्ण गन्ध वाली HCI गैस प्राप्त होती है, परन्तु यदि मिश्रण में ब्रोमाइड उपस्थित हो तो हमें ब्रोमीन की लाल वाष्प प्राप्त होती है, क्यों?
उत्तर
(क) यदि टॉलूईन का ऑक्सीकरण क्षारीय अथवा अम्लीय KMnO4 द्वारा किया जाये तो ऑक्सीकरण को नियन्त्रित करना कठिन होगा। इसमें मुख्य उत्पाद बेंजोइक ऐसिड (benzoic acid) के साथ-साथ सह अभिक्रियाओं (side reactions) द्वारा दूसरे उत्पाद भी प्राप्त होंगे। इसलिए टॉलूईन के ऑक्सीकरण के लिये क्षारीय अथवा अम्लीय KMnO4 के स्थान पर ऐल्कोहॉलिक KMnO4 को वरीयता दी जाती है। अपचयोपचय (redox reaction) अभिक्रिया नीचे दी गई है–
UP Board Solutions for Class 11 Chemistry Chapter 8 Redox Reactionsimg-22
UP Board Solutions for Class 11 Chemistry Chapter 8 Redox Reactionsimg-23
(ख) जब सान्द्र H2SO4 को क्लोराइडयुक्त एक अकार्बनिक मिश्रण में मिलाया जाता है, तो कम वाष्पशील अम्ल H2SO4 अधिक वाष्पशील अम्ल HCl को विस्थापित करता है और HCl गैस की तीक्ष्ण गन्ध आती है।

2NaCl (5) + H2SO4 (l) → 2NaHSO4 (s) + 2HCl(g)

HCl एक दुर्बल अपचायक है। यह H2SO4 को SO2 में अपचयित करने में असमर्थ है। जब मिश्रण में ब्रोमाइड उपस्थित होता है तो अधिक उड़नशील अम्ल HBr विस्थापित होता है। HBr एक अधिक प्रबल अपचायक है और H2SO4 को SO2 में अपचयित कर देता है। यह स्वयं ऑक्सीकृत होकर ब्रोमीन देता है जो लाल वाष्प के रूप में प्राप्त होती है।
UP Board Solutions for Class 11 Chemistry Chapter 8 Redox Reactionsimg-24

प्रश्न 13.
निम्नलिखित अभिक्रियाओं में ऑक्सीकृत, अपचयित, ऑक्सीकारक तथा अपचायक पदार्थ पहचानिए-
(क) 2AgBr(s) + C6H6O2(aq) → 2Ag(s) + 2HBr (aq) + C6H4O2(aq)
(ख) HCHO(7) +2[Ag(NH3)2]+ (aq) + 3OH (aq) → 2Ag(s)+ HCOO7 (aq) +4NH3(aq) +2H2O(7)
(ग) HCHO(1) + 2Cu2+(aq) + 5OH (aq) → Cu2O(s)+ HCOO (aq) +3H2O(l)
(घ) N2H4(l) + 2H2O(l) → N2(g)+ 4H2O(l)
(ङ) Pb(s) + PbO2(s)+ 2HSO4 (aq) → 2PbSO4(s) + 2H2O(l)
उत्तर
UP Board Solutions for Class 11 Chemistry Chapter 8 Redox Reactionsimg-25

प्रश्न 14.
निम्नलिखित अभिक्रियाओं में एक ही अपचायक थायोसल्फेट, आयोडीन तथा ब्रोमीन से अलग-अलग प्रकार से अभिक्रिया क्यों करता है?
2S2O2-3 (aq) + I2(s) → S4O2-6(aq) + 2I (aq)
S2O2-3 (aq) + 2Br2(l) + 5H2O(l) → 2SO2-4 (aq) + 4Br(aq) + 10H+ (aq)
उत्तर
प्रस्तुत स्पीशीज (species) में S की ऑक्सीकरण संख्या निम्न है-

S2O2-3 = +2, S4O2-6 = 2.5, SO2-4 = +6

ब्रोमीन, आयोडीन से अधिक प्रबल ऑक्सीकारक है। इसलिये यह S2O2-3 (S की 0.S. = +2) को SO2-4 (S की O.S. = +6) में ऑक्सीकृत कर देता है; जिसमें S उच्च-ऑक्सीकरण अवस्था में है। I2 एक दुर्बल ऑक्सीकारक की तरह व्यवहार करता है। यह S2O2-3 को S4O2-6(S की O.S. = 2.5) में . ऑक्सीकृत करता है, जिसमें S की ऑक्सीकरण-अवस्था कम है। यही कारण है कि S2O2-3, Br2 से I2 से अलग-अलग प्रकार से अभिक्रिया करता है।

प्रश्न 15.
अभिक्रिया देते हुए सिद्ध कीजिए कि हैलोजनों में फ्लुओरीन श्रेष्ठ ऑक्सीकारक तथा हाइड्रोहैलिक यौगिकों में हाइड्रोआयोडिक अम्ल श्रेष्ठ अपचायक है।
उत्तर
हैलोजनों की ऑक्सीकारक क्षमता का घटता हुआ क्रम निम्न है-F2 > Cl2, > Br2 > I2। F2 एक प्रबल ऑक्सीकारक है तथा यह Cl, Br तथा I आयनों का ऑक्सीकर कर देती है। Cl2 केवल Br तथा I आयनों को और Br2 केवल I आयनों को ही ऑक्सीकृत कर पाती है। I2 इनमें से किसी को भी ऑक्सीकृत करने में असमर्थ है। अभिक्रियायें नीचे दी गई हैं-
F2 की ऑक्सीकारक अभिक्रियाएँ-

F2(g) + 2Cl(aq) -→ 2F (aq) + Cl2 (g)
F2 (g)+2Br(aq) 2F(aq) + Br2 (1)
F2(g) + 2I(aq) → 2F(aq) + I(s)

Cl2 की ऑक्सीकारक अभिक्रियाएँ-

Cl2(g)+ 2Br(aq) -→ 2Cl(aq) + Br (1)
Cl2(g) + 2I(aq) → 2C(aq) + I2(l),

I2 की ऑक्सीकारक अभिक्रियाएँ-

Br2(l) + 2I(aq) → 2Br(aq) + I2(s)

इस प्रकार F2 सबसे अच्छा ऑक्सीकारक है। हाइड्रोलिक अम्लों की अपचायक क्षमता का घटता हुआ क्रम निम्न प्रकार है-

HI> HBr> HCl> HF

HI और HBr सल्फ्यूरिक अम्ल (H2SO4) को SO2 में अपचयित कर देते हैं, जबकि HCl व HF ऐसा नहीं कर पाते।

2HBr + H2SO4 → SO2+ 2H2O+ Br2
2HI + H2SO4 → SO2 + 2H2O + I2

HCI, MnO2 को Mn2+ में अपचयित कर देता है परन्तु HF ऐसा करने में असमर्थ है। यह दर्शाता है। कि HCl की ऑक्सीकृत क्षमता HBr से अधिक है।

MnO2 +4HCl → MnCl2 + Cl2 + 2H2O
MnO2 + 4HF → कोई अभिक्रिया नहीं

अतः हाइड्रोलिक अम्लों में HI प्रबलतम अपचायक है।

प्रश्न 16.
निम्नलिखित अभिक्रिया क्यों होती है?
XeO4-6(aq) + 2F(aq) + 6H+(aq) → XeO3(g) + F2(g) + 3H2O(I)
यौगिक Na4XeO6 (जिसका एक भाग XeO4-6 है) के बारे में आप इस अभिक्रिया में क्या निष्कर्ष निकाल सकते हैं?
उत्तर
UP Board Solutions for Class 11 Chemistry Chapter 8 Redox Reactionsimg-26
इस अभिक्रिया में XeO6 को XeO3 में अपचयन तथा F का F2 में ऑक्सीकरण हो रहा है। यह अभिक्रिया इसलिये सम्पन्न होती है क्योंकि XeO6, F2 से अधिक प्रबल ऑक्सीकारक है। चूंकि XeO4-6 F2 की तुलना में अधिक प्रबल ऑक्सीकारक है, अत: Na4XeO6 एक प्रबल ऑक्सीकारक होगा।

प्रश्न 17.
निम्नलिखित अभिक्रियाओं में-
(क) H3PO2(aq) + 4AgNO3(aq) + 2H2O(l) → H2PO4(aq) + 4Ag(s) +4HNO3(aq)
(ख) H3PO2(aq) + 2CuSO4 (aq) + 2H2O(I)→ H3PO4 (aq) + 2Cu(s) +2H2SO4 (aq)
(ग) C2H5CHO(l) + 2[Ag(NH3)2]+(aq) + 3OH (aq) → C6H5COO (aq) +2Ag(s) +4NH3(aq) +2H2O(l)
(घ) C6H5CHO(l) +2Cu2+ (aq) + 5OH (aq) कोई परिवर्तन नहीं।
इन अभिक्रियाओं से A+ तथा Cu2+ के व्यवहार के विषय में निष्कर्ष निकालिए।
उत्तर
ये अभिक्रिया दर्शाती है कि Ag+,Cu2+ से अधिक प्रबल ऑक्सीकारक है। यह निम्न तथ्यों से स्पष्ट है-

  1. अभिक्रिया (क) और (ख) दर्शाती है कि Ag2व Cu2+ दोनों आयने H3PO2 को H3PO4 में ऑक्सीकृत कर सकते हैं। अत: दोनों ऑक्सीकारक हैं।।
  2. अभिक्रिया (ग) दर्शाती है कि [Ag(NH3)2]+ आयन C6H5CHO को C6H2COOH में ऑक्सीकृत कर सकता है, परन्तु अभिक्रिया (घ) के अनुसार Cu2+ आयन ऐसा करने में असमर्थ है।
    अतः यह निष्कर्ष निकाला जा सकता है कि यद्यपि Ag+व Cu2+ दोनों ऑक्सीकारक अभिकर्मक हैं, परन्तु Ag+,Cu2+ से अधिक प्रबल ऑक्सीकारक है।

प्रश्न 18.
आयन-इलेक्ट्रॉन विधि द्वारा निम्नलिखित रेडॉक्स अभिक्रियाओं को सन्तुलित कीजिए-
(क) MnO4(aq) +I(aq) → MnO2(s) +I2(s)
(क्षारीय माध्यम)
(ख) MnO4(aq) + SO2(8) → Mn2+ (aq) + HSO4(aq) (अम्लीय माध्यम)
(ग) H2O2(aq) +Fe2+ (aq) → Fe3+ (aq) +H2O(l) (अम्लीय माध्यम)
(घ) Cr2O2-7 +SO2(g) → Cr3+ (aq) + SO2-4(aq) (अम्लीय माध्यम)
उत्तर
UP Board Solutions for Class 11 Chemistry Chapter 8 Redox Reactionsimg-27
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प्रश्न 19.
निम्नलिखित अभिक्रियाओं के समीकरणों को आयन-इलेक्ट्रॉन तथा ऑक्सीकरण संख्या विधि (क्षारीय माध्यम में) द्वारा सन्तुलित कीजिए तथा इनमें ऑक्सीकारक और
अपचायकों की पहचान कीजिए-
(क) P4(s) + OH (aq) → PH3(g) + HPO27 (aq)
(ख) N2H4(l) + ClO3(aq) → NO(g) + Cl(g)
(ग) Cl2O7(g) + H2O2(aq) → ClO2 (aq) + O2(g) + H+(aq)
उत्तर
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UP Board Solutions for Class 11 Chemistry Chapter 8 Redox Reactionsimg-35
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प्रश्न 20.
निम्नलिखित अभिक्रिया से आप कौन-सी सूचनाएँ प्राप्त कर सकते हैं-
(CN)2(g) + 2OH (aq) → CN (aq) + CNO (aq) + H2O(l)
उत्तर
यह एक असमानुपातन (disproportionation) अभिक्रिया है। इसमें (CN)2 एक ही समय में CN में अपचयित और CNO में ऑक्सीकृत होता है। यह अभिक्रिया क्षारीय माध्यम में होती है।

प्रश्न 21.
Mn3+ आयन विलयन में अस्थायी होता है तथा असमानुपातन द्वारा Mn2+, MnO2 और H+ आयन देता है। इस अभिक्रिया के लिए सन्तुलित आयनिक समीकरण लिखिए।
उत्तर
UP Board Solutions for Class 11 Chemistry Chapter 8 Redox Reactionsimg-42
UP Board Solutions for Class 11 Chemistry Chapter 8 Redox Reactionsimg-43
UP Board Solutions for Class 11 Chemistry Chapter 8 Redox Reactionsimg-44

प्रश्न 22.
Cs, Ne, I तथा F में ऐसे तत्व की पहचान कीजिए, जो
(क) केवल ऋणात्मक ऑक्सीकरण अवस्था प्रदर्शित करता है।
(ख) केवल धनात्मक ऑक्सीकरण अवस्था प्रदर्शित करता है।
(ग) ऋणात्मक तथा धनात्मक दोनों ऑक्सीकरण अवस्था प्रदर्शित करता है।
(घ) न ऋणात्मक और न ही धनात्मक ऑक्सीकरण अवस्था प्रदर्शित करता है।
उत्तर
(क) F : यह सर्वाधिक वैद्युत ऋणात्मक तत्त्व है और सदैव -1 ऑक्सीकरण अवस्था प्रदर्शित करता है।
(ख) Cs : यह एक क्षार धातु है जो अत्यधिक वैद्युत धनात्मक है। यह सदैव +1 ऑक्सीकरण अवस्था प्रदर्शित करता है।
(ग) I: यह एक हैलोजन है। इसके संयोजक कोश में सात इलेक्ट्रॉन पाये जाते हैं। इसलिये यह -1 ऑक्सीकरण अवस्था प्रदर्शित करता है। 4-कोश (orbitals) की उपस्थिति के कारण यह +1, +3, +5, और +7 ऑक्सीकरण अवस्थाएँ भी प्रदर्शित करता है।
(घ) Ne: यह एक उत्कृष्ट गैस (noble gas) है तथा किसी रासायनिक अभिक्रिया में भाग नहीं लेती है। इसलिए, यह न तो धनात्मक ऑक्सीकरण-अवस्था में पाई जाती है और न ही ऋणात्मक ऑक्सीकरण अवस्था में।

प्रश्न 23.
जल के शुद्धिकरण में क्लोरीन को प्रयोग में लाया जाता है। क्लोरीन की अधिकता हानिकारक होती है। सल्फर डाइऑक्साइड से अभिक्रिया करके इस अधिकता को दूर किया जाता है। जल में होने वाले इस अपचयोपचय परिवर्तन के लिए सन्तुलित समीकरण लिखिए।
उत्तर
क्लोरीन तथा सल्फर डाइऑक्साइड की अभिक्रिया निम्नलिखित समीकरण द्वारा व्यक्त की जा सकती है

Cl2 + SO2 → Cl + SO2-4

इस अपचयोपचय अभिक्रिया को आयन-इलेक्ट्रॉन विधि से निम्नांकित पदों में सन्तुलित करते हैं-
पद 1. पहले ढाँचा समीकरण लिखते हैं-

Cl2 + SO2 → Cl+ SO2-4

पद 2. दो अर्द्ध-अभिक्रियाएँ निम्नवत् हैं-

  1. ऑक्सीकरण अर्द्ध-अभिक्रिया : SO2 → SO2-4
  2. अपचयन अर्द्ध-अभिक्रिया : Cl2 → Cl

पद 3. ऑक्सीकरण अर्द्ध-अभिक्रिया में 0 परमाणुओं को सन्तुलित करने के लिए समीकरण में बाईं ओर दो जल अणु जोड़ते हैं-

SO2 + 2H2O → SO2-4 +4H+

पद 4. सन्तुलित अपचयन अर्द्ध-अभिक्रिया निम्नवत् होगी ।-

Cl2 → 2Cl

पद 5. इस पद में हम दोनों अर्द्ध-अभिक्रियाओं में आवेश का सन्तुलन इस प्रकार करेंगे-

SO2 + 2H2O → SO2-4 +4H+ +2e
Cl2 +2e → 2Cl

पद 6. उपर्युक्त दोनों अर्द्ध-अभिक्रियाओं को जोड़ने पर-

Cl2 + SO2 + 2H2O → 2Cl + SO2-4 +4H+

अन्तिम सत्यापन दर्शाता है कि समीकरण परमाणुओं की संख्या एवं आवेश की दृष्टि से सन्तुलित है।

प्रश्न 24.
आवर्त सारणी की सहायता से निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
(क) सम्भावित अधातुओं के नाम बताइए, जो असमानुपातन की अभिक्रिया प्रदर्शित कर सकती हों।
(ख) किन्हीं तीन धातुओं के नाम बताइए, जो असमानुपातन अभिक्रिया प्रदर्शित कर सकती हों।
उत्तर
(क) P4, Cl2 और S हैं।
(ख) Cu, Ga और In| इनकी असमानुपातन की अभिक्रियाएँ निम्न हैं-

2Cu+ (aq) -→ Cu2+(aq) + Cu (s)
3Ga+ (aq) → Ga3+(aq) + 2Ga(s)
3In+ (aq) → In3+(aq) + 2In (3)

ये धातु तीन ऑक्सीकरण अवस्थाओं में पायी जाती हैं, जो निम्न हैं-

Cu: +2, 0, +1
Ga : +3, 0, +1
In : +3, 0, +1

प्रश्न 25.
नाइट्रिक अम्ल निर्माण की ओस्टवाल्ड विधि के प्रथम पद में अमोनिया गैस के ऑक्सीजन गैस द्वारा ऑक्सीकरण से नाइट्रिक ऑक्साइड गैस तथा जलवाष्प बनती है। 10.0 ग्राम अमोनिया तथा 20.00 ग्राम ऑक्सीजन द्वारा नाइट्रिक ऑक्साइड की कितनी अधिकतम मात्रा प्राप्त हो सकती है?
उत्तर
प्रक्रम की रासायनिक समीकरण निम्न है-
UP Board Solutions for Class 11 Chemistry Chapter 8 Redox Reactionsimg-45
समीकरण के अनुसार 68 ग्राम NH3 के ऑक्सीकरण के लिए 160 ग्राम O2 की आवश्यकता होती है।
∴ 10 ग्राम NH3 के ऑक्सीकरण के लिए होगी [latex]\frac { 160 }{ 68 } \times 10=23.53g[/latex] O2 की आवश्यकता। प्रक्रम में केवल 20g O2 का प्रयोग किया गया है। अत: O2 सीमान्त अभिकर्मक है।
∵ 160g O2 से प्राप्त होती है, NO= 120g
∴ 20g O2 से प्राप्त होगी, NO=[latex]\frac { 120 }{ 160 } \times 20=15.00g[/latex]

प्रश्न 26.
पाठ्य-पुस्तक की सारणी 8:1 में दिए गए मानक विभवों की सहायता से अनुमान लगाइए कि क्या इन अभिकारकों के बीच अभिक्रिया सम्भव है?
(क) Fe3+ तथाI(aq)
(ख) Ag+ तथा Cu(s)
(ग) Fe3+(aq) तथा Br (aq)
(घ) Ag(s) तथा Fe3+(aq)
(ङ) Br2(aq) तथा Fe2+
उत्तर
(क) सम्भव है- 2Fe3+(aq) + 2I (aq) → 2Fe2+ (aq) + I2(s)
(ख) सम्भव है- Cu (s) + 2Ag+ (aq) Cu2+ (aq) + 2Ag (s)
(ग) सम्भव है- Cu (s) + 2Fe3+(aq) → Cu2+ (aq) + 2Fe2+ (aq)
(घ) सम्भव नहीं है।
(ङ) सम्भव है— Br2 (aq) +2Fe2+(aq) 2Br (aq) + 2Fe3+(aq)

प्रश्न 27.
निम्नलिखित में से प्रत्येक के विद्युत-अपघटन से प्राप्त उत्पादों के नाम बताइए-
(क) सिल्वर इलेक्ट्रोड के साथ AgNO का जलीय विलयन
(ख) प्लैटिनम इलेक्ट्रोड के साथ AgNO का जलीय विलयन
(ग) प्लैटिनम इलेक्ट्रोड के साथ H,SO4 का तनु विलयन ।
(घ) प्लैटिनम इलेक्ट्रोड के साथ CuCl2 का जलीय विलयन।
उत्तर
(क) कैथोड पर Ag प्राप्त होती है। ऐनोड घुलकर Ag+ आयन देगा।
(ख) कैथोड पर Ag, ऐनोड पर O2
(ग) कैथोड पर H2, ऐनोड पर O2
(घ) कैथोड पर Cu, यदि विलयन सान्द्र है तो ऐनोड पर Cl2 अन्यथा O2

प्रश्न 28.
निम्नलिखित धातुओं को उनके लवणों के विलयन में से विस्थापन की क्षमता के क्रम में लिखिए-
Al, Cu, Fe, Mg तथा Zn
उत्तर
Mg > Al> Zn > Fe>Cu

प्रश्न 29.
नीचे दिए गए मानक इलेक्ट्रोड विभवों के आधार पर धातुओं को उनकी बढ़ती अपचायक क्षमता के क्रम में लिखिए-
K+/K= -2.93V, Ag+/Ag= 0.80 V, Hg2+/Hg= 0.79V
Mg2+/Mg = -2.37 V, Cr3+/Cr = -0-74V
उत्तर
Ag < Hg < Cr < Mg < K

प्रश्न 30.
उस गैल्वेनी सेल कों चित्रित कीजिए, जिसमें निम्नलिखित अभिक्रिया होती है
Zn(s) +2Ag+ (aq) → Zn2+ (aq) + 2Ag(s)
अब बताइए कि-
(क) कौन-सा इलेक्ट्रोड ऋण आवेशित है?
(ख) सेल में विद्युत-धारा के वाहक कौन हैं?
(ग) प्रत्येक इलेक्ट्रोड पर होने वाली अभिक्रियाएँ क्या हैं?
उत्तर
Zn (s)|Zn2+ (aq) || Ag+ (aq)| Ag (5)
(क) Zn/ Zn2+ इलेक्ट्रोड ऋण आवेशित है।
(ख) बाह्य परिपथ में वैद्युत धारा के वाहक इलेक्ट्रॉन हैं जिनका प्रवाह Zn इलेक्ट्रोड से Ag इलेक्ट्रोड की ओर होता है।
(ग) ऐनोड पर : Zn (s) → Zn2+ (aq) +2e
कैथोड पर : 2Ag+ (aq) + 2e → 2Ag (s)

परीक्षोपयोगी प्रश्नोत्तर
बहुविकल्पीय प्रश्न

प्रश्न 1.
CHC2 में कार्बन की ऑक्सीकरण संख्या है
(i) 0
(ii) + 2
(iii) -2
(iv) +4
उत्तर
(ii) +2

प्रश्न 2.
NaOCl तथा NaClO3 में क्लोरीन की ऑक्सीकरण संख्या है-
(i) + 1, +2
(ii) +1, +5
(iii) -1, +5
(iv) -1,-5
उत्तर
(ii) +1, +5

प्रश्न 3.
OF2 एवं H2O2 में ऑक्सीजन की ऑक्सीकरण संख्या है
(i) – 2,- 1
(ii) + 2, – 1
(iii) + 2, + 1
(iv) – 2,+ 1
उत्तर
(ii) +2,-1

प्रश्न 4.
S4O2-6 एवं S2O2-8 में S की ऑक्सीकरण संख्या है-
(i) + 2.5,+ 6
(ii) + 2.5,+7
(iii) – 2.5, + 6
(iv) + 2.5,- 6
उत्तर
(ii) + 2.5,+ 7

प्रश्न 5.
CH2O में कार्बन की ऑक्सीकरण संख्या है-
(i) -2
(ii) +2
(iii) 0
(iv) +4
उत्तर
(iii) 0

प्रश्न 6.
CH2Cl2 में कार्बन की ऑक्सीकरण संख्या है-
(i) +2
(ii) +1
(iii) 0
(iv) +4
उत्तर
(iii) 0

प्रश्न 7.
H2S2O8 में s की ऑक्सीकरण संख्या है-
(i) +4
(ii) +5
(iii) +6
(iv) +7
उत्तर
(iii) +6

प्रश्न 8.
ऑक्सीजन की सर्वाधिक ऑक्सीकरण संख्या प्रदर्शित करने वाला यौगिक है
(i) H2O2
(ii) F2O
(iii) Cl2O2-7
(iv) NaOCl
उत्तर
(ii) F2O

प्रश्न 9.
H2SO4, H2SO4 तथा SO2Cl2 में s की ऑक्सीकरण संख्याएँ क्रमशः हैं-
(i) +6, +4, +6
(ii) +6, +6, +4
(iii) +6, -6 +4
(iv) -4, +6, +6
उत्तर
(i) +6, +4, +6

प्रश्न 10.
निम्नलिखित यौगिकों में से किसमें Mn की ऑक्सीकरण संख्या अधिकतम है?-
(i) Mn2O3
(ii) KMnO4
(iii) K2MnO4
(iv) MnO2
उत्तर
(ii) KMnO4

प्रश्न 11.
Mn की ऑक्सीकरण संख्या K2MnO4 तो MSO4 में क्रमशः है-
(i) +7 और 12
(ii) +6 और +2
(iii) + 5 और +2
(iv) +2 और +6
उत्तर
(ii) +6 और +2

प्रश्न 12.
पोटैशियम डाइक्रोमेट में क्रोमियम की ऑपलीकरण संख्या है-
(i) +2
(ii) + 3
(iii) +4
(iv) +6
उत्तर
(iv) + 6

प्रश्न 13.
निम्नलिखित में से किसमें नाइट्रोजन की औसीकरण संख्या भिन्नात्मक है?
(i) N2H4
(ii) Ca3N2
(iii) HN3
(iv) N2F2
उत्तर
(ii) HN3

प्रश्न 14.
एक अभिक्रिया में एक धातु आयन M2+ से दो इलेक्ट्रॉनों के निष्कासित होने के बाद ऑक्सीकरण संख्या हो जाती है-
(i) शून्य
(ii) +2
(iii) +1
(iv) +4
उत्तर
(iv) +4

प्रश्न 15.
क्लोरीन की सर्वाधिक ऑक्सीकरण संख्या प्रदर्शित करने वाला यौगिक है–
(i) ClO2
(ii) Cl2O
(iii) Cl2O7
(iv) NaClO3
उत्तर
(iii) Cl2O7

प्रश्न 16.
Sg, S2F2 और H2S में सल्फर की ऑक्सीकरण संख्या के मान क्रमशः हैं|
(i) + 2, + 1 तथा -2
(ii) -2,-1 तथा + 2
(iii) 0, + 1 तथा + 2
(iv) 0, + 1 तथा – 2
उत्तर
(iv) 0, + 1 तथा – 2

प्रश्न 17.
Cl2 NaOCl तथा ClO3 में Cl की क्रमशः ऑक्सीकरण संख्याओं के मान हैं-
(i) +2, 0, +5
(ii) 0, + 2, +5
(iii) +2, +, +5
(iv) 0, + 1, +5
उत्तर
(iv) 0, +1, +5

प्रश्न 18.
Na2S4O6 की ऑक्सीकरण संख्या है-
(i) + 2
(ii) + 3
(iii) + 15
(iv) + 2.5
उत्तर
(iv) + 2.5

प्रश्न 19.
Ni(CO)4 में Ni की ऑक्सीकरण संख्या है-
(i) 0
(ii) 4
(iii) 8
(iv) 2
उत्तर
(i) 0

प्रश्न 20.
सोडियम नाइट्रोपुसाइड में आयरन (Fe) की ऑक्सीकरण संख्या है-
(i) +3
(ii) +2
(iii) +4
(iv) 0
उत्तर
(ii) +2

प्रश्न 21.
निम्नलिखित में Mn की न्यूनतम ऑक्सीकरण संख्या वाला यौगिक है-
(i) KMnO4
(ii) MnO2
(iii) KaMnO4
(iv) Mn2O3
उत्तर
(iv) Mn2O3

प्रश्न 22.
O3 तथा H2O2में ऑक्सीजन की ऑक्सीकरण संख्या के मान क्रमशः हैं-
(i) 0, -1
(ii) 0, +1
(iii) 0-2
(iv) -2,-1
उत्तर
(i) 0, -1

प्रश्न 23.
निम्न में कौन-सी रेडॉक्स अभिक्रिया है?
(i) AgNO3 + HCl → AgCl + HNO3
(ii) BaO2 + H2SO4 → BaSO4 + H2O2
(iii) SO2 + 2H2S → 2H2O+ 3s
(iv) CaC2O4 +2HCl → CaCl2 + H2C2O4
उत्तर
(iii) SO2 + 2H2S→ 2H2O+ 3s

प्रश्न 24.
निम्नलिखित अभिक्रिया में ऑक्सीकारक है-
2CrO2-2 + 2H+ → Cr2O2-7 + H2O
(i) H+
(ii) CrO2-4
(iii) Cr+3
(iv) इनमें से कोई नहीं
उत्तर
(iv) इनमें से कोई नहीं

प्रश्न 25.
निम्न अभिक्रिया में अपचयित होने वाला पदार्थ है–
2CusO4+ 4KI→ Cu2I2 + 2K2SO4+I2
(i) CuSO4
(ii) KI
(iii) Cu2I2
(iv) I2
उत्तर
(i) CuSO4

प्रश्न 26.
हाइड्रोजन द्वारा अपचयित होने वाला ऑक्साइड है
(i) MnO2
(ii) MgO
(iii) CaO
(iv) CoO
उत्तर
(iv) CoO

प्रश्न 27.
4Fe + 3O2 → 4Fe3+ + 6O2- अभिक्रिया में निम्न में कौन-सा कथन सही नहीं है?
(i) रेडॉक्स अभिक्रिया है।
(ii) Fe अपचायक है।
(iii) Fe का अपचयन Fe3+ में हुआ है।
(iv) ऑक्सीजन का अपचयन हुआ है।
उत्तर
(iii) Fe का अपचयन Fe3+ में हुआ है।

प्रश्न 28.
298 K पर अर्द्ध अभिक्रियाओं के मानक अपचयन विभव हैं
(i) zn2+ +2e → Zn (s); – 0.762
(ii) Cr3++ 3e → Cr (3);- 0.740
(iii) 2H+ +2e → H2 (g);- 0.000
(iv) Fe3+ + e → Fe3+(aq); + 0.770
कौन-सा प्रबलतम अपचायक है।
(i) Zn (s)
(ii) Cr (s)
(iii) H2 (g)
(iv) Fe2+ (aq)
उत्तर
(i) Zn (s)

अतिलघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
रेडॉक्स अभिक्रिया की व्याख्या एक उदाहरण सहित कीजिए।
उत्तर
परमाणु या आयन जिस अभिक्रिया में इलेक्ट्रॉन त्यागता है, उसे ऑक्सीकरण और जिसमें इलेक्ट्रॉन ग्रहण करता है, उसे अपचयन कहते हैं। ऑक्सीकरण तथा अपचयन क्रियाएँ साथ-साथ चलती हैं क्योंकि जब कोई परमाणु या आयन एक इलेक्ट्रॉन त्यागेगा तो उसको ग्रहण करने वाला कोई अन्य परमाणु या आयन ही होगा अर्थात् जब किसी अभिक्रिया में एक पदार्थ का ऑक्सीकरण होता है। तो दूसरे किसी अन्य पदार्थ का अपचयन भी होता है। स्पष्ट है कि ऑक्सीकरण व अपचयन क्रियाएँ साथ-साथ होती हैं। इन ऑक्सीकरण व अपचयन अभिक्रियाओं को सम्मिलित रूप से ऑक्सीकरण-अपचयन अभिक्रिया या रेडॉक्स अभिक्रिया कहते हैं।
उदाहरणार्थ-
2HgCl2 + SnCl2 → Hg2Cl2 + SnCl4
उपर्युक्त अभिक्रिया में HgCl2 का Hg2Cl2 में अपचयन होता है और HgCl2, SnCl2 को SnCl4 में ऑक्सीकृत कर देता है।

प्रश्न 2.
ऑक्सीकरण संख्या के आधार पर ऑक्सीकारक तथा अपचायक की पहचान किस प्रकार की जाती है? एक उदाहरण से स्पष्ट कीजिए।
उत्तर
ऑक्सीकरण संख्या के आधार पर, ऑक्सीकारक वह पदार्थ है जिसकी ऑक्सीकरण संख्या घटती है, जबकि अपचायक पदार्थ की ऑक्सीकरण संख्या बढ़ती है। उदाहरणार्थ-ऑ०सं. प्रति परमणु लिखने पर,
UP Board Solutions for Class 11 Chemistry Chapter 8 Redox Reactionsimg-46
उपर्युक्त अभिक्रिया में SnCl2 में Sn की ऑक्सीकरण संख्या +2 है तथा उत्पाद SnCl4 में +4 है। Sn की ऑक्सीकरण संख्या में वृद्धि हो रही है।
∴ SnCl2 अपचायक है जबकि FeCl3 में Fe की ऑक्सीकरण संख्या +3 व FeCl2 में Fe की ऑक्सीकरण संख्या +2 है, अत: FeCl3 ऑक्सीकारक है।

प्रश्न 3.
निम्नलिखित अभिक्रिया की दो अर्द्ध अभिक्रियाएँ लिखिए। यह भी उल्लेख कीजिए कि कौन-सी अर्द्ध अभिक्रिया ऑक्सीकरण व कौन-सी अपचयन अभिक्रिया है?
SnCl2 + 2HgCl2 → SnCl4 + Hg2Cl2
उत्तर
प्रश्न में उल्लिखित अभिक्रिया को दो अर्द्ध अभिक्रियाओं में निम्नलिखित प्रकार से व्यक्त कर सकते हैं-

  1. SnCl2 + Cl2 → SnCl2 (ऑक्सीकरण अभिक्रिया)
  2. 2HgCl2 → Hg2Cl2 + Cl2 ↑ (अपचयन अभिक्रिया)
    इस अभिक्रिया में HgCl2 में Hg की ऑक्सीकरण संख्या +2 है तथा Hg2Cl2 में Hg की ऑक्सीकरण संख्या 0 है। चूंकि ऑक्सीकरण संख्या में कमी हो रही है, अतः Hg2Cl2 ऑक्सीकारक है|

प्रश्न 4.
कारण सहित बताइए कि निम्नलिखित अभिक्रिया में कौन ऑक्सीकारक तथा कौन अपचायक है?
2KI + Cl2 → 2KCI + I2
उत्तर
UP Board Solutions for Class 11 Chemistry Chapter 8 Redox Reactionsimg-47
चूंकि KI में 1 की ऑक्सीकरण संख्या -1 तथा I2 में 0 है, अर्थात् I की ऑक्सीकरण संख्या में वृद्धि हो रही है, अतः KI अपचायक है। इसके विपरीत, Cl2 में CI की ऑक्सीकरण संख्या 0 है तथा KCI में -1 है। चूंकि ऑक्सीकरण संख्या में कमी हो रही है, अतः Cl2 ऑक्सीकारक है।

प्रश्न-5.
ऑक्सीकरण संख्या को उदाहरण सहित समझाइए।
या
ऑक्सीकरण संख्या पर टिप्पणी लिखिए।
उत्तर
किसी यौगिक या आयन में तत्त्व के एक परमाणु पर स्थित धन या ऋण आवेशों की संख्या उस तत्त्व की ऑक्सीकरण संख्या कहलाती है, जबकि उस अणु या आयन में उपस्थित अन्य परमाणुओं को उनके सम्भावित आयनों के रूप में पृथक् कर दिया जाता है। यह संख्या धनात्मक व ऋणात्मक दोनों प्रकार की हो सकती है। उदाहरणार्थ-NaCl में Na की ऑक्सीकरण संख्या +1 और Cl की ऑक्सीकरण संख्या -1 है, क्योंकि Na पर इकाई धनावेश तथा Cl पर इकाई ऋणावेश है।

प्रश्न 6.
शून्य, -1 तथा +1 ऑक्सीकरण संख्या से क्या तात्पर्य है?
उत्तर
एक यौगिक में किसी तत्त्व की ऑक्सीकरण संख्या शून्य (0) से तात्पर्य है कि तत्त्व के परमाणु पर धन या ऋण आवेश नहीं है अर्थात् परमाणु विद्युत उदासीन है। तत्त्व की ऑक्सीकरण संख्या +1 से तात्पर्य यह है कि तत्त्व के परमाणु पर इकाई धन आवेश है, जिसे उदासीन करने के लिए एक इलेक्ट्रॉन ग्रहण करने की आवश्यकता होती है। तत्त्व की ऑक्सीकरण संख्या -1 से तात्पर्य है कि तत्त्व के ” परमाणु पर इकाई ऋणावेश है, जिसे उदासीन करने के लिए एक इलेक्ट्रॉन त्यागने की आवश्यकता होती है।

प्रश्न 7.
ब्लू परक्रोमेट में Cr की ऑ०सं० ज्ञात कीजिए।
उत्तर
ब्लू परक्रोमेट की संरचना
UP Board Solutions for Class 11 Chemistry Chapter 8 Redox Reactionsimg-48
UP Board Solutions for Class 11 Chemistry Chapter 8 Redox Reactionsimg-49

प्रश्न 8.
सम्बन्धित तत्त्वों की ऑक्सीकरण संख्या ज्ञात कीजिए
(i) KMnO4 में Mn की
(ii) ClO3में Cl की
(iii) NaOCl में Cr की
(iv) H2S2O6 में S की
(v) Cl2 में Cl की
उत्तर
UP Board Solutions for Class 11 Chemistry Chapter 8 Redox Reactionsimg-50

प्रश्न 9.
निम्नलिखित यौगिकों में s (सल्फर) की ऑक्सीकरण संख्या बताइए-
(i) Na2S4O6,
(ii) SO2Cl2
उत्तर
(i) Na2S4O6-माना S की ऑक्सीकरण संख्या x है। अत:
UP Board Solutions for Class 11 Chemistry Chapter 8 Redox Reactionsimg-51
(ii) SO2Cl2-माना S की ऑक्सीकरण संख्या x है। अत:
UP Board Solutions for Class 11 Chemistry Chapter 8 Redox Reactionsimg-52

प्रश्न 10.
K2FeO4 में Fe तथा NH4 में N की ऑक्सीकरण संख्या ज्ञात कीजिए।
उत्तर
UP Board Solutions for Class 11 Chemistry Chapter 8 Redox Reactionsimg-53

प्रश्न 11.
I—Cl में ci तथा H—H में H की ऑक्सीकरण संख्या ज्ञात कीजिए। कारण भी दीजिए।
उत्तर
I—Cl में Cl की ऑक्सीकरण संख्या -1 होगी; क्योंकि Cl की विद्युत ऋणात्मकता I से अधिक है, जबकि H—H में H की ऑक्सीकरण संख्या शून्य होगी क्योंकि समान परमाणु वाले यौगिक के अणुओं में तत्त्वों के परमाणु की ऑक्सीकरण संख्या शून्य होती है।

प्रश्न 12.
S8 अणु में s की संयोजकता तथा ऑक्सीकरण संख्या क्या है?
उत्तर
S8 में S की संयोजकता 2 है, जबकि ऑक्सीकरण संख्या शून्य है।

प्रश्न 13.
निम्नलिखित समीकरण को सन्तुलित एवं पूर्ण कीजिए-
SO2+ MnO4+…… → SO2-4 + Mn2+ +…..
उत्तर
UP Board Solutions for Class 11 Chemistry Chapter 8 Redox Reactionsimg-54

प्रश्न 14.
आयनिक समीकरण Br2 + OH → Br + BrO3 + H2O को सन्तुलित कीजिए तथा ऑक्सीकारक और अपचायक बताइए।
उत्तर
दी गई आयनिक अभिक्रिया समीकरण को अर्द्ध अभिक्रिया समीकरण के रूप में लिखने पर,

Br2 → Br …(i)
Br2 → BrO3 …(ii)

समी० (i) से,
[Br2 +2e → 2Br]x 5
UP Board Solutions for Class 11 Chemistry Chapter 8 Redox Reactionsimg-55

प्रश्न 15.
(i) Cl2O7 में Cl की ऑक्सीकरण संख्या की गणना कीजिए।
(ii) 2FeCl3 + H2S → 2FeCl2 + 2HCI+S इस अभिक्रिया में ऑक्सीकारक और
अपचायक का नाम लिखिए।
उत्तर
UP Board Solutions for Class 11 Chemistry Chapter 8 Redox Reactionsimg-56

प्रश्न 16.
निम्न में से किसमें Mn की ऑक्सीकरण संख्या सबसे अधिक है और क्यों?
Mn2O3, MnO2, Mno, K2MnO4
उत्तर
K2MnO4 में Mn की ऑक्सीकरण संख्या सबसे अधिक (+6) है, क्योंकि इसमें ऑक्सीजन परमाणुओं का आपेक्षिक अनुपात बाकी अणुओं से अधिक है।

प्रश्न 17.
निम्नलिखित समीकरण को सन्तुलित कीजिए।
Fe2+ + NO3 + H+ —> Fe2 + …. + H2O
उत्तर
UP Board Solutions for Class 11 Chemistry Chapter 8 Redox Reactionsimg-57

प्रश्न 18.
विद्युत रासायनिक श्रेणी के आधार पर F, CI, Br तथा I की ऑक्सीकारक क्षमता को समझाइए।
या
कारण देते हुए समझाइए कि हैलोजन ऑक्सीकारक के रूप में क्यों कार्य करते हैं?
उत्तर
हैलोजनों की ऑक्सीकारक क्षमता उनके इलेक्ट्रॉन ग्रहण करने की प्रवृत्ति पर निर्भर करती है। जिस हैलोजन की इलेक्ट्रॉन ग्रहण करने की प्रवृत्ति अधिक होती है वह अधिक प्रबल ऑक्सीकारक होता है। अधिक प्रबल ऑक्सीकारक के रेडॉक्स युग्म का मानक अपचयन विभव अधिक धनात्मक होता है। हैलोजनों (X2) की ऑक्सीकारक क्षमता उनके रेडॉक्स युग्मों (X2/X) के मानक अपचयन विभवों के मान बढ़ने के क्रम में बढ़ती है।
UP Board Solutions for Class 11 Chemistry Chapter 8 Redox Reactionsimg-58

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
इलेक्ट्रॉनिक सिद्धान्त के आधार पर ऑक्सीकरण-अपचयन अभिक्रिया को उदाहरण देकर समझाइए।
उत्तर
ऑक्सीकरण—किसी परमाणु, अणु या आयन के इलेक्ट्रॉनों का पृथक् होना ऑक्सीकरण कहलाता है। इसके फलस्वरूप धनात्मक संयोजकता बढ़ती है तथा ऋणात्मक संयोजकता घटती है जो कि त्यागे गये इलेक्ट्रॉन संख्या के बराबर होती है। चूंकि इस क्रिया में इलेक्ट्रॉन त्यागे जाते हैं अत: इसे इलेक्ट्रॉन वियोजन भी कहते हैं।
उदाहरणार्थ–
(i)
Fe2+ → Fe3+ +e (धनात्मक संयोजकता का बढ़ना)
(ii) 2Cl → Cl2 + 2e (ऋणात्मक संयोजकता का घटना)
अपचयन-किसी परमाणु, अणु या आयन से इलेक्ट्रॉनों का जुड़ना अपचयन कहलाता है। इसके फलस्वरूप धनात्मक संयोजकता घटती है तथा ऋणात्मक संयोजकता बढ़ती है जो कि ग्रहण किये गये इलेक्ट्रॉन संख्या के बराबर होती है। चूंकि इस विभव में इलेक्ट्रॉन ग्रहण किये जाते हैं अतः इसे इलेक्ट्रॉनीकरण भी कहते हैं।
उदाहरणार्थ- (i) Fe3+ + e → Fe2+ (धनात्मक संयोजकता का घटना)
(iii) Cl2 +2e → 2Cl (ऋणात्मक संयोजकता का बढ़ना)

प्रश्न 2.
ऑक्सीकरण संख्या तथा संयोजकता में क्या अन्तर है? उदाहरण देकर समझाइए।
उत्तर

  1. किसी तत्त्व की संयोजकता उसके एक परमाणु द्वारा स्थानान्तरित या साझे में प्रयुक्त इलेक्ट्रॉनों की संख्या को कहते हैं, जबकि किसी तत्त्व की ऑक्सीकरण संख्या उसे तत्त्व के किसी यौगिक में उसके एक परमाणु पर उपस्थित आवेश को कहते हैं।
  2. किसी तत्त्व की संयोजकता सदैव पूर्णाक होती है, जबकि किसी तत्त्व की ऑक्सीकरण संख्या भिन्नात्मक भी हो सकती है।

प्रश्न 3.
निम्नलिखित समीकरण को ऑक्सीकरण संख्या के आधार पर सन्तुलित कीजिए। सूत्रों के ऊपर सम्बन्धित तत्त्व की ऑक्सीकरण संख्या प्रदर्शित है।
UP Board Solutions for Class 11 Chemistry Chapter 8 Redox Reactionsimg-59
उत्तर
इस अभिक्रिया में कॉपर और नाइट्रोजन की ऑक्सीकरण संख्या में परिवर्तन हुआ है।
कॉपर की ऑक्सीकरण संख्या में वृद्धि = 2 यूनिट प्रति परमाणु Cu
नाइट्रोजन की ऑक्सीकरण संख्या में कमी = 1 यूनिट प्रति अणु HNO3 सन्तुलित समीकरण में ऑक्सीकरण संख्या में हुई कुल वृद्धि और कुल कमी दोनों का बराबर होना
आवश्यक है, अत: समीकरण में HNO3 को 2 से तथा Cu को 1 से गुणा करना आवश्यक है। ऐसा करने पर निम्नलिखित समीकरण प्राप्त होती है
Cu+2HNO3 →Cu(NO3)2 + 2NO2 + H2O
Cu(NO3)2 में एक कॉपर परमाणु से दो नाइट्रेट मूलक संयुक्त हैं, अत: समीकरण को सन्तुलित करने के लिए HNO3 के दो और अणुओं की आवश्यकता पड़ेगी तथा हाइड्रोजन और ऑक्सीजन परमाणुओं की संख्या सन्तुलित करने के लिए H2O अणु को 2 से गुणा करना आवश्यक है।
Cu+4HNO3 →Cu(NO3)2 + 2NO2 + 2H2O यह समीकरण सन्तुलित है।

प्रश्न 4.
निम्नलिखित अभिक्रिया को ऑक्सीकरण अंक विधि द्वारा पूर्ण एवं संतुलित कीजिए
I2 + HNO3 → NO2 + HIO3
उत्तर
UP Board Solutions for Class 11 Chemistry Chapter 8 Redox Reactionsimg-60

प्रश्न 5.
निम्नलिखित अभिक्रिया को सन्तुलित कीजिए-
Zn + HNO3 → Zn(NO3)2 + NO2 + H2O
उत्तर
UP Board Solutions for Class 11 Chemistry Chapter 8 Redox Reactionsimg-61

प्रश्न 6.
आयन-इलेक्ट्रॉन विधि द्वारा अम्लीय माध्यम में निम्न अभिक्रिया की समीकरण सन्तुलित कीजिए
MnO4 + Fe2+ → Fe3+ + Mn2+ + H2O
उत्तर
सर्वप्रथम समीकरण के ऑक्सीकारकों तथा अपचायकों की अर्द्ध-अभिक्रियाएँ पृथक्-पृथक् सन्तुलित की जाती हैं; जैसे-
प्रथम अर्द्ध-अभिक्रिया।

MnO4 → Mn2- (अपचयन)

ऑक्सीजन सन्तुलित करने के लिए 4H2O दाईं तरफ जोड़े जाते हैं। अतः

MnO4 → Mn2+ +4H2O

फिर हाइड्रोजन सन्तुलित करने के लिए 8H+ बाईं तरफ जोड़े जाते हैं। अत:

MnO4 + 8H+ → Mn2+ +4H2O

अब समीकरण में दोनों तरफ आवेश सन्तुलित करने के लिए 5e बाईं तरफ जोड़ने पर निम्नलिखित समीकरण मिलती है-

MnO4 +8H+ +5e → Mn2+ +4H2O …..(i)

दूसरी अर्द्ध-अभिक्रिया

Fe2+ → Fe3+ (ऑक्सीकरण)

आवेश सन्तुलित करने के लिए दाईं तरफ le जोड़ने पर,

Fe2+ → Fe3+ +e …(ii)

अब समीकरण (ii) में 5 की गुणा करके, इसे समीकरण (i) में जोड़ने पर निम्नलिखित समीकरण प्राप्त होती है-

MnO4 + 8H+ + 5Fe2+ +5e → 5Fe3+ + Mn2+ +4H2O+ 5e

इस समीकरण में दोनों तरफ से 5e2 कट जाते हैं। अतः

MnO4 + 8H+ + 5Fe2+ → 5Fe3+ + Mn2+ +4H2O

यही सन्तुलित समीकरण है।

प्रश्न 7.
निम्नलिखित रासायनिक अभिक्रिया की समीकरण को आयन-इलेक्ट्रॉन विधि से सन्तुलित कीजिए-
K2Cr2O7 + H2SO4 + FeSO4→ Fe2(SO4)3 + Cr2(SO4)3+ K2SO4 + H2O
उत्तर
UP Board Solutions for Class 11 Chemistry Chapter 8 Redox Reactionsimg-62
UP Board Solutions for Class 11 Chemistry Chapter 8 Redox Reactionsimg-63

विस्तृत उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
ऑक्सीकरण संख्या को निर्धारित करने के नियम लिखिए।
उत्तर
ऑक्सीकरण संख्या को निर्धारित करने के नियम किसी यौगिक/आयन में किसी तत्त्व की ऑक्सीकरण संख्या का मान जानने के लिए कुछ नियम बनाए गए हैं। ये नियम निम्नवत् हैं-

  1. स्वतन्त्र अथवा तात्त्विक अवस्था में उपस्थित किसी तत्त्व के प्रत्येक परमाणु की ऑक्सीकरण संख्या सदैव शून्य होती है।
    उदाहरणार्थ- He, H2, O2, Cl2, O3, P4, S8, Na, Mg तथा Al में प्रत्येक परमाणु की ऑक्सीकरण संख्या शून्य है।
  2. किसी तत्त्व के अपररूपों की ऑक्सीकरण संख्या शून्य होती है। उदाहरणार्थ-C के अपररूप हीरा तथा ग्रेफाइट दोनों की ऑक्सीकरण संख्या शून्य होती है।
  3. किसी एकपरमाणुक आयन (monoatomic ion) की ऑक्सीकरण संख्या उस पर उपस्थित आवेश के बराबर होती है। उदाहरणार्थ-Na+, Mg2+, Fe3+, Cl2,O2- आयनों की ऑक्सीकरण संख्याएँ क्रमशः 1, 2, 3, -1 तथा -2 हैं।
  4. अधातुओं के साथ यौगिकों में हाइड्रोजन की ऑक्सीकरण संख्या +1 होती है। धात्विक हाइड्राइडों | (जैसे-NaH,MgH2, LiH, CaH2 आदि) में हाइड्रोजन की ऑक्सीकरण संख्या -1 होती है।
  5. अधिकांश यौगिकों में ऑक्सीजन की ऑक्सीकरण संख्या -2 होती है। परॉक्साइडों (जैसे H2O2, BaO2 आदि) में ऑक्सीजन की ऑक्सीकरण संख्या -1 होती है। सुपर ऑक्साइडों (जैसे-KO2, RbO2 आदि) में प्रत्येक ऑक्सीजन परमाणु के लिए ऑक्सीकरण संख्या -92 निर्धारित की गई है। एक अन्य अपवादस्वरूप ऑक्सीजन डाइफ्लुओराइड (OF2) तथा डाइऑक्सीजन डाइफ्लुओराइड (O2F2) जैसे यौगिकों में ऑक्सीजन की ऑक्सीकरण संख्या
    क्रमशः +2 तथा +1 है।
  6. सभी क्षार धातुओं की अनेक यौगिकों में ऑक्सीकरण संख्या +1 होती है तथा सभी क्षारीय मृदा धातुओं की ऑक्सीकरण संख्या +2 होती है। ऐलुमिनियम की उसके यौगिकों में ऑक्सीकरण संख्या सामान्यतः +3 होती है।
  7. सभी यौगिकों में फ्लुओरीन की ऑक्सीकरण संख्या -1 होती है। यौगिकों में क्लोरीन, ब्रोमीन तथा आयोडीन की ऑक्सीकरण संख्या साधारणत: -1 होती है, परन्तु जिन यौगिकों में ये तत्त्व ऑक्सीजन से जुड़े होते हैं उन यौगिकों में इन तत्वों की ऑक्सीकरण संख्या कोई धनात्मक संख्या होती है।
  8. दो अधातु परमाणुओं वाले यौगिकों में अधिक विद्युत ऋणात्मक तत्त्व के परमाणु की ऑक्सीकरण संख्या ऋणात्मक होती हैं जबकि कम विद्युत ऋणात्मक तत्त्व के परमाणु की ऑक्सीकरण संख्या धनात्मक होती है। उदाहरणार्थ-NH2 तथा NI2 में N कम विद्युत ऋणात्मक परमाणु से जुड़ा है इसीलिए इसको -3 ऑक्सीकरण संख्या दी जाती है, परन्तु जब यह NF2 में अधिक विद्युत ऋणात्मक परमाणु से जुड़ा होता है, तब इसे +3 ऑक्सीकरण संख्या दी जाती है।
  9. उदासीन यौगिकों में सभी परमाणुओं की ऑक्सीकरण संख्याओं का बीजीय योग शून्य होता है। उदाहरणार्थ-CH4 में सभी परमाणुओं का बीजीय योग शून्य है।
  10. जटिल तथा बहुपरमाणुक आयनों में, आयन के सभी परमाणुओं की ऑक्सीकरण संख्याओं का बीजीय योग आयन पर उपस्थित आवेश के बराबर होता है।

धात्विक तत्त्वों की ऑक्सीकरण संख्या धनात्मक होती है तथा अधात्विक तत्त्वों की ऑक्सीकरण संख्या धनात्मक या ऋणात्मक होती है। संक्रमण धातु तत्त्व अनेक धनात्मक ऑक्सीकरण संख्या दर्शाते। हैं। -ब्लॉक के तत्त्वों के लिए उनकी उच्चतम धनात्मक ऑक्सीकरण संख्या उनकी वर्ग संख्या के बराबर होती है। 2-ब्लॉक के तत्त्वों (उत्कृष्ट गैसों को छोड़कर) के लिए उच्चतम धनात्मक ऑक्सीकरण संख्या उनकी वर्ग संख्या में से 10 घटाकर प्राप्त की जाती है। यद्यपि p-ब्लॉक के तत्त्वों के लिए उच्चतम ऋणात्मक ऑक्सीकरण संख्या 8 में से संयोजी कोश में उपस्थित इलेक्ट्रॉनों की संख्या घटाकर प्राप्त की जा सकती है। इसका अर्थ है कि आवर्त सारणी के किसी आवर्त में उच्चतम धनात्मक ऑक्सीकरण संख्या सामान्यत: बढ़ती है। आवर्त सारणी के तीसरे आवर्त में ऑक्सीकरण संख्या +1 से +7 तक बढ़ती है।

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UP Board Solutions for Class 11 Geography: Practical Work in Geography Chapter 7 Introduction to Remote Sensing

UP Board Solutions for Class 11 Geography: Practical Work in Geography Chapter 7 Introduction to Remote Sensing (सुदूर संवेदन का परिचय)

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पाठ्य-पुस्तक के प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1. दिए गए चार विकल्पों में सही उत्तर का चुनाव करें
(i) धरातलीय लक्ष्यों का सुदूर संवेदन विभिन्न साधनों के माध्यम से किया जाता है; जैसे
(क) ABC
(ख) BCA
(ग) CAB
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर-(ख) BCA.

(ii) निम्नलिखित में से कौन-से विद्युत चुम्बकीय विकिरण क्षेत्र का प्रयोग उपग्रह सुदूर संवेदन में नहीं होता है?
(क) सूक्ष्म तरंग क्षेत्र
(ख) अवरक्त क्षेत्र
(ग) एक्स-रे क्षेत्र
(घ) दृश्य क्षेत्र
उत्तर-(ग) एक्स-रे क्षेत्र।

(iii) चाक्षुष व्याख्या तकनीक में निम्न में से किस विधि का प्रयोग नहीं किया जाता है?
(क) धरातलीय लक्ष्यों की स्थानीय व्यवस्था
(ख) प्रतिबिम्ब के रंग परिवर्तन की आवृत्ति
(ग) लक्ष्यों को अन्य लक्ष्यों के सन्दर्भ में
(घ) आंकिक बिम्ब प्रक्रमण
उत्तर-(घ) आंकिक बिम्ब प्रक्रमण।

प्रश्न 2. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 30 शब्दों में दें
(i) सुदूर संवेदन अन्य पारम्परिक विधियों से बेहतर तकनीक क्यों है?
उत्तर–सुदूर संवेदन युक्तियाँ ऊर्जा के वृहत्तर परिसर तथा विकिरण, परावर्तित, उत्सर्जित, अवशोषित तथा पारगत ऊर्जा पर आधारित हैं। इस पद्धति द्वारा निर्मित चित्र वस्तुस्थिति एवं भौगोलिक सामग्री का सटीक प्रदर्शन करते हैं, जबकि परम्परागत विधियाँ अनुमानों, आकलनों तथा गणितीय गणनाओं पर आधारित होती हैं जिसमें वस्तुस्थिति और क्षेत्रीय सामग्री का विशुद्ध प्रदर्शन असम्भव है, इसलिए सुदूर संवेदन को अन्य । पारस्परिक विधियों से अधिक श्रेष्ठ तकनीक माना जाता है।

(ii) आई० आर०एस० व इंसेट क्रम के उपग्रहों में अन्तर स्पष्ट करें।
उत्तर-आई०आर०एस० ( भारतीय सुदूर संवेदन) उपग्रह इस उद्देश्य को ध्यान में रखकर प्रक्षेपित किए गए हैं कि इनका उपयोग भू-संसाधन, सर्वेक्षण और प्रबन्धन तथा दूरसंचार में प्रगति हेतु किया जा सके, जबकि इंसेट क्रम के उपग्रहों के माध्यम से टीवी प्रसारण, दूरसंचार, मौसम विज्ञान, जल विज्ञान तथा समुद्र विज्ञान सम्बन्धी सूचनाएँ प्राप्त हो सकें। इन दोनों प्रकार के उपग्रहों में विशेषतागत अन्तर निम्नांकित तालिका के माध्यम से भी देखा जा सकता है।

तालिका 7.1: आई०आर०एस० व इंसेट क्रम के उपग्रहों में अन्तर

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(iii) पुशबूम क्रमवीक्षक की कार्यप्रणाली का संक्षेप में वर्णन करें।
उत्तर-पुशबूम क्रमवीक्षक बहुत सारे संसूचकों पर आधारित होता है, जिसमें क्षैतिज अक्ष पर घूर्णन करने वाले दर्पण की जगह एक लेंस लगा रहता है जो उड़ान मार्ग के समानान्तर सम्पूर्ण रेखीय जाल के आधार पर धरातल का संवेदन करता है। अत: इसकी कार्यप्रणाली बहुत सारे संसूचकों पर आधारित है, जिनकी संख्या विभेदन के कार्यक्षेत्र को क्षेत्रीय विभेदन से विभाजित करने से प्राप्त संख्या के समान होती है (चित्र 7.2)।
नोट-अधिक स्पष्टता के लिए बॉक्स 7.1 में दिए गए उदाहरण का अवलोकन करें।
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बॉक्स 7.1

उदाहरण के लिए, फ्रांस के सुदूर संवेदन उपग्रह स्पॉट (SPOT) में लगे हुए उच्च विभेदन दृश्य विकिरणमापी संवेदन का कार्यक्षेत्र 60 किमी है तथा उसका क्षेत्रीय विभेदन 20 मीटर है। अगर हम 60 किलोमीटर अथवा 60,000 मीटर को 20 मीटर से विभाजित करें तो हमें 3,000 का आँकड़ा प्राप्त होगा अर्थात् SPOT में लगे HRV-I संवेदक में 3,000 संसूचक लगाए गए हैं। पुशबूम स्कैनर में सभी डिटेक्टर पंक्ति में क्रमबद्ध होते हैं और प्रत्येक डिटेक्टर पृथ्वी के ऊपर अधोबिन्दु दृश्य पर 20 मीटर के आयाम वाली परावर्तित ऊर्जा का संग्रहण करते हैं (चित्र 7.2)।

प्रश्न 3. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 125 शब्दों में दें|
(i) विस्क-ब्रूम क्रमवीक्षक की कार्यविधि का चित्र की सहायता से वर्णन करें तथा यह भी बताएँ कि यह पुशबूम क्रमवीक्षक से कैसे भिन्न है?
उत्तर-क्रमवीक्षक (Scanner) सुदूर संवेदन उपग्रहों में संवेदन के रूप में कार्य करने वाले उपकरण हैं। ये क्रमवीक्षण (मशीन से संचालित दर्पण) हैं जो दृश्य क्षेत्र पर दृष्टि दौड़ते ही वस्तुओं को चित्रित कर लेते हैं। ये दो प्रकार के होते हैं–(i) विस्क-बूम क्रमेवीक्षक (Cross Track Scanner), जिसमें घूमने वाला दर्पण व एकमात्र संसूचक स्पेक्ट्रम लगा होता है। (i) पुशबूम क्रमवीक्षक (Along Track Scanner), जिसमें क्षैतिज अक्ष पर घूर्णन करने वाले दर्पण के स्थान पर लेंस लगा रहता है तथा बहुत सारे संसूचकों द्वारा उड़ान मार्ग के समान्तर सम्पूर्ण रेखीय जाल के आधार पर धरातल का संवेदन करता है।
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विस्क-ब्रूम क्रमवीक्षक में एक घूमने वाला दर्पण व एकमात्र संसूचक लगा होता है। इसका दर्पण इस प्रकार से विन्यासित होता है कि जब यह एक चक्कर पूरा करता है तो संसूचक स्पेक्ट्रम के दृश्य एवं अवरक्त क्षेत्रों में बहुत सारे सँकेरे स्पेक्ट्रमी बैंडों में प्रतिबिम्ब प्राप्त करते हुए दृश्य क्षेत्र में 90° से 120° के मध्य भाग को कवर करता है। संवेदक का यह पूरा क्षेत्र, जहाँ तक वह पहुँच सकता है, उसे स्कैनर का कुल दृश्य क्षेत्र कहा जाता है। पूरे क्षेत्र के क्रमवीक्षण के लिए संवेदक का प्रकाशयुक्त भाग एक निश्चित आयाम का होता है, जिसे तात्कालिक दृश्य क्षेत्र कहा जाता है। चित्र 7.3 में विस्क-ब्रूम स्कैनर की प्रक्रिया को दर्शाया गया है। अत: यह पुशबूम स्कैनर से इस रूप में भिन्न है कि इसमें क्षैतिज अक्ष पर घूर्णन करने वाले दर्पण पर लगे टेलिस्कोप की सहायता से धरातल के दृश्य संवेदक पर अंकित होते हैं जबकि पुशबूम में यह कार्य लेंस और बहुत सारे संसूचकों द्वारा पूरा होता है।

(ii) चित्र 7.9 (पाठ्य-पुस्तक भूगोल में प्रयोगात्मक कार्य) में हिमालय क्षेत्र की वनस्पति आवरण में बदलाव को पहचानें व सूचीबद्ध करें।
उत्तर-चित्र (पाठ्य-पुस्तक चित्र-7.9, पृष्ठ 105) में भारतीय सुदूर संवेदन उपग्रह द्वारा प्राप्त हिमालय तथा उत्तरी मैदान का है। इसमें बाएँ चित्र में मई एवं दाएँ चित्र में नवम्बर माह की परिवर्तित वनस्पति और अन्य भौगोलिक विशेषताओं को प्रदर्शित किया गया है।

ये प्रतिबिम्ब वनस्पति के प्रकार में अन्तर को दर्शाते हैं। मई के प्रतिबिम्ब में चित्र में दिखाई दे रहे लाल धब्बे शंकुधारी वन दर्शाते हैं। नवम्बर के प्रतिबिम्ब में दिखाई दे रहे अतिरिक्त लाल धब्बे पर्णपाती वने दर्शाते हैं तथा हल्का लाल रंग फसल को दर्शाता है।

परीक्षोपयोगी प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1. सुदूर संवेदन तकनीकी से आप क्या समझते हैं? इस तकनीकी से आँकड़े प्राप्त करने की प्रक्रिया का सचित्र वर्णन कीजिए।
उत्तर-सुदूर संवेदन तकनीकी एक सूचना संग्रहण तकनीक है। इसके लिए विद्युत प्रकाशित यन्त्रों का प्रयोग किया जाता है। इसमें सबसे अधिक प्रयोग में आने वाली विधि विद्युत चुम्बकीय विकिरण के संवेदन पर आधारित है जो वस्तुओं से निरन्तर परावर्तित होती है। अत: वस्तुओं को स्पर्श किए बिना दूर से ही उनके विषय में सूचनाएँ एकत्र करने के विज्ञान को सुदूर संवेदन कहते हैं।

सुदूर संवेदन स्तर

चित्र 7.4 में उस प्रक्रिया को स्पष्ट किया गया है जो सुदूर संवेदन आँकड़ों को प्राप्त करने में प्रयुक्त होती है। इस प्रक्रिया के निम्नलिखित स्तर या अवस्थाएँ हैं
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  1. ऊर्जा का स्रोत,
  2. स्रोत से पृथ्वी तक ऊर्जा का स्थानान्तरण,
  3. पृथ्वी के धरातल के साथ ऊर्जा की अन्योन्य क्रिया,
  4. परावर्तित/उत्सर्जित ऊर्जा का वायुमण्डल से प्रवर्धन,
  5. परावर्तित/उत्सर्जित ऊर्जा का संवेदन द्वारा अभिसूचन,
  6. प्राप्त ऊर्जा का फोटोग्राफी/अंकीय आँकड़ों के रूप में अभिसरण,
  7. आँकड़ा उत्पाद से विषयानुरूप सूचना को निकालना,
  8. मानचित्र एवं सारणी के रूप में आँकड़ों एवं सूचनाओं का अभिसारण।

सुदूर संवेदन तकनीकी में ऊर्जा का सबसे महत्त्वपूर्ण स्रोत सूर्य है। सूर्य से ऊर्जा तरंगो के रूप में विस्तारित होकर प्रकाशगति (3,00,000 किमी/सेकण्ड की दर से) पृथ्वी के धरातल तक पहुंचती है। इसी ऊर्जा संचरण को विद्युत चुम्बकीय विकिरण कहा जाता है। सुदूर संवेदन में दृश्य ऊर्जा क्षेत्र, अवरक्त क्षेत्र व सूक्ष्म तरंग क्षेत्र सबसे अधिक उपयोगी है।

संचारित ऊर्जा भूतल पर उपस्थित वस्तुओं के साथ अन्योन्य क्रिया करती है। इससे वस्तुओ द्वारा ऊर्जा का अवशोषण, प्रेषण, परावर्तन व उत्सर्जन होता है। अन्ततः तैयार ऊर्जा पृथ्वी के तत्वों को प्रभावित करती है। इससे ऊर्जा का शोषण, स्थानान्तरण और परावर्तन होता है।

सुदूर संवेदन तकनीकी में प्रयुक्त संवेदक ऊर्जा का अभिलेख (रिकॉर्ड) रखते हैं और विकिरण विद्युतीकरण से डिजिटल इमेज में परावर्तित करते हैं। पृथ्वी पर डाडा इमेज प्राप्त हो जाने के बाद गलतियों का सुधार किया जाता है तथा सूचनाओं को इकाई में परिवर्तित कर मानचित्र प्राप्त किए जाते हैं।
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प्रश्न 2. संवेदक क्या है? संवेदन विभेदन के प्रकार बताइए।
उत्तर-संवेदक संवेदक वह उपकरण/युक्ति है जो विद्युत-चुम्बकीय विकिरण ऊर्जा को एकत्रित करते हैं, उन्हें संकेतकों में बदलते हैं तथा उपयुक्त आकारों में प्रस्तुत करते हैं। आँकड़ा उत्पाद के आधार पर संवेदक दो प्रकारे के होते हैं

  • फोटोग्राफी संवेदक (कैमरा) तथा
  • आंकिक संवेदक (स्कैनर)।

फोटोग्राफी संवेदक (कैमरा) किसी भी लक्ष्य बिन्दुओं को एक क्षण में अभिलेखित कर लेता है, जबकि आंकिक संवेदक लक्ष्य के प्रतिबिम्ब को पंक्ति-दर-पंक्ति अभिलेखित करता है। सुदूर संवेदन उपग्रहों में आंकिक संवेदक का ही प्रयोग अधिक किया जाता है।

संवेदन विभेदन

सुदूर संवेदक धरातलीय (Spatial), वर्णक्रमीय (Spectral) तथा विकिरणमितीय विभेदनयुक्त होते हैं, जो विभिन्न धरातलीय अवस्थाओं से सम्बन्धित उपयोगी जानकारी प्रदान करते हैं

1. धरातलीय विभेदन-धरातलीय विभेदन भू-पृष्ठ पर दो साथ-साथ स्थित परन्तु भिन्न वस्तुओं को पहचानने की संवेदक क्षमता से सम्बन्धित है। यह एक नियम है कि धरातलीय विभेदन बढ़ने के साथ भू-पृष्ठ की छोटी-से-छोटी चीज को पहचानना व स्पष्ट रूप से देखा जाना सम्भव हो सकता है। हमारी आँखों पर लगने वाला चश्मा इसी कार्य को करता है तभी हम चश्मे के प्रयोग से पुस्तक में लिखे अक्षरों को स्पष्ट रूप से पढ़ते हैं।

2. वर्णक्रमीय स्पेक्ट्रम विभेदन-यह विद्युत चुम्बकीय स्पेक्ट्रम के विभिन्न ऊर्जा क्षेत्रों (बैंड) में संवेदक के अभिलेखन की क्षमता से सम्बन्धित है। जिस प्रकार तरंगों के प्रकीर्णने से इन्द्रधनुष बनता है या हम प्रयोगशाला में प्रिज्म का प्रयोग करते हैं, उसी सिद्धान्त के विस्तृत प्रयोग से हम इन मल्टीस्पेक्ट्रल प्रतिबिम्बों को प्राप्त करते हैं।

3. रेडियोमीटिक विभेदन-विकिरणमितीय या रेडियोमीट्रिक विभेदन संवेदक की दो भिन्न लक्ष्यों की भिन्नता को पहचानने सम्बन्धित है। जितना रेडियोमीट्रिक विभेदन अधिक होगा, विकिरण अन्तर उतना ही कम होगा। इससे दो लक्ष्य क्षेत्रों के मध्य अन्तर को जाना जा सकता है।

प्रश्न 3. अंकीय प्रतिबिम्ब से आप क्या समझते हैं?
उत्तर-अंकीय प्रतिबिम्ब अलग-अलग पिक्चर तत्त्वों के मेल से बनते हैं। इन्हें पिक्सल (Pixels) कहा जाता है। इमेज में हर पिक्सल का एक अंकीय मान होता है जो धरातल के द्विविमीय-बिम्ब को इंगित करता है। अंकीय मान को अंकीय नम्बर (DN) कहा जाता है। एक डिजिटल नम्बर एक पिक्सल के विकिरण माने का औसत होता है। यह मान संवेदक द्वारा विद्युत-चुम्बकीय ऊर्जा पर आधारित है। इसकी गहनता का स्तर इसके प्रसार (Range) को व्यक्त करता है (चित्र 7.6)।
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प्रश्न 4. प्रतिबिम्ब (Image) में प्रदर्शित तथ्यों की पहचान किस प्रकार की जाती है? समझाइए।
उत्तर-सामान्यत: प्रतिबिम्ब में प्रदर्शित तथ्यों की पहचान और उनका विभेदन दो विधियों पर आधारित है

  • कम्प्यूटर-आधारित सॉफ्टवेयर द्वारा DN मूल्य (0-255)।
  • प्रतिबिम्ब और उससे सम्बन्धित मानचित्र में तुलना करके।

प्रतिबिम्ब और उससे सम्बन्धित मानचित्र में अंकित तत्त्वों के वितरण और स्थिति निर्धारण की प्रक्रिया तुलनात्मक अध्ययन द्वारा पूरी की जाती है। केवल प्रतिबिम्ब को देखकर विभिन्न प्राकृतिक तथा मालवीय तथ्यों की पहचान निम्न प्रकार की जा सकती है
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मौखिक परीक्षा के लिए प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1. उपग्रह चित्रों की व्याख्या के प्रमुख तत्त्वों के नाम लिखिए।
उत्तर-उपग्रह चित्रों की व्याख्या के तत्त्व हैं-आकार, आकृति, छाया, आभा, रंग, बनावट, प्रतिरूप, सम्बन्धित तत्त्व।

प्रश्न 2. इमेजरी क्या है?
उत्तर-सुदूर संवेदन तकनीकी से प्राप्त प्रतिबिम्ब।

प्रश्न 3. भारत के दो उपग्रह जो सुदूर संवेदन से सम्बन्धित हों, के नाम बताओ।
उत्तर-(i) IRS-1A-1988 (ii) IRS-1B-1991.

प्रश्न 4. भारत में कितने राष्ट्रीय तथा प्रादेशिक स्तर के सूचना संवेदन केन्द्र हैं?
उत्तर-भारत में राष्ट्रीय तथा प्रादेशिक स्तर के 350 सूचना संवेदन केन्द्र हैं।

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