UP Board Solutions for Class 12 English Prose Chapter 3 The Secret of Health, Success and Power

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Board UP Board
Textbook NCERT
Class Class 12
Subject English Prose
Chapter Chapter 3
Chapter Name The Secret of Health, Success and Power
Number of Questions Solved 19
Category UP Board Solutions

UP Board Solutions for Class 12 English Prose Chapter 3 The Secret of Health, Success and Power

LESSON at a Glance

The essay ‘The Secret of Health, Success and Power’ deals with attaining health, success and power. According to the author these three assets of human life are interlinked; and they can be attained if one has genuine faith in goodness and unyielding purity. According to the author, if we are strong, pure and positive in our thoughts, disease will not come to us. On the other hand if we give into anger, worry, jealousy, greed or any other inharmonious state of mind and expect perfect health, we are expecting the impossible, for these are the seeds of disease. The author advises us to entertain joyful and loving thoughts because they are the elixir of goodwill. The author further suggests us to avoid tension and anxiety while we are at work. A happy worker can retain good health easily.

True health and true success go together, for they are inseparable. For getting success, we must have faith in God, in law, in our work and in our power. Success will come to us easily if we follow the dictates of our soul, are always true to the divine self, rely upon the inward Light and Voice and pursue our task with fearless and calm heart. A structure built upon the base of such a faith will give us spiritual strength which will disintegrate all the evil forces, and push success to us.

A pure and unselfish spirit and singleness of purpose evolve greatness and power. Secret of true power lies in concentrating our mind upon the task in our hands. The writer says that to acquire overcoming power, we should cultivate poise, i.e. balance of mind and passivity, i.e. ability of detachment. We must be able to stand alone like a mountain and an oak tree if we want to attain power. Power comes to calm, fearless, thoughtful and serious people in a natural way.

Distinguishing between power and passion, the writer says that passion is not power but abuse of power, the dispersion of power. Passion can be compared to a violent wind which lashes terribly and hardly upon the strife-torn rock. Power is the rock itself which keeps calm and fixed through the storm of passion.

पाठ का हिन्दी अनुवाद

(1) Where there is ……………. infected house.
जिस व्यक्ति में अडिग एवं दृढ़ विश्वास तथा गुणों की शुद्धता होगी, उसमें स्वास्थ्य, सफलता और शक्ति होगी। ऐसे व्यक्ति में बीमारी, असफलता तथा विपत्ति को रहने का स्थान नहीं मिलेगा, क्योंकि ऐसे व्यक्ति में ऐसी कोई वस्तु नहीं मिलेगी जिस पर वह पनप सके।

जितना शीघ्र हम यह अनुभव कर लें और पहचान लें कि बीमारी हमारी अपनी भूलों तथा पापों का परिणाम है, उतना ही शीघ्र हम सफलता के मार्ग पर चल पड़ेंगे। बीमारी उन्हीं व्यक्तियों को आती है जो इसे आकर्षित करते हैं, उन व्यक्तियों को आती है जिनके मस्तिष्क और शरीर उसे ग्रहण करने के लिए तैयार हैं और उन व्यक्तियों से दूर भाग जाती है जिनकी दृढ़, शुद्ध और सकारात्मक विचार शक्ति उनमें स्वस्थ, सुन्दर तथा जीवनदायिनी धारा प्रवाहित करती है।

यदि आप क्रोध, चिन्ता, ईष्र्या, लालच या अन्य किसी विचलित करने वाली मानसिक दशा के सुपुर्द हो जाओ और पूर्ण शारीरिक स्वास्थ्य की आशा करो तब आप असम्भव वस्तु की आशा कर रहे हो, क्योंकि आपे लगातार अपने मस्तिष्क में बीमारी के बीज बो रहे हो। ऐसी मानसिक दशाओं से बुद्धिमान् व्यक्ति सावधानीपूर्वक बचता है, क्योंकि वह जानता है कि ये एक खराब नाली अथवा दूषित मकान से भी अधिक खतरनाक होती है।

(2) If you would ……………. with sickness.
आप समस्त शारीरिक कष्टों से मुक्त होना चाहते हो और पूर्ण शारीरिक स्वास्थ्य प्राप्त करना चाहते हो तब अपने मस्तिष्क को नियन्त्रण में रखो और अपने विचारों को सन्तुलित करो। आनन्द देने वाली बातों को सोचो, प्यार भरी बातों को सोचो और सद्भावना रूपी अमृत अपनी नसों में बहने दो, तब आपको अन्य किसी दवा की आवश्यकता नहीं होगी। अपनी ईष्र्या, सन्देहों, चिन्ताओं, घृणा एवं स्वार्थ की भावनाओं को दूर हटा दो तब आपकी बदहजमी, जिगर की गड़बड़, घबराहट और जोड़ों का दर्द समाप्त हो जाएगा। यदि आप इन कमजोर बनाने वाली और मस्तिष्क की दूषित आदतों से चिपके रहोगे तब उस समय शिकायत मत करो जब आपका शरीर बीमार हो जाए।

(3) Many people complain ……………. quickly forfeits.
बहुत से व्यक्ति शिकायत करते हैं कि अधिक कार्य करने से उनका स्वास्थ्य खराब हो गया है। ऐसे अधिकांश मामलों में स्वास्थ्य के खराब होने का कारण मूर्खतापूर्ण ढंग से शक्ति को नष्ट करने का परिणाम होता है। यदि आप स्वास्थ्य को सुरक्षित रखना चाहते हो तब आपको चिन्तारहित होकर काम करना सीखना चाहिए। चिन्तित या उत्तेजित होना या व्यर्थ की बातों पर परेशान होना स्वास्थ्य के खराब होने का न्यौता है। कार्य चाहे मानसिक हो या शारीरिक, लाभदायक और स्वास्थ्य प्रदान करने वाला होता है और वह व्यक्ति जो लगातार शान्त मस्तिष्क से समस्त चिन्ताओं से मुक्त होकर और अपने मस्तिष्क से इन सभी चिन्ताओं को भुलाकर अपने हाथ में आए कार्य को कर सकता है, वह केवल उस व्यक्ति से अधिक कार्य ही नहीं करेगा जो सदा जल्दबाजी में रहता है और चिन्तित रहता है, अपितु वह अपने स्वास्थ्य को भी बनाए रखेगा जो एक वरदान है और जिसे अन्य व्यक्ति जल्दी से खो देते हैं।

(4) True health ………………. even dream of
सच्चा स्वास्थ्य और सच्ची सफलता साथ-साथ चलती हैं, क्योंकि वे विचारों के संसार में अभिन्न रूप से जुड़े हुए हैं। विश्वास की शक्ति से प्रत्येक स्थायी कार्य पूर्ण हो जाता है। भगवान् में विश्वास, भगवान् के नियमों में विश्वास, अपने कार्य में विश्वास और उस कार्य को पूरा करने के लिए अपनी शक्ति में विश्वास और इस विश्वास को ही अपने जीवन के क्रियाकलापों का आधार बनाओ। इस आधार पर खड़े होगे तब गिरोगे नहीं अर्थात् सफलता ही-प्राप्त करोगे। सभी परिस्थितियों में अपनी अन्तरात्मा की आवाज का अनुसरण करो, अन्तरात्मा के प्रति सदा सच्चे रहो, आन्तरिक ज्ञान पर विश्वास करो तथा अन्तरात्मा की आवाज का अनुसरण करो, जो जीवन में हमारा सर्वोत्तम पथ-प्रदर्शक है, निर्भय होकर और शान्त हृदय से अपने उद्देश्य की प्राप्ति में लगो, इस विश्वास के साथ कि भविष्य तुम्हें प्रत्येक विचार और चेष्टा की आवश्यकता को प्रदान करेगा, यह जानते हुए कि संसार के नियम कभी असफल नहीं होते और इस प्रकार तुम्हें तुम्हारे अच्छे या बुरे कार्य का फल अवश्य प्राप्त होगा, यही जीता-जागता विश्वास है। ऐसे विश्वास की शक्ति से अनिश्चितता के गहरे सागर विभाजित हो जाते हैं, कठिनाई का प्रत्येक पहाड़ चकनाचूर हो जाता है और विश्वास । करने वाली आत्मा बिना हानि के आगे बढ़ती रहती है। अतः हे पाठक! ऐसे निर्भय विश्वास को प्राप्त करने के लिए जो सभी प्रकार की अमूल्य वस्तुओं से भी सर्वोपरि है, संघर्ष करो, क्योंकि यही आनन्द, सफलता, शान्ति, शक्ति तथा प्रत्येक उस वस्तु की कुंजी है जो जीवन को महान् और कष्टों से अच्छा बनाती है। ऐसे विश्वास का निर्माण करो, तब तुम एक स्थायी तथा दृढ़ नींव बनाओगे और उसमें सामग्री भी दृढ़ लगाओगे और वह ढाँचा जो तुम खड़ा करोगे, टूटेगा नहीं, क्योंकि यह उन सभी सांसारिक वस्तुओं, भौतिक सुखों तथा सम्पदाओं से महान् होगा जिनका अन्त धूल-मिट्टी है। चाहे तुम्हें दु:ख की गहराई में धकेल दिया जाए या आनन्द की ऊँचाइयों तक उठा दिया जाए, सदा इस विश्वास पर अपनी पकड़ मजबूत रखो, सदा इसे शरण लेने की चट्टान के समान समझो और इसके अमर और अडिग आधार पर अपने पैरों को जमाकर रखो।

यदि ऐसा विश्वास अपने में प्राप्त कर लोगे तब तुम्हें ऐसी आध्यात्मिक शक्ति प्राप्त होगी जो काँच के खिलौनों के समान उन समस्त बुरी शक्तियों को चकनाचूर कर देगी जो तुम्हारे सामने आएँगी और तुम ऐसी सफलता प्राप्त करोगे जिनके विषय में सांसारिक उपलब्धियों को प्राप्त करने में संघर्षरत व्यक्ति कभी जान भी नहीं पाएगा और न वह उनके विषय में सोच पाएगा।

(5) If you will become ……………… utterly insignificant.
यदि तुम ऐसा विश्वास प्राप्त कर लोगे तब तुम्हें अपने भविष्य की सफलता या असफलता पर परेशान होने की आवश्यकता नहीं होगी और सफलता तुम्हें निश्चित प्राप्त होगी। तुम्हें फल के विषय में चिन्तित होने की आवश्यकता नहीं होगी, बल्कि तुम यह जानते हुए कि उचित विचार और सही प्रयत्नों से निश्चित रूप से सही फल मिलेगा तुम आनन्दपूर्वक और शान्ति से काम करोगे। तुम्हारी सफलता, तुम्हारी असफलता, तुम्हारा प्रभाव, तुम्हारा पूरा जीवन जो तुम्हारे साथ है, तुम्हारे विचारों के प्रबल झुकाव के लिए तुम्हारे भाग्य के निर्णायक भाग हैं। जीवित, शुद्ध और आनन्ददायक विचार पैदा करो, तुम्हारे हाथों में परम आनन्द आएगा और तुम्हारी मेज पर शान्ति का कपड़ा फैल जाएगा अर्थात् तुम्हारा जीवन शान्ति से भरपूर होगा। घृणाजनक, अशुद्ध और दु:खदायी विचार पैदा करो, तुम्हारे ऊपर विपदाएँ बरस पड़ेगीं और भय तथा अशान्ति के कारण तुम आरामदायक गहरी नींद का आनन्द नहीं ले सकोगे। तुम अपने भाग्य के स्वतन्त्र निर्माता हो, चाहे भाग्य कुछ भी हो। प्रत्येक पल तुम अपने अन्दर से ऐसे प्रभाव भेज रहे हो जो तुम्हारे जीवन को या तो बना देंगे या नष्ट कर देंगे। अपने हृदय को विशाल, प्रिय और नि:स्वार्थी बनाओ, तब तुम्हारा प्रभाव और सफलता महान् और स्थायी होगी, भले ही तुम थोड़ा धन कमाओ। इसी को अपने स्वयं के स्वार्थ की संकुचित सीमाओं में बाँध दो यद्यपि तुम लखपति भी बन जाओ तब भी तुम्हारा प्रभाव और सफलता, अन्त में पूर्ण रूप से महत्त्वहीन होगी।

(6) Cultivate, then, ……………. physical excesses.
यह शुद्ध और नि:स्वार्थ भावना पैदा करो और इसे शुद्धता, विश्वास तथा एक उद्देश्य से इसे मिलाओ और तब तुम अपनी आत्मा में से ऐसे तत्त्व विकसित करोगे जो भरपूर स्वास्थ्य और चिरस्थायी सफलता से ही भरे हुए नहीं होंगे, अपितु महानती और शक्ति से भी भरपूर होंगे। तुम्हारा कार्य चाहे कुछ भी हो, अपने पूरे मस्तिष्क को इस पर केन्द्रित कर दो और इसमें अपनी पूरी शक्ति लगा दो जिसके तुम योग्य हो। छोटे-छोटे कार्यों को दोषरहित ढंग से पूरा करना निश्चित रूप से बड़े कार्यों की ओर अग्रसर करता है। इस प्रकार तुम देखोगे कि तुम लगातार चढ़ते रहने से ऊपर पहुँचोगे और कभी भी गिरोगे नहीं। और इसी बात में सच्ची शक्ति का रहस्य निहित है। लगातार अभ्यास के द्वारा यह सीखो कि अपने संसाधनों का ठीक प्रकार से प्रबन्ध कैसे करोगे और किसी भी पल किसी दिये हुए बिन्दु पर उसे कैसे केन्द्रित करोगे। मूर्ख व्यक्ति अपनी सारी मानसिक और आध्यात्मिक शक्ति को निरर्थक बातों में, मूर्खतापूर्ण व्यर्थ की गपशप में, स्वार्थपूर्ण वाद-विवाद में या हानिकारक शारीरिक क्रियाओं में जैसे अधिक खाने और अधिक पीने में, जो स्वास्थ्य को नष्ट करती हैं, गॅवाते हैं।

(7) If you would. ………………. calm and unmoved.
यदि तुम नियन्त्रित करने वाली शक्ति प्राप्त करना चाहते हो, तब तुम्हें मानसिक सन्तुलन तथा मानसिक शान्ति पैदा करनी चाहिए। तुम्हें अकेले खड़े होने के भी योग्य होना चाहिए। दृढ़ता के साथ सभी शक्ति जुड़ी हुई है। पर्वत, बड़ी-बड़ी चट्टानें, तूफानों का मुकाबला करने वाला ओक का वृक्ष, सभी हमें शक्ति के विषय में बताते हैं, क्योंकि उनमें एकान्त, महानता तथा दृढ़ता है जबकि उड़ने वाला रेत, झुक जाने वाली पेड़ की शाखा और लहलहाती हुई घास सभी हमें कमजोरी के विषय में बताते हैं, क्योंकि वे उस समय गतिमान तथा दृढ़ नहीं होते जब उन्हें उनके साथियों से अलग कर दिया जाता है। वह व्यक्ति शक्तिशाली होता है जो उस समय भी शान्त और अडिग रहता है जब उसके सभी साथी किसी भावना या उत्तेजना से प्रभावित हो जाते हैं।

(8) He only is fitted ……………. valuable energy.
वही व्यक्ति आदेश देने और नियन्त्रण करने में योग्य होता है जो स्वयं को आदेश देने और नियन्त्रण करने में सफल हो गया है। भावुक, भयभीत, मूर्ख और तुच्छ व्यक्तियों को संगति हूँढ़नी चाहिए, अन्यथा सहायता के अभाव में वे गिर पड़ेंगे, किन्तु शान्त, निर्भय, विचारशील और गम्भीर व्यक्तियों को यदि जंगल, रेगिस्तान या पर्वत की चोटी के एकान्त में भी रहना पड़े तब भी उनकी शक्ति में और वृद्धि होगी तथा वे और अधिक सफलतापूर्वक दुष्प्रभाव डालने वाली भावनाओं और उत्तेजनाओं पर नियन्त्रण कर सकेंगे जो मानव जाति को घेर लेते हैं। उत्तेजना शक्ति नहीं होती है, यह तो शक्ति का दुरुपयोग तथा बरबादी होती है। उत्तेजना एक भयंकर तूफान के समान होती है जो अचल चट्टान से बहुत तेजी से टकराता है, जबकि शक्ति स्वयं चट्टान के समान होती है जो सभी परिस्थितियों में शान्त और अडिग रहती है। यदि तुम्हारे पास यह शक्ति नहीं है तब इसे अभ्यास से प्राप्त कर सकते हो और शक्ति का आरम्भ बुद्धिमानी के आरम्भ के समान होता है। ऐसी उद्देश्यहीन तुच्छ बातों पर तुम्हें काबू पाना आरम्भ कर देना चाहिए जिनके तुम जान-बूझकर शिकार रहे हो। जोर-जोर की अनियन्त्रित हँसी, व्यर्थ की मूर्खतापूर्ण बातें, केवल दूसरों का हँसाने के लिए हँसी-मजाक करना, इन सभी बातों को एक ओर रख देना चाहिए, क्योंकि यह महत्त्वपूर्ण ऊर्जा की बरबादी है।

(9) Above all, be of ……………. secret of power.
सभी बातों से ऊपर, एक लक्ष्य बनाओ, उद्देश्य को उचित और लाभदायक रखो और दृढ़ता के साथ स्वयं को इसमें समर्पित कर दो। कोई भी बात तुम्हें इससे अलग न कर सके। याद रखो कि “दोहरे मस्तिष्क वाला व्यक्ति अपनी सभी बातों से अस्थिर होता है।” सीखने के लिए उत्सुक बनो, किन्तु माँगने के लिए धीमे। अपने कार्य का पूरा ज्ञान प्राप्त करो और इसे अपना बना लो, और जब तुम अपने आन्तरिक मार्गदर्शक का अर्थात् अन्तरात्मा का अनुसरण करोगे जो कभी भूल नहीं करती, तब तुम प्रत्येक कार्य पर विजय प्राप्त करते हुए आगे बढ़ोगे और धीरे-धीरे सम्मान के शिखर तक पहुँच जाओगे और तुम्हारा सदैव व्यापक रहने वाला दृष्टिकोण तुम्हें जीवन की आवश्यक सुन्दरता और उद्देश्य को प्रकट करेगा। यदि स्वयं को पवित्र बना लोगे तब तुम्हें स्वास्थ्य प्राप्त होगा, विश्वास को सुरक्षित रखोगे, तब तुम्हें सफलता प्राप्त होगी और
आत्म-नियन्त्रण रखोगे तब तुम्हें शक्ति प्राप्त होगी और जो कुछ भी तुम करोगे उसमें फलो-फूलोंगे तथा तुम प्रकृति के नियम के अनुरूप होगे और सार्वभौम जीवन तथा शाश्वत भलाई के लिए कार्य करोगे। और जो भी स्वास्थ्य तुम प्राप्त करोगे वह तुम्हारे पास रहेगा, जो सफलता तुम प्राप्त करोगे वह मानवीय आकलन से परे होगी और कभी समाप्त नहीं होगी और जो प्रभाव तथा शक्ति तुम प्रयोग करोगे वह युगों तक बढ़ती रहेगी, क्योंकि यह उस अपरिवर्तनीय सिद्धान्त का भाग होगी जो पूरे संसार को आश्रये देता है। तब शुद्ध हृदय और भली प्रकार से नियन्त्रित मस्तिष्क ही स्वास्थ्य का रहस्य है। अटल विश्वास और बुद्धिमानी से निर्देशित उद्देश्य सफलता का रहस्य है और इच्छाओं पर दृढ़ इच्छा-शक्ति के साथ नियन्त्रण करना शक्ति का रहस्य है।

Understanding the Text

Explanations Explain one of the following passages with reference to the context :

(1) Where there is ……………. on which they can feed. [2012],
Reference : These lines have been taken from the lesson ‘The Secret of Health, Success and Power’ written by James Allen. . [ N.B. : The above reference will be used for all explanations of this lesson.]..

Context : This is the opening paragraph of this lesson. In this lesson James Allen describes his views about the secret of health, success and power..

Explanation : In this paragraph the writer tells us his first magic principle by which we can get all the three things : health, success and power. strong and genuine faith and pure thoughts are necessary for health, success and power. Disease, failure and misfortune will run away from such a man because here they will get nothing to prosper.

(2) The sooner we realize ……………. life-giving currents… . [2015]
Context : In this essay the writer says that strong and genuine faith is very necessary for good health. Without good health success in any work is not possible and a successful man is always powerful. Hence, for good health, success and power, strong faith is very necessary.

Explanation : In these lines the writer makes us aware that we fall ill due to our own error or sin. If our body and mind are weak, they attract disease and we fall ill. So, if we want to be healthy, we should have positive thinking power. It develops a new vigor in ourselves which influences life and promotes health. So, for getting good health, it is necessary that we should recognise the cause of disease and should get rid of it.

(3) If you are given ……………. an infected house. [2011, 14]
Context : In this essay the writer says that strong and genuine faith is very necessary for good health. Without good health, success in any work is not possible and a successful man is always powerful. Hence, for good health, success and power, strong faith is very necessary.

Explanation : In these lines the writer advises us to avoid inharmonious states of mind if we want good health. Anger, worry, greed, jealousy, etc. are the inharmonious states of mind. They disturb the peace of mind and cause different types of diseases. For good health, we should keep our mind away from such evil thoughts. Joyful and loving thoughts develop a power in us which definitely prolongs our life.

(4) Many people complain ……………. invite a breakdown. [2016]
Context : Here the writer advises us to keep our mind away from evil thoughts such as anger, worry, greed, jealousy, etc. because they disturb the peace of mind and cause different kinds of diseases. We should develop loving and joyful thoughts.

Explanation : In these lines the writer discusses a general complaint of the people about over work. Many people think that due to over work they have lost their health and feel weakness. But the writer makes them clear that over work is not the cause of losing health. It is the cause of foolishly wasted energy. When we have tension, excitement and worry in our mind unnecessarily, our energy is wasted uselessly. In such a condition we gain nothing but lose our health. So we should always be free from such feelings and learn to be peaceful and tension free. We should always have positive thoughts in place of negative ones.

(5) Work, whether of brain ……………. forefeits.
Context : Here, the writer says that the people have a wrong notion that over-work is harmful for health. Breakdown is not due to over-work. It is due to the foolishly wasted energy.

Explanation : Here the writer advises that we should do our work without any tension in mind. We should not be worried or excited. We should remember that mental as well as physical work is useful for health. For keeping our health good, we should have no worry or anxiety. We should work regularly and peacefully. We should devote our all attention to our work. Then we shall be healthy and will complete our work more successfully than the man who is always in a hurry and worry.

(6) To follow, under all ……………. living of faith. . [2010]
Context : True health and success go together without good health we cannot do any work and without work we cannot be happy. Success means completion of work in a right way.

Explanation : Here the writer tells us about the importance of faith—faith in God, in our work and in the power of doing that work. Moreover our conscience always guides us to follow the right path. We should always be alert to hear it. We must be true to our conscience and should believe in internal knowledge. God is the supreme power. We should have faith that the laws of universe never fail. If we continuously work fearlessly and peacefully, we shall proceed on the path of success and our future will be very bright. All the hurdles of our way will break down into pieces.

(7) By the power of such faith ……………. superior to suffering.
Context : The writer says that faith has so much power that with its help every difficult work is completed. So, we should have faith in God, in the law of nature and in our power.

Explanation : In this paragraph the writer describes the importance of faith in our life. The man who has firm faith, will have no uncertainty about any work in his mind. No difficulty will come in his way. The path of progress will be clear before him. The inward light will guide him and he will successfully complete the work he has in his hand. Success will bring him happiness and peace. Thus, firm faith is the key of success, happiness, peace, power, etc. Such a man will be able to make his life great and prosperous.

(8) If you will become ……………. right results.
Context : The writer is explaining us the importance of faith—faith in the God, faith in work and your power-for success in life.

Explanation : The writer says that if you have faith in him, yourself and your power, you start believing in yourself and you develop positive thoughts. Under such a condition, you have everything to faith. As a result you need not worry yourself about your future, which shall bring for you nothing but success. Faith also takes away anxieties from you. You engage yourself in your work happily and peacefully because you know that you are right in your thoughts and actions. Your faithful and sincere efforts will bring desired results for you.

(9) Your success, your failure ……………. upon your pillow. [2016]
Context : The writer says that faith brings us spiritual strength which crumbles away all evil forces like toys of glass. Then we will not worry about our success or failure. We will have confidence in our efforts that they will bring us good results.

Explanation : In this paragraph the writer says that we are the maker of our own fate which depends upon our thoughts. There are mainly two types of thoughts : good and bad. If we have good thoughts, our life will be joyful and peaceful. So, our thoughts should be life giving, pure and happy. Then we shall get untold happiness in our life. Contrary to this if our thoughts are hateful, impure and unhappy, we will be worried and anxious even when we are sleeping. Thus we shall not be able to enjoy a comfortable and sound sleep.

(10) You are the unconditional ……………. be utterly insignificant [2014]
Context : Here the writer says that we are the maker of our own fate which depends upon our thoughts. We should cultivate good thoughts which will bring untold happiness in our life. Bad thoughts are the source of discomfort and disturbed sleep. So we should avoid them.

Explanation : In these lines the writer says that you are the independent maker of your fate, no matter it is good or bad. The influences which you are sending forth every moment will either make your life or will destroy it. So, for making permanent influence and for getting success in life, you should have a broad outlook and loving and unselfish behaviour with all. In doing so you should not think of money. You may get little money. But your influence and success will surely be great and permanent. Contrary to it you become narrow-minded, selfish and unloving, you may earn a lot of money but your influence will be negligible. Thus for getting a good personality and everlasting influence you should not be money-minded.

(11) Cultivate, then, ……………. power. [2018]
Context : If we are benevolent, loving and sharing and concerned about others, our moral power and success will be great and lasting.

Explanation : The writer suggests that we should have a spirit which is sincere to others and always sharing. We should add to it purity of thoughts, belief in goodness and oneself and singleness of purpose. If we do so, we shall develop gradually and naturally in us substance, lasting success and sound health. Besides, eminence and authority shall also be achieved.

(12) Whatever your task ……………. secret of true power. [2012, 17]
Context : For happiness in life we need power. For it we should have a pure and unselfish spirit. We should have a single aim in our life. Double minded man achieves nothing. Whole hearted devotion to one aim forwards us towards full health.

Explanation : Here the writer says that for getting power we should cultivate pure and unselfish spirit and combine it with purity, faith and singleness of purpose. The secret of true power lies in learning by constant practice how to control resources and concentrate then upon the task in hand. You should also cultivate poise and passivity to stand alone and immovable like a mountain. This is the secret of true power.

(13) The hysterical, fearful ……………. engulf mankind. [2018]
Context : The writer says that besides firmness, self-control also is very necessary. Firmness is the power which enables a man even to stand alone. Only the man who has the power to control over himself can command and control others.

Explanation : In this passage the writer says that the man who is emotional, fearful, thoughtless, and frivolous needs support of others. He cannot do any work single handed. On the other hand the man who always remains calm, fearless and thoughtful has the greatest power. He needs no support. He can live all alone anywhere and will do every work successfully. He will more and more successfully be able to control the evil influences and miseries which surround mankind.

(14) Passion …………. …………. through it all. [2010, 12, 15, 17, 18]
Context : The writer has discussed the power of faith and self-control. He has advised us to be calm, fearless, thoughtful and serious. Such a man will be able to over power all the evil influences which come in his way.

Explanation : Now in this paragraph he talks about passion and its evil influences. Passions are the strong emotions like anger, love, hatred, jealousy, greed, etc. These are the abnormal feelings of mind and heart. These feelings provoke the man and he misunderstands that he is very powerful. But the writer says that it is not the power but it is the scattering of power or weakening of power. He compares passion with the storm. The storm strikes against the rock very fiercely. But the rock is so firm and unmovable that storm cannot give it any harm. The powerful man is like the rock. When the storm of passions hits him, he remains unmoved, calm and quiet.

(15) Self-purified ……………. Eternal good.
Context : After describing the importance of faith and self-control, the writer has laid emphasis on having a single aim of life because double minded man is always doubtful and can achieve nothing.

Explanation : Here in this passage the writer concludes that the man who has purified himself by having pure, stainless and noble thoughts will get good health. If he has firm faith in his power, in God and in the laws of nature, he will get success in every work he does. If he has self-control and the power to command himself, he will get power. Such a man will get success in every walk of life and he will progress and will always be happy. So, purity of thoughts, firm faith and self-control are the essential qualities to get health, success and power.

(16) This, then, is the …………… secret f power. [2018]
Context : Pure, stainless and noble thoughts are helpful in getting good health. A man of good health can do a lot of work. He will get success in every walk of life and will always be happy.

Explanation : The writer has concluded in the discussion that purity of thoughts, firm faith and self control are the essential qualities to get health, success and power. Thus, we can say that the secret of health is pure heart and well balanced mind. The secret of success is firm faith and wisely directed aim of life. To control the wishes with strong willpower is the secret of power.

Short Answer Type Questions

Answer one of the following questions in not more than 30 words:
Question 1.
What are the necessities for health, success and power ? [2009]
(स्वास्थ्य, सफलता और शक्ति के लिए कौन-सी बातें आवश्यक हैं?)
Answer :
Strong faith and purity are the necessities for health, success and power.
(स्वास्थ्य, सफलता और शक्ति के लिए दृढ़ विश्वास तथा शुद्धता आवश्यक हैं।)
Or
What do you get if you have sterling faith and uncompromising purity? [2o16]
(यदि आपके पास अडिग विश्वास और दृढ़ पवित्रता होगी तब आपको क्या प्राप्त होगा?)
Answer :
If we have sterling faith and uncompromising purity, we shall get health, success and power.
(यदि हमारे पास अडिग विश्वास और दृढ़ पवित्रता होगी तब हमें स्वास्थ्य, सफलता और शक्ति प्राप्त होगी।)

Question 2.
When can we get perfect health ?
(हम पूर्ण स्वास्थ्य कब प्राप्त कर सकते हैं ?).
Or
What is the secret of good health ? [2018]
(अच्छे स्वास्थ्य का क्या रहस्य है ?)
Or
What should we do to enjoy perfect physical health ?
(पूर्ण शारीरिक स्वास्थ्य प्राप्त करने के लिए हमें क्या करना चाहिए ?)
Or
What is the secret of securing good health ? [2009, 16,17]
(अच्छा स्वास्थ्य प्राप्त करने का रहस्य क्या है ?)
Or
What kind of thinking gives us good health and why according to James Allen ? [2011]
(जेम्स एलेन के अनुसार किस प्रकार की सोच हमें अच्छा स्वास्थ्य प्रदान करती है और क्यों?)
Answer :
We can get health as soon as we realise that the sickness is the result of our own error or sin.
(हम उसी समय स्वास्थ्य प्राप्त कर सकते हैं ज्यों ही हम यह अनुभव कर लें कि बीमारी हमारी भूलों तथा पाप का परिणाम है।)

Question 3.
How does faith help to shatter the forces of evil? [2011]
(विश्वास बुराई की शक्तियों को नष्ट करने में कैसे सहायक होता है?)
Answer :
Faith helps to shatter the forces of evil like disease, failure and disaster because there is nothing on which they can feed.
(अडिग विश्वास बीमारियों, असफलता तथा विपत्ति को नष्ट करने में सहायक होता है, क्योंकि उन्हें ऐसा कुछ भी नहीं मिलेगा जिस पर वे पनप सकें।)

Question 4.
What are the inharmonious states of mind ? Why are they called so ?
(मस्तिष्क की असन्तुलित दशाएँ कौन-सी हैं.? उन्हें ऐसा क्यों कहा गया है ?)
Answer :
Anger, worry, jealousy, greed, etc. are the inharmonious states of mind. They are called so because in their presence a man loses his peace of mind and he is upset. So, he cannot take a right decision.
(क्रोध, चिन्ता, ईष्र्या, लालच आदि मस्तिष्क की असन्तुलित दशाएँ हैं। इन्हें ऐसा इसलिए कहा गया है, क्योंकि इनकी उपस्थिति में वह व्यक्ति अपनी मानसिक शान्ति खो देता है और वह घबरा जाता है। अत: वह उचित निर्णय नहीं ले सकता।)

Question 5.
What are the debilitating and demoralising habits of mind ?
(मस्तिष्क की कौन-सी आदतें कमजोर बनाने वाली और भ्रष्ट करने वाली हैं ?)
Or
What diseases can be caused by jealousy, hatred, etc. ?
(ईष्र्या, घृणा आदि से कौन-कौन-सी बीमारियाँ हो सकती हैं ?)
Answer :
Jealousy, suspicion, worry, hatred and selfish activities are the debilitating and demoralising habits of mind.
(ईष्र्या, सन्देह, चिन्ता, घृणा और स्वार्थपूर्ण कार्य मस्तिष्क को कमजोर बनाने वाली और भ्रष्ट करने वाली आदतें हैं।)

Question 6.
What does the writer say in defence of over-work ?
(अधिक कार्य के पक्ष में लेखक क्या कहता है ?)
Or
How does work help in keeping us healthy ?
(हमें स्वस्थ रखने में कार्य हमारी कैसे सहायता करता हैं ?)
Answer :
The writer does not agree with the people who say that over-work brings breakdown. Work, whether it is mental or physical, is health giving. Breakdown in health is the result of foolishly wasted energy. If we work without friction, we would secure health.
(लेखक उन व्यक्तियों से सहमत नहीं है जो कहते हैं कि अधिक कार्य स्वास्थ्य को खराब करता है। काम चाहे मानसिक हो या शारीरिक, स्वास्थ्य प्रदान करने वाला होता है। मूर्खतापूर्ण ढंग से शक्ति को नष्ट करने का परिणाम स्वास्थ्य में गिरावट होता है। यदि हम चिन्तारहित होकर कार्य करेंगे, तो हम अपने स्वास्थ्य को सुरक्षित रखेंगे।)

Question 7.
What is relation between health and success ?
(स्वास्थ्य और सफलता में क्या सम्बन्ध है ?)
Answer :
True health and true success have close relationship. If we have good health, we shall be able to get success in our work. Success in work brings happiness. Without good health, success is not possible.
(सच्चा स्वास्थ्य और सच्ची सफलता का घनिष्ठ सम्बन्ध है। यदि हमारा स्वास्थ्य अच्छा होगा तब हम अपने कार्य में सफलता प्राप्त कर सकेंगे। कार्य में सफलता से आनन्द प्राप्त होता है। बिना अच्छे स्वास्थ्य के सफलता सम्भव नहीं है।)

Question 8.
What sort of faith is required to be successful in our work ?
(अपने कार्य में सफल होने के लिए किस प्रकार का विश्वास चाहिए ?)
Answer :
Unmoving faith is required to be successful in our work.
(अपने कार्य में सफल होने के लिए हमें अडिग विश्वास चाहिए।)

Question 9.
What does the writer mean by the phrase frock upon which you must build, if you would achieve …………?
(लेखक का इस वाक्यांश से क्या तात्पर्य है-“वह चट्टान जिस पर तुम बनाओगे, यदि तुम प्राप्त करना चाहते हो ……………’?)
Answer :
The writer compares faith with the rock. If we have firm faith in God, in the law of Nature and in the power of work, it means we have made a foundation as strong as a rock. The building which we build upon it will also be durable. Building means life. Thus the writer means by this phrase that this faith should be the basis of our activities in life.
(लेखक इस विश्वास की तुलना एक चट्टान से करता है। यदि हमें भगवान् में, प्रकृति के नियम में और कार्य की शक्ति में दृढ़ विश्वास है, तब इसका अर्थ है कि हमने नींव एक चट्टान के समान दृढ़ बना ली है। वह इमारत जो हम इस पर बनाएँगे वह भी टिकाऊ होगी। इमारत का तात्पर्य जीवन से है। इस प्रकार विश्वास होना चाहिए।)

Question 10.
Who is our best guide ? What should we do for taking its help ?
(हमारा सबसे अच्छा मार्गदर्शक कौन है ? हमें इसकी सहायता लेने के लिए क्या करना चाहिए ?)
Answer :
The conscience is our best guide. Its voice is unfailing. So, we should understand it and should act according to it.
(अन्तरात्मा हमारा सर्वोत्तम मार्गदर्शक है। इसकी आवाज कभी भी असफल न होने वाली है। इसलिए हमें इसे समझना चाहिए और इसी के अनुसार कार्य करना चाहिए।)

Question 11.
How do foolish people waste their mental and spiritual energy ?
(मूर्ख व्यक्ति अपनी मानसिक और आध्यात्मिक शक्ति को कैसे नष्ट करते हैं ?)
Answer :
Foolish people waste their mental and spiritual energy in meanless, foolish talks or selfish debate.
(मूर्ख व्यक्ति अपनी मानसिक और आध्यात्मिक शक्ति को नीचता में, मूर्खता की बातों में अथवा स्वार्थपूर्ण वाद-विवाद में नष्ट करते हैं।)

Question 12.
What is the law of the universe ?
(ब्रह्माण्ड का नियम क्या है ?)
Answer :
The law of universe is that good actions bear good fruits and bad actions bring evil results.
(ब्रह्माण्ड का नियम यह है कि अच्छे कार्यो का फल अच्छा होता है और बुरे कार्यो का फल बुरा होता है।)

Question 13.
When will our influence and success be lasting ?
(हमारा प्रभाव और सफलता कब स्थायी होगी ?)
Answer :
When our heart will go large, loving and unselfish, our influence and success will be lasting.
(जब हमारा हृदय विशाल, प्यार भरा और नि:स्वार्थी होगा, तब हमारा प्रभाव और सफलता स्थाई होगी।)

Question 14.
What is the secret of power ? Who is the powerful man ? [2017]
(शक्ति का रहस्य क्या है ? शक्तिशाली व्यक्ति कौन होता है ?)
Or
Wherein lies the secret of true power? [2018]
(सच्ची शक्ति का रहस्य किसमें निहित है ?)
Or
How does the writer explain that all power is associated with immovability ?
(लेखक कैसे समझाता है कि सारी शक्ति स्थिरता से जुड़ी हुई है ?)
Answer :
Immovability is the secret of power. The man who is not moved by emotion or passion and remains calm and firm is the powerful man.
(स्थिरता शक्ति का रहस्य है। वह मनुष्य जो भावनाओं या उत्तेजनाओं से विचलित नहीं होता और शान्त तथा दृढ़ रहता है, वही शक्तिशाली मनुष्य है।)

Question 15.
What is the secret of health, success and power ? [2012, 13, 18]
(स्वास्थ्य, सफलता एवं शक्ति का क्या रहस्य है ?)
Or
What is the secret of success ? [2018]
(सफलता का क्या रहस्य है ?)
Answer :
Health, success and power stem from genuine faith in goodness and yourself as well as unyielding purity of mind and thought.
(स्वास्थ्य, सफलता एवं शक्ति का रहस्य अच्छाई एवं स्वयं में विश्वास तथा हमारे मस्तिष्क और विचारों की शुद्धता में छिपा है।)

Question 16.
Are passion and power the same things ? Discuss.
(क्या उत्तेजना और शक्ति एक ही वस्तुएँ हैं ? विवेचना कीजिए।)
Or
How is passion different from power ?
(उत्तेजना शक्ति से किस प्रकार भिन्न है ?)
Answer :
No, passion and power are not the same thing. Passion is the abuse of power. Passion is like a storm and power is like strongly protected rock. Storm strikes against rock but cannot give it any harm. In the same way passion cannot give any harm to a calm and firm man. In reality passion is the dispersion of power. (नहीं, उत्तेजना और शक्ति एक ही वस्तु नहीं हैं। उत्तेजना तो शक्ति का दुरुपयोग है। उत्तेजना एक तूफान के समान होती है और शक्ति भली प्रकार सुरक्षित चट्टान के समान। तूफान चट्टान से टकराता है, किन्तु इसे कोई हानि नहीं पहुँचा सकता। इसी प्रकार उत्तेजना एक शान्त और दृढ़ व्यक्ति को कोई हानि नहीं पहुँचा सकती। वास्तव में उत्तेजना शक्ति का बिखराव है।)

Question 17.
What does the writer mean by the phrase, “The double-minded man is unstable in all his ways’?
(लेखक का इस वाक्यांश से क्या तात्पर्य है, ‘दोहरे मस्तिष्क वाला व्यक्ति सभी बातों में अस्थिर होता है।’?)
Answer :
The writer means by this phrase that a double minded-man cannot do any work successfully.
(इस वाक्यांश से लेखक का तात्पर्य है कि दोहरे मस्तिष्क वाला व्यक्ति किसी भी कार्य को सफलतापूर्वक नहीं कर सकता।)

Question 18.
What type of people attract disease and who shun it, according to James Allen ? [2014]
(जेम्स एलेन के अनुसार किस प्रकार के व्यक्ति बीमारी को आकर्षित करते हैं और कौन इससे बचता है?)
Answer :
The people who are angry, worried, jealous or greedy or have any kind of in-harmonious state of mind attract disease and wise people shun it.
(वे व्यक्ति जो क्रोधित, परेशान, ईष्र्यालु या लालची होते हैं या किसी प्रकार की असन्तुलित मानसिक स्थिति रखते हैं, वे बीमारी को आकर्षित करते हैं तथा बुद्धिमान व्यक्ति इनसे बचते हैं।)

Question 19.
What does the writer conclude in the end of this lesson ?
(इस पाठ के अन्त में लेखक क्या निष्कर्ष निकालता है?)
Answer :
In the end of the lesson the writer concludes that a pure heart and well ordered mind is the secret of health. Firm faith and a wisely directed purpose is the secret of success. To control the desires is the secret of power.
(पाठ के अन्त में लेखक निष्कर्ष निकालता है कि शुद्ध हृदय तथा भली प्रकार व्यवस्थित उद्देश्य सफलता का रहस्य है। अटल विश्वास और भली प्रकार से निर्देशित उद्देश्य सफलता का रहस्य है। इच्छाओं पर नियन्त्रण करना शक्ति का रहस्य है।)

Vocabulary

Choose the most appropriate word or phrase that best completes the sentence:
1. Many people ……………. that they have broken down through over work. [2011, 17, 18]
(a) suggest
(b) complain
(c) write
(d) refuse

2. If you would secure health you must leam to work without ………… [2018]
(a) friction
(b) tension
(c) worry
(d) none of these

3. True health and true success go together, for they are inseparably ……………. in the thought realm.. [2015, 16, 17, 18]
(a) mixed
(b) intertwined.
(c) connected
(d) joined

4. True health and true success go ………… [2013, 16, 18]
(a) long
(b) along
(c) among
(d) together

5. You are the ……….. maker of your fate, be that fate what it may be.
(a) conditional
(b) unconditional
(c) exceptional
(d) unexceptional

6. All power is associated with …………….
(a) immovability
(b) persistency
(c) concentration
(d) passivity

7. The faultless completion of small tasks leads ………… to larger tasks. [2011, 14]
(a) necessarily
(b) undoubtedly
(c) inevitably
(d) unexpectedly

8. He is the man of power who, when all his fellows are swayed by some emotion or passion, remains calm and ………..
(a) undisturbed
(b) unhurt
(c) unharmed
(d) unmoved

9. Passion is not power, it is the ……………. of power. [2013, 17, 18]
(a) use
(b) abuse
(c) amuse
(d) assuage

10. “The double-minded man is ……………. in all his ways.” [2013, 14, 15, 16, 17, 18]
(a) stable
(b) free
(c) unstable
(d) rigid

11. Self-purified……………will be yours; faith protected, …………. will be yours; self-governed, …………. will be yours.
(a) success, health, power
(b) health, success, power
(c) health, power, success
(d) power, success, health

12. Patience usually ……………. in the end.
(a) wills
(b) wilts
(c) wins
(d) wigs

13. If you will persist …………. clinging to these debilitating and demoralising habits of mind, then do not complain when your body is laid low with sickness.
(a) on
(b) upon
(c) in
(d) with

14. Above all, be of ……………. aim; have a legitimate and useful purpose, and devote yourself unreservedly to it.
(a) casual
(b) single
(c) multiple
(d) double

15. The faultless completion of small tasks ……………. inevitably to larger tasks.
(a) leaps
(b) looks
(c) leads
(d) lights

16. There are some matters ……………. which the memory works with less than its usual perfection.
(a) for
(b) in
(c) in regard to
(d) about

17. To become anxious or excited, or to worry over needless details is to invite a.. [2014]
(a) disease
(b) disaster
(c) sickness
(d) break down

18. Such conditions of mind are carefully ………… by the wise man. : [2011]
(a) shunned
(b) screened
(c) hurled
(d) swayed

19. He only is fitted to ………… who has succeeded in controlling himself. [2012]
(a) command
(b) demand
(c) reprimand
(d) remand

20. You are advised ……….. bad habits. [2012]
(a) to get rid of
(b) to continue
(c) to abjure
(d) to stick to

21. Passion is like a ………… storm. [2012, 16, 18]
(a) furious
(b) anxious
(c) dauntless
(d) dark

22. You will not need to become ……….. about the result. [2013]
(a) cautious
(b) conscious
(c) anxious
(d) contentious

23. Many people ………. that they are broken down through over work.
(a) complain
(b) claim
(c) frame
(d) name

Answers :
1. (b),
2. (a),
3. (b),
4. (d),
5. (b),
6. (a),
7. (c),
8. (d),
9. (b),
10. (c),
11. (b),
12. (c),
13. (d),
14. (b),
15. (e),
16. (c),
17. (a),
18. (a),
19. (a),
20. (a),
21. (a),
22. (c),
23. (a).

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UP Board Solutions for Class 12 Samanya Hindi गद्य-साहित्यका विकास बहुविकल्पीय प्रश्न : दो

UP Board Solutions for Class 12 Samanya Hindi गद्य-साहित्यका विकास बहुविकल्पीय प्रश्न : दो are part of UP Board Solutions for Class 12 Samanya Hindi. Here we have given UP Board Solutions for Class 12 Samanya Hindi गद्य-साहित्यका विकास बहुविकल्पीय प्रश्न : दो.

Board UP Board
Textbook NCERT
Class Class 12
Subject Samanya Hindi
Chapter Chapter 3
Chapter Name गद्य-साहित्यका विकास बहुविकल्पीय प्रश्न : दो
Number of Questions 127
Category UP Board Solutions

UP Board Solutions for Class 12 Samanya Hindi गद्य-साहित्यका विकास बहुविकल्पीय प्रश्न : दो

पत्र/पत्रिका विधा पर आधारित

उचित विकल्प का चयन कीजिए-

(1) ‘प्रजाहितैषी’ नाम के पत्र का प्रकाशन/सम्पादन किया– [2013]
(क) राजा शिवप्रसाद सितारेहिन्द ने
(ख) राजा लक्ष्मण सिंह ने
(ग) बाबू नवीनचन्द्र राय ने।
(घ) सुखदयाल शास्त्री ने

(2) भारतेन्दु युग में प्रकाशित ‘आनन्द कादम्बिनी’ नामक पत्रिका के सम्पादक थे [2009, 10, 11, 15]
(क) भारतेन्दु हरिश्चन्द्र
(ख) बदरीनारायण चौधरी ‘प्रेमघन’
(ग) राय कृष्णदास
(घ) धर्मवीर भारती

(3) बालकृष्ण भट्ट द्वारा सम्पादित पत्रिका है [2009, 11, 12, 13]
(क) हिन्दी प्रदीप
(ख) इन्दु
(ग) माधुरी
(घ) प्रभा

(4) हिन्दी दीप्ति-प्रकाश’ नामक पत्रिका का सम्पादन किया-
(क) प्रतापनारायण मिश्र ने
(ख) कार्तिकप्रसाद खत्री ने
(ग) भारतेन्दु हरिश्चन्द्र ने
(घ) राय कृष्णदास ने

(5) ‘इन्दु’, ‘सुदर्शन’, ‘समालोचक’, ‘प्रभा’, ‘मर्यादा’ और ‘माधुरी’ पत्रिकाएँ किस युग में प्रकाशित हुई ?
(क) भारतेन्दु युग में
(ख) द्विवेदी युग में
(ग) छायावाद युग में
(घ) छायावादोत्तर युग में

(6) ‘ब्राह्मण’ पत्र के सम्पादक हैं [2009, 12, 13, 14]
(क) बालकृष्ण भट्ट
(ख) राधाचरण गोस्वामी
(ग) प्रतापनारायण मिश्र
(घ) पं० लल्लूलाल

(7) ‘कवि-वचन-सुधा’ नामक पत्रिका के सम्पादक थे-
(क) प्रतापनारायण मिश्र
(ख) महावीरप्रसाद द्विवेदी
(ग) श्यामसुन्दर दास
(घ) भारतेन्दु हरिश्चन्द

(8) ‘विशाल-भारत’ नामक पत्रिका के सम्पादक थे–
(क) प्रेमचन्द
(ख) श्रीराम शर्मा
(ग) धर्मवीर भारती
(घ) प्रतापनारायण मिश्र

(9) ‘हंस’ नामक पत्रिका के सम्पादक थे [2010, 14, 16, 17, 18]
(क) महावीरप्रसाद द्विवेदी
(ख) भारतेन्दु हरिश्चन्द्र
(ग) बालकृष्ण भट्ट
(घ) मुंशी प्रेमचन्द

(10) महावीरप्रसाद द्विवेदी द्वारा सम्पादित पत्रिका है [2009, 13]
(क) प्रदीप
(ख) इन्दु
(ग) प्रभा
(घ) सरस्वती

(11) निम्नलिखित में से कौन पत्रिका नहीं है? [2011]
(क) इन्दु
(ख) भारत दुर्दशा
(ग) सरस्वती
(घ) आनन्द कादम्बिनी

(12) ‘दिनकर के पत्र का प्रकाशन-वर्ष है [2012, 16]
(क) 1970
(ख) 1977
(ग) 1981
(घ) 1991

(13) ‘सरस्वती’ पत्रिका के प्रथम सम्पादक हैं [2014, 16]
(क) महावीरप्रसाद द्विवेदी
(ख) श्यामसुन्दर दास
(ग) जयशंकर प्रसाद
(घ) हरदेव बाहरी

(14) हिन्दी प्रदीप’ पत्र का सम्पादन होता था (2015)
(क) इलाहाबाद से
(ख) वाराणसी से
(ग) कानपुर से
(घ) दिल्ली से

(15) ‘ज्ञानोदय’ पत्रिका के सम्पादक थे [2016]
(क) डॉ० सम्पूर्णानन्द
(ख) पं० महावीरप्रसाद द्विवेदी
(ग) कन्हैयालाल मिश्र ‘प्रभाकर
(घ) रामवृक्ष बेनीपुरी

उत्तर (1) ख, (2) ख, (3) क, (4) ख, (5) ख, (6) ग, (7) घ, (8) ख, (9) घ, (10) घ, (11) ख, (12) ग,
(13) खे, (14) के, (15) ग।

नादळ विथा पर आधारित

उचित विकल्प का चयन कीजिए-

(1) ‘रणधीर’ और ‘प्रेम मोहिनी’ नाट्य कृतियों के नाटककार हैं-
(क) भारतेन्दु हरिश्चन्द्र
(ख) प्रतापनारायण मिश्र
(ग) बालकृष्ण भट्ट
(घ) लाला श्रीनिवास दास

(2) ‘स्वर्णविहीन’, ‘रक्षाबन्धन’, ‘प्रतिशोध’ के रचयिता हैं
(क) जयशंकर प्रसाद
(ख) हरिकृष्ण ‘प्रेमी’
(ग) रामकुमार वर्मा
(घ) लक्ष्मीनारायण मिश्र

(3) संन्यासी’ और ‘मुक्ति का रहस्य’ के रचयिता हैं-
(क) जयशंकर प्रसाद
(ख) हरिकृष्ण ‘प्रेमी
(ग) रामकुमार वर्मा
(घ) लक्ष्मीनारायण मिश्र

(4) निम्नलिखित रचनाओं में से कौन-सी रचना नाटक है ?
(क) नमक का दारोगा
(ख) गोदान
(ग) आखिरी चट्टान तक
(घ) राजमुकुट

(5) सूतपुत्र’ नाटक के रचनाकार हैं-
(क) डॉ० गंगासहाय ‘प्रेमी
(ख) जयशंकर प्रसाद
(ग) विष्णु प्रभाकर
(घ) हरिकृष्ण प्रेमी

(6) निम्नलिखित में से कौन-सी रचना नाटक है? [2009]
(क) सन्नाटा
(ख) निन्दा रस
(ग) गरुड़ध्वज
(घ) राष्ट्र का स्वरूप

(7) निम्नलिखित में से नाटक है [2011]
(क) उसने कहा था
(ख) कलम का सिपाही
(ग) चन्द्रगुप्त
(घ) आँसू

(8) निम्नलिखित में से नाटककार हैं [2013]
(क) रामचन्द्र शुक्ल
(ख) मोहन राकेश
(ग) डॉ० नगेन्द्र
(घ) महादेवी वर्मा

(9) निम्नलिखित में से नाटक है [2014]
(क) त्रिशंकु
(ख) आत्मनेपद
(ग) विपथगा।
(घ) उत्तर प्रियदर्शी

(10) हिन्दी का प्रथम नाटक है [2014]
(क) सती-प्रताप
(ख) अजातशत्रु
(ग) स्कन्दगुप्त
(घ) नहुष

(11) स्कन्दगुप्त नाटक के लेखक हैं [2015]
(क) प्रेमचन्द
(ख) लक्ष्मीनारायण मिश्र
(ग) जयंशकर प्रसाद
(घ) धर्मवीर भारती

(12) श्री चन्द्रावली’ नामक नाटक के लेखक हैं [2016]
(क) भारतेन्दु हरिश्चन्द्र
(ख) जयशंकर प्रसाद
(ग) हरिकृष्ण प्रेमी
(घ) श्रीनिवास दास

(13) ‘मुद्रा राक्षस’ नामक नाटक के रचनाकार हैं [2016]
(क) भारतेन्दु हरिश्चन्द्र
(ख) मोहन राकेश
(ग) धमवीर भारती
(घ) राहुल सांकृत्यायन

उत्तर (1) घ, (2) ख, (3) घ, (4) घ, (5) क, (6) ग, (7) ग, (8) ख, (9) घ, (10) घ, (11) ग, (12) क,
(13) के।।

एकांकी विधा पर आधारित

उचित विकल्प का चयन कीजिए-

(1) ‘एक बूंट’ को हिन्दी का प्रथम एकांकी मानते हैं। इसके रचयिता हैं
(क) जयशंकर प्रसाद
(ख) जैनेन्द्र कुमार
(ग) रामकुमार वर्मा
(घ) उदयशंकर भट्ट

(2) ‘पृथ्वीराज की आँखें’ एकांकी संग्रह के एकांकीकार हैं
(क) जयशंकर प्रसाद
(ख) जैनेन्द्र कुमार
(ग) रामकुमार वर्मा
(घ) सेठ गोविन्ददास

(3) ‘बहू की विदा’ एकांकी के रचयिता हैं
(क) सेठ गोविन्ददास
(ख) हरिकृष्ण प्रेमी
(ग) मोहन राकेश
(घ) विनोद रस्तोगी

(4) निम्नलिखित में से कौन एकांकीकार नहीं हैं ?
(क) उपेन्द्रनाथ अश्क’
(ख) विष्णु प्रभाकर
(ग) लक्ष्मीनारायण मिश्र
(घ) सीताराम वर्मा

(5) हिन्दी एकांकी का विकास किस युग से माना जाता है ? [2008]
(क) छायावाद युग
(ख) छायावादोत्तर युग
(ग) द्विवेदी युग
(घ) भारतेन्दु युग

(6) हिन्दी एकांकी का जनक माना जाता है– [2017]
(क) जयशंकर प्रसाद
(ख) भारतेन्दु हरिश्चन्द्र
(ग) डॉ० रामकुमार वर्मा
(घ) उपेन्द्रनाथ ‘अश्क’

उतर (1) क, (2) ग, (3) घे, (4) घ, (5) ख, (6) ग।

कहानी विधा पर आधारित

उचित विकल्प का चयन कीजिए-

(1) हिन्दी की प्रथम कहानी के नाम से जानी जाती है-
(क) दुलाईवाली
(ख) इन्दुमती
(ग) प्लेग की चुडैल
(घ) ग्यारह वर्ष का समय

(2) आधुनिक ढंग की कहानियों को प्रारम्भ किस पत्रिका के प्रकाशन काल से माना जाता है ?
(क) सरस्वती
(ख) माधुरी
(ग) इन्दु
(घ) मर्यादा

(3) हिन्दी गद्य की कालजयी कहानी ‘उसने कहा था’ के लेखक हैं-
(क) चन्द्रधर शर्मा ‘गुलेरी
(ख) प्रेमचन्द
(ग) सुदर्शन
(घ) जयशंकर प्रसाद

(4) कहानियों के क्षेत्र में सर्वाधिक चर्चित कहानीकार प्रेमचन्द के कहानियों के संकलन प्रकाशित हुए
(क) क्षीरसागर’ शीर्षक से
(ख) मानसरोवर’ शीर्षक से
(ग) “मानसागर’ शीर्षक से
(घ) कथा-संग्रह’ शीर्षक से

(5) ‘ग्राम’, ‘आकाशदीप’, ‘गुण्डा’, ‘चित्रमन्दिर’, ‘आँधी’, ‘सलीम’, ‘मधुआ’ आदि कहानियाँ किस कहानीकार द्वारा रचित हैं ? [2010]
(क) भगवतीचरण वर्मा
(ख) उपेन्द्रनाथ अश्क
(ग) जयशंकर प्रसाद
(घ) प्रेमचन्द

(6) ‘धर्मयुद्ध’, ‘फूल की चोरी’, ‘चार आने’, ‘अभिशप्त’, ‘कर्मफल’, ‘परदा’, ‘फूलों का कुर्ता’ किस कहानीकार द्वारा रचित प्रसिद्ध कहानियाँ हैं ? [2010]
(क) जयशंकर प्रसाद
(ख) यशपाल
(ग) प्रेमचन्द
(घ) स० ही० वात्स्यायन ‘अज्ञेय’

(7) ‘तीसरी कसम’, ‘पान की बेगम’, ‘रसपिरिया’ किस लेखक की प्रसिद्ध रचनाएँ हैं ?
(क) फणीश्वरनाथ रेणु
(ख) शिवप्रसाद सिंह
(ग) प्रेमचन्द
(घ) अमरकान्त

(8) ‘रानी केतकी की कहानी’ नामक कहानी विधा की रचना के रचयिता हैं[ 2010, 11, 13, 17]
(क) पं० लल्लूलाल
(ख) मुंशी इंशा अल्ला खाँ
(ग) सदल मिश्र
(घ) रामप्रसाद निरंजनी

(9) पंचलाइट की रचना-विधा है
(क) निबन्ध
(ख) संस्मरण
(ग) कहानी
(घ) आत्मकथा

(10) ‘नमक का दारोगा’ के कहानीकार हैं
(क) जैनेन्द्र कुमार
(ख) जयशंकर प्रसाद
(ग) महादेवी वर्मा
(घ) प्रेमचन्द

(11) निम्नलिखित में से कौन-सी कहानी भारतेन्दु के पूर्व की है ?
(क) इन्दुमती
(ख) ग्यारह वर्ष का समय
(ग) रानी केतकी की कहानी
(घ) दुलाईवाली

(12) ‘दुलाईवाली’ किस विधा की रचना है ? [2010]
(क) उपन्यास
(ख) नाटक
(ग) कहानी
(घ) रेखाचित्र

(13) मुंशी प्रेमचन्द ने किस विधा को ‘मानव चरित्र का चित्रमात्र’ कहा है ? [2010]
(क) जीवनी
(ख) उपन्यास
(ग) कहानी
(घ) संस्मरण

(14) ‘हरखू’ पात्र किस कहानी से सम्बन्धित है ? [2012]
(क) बलिदान
(ख) आकाशदीप
(ग) प्रायश्चित्त
(घ) समय

(15) ‘मधुआ’ किस विधा की रचना है ? [2013]
(क) रेखाचित्र
(ख) कहानी
(ग) आत्मकथा
(घ) संस्मरण

(16) ‘जिन्दगी और जोंक’ के लेखक हैं [2014]
(क) जयशंकर प्रसाद
(ख) अमरकान्त
(ग) शिवानी
(घ) शिवप्रसाद सिंह

(17) इन्दुमती है [2015]
(क) प्रथम कहानी
(ख) प्रथम उपन्यास
(ग) निबन्ध
(घ) इनमें से कोई नहीं

(18) गद्य-विधा की दृष्टि से ‘वोल्गा से गंगा’ है [2016]
(क) उपन्यास
(ख) कहानी
(ग) आत्मकथा
(घ) संस्मरण

(19) ‘वोल्गा से गंगा’ कहानी संग्रह है [2016]
(क) जैनेन्द्र कुमार का
(ख) यशपाल का
(ग) राहुल सांकृत्यायन का
(घ) प्रेमचन्द का

उत्तर (1) ख, (2) क, (3) क, (4) ख, (5) ग, (6) ख, (7) क, (8) ख, (9) ग, (10) घ, (11) ग, (12) ग,
(13) ग, (14) के, (15) ख, (16) ख, (17) क, (18) ख, (19) (ग)

उपन्यास विधा पर आधारित

उचित विकल्प का चयन कीजिए—

(1) हिन्दी का प्रथम मौलिक उपन्यास माना जाता है [2008, 13, 14, 17]
(क) परीक्षा-गुरु
(ख) भूतनाथ
(ग) चन्द्रकान्ता
(घ) सेवासदन

(2) ‘भाग्यवती’ को हिन्दी का प्रथम सामाजिक उपन्यास माना जाता है। इसके लेखक थे [2016]
(क) नवीनचन्द्र राय
(ख) गोपालराम गहमरी
(ग) श्रद्धाराम फुल्लौरी
(घ) देवकीनन्दन खत्री

(3) हिन्दी उपन्यासों की विकास-परम्परा का अध्ययन किस लेखक के नाम से किया जाता है ?
(क) जयशंकर प्रसाद
(ख) प्रेमचन्द
(ग) जैनेन्द्र कुमार
(घ) यशपाल

(4) ‘गोदान’, ‘निर्मला’, ‘रंगभूमि’, ‘कर्मभूमि’ किस लेखक की रचनाएँ हैं ? [2009, 13]
(क) जयशंकर प्रसाद
(ख) यशपाल
(ग) प्रेमचन्द
(घ) जैनेन्द्र कुमार

(5) ‘कंकाल’ और ‘तितली’ जैसे उपन्यास हिन्दी-साहित्य को किस लेखक ने दिये ? [2010]
(क) जयशंकर प्रसाद
(ख) स० ही० वात्स्यायन ‘अज्ञेय’
(ग) मागार्जुन
(घ) प्रेमचन्द

(6) निम्नलिखित में से कौन उपन्यासकार प्रेमचन्द युग का नहीं है ?
(क) जयशंकर प्रसाद
(ख) पाण्डेय बेचन शर्मा ‘उग्र’
(ग) बालकृष्ण भट्ट
(घ) भगवतीप्रसाद वाजपेयी

(7) निम्नलिखित उपन्यासकारों में से कौन आंचलिक उपन्यासकारों की श्रेणी में आते हैं ?
(क) हजारीप्रसाद द्विवेदी
(ख) फणीश्वरनाथ ‘रेणु’
(ग) रांगेय राघव
(घ) अमृतलाल नागर

(8) निम्नलिखित में से कौन उपन्यास नहीं है ?
(क) बाणभट्ट की आत्मकथा
(ख) मैला आँचल
(ग) शेखर : एक जीवनी
(घ) संस्कृति के चार अध्याय

(9) निम्नलिखित में से कौन-सी रचना उपन्यास नहीं है ? [2011]
(क) परीक्षा गुरु
(ख) तितली
(ग) अशोक के फूल
(घ) गबन

(10) ‘परीक्षागुरु’ की रचना-विधा है [2013]
(क) कहानी
(ख) उपन्यास
(ग) नाटक
(घ) जीवनी

(11) ‘गिरती दीवारें’ (उपन्यास) के रचनाकार हैं [2013]
(क) उपेन्द्रनाथ अश्क’
(ख) शिवप्रसाद सिंह
(ग) सही०वा०‘अज्ञेय’
(घ) रामविलास शर्मा

(12) ‘सुनीता’ विधा की दृष्टि से रचना है [2014]
(क) कहानी
(ख) आलोचना
(ग) निबन्ध
(घ) उपन्यास

(13) ‘बलचनमा’ उपन्यास है [2014]
(क) फणीश्वरनाथ रेणु’ का
(ख) नागार्जुन का
(ग) अमृतराय का
(घ) अमरकान्त का

(14) उपन्यास विधा पर आधारित रचना है– [2016]
(क) स्कन्दगुप्त
(ख) गोदान
(ग) अशोक के फूल
(घ) चिन्तामणि

(15) ‘चारुचन्द्र लेख’ विधा है—- [2016]
(क) कहानी
(ख) उपन्यास
(ग) निबन्ध
(घ) नाटक

उत्तर (1) क, (2) ग, (3) ख, (4) ग, (5) क, (6) ग, (7) ख, (8) घे, (9) ग, (10) ख, (11) क, (12) घ,
(13) ख, (14) ख, (15) ख।

निबन्ध विधा पर आधारित

उचित विकल्प का चयन कीजिए-

(1) निम्नलिखित में से कौन भारतेन्दुयुगीन निबन्धकार नहीं हैं ?
(क) प्रतापनारायण मिश्र
(ख) बालकृष्ण भट्ट
(ग) बालमुकुन्द गुप्त
(घ) महावीरप्रसाद द्विवेदी

(2) ‘चिन्तामणि’ निबन्ध-संग्रह में शुक्ल युग के किस निबन्धकार के निबन्ध संकलित हैं? [2013]
(क) जयशंकर प्रसाद
(ख) रामवृक्ष बेनीपुरी
(ग) रामचन्द्र शुक्ल
(घ) सम्पूर्णानन्द

(3) इनमें से कौन शुक्ल युग के निबन्धकार नहीं हैं ?
(क) वियोगी हरि
(ख) राय कृष्णदास
(ग) डॉ० नगेन्द्र
(घ) वासुदेवशरण अग्रवाल

(4) श्रीराम शर्मा और राहुल सांकृत्यायन किस युग के निबन्धकार हैं ?
(क) भारतेन्दु युग
(ख) द्विवेदी युग
(ग) शुक्ल युग
(घ) शुक्लोत्तर युग

(5) ‘अशोक के फूल’ के रचनाकार हैं [2009]
(क) कन्हैयालाल मिश्र ‘प्रभाकर’
(ख) मोहन राकेश
(ग) हजारीप्रसाद द्विवेदी
(घ) कुबेरनाथ राय

(6) ‘रस-मीमांसा’ के रचयिता हैं-
(क) हजारीप्रसाद द्विवेदी
(ख) रघुवीर सिंह
(ग) डॉ० नगेन्द्र
(घ) रामचन्द्र शुक्ल

(7) इनमें से कौन शुक्लोत्तर युग के निबन्धकार नहीं हैं ?
(क) डॉ० नगेन्द्र
(ख) रामचन्द्र शुक्ल
(ग) हजारीप्रसाद द्विवेदी .
(घ) नन्ददुलारे वाजपेयी

(8) महादेवी वर्मा, विजयेन्द्र स्नातक और विद्यानिवास मिश्र किस युग के निबन्धकार हैं ?
(क) भारतेन्दु युग
(ख) द्विवेदी युग
(ग) शुक्ल युग
(घ) शुक्लोत्तर युग

(9) निम्नलिखित में से कौन हास्य-व्यंग्य प्रधान निबन्धों के रचनाकार नहीं हैं ?
(क) वासुदेवशरण अग्रवाल
(ख) श्रीनारायण चतुर्वेदी
(ग) हरिशंकर परसाई
(घ) शरद जोशी

(10) ‘गेहूँ और गुलाब’ की रचना-विधा है–
(क) निबन्ध
(ख) संस्मरण
(ग) डायरी
(घ) आत्मकथा

(11) निबन्ध विधा की रचना है
(क) मेला-झमेला
(ख) भारत-दुर्दशा
(ग) रसज्ञ-रंजन
(घ) आचरण की सभ्यता

(12) ‘राष्ट्र का स्वरूप’ निबन्ध के लेखक हैं [2009, 13]
(क) वासुदेवशरण अग्रवाल
(ख) सरदार पूर्णसिंह
(ग) कन्हैयालाल मिश्र ‘प्रभाकर
(घ) “अज्ञेय

(13) विद्यानिवास मिश्र ने किस प्रकार के निबन्ध अधिक लिखे हैं ? [2009]
(क) ललित
(ख) ऐतिहासिक
(ग) मनोविश्लेषणात्मक निबन्ध
(घ) विश्लेषणात्मक निबन्ध

(14) निबन्ध’ शब्द के अंग्रेजी पर्याय शब्द ‘एसे’ का अर्थ है
(क) प्रयोग
(ख) प्रयास
(ग) प्रबन्ध
(घ) प्रकीर्ण

(15) निम्नलिखित में कौन-सा वर्णनात्मक निबन्ध है ? [2008]
(क) आचरण की सभ्यता
(ख) महाकवि माघ का प्रभात वर्णन
(ग) कुटज
(घ) निन्दा रस

(16) छायावादोत्तर काल के लेखक हैं [2010]
(क) विद्यानिवास मिश्र
(ख) आचार्य रामचन्द्र शुक्ल
(ग) बाबू गुलाबराय
(घ) श्यामसुन्दर दास

(17) वासुदेवशरण अग्रवाल द्वारा लिखित निबन्ध राष्ट्र का स्वरूप’ किस निबन्ध-संग्रह से लिया गया [2011]
(क) धरती पुत्र
(ख) पृथ्वी-पुत्र
(ग) राष्ट्र-चेतना
(घ) सांस्कृतिक गौरव

(18) निम्नलिखित में से कौन निबन्धकार नहीं है ? [2011]
(क) विद्यानिवास मिश्र
(ख) प्रेमचन्द
(ग) कुबेरनाथ राय
(घ) हजारीप्रसाद द्विवेदी

(19) ‘भारतवर्षोन्नति कैसे हो सकती है’ हिन्दी गद्य की विद्या है– [2011]
(क) निबन्ध
(ख) उपन्यास
(ग) आलोचना
(घ) नाटक

(20) अशोक के फूल’ निबन्ध है [2012]
(क) मनोवैज्ञानिक निबन्ध
(ख) ललित निबन्ध
(ग) बुद्धिप्रधान निबन्ध
(घ) ऐतिहासिक निबन्ध

(21) ‘चिन्तामणि’ की गद्य-विधा है [2013, 15]
(क) नाटक
(ख) उपन्यास
(ग) निबन्ध
(घ) कहानी

(22) निबन्ध विधा का सर्वाधिक विकास हुआ [2013]
(क) द्विवेदी युग के
(ख) छायावादी युग के
(ग) भारतेन्दु युग में
(घ) छायावादोत्तर यग में

उत्तर (1) घ, (2) ग, (3) ग, (4) ग, (5) ग, (6) घ, (7) ख, (8) घ, (9) क, (10) क, (11) घ, (12) क,
(13) क, (14) खे, (15) ख, (16) क, (17) ख, (18) ख, (19) क, (20) ख, (21) ग, (22) क

आलोचना विधा पर आधारित

उचित विकल्प का चयन कीजिए–

(1) ‘हिन्दी नवरत्न’ नामक आलोचनात्मक निबन्ध-संग्रह के रचयिता हैं-
(क) आचार्य रामचन्द्र शुक्ल
(ख) श्यामसुन्दर दास
(ग) मिश्रबन्धु
(घ) मोहन राकेश

(2) ‘कबीर’ नामक आलोचनात्मक ग्रन्थ के रचयिता हैं [2011]
(क) डॉ० सम्पूर्णानन्द
(ख) आचार्य रामचन्द्र शुक्ल
(ग) राहुल सांकृत्यायन
(घ) हजारीप्रसाद द्विवेदी

(3) निम्नलिखित में से कौन प्रसिद्ध आलोचक हैं ?
(क) आचार्य रामचन्द्र शुक्ल
(ख) महादेवी वर्मा
(ग) मुंशी प्रेमचन्द
(घ) जयशंकर प्रसाद

(4) निम्नलिखित में से छायावादोत्तर काल के समालोचक नहीं हैं [2010]
(क) हजारीप्रसाद द्विवेदी
(ख) डॉ० नगेन्द्र
(ग) बाबू गुलाबराय
(घ) रामविलास शर्मा

(5) त्रिवेणी’ किस विधा की रचना है ? [2011]
(क) निबन्ध
(ख) संस्मरण
(ग) आलोचना
(घ) कहानी

(6) साहित्यलोचन’ गद्य-विधा की रचना है? [2012]
(क) नाटक
(ख) उपन्यास
(ग) आलोचना
(घ) निबन्ध

उत्तर (1) ग, (2) घ, (3) क, (4) ग, (5) ग, (6) ग।

आत्मकथा विधा पर आधारित

उचित विकल्प का चयन कीजिए-

(1) ‘क्या भूलें क्या याद करूँ’ ( हरिवंशराय बच्चन) किस विधा की रचना है ? [2017, 18]
(क) आत्मकथा
(ख) जीवनी
(ग) संस्मरण
(घ) कहानी

(2) नीड़ का निर्माण फिर’ किस विधा और लेखक की रचना है ?
(क) संस्मरण-सुमित्रानन्दन पन्त
(ख) आत्मकथा-डॉ० हरिवंशराय बच्चन
(ग) जीवनी–सूर्यकान्त त्रिपाठी “निराला’
(घ) रेखाचित्र–महादेवी वर्मा

(3) ‘अपनी खबर’ (पाण्डेय बेचन शर्मा ‘उग्र’) किस विधा की रचना है ? [2010, 15]
(क) निबन्ध
(ख) आत्मकथा
(ग) उपन्यास
(घ) कहानी

(4) ‘मेरी असफलताएँ’ ( बाबू गुलाबराय) किस विधा की रचना है ? [2011, 13, 15]
(क) जीवनी-साहित्य
(ख) कहानी
(ग) डायरी
(घ) आत्मकथा

(5) वियोगी हरि कृत ‘मेरा जीवन प्रवाह’ किस विधा की रचना है ? [2009]
(क) जीवनी
(ख) आत्मकथा,
(ग) संस्मरण
(घ) कहानी

(6) गद्य की किस विधा में काल्पनिक प्रसंगों का स्थान नहीं है? [2012]
(क) कहानी
(ख) उपन्यास
(ग) नाटक
(घ) आत्मकथा

(7) गद्य-विद्या की दृष्टि से आत्मकथा है [2014]
(क) आवारा मसीहा
(ख) कलम का सिपाही
(ग) नीड़ का निर्माण फिर
(घ) शिखर से सागर तक

(8) गुड़िया भीतर गुड़िया’ की विधा है [2016]
(क) कहानी
(ख) आत्मकथा
(ग) रेखाचित्र
(घ) संस्मरण

उत्तर (1) क, (2) ख, (3) ख, (4) घ, (5) ख, (6) घ, (7) ग, (8) ख।।

जीवनी विधा पर आधारित

उचित विकल्प का चयन कीजिए-

(1) ‘आवारा मसीहा’ (शरत्चन्द्र की जीवनी) के रचयिता कौन हैं ? (2010, 12, 13, 16, 17]
(क) रामवृक्ष बेनीपुरी
(ख) रांगेय राघव
(ग) विष्णु प्रभाकर
(घ) राहुल सांकृत्यायन

(2) ‘कलम का सिपाही’ (प्रेमचन्द की जीवनी) के रचयिता कौन हैं ? [2011, 18]
(क) रामवृक्ष बेनीपुरी
(ख) रांगेय राघव
(ग) अमृतराय
(घ) राहुल सांकृत्यायन

(3) निराला की साहित्य-साधना’ (सूर्यकान्त त्रिपाठी “निराला’ की जीवनी) के लेखक हैं—
(क) रामविलास शर्मा
(ख) महादेवी वर्मा
(ग) शान्ति जोशी
(घ) अमृतराय

(4) ‘मनीषी की लोकयात्रा’ ( गोपीनाथ कविराज की जीवनी) के लेखक हैं
(क) रामविलास शर्मा
(ख) भगवतीप्रसाद सिंह
(ग) रामवृक्ष बेनीपुरी
(घ) रामनरेश त्रिपाठी

(5) ‘आवारा मसीहा’ है (2015)
(क) आत्मकथा
(ख) जीवनी
(ग) उपन्यास
(घ) कहानी

उत्तर (1) ग, (2) ग, (3) क, (4) खे, (5) ख।

संस्मरण/रेखाचित्र विधा पर आधारित

उचित विकल्प का चयन कीजिए-

(1) निम्नलिखित रचनाओं में से कौन-सी रचना ‘रेखाचित्र’ है ?
(क) नीरजा
(ख) जयसन्धि
(ग) स्मृति की रेखाएँ
(घ) बिखरे फूल

(2) निम्नलिखित में से कौन-सी रचना देवेन्द्र सत्यार्थी की, रेखाचित्र विधा की रचना नहीं है?
(क) रेखाएँ बोल उठीं
(ख) सौन्दर्य बोध
(ग) रवीन्द्रनाथ ठाकुर
(घ) लाल तारा

(3) ‘पथ के साथी’ की रचना-विधा है [2009]
(क) कहानी
(ख) जीवनी
(ग) आत्मकथा
(घ) संस्मरण

(4) ‘राबर्ट नर्सिंग होम में रचना-विधा की दृष्टि से है
(क) कहानी
(ख) नाटक
(ग) रेखाचित्र
(घ) रिपोर्ताज

(5) ‘माटी हो गई सोना’ किस विधा की रचना है ? [2009]
(क) उपन्यास
(ख) नाटक
(ग) रेखाचित्र
(घ) संस्मरण

(6) ‘मेरे पिताजी’ संस्मरण के लेखक हैं [2012]
(क) कन्हैयालाल मिश्र ‘प्रभाकर’
(ख) हरिशंकर परसाई
(ग) मोहन राकेश
(घ) हजारीप्रसाद द्विवेदी

(7) हिन्दी के रेखाचित्रकार हैं [2016]
(क) जयशंकर प्रसाद
(ख) महादेवी वर्मा
(ग) रामकुमार वर्मा
(घ) विष्णु प्रभाकर

उत्तर (1) ग, (2) घ, (3) घ, (4) घ, (5) ग, (6) क, (7) ख।

डायरी विधा पर आधारित

उचित विकल्प का चयन कीजिए-

(1) ‘डायरी’ विधा का प्रारम्भ युग है
(क) भारतेन्दु युग
(ख) द्विवेदी युग
(ग) छायावाद युग
(घ) छायावादोत्तर युग

(2) ‘मेरी कॉलेज डायरी’ नामक डायरी के लेखक हैं
(क) डॉ० धीरेन्द्र वर्मा
(ख) श्रीराम शर्मा
(ग) जयप्रकाश भारती
(घ) धर्मवीर भारती

(3) ‘डायरी के पन्ने’ नामक डायरी के लेखक हैं-
(क) धर्मवीर भारती
(ख) घनश्याम दास बिड़ला
(ग) सुन्दरलाल त्रिपाठी
(घ) नरदेव शास्त्री ‘वेदतीर्थ

(4) हिन्दी साहित्य में डायरी-लेखन का उद्देश्य है
(क) जीवन-वृत्त
(ख) समाज-सुधार
(ग) आत्मालोचन
(घ) संस्मरण

(5) हिन्दी के प्रथम डायरी लेखक कौन हैं ? (2009)
(क) धीरेन्द्र वर्मा
(ख) इलाचन्द्र जोशी
(ग) शमशेर बहादुर सिंह
(घ) नरदेव शास्त्री ‘वेदतीर्थ

उत्तर (1) ग, (2) क, (3) ख, (4) ग, (5) घ।

रिपोर्ताज एवं यात्रावृत्त विधा पर आधारित

उचित विकल्प का चयन कीजिए-

(1) रिपोर्ताज विधा का प्रारम्भिक युग है
या
‘रिपोर्ताज’ साहित्य विधा किस युग की देन है ?
(क) द्विवेदी युग
(ख) छायावाद युग
(ग) छायावादोत्तर युग
(घ) भारतेन्दु युग

(2) ‘तूफानों के बीच’ किस विधा और लेखक की रचना है ?
(क) संस्मरण-रामवृक्ष बेनीपुरी
(ख) गद्यगीत–राय कृष्णदास
(ग) रेखाचित्र—महादेवी वर्मा
(घ) रिपोर्ताज-डॉ० रांगेय राघव

(3) रिपोर्ताज विधा की रचना नहीं है-
(क) लक्ष्मीपुरा
(ख) पहाड़ों में प्रेममयी संगीति
(ग) युद्ध यात्रा
(घ) दैनन्दिनी

(4) हिन्दी में रिपोर्ताज विधा का प्रवर्तक किसे माना जाता है ?
(क) महादेवी वर्मा
(ख) राहुल सांकृत्यायन
(ग) कन्हैयालाल मिश्र ‘प्रभाकर
(घ) बाबू गुलाबराय

(5) ‘आखिरी चट्टान तक’ की रचना-विधा है [2012, 16]
(क) आत्मकथा
(ख) रिपोर्ताज
(ग) यात्रावृत्त
(घ) कहानी

(6) ‘मेरी तिब्बत-यात्रा’ यात्रावृत्त किस काल की अमूल्य थाती है ? [2009]
(क) भारतेन्दु युग
(ख) द्विवेदी युग
(ग) छायावादोत्तर युग
(घ) छायावाद युग

(7) ‘रिपोर्ताज’ विधा की सफल प्रस्तुति है [2008, 11]
(क) गेहूं बनाम गुलाब
(ख) आचरण की सभ्यता
(ग) कुटज
(घ) राबर्ट नर्सिंग होम में

(8) रिपोर्ताज के लेखक हैं [2010]
(क) जयशंकर प्रसाद
(ख) विष्णुकान्त शास्त्री
(ग) महावीरप्रसाद द्विवेदी
(घ) डॉ० सम्पूर्णानन्द

(9) ‘बंगाल का अकाल’ विधा है [2016]
(क) डायरी
(ख) रेखाचित्र
(ग) रिपोर्ताज
(घ) भेटवार्ता

उत्तर (1) ग, (2) घे, (3) घ, (4) ग, (5) ग, (6) ग, (7) घे, (8) ख, (9) ग

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Board UP Board
Textbook NCERT
Class Class 12
Subject Samanya Hindi
Chapter Chapter 2
Chapter Name गद्य-साहित्यका विकास बहुविकल्पीय प्रश्न : एक
Number of Questions 48
Category UP Board Solutions

UP Board Solutions for Class 12 Samanya Hindi गद्य-साहित्यका विकास बहुविकल्पीय प्रश्न : एक

बहुविकल्पीय प्रश्न : एक

वासुदेवशरण अग्रवाल

उचित विकल्प का चयन कीजिए-

(1) निम्नलिखित में कौन-सा निबन्ध-संग्रह नहीं है ?
(क) भारत की एकता
(ख) पृथिवी-पुत्र
(ग) कल्पवृक्ष
(घ) पाणिनिकालीन भारतवर्ष

(2) पाणिनिकालीन भारतवर्ष’ किस विधा की रचना है ?
(क) पत्र-पत्रिका
(ख) निबन्ध
(ग) आलोचन
(घ) शोध – निबन्ध

(3) ‘कल्पवृक्ष’ निबन्ध के रचनाकार हैं-
(क) श्यामसुन्दर दास
(ख) मोहन राकेश
(ग) सरदार पूर्णसिंह
(घ) वासुदेवशरण अग्रवाल

(4) निम्नलिखित में से कौन छायावादोत्तर युग के लेखक हैं ? [2013]
(क) जयशंकर प्रसाद
(ख) राय कृष्णदास
(ग) बाबू गुलाबराय
(घ) वासुदेवशरण अग्रवाल

(5) ‘पृथिवी-पुत्र’ और ‘माता-भूमि’ नामक निबन्ध-संग्रह के रचनाकार हैंया ‘पृथिवी-पुत्र’ निबन्ध-संग्रह है- [2015, 17]
(क) सरदार पूर्णसिंह
(ख) वासुदेवशरण अग्रवाल
(ग) हरिशंकर परसाई
(घ) कन्हैयालाल मिश्र ‘प्रभाकर

(6) ‘राष्ट्र का स्वरूप’ निबन्ध के रचयिता हैं-
(क) डॉ० सम्पूर्णानन्द
(ख) रायकृष्ण दास
(ग) वासुदेवशरण अग्रवाल
(घ) मोहन राकेश

(7) ‘राष्ट्र का स्वरूप’ निबन्ध संकलित है [2018]
(क) “कल्पलता’ में
(ख) “पृथिवी-पुत्र’ में
(ग) “कल्पवृक्ष’ में
(घ) “मातृभूमि’ में

उत्तर (1) घ, (2) घ, (3) घ, (4) घ, (5) ख, (6) ग, (7) ख।

कन्हैयालाल मिश्र ‘प्रभाकर’

उचित विकल्प का चयन कीजिए-

(1) लघुकथा, संस्मरण, रेखाचित्र और रिपोर्ताजविधाओं का इन्होंने प्रवर्तन और पोषण किया-
(क) रामवृक्ष बेनीपुरी
(ख) सरदार पूर्णसिंह
(ग) जैनेन्द्र कुमार
(घ) कन्हैयालाल मिश्र ‘प्रभाकर

(2) ‘नया जीवन’ और ‘विकास’ पत्र के सम्पादक थे-
(क) डॉ० सम्पूर्णानन्द
(ख) मोहन राकेश
(ग) जैनेन्द्र कुमार
(घ) कन्हैयालाल मिश्र ‘प्रभाकर

(3) ‘क्षण बोले कण मुसकाये’ और ‘बाजे पायलिया के हुँघरू’ दोनों ललित-निबन्ध विधा की रचनाएँ हैं; इनके रचनाकार हैं-
(क) विद्यानिवास मिश्र
(ख) कन्हैयालाल मिश्र ‘प्रभाकर
(ग) महावीरप्रसाद द्विवेदी
(घ) जैनेन्द्र कुमार

(4) ‘दीप जले शंख बजे’ किस लेखक द्वारा रचित संस्मरण विधा की रचना है ?
(क) रामवृक्ष बेनीपुरी
(ख) महावीरप्रसाद द्विवेदी
(ग) कन्हैयालाल मिश्र ‘प्रभाकर’
(घ) जैनेन्द्र कुमार

(5) कन्हैयालाल मिश्र ‘प्रभाकर’ द्वारा रचित कौन-सी रचना रेखाचित्र है ?
(क) नयी पीढ़ी के विचार
(ख) धरती के फूल
(ग) आकाश के तारे
(घ) क्षण बोले कण मुसकाये

(6) इनमें से किस लेखक ने अपनी सर्वाधिक रचनाएँ रेखाचित्र विधा में की हैं ?
(क) विद्यानिवास मिश्र
(ख) जैनेन्द्र कुमार।
(ग) मोहन राकेश
(घ) कन्हैयालाल मिश्र ‘प्रभाकर

(7) देवबन्द(सहारनपुर) जन्म-स्थान है [2015]
(क) मोहन राकेश का
(ख) श्यामसुन्दर दास का
(ग) डॉ० सम्पूर्णानन्द का
(घ) कन्हैयालाल मिश्र ‘प्रभाकर’ का

(8) ‘भूले बिसरे चेहरे’ के रचनाकार हैं (2018)
(क) रामधारीसिंह ‘दिनकर’
(ख) कन्हैयालाल मिश्र ‘प्रभाकर’
(ग) हरिशंकर परसाई
(घ) हजारीप्रसाद द्विवेदी

उत्तर (1) घ, (2) घ, (3) ख, (4) ग, (5) के, (6) घ, (7) घ, (8) ख।

आचार्य हजारीप्रसाद द्विवेदी ।

उचित विकल्प का चयन कीजिए-

(1) निम्नलिखित रचनाओं में कौन-सी रचना आलोचना विधा की रचना है ?
(क) अशोक के फूल
(ख) हिन्दी-साहित्य
(ग) पुनर्नवा
(घ) साहित्य का मर्म

(2) निम्नलिखित में कौन-सी रचना ‘इतिहास’ नहीं है ?
(क) हिन्दी-साहित्य की भूमिका
(ख) हिन्दी-साहित्य
(ग) हिन्दी-साहित्य का आदिकाल
(घ) बाणभट्ट की आत्मकथा

(3) ‘अशोक के फूल’ तथा ‘विचार-प्रवाह’ निबन्ध-संग्रह के लेखक हैं-
(क) वासुदेवशरण अग्रवाल
(ख) रामवृक्ष बेनीपुरी
(ग) कन्हैयालाल मिश्र ‘प्रभाकर’
(घ) आचार्य हजारीप्रसाद द्विवेदी

(4) ‘कुटज’ किस विधा की रचना है?
(क) कहानी
(ख) संस्मरण
(ग) उपन्यास
(घ) ललित निबन्ध

(5) इनमें से कौन-सी रचना उपन्यास नहीं है ?
(क) अनामदास का पोथा
(ख) चारु चन्द्रलेख
(ग) आलोक पर्व
(घ) बाणभट्ट की आत्मकथा

(6) ‘कालिदास की लालित्य योजना’ किस विधा की रचना है ?
(क) आलोचना
(ख) संस्मरण
(ग) नाटक
(घ) निबन्ध

(7) हिन्दी के उच्च स्तरीय ललित-निबन्धकारों में इनका मूर्धन्य स्थान है-
(क) श्यामसुन्दर दास
(ख) प्रतापनारायण मिश्र
(ग) हजारीप्रसाद द्विवेदी
(घ) जयशंकर प्रसाद

(8) निम्नलिखित में कौन छायावादी युग के गद्य-लेखक हैं ?
(क) प्रतापनारायण मिश्र
(ख) हजारीप्रसाद द्विवेदी
(ग) भारतेन्दु हरिश्चन्द्र
(घ) नन्ददुलारे वाजपेयी

(9) हजारीप्रसाद द्विवेदी का जन्म-काल है–
(क) 1907 ई०
(ख) 1906 ई०
(ग) 1902 ई०
(घ) 1905 ई०

(10) हजारीप्रसाद द्विवेदी का लेखन-युग है
(क) भारतेन्दु युग
(ख) द्विवेदी युग
(ग) छायावाद युग
(घ) छायावादोत्तर युग

(11) हजारीप्रसाद द्विवेदी के निबन्ध किस श्रेणी में आते हैं ? [2009]
(क) ऐतिहासिक निबन्ध
(ख) मनौवैज्ञानिक निबन्ध
(ग) ललित निबन्ध
(घ) वस्तुप्रधान निबन्ध

(12) सन् 1957 में पद्मभूषण से अलंकृत हुए [2013]
(क) रायकृष्ण दास
(ख) विद्यानिवास मिश्र
(ग) अज्ञेय
(घ) हजारीप्रसाद द्विवेदी

(13) ‘बाणभट्ट की आत्मकथा’ विधा की रचना है [2014]
(क) उपन्यास
(ख) जीवनी
(ग) आत्मकथा
(घ) रिपोर्ताज

(14) डॉ० हजारीप्रसाद द्विवेदी का उपन्यास है [2015]
(क) त्याग
(ख) भूले-बिसरे चित्र
(ग) अनामदास का पोथा
(घ) सूरज का सातवाँ घोड़ा।

उत्तर(1) घ, (2) घ, (3) घ, (4) घ, (5) ग, (6) क, (7) ग, (8) घ, (9) क, (10) घ, (11) ग, (12) घ, (13) के, (14) ग।

प्रो० जी० सुन्दर रेड्डी

उचित विकल्प का चयन कीजिए-

(1) हिन्दीतर प्रदेश के निवासी होते हुए भी इनका हिन्दी भाषा पर अच्छा अधिकार है-
(क) राय कृष्णदास
(ख) रामवृक्ष बेनीपुरी।
(ग) स० ही० वात्स्यायन ‘अज्ञेय’
(घ) प्रो० जी० सुन्दर रेड्डी

(2) भाषा और आधुनिकता’ किस विधा की रचना है ? (2012)
(क) नाटक
(ख) कहानी
(ग) उपन्यास
(घ) निबन्ध

(3) “लेखन में वैज्ञानिक शब्दावली को ज्यों का त्यों लेना चाहिए।” यह सुझाव है
(क) स० ही० वात्स्यायन ‘अज्ञेय’ का
(ख) राय कृष्णदास का
(ग) हजारीप्रसाद द्विवेदी का
(घ) प्रो० जी० सुन्दर रेड्डी का

(4) ‘मेरे विचार’ और ‘वैचारिकी’ नामक निबन्ध-संग्रह किस लेखक के द्वारा रचित हैं ?
(क) हजारीप्रसाद द्विवेदी
(ख) जैनेन्द्र कुमार।
(ग) प्रो० जी० सुन्दर रेड्डी
(घ) कन्हैयालाल मिश्र ‘प्रभाकर’

(5) ‘साहित्य और समाज’ नामक कृति किस विधा की रचना है ?
(क) नाटक
(ख) निबन्ध
(ग) आलोचना
(घ) कहानी

(6) ‘शोध और बोध’ नामक शोध-कृति के रचनाकार हैं-
(क) प्रो० जी० सुन्दर रेड्डी
(ख) श्यामसुन्दर दास
(ग) जैनेन्द्र कुमार।
(घ) मोहन राकेश

उत्तर (1) घ, (2) घ, (3) घ, (4) ग, (5) ख, (6) क।

हरिशंकर परसाई

उचित विकल्प का चयन कीजिए-

(1) निम्नलिखित में से कौन-सी रचना उपन्यास है ?
(क) और अन्त में
(ख) भूत के पाँव पीछे
(ग) सदाचार का तावीज
(घ) रानी नागफनी की कहानी

(2) वसुधा’ साहित्यिक पत्रिका के प्रकाशक एवं सम्पादक थेया ‘वसुधा’ मासिक पत्रिका का सम्पादन किया था [2016]
(क) राय कृष्णदास
(ख) रामवृक्ष बेनीपुरी
(ग) अज्ञेय
(घ) हरिशंकर परसाई

(3) समाज की कमजोरियों एवं राजनीति के फरेबों पर करारे व्यंग्य लिखने में सिद्धहस्त थे-
(क) रामवृक्ष बेनीपुरी ।
(ख) स० ही० वात्स्यायन ‘अज्ञेय’
(ग) प्रोफेसर जी० सुन्दर रेड्डी
(घ) हरिशंकर परसाई

(4) इनकी शैली व्यंग्यप्रधान है और इन्होंने हिन्दी में व्यंग्य-लेखन को नयी दिशा दी
(क) श्यामसुन्दर दास
(ख) हरिशंकर परसाई
(ग) मोहन राकेश
(घ) जैनेन्द्र कुमार

(5) इनमें से कौन-सी रचना ‘निबन्ध’ विधा की रचना नहीं है ?
(क) तट की खोज
(ख) भूत के पाँव पीछे
(ग) सदाचार का तावीज ।
(घ) शिकायत मुझे भी है।

(6) इनमें से कौन-सी ‘निबन्ध’ विधा की रचना परसाई द्वारा रचित नहीं है ?
(क) तब की बात और थी।
(ख) बेईमानी की परत
(ग) बकलमखुद
(घ) पगडण्डियों का जमाना

(7) निम्नलिखित में से छायावादोत्तर गद्यकार हैं-
(क) महावीरप्रसाद द्विवेदी
(ख) बालकृष्ण भट्ट
(ग) हरिशंकर परसाई
(घ) श्यामसुन्दर दास

(8) निन्दा रस’ निबन्ध के रचनाकार हैं [2011, 13, 16, 17, 18]
(क) हेजारीप्रसाद द्विवेदी
(ख) प्रेमचन्द
(ग) हरिशंकर परसाई
(घ) जैनेन्द्र कुमार

उत्तर (1) घ, (2) घ, (3) घ, (4) ख, (5) क, (6) ग, (7) ग, (8) ग।

डॉ० ए०पी०जे० अब्दुल कलाम

उचित विकल्प का चयन कीजिए–

(1) डॉ० अब्दुल कलाम का जन्मस्थान है
(क) बनारस
(ख) फर्रुखाबाद
(ग) तमिलनाडु
(घ) दिल्ली

(2) भारत के ग्यारहवें राष्ट्रपति कौन थे?
(क) डॉ० अब्दुल कलाम ।
(ख) डॉ० राधाकृष्णन
(ग) डॉ० राजेन्द्र प्रसाद
(घ) इनमें से कोई नहीं

(3) डॉ० अब्दुल कलाम को इनमें से किस सम्मान से सम्मानित किया गया?
(क) पद्मभूषण
(ख) पद्मविभूषण
(ग) भारतरत्न
(घ) इनमें से कोई नहीं

(4) ‘मिशन इण्डिया’ पुस्तक के लेखक हैं-
(क) पं० जवाहरलाल नेहरू
(ख) प्रणब मुखर्जी
(ग) अब्दुल कलाम
(घ) गांधी जी

(5) डॉ० अब्दुल कलाम का निधन हुआ-
(क) 27 जुलाई, 2015 को
(ख) 15 जुलाई, 2017 को
(ग) 27 जुलाई, 2014 को
(घ) 15 अगस्त, 2015 को

उत्तर (1) ग, (2) क, (3) ख, (4) ग, (5) क।

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UP Board Solutions for Class 12 English Prose Chapter 2 A Fellow Traveller

UP Board Solutions for Class 12 English Prose Chapter 2 A Fellow Traveller are part of UP Board Solutions for Class 12 English. Here we have given UP Board Solutions for Class 12 English Prose Chapter 2 A Fellow Traveller.

Board UP Board
Textbook NCERT
Class Class 12
Subject English Prose
Chapter Chapter 2
Chapter Name A Fellow Traveller
Number of Questions Solved 25
Category UP Board Solutions

UP Board Solutions for Class 12 English Prose Chapter 2 A Fellow Traveler

LESSON at a Glance

A.G. Gardiner is one of the best essayists the world has ever had. He had the genius of describing ordinary things in an exceptionally interesting manner. The present story is an example of it.

Gardiner was travelling in a passenger train from London to a Midland Town. The passengers got down in ones and twos at the wayside stations, and in the end he was left alone in the compartment.

The sense of being alone in the compartment opened up a basketful of good things for Gardiner. Instead of feeling loneliness, he thought he could do anything he liked, he. could stand upwards on his head and nobody would see him. He could sing, dance, open or shut the windows but nobody would object it. But alas! a mosquito was disturbing him.

The mosquito fluttered, took a round in the compartment and sat on the nose of the writer. He flicked it off but it again sat on his nose after taking another round of the compartment. Then, it sat on the back of his hand and then on the newspaper he was reading. He warned the mosquito twice but in vain. Now, Gardiner decided to kill it. He adopted many tactics to get hold and kill the mosquito, but every time it escaped. At last Gardiner began to enter into the spirit of a fellow mosquito. It was no more a mere insect for him. He realised that he and the mosquito were fellow mortals in this world. But by chance they had become fellow-travellers that night.

Gardiner concludes that we take birth but we do not know from where we have come. This remains a mystery. Our life in this world is very short yet it is full of wonders. We have to struggle hard to live for this short period. Then, we go away from this world our own way.

पाठ का हिन्दी अनुवाद

(1) I do not ………….. even D.O.R.A.
मैं नहीं जानता कि हममें से कौन डिब्बे में पहले सवार हुआ। वास्तव में, मैं यह भी नहीं जानता था कि वह कुछ समय के लिए डिब्बे में था। यह लन्दन से मिडलैण्ड टाउन को जाने वाली अन्तिम गाड़ी थी, एक अत्यन्त धीमी गति से चलने वाली गाड़ी और ऐसा लगता था कि सम्भवत: यात्रा कभी समाप्त ही नहीं होगी। जब वह चली थी तब इसमें बहुत अधिक भीड़ न थी किन्तु ज्यों ही यह उपनगरीय स्टेशनों पर रुकती थी तब एक-एक या दो-दो यात्री नीचे उतर जाते थे, किन्तु जैसे ही हम लन्दन के बाहरी क्षेत्र से आगे बढ़े, तब डिब्बे में मैं अकेला ही था।

रात्रि के समय जो डिब्बा शोर करता हुआ झटके ले रहा हो उसमें अकेले यात्रा करना स्वतन्त्रता का आनन्द देता है। वहाँ बहुत प्रकार से स्वतन्त्रता का सुखद आभास होता है। आप अपनी पसन्द का कोई भी कार्य कर सकते हैं। आप स्वयं से जितनी जोर से चाहें बातें कर सकते हैं और कोई भी व्यक्ति आपको सुनेगा नहीं। आप जॉन (अपने काल्पनिक शत्रु) से सफलतापूर्वक लड़ सकते हैं और बिना किसी जवाबी हमले के भय के आप उसे मिट्टी में लुढ़का सकते हैं। आप अपने सिर के बल खड़े हो सकते हैं। दो कदम नाच सकते हैं। गोल्फ का अभ्यास कर सकते हैं या बिना किसी रोक-टोक के फर्श पर कंचे खेल सकते हैं या उसे बन्द कर

सकते हैं। आप दोनों खिड़की खोल सकते हैं या दोनों बन्द कर सकते हैं। आप कोई भी कोना चुन सकते हैं। और बारी-बारी से सारे कार्य कर सकते हैं। आप गद्दों पर लम्बे-लम्बे लेट सकते हैं और सारे नियमों को तोड़ सकते हैं। सम्भवतः अंग्रेजों के सुरक्षा कानूनों को भी।

(2) On this ………….. humiliated me.
इस रात मैंने कोई कार्य नहीं किया। वे बातें मेरे मन में भी नहीं आई। जो कुछ मैंने किया वह बहुत साधारण बात थी। जब मेरा अन्तिम साथी यात्री भी चला गया तब मैंने अपना अखबार रख दिया। अपने हाथ और पैर फैलाए, खड़ा हो गया और शान्त गर्मियों की रात्रि को खिड़की के बाहर झाँककर देखा जिसमें मैं यात्रा कर रहा था और दिन की धुंधली रोशनी को देखा जो अब भी आकाश में उत्तर की ओर थी। मैं डिब्बे के इस पार से उस पार तक गया और दूसरी खिड़की में से बाहर देखा, एक सिगरेट जलाई, बैठ गया और फिर पढ़ने लगा। उस समय मैं अपने साथी यात्री से सावधान हो गया। वह आया और मेरी नाक पर बैठ गया। वह उन कीड़े-मकोड़ों में से एक था जिन्हें हम यों ही मच्छर कह देते हैं। वह पंख वाला, तेज डंक वाला तथा निर्भीक था। मैंने उसे अपनी नाक पर से हटा दिया। उसने डिब्बे का दौरा किया। उसकी लम्बाई, चौड़ाई तथा ऊँचाई का निरीक्षण किया। प्रत्येक खिड़की को देखा। रोशनी के चारों ओर पंख फड़फड़ाए, उसने निश्चय कर लिया कि कोने में बैठे हुए मुझ जैसे बड़े प्राणी से अधिक मनोरंजक वस्तु उसके लिए और नहीं है, वह आया और उसने मेरी गर्दन पर निगाह डाली।

मैंने उसे फिर झटके से हटा दिया। वह उड़ गया, पूरे डिब्बे का दूसरा दौरा किया, वापस लौटा और धृष्टता से मेरे हाथ के पीछे बैठ गया। मैंने कहा, “यह काफी है। उदारता की भी सीमा होती है। तुम्हें दो बार चेतावनी दी गई है कि मैं एक विशेष व्यक्ति हूँ, मुझे पसन्द नहीं है कि कोई अपरिचित व्यक्ति मेरे शरीर पर गुदगुदाए। मैं अब स्वयं को एक जज मानता हूँ जो किसी कैदी को मौत का दण्ड सुनाता है। मैं तुम्हें मृत्यु दण्ड देता हूँ। यही न्याय की माँग है और अदालत का यह आदेश है। तुम्हारे विरुद्ध बहुत-से आरोप हैं। तुम आवारा हो, तुम लोक कंटक हो, तुम बिना टिकट के यात्रा कर रहे हो, तुम्हारे पास मीट कूपन भी नहीं है अर्थात् तुम्हें किसी को खून चूसने का अधिकार नहीं है। इन सभी और अनेक अन्य जुर्मों के कारण तुम अब मरने वाले हो।” मैंने अपने सीधे हाथ से बहुत तेज घातक घूसा मारा। वह बड़ी चालाकी से मेरे मुक्के से बचकर भाग गया और मैंने स्वयं को बड़ा अपमानित अनुभव किया।

(3) My personal ………….. I s it.
मेरा व्यक्तिगत अभिमान जाग्रत हो गया। मैं अपना पैंसा तानकर तथा अखबार लेकर आगे बढ़ा। मैं अपनी सीट पर कूदा और लैम्प के चारों ओर उसका पीछा किया। मैंने बिल्ली जैसी चतुराई की चालें अपनाईं, जब तक वह नीचे उतरा मैंने उसकी प्रतीक्षा की एवं चुपचाप आगे बढ़ा और अचानक तेजी से एवं भयंकर ढंग से उस पर वार किया।

यह भी व्यर्थ रहा। वह मेरे साथ इस प्रकार खेला जैसे कोई साँड से कुश्ती लड़ने वाला व्यक्ति क्रोधित साँड के चारों ओर चतुराई से घूमता है तथा उससे निबटता है। यह स्पष्ट हो गया था कि यह अपना मनोरंजन कर रहा था और इसी कारण उसने मेरी शान्ति को भंग किया था। वह थोड़ा खेलना चाहता था और ऐसा खेल कि इतने बड़े और भारी प्राणी के चारों ओर घूम-फिरकर जो इतना अच्छा लगता है और इतना निःसहाय और मूर्ख दिखाई देता था। मैंने अब समझने की कोशिश आरम्भ कर दी। वह अब केवल एक कीड़ा-मकोड़ा ही नहीं था। वह ऐसा बुद्धिमान व्यक्ति होता जा रहा था जो मेरी बराबरी के आधार पर ही उस डिब्बे पर अपना अधिकार रखता था। मैंने उसकी ओर स्नेह का अनुभव किया और मेरी महानता की भावना गायब होने लगी। मैं अपने आपको उस प्राणी से महान् कैसे मान सकता था जो स्पष्ट रूप से उस प्रतियोगिता में मेरा स्वामी था जिसमें हम इतनी देर से लगे थे। फिर क्यों न मैं विशाल हृदय वाला बनूं। विशाल हृदय तथा दया मनुष्य के दो सबसे अच्छे लक्षण हैं। इन्हीं दोनों गुणों के अभ्यास से मैं अपने सम्मान को पुनः प्राप्त कर सकता हूँ। इस समय मैं एक हँसी-मजाक की वस्तु था, दयावान होकर मैं मनुष्य के नैतिक सम्मान को पुन: प्राप्त कर सकता हूँ और सम्मान के साथ अपने कोने में जा सकता हूँ। अपनी सीट पर वापस आकर मैंने कहा कि मैं मृत्यु-दण्ड वापस लेता हूँ। मैं तुम्हें नहीं मार सकता, किन्तु मैं तुम्हारे मृत्यु-दण्ड को क्षमा कर सकता हूँ। मैं ऐसा कर रहा हूँ।

(4) I took up my ………….. round the lamp.
मैंने अखबार उठाया और वह आकर इस पर बैठ गया। मैंने कहा, ऐ मूर्ख साथी, तुमने स्वयं को मेरे हवाले कर दिया है। मैं इस सम्मानित साप्ताहिक-पत्र के दोनों पन्नों को यदि जोर से बन्द करू जैसे चाँटे की आवाज होती है तब तुम दो लेखों के बीच कुचले जाओगे और मर जाओगे, एक लेख ‘Peace Traps’ और दूसरा “The Modesty of Mr Hughes. किन्तु मैं ऐसा नहीं करूंगा। मैंने तुम्हें मृत्यु-दण्ड से क्षमा किया है और मैं तुम्हें इस बात से सन्तुष्ट कर दूंगा कि मैं जो कहता हूँ वही करता हूँ। इसके अतिरिक्त मैं तुम्हें मारना भी नहीं चाहता। तुम्हें भली प्रकार जान-पहचानकर, मैं तुमसे स्नेह करने लगा हूँ। मैं कल्पना करता हूँ कि सैंट फ्रांसिस भी तुम्हें छोटा भाई ही मानता है। मैं इतनी उदारता तथा विनम्रता नहीं दिखा सकता, किन्तु मैं तो इससे भी दूर का रिश्ता पहचानता हूँ। संयोग से हम इस गर्मियों की रात्रि में साथी यात्री बन गये हैं। मैंने तुम्हारा मनोरंजन किया और तुमने मेरा। हमारे अहसान पारस्परिक हैं और इस सत्य पर आधारित हैं कि हम दोनों ही नश्वर प्राणी हैं। हमारे जीवन का आश्चर्य और रहस्य समान है। मैं मानता हूँ कि तुम अपनी यात्रा के विषय में कुछ नहीं जानते। मुझे यह भी निश्चय नहीं है कि अपनी यात्रा के बारे में मैं अधिक जानता हूँ। वास्तव में, जब तुम यह सोचोगे तो पाओगे कि हम दोनों एक-दूसरे के ही समान हैं-केवल भूत, जो हैं और नहीं भी हैं जो रात्रि में इस प्रकार प्रकाशमान डिब्बे में आ गए हैं, थोड़ी देर तक चिराग पर फड़फड़ा रहे हैं और पुनः अँधेरे में चले जाएँगे। शायद ………

खिड़की पर से एक आवाज आई ‘Going on tonight; Sir यह एक जाने-पहचाने कुली की आवाज थी, जिसने मुझे इशारा दिया कि यही स्टेशन है, जहाँ मुझे उतरना है। मैंने उसे धन्यवाद दिया और कहा कि मैं ऊँघ रहा था। अपना टोप और छड़ी लेकर मैं गर्मियों की ठण्डी रात में बाहर आ गया। जब मैंने डिब्बे का दरवाजा बन्द किया तब मैंने अपने साथी यात्री को लैम्प के चारों ओर पंख फड़फड़ाते हुए देखा।

Understanding the Text

Explanations
Explain one of the following passages with reference to the context :
(1) I do not know ………….. I was alone.
Or
I do not know ………….. eternity. [2015]
Reference : These lines have been taken from the lesson ‘A Fellow-traveller’ written by a famous English essayist A.G. Gardiner. [ N.B. : The above reference will be used for all explanations of this lesson. )

Context : This delightful essay is about an encounter between a mosquito and the author who were travelling in the same compartment of a train.

Explanation : The writer was travelling by a passenger train and was left alone in the carriage as all other passengers had alighted from it on the way side stations. It was the last suburban train from London to a Midland town. When the train left the outer ring of London behind, the writer was the only passenger in the compartment and only then he realized that he was alone.

(2) There is a pleasant ………….. anything you like. [2011, 18]
Context : The writer was travelling by a train and was left alone in the carriage as all other passengers had alighted from it.

Explanation : The writer says that travelling in a carriage, all alone, which is moving along jerkily at night making much noise is a unique experience. It gives you pleasure of personal liberty. This liberty is altogether unchecked and is infact very pleasing. You are free to do whatever you like.

(3) I flicked him off my nose ………….. took at my neck. [2009]
Or
He was one of ………….. at my neck. [2015]
Context : The writer was travelling in a train. When the last of his fellow passengers had gone, he lit a cigarette, sat down and began to read again. It was then that a mosquito joined him in the compartment and sat on his nose.

Explanation : The writer says that he struck the mosquito off his nose with a sharp light blow. The mosquito flew away and examined the entire compartment, went to see each window and then moved restlessly round the light. The author further says that the mosquito came to the conclusion that he (the author) was the most advantageous creature for him in the compartment, sitting in a corner. It came near the author and had a glance at his neck.

(4) I flicked him off ………….. has its limits. [2013]
Context : The writer was travelling in a train. When all the passengers had gone, a mosquito began to disturb the writer again and again. He began to move in the whole compartment and thought the writer to be most interesting from him to play with.

Explanation : In this passage the writer describes the imprudence of the mosquito. After taking the round of the whole compartment, the mosquito came and sat upon the neck of the writer. The writer struck him with a light sharp blow. But the mosquito again flew away, took a round of the compartment and seated himself rudely on the back of the writer’s hand. But the writer could not bear it anymore and told the mosquito that genersity has its limit and reminded him that he had already warned him twice.

(5) It is enough ………….. court awards it.
Context : The writer was travelling in a passenger train from London. When the train had left the outer ring of London, only the writer was left there. He was tired of a mosquito who troubled him again and again. Now, the mosquito sat on the back of his hand.

Explanation : The writer could not tolerate this bold mischief of the mosquito. He could not be generous any more. He had already warned it twice. The writer thought about himself that he was not an ordinary man. He must be regarded. But the little mosquito was disturbing him and tickling his body again and again. It was a stranger. So, he decided to punish it. He thought himself to be a judge and decided to condemn it to death as there were many charges against it.

(6) I assume the ………….. humiliated me. [2009, 17, 18]
Context : The writer was travelling in a train. His fellow-traveller was a mosquito who disturbed him very much. First, author explained him in every way but he did not obey and accept his suggestions. Then, the author was ready to kill him.

Explanation : In these lines the writer says that seeing the dangerous activities of mosquito he warned him for punishment. He told him that he was authorised to condemn him to death. He charged his fellow-traveller that he has no ticket of railway, no license of meat. He was a vegabond and a public nuisance. For these and many other misdemeanours he should be sentenced to death. The writer further says that he struck the mosquito off his nose with a sharp light blow with his right hand. But he flew away to save himself and the writer felt himself ashamed very much.

(7) My personal vanity ………….. terrible swiftness. [2011]
Context : A great battle was going on between the writer and the mosquito. The mosquito constantly disturbed the writer. Becoming a judge, the writer sentenced the mosquito to death. He charged the mosquito in many ways.

Explanation : The writer thought that his decision was quite right. He wanted to kill it. He struck a fatal blow with his right hand and with his paper he jumped on the seat and followed him. He used all tactics but the mosquito dodged every attack. But every time he failed.

(8) He played with me ………….. spirit of the fellow. [2013]
Context : The writer was travelling in a train. When all the passengers had gone, a mosquito began to disturb him again and again. The writer tried his best to stop him but he did not obey him and continued disturbing him. He warned him to kill him and framed many serious charges against him but all in vain.

Explanation : In this passage the writer accepts his defeat. He wanted to kill him but his all efforts failed and the mosquito went on enjoying this fight. He played with the writer openly and courageously. It was a show of a fight between a metador and an angry bull. In this fight the writer himself behaved like an angry bull and the mosquito like a skilful metador. It was clear to the writer that the mosquito was enjoying himself by moving round the man who seemed to him so helpless and stupid. Now the writer changed his feelings against the mosquito and began to enter into his spirit.

(9) It was obvious ………….. and so stupid. [2012]
Context : A great battle was going on between the writer and the mosquito. The writer used all tactics to kill the mosquito but the mosquito dodged every attack. Thus the writer failed every time.

Explanation : Now the writer had come to know the reality of the sport between him and mosquito. According to the writer the mosquito was busy in his own entertainment. Therefore he had disturbed him. He wanted to play a game fluttering round the man who seemed to him so big and so stupid. The writer also realized that the mosquito had the equal right on the compartment. Thus the writer accepted his defeat and changed his views.

(10) I began to enter ………….. my prestige. [2014]
Context : During his journey the writer was troubled very much by a mosquito. He warned it twice but useless. Third time he decided to kill it. But by its clever trick the mosquito saved itself from all cunning tactics of the writer. So, the writer was perplexed.

Explanation : The writer accepted his defeat. He began to understand him and love him. He accepted that the mosquito also was not only an ordinary insect but it also had a personality of its own. It proved that it had the equal right like the writer to stay in the compartment. Now, the writer did not think himself superior to the mosquito because it had defeated him in the competition. Now the writer decided to be magnanimous. He remembered that magnanimity and mercy are the two noble qualities of man. Thus by developing these two qualities, he would be able to get back his lost prestige.

(11) Magnanimity and mercy ………….. I do it. [2012, 18]
Or
At present ………….. I do it. [2018]
Context : The writer could not kill the mosquito. Now, he started having kindly feelings for the mosquito. His sense of superiority began to disappear gradually. He felt that the mosquito had equal rights to be in the compartment. It had equal rights to live and enjoy. So the writer now decided to be generous and kind to the mosquito.

Explanation : Now, it dawned on the writer that generosity and mercy were the greatest qualities of man. He felt that by being generous and merciful he could get back his honour lost in his fight with the mosquito. Thus, he could save his face. He felt how foolish and helpless, he was at that moment. He was an object of mockery. But by showing mercy and forgiveness, he could thus recover his lost honour. He came back to his seat. He would not punish the mosquito with death. He would not kill it. He had suspended his death sentence.

(12) But I shall not do it. ………….. distant relationship. [2013]
Context : The writer accepted his defeat in the encounter with the mosquito and developed an affection for him. He decided to withdraw the death sentence to maintain his moral dignity and honour.

Explanation : In these lines the writer tells the mosquito his decision of not killing him because he has pardoned him. But he wants to make him aware that he does what he says. But now he has come to know him well and has developed an affection for him. St. Francis would have called him ‘Little Brother’. He can’t show such christian civility but he had a distant relationship with him, i.e. both of them are fellow-travellers. Both have interested each other in the dark of night.

(13) The obligation is mutual ………….. about mine. [2009, 17]
Context : The writer accepted his defeat in the encounter with the mosquito. Now he decided to pardon the mosquito and withdraw the death sentence. That was the only way to maintain his moral dignity and honour.

Explanation : Now the writer has changed his attitude for the mosquito. He treats it on equal terms. He thinks that both are obliged to each other because both have entertained each other. Moreover, both of them are mortals. So he compares their life to a journey. None knows when and where this journey will end. Both have taken birth in this world, enjoy their life, wander hither and thither and ultimately die and this world becomes dark to them. This is the philosophic attitude of the writer about life.

(14) The miracle of life ………….. night again. [2009, 17, 18]
Context : In the end the mosquito sat on the newspaper and it was in the hands of the writer. But he did not kill it because he had reprieved it. He thought that by chance they became the fellow-travellers. Both entertained each other. They were now friends because they were fellow mortals.

Explanation : In these lines the writer says that life is the greatest miracle of nature. Nobody knows exactly about his life. The beginning and end of our life both are a mystery. All the creatures on this earth are fellow-travellers. None is superior or inferior. We take birth but don’t know from where we have come. We struggle hard for our life in this world for a short period. Then, we go away from this world but do not know where we have to go. This is the journey of our life. [N. B. : Thus, the writer has taught us a lesson of fraternity among all creatures because the mystery and miracle of life are common to all.)

Short Answer Type Questions

Answer one of the following questions in not more than 30 words:
Question 1.
Give a brief description of the train Mr. A.G. Gardiner travelled by. [2009]
(जिस रेलगाड़ी में मि० ए० जी० गार्डनर ने यात्रा की उसका संक्षिप्त विवरण दीजिए)
Answer :
The writer was travelling by a suburban train which ran from London to a Midland Town. It was a stopping train.
(लेकख उपनगरीय रेलगाड़ी से यात्रा कर रहा था यह गाड़ी मीलडलोड के एक -एक कसबे तक जगह -जगह रुक कर जाती थी)

Question 2.
Why did the author call the train as one of those trains which give you an understanding of eternity’ ?
(लेखक ने गाड़ी को ऐसी गाड़ी क्यों कहा है जो अनन्त काल का आभास कराती है ?)
Answer :
The train was running very slow. It stopped at all stations. So, the writer thought that his journey would never end and he called the train as such.
(रेलगाड़ी बहुत धीमी चल रही थी। यह सभी स्टेशनों पर रुकती थी। इसलिए लेखक ने सोचा कि उसकी यात्रा कभी समाप्त नहीं होगी और ऐसा ही उसने गाड़ी के विषय में सोचा।)

Question 3.
What did the author think by the time the train left London ?
(जिस समय गाड़ी लन्दन से रवाना हुई उस समय लेखक ने क्या सोचा ?)
Answer :
When the train left London the author thought that he was all alone in the compartment. So, he was at liberty to do anything he liked.
(जब गाड़ी लन्दन से रवाना हुई तब लेखक ने सोचा कि डिब्बे में वह अकेला है। इसलिए वह कुछ भी करने को स्वतन्त्र है जो वह चाहे।)

Question 4.
What is, according to Mr. A.G. Gardiner, the pleasant sense of freedom about being alone in a compartment ?
(मि० ए० जी० गार्डनर के अनुसार रेल के डिब्बे में अकेला होने पर स्वतन्त्रता का क्या आनन्द प्राप्त होता है ?)
Answer :
According to A.G. Gardiner, the pleasant sense of freedom about being alone in a compartment is that the passenger is free to do what he likes.
(ए० जी० गार्डनर के अनुसार रेल के डिब्बे में अकेला होने पर यात्री को स्वतन्त्रता का यही आनन्द प्राप्त होता है कि वह अपनी पसन्द का कोई भी कार्य करने को स्वतन्त्र है।)

Question 5.
What, according to A.G. Gardiner, are the advantages of travelling alone in a railway compartment ? [2010, 11, 18]
(ए० जी० गार्डनर के अनुसार रेलगाड़ी के डिब्बे में अकेले ही यात्रा करने के क्या लाभ हैं?)
Answer :
According to the author, travelling alone in a compartment, a person could talk easily to himself, sing or dance, play marbles, open or shut windows, walk or lie down at full length on the cushion for rest.
(लेखक के अनुसार रेल के डिब्बे में अकेले यात्रा करते समय व्यक्ति अपने आप से सरलता से बातें कर सकता है, गीत गा सकता है या नाच सकता है, खिड़कियों को खोल या बन्द कर सकता है, टहल सकता है। या आराम करने के लिए गद्दे पर पसर कर लेट सकता है।)

Question 6.
What things would you do if you were travelling alone in a compartment ?
(यदि आप डिब्बे में अकेले यात्रा कर रहे हों तब आप क्या-क्या काम करेंगे ?)
Or
What can one do freely while travelling alone in a carriage of a night train according to A.G. Gardiner ?
(ए० जी० गार्डनर के अनुसार एक रात की गाड़ी में यात्रा करते हुए कोई आजादी से क्या कर सकता है?)
Answer :
If I was travelling alone in a compartment, I could talk myself, sing or dance, open or shut the windows. I could sit in a corner.
(यदि मैं डिब्बे में अकेले यात्रा करू, तो मैं अपने आप से बातें करू, गाऊँ, नाचूँ, खिड़कियाँ खोलें या बन्द करूं। मैं किसी कोने में भी बैठ जाऊँ।).

Question 7.
What does the abbreviation D. O. R. A. stand for?
(D. 0. R. A. को पूरा अर्थ क्या है ?)
Answer :
D. O. R. A. stands for the Defence of the Realm Act which provided the British Government wide power during the Great war.
(D. O. R. A. का अर्थ है ‘राज्य सुरक्षा अधिनियम’ जिसने प्रथम विश्वयुद्ध में ब्रिटिश सरकार को बहुत अधिक शक्ति प्रदान की थी।)

Question 8.
What did the author do while travelling alone in the compartment ?
(लेखक जिस समय डिब्बे में अकेला यात्रा कर रहा था तब उसने क्या किया?)
Answer :
While travelling alone in the compartment, the author put down his paper, stretched his arms and legs, stood up and looked out of the window, lit a cigar, sat down and began to read the paper again.
(जब लेखक डिब्बे में अकेला यात्रा कर रहा था तब उसने अपना अखबार रख दिया। अपने हाथ-पैर फैलाये, खड़ा हुआ और खिड़की से बाहर देखा, सिगार जलाया, फिर बैठ गया और पुन: अखबार पढ़ने लगा।)

Question 9.
Who was A.G. Gardiner’s fellow-traveller ? When did the author become aware of his fellow-traveller ? [2012, 16, 18]
(लेखक का साथी यात्री कौन था ? लेखक को अपने साथी यात्री का पता कब चला ?)
Answer :
A. G. Gardiner’s fellow-traveller was a mosquito. The author became aware of his fellow-traveller when he was reading the newspaper and mosquito sat on his nose.
(लेखक का साथी यात्री एक मच्छर था। लेखक को अपने साथी यात्री का पता उस समय चला जब वह अखबार पढ़ रहा था और एक मच्छर उसकी नाक पर बैठ गया।)

Question 10.
What did the author do when the fellow-traveller came and sat on his nose?
(जब साथी यात्री, आकर लेखक की नाक पर बैठ गया, तब लेखक ने क्या किया ?)
Answer :
When the fellow-traveller came and sat on his nose, he flicked it off.
(जब साथी यात्री आकर उसकी नाक पर बैठ गया तब उसने उसे झटके के साथ फेंक दिया।)

Question 11.
What did the author say when the mosquito seated himself impudently on the back of his hand ? [2011]
(जब मच्छर धृष्टतापूर्वक हाथ के पिछली ओर बैठ गया तब लेखक ने क्या कहा ?)
Or
Why did the writer decide to punish the fellow-traveller ? [2011, 18]
(लेखक ने सहयात्री को दण्डित करने का निश्चय क्यों किया?)
Answer :
The author said that the limit of magnanimity was over. He would punish him by putting him to death.
(लेखक ने कहा कि उदारता की सीमा समाप्त हो गई है। वह उसे मृत्युदण्ड देगा।)

Question 12.
Why did justice demand the award of death sentence ?
(न्याय की माँग मौत की सजा क्यों थी ?)
Answer :
There were many charges against the mosquito. It was a vagabond and a public nuisance. He was travelling without ticket and sucking the blood of the author. So, justice demanded the award of death sentence.
(मच्छर के विरुद्ध बहुत-से आरोप थे। वह आवारा और लोक कंटक था। वह बिना टिकट यात्रा कर रहा था और लेखक का खून चूस रहा था। इसलिए न्याय की माँग थी कि उसे मृत्यु-दण्ड मिले।)

Question 13.
What did the fellow-traveller do to avoid the sentence of death?
(मृत्यु-दण्ड से बचने के लिए साथी यात्री ने क्या किया ?)
Answer :
To avoid the sentence of death the fellow-traveller dodged the author and ran away.
(साथी यात्री ने लेखक को चकमा दे दिया और भाग गया।)

Question 14.
Why did the author feel humiliated and how did he react to it?
(लेखक ने स्वयं को अपमानित क्यों अनुभव किया और इसके प्रति उसकी क्या प्रतिक्रिया थी ?)
Answer :
The author felt humiliated because the mosquito avoided his blow cunningly. Then, he adopted all sorts of tactics to kill him.
(लेखक ने अपमानित इसलिए अनुभव किया, क्योंकि अपराधी चालाकी से उसके मुक्के से बच गया। फिर लेखक ने उसे मारने के लिए प्रत्येक चाल चली।)

Question 15.
Who was the “skilful matador finessing round an infuriated bull ?” And who was the ‘infuriated bull’ ?
(क्रुद्ध साँड़ से भिड़ने वाला चतुर पहलवान कौन था ? और क्रुद्ध साँड कौन था ?)
Answer :
The mosquito was skilful matador and the author was infuriated bull.
(मच्छर चतुर पहलवान था और लेखक क्रुद्ध साँड था।)

Question 16.
Why according to the author, did the fellow-traveller disturb his repose ?
(लेखक के अनुसार उसके साथी यात्री ने उसकी शान्ति क्यों भंग की ?)
Answer :
The fellow-traveller was enjoying himself. So, the author thought that he had disturbed his repose.
(साथी यात्री अपनी मनोरंजन कर रहा था। इसलिए उसने लेखक की शान्ति को भंग किया।)

Question 17.
What did the author begin to think when he found himself so helpless and stupid against his fellow-traveller ?
(जब लेखक ने अपने सहयात्री से निपटने में स्वयं को इतना असहाय और मूर्ख पाया तब वह क्या सोचने लगा ?)
Answer :
The author began to enter into the spirit of his fellow-traveller when he found himself, so helpless and stupid.
(जब लेखक ने स्वयं को इतना असहाय और मूर्ख पाया तब उसने सहयात्री की मन की स्थिति को समझने की चेष्टा की।)

Question 18.
Why did he decide to be magnanimous and merciful to the fellow traveller?
(उसने (लेखक) ने अपने सहयात्री के प्रति इतना उदार और दयावान होने का निश्चय क्यों किया ?)
Answer :
The author wanted to make up his lost prestige. So, he decided to be magnanimous and merciful to the fellow-traveller because these were the noblest virtues of mankind.
(लेखक अपना खोया हुआ सम्मान प्राप्त करना चाहता था। अत: उसने सहयात्री के प्रति उदार और दयावान होने का निश्चय किया, क्योंकि मानव जाति के ये सबसे अच्छे दो गुण हैं।)

Question 19.
What did the author think of the fellow-traveller when the latter sat on the newspaper ?
(जब सहयात्री अखबार पर बैठ गया तब लेखक ने क्या सोचा ?)
Answer :
When the fellow-traveller sat on the newspaper, the author thought him to be foolish. He thought to kill him but he let him go.
(जब सहयात्री अखबार पर बैठ गया तब लेखक ने उसे मूर्ख समझा। उसने उसे मारने की बात सोची, किन्तु उसे क्षमा कर दिया।)

Question 20.
What relationship did the author develop with his fellow-traveller ?
(लेखक ने अपने सहयात्री से क्या सम्बन्ध विकसित किया ?)
Or
Who was the fellow-traveller ? What relationship did the author develop with the fellow-traveller ?
(सहयात्री कौन था ? लेखक ने अपने सहयात्री से क्या सम्बन्ध विकसित किया ?)
Answer :
The author developed a distant relationship with his fellow-traveller. He said that they were fellow-mortals. A mosquito was the fellow-traveller.
(लेखक ने अपने सहयात्री से दूर का रिश्ता विकसित किया। उसने कहा कि वे दोनों साथी नश्वर प्राणी हैं। सहयात्री एक मच्छर था।)

Question 21.
Do you like this essay or not ? Give reasons.
(क्या आप इस निबन्ध को पसन्द करते हैं ? कारण दीजिए।)
Answer :
Yes, I like this essay because it teaches us a great moral ‘Live and let live’. Moreover, it is written in a simple language. It is delightful and instructive. It condemns superiority complex.
(हाँ, मैं इस निबन्ध को पसन्द करता हूँ, क्योंकि वह ‘जियो और जीने दो’ को महान् पाठ पढ़ाता है। इसके अतिरिक्त यह सरल भाषा में लिखा गया है। यह मनोरंजक एवं शिक्षाप्रद है। यह उच्च भावना के विचार को भी त्यागती है।)

Question 22.
Explain the following:
(निम्नलिखित का वर्णन कीजिए :
(a) “I assume the black cap …………… awards it.”
(b) “It was all in vain ………….. bull.”
(c) “The miracle of life …………… about mine.”
Answer :
(a) The author supposes himself a judge sentencing the mosquito to death because there are many capital charges against it. He also says that his decision is legal and justified.
(b) The author wanted to kill the mosquito. But his all efforts failed and the mosquito went on enjoying this fight. In this fight the writer himself behaved like an angry bull and the mosquito like a skilful matador.
(c) In the end the author realised that life is the greatest miracle of nature. The life of all creatures in this world is like a journey. But none knows its purpose. This truth applies to both of them, i.e. the author and the mosquito.
[(a) लेखक अपने आप में कल्पना करता है कि एक न्यायाधीश के रूप में वह इस मच्छर को मृत्युदण्ड दे सकता है क्योंकि उसके विरुद्ध बहुत-से आपराधिक मामले हैं। वह यह भी कहता है कि उसका निर्णय कानूनी एवं न्यायपूर्ण है। (b) लेखक मच्छर को मार देना चाहता है लेकिन उसके सभी प्रयास असफल हो जाते हैं और मच्छर इस युद्ध का आनन्द लेता रहता है। इस युद्ध में लेखक स्वयं एक क्रोधी बैल की भाँति व्यवहार करता है जबकि मच्छर एक चालाक साँड़ की तरह।
(c) अन्त में लेखक यह महसूस करता है कि जीवन प्रकृति का एक महानतम चमत्कार है। इस संसार में सभी प्राणी एक यात्री के समान हैं लेकिन कोई भी इसके उद्देश्य को नहीं जानता है। यह सत्य लेखक तथा मच्छर दोनों के लिए लागू होता है।

Question 23.
‘Magnanimity has its limits,’ who said it and why ? [2017]
(उदारता की भी सीमा होती है, यह शब्द किसने कहे और क्यों ?)
Answer :
The author said it because he was angry with his fellow-traveller, i.e. mosquito who was continuously disturbing him.
(लेखक ने यह शब्द कहे, क्योंकि वह अपने साथी यात्री अर्थात् मच्छर से बहुत नाराज था जो उसे लगातार परेशान कर रहा था।)

Question 24.
Who was the fellow-traveller of the author and where did he sit ?
(लेखक का सहयात्री कौन था और वह कहाँ बैठा था ?)
Answer :
A mosquito was the fellow-traveller of the author. He sat on the back of his hand.
(लेखक का सहयात्री एक मच्छर था। वह लेखक के हाथ की पिछली ओर बैठा था।)

Question 25.
When did the author, A.G. Gardiner, feel that he was not superior to the mosquito ? [2015]
(लेखक ए०जी० गार्डनर ने कब महसूस किया कि मच्छर उससे श्रेष्ठ है?)
Answer :
Every effort of the author to punish the mosquito proved useless. At first, there was vanity in him of being a human. But since he could not do anything against him, his superiority began to fade away from him.
(लेखक को मच्छर को दण्डित करने का प्रत्येक प्रयास असफल रहा। पहले, उसमें एक मानव होने का घमण्ड था। लेकिन जब वह उसने आगे कुछ नहीं कर सका, तो उसकी श्रेष्ठता कम होने लगी।)

Vocabulary

Choose the most appropriate word or phrase that best completes the sentence :
1. The train by which A.G. Gardiner travelled stopped at ………… stations.
(a) big
(b) suburban
(c) small
(d) road side

2. There is a pleasant sense of freedom ………… being alone in a carriage that is jolting noisily through the night. [2010]
(a) of
(b) over
(c) for
(d) about

3. Indeed you can go on opening them and shutting them as a sort of …………. of freedom.
(a) festival
(b) occasion
(c) function
(d) chance

4. Magnanimity has its ………….
(a) end
(b) no end
(c) limits
(d) uses

5. You are a vagrant, you are a public ………….., you are travelling without ticket.
(a) servant
(b) man
(c) individual
(d) nuisance

6. I (A.G. Gardiner) felt my heart warming towards him and the sense of ………… fading. [2018]
(a) superiority
(b) inferiority
(c) kindness
(d) sympathy

7. Magnanimity and mercy were the noblest …………. of man.
(a) qualities
(b) characteristics
(c) traits
(d) attributes

8. I cannot kill you but I can ………. you. [2015, 17, 18]
(a) reprieve
(b) forgive
(c) punish
(d) condemn

9. Fortune has made us fellow-travellers on this …………. night.
(a) summer
(b) winter
(c) dark
(d) moonlit

10. I have ……….. you and you have …………. me.
(a) interested, disturbed
(b) disturbed, interested
(c) interested, entertained
(d) entertained, interested

11. The author one evening …………. a passenger train.
(a) mounted
(b) climbed
(c) boarded .
(d) got up

12. As I closed the door of the compartment, I saw my.. ……….. fluttering round the lamp. [2011]
(a) mosquito
(b) friend
(c) companion
(d) fellow-traveller

13. I felt my heart warming towards him and the sense of superiority …………..
(a) increasing
(b) coming
(c) fading
(d) shining

14. I do not know which of us got into the; ………… first. [2016, 17]
(a) carriage
(b) courage
(c) cartridge
(d) cottage

15. I flicked him ………….. my nose. [2010, 15, 18].
(a) off
(b) of
(c) at
(d) through

16. Justice demands it, and the court ………….. [2010, 18]
(a) declares.
(b) decides
(c) awards
(d) directs

17. You can open the window or shut it without ………….. a protest. [2010]
(a) provoking
(b) calling
(c)picking
(d) getting

18. I cannot go ………….. far as that in christian charity and civility. [2010]
(a) as
(b) too
(c) to
(d) so

19. I went out …………. the cool summer night.
(a) in
(b) for
(c) into
(d) to

20. Istruck a swift, ………….. blow with my right hand. [2011]
(a) gentle
(b)big
(c) lethal
(d) normal

21. How could I feel ………… to a creature who was so manifestly my master in the only competition we had ever enjoyed.
(a) inferior
(b) greater
(c) better
(d) superior

22. He played false ………….. me openly. [2013, 17]
(a) for
(b) with
(c) in
(d) by

Answers :
1. (b)
2. (d)
3. (a)
4. (c)
5. (d)
6. (a)
7. (d)
8. (a)
9. (a)
10. (C)
11. (e)
12. (d)
13. (c)
14. (a)
15. (a)
16. (c)
17. (a)
18. (d)
19. (c)
20. (c)
21. (d)
22. (b).

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UP Board Solutions for Class 12 Samanya Hindi गद्य-साहित्यका विकास अतिलघु उत्तरीय प्रश्न

UP Board Solutions for Class 12 Samanya Hindi गद्य-साहित्यका विकास अतिलघु उत्तरीय प्रश्न are part of UP Board Solutions for Class 12 Samanya Hindi. Here we have given UP Board Solutions for Class 12 Samanya Hindi गद्य-साहित्यका विकास अतिलघु उत्तरीय प्रश्न.

Board UP Board
Textbook NCERT
Class Class 12
Subject Samanya Hindi
Chapter Chapter 1
Chapter Name गद्य-साहित्यका विकास  अतिलघु उत्तरीय प्रश्न
Number of Questions 173
Category UP Board Solutions

UP Board Solutions for Class 12 Samanya Hindi गद्य-साहित्यका विकास अतिलघु उत्तरीय प्रश्न

अतिलघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1
गद्य एवं पद्य का अन्तर दो पंक्तियों में लिखिए।
उत्तर
वाक्यबद्ध विचारात्मक रचना को गद्य कहते हैं। दैनिक जीवन की बोलचाल में गद्य को ही प्रयोग होता है, जब कि छन्दबद्ध, भावपूर्ण और गेय रचनाएँ पद्य कहलाती हैं।

प्रश्न 2
हिन्दी की आठ बोलियाँ कौन-कौन-सी हैं ?
उत्तर

  1. ब्रज,
  2. अवधी,
  3. बुन्देली,
  4. बघेली,
  5. छत्तीसगढ़ी,
  6. हरियाणवी,
  7. कन्नौजी तथा
  8. खड़ी बोली।

प्रश्न 3
हिन्दी गद्य के प्राचीनतम प्रयोग किन भाषाओं में मिलते हैं ?
उत्तर
हिन्दी गद्य के प्राचीनतम प्रयोग राजस्थानी और ब्रज भाषाओं में मिलते हैं।

प्रश्न 4
प्राचीन ब्रज भाषा गद्य की दो रचनाओं के नाम लिखिए।
उत्तर
गोकुलनाथ कृत ‘चौरासी वैष्णवन की वार्ता’ और बैकुण्ठमणि कृत ‘अगहन माहात्म्य’; प्राचीन ब्रज भाषा गद्य की रचनाएँ हैं।

प्रश्न 5
खड़ी बोली गद्य की प्रथम प्रामाणिक रचना तथा उसके लेखक का नाम व समय लिखिए।
उत्तर
रचना–गोरा बादल की कथा। लेखक–जटमल। समय–सन् 1623 ई०।

प्रश्न 6
खड़ी बोली गद्य की सबसे प्राचीन रचना कौन-सी है ?
उत्तर
खड़ी बोली गद्य की सबसे प्राचीन रचना कवि गंग द्वारा लिखित ‘चंद छंद बरनन की महिमा’ है।

प्रश्न 7
खड़ी बोली गद्य के दो प्रारम्भिक उन्नायकों के नाम लिखिए।
उत्तर
खड़ी बोली गद्य के दो प्रारम्भिक उन्नायक हैं—

  1. सदल मिश्र तथा
  2. पं० लल्लूलाल।

प्रश्न 8
‘अष्टयाम’ की कौन-सी भाषा है ? [2010]
उत्तर
‘अष्टयाम’ शीर्षक से चार लोगों-खुमान, हितहरिवंश, देव, नाभादास–ने रचनाएँ की हैं। ‘अष्टयाम’ की भाषा ब्रजभाषा है।

प्रश्न 9
भारतेन्दु से पूर्व हिन्दी गद्य के चार प्रवर्तकों और उनकी रचनाओं के नाम लिखिए।
या
कलकत्ता स्थित फोर्ट विलियम कॉलेज के उन दो हिन्दी-शिक्षकों के नाम लिखिए, जिन्हें खड़ी बोली गद्य का प्रारम्भिक उन्नायक माना जाता है।
या
लल्लूलाल किस कॉलेज में हिन्दी-अध्यापक थे ? उनकी प्रसिद्ध रचना का नाम लिखिए।
या
खड़ी बोली के प्रारम्भिक उन्नायकों में विशेष रूप से जिन चार लेखकों का उल्लेख किया जाता है, उनमें से किन्हीं दो की एक-एक रचना का नाम लिखिए। [2009, 10]
उत्तर
भारतेन्दु से पूर्व हिन्दी गद्य के चार प्रवर्तकों और उनकी एक-एक रचनाओं के नाम निम्नलिखित हैं-

  1. इंशा अल्ला खाँ-रानी केतकी की कहानी।।
  2. सदासुखलाल-सुखसागर।
  3. लल्लूलाल–प्रेमसागर।
  4. सदल मिश्र-नासिकेतोपाख्यान।।

इनमें सदल मिश्र तथा लल्लूलाल कलकत्ता के ‘फोर्ट विलियम कॉलेज’ में अध्यापक थे।

प्रश्न 10
भारतेन्दु युग के किन्हीं दो लेखकों की दो-दो कृतियों का संक्षिप्त विवरण दीजिए।
उत्तर
(1) भारतेन्दु हरिश्चन्द्र-

  • वैदिकी हिंसा हिंसा न भवति तथा
  • अकबर और औरंगजेब।

(2) प्रतापनारायण मिश्र–

  • हठी हम्मीर तथा
  • देशी कपड़ा।

प्रश्न 11
भारतेन्दु युग से पूर्व किन दो राजाओं ने हिन्दी गद्य के निर्माण में योग दिया ?
या
हिन्दी गद्य की उर्दूप्रधान तथा संस्कृतप्रधान शैलियों के पक्षधर दो राजाओं के नाम लिखिए।
या
भारतेन्दु के उदय से पूर्व की खड़ी बोली के दो भिन्न शैलीकार गद्य-लेखकों के नाम लिखिए। [2009]
उत्तर
भारतेन्दु युग से पूर्व राजा शिवप्रसाद सितारेहिन्द’ ने अरबी-फारसी मिश्रित हिन्दी लिखकर तथा राजा लक्ष्मण सिंह ने संस्कृत मिश्रित खड़ी बोली को अपनाकर हिन्दी गद्य के निर्माण में योगदान दिया।

प्रश्न 12
हिन्दी गद्य के विकास में ईसाई धर्म-प्रचारकों के योगदान का उल्लेख कीजिए।
उत्तर
ईसाई पादरियों ने ईसाई धर्म के प्रचार के लिए ‘बाइबिल’ एवं अन्य धार्मिक पुस्तकों का साधारण बोलचाल की हिन्दी भाषा में अनुवाद करवाया।

प्रश्न 13
भारतीय जागरण को देशव्यापी बनाने में किन संस्थाओं ने विशेष योगदान दिया ?
उत्तर

  1. आर्य समाज,
  2. प्रार्थना समाज,
  3. ब्रह्म समाज,
  4. रामकृष्ण मिशन एवं
  5. थियोसॉफिकल सोसाइटी।।

प्रश्न 14
भारतेन्दु के समकालीन या भारतेन्दु युग के चार गद्य-लेखकों के नाम लिखिए।
उत्तर

  1. पं० बालकृष्ण भट्ट,
  2. प्रतापनारायण मिश्र,
  3. किशोरीलाल गोस्वामी,
  4. लाला श्रीनिवास दास।

प्रश्न 15
खड़ी बोली गद्य का व्यवस्थित विकास कब हुआ ?
उत्तर
खड़ी बोली गद्य का व्यवस्थित विकास भारतेन्दु युग में हुआ।

प्रश्न 16
भारतेन्दु युग की दो पत्रिकाओं एवं उनके सम्पादकों के नाम लिखिए।
या
भारतेन्दु युग की दो प्रसिद्ध पत्रिकाओं के नाम लिखिए। [2009]
उत्तर

  1. ‘ब्राह्मण’–प्रतापनारायण मिश्र तथा
  2. हिन्दी प्रदीप’-पं० बालकृष्ण भट्ट्ट।

प्रश्न 17
भारतेन्दु युग के गद्य की मुख्य विशेषताएँ बताइट।
उत्तर
भारतेन्दु युग के गद्य की प्रमुख विशेषताएँ इस प्रकार हैं-

  1. भारतेन्दु युग का गद्य सरल-सरस है,
  2. इसमें मुहावरों और लोकोक्तियों का अधिक प्रयोग हुआ है,
  3. इसमें तत्सम शब्दों के साथ-साथ उर्दू, फारसी एवं अंग्रेजी के शब्दों का भी प्रयोग हुआ है तथा
  4. इसमें व्याकरण की त्रुटियाँ हैं।

प्रश्न 18
भारतेन्दु युग में किन गद्य-विधाओं का विकास हुआ ?
उत्तर
भारतेन्दु युग में नाटक, कहानी, उपन्यास एवं निबन्ध गद्य-विधाओं का विकास हुआ।

प्रश्न 19
निम्नलिखित में से किन्हीं दो पत्रिकाओं के सम्पादकों के नाम लिखिए
(1) आनन्द कादम्बिनी,
(2) हरिश्चन्द्र चन्द्रिका,
(3) नया जीवन।
या
‘आनन्द कादम्बिनी’ के सम्पादक कौन थे? [2017]
उत्तर
(1) आनन्द कादम्बिनी – सम्पादक : बदरीनारायण चौधरी ‘प्रेमघन’।
(2) हरिश्चन्द्र चन्द्रिका – सम्पादक : भारतेन्दु हरिश्चन्द्र।
(3) नया जीवन – सम्पादक : कन्हैयालाल मिश्र ‘प्रभाकर’।

प्रश्न 20
द्विवेदी युग के दो प्रमुख लेखकों की एक-एक रचना का नाम लिखिए।
या
द्विवेदी युग के दो प्रसिद्ध निबन्धकारों (लेखकों) के नाम लिखिए।
उत्तर

  1. बाबू श्यामसुन्दर दास-साहित्यालोचन।
  2. आचार्य महावीरप्रसाद द्विवेदी–रसज्ञ-रंजन।

प्रश्न 21
द्विवेदी युग में प्रकाशित चार पत्रिकाओं के नाम लिखिए।
उत्तर

  1. सरस्वती,
  2. मर्यादा,
  3. माधुरी तथा
  4. इन्दु।।

प्रश्न 22
22 द्विवेदी युग का समय बताइए और उस व्यक्ति का पूरा नाम बताइए, जिसके कारण इसे ‘द्विवेदी युग’ कहा जाता है।
उत्तर
द्विवेदी युग का समय सन् 1900 ई० से 1920 ई० तक है। इस युग को आचार्य महावीरप्रसाद द्विवेदी के नाम पर ‘द्विवेदी युग’ कहा जाता है।

प्रश्न 23
द्विवेदी युग के हिन्दी गद्य की विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर
द्विवेदी युग का हिन्दी गद्य व्याकरण-सम्मत, परिमार्जित तथा पद-विन्यास व वाक्य-विन्यास से युक्त है। इसमें औदात्य, पाण्डित्य एवं प्रवाह है। इसकी भाषा-शैली अत्यन्त परिष्कृत, सामासिक तथा प्रवाहपूर्ण है।

प्रश्न 24
‘शुक्ल युग’ को यह नाम क्यों दिया गया है ?
या
हिन्दी-काव्य के छायावाद युग’ के समय को हिन्दी गद्य-साहित्य में शुक्ल युग’ क्यों कहा जाता है ?
उत्तर
सन् 1919 ई० से 1938 ई० तक के काल को हिन्दी गद्य-साहित्य में आचार्य रामचन्द्र शुक्ल के महत्त्वपूर्ण योगदान के कारण ‘शुक्ल युग’ अथवा ‘छायावाद युग’ के नाम से जाना जाता है।

प्रश्न 25
आलोचना, नाटक, उपन्यास एवं कहानी के क्षेत्र में प्रसिद्ध शुक्ल युग के तीन गद्य रचनाकारों के नाम बताइए।
उत्तर
शुक्ल युग के तीन प्रमुख गद्य-रचनाकार आचार्य रामचन्द्र शुक्ल, जयशंकर प्रसाद और प्रेमचन्द हैं, जो क्रमश: आलोचना, नाटक एवं उपन्यास तथा कहानी के क्षेत्र में प्रसिद्ध हैं।

प्रश्न 26
शुक्ल युग के प्रमुख गद्यकारों के नाम बताइट। उत्तर जयशंकर प्रसाद, आचार्य रामचन्द्र शुक्ल, बाबू गुलाबराय, नन्ददुलारे वाजपेयी, महादेवी वर्मा, राय कृष्णदास, हजारीप्रसाद द्विवेदी आदि शुक्ल युग के प्रमुख गद्यकार हैं।

प्रश्न 27
‘शुक्ल युग’ को अन्य किन नामों से जाना जाता है ?
उत्तर
शुक्ल युग को ‘छायावाद युग’, ‘प्रसाद युग’ एवं ‘प्रेमचन्द युग’ नामों से जाना जाता है।

प्रश्न 28
छायावाद युग के किन्हीं दो नाटकों के नाम लिखिए।
उत्तर

  1. चन्द्रगुप्त तथा
  2. अजातशत्रु।।

प्रश्न 29
छायावाद युग में गद्य को समृद्ध करने वाले प्रमुख लेखकों एवं उनकी रचनाओं के नाम लिखिए।
उत्तर
जयशंकर प्रसाद (चन्द्रगुप्त), प्रेमचन्द ( गबन, गोदान), बाबू गुलाबराये ( मेरी असफलताएँ) तथा आचार्य रामचन्द्र शुक्ल (चिन्तामणि) आदि छायावाद युग में गद्य को समृद्ध करने वाले प्रमुख लेखक हैं।।

प्रश्न 30
छायावादयुगीन किन्हीं दो ऐसे गद्य-लेखकों के नाम बताइए जो कवि न हों।
उत्तर
छायावादयुगीन गद्य-लेखक राहुल सांकृत्यायन एवं बाबू गुलाबराय कवि नहीं थे।

प्रश्न 31
ऐसे तीन गद्य-लेखकों के नाम लिखिए, जिन्होंने द्विवेदी युग तथा छायावाद युग दोनों में लेखन-कार्य किया।
उत्तर
द्विवेदी युग और छायावाद युग दोनों में लेखन-कार्य करने वाले तीन गद्य-लेखक हैं-

  1. आचार्य रामचन्द्र शुक्ल,
  2. बाबू गुलाबराय तथा
  3. पदुमलाल पुन्नालाल बख्शी।

प्रश्न 32
छायावादोत्तर युग की प्रमुख गद्य-विधाओं का उल्लेख कीजिए।
उत्तर
नाटक, कहानी, उपन्यास, समालोचना, जीवनी, गद्य-गीत, एकांकी, आत्मकथा, रिपोर्ताज, यात्रावृत्त, संस्मरण एवं रेखाचित्र आदि छायावादोत्तर युग की प्रमुख गद्य-विधाएँ हैं।

प्रश्न 33
छायावादोत्तर युग के प्रमुख गद्य-लेखकों के नाम लिखिए।
उत्तर
आचार्य हजारीप्रसाद द्विवेदी, हरिशंकर परसाई, यशपाल, रामवृक्ष बेनीपुरी, धर्मवीर भारती, विद्यानिवास मिश्र, कमलेश्वर आदि छायावादोत्तर युग के प्रमुख गद्य-लेखक हैं।

प्रश्न 34
मुंशी सदासुखलाल की भाषा की विशेषताएँ बताइट।
उत्तर

  1. भाषा में अस्पष्टता अधिक है तथा
  2. वाक्य-रचना पर फारसी शैली का प्रभाव है।

प्रश्न 35
हिन्दी खड़ी बोली गद्य-साहित्य के विकास में भारतेन्दु हरिश्चन्द्र का योगदान बताइट।
या
भारतेन्दु हरिश्चन्द्र के गद्य की किन्हीं दो विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
उत्तर
भारतेन्दु हरिश्चन्द्र ने लोक-प्रचलित शब्दावली, कहावतों, लोकोक्तियों और मुहावरों के प्रभावपूर्ण प्रयोग से अपनी भाषा को अधिकाधिक सशक्त एवं सजीव बनाया तथा नाटक, कहानी, निबन्ध आदि अनेक गद्य-विधाओं में रचनाएँ कीं। इसलिए इन्हें ‘हिन्दी खड़ी बोली गद्य का जनक’ भी कहा जाता है।

प्रश्न 36
छायावादी युग के गद्य की दो विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर

  1. छायावादी युग का गद्य कलात्मक है तथा
  2. उसमें विशिष्ट अभिव्यंजना शक्ति, कल्पना की प्रधानता, स्वच्छन्द चेतना, अनुभूति की सघनता और भावुकता विद्यमान है।

प्रश्न 37
किन्हीं दो छायावादी पद्य-लेखकों की एक-एक गद्य रचना का नाम लिखिए।
उत्तर

  1. जयशंकर प्रसाद – चन्द्रगुप्त (नाटक)।
  2. महादेवी वर्मा – स्मृति की रेखाएँ (संस्मरण)।

प्रश्न 38
छायावादोत्तर हिन्दी गद्य (प्रगतिवादी गद्य) की दो विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर
छायावादोत्तर काल का हिन्दी गद्य सहज, व्यावहारिक और अलंकारविहीन था। उसमें भावुकतापूर्ण अभिव्यक्ति का स्थान चुटीली उक्तियों ने ले लिया था।

प्रश्न 39
छायावादोत्तर युग के दो कहानी लेखकों के नाम लिखिए।
उत्तर

  1. जैनेन्द्र कुमार तथा
  2. अज्ञेय।।

प्रश्न 40
छायावादोत्तर युग के दो लेखकों की एक-एक गद्य-रचना का नाम लिखिए।
उत्तर

  1. रामधारी सिंह ‘दिनकर’ –– अर्द्धनारीश्वर।
  2. धर्मवीर भारती – गुनाहों के देवता।

प्रश्न 41
छायावादोत्तरयुगीन साहित्यकारों की दोनों पीढ़ियों के एक-एक साहित्यकार का नाम लिखिए।
उत्तर

  1. पहली पीढ़ी – आचार्य हजारीप्रसाद द्विवेदी।
  2. दूसरी पीढ़ी – विद्यानिवास मिश्र।

प्रश्न 42
स्वातन्त्र्योत्तर युग के प्रमुख गद्य-लेखकों के नाम लिखिए।
उत्तर
स्वातन्त्र्योत्तर युग में विद्यानिवास मिश्र, हरिशंकर परसाई, फणीश्वरनाथ रेणु’, धर्मवीर भारती, प्रभाकर माचवे, रजनी पणिक्कर, मोहन राकेश, मन्नू भण्डारी, शिवानी, नागार्जुन आदि प्रमुख गद्य-लेखक हुए।

प्रश्न 43
निम्नलिखित गद्य-लेखकों की एक-एक प्रसिद्ध गद्य-रचना का नाम लिखिए
(1) राजेन्द्र यादव तथा
(2) धीरेन्द्र वर्मा।
उत्तर
(1) लेखक-राजेन्द्र यादव, रचना-चेखव : एक इण्टरव्यू, विधा-भेटवार्ता (काल्पनिक)।
(2) लेखक-धीरेन्द्र वर्मा, रचना-मेरी कॉलेज डायरी, विधा-डायरी।

प्रश्न 44
निम्नलिखित लेखकों की एक-एक प्रसिद्ध गद्य-रचना का नाम लिखिए–
(1) महादेवी वर्मा तथा
(2) लक्ष्मीचन्द्र जैन।
उत्तर
(1) लेखिका-महादेवी वर्मा, रचना–पथ के साथी; अतीत के चलचित्र; स्मृति की रेखाएँ, विधा-संस्मरण; संस्मरण/रेखाचित्र।।
(2) लेखक-लक्ष्मीचन्द्र जैन, रचना-भगवान् महावीर : एक इण्टरव्यू, विधा-भेटवार्ता (काल्पनिक)।

प्रश्न 45
निम्नलिखित लेखकों की एक-एक रचना का नाम लिखिए–
(1) विद्यानिवास मिश्र,
(2) डॉ० नगेन्द्र,
(3) हजारीप्रसाद द्विवेदी,
(4) रघुवीर सिंह।
उत्तर
(1) लेखक-विद्यानिवास मिश्र, रचना-मेरे राम का मुकुट भीग रहा है, विधा-निबन्ध।
(2) लेखक-डॉ० नगेन्द्र, रचना-हिन्दी साहित्य का बृहद् इतिहास, विधा-आलोचना।
(3) लेखक-हजारीप्रसाद द्विवेदी, रचना-कल्पलता (निबन्ध-संग्रह), विधा-निबन्ध।
(4) लेखक-रघुवीर सिंह, रचना–शेष स्मृतियाँ, विधा-संस्मरण।

प्रश्न 46
निम्नलिखित कृतियों में से किन्हीं दो कृतियों के रचनाकार और उनकी विधाओं के नाम लिखिए
(1) अतीत के चलचित्र,
(2) लहरों के राजहंस,
(3) श्रद्धा-भक्ति।
उत्तर
(1) कृति-अतीत के चलचित्र, रचनाकार-महादेवी वर्मा, विधा-रेखाचित्र।
(2) कृति-लहरों के राजहंस, रचनाकार-मोहन राकेश, विधा-नाटक।

प्रश्न 47
हिन्दी गद्य की प्रमुख विधाओं के नाम लिखिए।
उत्तर
निबन्ध, नाटक, कहानी, उपन्यास, एकांकी तथा आलोचना हिन्दी गद्य की प्रमुख विधाएँ हैं।

प्रश्न 48
छायावादोत्तर युग में प्रारम्भ एवं समृद्ध होने वाली प्रकीर्ण गद्य-विधाओं में से किन्हीं दो विधाओं के नाम लिखिए।
उत्तर
जीवनी, आत्मकथा, यात्रावृत्त, गद्यकाव्य, संस्मरण, रेखाचित्र, रिपोर्ताज, डायरी, भेटवार्ता, पत्र-साहित्य आदि हिन्दी की गौण या प्रकीर्ण गद्य-विधाएँ हैं।

प्रश्न 49
प्रकीर्ण गद्य-विधाओं का अभूतपूर्व विकास किस युग में हुआ ?
उत्तर
प्रकीर्ण गद्य-विधाओं का अभूतपूर्व विकास छायावादोत्तर युग में हुआ।

प्रश्न 50
(1) भारतेन्दु युग के निबन्धकारों के नाम लिखिए।
(2) द्विवेदी युग के निबन्धकारों के नाम लिखिए।
(3) आचार्य रामचन्द्र शुक्ल और उनके बाद के युग के दो प्रमुख निबन्धकारों के नाम लिखिए।
(4) स्वातन्त्र्योत्तर युग के दो निबन्धकारों के नाम लिखिए।
उत्तर
(1) भारतेन्दु युग-भारतेन्दु हरिश्चन्द्र, प्रतापनारायण मिश्र, बालकृष्ण भट्ट।
(2) द्विवेदी युग-आचार्य महावीरप्रसाद द्विवेदी, पद्मसिंह शर्मा, अध्यापक पूर्णसिंह।
(3) शुक्ल युग-आचार्य रामचन्द्र शुक्ल, गुलाबराय, पीताम्बरदत्त बड़थ्वाल। शुक्लोत्तर युग–डॉ० नगेन्द्र, श्रीमती महादेवी वर्मा, वासुदेवशरण अग्रवाल।
(4) स्वातन्त्र्योत्तर युग-विद्यानिवास मिश्र, कुबेरनाथ राय।

प्रश्न 51
विषय और शैली की दृष्टि से निबन्ध के प्रमुख कितने भेद हैं ? उनके नाम लिखिए।
उत्तर
विषय और शैली की दृष्टि से निबन्ध के प्रमुख चार भेद हैं-

  1. विचारात्मक निबन्ध,
  2. भावात्मक निबन्ध,
  3. वर्णनात्मक निबन्ध तथा
  4. विवरणात्मक निबन्ध।

प्रश्न 52
निबन्ध की परिभाषा लिखिए तथा उसके चारे भेदों में से किसी एक का नामोल्लेख कीजिए।
उत्तर
निबन्ध उस गद्य-रचना को कहते हैं, जिसमें एक सीमित आकार के अन्तर्गत किसी विषय का वर्णन या प्रतिपादन; एक विशेष निजीपन, स्वच्छन्दता, सौष्ठव, सजीवता और सम्बद्धता के साथ किया गया हो। निबन्ध का एक भेद, वर्णनात्मक निबन्ध है।

प्रश्न 53
हिन्दी में निबन्ध-रचना का आरम्भ किस युग में माना जाता है ? दो युग-प्रवर्तक निबन्ध लेखकों के नाम लिखिए।
उत्तर
हिन्दी में निबन्ध-रचना का आरम्भ भारतेन्दु युग से माना जाता है। हिन्दी के दो युग-प्रवर्तक निबन्धकार आचार्य महावीरप्रसाद द्विवेदी और आचार्य रामचन्द्र शुक्ल हैं।

प्रश्न 54
आचार्य रामचन्द्र शुक्ल ने किस प्रकार के निबन्धों की रचना की ?
उत्तर
शुक्ल जी ने विचारप्रधान, समीक्षात्मक तथा मनोवैज्ञानिक निबन्धों की रचना की।

प्रश्न 55
हिन्दी के प्रमुख भावात्मक निबन्धकारों के नाम लिखिए।
उत्तर
हिन्दी के भावात्मक निबन्ध लिखने वालों में वियोगी हरि, सरदार पूर्णसिंह, राय कृष्णदास, रघुवीर सिंह, महादेवी वर्मा, रामवृक्ष बेनीपुरी तथा विद्यानिवास मिश्र प्रमुख हैं।

प्रश्न 56
हिन्दी के दो युग-प्रवर्तक निबन्ध लेखकों और उनकी एक-एक निबन्ध पुस्तक के नाम लिखिए।
उत्तर

  1. श्यामसुन्दर दास-साहित्यिक लेख।
  2. रामचन्द्र शुक्ल–चिन्तामणि (दो भागों में)।

प्रश्न 57
प्रमुख ललित निबन्ध लेखकों के नाम लिखिए।
उत्तर
आचार्य हजारीप्रसाद द्विवेदी, धर्मवीर भारती, पदुमलाल पुन्नालाल बख्शी, विद्यानिवास मिश्र आदि ललित निबन्धों के प्रमुख लेखक हैं।

प्रश्न 58
कहानी अथवा आधुनिक कहानी किस उद्देश्य से लिखी जाती है ?
उत्तर
कहानी का मुख्य उद्देश्य मनोरंजन के साथ-साथ व्यक्ति या समाज के महत्त्वपूर्ण अनुभवों, अनुभूतियों एवं यथार्थ की कलात्मक अभिव्यक्ति करना है, जब कि मानव-जीवन की कुण्ठाओं, भटकाव, संत्रास, दिशाहीनता और यान्त्रिक जड़ता का यथार्थ और मार्मिक चित्रण करना आधुनिक कहानी के अन्यतमे उद्देश्य हैं।

प्रश्न 59
कहानी के कौन-कौन से तत्त्व होते हैं ?
उत्तर
कहानी के सात तत्त्व होते हैं—

  1. शीर्षक,
  2. कथावस्तु या कथानक,
  3. पात्र और चरित्र-चित्रण,
  4. कथोपकथन या संवाद,
  5. देशकाल या वातावरण,
  6. भाषा-शैली तथा
  7. उद्देश्य।

प्रश्न 60
कहानी की मुख्य विशेषताएँ बताइए।
उत्तर

  1. लघु कथानक,
  2. पात्र एवं चरित्र-चित्रण,
  3. मुख्य रूप से एक ही विषय, भाव अथवा संवेदना का प्रस्तुतीकरण तथा
  4.  निश्चित उद्देश्य-कहानी की मुख्य विशेषताएँ हैं।

प्रश्न 61
नयी कहानी की क्या विशेषताएँ हैं ?
उत्तर
नयी कहानी जीवन के किसी मार्मिक तथ्य को नाटकीय प्रभाव के साथ व्यक्त करती है तथा उसमें यथार्थता एवं मनोवैज्ञानिकता होती है।

प्रश्न 62
हिन्दी की प्रथम मौलिक कहानी का नाम बताइए। [2009]
उत्तर
कहानी-कला की दृष्टि से किशोरीलाल गोस्वामी की ‘इन्दुमती’ हिन्दी-साहित्य की प्रथम मौलिक कहानी है।

प्रश्न 63
आधुनिक युग की किन्हीं दो महिला कथाकारों के नाम लिखिए।
उत्तर

  1. मन्नू भण्डारी तथा
  2. उषा प्रियंवदा।

प्रश्न 64
द्विवेदी युग के किन्हीं दो प्रसिद्ध कहानीकारों के नाम बताइए।
उत्तर

  1. रामचन्द्र शुक्ल तथा
  2. चन्द्रधर शर्मा गुलेरी।

प्रश्न 65
हिन्दी के प्रमुख कहानीकारों के नाम बताइट।
उत्तर
मुंशी प्रेमचन्द, जयशंकर प्रसाद, जैनेन्द्र कुमार, भगवतीचरण वर्मा, यशपाल, चतुरसेन शास्त्री, फणीश्वरनाथ ‘रेणु’, शैलेश मटियानी, मन्नू भण्डारी, अज्ञेय आदि हिन्दी के प्रमुख कहानीकार हैं।

प्रश्न 66
प्रेमचन्द जी की प्रमुख कहानियों के नाम लिखिए।
उत्तर
मन्त्र, ईदगाह, कफन, पंच परमेश्वर, पूस की रात, शतरंज के खिलाड़ी, नमक का दारोगा आदि प्रेमचन्द की प्रमुख कहानियाँ हैं।

प्रश्न 67
जयशंकर प्रसाद की प्रमुख कहानियों के नाम लिखिए।
उत्तर
आकाशदीप, पुरस्कार, ममता, आँधी, इन्द्रजाल, छाया, प्रतिध्वनि आदि जयशंकर प्रसाद की प्रमुख कहानियाँ हैं।

प्रश्न 68
प्रेमचन्दोत्तर किन्हीं दो कहानीकारों के नाम लिखिए।
उत्तर
प्रेमचन्दोत्तर कथाकारों में यशपाल एवं जैनेन्द्र कुमार प्रमुख हैं।

प्रश्न 69
हिन्दी के दो कहानी-संग्रहों और उनके लेखकों के नाम लिखिए।
उत्तर
हिन्दी कहानियों के दो संग्रहों के नाम हैं-‘आकाशदीप’ तथा ‘ज्ञानदान’। इनके लेखकों के नाम क्रमशः हैं—जयशंकर प्रसाद तथा यशपाल।

प्रश्न 70
प्रेमचन्द के समकालीन कहानीकारों में से किन्हीं दो के नाम लिखिए।
उत्तर
राजा राधिकारमण प्रसाद सिंह एवं विश्वम्भरनाथ शर्मा ‘कौशिक’ प्रेमचन्द के समकालीन कहानीकार थे। इनकी कहानियों में क्रमशः ‘कानों में कॅगना’ एवं ‘कलाकार का दण्ड’ लोकप्रिय हैं।

प्रश्न 71
आधुनिक युग के किन्हीं दो कहानीकारों के नाम लिखिए।
या
प्रेमचन्द के बाद के किन्हीं दो प्रमुख कहानीकारों के नाम लिखिए।
या
छायावादोत्तर युग के किन्हीं दो कहानी-लेखकों के नाम लिखिए।
उत्तर
जैनेन्द्र कुमार, सच्चिदानन्द हीरानन्द वात्स्यायन ‘अज्ञेय’, यशपाल, भगवतीचरण वर्मा, विष्णु प्रभाकर, अमृतराय आदि आधुनिक युग के प्रसिद्ध कहानीकार हैं।

प्रश्न 72
छायावादी युग के सबसे प्रसिद्ध कहानीकार का नाम लिखिए।
उत्तर
छायावादी युग के सबसे प्रसिद्ध कहानीकार जयशंकर प्रसाद थे।

प्रश्न 73
स्वतन्त्रता के पश्चात् के प्रमुख कहानीकारों के नाम लिखिए।
उत्तर
स्वतन्त्रता के पश्चात् के प्रमुख कहानीकारों में विष्णु प्रभाकर, कमलेश्वर, राजेन्द्र यादव, मोहन राकेश, निर्मल वर्मा आदि के नाम उल्लेखनीय हैं।

प्रश्न 74
हिन्दी के कहानी लेखकों में से किन्हीं दो की एक-एक कहानी का नाम लिखिए।
उत्तर
हिन्दी के कहानी लेखकों में प्रेमचन्द एवं जयशंकर प्रसाद की एक-एक कहानियाँ क्रमशः ‘नमक का दारोगा’ एवं ‘पुरस्कार’ हैं।

प्रश्न 75
हिन्दी के प्रमुख उपन्यासकारों के नाम बताइए।
उत्तर
प्रेमचन्द, भगवतीचरण वर्मा, वृन्दावनलाल वर्मा, यशपाल, जैनेन्द्र कुमार, चतुरसेन शास्त्री, सुदर्शन, इलाचन्द्र जोशी, फणीश्वरनाथ ‘रेणु’, राजेन्द्र यादव, उदयशंकर भट्ट, देवेन्द्र सत्यार्थी आदि।

प्रश्न 76
हिन्दी के प्रथम मौलिक उपन्यास एवं उसके लेखक का नाम लिखिए।
उत्तर
लाला श्रीनिवास दास द्वारा लिखित परीक्षा-गुरु’ नामक उपन्यास, हिन्दी का प्रथम मौलिक उपन्यास है।

प्रश्न 77
द्विवेदी युग के दो प्रमुख उपन्यासकारों के नाम लिखिए।
उत्तर
द्विवेदी युग के दो प्रमुख उपन्यासकार हैं—

  1. किशोरीलाल गोस्वामी तथा
  2. अयोध्यासिंह उपाध्याय ‘हरिऔध’।।

प्रश्न 78
प्रेमचन्द युग के दो उपन्यासकारों के नाम लिखिए।
उत्तर

  1. प्रेमचन्द तथा
  2. पाण्डेय बेचन शर्मा ‘उग्र’।

प्रश्न 79
मुंशी प्रेमचन्द के प्रमुख उपन्यासों के नाम लिखिए। या प्रेमचन्द के दो प्रसिद्ध उपन्यासों के नाम लिखिए। [2010, 12]
उत्तर
मुंशी प्रेमचन्द ने गोदान, गबन, कर्मभूमि, रंगभूमि, प्रेमाश्रम, सेवासदन, निर्मला आदि उपन्यासों की रचना की।

प्रश्न 80
जयशंकर प्रसाद के दो उपन्यासों के नाम लिखिए।
उत्तर
‘कंकाल’ और ‘तितली’।

प्रश्न 81
आधुनिक काल की दो महिला उपन्यासकारों के नाम लिखिए।
उत्तर

  1. शिवानी तथा
  2. उषा प्रियंवदा।

प्रश्न 82
प्रमुख आंचलिक उपन्यासकारों के नाम लिखिए।
उत्तर
फणीश्वरनाथ रेणु’, रांगेय राघव, हिमांशु जोशी, नागार्जुन, अमृतलाल नागर, देवेन्द्र सत्यार्थी और शिवप्रसाद सिंह।

प्रश्न 83
प्रेमचन्द के बाद होने वाले आधुनिक युग के प्रमुख उपन्यासकारों के नाम लिखिए।
या
आधुनिक युग के किन्हीं दो उपन्यासकारों के नाम लिखिए। [2011]
उत्तर
सच्चिदानन्द हीरानन्द वात्स्यायन ‘अज्ञेय’, जैनेन्द्र कुमार, उपेन्द्रनाथ अश्क’, मोहन राकेश, इलाचन्द्र जोशी, डॉ० धर्मवीर भारती, अमृतलाल नागर, विष्णु प्रभाकर, रांगेय राघव, भगवतीचरण वर्मा आदि प्रेमचन्द के पश्चात् होने वाले प्रमुख उपन्यासकार हैं।

प्रश्न 84
‘उपन्यास’ और ‘कहानी’ का अन्तर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर
कहानी का रचना-फलक आकार में छोटा होता है, जबकि उपन्यास का पर्याप्त विस्तृत। कहानी में प्राय: किसी एक घटना अथवा मनोदशा का वर्णन होता है, जबकि उपन्यास में समग्र मानव-जीवन से सम्बन्धित विविध घटनाओं का समावेश किया जाता है।

प्रश्न 85
उपन्यास का शाब्दिक अर्थ बताइए।
उत्तर
उपन्यास का शाब्दिक अर्थ है-सामने रखना। इसमें ‘प्रसादन’ अर्थात् प्रसन्न करने का भाव भी निहित है। अत: किसी घटना को इस प्रकार सामने रखना कि दूसरों को प्रसन्नता हो, उपन्यस्त करना कहा जाएगा।

प्रश्न 86
उपन्यास की परिभाषा दीजिए।
उत्तर
हिन्दी में उपन्यास को अंग्रेजी के नॉवेल शब्द का पर्याय माना जाता है। उपन्यास गद्य की वह विधा है, जिसमें जीवन का व्यापक चित्रण रोचक एवं सजीव शैली में किया गया हो।

प्रश्न 87
उपन्यास को कितने भागों में विभाजित किया जा सकता है ?
उत्तर
विषय के आधार पर हिन्दी उपन्यासों को निम्नलिखित आठ भागों में विभाजित किया जा सकता है—

  1. सामाजिक,
  2. राजनीतिक,
  3. ऐतिहासिक,
  4. पौराणिक,
  5. मनोवैज्ञानिक,
  6. आंचलिक,
  7.  तिलिस्मी/जासूसी,
  8.  क्रान्तिकारी आदि।

प्रश्न 88
हिन्दी के दो प्रसिद्ध उपन्यासकारों एवं उनके उपन्यासों के नाम लिखिए।
उत्तर
हिन्दी के दो उपन्यासकारों एवं उनके उपन्यासों के नाम निम्नलिखित हैं

  1. आचार्य हजारीप्रसाद द्विवेदी–बाणभट्ट की आत्मकथा, चारुचन्द्रलेख, पुनर्नवा, अनामदास का पोथा।
  2. श्री भगवतीचरण वर्मा–चित्रलेखा, भूले-बिसरे चित्र, तीन वर्ष, टेढ़े-मेढ़े रास्ते।

प्रश्न 89
हिन्दी के प्रमुख मनोवैज्ञानिक उपन्यासकारों एवं उनकी रचनाओं के नाम लिखिए।
उत्तर
हिन्दी के प्रमुख मनोवैज्ञानिक उपन्यासकार एवं उनके उपन्यासों के नाम निम्नलिखित हैं

  1. जैनेन्द्र कुमार-परख, सुनीता, त्यागपत्र आदि।।
  2. इलाचन्द्र जोशी–जहाज का पंछी, घृणापथ आदि।
  3. सच्चिदानन्द हीरानन्द वात्स्यायन ‘अज्ञेय’–शेखर : एक जीवनी (दो भाग), नदी के द्वीप आदि।

प्रश्न 90
भारतीय और पाश्चात्य दृष्टि से नाटक के तत्त्व बताइए।
उत्तर
भारतीय आचार्यों ने नाटकों के पाँच तत्त्व माने हैं—

  1. वस्तु,
  2. नेता,
  3. रस,
  4. अभिनय एवं
  5. वृत्ति।

पाश्चात्य विद्वानों ने नाटक के छः तत्त्व स्वीकार किये हैं—

  1. कथावस्तु,
  2. पात्र एवं चरित्र-चित्रण,
  3. कथोपकथन,
  4. देशकाल,
  5. भाषा-शैली एवं
  6. उद्देश्य।।

प्रश्न 91
नाटक श्रव्य-काव्य है अथवा दृश्य-काव्य ?
उत्तर
नाटक दृश्य-काव्य है।

प्रश्न 92
हिन्दी के प्रथम नाटक एवं उसके रचयिता का नाम लिखिए। [2014]
उत्तर
गोपालचन्द्र गिरिधरदास द्वारा रचित ‘नहुष’ को हिन्दी का प्रथम नाटक माना जाता है।

प्रश्न 93
हिन्दी के प्रमुख नाटककारों के नाम लिखिए।
उत्तर
भारतेन्दु हरिश्चन्द्र, जयशंकर प्रसाद, वृन्दावनलाल वर्मा, लक्ष्मीनारायण मिश्र, विष्णु प्रभाकर, सेठ गोविन्ददास, हरिकृष्ण ‘प्रेमी’ आदि हिन्दी के प्रमुख नाटककार हैं।

प्रश्न 94
भारतेन्दु युग के प्रमुख नाटककारों के नाम लिखिए।
उत्तर
भारतेन्दु युग के प्रमुख नाटककारों में भारतेन्दु हरिश्चन्द्र के अतिरिक्त बालकृष्ण भट्ट, प्रतापनारायण मिश्र, बदरीनारायण चौधरी ‘प्रेमघन’, लाला श्रीनिवास दास आदि के नाम प्रमुख हैं।।

प्रश्न 95
जयशंकर प्रसाद के समकालीन प्रमुख नाटककारों के नाम लिखिए।
उत्तर
जयशंकर प्रसाद के समकालीन नाटककारों में प्रमुख हैं—

  1. हरिकृष्ण ‘प्रेमी’,
  2. लक्ष्मीनारायण मिश्र,
  3. गोविन्दवल्लभ पन्त,
  4. सेठ गोविन्ददास आदि।

प्रश्न 96
जयशंकर प्रसाद के प्रसिद्ध नाटकों के नाम लिखिए।
उत्तर
चन्द्रगुप्त, स्कन्दगुप्त, ध्रुवस्वामिनी, राज्यश्री तथा अजातशत्रु-जयशंकर प्रसाद के प्रसिद्ध नाटक हैं।

प्रश्न 97
प्रसादोत्तर (छायावादोत्तर) युग के प्रमुख नाटककारों के नाम लिखिए।
या
आधुनिक काल के प्रमुख नाटककारों के नाम लिखिए।
उत्तर

  1. डॉ० रामकुमार वर्मा,
  2. सेठ गोविन्ददास,
  3. मोहन राकेश,
  4. विष्णु प्रभाकर,
  5. उपेन्द्रनाथ अश्क’,
  6. डॉ० लक्ष्मीनारायण लाल एवं
  7. धर्मवीर भारती।

प्रश्न 98
हिन्दी के ऐतिहासिक नाटककारों एवं उनके एक-एक नाटक का नाम लिखिए।
या
हिन्दी के किसी प्रसिद्ध नाटककार एवं उसके द्वारा रचित नाटक का नाम बताइट।
उत्तर
हिन्दी के ऐतिहासिक नाटककार और उनके एक-एक नाटक का नाम निम्नलिखित है-

  1. जयशंकर प्रसाद-चन्द्रगुप्त,
  2. हरिकृष्ण प्रेमी–रक्षाबन्धन,
  3. गोविन्दवल्लभ पन्त-राजमुकुट,
  4. सेठ गोविन्ददास–हर्ष,
  5.  वृन्दावनलाल वर्मा–झाँसी की रानी,
  6. लक्ष्मीनारायण मिश्र-वत्सराज।

प्रश्न 99
हिन्दी एकांकी का जनक किसे माना जाता है ? [2011, 17]
उत्तर
हिन्दी एकांकी का आरम्भ भारतेन्दु हरिश्चन्द्र की ‘अँधेर नगरी’, ‘प्रेमयोगिनी’ आदि रचनाओं से हुआ; अत: भारतेन्दु जी ही हिन्दी एकांकी के जनक हैं, किन्तु आधुनिक हिन्दी एकांकी का जनक डॉ० रामकुमार वर्मा को माना जाता है।

प्रश्न 100
हिन्दी के प्रमूख एकांकीकारों के नाम बताइए।
उत्तर
डॉ० रामकुमार वर्मा, विष्णु प्रभाकर, सेठ गोविन्ददास, उपेन्द्रनाथ ‘अश्क’, हरिकृष्ण ‘प्रेमी’, विनोद रस्तोगी, जगदीशचन्द्र माथुर, उदयशंकर भट्ट, प्रभाकर माचवे, गिरिजाकुमार माथुर आदि हिन्दी के प्रमुख एकांकीकार हैं।।

प्रश्न 101
छायावादोत्तर युग के किन्हीं दो एकांकीकारों के नाम लिखिए।
उत्तर
डॉ० धर्मवीर भारती एवं डॉ० लक्ष्मीनारायण लाल छायावादोत्तर युग के प्रमुख एकांकीकार

प्रश्न 102
आलोचना विधा के चार प्रमुख लेखकों के नाम लिखिए।
उत्तर
आचार्य रामचन्द्र शुक्ल, नन्ददुलारे वाजपेयी, हजारीप्रसाद द्विवेदी, श्यामसुन्दर दास तथा डॉ० नगेन्द्र आलोचना विधा के प्रमुख लेखक हैं।

प्रश्न 103
हिन्दी गद्य की विविध विधाओं के नाम लिखिए।
उत्तर

  1.  नाटक,
  2. उपन्यास,
  3. एकांकी,
  4. कहानी,
  5. निबन्ध,
  6. आलोचना,
  7. आत्मकथा,
  8. जीवनी,
  9. यात्रावृत्त,
  10. रेखाचित्र,
  11. संस्मरण,
  12. गद्यकाव्य,
  13. रिपोर्ताज,
  14. डायरी,
  15.  रेडियो-रूपक,
  16.  भेटवार्ता आदि।

प्रश्न 104
द्विवेदी युग के प्रमुख आलोचना-लेखकों के नाम लिखिए।
उत्तर
द्विवेदी युग के प्रमुख आलोचना-लेखकों में आचार्य महावीरप्रसाद द्विवेदी, मिश्रबन्धु, बाबू श्यामसुन्दर दास, पद्मसिंह शर्मा ‘कमलेश’, लाला भगवानदीन आदि के नाम उल्लेखनीय हैं।

प्रश्न 105
छायावादी युग के सबसे प्रसिद्ध आलोचना-लेखक (आलोचक) कौन थे ?
उत्तर
छायावादी युग के सबसे प्रसिद्ध आलोचना-लेखक आचार्य रामचन्द्र शुक्ल थे।

प्रश्न 106
हिन्दी के दो प्रसिद्ध आलोचकों के नाम बताइए।
उत्तर
हिन्दी के दो प्रसिद्ध आलोचक हैं—

  1. आचार्य रामचन्द्र शुक्ल और
  2. बाबू श्यामसुन्दर दास।

प्रश्न 107
आधुनिक युग के किसी प्रसिद्ध गद्य-आलोचक का नाम लिखिए।
उत्तर
आधुनिक युग में डॉ० नगेन्द्र हिन्दी के एक प्रसिद्ध गद्य-आलोचक हैं।

प्रश्न 108
शुक्लोत्तर युग के आलोचना-लेखकों के नाम लिखिए।
उत्तर
डॉ० रामकुमार वर्मा, डॉ० नगेन्द्र, डॉ० रामविलास शर्मा आदि शुक्लोत्तर युग के प्रसिद्ध आलोचना-लेखक हैं।

प्रश्न 109
‘समालोचक’ पत्र किस युग में प्रकाशित हुआ था ?
उत्तर
समालोचक’ पत्र, द्विवेदी युग में प्रकाशित हुआ था।

प्रश्न 110
व्यावहारिक समीक्षा के क्षेत्र में ख्यात आलोचकों के नाम लिखिए।
उत्तर
व्यावहारिक समीक्षा के क्षेत्र में ख्यात प्रमुख आलोचक हैं-आचार्य नन्ददुलारे वाजपेयी, आचार्य विश्वनाथ प्रसाद मिश्र, डॉ० विनय मोहन शर्मा, डॉ० गोविन्द त्रिगुणायत आदि।

प्रश्न 111
माक्र्सवादी समीक्षा के क्षेत्र में ख्यात आलोचकों के नाम लिखिए।
उत्तर
मार्क्सवादी समीक्षा के क्षेत्र में ख्यात प्रमुख आलोचक हैं-डॉ० रामविलास शर्मा, शिवदान सिंह चौहान, डॉ० विश्वम्भरनाथ उपाध्याय आदि।

प्रश्न 112
जीवनी किसे कहते हैं? हिन्दी में जीवनी-लेखन का कार्य किस युग में प्रारम्भ हुआ ?
उत्तर
किसी व्यक्ति विशेष के जीवन की जन्म से लेकर मृत्यु तक की घटनाओं के क्रमबद्ध विवरण को ‘जीवनी’ कहा जाता है। हिन्दी में जीवनी-लेखन का कार्य भारतेन्दु युग में प्रारम्भ हो चुका था।

प्रश्न 113
जीवनी लिखने वाले किसी एक लेखक तथा उसकी रचना का नाम लिखिए।
उत्तर
लेखक–अमृतराय। रचना-‘कलम का सिपाही’।

प्रश्न 114
प्रसिद्ध जीवनी-लेखकों के नाम लिखिए।
उत्तर
बनारसीदास चतुर्वेदी, बाबू गुलाबराय, विष्णु प्रभाकर, अमृतराय आदि प्रमुख जीवनी-लेखक हैं।

प्रश्न 115
द्विवेदी युग के प्रमुख जीवनी-लेखकों के नाम लिखिए। इस युग में किस प्रकार की जीवनियाँ लिखी गयीं ?
उत्तर
द्विवेदी युग के जीवनी-लेखकों में लक्ष्मीधर वाजपेयी, डॉ० सम्पूर्णानन्द, नाथूराम प्रेमी, मुकुन्दीलाल वर्मा उल्लेखनीय हैं। इस युग में ऐतिहासिक पुरुषों और धार्मिक नेताओं की जीवनियाँ लिखी गयीं।

प्रश्न 116
छायावाद युग के प्रमुख जीवनी-लेखकों के नाम लिखिए। इस युग में कैसी जीवनियाँ लिखी गयीं ?
उत्तर
छायावाद युग के जीवनी-लेखकों में रामनरेश त्रिपाठी, गणेश शंकर विद्यार्थी, प्रेमचन्दउल्लेखनीय हैं। इस युग में राष्ट्रीय महापुरुषों की जीवनियाँ लिखी गयीं।

प्रश्न 117
छायावादोत्तर युग के प्रमुख जीवनी-लेखकों के नाम लिखिए। इस युग में किस प्रकार की जीवनियाँ लिखी गयीं ?
उत्तर
छायावादोत्तर युग के जीवनी-लेखकों में काका कालेलकर, रामवृक्ष बेनीपुरी, बनारसीदास चतुर्वेदी, राहुल सांकृत्यायन-विशेष रूप से उल्लेखनीय हैं। इस युग में लोकप्रिय नेताओं, सन्त-महात्माओं, विदेशी महापुरुषों, वैज्ञानिकों, खिलाड़ियों और साहित्यकारों की जीवनियाँ लिखी गयीं।

प्रश्न 118
निम्नलिखित जीवनियों के लेखक कौन हैं-
(1) सुमित्रानन्दन पन्त : जीवन और साहित्य,
(2) निराला की साहित्य-साधना।
उत्तर
(1) शान्ति जोशी एवं
(2) डॉ० रामविलास शर्मा।

प्रश्न 119
छायावादोत्तर युग के दो प्रसिद्ध जीवनी-लेखकों के नाम लिखिए।
उत्तर

  1. जैनेन्द्र कुमार तथा
  2. काका कालेलकर।

प्रश्न 120
आत्मकथा का अर्थ बताइए और इसकी परिभाषा दीजिए। हिन्दी में प्रथम आत्मकथा का नाम बताइट।
उत्तर
आत्मकथा का शाब्दिक अर्थ होता है-अपनी कहानी। यह लेखक का अपने जीवन से सम्बद्ध वर्णन है। अतः आत्मकथा किसी विशिष्ट व्यक्ति द्वारा लिखा गया वह आख्यान या वृत्तान्त है जो वह बड़ी बेबाकी से अपने जीवन के बारे में प्रस्तुत करता है। जैन कवि बनारसीदास की ‘अर्द्धकथा’ को हिन्दी के आत्मकथा साहित्य की प्रथम आत्मकथा कहा जाता है।

प्रश्न 121
हिन्दी के प्रमुख आत्मकथा-लेखकों के नाम लिखिए।
उत्तर
बाबू श्यामसुन्दर दास (मेरी आत्मकहानी), वियोगी हरि (मेरा जीवन प्रवाह), डॉ० राजेन्द्र प्रसाद (मेरी आत्मकथा) आदि प्रमुख आत्मकथा लेखकों के अतिरिक्त डॉ० हरिवंशराय ‘बच्चन’, पाण्डेय बेचन शर्मा ‘उग्र’ तथा गुलाबराय आदि श्रेष्ठ आत्मकथाकार हैं।

प्रश्न 122
निम्नलिखित आत्मकथाओं के लेखकों के नाम लिखिए
(1) अपनी कहानी एवं
(2) मेरी असफलताएँ।
उत्तर
(1) वृन्दावनलाल वर्मा एवं
(2) बाबू गुलाबराय।

प्रश्न 123
आत्मकथा विधा की प्रमुख रचनाओं और उनके लेखकों के नाम लिखिए।
उत्तर
आत्मकथा विधा से सम्बन्धित प्रमुख रचनाएँ और उनके लेखक हैं—

  1. कुछ आप बीती, कुछ जग बीती (भारतेन्दु हरिश्चन्द्र),
  2. निज वृत्तान्त (अम्बिकादत्त व्यास),
  3. कल्याण का पथिक (स्वामी श्रद्धानन्द),
  4. मुझमें दैवी जीवन का विकास (स्वामी सत्यानन्द अग्निहोत्री),
  5. आपबीती ( भाई परमानन्द),
  6. तरुण स्वप्न (सुभाषचन्द्र बोस),
  7. मेरी कहानी (जवाहरलाल नेहरू),
  8. सत्य की खोज (एस० राधाकृष्णन),
  9. आधे रास्ते और सीधी चट्टान (कन्हैयालाल माणिकलाल मुंशी),
  10.  मेरी आत्मकथा (डॉ० राजेन्द्र प्रसाद),
  11.  प्रवासी की आत्मकथा (स्वामी भवानीदयाल संन्यासी),
  12.  स्वतन्त्रता की खोज (सत्यदेव परिव्राजक),
  13. साठ वर्ष : एक रेखांकन (सुमित्रानन्दन पन्त),
  14. परिव्राजक की प्रजा (शान्तिप्रिय द्विवेदी) आदि।

प्रश्न 124
रेखाचित्र अथवा आत्मकथा की किन्हीं दो विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
उत्तर
रेखाचित्र—

  1. रेखाचित्र में कम-से-कम शब्दों के प्रयोग द्वारा किसी व्यक्ति या वस्तु की विशेषता को उभारा जाता है।
  2. रेखाचित्र में लेखक पूर्णत: तटस्थ होकर, किसी वस्तु या व्यक्ति का चित्रात्मक शैली में सजीव तथा भावपूर्ण चित्र प्रस्तुत करता है।

आत्मकथा—

  1. महापुरुषों द्वारा लिखी गयी आत्मकथाएँ पाठकों को उनके जीवन के आत्मीय पहलुओं से परिचय कराती हुई मार्गदर्शन करती हैं और प्रेरणा देती हैं।
  2. लेखक स्वयं अपने जीवन के प्रसंगों को पूर्ण निजता के साथ भावात्मक एवं रोचक शैली में प्रस्तुत करता है।

प्रश्न 125
रेखाचित्र किसे कहते हैं ? इसको परिभाषित कीजिए।
उत्तर
रेखाचित्र साहित्य की वह गद्यात्मक विधा है, जिसमें किसी विषय-विशेष का, उसकी बाह्य विशेषताओं को उभारते और तत्सम्बन्धित विभिन्न संक्षिप्त घटनाओं को समेटते हुए शब्द-रेखाओं के माध्यम से सजीव, सरस, मर्मस्पर्शी एवं प्रभावशाली चित्र उभारा जाता है।

प्रश्न 126
किन्हीं दो रेखाचित्रकारों के नाम लिखिए। [2011]
उत्तर
(1) महादेवी वर्मा तथा
(2) रामवृक्ष बेनीपुरी।

प्रश्न 127
रेखाचित्र विधा में किसने लेखन प्रारम्भ किया ?
उत्तर
कुछ विद्वान् पद्मसिंह शर्मा को रेखाचित्र विधा का जनक मानते हैं, परन्तु इस विधा के नाम से इस विधा में लेखन प्रारम्भ करने का श्रेय श्रीराम शर्मा को है।

प्रश्न 128
छायावादोत्तर युग के प्रमुख रेखाचित्र विधा के लेखकों के नाम लिखिए।
उत्तर
रेखाचित्र विधा में लिखने वाले छायावादोत्तर युग के लेखकों में उल्लेखनीय हैं—प्रकाशचन्द्र गुप्त, बनारसीदास चतुर्वेदी, कन्हैयालाल मिश्र ‘प्रभाकर’, विनयमोहन शर्मा, सत्यवती मलिक, रघुवीर सहाय और डॉ० नगेन्द्र।

प्रश्न 129
संस्मरण की परिभाषा दीजिए।
उत्तर
संस्मरण का शाब्दिक अर्थ होता है सम्यक् स्मरण, जिसके मूल में गम्भीर चिन्तन का भाव निहित होता है। मानव-जीवन की कटु, तिक्त एवं मधुर स्मृतियाँ अनुभूति और संवेदना का संसर्ग प्राप्त करके जब हृदय से निकलती हैं तब वे संस्मरण का रूप धारण कर लेती हैं।

प्रश्न 130
संस्मरण और रेखाचित्र का अन्तर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर
संस्मरण में साहित्यकार अपने जीवन में आये किसी व्यक्ति विशेष पर आधारित घटना को रोचक शैली में, यथार्थ रूप में और अपने व्यक्तित्व में रंगकर प्रस्तुत करता है; जैसे–महादेवी वर्मा कृत ‘प्रणाम। रेखाचित्र में लेखक कम-से-कम शब्दों का प्रयोग करके किसी वस्तु या व्यक्ति का चित्रात्मक शैली में सजीव भावपूर्ण चित्र प्रस्तुत करता है; जैसे–महादेवी वर्मा कृत ‘गिल्लू’।

प्रश्न 131
‘संस्मरण’ की विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
उत्तर

  1. संस्मरण में व्यक्तियों, घटनाओं अथवा दृश्यों को स्मृति के सहारे पुन: कल्पना में मूर्त किया जाता है।
  2. संस्मरण में लेखक तटस्थ रहने के बाद भी स्वयं को चित्रित कर देता है।
  3. संस्मरण व्यक्ति, वस्तु अथवा घटना के वैशिष्ट्य को लक्षित करने वाला होता है।

प्रश्न 132
हिन्दी के दो संस्मरण लेखकों के नाम लिखिए।
उत्तर

  1. महादेवी वर्मा तथा
  2. काका कालेलकर।

प्रश्न 133
हिन्दी के प्रथम संस्मरण लेखक का नाम बताइए। [2010]
उत्तर
बाबू बालमुकुन्द गुप्त ने पं० प्रतापनारायण मिश्र के संस्मरण (1907 ई०) में लिखकर इस विधा का सूत्रपात किया; परन्तु डॉ० गोविन्द त्रिगुणायत संस्मरण का प्रथम लेखक सत्यदेव परिव्राजक को स्वीकार करते हैं।

प्रश्न 134
महादेवी वर्मा के कुछ संस्मरण-ग्रन्थों के नाम लिखिए।
उत्तर
महादेवी वर्मा द्वारा रचित ‘पथ के साथी’ (संस्मरण), ‘अतीत के चलचित्र’, ‘स्मृति की रेखाएँ’, ‘स्मारिका’ (रेखाचित्रनुमा संस्मरण) आदि संस्मरण-ग्रन्थ हिन्दी साहित्य की अमूल्य निधि हैं।

प्रश्न 135
कन्हैयालाल मिश्र ‘प्रभाकर’ द्वारा रचित संस्मरणात्मक रचनाओं के नाम लिखिए।
उत्तर
‘जिन्दगी मुसकाई’, ‘माटी हो गयी सोना’ तथा ‘दीप जले शंख बजे’ प्रभाकर जी की प्रमुख संस्मरणात्मक रचनाएँ हैं।

प्रश्न 136
संस्मरण विधा से सम्बन्धित प्रमुख रचनाओं और उनके लेखकों के नाम लिखिए।
उत्तर
संस्मरण विधा से सम्बन्धित प्रमुख रचनाएँ और उनके लेखक निम्नलिखित हैं—

  1. मण्टो मेरा दुश्मन,
  2. ज्यादा अपनी कम परायी (उपेन्द्रनाथ अश्क’);
  3. कुछ शब्द कुछ रेखाएँ। (विष्णु प्रभाकर);
  4. बचपन की स्मृतियाँ,
  5. जिनका मैं कृतज्ञ,
  6. मेरे असहयोग के साथी (राहुल सांकृत्यायन);
  7. दस तस्वीरें,
  8.  जिन्होंने जीना सीखा (जगदीशचन्द्र माथुर);
  9. स्मृति-कण,
  10.  चेहरे जाने-पहचाने (सेठ गोविन्ददास);
  11.  चेतना के बिम्ब (डॉ० नगेन्द्र);
  12.  समय के पाँव (माखनलाल चतुर्वेदी);
  13.  लोकदेव नेहरू,
  14.  संस्मरण और श्रद्धांजलियाँ (रामधारी सिंह ‘दिनकर’);
  15.  नये-पुराने झरोखे (डॉ० हरिवंशराय बच्चन’) ।।

प्रश्न 137
‘यात्रावृत्त’ किसे कहते हैं ?
उत्तर
जब कोई यात्री अपनी यात्रा के अन्तर्गत मार्ग में आने वाले विविध व्यक्तियों, स्थानों, व्यवस्थाओं आदि के अपने हृदय पर पड़ने वाले प्रभावों का सूक्ष्म और सजीव वर्णन करता है, तब उसे यात्रावृत्त कहते हैं।

प्रश्न 138
हिन्दी में यात्रावृत्त लिखने का क्रम किस लेखक से प्रारम्भ हुआ तथा सर्वाधिक यात्रावृत्त किस गद्य-युग में लिखे गये ?
उत्तर
यात्रावृत्त लिखने का क्रम भारतेन्दु हरिश्चन्द्र से प्रारम्भ हुआ तथा सर्वाधिक यात्रावृत्त छायावाद और छायावादोत्तर युग में लिखे गये।

प्रश्न 139
हिन्दी के यात्रा-साहित्य के दो प्रमुख लेखकों और उनकी एक-एक रचना के नाम लिखिए।
उत्तर

  1. राहुल सांकृत्यायन-घुमक्कड़शास्त्र तथा
  2. मोहन राकेश-आखिरी चट्टान तक।

प्रश्न 140
यात्रावृत्त के मुख्य तत्त्वों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर
यात्रा से जुड़ी निजी स्मृतियाँ, सहजता, सत्यता, रोचकता और सरसता यात्रावृत्त के मुख्य तत्त्व

प्रश्न 141
छायावाद युग के यात्रावृत्त विधा के प्रमुख लेखक और उनकी रचनाओं का उल्लेख कीजिए।
उत्तर
छायावाद युग की यात्रावृत्त विधा के प्रमुख लेखक और उनकी प्रमुख रचनाएँ निम्नवत् हैं-

  1. रामनारायण मिश्र – यूरोप यात्रा के छ: मास तथा
  2. राहुल सांकृत्यायन – मेरी यूरोप यात्रा, मेरी तिब्बत यात्रा।

प्रश्न 142
छायावादोत्तर युग की यात्रावृत्त विधा की प्रमुख रचनाएँ और उनके लेखकों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर
छायावादोत्तर युग की प्रमुख रचनाएँ एवं उनके लेखक इस प्रकार हैं—

  1. घुमक्कड़शास्त्र,
  2. किन्नर देश में,
  3. हिमालय परिचय (राहुल सांकृत्यायन);
  4. पैरों में पंख बाँधकर,
  5. उड़ते चलो, उड़ते चलो (रामवृक्ष बेनीपुरी);
  6. वह दुनिया (भगवतशरण उपाध्याय);
  7. अरे यायावर रहेगा याद,
  8. एक बूंद सहसा उछली (सच्चिदानन्द हीरानन्द वात्स्यायन ‘अज्ञेय’);
  9. तन्त्रालोक से यन्त्रालोक तक (डॉ० नगेन्द्र);
  10. पृथ्वी-परिक्रमा,
  11.  सुदूर दक्षिण में (सेठ गोविन्ददास);
  12. धरती गाती है (देवेन्द्र सत्यार्थी);
  13.  तूफानों के बीच (रांगेय राघव);
  14. आखिरी चट्टान तक (मोहन राकेश);
  15. आज का जापान (भदन्त आनन्द कौसल्यायन);
  16.  लोहे की दीवार के दोनों ओर (यशपाल);
  17.  सुबह के रंग (अमृतराय);
  18.  भू-स्वर्ग कश्मीर (हंसकुमार तिवारी) आदि।

प्रश्न 143
‘रिपोर्ताज’ का अर्थ स्पष्ट कीजिए।
उत्तर
‘रिपोर्ताज’ का सम्बन्ध अंग्रेजी के ‘रिपोर्ट’ शब्द से है। रिपोर्ट सामान्य रूप में समाचार-पत्रों में प्रकाशित करने तथा रेडियो-दूरदर्शन पर प्रसारित करने के लिए पत्रकार द्वारा तैयार की जाती है। यही कार्य जब सौन्दर्यचेता साहित्यकार द्वारा किया जाता है तो उसमें उसके व्यक्तित्व की विशिष्टताएँ, प्रतिक्रियाएँ और व्याख्याएँ भी समाहित हो जाती हैं। इस प्रकार साहित्यकार द्वारा विरचित घटना-विवरण ‘रिपोर्ताज’ कहलाता

प्रश्न 144
हिन्दी में रिपोर्ताज लिखने का प्रचलन किस युग में हुआ ? प्रमुख रिपोर्ताज लेखकों के नाम लिखिए।
उत्तर
हिन्दी में रिपोर्ताज लिखने का प्रचलन छायावादोत्तर युग में हुआ। प्रमुख रिपोर्ताज लेखक हैं—

  1. धर्मवीर भारती,
  2. कन्हैयालाल मिश्र ‘प्रभाकर’,
  3. रांगेय राघव,
  4. विष्णुकान्त शास्त्री आदि।

प्रश्न 145
रिपोर्ताज विधा की हिन्दी में प्रथम रचना का नामोल्लेख कीजिए।
उत्तर
डॉ० शिवदानसिंह चौहान विरचित ‘लक्ष्मीपुरा’ (1938 ई०) को हिन्दी गद्य-साहित्य का प्रथम रिपोर्ताज माना जाता है।

प्रश्न 146
प्रमुख रिपोर्ताज रचनाएँ और उनके लेखकों के नाम लिखिए।
उत्तर
रिपोर्ताज विधा की प्रमुख रचनाएँ और उनके लेखक हैं–

  1. पहाड़ों में प्रेममयी संगीति (उपेन्द्रनाथ अश्क’);
  2. एक तस्वीर के दो पहलू,
  3. क्षण बोले कण मुसकाये,
  4. दिल्ली की यात्रा-स्मृतियाँ (कन्हैयालाल मिश्र ‘प्रभाकर’);
  5. वे लड़ेंगे हजार साल (शिवसागर मिश्र);
  6. युद्ध-यात्रा (धर्मवीर भारती);
  7.  प्लाट का मोर्चा (शमशेर बहादुर सिंह)।

प्रश्न 147
हिन्दी में डायरी विधा का आरम्भ किस युग से हुआ ? किसी डायरी लेखक की डायरी का नाम लिखिए।
उत्तर
हिन्दी में डायरी विधा का आरम्भ छायावाद युग से हुआ। डायरी लेखक-धीरेन्द्र वर्मा, रचना-मेरी कॉलेज डायरी।।

प्रश्न 148
हिन्दी की दो नवीन गद्य विधाओं व उन विधाओं के एक-एक प्रमुख लेखक का नाम लिखिए।
उत्तर

  1. रिपोर्ताज’ हिन्दी गद्य की एक नयी विधा है। इस विधा के प्रमुख लेखक- कन्हैयालाल मिश्र ‘प्रभाकर’ हैं।
  2. ‘डायरी’ हिन्दी की दूसरी नवीन गद्य विधा है। इस विधा के प्रमुख लेखक-धीरेन्द्र वर्मा हैं।

प्रश्न 149
डायरी विधा की प्रथम रचना का नामोल्लेख कीजिए। (2009)
उत्तर
नरदेव शास्त्री ‘वेदतीर्थ’ को प्रथम डायरी-लेखक माना जाता है। उनकी डायरी “नरदेव शास्त्री ‘वेदतीर्थ’ की जेल डायरी” का प्रकाशन 1930 ई० के आसपास माना जाता है।

प्रश्न 150
डायरी विधा की प्रमुख रचनाएँ और उनके लेखकों के नाम लिखिए।
उत्तर
हिन्दी गद्य की डायरी विधा के अन्तर्गत घनश्यामदास बिड़ला की डायरी के पन्ने, सुन्दरलाल त्रिपाठी की ‘दैनन्दिनी’, धीरेन्द्र वर्मा की ‘मेरी कॉलेज डायरी’ जैसी कुछ गिनी-चुनी रचनाएँ ही उपलब्ध हैं।

प्रश्न 151
छायावादोत्तर युग में डायरी विधा में लेखन करने वाले लेखकों के नाम लिखिए।
उत्तर
छायावादोत्तर युग में इलाचन्द्र जोशी, रामधारी सिंह ‘दिनकर’, शमशेर बहादुर सिंह, मोहन राकेश, लक्ष्मीकान्त वर्मा, नरेश मेहता, अजित कुमार, प्रभाकर माचवे आदि की डायरियाँ प्रकाशित हुई हैं।

प्रश्न 152
‘गद्यगीत’ विधा को सोदाहरण स्पष्ट कीजिए।
उत्तर
‘गद्यगीत’ में गद्य के माध्यम से किसी भावपूर्ण विषय की काव्यात्मक अभिव्यक्ति होती है। उदाहरण–“मित्र! यहाँ तो सुख के साथ दु:ख लगा है, और उससे सुख को अलग कर लेने के उद्योग में भी एक सुख है।” (राय कृष्णदास)

प्रश्न 153
‘गद्यगीत’ अथवा ‘गद्यकाव्य’ की दो विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर
‘गद्यगीत’ अथवा ‘गद्यकाव्य’ गद्य और काव्य के बीच की विधा है। इसकी प्रमुख विशेषताएँ इस प्रकार हैं–

  1. इसमें अनुभूति की सघनता होती है,
  2. इसमें संक्षिप्तता और रहस्यमय सांकेतिकता होती है।

प्रश्न 154
गद्यगीतों का आरम्भ किस लेखक के किस ग्रन्थ से माना जाता है ?
उत्तर
गद्यगीतों का आरम्भ राय कृष्णदास के ‘साधना-संग्रह’ नामक ग्रन्थ से माना जाता है।

प्रश्न 155
‘तरंगिणी’ के लेखक तथा उसकी गद्य विधा का नाम लिखिए।
उत्तर
लेखक-वियोगी हरि तथा विधा-गद्यकाव्य ।।

प्रश्न 156
हिन्दी में गद्यकाव्य की रचना करने वाले किन्हीं दो लेखकों के नाम लिखिए।
उत्तर

  1. राय कृष्णदास तथा
  2. वियोगी हरि।

प्रश्न 157
गद्यकाव्य विधा की प्रमुख रचनाएँ और उनके लेखकों का नामोल्लेख कीजिए।
उत्तर
गद्यकाव्य विधा की प्रमुख रचनाएँ और उनके रचनाकारों के नाम हैं—

  1. शारदीया,
  2. दुपहरिया,
  3. वंशीरव,
  4. उन्मन,
  5. स्पन्दन (दिनेशनन्दिनी चौरडया);
  6. चिन्ता (सच्चिदानन्द हीरानन्द वात्स्यायन ‘अज्ञेय’);
  7. शुभ्रा (रामप्रसाद विद्यार्थी ‘रावी’);
  8. आराधना (राजनारायण मेहरोत्रा ‘रजनीश’);
  9. श्रद्धाकण,
  10. तरंगिणी (वियोगी हरि);
  11. मरी खाल की हाय,
  12. जवाहर (आचार्य चतुरसेन शास्त्री);
  13. साहित्य देवता (माखनलाल चतुर्वेदी);
  14. शेष स्मृतियाँ (डॉ० रघुवीर सिंह) आदि।

प्रश्न 158
‘भेटवार्ता’ अथवा ‘साक्षात्कार’ से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर
जब रचनाकार किसी विशिष्ट व्यक्ति से मुलाकात करके उसके व्यक्तित्व, भावों, क्रिया-कलापों आदि से सम्बन्धित साहित्य की रचना प्रश्न-उत्तर रूप में करता है, तो यह रचना ‘भेटवार्ता या साक्षात्कार कहलाती है। यह विधा वस्तुत: पत्रकारिता की देन है। यह वास्तविक भी हो सकती है और काल्पनिक भी।

प्रश्न 159
चेखव : एक इण्टरव्यू’ तथा ‘भगवान् महावीर : एक इण्टरव्यू किस विधा की रचनाएँ हैं ? इनके लेखक कौन हैं ?
उत्तर
उक्त दोनों ‘काल्पनिक भेटवार्ता’ विधा की रचनाएँ हैं। इनके लेखक क्रमश: राजेन्द्र यादव एवं लक्ष्मीचन्द जैन हैं।

प्रश्न 160
हिन्दी में भेटवार्ता विधा में लेखन का प्रारम्भ किसने किया ?
उत्तर
हिन्दी में भेटवार्ता विधा का श्रीगणेश बनारसीदास चतुर्वेदी ने जगन्नाथ दास ‘रत्नाकर’ और प्रेमचन्द से भेंट करने के उपरान्त उनके व्यक्तित्व और कृतित्व के बारे में लिखकर किया।

प्रश्न 161
भेटवार्ता विधा की प्रमुख रचनाओं का नामोल्लेख कीजिए।
उत्तर
भेटवार्ता विधा की प्रमुख रचनाएँ हैं—

  1. कवि दर्शन (बेनी माधव शर्मा),
  2. मैं इनसे मिला (दो भाग) (डॉ० पद्मसिंह शर्मा ‘कमलेश’),
  3. कला के हस्ताक्षर (देवेन्द्र सत्यार्थी),
  4. सृजन की मनोभूमि (डॉ० रणवीर रांग्रा),
  5. हिन्दी कहानी और फैशन (डॉ० सुरेश सिन्हा) आदि।

प्रश्न 162
छायावादोत्तर युग में भेटवार्ता विधा में लेखन करने वालों का नामोल्लेख कीजिए।
उत्तर
छायावादोत्तर युग में भेटवार्ता लिखने वालों के नाम हैं—

  1. प्रभाकर माचवे,
  2. शिवदानसिंह चौहानं,
  3. रामचरण महेन्द्र,
  4. कैलाश कल्पित,
  5. राजेन्द्र यादव,
  6. लक्ष्मीचन्द्र जैन आदि।

प्रश्न 163
सन् 1947 के बाद प्रकाशित दो साहित्यिक पत्रों के संकलन के नाम तथा उनके सम्पादकों के नाम लिखिए।
उत्तर

  1. ‘बड़ों के कुछ प्रेरणादायक पत्र’ – वियोगी हरि।
  2.  “निराला के पत्र’ – जानकीवल्लभ शास्त्री।

प्रश्न 164
हिन्दी-साहित्य में पत्र-साहित्य की प्रथम रचना कौन-सी है ?
उत्तर
हिन्दी-साहित्य में प्रथम पत्र-साहित्य का प्रकाशन 1904 ई० (द्विवेदी युग) में महात्मा मुंशीराम के द्वारा ‘स्वामी दयानन्द से सम्बद्ध पत्रों के संकलन’ से हुआ था।

प्रश्न 165
छायावाद युग की पत्र-साहित्य की रचना का नाम लिखिए।
उत्तर
छायावाद युग में रामकृष्ण आश्रम, देहरादून से ‘विवेकानन्द पत्रावली’ का प्रकाशन हुआ था।

प्रश्न 166
छायावादोत्तर युग की उल्लेखनीय पत्र-साहित्य रचनाओं को लिखिए।
उत्तर
छायावादोत्तर युग में प्रकाशित प्रमुख पत्र-साहित्य हैं—

  1. द्विवेदी पत्रावली (बैजनाथ सिंह ‘विनोद’),
  2. पद्मसिंह शर्मा के पत्र (बनारसीदास चतुर्वेदी),
  3. बड़ों के प्रेरणादायक पत्र (वियोगी हरि),
  4. पन्त के दो सौ पत्र बच्चन के नाम (हरिवंशराय बच्चन),
  5. भिक्षु के पत्र (भाग 1-2) (भदन्त आनन्द कौसल्यायन),
  6. यूरोप के पत्र (डॉ० धीरेन्द्र वर्मा),
  7. सोवियत रूस : पिता के पत्रों में (डॉ० जगदीशचन्द्र),
  8. लन्दन के पत्र (ब्रजमोहन लाला),
  9. बन्दी की चेतना (कमलापति त्रिपाठी),
  10. बापू के पत्र (काका कालेलकर) आदि।।

प्रश्न 167
हिन्दी के नयी पीढ़ी के चार साहित्यिक रचनाकारों के नाम लिखिए।
उत्तर
कमलेश्वर, हृदयेश, मनोहरश्याम जोशी तथा सुदीप नयी पीढ़ी के रचनाकार हैं।

प्रश्न 168
हिन्दी गद्य के विकास में सबसे अधिक योगदान करने वाली अथवा द्विवेदी युग की सर्वाधिक प्रसिद्ध पत्रिका तथा उसके सम्पादक का नाम लिखिए।
या
द्विवेदी युग की सर्वप्रथम पत्रिका और उसके सम्पादक का नाम लिखिए। (2011)
उत्तर
पत्रिका-सरस्वती (सन् 1903 से प्रारम्भ)।।
सम्पादक–आचार्य महावीरप्रसाद द्विवेदी।

प्रश्न 169
हिन्दी की दो प्राचीन साहित्यिक पत्रिकाओं के नाम लिखिए।
उत्तर
हिन्दी की दो प्राचीन साहित्यिक पत्रिकाओं के नाम हैं—

  1. चरित्र एवं
  2. वचनिका।

प्रश्न 170
हिन्दी गद्य के विकास में ‘सरस्वती’ पत्रिका के योगदान पर प्रकाश डालिए।
उत्तर
‘सरस्वती’ पत्रिका के माध्यम से हिन्दी गद्य में व्याप्त व्याकरण सम्बन्धी भूलों को दूर किया गया, वाक्य-विन्यास को सुव्यवस्थित किया गया तथा लेखकों और कवियों को प्रेरणा देकर लेखन-कार्य के लिए प्रोत्साहित किया गया।

प्रश्न 171
द्विवेदी युग के दो प्रसिद्ध सम्पादकों के नाम लिखिए।
उत्तर
द्विवेदी युग के दो प्रसिद्ध सम्पादकों के नाम हैं—

  1. आचार्य महावीरप्रसाद द्विवेदी तथा
  2. श्री गणेश शंकर विद्यार्थी।

प्रश्न 172
स्वतन्त्रता के बाद प्रकाशित किन्हीं दो साहित्यिक पत्रिकाओं और उनके सम्पादकों के नाम लिखिए।
उत्तर
स्वतन्त्रता के बाद प्रकाशित होने वाली हिन्दी की दो साहित्यिक पत्रिकाएँ हैं-कादम्बिनी तथा ‘धर्मयुग’। इनके सम्पादकों के नाम हैं-राजेन्द्र अवस्थी तथा धर्मवीर भारती। वर्तमान में केवल ‘कादम्बिनी’ का प्रकाशन ही हो रहा है।

प्रश्न 173
निम्नलिखित में से किन्हीं दो सम्पादकों की पत्रिकाओं के नाम लिखिए-
(1) महावीरप्रसाद द्विवेदी,
(2) श्यामसुन्दर दास,
(3) महादेवी वर्मा,
(4) धर्मवीर भारती।। [2011]
उत्तर
सम्पादक                                                 पत्रिका
(1) महावीरप्रसाद द्विवेदी             –           सरस्वती
(2) श्यामसुन्दर दास                     –             नागरी प्रचारिणी पत्रिका
(3) महादेवी वर्मा                          –                            चाँद
(4) धर्मवीर भारती                          –                     धर्मयुग
ध्यातव्य-हिन्दी-साहित्य की प्रमुख पत्र-पत्रिकाओं को युगानुसार सारणीबद्ध रूप में नीचे दिया जा रहा है-
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विशेष—इस सूची में दिये गये पत्र-पत्रिकाओं के सम्पादक उनकी प्रकाशनावधि के दौरान बहुधा परिवर्तित होते रहते थे। प्रस्तुत सूची में रचना-धर्मिता के कारण बहुचर्चित सम्पादकों के नामों का ही उल्लेख किया जा रहा है। प्रस्तुत सूची की अधिकांश पत्र-पत्रिकाओं का प्रकाशन वर्तमान में बाधित है। आजकल मात्र ‘कादम्बिनी’ तथा ‘हंस’ ही नियमित प्रकाशित हो रही हैं।

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