UP Board Solutions for Class 9 English Suplementary Reader Chapter 2 The Swan and the Princes (A Play)

UP Board Solutions for Class 9 English Suplementary Reader Chapter 2 The Swan and the Princes (A Play)

These Solutions are part of UP Board Solutions for Class 9 English. Here we have given UP Board Solutions for Class 9 English Suplementary Reader Chapter 2 The Swan and the Princes (A Play)

(A)  SHORT ANSWER TYPE QUESTIONS AND THEIR ANSWERS
Answer the following questions in not more than 25 words each :

Question 1.
Whom did Dev Datt shoot down?
देवदत्त ने किस पर निशाना लगाया?
Answer:
Dev Datt shot down a swan and it fell on the ground near the prince.
देवदत्त ने हंस को निशाना लगाया और वह जमीन पर राजकुमार के पास गिर पड़ा।

UP Board Solutions

Question 2.
What was the complaint of Dev Dott against Sidhartha?
सिद्धार्थ के विरूद्ध देवदत्त की क्या शिकायत थी
Answer:
Dev Datt complained against Sidhartha that he shot down a swan and it fell on the ground. He (Sidhartha) picked it up and said that he would not give it to him.
देवदत्त ने सिद्धार्थ के विरुद्ध शिकायत की कि उसने एक हंस (UPBoardSolutions.com) को निशाना लगाया और वह जमीन पर गिर पड़ा। उन्होंने (सिद्धार्थ ने) उसे उठा लिया और कहा कि वे इसे उन्हें (देवदत्त को) नहीं देगे।

Question 3.
What did Dev Datt say in support of his claim over the swan?
हंस पर अपने दावे के समर्थन में देवदत्त ने क्या कहा?
Answer:
Dev Datt said in support of his claim over the swan that he himself had shot it with an arrow. Besides, he was a Kshatriya who could not give up hishunt.
देवदत्त ने हंस पर अपने दावे के समर्थन में कहा कि उसने स्वयं उस पर तीर चलाया था। इसके अतिरिक्त वह क्षत्रिय था, जो अपने शिकार को छोड़ नहीं सकता।

Question 4.
Why did Sidhartha say that the swan was his?
सिद्धार्थ ने क्यों कहा कि हंस उनका है?
Answer:
Sidhartha said that the swan belonged to him because he had saved its life.
सिद्धार्थ ने कहा कि हंस उनका है क्योंकि उन्होंने उसकी जान बचायी थी।

Question 5.
Why did the wounded swan come to Sidhartha?
घायल हंस सिद्धार्थ के पास क्यों आया?
Answer:
The wounded swan came to Sidhartha seeking its protection.
घायल हंस सिद्धार्थ के पास अपनी रक्षा के लिए आया।

Question 6.
What two characteristics of the Kshatriya are referred to in the play?
इस नाटक में क्षत्रियों के कौन से दो प्रमुख गुण बताये गये हैं?
Answer:
Two characteristics of the Kshatriya are referred to in the play :
नाटक में क्षत्रियों के दो गुण बताये गये हैं—
(i)A Kshatriya can not give up what he has shot?
एक क्षत्रिय उस जीव को नहीं छोड़ सकता जिस पर उसने तीर चलाया है।
(ii)A Kshatriya can not give up a suppliant either.
एक क्षत्रिय शरणागत को भी नहीं छोड़ सकता।

Question 7.
Why was king Suddodhana puzzled?
राजा शुद्धोधन क्यों परेशान थे?
Answer:
King Suddodhana was puzzled because he could not decide the claim between Dev Datt and Sidhartha.
राजा शुद्धोधन हैरान थे क्योंकि वे देवदत्त और सिद्धार्थ के बीच दावे का निर्णय नहीं कर सकते थे।

UP Board Solutions

Question 8.
What did Sidhartha say to the swan? What did the swan do?
सिद्धार्थ ने हंस से क्या कहा? हंस ने क्या किया?
Answer:
Sidhartha said to the swan to come to him and sit in his arms. The swan came to him and sat his arms.
सिद्धार्थ ने हंस से उनके पास आने तथा उनकी (UPBoardSolutions.com) बांहों में बैठने को कहा। हंस उनके पास आया और उनकी बांहों में बैठ गया

Question 9.
Who decided the dispute between Dev Datt and Sidhartha?
देवदत्त और सिद्धार्थ के बीच के विवाद का निर्णय लेसने किया?
Answer:
The Chief Minister decided the dispute bei veen Dui Datt and Sidhartha.
देवदत्त और सिद्धार्थ के बीच के विवाद का निर्णय मुख्यमंत्री ने किया।

(B) MULTIPLE CHOICE QUESTIONS
Select the most suitable alternative to complete each of the following statements :
निम्नलिखित कथनों में से प्रत्येक को पूरा करने के लिए सबसे उपयुक्त विकल्प चुनिए :
(A)
(i) Dev Datt claimed the swan because :
(a) he had caught it
(b) he had shot it
(c) he had bought it
(d) he had saved it
(ii)Sidhartha claimed the swan because :
(a) the swan was saved by him
(b) the swan was caught by him
(c) the swan was bought by him
(d) the swan was shot by him
(iii) Tie swan came to Sidhartha seeking :
(a) mercy
(b) revenge
(c) protection
(d) justice

UP Board Solutions

(B)
(iv) The case was decided by :
(a) the king
(b) the Chief Minister
(c)the swan itself
(d) door-keeper
Answers:
(i) (b) he had shot it.
(ii) (a) the swan was saved by him
(iii) (c) protection
(iv) (b) the Chief Minister

(C) Say whether each of the following statements is ‘true’ or ‘false’ :
बताइये कि निम्नलिखित कथनो में से प्रत्येक ‘सत्य’ है अथवा ‘असत्य’:
(i) Dev Datt brought the dispute before the king.
(ii) Prince Sidhartha was a good lad and he could not do a thing that was wrong.
(iii) Sidhartha claimed the swan because he had saved it.
(iv) The king did not know how to solve the case.
(v) The king sought the help of his Ministers.
(vi) The Chief Minister asked Dev Datt and Sidhartha both to call the swan to them.
(vii) The swan came to Dev Datt when he called it.
(viii) When Prince Sidhartha called the swan, it at once flew to his arms.
(ix) The Chief Minister failed to settle the dispute.
(x) The Chief Minister was very wise.
Answers:
(i) T, (ii) T, (iii) T, (iv) T, (v)F, (vi) T, (vii) F, (vii) T, (ix) F, (x) T.

UP Board Solutions

(D)Fill in the blanks with missing letters ‘t complete the spelling of the following words :
निम्नलिखित शब्दों की वर्तनी को पूरा करने के लिए लुप्त अक्षरों की सहायता से रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए
ar–w; sup-l-ant; pr-tec-ion; p—zz-ed; t-emb-es
Answers:
arrow, suppliant, protection, puzzled, trembles

UP Board Solutions for Class 9 Science Chapter 2 Is Matter Around us Pure

UP Board Solutions for Class 9 Science Chapter 2 Is Matter Around us Pure (क्या हमारे आस-पास के पदार्थ शुद्ध हैं)

पाठ्य – पुस्तक के प्रश्नोत्तर

पाठगत प्रश्न (पृष्ठ संख्या – 16)

प्रश्न 1.
पदार्थ से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर-
पदार्थ वह है जिसमें उपस्थित सभी कण समान रासायनिक प्रकृति के होते हैं।

UP Board Solutions

प्रश्न 2.
समांगी और विषमांगी मिश्रणों में अन्तर बताएँ।
उत्तर-
समांगी मिश्रण – समांगी मिश्रण वह मिश्रण है जिनमें मिश्रित पदार्थों के अवयव समान रूप से मिले होते हैं, समांगी मिश्रण कहलाते हैं।
जैसे-नमक का विलयन, चीनी का विलयन।।
विषमांगी मिश्रण – विषमांगी मिश्रण वह मिश्रण है। जिनमें (UPBoardSolutions.com) मिश्रित पदार्थों के अवयव समान रूप से नहीं मिले होते विषमांगी मिश्रण कहलाते हैं।
जैसे- बालू और चीनी का मिश्रण।

पाठगत प्रश्न (पृष्ठ संख्या – 20)

प्रश्न 1.
उदाहरण के साथ समांगी एवं विषमांगी | मिश्रणों में विभेद कीजिए।
उत्तर-
समांगी प्रकृति – द्रव्य की वह स्थिति जिसमें सभी जगह गुण समरूप हों, समांगी प्रकृति कहलाती है। जैसे, चीनी का घोल सर्वत्र समान रूप से मीठा होता है।
अतः चीनी का घोल समांगी है।
विषमांगी प्रकृति – द्रव्य की स्थिति जिसमें एक अंश के गुण दूसरे से भिन्न हों, विषमांगी प्रकृति कहलाती है।
जैसे-मिट्टी युक्त पानी आदि।

UP Board Solutions

प्रश्न 2.
विलयन, निलंबन और कोलॉइड एक-दूसरे से किस प्रकार भिन्न हैं ?
उत्तर-
विलयन, निलंबन और कोलॉइड में निम्न प्रकार से अन्तर स्पष्ट किया जा सकता है
UP Board Solutions for Class 9 Science Chapter 2 Is Matter Around us Pure image - 1

प्रश्न 3.
एक संतृप्त विलयन बनाने के लिए 36 g सोडियम क्लोराइड को 100 g जल में 293 K पर घोला जाता है। इस तापमान पर इसकी सांद्रता प्राप्त करें।
उत्तर-
विलेय (सोडियम क्लोराइड) का द्रव्यमान = 36 g
विलायक (जल) का द्रव्यमान = 100 g
विलयन का द्रव्यमान = विलेय का द्रव्यमान + विलायक का द्रव्यमान = 36 g + 100 g = 136 g
UP Board Solutions for Class 9 Science Chapter 2 Is Matter Around us Pure image - 3

पाठगत प्रश्न (पृष्ठ संख्या – 26)

प्रश्न 1.
पेट्रोल और मिट्टी का तेल (kerosene oil) जो कि आपस में घुलनशील हैं, के मिश्रण को आप कैसे पृथक् करेंगे? पेट्रोल तथा मिट्टी का तेल के क्वथनांकों में 25°C से अधिक का अन्तराल है।
उत्तर-
पेट्रोल और मिट्टी के तेल का पृथक्करण प्रभाजी आसवन विधि द्वारा किया जाता है। दोनों के मिश्रण को प्रभाजी आसवन स्तम्भ में ले जाते हैं फिर ताप को घटाकर उसे ठंडा कर (UPBoardSolutions.com) संपीडित किया जाता है जहाँ वाष्प अपने-अपने क्वथनांक के अनुसार पृथक् हो जाती है।

UP Board Solutions

प्रश्न 2.
पृथक् करने की सामान्यविधियों के नाम
(i) दही से मक्खन
(ii) समुद्री जल से नमक
(iii) नमक से कपूर
उत्तर-
(i) दही से मक्खन अपकेन्द्रण द्वारा पृथक् किया जाता है।
(ii) जल से नमक वाष्पीकरण द्वारा पृथक् किया जाता है।
(iii) नमक से कपूर ऊर्ध्वपातन विधि द्वारा पृथक् किया जाता है।

प्रश्न 3.
क्रिस्टलीकरण विधि से किस प्रकार के मिश्रण को पृथक् किया जा सकता है।
उत्तर-
क्रिस्टलीकरण विधि से वे ठोस पदार्थ शुद्ध किये जा सकते हैं, जिनमें अन्य ठोस पदार्थ अशुद्धि के रूप में मौजूद होते हैं।

पाठगत प्रश्न (पृष्ठ संख्या – 27)

प्रश्न 1.
निम्न को रासायनिक और भौतिक परिवर्तनों में वर्गीकृत करें-
पेड़ों को काटना, मक्खन का एक बर्तन में (UPBoardSolutions.com) पिघलना, अलमारी में जंग लगना, जल का उबलकर वाष्प बनना, विद्युत तरंग का जल में प्रवाहित होना तथा उसका हाइड्रोजन और ऑक्सीजन गैसों में विघटित होना, जल में साधारण नमक का घुलना, फलों से सलाद बनाना तथा लकड़ी और कागज का जलना।
उत्तर-
भौतिक परिवर्तन – पेड़ों को काटना, मक्खन का एक बर्तन में पिघलना, जल का उबलकर वाष्प बनना, जल में साधारण नमक का घुलना, फलों से सलाद बनाना।
रासायनिक परिवर्तन – अलमारी में जंग लगना, जल में विद्युतधारा का गुजरना तथा उसका हाइड्रोजन और ऑक्सीजन गैसों में विघटित होना, कागज और लकड़ी का जलना।

प्रश्न 2.
अपने आस-पास की चीजों को शुद्ध पदार्थों या मिश्रण से अलग करने का प्रयत्न करें।
उत्तर-
ऑक्सीजन, कॉपर, ऐल्युमिनियम आदि शुद्ध पदार्थ हैं तथा वायु, शर्बत, पीतल आदि मिश्रण हैं।

अभ्यास प्रश्न (पृष्ठ संख्या 30 – 33)

प्रश्न 1.
निम्नलिखित को पृथक् करने के लिए आप किन विधियों को अपनाएँगे ?
(a) सोडियम क्लोराइड को जल के विलयन से पृथक् करने में।
(b) अमोनियम क्लोराइड को सोडियम क्लोराइड तथा अमोनियम क्लोराइड के मिश्रण से पृथक् करने में।
(c) धातु के छोटे टुकड़े को कार के इंजन ऑयल से पृथक् करने में।
(d) दही से मक्खन निकालने के लिए।
(e) जल से तेल निकालने के लिए।
(f) चाय से चाय की पत्तियों को पृथक करने में।
(g) बालू से लोहे की पिनों को पृथक् करने में।
(h) भूसे से गेहूँ के दानों को पृथक् करने में।
(i) पानी में तैरते हुए महीन मिट्टी के कण को पानी से अलग करने के लिए।
(j) पुष्प की पंखुड़ियों के निचोड़ से विभिन्न रंजकों को पृथक् करने में।
उत्तर-
(a) वाष्पीकरण विधि
(b) ऊर्ध्वपातन प्रक्रम
(c) छानने की क्रिया,
(d) अपकेन्द्रीकरण,
(e) कीप-पृथक्करण,
(f) छानने की क्रिया,
(g) चुम्बकीय पृथक्करण,
(h) विनोइंग द्वारा,
(i) निथारने की क्रिया
(j) क्रोमेटोग्राफी प्रक्रम द्वारा।

UP Board Solutions

प्रश्न 2.
चाय तैयार करने के लिए आप किन-किन चरणों का प्रयोग करेंगे?
विलयन, विलायक, विलेय, घुलना, घुलनशील, अघुलनशील, घुलेय, (फिल्ट्रेट) तथा अवशेष शब्दों का प्रयोग करें।
उत्तर-
चाय बनाते समय हम निम्नलिखित चरणों का प्रयोग करेंगे–
चरण-1 : एक पतीली में थोड़ा पानी (विलायक) गर्म करें।
चरण-2 : एक केतली में थोड़ी चाय-पत्तियाँ (विलेय) डालें।
चरण-3 : उबलते पानी को केतली में डाल दें और पत्तियों को कुछ देर फूलने दें। यह एक विलयन में बदल जाएगा।
चरण-4 : एक कप में चीनी (विलेय) डालें । चरण-5 : विलयन को केतली में हिलाएँ।
चरण-6 : छलनी से छानकर विलयन को कप में डालें। दो छोटे चम्मच दूध डालें। चम्मच से मिलाएँ। अब चाय तैयार है। चाय की पत्तियाँ (अवशेष) छलनी में रह जाएँगी जबकि चाय (छना हुआ भाग) विलयन में घुल जाएगी। चीनी और दूध घुलनशील विलेय हैं जबकि चाय की पत्तियाँ अघुलनशील विलेय हैं।

प्रश्न 3.
प्रज्ञा ने तीन अलग-अलग पदार्थों की घुलनशीलताओं को विभिन्न तापमान पर जाँचा तथा नीचे दिए गए आँकड़ों को प्राप्त किया। प्राप्त हुए परिणामों को 100 g जल में विलेय पदार्थ की मात्रा, जो संतृप्त विलयन बनाने हेतु पर्याप्त है, निम्नलिखित तालिका में दर्शाया गया है
UP Board Solutions for Class 9 Science Chapter 2 Is Matter Around us Pure image - 4
(a) 50 g जल में 313 K पर पोटैशियम नाइट्रेट के संतृप्त विलयन को प्राप्त करने हेतु कितने ग्राम पोटैशियम नाइट्रेट की आवश्यकता होगी ?
(b) प्रज्ञा 358 K पर पोटैशियम क्लोराइड को एक संतृप्त विलयन तैयार करती है और विलयन को कमरे के तापमान पर ठंडा होने के लिए छोड़ देती है। जब विलयन ठंडा होगा तो वह क्या अवलोकित करेगी ? स्पष्ट करें।
(c) 293 K पर प्रत्येक लवण की घुलनशीलता का परिकलन करें। इस तापमान पर कौन-सा लवण सबसे अधिक घुलनशील होगा?
(d) तापमान में परिवर्तन से लवण की घुलनशीलता पर क्या प्रभाव पड़ता है ?
उत्तर-
(a) तालिका के अनुसार, 313 K पर 100 gm जल में 62 gm पोटैशियम नाइट्रेट संतृप्त विलयन बनाने के लिए घोला है।
अतः 50 gm जल में इसका संतृप्त विलयन बनाने के लिए [latex]\frac { 50 x 62 }{ 100 }[/latex] = 31gm पोटैशियम नाइट्रेट घोलना पड़ेगा।
(b) जब पोटैशियम क्लोराइड के 353 K (80°C) पर संतृप्त घोल को कमरे के तापमान (293 K या 20°C) तक ठंडा किया गया तो उसकी विलेयता घट जाती है और इसके क्रिस्टल पात्र की तली पर इकट्ठा हो जायेंगे।
UP Board Solutions for Class 9 Science Chapter 2 Is Matter Around us Pure image - 5
UP Board Solutions for Class 9 Science Chapter 2 Is Matter Around us Pure image - 6
(d) किसी भी पदार्थ की घुलनशीलता तापमान के बढ़ने से बढ़ जाती है।

UP Board Solutions

प्रश्न 4.
निम्नलिखित की उदाहरण सहित व्याख्या कीजिए
(a) संतृप्त विलयन
(b) शुद्ध पदार्थ
(c) कोलाइड
(d) निलम्बने।
उत्तर-
(a) संतृप्त विलयन – किसी दिए हुए तापमान पर जब उस द्रव में और अधिक विलेय पदार्थ न घुल सके उसे संतृप्त घोल कहते हैं।
उदाहरण- कक्ष ताप (20°C) पर 50 mL पानी एक बीकर में लो। अब इसमें सोडियम क्लोराइड (नमक) थोड़ा-थोड़ा करके डालो और घोल लो। ध्यान रहे कि नमक तली में न रहे। इसी प्रकार नमक डालो और हिलाओ। एक स्थिति ऐसी आ जाती है कि और पदार्थ (नमक) घुलना बन्द हो जाता है। यही कक्ष ताप पर संतृप्त विलयन है।
(b) शुद्ध पदार्थ – वे वस्तुएँ जिनका दिए गए तापमान पर रंग-रूप, संरचना, स्वाद व स्वभाव एक समान रहे और उसके हर भाग में संरचना समान हो और उसे सरल
भौतिक विधियों द्वारा और सरल पदार्थों में विभाजित न किया जा सके उसे शुद्ध पदार्थ कहते हैं।
एक शुद्ध पदार्थ या तो तत्त्व होगा या फिर यौगिक।
उदाहरण- सोना, चाँदी, सोडियम, पोटैशियम, कार्बन डाइऑक्साइड आदि शुद्ध पदार्थ हैं।
(c) कोलाइड – यह एक ऐसा विषमांगी मिश्रण है। जिसमें विलेय व विलायक दोनों के कण समान रूप से फैले होते हैं और अधिक देर तक रखने पर भी कण नीचे नहीं बैठते। क्योंकि इनका आकार 1 nm से 100 nm के बीच होता है। ये कोलाइडी कण परिक्षेपण माध्यम में से गुजरने वाले दृश्य प्रकाश का प्रकीर्णन कर देते हैं।
उदाहरण- दूध, स्याही, धुंध, रक्त आदि।
(d) निलम्बन – निलम्बन एक ऐसा विषमांगी मिश्रण है जिसमें विलायक में विलेय पदार्थ घुलता नहीं है और उसके कणों को नंगी आँखों से भी देखा जा सकता है। (UPBoardSolutions.com) इसके कणों का आकार 10-5 cm से भी ज्यादा होता है। अधिक देर बिना हिलाए रखने पर कण नीचे बैठ जाते हैं।
उदाहरण- जैसे-चॉक के पाउडर को पानी में विलयन।

प्रश्न 5.
निम्नलिखित में से प्रत्येक को समांगी और विषमांगी मिश्रणों में वर्गीकृत करें-सोडा जल, लकड़ी, बर्फ, वायु, मिट्टी, सिरका, छन्ति चाय।
उत्तर-
समांगी मिश्रण – सोडा जल, सिरका, छनित चाय, बर्फ।
विषमांगी मिश्रण – मिट्टी, लकड़ी।

प्रश्न 6.
आप किस प्रकार पुष्टि करेंगे कि दिया हुआ रंगहीन द्रव शुद्ध जल है?
उत्तर-
रंगहीन तरल पदार्थ किसी भी भौतिक विधि द्वारा और अधिक सरल पदार्थों में विभाजित नहीं किया जा सकता यदि इसे वाष्पित किया जाए तो शेष कुछ नहीं बचता इसलिए दिया गया तरल शुद्ध पदार्थ है।
दिए गए तरल का विद्युत विच्छेदन करने पर हाइड्रोजन तथा ऑक्सीजन आयतन के अनुसार 2 : 1 के अनुपात में प्राप्त होती है अतः दिया गया तरले जल है जो एक यौगिक है। दिया गया तरल वायुमण्डलीय दाब पर 373 K पर उबलने लगता है जो कि शुद्ध जल का क्वथनांक है अतः दिया गया तरल शुद्ध जल है।

प्रश्न 7.
निम्नलिखित में से कौन-सी वस्तुएँ शुद्ध पदार्थ हैं ?
(a) बर्फ
(b) दुध
(c) हाइड्रोक्लोरिक अम्ल
(d) लोहा
(e) कैल्सियम ऑक्साइड
(f) पारा
(g) ईंट
(h) लकड़ी
(i) वायु।
उत्तर-
निम्न शुद्ध पदार्थ’ हैं-
(1) बर्फ
(2) लोहा
(3) हाइड्रोक्लोरिक अम्ल
(4) कैल्सियम ऑक्साइड
(5) पारा

UP Board Solutions

प्रश्न 8.
निम्न मिश्रणों में से विलयन की पहचान करो
(a) मिट्टी
(b) समुद्री जल
(c) वायु
(d) कोयला
(e) सोडा जल।
उत्तर-
विलयन-
(1) समुद्री जल
(2) वायु
(3) सोडा जल

प्रश्न 9.
निम्नलिखित में से कौन टिण्डल प्रभाव को प्रदर्शित करेगा?
(a) नमक का घोल
(b) दूध
(c) कॉपर सल्फेट का विलयन
(d) स्टार्च विलयन
उत्तर-
दूध और स्टार्च विलयन ‘टिंडल प्रभाव दिखाएँगे।

प्रश्न 10.
निम्नलिखित को तत्त्व, यौगिक तथा मिश्रण में वर्गीकृत करें
(a) सोडियम
(b) मिट्टी
(c) चीनी का घोल
(d) चाँदी
(e) कैल्सियम कार्बोनेट
(f) टिन
(g) सिलिकन
(h) कोयला
(i) वायु
(j) साबुन
(k) मीथेन
(l) कार्बन डाइऑक्साइड
(m) रक्त।
उत्तर-
(a) तत्त्व
(b) मिश्रण
(c) यौगिक
(d) तत्त्व
(e) मिश्रण
(f) यौगिक
(g) मिश्रण
(h) मिश्रण
(i) तत्त्व
(j) तत्त्व
(k) तत्त्व
(l) यौगिक
(m) यौगिक।

UP Board Solutions

प्रश्न 11.
निम्नलिखित में से कौन-कौन से परिवर्तन रासायनिक हैं ?
(a) पौधों की वृद्धि
(b) लोहे में जंग लगना
(c) लोहे के चूर्ण तथा बालू को मिलाना
(d) खाना पकाना।
(e) भोजन का पाचन
(f) जल से बर्फ बनना।
(g) मोमबत्ती का जलना।
उत्तर-
लोहे पर जंग लगना, भोजन का पकना, भोजन का पचना और मोमबत्ती का जलना-रासायनिक परिवर्तन हैं।

अन्य महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर

अतिलघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
विलयन क्या है ?
उत्तर-
दो या दो से अधिक पदार्थों का समांगी मिश्रण विलयन कहलाता है।

प्रश्न 2.
जलीय विलयन क्या है ?
उत्तर-
विलेय का जल में विलयन, जलीय विलयन कहलाता है।

प्रश्न 3.
संतृप्त विलयन की परिभाषा दीजिए।
उत्तर-
वह विलयन जिसमें किसी ताप पर विलेय की अधिकतम मात्रा घुली हो संतृप्त विलयन कहलाता है।

प्रश्न 4.
विलयन की सान्द्रता से क्या अभिप्राय है?
उत्तर-
विलेय की मात्रा जो विलायक या विलयन की इकाई मात्रा या इकाई आयतन में घुली होती है, विलयन की सान्द्रता कहलाती है।

प्रश्न 5.
कोलाइड काफी स्थायी होते हैं। उस प्रक्रम का (UPBoardSolutions.com) नाम बताइये जिससे आप कोलाइड विलयन के अवयवों को पृथक् कर सकते हैं ?
उत्तर-
अपकेन्द्रीकरण द्वारा कोलाइड विलयन के अवयवों को पृथक् कर सकते हैं।

UP Board Solutions

प्रश्न 6.
किस कारक पर आधारित कोई विलयन तनु, सान्द्र अथवा संतृप्त कहलाता है ?
उत्तर-
उसमें उपस्थित विलेय की मात्रा पर आधारित कोई विलयन तनु, सान्द्र अथवा संतृप्त कहलाता है।

प्रश्न 7.
निम्न में से समांगी मिश्रण बताइएलकड़ी, चीनी का जलीय घोल, मिट्टी मिला जल।
उत्तर- चीनी का जलीय घोल।

प्रश्न 8.
केरोसिन तथा जल के मिश्रण को पृथक करने का सिद्धान्त बताइये।
उत्तर-
आपस में नहीं मिलने वाले द्रव अपने घनत्व के अनुसार विभिन्न परतों में पृथक् हो जाते हैं।

प्रश्न 9.
उस प्रक्रम का नाम बताइये जिसे आप जल और ऐल्कोहॉल के मिश्रण को पृथक् करने के लिए प्रयोग करेंगे ?
उत्तर-
ऐल्कोहॉल और जल के मिश्रण को प्रभाजी आसवन द्वारा पृथक् किया जा सकता है।

प्रश्न 10.
30-50 K से अधिक क्वथनांक में अन्तर वाले मिश्रणीय द्रवों को पृथक् करने की विधि का नाम बताइए।
उत्तर-
साधारण आसवन।

प्रश्न 11.
चीनी के संतृप्त विलयन का ताप 5°C `बढ़ाने पर क्या होगा ?
उत्तर-
चीनी के संतृप्त विलयन का ताप 5°C बढ़ाने पर विलयन असंतृप्त हो जायेगा।

प्रश्न 12.
दो अघुलनशील द्रवों को आप किस तकनीक से पृथक् करेंगे ?
उत्तर-
दो अघुलनशील द्रवों को पृथक्करण कीप द्वारा पृथक् करेंगे।

प्रश्न 13.
किसी कोलायडी विलयन में उसके कणों को आकार क्या होगा ?
उत्तर-
कोलाइडी विलयन में कणों का आकार 10-7 cm तथा 10-5 cm के बीच होता है।

प्रश्न 14.
ऊर्ध्वपातन पदार्थ क्या हैं ?
उत्तर-
वह पदार्थ जो गर्म करने से ठोस अवस्था से सीधे गैसीय अवस्था में बदल जाते हैं ऊर्ध्वपातन पदार्थ कहलाते हैं।

UP Board Solutions

प्रश्न 15.
दो ऊर्ध्वपातन पदार्थों के नाम बताइये।
उत्तर-
कपूर और अमोनियम क्लोराइड।

प्रश्न 16.
लोहे की पिन लकड़ी के बुरादे में मिल गयी है, इन्हें कैसे अलग करेंगे? ।
उत्तर-
बुरादे में मिली लोहे की पिनों को चुम्बक द्वारा अलग करेंगे।

प्रश्न 17.
वायु के विभिन्न घटक किस प्रक्रम द्वारा अलग किये जाते हैं ?
उत्तर-
वायु के विभिन्न घटक प्रभाजी आसवन विधि द्वारा अलग किये जाते हैं।

प्रश्न 18.
तन्यता क्या है ?
उत्तर-
धातुएँ खींचने पर तार में बदल जाती हैं, इसे तन्यता कहते हैं।

प्रश्न 19.
टिंडल प्रभाव क्या है ?
उत्तर-
द्रव या गैस में निलम्बित पदार्थ के कणों द्वारा प्रकाश का प्रकीर्णन टिंडल प्रभाव कहलाता है।

प्रश्न 20.
कमरे के ताप पर द्रव अवस्था में पायी जाने वाली धातु का नाम लिखिए।
उत्तर-
कमरे के ताप पर द्रव अवस्था में पायी जाने वाली धातु पारा है।

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
आसवन को परिभाषित कीजिए। आसवन से किस प्रकार के मिश्रणों को पृथक् किया जा सकता है?
उत्तर-
आसवन, द्रव को गर्म करके वाष्प बनाने और तत्पश्चात् वाष्प को ठंडा करके पुनः द्रव प्राप्त करने का प्रक्रम है। आसवन को विलेय अवाष्पशील ठोसों से द्रव को पृथक् करने के लिए उपयोग किया जा सकता है।

प्रश्न 2.
क्रिस्टलीकरण प्रक्रम क्या है ? यह किस प्रकार उपयोगी है ?
उत्तर-
संतृप्त विलयन में विलेय की अधिकतम मात्रा घुली होती है। अगर विलेय की मात्रा संतृप्त-स्तर से बढ़ जाये तो विलेय की संतृप्त स्तर से अधिक मात्रा अविलेय या क्रिस्टल के रूप में आ जाती है।
अतः संतृप्त विलयन से क्रिस्टल (UPBoardSolutions.com) बनने की प्रक्रिया क्रिस्टलीकरण कहलाती है।
उपयोग- यदि कोई पदार्थ ठोस अवस्था में होता है। और उसमें अन्य कोई ठेस अशुद्धि के रूप में पाया जाता है, तब क्रिस्टलीकरण की प्रक्रिया प्रयोग की जाती है।

UP Board Solutions

प्रश्न 3.
5 g विलेय को 40 g जल में घोला गया। है। विलयन की द्रव्यमान प्रतिशतता क्या है?
उत्तर-
विलयन का द्रव्यमान = विलेय का द्रव्यमान + विलायक का द्रव्यमान = 5 g + 40 g = 45 g
विलयन की द्रव्यमान प्रतिशतता
UP Board Solutions for Class 9 Science Chapter 2 Is Matter Around us Pure image - 7

प्रश्न 4.
कोलाइडल विलयन के दो लक्षण लिखिए।
उत्तर-
कोलाइडल विलयन के लक्षण|
(i) कोलाइडी विलयन समांगी दिखाई देता है, परन्तु वास्तव में वह विषमांगी होता है।
(ii) कोलाइडी विलयन में कणों का आकार वास्तविक विलयन से बड़ा परन्तु निलम्बन से छेटा होता है। वह व्यास में 1 nm और 100 nm के बीच होता है।

प्रश्न 5.
मिश्रणीय तथा अमिश्रणीय द्रवों में अन्तर कीजिए।
उत्तर-
मिश्रणीय द्रव-दो या दो से अधिक अमिश्रणीय द्रवों का मिश्रण विभिन्न परतों में पृथक् हो जाता है जिनकी पृथकन सीमाएँ स्पष्ट होती हैं।
अमिश्रणीय द्रव- दो या दो से अधिक मिश्रणीय द्रवों का मिश्रण विभिन्न परतों में पृथक् नहीं होता है और समांगी विलयन बनाते हैं।

प्रश्न 6.
मिश्रणों के प्रकारों को उचित उदाहरण सहित समझाइये।
उत्तर-
अवयवों के मिश्रित होने के आधार पर मिश्रण दो प्रकार के हैं-
(i) समांगी मिश्रण
(ii) विषमांगी मिश्रण।

(i) समांगी मिश्रण : वह मिश्रण जिनमें मिश्रित पदार्थों के अवयव समान रूप से मिले होते हैं समांगी मिश्रण कहलाते हैं, जैसे चीनी को विलयन, नमक का विलयन ।
(ii) विषमांगी मिश्रण : वह मिश्रण जिनमें मिश्रित पदार्थों के अवयव समान रूप से नहीं मिले होते विषमांगी मिश्रण कहलाते हैं, जैसे बालू और चीनी का मिश्रण।

UP Board Solutions

प्रश्न 7.
टिंडल प्रभाव (Tyndall Effect) क्या हैं ?
उत्तर-
टिंडल प्रभाव : जो कोलाइडल कण प्रकाश को एक ओर बिखेरते हैं, उसे टिंडल प्रभाव कहते हैं।
अगर प्रकाश किरण-पुंज को कोलाइड विलयन से गुजारा जाए व प्रकाश किरण के लम्बवत् सूक्ष्मदर्शी रखकर देखा जाए तो प्रकाश किरण का पथ दिखाई देने लगता है।
UP Board Solutions for Class 9 Science Chapter 2 Is Matter Around us Pure image - 8

प्रश्न 8.
आप किसी निलम्बन तथा कोलाइडल में अन्तर किस प्रकार करेंगे ? प्रत्येक का एक-एक उदाहरण दीजिए।
उत्तर-
निलम्बन तथा कोलाइड में अन्तर निम्नलिखित हैं-
UP Board Solutions for Class 9 Science Chapter 2 Is Matter Around us Pure image - 9

प्रश्न 9.
मिश्रण के घटकों को अलग करने की आवश्यकता क्यों पड़ती है ?
उत्तर-
मिश्रण के घटकों को अलग करने की आवश्यकता निम्न कारणों से है :

  1. अवांछित घटक को दूर करने के लिए।
  2. किसी हानिकारक घटक को दूर करने के लिए।
  3. पदार्थ का शुद्ध नमूना प्राप्त करने के लिए।
  4. किसी लाभप्रद घटक को प्राप्त करने के लिए।

प्रश्न 10.
मिश्रणों के घटकों को पृथक् करने के लिए प्रयोग की जाने वाली सामान्य विधियों के नाम लिखिए।
उत्तर-
मिश्रणों के घटकों को पृथक् करने के लिए। प्रयोग की जाने वाली सामान्य विधियाँ निम्नलिखित हैं :

  1. छानना
  2. चुम्बक द्वारा अलग करना
  3. हाथ से चुनना
  4. आसवन विधि
  5. अपकेन्द्रन विधि
  6. वाष्पीकरण
  7. ऊर्ध्वपातन की प्रक्रिया द्वारा।

UP Board Solutions

प्रश्न 11.
मिश्रण एवं यौगिक में अन्तर बताइए।
उत्तर-
यौगिक एवं मिश्रण में निम्नलिखित अन्तर है
UP Board Solutions for Class 9 Science Chapter 2 Is Matter Around us Pure image - 10

प्रश्न 12.
क्रोमैटोग्राफी का उपयोग करकेनीली-काली स्याही में उपस्थित राइ को कैसे पृथक् करोगे ?
उत्तर-

  1. फिल्टर पेपर की एक पतली और लम्बी पट्टी (Strip) लें। इसके निचले किनारे से 3 cm ऊपर पेंसिल से एक रेखा खींचें।
  2. उस रेखा के बीच में स्याही की एक बूंद रखें। इसे सूखने दें।
  3. जार में जल लें, उसमें हम फिल्टर पेपर को इस प्रकार रखें कि वह जल की सतह से ठीक ऊपर रहे।
  4. जैसे ही जल फिल्टर पेपर पर ऊपर की दिशा की ओर अग्रसर होता है यह डाई के कणों को भी अपने साथ ले जाता है। प्रायः डाइ दो या दो से अधिक (UPBoardSolutions.com) रंगों का मिश्रण होता है। रंग वाला घटक जो कि जल में अधिक घुलनशील है, तेजी से ऊपर उठता है और इस प्रकार, रंगों का पृथक्करण हो जाता है।

प्रश्न 13.
कैल्सियम कार्बोनेट को गर्म करने पर कैल्सियम ऑक्साइड तथा कार्बन डाइऑक्साइड प्राप्त होते हैं।
(a) क्या यह भौतिक या रासायनिक परिवर्तन है?
(b) उपर्युक्त अभिक्रिया में प्राप्त उत्पादों से क्या तुम एक अम्लीय तथा एक क्षारीय विलयन बना सकते हो? यदि हाँ तो रासायनिक अभिक्रिया का समीकरण लिखिए।
उत्तर-
(a) यह एक रासायनिक परिवर्तन है। (b) हम अम्लीय तथा क्षारीय विलयन बना सकते हैं:
(i) CaO + H2O → Ca(OH)2 (क्षारीय विलयन)
(ii) CO2 + H2O → HaCO3 (अम्लीय विलयन)

UP Board Solutions

प्रश्न 14.
भौतिक एवं रासायनिक परिवर्तन की परिभाषा उदाहरण सहित दीजिए।
उत्तर-
भौतिक परिवर्तन : वह परिवर्तन जिसमें पदार्थ के संघटन में कोई परिवर्तन नहीं होता है भौतिक परिवर्तन कहलाता है। जैसे-जल को बर्फ या भाप में बदलना, विद्युत बल्ब का चमकना।
रासायनिक परिवर्तन : वह परिवर्तन जिसमें पदार्थ के संघटन में परिवर्तन होता है, रासायनिक परिवर्तन कहलाता है। जैसे ईंधन का जलना, लोहे (UPBoardSolutions.com) का जंग लगना।
भौतिक परिवर्तन में नया पदार्थ उत्पन्न नहीं होता, केवल पदार्थ के भौतिक गुणों में परिवर्तन होता है, लेकिन रासायनिक परिवर्तन में नया पदार्थ बनता है और पदार्थ के रासायनिक गुणों में परिवर्तन होता है, किसी पदार्थ के रासायनिक गुण उसके रासायनिक संघटन पर निर्भर करते हैं।

प्रश्न 15.
निम्न को भौतिक एवं रासायनिक परिवर्तन में वर्गीकृत करें :
(a) काँच का पिघलना
(b) फूल से फल बनना
(c) अगरबत्ती का जलना
(d) रोटी का पकना
(e) कपड़े का फटना
(f) बादलों का बनना।
उत्तर-
(a) काँच का पिघलना – भौतिक परिवर्तन
(b) फूल से फल बनना – रासायनिक परिवर्तन
(c) अगरबत्ती का जलना – रासायनिक परिवर्तन
(d) रोटी का पकना – रासायनिक परिवर्तन
(e) कपड़े का फटना – भौतिक परिवर्तन
(f) बादलों का बनना – भौतिक परिवर्तन।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
विलेय और विलायक की अवस्था के आधार पर विलयनों का वर्णन कीजिए।
उत्तर-
विलेय व विलायक की अवस्था के आधार पर विलयन निम्न प्रकार के हैं :
(i) ठोस का दूर्व में विलयन – जैसे चीनी का जल में विलयन (शर्बत), टिंचर आयोडीन। [आयोडीन (ठोस) का ऐल्कोहॉल (द्रव) में विलयन ।
(ii) गैस का द्रव में विलयन – जैसे ठंडे पेय जिसमें कार्बन डाइऑक्साइड (गैस) जल द्रव में घुली होती है।
(iii) गैस का गैस में विलयन – जैसे वायु जिसमें ऑक्सीजन (21%) व नाइट्रोजन (78%) मिले होते हैं।
(iv) ठोस का ठोस में विलयन – जैसे मिश्र धातुएँ (Alloys)। पीतल में जिंक लगभग 30% व कॉपर लगभग 70% होता है।

प्रश्न 2.
निलम्बन, वास्तविक विलयन व कोलाइडल विलयन को उदाहरण देते हुए परिभाषित कीजिए।
उत्तर-
जब किन्हीं दो पदार्थों का घोल बनता है, तब विलेय के कण परिक्षेपण कण’ (Dispersed particles) व विलायक ‘परिक्षिप्त माध्यम’ (Dispersion medium) कहलाता है।
परिक्षिप्त माध्यम में परिक्षेपण कणों के आकार के आधार पर विलयन तीन प्रकार के हैं-

(i) वास्तविक विलयन : जब परिक्षिप्त माध्यम में परिक्षेपण कणों का व्यास 10-8 सेमी होता है तो परिक्षेपण कण परिक्षिप्त माध्यम में दिखाई नहीं देते। इस प्रकार का विलयन वास्तविक विलयन कहलाता है। उदाहरण- जल में नमक या चीनी का घोल। वास्तविक विलयन में परिक्षेपण कणों को सूक्ष्मदर्शी द्वारा नहीं देखा जा सकता।

(ii) कोलाइडल विलयन : जब परिक्षिप्त माध्यम में परिक्षेपण कणों का व्यास 10-7 से 10-5 सेमी होता है। तो विलयन कोलाइडल विलयन कहलाता है।
उदाहरण- दूध, रक्त, टूथपेस्ट। कोलाइडल विलयन में परिक्षेपण कणों को आँखों द्वारा नहीं देखा जा सकता, लेकिन सूक्ष्मदर्शी द्वारा देखा जा सकता है।

(iii) निलम्बन : जब परिक्षिप्त माध्यम में परिक्षेपण कणों का व्यास 10-5 सेमी या उससे अधिक होता है तो इसे निलम्बन कहते हैं। निलम्बन में परिक्षेपण कणों को (UPBoardSolutions.com) परिक्षिप्त माध्यम में तैरते हुए आँख द्वारा देखा जा सकता। है।
उदाहरण- जल में मिट्टी या बालू का घोल, जल में चॉक का घोल।।

UP Board Solutions

प्रश्न 3.
(i) विलयन को परिभाषित कीजिए। जब 15 g NaCl को 200 g जल में घोलकर विलयन तैयार किया जाता है, तो NaCl की द्रव्यमान प्रतिशतता परिकलित कीजिए।
(ii) वास्तविक विलयन से विलेय के कणों को पृथक् करना क्यों असम्भव है ?
(iii) तापमान में परिवर्तन से लवण की घुलनशीलता पर क्या प्रभाव पड़ता है ?
उत्तर-
(i) विलयन : दो या अधिक पदार्थों का समांगी मिश्रण विलयन कहलाता है।
दिया है : NaCl (विलेय) की मात्रा = 15 g
जल (विलायक) की मात्रा = 200 g
UP Board Solutions for Class 9 Science Chapter 2 Is Matter Around us Pure image - 11
(ii) वास्तविक विलयन में विलेय के कणों को पृथक् करना असंभव है, क्योंकि वे विलायक के साथ समांगी मिश्रण बनाते हैं।
(iii) तापमान बढ़ाने पर लवण की घुलनशीलता बढ़ जाती है और घटाने पर कम हो जाती है।

प्रश्न 4.
रासायनिक संघटन के आधार पर शुद्ध पदार्थों के प्रकार का वर्णन कीजिए।
उत्तर-
रासायनिक संघटन के आधार पर शुद्ध पदार्थ दो प्रकार के हैं :
(i) तत्त्व (Element) एवं
(ii) यौगिक (Compound)

(i) तत्त्व : रॉबर्ट बॉयल पहले वैज्ञानिक थे जिन्होंने सन् 1661 में ‘तत्त्व’ शब्द का प्रयोग किया। एंटोनी लॉरेंट लवाइजिए (Antoine Laurent Lavoisier) ने तत्त्व (UPBoardSolutions.com) की परिभाषा सर्वप्रथम निम्न प्रकार दी :
“तत्त्व पदार्थ का वह मूल रूप है जिसे रासायनिक क्रिया द्वारा अन्य सरल पदार्थों में विभाजित नहीं किया जा सकता।” जैसे-लोहा, ताँबा, चाँदी ऑक्सीजन, नाइट्रोजन, हाइड्रोजन आदि।

(ii) यौगिक : ‘वह पदार्थ जो दो या अधिक तत्त्वों के किसी निश्चित अनुपात में रासायनिक संयोजन करने से बनता है।”
उदाहरणार्थ
(i) जल एक यौगिक है जो हाइड्रोजन एवं ऑक्सीजन के 1 : 8 के द्रव्यमान-अनुपात में संयोजन करने पर बनता है।
(ii) उसी तरह कार्बन डाइऑक्साइड एक यौगिक है जो कार्बन व ऑक्सीजन के 3 : 8 के द्रव्यमान अनुपात में संयोजन करने से बनती है।

प्रश्न 5.
निम्नलिखित मिश्रण के अवयवों को पृथक् करने की विधि बताइये :
सल्फर + रेत + चीनी + आयरन रेतन।
उत्तर-
इस मिश्रण के चार अवयव हैं-सल्फर, रेत, चीनी तथा आयरन रेतन। मिश्रण के ऊपर से एक चुम्बक को कई बार चलाते हैं। आयरन रेतन, चुम्बक द्वारा आकर्षित हो जाती है। वह चुम्बक पर चिपक जाती है और पृथक् हो जाती है।
चीनी, गंधक तथा रेत के शेष मिश्रण को पानी में डालकर विलोडन करते हैं। इससे जल में चीनी घुल जाती है। छानने पर छनित्र में चीनी का विलयन प्राप्त होता है। छनित्र को वाष्पित करके चीनी प्राप्त की जा सकती है। अवशेष में सल्फर तथा रेत होते हैं।
सल्फर तथा रेत के मिश्रण को कार्बन डाइसल्फाइड के साथ हिलाते हैं जिससे सल्फर, कार्बन डाइसल्फाइड में घुल जाता है और रेत बिना घुले रहता है। छानने पर, सल्फर विलयन के रूप में छनित्र में प्राप्त होती है। कार्बन डाइसल्फाइड के वाष्पन से सल्फर प्राप्त की जा सकती है। रेत, फिल्टर पेपर पर अवशेष के रूप में बच जाता है।

UP Board Solutions

प्रश्न 6.
धातुएँ किसे कहते हैं? इनके गुणधर्मों को समझाइये।
उत्तर-
धातुएँ (Metals) – धातु एक तत्त्व है जो आघातवर्थ्य (malleable) तथा तन्य (ductile) होता है और विद्युत संचालित करता है। धातुओं के कुछ उदाहरण हैं : आइरन, कॉपर, ऐलुमिनियम, जिंक, सिल्वर, गोल्ड, प्लैटिनम, क्रोमियम, सोडियम, पोटैशियम मैग्नीशियम, निकिल, कोबाल्ट, टिन, लेड, कैडमियम, मर्करी, ऐन्टीमनी। एक तत्त्व मर्करी, जो कि एक द्रव है, को छोड़कर सभी धातुएँ ठोस हैं।
धातुओं के गुणधर्म (Properties of Metals)
धातुओं के प्रमुख गुणधर्म नीचे दिये गये हैं :

1. धातुएँ आघातवर्थ्य (malleable) हैं। इसका अर्थ है कि धातुओं को हथौड़े से पतली शीटों में (बिना टूटे) पीटा जा सकता है।
गोल्ड (सोना) तथा सिल्वर (चाँदी) धातुएँ उत्तम आघातवर्थ्य धातुओं में से कुछ हैं। ऐलुमिनियम और कॉपर (ताँबा) धातुएँ भी अत्यधिक आघातवर्थ्य धातुएँ हैं। इन सभी धातुओं को हथौड़े से अत्यंत पतली (महीन) चादरों में कटा जा सकता है जो पन्नी (foils) कहलाती हैं। उदाहरणार्थ, सिल्वर (चाँदी) धातु को, उसकी उच्च आघातवटै र्यता के कारण, हथौड़े से महीन रजत पन्नियों (thin silver foils) में कूटा जा सकता है। चाँदी (रजत) की पन्नियों का उपयोग मिठाइयों को सजाने में किया जाता है। उसी प्रकार, ऐलुमिनियम धातु पर्याप्त आघातवर्थ्य है और महीन शीटों में रूपान्तरित की जा सकती है जो ऐलुमिनियम पन्नियाँ (aluminium foils) कहलाती हैं। (UPBoardSolutions.com) ऐलुमिनियम पन्नियों को खाद्य सामग्रियाँ जैसे बिस्कुट, चॉकलेट, दवाइयाँ, सिगरेट इत्यादि पैक करने के लिए उपयोग किया जाता है। दूध की बोतल के ढक्कन भी ऐलुमिनियम पन्नी के बने होते हैं। ऐलुमिनियम चादरों (शीटों) को पाक बर्तनों (cooking utensils) के बनाने में किया जाता है। कॉपर (ताँबा) धातु भी अत्यधिक आघातवर्थ्य है। इसलिए, रसोई या अन्य घरेलू उपयोग के बर्तनों तथा अन्य बर्तनों या पत्रों को बनाने के लिए कॉपर की शीटों (ताँबे की चादरों) का उपयोग किया जाता है। अतः, आघातवर्ध्यता (malleability) धातुओं का एक प्रमुख अभिलाक्षणिक गुणधर्म है।

2. धातुएँ तन्य (ductile) हैं। इसका अर्थ है कि धातुओं को महीन तारों में खींचा जा सकता है। | सभी धातुएँ समान रूप से तन्य नहीं होती हैं। दूसरों की अपेक्षा कुछ अधिक तन्य होती हैं। उत्तम तन्य धातुओं में गोल्ड (सोना) और सिल्वर (चाँदी) हैं। उदाहरणार्थ, सिल्वर जैसी अत्यधिक तन्य धातु के मात्र 100 मिलीग्रामों को लगभग 200 मीटर लम्बे महीन तार में खींचा जा सकता है। कॉपर
और ऐलुमिनियम धातुएँ भी अत्यंत तन्य होती हैं और पतले तारों में खींची जा सकती हैं जिन्हें वैद्युत तार लगाने में उपयोग किया जाता है। अतः, तन्यता (ductility) धातुओं का एक अन्य प्रमुख अभिलाक्षणिक गुणधर्म है।
उपर्युक्त विवेचना से हम निष्कर्ष निकालते हैं कि धातुएँ आघातवर्थ्य और तन्य होती हैं। आघातवर्थ्यता और तन्यता के गुणधर्मों के कारण ही विविध वस्तुएँ बनाने के लिए धातुओं को विभिन्न आकृतियाँ दी जा सकती हैं।

3. धातुएँ ऊष्मा तथा विद्युत की सुचालक हैं। इसका अर्थ है कि धातुएँ ऊष्मा और विद्युत को अपने में से आसानी से प्रवाहित होने देती हैं। धातुएँ सामान्यतः ऊष्मा की सुचालक होती हैं [ऊष्मा का चालन, ऊष्मा चालकता (thermal conductivity) भी कहलाता है। सिल्वर (चाँदी) धातु ऊष्मा का उत्तम चालक है। उसकी सबसे अधिक ऊष्मा चालकता होती है। कॉपर और ऐलुमिनियम धातुएँ भी ऊष्मा की अत्यन्त सुचालक हैं। पाक बर्तनों (cooking utensils) तथा जल क्वथित्रों (water boilers), इत्यादि को प्रायः कॉपर अथवा ऐलुमिनियम धातुओं का बनाया जाता है क्योंकि वे ऊष्मा की अत्यधिक सुचालक होती हैं। धातुओं में ऊष्मा का हीनतम चालक (poorest conductor) लेड (lead) है। मर्करी धातु भी ऊष्मा का हीन चालक है।

4. धातुएँ प्रायः दृढ़ होती हैं। उनमें उच्च तनन सामर्थ्य (high tensile strength) होती है। इसका अर्थ है। कि धातुएँ बिना टूटे भारी (बड़े) भारों को रोक सकती हैं।
उदाहरणार्थ, आइरन धातु (स्टील के रूप में) उच्च | तनन सामर्थ्य वाली अत्यंत दृढ़ होती है। इसके कारण आइरन धातु को सेतुओं या पुलों, भवनों, रेल की पटरियों, गार्डरों, (UPBoardSolutions.com) मशीनों, वाहनों और चेनों, इत्यादि के निर्माण में उपयोग किया जाता है। यद्यपि अधिकांश धातुएँ दृढ़ होती हैं। परन्तु कुछ धातुएँ दृढ़ नहीं होती हैं। उदाहरणार्थ, सोडियम और पोटैशियम धातुएँ दृढ़ नहीं हैं। उनमें निम्न तनन सामर्थ्य होती है।

5. धातुएँ कमरे के ताप पर ठोस होती हैं (मर्करी के अतिरिक्त जो कि एक द्रव धातु है।
आइरन, कॉपर, ऐलुमिनियम, सिल्वर तथा गोल्ड, इत्यादि, जैसी सभी धातुएँ कमरे के ताप पर ठोस होती हैं। | कमरे के ताप पर केवल एक धातु, मर्करी, द्रव अवस्था में है।

6. धातुओं का सामान्यतः उच्च गलनांक और क्वथनांक होता है। इसका अर्थ है कि अधिकांश धातुएँ उच्च तापों पर गलती और वाष्पित होती हैं। उदाहरणार्थ, आइरन 1535°C के उच्च गलनांक वाली धातु है। इसका अर्थ है कि 1535°C के उच्च ताप तक गर्म करने पर ठोस आइरन गलता है और द्रव आइरन (अथवा गलित आइरन) में परिवर्तित होता है। कॉपर धातु का भी 1083°C का उच्च गलनांक होता है। यद्यपि, कुछ अपवाद भी हैं। उदाहरणार्थ, सोडियम और पोटैशियम धातुओं के उच्च गलनांक (100°C से कम) होते हैं। अन्य धातु गैलियम का गलनांक इतना कम होता है कि वह हाथ में ही गलने लगता है (हमारे हाथ की ऊष्मा से)।

7. धातुओं के उच्च घनत्व होते हैं। इसका अर्थ है। कि धातुएँ भारी पदार्थ हैं। उदाहरणार्थ, आइरन धातु का घनत्व 7.8 g/cm3 है जो पर्याप्त उच्च है। यद्यपि, कुछ अपवाद हैं। सोडियम और पोटैशियम के निम्न घनत्व होते हैं। वे अत्यंत हल्की धातुएँ हैं।

8. धातुएँ ध्वानिक (sonorous) होती हैं। इसका अर्थ है कि धातुएँ, जब उन्हें मारते हैं, घंटी की ध्वनि उत्पन्न करती हैं। धातुओं के ध्वानिकता के गुण के कारण ही उन्हें घण्टी, प्लेट के प्रकार के बाजा जैसे मंजीरा और तन्तु-वाद्य जैसे वॉयलिन, गिटार, सितार तथा तानपूरा, इत्यादि के लिए तारों (या तंतुओं) को बनाने के लिए उपयोग किया जाता है।

9. धातुएँ प्रायः रजत (silver) अथवा धूसर भूरे (grey) रंग की होती हैं (कॉपर और गोल्ड के अतिरिक्त)। कॉपरे का रक्ताभ भूरा (reddish brown) रंग होता है जबकि गोल्ड (सोने) का रंग पीला होता है।
धातुएँ बहुसंख्यक (अनेक) कार्यों के लिए हमारे दैनिक जीवन में व्यापक रूप से उपयोग की जाती हैं। पाक-उपकरण, बिजली के पंखे, सिलाई मशीनें, कार, बस, ट्रक, (UPBoardSolutions.com) रेलगाड़ियाँ, जहाज और वायुयान सभी, धातुओं अथवा मिश्रधातु (alloys) नामक धातुओं के मिश्रण से बनाये जाते हैं। वास्तव में, धातुओं की बनी वस्तुओं की सूची जिन्हें हम अपने दैनिक जीवन में उपयोग करते हैं, अन्तरहित (unending) है।

UP Board Solutions

प्रश्न 7.
अधातुएँ क्या होती हैं? उनके गुणधर्मों को समझाइये।
उत्तर-
अधातुएँ (Non-metals) : अधातु एक तत्त्व है जो न तो आघातवर्थ्य न तनय होता है, और विद्युत चालित (प्रवाहित) नहीं करता है। अधातुओं के कुछ उदाहरण हैं : कार्बन, सल्फर, फॉस्फोरस, हाइड्रोजन, ऑक्सीजन, नाइट्रोजन, फ्लुओरीन, क्लोरीन, ब्रोमीन, आयोडीन, हीलियम, निऑन, ऑर्गन, क्रिप्टान, और जीनाने । हीरा (diamond) तथा ग्रेफाइट (graphite) भी अधातुएँ हैं। वे कार्बन के अपररूप (allotropic forms) हैं। कमरे के ताप पर सभी अधातुएँ, ब्रोमीन के अतिरिक्त जो एक द्रव अधातु है, ठोस (solids) अथवा गैस (gases) होती हैं।
अधातुओं के गुणधर्म (Properties of Nonmetals) :
अधातुओं के भौतिक गुणधर्म, धातुओं के भौतिक गुणधर्मों के बिल्कुल विपरीत हैं। अधातुओं के प्रमुख भौतिक गुणधर्म नीचे दिये गये हैं :

1. अधातुएँ आघातवर्थ्य नहीं हैं। अधातुएँ भंगुर (brittle) होती हैं। इसका अर्थ है कि अधातुओं को हथौड़े से पतली चादरों (thin sheets) में नहीं पीटा जा सकता है। जब हथौड़ा मारा जाता है, अधातुएँ छोटे-छोटे टुकड़ों में टूट जाती हैं।
उदाहरणार्थ, सल्फर (गंधक) और फॉस्फोरस ठोस अधातुएँ हैं जो आवातवर्थ्य नहीं हैं, उन्हें हथौड़े से पतली चादरों में पीटा नहीं जा सकता है। अतः अधातुओं की हम पतली चादरें नहीं प्राप्त कर सकते हैं। सल्फर और फॉस्फोरस अधातुएँ भंगुर हैं। हथौड़े से जब पीटी जाती हैं, वे छोटे-छोटे टुकड़ों में टूट जाती हैं। भंगुरता (brittleness) ठोस अधातुओं का अभिल्लाक्षणिक गुणधर्म है।

2. अधातुएँ तन्य नहीं होती हैं। इसका अर्थ है कि अधातुओं को तारों में र्वीचा नहीं जा सकता है। खींचने पर वे आसानी से पड़-पड़ करके टूट जाती हैं।
उदाहरणार्थ, सल्फर और फॉस्फोरस अधातुएँ हैं और वे तन्य नहीं हैं। जब खींचा जाता है, सल्फर और फॉस्फोरस
टुकड़ों में टूट जाते हैं और तार नहीं बनाते हैं। अतः अधातुओं से हम तार नहीं प्राप्त कर सकते हैं। उपर्युक्त विवेचना से हम निष्कर्ष निकालते हैं कि : अधातुएँ न तो आघातवष्ट ये हैं न तन्य। अधातुएँ भंगुर हैं।

3. अधातुएँ ऊष्मा और विद्युत की कुचालक होती हैं। इसका अर्थ है कि अधातुएँ अपने में से ऊष्मा और विद्युत को प्रवाहित नहीं होने देती हैं। अधातुओं में से अनेक, वास्तव में, विद्युतरोधी (insulators) हैं। यद्यपि, कुछ अपवाद हैं। कार्बन तत्त्व का एक रूप, हीरा (diamond) अधातु है जो ऊष्मा का सुचालक है और कार्बन तत्त्व का एक अन्य रूप, ग्रेफाइट अधातु है जो विद्युत का सुचालक है। विद्युत का सुचालक होने से, ग्रेफाइट इलेक्ट्रोड (eletrodes) बनाने के लिए उपयोग किया जाता है (जैसे कि शुष्क सेलों में)।

4. अधातुएँ दीप्त (या चमकीली) नहीं होती हैं। वे देखने में धुंधली होती हैं। अधातुओं में चमक नहीं होती। है जिसका मतलब है कि अधातुओं में चमकीली सतह नहीं होती है। ठोस अधातुएँ देखने में धुंधली होती हैं। उदाहरणार्थ, सल्फर और फॉस्फोरस अधातुएँ हैं जिनमें दीप्ति । (चमक) नहीं है, (UPBoardSolutions.com) अर्थात्, उनमें चमकीली सतह नहीं होती है। वे धुंधली (भद्दी) प्रतीत होती हैं। यद्यपि, एक अपवाद है। आयोडीन दीप्त (चमकीली) आकृति वाली अधातु होती है। उसमें चमकीली ऊपरी सतह होती है (धातुओं की भाँति)।

5. अधातुएँ आमतौर पर मृदु होती हैं (हीरे के अतिरिक्त क्योंकि यह अत्यंत कठोर अधातु है)। अधिकांश ठोस अधातुएँ काफी मृदु होती हैं। वे चाकू से आसानी से कट सकती हैं। उदाहरणार्थ, सल्फर और फॉस्फोरस ठोस अधातुएँ हैं जो काफी मृदु हैं और चाकू से आसानी से काटी जा सकती हैं। केवल एक अधातु कार्बन (हीरे के रूप में) अत्यंत कठोर है। वास्तव में, हीरा (जो कार्बन का एक अपररूप है। ज्ञात कठोरतम प्राकृतिक पदार्थ है।

6. अधातुएँ दृढ़ नहीं होती हैं। उनमें निम्न तनन सामर्थ्य होती है। इसका अर्थ है कि अधातुएँ बड़े (भारी) भारों को (बिना टूटे) रोक नहीं सकती हैं। उदाहरणार्थ, ग्रेफाइट एक अधातु है जो दृढ़ नहीं है। उसमें निम्न तनन सामर्थ्य होती है। जब ग्रेफाइट चादर पर भारी भार रखा जाता है, वह टूट जाता है।

7. अधातुएँ, कमरे के ताप पर, ठोस, द्रव अथवा गैसें हो सकती हैं। अधातुएँ सभी तीन अवस्थाओं : ठोस, द्रव और गैस में हो सकती हैं। उदाहरणार्थ, कार्बन, सल्फर और फॉस्फोरस ठोस अधातुएँ हैं; ब्रोमीन द्रव अधातु है; जबकि हाइड्रोजन, ऑक्सीजन, नाइट्रोजन और क्लोरीन गैसीय अधातुएँ हैं।

8. अधातुओं के, तुलनात्मक रूप से, निम्न गलनांक और क्वथनांक होते हैं (ग्रेफाइट के अतिरिक्त जो अत्यंत उच्च गलनांक वाली अधातु है)। इसका मतलब है यह कि अधातुएँ, तुलनात्मक रूप से निम्न तापों पर गलती और वाष्पित होती हैं।
उदाहरणार्थ, सल्फर 119°C के निम्न गलनांक वाली अधातु है। आयोडीन भी 113°C के निम्न गलनांक वाली अधातु है। केवल एक अधातु ग्रेफाइट का अत्यंत उच्च गलनांक (3700°C) होता है। अधिकतर अधातुओं के अत्यंत निम्न गलनांक होते हैं जिसके कारण वे कमरे के ताप पर गैसों के रूप में उपस्थित होते हैं।

9. अधातुओं के निम्न घनत्व होते हैं। इसका अर्थ है। कि अधातुएँ हल्के पदार्थ हैं। उदाहरणार्थ सल्फर 2 g/cm3 के निम्न घनत्व वाला ठोस अधातु है, जो काफी निम्न है। गैसीय अधातुओं का घनत्व अत्यंत निम्न होता है। एक अधातु आयोडीन का यद्यपि, उच्च घनत्व होता है।

10. अधातुएँ वानिक sonorous) नहीं होती हैं। इसका (UPBoardSolutions.com) अर्थ है कि ठोस अधातुएँ, जब उन्हें मारा जाता है, घण्टी की ध्वनि उत्पन्न नहीं करती हैं।

प्रश्न 8.
कोलाइडों का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
उत्तर-
कोलाइडों को निम्नलिखित सात वर्गों में वर्गीकृत किया जा सकता है
(i) सॉल (Sol)
(ii) ठोस सॉल (Solid sol)
(iii) ऐरोसॉल (Aerosol)
(iv) इमल्शन (Emulsion)
(v) फोम (Foam)
(vi) ठोस फोम (Solid Foam)
(vii) जेल (Gel)

(i) सॉल (Sol) – सॉल एक कोलाइड है जिसमें नन्हें ठोस कण, द्रव माध्यम में परिक्षिप्त होते हैं। सॉलों के उदाहरण हैं : स्याही, साबुन विलयन, स्टार्च विलयन और अधिकांश पेण्ट (प्रलेप)

(ii) ठोस सॉल (Solid Sol) – ठोस सॉल एक कोलाइड है जिसमें ठोस कण, ठोस माध्यम में परिक्षिप्त होते हैं। ठोस सॉल का उदाहरण है : रंगीन रत्नपत्थर (माणिक्य काँच के समान) ।।

(iii) ऐरोसॉल (Aerosol) – ऐरोसॉल एक कोलाइड है जिसमें ठोस अथवा द्रव, गैस (वायु सहित) में परिक्षिप्त होता है। कोलाइडों जिनमें गैस में ठोस परिक्षिप्त होता है, के उदाहरण हैं : धुआँ या धूम (जो वायु में कालिख है) और स्वचालित वाहन निष्कास (Automobile Exhausts)। ऐरोसॉलों जिनमें गैस में द्रव परिक्षिप्त होता है, के उदाहरण हैं : केश स्प्रे, कोहरा, कुहासा और मेघ या बादल।

(iv) इमल्शन (Emulsion) – इमल्शन (पायस) एक कोलाइड है जिसमें एक दूव की अत्यंत छोटी सूक्ष्म बूंदें, दूसरे द्रव जो उसके साथ मिश्रणीय नहीं हैं, में परिक्षिप्त होती हैं। इमल्शन के उदाहरण हैं दूध, मक्खन और फेस क्रीम।

(v) फोम (Foam) – फोम (फेन या झाग) एक कोलाइड है जिसमें ठोस माध्यम में गैस परिक्षिप्त होती है। फोम के उदाहरण हैं : अग्निशामक आग (Fire-extinguisher Foam); साबुन के बुलबुले (Soap Bubbles), शेविंग क्रीम (Shaving Cream) और बीअर झाग (Beer Foam)।

(vi) ठोस फोम (Solid Foam) – ठोस फोम एक (UPBoardSolutions.com) कोलाइड है जिसमें ठोस माध्यम में गैस परिक्षिप्त होती है। ठोस फोम के उदाहरण हैं : रोधी फोम, फोम रबड़ और स्पंज।

(vii) जेल (Gel) – जेल एक अर्द्ध-ठोस कोलाइड है जिसमें द्रव में परिक्षिप्त ठोस कणों को लगातार जलक होता है। जेल के उदाहरण हैं : जेलियाँ (Jellies) और जिलैटिन (Gelatine)
UP Board Solutions for Class 9 Science Chapter 2 Is Matter Around us Pure image - 12

प्रश्न 9.
एक विलयन में, जल के 370 g में शक्कर के 30 ग्राम घुले हुए हैं। इस विलयन के सान्द्रण (सान्द्रता) की गणना कीजिए।
UP Board Solutions for Class 9 Science Chapter 2 Is Matter Around us Pure image - 13
UP Board Solutions for Class 9 Science Chapter 2 Is Matter Around us Pure image - 14

अभ्यास प्रश्न

बहुविकल्पीय प्रश्न

1. लोहे से बने किसी बर्तन पर जंग का लगना कहलाता है
(a) घुलना और यह एक भौतिक परिवर्तन
(b) संक्षारण और यह एक रासायनिक परिवर्तन
(c) घुलना और यह एक रासायनिक परिवर्तन
(d) उपर्युक्त में से कोई नहीं।

2. सल्फर तथा कार्बन डाइसल्फाइडे का मिश्रण है
(a) समांगी तथा टिण्डल प्रभाव नहीं दर्शाता है।
(b) विषमांगी तथा टिण्डल प्रभाव नहीं दर्शाता है।
(c) समांगी तथा टिण्डल प्रभाव देर्शाता है।
(d) उपर्युक्त में से कोई नहीं।

UP Board Solutions

3. समुद्री जल से नमक प्राप्त किया जाता है|
(a) वाष्पीकरण द्वारा
(b) प्रभाजी आसवन द्वारा
(c) क्रोमैटोग्राफी द्वारा
(d) अपकेन्द्रन विधि द्वारा।

4. ऊर्ध्वपातन पदार्थ नहीं है
(a) आयोडीन
(b) बेंजीन
(c) कपूर
(d) अमोनियम क्लोराइड।

5. पृथक्करण फनल का उपयोग करते हैं अलग करने के लिए
(a) दो घुलनशील द्रवों को
(b) द्रव में अघुलनशील कणों को
(c) दो अघुलनशील द्रवों को।
(d) द्रव में विलेय ठोस पदार्थ को।

6. लोहे की पिने, बालू व अमोनियम क्लोराइड के मिश्रण घटकों को अलग करने के लिए प्रयोग किये गये प्रक्रमों का सही क्रम है
(a) विलयन बनाना, छानना व चुम्बकीय पृथक्करण
(b) चुम्बकीय पृथक्करण, विलयन बनाना व छानना
(c) चुम्बकीय पृथक्करण, ऊर्ध्वपातन
(d) विलयन बनाना, आसवन व चुम्बकीय पृथक्करण

7. गर्म करने पर सन्तृप्त विलयन हो जायेगा|
(a) अति सन्तृप्त
(b) असन्तृप्त
(c) अपघटित
(d) तनु विलयन।

8. टिंडल प्रभाव प्रदर्शित नहीं करते हैं
(a) वास्तविक विलयन
(b) निलम्बन
(c) कोलाइडल
(d) ये सभी।

9. क्रोमैटोग्राफी का प्रयोग करते हैं
(a) डाई में रंगों को अलग करने में
(b) प्राकृतिक रंगों से लवकों को अलग करने में
(c) रक्त से नशीले पदार्थों को दूर करने में।
(d) उपर्युक्त सभी में।

UP Board Solutions

10. धातुएँ
(a) चमकीली व गहरे रंग की होती हैं।
(b) विद्युत व ताप की सुचालक होती हैं।
(c) आघातवर्थ्य एवं तन्य होती हैं।
(d) उपर्युक्त सभी।

11. कमरे के ताप पर द्रव धातु है
(a) टिन
(b) ब्रोमीन
(c) पारा
(d) बोरॉन

12. कमरे के ताप पर द्रव अधातु है
(a) टिन
(b) ब्रोमीन
(c) पारा
(d) बोरॉन

13. उपधातु का उदाहरण है
(a) टिन
(b) ब्रोमीन
(c) पारा
(d) बोरॉन।

14. दो घुलनशील द्रव अलग किये जाते हैं
(a) आसवन प्रक्रम द्वारा
(b) पृथक्करण फनल द्वारा
(c) भारण विधि द्वारा
(d) ऊर्ध्वपातन द्वारा।

15. निलम्बन के कण दूर किये जाते हैं
(a) आसवन द्वारा
(b) पृथक्करण फनल द्वारा
(c) भारण विधि द्वारा
(d) ऊर्ध्वपातन द्वारा।

16. दो अघुलनशील द्रव अलग किये जाते हैं
(a) आसवन द्वारा
(b) पृथक्करण फनले द्वारी
(c) भारण विधि द्वारा
(d) ऊर्ध्वपातन द्वारा।

UP Board Solutions

17. दूध से क्रीम निकाली जाती है|
(a) आसवन द्वारा
(b) प्रभाजी आसवन द्वारा
(c) क्रोमैटोग्राफी द्वारा
(d) अपकेन्द्रन विधि द्वारा।

18. पेट्रोलियम व वायु के घटक प्राप्त किये जाते हैं
(a) आसवन द्वारा
(b) प्रभाजी आसवन द्वारा ।
(c) क्रोमैटोग्राफी द्वारा
(d) अपकेन्द्रन विधि द्वारा।

19. रक्त से नशीले पदार्थ अलग किये जाते हैं
(a) वाष्पीकरण द्वारा
(b) प्रभाजी आसवन द्वारा
(c) क्रोमैटोग्राफी द्वारा
(d) अपकेन्द्रन विधि द्वारा।

20. घटकों का पृथक्करण चाहिए|
(a) अवांछित या हानिकारक घटक को दूर करने के लिए
(b) शुद्ध पदार्थ प्राप्त करने के लिए
(c) लाभदायक घटक को प्राप्त करने के लिए
(d) उपर्युक्त सभी

21. समांगी मिश्रण का उदाहरण है
(a) कॉपर सल्फेट का विलयन
(b) नमक व सल्फर का मिश्रण
(c) सल्फर व लोहे के चूर्ण का मिश्रण
(d) उपर्युक्त सभी।

22. दो या अधिक पदार्थों को समांगी मिश्रण कहलाता
(a) विलयन
(b) निलम्बन
(c) कोलाइडल
(d) इनमें से कोई भी नहीं।

23. निलम्बन है एक
(a) समांगी मिश्रण
(b) विषमांगी मिश्रण जिसमें घुलित कण आँखों से देखे जा सकें
(c) विषमांगी मिश्रण जिसमें घुलित कण आँखों से न देखे जा सकें
(d) उपर्युक्त सभी।

UP Board Solutions

24. विलयन है एक
(a) समांगी मिश्रण
(b) विषमांगी मिश्रण जिसमें घुलित कण आँखों से देखे जा सकें
(c) विषमांगी मिश्रण जिसमें घुलित कण आँखों से न देखे जा सकें
(d) उपर्युक्त सभी।

25. कोलाइडल है एक
(a) समांगी मिश्रण
(b) विषमांगी मिश्रण जिसमें घुलित कण आँखों से देखे जा सकें
(c) विषमांगी मिश्रण जिसमे घुलित कण आँखों से न ‘ देखे जा सकें।
(d) उपरोक्त सभी।

26. मिश्रण के विषय में सही कथन नहीं है।
(a) घटक अपने गुण प्रदर्शित करते हैं।
(b) मिश्रण के गुण घटकों के गुण से भिन्न होते हैं।
(c) घटक किसी भी अनुपात में मिले होते हैं।
(d) घटक सरल विधियों द्वारा अलग किये जा सकते हैं।

27. विषमांगी मिश्रण का उदाहरण है
(a) लकड़ी
(b) पीतल
(c) नमक का जलीय विलयन
(d) स्टील।

28. ठोस-ठोस विलयन का उदाहरण है–
(a) लकड़ी
(b) पीतल
(c) नमक का जलीय विलयन
(d) इमल्शन।

29. गंदला पानी उदाहरण है
(a) विलयन का
(b) निलम्बन का
(c) कोलाइडल का
(d) ये सभी

UP Board Solutions

30. साबुन का जलीय विलयन है एक
(a) विलयन का
(b) निलम्बन का
(c) कोलाइडल का
(d) ये सभी ।

उत्तरमाला

      1. (b)
      2. (a)
      3. (a)
      4. (b)
      5. (c)
      6. (c)
      7. (b)
      8. (a)
      9. (d)
      10. (d)
      11. (c)
      12. (b)
      13. (d)
      14. (a)
      15. (c)
      16. (b)
      17. (d)
      18. (b)
      19. (c)
      20. (d)
      21. (a)
      22. (a)
      23. (b)
      24. (a)
      25. (c)
      26. (b)
      27. (a)
      28. (b)
      29. (b)
      30. (c)

We hope the UP Board Solutions for Class 9 Science Chapter 2 Is Matter Around us Pure (क्या हमारे आस-पास के पदार्थ शुद्ध हैं) help you. If you have any query regarding UP Board Solutions for Class 9 Science Chapter 2 Is Matter Around us Pure (क्या हमारे आस-पास के पदार्थ शुद्ध हैं), drop a comment below and we will get back to you at the earliest.

UP Board Solutions for Class 6 History Chapter 7 मौर्य साम्राज्य

UP Board Solutions for Class 6 History Chapter 7 मौर्य साम्राज्य

These Solutions are part of UP Board Solutions for Class 6 History. Here we have given UP Board Solutions for Class 6 History Chapter 7 मौर्य साम्राज्य

बूझो तो जानें – मेगस्थनीज ने अपनी भारत यात्रा विवरण में उन चीजों के बारे में जिक्र किया है। जो उसे आश्चर्यजनक लगी थीं। क्या तुम बता सकते हो कि उसने किनके बारे में लिखा होगा?

  1. इसकी जड़ें तनों से उगती हैं। इसकी छाया में 400 लोग एक साथ रह सकते हैं। बरगद
  2. बिना मधुमक्खी के शहद निकलता है। गन्ना
  3. ऊन पेड़ों से उगती है। कपास
  4. पक्षी जो मनुष्य जैसे बोलते हैं। – तोता

अभ्यास

प्रश्न 1.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लिखिए –

(क) चन्द्रगुप्त मौर्य कौन था?
उत्तर :
चन्द्रगुप्त मौर्य मगध का सम्राट और मौर्य साम्राज्य का संस्थापक था।

UP Board Solutions 

(ख) चाणक्य और मेगस्थनीज की पुस्तकों के नाम लिखिए।
उत्तर :
चाणक्य की पुस्तक ‘अर्थशास्त्र’ और मेगस्थनीज की पुस्तक ‘इंडिका’ है।

(ग) कलिंग युद्ध किनके बीच लड़ा गया? युद्ध का क्या परिणाम हुआ?
उत्तर :
कलिंग युद्ध अशोक और कलिंग के राजा के बीच लड़ा गया। इस युद्ध में लाखों लोग मारे गए। इस युद्ध के बाद अशोक ने कभी युद्ध न करने का निश्चय किया।

(घ) अशोक ने बौद्ध धर्म क्यों अपनाया? इस धर्म के प्रसार के लिए उसने क्या किया?
उत्तर :
कलिंग युद्ध में हजारों सैनिक मारे गए तथा बहुत बड़ी संख्या में घायल हुए। इससे अशोक बहुत दुखी हुआ तथा उसने निश्चय कर लिया कि वह भविष्य में कभी युद्ध नहीं करेगी (UPBoardSolutions.com) और उसने बौद्ध धर्म अपना लिया तथा अहिंसा का पालन करने लगा।

(ङ) हमारा राष्ट्रीय चिहून क्या है?
उत्तर :
हमारा राष्ट्रीय चिह्न 4 सिंहों वाली आकृति है। जिसमें 3.सिं ही दिखाई देते हैं। एक सिंह पीछे की ओर होने के कारण दिखाई नहीं देता।

UP Board Solutions

(च) मौयों के प्रशासन का वर्णन करिए।
उत्तर :
मौर्य प्रशासन – मेगस्थनीज की ‘इंडिका’ और कौटिल्य के अर्थशास्त्र’ से मौर्य प्रशासन तन्त्र की जानकारी मिलती है। चन्द्रगुप्त मौर्य के हाथ में शासन के सारे अधिकार थे। उसकी सहायता के लिए एक परिषद थी, जिसमें बुद्धिमान सदस्य राजा को सलाह देते थे।

प्रशासन के लिए साम्राज्य तीन स्तरों में बँटा था – केन्द्र, प्रांत, जनपद (शहर और गाँव)। इस । समय नौकरशाही व्यवस्था थी। वेतन नकद राज्यकोष से दिया जाता था। राजा दौरा करके प्रांतों से लेकर गाँवों तक की खबर रखता था। गुप्तचर पूरे साम्राज्य की सूचना राजा को देते थे। बाहरी आक्रमण और आन्तरिक विद्रोह को दबाने के लिए पैदल, हाथी और घोड़ों से निर्मित थल सेना थी। कृषि कर, सिंचाई कर, व्यापार कर (UPBoardSolutions.com) आय के मुख्य स्रोत थे। राज्य के जंगलों और खानों पर राज्य का स्वामित्व था। राज्य, सेना के लिए हथियारों का निर्माण करते थे। लगभग 2500 वर्ष पूर्व का यह मौर्यकालीन प्रशासनिक ढाँचा आज भी हमारे देश के ढाँचे से मिलता है।

प्रश्न 2.
सही और गलत बताइए (बताकर) –

(क) अशोक ने अपने साम्राज्य विस्तार के लिए कई युद्ध किए। (सही)
(ख) चन्द्रगुप्त मौर्य ने सेल्युकस को हराया। (सही)
(ग) अशोक का उत्तराधिकारी उसको पुत्र बिन्दुसार था। (गलत)
(घ) चन्द्रगुप्त मौर्य ने चाणक्य को अपना मुख्यमंत्री नियुक्त किया। (सही)

प्रश्न 3.
सही जोड़े बनाइए (बनाकर) –
UP Board Solutions for Class 6 History Chapter 7 मौर्य साम्राज्य 1

पता कीजिए और लिखिए –

प्रश्न 1.
अशोक की लाट पर बने चार सिंहों का प्रयोग कहाँ-कहाँ किया गया है?
उत्तर :
अशोक की लाट पर बने चार सिंहों को भारत ने राष्ट्रीय प्रतीक के रूप में अपनाया है और इसका प्रयोग भारतीय मुद्राओं एवं केंद्र सरकार के प्रशासनिक अधिकारियों एवं (UPBoardSolutions.com) सैनिकों की वर्दी पर किया जाता है।

UP Board Solutions

प्रश्न 2.
नीचे दिए गए क्रियाकलापों में से किसे आप सही एवं किसे गलत मानते हैं। अपना उत्तर (✓) एवं (✗) का निशान लगाकर स्पष्ट करें –
UP Board Solutions for Class 6 History Chapter 7 मौर्य साम्राज्य 2

प्रश्न 3.
अपने दोस्तों से अपने उत्तर का मिलान करें। कौन सा क्रियाकलाप क्यों सही है एवं क्यों गलत है। इसके कारणों पर चर्चा करें।

प्रोजेक्ट वर्क –
नोट – विद्यार्थी स्वयं करें।

UP Board Solutions

We hope the UP Board Solutions for Class 6 History Chapter 7 मौर्य साम्राज्य help you. If you have any query regarding UP Board Solutions for Class 6 History Chapter 7 मौर्य साम्राज्य, drop a comment below and we will get back to you at the earliest.

UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 3 Coordinate Geometry

UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 3 Coordinate Geometry (निर्देशांक ज्यामिति)

These Solutions are part of UP Board Solutions for Class 9 Maths. Here we have given UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 3 Coordinate Geometry (निर्देशांक ज्यामिति)

.

प्रश्नावली 3.1

प्रश्न 1.
एक अन्य व्यक्ति को आप अपने अध्ययन मेज पर रखे टेबल-लैम्प की स्थिति किस तरह बताएँगे?
UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 3 Coordinate Geometry img-1
हल :
मान लिया कि मेज का तल एक समतल है और उस पर रखा हुआ टेबल-लैम्प समतल में स्थित एक बिन्दु है। मेज की एक कोर के साथ इस प्रकार खड़े हुए कि इस कोर के साथ (UPBoardSolutions.com) लगी दूसरी कोर बाएँ हाथ की ओर रहे।
यदि दूसरी कोर से लैम्प की दूरी x यूनिट हो और पहली कोर से लैम्प की दूरी y यूनिट हो तो लैम्प की स्थिति = (x, y)

UP Board Solutions

प्रश्न 2.
(सड़क योजना) : एक नगर में दो मुख्य सड़कें हैं, जो नगर के केन्द्र पर मिलती हैं। ये दो सड़कें उत्तर-दक्षिण की दिशा और पूर्व-पश्चिम की दिशा में हैं। नगर की अन्य सभी सड़कें इन मुख्य सड़कों के समान्तर परस्पर 200 मीटर की दूरी पर हैं। प्रत्येक दिशा में पाँच सड़कें हैं। एक सेन्टीमीटर = 200 मीटर का पैमाना लेकर अपनी नोट-बुक में नगर को एक मॉडल बनाइए। सड़कों को एकल रेखाओं से निरूपित कीजिए।
आपके मॉडल में एक-दूसरे को काटती हुई अनेक क्रॉस-स्ट्रीट (चौराहे) हो सकती हैं। एक विशेष क्रॉस स्ट्रीट दो सड़कों से बनी है जिनमें से एक उत्तर-दक्षिण दिशा में जाती है और दूसरी पूर्व-पश्चिम दिशा में। प्रत्येक क्रॉस स्ट्रीट का निर्देशन इस प्रकार किया जाता है :
यदि दूसरी सड़क उत्तर-दक्षिण दिशा में जाती है और पाँचवीं सड़क पूर्व-पश्चिम दिशा में जाती है और ये एक क्रॉसिंग पर मिलती हैं, तब इसे क्रॉस स्ट्रीट (2, 5) कहेंगे। इसी परम्परा से यह ज्ञात कीजिए कि
(i) कितनी क्रॉस-स्ट्रीटों को (4, 3) माना जा सकता है।
(ii) कितनी क्रॉस-स्ट्रीटों को (3, 4) माना जा सकता है।
UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 3 Coordinate Geometry img-2

प्रश्नावली 3.2

प्रश्न 1.
निम्नलिखित प्रश्नों में से प्रत्येक का उत्तर दीजिए।
(i) कार्तीय तल में किसी बिन्दु की स्थिति निर्धारित करने वाली क्षैतिज और ऊर्ध्वाधर रेखाओं के क्या नाम हैं?
(ii) इन दो रेखाओं से बने तल के प्रत्येक भाग के नाम बताइए।
(iii) उस बिन्दु का नाम बताइए जहाँ ये दोनों रेखाएँ प्रतिच्छेदित होती हैं।
हल :
(i) कार्तीय तल में किसी बिन्दु की स्थिति निर्धारित करने वाली क्षैतिज रेखा का नाम -अक्ष है और ऊर्ध्वाधर रेखा का नाम -अक्ष है।
(ii) ये दोनों रेखाएँ x-अक्ष और y-अक्ष तल को चार भागों में विभक्त क़रती हैं। प्रत्येक भाग,को एक चतुर्थांश (Quadrant) कहते हैं।
(iii) x-अक्ष और y-अक्ष जिस बिन्दु पर एक-दूसरे को काटते हैं, उस बिन्दु को मूलबिन्दु (Origin) कहते हैं।

प्रश्न 2.
दी गई आकृति देखकर निम्नलिखित को लिखिए :
(i) B के निर्देशांक
(ii) C के निर्देशांक
(iii) निर्देशांक (-3, -5) द्वारा पहचाना गया बिन्दु
(iv) निर्देशांक (2 -4) द्वारा पहचाना गया बिन्दु
(v) D का भुज
(vi) बिन्दु H की कोटि
(vii) बिन्दु L के निर्देशांक
(viii) बिन्दु Mके निर्देशांक।
UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 3 Coordinate Geometry img-3
हल :
(i) बिन्दु B का भुज = – 6 और कोटि = 2 (बिन्दु B द्वितीय चतुर्थांश में स्थित है।)
बिन्दु B के निर्देशांक = (-5, 2)
(ii) बिन्दु C का भुज = 5 और = – 5 (बिन्दु C चतुर्थ चतुर्थांश में स्थित है।)
बिन्दु C के निर्देशांक = (5, -5)
(iii) बिन्दु (-3, -5) के दोनों निर्देशांक ऋणात्मक हैं।
यह बिन्दु तृतीय चतुर्थांश में स्थित होगा।
निर्देशांक (-3, -5) द्वारा पहचाना गया बिन्दु = E
(iv) बिन्दु (2, -4) का भुज धनात्मक तथा कोटि ऋणात्मक है।
यह बिन्दु चतुर्थ चतुर्थाश में स्थित होगा।
निर्देशांक (2, -4) द्वारा पहचाना गया बिन्दु = G
(v) बिन्दु D प्रथम चतुर्थांश में स्थित है।
इसका भुज धनात्मक होगा।
बिन्दु D की भुज = 6
(vi) बिन्दु H तृतीय चतुर्थांश में स्थित है।
बिन्दु H की कोटि ऋणात्मक होगी।
बिन्दु H की कोटि = -3
(vii) बिन्दु L के निर्देशांक = (भुज, कोटि) = (0, 5) (बिन्दु L धनात्मक y-अक्ष पर स्थित है।)
(viii) बिन्दु M के निर्देशांक (-3, 0) (बिन्दु M ऋणात्मक x-अक्ष पर स्थित है।)

UP Board Solutions

प्रश्नावली 3.3

प्रश्न 1.
किस चतुर्थांश में या किस अक्ष पर बिन्दु (-2, 4), (3, -1), (-1, 0), (1, 2) और (-3, -5) स्थित हैं? कार्तीय तल पर इनका स्थान निर्धारण करके अपने उत्तर सत्यापित कीजिए।
हल :
बिन्दु (-2, 4) का भुज (-) और कोटि (+) है। अत: यह द्वितीय चतुर्थांश में स्थित है।
बिन्दु (3, -1) का भुज (+) और कोटि (-) है। अत: यह चतुर्थ चतुर्थांश में स्थित है।
बिन्दु (-1, 0) की कोटि शून्य तथा भुज ऋणात्मक है। अत: यह ऋणात्मक x-अक्ष पर स्थित है।
बिन्दु (1, 2) का भुज (+) और कोटि (+) है। अतः यह प्रथम चतुर्थांश में स्थित है।
बिन्दु (- 3, -5) के भुज और कोटि दोनों ऋणात्मक हैं। अत: यह तृतीय चतुर्थांश में स्थित है।
UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 3 Coordinate Geometry img-4

प्रश्न 2.
अक्षों पर दूरी का उपयुक्त एकक लेकर नीचे सारणी में दिए गए बिन्दुओं को तल पर आलेखित कीजिए।
UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 3 Coordinate Geometry img-5
हल :
बिन्दुओं का आलेखन चित्र में प्रदर्शित किया गया है।
UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 3 Coordinate Geometry img-6

We hope the UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 3 Coordinate Geometry (निर्देशांक ज्यामिति) help you. If you have any query regarding UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 3 Coordinate Geometry (निर्देशांक ज्यामिति), drop a comment below and we will get back to you at the earliest.

UP Board Solutions for Class 10 Sanskrit Chapter 3 नैतिकमूल्यानि (गद्य – भारती)

UP Board Solutions for Class 10 Sanskrit Chapter 3 नैतिकमूल्यानि (गद्य – भारती)\

These Solutions are part of UP Board Solutions for Class 10 Sanskrit Here we have given UP Board Solutions for Class 10 Sanskrit Chapter 3 नैतिकमूल्यानि (गद्य – भारती)

परिचय

‘नयन’, ‘नीति’ और ‘न्याय’ तीनों समानार्थक शब्द हैं। इनमें अन्तर केवल इतना ही है कि ‘नयन नपुंसकलिंग है, ‘नीति’ स्त्रीलिंग और ‘न्याय’ पुंल्लिग। ये तीनों शब्द संस्कृत की ‘नी’ धातु से निष्पन्न हैं, जिसका अर्थ है–आगे बढ़ना या ले जाना। ‘नीति’ न्याय का ही दूसरा रूप है। यह समाज और व्यक्ति दोनों को ही उन्नति की ओर ले जाती है। यह धर्म से भिन्न है, लेकिन धर्म से कम कल्याण करने वाली नहीं है। इसका सम्बन्ध इसी लोक के जीवन से है। बहुत-से (UPBoardSolutions.com) ऐसे कार्य जो न तो धर्म के अन्तर्गत आते हैं और न ही न्याय की सीमा में, इनकी गणना नीति के अन्तर्गत की जाती है और इन्हें ही नैतिक मूल्य कहा जाता है। प्रस्तुत पाठ में नैतिक मूल्यों को विस्तार से समझाया गया है तथा उनका धर्म से सम्बन्ध भी बताया गया है। प्रत्येक व्यक्ति को नैतिक मूल्यों को जानकर व समझकर उनका पालन करना चाहिए।

पाठ-सारांश [2006, 08, 10, 11, 12, 13, 14]

नीति का स्वरूप एवं नीति-ग्रन्थ जिस मार्ग से कार्य करने से मनुष्य का जीवन सुन्दर और सफल होता है, उसे नीति कहते हैं। नीतिपूर्वक व्यवहार से केवल मनुष्य या समाज का ही कल्याण नहीं होता अपितु इसके अनुरूप आचरण करने से प्रजा, शासक और सम्पूर्ण संसार का कल्याण होता है। प्राचीन काल से ही नीतिकारों ने नीति-वाक्यों की रचना की; अतः साधारण लोग भी व्यवहार के लिए नीति वाक्यों और श्लोकों को कण्ठस्थ करते हैं। चाणक्यनीति’, ‘विदुरनीति’, ‘विदुलोपाख्यान’, ‘पञ्चतन्त्र’, शुक्रनीति’, ‘नीतिसार’, नैतिकमूल्यानि ‘नीतिद्विषष्टिका’, ‘भल्लाटशतक’, ‘नीतिशतक’, ‘बल्लालशतक’, ‘दृष्टान्तशतक’ आदि संस्कृत के प्रमुख नीतिग्रन्थ हैं।

UP Board Solutions

नीति : काव्य का मुख्य प्रयोजन किसी भी राष्ट्र के साहित्य में उसके प्रारम्भिक काल से ही यह विश्वास प्रचलित था कि नीति-परितोष’ काव्य को एक मुख्य प्रयोजन है। इसीलिए प्लेटो, अरस्तू, पेटर, होरेस इत्यादि पाश्चात्य विद्वानों ने भी काव्य के अनेकानेक प्रयोजनों में नैतिक विकास एवं सन्तोष को काव्य का एक मुख्य साधन माना है।

नैतिकता की आवश्यकता नैतिक मूल्यों से व्यक्ति की सामाजिक प्रतिष्ठा बढ़ती है। नैतिकता से ही व्यक्ति, समाज, देश और विश्व का कल्याण होता है। नैतिक आचरण से मानव में त्याग, तप, विनय, सत्य, न्यायप्रियता आदि गुणों का विकास होता है। इसके साथ ही (UPBoardSolutions.com) व्यक्ति और समाज ईष्र्या, द्वेष, छल, कलह आदि दोषों से मुक्त होते हैं।

दूसरों का हित नैतिक आचरण का मुख्य उद्देश्य परहित-साधन है। नैतिक आचरण से युक्त मनुष्य अपनी हानि करके भी दूसरों का कल्याण करता है। समाज में प्रचलित रूढ़ियाँ सबके हित के लिए नहीं होती हैं। इसलिए प्रबुद्ध विद्वान् उसका विरोध करते हैं और नवीन आदर्श स्थापित करते हैं, परन्तु उनके ऐसा करने पर भी नैतिक मूल्यों में कोई परिवर्तन नहीं होता है। शाश्वत धर्म सदैव अपरिवर्तनीय होता है और नीति की अपेक्षा अधिक व्यापक भी होता है। नीति से केवल लौकिक कल्याण होता है, जब कि धर्म लौकिक और पारलौकिक दोनों तरह का कल्याण करता है।

धर्म की परिभाषा धर्माचार्यों ने ”यतोऽभ्युदयनिःश्रेयस् सिद्धिः स धर्मः” कहकर धर्म की व्याख्या की है। जिस कर्म से मानव का इस लोक में कल्याण होता है और परलोक में उसे उच्च स्थान प्राप्त होता है, वह धर्म है। मनुस्मृति में धर्म के दस अंग बताये गये हैं–धृति (धैर्य), क्षमा, दान, अस्तेय (चोरी न करना), शौच (पवित्रता), इन्द्रियनिग्रह, धी (बुद्धि), विद्या, सत्य और अक्रोध।

धर्म और नीति तीर्थयात्रा, पवित्र नदियों में स्नान, यज्ञ करना और कराना, गुरु-माता-पिता की सेवा, सन्ध्या-वन्दना और सोलह संस्कार मुख्य रूप से धर्म के वाचक हैं। इन कर्मों में नीति का मिश्रण नहीं है; अतः धर्म व्यापक है। धैर्य, दया, सहनशीलता, सत्य, परोपकार आदि के आचरण में धर्म और नीति दोनों का मिश्रण है। दोनों का समान रूप से आचरण करने से संसार का परम कल्याण होता है। नीतिकारों के मतानुसार-जीव-हिंसा और परधनापहरण से निवृत्ति, सत्यभाषण, चुगलखोरी से मुक्ति, सत्पात्रों और दोनों को दान, लोभ का त्याग, दया, सहनशीलता, परोपकार, श्रद्धा, गुरुजनों में अनुराग, विनयशीलता आदि नैतिकता (UPBoardSolutions.com) के गुण हैं। गर्वहीनता, अतिथि-सत्कार, न्याय से अर्जित जीविका, ईर्ष्या का अभाव, सत्संग, प्रेम, दुर्जन-संगतिं का त्याग, धैर्य, क्षमा, वाक्-पटुता, समय का सदुपयोग इत्यादि नैतिकता के आचरणों से व्यक्ति, समाज, राष्ट्र और विश्व का कल्याण होता है।

UP Board Solutions

अत: व्यक्ति को नैतिक आचरण करके अपना, समाज का, देश का और विश्व का कल्याण करना चाहिए।

गद्यांशों का ससन्दर्भ अनुवाद

(1) नयनं नीतिः, नीतेरिमानि मूल्यानि नैतिकमूल्यानि। यथा सरण्या कार्यकरणेन मनुष्यस्य जीवन सुचारु सफलञ्च) भवति सा नीतिः कथ्यते। इयं नीतिः केवलस्य जनस्य समाजस्य कृते एव न भवति, अपितु जनानां, नृपाणां समेषां चे व्यवहाराय भवति। नीत्या चलनेन, व्यवहरणेन, प्रजानां शासकानां समस्तस्य लोकस्यापि कल्याणं भवति। [2006]

शब्दार्थ नयनं = ले जाना। नीतेरिमानि = नीति के ये। सरण्या = मार्ग से। सुचारु = सुन्दर। कथ्यते = कही जाती है। कृते = हेतु, लिए। समेषाम् = सबके। कल्याणं = कल्याण, भला।

सन्दर्भ प्रस्तुत गद्यांश हमारी पाठ्य-पुस्तक ‘संस्कृत’ के गद्य-खण्ड ‘गद्य-भारती’ में संकलित ‘नैतिकमूल्यानि’ शीर्षक पाठ से उधृत है।

[ संकेत इस पाठ के शेष सभी गद्यांशों के लिए यही सन्दर्भ प्रयुक्त होगा।]

प्रसंग प्रस्तुत गद्यांश में नीति के स्वरूप एवं प्रयोजन के विषय में बताया गया है।

अनुवाद ले जाना’ नीति कहलाता है। नीति के ये मूल्य (ही) नैतिक मूल्य कहलाते हैं। जिस मार्ग से कार्य करने से मनुष्य का जीवन सुन्दर और अच्छी प्रकार से सफल होता है, वह नीति कहलाता है। यह नीति केवल मनुष्य और समाज के लिए ही नहीं है, अपितु मनुष्यों और (UPBoardSolutions.com) राजाओं सभी के व्यवहार के लिए होती है। नीति के द्वारा चलने से, व्यवहार करने से, प्रजा का, शासकों का, सारे संसार को भी कल्याण होता है।

(2) पुरातनकालादेव भारते कवयः नीतिकाराः मनोरमया सरसया गिरा नीतिंवाक्यानि, कथाभिः श्लोकैश्च व्यरचयन्। इत्थं नीतिशास्त्राणि व्यवहारविदे, कान्तासम्मिततयोपदेशयुजे बभूवुः। फलन्त्विदं सम्पन्नं साधारणाः अपि जनाः व्यवहाराय नीतिवाक्यानि नीतिश्लोकांश्च गलबिलाधः कुर्वन्ति स्म। यथा च चाणक्यनीतिः, विदुरनीतिः, विदुलोपाख्यानम्, पञ्चतन्त्रम्, शुक्रनीतिः, घटकर्परकृतः नीतिसारः, सुन्दरपाण्डेयेन कृता ‘नीतिद्विषष्टिका’, भल्लाटशतकम्, भर्तृहरिकृतं नीतिशतकम्, ‘बल्लालशतकम्’, ‘दृष्टान्तशतकम्’ इत्यादि बहूनि नीतिपुस्तकानि संस्कृते उपलभ्यन्ते। [2012, 15]

शब्दार्थ पुरातनकालादेव = प्राचीन काल से ही। गिरा = वाणी के द्वारा, भाषा के द्वारा। कथाभिः = कथाओं के द्वारा। व्यरचन् = रचना की है। इत्थम् = इस प्रकार व्यवहारविदे = व्यवहार को जानने के लिए। कान्तासम्मिततयोपदेशयुजे (कान्ता + सम्मिततया + उपदेशयुजे) = स्त्री से सम्मित होने से उपदेश के लिए। गलबिलाधः (गल + बिल + अधः) = गले के छेद के नीचे अर्थात् कण्ठस्था उपलभ्यन्ते = प्राप्त होती हैं।

प्रसंग प्रस्तुत गद्यांश में नीति के स्वरूप और प्रयोजन को बताते हुए प्रमुख नीति-ग्रन्थों के नाम दिये गये हैं।

UP Board Solutions

अनुवाद प्राचीन काल से ही भारत में कवियों और नीतिकारों ने सुन्दर और सरस वाणी द्वारा कथाओं, श्लोकों से नीति-वाक्यों की रचना की। इस प्रकार नीतिशास्त्र व्यवहार को जानने के लिए, स्त्री से सम्मित होने से उपदेश से युक्त होने के लिए हुए। परिणाम यह हुआ कि सम्पन्न, साधारण लोगों ने भी व्यवहार के लिए नीति-वाक्यों और नीति-श्लोकों को कण्ठस्थ कर लिया था। जैसे कि चाणक्यनीति, विदुरनीति, विदुलोपाख्यान, पञ्चतन्त्र, शुक्रनीति, घटकर्पर द्वारा रचित नीतिसार, सुन्दरपाण्डेय द्वारा रचित नीतिद्विषष्टिका, भल्लाटशतक, भर्तृहरि द्वारा रचित नीतिशतक, बल्लालशतक, दृष्टान्तशतक इत्यादि बहुत-सी नीति पुस्तकें संस्कृत में = प्राप्त होती हैं।

(3) विचार्यमाणे साहित्ये आदिकालादेव सर्वेष्वपि राष्ट्रेषु अयं विश्वासः प्रचलितः आसीत्, यत् काव्यास्योन्येषु (UPBoardSolutions.com) प्रयोजनेषु सत्स्वपि एकं मुख्यं प्रयोजनं नैतिकः परितोषः। प्लेटो, अरस्तू, पेटर, होरेसादि सर्वैः विचारकैः काव्यस्य मुख्यं प्रयोजनं नैतिकविकासः एव स्वीकृतः।

शब्दार्थ विचार्यमाणे साहित्ये = विचार करने पर साहित्य में। आदिकालादेव = आदिकाल से ही। सत्स्वपि (सत्सु + अपि) = होते हुए भी। प्रयोजनम् = प्रयोजन, कारण, हेतु। परितोषः = सन्तोष। स्वीकृतः = स्वीकार किंया गया।

प्रसंग प्रस्तुत गद्यांश में नीति का प्रयोजन तथा कुछ पाश्चात्य नीतिकारों का उल्लेख किया गया है।

अनुवाद साहित्य में विचार किये जाने पर आदिकाल से ही सभी राष्ट्रों में यह विश्वास प्रचलित था कि काव्य के अन्य प्रयोजनों के होने पर भी एक मुख्य प्रयोजन नैतिक सन्तोष था। प्लेटो, अरस्तू, पेटर, होरेस आदि। सभी विचारकों ने काव्य का मुख्य प्रयोजन नैतिक विकास ही स्वीकार किया है।

(4) नैतिकमूल्यैः व्यक्तेः सामाजिक प्रतिष्ठाभिवर्धते। मानवकल्याणाय नैतिकता आवश्यकी। नैतिकतैव व्यक्तेः, समाजस्य, राष्ट्रस्य, विश्वस्य कल्याणं कुरुते। नैतिकताचरणेनैव मनुष्येषु त्यागः, तपः, विनयः, सत्यं, न्यायप्रियता एवमन्येऽपि मानवीयाः गुणाः उत्पद्यन्ते। नैतिकतया मनुष्योऽन्यप्राणिभ्यः भिन्नः जायते। लदाचरणेन व्यक्तेः समाजस्य च जीवनम् अनुशासितं निष्कण्टकं च भवति। व्यक्तेः समाजस्य, वर्गस्य, देशस्य च समुन्नयनावसरो लभ्यते। समाजः ईष्र्या-द्वेषच्छल-कलहादिदोषेभ्यः मुक्तो भवति। अस्माकं सामाजिकाः, अन्ताराष्ट्रियाः सम्बन्धाः नैतिकताचरणेन दृढाः भवन्ति। अतः नैतिकताशब्दः सच्चरित्रतावाचकः, सुखमयमानवजीवनस्याधारः अस्ति।

UP Board Solutions

नैतिकमूल्यैः व्यक्तेः ……………………………………….. उत्पद्यन्ते ।
नैतिकमूल्यैः व्यक्तेः …………………………………… मुक्तो भवति [2010,12]

शब्दार्थ अभिवर्धते = बढ़ती है। व्यक्तेः = व्यक्ति का। नैतिकताचरणेनैव = नैतिकता के आचरण से ही। उत्पद्यन्ते = उत्पन्न होते हैं। अन्यप्राणिभ्यः = दूसरे प्राणियों से। समुन्नयनावसरः = ठीक उन्नति का अवसर। मुक्तो भवति = छूट जाता है। सच्चरित्रतावाचकः = सदाचार का वाचक अर्थात् बताने वाला। जीवनस्याधारः = जीवन का आधार

प्रसंग प्रस्तुत गद्यांश में नैतिक मूल्यों के आचरण का महत्त्व बताया गया है।

अनुवाद नैतिक मूल्यों से व्यक्ति की सामाजिक प्रतिष्ठा बढ़ती है। मानव-कल्याण के लिए नैतिकता आवश्यक है। नैतिकता ही व्यक्ति, समाज, राष्ट्र और विश्व का कल्याण करती है। नैतिकता के आचरण से ही मनुष्यों में त्याग, तप, विनय, सत्य, न्यायप्रियता एवं इसी प्रकार के दूसरे भी मानवीय (UPBoardSolutions.com) गुण उत्पन्न होते हैं। नैतिकता से मनुष्य दूसरे प्राणियों से भिन्न हो जाता है। उसके आचरण से व्यक्ति और समाज का जीवन अनुशासित और निष्कण्टक होता है। व्यक्ति, समाज, वर्ग और देश की उन्नति का अवसर प्राप्त होता है। समाज ईष्र्या, द्वेष, छल, कलह आदि दोषों से मुक्त होता है। हमारे सामाजिक और अन्तर्राष्ट्रीय सम्बन्ध नैतिकता के आचरण से मजबूत होते हैं। अतः ‘नैतिकता’ शब्द सच्चरित्रता का वाचक, सुखमय मानव-जीवन का आधार है।

(5) इदन्तु सम्यक् वक्तुं शक्यते यत् नैतिकताचरणस्य, नैतिकतायाश्च मुख्यमुद्देश्यं स्वस्य अन्यस्य च कल्याणकरणं भवति। कदाचित् एवमपि दृश्यते यत् परेषां कल्याणं कुर्वन् मनुष्यः स्वीयां हानिमपि कुरुते। एवंविधं नैतिकाचरणं विशिष्टं महत्त्वपूर्णं च मन्यते। परेषां हितं नैतिकतायाः प्राणभूतं तत्त्वम्। [2008]

शब्दार्थ इदन्तु = यह तो। सम्यक् = भली प्रकार कल्याणकरणम् = कल्याण करना। कदाचित् = कभी। एवमपि = ऐसा भी। कुर्वन् = करते हुए। स्वीयाम् = अपनी।

प्रसंग प्रस्तुत गद्यांश में नैतिक मूल्यों के आचरण का महत्त्व बताया गया है।

UP Board Solutions

अनुवाद यह तो भली प्रकार कहा जा सकता है कि नैतिकता के आचरण का और नैतिकता का मुख्य उद्देश्य अपना और दूसरों का कल्याण करना होता है। कभी ऐसा भी देखा जाता है कि दूसरों का कल्याण करता हुआ मनुष्य अपनी हानि भी करता है। इस प्रकार का नैतिक आचरण विशेष और महत्त्वपूर्ण माना जाता है। दूसरों का हित नैतिकता का प्राणभूत तत्त्व है।

(6) कदाचित् एवमपि दृश्यते यत्समाजे प्रचलिता रूढिः सर्वेषां कृते हितकरी न भवति। अतः प्रबुद्धाः विद्वांसः तस्याः रूढः विरोधमपि कुर्वन्ति। परं तैः आचरणस्य व्यवहारे नवीनः आदर्शः स्थाप्यते। यः कालान्तरे समाजस्य कृते हितकरः भवति। एवं सदाचरणेऽपि परिवर्तनं दृश्यते। परं वस्तुतः यानि नैतिकमूल्यानि सन्ति। तेषु परिवर्तनं न भवति। यथा सनातनो धर्मः न परिवर्तते तथा नैतिकमूल्यान्यपि स्थिराणि एव। एवं धर्मे नीतौ च दृढीयान् सम्बन्धो दृश्यते। परं द्वयो भेदोऽपि वर्तते। (UPBoardSolutions.com) धर्मशब्दः व्यापकः अस्ति। नीतिस्तु व्याप्या धर्मे एव विलीयते। यानि अवश्यकरणीयानि कर्त्तव्यानि यैः पुण्यानि नोपलभ्यन्ते तेषामपि गणना धर्मे कृता मेहर्षिभिः धर्माचार्यैः। नीतिः लौकिकं कल्याणं कुरुते। धर्मस्तु लौकिकं पारलौकिकञ्च कल्याणं कुरुते। उभयोः कुत्रापि साङ्कर्त्यमपि प्राप्यते। धर्मः अलौकिक शक्ति प्रकटयति। सः मुक्तेः मार्गमपि प्रशस्तं करोति। परलोकमपि प्रदर्शयति कल्पयति च। नीतिः लौकिकं हितं साधयति। परं नीतिधर्मयोः साहचर्यं सर्वैरेव स्वीक्रियते।

कदाचित् एवमपि …………………………………. स्थिराणि एवं। [2013]
धर्मशब्दः व्यापकः …………………………………… संर्वैरेव स्वीक्रियते। [2009]

शब्दार्थ रूढिः = पहले से प्रचलित परम्परा प्रबुद्धाः = जगे हुए, जागरूका स्थाप्यते = स्थापित किया जाता है। दृश्यते = दिखाई देता है। कालान्तरे = समय बीतने पर। परिवर्तते = बदलता है। नीतौ = नीति में। दृढीयान् = अधिक छ। व्यापकः = विस्तृत, फैला हुआ। व्याप्या = व्याप्त होने वाली, सीमित स्थान में रहने वाली। विलीयते = विलीन हो जाती है, मिल जाती है। नोपलभ्यन्ते = नहीं प्राप्त होते हैं। पारलौकिकम् = परलोक से सम्बन्धित। कुत्रापि = कहीं भी। साङ्कर्यमपि = मिश्रण भी। प्रशस्तम् = सुन्दर। कल्पयति = कल्पना करता है। साधयति = साधता है, पूरा करता है। स्वीक्रियते = स्वीकार किया जाता है।

UP Board Solutions

प्रसंग प्रस्तुत गद्यांश में नैतिक आचरण, नीति और धर्म के अन्तर तथा साहचर्य पर प्रकाश डाला गया है।

अनुवाद कभी ऐसा भी देखा जाता है कि समाज में प्रचलित रूढ़ि (प्राचीन परम्परा) सबके लिए हितकारी नहीं होती है; अतः जागरूक विद्वान् उस रूढ़ि का विरोध भी करते हैं, परन्तु उनके आचरण के व्यवहार में नवीन आदर्श स्थापित किया जाता है, जो कालान्तर में समाज के लिए हितकारी होता है। इस प्रकार सदाचरण करने में भी परिवर्तन दिखाई देता है, परन्तु वास्तव में जो नैतिक मूल्य हैं, उनमें परिवर्तन नहीं होता है। जैसे सनातन (सदा बना रहने वाला, शाश्वत) धर्म नहीं बदलता है, उसी प्रकार नैतिक मूल्य भी स्थिर ही हैं। इस प्रकार धर्म और नीति में दृढ़ सम्बन्ध दिखाई देता है, परन्तु दोनों में अन्तर भी है। धर्म शब्द व्यापक है, नीति तो व्याप्त है, जो धर्म में ही विलीन हो जाती है। जो अवश्य करने योग्य कर्तव्य हैं, जिनसे पुण्य की प्राप्ति नहीं होती है, उनकी गणना महर्षियों और धर्माचार्यों ने धर्म में की है। नीति लौकिक कल्याण करती है, धर्म लौकिक और पारलौकिक कल्याण करता है। दोनों में कहीं मिश्रण भी प्राप्त होता है। धर्म तो अलौकिक शक्ति को प्रकट करता है। वह मुक्ति के मार्ग को भी प्रशस्त करता है। (UPBoardSolutions.com) परलोक को दिखाता है। और कल्पना करता है। नीति सांसारिक हित करती है, परन्तु नीति और धर्म का साथ सभी स्वीकार करते हैं।

(7) दार्शनिकैः, धर्माचार्यैः पौराणिकैश्च धर्मः परिभाषितः यथा-“यतोऽभ्युदयनिःश्रेयस सिद्धिः स धर्मः” यतः यस्मात् कर्मणः, इहलोके कल्याणं जायते, परत्र परलोके च शोभनं स्थानं जनैः लभ्यते नरकापातो न भवेत् येन, स धर्मः। एवं महाभारते-ध्रियते धर्मः, धारणाद्धर्मः यतः धारयते प्रजाः। धर्मशास्त्रकारेण मनुना –

धृतिः क्षमा दमोऽस्तेयं शौचमिन्द्रियनिग्रहः।
धीविद्यासत्यमक्रोधो दशकं धर्मलक्षणम् ॥

इति मनुस्मृतौ दशस्वरूपको धर्मः उपवर्णितः। इत्थं धर्माचरणे नैतिकताचरणे च साङ्कर्यमुपलभ्यते। शब्दार्थ दार्शनिकैः = दर्शन (शास्त्र) के ज्ञाता। पौराणिकैः = पुराण को जानने वाले परिभाषितः = परिभाषित किया गया। अभ्युदय = उन्नति, समृद्धि। निःश्रेयस् सिद्धिः = कल्याण की प्राप्ति होती है। परत्र = दूसरे स्थान पर, परलोक में। लभ्यते = प्राप्त किया जाता है। नरकापातः = नरक में गिरना। धियते = धारण किया जाता है। धृतिः = धैर्य। दमः = दमन करना। अस्तेयम् = चोरी करना। शौचः = पवित्रता। धीः = बुद्धि। उपवर्णितः = उल्लिखित, वर्णित। साङ्कर्यम् = मिश्रण।

प्रसंग प्रस्तुत गद्यांश में धर्म की परिभाषा दी गयी है तथा धर्म के दस लक्षणों का उल्लेख भी किया गया है।

अनुवाद दार्शनिकों, धर्माचार्यों और पौराणिकों ने धर्म की परिभाषा दी है; जैसे-“जिससे उन्नति और कल्याण की प्राप्ति होती है, वह धर्म है। जिस कर्म से इस संसार में कल्याण होता है, परलोक और इस लोक में जिससे लोगों को सुन्दर स्थान प्राप्त होता है, नरक में पतन नहीं होता है, वह धर्म है। इसी प्रकार : महाभारत में कहा गया है कि “धारण किया जाता है, वह धर्म है। जिसे प्रजा को धारण कराया जाता है, वह धर्म है।” धर्मशास्त्रों के रचयिता मनु ने कहा है-“धैर्य, क्षमा, संयम, अचौर्य, शौच (पवित्रता), इन्द्रिय-निग्रह, बुद्धि, विद्या, सत्य, अक्रोध-ये दस धर्म के लक्षण हैं।”

मनुस्मृति में ऐसे दस स्वरूप वाले धर्म का वर्णन है। इस प्रकार धर्माचरण और नैतिकता के आचरण में मिश्रण प्राप्त होता है।

UP Board Solutions

(8) तीर्थाटनं, पावनासु नदीषु स्नानं, यजनं, याजनं, गुरुसेवा, मातृपितृसेवा, सन्ध्यावन्दनं, षोडशसंस्काराः एते मुख्यरूपेण धर्मपदवाच्याः। एषु कर्मसु नीतेः मिश्रणं नास्ति। अतः धर्मो व्यापकः। धृति-दया-सहिष्णुता-सत्य-परोपकाराद्याचरणेषु द्वयोः साङ्कर्यमस्ति। परमेतत् निश्चितं यत् द्वयोराचरणेन लोकस्य परमं कल्याणं जायते एव। नीतिकाराणां मते इमे नैतिकतायाः गुणाः यथा–जीवहिंसायाः विरक्तिः, परधनापहरणान्निवृत्तिः, सत्यभाषणं, पैशुन्यात् निवृत्तिः, सत्पात्रेभ्यः दीनेभ्यश्च दानं, (UPBoardSolutions.com) अतिलोभात् वितृष्णा, दया, सहिष्णुता, परोपकारः, गुरुजनेष्वनुरागः, श्रद्धा, विनयशीलता च। अनुत्सेकः, आतिथ्यं, न्याय्यावृत्तिः, परगुणेभ्यः ईष्र्याऽभावः, सत्सङ्गानुरक्तिः, दुष्टसङ्गान्निवृत्तिः, विपदि धैर्यम्, अभ्युदये क्षमा, सदसि वाक्पटुता, समयस्य सदुपयोगः इत्यादयः नैतिकताचाराः एषामाचरणेनैव व्यक्तेः समाजस्य, राष्ट्रस्य विश्वस्य च सर्वथा कल्याणं सम्पद्यते।

तीर्थाटनं, पावनासु ……………………………………… विनयशीलता च। [2009]
तीर्थाटनं, पावना …………………………………. जायते एव।

शब्दार्थ पावनासु = पवित्रों में। यजनम् = यज्ञ करना। याजनं = यज्ञ कराना| नास्ति = नहीं है। परमेतत् = किन्तु यहा विरक्तिः = त्याग, छोड़ना। परधनापहरणात् = दूसरों का धन छीनने से। निवृत्तिः = छुटकारा। पैशुन्यात् = चुगली करने से। वितृष्णा = विरक्ति, अनिच्छा। अनुत्सेकः = गर्वहीनता। न्याय्यावृत्तिः = न्याय से अर्जित जीविका। विपदि = विपत्ति में। अभ्युदये = उन्नति में। सदसि = सभा में। वाक्पटुता = बोलने की कुशलता। सम्पद्यते = सम्पन्न होता है।

प्रसंग प्रस्तुत गद्यांश में धर्म और नैतिकता के गुणों को बताया गया है और उन्हें अपनाने की प्रेरणा दी गयी है।

अनुवाद तीर्थयात्रा, पवित्र नदियों में स्नान, यज्ञ करना, यज्ञ कराना, गुरु-सेवा, माता-पिता की सेवा, सन्ध्या-वन्दना आदि सोलह संस्कार-ये मुख्य रूप से धर्म शब्द के वाचक हैं। इन कामों में नीति का मिश्रण नहीं है; अत: धर्म व्यापक है। धैर्य, दया, सहनशीलता, सत्य, परोपकार आदि के आचरणों में दोनों (धर्म और नीति) का मिश्रण है। परन्तु यह निश्चित है कि दोनों के आचरण से संसार का अत्यधिक कल्याण होता ही है। नीतिकारों के मत में ये नैतिकता के गुण हैं; जैसे—जीवों की हिंसा से वैराग्य, दूसरों के धन के चुराने से छुटकारा, सत्य बोलना, चुगलखोरी से छुटकारा, सत्पात्रों और दोनों को दान देना, अधिक लोभ से विरक्ति, दयो, सहनशीलता, परोपकार, गुरुजनों पर अनुराग, श्रद्धा और विनयशीलता, गर्वहीनता, अतिथि-सत्कार, न्याय से अर्जित आजीविका, दूसरों के गुणों में ईष्र्या का अभाव, सत्संग में अनुरक्ति, दुर्जनों की संगति (UPBoardSolutions.com) से छुटकारा, विपत्ति में धैर्य धारण करना, उन्नति में क्षमाभाव, सभा में बोलने की चतुराई, समय का सदुपयोग इत्यादि नैतिकता के कार्य हैं। इनके आचरण से ही व्यक्ति, समाज, राष्ट्र और संसार का सब तरह का कल्याण होता है।

UP Board Solutions

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
मनु द्वारा निर्धारित धर्म के दस लक्षण कौन-कौन-से हैं? [2006, 11]
या
मनु ने धर्म के क्या लक्षण बताये हैं? [2012, 13]
उत्तर :
धर्मशास्त्रों के रचयिता मनु ने धर्म के दस लक्षण बताये हैं –

  1. धैर्य
  2. क्षमा
  3. संयम
  4. अचौर्य
  5. शौच (पवित्रता)
  6. इन्द्रिय-निग्रह
  7. बुद्धि
  8. विद्या
  9. सत्य तथा
  10. अक्रोध।

प्रश्न 2.
नीति से सम्बन्धित संस्कृत साहित्य में उपलब्ध किन्हीं पाँच पुस्तकों व उनके लेखकों के नाम लिखिए।
उत्तर :
नीति से सम्बन्धित पाँच पुस्तकों व उनके लेखकों के नाम हैं –

  1. चाणक्य द्वारा रचित ‘चाणक्य-नीतिः
  2. विदुरकृत ‘विदुर-नीतिः
  3. भर्तृहरिकृत ‘नीतिशतकम्’
  4. घटकर्परकृत ‘नीतिसार:’ तथा
  5. सुन्दर पाण्डेय कृत ‘नीतिद्विषष्टिका।

प्रश्न 3.
मनुष्य के लिए नैतिक मूल्यों की क्या आवश्यकता है? [2007,09]
या
नैतिक मूल्यों का महत्त्व लिखिए।
उत्तर :
नैतिक मूल्यों से व्यक्ति की सामाजिक प्रतिष्ठा बढ़ती है। नैतिकता से ही व्यक्ति, समाज, देश और विश्व का कल्याण होता है। नैतिक आचरण से मानव में त्याग, तप, विनय, सत्य, न्यायप्रियता आदि गुणों का विकास होता है तथा समाज ईष्र्या, द्वेष, छल, कलह आदि दोषों से मुक्त होता है।

UP Board Solutions

प्रश्न 4.
धर्म और नीति का पारस्परिक सम्बन्ध बताइए। [2006]
या
धर्म को परिभाषित कीजिए।
या
नीति और धर्म का अन्तर स्पष्ट कीजिए। [2011]
उत्तर :
उन्नति और कल्याण की प्राप्ति जिससे होती है, वह धर्म है। धर्म और नीति परस्पर एक भी हैं और अलग-अलग भी। धर्म लौकिक और पारलौकिक दोनों प्रकार का कल्याण करता है, किन्तु नीति मात्र लौकिक कल्याण ही करती है। दोनों में परस्पर भेद होते हुए भी विद्वान् धर्म (UPBoardSolutions.com) और नीति के साहचर्य को स्वीकार करते हैं। धर्म व्यापक शब्द है और नीति व्याप्य। इस प्रकार सभी नैतिक गुण धर्म में निहित होते हैं। और नैतिकतापूर्ण आचरण ही व्यक्ति को समाज में विशिष्ट स्थान दिलाता है।

प्रश्न 5.
प्रमुख नीति-ग्रन्थों के नाम लिखिए। [2006,07,08]
या
नीतिशास्त्र के प्रमुख तीन ग्रन्थों के नाम लिखिए। [2013]
उत्तर :
नीति से सम्बन्धित कुछ प्रमुख ग्रन्थ हैं –

  1. चाणक्य-नीति
  2. विदुर-नीति
  3. विदुला-उपाख्यान
  4. पञ्चतन्त्र
  5. शुक्रनीति
  6. घटकर्पर नीतिसार
  7. सुन्दरपाण्डेय-नीतिद्विषष्टिका
  8. भल्लाट-शतकम्
  9. भर्तृहरि-नीतिशतकम्
  10. बल्लाल-शतकम्
  11. दृष्टान्तशतकम् इत्यादि।

प्रश्न 6.
नैतिकता का प्राणभूत तत्त्व क्या है? [2010, 11, 13, 14]
उत्तर :
दूसरों का हित करना की नैतिकता का प्राणभूत तत्त्व है।

UP Board Solutions

प्रश्न 7.
नैतिकता का मुख्य उद्देश्य क्या है? [2012]
उत्तर :
नैतिकता का मुख्य उद्देश्य है-अपना और दूसरों का कल्याण करना। कभी-कभी दूसरों का कल्याण करता हुआ मनुष्य अपनी हानि भी कर बैठता है। इस प्रकार का आचरण विशेष और महत्त्वपूर्ण माना जाता है।

प्रश्न 8.
‘नैतिकमूल्यानि’ पाठ के आधार पर मानव-जीवन में नीति के महत्त्व को बताइए।
उत्तर :
जिस मार्ग से कार्य करने से मनुष्य का जीवन सुन्दर और सफल होता है, वह नीति कहलाता है। (UPBoardSolutions.com) नीति केवल मनुष्य और समाज के लिए ही नहीं अपितु मनुष्यों और राजाओं सभी के व्यवहार के लिए होती है। नीति के अनुसार चलने से प्रजा का, शासकों और समस्त संसार का कल्याण होता है।

Hope given UP Board Solutions for Class 10 Sanskrit Chapter 3 are helpful to complete your homework.

If you have any doubts, please comment below. UP Board Solutions try to provide online tutoring for you.