UP Board Solutions for Class 6 English Chapter 5 I Wish I Could

UP Board Solutions for Class 6 English Chapter 5 I Wish I Could

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I Wish I Could

TRANSLATION OF THE LESSON (पाठ का हिन्दी अनुवाद)

There are a ……………………………………….. glad I’m me.
हिन्दी अनुवाद – बहुत-सी चीजें हैं जो मैं चाहता हूँ, मैं कर सकें। जैसे एक गोताखोर के समान समुद्र के अन्दर जा सकें। यो एक अन्तरिक्ष यात्री के समान ऊँची उड़ान भर सकें। या एक हवाई जहाज चालक के समान आकाश में हवाई. जहाज उड़ा सकें। या एक क्रिकेटर के समान प्रत्येक गेंद पर छक्का मार सकें। या एक इंजीनियर बन सकें जो सभी चीजें ठीक कर सकता है। या एक चिकित्सक के समान मरीजों की देखभाल कर सकें। या एक बावर्ची बन जाऊँ जिसके पकवान खाने के बाद तुम अपनी उँगलियाँ चाटते रह जाओ।

परन्तु माँ आती हैं और अपने साथ चाय और समोसे लाती है। और उस समय जो मैं हूँ (जो मेरे पास है) उस पर खुशी होती है।

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EXERCISE (अभ्यास)

Comprehension Questions

Question 1.
Answer the following questions :
Answer:
Question a.
Where does a diver dive?
Answer:
A diver dives down under the sea.

Question b.
What does an engineer do?
Answer:
An engineer is trained to fix or repair anything.

Question c.
Write the names of professions mentioned in the poem.
Answer:
Diver, astronaut, pilot, cricketer, engineer, doctor and chef.

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Question d.
Which profession according to you is the best?
Answer:
I like the profession of a doctor/astronaut/cricketer…. (choose and write on your own)

Question e.
Which is your favourite dish cooked by your mother?
Answer:
Do it yourself.

Word Power

Question 1.
Choose the correct profession for the following persons from the words given in the box. One is done for you:
UP Board Solutions for Class 6 English Chapter 5 I Wish I Could img-1
Answer:
UP Board Solutions for Class 6 English Chapter 5 I Wish I Could img-2

Question 2.
Who are they
Answer:
a. My mother helps sick people. She is a doctor.
b. My uncle fights fires. He is a fire-fighter.
c. My father serves food in a hotel. He is a waiter.
d. My aunt teaches maths. She is a teacher.

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Activity
Do it yourself.

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UP Board Solutions for Class 10 Home Science Chapter 3 घर की सफाई

UP Board Solutions for Class 10 Home Science Chapter 3 घर की सफाई

These Solutions are part of UP Board Solutions for  Class 10 Home Science Here we have given UP Board Solutions for Class 10 Home Science गृह विज्ञान Chapter 3 घर की सफाई

विस्तृत उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1
घर की सफाई का अर्थ स्पष्ट कीजिए तथा घर की सफाई के महत्त्व ,
अदकता का विस्तार से वर्णन कीजिए।2012
परिवार के सदस्यों के स्वस्थ जीवन के लिए घर की सफाई की आवश्यकता तथा महत्त्व को स्पष्ट कीजिए। घर की सफाई के महत्त्व को संक्षेप में लिखिए।
घर की सफाई क्यों आवश्यक है?
या
घर की स्वच्छता का अर्थ और इसका महत्त्व समझाइए2015,
घर की सफाई से आप क्या समझती हैं? 2 16, 17
उत्तर:
घर की सफाई का अर्थ परिवार के सदस्यों के स्वास्थ्य के लिए तथा घर की शोभा, व्यवस्था एवं साज-सज्जा के लि। घर की सफाई अति आवश्यक है। प्रत्येक व्यक्ति चाहता है कि उसका घर अधिक-से-अधिक साफ-सुथरा रहे। घर की सफाई (UPBoardSolutions.com) के महत्त्व को स्वीकार करने के उपरान्त प्रश्न उठता है कि घर की सफाई का अर्थ क्या है? घर की सफाई से आशय है घर में गन्दगी का न होना। अब प्रश्न उठता है कि गन्दगी का क्या अर्थ है? सैद्धान्तिक रूप से जिस वस्तु को जहाँ नहीं होना चाहिए, उसका वहाँ पाया जानी ही गन्दगी है। इस आधार पर कहा जा सकता है कि प्रत्येक वस्तु का यथा-स्थान पाया जाना सफाई है। इस सैद्धान्तिक तथ्य को घर की सफाई के सन्दर्भ में व्यावहारिक रूप से भी प्रस्तुत किया जा सकता है।

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घर के कूड़े का कूड़ेदान में होना घर की सफाई का प्रतीक है तथा कूड़े का जहाँ-तहाँ फैला होना घर की गन्दगी का प्रमाण है। बर्तन माँजने के उपरान्त गन्दा पानी नाली से होकर बह जाना घर की सफाई का प्रतीक है। इसके विपरीत, यदि यह पानी रसोईघर में तथा आँगन में ही फैला रहे तो इसे घर की गन्दगी ही माना जाएगा। मकान के बाहर गली में अथवा लॉन में यदि धूल-मिट्टी है, तो उसे गन्दगी नहीं माना जाएगा, परन्तु यदि घर के अन्दर सोफे पर यो खाने की टेबल पर धूल हो, तो उसे गन्दगी या सफाई का अभाव माना जाएगा।

नाश्ते के समय अण्डे के छिलके यदि एक प्लेट में रखे जाएँ तो उसे सफाई का प्रतीक माना जाएगा। इसके विपरीत, यदि यही छिलके कालीन पर बिखरे हों, तो ये घर की गन्दगी के प्रमाण स्वरूप माने जाएँगे। इसी प्रकार घर के अन्य भागों में भी उन वस्तुओं का पाया जाना गन्दगी का प्रतीक माना जाएगा जो वहाँ पर नहीं होनी चाहिए, इसके विपरीत प्रत्येक स्थान पर गन्दगी का अभाव सफाई का प्रतीक माना जाएगा।

घर की सफाई का महत्त्व एवं आवश्यकता

घर की सफाई के महत्त्व एवं आवश्यकता सम्बन्धी मुख्य बिन्दु निम्नवर्णित हैं|
(1) घर की सुन्दरता में सहायक-घर की सफाई का सर्वाधिक महत्त्व यह है कि इससे घर की सुन्दरता में वृद्धि होती है। घर की सफाई के अभाव में कीमती एवं अच्छी-अच्छी वस्तुएँ तथा फर्नीचर भी घर को सुन्दर बनाने में असफल रहते हैं।

(2) कीटाणुओं को पनपने से रोकने में सहायक यह एक ज्ञात तथ्य है कि अधिकांश रोगों के कीटाणु गन्दगी, सीलन तथा धूल-मिट्टी में ही पनपते हैं। इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए कहा जा घर की सफाई 39 सकता है कि यदि घर में सफाई हो तो रोगों के कीटाणु (UPBoardSolutions.com) नहीं पनपने पाते। इस दृष्टिकोण से भी घर की सफाई आवश्यक एवं महत्त्वपूर्ण है।

(3) स्वास्थ्य एवं चुस्ती में सहायक-सफाईयुक्त घर-परिवार के सदस्यों के सामान्य स्वास्थ्य में वृद्धि करता है तथा परिवार के सभी सदस्यों में चुस्ती एवं फुर्ती बनी रहती है। साफ घर में परिवार के सदस्य प्रसन्न तथा उत्साहित रहते हैं तथा वे अधिक कार्य करने के लिए प्रेरित होते हैं। इसके विपरीत गन्दे घर में निराशा, उदासी तथा आलस्य जैसे विकार उत्पन्न होने लगते हैं। इसके अतिरिक्त यह भी एक सत्यापित तथ्य है कि सभी संक्रामक रोगों के कीटाणु गन्दगी में अधिक पनपते हैं। इस दृष्टिकोण से भी घर की सफाई का विशेष महत्त्व है। साफ-सुथरे घर में रोगों के कीटाणुओ के पनपने की आशंका कम होती है। इस प्रकार स्पष्ट है कि घर की सफाई परिवार के सदस्यों के स्वास्थ्य में धी सहायक होती है।

(4) घर को आकर्षक बनाने में सहायक–घर की नियमित सफाई से घर आकर्षक बनता है। साफ एवं गन्दगी रहित घर आकर्षण का केन्द्र बन जाता है।

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(5) घर की सफाई गृह-व्यवस्था में सहायक–साफ घर में प्रत्येक वस्तु अपने निर्धारित स्थान पर रहती है तथा घर की वस्तुएँ जहाँ-तहाँ बिखरी नहीं रहतीं। इस स्थिति में घर भी सुव्यवस्थित रहता है। सुव्यवस्थित एवं स्वच्छ घर में कार्य करना भी सुविधाजनक होता है। सफाई के अभाव में गृह-कार्यों को अच्छे ढंग से करना प्रायः कठिन ही होता है।

(6) जीवन-स्तर को उच्च बनाने में सहायक-उच्च जीवन-स्तर के लिए घर का साफ-सुथरा होना अति आवश्यक माना जाता है। गन्दगी युक्त घर वाले परिवार के जीवन-स्तर को किसी भी स्थिति में उच्च नहीं माना जा सकता। इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए कहा जा सकता है कि ‘घर की सफाई परिवार के जीवन-स्तर को उच्च बनाने में सहायक होती है।

(7) आगन्तुकों द्वारा प्रशंसा–घर की सफाई प्रत्येक आगन्तुक को स्पष्ट दिखाई दे जाती है। घर को साफ रखना गृहिणी का एक आवश्यक गुण माना जाता है; अत: यदि घर अच्छे ढंग से साफ रहता है तो घर पर आने वाले व्यक्ति (आगन्तुक) गृहिणी की प्रशंसा ही करते हैं।

(8) व्यावसायिक सफलता में सहायक--साफ-सुथरे घर में परिवार के सभी सदस्य शारीरिक तथा मानसिक रूप से स्वस्थ रहते हैं। स्वस्थ व्यक्ति अपने सभी कार्य अधिक श्रम एवं अधिक कुशलतापवूक कर सकता है। इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए कहा जा सकता (UPBoardSolutions.com) है कि साफ घर परिवार के कार्यरत सदस्यों की व्यावसायिक सफलता में भी सहायक होता है।

प्रश्न 2.
घर की सफाई के विभिन्न प्रकारों का वर्णन कीजिए। [2007, 08, 09, 10, 12, 18]
घर की दैनिक, साप्ताहिक, मासिक तथा वार्षिक सफाई का विस्तृत वर्णन कीजिए। घर की दैनिक और साप्ताहिक सफाई क्यों और कैसे करेंगी? घर की सफाई को कितने भागों में बाँटा जा सकता है? किसी एक भाग की सफाई का वर्णन सविस्तार कीजिए। [2009, 10, 12]
वार्षिक सफाई का क्या अर्थ है? [2013]
उत्तर:
घर की सफाई के प्रकार
घर पर अनेक प्रकार की सफाई की निरन्तर आवश्यकता होती है, परन्तु सभी प्रकार की सफाई व्यस्त जीवन में न तो नित्य सम्भव ही होती है और न ही उसकी नित्य आवश्यकता होती है। अतः भिन्न-भिन्न महत्त्व की सफाई को क्रमश: इन पाँच भागों या पाँच प्रकारों में विभक्त कर लिया जाता है, अर्थात्

  1.  दैनिक सफाई (Daily Cleaning),
  2. साप्ताहिक सफाई (Weekly Cleaning),
  3.  मासिक सफाई (Monthly Cleaning),
  4. वार्षिक सफाई (Annual Cleaning) तथा
  5. आकस्मिक सफाई (Sudden Cleaning)

इन पाँचों प्रकार की सफाई का विस्तृत विवरण एवं महत्त्व निम्नवर्णित है

(1) दैनिक सफाई—जिस प्रकार नित्य-प्रति भोजन पकाया जाता है तथा शारीरिक सफाई के लिए स्नान किया जाता है, उसी प्रकार घर की कुछ सफाई भी नित्य ही की जाती है। घर की जो सफाई नित्य करनी अनिवार्य होती है, उसका विवरण इस प्रकार है

(i) विभिन्न कमरों की दैनिक सफाई–हवा से उड़कर अनेक प्रकार की गन्दगी एवं धूल नित्य ही हमारे कमरों में आती है। इसके अतिरिक्त जूतों के साथ भी मिट्टी आदि कमरे में जाती है। बच्चों वाले घर में भी बच्चे कागज के टुकड़े, पेन्सिल की छीलन आदि गन्दगी बिखेर देते हैं। अत: इन सब गन्दगियो की सफाई नित्य ही होनी अनिवार्य है। इसलिए रोज ही कमरों में झाडू लगाना तथा फर्नीचर को कपड़े से पोंछना व झाड़ना अनिवार्य रूप से आवश्यक होता है। कमरे के फर्श पर पोंछा लगाना भी अच्छा रहता है।

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पोंछे के पानी में फिनाइल या किसी अन्य नि:संक्रामक घोल को अवश्य डाल लेना चाहिए। दरवाजे के पास रखे गए पायदान को अवश्य झाड़ना चाहिए। इसके अतिरिक्त कमरों में अस्त-व्यस्त फैले हुए सामान एवं कपड़ों को भी समेट्ना एवं यथास्थान रखना अनिवार्य है। बिस्तर को ठीक करना तथा यदि आवश्यक हो तो उठाकर निर्धारित स्थान पर रखना चाहिए। यदि धर में फूलदानों में फूल रखे जाते हों तो उनकी भी रोज देखभाल करनी चाहिए।

(ii) रसोईघर को साफ करना–रसोईघर या पाकशाला को भी नित्य ही साफ करना अत्यन्त आवश्यक है। रसोईघर में जूठे बर्तन रखे रहते हैं तथा भोजन के कण बिखर जाते हैं। इन सबकी सफाई रोज ही होनी चाहिए। जूठे बर्तन भी रोज ही माँजे जाने चाहिए। रसोईघर को साफ रखना गृहिणी का मुख्य कर्तव्य है।

(iii) स्नानगृह एवं शौचालय की सफाई-स्नानगृह एवं शौचालय की सफाई नित्य ही करनी चाहिए। स्नानगृह में साबुन आदि के कारण काफी गन्दगी हो जाती है। स्नानगृह में कपड़े भी धोए जाते हैं जिनकी मैल फर्श पर रुक जाती है; अतः नित्य ही स्नानगृह के फर्श को झाड़ से साफ करना चाहिए। स्नानगृह में इस्तेमाल होने वाली बाल्टी, लोटा आदि भी साफ करके औंधे कर देने चाहिए ताकि उनमें पानी पड़ी न रहे। इसी प्रकार शौचालय की सफाई भी नित्य ही होनी चाहिए। शौचालय में फिनाइल आदि भी अवश्य डालना चाहिए।

(iv) घर की नालियों एवं अन्य स्थानों की सफाई-घर के अन्दर बहने वाली नालियों: (UPBoardSolutions.com) जैसे- रसोईघर से पानी निकालने वाली नाली आदि; की सफाई नित्य होनी चाहिए।

(v) बाहर की सफाई–घर के आन्तरिक भागों के अतिरिक्त घर के बाहरी भागों की सफाई भी आवश्यक होती है। घर के आँगन अथवा लॉन की सफाई अति आवश्यक होती है। यदि दरवाजा बाहर को खुलता हो तो उस दरवाजे तथा उसके आस-पास या सीढ़ी आदि की भी प्रतिदिन सफाई अनिवार्य रूप से की जाती हैं।

(2) साप्ताहिक सफाई-घर के सभी स्थानों की सफाई प्रतिदिन की जानी सम्भव नहीं होती; अत: कुछ स्थानों एवं वस्तुओं की सफाई सप्ताह में एक बार ही की जाती हैं। यह सफाई सामान्य रूप से छुट्टी के दिन ही की जाती है। साप्ताहिक सफाई के अन्तर्गत घर की दरियो एवं कालीनों को झाड़ा जाता है। फर्नीचर को भी पूरी तरह झाड़कर उनकी गद्दियों आदि को ठीक किया जाता है। दरवाजों तथा खिड़कियों के पास लग गए मकड़ी आदि के जालों को भी साफ करना चाहिए। कमरे में लटकने वाली तस्वीरों एवं सजावट की अन्य वस्तुओं को भी साप्ताहिक सफाई के दिन साफ करना चाहिए।

यदि आवश्यकता समझी जाए तो कमरों के फर्श को भी धोया जा सकता है। घर के बिस्तर एवं चादरो को भी इस दिन धूप में कुछ समय के लिए अवश्य डालना चाहिए। सर्दियों में तो यह अति आवश्यक होता है। यदि पलंग अथवा चारपाइयों में खटमल हों तो इस दिन उन्हें मारने के लिए कोई कीटनाशक दवा अवश्य छिड़कनी चाहिए। साप्ताहिक सफाई के अन्तर्गत रसोईघर में भी कुछ वस्तुओं को विशेष रूप से साफ करना चाहिए। रसोई की वस्तुएँ अर्थात् दाल-मसाले आदि रखने वाले प्लास्टिक के डिब्बों को भी साबुन अथवा सर्फ से धो और मुखाकर यथास्थान रख देना चाहिए।

इसी दिन स्नानगृह में लगी वाश-बेसिन एवं अन्य वस्तुओं को भी विशेष रूप से साफ करना चाहिए और घर के मैले कपड़े एवं चादरें आदि भी गिनकर धोबी के पास भेज देने चाहिए। संक्षेप में कहा जा सकता है कि साप्ताहिक सफाई के अन्तर्गत घर के सभी स्थानों की कुछ अधिक मेहनत से सफाई की जाती है।

(3) मासिक सफाई--कुछ वस्तुएँ एवं स्थान ऐसे होते हैं जिनकी सफाई साप्ताहिक सफाई में भी नहीं हो पाती तथा यह सफाई हर सप्ताह आवश्यक भी नहीं होती। ऐसी सफाई महीने में एक बार अवश्य हो जानी चाहिए। इसलिए इस सफाई को मासिक सफाई कहा जाता है। मासिक सफाई के अन्तर्गत मुख्य रूप से भण्डार-गृह अथवा स्टोर-रूम की सफाई आती है। भण्डार-गृह में रखी सभी वस्तुओं को झाड़-पोंछकर साफ किया जाता है तथा उन्हें धूप में रखा जाता है। इसी प्रकार रसोईघर में रखी हुई वस्तुओं को भी महीने में एक बार अवश्य धूप में रखना चाहिए। इससे दाल-चावल आदि खाद्यान्नों में घुन या कीड़ा नहीं लगने पाता। अचार, चटनी आदि को भी महीने में एक बार धूप में रखना अच्छा होता है। मासिक सफाई का भी विशेष महत्त्व होता है। |

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(4) वार्षिक सफाई–दैनिक, साप्ताहिक एवं मासिक सफाई के अतिरिक्त वार्षिक सफाई भी अपना विशेष महत्त्व रखती है। वार्षिक सफाई, जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है, वर्ष में केवल एक ही बार की जाती है। हमारे देश में इस प्रकार की सफाई करने की परम्परा दीपावली (UPBoardSolutions.com) के अवसर पर होती है। दीपावली सामान्य रूप से वर्षा के बाद सर्दियों के प्रारम्भ में होती है। इस अवसर पर घर की पूर्ण सफाई करना या करवाना नितान्त आवश्यक होता है।

वार्षिक सफाई के समय सम्पूर्ण घर की विस्तृत रूप से सफाई की जाती है। इस सफाई के अन्तर्गत घर के समस्त सामान को बाहर निकाला जाता है तथा उसे झाड़-पोंछकर एवं साफ करके रखा जाता है। इसी अवसर पर घर की पुताई भी करवाई जाती है। पुताई के साथ-साथ छोटी-छोटी टूट-फूट की मरम्मत भी करवा ली जाती है। दरवाजों एवं खिड़कियों पर रंग-रोगन तथा फर्नीचर पर पॉलिश भी करवाई जाती है। वार्षिक सफाई के अवसर पर घर के सामान को छाँटा भी जाता है। फालतू एवं व्यर्थ के सामान को या तो फेंक दिया जाता है अथवा कबाड़ी को बेच दिया जाता है।

(5) आकस्मिक सफाई-घर की सफाई के उपर्युक्त चार नियमित प्रकारों के अतिरिक्त एक अन्य प्रकार का भी विशेष महत्त्व है। घरेलू सफाई के इस प्रकार को आकस्मिक सफाई कहा जाता है। घरेलू सफाई के इस प्रकार का कोई निर्धारित समय नहीं होता तथा कभी भी इस प्रकार की सफाई की आवश्यकता हो सकती है। उदाहरण के लिए-तेज धूल भरी आँधी आ जाने की स्थिति में घर की विस्तृत सफाई अति आवश्यक हो जाती है, भले ही उसके पूर्व साप्ताहिक या मासिक सफाई ही क्यों न की गई हो।

इसी प्रकार घर में किसी उत्सव या भोज के आयोजन से पहले तथा उपरान्त घर की व्यापक सफाई आवश्यक हो जाती है। इस प्रकार की घरेलू सफाइयों को ही आकस्मिक सफाई की श्रेणी में रखा जाता है। आकस्मिक सफाई के कार्य को करने के लिए गृहिणी तथा परिवार के अन्य सदस्यों को कुछ अधिक कार्य करना पड़ता है तथा कुछ कम महत्त्वपूर्ण कार्यों को छोड़ना या आगे के लिए टालना भी पड़ता है।

प्रश्न 3.
घर की सफाई के लिए कौन-कौन से साधन एवं सामग्रियाँ प्रयुक्त की जाती हैं? विस्तारपूर्वक समझाइए। ||2018, 12
सफाई के विभिन्न साधनों का वर्णन कीजिए। [2008, 12, 153
घर की सफाई में प्रयुक्त की जाने वाली वस्तुओं और उपकरणों के बारे में लिखिए। | 2017
घर की सफाई से आप क्या समझती हैं? सफाई में प्रयुक्त होने वाले आधुनिक यन्त्रों का संक्षिप्त वर्णन कीजिए। [2011, 16, 17]
उत्तर:
घर की सफाई का अर्थ है-घर में गन्दगी का पूर्ण अभाव होना। स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से घर को पूर्ण रूप से स्वच्छ रखना अति आवश्यक है, परन्तु गृहिणी के लिए यह कार्य कठिन एवं कष्टप्रद है। अत: एक कुशल गृहिणी इस महत्त्वपूर्ण एवं आवश्यक कार्य को विभिन्न (UPBoardSolutions.com) उपकरणों एवं साधनों की सहायता से सम्पन्न करती है।
घर की सफाई के साधन घर की सफाई में काम आने वाले साधन व सामग्री को निम्नलिखित वर्गों में विभाजित किया जा सकता है-

(1) कपड़े व चिथड़े-घर की सफाई में कपड़ों तथा चिथड़ों का विशेष महत्त्व है। साधारण सफाई के लिए प्रायः मोटे कपड़े के झाड़न, रसोई में बर्तन पोंछने के लिए, सूती कपड़े के झाड़न, स्नानागार व वाश-बेसिन की सफाई के लिए पुराने व व्यर्थ कपड़ों के बनाए पोंछे प्रयोग में लाए जाते हैं। गीली अथवा नम सफाई के लिए स्पंज और सूती पोंछे का प्रयोग किया जाता है। चाँदी व शीशे की वस्तुएँ तथा फर्नीचर आदि को चमकाने के लिए फलालेन के झाड़न व नरम चमड़े के टुकड़े काम में लाए जाते हैं।

(2) झाड़ एवं ब्रश--विभिन्न प्रकार की झाड़ एवं ब्रश घर को स्वच्छ रखने में विशेष महत्त्व रखते हैं। इनके उदाहरण निम्नलिखित हैं
(क) झाड़-घर की सफाई के लिए सर्वाधिक उपयोग झाड़ का होता हैं। ये कई प्रकार की होती हैं-

  1. फर्श व आँगन धोकर साफ करने के लिए सख्त सींकों की झाड़,
  2. साधारण सफाई के लिए नरम झाडू; जैसे—खजूर या झाऊ की झाडू,
  3.  छत एवं दीवार की धूल झाड़ने के लिए लम्बे बाँस वाली नरम झाड़।

(ख) ब्रश-सफाई में प्रयुक्त होने वाले ब्रश प्रायः निम्न प्रकार के होते हैं-

  1.  दरी व कालीन की धूल साफ करने के लिए सख्त तिनकों का ब्रश,
  2.  फर्श साफ करने का नरम ब्रश,
  3.  स्नानगृह व रसोईघर के फर्श को रगड़कर साफ करने के लिए सख्त तिनकों अथवा तार का ब्रश,
  4.  छत एवं दीवार के जाले छुड़ाने के लिए लम्बे बाँस वाला ब्रश,
  5. बर्तन साफ करने के लिए नाइलॉन व तार के जूने,
  6.  बोतलों एवं शीशियों को साफ करने का नाइलॉन का ब्रश,
  7.  जूते पॉलिश करने का ब्रश,
  8.  पुताई करने के लिए मुंज की कैंची,
  9. पेन्ट करने के लिए विभिन्न आकार एवं प्रकार के ब्रश।

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(3) सफाई के आधुनिक यन्त्र--घर की विभिन्न प्रकार की सफाई के लिए अब कुछ अति आधुनिक उपकरण तैयार कर लिए गए हैं। ये उपकरण विद्युत शक्ति द्वारा चलते हैं तथा इनके प्रयोग से समय एवं श्रम की भी काफी बचत होती है। इस प्रकार के कुछ मुख्य उपकरणों का सामान्य परिचय निम्नवर्णित है

(i) वैक्यूम क्लीनर-यह एक आधुनिक यन्त्र है। इसमें वायु का दबाव बनने के कारण यह धूल एवं गर्द को अन्दर की ओर खींचता है, जो कि एक डिब्बे या थैले में एकत्रित हो जाती है। डिब्बे को बाहर झाड़ दिया जाता है।
(ii) कारपेट स्वीपर—यह भी वैक्यूम क्लीनर के समान कार्य करता है। इसमें एक सख्त (UPBoardSolutions.com) ब्रश द्वारा कारपेट व सोफा इत्यादि की धूल एवं गर्द साफ की जाती है, जो कि कारपेट स्वीपर के ‘डस्ट पैन’ में एकत्रित हो जाती है तथा ‘डस्ट पैन’ को बाहर झाड़ दिया जाता है।
(iii) बर्तन साफ करने की मशीन–इस मशीन के एक भाग में, जो ढोल के आकार का होता है, जूठे बर्तन रखकर सोडा अथवा विम डाल दिया जाता है। तत्पश्चात् मशीन को चालू कर दिया जाता है और बर्तन स्वतः ही साफ हो जाते हैं।

(4) कूड़े-कचरे के बर्तन–इनमें मुख्य हैं–कूड़ेदान अथवा डस्टबिन, बाल्टी, मग और तसला इत्यादि। इन्हें कूड़ा-कचरा एकत्रित कर उसे बाहर नियत स्थान पर फेंकने के काम में लाते हैं।

(5) सफाई की सामग्रियाँ-घरेलू सफाई के लिए जहाँ एक ओर कुछ उपकरण या साधन आवश्यक होते हैं, वहीं इस कार्य के लिए कुछ सामग्री भी आवश्यक होती है। घरेलू सफाई के लिए आवश्यक मुख्य सामग्रियों का सामान्य विवरण निम्नलिखित है”

  1. बर्तनों को साफ करने के लिए राख, विम, निरमा आदि पाउडर, खटाई, नमक, चूना और स्प्रिट इत्यादि उपयोग में लाए जाते हैं।
  2. धातु एवं शीशे के बर्तन एवं अन्य वस्तुओं को साफ करने व चमकाने के लिए अनेक प्रकार के क्रीम व पाउडर बाजार से खरीदे जा सकते हैं।
  3.  फर्नीचर पर पॉलिश करने के लिए प्रायः वार्निश प्रयोग में लाई जाती है।
  4.  दाग छुड़ाने के लिए बेन्जीन, तारपीन का तेल, ब्लीचिंग पाउडर, सिरका, नींबू व क्लोरीन इत्यादि काम में लाई जाती हैं।
  5.  लोहे के बने दरवाजों, खिड़कियों, रेलिंग व अलमारियों आदि पर मोरचा लगने से बचाने के लिए उन पर विभिन्न पेन्ट किए जाते हैं।
  6.  कीटनाशकों; जैसे-फिनिट, डी० डी० टी०, गैमेक्सीन, फिनाइल, चूना इत्यादि के प्रयोग द्वारा मक्खी, मच्छर आदि हानिकारक कीड़ों की सफाई की जाती है।

प्रश्न 4.
घर में प्रयुक्त होने वाली विभिन्न प्रकार की वस्तुओं एवं बर्तनों की सफाई आप किस
प्रकार करेंगी? समझाइए। घर में प्रयुक्त विविध धातुओं से बनी वस्तुओं की सफाई का वर्णन कीजिए। निम्नलिखित वस्तुओं एवं बर्तनों की सफाई आप कैसे करेंगी-
(क) चीनी-मिट्टी व इनैसल की वस्तुएँ,
(ख) प्लास्टिक की वस्तुएँ तथा
(ग) पत्थर की वस्तुएँ। 2010, 15, 17 या स्टील एवं पीतल के बर्तनों (वस्तुओं) की सफाई की विधि लिखिए। 2017
उत्तर:
घर में प्रयुक्त होने वाली वस्तुओं की सफाई घर में प्रयुक्त होने वाली विभिन्न वस्तुएँ एवं बर्तन प्राय तक डी, ध, शे त क , चीनी मिट्टी की बनी होती हैं। इनकी सफाई एवं सुरक्षा निम्न प्रकार से की जाती है –
(1) लकड़ी की वस्तुएँ-इनैमल की हुई लकी गर्रा फ़री व एडे ते ‘T : ‘नाती है। (UPBoardSolutions.com) इसे गुनगुने पानी में साबुन का घोल बनाकर धोते हैं। अब साफ पानी में थोड़ा सिर मिलाकर दोबारा धोते हैं तथा मुलायम कपड़े से सफाई करते हैं। इस प्रकार की सफाई के तुरन्त बाद इन्हें मुलायम सूखे कपड़े से पोंछकर सुखा देना चाहिए।

पॉलिश की हुई लकड़ी को गुनगुने पानी में एक चम्मच सिरका मिलाकर कपडा भिगोकर धोते हैं। सूख जाने पर पॉलिश लगाकर चमकाते हैं। वार्निश की हुई लकड़ी को साफ करने के लिए आधा लीटर पानी में आधा चम्मच पैराफीन डालकर इसे धोया जाता है। सूखने पर इसमें प्राकृतिक चमक आ जाती है। आवश्यकता पड़ने पर दोबारा वार्निश भी की जाती है।

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(2) शीशे की वस्तुएँ-खिड़कियों व दरवाजों के शीशों को साबुन के घोल में कपड़ा भिगोकर साफ करना चाहिए। शीशों में चमक लाने के लिए महीन कागज में मेथिलेटिड स्प्रिट लगाकर रगड़ा जाता है। साफ पानी में सिरका मिलाकर धोने से भी शीशे चमक जाते हैं। दर्पण एवं तस्वीरों के शीशे भी उपर्युक्त विधियों से चमकाए जाते हैं, परन्तु इनकी सफाई करते समय पानी अन्दर नहीं जाना चाहिए, वरना तस्वीरों व दर्पण की पॉलिश खराब हो जाती है। बोतलों व शीशियों की सफाई साबुन मिले गर्म पानी से ब्रश द्वारा की जाती है।

काँच के बर्तनों को साफ करने के लिए उन्हें गुनगुने पानी में अमोनिया की कुछ बूंदे डालकर भिगो देना चाहिए और कुछ समय पश्चात् इन्हें कपड़े से पोंछकर सुखा देना चाहिए। कॉफी या चाय के धब्बे छुड़ाने के लिए इन पर सिरका लगाकर नमक लगें गीले कपड़े से रगड़ने पर ये साफ हो जाते हैं। बिजली के बल्ब व ट्यूब को गीले व मुलायम कपड़े से साफ करना चाहिए। थर्मस की बोतल को सोडे के घोल में थोड़ी अमोनिया की बूंदें मिलाकर साफ करना चाहिए।

(3) चीनी-मिट्टी व इनैमल की वस्तुएँ-इस प्रकार की वस्तुओं एवं बर्तनों की सफाई पानी और साबुन से करनी चाहिए। यदि बर्तन पीले हो गए हों तो उन्हें पानी में सिरका मिलाकर साफ किया जा सकता है। चाय, कॉफी या हल्दी के धब्बों की सफाई के लिए विम आदि किसी अच्छे पाउडर को प्रयोग करना चाहिए।

(4) प्लास्टिक की वस्तुएँ–तेज गर्म पानी से इनकी चमक नष्ट हो जाती है तथा रगड़ने एवं खरोंचने वाली वस्तुओं के प्रयोग से प्लास्टिक की चीजें खराब हो जाती हैं। इन्हें गीले कपड़े में साबुन लगाकर पोंछना चाहिए तथा फिर साफ, ठण्डे अथवा गुनगुने पानी में धोकर सूखे कपड़े से पोंछ देना चाहिए।

(5) पत्थर की वस्तुएँ-सफेद अथवा रंगीन पत्थर की वाश-बेसिन, सिल तथा मेजों को गीले कपड़े से साबुन लगाकर पोंछना चाहिए तथा फिर साफ पानी से धोकर सूखे कपड़े से पोंछ देना चाहिए। संगमरमर को चमकाने वाली क्रीम लगाकर 20-22 घण्टों तक छोड़ देना चाहिए। इसके बाद साफ कपड़े द्वारा पोंछने पर संगमरमर में चमक आ जाती है। सीमेण्ट, पत्थर व टाइल्स के फर्श को सप्ताह में एक बार पानी व साबुन से अवश्य धोना चाहिए।

(6) धातु की वस्तुएँ–विभिन्न धातु निर्मित वस्तुएँ एवं बर्तन अग्रलिखित विधियों द्वारा साफ किए जाते हैं-

(क) चाँदी की वस्तुएँ साफ करने के लिए एक भगोने में एक लीटर साफ पानी लेकर इसमें एक छोटी चम्मच नमक व सोडा डालकर उबालिए। अब चाँदी की वस्तुएँ इसमें डाल दीजिए। चार-पाँच मिनट तक पानी उबलने दीजिए। अब वस्तुओं को निकालकर साबुन व साफ पानी से धोइए। अब नरम साफ कपड़े से इन्हें पोंछकर इन पर पॉलिश कर दीजिए। नक्काशी के काम की सफाई नरम ब्रश से करनी चाहिए।

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(ख) पीतल की वस्तुएँ शीघ्र ही काली पड़ जाती हैं। इनको खटाई और नींबू से साफ करना चाहिए। इमली व अमचूर के प्रयोग से पीतल बहुत चमकता है। बाजार में मिलने वाली ब्रासो नामक पॉलिश पीतल की वस्तुओं को बहुत चमकाती है। पीतल की वस्तुओं को अधिक दिन तक साफ रखने के लिए उन्हें नमी से बचाना आवश्यक होता है।

(ग) ताँबे की वस्तुएँ चूने की सफेदी का प्रयोग करने से चमक जाती हैं। चूना, सोडा व सिरका मिलाकर प्रयोग करने से बहुत गन्दी ताँबे की वस्तुएँ भी चमक जाती हैं।
(घ) ऐलुमिनियम की वस्तुएँ–प्राय: साबुन के घोल से ही साफ हो जाती हैं। अधिक गन्दी होने पर इन्हें उबलते पानी में थोड़ा-सा सिरका अथवा नींबू का रस मिलाकर साफ करना चाहिए।
(ङ) कलई की वस्तुओं पर रगड़ने व खरोंचने वाले पदार्थों का प्रयोग नहीं करना चाहिए। नरम कपड़े से साबुन व तलछट की सफेदी लगाकर धोने व पोंछने से ये साफ हो जाती हैं।
(च) स्टेनलेस स्टील की वस्तुओं को विम अथवा निरमा से धोकर साफ कपड़े से पोंछना चाहिए। सिरके का प्रयोग करने से इनमें चमक आ जाती है।
(छ) टिन की वस्तुओं को साबुन व पानी से धोकर साफ करना चाहिए।
(ज) लोहे की वस्तुओं पर नमी के कारण जंग लग जाती है।

जंग अथवा मोरचा लगने से बचाने के लिए इन वस्तुओं को तिल का तेल अथवा मिट्टी का तेल लगाकर रखना चाहिए। जंग को प्रायः चिकनाई के प्रयोग से साफ किया जाता है। लोहे के दरवाजों, खिड़कियों व रेलिंग इत्यादि पर वर्ष में एक बार पेन्ट करना चाहिए। पेन्ट करने से ये जंग लगने से सुरक्षित रहते हैं।

प्रश्न 5.
घर की पूर्ण सफाई के उद्देश्य से घर के कूड़े-करकट, गन्दे पानी तथा मल-मूत्र के विसर्जन की विभिन्न विधियों का वर्णन कीजिए। या घर के कूड़े-करकट को हटाने और नष्ट करने के उपायों पर प्रकाश डालिए।[2011] या कूड़े-करकट को ठिकाने लगाने की मुख्य विधियों का उल्लेख कीजिए। [2011, 12, 13, 14, 16]
उत्तर:
गन्दगी के सामान्य कारण एवं उनका निवारण

घर एवं घर के आस-पास की स्वच्छता को विपरीत रूप से प्रभावित करने वाले कारक प्रायः कूड़ा-करकट, गन्दा पानी व मल-मूत्र इत्यादि होते हैं। स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से इनके निष्कासन की उचित व्यवस्था करना आवश्यक है।
(1) कूड़े-करकट का निकास-फलों व सब्जी के छिलके, कोयले की राख, भूसी-चोकर, खाद्य पदार्थों की पैकिंग के कागज, दवाइयों के रैपर एवं पॉलीथीन के खाली व गन्दे रैपर तथा थैले इत्यादि प्रायः प्रत्येक घर के दैनिक कूड़ा-करकट (UPBoardSolutions.com) होते हैं। इसके अतिरिक्त घरेलू पेड़-पौधों के गिरे हुए कच्चे फल, पत्तियाँ व शाखाएँ भी प्रतिदिन के कूड़े-करकट में वृद्धि करते हैं। कूड़ा-करकट की दैनिक सफाई अति आवश्यक है, क्योंकि यह

  1. मक्खियों, मच्छरों, कॉकरोचों तथा अन्य कीड़े-मकोड़ों को पनपने देता है।
  2. नालियों में एकत्रित होने पर गन्दे पानी के निकास को रोकता है।
  3.  नम होने पर सड़कर दुर्गन्ध उत्पन्न करता है।
  4. अनेक रोगाणुओं की उत्पत्ति एवं वृद्धि का कारण बनकर पारिवारिक सदस्यों के स्वास्थ्य को कुप्रभावित करता है।

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घर के कूड़े-करकट को नष्ट करने या हटाने के लिए अग्रलिखित उपाय किए जा सकते हैं
(अ) कूड़े को जलाना-कूड़े को नष्ट करने का एक सरल उपाय हे-कूड़े को जलाना। परन्तु वर्तमान समय में घरेलू कूड़े में प्लास्टिक, रबड़ तथा पी०वी०सी० की अनेक वस्तुएँ होती हैं। इन वस्तुओं को जलाने से बहुत अधिक प्रदूषण होता है। अतः इस प्रकार के कूड़े को जलाना उचित नहीं माना जाता।

(ब) कूड़े से गड्ढों को पाटना-इस उपाय के अन्तर्गत नीची जमीन या दलदल को समाप्त करने के लिए वहाँ कूड़ा डाला जाता है। इस विधि के अन्तर्गत काफी समय तक कूड़ा खुला पड़ा रहता है, जिसमें मक्खी, मच्छर, विभिन्न रोगाणु तथा दुर्गन्ध व्याप्त होने लगती है। इन कारणों से कूड़े को हटाने के इस उपाय को भी उपयुक्त नहीं माना जाता।

(स) छंटाई द्वारा कूड़े को उपयोग में लाना–कूड़े को हटाने के इस उपाय के अन्तर्गत कूड़े की छंटाई की जाती है। कार्बनिक कूड़े से खाद बना ली जाती है, कठोर कूड़े से ईंट बनाने का कार्य किया जाता है तथा प्लास्टिक आदि से पुनः विभिन्न वस्तुएँ बना ली जाती हैं। कूड़े-करकट को हटाने का यह उपाय ही सर्वोत्तम है।

(2) गन्दे पानी का निकास–घरों में आँगन, स्नानागार, रसोईघर इत्यादि के गन्दे पानी के निकास के लिए इनका ढाल मुख्य नाली की ओर होना चाहिए। सभी नालियाँ पक्की व यथासम्भव सीमेण्ट की बनी होनी चाहिए। इनका सम्बन्ध मुख्य नाली से तथा मुख्य नाली का सम्बन्ध नगरपालिका द्वारा निर्मित नालियों से होना चाहिए। घर की सभी नालियों की सफाई का दायित्व गृहिणी का होता है। अतः इनकी धुलाई प्रतिदिन होनी चाहिए। नालियों में कूड़ा-करकट कभी नहीं डालना चाहिए। इससे गन्दे पानी के निकास में अवरोध उत्पन्न होता है। नालियों में जमा कीचड़ व काई की सफाई सख्त तारों के ब्रश से करनी चाहिए। समय-समय पर नालियों को फिनाइल से अवश्य धोना चाहिए। आधुनिक गृह-निर्माण में नालियाँ फर्श के नीचे बनाई जाती हैं। स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से ये अधिक लाभकारी हैं, | परन्तु इनकी दैनिक सफाई अति आवश्यक है।

(3) मल-मूत्र का निकासमल-मूत्र के निकास की प्रायः दो विधियाँ प्रचलित हैं-

(क) शुष्क विधि-इस विधि में शौचालय में एक खोखला मंच बनाया जाता है। इसके नीचे सरलता से हटाया जा सकने वाला डिब्बा अथवा तसला होता है जिसमें मल एकत्रित होता रहता है। सफाई कर्मचारी अथवा मेहतर प्रतिदिन एकत्रित मल को ले जाकर एक (UPBoardSolutions.com) निश्चित स्थान पर डाल देते हैं। जहाँ से नगरपालिका कर्मचारी इसे ले जाते हैं। एकत्रित मल को नगर से दूर ले जाकर धरती में बनी खन्दकों में डालकर मिट्टी से ढक दिया जाता है। जहाँ यह सड़कर खाद बन जाता है। विदेशों में इसे जलाकर नष्ट कर दिया जाता है।

ध्यान देने योग्य बातें–स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से यह विधि अधिक सन्तोषजनक नहीं है। इसमें शौचालय की दुर्गन्ध से घर का वातावरण अप्रिय रहता है तथा रोगाणुओं के पनपने की पूर्ण सम्भावना रहती है। इसके अतिरिक्त मनुष्य द्वारा मनुष्य के ही मल को ढोना एक अमानवीय कार्य भी है। अत: जहाँ तक सम्भव हो सके मल-विसर्जन की इस विधि को त्याग देना ही उचित है। यदि किसी बाध्यता के कारण इस विधि को अपनाना आवश्यक हो तो निम्नलिखित बातों को अनिवार्य रूप से ध्यान में रखना चाहिए|

  1. शौच-निवृत्ति के पश्चात् मल पर राख, मिट्टी अथवा चूना डाल देना चाहिए।
  2.  मेहतर द्वारा सफाई किए जाने के बाद शौचालय को फिनाइल के घोल से स्वच्छ किया जाना चाहिए।

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(ख) जल-संवहन (फ्लश) विधि—यह मल-मूत्र विसर्जन की सर्वोत्तम विधि है। इस विधि में शौचालय में मल निष्कासन के लिए एक कमोड होता है, जिसका सम्बन्ध नीचे की ओर सीवर-लाइन से तथा ऊपर की ओर पानी की एक जंजीर लगी टंकी से होता है। मल त्याग के बाद जंजीर खींची जाती है जिससे टंकी का पानी तेजी से निकल कर निष्कासित मल को सीवर-लाइन में पहुँचा देता है। जहाँ से यह मुख्य सीवर-लाइन द्वारा नगर से दूर निर्धारित स्थल तक पहुँचा दिया जाता है। हमारे देश में यह विधि सीवर-लाइन न बन पाने के कारण केवल बड़े नगरों तक ही सीमित है।

सीवर-लाइन न होने की दशा में एक दूसरे प्रकार की जल-संवहन विधि अपनाई जाती है। इसमें । प्रत्येक घर में शौचालय के निकट एक बन्द हौज अथवा सेप्टिक टैंक बनवाया जाता है। निष्कासित मल जल संवहन विधि द्वारा भूमिगत पाइप लाइन में से होकर सेप्टिक टैंक (UPBoardSolutions.com) में एकत्रित होता रहता है। गन्दा . पानी सेप्टिक टैंक की मिट्टी द्वारा सोख लिया जाता है तथा एकत्रित मल सुड़कर नष्ट होता रहता है। कुछ वर्षों उपरान्त एक बार सेप्टिक टैंक को खुलवाकर इसकी सफाई कराई जाती है।।
नत संवहन विधि : दो प्रकार के कमोड प्रयोग में लाए जाते है। भारतीय विधि के कोड में पैरों के बल बैठकर मल त्याग किया जाता है, जबकि यूरोपियन शैली के कमोड में कुर्सी की भाँति बैठकर मल निष्कासन किया जाता है।

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
घर की सफाई में ध्यान रखने योग्य मुख्य बातों का वर्णन कीजिए।
या
घर की सफाई करते समय आप किन-किन बातों को ध्यान में रखेंगी? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
घर की सफाई एक ऐसा कार्य है जो विशेष रूप से महत्त्वपूर्ण है। इस कार्य को करने में पर्याप्त समय एवं श्रम की आवश्यकता होती है। घर की सफाई की उत्तम, सरल एवं कम श्रम-साध्य तथा कम समय-साध्य बनाने के लिए मुख्य रूप से निम्नलिखित बातों को अनिवार्य रूप से ध्यान में रखना चाहिए

(1) सफाई का कार्य क्रम से करना चाहिए—घर की सफाई के सन्दर्भ में यह सुनिश्चित कर लेना चाहिए कि कौन-सी वस्तु की पहले और कौन-सी की बाद में सफाई की जाए। हर प्रकार की झाड़-पोंछ पहले करनी चाहिए, इसके उपरान्त फर्श पर झाड़ लगानी चाहिए। इस प्रकार की सफाई करने के उपरान्त ही गीला पोंछा लगाया जाना चाहिए। घर के विभिन्न भागों की सफाई का क्रम भी सुविधा तथा स्थिति के अनुसार निर्धारित कर लेना चाहिए।

(2) सफाई के लिए उचित साधन ही अपनाए जाने चाहिए-घर में भिन्न-भिन्न प्रकार (UPBoardSolutions.com) की सफाई की जाती है। प्रत्येक प्रकार की सफाई के लिए उचित साधन सामग्री तथा विधि को अपनाया जाना चाहिए। इससे समय एवं श्रम की समुचित बचत होती है।

(3) सफाई के स्तर का ध्यान रखना चाहिए-घर की सफाई का उच्च स्तर बनाए रखा जाना चाहिए, परन्तु इसके लिए आवश्यकता से अधिक समय नष्ट नहीं करना चाहिए।

(4) परिवार के सभी सदस्यों का सहयोग करना चाहिए-घर की सफाई के कार्य का दायित्व केवल गृहिणी का ही नहीं होना चाहिए, बल्कि परिवार के सभी सदस्यों को यथा-सम्भव तथा यथा-शक्ति इस कार्य में प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष रूप से सहयोग प्रदान करना चाहिए।

(5) कम-से-कम गन्दगी फैलने देनी चाहिए-घर की सफाई-व्यवस्था को सुचारु बनाए रखने के लिए इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि घर में कम-से-कम गन्दगी एवं कूड़ा ही फैले। इसके लिए जहाँ-जहाँ आवश्यक हो कूड़ेदान एवं कूड़े की टोकरियाँ रखी जानी चाहिए।

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(6) सफाई-सामग्री एवं साधनों की देखभाल करनी चाहिए-घर की सफाई-व्यवस्था को सुचारु बनाए रखने के लिए सफाई की सामग्री एवं साधनों की भी नियमित रूप से देखभाल की जानी चाहिए। यदि साधन ठीक दशा में हों तो कार्य भी सुचारु रूप से होता है।

प्रश्न 2.
घर की सफाई के आधुनिक उपकरण कौन-कौन से हैं? किसी एक का वर्णन कीजिए। [2010, 11, 12, 13, 14, 17] |
वैक्यूम क्लीनर से आप क्या समझती हैं? इससे क्या लाभ हैं? [2008, 14, 15, 161
या
घर की सफाई में प्रयुक्त होने वाले आधुनिक यन्त्रों के बारे में संक्षेप में लिखिए। [2008]
उत्तर:
घर की सफाई के आधुनिक उपकरण

वर्तमान युग में पारिवारिक परिस्थितियाँ बड़ी तेजी से बदल रही हैं। परिवार की महिलाओं को भी पारिवारिक आय में वृद्धि करने के लिए कुछ-न-कुछ व्यवसाय अथवा नौकरी करनी पड़ती है। इस स्थिति में घरेलू कार्यों को सीमित समय में पूरा करने के लिए कुछ अतिरिक्त उपकरणों की वर आवश्यकता होती है। इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए घर की सफाई के भी कुछ आधुनिक उपकरण बनाए गए हैं।

ये उपकरण समय एवं श्रम की बचत में सहायक होते हैं। घर की सफाई के मुख्य आधुनिक उपकरण हैं-वैक्यूम क्लीनर (Vacuum cleaner) तथा कारपेट स्वीपर (Carpet sweeper) इन उपकरणों का सामान्य परिचय निम्नवर्णित हैवैक्यूम क्लीनर यह घर की सफाई का मुख्य आधुनिक उपकरण है। पाश्चात्य देशों में तो इस उपकरण का बहुत अधिक उपयोग होता है, परन्तु हमारे देश में इसका प्रयोग केवल धनी परिवारों द्वारा ही किया जाता है। इसका मुख्य कारण यह है कि यह एक महँगा उपकरण है।

वैक्यूम क्लीनर एक विद्युत चालित उपकरण है। इस उपकरण में ऐसी व्यवस्था होती है कि यह सम्बन्धित क्षेत्र से धूल-मिट्टी, मकड़ी के जालों तथा छोटे-छोटे तिनकों आदि सभी को खींचकर संलग्न थैले में एकत्रित कर लेता है। इसके अतिरिक्त, द्वितीय व्यवस्था (UPBoardSolutions.com) के अनुसार यह उपकरण तेज वायु फेंककर सम्बन्धित क्षेत्र की धूल को उड़ाकर दूर भी कर सकता है। आप जिस ढंग से भी चाहें, अपने घर के सभी भागों की सफाई इस उपकरण द्वारा कर सकते हैं। जब वैक्यूम क्लीनर का धूल-मिट्टी वाला थैला भर जाता है, तब उसे घर के कूड़ादान में डाल दिया जाता है।

वैक्यूम क्लीनर घर की तथा घर के हर प्रकार के फर्नीचर, उपकरणों (टी० वी०, कम्प्यूटर आदि) तथा अन्य वस्तुओं की सफाई का उत्तम तथा सुविधाजनक उपकरण है। इसके प्रयोग में न तो प्रयोगकर्ता के वस्त्र ही गन्दे होते हैं और न किसी प्रकार की थकान ही होती है। इसके प्रयोग द्वारा सीमित समय में पूरे घर तथा घर की वस्तुओं की सफाई की जा सकती है। घर की सफाई के अतिरिक्त इस उपकरण द्वारा कुछ अन्य कार्य भी किए जा सकते हैं; जैसे कि कीटनाशक दवा का छिड़काव करना तथा स्प्रे पेन्ट करना।

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वैक्यूम क्लीनर का प्रयोग करते समय निम्नलिखित बातों को सदैव ध्यान में रखना चाहिए

  1. बहुत भारी वजन का वैक्यूम क्लीनर नहीं खरीदना चाहिए, क्योंकि इसे उठाना अत्यधिक श्रम-साध्य है। अत: शारीरिक थकान से बचाव के लिए सदैव हल्का वैक्यूम क्लीनर ही लेना चाहिए।
  2. वैक्यूम क्लीनर का प्रयोग करने के पश्चात् धूल के थैले से धूल निकालकर उसे अच्छी तरह से साफ कर देना चाहिए।
  3.  प्रयोग के बाद वैक्यूम क्लीनर के प्लग को तुरन्त निकाल देना चाहिए। कारपेट स्वीपर

घर की सफाई का एक अन्य उपकरण कारपेट स्वीपर है। इस उपकरण को प्रायः दरी एवं कालीन की सफाई के लिए इस्तेमाल किया जाता है। इस उपकरण के नीचे पहिए लगे होते हैं। अत: इसे जहाँ चाहे सुविधापूर्वक ले जाया जा सकता है। इस उपकरण की कार्यविधि वैक्यूम क्लीनर के ही समान होती है। इसमें एक ब्रश की भी व्यवस्था होती है, जिसके द्वारा दरी एवं कालीन की सफाई अच्छे ढंग से की जाती है।

प्रश्न 3.
घर की साप्ताहिक सफाई आवश्यक क्यों होती है? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
समय के अभाव के कारण घर के जो भाग प्रतिदिन साफ नहीं किए जा सकते तथा घर की जो वस्तुएँ प्रतिदिन साफ नहीं हो पातीं, उन्हें सप्ताह में एक बार अवश्य साफ किया जाना चाहिए। इसमें दरवाजों व खिड़कियों के शीशों, फर्नीचर, दरी-कालीन आदि की सफाई, फर्श का धोना तथा दीवारों व छत की सफाई सम्मिलित है। यदि साप्ताहिक सफाई न की जाए, तो दीवारों व छत पर मकड़ी के जाले भर जाएँगे, दरी-कालीन आदि पर दाग-धब्बे पड़ जाएँगे, दरवाजों व खिड़कियों के शीशे अत्यधिक गन्दे हो जाएँगे तथा फर्नीचर व अन्य लकड़ी की वस्तुओं पर दीमक लग जाएगी। इस प्रकार साप्ताहिक सफाई न होने पर घर की सुन्दरता व आकर्षण तो प्रभावित होते ही हैं, साथ-साथ आर्थिक हानि भी होती है।

प्रश्न 4.
पीतल के फूलदान की सफाई आप कैसे करोगी? या पीतल की बनी सज्जा की वस्तुओं को कैसे साफ करोगी? या पीतल के बर्तनों की सफाई आप कैसे करेंगी? [13, 14, 17, 18]
उत्तर:
पीतल के वे बर्तन, जो रसोईघर में काम आते हैं अथवा प्रतिदिन जिनका प्रयोग किया जाता है, को राख या पीली मिट्टी से रगड़कर साफ किया जा सकता है। इस कार्य के लिए नारियल की जटा अथवा मुंज के रेशे लिए जा सकते हैं जिनसे बर्तन को भली-भाँति रगड़ा जा (UPBoardSolutions.com) सकता है। राख या मिट्टी के स्थान पर रेत प्रयोग में लाने से रगड़ ज्यादा हो जाती है। इन बर्तनों पर से दाग-धब्बे आदि छुड़ाने के लिए नींबू के रस में नमक मिलाकर प्रयोग करना चाहिए। इमली की खटाई से भी यही कार्य लिया जा सकता है।

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सजावटी सामान (पीतल का) की सफाई के लिए आवश्यकतानुसार या वस्तु की बनावट के अनुसार (जैसे—उसके साथ अन्य धातु या लकड़ी इत्यादि का भाग जुड़ा हो तो पानी का प्रयोग नहीं करना चाहिए) नींबू या इमली के पानी से साफ करके सुखा लिया जाता है। सूखी हुई पीतले की सतह पर ब्रासो पेस्ट या पीताम्बरी जैसे अन्य इसी प्रकार के पाउडर को कपड़े की सहायता से रगड़ा जाता है। बाद में, साफ कपड़े से रगड़कर चमका दिया जाता है।

प्रश्न 5.
चाँदी व ताँबे के बर्तनों की सफाई किस प्रकार करेंगी? संक्षिप्त वर्णन कीजिए। [2009, 17, 18]
उत्तर:
(1) चाँदी के बर्तनों एवं अन्य सजावटी वस्तुओं की सफाई के पानी में नमक तथा सोडा मिलाकर उसे उबाल लिया जाता है। इस पानी में चाँदी की वस्तुओं को डालकर लगभग 4-5 मिनट तक उबालें। इसके बाद उन्हें पानी से बाहर निकाल लें तथा साबुन व साफ पानी से अच्छी तरह धो लें। इसके बाद सिल्वो नामक क्रीम लगाकर साफ सूखे कपड़े से रगड़करे चमका लें।

(2) ताँबे के बर्तनों को साफ करने के लिए मुख्य रूप से चूने की सफेदी को इस्तेमाल किया जाता है। यदि ताँबे के बर्तन अधिक गन्दे हों तो चूना, सोडा व सिरका मिलाकर रगड़ने से बर्तन साफ हो जाते हैं।

प्रश्न 6.
कालीनों अथवा गलीचों की सफाई किस प्रकार की जाती है?
उत्तर:
सबसे पहले कालीन की धूल सख्त तारों वाले ब्रश से साफ की जाती है। यह कार्य ‘कारपेट स्वीपर’ उपकरण से अधिक प्रभावशाली ढंग से किया जा सकता है। अब सिरका मिले पानी में कपड़ा भिगोकर कालीन को साफ किया जाता है। चिकनाई के धब्बे छुड़ाने के लिए पेट्रोल अथवा खाने के सोडे का प्रयोग कर कालीन को हल्के हाथ से साफ करना चाहिए।

प्रश्न 7.
घर के फर्नीचर की देखभाल और सफाई आप किस प्रकार करेंगी? 2010, 14} या लकड़ी के फर्नीचर की देखभाल आप किस प्रकार करेंगी? । 2007, 16
उतर:
घर का फर्नीचर प्रायः लकड़ी, लोहे अथवा ऐलुमिनियम का बना होता है। इसकी देखभाल व सफाई निम्न प्रकार से की जा सकती है

(1) लोहे का फर्नीचर-इसे नरम कपड़े से झाड़ा जाता है और गीले कपड़े व साबुन से साफ किया जा सकता है। वर्ष में एक बार इस पर पेन्ट अवश्य किया जाना चाहिए।
(2) ऐलुमिनियम का फर्नीचर-इसे गीले कपड़े व साबुन से साफ किया जा सकता है। बहुत (UPBoardSolutions.com) गन्दा होने पर उबलते पानी में थोड़ा सिरका या नींबू का रस मिलाकर इसे साफ करना चाहिए। रगड़ने एवं खरोंचने वाली वस्तुओं का ऐलुमिनियम के फर्नीचर परे प्रयोग नहीं करना चाहिए।
(3) लकड़ी का फर्नीचर-पॉलिश की हुई लकड़ी को आधा लीटर गुनगुने पानी में एक चम्मच सिरका मिलाकर कपड़ा भिगोकर साफ करना चाहिए।

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सूखने पर फर्नीचर क्रीम का प्रयोग कर इसे चमकाया जा सकता है। वार्निश की हुई लकड़ी, एक लीटर पानी में एक बड़ी चम्मच पैराफीन डालकर, इसमें कपड़ा भिगोकर साफ की जा सकती है। सूखने पर आवश्यकता होने पर दोबारा इस पर वार्निश की जा सकती है। इनैमल पेन्ट की हुई लकड़ी प्रायः गीले कपड़े से पोंछने से साफ हो जाती है। चमक लाने के लिए साफ पानी में थोड़ा-सा सिरका मिलाकर धोना चाहिए तथा फिर सूखे कपड़े से पोंछ देना चाहिए।

प्रश्न 8.
अपने घर को मक्खियों से मुक्त रखने के उपाय बताइए।
उत्तर:
घर की सफाई तथा परिवार के सदस्यों के स्वास्थ्य के लिए अति आवश्यक है कि पूरा घर मक्खियों से मुक्त रहे। मक्खियाँ जहाँ एक ओर विभिन्न संक्रामक रोगों के कीटाणुओं की वाहक होती हैं वहीं दूसरी ओर ये घर की सभी वस्तुओं पर बार-बार मल-त्याग कर उन्हें दूषित करती रहती हैं। इससे भी गन्दगी फैलती है। घर को मक्खियों से मुक्त रखने के लिए निम्नलिखित उपाय किए जाने चाहिए

  1. मक्खियाँ गन्दगी पर अधिक पनपती तथा भिनभिनाती हैं। अत: घर में अधिक-से-अधिक सफाई रखनी चाहिए। घर में किसी प्रकार का कूड़ा-करकट नहीं बिखरने देना चाहिए। सफाई से मक्खियाँ दूर भागती हैं।
  2. घर में सूर्य के प्रकाश एवं वायु के आवागमन की समुचित व्यवस्था रखें। कमरों में बिजली के पंखे चलाकर भी मक्खियों को भगाया जा सकता है।
  3.  मक्खियों को घर में आकर्षित करने वाला कोई साधन न रखें। खाने-पीने की वस्तुएँ सदैव ढककर तथा बन्द जाली में ही रखें।
  4. घर को मक्खियों से मुक्त रखने के लिए मक्खियों को मारने की भी समुचित व्यवस्था की (UPBoardSolutions.com) जानी चाहिए। मक्खियों को मारने के लिए विभिन्न उपाय किए जा सकते हैं। इनमें मुख्य उपाय। हैं–मक्खियों के अण्डे देने के स्थानों को नष्ट करना, मक्खीमार कागज (एक कागज पर अरण्डी का तेल तथा रेजिन पाउडर लगाकर) के इस्तेमाल द्वारा, फार्मलिन के घोल द्वारा, जाल द्वारा तथा फिनिट या कोई अन्य कीटनाशक दवा के छिड़काव द्वारा मक्खियों को नष्ट किया जा सकता है।

प्रश्न 9.
टिप्पणी लिखिए-सुलभ शौचालय।
उत्तर:
घरेलू मल-मूत्र विसर्जन की केन्द्र सरकार ने एक योजना प्रारम्भ की है, जिसे ‘सुलभ शौचालय’ कहा जाता है। यह शौचालय सैद्धान्तिक रूप से सेप्टिक टैंक वाले शौचालय के ही समान होता है, परन्तु इस टैंक को नीचे से पक्का नहीं बनाया जाता; अतः न तो इस टैंक की गैस या दुर्गन्ध निकलती है और न गन्दा पानी ही बाहर निकलता है। इस स्थिति में इसे मल-मूत्र विसर्जन की एक उत्तम प्रणाली माना जाता है। इस प्रकार के शौचालय बनाने का कार्य जिस संस्था द्वारा किया जा रहा है, उसे भी सुलभ कहते हैं।

यह संस्था प्राय: सभी नगरों एवं कस्बों की मलिन बस्तियों में स्वच्छ शौचालय बनाने में सहयोग दे रही है। सुलभ शौचालय सस्ता होने के साथ-साथ वातावरण को भी प्रदूषण रहित रखता है। यही कारण है कि इस संस्था को सरकार एवं विश्व बैंक की ओर से पर्याप्त अनुदान भी प्राप्त होता है। वर्तमान समय में भारत सरकार खुले में शौच की परम्परा का पूर्णरूप से उन्मूलन कर रही है। इसके लिए इसी पद्धति के शौचालय बनाने के लिए प्रेरित किया जा रहा है।

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प्रश्न 10.
घर के गन्दे पानी के निस्तारण की विधि लिखिए। [2015]
उत्तर:
घर की उचित सफाई के लिए घर के गन्दे पानी के निस्तारण की समुचित व्यवस्था होनी चाहिए। इसके लिए मुख्य रूप से निम्नलिखित बातों को ध्यान में रखना आवश्यक है।

  1. घर के गन्दे पानी के निस्तारण के लिए घर वालों तथा नगरपालिका आदि स्थानीय निकायों में सहयोग आवश्यक है।
  2.  घर में पक्की नालियों की उचित व्यवस्था होनी चाहिए। वर्तमान समय में ढकी हुई नालियाँ ही उत्तम मानी जाती हैं।
  3. सभी नालियों का ढाल ठीक होना चाहिए तथा उन्हें मुख्य नाली से जोड़कर घर से बाहर पहुँचानी चाहिए।
  4.  यदि पानी की नालियाँ खुली हों तो उनकी सफाई की समुचित व्यवस्था होनी चाहिए।
  5.  घर के पानी की नाली को घर से बाहर की सार्वजनिक नाली से जोड़ देना चाहिए।
  6. यदि क्षेत्र में सार्वजनिक नालियाँ न हों तो पक्का गड्ढा या सोकिंग पिट्स बनवाकर उनमें घर के पानी को डालना चाहिए। ये सोकिंग पिट्स ढके हुए होने चाहिए।

अतिलघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
घर की सफाई से क्या आशय है?
उत्तर:
घर में किसी प्रकार की गन्दगी न होना ही घर की सफाई है।

प्रश्न 2.
घर की सफाई के चार लाभ लिखिए।[2015
उत्तर:
घर की सफाई के लाभ हैं

  1. घर की सुन्दरता में सहायक,
  2. कीटाणु नियन्त्रण में सहायक,
  3. स्वास्थ्य एवं चुस्ती में सहायक तथा
  4. उत्तम गृह-व्यवस्था में सहायक।।

प्रश्न 3.
घर की सफाई क्यों आवश्यक है? घर की सफाई के विभिन्न साधनों का भी उल्लेख कीजिए। 2017
या
घर की सफाई के चार उपकरणों के नाम लिखिए।2008
उत्तर:
घर को गन्दगी रहित बनाने के लिए, आकर्षक एवं स्वास्थ्य में सहायक बनाने के लिए घर की सफाई आवश्यक है। घर की सफाई के मुख्य साधन हैं-झाड़, झाड़न, ब्रश, कपड़े, कीटनाशक दवाएँ तथा वैक्यूम क्लीनर आदि।

प्रश्न 4.
घर की सफाई कितने प्रकार की होती है? [2007, 08, 09, 10, 12, 13, 14, 17, 18]
उत्तर:
घर की सफाई के पाँच मुख्य प्रकार हैं-

  1.  दैनिक,
  2. साप्ताहिक,
  3.  मासिक,
  4.  वार्षिक तथा
  5. आकस्मिक सफाई।।

प्रश्न 5.
दैनिक सफाई से आप क्या समझती हैं?
उत्तर:
घर की प्रतिदिन नियमपूर्वक अनिवार्य रूप से की जाने वाली सफाई को दैनिक सफाई कहा जाता है।

प्रश्न 6.
हमारे देश में वार्षिक सफाई कब की जाती है?
उत्तर:
हमारे देश में दशहरा व दीपावली के बीच के दिनों में प्राय: वार्षिक सफाई की जाती है।

प्रश्न 7.
फर्श की धूल साफ करने वाले आधुनिक यन्त्र को क्या कहते हैं?
उत्तर:
वैक्यूम क्लीनर।

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प्रश्न 8.
वैक्यूम क्लीनर का क्या कार्य है? [2007, 08 ]
उत्तर:
वैक्यूम क्लीनर का कार्य है-धूल आदि को एकत्र करके घरेलू वस्तुओं को साफ करना।

प्रश्न 9.
बिस्तर, कपड़ों व कालीन आदि को धूप में डालने के क्या लाभ हैं? [2014]
उत्तर:
इससे इनके कीटाणु नष्ट हो जाते हैं तथा नमी एवं (UPBoardSolutions.com) साधारण दुर्गन्ध समाप्त हो जाती है।

प्रश्न 10.
शीशे की वस्तुओं की सफाई किस प्रकार की जाती है? ।
उत्तर:
यह चूना, साबुन का घोल तथा समुद्र-फेन इत्यादि से की जाती है।

प्रश्न 11 .
लकड़ी के फर्नीचर की देख-रेख आप किस प्रकार करेंगी? [2011]
उत्तर:
इसकी वर्ष में एक बार मरम्मत होनी चाहिए। आवश्यकतानुसार पेन्ट, पॉलिश एवं वार्निश करने से लकड़ी के फर्नीचर पर चमक आती है तथा इसकी आयु बढ़ती है।

प्रश्न 12.
सर्वोत्तम शौच-गृह कौन-सा होता है ?
उत्तर:
जल-संवहन अथवा फ्लश विधि द्वारा संचालित शौच-गृह सर्वोत्तम होता है।

प्रश्न 13.
मल-मूत्र निकास की जल-संवहन विधि क्या है?
उत्तर:
गन्दगी व मल-मूत्र को जल की सहायता से सीवर-लाइन तक बहा देने को जल-संवहन विधि कहते हैं।

प्रश्न 14 .
चीनी-मिट्टी से निर्मित बर्तन की सफाई किस प्रकार होगी? [2013]
उत्तर:
इस प्रकार की वस्तुओं की सफाई पानी और साबुन से करनी चाहिए। यदि बर्तन पीले हो गए हों तो उन्हें पानी में सिरका मिलाकर साफ किया जा सकता है।

प्रश्न 15.
स्टील के बर्तनों की सफाई आप कैसे करेंगी?[2011, 12, 13, 15]
उत्तर:
स्टील के बर्तनों की सफाई गर्म पानी तथा विम आदि अच्छे पाउडर द्वारा की जाती है। इसके लिए गरम कपड़ा या फोम का टुकड़ा इस्तेमाल किया जाता है।

प्रश्न 16.
प्लास्टिक के फर्नीचर की सफाई किस प्रकार की जाती है?
उत्तर:
तेज गर्म पानी से प्लास्टिक के फर्नीचर की प्राकृतिक चमक नष्ट हो सकती है तथा रगड़ने या खुरचने से इन पर निशान भी पड़ जाते हैं। इन्हें गीले कपड़े में साबुन लगाकर पोंछना चाहिए तथा बाद में साफ ठण्डे पानी में धोकर सूखे कपड़े से पोंछ देना चाहिए।

प्रश्न 17.
कूड़ेदान को ढककर क्यों रखा जाता है? [2008, 10, 13]
उत्तर:
कूड़ेदान को ढककर रखने से उसमें संगृहीत गन्दे तत्त्वों या कूड़े के दुर्गन्ध फैलाने वाले तत्त्वों तथा रोगाणुओं को फैलने से रोका जा सकता है।

प्रश्न 18.
कूड़ेदान का प्रयोग क्यों करते हैं? [2009]
उत्तर:
कूड़ेदान का प्रयोग इसलिए किया जाता है जिससे घर में कूड़ा न फैले, (UPBoardSolutions.com) क्योंकि कूड़ा फैलने से घर में गन्दगी होती है और उस गन्दगी से रोगाणु उत्पन्न होते हैं।

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प्रश्न 19.
कूड़ा-करकट को ठिकाने लगाने की सर्वोत्तम विधि कौन-सी है? [2010]
उत्तर:
छंटाई द्वारा कूड़े-करकट को विभिन्न प्रकार के उपयोग में लाना कूड़े-करकट को ठिकाने लगाने की सर्वोत्तम विधि है।

प्रश्न 20.
ताँबे के बर्तनों की सफाई किस प्रकार करेंगी? [2016]
उत्तर:
तांबे के बर्तनों की सफाई के लिए चुने की सफेदी का प्रयोग करना चाहिए। चूना, सोडा व सिरका मिलाकर प्रयोग करने से अत्यधिक गन्दी वस्तुएँ भी चमक जाती हैं। ।

बहुविकल्पीय प्रश्न

प्रश्न-निम्नलिखित बहुविकल्पीय प्रश्नों के सही विकल्पों का चुनाव कीजिए

प्रश्न 1.
घर की सफाई से आशय है
(क) घर में गन्दगी का न होना
(ख) घर में सामान को बाहर दिखाई न देना
(ग) घर का सुसज्जित होना
(घ) नित्य झाडू एवं पोंछा लगाना

प्रश्न 2.
घर की सफाई के लिए आवश्यक है
(क) कूड़ा-करकट फैलने देना
(ख) नियमित सफाई करना
(ग) कुछ न करना।
(घ) ये सभी

प्रश्न 3.
आँगन की नाली को प्रतिदिन धोना चाहिए
(क) डी० डी० टी० पाउडर से
(ख) चूने से
(ग) फिनाइल से
(घ) गर्म पानी से

प्रश्न 4.
गन्दगी में सबसे अधिक पनपते हैं-
(क) मच्छर
(ख) मक्खियाँ
(ग) कॉकरोच
(घ) रोगाणु

प्रश्न 5.
धूल भरी आँधी आ जाने के उपरान्त की जाने वाली सफाई को कहते हैं
(क) दैनिक सफाई
(ख) वार्षिक सफाई
(ग) आकस्मिक सफाई
(घ) अनावश्यक सफाई

प्रश्न 6.
चाँदी की वस्तुएँ साफ की जाती हैं
(क) सर्फ से
(ख) सिल्वो से
(ग) ब्रासो से
(घ) राख से

प्रश्न 7.
पीतल के फूलदान की सफाई किसके द्वारा की जाती है?
(क) चूना
(ख) ब्रासो
(ग) रेत
(घ) साबुन

प्रश्न 8.
स्टेनलेस स्टील के बर्तनों को किस चीज से साफ करना चाहिए? 2018
(क) सिरका
(ख) विम
(ग) सोडा
(घ) राख

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प्रश्न 9.
दर्पण को साफ किया जा सकता है
(क) समुद्र-फेन से ।
(ख) ब्रश से
(ग) ब्रासो से
(घ) रेत से

प्रश्न 10.
प्लास्टिक की वस्तुओं को साफ किया जाता है
(क) सिरके से
(ख) साबुन के घोल से
(ग) खौलते पानी से
(घ) रेत से ।

प्रश्न 11.
घर का कूड़ा-करकट डालना चाहिए [2012, 15, 17]
(क) घर के किसी भी कोने में
(ख) कूड़ेदान में (ग) गली में
(घ) पड़ोसियों के घर के सामने

प्रश्न 12.
घर से मक्खियों को भगाने के लिए प्रयोग किया जाता है
(क) डी० डी० टी०
(ख) गन्धक
(ग) फिनिट
(घ) ऐल्ड्रीन

प्रश्न 13.
कूड़ा-करकट नष्ट करने के उपाय हैं। [2014)
(क) जलाकर
(ख) खाद बनाकर
(ग) छाँटकर उसका प्रयोग
(घ) ये सभी

प्रश्न 14.
सफाई का आधुनिक उपकरण क्या है? [2013]
(क) वैक्यूम क्लीनर
(ख) गीजर
(ग) अवन
(घ) ये सभी

प्रश्न 15.
वैक्यूम क्लीनर का प्रयोग किया जाता है। (2014, 16, 18)
(क) बर्तन की सफाई के लिए
(ख) फर्नीचर की पॉलिश करने के लिए
(ग) धातुओं को चमकाने के लिए।
(घ) घर की सफाई के लिए

उत्तर:

  1. (क) घर में गन्दगी का न होना,
  2. (ख) नियमित सफाई करना,
  3. (ग) फिनाइल से,
  4. (घ) रोगाणु,
  5. आकस्मिक सफाई,
  6. (ख) सिल्वो से,
  7. (ख) बासो,
  8. (ख) विम,
  9. (क) समुद्र-फेन से,
  10. (ख) साबुन के घोल से,
  11. (ख) कूड़ेदान में,
  12. (ग) फिनिट,
  13.  (घ) ये सभी,
  14. (क) वैक्यूम क्लीनर,
  15. (घ) घर की सफाई के लिए।

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UP Board Solutions for Class 10 Home Science Chapter 2 आय, व्यय और बचत

UP Board Solutions for Class 10 Home Science Chapter 2 आय, व्यय और बचत

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विस्तृत उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
पारिवारिक आय से आप क्या समझती हैं? पारिवारिक आय के मुख्य स्रोतों को भी स्पष्ट कीजिए। या । पारिवारिक आय को अर्थ स्पष्ट कीजिए तथा पारिवारिक आय के प्रकारों एवं मुख्य स्रोतों
का उल्लेख कीजिए। प्रत्यक्ष आय तथा अप्रत्यक्ष आय से क्या तात्पर्य है? [2011, 12, 13]
उत्तर:
पारिवारिक आय का अर्थ एवं परिभाषा

परिवार हमारी विविध आवश्यकताओं की पूर्ति का केन्द्र होता है।
प्रत्येक आवश्यकता की पूर्ति के लिए धन की आवश्यकता होती है तथा धन के लिए आय का होना अनिवार्य है।
आय एक निश्चित अवधि में अर्जित की गई वह राशि है (UPBoardSolutions.com) जो आर्थिक प्रयासों के फलस्वरूप प्राप्त होती है तथा जिसमें कुछ अन्य सुविधाएँ भी सम्मिलित होती हैं। इस प्रकार की मुख्य सुविधाएँ हैं-बिना किराए की आवास-सुविधा, नि:शुल्क शिक्षा, वाहन एवं ड्राइवर (UPBoardSolutions.com) की सुविधा तथा नि:शुल्क चिकित्सा सुविधा। । पारिवारिक आय को प्रो० ग्रास और क्रैन्डल ने इन शब्दों में परिभाषित किया है, “पारिवारिक आय मुद्रा, वस्तुओं, सेवाओं तथा सन्तोष का वह प्रवाह है जो परिवार के अधिकार में उसकी आबश्यकताओं और इच्छाओं को पूर्ण करने एवं उत्तरदायित्वों के निर्वाह हेतु आता है।”

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प्रस्तुत परिभाषा को ध्यान में रखते हुए पारिवारिक आय का विस्तृत स्पष्टीकरण प्राप्त किया जा सकता है। परिवार की आय में मुख्य रूप से परिवार के प्रधान सदस्य द्वारा अर्जित किया जाने वाला धन सम्मिलित होता है, परन्तु उसके अतिरिक्त यदि घर के अन्य व्यक्ति भी किन्हीं साधनों से धन अर्जित करते हैं तो उसे भी पारिवारिक आय में सम्मिलित कर लिया जाता है। इसके अतिरिक्त परिवार की अपनी चल या अचल सम्पत्ति के माध्यम से भी यदि कुछ धन (मकान या दुकान का किराया, जमा धन पर ब्याज आदि) प्राप्त होता है तो उसे भी परिवार की आय में ही जोड़ा जाता है। यहाँ यह स्पष्ट कर देना आवश्यक है कि आय केवल धनराशि के रूप में ही नहीं होती, अपितु परिवार को प्राप्त होने वाली विशेष सुविधाएँ भी पारिवारिक आय के अन्तर्गत ही आ जाती हैं। उदाहरण के लिए परिवार को प्राप्त निःशुल्क आवास, नि:शुल्क शिक्षा तथा नि:शुल्क चिकित्सा आदि सुविधाएँ भी आय का ही रूप मानी जाती हैं।

पारिवारिक आय के प्रकार

पारिवारिक आय के दो प्रकार माने जाते हैं, जिनका संक्षिप्त परिचय निम्नवर्णित है

(1) प्रत्यक्ष आय-पारिवारिक आय का मुख्य रूप या प्रकार प्रत्यक्ष आय (Direct income) है। प्रत्यक्ष आय उस आय को कहा जाता है, जो परिवार के मुखिया तथा अन्य सदस्यों को उनके अपने-अपने व्यवसायों के माध्यम से प्राप्त होती है। उदाहरण के लिए–वेतन या व्यापार से प्राप्त होने वाली आय। इसके अतिरिक्त धन के विनियोग अर्थात् ब्याज तथा आवास या दुकान आदि का मिलने वाला किराया भी इसी प्रकार की आय में ही सम्मिलित होता है।

(2) अप्रत्यक्ष आय-पारिवारिक आय का दूसरा प्रकार या रूप है ‘अप्रत्यक्ष आय (Indirect income)। अप्रत्यक्ष पारिवारिक आय से आशय उन सुविधाओं से है जो वेतन आदि के अतिरिक्त उपलब्ध होती हैं। अप्रत्यक्ष आय धन के रूप में नहीं होती। उदाहरण के लिए कम्पनी की ओर से बिना किराये का मकान या फर्नीचर मिलना, ड्राइवर या नौकर मिलना, आने-जाने के लिए वाहन की आय, व्यय और बचत 21 सुविधा, बच्चों की नि:शुल्क शिक्षा आदि अप्रत्यक्ष आय की श्रेणी में आते हैं। कुछ परिस्थितियों में अप्रत्यक्ष आय को अधिक महत्त्वपूर्ण माना जाता है, क्योंकि इस आय पर किसी प्रकार का आयकर नहीं देना पड़ता।

पारिवारिक आय के मुख्य स्रोत

भिन्न-भिन्न परिवारों की आय के स्रोत भी भिन्न-भिन्न होते हैं। भारतीय समाज में पारिवारिक आये के कुछ मुख्य स्रोत निम्नलिखित हो सकते हैं

(1) परिवार के मुखिया तथा अन्य सदस्यों को प्राप्त होने वाला वेतन। यह वेतन किसी सरकारी अथवा गैर-सरकारी कार्यालय या संस्थान में कार्य करने के बदले में प्राप्त होता है। हमारे देश में सामान्य रूप से मासिक वेतन का प्रचलन है।

(2) पारिवारिक आय का एक स्रोत दैनिक मजदूरी भी है। कार्य या श्रम करने के बदले में प्रतिदिन मिलने वाले धन या आय को दैनिक मजदूरी कहा जाता है। इस व्यवस्था के अन्तर्गत यदि कोई श्रमिक किसी दिन कार्य नहीं करता तो उस दिन उसको कोई (UPBoardSolutions.com) मजदूरी या (UPBoardSolutions.com) आय प्राप्त नहीं होती है। दैनिक मजदूरी पर निर्भर रहने वाले परिवारों को निरन्तर रूप से कठोर संघर्ष करना पड़ता है।

(3) परिवार के कुछ सदस्यों (सरकारी कार्यालय से अवकाश प्राप्त) को मासिक पेन्शन भी प्राप्त होती है। इस प्रकार से प्राप्त होने वाली पेन्शन को भी पारिवारिक आय का एक स्रोत माना जाता है।

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(4) व्यापार तथा व्यवसाय भी पारिवारिक आय के स्रोत होते हैं। कुछ परिवारों के सदस्य भिन्न-भिन्न प्रकार के व्यापार किया करते हैं तथा व्यापार से प्राप्त होने वाला लाभ ही उनकी आय को स्रोत होता है। इससे भिन्न डॉक्टर, वकील, लेखक तथा नक्शानवीस आदि व्यवसायी होते हैं। इन्हें अपने व्यवसाय से आय प्राप्त होती है।

(5) कुछ परिवारों के लिए घरेलू उद्योग-धन्धे भी पारिवारिक आय के स्रोत होते हैं। भिन्न-भिन्न क्षेत्रों में भिन्न-भिन्न प्रकार के घरेलू उद्योग-धन्धे अपनाए जाते हैं। कुछ घरेलू उद्योग धन्धों की परिचालन गृहिणियों द्वारा भी किया जाता है।

(6) पारिवारिक आय का एक मुख्य तथा पर्याप्त व्यापक स्रोत है कृषि कार्य। कुछ परिवार अपनी भूमि पर कृषि कार्य करके आय (धन) प्राप्त करते हैं, जब कि कुछ व्यक्ति अन्य भूपतियों की भूमि पर कृषि कार्य अर्थात् कृषि श्रमिक के रूप में कार्य करके आय अर्जित करते हैं।

(7) प्रायः सभी देशों में पशुपालन को भी पारिवारिक आय के एक स्रोत के रूप में अपनाया जाता है। पशुओं से दूध, मांस, ऊन आदि प्राप्त होते हैं तथा उन्हें बेचकर आय की प्राप्ति होती है। कुछ पशुओं के बच्चे भी बेचे जाते हैं तथा आय प्राप्त की जाती है, जैसे कि ऊँची नस्ल के कुत्तों के बच्चे बेचना। मछली पालन तथा मधुमक्खी पालन भी आय के अच्छे स्रोत है।

(8) आय का एक उल्लेखनीय स्रोत ब्याज भी है। जमा धन पर किसी सरकारी अथवा गैर-सरकारी संस्था से प्राप्त होने वाला ब्याज भी पारिवारिक आय का एक स्रोत है।

(9) पारिवारिक आय का एक महत्त्वपूर्ण स्रोत उपहार भी है। विभिन्न अवसरों (UPBoardSolutions.com) पर परिवार के सदस्यों को रिश्तेदारों या मित्रों आदि से प्राप्त होने वाले उपहार भी पारिवारिक आय का एक रूप ही माने जाते हैं।

(10) पारिवारिक आय के उपर्युक्त वर्णित मुख्य स्रोतों के अतिरिक्त कुछ अन्य स्रोत भी उपलब्ध हैं। वर्तमान समय में धार्मिक एवं आध्यात्मिक प्रवचन, गायन, नृत्य आदि के प्रदर्शन से भी काफी आय अर्जित की जाती है। कुछ व्यक्ति टी० वी० आदि पर होने वाली प्रतियोगिताओं से भी आय प्राप्त करते हैं। यही नहीं लाटरी के पुरस्कार आदि भी आय के स्रोत हैं। कुछ व्यक्ति तो भिक्षावृत्ति को ही पारिवारिक आय का प्रमुख स्रोत बना लेते हैं।

प्रश्न 2
पारिवारिक व्यय से आप क्या समझती हैं? पारिवारिक व्यय को प्रभावित करने वाले मुख्य | कारकों का वर्णन कीजिए। [2010]
उत्तर:

पारिवारिक व्यय का अर्थ

पारिवारिक आय का उद्देश्य पारिवारिक व्यय को सम्भव बनाना होता है। व्यक्ति एवं परिवार की विभिन्न आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए जो धन व्यय करना पड़ता है, उसी को पारिवारिक व्यय कहा जाता है। इस प्रकार, ‘एक निश्चित अवधि में अर्जित आय के उस भाग या अंश को पारिवारिक व्यय कहा जाता है जो परिवार की विभिन्न आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए व्यय किया जाता है।” पारिवारिक आवश्यकताओं को मुख्य रूप से तीन वर्गों में विभक्त किया जाता है-अनिवार्य आवश्यकताएँ, आरामदायक आवश्यकताएँ तथा विलासात्मक आवश्यकताएँ। इन तीनों प्रकार की आवश्यकताओं की पूर्ति उनकी (UPBoardSolutions.com) प्राथमिकता के क्रम से ही की जाती है। पारिवारिक व्यय का नियोजन सदैव पारिवारिक आय को ध्यान में रखकर ही किया जाना चाहिए। एक दृष्टिकोण से पारिवारिक व्यय के चार प्रकार माने गए हैं–निश्चित व्यय, अर्द्ध-निश्चित व्यय, अन्य व्यय तथा आकस्मिक व्यय

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पारिवारिक व्यय को प्रभावित करने वाले कारक 

जिस प्रकार प्रत्येक परिवार की आय भिन्न-भिन्न होती है, ठीक उसी प्रकार से प्रत्येक परिवार द्वारा किया जाने वाला व्यय भी भिन्न-भिन्न होता है। वास्तव में पारिवारिक व्यय को विभिन्न कारक निरन्तर रूप से प्रभावित करते हैं। पारिवारिक व्यय को प्रभावित करने वाले मुख्य कारक निम्नवर्णित हैं

(1) परिवार की कुल आय-पारिवारिक व्यय को प्रभावित करने वाला मुख्यतम कारक है-
परिवार की कुल आय। यदि सम्बन्धित परिवार की आय अधिक होगी तो निश्चित रूप से पारिवारिक व्यय भी अधिक होता है। इसके विपरीत, यदि परिवार की आय कम हो या घट जाए तो निश्चित रूप से परिवार द्वारा किया जाने वाला व्यय भी कम हो जाता है।

(2) परिवार के रहन-सहन का स्तर-पारिवारिक व्यय को प्रभावित करने वाला एक मुख्य कारक है-परिवार के रहन-सहन का स्तर। रहन-सहन के स्तर को उन्नत बनाने के लिए निश्चित रूप से अधिक व्यय करना पड़ता है। इसके विपरीत, यदि परिवार के रहन-सहन के स्तर को सामान्य या सामान्य से निम्न रखा जाए तो पारिवारिक व्यय काफी कम हो सकता है।

(3) परिवार का स्वरूप-पारिवारिक व्यय को प्रभावित करने वाला एक कारक परिवार का स्वरूप भी है। सामान्य रूप से माना जाता है कि संयुक्त परिवार में पारिवारिक व्यय की कुछ बचत होती है, जबकि एकाकी परिवार में व्यय की दर अधिक होती है।

(4) परिवार में बच्चों की संख्या–वर्तमान परिस्थितियों में बच्चों की शिक्षा एवं पालन-पोषण पर पर्याप्त व्यय करना पड़ता है। इस स्थिति में कहा जा सकता है कि यदि परिवार में बच्चों की संख्या अधिक हो तो निश्चित रूप से पारिवारिक व्यय अधिक होती है।

(5) रहने का स्थान—रहने के स्थान का भी पारिवारिक व्यय पर अनिवार्य रूप से प्रभाव पड़ता है। सामान्य रूप से ग्रामीण क्षेत्रों की तुलना में नगरीय क्षेत्रों में रहने वाले परिवारों को इस मद में अधिक व्यय करना पड़ता है। नगरीय क्षेत्रों में भी साधारण बस्तियों (UPBoardSolutions.com) की तुलना में उच्च श्रेणी की बस्तियों में रहने वाले परिवारों को कुछ अधिक व्यय करना पड़ता है।

(6) सामाजिक-धार्मिक परम्पराएँ-पारिवारिक व्यय को विभिन्न सामाजिक-धार्मिक परम्पराएँ भी प्रभावित करती हैं। इन परम्पराओं को अधिक महत्त्व प्रदान करने वाले परिवारों को कुछ अधिक व्यय करना पड़ता है। तरह-तरह के धार्मिक अनुष्ठान, दान-दक्षिणा तथा तीर्थयात्रा आदि को प्राथमिकता देने वाले परिवारों को अन्य परिवारों की तुलना में कुछ अधिक व्यय करना पड़ता है।

(7) पारिवारिक व्यवसाय-पारिवारिक व्यय को प्रभावित करने वाला एक उल्लेखनीय कारक पारिवारिक व्यवसाय भी है। कुछ व्यवसाय ऐसे होते हैं जिन्हें सुचारु रूप से चलाने के लिए कुछ अतिरिक्त व्यय करना पड़ता है। उदाहरण के लिए–वकालत, चिकित्सा, नक्शानवीसी तथा पुस्तकलेखन जैसे व्यवसायों को चलाने के लिए कुछ अतिरिक्त व्यय करना पड़ता है।

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(8) गृहिणी की कुशलता एवं दक्षता–गृहिणी की कुशलता तथा दक्षता भी पारिवारिक व्यय को प्रभावित करती है। यदि गृहिणी गृह-प्रबन्ध एवं आर्थिक नियोजन में कुशल हो तो बहुत-से पारिवारिक व्यय बच जाते हैं। इसके विपरीत यदि गृहिणी अकुशल तथा फूहड़ हो तो पारिवारिक व्यय निश्चित रूप से बढ़ जाता है।

प्रश्न 3.
पारिवारिक बचत से आप क्या समझती हैं? परिवार के लिए बचत का क्या महत्त्व है?
किन साधनों द्वारा बचत को सुरक्षित रखा जा सकता है? [07, 08, 11, 12, 17]
परिवार में बचत क्यों आवश्यक है? बचत विनियोजन की विधियाँ भी लिखिए। [2007, 12, 13, 14]
पारिवारिक बचत किसे कहते हैं?[07, 09, 13]
बचत से आप क्या समझती हैं? बचत के लाभ लिखिए। [2015 ]
बचत किसे कहते हैं? बचत का क्या महत्त्व है?2016
गृहिणी अपनी बचत को किस प्रकार सुरक्षित रख सकती है?[2016]
बचत से आप क्या समझती हैं? बचत सुरक्षित रखने के उपाय लिखिए। [2016]
उत्तर:

पारिवारिक बचत का अर्थ

पारिवारिक जीवन को सुचारु रूप से चलाने के लिए परिवार के सदस्यों की अधिक-से-अधिक आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए प्रयास किए जाते हैं। सभी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए कुछ-नकुछ व्यय करना पड़ता है। इस प्रकार के व्यय के लिए (UPBoardSolutions.com) नियमित आय की आवश्यकता होती है। सुदृढ़ गृह-अर्थव्यवस्था तथा भावी जीवन की सुरक्षा के लिए आवश्यक है कि वर्तमान आय की तुलना में वर्तमान व्यय कम हो। इसीलिए प्रत्येक परिवार तथा विवेकशील गृहिणियाँ अपना पारिवारिक बजट इस प्रकार से बनाती हैं कि पारिवारिक आय से पारिवारिक व्यय कम हो।

व्यय कम होने की स्थिति में आय का जो अंश बचता है, उसे ही पारिवारिक बचत कहा जाता है। इस प्रकार पारिवारिक बचत के अर्थ को इन शब्दों में स्पष्ट किया जा सकता है-“पारिवारिक आय में से परिवार की वर्तमान आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए व्यय करने के उपरान्त जो धनराशि शेष रह जाती है, वह पारिवारिक बचत कहलाती है।” यह बचत रूपी धनराशि भविष्य की आवश्यकताओं की पूर्ति में सहायक होती है। इस प्रकार से बचाये गये धन का लाभदायक ढंग से विनियोग किया जाना चाहिए, तभी उसे सही अर्थों में बचत माना जा सकता है। आय में से बचाया गया धन यदि विनियोग नहीं किया जाता है तो उसे बचत न कहकर ‘धन का संचय’ कहा जाता है। उत्तम गृह-अर्थव्यवस्था के अन्तर्गत बचाये गये धन के उचित विनियोग को आवश्यक माना जाता है, न कि धन के संचय को।

बचत का महत्त्व एवं लाभ

बचत आय का वह भाग है जो भविष्य की आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए व्यय से बचाकर उत्पादक कार्यों में विनियोग किया जाता है। यह परिवार, समाज एवं राष्ट्र सभी के लिए अत्यन्त महत्त्वपूर्ण है। बचत के महत्त्व को निम्न प्रकार से वर्णित किया जा सकता है–

(1) पारिवारिक दायित्वों की पूर्ति-बच्चों की शिक्षा एवं विवाह आदि अनेक पारिवारिक दायित्वों की समय आने पर पूर्ति बचत के द्वारा की जाती है।

(2) आकस्मिक संकटों का सामना-बचत द्वारा बीमारी, मृत्यु एवं दुर्घटना जैसे आकस्मिक संकटों के अवसर पर आर्थिक सहायता प्राप्त होती है। यदि किसी कारणवश पारिवारिक व्यय में एकाएक वृद्धि हो जाए तो उस स्थिति में पहले की गई बचत ही सहायक सिद्ध होती है।

(3) वृद्धावस्था में आत्मनिर्भरता-सेवाकाल में की गयी बचत सेवानिवृत्त होने पर आर्थिक आत्मनिर्भरता प्रदान करती है।

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(4) सामाजिक प्रतिष्ठा—समय से की गयी बचत एवं उसका विवेकपूर्ण नियोजन परिवार को आर्थिक सुदृढ़ता प्रदान करता है, जिसके फलस्वरूप गृह-निर्माण, बच्चों की उच्च शिक्षा, विवाह, व्यवसाय में वृद्धि एवं अनेक सामाजिक दृष्टि से आवश्यक कार्य किए जा (UPBoardSolutions.com) सकते हैं, जिनसे पारिवारिक प्रतिष्ठा में भी वृद्धि होती है।

(5) आर्थिक दृष्टि से लाभदायक--बचत के विवेकपूर्ण नियोजन से आकर्षक ब्याज प्राप्त होता है। इससे पारिवारिक आय में वृद्धि होने के साथ-साथ व्यक्ति को आर्थिक लाभ भी प्राप्त होता है।

(6) अनावश्यक पारिवारिक व्यय से बचने में सहायक–परिवार द्वारा यदि नियमित बचत करने का दृढ़ संकल्प कर लिया जाता है तो परिवार कुछ अनावश्यक व्ययों से बच जाता है। यहाँ यह
स्पष्ट कर देना प्रासंगिक है कि यदि व्यक्ति नियमित बचत को अनिवार्य नहीं मानता तो वह अपनी आय का कुछ भाग विलासात्मक एवं हानिकारक कार्यों पर व्यय करने लगता है। इससे व्यक्ति एवं परिवार का अहित ही होता है।

(7) अवकाश का समय अच्छे ढंग से व्यतीत करने में सहायक-व्यक्ति यदि नियमित रूप से बचत करता रहता है तो वह अपने अवकाश के समय को अच्छे ढंग से व्यतीत कर सकता है। इस स्थिति में वह अपनी रुचि एवं इच्छा के अनुसार कहीं भी घूमने-फिरने जा सकता है।

(8) आरामदायक एवं सुविधाजनक वस्तुओं की खरीद में सहायक-नियमित बचत करने वाला व्यक्ति टी०वी०, फ्रिज, कपड़े धोने की मशीन तथा स्कूटर या मोटर कार जैसी जीवन को आरामदायक एवं सुविधाजनक बनाने वाली वस्तुओं को सहज ही अर्जित कर सकता है।

(9) राष्ट्रीय योजना के संचालन में सहायक-राष्ट्रीय योजनाओं के संचालन के लिए धन की निरन्तर आवश्यकता होती है। देश के परिवारों द्वारा की गयी बचत का जो विनियोग किया जाता है, उससे सरकार को पर्याप्त धन प्राप्त हो जाता है तथा यह धन राष्ट्रीय योजनाओं के संचालन में सहायक होता है।

(10) मुद्रास्फीति के नियन्त्रण में सहायक-पारिवारिक बचत की प्रवृत्ति विकसित हो जाने की स्थिति में मुद्रास्फीति की दर को नियन्त्रित करना सम्भव होता है। इससे देश समृद्ध बनता है।

बचत के विनियोग के साधन

पारिवारिक बचत के विनियोग में निम्नलिखित दो बातो को ध्यान में रखना आवश्यक है-

  1. जिस संस्था में निवेश किया जा रहा है, उसकी विश्वसनीयता।
  2. विभिन्न संस्थानों में ब्याज की तुलनात्मक दर।

उपर्युक्त दोनों बातों को ध्यान में रखते हुए बचत का विनियोग उस संस्थान (UPBoardSolutions.com) में करना चाहिए जो विश्वसनीय हो तथा जिसमें ब्याज की दर तुलनात्मक दृष्टि से भी अधिक हो।
बचत के विनियोग के निम्नलिखित मुख्य साधन हैं

  1. बैंक,
  2.  डाकखाना,
  3.  विभिन्न बीमा योजनाएँ.
  4.  भविष्य निधि योजना,
  5.  सार्वजनिक भविष्य निधि योजना,
  6. भारतीय यूनिट ट्रस्ट,
  7.  सहकारी ऋण समितियाँ,
  8.  राष्ट्रीय बचत-पत्र योजना।

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प्रश्न 4.
पारिवारिक आय में वृद्धि के उपाय बताइए। या यह बताइए कि पारिवारिक आय का विवेकपूर्ण व्यय क्यों आवश्यक है?
उत्तर:
पारिवारिक आय में वृद्धि के उपाय

आज के भौतिक युग में यदि आवश्यकताएँ अनेक हैं तो व्यय असीमित। परिणामस्वरूप सामाजिक स्तर के अनुसार जीवन-यापन के लिए प्रायः पति-पत्नी दोनों को धन अर्जित करने के लिए कार्य करने पड़ते हैं। यह सब होने के पश्चात् भी आर्थिक कठिनाइयाँ उत्पन्न होती ही रहती हैं। अतः इनके निराकरण के लिए आय में वृद्धि के उपाय अपनाने आवश्यक हो जाते हैं। कुछ ऐसे उपयोगी उपाय निम्नलिखित हैं

(1) परस्पर प्रेम एवं सहयोग-परिवार में परस्पर प्रेम और सहयोग का वातावरण होना चाहिए। परिवार के सभी योग्य सदस्यों को साहचर्य भाव से धन अर्जित करने के प्रयास करने चाहिए।

(2) घरेलू उद्योग-धन्धे अपनाना–सिलाई-कढ़ाई, सौन्दर्य प्रसाधन केन्द्र, (UPBoardSolutions.com) बच्चों को ट्यूशन पढ़ाना, कचरी-पापड़ आदि बनाना कुछ ऐसे कार्य हैं जिनसे पारिवारिक आय में सहज ही वृद्धि की जा सकती है।

(3) मितव्ययिता के आवश्यक तत्त्वों का ज्ञान-फिजूलखर्ची एवं धन का अविवेकपूर्ण व्यय परिवार के लिए सदैव घातक सिद्ध होते हैं। धन के विवेकपूर्ण उपयोग से आय-व्यय में सन्तुलन बना रहता है। मितव्ययिता के सिद्धान्तों का पालन करने से कम धन का व्यय करके अधिकतम आवश्यकताओं की पूर्ति कर पाना सम्भव हो पाता है।

आय, व्यय और बचत 25 पारिवारिक आय का विवेकपूर्ण व्यय

मितव्ययिता सफलता की कुंजी है। जिस परिवार के सदस्य परिवार की आय का विवेकपूर्ण व्यय नहीं करते, वह परिवार कभी भी अधिकतम सन्तोष प्राप्त नहीं कर सकता। वास्तव में, फिजूलखर्ची जोवन को नष्ट कर देती हैं। अत: परिवार के प्रत्येक सदस्य को धन का महत्त्व समझना चाहिए और वर्तमान महँगाई के युग में परिवार की आय में से अधिक-से-अधिक बचत करने का प्रयास करना चाहिए। आज की बचत कल के सुख का आधार बनती है, परन्तु बचत करना आय के विवेकपूर्ण व्यय पर भी निर्भर करता है। पानी की एक-एक बूंद से समुद्र तैयार होता है। अत: प्रत्येक व्यय में से यदि गृहिणी कुछ भी अपने विवेक से बचा सकने में सफल हो जाती है तो वह पर्याप्त बचत कर सकती है, जो परिवार के सुखदायी भविष्य का निर्माण करती है।

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प्रश्न 5.
डाकघर में बचत विनियोग के कौन-से साधन उपलब्ध हैं? वर्णन कीजिए।
डाकघर की विभिन्न योजनाएँ कौन-कौन सी हैं? किन्हीं दो योजनाओं के विषय में विस्तार से लिखिए। [2007, 12 ]
या ।
डाकघर में आप किन-किन योजनाओं द्वारा बचत को सुरक्षित रख सकती हैं? विस्तारपूर्वक समझाइए।[2008, 10, 13, 14, 15]
उत्तर:
पारिवारिक बचत के विनियोग का एक उत्तम साधन डाकघर है। डाकघर केन्द्रीय सरकार द्वारा परिचालित आर्थिक संस्थान है। डाकघर पारिवारिक बचत के विनियोग का एक सुरक्षित एवं लाभदायक साधन है। डाकघर में पारिवारिक बचत को जमा करवाना एवं निकलवाना भी सरल होता है। डाकघर द्वारा चलाई जाने वाली कुछ महत्त्वपूर्ण जमा योजनाओं का संक्षिप्त परिचय निम्नवर्णित है|

(1) डाकघर बचत बैंक-इसमें न्यूनतम पाँच रुपये से कोई भी वयस्क व्यक्ति एकल रूप में, संयुक्त रूप से अथवा अवयस्क के नाम से डाकघर बचत खाता खोल सकता है। इसमें जमा धनराशि पर 4% वार्षिक ब्याज मिलता है। खाता चालक को एक लेखा-पुस्तिका अथवा पास-बुक मिलती है जिसमें धनराशि जमा करने व निकालने तथा दिए गए ब्याज आदि का विवरण होता है। ब्याज की दर समय-समय पर बदलती रहती है।

(2) डाकघर सावधि जमा खाता-डाकघर की इस योजना में निर्धारित अवधि के लिए कोई भी धनराशि जमा की जा सकती है। जमा करने की न्यूनतम राशि 50 है परन्तु अधिकतम कोई सीमा नहीं है। इस योजना के अन्तर्गत तिमाही चक्रवृद्धि आधार पर (UPBoardSolutions.com) वार्षिक ब्याज दिया जाता है। ब्याज की दर 1 वर्ष के लिए 6.25%, 2 वर्ष के लिए 6.50%, 3 वर्ष के लिए 7.25% तथा 5 वर्ष के लिए 7.50% है। इस योजना के अन्तर्गत आवश्यकता पड़ने पर निर्धारित अवधि से पहले भी खाता बन्द करके अपना धन वापस लिया जा सकता है।

(3) 5 वर्षीय डाकघर आवर्ती जमा खाता- 10 प्रति माह या 5 के गुणकों में यह खाता खोला जा सकता है। अधिकतम राशि की कोई सीमा नहीं है। इस योजना के अन्तर्गत यदि के 10 प्रति माह पाँच वर्ष तक जमा किए जाते हैं तो परिपक्वता उपरान्त ! 728.90 मिल जाते हैं।

(4) किसान विकास-पत्र-इस बचत योजना में 9 वर्ष 5 माह में धन दुगुना मिलता है। किसान विकास-पत्र र 500/-, र 1000/-, र 5000/- र 10000/- के अंकित मूल्य-वर्ग में सभी डाकघरों में मिलते हैं। अधिकतम की कोई सीमा नहीं है तथा आयकर में भी कोई छूट नहीं है।

(5) डाकघर मासिक आय योजना-डाकघर की इस योजना के अन्तर्गत कोई भी व्यक्ति एकल अथवा संयुक्त रूप से खाता खोल सकता है। इस खाते में न्यूनतम र 1000/- तथा अधिकतम एकल नाम में साढ़े चार लाख रुपये तथा संयुक्त खाते में र 9 लाख तक जमा कर सकता है। यह छः वर्षीय योजना है। इस योजना की ब्याज दर 8% है। यदि इस खाते में हैं 12000/- रुपये जमा कर दिए जाएँ तो र 80 प्रति माह ब्याज मिलता है। पूरे छ: वर्ष खाता रखने की दशा में 5% बोनस भी मिलता है।

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(6) वरिष्ठ नागरिक जमा योजना-यह योजना समाज के वरिष्ठ श्रेणी के नागरिकों के लिए प्रारम्भ की गई है। इस योजना के अन्तर्गत कोई भी 60 वर्ष से अधिक आयु वाला व्यक्ति के 15 लाख तक जमा कर सकता है। इस योजना में 8.4% की दर से ब्याज दिया जाता है। ब्याज का भुगतान तिमाही रूप से किया जाता है।

प्रश्न 6
डाकघर में बचत खाता कैसे खोला जा सकता है? रुपया जमा करने और निकालने की प्रक्रिया का भी वर्णन कीजिए।
उत्तर:
डाकघर में बचत खाता खोलना

डाकघर में बचत खाता नगर में अथवा गाँव में, प्रधान डाकघर अथवा उप-डाकघरों में कहीं भी खोला जा सकता है।

  1. डाकघर से एक छपा हुआ फार्म लेकर सर्वप्रथम उसे भरना होता है। इसके बाद न्यूनतम र 20 या इससे अधिक धनराशि फार्म में भरकर सम्बन्धित डाकघर कर्मचारी को देनी होती है। कर्मचारी तत्काल इसकी रसीद दे देता है। कुछ घण्टे पश्चात् अथवा अगले दिन खाता खोलने वाले को लेखा-पुस्तिका अथवा पास-बुक भी मिल जाती है। इसमें खाता खोलने वाले का नाम, पता, खाता संख्या तथा जमा धनराशि अंकित होती है।
  2. डाकघर में व्यक्तिगत, संयुक्त अथवा अल्पवयस्क का खाता (UPBoardSolutions.com) भी खोला जा सकता है।
  3.  खाताधारक को अपने हस्ताक्षर का नमूना भी देना होता है। अशिक्षित खाताधारी अँगूठे का चिह्न अथवा अपना प्रमाणित फोटो खाता खोलते समय डाकघर में दे सकते हैं।
  4. इस खाते में जमा धनराशि पर निर्धारित दर से वार्षिक ब्याज मिलता है जो वर्ष में केवल एक ही बार दिया जाता है।

बचत खाते में रुपया जमा करना डाकघर में रुपया जमा करने के निर्धारित फार्म में जमा की जाने वाली धनराशि भरकर अन्य सूचनाएँ अंकित करके जमाकर्ता को हस्ताक्षर करने के बाद इसे डाकघर बचत बैंक के कर्मचारी को देना होता है। फार्म के साथ अपनी बचत लेखा-पुस्तिका अर्थात् पास-बुक भी देनी पड़ती है। अशिक्षित खाताधारक फार्म भरने में कर्मचारी से सहायता प्राप्त कर सकता है। कुछ समय पश्चात् पास-बुक वापस मिल जाती है। इस पर जमा की गई धनराशि, सम्बन्धित अधिकारी के हस्ताक्षर तथा दिनांक युक्त डाकघर की मोहर अंकित होती है। पास-बुक में ब्याज चढ़वाने के लिए फार्म भरने की आवश्यकता नहीं होती तथा बचत बैंक कर्मचारी को पास-बुक देने पर वह इसमें देय ब्याज अंकित कर देता है।

बचत खाते से रुपया निकालना

डाकघर में रुपया निकालने का छपा हुआ फार्म नि:शुल्क मिलता है। खाताधारक को इसमें माँगी गई सूचनाओं सहित धनराशि भरकर डाकघर में खाता खोलते समय किए गए अपने हस्ताक्षर करने होते हैं। कर्मचारी हस्ताक्षर का मिलान करके धनराशि का भुगतान कर देता है। हस्ताक्षर न मिलने की दशा में खाताधारक को अपने हस्ताक्षर प्रमाणित कराने पड़ते हैं। बचत बैंक कर्मचारी पास-बुक से निकाली गई धनराशि तथा शेष धनराशि को दिनांक सहित अंकित कर हस्ताक्षर करता है तथा इसे खाताधारक को वापस लौटा देता है। अशिक्षित खाताधारक फार्म भरते समय कर्मचारी की सहायता प्राप्त कर सकते हैं। इन्हें हस्ताक्षर के स्थान पर अँगूठे का चिह्न लगाना होता है अथवा प्रमाणित फोटो प्रस्तुत करना होता है। डाकघर के बचत बैंक से रुपया सप्ताह में एक ही बार निकाला जा सकता है।

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प्रश्न 7.
बैंकों में खोले जाने वाले विभिन्न बचत खातों का वर्णन करते हुए बैंक में धनराशि को जमा करने के लाभों का वर्णन कीजिए। बैंक में बचत विनियोग के कौन-से साधन उपलब्ध हैं? या बैंक में कितने प्रकार के खाते खोले जा सकते हैं?[2013]
बैंक की उपयोगिता लिखिए।[2013, 14, 16, 17]
बैंक में खोले जाने वाले किन्हीं चार खातों के नाम बताइए।[2016]
उत्तर:
बैंक देश की मुख्य वित्तीय एवं व्यावसायिक संस्थाएँ हैं जो धन के लेन-देन का कार्य उच्च स्तर पर करती हैं। ये संस्थाएँ सुसंगठित होती हैं और इनका सारे देश में एक जाल-सा बिछा हुआ है। अधिकांश बैंक राष्ट्रीयकृत हैं। इनमें जमा धनराशि पर ब्याज की प्राप्ति होती है। बैंकों द्वारा चेक, ड्राफ्ट आदि के द्वारा भुगतान की सुविधा प्रदान की जाती है। बैंकों से विभिन्न प्रकार के ऋण भी प्राप्त किए । जा सकते हैं।
आय, व्यय और बचत 27 बैंकों में बचत विनियोग के साधन (प्रकार) बैंकों में निम्नलिखित प्रकार के लाभकारी बचत खाते खोले जा सकते हैं

(1) बचत खाता-यह किसी भी राष्ट्रीयकृत बैंक की शाखा में खोला जा सकता है। इसके लिए न्यूनतम धनराशि अवयस्कों के लिए रे 100/- तथा वयस्कों के लिए र 1000/- होती है तथा अधिकतम धनराशि की कोई सीमा नहीं है। इस खाते में इच्छानुसार रुपया (UPBoardSolutions.com) जमा कराया जा सकता है, परन्तु वर्ष में 150 बार से अधिक रुपया नहीं निकाला जा सकता। खाताधारक को एक लेखा-पुस्तिका अथवा पास-बुक मिलती है जिसमें खाताधारक का नाम, पता व खाता संख्या अंकित होते हैं। रुपया जमा करने व निकालने का विवरण भी लेखा-पुस्तिका में अंकित किया जाता है। बैंक से रुपया निकासी फाई अथवा चेक के द्वारा निकाला जा सकता है। बैंक से चेक-बुक लेने के पश्चात् वाताधारक को अपने खाते में कम-से-कम 1000/- की धनराशि छोड़नी होती है। बचत खाते में जमा धनराशि पर 4% की दर से वार्षिक ब्याज मिलता है। ब्याज की दर समय-समय पर ‘रिजर्व बैंक ऑफ इण्डिया’ के निर्देशानुसार बदलती रहती है। घरेलू लघु बचत के लिए यह खाता उत्तरा 37 जाता है। इसे खाते में जमा धन सुरक्षित र है तथा उश्यकता पड़ने पर तुरन्त निकाला भी जा सकता है।

(2) चालू खाता-इसमें खाताधारक कभी भी रुपया जमा कर सकता है एवं निकाल सकता है। खाताधारक केवल चेक के प्रयोग द्वारा ही रुपया निकाल सकता है। इस खाते में जमा धनराशि पर कोई ब्याज नहीं मिलता, बल्कि खाताधारक को बैंक को सेवा शुल्क अदा करना पड़ता है। सामान्य रूप से व्यापारी वर्ग ही इस प्रकार का खाता खोलता है तथा इस खाते के माध्यम से ही व्यापारिक लेन-देन करता है। घरेलू बचतों के लिए चालू खाता उपयुक्त नहीं माना जाता।

(3) घरेलू जमा खाता-यह खाता निम्न एवं मध्यम वर्ग के लिए अत्यन्त लाभकारी है। यह बच्चों तथा गृहिणी में बचत करने की भावना को प्रोत्साहित करता है। इसमें बैंक की ओर से ताला लगी एक गुल्लक दी जाती है जिसमें छोटी-छोटी बचत राशि डाली जाती है। प्रतिमाह यह राशि पास–बुक में जमा हो जाती है।

(4) सावधि जमा खाता-इस खाते में एक निश्चित धनराशि एक निश्चित अवधि के लिए जमा की जाती है। जमा की जाने वाली धनराशि पर निर्धारित दर से ब्याज दिया जाता हैं। वर्तमान अधिकतम दर 8% है।

(5) आवर्ती जमा खाता- र 5/- या इसके गुणक में एक निश्चित अवधि के लिए यह खाता खोला जाता है। इसमें प्रतिमाह निश्चित की गई धनराशि नियमित रूप से जमा करानी होती है। अवधि पूर्ण होने पर रुपया ब्याज सहित मिल जाता है। अवधि 12 माह से 120 माह तक है।

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बैंक में रुपया जमा करने के लाभ (उपयोगिता)। बैंक में परिवार की बचत को जमा करने के कई लाभ हैं। ये लाभ निम्नलिखित हैं

(1) धनराशि पर ब्याज की प्राप्ति-बैंक में जमा धनराशि न केवल अत्यन्त सुरक्षित होती है वरन् उस पर उचित दर से ब्याज की प्राप्ति भी होती रहती है। इस प्रकार बचत, मूलधन वृद्धि के साथ प्राप्त होती है।
(2) धनराशि की सुरक्षा–यदि परिवार द्वारा बचाई गई धनराशि को बैंक में जमा करवा दिया। जाता है तो धनराशि सुरक्षित हो जाती है। वास्तव में बैंकों में जमा धनराशि अत्यन्त सुरक्षित मानी जाती है। बैंक बचत के विनियोग का सबसे अधिक विश्वसनीय माध्यम है। (UPBoardSolutions.com) इनमें जमा धनराशि के डूबने की सम्भावना तो होती ही नहीं है, बल्कि यह असामाजिक तत्त्वों; जैसे-चोर-डाकुओं आदि; से भी सुरक्षित रहती है।
(3) धन निकालने की सुविधा बैंक में जमा धनराशि अपनी सुविधा के अनुसार वापस निकाली जा सकती है। धनराशि को निकालने में किसी भी कठिनाई का सामना नहीं करना पड़ता है। अब तो ए०टी०एम० की सुविधा ने धन की निकासी को और अधिक सरल एवं सुविधाजनक बना दिया है।

प्रश्न 8
आय-व्यय क्या है ? आय-व्यय में सन्तुलन रखने के लिए क्या सावधानियाँ रखनी | चाहिए? [2009]
उत्तर:
पारिवारिक आय एवं व्यय

गृह अर्थव्यवस्था में सर्वाधिक महत्त्व पारिवारिक आय का होता है। पारिवारिक आय से आशय उस धनराशि से है, जो किसी परिवार द्वारा एक निश्चित अवधि में अर्जित की जाती है। आय अर्जित करने के लिए कुछ-न-कुछ आर्थिक प्रयास करने पड़ते हैं। व्यापक अर्थ में पारिवारिक आय में आर्थिक प्रयासों के बदले में मिलने वाली धनराशि के अतिरिक्त उन सुविधाओं को भी सम्मिलित किया जाता है, जो इन प्रयासों के बदले में उपलब्ध होती हैं।

प्रो० ग्रास तथा प्रो० केण्डल ने पारिवारिक आय की परिभाषा इन शब्दों में प्रतिपादित की है, ‘पारिवारिक आय मुद्रा, वस्तुओं, सेवाओं तथा सन्तोष का वह प्रवाह है जो परिवार के अधिकार में उसकी आवश्यकताओं और इच्छाओं को पूर्ण करने तथा उत्तरदायित्वों के निर्वाह हेतु आता है। पारिवारिक आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए जिस धन को व्यय किया जाता है उसे ही पारिवारिक व्यय कहा जाता है। सामान्य रूप से, परिवार के लिए मासिक अथवा वार्षिक अवधि में होने वाले व्यय को ही पारिवारिक व्यय के रूप में स्वीकार किया जाता है। व्यय वास्तव में आवश्यकताओं की पूर्ति का एक साधन है।

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पारिवारिक व्यय को हम इन शब्दों में परिभाषित कर सकते हैं-‘किसी निश्चित अवधि में सम्बन्धित परिवार द्वारा अर्जित आय के उस अंश को पारिवारिक व्यय माना जा सकता है, जो परिवार के सदस्यों की विभिन्न आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए व्यय हुआ है।”

आय-व्यय में सन्तुलन बनाने के लिए सावधानियाँ

(1) विवेकपूर्ण व्यय-जो व्यक्ति प्रत्येक आवश्यकता के महत्त्व को समझकर उसी के अनुरूप अपने विवेक से धन का व्यय निश्चित करता है वही आय का पूर्ण और उचित लाभ उठाता है।

(2) दैनिक व्यय के आधार पर बजट में संशोधन–बजट के अनुसार व्यय के लिए दैनिक हिसाब रखना आवश्यक है। यदि किसी महीने में किसी कारणवश महीना पूरा होने से पहले ही धन समाप्त होने लगता है तब हम बजट के आधार पर यह देख सकते हैं कि (UPBoardSolutions.com) हमारा धन कौन-सी आवश्यकता पर अधिक व्यय हुआ है, जिससे उस मास के व्यय में धन की कमी पड़ रही है। इससे सबसे बड़ा लाभ यह होता है कि अगले महीने के बजट में उचित सुधार किया जा सकता है।

(3) बजट से अधिक व्यय हो जाने पर समायोजन—कुछ उत्सवों; जैसे-दीपावली, दशहरा तथा जन्मदिन; पर अधिक धन खर्च हो जाता है, तब बजट के अनुसार हम अगले महीने में खर्च हुए धन के व्यय में उचित समायोजन कर सकते हैं।

(4) बचत करना–गृहिणी को शुरू से ही आवश्यक बचत करते रहने की आदत डालनी चाहिए तथा ऋण लेने की बात कभी नहीं सोचनी चाहिए। भविष्य की आकस्मिक आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए धन की बचत करना गृहिणी का प्रमुख कर्तव्य है। यदि वह बचत करने की अपेक्षा हर महीने होने वाली आमदनी का सारा पैसा खर्च करती रहती है तो भविष्य में जरूरत पड़ने पर एक भयंकर समस्या सामने आती है तथा इस समय उसे दूसरों के सामने हाथ फैलाना पड़ेगा और जिसे वह काफी समय तक चुकता करने में असमर्थ रहेगी।

(5) नियन्त्रित व्यय–बजट बनाने से मनुष्य अपनी सीमित आय से सभी आवश्यकताओं की पूर्ति मितव्ययिता के साथ करता है तथा अनावश्यक व्यय से बच जाता है। बजट बनाकर व्यय करने से व्यक्ति अपनी आय के अन्दर व्यय करने का अभ्यस्त हो जाती है।

(6) वर्तमान एवं भविष्य की आवश्यकताओं के बीच उचित वितरण-अपनी सीमित आय के अन्दर व्यक्ति वर्तमान आवश्यकताओं की पूर्ति के साथ-साथ भविष्य में आने वाली आकस्मिक आवश्यकताओं की पूर्ति भी चाहता है; जैसे—दुर्घटना, बीमारी, शादी आदि। इनके लिए भी धन की बचत की आवश्यकता होती है। जीवन बीमा आदि कराना भी इसी मनोवृत्ति का परिणाम है।

(7) आवश्यकता के आधार पर बजट में व्यय के प्रावधान में अन्तर करना—बजट के अन्तर्गत आने वाली आवश्यकताओं के महत्त्व को जानकर यह निश्चित किया जाता है कि किस आवश्यकता को पहले पूरा किया जाए तथा किसे बाद में। यदि किसी अनिवार्य आवश्यकता की पूर्ति में धन की कमी पड़ रही है, तब गृहिणी को मनोरंजन एवं विलासिता सम्बन्धी आवश्यकताओं के व्यय में कमी करनी पड़ती है, इस विधि को सम-सीमान्त उपयोगिता का नियम कहते हैं।

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(8) पारिवारिक आय-व्यय का अनुमान-पत्र बनाने की आवश्यकता–बजट के अभाव में गृहस्थी का खर्च चलाना बहुत मुश्किल पड़ता है। इसलिए घर की आय-व्यय का अनुमान-पत्र बनाना बहुत ही जरूरी है। अनुमान-पत्र द्वारा हमें पहले से ही व्यय होने वाली मदों का पता चल जाता है, क्योंकि आय तो सीमित होती है और आवश्यकताएँ दिन-पर-दिन बढ़ती जाती हैं। कोई भी वस्तु घर में नहीं आती और सारा धन व्यय होता मालूम पड़ता है, इसलिए एक कुशल गृहिणी के लिए बजट बनाना बहुत आवश्यक हो गया है, जिसके अच्छे परिणाम ही सामने आते हैं। पारिवारिक आवश्यकताओं की अधिक-से-अधिक पूर्ति करने के लिए आय-व्यय का सबसे अच्छा साधन बजट है। अत; बजट बनाकर ही एक कुशल गृहिणी अपने घर को सुचारु रूप से चला सकती है। इसके द्वारा ही वह घर में सुख व शान्ति को बनाए रख सकती है।

प्रश्न 9.
बीमा कराने से क्या लाभ हैं? भारतीय जीवन बीमा निगम द्वारा संचालित कुछ महत्त्वपूर्ण योजनाओं का संक्षिप्त विवरण दीजिए। [2007 ]
या
विभिन्न जीवन बीमा योजनाओं का वर्णन कीजिए।
या
बीमा कराने के लाभ लिखिए। [2007, 2, 3, 14, 17, 18 ]
उत्तर:
बीमा कराने से लाभ

भारतीय जीवन बीमा निगम ने अनेक जनहितकारी योजनाएँ प्रस्तुत की हैं। इनसे होने वाले प्रमुख लाभ निम्नलिखित हैं|

  1. इससे अनिवार्य रूप से बचत हो जाती हैं।
  2. बीमाधारक के आश्रितों को आर्थिक सुरक्षा प्राप्त होती है तथा बीमे की अवधि समाप्त होने पर जीवित रहने की स्थिति में बीमाधारक को डिविडेण्ड के लाभ सहित बीमाकृत राशि वापस मिल जाती है। इसके अतिरिक्त बीमाधारक की असमय मृत्यु हो जाने की दशा में बीमा राशि उसके परिजनों को प्राप्त हो जाती है।
  3.  आवश्यकता पड़ने पर बीमा कम्पनी से कम ब्याज पर ऋण प्राप्त किया जा सकता है।
  4. बीमे के प्रीमियमों के भुगतान की धनराशि पर आयकर में छूट भी मिलती है।

प्रमुख बीमा योजनाएँ

(1) बन्दोबस्ती बीमा पॉलिसी-इसमें एक निर्धारित अवधि के लिए प्रीमियम का भुगतान करना पड़ता है। अवधि पूरी होने पर बीमे का पूरा धन बोनस के साथ बीमाधारक को मिल जाता है। आकस्मिक मृत्यु होने पर नामांकिती (Nominee) को बीमे का पूरा धन मिल जाता है। यह पॉलिसी बच्चों की उच्च शिक्षा एवं विवाह आदि महत्त्वपूर्ण कार्यों के लिए अत्यन्त लाभप्रद है।

(2) जीवन बीमा योजना-यह एक लम्बी अवधि की योजना है जिसमें प्राप्त होने वाली धनराशि अधिक एवं प्रीमियम की धनराशि कम होती है। योजना के मध्य में मृत्यु होने पर बीमे की सम्पूर्ण धनराशि नामांकिती को मिलती है।

(3) निश्चित अवधि शिक्षा वृत्ति योजना-इस योजना वाले बीमाधारक व्यक्ति की मृत्यु यदि बीमा अवधि के मध्य में हो जाती है तो शेष प्रीमियम की धनराशि का भुगतान नहीं करना पड़ता तथा अवधि पूर्ण होने पर बीमाकृत धनराशि वार्षिक अथवा अर्द्धवार्षिक वृत्ति के रूप में नामांकिती को 6 वर्षों तक मिलती रहती है।

(4) जीवन मित्र योजना-इस योजना के अन्तर्गत बीमा कराने वाला व्यक्ति 18 से 50 आयु-वर्ग का होना चाहिए तथा बीमा पूर्ण होने की अवधि पर बीमाधारक की अधिकतम आयु 35 वर्ष होनी चाहिए। बीमे की अवधि 15, 20 अथवा 25 वर्ष होती है। इसमें दुर्घटना में मृत्यु होने पर नामांकिती को बीमे की धनराशि की तीन गुना धनराशि तथा प्राकृतिक मृत्यु होने पर दोगुना राष्ट्रि मिलती है।

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(5) जीवनधारा–इस योजना की प्रमुख विशेषताएँ र 30000 के वार्षिक प्रीमियम पर आयकर में 100% छूट तथा अवधि पूर्ण होने पर बीमाधारक को आयुपर्यन्त मासिक वृत्ति का मिलना है।
जीवन बीमा की समय-समय पर अन्य अनेक योजनाएँ भी प्रस्तुत की जाती हैं, जिनकी शर्ते एवं लाभ भी अलग-अलग होते हैं। कोई भी व्यक्ति अपनी आयु, परिस्थितियों तथा भुगतान की क्षमता को ध्यान में रखकर उपयुक्त योजना को अपना सकता है।

प्रश्न 10.
गृह-व्यय में मितव्ययिता के लिए किन बातों को ध्यान में रखना आवश्यक है? [2016, 17]
उत्तर:
गृह-व्यय में मितव्ययिता के लिए सुझाव

सुचारु गृह-अर्थव्यवस्था तथा पारिवारिक बजट की सफलता के लिए सर्वाधिक आवश्यक है-गृह-व्यय में मितव्ययिता को अपनाना। मितव्ययिता कंजूसी नहीं है, यह अपव्यय से बचने का एक उपाय है। मितव्ययिता में परिवार की आवश्यकताओं की अवहेलना नहीं की जाती, वरन् उन्हें सूझ-बूझ द्वारा रूपान्तरित किया जाता है। मितव्ययिता के लिए वस्तुओं की कीमतों की पूर्ण जानकारी, कीमतों की तुलना, विभिन्न वस्तुओं के गुण-दोष की जानकारी तथा उनके कम कीमत में उपलब्ध होने वाले स्थान की जानकारी आवश्यक होती है। मितव्ययिता के लिए निम्नलिखित बातों को अनिवार्य रूप से ध्यान में रखना चाहिए ।

(1) आवश्यकतानुसार खरीद-खरीद आवश्यकतानुसार ही करनी चाहिए। कुछ गृहिणियाँ प्रत्येक वस्तु को थोक में खरीदती हैं। यह आदत जहाँ कुछ बचत करती है, वहीं वस्तु के प्रयोग में लापरवाही होने के कारण उससे हानि भी होती है।

(2) नकद भुगतान-मितव्ययिता की धारणा के अनुसार समस्त घरेलू वस्तुएँ यथासम्भव नकद भुगतान द्वारा ही खरीदनी चाहिए। आजकल बहुत-सी वस्तुएँ किस्तों पर भी मिलने लगी हैं। इन वस्तुओं को किस्तों पर लेने पर ब्याज भी चुकाना पड़ता है। उधार अथवा किस्तों पर सामान लेने की आदत विकसित हो जाने पर अनावश्यक वस्तुएँ भी खरीद ली जाती हैं जिससे पारिवारिक बजट बिगड़ जाता है।

(3) सही स्थान से खरीदारी–घर का प्रत्येक सामान, चाहे वह खाने का हो या पहनने का, सदैव विश्वसनीय दुकान से ही खरीदना चाहिए। इससे उचित कीमत पर अच्छा सामान मिलेगा।

(4) गुणों की पहचान-गृहिणी को अच्छी, शुद्ध एवं ताजी वस्तुओं की पहचान होनी चाहिए। उसे सस्ते व पौष्टिक गुणों वाले खाद्य पदार्थों का ही प्रयोग करना चाहिए।

(5) कुछ वस्तुएँ थोक में खरीदना-कुछ वस्तुएँ ऐसी होती हैं, जिनकी वर्ष भर आवश्यकता बनी रती है; उदाहरण के लिए-गेहूँ एवं चावल। इस प्रकार की वस्तुओं को फसल की कटाई के अवसर पर आवश्यकतानुसार खरीद लेना चाहिए। इस अवसर पर ये सस्ती मिल जाती हैं तथा इससे मितव्ययिता में योगदान प्राप्त होता है।

(6) संरक्षण विधि का ज्ञान-यदि गृहिणी को खाद्य-सामग्री के संरक्षण का ज्ञान है तो वह घर पर ही अचार, मुरब्बे, टमाटर की चटनी आदि तैयार कर सकती है। मितव्ययिता के दृष्टिकोण से इन वस्तुओं को घर पर ही तैयार कर लेना चाहिए।

(7) गृह-कार्यों के लिए कम-से-कम सेवक रखना–घर के आवश्यक कार्यः जैसे-खाना बनाना, कपड़े धोना, घर की सफाई आदि; गृहिणी को स्वयं ही करने चाहिए। इससे धन की काफी बचत हो जाती है। यह तथ्य कामकाजी महिलाओं पर लागू नहीं होता।

(8) बालकों को स्वयं पढ़ाना-बालकों को स्वयं पढ़ाना भी गृहिणी के लिए अति आवश्यक है। इससे रुपये की बचत के साथ-साथ बालकों को स्वयं पढ़ने की आदत डाली जा सकेगी।

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(9) घर की वस्तुओं की देखभाल तथा मरम्मत करना–मितव्ययिता के लिए आवश्यक है। कि समस्त घरेलू वस्तुओं एवं उपकरणों की अच्छी तरह से देखभाल की जाए तथा इनके उत्तम रख-रखाव और मरम्मत की उचित व्यवस्था की जाए। इससे इनके अपव्यय से भी बचा जा सकता है।

(10) जरूरी वस्तुओं का सावधानीपूर्वक प्रयोग–पानी, ईंधन व प्रकाश (बिजली) जैसी जरूरी वस्तुओं का सावधानीपूर्वक प्रयोग करना चाहिए। आवश्यकता न होने पर इनका खर्च रोक देना चाहिए। [

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1
‘बचत तथा ‘धन के संचय’ में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
सामान्य रूप से कुछ लोग बचत तथा धन के संचय के मध्य अन्तर नहीं समझते। यदि धन को भविष्य की आवश्यकताओं की पूर्ति में व्यय न करके घर पर ही एकत्र करके रख लिया जाता है तो उसे धन का संचय कहा जाता है। यदि बचाए गए धन का समुचित विनियोग किया जाए तो उसे बचत कहा जाता है। उचित विनियोग द्वारा बचाए गए धन में निरन्तर वृद्धि होती है, जब कि संचित धन का क्रमशः मूल्य घटता जाता है तथा साथ ही चोरी आदि की चिन्ता भी बनी रहती है। अतः पारिवारिक बचत का समुचित विनियोग किया जाना चाहिए।

प्रश्न 2.
चेक भरते समय किन बातों का ध्यान रखना चाहिए ? [2016]
उत्तर:
चेक भरते समय निम्नलिखित बातों को ध्यान में रखना चाहिए

1. दिनांक-चेक पर दिनांक लिखना अत्यावश्यक है। साधारणत: जिस दिन चेक लिखा जाता है, वही दिनांक चेक पर लिखी जाती है। कभी-कभी चेक पर आगे की दिनांक डाल दी जाती है। ऐसा प्रायः उस दशा में किया जाता है, जब लेखक भविष्य में किसी निश्चित दिनांक को ही रुपया अदा करना चाहता है। इस दशा में जब तक वह दिनांक नहीं आती है, तब तक चेक का भुगतान प्राप्त नहीं किया जा सकता। इस प्रकार के चेक को ‘आगामी दिनांक का चेक’ (Post-dated Cheque) कहते हैं। कभी-कभी कुछ चेकों पर पिछली (पूर्व की) दिनांक भी डाल दी जाती है। इस प्रकार के चेक को ‘पिछली दिनांक का चेक’ (Ante-dated Cheque) (UPBoardSolutions.com) कहते हैं। संक्षेप में किसी भी चेक का रुपया चेक पर अंकित दिनांक से 3 माह के अन्दर लिया जा सकता है। इस नियत अवधि से अधिक दिन हो जाने पर बैंक चेक का भुगतान नहीं करता। 3 माह से अधिक पुराना चेक ‘बासी चेक’ (Stale Cheque) कहलाता है।

2. पाने वाले का नाम-चेक में प्राप्तकर्ता का नाम स्पष्ट रूप से लिखना चाहिए। प्राप्तकर्ता का नाम लिखते समय आदरसूचक शब्द एवं डिग्री; जैसे-श्री, श्रीमान, पण्डित, श्रीयुत्, डॉक्टर, प्रोफेसर, इंजीनियर आदि नहीं लिखा जाता। यदि चेक का लेखक स्वयं रुपया निकालना चाहता है तो उसे नाम के स्थान पर ‘स्वयं’ (Self) शब्द लिख देना चाहिए। ऐसे चेक का भुगतान लेखक को या उसके आदेशानुसार किसी भी अन्य व्यक्ति को दे दिया जाता है।

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3. चेक की राशि-चेक में लिखी जाने वाली रकम में किसी भी प्रकार की काट-छांट या उपरिलेख (Cutting or Overwriting) नहीं होनी चाहिए। यदि कोई कटिंग (काट-छाँट) हो तो उस पर अपने नमूने के हस्ताक्षर कर देने चाहिए। चेक में शब्दों एवं अंकों में लिखी जाने वाली रकम में भी अन्तर नहीं होना चाहिए। शब्दों में रकम लिखने के पश्चात् केवल’ (Only) शब्द का प्रयोग अवश्य करना चाहिए। जालसाजी से बचने के लिए आजकल चेक संरक्षक यन्त्र’ (Cheque Protector) का प्रयोग किया जाता है।

4. लेखक के हस्ताक्षर-चेक पर लेखक के हस्ताक्षर होना आवश्यक है। हस्ताक्षर सावधानी से करने चाहिए तथा वही हस्ताक्षर करने चाहिए जो नमूने के हस्ताक्षर के रूप में बैंक की ‘हस्ताक्षर-पुस्तिका’ में हैं। हस्ताक्षर न मिलने पर बैंक चेक का भुगतान नहीं करता! हस्ताक्षर पेंसिल से या मुहर लगाकर कभी भी नहीं करने चाहिए।

5. प्रतिपर्ण भरना-चेक के बाईं ओर वाले भाग को ‘प्रतिपर्ण’ कहते हैं। लेखक को चेक के प्रतिपर्ण को भी सावधानी से भरना चाहिए। इस पर दिनांक, प्राप्तकर्ता का नाम, रकम एवं भुगतान करने का उद्देश्य अवश्य भर लेना चाहिए। इससे भावी सन्दर्भ में सुविधा रहती है।

प्रश्न 3.
पारिवारिक स्तर को ऊँचा उठाने के लिए गृहिणी को क्या करना चाहिए?
उत्तर:
पारिवारिक स्तर को ऊँचा उठाने के लिए गृहिणी को-

  1. पारिवारिक आय का पूर्ण ज्ञान होना चाहिए।
  2. आवश्यकताओं की प्राथमिकता के क्रम में धन का व्यय करना चाहिए।
  3. अधिक मूल्य वाले खाद्य-पदार्थों के स्थान पर समान पौष्टिक गुणों वाले कम मूल्य के खाद्य-पदार्थ खरीदने चाहिए।
  4. फसल के समय अनाज खरीदकर उनका संरक्षण कर लेना चाहिए।
  5. पारिवारिक आय में वृद्धि के उपाय अपनाने चाहिए, क्योंकि अधिक आय एवं बचत द्वारा ही पारिवारिक स्तर ऊँचा उठाया जा सकता है।

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प्रश्न 4
भविष्य निधि योजना के विषय में आप क्या जानती हैं?
उत्तर:
भविष्य निधि योजना प्राय: सरकारी, अर्द्ध-सरकारी एवं पंजीकृत संस्थानों के कर्मचारियों के लिए होती है। यह एक अनिवार्य बचत योजना हैं जिसमें प्रायः कर्मचारी के वेतन का प्रति माह 5% से 8% कटता है तथा इतनी ही धनराशि प्रति माह सम्बन्धित संस्था अथवा सरकार द्वारा जमा की जाती है। इस प्रकार प्रत्येक कर्मचारी के भविष्य निधि खाते में प्रति माह उसके मूल वेतन का कुल 10% से 16% जमा होता है। इस धनराशि पर निर्धारित दर से ब्याज भी मिलता है तथा आयकर में छूट भी मिलती है। यह धनराशि ब्याज सहित कर्मचारी को उसका सेवाकाल पूर्ण होने पर मिलती है। भविष्य निधि खाता डाकघर अथवा बैंक मे भी खोला जाता है।

प्रश्न 5
टिप्पणी लिखिए-सार्वजनिक प्रॉविडेण्ट फण्ड योजना।
उत्तर:
बचत विनियोग के लिए हमारी सरकार ने वर्ष 1972-73 में सार्वजनिक प्रॉविडेण्ट फण्ड योजना (Public Provident Fund Scheme) चलाई थी। इस योजना के अन्तर्गत कोई भी व्यक्ति अपनी पारिवारिक बचत की राशि को एक विशेष खाता खोलकरे (UPBoardSolutions.com) जमा कर सकता है। यह खाता ‘भारतीय स्टेट बैंक’ की मुख्य शाखा अथवा मुख्य डाकघर में खोला जा सकता है। इस योजना के अन्तर्गत प्रति वर्ष कम-से-कम  500/- तथा अधिक-से-अधिक 1,50,000/- जमा किए जा सकते हैं। जमा धन पर 8% वार्षिक दर से चक्रवृद्धि ब्याज मिलता है। ब्याज दर समय-समय पर बदलती रहती है।

इस योजना में जमा की जाने वाली धनराशि पर आयकर में भी छूट मिलती है। यहाँ यह स्पष्ट कर देना आवश्यक है कि इस योजना के अन्तर्गत जमा धन पर मिलने वाला ब्याज पूर्ण रूप से आयकर से मुक्त है। इस खाते में जमा धन की किसी भी न्यायालय द्वारा कुक भी नहीं की जा सकती। यह योजना 15 वर्ष के लिए होती है। नियमों के अनुसार जमा धन में से ऋण लिया जा सकता है। योजना के छठे वर्ष से नियमानुसार आंशिक धन वापस भी लिया जा सकता है। इस योजना को 15 वर्ष के उपरान्त 5-5 वर्ष के लिए आगे बढ़ाया जा सकता है।

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प्रश्न 6.
टिप्पणी लिखिए-राष्ट्रीय बचत-पत्र।[2007, 0, 12, 13, 14]
उत्तर:
पारिवारिक बचत का एक अच्छा साधन ‘राष्ट्रीय बचत पत्र’ (National Saving Certificate) भी है। इस योजना का संचालन डाकघर के माध्यम से किया जाता है। इस योजना में धन जमा करने पर आयकर में नियमानुसार छूट मिलती है। ये बचत-पत्र र 100, र 500, र 1000, र 5000 तथा र 10000 मूल्य-वर्ग में मिलते हैं। ये बचत-पत्र एक नाम से अथवा संयुक्त नामों से भी लिए जा सकते हैं तथा इनमें नामांकन की सुविधा भी उपलब्ध हैं। यह योजना दो प्रकार की है-पाँच वर्षीय योजना तथा दस वर्षीय योजना। दोनों में मिलने वाले ब्याज में कुछ अन्तर रहता है। ब्याज दर समय-समय पर बदलती रहती है।

प्रश्न 7.
बैंक के बचत खाते और चालू खाते में क्या अन्तर है? दोनों की उपयोगिता लिखिए। या चालू खाते और बचत खाते में अन्तर बताइए।[09]
उत्तर:
बैंक में खोले जाने वाले दो मुख्य खाते होते हैं-‘बचत खाता’ तथा ‘चालु खाता’। इन दोनों खातों में मुख्य अन्तर निम्नलिखित हैं-

  1. बचत खाता व्यक्तिगत रूप से पारिवारिक बचत के लिए खोला जाता है, जब कि चालू खाता व्यापारिक लेन-देन के लिए व्यापारियों द्वारा खोला जाता है।
  2.  बचत खाते में जमा धनराशि पर निर्धारित दर से ब्याज दिया जाता है, जब कि चालू खाते में जमा धन पर किसी प्रकार का ब्याज नहीं दिया जाता, बल्कि खाताधारी से कुछ सेवा-शुल्क लिया जाता है।
  3. बचत खाते में से एक निश्चित मात्रा में ही धन निकाला जा सकता है, जब कि चालू खाते में से दिन में जितनी बार चाहें, धन निकाला जा सकता है।
    यहाँ यह स्पष्ट कर देना आवश्यक है कि बचत खाता घरेलू बचत के दृष्टिकोण से तथा चालू खाता व्यापारिक लेन-देन को अधिक सुविधाजनक बनाने के दृष्टिकोण से उपयोगी है।

प्रश्न 8.
पास-बुक और चेक-बुक में क्या अन्तर है? वर्णन कीजिए।[2008, 9, 11, 12, 14, 15, 16, 17 ]
या
चेक-बुक क्या है?(2016)
या
बैंक के कार्य लिखिए।
चेक-बुक तथा पास-बुक में अन्तर लिखिए। [2009, 17]
उत्तर:
बैंक के कार्य-पारिवारिक बचत का सर्वोत्तम तथा सर्वाधिक लोकप्रिय माध्यम बैंक है। वैको में धन जमा करने के साथ-साथ हम अपने आभूषण भी कुछ भुगतान करके जमा कर सकते हैं। बैंक हमारे धन को सुरक्षित रखते हैं और उस पर ब्याज भी देते हैं। हमारे व्यवसाय को उन्नत करने के लिए निश्चित दरों पर ऋण उपलब्ध कराते हैं। बेरोजगार युवाओं एवं युवतियों को अपना व्यापार, शिक्षा आदि के लिए भी धन उपलब्ध कराते हैं। बैंक हमारे लिए बहुत उपयोगी हैं।

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पास-बुक-बैंक प्रत्येक जमाकर्ता को खाता खोलने पर एक लेखा-पुस्तिका अर्थात् पास-बुक देता है। पास-बुक में खाताधारी का नाम, पता, खाता संख्या तथा जमा धनराशि अंकित होती है। खाते में धन जमा करते अथवा निकालते समय जमाकर्ता अपनी पास-बुक सम्बन्धित लेखा कर्मचारी को देता है जो जमा की गई अथवा निकाली गई धनराशि को पास-बुक में अंकित कर जमाकर्ता को लौटा देता हैं। अब यह कार्य कम्प्यूटर या मशीन से होने लगा है।

चेक-बुक-खाताधारक द्वारा माँगने पर बैंक उसे चेक-बुक की सुविधा प्रदान करता है। इसके लिए खाताधारक को अपने खाते में सदैव एक निश्चित धनराशि शेष रखनी पड़ती है। चेक-बुक में चेकों की संख्या 10, 25 अथवा 50 तक होती है। चेक-बुक लेते समय इसके कुल चेकों को भली प्रकार गिन लेना चाहिए। चेक-बुक को सदैव सुरक्षित स्थान पर अपनी निगरानी में रखना चाहिए। चेक द्वारा धन निकालते समय चेक पर निकाली जाने वाली (UPBoardSolutions.com) धनराशि, दिनांक व प्राप्तकर्ता का नाम भरकर खाताधारक को नियत स्थान पर अपने हस्ताक्षर करने होते हैं। अब इसे भरे हुए चेक को प्रस्तुत करने । पर बैंक अधिकारी हस्ताक्षर का मिलान करता है। हस्ताक्षर मिलने पर चेक प्रस्तुत करने वाले को चेक पर लिखी गई धनराशि का भुगतान हो जाता है।

प्रश्न 9
‘यूनिट ट्रस्ट ऑफ इण्डिया’ के विषय में आप क्या जानती हैं? संक्षेप में लिखिए।(2016)
उत्तर:
आजकल बचत का एक अत्यन्त लोकप्रिय, लाभदायक और पूर्णतया सुरक्षित साधन ‘यूनिट ट्रस्ट ऑफ इण्डिया’ द्वारा प्रसारित विभिन्न प्रकार की जमा योजनाएँ हैं। यूनिट एक प्रकार की अंश पूँजी होती है, जिसकी कीमत 10 होती है। हम यूनिट ट्रस्ट के किसी भी एजेण्ट के माध्यम से, आवेदन-पत्र देकर तथा धनराशि को क्रॉस चेक द्वारा देकर यूनिट्स खरीद सकते हैं। यूनिट्स के माध्यम से प्राप्त धन को सरकार विभिन्न सरकारी उद्योगों में लगाती है तथा प्राप्त लाभांश का 90% यूनिट्स के खरीदारों को वर्ष के अन्त में लाभांश (Dividend) के रूप में देती है। ये यूनिट्स रुपये की आवश्यकता पड़ने पर कभी भी बेचे जा सकते हैं। यूनिट ट्रस्ट ऑफ इण्डिया द्वारा समय-समय पर विभिन्न आकर्षक एवं लाभकारी योजनाएं चलायी जाती हैं।

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अतिलघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1
बचत क्या है?[2008, 09, 10, 12, 18]
उत्तर:
पारिवारिक आय में से परिवार की वर्तमान आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए व्यय करने के उपरान्त जो धनराशि शेष रह जाती है, वह बचते कहलाती है।

प्रश्न 2
प्रत्यक्ष आय और अप्रत्यक्ष आय में क्या अन्तर है ? [2011]
उत्तर:
प्रत्यक्ष आय धन (वेतन आदि) के रूप में होती है जबकि अप्रत्यक्ष आय सुविधाओं (बिना किराये का मकान, नि:शुल्क चिकित्सा एवं शिक्षा आदि) के रूप में होती है।

प्रश्न 3
डाकघर में बचत खाता खोलने से क्या लाभ होता है? समझाइए। 2015
उत्तर:
डाकघर में बचत खाता खोलने से निम्नलिखित लाभ हैं

  1.  बचत की आदत को प्रोत्साहन मिलता है।
  2. जमा धनराशि सभी प्रकार से सुरक्षित रहती है।
  3. व्यक्तिगत तथा संयुक्त खातों पर निर्धारित दर से वार्षिक ब्याज मिलता है।

प्रश्न 4
‘किसान विकास-पत्र के विषय में आप क्या जानती हैं?
उत्तर:
घरेलू बचतों के विनियोग के लिए एक उत्तम योजना किसान विकास–पत्र भी है। यह योजना डाकघर के माध्यम से चलाई जा रही है। इस योजना के अन्तर्गत जमा की गई धनराशि 9 वर्ष 5 माह में दोगुनी हो जाती है। किसान विकास-पत्र को किसी (UPBoardSolutions.com) राष्ट्रीयकृत बैंक में गिरवी रखकर ऋण प्राप्त किया जा सकता है। इस योजना के अन्तर्गत की गई बचत पर किसी प्रकार की आयकर सम्बन्धी छूट नहीं मिलती।

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प्रश्न 5
बचत के चार उद्देश्य लिखिए। [2007, 08, 09, 11, 13, 14]
उत्तर:
बचत के चार उद्देश्य हैं

  1. वृद्धावस्था में आर्थिक सुरक्षा,
  2.  बच्चों के विवाह में सहायता,
  3. आकस्मिक संकटों का सामना तथा
  4.  सामाजिक प्रतिष्ठा में वृद्धि।

प्रश्न 6
यूनिट ट्रस्ट ऑफ इण्डिया से आप क्या समझती हैं?
उत्तर:
यह योजना 1964 ई० में आरम्भ की गई थी। इसमें पारिवारिक बचत को एकत्रित कर विभिन्न उद्योगों में लगाया जाता है। लाभांश यूनिट धारकों के मध्य वितरित कर दिया जाता है।

प्रश्न 7
बैंक में धन रखना क्यों अच्छा माना जाता है? या बैंक में बचत खाता खोलने के क्या लाभ हैं? [2009, 14, 17]
उत्तर:
बैंक में बचत खाता खोलने के निम्नलिखित लाभ हैं

  1. धन पूर्ण रूप से सुरक्षित रहता है।
  2.  धन सरलतापूर्वक जमा किया व निकाला जा सकता है।
  3.  चेक की सुविधा उपलब्ध होती है।
  4.  जमा धनराशि पर ब्याज भी मिलता है।
  5. ए०टी०एम तथा ई बैकिंग की सुविधा उपलब्ध है।

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प्रश्न 8.
बैंक के कार्य लिखिए। [2008]
उत्तर:
बैंक विश्वव्यापी मुख्य वित्तीय व व्यावसायिक संस्थाएँ हैं। (UPBoardSolutions.com) ये धन के लेन-देन का कार्य उच्च स्तर पर करते हैं। हम यहाँ अपनी बचत का धन जमा भी कर सकते हैं और जरूरत पड़ने पर ऋण भी ले सकते हैं।

प्रश्न 9.
पास बुक की उपयोगिता बताइए।[2011, 14, 17]
उत्तर:
पास बुक में दिए गए विवरण से व्यक्ति को अपने खाते में हुए समस्त लेन-देन तथा ब्याज आदि की सही जानकारी प्राप्त हो जाती है।

प्रश्न 10.
चेक-बुक की क्या उपयोगिता है?
[2007, 09, 10, 11, 12, 15, 16, 17, 18]
या
चेक-बुक रखने से क्या लाभ है? [2008]
उत्तर:
बैंक द्वारा उपलब्ध कराई गई चेक-बुक के माध्यम से धन का लेन-देन सरल एवं सुरक्षित हो जाता है। एक नगर से दूसरे नगर तक धन को भेजना भी सम्भव हो जाता है।

प्रश्न 11.
चेक कितने प्रकार के होते हैं?[2014, 17]
उत्तर:
चेक प्राय: तीन प्रकार के होते हैं

  1.  साधारण चेक,
  2.  उपहार चेक तथा
  3. ट्रैवलर चेक।

प्रश्न 12.
वाहक चेक किसे कहते हैं? इसका लाभ बताइए।[2012]
उत्तर:
वाहक चेक उस चेक को कहते हैं जिसे ले जाकर कोई भी व्यक्ति बैंक से नकद राशि ले सकता है। इस प्रकार का चेक अपने किसी भी विश्वसनीय व्यक्ति को देकर बैंक से धन निकलवाया जा सकता है।

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प्रश्न 13.
उपहार चेक किसे कहते हैं?[2013]
उत्तर:
उपहार चेक र 21, 51, 101 तथा 151 तक की धनराशि के होते हैं तथा जन्म-दिन, विवाह आदि शुभ अवसरों पर भेंट किए जाते हैं।

प्रश्न 14.
ट्रैवलर चेक से आप क्या समझती हैं? या ट्रैवलर चेक की उपयोगिता लिखिए।
उत्तर:
बैंक में धन जमा कर ट्रैवलर चेक प्राप्त किए जा सकते हैं। ये प्रायः र 50/-, र 100/- एवं र 1000/- के होते हैं। ये देश के किसी भी शहर में, जहाँ पर जारीकर्ता बैंक की शाखा है, भुनाए जा सकते हैं। यात्रा आदि में धन सुरक्षित ले जाने का ये उपयुक्त माध्यम हैं। प्रश्न 15 धोखाधड़ी से बचने के लिए किस प्रकार का चेक दिया जाना चाहिए? उत्तर धोखाधड़ी से बचने के लिए रेखांकित चेक दिया जाना चाहिए।

प्रश्न 16.
रेखांकित चेक किसे कहते हैं? [2007, 08, 09, 10, 12, 15, 16, 17, 18]
उत्तर:
किसी खाताधारक द्वारा जारी वह चेक रेखांकित चेक कहलाता है जिसके बाईं ओर उसके द्वारा दो समान्तर रेखाएँ खींच दी जाती हैं। इस चेक का पैसा प्राप्तकर्ता केवल अपने खाते में ही जमा कराकर प्राप्त कर सकता है। इस चेक का नकद भुगतान नहीं किया जा सकता। इस प्रकार रेखांकित वेक द्वारा लेन-देन सुरक्षित माना जाता है।

प्रश्न 17.
जीवन बीमा से क्या लाभ हैं? । [2010]
उत्तर:
जीवन बीमा के अन्तर्गत बीमाधारक को दोहरा लाभ प्राप्त होता है। बीमा अवधि के मध्य दुर्घटना में अथवा बीमारी से बीमाधारक की मृत्यु हो जाने की दशा में नामांकिती को आर्थिक सुरक्षा के रूप में बीमा को धनराशि मिल जाती है, जब कि बीमे की अवधि (UPBoardSolutions.com) पूर्ण होने तक जीवित रहने पर बीमाधारक को बोनस सहित बीमा धनराशि प्राप्त हो जाती है।

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प्रश्न 18
डाकघर की किन्हीं दो बचत योजनाओं के नाम लिखिए।[2008, 15]
उत्तर:
प्रमुख दो बचत योजनाएँ हैं-

  1.  बचत खाता योजना तथा
  2.  संचयी सावधि जमा खाता।

प्रश्न 19
मितव्ययिता से क्या तात्पर्य है? संक्षिप्त उत्तर दीजिए।[2007]
उत्तर:
सोच-समझकर उचित कार्य में कम-से-कम व्यय करना मितव्ययिता कहलाती है।

प्रश्न 20
कोई दो बचत योजनाओं के नाम लिखिए।
उत्तर:
ऐसी दो योजनाएँ हैं

  1. किसान विकास-पत्र तथा
  2.  राष्ट्रीय बचत-पत्र योजना।

प्रश्न 21
बचत का विनियोजन करने वाली संस्थाएँ कौन-कौन सी हैं?
या
बचत को सुरक्षित रखने वाली किन्हीं दो सरकारी संस्थाओं के नाम लिखिए। [2008]
धन जमा करने की दो सरकारी संस्थाओं के नाम लिखिए। [2008, 11]
उत्तर:
ऐसी सरकारी संस्थाएँ हैं

  1. डाकघर,
  2. बैंक,
  3. भारतीय जीवन बीमा निगम,
  4.  यूनिट ट्रस्ट,
  5.  भविष्य निधि,
  6. चिट-फण्ड,
  7. सहकारी समितियाँ आदि।

प्रश्न 22
डाकघर में कितने प्रकार के खाते खोले जा सकते हैं?
उत्तर:
डाकघर में निम्न खाते खोले जा सकते हैं

  1. डाकघर बचत बैंक,
  2.  डाकघर सावधि जमा खाता,
  3. 5 वर्षीय डाकघर आवर्ती जमा खाता,
  4. 15 वर्षीय लोक भविष्य निधि खाता,
  5.  राष्ट्रीय बचत योजना खाता
  6. किसान विकास पत्र तथा
  7.  सुकन्या समृद्धि खाता।

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प्रश्न 23
राष्ट्रीय बचत-पत्र क्या है? [2007, 08, 09, 12, 13, 14, 16, 17]
उत्तर:
राष्ट्रीय बचत-पत्र र 100/-, र 500/-, र 1,000/-, र 5,000/- तथा (UPBoardSolutions.com) र 10,000/- मूल्य वर्ग में उपलब्ध होते हैं। ये बचत का बहुत अच्छा साधन हैं। यह योजना 5 वर्षीय तथा 10 वर्षीय होती है। और इसमें आयकर में छूट भी मिलती है।

प्रश्न 24
आय कितने प्रकार की होती है?[2008]
उत्तर:
आय दो प्रकार की होती है

  1. प्रत्यक्ष आय तथा
  2.  अप्रत्यक्ष आय।

प्रश्न 25
बैंक के दो प्रकार के खातों के नाम लिखिए। 09
उत्तर:

  1. बचत खाती तथा
  2.  चालू खाता।

प्रश्न 26
आय के साधन लिखिए।
उत्तर:
पारिवारिक आय के सम्भावित साधन हैं-वेतन, पेंशन, दैनिक मजदूरी, कृषि, व्यापार या व्यवसाय, घरेलू उद्योग-धन्धे, पशुपालन, ब्याज, उपहार तथा कुछ अन्य स्रोत।

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बहुविकल्पीय प्रश्न

प्रश्न-निम्नलिखित बहुविकल्पीय प्रश्नों के सही विकल्पों का चुनाव कीजिए

प्रश्न 1.
आय-व्यय में सन्तुलन हेतु निम्नलिखित में से कौन-सा साधन उपयुक्त होगा?
(क) वार्षिक बजट
(ख) मासिक बजेट
(ग) साप्ताहिक बजट
(घ) दैनिक बजट

प्रश्न 2.
निम्नलिखित में से कौन-सी वस्तु पूँजी नहीं है ?
(क) दस का नोट
(ख) फैक्टरी भवन
(ग) टैक्सी
(घ) औजार

प्रश्न 3.
बचत का मुख्य प्रयोजन है 2011, 16, 17
(क) भविष्य के आवश्यक और आकस्मिक व्यय के लिए
(ख) मनोरंजन के लिए
(ग) विलासात्मक आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए
(घ) सुख-प्राप्ति के लिए ।

प्रश्न 4.
बचत को सुरक्षित रखने का प्रमुख साधन है। 2012, 17
(क) बॉक्स में रखना।
(ख) बैंक में जमा करना
(ग) पड़ोसियों के घर रखना
(घ) इनमें से कोई नहीं

प्रश्न 5.
बचत आर्थिक सुरक्षा का साधन है।
(क) स्कूली बच्चों के लिए।
(ख) पड़ोसियों के लिए
(ग) स्वयं तथा आश्रितों के लिए
(घ) मेहमानों के लिए

प्रश्न 6.
यदि पारिवारिक आय से व्यय कम हो तो शेष धन को कहते हैं
(क) फालतू धन ।
(ख) अनावश्यक धन
(ग) पारिवारिक बचत
(घ) व्यावसायिक आय

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प्रश्न 7.
निम्नलिखित में से किसे निःसंचय कहेंगे?
(क) व्यय के बाद बचे धन को जमीन में गाड़ देने को
(ख) उपलब्ध धन को तिजोरी में बन्द करके रखने को
(ग) कीमती आभूषण बनवाने को
(घ) उपर्युक्त सभी को

प्रश्न 8.
बैंक में कम-से-कम कितनी राशि से खाता खोला जा सकता है? [2013]
(क) र 1,000
(ख) र 200
(ग) र 100
(घ) र 500।

प्रश्न 9.
जीवन बीमा मुख्य रूप से सुरक्षा का साधन है।
(क) स्वयं के लिए।
(ख) पड़ोसियों के लिए
(ग) आश्रितों के लिए
(घ) किसी के लिए नहीं

प्रश्न 10.
किसी शुभ अवसर पर दिया जाने वाला चेक कहलाता है। 2009, 10, 17
(क) ट्रैवलर चेक
(ख) क्रॉस चेक
(ग) उपहार चेक
(घ) ऑर्डर चेक

प्रश्न 11.
उपहार चेक की राशि होती है ।
(क) र 25
(ख) र 21
(ग) र 30
(घ) र 50

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प्रश्न 12.
संचायिका जमा खाता किसके लिए लाभदायक है? [2009, 11, 13]
(क) वृद्धों के लिए।
(ख) स्कूली बच्चों के लिए
(ग) नौकरी करने वालों के लिए।
(घ) गृहिणी वर्ग के लिए

प्रश्न 13.
यूनिट ट्रस्ट ऑफ इण्डिया योजना किस वर्ष में प्रारम्भ की गई थी?
(क) 1967 ई० में
(ख) 1966 ई० में
(ग) 1964 ई० में
(घ) 1974 ई० में

प्रश्न 14.
दैनिक जीवन में किसकी बचत अति आवश्यक है ? [2009
(क) समय
(ख) धन
(ग) श्रम
(घ) इन सभी की

प्रश्न 15.
सरकारी कर्मचारी को सेवानिवृत्ति के उपरान्त प्राप्त होता है। [2014]
(क) वेतन
(ख) पेंशन
(ग) बोनस
(घ) इनमें से कुछ नहीं

प्रश्न 16.
बचत की आवश्यकता है। [2016, 17 ]
(क) मनोरंजन के लिए।
(ख) बँगला खरीदने के लिए।
(ग) भविष्य के आकस्मिक खर्चे के लिए
(घ) ये सभी

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प्रश्न 17.
जीवन बीमा का मुख्य उद्देश्य है। [2015]
(क) शादी विवाह के लिए धन उपलब्ध कराना
(ख) बीमाधारक को आर्थिक सुरक्षा प्रदान करना
(ग) अधिक ब्याज देना
(घ) बीमा धारक के आश्रितों को आर्थिक सुरक्षा प्रदान करना

प्रश्न 18.
किसान विकास-पत्र योजना है। [2016]
(क) जीवन बीमा की
(ख) डाकखाने की
(ग) बैंक की
(घ) इनमें से कोई नहीं इतर

उत्तर:

  1. (ख) मासिक बजट,
  2.  (घ) औजार,
  3.  (क) भविष्य के आवश्यक और आकस्मिक व्यय के लिए,
  4. (ख) बैंक में जमा करना,
  5. (ग) स्वयं तथा आश्रितों के लिए,
  6. (ग) पारिवारिक बचत,
  7.  (घ) उपर्युक्त सभी को,
  8.  (ग) र 100,
  9. (ग) आश्रितों के लिए,
  10.  (ग) उपहार चेक,
  11.  (ख) र 21,
  12. (ख) स्कूली बच्चों के लिए,
  13. (ग) 1964 ई० में,
  14. (घ) इन सभी की,
  15. (ख) पेंशन,
  16.  (घ) ये सभी,
  17.  (घ) बीमा धारक के आश्रितों को आर्थिक सुरक्षा प्रदान करना,
  18.  (ख) डाकखाने की।

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UP Board Solutions for Class 9 Social Science Civics Chapter 4 चुनावी राजनीति

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पाठ्य-पुस्तक के प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
चुनाव क्यों होते हैं, इस बारे में इनमें से कौन-सा वाक्य ठीक नहीं है?
(क) चुनाव लोगों को सरकार के कामकाज का फैसला करने का अवसर देते हैं।
(ख) लोग चुनाव में अपनी पसंद के उम्मीदवार का चुनाव करते हैं।
(ग) चुनाव लोगों को न्यायपालिका के कामकाज का मूल्यांकन करने का अवसर देते हैं।
(घ) लोग चुनाव से अपनी पसंद की नीतियाँ बना सकते हैं।
उत्तर:
(ग) चुनाव लोगों को न्यायपालिका के कामकाज का मूल्यांकन करने का अवसर देते हैं।

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प्रश्न 2.
भारत के चुनाव लोकतांत्रिक हैं, यह बताने के लिए इनमें कौन-सा वाक्य सही कारण नहीं देता?
(क) भारत में दुनिया के सबसे ज्यादा मतदाता हैं।
(ख) भारत में चुनाव आयोग काफी शक्तिशाली है।
(ग) भारत में 18 वर्ष से अधिक उम्र का हर व्यक्ति मतदाता है।
(घ) भारत में चुनाव हारने वाली पार्टियाँ जनादेश स्वीकार कर लेती हैं।
उत्तर:
(क) भारत में दुनिया के सबसे ज्यादा मतदाता हैं।

प्रश्न 3.
निम्नलिखित में मेल हूँढ़ें|
UP Board Solutions for Class 9 Social Science Civics Chapter 4 चुनावी राजनीति
उत्तर:
UP Board Solutions for Class 9 Social Science Civics Chapter 4 चुनावी राजनीति

प्रश्न 4.
इस अध्याय में वर्णित चुनाव सम्बन्धी सभी गतिविधियों की सूची बनाएँ और इन्हें चुनाव में सबसे पहले किए जाने वाले काम से लेकर आखिर तक के क्रम में सजाएँ। इनमें (UPBoardSolutions.com) से कुछ मामले हैं- . चुनावी घोषणा-पत्र जारी करना, वोटों की गिनती, मतदाता सूची बनाना, चुनाव अभियान, चुनाव नतीजों की घोषणा, मतदान, पुनर्मतदान के आदेश, चुनाव प्रक्रिया की घोषणा, नामांकन दाखिल करना।
उत्तर:

  1. मतदाता सूची बनाना
  2.  चुनाव प्रक्रिया की घोषणा
  3.  नामांकन दाखिल करन
  4. चुनाव घोषणा-पत्र जारी करना
  5. चुनाव-अभियान
  6.  मतदान
  7.  पुनर्मतदान के आदेश
  8. वोटों की गिनती
  9.  चुनाव नतीजों की घोषणा।

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प्रश्न 5.
सुरेखा एक राज्य विधानसभा क्षेत्र में स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराने वाली अधिकारी है। चुनाव के इन चरणों में उसे किन-किन बातों पर ध्यान देना चाहिए?
(क) चुनाव प्रचार
(ख) मतदान के दिन
(ग) मतगणना के दिन
उत्तर:
(क) चुनाव प्रचार : इसके लिए सुरेखा को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि उम्मीदवार निम्नलिखित कार्य न करें

  1. चुनाव प्रचार हेतु पूजा स्थलों का प्रयोग करना।
  2.  मंत्रीगणों द्वारा सरकारी वाहनों, हवाई जहाजों एवं कर्मचारियों का चुनाव हेतु प्रयोग।
  3.  मतदाताओं को रिश्वत/घूस अथवा धमकी देना।
  4.  जाति अथवा धर्म के नाम पर वोट देने की अपील करना।
  5. चुनाव अभियान के लिए सरकारी संसाधनों का प्रयोग करना।
  6.  लोकसभा चुनाव हेतु चुनाव क्षेत्र में 25 लाख तथा विधानसभा चुनाव में 10 लाख से अधिक खर्च करना।

(ख) मतदान के दिन : इस दिन सुरेखा को यह सुनिश्चित करना होगा कि चुनावी गड़बड़ी, मतदान केन्द्रों पर कब्जा न हो।

(ग)। वोटों की गिनती का दिन : इस दिन सुरेखा को यह सुनिश्चित करना होगा कि सभी उम्मीदवारों के एजेन्ट वोटों की सुचारु रूप से गणना सुनिश्चित करने के लिए वहाँ मौजूद हैं।

प्रश्न 6.
नीचे दी गई तालिका बताती है कि अमेरिकी कांग्रेस के चुनावों के विजयी उम्मीदवारों में अमेरिकी समाज के विभिन्न समुदाय के सदस्यों का क्या अनुपात था। ये किस अनुपात में जीते। इसकी तुलना अमेरिकी समाज में इन समुदायों की आबादी के अनुपात से कीजिए। इसके आधार पर क्या आप अमेरिकी संसद के चुनाव में भी आरक्षण का सुझाव देंगे? अगर हाँ, तो क्यों और किस समुदाय के लिए? अगर नहीं तो क्यों?
UP Board Solutions for Class 9 Social Science Civics Chapter 4 चुनावी राजनीति
उत्तर:
उपर्युक्त तालिका के आधार पर हिस्पैनिक समुदाय के लिए आरक्षण एक अच्छा विचार है। हिस्पैनिक समुदाय की जनसंख्या के अनुपात में प्रतिनिधित्व प्रदान करने के लिए ऐसा करना आवश्यक है।

प्रश्न 7.
क्या हम इस दी गई सूचनाओं के आधार पर निम्नलिखित निष्कर्ष निकाल सकते हैं? इनमें सभी पर अपनी राय के पक्ष में दो तथ्य प्रस्तुत कीजिए।
(क) भारत के चुनाव आयोग को देश में स्वतन्त्र और निष्पक्ष चुनाव करा सकने लायक पर्याप्त अधिकार नहीं हैं।
(ख) हमारे देश के चुनाव में लोगों की जबर्दस्त भागीदारी होती है। (ग) सत्ताधारी पार्टी के लिए चुनाव जीतना बहुत आसान होता है।
(घ) अपने चुनावों को पूरी तरह से निष्पक्ष और स्वतन्त्र बनाने के लिए कई कदम उठाने जरूरी हैं।
उत्तर:
(क) ऐसा नहीं है। यथार्थ में निर्वाचन आयोग को देश में स्वतन्त्र एवं निष्पक्ष चुनाव कराने का अधिकार प्राप्त है।
यह चुनाव के दौरान आदर्श आचार संहिता (UPBoardSolutions.com) लागू करता है तथा इसका उल्लंघन करने वाले राजनीतिक दलों या प्रत्याशियों को दण्डित करता है। चुनाव ड्यूटी के दौरान नियुक्त कर्मचारी चुनाव आयोग के अधीन कार्य करते हैं न कि सरकार के।

(ख) यह सत्य है। चुनावों में लोगों की भागीदारी प्रायः मतदान करने वाले लोगों के आँकड़ों से मानी जाती है। मतदान
प्रतिशत योग्य मतदाताओं में से वास्तव में मतदान करने वाले लोगों के प्रतिशन को प्रदर्शित करता है। मतदाता चुनावों द्वारा राजनीतिक दलों पर अपने अनुकूल नीति एवं कार्यक्रमों के लिए दबाव डाल सकते हैं। मतदाताओं को ऐसा लगता है कि देश के शासन-संचालन के, तरी में उनके मन का विशेष महत्त्व है।

(ग) यह सत्य नहीं है। सत्ताधारी भी चुनाव में पराजित हुए हैं। कई बार ऐसे प्रत्याशी जो चुनावों में अधिक धन खर्च करते हैं, चुनाव हार जाते हैं।

(घ) यह सत्य है। चुनाव सुधार के द्वारा धन बल और अपराधिक छवि वाले उम्मीदवारों को राजनीति से दूर करने की आवश्यकता है। क्योंकि कई बार धन-बल और अपराधिक छवि वाले लोग राजनीतिक दलों से टिकट
पाने और चुनाव जीतने में सफल हो जाते हैं। ऐसे लोग जनकल्याण नहीं कर सकते बल्कि ये अपनी स्वार्थ सिद्ध में ही लगे रहते हैं।

प्रश्न 8.
चिनप्पा को दहेज के लिए अपनी पत्नी को परेशान करने के जुर्म में सजा मिली थी। सतबीर को छुआछूत मानने को दोषी माना गया था। दोनों को अदालत ने चुनाव लड़ने की (UPBoardSolutions.com) इजाजत नहीं दी। क्या यह फैसला लोकतांत्रिक चुनावों के बुनियादी सिद्धान्तों के खिलाफ जाता है? अपने उत्तर के पक्ष में तर्क दीजिए।
उत्तर:
यह निर्णय लोकतांत्रिक चुनावों के आधारभूत सिद्धान्तों के विरुद्ध नहीं है क्योंकि चिनप्पा और सतबीर दोनों ही अपराधी हैं। दोनों को कानून का पालन न करने पर न्यायालय द्वारा दण्डित किया जा चुका है अर्थात् ये दोनों देश के लिए । ‘ अच्छे व आदर्श नागरिक सिद्ध नहीं हुए हैं। इसलिए उन्हें केन्द्र अथवा राज्य सरकार में कोई पद धारण नहीं करने देना चाहिए क्योंकि उनमें परिवार और समाज के प्रति सम्मान का अभाव है और उनसे देश व समाज के प्रति सम्मान प्रदर्शन की आशा नहीं है।

प्रश्न 9.
यहाँ दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में चुनावी गड़बड़ियों की कुछ रिपोटें दी गई हैं। क्या ये देश अपने यहाँ के चुनावों के सुधार के लिए भारत से कुछ बातें सीख सकते हैं? प्रत्येक मामले में आप क्या सुझाव देंगे?
(क) नाइजीरिया के एक चुनाव में मतगणना अधिकारी ने जान-बूझकर एक उम्मीदवार को मिले वोटों की संख्या बढ़ा दी और उसे विजयी घोषित कर दिया। बाद में अदालत ने पाया कि दूसरे उम्मीदवार को मिले पाँच लाख वोटों को उस उम्मीदवार के पक्ष में दर्ज कर लिया गया था।

(ख)फिजी में चुनाव से ठीक पहले एक परचा बाँटा गया जिसमें धमकी दी गयी थी कि अगर पूर्व प्रधानमंत्री महेंद्र चौधरी के पक्ष में वोट दिया गया तो खून-खराबा हो जाएगा। यह धमकी भारतीय मूल के मतदाताओं को दी गई थी।

(ग) अमेरिका के हर प्रान्त में मतदान, मतगणना और चुनाव संचालन की अपनी-अपनी प्रणालियाँ हैं। सन् 2000 ई. के चुनाव में फ्लोरिडा प्रान्त के अधिकारियों ने जॉर्ज (UPBoardSolutions.com) बुश के पक्ष में अनेक विवादास्पद फैसले लिए पर उनके फैसले को कोई भी नहीं बदल सका।
उत्तर:
(क) यदि चुनाव अधिकारी द्वारा की गयी गड़बड़ी न्यायालय में प्रमाणित हो जाती है तो उस चुनाव को अवैध घोषित कर दिया जाना चाहिए और उस चुनाव को दोबारा कराया जाना चाहिए। भारत में मतगणना के दौरान धाँधली सम्भव नहीं है क्योंकि मतगणना के दौरान उम्मीदवार अथवा उनके प्रतिनिधि मतगणना केन्द्र पर उपस्थित रहते हैं और मतगणना उनके सामने होती है।

(ख) चुनाव से पूर्व किसी प्रत्याशी के विरोध हेतु धमकी भरा परचा निकालना और एक समुदाय को भयभीत करना निश्चित रूप से चुनाव आचार संहिता का उल्लंघन है। इस परचे को जारी करने वाले व्यक्ति अथवा राजनीतिक दल का पता लगा करके उसे दण्डित किया जाना चाहिए। क्योंकि चुनाव परिणाम को प्रभावित करने के लिए धमकी देना लोकतांत्रिक सिद्धान्तों के विरुद्ध है।

(ग) चूँकि, संयुक्त-राज्य अमेरिका के प्रत्येक राज्य को अपने चुनाव-संबंधी कानून बनाने का अधिकार है, फ्लोरिडा राज्य द्वारा लिया गया निर्णय उस राज्य के चुनाव के कानूनों के अनुकूल होगा। यदि ऐसा है तो किसी को भी ऐसे निर्णय को चुनौती देने का अधिकार नहीं होता। भारत में चूंकि (UPBoardSolutions.com) राज्यों को अपने अलग चुनाव-सम्बन्धी कानून बनाने का अधिकार नहीं है, यहाँ पर ऐसी स्थिति उत्पन्न नहीं हो सकती।

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प्रश्न 10.
भारत में चुनावी गड़बड़ियों से सम्बन्धित कुछ रिपोर्टों यहाँ दी गयी हैं। प्रत्येक मामले में समस्या की पहचान कीजिए। इन्हें दूर करने के लिए क्या किया जा सकता है?
(क) चुनाव की घोषणा होते ही मंत्री महोदय ने बन्द पड़ी चीनी मिल को दोबारा खोलने के लिए वित्तीय सहायता देने की घोषणा की।
(ख) विपक्षी दलों का आरोप था कि दूरदर्शन और आकाशवाणी पर उनके बयानों और चुनाव अभियान को उचित जगह नहीं मिली।
(ग) चुनाव आयोग की जाँच से एक राज्य की मतदाता सूची में 20 लाख फर्जी मतदाताओं के नाम मिले।
(घ) एक राजनैतिक दल के गुण्डे बन्दूकों के साथ घूम रहे थे, दूसरी पार्टियों के लोगों को मतदान में भाग लेने से रोक रहे थे और दूसरी पार्टी की चुनावी सभाओं पर हमले कर रहे थे।
उत्तर:
(क) चुनावी की तिथि घोषित हो जाने के बाद सरकार द्वारा नीतिगत निर्णय लेना उचित नहीं है। मंत्री महोदय ने चीनी मिल को आर्थिक सहायता देने का वायदा करके एक नीतिगत निर्णय की घोषणा की है। जो कि अनुचित है। क्योंकि इससे चुनाव को प्रभावित करने की मंशा साफ झलकती है। (UPBoardSolutions.com) अतः मंत्री महोदय को चुनाव लड़ने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए। मंत्री महोदय का कृत्य आदर्श चुनाव आचार-संहिता का स्पष्ट उल्लंघन है।

(ख) सभी राजनैतिक दलों को रेडियो तथा दूरदर्शन अपने विचार प्रस्तुत करने की स्वतन्त्रता एवं समय दिया जाना चाहिए। भारत में सभी राजनैतिक दलों को निर्वाचन आयोग द्वारा समय दिया जाता है। विपक्षी दल के बयानों । एवं चुनाव अभियान को दूरदर्शन तथा आकाशवाणी पर उचित स्थान न देकर सरकार ने अपनी स्थिति का दुरुपयोग किया है। इसके प्रत्युत्तर में विपक्ष को राष्ट्रीय मीडिया में पर्याप्त समय मिलना चाहिए।

(ग) फर्जी मतदाताओं की मौजूदगी का अर्थ है कि मतदाता सूची तैयार करने वाले अधिकारियों ने चुनावी गड़बड़ी की तैयारी की थी। चुनाव आयोग को मतदाता सूची की तैयारी की देखभाल करनी चाहिए।

(घ) गुण्डों एवं आपराधिक तत्त्वों का प्रयोग करके राजनैतिक दलों द्वारा अपने प्रतिद्वन्द्वियों द्वारा धमकाना और भयभीत करना राजनैतिक दुराचार है। बन्दूक तथा अन्य घातक हथियारों के साथ चुनाव के दौरान लोगों का घूमना फिरना बन्द किया जाना चाहिए। जिनके पास लाइसेंसी हथियार हैं (UPBoardSolutions.com) उनके हथियार चुनावी प्रक्रिया शुरू होते ही जमा करा लिए जाने चाहिए तथा अवैध हथियार लेकर घूमने वालों को दण्डित किया जाना चाहिए। सभी उम्मीदवारों को सरकार की ओर से सुरक्षा उपलब्ध कराई जानी चाहिए। इस बात के पुख्ता इंतजाम किए जाने चाहिए कि असामाजिक तत्त्व चुनाव के दौरान गड़बड़ी न कर सकें।

प्रश्न 11.
जब यह अध्याय पढ़ाया जा रहा था तो रमेश कक्षा में नहीं आ पाया था। अगले दिन कक्षा में आने के बाद उसने अपने पिताजी से सुनी बातों को दोहराया। क्या आप रमेश को बता सकते हैं कि उसके इन बयानों में क्या गड़बड़ी है?
(क) औरतें उसी तरह वोट देती हैं जैसा पुरुष उनसे कहते हैं इसलिए उनके मताधिकार का कोई मतलब नहीं है।
(ख) पार्टी-पॉलिटिक्स से समाज में तनाव पैदा होता है। चुनाव में सबकी सहमति वाला फैसला होना चाहिए, प्रतिद्वंद्विता नहीं होनी चाहिए।
(ग) सिर्फ स्नातकों को ही चुनाव लड़ने की इजाजत होनी चाहिए।
उत्तर:
(क) यह बात सही नहीं है। वर्तमान भारत में आज ऐसी महिलाएँ बहुत बड़ी संख्या में विद्यमान हैं जो स्वेच्छा से मतदान करती हैं। महिलाओं को मताधिकार से वंचित करना अथवा उन्हें जबरन किसी प्रत्याशी विशेष के लिए मतदान करने के लिए प्रेरित करना लोकतांत्रिक रूप से अनुचित है। (UPBoardSolutions.com) इसीलिए विश्व के सभी लोकतांत्रिक देशों में महिलाओं को मतदान और चुनाव लड़ने का अधिकार दिया गया है।

(ख) यह सत्य है कि दलगत राजनीति समाज में तनाव उत्पन्न करती है किन्तु इसके लिए कोई दूसरा रास्ता भी नहीं है। वर्तमान में राज्यों की जनसंख्या करोड़ों में है और इतने लोगों से किसी सहमति पर पहुँचना बहुत कठिन होगा।

(ग) केवल स्नातकों को चुनाव लड़ने का अधिकार देना अलोकतांत्रिक होगा। इसका आशय यह होगा कि उन लोगों को चुनाव न लड़ने दिया जाए जो स्नातक नहीं हैं। प्रत्याशियों का शिक्षित होना अच्छी बात है, लेकिन इसके लिए सरकार को दायित्व है कि वह लोगों को शिक्षित करने का प्रयास करे।

अतिलघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
चुनाव का अर्थ बताइए।
उत्तर:
लोकतन्त्र में शासन जनता द्वारा निर्वाचित जनप्रतिनिधियों के माध्यम से चलाया जाता है। चुनाव वह प्रक्रिया है। जिसके माध्यम से नागरिक अपने प्रतिनिधियों का चुनाव करते हैं।

प्रश्न 2.
मतदाता किसे कहते हैं?
उत्तर:
एक राज्य में निवास करने वाले ऐसे व्यक्ति जिन्हें प्रतिनिधियों के चुनाव में भाग लेने एवं मतदान करने का अधिकार होता है उन्हें मतदाता कहा जाता है।

प्रश्न 3.
चुनावी धाँधली से क्या आशय है?
उत्तर:
चुनाव में अपने वोट बढ़ाने के लिए उम्मीदवारों और राजनीतिक दलों द्वारा की जाने वाली गड़बड़ी को चुनावी धाँधली कहते हैं। एक ही व्यक्ति द्वारा अलग-अलग लोगों के नाम पर वोट डालना और मतदान अधिकारी को डरा धमका कर या घूस देकर अपने उम्मीदवार के पक्ष में काम करवाने जैसी बातें चुनावी धाँधली में शामिल हैं।

प्रश्न 4.
मतदान केन्द्र पर कब्जा से क्या आशय है?
उत्तर:
मतदान के दौरान किसी उम्मीदवार अथवा दल के समर्थकों अथवा भाड़े के अपराधियों द्वारा मतदान केन्द्रों पर नियंत्रण करना, असली मतदाताओं को मतदान केन्द्रों पर आने से रोकना तथा स्वयं ज्यादातर वोट डाल देना, मतदान केन्द्रों पर कब्जा कहलाता है।

प्रश्न 5.
चुनाव में उम्मीदवार बनने की योग्यता बताइए।
उत्तर:
चुनाव में उम्मीदवार के लिए निम्न योग्यताएँ होनी चाहिए

  1. वह देश का नागरिक हो।
  2. उस पर किसी तरह का अपराध करने का आरोप सिद्ध नहीं हुआ हो।
  3.  25 वर्ष की न्यूनतम आयु वाला कोई भी मतदाता।
  4.  वह पागल व दिवालिया न हो।।

प्रश्न 6.
लोकतन्त्र में चुनाव का महत्त्व बताइए।
उत्तर:
आधुनिक राज्यों में प्रायः अप्रत्यक्ष लोकतन्त्र को स्थापित किया गया है। इस प्रणाली में मतदाता एक निश्चित काल के लिए अपने प्रतिनिधियों का चुनाव करते हैं, जो सरकार को चलाते हैं। प्रतिनिधियों को चुनने के लिए चुनाव आवश्यक होते हैं। चुनाव प्रायः दलीय आधार पर लड़े जाते हैं, परन्तु (UPBoardSolutions.com) कई उम्मीदवार स्वतन्त्र (Independent) उम्मीदवार भी चुनाव लड़ते हैं। चुनावों में जिस राजनैतिक दल को पूर्ण बहुमत प्राप्त हो जाता है, वह सरकार का गठन करता है और शासन की बागडोर अपने हाथों में सँभालता है।

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प्रश्न 7.
आधुनिक लोकतन्त्र को अप्रत्यक्ष लोकतन्त्र क्यों कहते हैं?
उत्तर:
आधुनिक राज्य जनसंख्या और क्षेत्रफल की दृष्टि से बहुत बड़े हैं। इसमें सभी मतदाताओं के लिए राज्य के कार्यों में प्रत्यक्ष रूप से भाग लेना सम्भव नहीं है। इसमें नागरिक एक निश्चित अवधि के लिए अपने जनप्रतिनिधियों का चुनाव करते हैं जो उसे निर्धारित अवधि तक शासन का संचालन करते हैं। प्रतिनिधियों के माध्यम से संचालित होने के कारण ही इसे अप्रत्यक्ष लोकतन्त्र कहते हैं।

प्रश्न 8.
उप-चुनाव से आप क्या समझते हैं? |
उत्तर:
संसद या राज्य विधानमण्डल के किसी सदस्य की मृत्यु होने अथवा सदस्य द्वारा किसी कारण से त्यागपत्र देने
या उसे पदच्युत किए जाने की स्थिति में रिक्त हुई लोकसभा या विधानसभा सीट के लिए कराए जाने वाले चुनाव को उपचुनाव कहते हैं। इस चुनाव में निर्वाचित सदस्य केवल उस सदन के शेष कार्यकाल के लिए ही चुने जाते हैं। .

प्रश्न 9.
मुख्य चुनाव आयुक्त की नियुक्ति और पदमुक्त करने की प्रक्रिया का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
भारत के राष्ट्रपति द्वारा देश के मुख्य निर्वाचन आयुक्त की नियुक्ति की जाती है। एक बार नियुक्त हो जाने के बाद चुनाव आयुक्त राष्ट्रपति या सरकार के प्रति जवाबदेह नहीं होता है। यदि शासक दल या सरकार को चुनाव आयुक्त पसन्द न हो तब भी मुख्य चुनाव आयुक्त को उसके पद से मुक्त कर पाना सम्भव नहीं होता है।

प्रश्न 10.
चुनाव में किस तरह की गड़बड़ियों की आशंका होती है?
उत्तर:
चुनाव में निम्न गड़बड़ियों की आशंका बनी रहती है

  1. अमीर उम्मीदवारों और बड़ी पार्टियों द्वारा बड़े पैमाने पर धन खर्च करने की।
  2. मतदान के दिन मतदाताओं को डराना और फर्जी मतदान करना।
  3. मतदाता सूची में फर्जी नाम डालने और असली नामों को गायब करने की।
  4. शासक दल द्वारा सरकारी सुविधाओं और अधिकारियों के दुरुपयोग की।

प्रश्न 11.
भारत में किसे मताधिकार प्राप्त है? किसे मताधिकार से वंचित किया जा सकता है?
उत्तर:
भारत में वयस्कता की आयु 18 वर्ष निर्धारित की गयी है। 18 वर्ष या इससे अधिक उम्र का कोई व्यक्ति चुनाव में मतदान कर सकता है। उसे जाति, धर्म, लिंग के आधार पर मताधिकार से वंचित नहीं किया जा सकता है। लेकिन अपराधियों एवं मानसिक रूप से असंतुलित लोगों को मताधिकार का प्रयोग करने का अधिकार नहीं है।

प्रश्न 12.
“मतदाता सूची’ किसे कहते हैं?
उत्तर:
लोकतांत्रिक निर्वाचन व्यवस्था में निर्वाचन से पहले मतदान की योग्यता रखने वालों की सूची तैयार की जाती है।
इस सूची को अधिकारिक रूप से मतदाता सूची कहते हैं।

प्रश्न 13.
1987 ई. में हुए हरियाणा राज्य विधानसभा के बाद अस्तित्व में आयी सरकार ने क्या महत्त्वपूर्णघोषणा की?
उत्तर:
हरियाणा में चुनाव परिणामों की घोषणा के बाद चौधरी देवीलाल राज्य के प्रथम मुख्यमंत्री बने। मुख्यमंत्री पद ग्रहण करने के बाद चौधरी देवीलाल ने सर्वप्रथम छोटे किसान, खेतिहर मजदूर और छोटे व्यापारियों के बकाया ऋण को माफ करने का निर्णय किया।

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प्रश्न 14.
न्याय युद्ध आन्दोलन से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
हरियाणा में 1982 ई. में कांग्रेस के नेतृत्व वाली सरकार अस्तित्व में थी। तत्कालीन नेता विपक्ष चौधरी देवीलाल ने कांग्रेस शासन के विरुद्ध न्याय युद्ध आन्दोलन का नेतृत्व किया (UPBoardSolutions.com) और लोकदल नामक नए राजनीतिक दल का गठन किया। चौधरी देवीलाल ने कांग्रेस के विरुद्ध चुनाव लड़ने के लिए अन्य विपक्षी दलों को मिलाकर एक मोर्चे का गठन किया।

प्रश्न 15.
1971 ई. में इन्दिरा गाँधी ने, 1977 ई. में जनता पार्टी ने और 1977 ई. में ही बंगाल में वामपंथियों ने चुनाव में क्या नारा दिया था?
उत्तर:
1971 ई. के लोकसभा के चुनावों में इन्दिरा गाँधी की नेतृत्व वाली कांग्रेस पार्टी ने गरीबी हटाओ का नारा दिया। था। 1977 ई. में हुए लोकसभा चुनावों में जनता पार्टी ने लोकतन्त्र बचाओ का नारा दिया था। वामपंथी दलों ने 1977 ई. में हुए पश्चिम बंगाल विधान सभा चुनाव में जमीन जोतने वाले को जमीन का नारा दिया था।

प्रश्न 16.
मध्यावधि चुनाव किसे कहते हैं?
उत्तर :
भारत में लोकसभा और विधानसभा का चुनाव प्रायः पाँच वर्ष के लिए करवाया जाता है किन्तु यदि लोकसभा या विधानसभा को उसके निश्चित कार्यकाल से पहले भंग कर दिया जाता है तो उसके लिए नए चुनाव करवाए जाते हैं, तो ऐसे चुनाव को

प्रश्न 17.
भारत के मुख्य निर्वाचन आयुक्त (2018) कौन हैं?
उत्तर:
भारत के वर्तमान (2018) मुख्य चुनाव आयुक्त ओम प्रकाश रावत हैं। इनकी नियुक्ति अचल कुमार ज्योति के स्थान पर 23 जनवरी, 2018 ई. को की गयी। वे भारत के 22वें मुख्य निर्वाचन आयुक्त हैं। चुनाव आयुक्त का कार्यकाल 6 वर्ष या 65 वर्ष की अवधि तक होता है।

प्रश्न 18.
चुनाव को लोकतांत्रिक बनाने के दो आधार बताइए।
उत्तर:
(i) प्रत्येक मतदाता को समान रूप से चुनाव लड़ने का अधिकार हो और राजनैतिक दलों तथा उम्मीदवारों को चुनाव लड़ने की आजादी हो और वे मतदाताओं के (UPBoardSolutions.com) सम्मुख विकल्प प्रस्तुत कर सकें।
(ii) देश के प्रत्येक नागरिक को बिना किसी प्रकार के भेदभाव के मतदान का अधिकार प्राप्त हो और प्रत्येक मतदाता के मत का मूल्य समान हो।

प्रश्न 19.
राजनैतिक प्रतिद्वन्द्विता का महत्त्व बताइए।
उत्तर:
चुनाव का वास्तविक अर्थ राजनैतिक प्रतिद्वन्द्विता है। इसके कई रूप हो सकते हैं जिनमें से सबसे स्पष्ट रूप है।
राजनैतिक दलों के बीच प्रतिद्वन्द्विता। निर्वाचन-क्षेत्र में इसका रूप उम्मीदवारों के बीच प्रतिद्वन्द्विता का हो जाता है।
यदि प्रतिद्वन्द्विता न रहे तो चुनाव बेमानी हो जाएँगे।

प्रश्न 20.
चुनाव आयोग के दो प्रमुख कार्य बताइए।
उत्तर:
चुनाव आयोग के दो प्रमुख कार्य इस प्रकार हैं

  1. यह चुनावों का प्रबन्ध, निर्देशन नथा नियंत्रण करता है तथा चुनावों से सम्बन्धित समस्याओं का समाधान करता है।
  2.  चुनाव आयोग चुनावों से पूर्व चुनाव-क्षेत्र के आधार पर मतदाताओं की सूचियाँ तैयार करवाता है।

प्रश्न 21.
भारत की चुनाव-व्यवस्था के कोई दो दोष (त्रुटियाँ) लिखें।
उत्तर:
(i) चुनावों में धन की बढ़ती हुई भूमिका।
(ii) जाति तथा धर्म के आधार पर मतदान।

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प्रश्न 22.
गुप्त मतदान का क्या अर्थ है?
उत्तर:
गुप्त मतदान का अर्थ है कि चुनाव अधिकारियों द्वारा चुनाव के लिए ऐसी प्रबन्ध किया जाता है कि स्वयं मतदाता के अतिरिक्त किसी अन्य व्यक्ति को यह मालूम न हो कि मतदाता ने किस उम्मीदवार को अपना मत दिया है।

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
भारत में राजनैतिक दलों को चुनाव में चुनाव चिह्न दिए जाने का कारण है?
उत्तर:
चुनाव आयोग द्वारा भारत में विभिन्न राजनीतिक दलों को विभिन्न चुनाव चिह्न आबंटित किये गये। उदाहरण के लिए कांग्रेस (इ) का चुनाव चिह्न ‘हाथ का पंजा’ तथा भाजपा का चुनाव चिह्न ‘कमल का फूल’ है।
राजनैतिक दलों को चुनाव चिह्न प्रदान करने का प्रमुख कारण यह है

  1.  यदि एक ही नाम के दो अथवा अधिक उम्मीदवार हों, तो चुनाव चिह्नों की सहायता से उनकी पहचान करना। आसीन हो जाता है।
  2. चिह्न के द्वारा एक साधारण तथा अशिक्षित व्यक्ति भी चिह्न से सम्बन्धित राजनैतिक दल के उम्मीदवार की पहचान कर सकता है। |
  3.  चुनाव चिह्न की सहायता से सभी चुनाव क्षेत्रों में राजनैतिक दल बड़ी आसानी से अपना चुनाव-प्रचार कर सकते। हैं। चुनाव चिह्नों से उन्हें जलूस तथा जलसे आदि संगठित करने में आसानी होती है।

प्रश्न 2.
चुनाव घोषणा-पत्र किसे कहते हैं?
उत्तर:
राजनैतिक दलों द्वारा चुनाव के समय अपने कार्यक्रम, नीतियों तथा उद्देश्यों को बताने के लिए जो प्रपत्र जारी किया जाता है, उसी प्रपत्र को चुनाव घोषणा-पत्र कहते हैं। चुनाव के कुछ दिन पहले प्रत्येक राजनैतिक दल अपना घोषणापत्र जारीं करते हैं। इस प्रपत्र के माध्यम से राजनीतिक (UPBoardSolutions.com) दल लोगों को यह बताते हैं कि देश की आन्तरिक तथा विदेश नीति के बारे में उनके क्या विचार हैं और उसे यदि सरकार बनाने का अवसर मिला, तो वह कौन-कौन से कार्य करेंगे।
चुनाव घोषणा-पत्र के निम्नलिखित उपयोग (लाभ) हैं

  1. इससे विभिन्न राजनैतिक दलों की आन्तरिक तथा बाहरी नीति के बारे में लोगों को जानकारी मिल सकती है।
  2. विभिन्न राजनैतिक दलों के चुनाव घोषणा-पत्रों को देखने के पश्चात् मतदाताओं के लिए मत का निर्णय लेना आसान होता है।
  3.  चुनाव जीतने वाले दल के लिए घोषणा-पत्र पथ-प्रदर्शन का कार्य करता है, क्योंकि उन्हें अपना कार्य उसी के । अनुसार करना होता है।
  4. चुनाव के पश्चात् घोषणा-पत्र के अनुसार कार्य करने के लिए जनता सरकार पर दबाव डाल सकती है।
  5. यदि सरकार उन वायदों को पूरा नहीं करती जो घोषणा-पत्र में दिए गए थे, तो जनता सरकार की आलोचना कर सकती है।

प्रश्न 3.
लोकतन्त्र में चुनाव क्यों आवश्यक है?
उत्तर:
भग्त जैसे लोकतांत्रिक देश में चुनाव के समय लोग आपस में विचार-विमर्श करके मतदान का निर्णय करते हैं। किन्तु लोगों के लिए व्यावहारिक रूप से यह संभव नहीं है कि सभी मुद्दों पर सभी नागरिक बैठकर आपस में निर्णय लें क्योंकि इसके लिए सभी व्यक्तियों के पास इसके (UPBoardSolutions.com) लिए आवश्यक समय तथा ज्ञान नहीं होता है। इसलिए अधिकतर लोकने देशों में लोग अपने प्रतिनिधियों द्वारा शासन करते हैं। लोकतंत्र चुनाव के माध्यम से लोगों को एक ऐसा तरीका उपलब्ध करा है जिसके द्वारा लोग नियमित अन्तरलों पर अपने प्रतिनिधियों को चुन सकते हैं तथा यदि वे चाहें तो उन्हें बदल भी सकते हैं। अतः किसी भी लोकतन्त्र के लिए चुनाव आवश्यक है।

प्रश्न 4.
भारत में चुनावी प्रतिद्वन्द्विता के दोषों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
भारत में चुनाव प्रतिद्वन्द्विता के कुछ दोष इस प्रकार हैं

  1.  चुनाव जीतने का दबाव सही किस्म की दीर्घकालिक राजनीति को पनपने नहीं देता।
  2.  समाज तथा देश की सेवा करने की इच्छा रखने वाले अच्छे लोग भी इन्हीं कारणों से चुनावी मुकाबले में नहीं उतरते।
  3.  यह प्रत्येक समुदाय में ‘अलगाव तथा ‘भिन्नता’ की भावना पैदा करता है।
  4. विभिन्न राजनैतिक दल तथा नेतागण एक दूसरे पर आरोप लगाते हैं।
  5. दल तथा उम्मीदवार चुनाव जीतने के लिए तरह-तरह के हथकण्डे अपनाते हैं।

प्रश्न 5.
सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार का अर्थ स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
लोकतन्त्र के प्रसार से पहले मताधिकार सम्पत्ति, शिक्षा, नस्ल, लिंग आदि पर आधारित होता था, परन्तु आधुनिक समय में इस समस्त पूर्ववर्ती मान्यताओं को अस्वीकार कर दिया गया है। अब वयस्कता को ही मतदान का एकमात्र आधार माना जाने लगा है। इसमें प्रत्येक नागरिक को, जो वयस्क हो गया है, मतदान का अधिकार दे दिया जाता है। केवल अल्पवयस्क, पागल, दिवालिया, अपराधी तथा विदेशी लोगों को ही मताधिकार से वंचित नहीं किया जाता है।
किसी भी व्यक्ति को उसके धर्म, जाति, वंश, लिंग तथा (UPBoardSolutions.com) जन्म-स्थान के आधार पर मताधिकार से वंचित किया जाता। वयस्क होने की आयु भिन्नभिन्न देशों में भिन्न-भिन्न रखी गयी है। स्विट्जरलैण्ड में यह आयु 20 वर्ष है। भारत में व्यक्ति के वयस्क होने के लिए न्यूनतम आयु 18 वर्ष और जापान में 25 वर्ष निश्चित की गई है। वर्तमान युग में विश्व के लगभग सभी देशों में वयस्क मताधिकार को लागू किया गया है।

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प्रश्न 6.
सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार के विपक्ष में तर्क प्रस्तुत कीजिए।
उत्तर:

  1. प्रशासन तथा देश की समस्याएँ जटिल- आधुनिक युग में शासन सम्बन्धी प्रश्न तथा समस्याएँ दिन-प्रतिदिन जटिल होती जा रही हैं, जिन्हें समझ पाना साधारण व्यक्ति के बस की बात नहीं है। प्रायः साधारण मतदाता अयोग्य व्यक्ति को चुन लेते हैं क्योंकि उनके पास देश की (UPBoardSolutions.com) समस्याओं पर विचार करने तथा उन्हें समझने के लिए समय ही नहीं होता। इस कारण से भी मतदान का अधिकार केवल शिक्षित व्यक्तियों को ही देना चाहिए।
  2. साधारण जनता रूढ़िवादी होती है- साधारण जनता द्वारा आर्थिक तथा सामाजिक क्षेत्र में प्रगतिशील नीतियों का विरोध किया जाता है। अतः मताधिकार ऐसे व्यक्तियों को दिया जाना चाहिए जो इसका उचित प्रयोग करने की योग्यता रखता हो।
  3. अज्ञानी व्यक्तियों को मताधिकार देना अनुचित है– प्रत्येक देश में अधिकतर जनता अशिक्षित तथा अज्ञानी होती है। वे उम्मीदवार के गुणों को न देखकर जाति, धर्म तथा मित्रता आदि के आधार पर अपने मत का प्रयोग करते हैं। ऐसे व्यक्ति राजनीतिक नेताओं के जोशीले भाषणों से भी शीघ्र प्रभावित हो जाते हैं। अतः अशिक्षित व्यक्तियों को मताधिकार देना उचित नहीं है। |
  4.  भ्रष्टाचार को बढ़ावा– वयस्क मताधिकार प्रणाली में भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिलता है। धनी उम्मीदवारों द्वारा निर्धन व्यक्तियों के मतों को खरीद लिया जाता है। निर्धन व्यक्ति थोड़े-से लालच में पड़कर अपना मत स्वार्थी तथा भ्रष्टाचारी उम्मीदवारों के हाथों में बेच देते हैं।

प्रश्न 7.
चुनाव अभियान को संक्षेप में लिखिए।
उत्तर:
भारत में चुनाव अभियान प्रत्याशियों की अन्तिम सूची की घोषणा से मतदान की तिथि (लगभग 2 सप्ताह तक चलता है। इस अवधि के दौरान प्रत्याशी अपने मतदाताओं से संपर्क करता है, राजनैतिक नेता चुनावी सभाओं ‘ को सम्बोधित करते हैं तथा राजनैतिक दल अपने समर्थकों (UPBoardSolutions.com) को सक्रिय करते हैं।
अखबारों, दूरदर्शन चैनलों, चुनाव सभाओं, पोस्टरों, होर्डिंग इत्यादि के द्वारा भी प्रचार किया जाता है। चुनाव अभियान के दौरान राजनैतिक दल बड़े मुद्दों की ओर जनसाधारण का ध्यान आकृष्ट करने का प्रयास करते हैं जिसके लिए सामान्यतः लुभावने नारे तैयार किए जाते हैं ताकि लोगों का ध्यान खींचा जा सके।

प्रश्न 8.
उन तत्त्वों का उल्लेख कीजिए जो चुनाव को लोकतांत्रिक बनाती हैं?
उत्तर:
प्रायः सभी लोकतांत्रिक देशों में चुनाव प्रक्रिया अपनायी जाती है। निम्नलिखित तत्त्व चुनाव को लोकतांत्रिक बनाते हैं

  1. कुछ वर्षों के अंतराल पर नियमित रूप से चुनाव होने चाहिए।
  2. चुनाव स्वतन्त्र तथा निष्पक्ष होने चाहिए ताकि लोग अपनी इच्छानुसार उम्मीदवार चुन सकें। |
  3.  प्रत्येक व्यक्ति को वोट को अधिकार होना चाहिए तथा प्रत्येक वोट का समान मूल्य होना चाहिए।
  4.  दलों तथा उम्मीदवारों को चुनाव लड़ने की स्वतंत्रता होनी चाहिए तथा उन्हें मतदाता को वास्तविक चुनाव हेतु न।’ विकल्प उपलब्ध कराना चाहिए। |

प्रश्न 9.
इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन के बारे में बताइए।
उत्तर:
पहले मतदान के लिए बैलेट पेपर का प्रयोग किया जाता था जिस पर मतदाता अपनी पसन्द के उम्मीदवार के नाम के आगे अंकित चुनाव चिह्न पर मुहर लगाकर मतदान करते थे किन्तु अब मतदान के लिए इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन का प्रयोग किया जाता है। मशीन प्रत्याशियों के नाम तथा दलों के चुनाव चिह्न दर्शाती है। आजाद उम्मीदवारों को भी चुनाव आयोग द्वारा चुनाव चिह्न प्रदान किए जाते हैं। मतदाता को केवल उस उम्मीदवार के सामने का बटन दबाना होता है जिसे वह वोट (UPBoardSolutions.com) देना चाहता/चाहती है। एक बार मतदान समाप्त हो जाने के बाद सभी ई.वी.एम. सील की जाती हैं तथा किसी सुरक्षित । स्थान पर ले जाई जाती हैं। उसके बाद निर्धारित तिथि को प्रत्येक उम्मीदवार को मिले वोटों की गणना की जाती है तथा जिस उम्मीदवार को सबसे अधिक वोट मिलते हैं उसे निर्वाचित घोषित किया जाता है।

प्रश्न 10.
प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष चुनाव में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
वह चुनाव प्रणाली जिसमें साधारण मतदाता अपने जनप्रतिनिधियों को स्वयं चुनते हैं, उसे प्रत्यक्ष चुनाव प्रणाली कहते हैं। इसमें प्रत्येक मतदाता विभिन्न उम्मीदवारों में से एक उम्मीदवार के पक्ष में मतदान करता है और चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों में से जो उम्मीदवार शेष सभी उम्मीदवारों से अधिक मत प्राप्त कर लेता है, वह निर्वाचित घोषित कर दिया जाता है। भारत में लोकसभा के सदस्यों के चुनाव के (UPBoardSolutions.com) लिए वही चुनाव प्रणाली लागू की गई है। इसके विपरीत अप्रत्यक्ष चुनाव प्रणाली के अन्तर्गत मतदाता स्वयं अपने प्रतिनिधियों का चुनाव नहीं करते। मतदाता अपने मत डालकर कुछ निर्वाचकों अथवा प्रतिनिधियों का चुनाव करते हैं और इस प्रकार एक निर्वाचक मण्डल का निर्माण होता है। इस निर्वाचक मण्डल के सदस्य विशेष अधिकारी का चुनाव करते हैं। भारत में राष्ट्रपति तथा उप-राष्ट्रपति के चुनाव के लिए इस चुनाव-प्रणाली को अपनाया गया है।

प्रश्न 11.
चुनाव जीतने के लिए उम्मीदवार किस अनुचित साधनों का प्रयोग करते हैं?
उत्तर:
लोकतन्त्र में चुनाव जीतने के लिए उम्मीदवार कई बार अनुचित साधनों का प्रयोग करते हैं, जिनका विवरण इस प्रकार है..

  1. मतदाताओं को भयभीत करना और मतदान के दिन चुनावी धाँधली करना।
  2.  कुछ प्रभावशाली उम्मीदवारों द्वारा चुनाव जीतने हेतु मतदान केन्द्रों पर कब्जा भी किया जाता है।
  3.  मतदाता सूची में झूठे नाम शामिल करना तथा वास्तविक नामों को हटाना।
  4.  सत्ताधारी दल द्वारा सरकारी सुविधाओं व कर्मचारियों का दुरुपयोग।
  5. बड़े दल एवं धनी उम्मीदवारों द्वारा निर्धारित सीमा से अधिक धनराशि का प्रयोग।

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प्रश्न 12.
भारतीय चुनावों की चुनौतियों को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
भारतीय चुनावों की प्रमुख चुनौतियाँ इस प्रकार हैं

  1. अक्सर आम आदमी के लिए चुनाव में कोई ढंग का विकल्प होता ही नहीं क्योंकि दोनों प्रमुख पार्टियों की नीतियाँ 319 एवं व्यवहार लगभग एक जैसे ही होते हैं।
  2.  बड़ी पार्टियों की अपेक्षा छोटे दलों तथा निर्दलीय उम्मीदवारों को कई प्रकार की परेशानियाँ उठानी पड़ती हैं।
  3.  आर्थिक रूप से सम्पन्न उम्मीदवार एवं दल चाहे चुनाव में अपनी विजय के प्रति आश्वस्त न हों लेकिन छोटे दलों एवं निर्दलीय उम्मीदवारों पर बड़ा तथा अनुचित लाभ पाते हैं।
  4. देश के कुछ भागों में आपराधिक छवि वाले लोग अन्य लोगों को चुनावी दौड़ में पछाड़ कर मुख्य दलों से चुनाव | का टिकट पाने में सफल हो जाते हैं।
  5. लग-अलग दलों पर कुछेक परिवारों का जोर है तथा उनके रिश्तेदार आसानी से टिकट पा जाते हैं।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
स्वतन्त्र एवं निष्पक्ष चुनाव कराने के लिए भारत में क्या प्रयास किए गए हैं?
उत्तर:
भारत में स्वतन्त्र और निष्पक्ष चुनाव कराने के लिए किये गये प्रयासों का विवरण इस प्रकार है

  1.  चुनाव आयोग की स्थापना- भारत में स्वतन्त्र एवं निष्पक्ष चुनाव कराने के लिए संविधान द्वारा एक चुनाव आयोग की स्थापना की गयी है। इसमें एक मुख्य चुनाव आयुक्त तथा दो अन्य आयुक्त होते हैं।
  2.  चुनाव से पहले मतदाता सूचियों को ठीक करना- चुनावों के कुछ समय पहले राज्य विधानसभा तथा संसद के प्रत्येक निर्वाचन क्षेत्र की मतदाता सूचियों को दोहराया जाता है और इस बात की तसल्ली की जाती है कि कोई मतदाता ऐसा न रह जाए जिसका नाम उस सूची में शामिल न हो।
  3. सरकारी मशीनरी के दुरुपयोग पर नियंत्रण- चुनाव आयोग द्वारा इस बात का ध्यान रखा जाता है कि सत्तारूढ़ दल सरकारी मशीनरी का दुरुपयोग न करें।
  4.  मतदाताओं के लिए पहचान-पत्र- फर्जी मतदान को रोकने के लिए मतदाताओं को फोटो सहित पहचान-पत्र जारी किए जाते हैं।
  5. चुनाव याचिका को शीघ्र निपटारा- यदि चुनावों के पश्चात् कोई उम्मीदवार चुनाव याचिका पेश करता है तो ,उसे जल्द से जल्द निपटा देना चाहिए।
  6.  चुनावों में धन का प्रयोग- चुनावों में धन की भूमिका को कम-से-कम करने के लिए प्रत्येक उम्मीदवार द्वारा किए गए खर्च की जाँच की जाए। यदि किसी उम्मीदवार ने निश्चित की गई सीमा से अधिक धन खर्च किया है। तो उसके चुनाव को अवैध घोषित किया जा सकता है।

प्रश्न 2.
निर्वाचन को संक्षेप में प्रस्तुत कीजिए।
उत्तर:
लोकतन्त्र में स्वतन्त्र एवं निष्पक्ष चुनावों के महत्त्व को देखते हुए इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए संविधान निर्माताओं द्वारा संविधान में एक निर्वाचन आयोग की स्थापना का प्रावधान किया गया है। चुनाव आयोग में एक मुख्य चुनाव आयुक्त तथा कुछ अन्य सदस्य होते हैं।
वर्तमान समय में चुनाव आयोग में मुख्य चुनाव आयुक्त के अतिरिक्त दो अन्य सदस्य नियुक्त किए गए हैं। उनकी नियुक्ति भारत के राष्ट्रपति द्वारा की जाती है। उनका कार्यकाल 6 वर्ष निश्चित किया गया है।
चुनाव आयोग के मुख्य कार्य निम्नलिखित हैं

  1. देश में सभी चुनाव सम्बन्धी मामलों पर निरीक्षण तथा नियंत्रण रखना।।
  2. राष्ट्रपति, उप-राष्ट्रपति, लोकसभा, राज्यसभा, राज्य विधानसभाओं व विधानपरिषदों के चुनाव करवाना तथा परिणाम घोषित करना।
  3. मतदाताओं की सूचियाँ तैयार करवाना।
  4.  राजनैतिक दलों को मान्यता प्रदान करना तथा उन्हें चुनाव चिह्न देना।
  5. विभिन्न चुनाव करवाने के लिए रिटर्निंग ऑफिसर तथा सहायक रिटर्निंग ऑफिसर नियुक्त करना।
  6. नाव के लिए नामांकन पत्रों को जमा कराने, नाम वापस लेने तथा मतदान की तिथियाँ निश्चित करना।
  7.  राजनैतिक दलों के लिए आचार-संहिता तैयार करना।
  8. विभिन्न राजनैतिक दलों को रेडियो तथा टेलीविजन आदि पर चुनाव प्रचार करने की सुविधाएँ दिलाना।

प्रश्न 3.
भारतीय चुनाव प्रणाली की विशेषताएँ बताइए।
उत्तर:
भारत में लोकतांत्रिक शासन प्रणाली अस्तित्व में है अतः एक निश्चित समयान्तराल पर चुनाव होते रहते हैं। भारत में अपनायी गयी निर्वाचन प्रणाली की प्रमुख विशेषताएँ इस प्रकार हैं

  1.  प्रत्यक्ष तथा अप्रत्यक्ष चुनाव- भारत में प्रत्यक्ष तथा अप्रत्यक्ष दोनों प्रकार के चुनाव कराए जाते हैं। लोकसभा,
    विधानसभाओं, नगरपालिकाओं तथा पंचायतों आदि के सदस्य जनता द्वारा प्रत्यक्ष चुनाव प्रणाली से चुने जाते हैं। इसके विपरीत राष्ट्रपति तथा उप-राष्ट्रपति के चुनाव के लिए अप्रत्यक्ष चुनाव प्रणाली का प्रयोग किया जाता है।
  2. चुनाव याचिका- यदि कोई उम्मीदवार या मतदाता किसी चुनाव से संतुष्ट नहीं है, तो वह उच्च न्यायालय में उस चुनाव के विरुद्ध अपनी याचिका भेज सकता है।
  3. अनुसूचित जातियों तथा जनजातियों के लिए स्थान सुरक्षित करना– भारतीय संविधान के अनुसार संसद, राज्यों के विधानमण्डलों तथा स्थानीय स्वशासन की इकाइयों में पिछड़ी जातियों तथा हरिजनों के लिए स्थान सुरक्षित रखने की व्यवस्था की गयी है।
  4. वयस्क मताधिकार– भारत में चुनाव वयस्क मताधिकार के आधार पर होते हैं। इनका अर्थ यह है कि प्रत्येक उस नागरिक को जिसकी आयु 18 वर्ष अथवा इससे अधिक है, बिना जाति, धर्म, लिंग तथा रंग आदि के भेदभाव के मतदान का अधिकार दिया गया है।
  5. संयुक्त-निर्वाचन- ब्रिटिश सरकार ने भारत में रहने वाली विभिन्न जातियों के सदस्यों में फूट डालने के लिए साम्प्रदायिक चुनाव-प्रणाली को लागू किया था, परन्तु स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात् इसे समाप्त कर दिया गया है। अब एक चुनाव-क्षेत्र में रहने वाले सभी मतदाता, चाहे वह किसी भी जाति अथवा धर्म से सम्बन्ध रखते हों, अपना एक ही प्रतिनिधि चुनते हैं।
  6. एक सदस्य निर्वाचन क्षेत्र- इसका अर्थ यह है कि चुनाव के समय समस्त देश को या उस राज्य को जिसमें चुनाव होना है लगभग बराबर जनसंख्या वाले चुनाव-क्षेत्रों में बाँट दिया जाता है और प्रत्येक चुनाव-क्षेत्र में एक ही सदस्य निर्वाचित किया जाता है।
  7.  गुप्त मतदान- चुनाव गुप्त मतदान रीति से होता है। स्वयं मतदाता के अतिरिक्त अन्य किसी व्यक्ति को इस बात
    का पता नहीं चल सकता कि मतदाता ने किस उम्मीदवार के पक्ष में मतदान किया है।

प्रश्न 4.
भारत में चुनाव के विभिन्न सोपानों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
भारत में चुनाव के प्रमुख सोपान इस प्रकार हैं

  1. प्रत्याशी द्वारा नामांकन- कोई भी व्यक्ति जो मतदान कर सकता है वह चुनाव में प्रत्याशी भी बन सकता है।
    किन्तु मतदान हेतु न्यूनतम आयु सीमा 18 वर्ष है जबकि प्रत्याशी बनने हेतु न्यूनतम आयु सीमा 25 वर्ष है। राजनैतिक दल अपने प्रत्याशी नामित करते हैं (UPBoardSolutions.com) जिन्हें उस दल का चुनाव निशान तथा नामांकन उपलब्ध होता है। दल द्वारा नामांकन को दल को ‘टिकट’ भी कहा जाता है। चुनाव लड़ने के इच्छुक प्रत्येक व्यक्ति को एक नामांकन पत्र भरना होता है तथा उसे जमानत के रूप में कुछ पैसा जमा करना होता है।
  2. चुनाव अभियान- चुनाव अभियान की पूरी प्रक्रिया प्रत्याशियों की अन्तिम सूची की घोषणा से मतदान की तिथि
    (लगभग 2 सप्ताह की अवधि) तक क्रियाशील रहता है। चुनाव अभियान के दौरान प्रत्याशी अपने मतदाताओं से | सम्पर्क करता है, चुनावी सभाओं को सम्बोधित करता है। इस प्रकार राजनैतिक दल अपने समर्थकों को जागरुक करते हैं। समाचार-पत्रों, दूरदर्शन चैनलों, चुनाव सभाओं, पोस्टरों, होर्डिंग इत्यादि के द्वारा प्रचार किया जाता है। चुनाव अभियान के दौरान राजनैतिक दल (UPBoardSolutions.com) बड़े मुद्दों की ओर जनसाधारण का ध्यान आकृष्ट करने का प्रयास करते हैं जिसके लिए सामान्यतः लुभावने नारे तैयार किए जाते हैं ताकि लोगों का ध्यान खींचा जा सके।
  3. मतदान व मतगणना- मतदान के दिन मतदाता अपना वोट देते हैं। जिन लोगों को मतदान का अधिकार है वे निकटतम ‘मतदान केन्द्र पर जाकर मतदान करते हैं। मतदान करने वाले व्यक्ति की अंगुली पर एक पहचान चिह्न लगाया जाता है जिससे कोई भी मतदाता एक बार से अधिक मतदान न कर सके। मतदान की अविध समाप्त हो जाने के बाद ई.वी.एम. मशीनों को सील कर (UPBoardSolutions.com) दिया जाता है तथा इसे सुरक्षित स्थलों पर पहुँचा दिया जाता है। मतगणना के लिए पूर्व निर्धारित तिथि को मतों की गणना की जाती है तथा सर्वाधिक मत पाने वाले प्रत्याशी को निर्वाचित घोषित कर दिया जाता है।

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प्रश्न 5.
आरक्षित चुनाव क्षेत्र से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
भारतीय संविधान में प्रदत्त अधिकार के माध्यम से प्रत्येक नागरिक अपना जनप्रतिनिधि स्वेच्छा से चुन सकता है और स्वयं एक प्रतिनिधि के रूप में चुना जा सकता है। हमारे संविधान निर्माताओं ने समाज के आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के लिए आरक्षित चुनाव क्षेत्रों की एक विशेष प्रणाली अपनायी है। ऐसा आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के अधिकारों की रक्षा करने के लिए किया गया है ताकि वे लोकसभा तथा विधानसभा के लिए निर्वाचित हो सकें जो कि अन्य संसाधनों तथा शिक्षा आदि की कमी के कारण अन्यथा उनके लिए (UPBoardSolutions.com) संभव नहीं हो पाता। कुछ चुनावी क्षेत्र अनुसूचित जातियों एवं अनुसूचित जनजातियों से सम्बन्ध रखने वाले लोगों के लिए आरक्षित किए गए हैं। फिलहाल, लोकसभा में अनुसूचित जातियों के लिए 79 तथा अनुसूचित जनजातियों के लिए 41 सीटें आरक्षित हैं। कुछ राज्यों में अब अन्य पिछड़े वर्गों के लिए भी ग्रामीण पंचायत तथा शहरी नगरपालिका एवं नगर निगम, स्थानीय निकायों में आरक्षण देना प्रारम्भ किया है। इसी प्रकार ग्रामीण तथा शहरी स्थानीय निकायों में महिलाओं के लिए भी एक तिहाई सीटें आरक्षित हैं।

प्रश्न 6.
चुनाव-अभियान के दौरान प्रयोग में लाए जाने वाले साधनों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
चुनाव अभियान निर्वाचन की एक प्रमुख प्रक्रिया है। इसके माध्यम से उम्मीदवार मतदाताओं को अपने पक्ष में मतदान करने हेतु प्रेरित करने का प्रयास करता है। उम्मीदवारों द्वारा चुनाव अभियान के दौरान निम्न साधनों का प्रयोग किया जाता है

  1.  प्रेस व समाचार-पत्र- पढ़े-लिखे मतदाताओं को प्रभावित करने के लिए समाचार-पत्रों तथा पत्रिकाओं का भी प्रयोग किया जाता है। विभिन्न नेता उनमें अपने विचार व्यक्त करते हैं तथा जनता को अपने पक्ष में मतदान करने की अपील करते हैं।
  2.  रेडियो तथा टेलीविजन- रेडियो तथा टेलीविजन में भी प्रायः सभी दलों को कुछ निश्चित समय प्रदान किया जाता है जिससे वे अपनी नीतियों तथा कार्यक्रम का प्रचार करते हैं।
  3. घर-घर जाकर मुलाकात करना- चुनाव के दिनों में प्रत्येक उम्मीदवार अपने कार्यकर्ताओं को साथ लेकर घर| घर जाकर मतदाताओं से वोट माँगता है। मतदाताओं को उम्मीदवार तथा उसके दल के बारे में जानकारी दी जाती है और उनकी शंकाएँ दूर की जाती हैं। लोगों में पोस्टर तथा घोषणा-पत्र भी बाँटे जाते हैं और उनका समर्थन प्राप्त करने का प्रयत्न किया जाता है।
  4.  पोस्टर लगाना- पोस्टर के माध्यम से (UPBoardSolutions.com) राजनीतिक दल तथा उम्मीदवार पढ़े-लिखे मतदाताओं को लुभाने का प्रयत्न करते हैं। पोस्टरों द्वारा आकर्षक नारे, प्रभावशाली आक्षेप, कार्टून तथा चुनाव सम्बन्धी विभिन्न सूचनाएँ दी जाती हैं।
  5.  सभाएँ करना वे भाषण देना– विभिन्न राजनैतिक दल तथा उम्मीदकर आम सभाएँ करके अपने विचार जन साधारण तक पहुँचाते हैं, वे अपनी अथवा अपने दल की अच्छाइयों तथा विरोधी दल की बुराइयों से जनता को अवगत कराते रहते हैं।
  6. जलूस निकालना- मतदाताओं को प्रभावित करने तथा अपने पक्ष में करने के लिए विभिन्न दल जलूस निकालते हैं जिनमें लाउडस्पीकरों से जोर-जोर से नारे लगाए जाते हैं। मतदाताओं से यह अपील की जाती है कि वह उस दल अथवा उम्मीदवार के पक्ष में मतदान करें।

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प्रश्न 7.
भारत में चुनाव-प्रणाली की चुनौतियों का उल्लेख कीजिए। इन चुनौतियों के समाधान हेतु सुझाव भी प्रस्तुत कीजिए।
उत्तर:
जनसंख्या की दृष्टि से भारत विश्व का सबसे बड़ा लोकतन्त्र है। भारत में 62 करोड़ से अधिक मतदाता अपने मताधिकार का प्रयोग करते हैं। भारत में अब तक लोकसभा के 16 चुनाव हो चुके हैं। किन्तु इस दौरान भारतीय चुनाव प्रणाली के कुछ दोष भी दिखलायी पड़े जिनका विवरण इस प्रकार है

(i) चुनाव में बाहुबल और हिंसा- भारतीय चुनाव में एक और गम्भीर त्रुटि और समस्या है चुनाव में बाहुबल का प्रयोग। चुनने में हिंसा बढ़ती जा रही है। चुनाव में बाहुबल और हिंसा का प्रयोग विशेषकर हरियाणा, पश्चिमी बंगाल, जम्मू-कश्मीर तथा बिहार आदि राज्यों में हो रहा है। विधानसभा और लोकसभा के चुनावों में बम विस्फोट, छुरेबाजी औं गोली का प्रयोग होता है। मतदाताओं को डराया-धमकाया जाता है और उन्हें एक विशेष दल के पक्ष में वोट डालने के लिए कहा जाता है। मतदान केंद्रों पर कब्जा किया जाता है। चुनाव के दिनों में आम आदमी सुरक्षित महसूस नहीं करता। मतदान केन्द्रों पर कब्जा बड़े नियोजित ढंग से किया जाता है।

(ii) चुनाव याचिका के निपटारे में देरी– साधारणतः यह देखा गया है कि चुनाव याचिका के निपटारे में बहुत अधिक समय लग जाता है। कई बार तो उम्मीदवार का कार्यकाल समाप्त होने को आता है और चुनाव याचिका का निर्णय ही नहीं होता।

(iii) सरकारी तंत्र का दुरुपयोग- भारतीय चुनाव व्यवस्था की एक और गम्भीर त्रुटि सामने आयी है। मंत्रियों द्वारा
दलीय लाभ के लिए सरकारी तंत्र का प्रयोग किया जाता है। वोट बटोरने के लिए मंत्रियों द्वारा लोगों को तरह-तरह के आश्वासन दिए जाते हैं। विभिन्न वर्गों के लिए अनेकानेक रियायतों और सुविधाओं की घोषणा की जाती है। अनेक प्रकार की विकास योजनाओं की घोषणा की जाती है; जैसे–कारखानों, स्कूलों, कॉलेजों, अस्पतालों व पुलों के शिलान्यास आदि की घोषणा करना। सरकारी कर्मचारी के वेतन-भत्ते आदि में वृद्धि की जाती है। कर्जे माफ किए जाते हैं।

(iv) मतदाताओं की अनुपस्थिति- चुनावों में बहुत से मतदाता भाग लेते ही नहीं। मतदाता चुनावों में रुचि लेते ही नहीं।
उनके लिए वोट डालना एक समस्या बन गई है। वह मतपत्र का प्रयोग करते ही नहीं। मतपत्र का प्रयोग न करना एक प्रकार से लोकतंत्र को धोखा देना ही है। अक्सर देखने में आता है कि 60 प्रतिशत मतदाता ही वोट डालते हैं। मतदान का प्रतिशत कई चुनावों में तो 60% अथवा इससे भी कम रहता है।

(v) राजनीति का अपराधीकरण- पिछले कुछ वर्षों में भारतीय चुनाव-प्रणाली में एक और दोषपूर्ण मोड़ आया है।
प्रायः सभी राजनीतिक दलों ने ऐसे बहुत-से उम्मीदवार चुनाव में खड़े किए, जिनका अपराधों की दुनिया में नाम था। ऐसे व्यक्तियों ने राजनीति में अपराधीकरण को बढ़ावा देने का काम किया और लोगों को भय दिखाकर वोट माँगे तथा गोली के बल पर विरोधियों को न चुनाव लड़ने दिया और न ही वोट डालने दिया। जब अपराधी, तस्कर और लुटेरे पहले किसी दल के सक्रिय सदस्य तथा बाद में विधायक बन जाएँ तो उस देश के भविष्य के उज्ज्वल होने की आशा नहीं की जा सकती।

(vi) चुनावों में धन की बढ़ती हुई भूमिका- भारतीय चुनाव-प्रणाली का सबसे बड़ा दोष चुनावों में धन की बढ़ती हुई भूमिका है। भारतीय चुनावों में धन का अंधाधुंध प्रयोग और दुरुपयोग ने भारत की राजनीति को काफी भ्रष्ट किया है। भारत में काले धन का बड़ा बोलबाला है और उसका चुनावों में दिल खोलकर प्रयोग किया जाता है। मतदाताओं के लिए शराब के दौर चलाए जाते हैं, मत खरीदे जाते हैं, उम्मीदवारों (UPBoardSolutions.com) को धनी लोगों द्वारा खड़ा किया जाता है। और पैसे के बल पर बिठाया जाता है तथा मतदाताओं को लाने व ले जाने के लिए गाड़ियों का प्रयोग किया जाता है। आज का चुनाव पैसे के बल पर ही जीता जा सकता है और इस धन ने मतदाताओं, राजनीतिक दलों तथा प्रतिनिधियों सबको भ्रष्ट बना दिया है।

(vii) जाति और धर्म के नाम पर वोट- भारत में सांप्रदायिकता का बड़ा प्रभाव है और इसने हमारी प्रगति में सदैव बाधा उत्पन्न की है। जाति और धर्म के नाम पर खुले रूप से मत माँगे और डाले जाते हैं। राजनीतिक दल भी अपने उम्मीदवार खड़े करते समय इस बात को ध्यान में रखते हैं और उसी जाति और धर्म का उम्मीदवार खड़ा करने का प्रयत्न करते हैं, जिस जाति का उस निर्वाचन-क्षेत्र में बहुमत हो। भारत में अब तक जो चुनाव हुए हैं, उनके आँकड़े भी इस बात का समर्थन करते हैं।

(viii) मतदाता सूचियों के बनाने में लापरवाही- यह भी देखा गया है कि भारत में मतदाता सूचियों के बनाने में बड़ी लापरवाही से काम लिया जाता है और कई बार जान-बूझकर तथा कई बार अनजाने में पूरे-के-पूरे मोहल्ले सूचियों से गायब हो जाते हैं। मतदाता सूचियाँ अधिकतर राज्य सरकार के (UPBoardSolutions.com) कर्मचारियों द्वारा बनायी जाती हैं और वे इसे फिजूल का काम समझते हैं। पटवारी तथा स्कूल के अध्यापकों से ये काम करवाया जाता है। एक मतदाता का नाम अनेकों बार तथा जाली मतदाताओं के नाम मतदाता सूची में जोड़ दिए जाते हैं।

चुनाव प्रणाली के सम्मुख उपस्थित चुनौतियों के सुधार हेतु निम्न उपाय अपनाए जा सकते हैं

  1. फर्जी मतदान तथा चुनाव-केन्द्रों पर कब्जा करने की घटनाओं को सख्ती के साथ निपटोना चाहिए।
  2. सभी उम्मीदवारों तथा राजनैतिक दलों को प्रचार करने के लिए रेडियो तथा मीडिया का प्रयोग करने दिया जाए। चुनावी राजनीति
  3. मतदान अनिवार्य कर देना चाहिए।
  4. चुनाव-याचिका थोड़े समय में ही निपटा देनी चाहिए।
  5. चुनावों में धन की भूमिका को कम करने के लिए चुनाव खर्च राज्य द्वारा किया जाना चाहिए।
  6. चुनावों में सरकारी मशीनरी के दुरुपयोग पर सख्त पाबंदी लगाई जाए।
  7.  उन उम्मीदवारों को चुनाव लड़ने से रोक दिया जाए जो चुनाव में धर्म तथा जाति का प्रयोग करते हैं।

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UP Board Solutions for Class 8 Agricultural Science Chapter 1 मृदा गठन या मृदा कणाकार

UP Board Solutions for Class 8 Agricultural Science Chapter 1 मृदा गठन या मृदा कणाकार

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कृषि-विज्ञान
(समस्त पाठों के ‘अभ्यासों’ के सम्पूर्ण प्रश्नोत्तर)
इकाई-1  मृदा गठन या मृदा कणाकार
अभ्यास

प्रश्न 1.
सही विकल्प के सामने (✔) का निशान लगाइए (निशान लगाकर)
उत्तर :

1. मोटी बालू का आकार होता है
(क) 4.0-3.0 मिमी
(ख) 3.0-2.0 मिमी
(ग) 2.0-0.2 मिमी (✔)
(ध) 0.2 से .02

2. बलुई मिट्टी में बालू, सिल्ट एवं मृत्तिका की % मात्रा होती है
(क) 30-50 30-500-20
(ख) 80-1000 -200-20 (✔)
(ग) 20-50 20-50 20-30
(घ) 0-20 50-70 30-50

3. ऊसर भूमि बनने का कारण है
(क) अत्यधिक वर्षा
(ख) घने जंगल होना
(ग) जल निकास अच्छा होना
(घ) क्षारीय उर्वरकों का अधिक मात्रा में उपयोग (✔)

4. ऊसर भूमि को सुधारा जा सकता है|
(क) चूना प्रयोग करके
(ख) जिप्सम प्रयोग करके (✔)
(ग) क्षारीय उर्वरकों का प्रयोग करके
(घ) क्षारीय उर्वरकों को अधिक मात्रा में उपयोग करके

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प्रश्न 2.
उत्तर :  

निम्नलिखित प्रश्नों में खाली जगह भरिए (भरकर)
(क) मृत्तिका का आकार 0.002 मिमी गिर्ग होता है। (0.2/0.002)
(ख) दोमट मिट्टी में सिल्ट की मात्रा 30-50 % नी हैं। (3050,80-100)
(ग) मेंड़बन्दी करना ऊसर भूमि सुधार की भौतिक विधि है। (रासा पनेक/भौतिक)
(घ) पायराइट का प्रयोग क्षारीय सुधार में किया जाता है। (अम्लीय/क्षारीय)
(छ) अम्लीय भूमि सुधार में चूना का प्रयोग होता है। (जिप्सम/चूना)

प्रश्न 3.
उत्तर :  

निम्नलिखित कथनों में सी पर (✔) को तथा गलत पर (✗) का निशान लगाइए (निशान लगाकर)
(क) मृदा में बालू सिल्ट और मृत्तिका कणों का विभिन्न मात्राओं में आपसी सम्बन्ध मृा गठन कहलाता है। (✔)
(ख) अच्छी गठन वाली मृदा में रन्ध्रों की संख्या बहुत कम होती है। (✗)
(ग) भारत में ऊसर भूमि 170 लाख हेक्टेयर है। (✗)
(घ) नहरों द्वारा अधिक सिंचाई करने से भूमि ऊसर नहीं होती है। (✗)
(ङ) अम्लीय मृदा का PH 7.0 से बहुत कम होता है। (✔)

प्रश्न 4.
निम्नलिखित में स्तम्भ अ का स्तम्भ ब से सुमेल कीजिये (सुमेल करके)
उत्तर :                                                                                    स्तम्भ अ
(क) बालू, सिल्ट व मृत्तिका कणों का आपसी सम्बन्थे ।       मृदा गठन ।
(ख) अधिक बालू की मात्रा                                                       बलुई
(ग) लवण ।                                                                                  रेह
(घ) निक्षालन                                                                               भौतिक विधि
(ङ) कार्बनिक खादों का प्रयोग ।                                             जैविक विधि

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प्रश्न 5.
मृदा गठन की परिभाषा लिखिए।
उत्तर :
मृदा में तीन प्रकार के कणों- बालू, सिल्ट और मृत्तिका का विभिन्न (UPBoardSolutions.com) मात्रा में आपसी जुड़ाव या सम्बन्ध मृदा गठन कहलाता है। विभिन्न मृदा वर्ग में कणों के सापेक्षिक अनुपात को मृदा गठन (कणाकार)  कहते हैं।

प्रश्न 6.
मृदा कण एवं उनके आकार के विषय में लिखिए।
उत्तर : विभिन्न प्रकार के मृदा कणों और उनके आकार निम्न प्रकार हैं
UP Board Solutions for Class 8 Agricultural Science Chapter 1 मृदा गठन या मृदा कणाकार image 1

प्रश्न 7. 
मुख्य कणाकार वर्ग लिखिए।
उत्तर :
मुख्य कणाकार वर्ग निम्न प्रकार से वर्गीकृत है
UP Board Solutions for Class 8 Agricultural Science Chapter 1 मृदा गठन या मृदा कणाकार image 2

प्रश्न 8.
ऊसर भूमि की परिभाषा लिखिए |
उत्तर :
ऐसी भूमि जिसमें लवणों (सोडियम कार्बोनेट, सोडियम बाईकार्बोनेट, सोडियम क्लोराइड आदि) की अधिकता के कारण ऊपरी सतह सफेद दिखाई देने लगती है और फसलें नहीं उगाई जा सकतीं, उसे ऊसर भूमि कहते हैं।

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प्रश्न 9.
अम्लीय मृदा की परिभाषा लिखिए।
उत्तर :
अम्लीय मृदा- यह मिट्टी अधिक वर्षा वाले क्षेत्रों में पाई जाती है। इस मिट्टी में अथसड़े जीवांश अधिक मात्रा में पाए जाते हैं। अम्लीयता के कारण उत्पादन नहीं होता। हाइड्रोजन आयनों (H)+ की सान्द्रता (UPBoardSolutions.com) अधिक होती है। मृदा का PH सदैव 7 से कम होता है। हमारे देश में अम्लीय मृदा असम, केरल, त्रिपुरा, मणिपुर, पश्चिम बंगाल, बिहार का तराई क्षेत्र, उत्तर प्रदेश तथा हिमालय के तराई क्षेत्र के कुछ स्थानों में पाई जाती है।

प्रश्न 10.
मृदा गठन एवं मृदा विन्यास में अन्तर लिखिए।
उत्तर :
मृदा गठन से तात्पर्य है कि मृदा किस गटने वाली है, जैसे- बलुई, बलुई दोमट, दोमट, सिल्टी, चिकनी आदि। मृदा विन्यास से तात्पर्य मृदा के तत्त्व जैसे खनिज पदार्थ (50%) मृदा वायु 25%, मृदा जल 24%, जैविक पदार्थ 1% आदि।

प्रश्न 11.
मृदा गठन क्या है? मृदा गठन वर्गों का विस्तार से वर्णन कीजिए।
उत्तर :
प्रश्न 5 एवं प्रश्न 7 का उत्तर देखिए।

प्रश्न 12.
ऊसर भूमि किसे कहते हैं? ऊसर भूमि के प्रभाव का वर्णन कीजिए।
उत्तर :
ऐसी भूमि, जिसमें लदणे की अधिकता के कारण ऊपरी सतह सफेद दिखाई देने लगती है और फसलें नहीं उगाई जा सकतीं, उसे ऊसर भूमि कहते हैं। ऊसर भूमि का प्रभाव

  1. ऊसर क्षेत्र में मकान के प्लास्टर जल्दी गिरने लगते हैं,तथा ईंटें गलने लगती हैं।
  2. कच्ची, पक्की सड़कें टूटी-फूटी, ऊबड़-खाबड़ दिखती हैं।
  3. वर्षा होने पर फिसलन होती है।
  4. जमीन पानी नहीं सोखती, बाढ़ आती है, भू-क्षरण होता है।
  5. हानिकारक (UPBoardSolutions.com) घास उगती है।
  6. लाभदायक जीवाणु कम होते हैं, जिसमें पोषक तत्त्व घट जाते हैं।
  7. नमकीन होने से बीजों का जमाव व वृद्धि अच्छी नहीं होती है।
  8. ऊसर पर्यावरण को प्रदूषित करती है।
  9. ऊसर बहकर अच्छे खेत भी खराब कर देती है।

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प्रश्न 13.
ऊसर भूमि बनने के विभिन्न कारणों का वर्णन विस्तार से कीजिए।
उत्तर :
ऊसर भूमि बनने के प्राकृतिक व अप्राकृतिक दोनों कारण हैं।
प्राकृतिक कारण : वर्षा की कमी, अधिक तापमान, मिट्टी का निर्माण क्षारीय एवं लवणयुक्त चट्टानों से होना, भूमिगत जलस्तर का ऊँचा होना, भूमि के नीचे कड़ी परत का होना तथा लगातार बाढ़ या सूखे की स्थिति
होना। अप्राकृतिक या मानवीय कारण : जल निकास की कमी, अधिक सिंचाई, नहर वाले क्षेत्रों में जल रिसाव, भूमि को परती छोड़ देना, क्षारीय उर्वरकों का अधिकाधिक प्रयोग तथा खारे पानी से सिंचाई ।

प्रश्न 14.
ऊसर भूमि का सुधार कैसे करेंगे? सविस्तार वर्णन कीजिए।
उत्तर :
ऊसर भूमि सुधार प्रक्रिया :
ऊसर भूमि सुधारने से पहले कुछ प्रक्षेत्र विकास कार्य करने होते हैं, जैसे- मेंड़बन्दी, समतलीकरण, पानी की व्यवस्था, जल विकास की व्यवस्था तथा 8-10 सेमी (UPBoardSolutions.com) गहरी जुताई करके खेत तैयार करना। ऊसर भूमि के प्रकार के अनुसार भौतिक, रासायनिक व जैविक सुधार विधियाँ अपनाते

(क) भौतिक विधि- निम्न प्रकार हैं|

  1. भूमि की ऊपरी परत को खुरचकर बाहर करना।
  2. भूमि में पानी भरकर बहाना।
  3. जल निकास का समुचित प्रबन्ध।
  4. निक्षालन व रिसाव क्रिया या लीचिंग।
  5. भूमि के नीचे की कड़ी परत को तोड़ना।
  6. ऊसर खेत में बोलू या अच्छी मिट्टी का प्रयोग।
  7. रासायनिक विधियाँ- मिट्टी की जाँच कराकर जिप्सम पावराइट या गन् , प्रयोग किया जाता है।
  8. जैविक विधियाँ- चीनी मिल से निकलने वाले शीरे का प्रयोग, प्रेसमड कार्बनिक खादों का प्रयोग, हरी खाद के रूप में कुँचा की खेती, ऊसर सहनशील फसलों एवं प्रजातियों की खेती।

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प्रश्न 15.
अम्लीय मृदा बनने के कारण एवं उसके सुधार की विधियों को लिखिए।
उत्तर :
अम्लीय मृदा बनने का कारण

  1. अधिक वर्षा से निक्षालन क्रिया द्वारा क्षारक तत्त्व गहरी तहों में चले जाते हैं। मिट्टी कणों के साथ हाइड्रोजन आयन अधिशोषित हो जाते हैं। मिट्टी अम्लीय हो जाती है।
  2. फसलों द्वारा क्षारक तत्त्वों का अधिक उपयोग किया जाता है, जिससे मिट्टी अम्लीय हो जाती है।
  3. कुछ मिट्टी ऐसी होती है जो अम्लीय चट्टानों से बनी होती है।
  4. रासायनिक उर्वरकों के प्रभाव से भी मृदा अम्लीय बन जाती है। अमोनियम सल्फेट की अमोनिया मिट्टी-कण ले लेते हैं। लेकिन सल्फेट घोल बच जाता है जो मिट्टी द्वारा छोड़े गए हाइड्रोजन आयनों H+ से मिलकर सल्फ्युरिक अम्ल बनाता है, जिससे मृदा अम्लीय हो जाती है।
  5. बंजर भूमि पर जब कृषि कार्य किए जाते हैं तो मिट्टी (UPBoardSolutions.com) से क्षारकों के बहकर नीचे जाने की क्रिया को बल मिलता। हैं। धीरे-धीरे मिट्टी के क्षार नष्ट हो जाते हैं और उनके स्थान पर मिट्टी के कणों पर हाइड्रोजन आयनों की सान्द्रता बढ़ जाती है।

अम्लीय मिट्टी का सुधार : चूने का प्रयोग, जल निकास की उचित व्यवस्था, अम्ल रोथक फसन्नों का उगाना, क्षारक उर्वरकों का प्रयोग तथा पोटाशयुक्त उर्वरकों का प्रयोग करना कुछ ऐसे उपाय हैं, जिनसे अम्लीय मृदा को सुधार किया जा सकता है।

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प्रोजेक्ट कार्य :
नोट : विद्यार्थी स्वयं करें।

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