UP Board Solutions for Class 6 Hindi Chapter 23 अहिल्याबाई (महान व्यक्तिव)

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पाठ का सारांश

अहिल्याबाई का जन्म सन 1725 ई० में औरंगाबाद जिले के चौड़ी ग्राम में हुआ। इनके पिता मानकाजी शिंदे सरल स्वभाव के थे। माता सुशीलाबाई धार्मिक प्रवृति की थीं; जिन्होंने अहिल्याबाई को धार्मिक संस्कार दिए। इनकी एकाग्रता व भक्ति से प्रभावित होकर मल्हार राव होल्कर ने इन्हें अपनी पुत्रवधू बनाया। इनके पति खाण्डेराव राजकाज में रुचि नहीं लेते थे। अहिल्याबाई राजकाज में दक्ष थी। इनकी प्रेरणा से खांडेराव अस्त्र-शस्त्र चलाना सीख गए और राजकाज में रुचि लेने लगे; (UPBoardSolutions.com) लेकिन एक युद्ध में उनकी मृत्यु हो गई। अहिल्याबाई ने प्रजा की देखभाल शुरू कर दी। श्वसुर की मृत्यु के बाद इनका पुत्र मालेराव गद्दी पर बैठा; परन्तु उसकी भी मृत्यु हो गई। अहिल्याबाई ने राज्य की बागडोर अपने हाथ में ले ली।

राज्य में चोरों व डाकुओं ने आतंक मचाना शुरू कर दिया। उनका सफाया करने वाले एक वीर युवक यशवंत राव के साथ अहिल्याबाई ने अपनी पुत्री मुक्ताबाई का विवाह कर दिया, लेकिन यशवंत राव की भी मृत्यु हो गई। फिर भी उन्होंने धैर्य नहीं छोड़ा।

अहिल्याबाई कुशल प्रशासिका थीं। इनकी उदारता और स्नेहपूर्ण व्यवहार के कारण प्रजा इन्हें ‘माँ साहब’ कहती थी। इन्होंने अनेक तीर्थ स्थानों पर मन्दिर, घाट और धर्मशालाएँ बनवाईं; गरीबों और (UPBoardSolutions.com) अनाथों के लिए भोजन का प्रबन्ध किया। नाना फड़नवीस के अनुसार, अहिल्याबाई पुरुषार्थ, दूरदर्शिता और महानता में अद्वितीय थीं।

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अभ्यास

प्रश्न 1.
अहिल्याबाई का जन्म कब और कहाँ हुआ था?
उत्तर :
अहिल्याबाई का जन्म सन 1725 ई० में (वर्तमान महाराष्ट्र के) औरंगाबाद जिले के चौड़ी ग्राम में हुआ था।

प्रश्न 2.
अहिल्याबाई में धार्मिक संस्कार कैसे पड़े?
उत्तर :
अहिल्याबाई की माता सुशीलाबाई अपनी बेटी को नित्य मन्दिर ले जाती, पूजा-अर्चना कराती और भागवत कथा तथा पुराण सुनाती थीं। इन्हीं क्रियाकलापों से अहिल्याबाई में धार्मिक संस्कार पड़े।

प्रश्न 3.
अहिल्याबाई को प्रजा ‘माँ साहब’ क्यों कहती थी? उत्तर- अहिल्याबाई की उदारता और स्नेहपूर्ण व्यवहार के कारण प्रजा उन्हें ‘माँ साहब’ कहती थी।

प्रश्न 4.
प्रजाहित के लिए अहिल्याबाई ने क्या-क्या कार्य किए?
उत्तर :
अहिल्याबाई ने प्रजाहित के लिए अनेक कार्य किए। उन्होंने तीर्थस्थानों पर मन्दिर, घाट और धर्मशालाएँ बनवाई। प्रजा की सुरक्षा के लिए चोरों एवं डाकुओं का दमन किया। वे स्वयं प्रजा से उनकी कुशलता पूछती थीं। उन्होंने गरीबों के लिए भोजन का प्रबन्ध किया।

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प्रश्न 5.
अहिल्याबाई को किन-किन द:खद परिस्थितियों का सामना करना पड़ा?
उत्तर :
अहिल्याबाई को अपने जीवन काल में कई दुखद परिस्थितियों को सामना करना पड़ा। शादी के कुछ दिनों बाद उनके पति खांडेराव युद्ध में वीरगति को प्राप्त हो गए। इसके कुछ दिनों बाद उनके ससुर (UPBoardSolutions.com) मल्हारराव की मृत्यु हो गई। इसके बाद उनके पुत्र मालेराव होल्कर की मृत्यु हो गई। और फिर कुछ दिनों के बाद उनके दामाद यशवंत राव की भी मृत्यु हो गई।

प्रश्न 6.
सही (✓) अथवा गलत (✗) का निशान लगाइए (निशान लगाकर) –

(अ) अहिल्याबाई ने अपनी पुत्री का विवाह यशवन्त राव के साथ किया।
(ब) अहिल्याबाई ने महिलाओं की सेना तैयार की।
(स) अहिल्याबाई सदैव प्रजा के हित में तत्पर रहीं।
(द) अहिल्याबाई कुशल शासक ने थीं।

प्रश्न 7.
रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए –

(क) अहिल्याबाई की सेना की जोरदार तैयारी देखकर राघोवा के हौसले पस्त हो गए।
(ख) अहिल्याबाई ने पुत्र को समझाते हुए कहा – राजा प्रजा का पालक होता है। वह प्रजा के दुख तथा कठिनाइयों को दूर करता है।
(ग) मल्हारराव की मृत्यु के बाद मालेराव होल्कर गद्दी पर बैठा।
(घ) अहिल्याबाई ने अनेक तीर्थ स्थानों पर मंदिरों, घाटों और धर्मशालाओं का निर्माण करवाया।

प्रश्न 8.
नीचे लिखे प्रश्न के दिए गए विकल्पों में से सही उत्तर चुनकर लिखिए –
अहिल्याबाई ने अपनी पुत्री का विवाह यशवन्त राव के साथ इसलिए किया –

(क) क्योंकि वह बहुत सुंदर था।
(ख) क्योंकि वह कुशल प्रशासक था।
(ग) क्योंकि वह राजकुमार था।
(घ) क्योंकि वह वीर था।

उत्तर :
(घ) क्योंकि वह वीर था।

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योग्यता विस्तार –
नोट – विद्यार्थी स्वयं करें।

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UP Board Solutions for Class 9 Home Science Chapter 19 गृह-परिचर्या और गृह-परिचारिका

UP Board Solutions for Class 9 Home Science Chapter 19 गृह-परिचर्या और गृह-परिचारिका

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विस्तृत उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1:
गृह-परिचर्या की परिभाषा देते हुए उसका महत्त्व स्पष्ट कीजिए।
या
गृह-परिचर्या का क्या महत्त्व है?
उत्तर:
गृह-परिचर्या का अर्थ एवं परिभाषा

सामान्य स्वस्थ व्यक्ति अपने सभी दैनिक कार्य स्वयं ही किया करते हैं अर्थात् प्रत्येक स्वस्थ व्यक्ति नहाना-धोना, शौच, कपड़े बदलना तथा भोजन ग्रहण करना आदि कार्य स्वयं ही करता है, परन्तु अस्वस्थ अथवा दुर्घटनाग्रस्त व्यक्ति अनेक बार अपने इंन व्यक्तिगत कार्यों को स्वयं करने में असमर्थ हो जाता है। इन परिस्थितियों में व्यक्ति के ये सभी साधारण कार्य भी किसी अन्य व्यक्ति द्वारा ही किए जाते हैं। रोगी अथवा दुर्घटनाग्रस्त व्यक्ति के इन कार्यों तथा कुछ अन्य सहायक कार्यों को ही सम्मिलित रूप से रोगी की परिचर्या कहते (UPBoardSolutions.com) हैं। रोगी की परिचर्या के अन्तर्गत रोगी व्यक्ति को आवश्यक औषधि देना, उसकी मरहम-पट्टी करना, उठने-बैठने आदि में सहायता प्रदान करना आदि सभी कुछ सम्मिलित होता है। रोगी के इन सेवा-सुश्रूषा सम्बन्धी समस्त कार्यों को रोगी की परिचर्या कहते हैं। यदि रोगी अथवा दुर्घटनाग्रस्त व्यक्ति अस्पताल में भर्ती हो, तो उसकी परिचर्या का कार्य वहाँ के कर्मचारी ही करते हैं। सामान्य रूप से यह कार्य नस द्वारा किया जाता है। जब रोगी घर पर होता है, उस समय रोगी की परिचर्या या सेवा-सुश्रूषा का कार्य घर पर ही किया जाता है। इस स्थिति में होने वाली परिचर्या को . ‘गृह-परिचय’ कहते हैं। इस प्रकार गृह-परिचय को इन शब्दों में परिभाषित किया जा सकता है, “घर पर रहने वाले रोगी व्यक्ति की चिकित्सक के निर्देशानुसार की जाने वाली सेवा-सुश्रूषा अथवा परिचर्या को ही गृह-परिचर्या कहते हैं।” रोगी के रोग-काल में गृह-परिचर्या का विशेष महत्व होता है। गृह-परिचर्या के माध्यम से ही रोगी का सफल उपचार सम्भव हो पाता है। उत्तम गृह-परिचर्या के अभाव में चिकित्सक द्वारा रोगी का सफल उपचार कर पाना प्रायः कठिन ही होता है।

गृह-परिचर्या का महत्त्व

रोगी की स्नेहपूर्वक देख-रेख औषधीय चिकित्सा. के समान ही महत्त्वपूर्ण है, बल्कि कई बार (मानसिक रोग आदि में) तो यह औषधियों से भी अधिक महत्त्वपूर्ण सिद्ध होती है। औषधियाँ यदि रोग का निवारण करती हैं, तो रोगी से किया जाने वाला प्रेमपूर्ण व्यवहार रोगी को साहस एवं धैर्य बँधाता है। गृह-परिचर्या एक महत्त्वपूर्ण दायित्व है जिसका निर्वाह करने के लिए विनम्र, हँसमुख, बुद्धिमान एवं कार्यकुशल (UPBoardSolutions.com) परिचारिका की आवश्यकता होती है। परिचारिका को स्वास्थ्य के नियमों एवं उनके पालन के महत्त्व को भली-भाँति समझना चाहिए। उसे चिकित्सक से रोगी के लिए देख-रेख एवं औषधि सम्बन्धी आवश्यक निर्देश प्राप्त कर लेने चाहिए, क्योंकि तब ही वह रोगी की नियमित परिचर्या कर सकती है। औषधियों का उचित प्रयोग, विनम्र एवं प्रेमपूर्ण व्यवहार रोगी की रोग की अवधि में अत्यधिक सहायता करता है।
रुग्ण होने की दशा में यदि, उपयुक्त चिकित्सा उपलब्ध हो, तो रोगी को सर्वोत्तम परिचर्या घर पर ही मिलती है। घर पर परिवार के सदस्यों को प्रेमपूर्ण व्यवहार, आस-पास का परिचित वातावरण एवं अन्य सुख-सुविधाएँ रोगी में असुरक्षा की भावनाओं को दूर करती हैं तथा उसकी दशा में सुधार शीघ्रतापूर्वक होता है।
रोग की गम्भीर अवस्था में रोगी डर एवं सदमे का शिकार हो सकता है। इस खतरनाक एवं गम्भीर परिस्थिति में अस्पताल अथवा नर्सिंग होम की परिचारिका की अपेक्षा गृहिणी (गृह-परिचारिका) अधिक प्रभावी ढंग से रोगी को धैर्य बँधा सकती है तथा रोगमुक्त होने के लिए आशान्वित कर सकती है। (UPBoardSolutions.com) गृह-परिचारिका को चिकित्सक के निर्देशों का नियमपूर्वक पालन करना चाहिए अन्यथा हानि होने की सम्भावना भी हो सकती है। उसमें पर्याप्त आत्मविश्वास होना चाहिए। रोगी की गम्भीर अवस्था में भी उसे उत्तेजित अथवा घबराना नहीं चाहिए। इस प्रकार के गुणों से युक्त गृह-परिचारिका रोगी की अस्पताल से भी अच्छी परिचर्या कर सकती है।

आधुनिक काल में रोग एवं दुर्घटनाएँ प्रत्येक घर एवं परिवार के लिए सामान्य घटनाओं के समान बन चुकी हैं। अत: गृह-परिचर्या के महत्त्व को भली-भाँति समझा जा सकता है। प्रत्येक गृहिणी एवं परिवार के अन्य सदस्यों को परिचर्या के आवश्यक नियमों का ज्ञान अनिवार्य रूप से प्राप्त करना चाहिए, क्योंकि गृह-परिचर्या में दक्ष गृहिणी किसी भी प्रकार की आपात स्थिति में घर में अस्पताल की सभी सुविधाएँ सुलभ कर परिवार के पीड़ित सदस्य अथवा सदस्यों की उपयुक्त देख-रेख कर सकती है।

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प्रश्न 2:
अच्छी परिचारिका में क्या गुण होने चाहिए? विस्तार से वर्णन कीजिए।
या
परिचारिका के मुख्य गुणों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
परिचारिका के गुण

रोगी अथवा दुर्घटनाग्रस्त व्यक्ति के उपचार के लिए जितनी अच्छी चिकित्सा सहायता की आवश्यकता होती है उतनी ही आवश्यकता अच्छी परिचर्या की भी होती है, इसके लिए एक कुशल एवं बुद्धिमान परिचारिका का होना अत्यन्त आवश्यक है। यहाँ यह स्पष्ट कर देना आवश्यक है कि यह (UPBoardSolutions.com) अनिवार्य नहीं कि गृह-परिचर्या को कार्य किसी महिला (परिचारिका) द्वारा ही किया जाए। सुविधा एवं परिस्थितियों के अनुसार गृह-परिचर्या का कार्य परिवार का कोई पुरुष सदस्य भी कर सकता है। ऐसे पुरुष को ‘गृह-परिचारक’ कहा जाता है। गृह-परिचर्या का कार्य करने वाले व्यक्ति के लिए आवश्यक गुणों का विवरण निम्नवर्णित है

(1) उत्तम स्वास्थ्य:
परिचारिका को एक लम्बी अवधि तक निरन्तर रोगी की देखभाल करनी होती है; अत: उसका पूर्णतः स्वस्थ होना आवश्यक है। इसके अतिरिक्त पूर्ण रूप से स्वस्थ परिचारिका के रोगी के पास में रहने पर रोग से संक्रमित होने की सम्भावना भी कम रहती है। इसके साथ-साथ (UPBoardSolutions.com) यह भी सत्य है कि यदि परिचारिका स्वयं भी रोग से ग्रस्त हो तो उस स्थिति में सम्बन्धित रोग का संक्रमण रोगी अथवा दुर्घटनाग्रस्त व्यक्ति को भी हो सकता है।

(2) कार्य-कुशल एवं दूरदर्शी होना:
परिचारिका का परिचर्या के कार्यों में दक्ष होना आवश्यक है। उसका दूरदर्शी होना भी अत्यन्त अनिवार्य है ताकि वह रोगी की अवस्था एवं आवश्यकताओं का अनुमान कर आवश्यक प्रबन्ध कर सके।

(3) विनम्र एवं हँसमुख होना:
स्वभाव से कोमल तथा हँसमुख परिचारिका रोगी के चिड़चिड़ेपन को दूर कर मानसिक सन्तोष प्रदान कर सकती है, जिसकी रोगी को अत्यधिक आवश्यकता होती है। सहानुभूतिपूर्ण व्यवहार से रोगी परिचारिका की सभी बातें मानता है तथा शीघ्र स्वास्थ्य लाभ प्राप्त करता है।

(4) सहानुभूति के गुण से परिपूर्ण:
रोगग्रस्त व्यक्ति की सच्चे मन से तथा पूरी लगन से सेवा एवं देखभाल का कार्य वही व्यक्ति कर सकता है जिसके मन में सहानुभूति की भावना प्रबल हो। इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए ही परिचारिका का एक आवश्यक गुण सहानुभूति से परिपूर्ण होना माना गया है।

(5) सहनशीलता:
अधिक समय तक अस्वस्थ रहने पर रोगी प्रायः क्रोधी व चिड़चिड़ा हो जाता है। औषधियों के प्रति उसमें विरक्ति उत्पन्न हो जाती है तथा वह ऊट-पटांग बातें एवं कार्य करने लगता है। उसकी देख-रेख के लिए एक ऐसी सहनशील परिचारिका की आवश्यकता होती है जो कि उसकी उपर्युक्त बातों का बुरा न माने तथा पूर्णरूप से सहज एवं विनम्र रहकर उसकी परिचर्या करती रहे।

(6) अच्छी स्मरण:
शक्ति-रोगी को निश्चित समय पर औषधि सेवन कराना, भोजन एवं फल आदि देना तथा उसकी अन्य दैनिक आवश्यकताओं की पूर्ति करना परिचारिका के महत्त्वपूर्ण दायित्व हैं। इनका नियमित पालन करने के लिए उसमें अच्छी स्मरण शक्ति का होना अनिवार्य है।

(7) तीव्र निरीक्षणशक्ति एवं निर्णय लेने की क्षमता:
परिचारिका की निरीक्षण शक्ति तीव्र होनी चाहिए ताकि वह रोगी की बिगड़ती अवस्था का तुरन्त अनुमान लगा सके। ऐसी अवस्था में चिकित्सक को अविलम्ब बुलाना, चिकित्सक के उपलब्ध न होने पर चिकित्सक के पूर्व निर्देशों के अनुसार औषधि की मात्रा या प्रकार में परिवर्तन, कृत्रिम श्वसन आदि उपायों को अपनाने के उपयुक्त निर्णय लेने की क्षमता का होना भी एक अच्छी परिचारिका का गुण है।

(8) कर्त्तव्यपरायण एवं आज्ञाकारी:
परिचारिका को रोगी की देख रेख को अपना सबसे अधिक महत्त्वपूर्ण कर्तव्य समझना चाहिए। उसे एक आज्ञाकारी व्यक्ति की भाँति चिकित्सक द्वारा दिए गए सभी निर्देशों का पालन करना चाहिए। यदि रोगी किसी औषधि को लेना नहीं चाहता अथवी अपनी भोजन व्यवस्था में परिवर्तन (UPBoardSolutions.com) चाहता है अथवा अन्य किसी प्रकार की इच्छा रखता है तो एक अच्छी परिचारिका स्वयं कोई निर्णय न लेकर चिकित्सक से ही उपयुक्त निर्देश प्राप्त करती है। एक अच्छी परिचारिका अपने कर्तव्य से भली प्रकार परिचित होती है तथा स्वयं चिकित्सक बनने का प्रयास नहीं करती।

(9) स्वच्छता का ध्यान रखना:
परिचारिका को सफाई के प्रति पूर्णतः सचेत रहना चाहिए। रोगी के शरीर की सफाई,बिस्तर व उसके आसपास की सफाई तथा साथ ही रोगी के वस्त्र व भोजन (UPBoardSolutions.com) आदि की स्वच्छता का उसे सदैव ध्यान रखना चाहिए। परिचारिका को रोगी के वस्त्र एवं बर्तन आदि को . समय-समय पर नि:संक्रमित करना चाहिए। इसके साथ-साथ परिचारिका को स्वयं अपने हाथों आदि की सफाई का भी विशेष ध्यान रखना चाहिए, क्योंकि यदि उसके हाथ साफ नहीं हैं, तो उस स्थिति में रोगी का अहित हो सकता है।

(10) प्राथमिक चिकित्सा का ज्ञान होना:
अनेक बार रोगों या दुर्घटनाओं से पीड़ित व्यक्तियों को तत्काल चिकित्सा सहायता की आवश्यकता होती है। ऐसे गम्भीर समय में एक दक्ष परिचारिका पीड़ित व्यक्तियों को आपातकाल चिकित्सा उपलब्ध करा सकती है। अतः परिचारिका को प्राथमिक चिकित्सा का पूर्ण ज्ञान होना चाहिए।

(11) पाक-कला में निपुण होना:
परिचारिका को रुग्णावस्था में दिए जाने वाले सभी आहारों के तैयार करने की विधियाँ आनी चाहिए। रुग्णावस्था में प्रायः रोगियों का स्वाद बिगड़ जाता है तथा वह भिन्न प्रकार के भोज्य पदार्थों की माँग करते हैं। अतः परिचारिका को पाक-कला में निपुण होना चहिए।

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1:
गृह-परिचारिका का रोगी के लिए क्या महत्त्व है?
उत्तर:
रोगी को पूर्ण स्वास्थ्य लाभ कराने में परिचारिका का महत्त्वपूर्ण योगदान रहता है। वह रोगी एवं चिकित्सक के बीच की महत्त्वपूर्ण कड़ी है, जो कि

  1. रोगी की देखभाल करती है।
  2.  रोगी व उसके आस-पास की सफाई की व्यवस्था करती है।
  3.  चिकित्सक के निर्देशानुसार रोगी को औषधि देती है।
  4.  घावों की आवश्यक मरहम-पट्टी करती है।
  5.  रोगी को स्नान व स्पंज कराती है।
  6. रोगी को मल-मूत्र विसर्जन में सहायता करती है।
  7. रोगी के आहार की व्यवस्था करती है।
  8.  रोगी के ताप आदि का चार्ट बनाती है।
  9.  रोगी की निराशा दूर कर उसे धैर्य बँधाती है।
  10.  रोगी से मित्रतापूर्ण व्यवहार करती है तथा उसकी सभी सुख-सुविधाओं का ध्यान रखती है।

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प्रश्न 2:
रोगी की रिपोर्ट लिखना क्यों आवश्यक है? रिपोर्ट में परिचारिका को क्या-क्या बातें लिखनी चाहिए?
उत्तर:
रोगी की रिपोर्ट लिखने की आवश्यकता:

परिचारिका को नियमित रूप से रोगी की रिपोर्ट तैयार करते रहना चाहिए। इससे निम्नलिखित लाभ होते हैं

  1. रुग्णावस्था में रोगी की सही दंशा का अनुमान लगाने में सुविधा रहती है।
  2.  रिपोर्ट के आधार पर चिकित्सक उपयुक्त चिकित्सा सम्बन्धी निर्देश दे सकता है।

रोगी की रिपोर्ट का अभिलेखन:
इसके लिए परिचारिका को निम्नलिखित बातों का विशेष ध्यान रखना चाहिए

(i)  रोगी की नाड़ी, श्वास गति एवं ताप का चार्ट तैयार करना:
यह एक नियन्त्रित चार्ट होता है, जिसमें समय-समय पर रोगी की नाड़ी की गति, श्वास गति तथा तापक्रम को अंकित किया जाता है। इन तथ्यों को ग्राफ के माध्यम से भी दर्शाया जा सकता है।

(ii) रोगी के मल-मूत्र विसर्जन का चार्ट बनाना:
इसमें रोगी कितनी बार मल-मूत्र विसर्जित करता है, मल-मूत्र की बनावट, रंग व गन्ध तथा इस क्रिया में होने वाले कष्ट आदि का विवरण अंकित किया जाता है।

(iii)  निद्रा एवं भूख की स्थिति का अंकन:
इसमें रोगी सही नींद लेता है अथवा नहीं तथा उसे आवश्यक भूख लगती है अथवा नहीं आदि का अभिलेखन किया जाता है।

 (iv) अन्य बातें:
इसमें औषधियों के प्रति रोगी की प्रतिक्रिया, औषधियों का प्रभाव, रोगी की मानसिक दशा तथा रोगी की जिह्वा का रंग आदि का अभिलेखन किया जाता है।
उपर्युक्त बातों को प्रायः निम्नलिखित तालिका द्वारा प्रदर्शित किया जा सकता है
UP Board Solutions for Class 9 Home Science Chapter 19 गृह-परिचर्या और गृह-परिचारिका

प्रश्न 3:
परिचारिका के रोगी के प्रति मुख्य रूप से क्या कर्तव्य होते हैं?
उत्तर:
परिचारिका के रोगी के प्रति मुख्य रूप से निम्नलिखित कर्तव्य होते हैं।

  1. परिचारिका का कर्तव्य है कि वह रोगी को हर प्रकार से आराम पहुँचाए।
  2. परिचारिका का कर्तव्य है कि वह रोगी के शरीर की स्वच्छता एवं अनिवार्य प्रसाधन को ध्यान रखे। रोगी के बालों में कंघा करके उसे साफ-सुथरे वस्त्र पहनाने का कार्य भी परिचारिका द्वारा ही किया जाता है।
  3.  परिचारिका को रोगी के भोजन की भी व्यवस्था करनी होती है; अतः रोगी के भोजन को पकाना भी उसे आना चाहिए।
  4.  रोगी यदि स्वयं मल-मूत्र का त्याग न कर सकता हो, तो बिस्तर पर ही मल-त्याग कराने की सुविधा होनी चाहिए। यह कार्य भी परिचारिका द्वारा ही किया जाता है।
  5.  रोगी के कमरे एवं आवश्यक सामान को साफ एवं सही ढंग से रखना भी परिचारिका का ही कार्य है।
  6.  परिचारिका का कार्य है कि वह अपने व्यवहार से रोगी को मानसिक रूप से प्रसन्न रखे।
  7. परिचारिका को रोगी के प्रति मित्रता का व्यवहार करना चाहिए।
  8.  यदि रोगी के लिए आराम आवश्यक हो, तो परिचारिका का कर्तव्य है कि वह रोगी से मिलने वाले व्यक्तियों को रोके तथा रोगी को हर प्रकार से आराम पहुँचाए।

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प्रश्न 4:
गृह-परिचारिका का चिकित्सक के प्रति क्या कर्तव्य है?
उत्तर:
परिचारिका रोगी और चिकित्सक के बीच की कड़ी है, अतः जहाँ उसका रोगी के प्रति देखभाल का कर्तव्य है, वहाँ चिकित्सक को उसके कार्यों में सहायता प्रदान (UPBoardSolutions.com) करना भी उसका दायित्व है। ” वह चिकित्सक के निर्देशों के अनुसार रोगी की देख-रेख करते हुए चिकित्सक को निम्नलिखित सूचनाएँ उपलब्ध कराती है

  1. रोगी के दर्द, बेचैनी, वमन, खाँसी आदि के विषय में जानकारी देना।
  2.  रोगी के मल-मूत्र विसर्जन की स्थिति की सूचना देना।
  3.  रोगी की भूख-प्यास सम्बन्धी सूचना देना।
  4.  रोगी का ताप, नाड़ी श्वास इत्यादि का उपयुक्त चार्ट तैयार कर चिकित्सक को दिखाना।
  5.  रोगी पर औषधि के प्रभाव की सूचना देना।
  6.  रोगी की निद्रा तथा अन्य शारीरिक परिवर्तनों के विषय में चिकित्सक को सूचित करना।

प्रश्न 5:
गृह-परिचारिका के अपने स्वयं के प्रति क्या कर्त्तव्य होते हैं?
उत्तर:
परिचारिका के कुछ ऐसे महत्त्वपूर्ण कर्त्तव्य भी हैं जो प्रत्यक्ष रूप से तो स्वयं उसके अपने ही प्रति होते हैं, परन्तु इनका अप्रत्यक्ष रूप से प्रभाव रोगी पर पड़ता है। सर्वप्रथम परिचारिका को अपने शरीर की स्वच्छता का अधिक-से-अधिक ध्यान रखना चाहिए। उसे अपने हाथ आदि सदैव साफ एवं धुले हुए रखने चाहिए। परिचारिका को साफ एवं सफेद रंग के धुले हुए वस्त्र धारण करने चाहिए। परिचारिका को सदैव प्रसन्नचित्त, चुस्त एवं हँसते हुए रहना चाहिए। उसे अपने मनोरंजन एवं स्वास्थ्य का भी ध्यान रखना चाहिए।

प्रश्न 6:
परिचारिका का दूरदर्शी होना क्यों आवश्यक है?
उत्तर:
परिचारिका को अपने कार्यों में चतुर एवं विवेकशील होना आवश्यक है। उसका दूरदर्शी होना अति अनिवार्य है, क्योंकि

  1. रोगी की आवश्यकताओं का पूर्वानुमान कर एक दूरदर्शी परिचारिका समय पर ही उनकी पूर्ति कर देती है।
  2. रोगी पर औषधियों का विपरीत प्रभाव पड़ने पर वह उन्हें तत्काल देना बन्द कर चिकित्सक से परामर्श प्राप्त करती है।
  3. रोगी की हालत बिगड़ने पर उसे परिस्थिति के अनसार कृत्रिम श्वसन, हृदय स्पन्दन अथवा ऑक्सीजन देने जैसी आपातकाल सहायता के विषय में तत्काल निर्णय लेकर उनके क्रियान्वयन की अविलम्ब व्यवस्था एक दूरदर्शी परिचारिका ही कर सकती है।

प्रश्न 7:
रोगी को औषधि देते समय किन-किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?
उत्तर:
रोगी को औषधि देते समय एक अच्छी परिचारिका निम्नलिखित बातों का सदैव ध्यान रखती है

  1. चिकित्सक के निर्देशों का सावधानीपूर्वक पालन करना।
  2.  निश्चित समय पर ही औषधि देना।
  3.  औषधि देते समय रोगी से मधुर व्यवहार करना तथा उसे धैर्य बँधाना।
  4.  रोगी पर औषधि के प्रभाव की सूचना चिकित्सक को उपलब्ध कराना।
  5.  रोगी पर औषधि का विपरीत प्रभाव होने पर उसकी सूचना अविलम्ब चिकित्सक तक पहुँचाना तथा आवश्यकता पड़ने पर रोगी को आपातकाल सहायता देना।

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प्रश्न 8:
परिचारिका को रोगी व चिकित्सक के मध्य की कड़ी क्यों कहा जाता है?
उत्तर:
परिचारिका रोगी की देख-रेख करती है। वह रोगी के उपचार में चिकित्सक की सहायता करती है। चिकित्सक के निर्देशानुसार रोगी की देख-रेख करती है तथा रोगी की रोग सम्बन्धी स्थिति की जानकारी चिकित्सक को देती है। इस भूमिका के कारण ही परिचारिका को रोगी एवं चिकित्सक के मध्य की कड़ी कहा जाता है।

अतिलघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1:
गृह-परिचर्या से क्या आशय है?
उत्तर:
घर पर रहने वाले रोगी व्यक्ति की चिकित्सक के निर्देशानुसार की जाने वाली सेवा-सुश्रूषा अथवा परिचर्या को ही गृह-परिचर्या कहते हैं।

प्रश्न 2:
गृह-परिचारिका किसे कहते हैं?
उत्तर:
घर पर रहकर रोगी अथवा दुर्घटनाग्रस्त व्यक्ति की परिचर्या करने वाली स्त्री को गृह-परिचारिका कहते हैं।

प्रश्न 3:
क्या गृह-परिचर्या का कार्य केवल महिलाएँ ही कर सकती हैं?
उत्तर:
नहीं, यह अनिवार्य नहीं है। गृह-परिचर्या का कार्य पुरुष भी कर सकते हैं। गृह-परिचर्या के कार्य को करने वाले पुरुष को ‘गृह-परिचारक’ कहते हैं।

प्रश्न 4:
अच्छी परिचारिका के चार मुख्य गुणों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
अच्छी परिचारिका के चार मुख्य गुण हैं

  1.  उत्तम स्वास्थ्य,
  2. विनम्र एवं हँसमुख स्वभाव,
  3.  प्राथमिक चिकित्सा का ज्ञान होना तथा
  4.  हर प्रकार की स्वच्छता का ध्यान रखना।

प्रश्न 5:
परिचारिका को प्राथमिक चिकित्सा का पूर्ण ज्ञान होना क्यों आवश्यक है?
उत्तर:
रोगी अथवा दुर्घटनाग्रस्त व्यक्ति को, चिकित्सक के उपलब्ध न होने पर, तत्काल चिकित्सा सहायता प्रदान करने के लिए परिचारिका को प्राथमिक चिकित्सा का पूर्ण ज्ञान होना आवश्यक है।

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प्रश्न 6:
गृह-परिचारिका का प्रमुख कर्त्तव्य क्या है?
उत्त:
रोगी को उचित समय पर उचित वस्तु उपलब्ध कराना तथा चिकित्सक के परामर्श के अनुसार कार्य करना गृह-परिचारिका के सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण कर्तव्य हैं।

प्रश्न 7:
अस्पतालों में परिचर्या का कार्य कौन करता है?
उत्तर:
अस्पतालों में परिचर्या का कार्य नर्स करती हैं।

प्रश्न 8:
रोगी के जीवन में परिचारिका का महत्त्व बताइए।
उत्तर:
परिचारिका रोगी की शारीरिक व मानसिक क्रियाओं को ध्यान में रखकर उसके कल्याण हेतु कार्य करती है।

प्रश्न 9:
रोगी तथा चिकित्सक के सन्दर्भ में परिचारिका की क्या भूमिका है?
उत्तर:
रोगी तथा चिकित्सक के सन्दर्भ में परिचारिका द्वारा एक सम्पर्क सूत्र या बीच की कड़ी की भूमिका निभाई जाती है।

वस्तुनिष्ठ प्रश्न

प्रश्न:
प्रत्येक प्रश्न के चार वैकल्पिक उत्तर दिए गए हैं। इनमें से सही विकल्प चुनकर लिखिए

(1) परिचर्या के अन्तर्गत किया जाता है
(क) रोगी व्यक्ति की देख-भाल करना,
(ख) चिकित्सक के निर्देशानुसार औषधि देना,
(ग) समय पर आहार देना तथा अन्य सभी कार्यों में सहायता प्रदान करना,
(घ) ये सभी।

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(2) परिचारिका को नहीं करना चाहिए
(क) रोगी से विनम्र व्यवहार,
(ख) औषधि निर्धारण,
(ग) रोगी की देख-रेख,
(घ) चिकित्सक से परामर्श।

(3) परिचारिका को नहीं होना चाहिए
(क) स्वस्थ,
(ख) हँसमुख,
(ग) दूरदर्शी,
(घ) चिड़चिड़ा।

(4) गृह-परिचर्या से अभिप्राय है
(क) गृहिणी द्वारा रोगी की देख-रेख,
(ख) नर्स द्वारा रोगी की देख-रेख,
(ग) चिकित्सक द्वारा रोगी का उपचार,
(घ) रोगी द्वारा स्वयं की देख-रेख।

(5) परिचारिका को आज्ञापालन करनी चाहिए
(क) रोगी की,
(ख) गृह-स्वामी की,
(ग) चिकित्सक की,
(घ) इन सभी का।

(6) गृह-परिचर्या को कार्य भली-भाँति किया जा सकता है
(क) बच्चों द्वारा,
(ख) गृह-स्वामी द्वारा,
(ग) गृहिणी द्वारा,
(घ) किसी के भी द्वारा।

(7) गृह-परिचारिका को समुचित ज्ञान होना चाहिए
(क) विभिन्न रोगों का,
(ख) विभिन्न रोगों की निर्धारित औषधियों का,
(ग) सामान्य प्राथमिक चिकित्सा का,
(घ) इन सभी का।

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(8) यदि रोगी के स्वास्थ्य में कोई असामान्य लक्षण प्रकट होने लगे तो गृह-परिचारिका को तुरन्त सूचित करना चाहिए
(क) घर के मुखिया को,
(ख) पड़ोसियों को,
(ग) ज्योतिषी को,
(घ) सम्बन्धित चिकित्सक को।

उत्तर:
(1) (घ) ये सभी,
(2) (ख) औषधि निर्धारण,
(3) (घ) चिड़चिड़ा,
(4) (क) गृहिणी द्वारा रोगी की देख-रेख,
(5) (ग) चिकित्सक की,
(6) (ग) गृहिणी द्वारा,
(7) (ग) सामान्य प्राथमिक चिकित्सा का,
(8) (घ) सम्बन्धित चिकित्सक को।

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UP Board Solutions for Class 6 Hindi Chapter 22 महाराणा प्रताप (महान व्यक्तिव)

UP Board Solutions for Class 6 Hindi Chapter 22 महाराणा प्रताप (महान व्यक्तिव)

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पाठ का सारांश

त्याग, बलिदान, निरन्तर संघर्ष और स्वाधीनता के रक्षक के रूप में देशवासी महाराणा प्रताप को याद करते हैं। इनका जन्म उदयपुर नगर में हुआ। ये राणा सांगा के पुत्र महाराणा उदयसिंह के सुपुत्र थे। गौरव, सम्मान, स्वाभिमान व स्वतंत्रता के संस्कार इन्हें विरासत में मिले थे। सन 1572 ई० में प्रताप के शासक बनने के समय संकट की स्थिति थी। प्रताप को अकबर की सम्पन्न मुगल सेना व मानसिंह की राजपूत सेना से लोहा लेना पड़ा। अकबर की कूटनीति के कारण प्रताप का भाई शक्तिसिंह भी मुगल सेना के साथ था; फिर भी, अपनी छोटी-सी सेना से प्रताप ने हल्दी घाटी में मोर्चा जमाया और मुगल सेना को नाकों चने चबाने पड़े। मुगल सेना की भारी क्षति हुई, परन्तु विशाल सैन्य शक्ति के दबाव को देखकर राणा प्रताप को युद्ध से हटना पड़ा। इस घटना में सरदार झाला, राणा के घोड़े चेतक और अनुज शक्ति को प्रसिद्धि मिली। झाला ने ताज पहनकर अपने आत्मबलिदान से प्रताप को बचाया, चेतक ने प्रताप को युद्ध-भूमि से निकालकर प्राण त्यागे और अनुज शक्तिसिंह ने भी पश्चात्ताप करके क्षमा माँगी।

महाराणा प्रताप ने छापामार युद्धनीति अपनाकर बीस वर्ष तक मुगलों से संघर्ष किया। इन्हें परिवार सहित जंगलों में भटककर घास की रोटी तक खानी पड़ी। इन्होंने प्रतिज्ञा की कि जब तक : चितौड़ पर अधिकार नहीं हो जाएगा; तब तक मैं जमीन पर सोऊंगा और पत्तलों पर भोजन करूंगा। इसका जनता पर व्यापक प्रभाव पड़ा। इनके मंत्री भामाशाह ने सारी (UPBoardSolutions.com) सम्पत्ति राणा को सौंप दी। मेवाड़ की प्रभुसत्ता की रक्षा और स्वाधीनता के लिए राणा प्रताप जिए और मरे। इनके अदम्य साहस और शौर्य की सराहना करते हुए कर्नल टाड ने लिखा है, “अरावली की पर्वतमाला में एक भी घाटी ऐसी नहीं, जो प्रताप के पुण्य से पवित्र न हुई हो, चाहे वहाँ उनकी विजय हुई या यशस्वी पराजय!”

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अभ्यास

प्रश्न 1.
महाराणा प्रताप का जन्म कहाँ हुआ था तथा इनके पिता का क्या नाम था?
उत्तर :
महाराणा प्रताप का जन्म उदयपुर में हुआ था। इनके पिता का नाम महाराणा उदयसिंह था।

प्रश्न 2.
छापामार युद्ध नीति किसने और क्यों अपनाई?
उत्तर :
छापामार युद्ध नीति महाराणा प्रताप ने अपनाई। परिस्थितियों के अनुसार मुगल सेना को पछाड़ने के लिए यह नीति अपनाई गई, जिसके कारण मेवाड़ का बड़ा भाग मुगलों से छीना गया।

प्रश्न 3.
राणा प्रताप ने कौन-सी प्रतिज्ञा की थी?
उत्तर :
राणा प्रताप ने प्रतिज्ञा की थी कि “मैं मुगलों की अधीनता कदापि स्वीकार नहीं करूंगा। जब तब चित्तौड़ पर अधिकार न कर लूंगा, पत्तलों पर भोजन करूंगा और जमीन पर सोऊँगा!

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प्रश्न 4.
राणा प्रताप को किन गुणों के कारण लोग श्रद्धा से याद करते हैं?
उत्तर :
प्रताप को लोग उनके त्याग, बलिदान, निरन्तर संघर्ष, (UPBoardSolutions.com) अपराजेय पौरुष, अदम्य साहस, स्वाधीनता-प्रेम और स्वदेशानुराग के कारण याद करते हैं।

प्रश्न 5.
मेवाड़ की स्वतंत्रता के लिए महाराणा प्रताप ने कौन-कौन से कष्ट सहे?
उत्तर :
मेवाड़ की स्वतंत्रता के लिए बीस वर्षों से भी अधिक समय तक राजा प्रताप ने मुगलों से संघर्ष किया। इस अवधि में उन्हें अनेक कठिनाइयों तथा विषम परिस्थितियों का सामना करना पड़। सारे किले उनके हाथ से निकल गए थे। उन्हें परिवार के साथ एक पहाड़ी से दूसरी पहाड़ी पर भटकना पड़ा। कई बार उनके परिवार को जंगली फलों तथा घास की रोटी से भूख शांत करनी पड़ी, फिर भी राजा प्रताप का दृढ़ संकल्प हिमालय के समान अडिग रहा।

प्रश्न 6.
सही (✓) अथवा गलत (✗) का निशान लगाइए (निशान लगाकर) –

(क) महाराणा प्रताप का संघर्ष आर्यों से हुआ। (✗)
(ख) राणा प्रताप के जीवन का आदर्श मेवाड़ की सत्ता को बनाए रखना था। (✓)
(ग) राणा प्रताप का नाम हमारे इतिहास में स्वतंत्रता सेनानी के रूप में अमर है। (✓)
(घ) हल्दी घाटी का युद्ध हल्दी के लिए हुआ। (✗)

प्रश्न 7.
नीचे लिखे प्रश्न के दिये गये विकल्पों में से सही उत्तर छाँटकर लिखिए (सही उत्तर लिखकर) –
सरदार झाला ने स्वयं राणा का मुकुट पहन लिया; क्योंकि –
उत्तर :
(ग) वह शत्रु को भ्रमित करना चाहता था।

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प्रश्न 8.
उपयुक्त शब्द चुनकर रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए (पूर्ति करके) –

(क) राणा प्रताप ने आदर्शों की रक्षा के लिए अपना सर्वस्व दाँव पर लगा दिया।
(ख) सरदार झाला ने राणा को बचाने के लिए स्वयं का बलिदान कर दिया।
(ग) राणा प्रताप का संकल्प हिमालय के समान अडिग था।
(घ) जन्मभूमि की रक्षा के लिए राणा प्रताप मृत्युपर्यंत संघर्ष करते रहे।

प्रश्न 9.
महाराणा प्रताप के जीवन की किस घटना ने आपको सबसे अधिक प्रभावित किया और क्यों? साथियों के साथ चर्चा कीजिए और अपनी कॉपी में लिखिए।
नोट – विद्यार्थी अपने शिक्षक/ शिक्षिका की सहायता से स्वयं करें।

प्रश्न 10.
आपकी नजर में महाराणा प्रताप के व्यक्तित्व के कुछ खास गुण कौन-कौन से हैं ?

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नोट विद्यार्थी इस प्रश्न के उत्तर हेतु प्रश्न 4 का उत्तर देखें।

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UP Board Solutions for Class 8 Maths Chapter 11 वाणिज्य गणित

UP Board Solutions for Class 8 Maths Chapter 11 वाणिज्य गणित

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वाणिज्य गणित

अभ्यास 11 (a)

प्रश्न 1.
किसी थन् का 2 वर्ष में चक्रवृद्धि ब्याज से मिश्रधन 2400.00 रु० तथा वर्ष 3 में मिश्रधन 2520.00 रु० हो जाता है तो वार्षिक ब्याज दर होगी।
(a) 6%
(b) 5%
(c) 7.5%
(d) 10%
उत्तर
UP Board Solutions for Class 8 Maths Chapter 11 वाणिज्य गणित img-1

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प्रश्न 2.
यदि ब्याज तिमाही संयोजित किया जाए तो 8% वार्षिक ब्याज दर के रूपांतरण का सही विकल्प होगा ।
(i) 5%
(ii) 4%
(iii) 2%
(iv) 1%
उत्तर
UP Board Solutions for Class 8 Maths Chapter 11 वाणिज्य गणित img-2

प्रश्न 3.
नीचे 2 समूह A और B दिए गए है। A समूह में प्रश्न और B समूह में प्रश्नों के उत्तर क्रम बदलकर दिए गए हैं। सही क्रम को चुनाव करके लिखिए : (सही क्रम में लिखकर) –
उत्तर
UP Board Solutions for Class 8 Maths Chapter 11 वाणिज्य गणित img-3

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प्रश्न 4.
100 रुपये का 10% वार्षिक की दर से 2 वर्ष का चक्रवृद्धि ब्याज ज्ञात कीजिए।
उत्तर
UP Board Solutions for Class 8 Maths Chapter 11 वाणिज्य गणित img-4

प्रश्न 5.
500 रुपये का 15% वार्षिक ब्याज की दर से एक वर्ष के चक्रवृद्धि ब्याज और साधारण ब्याज में क्या अन्तर होगा?
उत्तर
UP Board Solutions for Class 8 Maths Chapter 11 वाणिज्य गणित img-5
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प्रश्न 6.
कोई धन 12% वार्षिक चक्रवृद्धि ब्याज की दर से 1 वर्ष के लिए दिया जाता है यदि व्याज प्रति तिमाही देय हो तो प्रति तिमाही ब्याज की दर बताइए।
उत्तर
UP Board Solutions for Class 8 Maths Chapter 11 वाणिज्य गणित img-6

प्रश्न 7.
2000 रुपये का 10% वार्षिक ब्याज की दर से 13 वर्ष का चक्रवृद्धि ब्याज ज्ञात कीजिए, यदि ब्याज प्रति छमाही संयोजित किया जाए।
उत्तर
UP Board Solutions for Class 8 Maths Chapter 11 वाणिज्य गणित img-7

प्रश्न 8.
12[latex]\frac { 1 }{ 2 } [/latex]% वार्षिक चक्रवृद्धि ब्याज की दर से कितने वर्ष में 640 रुपये का मिश्रधन 810 रुपये हो जाएगा।
उत्तर
UP Board Solutions for Class 8 Maths Chapter 11 वाणिज्य गणित img-8

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प्रश्न 9.
5120 रुपये का 12.5% वार्षिक ब्याज की दर से [latex]\frac { 1 }{ 2 } [/latex] वर्ष का चक्रवृद्धि ब्याज ज्ञात कीजिए, जबकि ब्याज प्रति तिमाही देय है।
उत्तर
UP Board Solutions for Class 8 Maths Chapter 11 वाणिज्य गणित img-9

प्रश्न 10.
किस ब्याज की दर से 4000 रुपये पर 9 माह में 630.50 रुपये चक्रवृद्धि ब्याज प्राप्त होगा यदि ब्याज प्रति तिमाही संयोजित होता है?
उत्तर
UP Board Solutions for Class 8 Maths Chapter 11 वाणिज्य गणित img-10
UP Board Solutions for Class 8 Maths Chapter 11 वाणिज्य गणित img-11

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प्रश्न 11.
कितने समय में 10% वार्षिक ब्याज दर से 12000 रुपये पर 1230 रुपये चक्रवृद्धि ब्याज मिलेगा यदि ब्याज प्रति छमाही संयोजित होता है?
उत्तर
UP Board Solutions for Class 8 Maths Chapter 11 वाणिज्य गणित img-12

प्रश्न 12.
कोई धन 5% वार्षिक चक्रवृद्धि ब्याज की दर से 2 वर्ष में 8820 हो जाता है। तो मूलधल ज्ञात कीजिए।
उत्तर
UP Board Solutions for Class 8 Maths Chapter 11 वाणिज्य गणित img-13

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प्रश्न 13.
किसी धन का 20% वार्षिक दर से 2 वर्ष का साधरण ब्याज 200 रुपये हो तो चक्रवृद्धि ब्याज ज्ञात कीजिए।
उत्तर
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प्रश्न 14.
यदि 2 वर्ष में 8000 को चक्रवृद्धि ब्याज एवं साधारण ब्याज का अन्तर 20 रुपये हो तो ब्याज की दर ज्ञात कीजिए। (चक्रवृद्धि ब्याज वार्षिक देय है।)
उत्तर
UP Board Solutions for Class 8 Maths Chapter 11 वाणिज्य गणित img-16
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UP Board Solutions for Class 8 Maths Chapter 11 वाणिज्य गणित img-18

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प्रश्न 15.
किसी राशि का 5% वार्षिक ब्याज की दर से 2 वर्ष का साधारण ब्याज और चक्रवृद्धि ब्याज में 160 रुपये का अन्तर है तो राशि ज्ञात कीजिए।
उत्तर
UP Board Solutions for Class 8 Maths Chapter 11 वाणिज्य गणित img-19

अभ्यास 11 (b)

प्रश्न 1.
एक नगर की जनसंख्या 31 दिसम्बर 1978 को 100000 थी। यदि जनसंख्या में वृद्धि दर 10% वार्षिक हो, तो 31 दिसम्बर 1981 को उस नगर की जनसंख्या कितनी होगी?
उत्तर
UP Board Solutions for Class 8 Maths Chapter 11 वाणिज्य गणित img-20

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प्रश्न 2.
एक गाँव की जनसंख्या प्रतिवर्ष 5% बढ़ जाती है। यदि इस समय उस गाँव की जनसंख्या 4410 हो, तो 2 वर्ष पूर्व उस गाँव की जनसंख्या कितनी थी?
उत्तर
UP Board Solutions for Class 8 Maths Chapter 11 वाणिज्य गणित img-21

प्रश्न 3.
किसी क्षेत्र की जनसंख्या में 6[latex]\frac { 2 }{ 3 } [/latex]% वृद्धि प्रति वर्ष हो रही है। 3 वर्ष बाद वहाँ की जनसंख्या कितनी होगी यदि वहाँ की वर्तमान जनसंख्या 33750 हैं?
उत्तर
UP Board Solutions for Class 8 Maths Chapter 11 वाणिज्य गणित img-22

प्रश्न 4.
किसी मशीन के मूल्य में 12% वार्षिक दर से अवमूल्यन होता है। यदि मशीन का वर्तमान मूल्य 29040 रुपये हो, तो 2 वर्ष पूर्व इसका कितना मूल्य था?
उत्तर
UP Board Solutions for Class 8 Maths Chapter 11 वाणिज्य गणित img-23

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प्रश्न 5.
कितने समय में एक पुराने ट्रैक्टर की कीमत 100,000 रुपये से घटकर 81,000 रुपये रह जाएगी यदि उसकी अवमूल्यन दर 10% वार्षिक है?
उत्तर
UP Board Solutions for Class 8 Maths Chapter 11 वाणिज्य गणित img-24

प्रश्न 6.
एक प्रकार के जीवाणु 5% प्रति घंटे की दर से बढ़ रहे हैं। यदि प्रातः 9 बजे जीवाणुओं की संख्या 25000000 रही हो तो 12 बजे मध्याहून कितने जीवाणु होंगे?
उत्तर
UP Board Solutions for Class 8 Maths Chapter 11 वाणिज्य गणित img-25

प्रश्न 7.
एक रंगीन टेलीविजन सेट का मूल्य 15625 रुपये है। यदि उसको मूल्य प्रतिवर्ष 8% घटता है। तो 3 वर्ष के बाद उसके मूल्य में कुल कितनी गिरावट आएगी? ।
उत्तर
UP Board Solutions for Class 8 Maths Chapter 11 वाणिज्य गणित img-26

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प्रश्न 8.
किसी देश की जनसंख्या इस समय 53 करोड़ है। यदि यह 5% वार्षिक की दर से बढ़े तो ज्ञात कीजिए कि दो वर्ष बाद इसमें कुल कितनी वृद्धि होगी?
उत्तर
UP Board Solutions for Class 8 Maths Chapter 11 वाणिज्य गणित img-27

प्रश्न 9.
किस वार्षिक दर से अवमूल्यन होने पर एक कंपनी की वर्तमान पूंजी 62,50,00,000 रुपये से घटकर 2 वर्ष बाद 57,60,00,000 रुपये रह जाएगी?
उत्तर
UP Board Solutions for Class 8 Maths Chapter 11 वाणिज्य गणित img-28

प्रश्न 10.
5% वार्षिक दर से बढ़ते हुए वर्ष 2016 के अन्त में एक स्थान की जनसंख्या 9,26,100 है।
(अ) वर्ष 2013
(ब) वर्ष 2018 में जनसंख्या कितनी होगी।
उत्तर
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(ब) वर्ष 2018 में जनसंख्या कितनी होगी।
उत्तर
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दक्षता अभ्यास – 11

प्रश्न 1.
राकेश की 2 वर्ष पुरानी साइकिल को, जो उसने 1600 रु० में खरीदी थी, मोहन ने 1296 रु० : में खरीद ली। साइकिल के मूल्य का किस दर से अवमूल्यन हुआ?
उत्तर
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प्रश्न 2.
किसी नगर की वर्तमान जनसंख्या 100000 है। यदि रोजगार की उपलब्धता के कारण जनसंख्या 10% वार्षिक दर से बढ़े, तो 3 वर्ष बाद नगर की जनसंख्या कितनी होगी?
उत्तर
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प्रश्न 3.
एक ग्राम पंचायत क्षेत्र में पशुओं की संख्या में 23[latex]\frac { 1 }{ 2 } [/latex]% प्रतिवर्ष की दर से कमी हो रही है। यदि वर्तमान में पशुओं की संख्या 6400 हो, तो 2 वर्ष बाद क्षेत्र में कितने पशुओं की कमी हो जाएगी?
उत्तर
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प्रश्न 4.
रु. 40960 का 12[latex]\frac { 1 }{ 2 } [/latex]% वार्षिक ब्याज की दर से 1[latex]\frac { 1 }{ 2 } [/latex] वर्ष का चक्रवृद्धि ब्याज ज्ञात कीजिए, जबकि ब्याज छमाही संयोजित होता है।
उत्तर
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प्रश्न 5.
यदि मूलथन = 10000 रुपये, ब्याज की दर = 24% वार्षिक, समय = 2 माह तथा ब्याज मासिक देय हो, तो चक्रवृद्धि ब्याज की गणना कीजिए।
उत्तर
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प्रश्न 6.
यदि 62500 रुपये का 1[latex]\frac { 1 }{ 2 } [/latex] वर्ष का चक्रवृद्धि ब्याज 7804 रुपये हो जबकि ब्याज छमाही संयोजित किया जाता है, तो वार्षिक ब्याज की दर ज्ञात कीजिए।
उत्तर
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प्रश्न 7.
कितने समय में 8% ब्याज की दर से 250000 रुपये का चक्रवृद्धि चक्रवृद्धि 265302 रुपये हो जाएगा, जबकि ब्याज तिमाही संयोजित किया जाना है?
उत्तर
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प्रश्न 8.
30% तथा 20% के क्रमिक बट्टों के समतुल्य बट्टा है –
(क) 50 %
(ख) 46%
(ग) 44%
(घ) 30%
उत्तर
(ग) 44%

प्रश्न 9.
1000 रु० का 10% वार्षिक ब्याज की दर से 2 वर्षों के चक्रवृद्धि और सरल ब्याजों का अन्तर होगा –
(क) रु० 10.00
(ख) रु० 11.00
(ग) रु० 1110.00
(घ) रु० 100.00
उत्तर
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प्रश्न 10.
यदि किसी धनराशि का 5% प्रतिवर्ष की ब्याज पर से दो वर्ष का चक्रवृद्धि ब्याज 123.00 रु० हो, तो मूलधन है।
(क) रु० 1,000.00
(ख) रु० 1,100.00
(ग) रु० 1,200.00
(घ) रु० 1,300.00
उत्तर
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प्रश्न 11.
एक व्यक्ति ने बैंक में 6,000 रुपये 5% वार्षिक साधारण ब्याज की दर से जमा किए। एक अन्य व्यक्ति ने 5000 रुपये 8% वार्षिक चक्रवृद्धि ब्याज की दर से जमा किए। दो वर्ष बाद उनके ब्याजों । में अन्तर होगा-
(क) रु० 230
(ख) रु० 232
(ग) रु० 832
(घ) रु० 600
उत्तर
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UP Board Solutions for Class 9 Social Science Civics Chapter 5 संस्थाओं का कामकाज

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पाठ्य-पुस्तक के प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
अगर आपको भारत का राष्ट्रपति चुना जाए तो आप निम्नलिखित में से कौन-सा फैसला खुद कर सकते हैं?
(क) अपनी पसंद के व्यक्ति को प्रधानमंत्री चुन सकते हैं।
(ख) लोकसभा में बहुमत वाले प्रधानमंत्री को उसके पद से हटा सकते हैं।
(ग) दोनों सदनों द्वारा पारित विधेयक पर पुनर्विचार के लिए कह सकते हैं।
(घ) मंत्रीपरिषद् में अपनी पसंद के नेताओं का चयन कर सकते हैं।
उत्तर:
(ग) दोनों सदनों द्वारा पारित विधेयक पर पुनर्विचार के लिए कह सकते हैं।

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प्रश्न 2.
निम्नलिखित में से कौन राजनैतिक कार्यपालिका का हिस्सा होता है?
(क) जिलाधीश
(ख) गृह मंत्रालय का सचिव
(ग) गृहमंत्री
(घ) पुलिस महानिदेशक
उत्तर:
(ग) गृहमंत्री

प्रश्न 3.
न्यायपालिका के बारे में निम्नलिखित में से कौन-सा बयान गलत है?
(क) संसद द्वारा पारित प्रत्येक कानून को सर्वोच्च न्यायालय की मंजूरी की जरूरत होती है।
(ख) अगर कोई कानून संविधान की भावना के खिलाफ है तो न्यायपालिका उसे अमान्य घोषित कर सकती है।
(ग) न्यायपालिका कार्यपालिका से स्वतंत्र होती है।
(घ) अगर किसी नागरिक के अधिकारों का हनन होता है तो वह अदालत में जा सकता है।
उत्तर:
(क) संसद द्वारा पारित प्रत्येक कानून का सर्वोच्च न्यायालय की मंजूरी की जरूरत होती है।

प्रश्न 4.
निम्नलिखित राजनैतिक संस्थाओं में से कौन-सी संस्था देश के मौजूदा कानून में संशोधन कर सकती है?
(क) सर्वोच्च न्यायालय
(ख) राष्ट्रपति
(ग) प्रधानमंत्री
(घ) संसद
उत्तर:
(घ) संसद

प्रश्न 5.
उस मंत्रालय की पहचान करें जिसने निम्नलिखित समाचार जारी किया होगा –

(क) देश से जूट का निर्यात बढ़ाने के लिए एक नई नीति बनाई जा रही है। 1. रक्षा मंत्रालय
(ख) ग्रामीण इलाकों में टेलीफोन सेवाएँ सुलभ कराई जाएँगी। 2. कृषि, खाद्यान्न और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय
(ग) सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत बिकने वाले चावल और गेहूँ की कीमतें कम की जाएँगी। 3. स्वास्थ्य मंत्रालय
(घ) पल्स पोलियो अभियान शुरू किया जाएगा। 4. वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय
(ङ) ऊँची पहाड़ियों पर तैनात सैनिकों के भत्ते बढ़ाए जाएँगे। 5. संचार और सूचना-प्रौद्योगिकी मंत्रालय

उत्तर:

(क) देश से जूट का निर्यात बढ़ाने के लिए एक नई नीति बनाई जा रही है। 4. वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय
(ख) ग्रामीण इलाकों में टेलीफोन सेवाएँ सुलभ कराई जाएँगी। 5. संचार और सूचना-प्रौद्योगिकी मंत्रालय
(ग) सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत बिकने वाले चावल और गेहूँ की कीमतें कम की जाएँगी। 2. कृषि, खाद्यान्न और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय
(घ) पल्स पोलियो अभियान शुरू किया जाएगा। 3. स्वास्थ्य मंत्रालय
(ङ) ऊँची पहाड़ियों पर तैनात सैनिकों के भत्ते बढ़ाए जाएँगे। 1. रक्षा मंत्रालय

प्रश्न 6.
देश की विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका में से उस राजनैतिक संस्था का नाम बताइए ने निम्नलिखित मामलों में अधिकारों का इस्तेमाल करती है-
(क) सड़क, सिंचाई, जैसे बुनियादी ढाँचों के विकास (UPBoardSolutions.com) और नागरिकों की विभिन्न कल्याणकारी गतिविधियों पर किता पैसा खर्च किया जाएगा।
(ख) स्टॉक एक्सचेंज को नियमित करने संबंधी कानून बनाने की कमेटी के सुझाव पर विचार-विमर्श करती है।
(ग) दो राज्य सरकारों के बीच कानूनी विवाद पर निर्णय लेती है।
(घ) भूकंप पीड़ितों की राहत के प्रयासों के बारे में सूचना माँगती है।
उत्तर:
(क) लोकसभा (वित्त मंत्रालय)
(ख) संसद
(ग) सर्वोच्च न्यायालय
(घ) कार्यपालिका

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प्रश्न 7.
भारत का प्रधानमंत्री सीधे जनता द्वारा क्यों नहीं चुना जाता? निम्नलिखित चार जवाबों में सबसे सही को चुनकर अपनी पसंद के पक्ष में कारण दीजिए।
(क) संसदीय लोकतंत्र में लोकसभा में बहुमत वाली पार्टी का नेता ही ‘प्रधानमंत्री बन सकती है।
(ख) लोकसभा, प्रधानमंत्री और मंत्रीपरिषद् का कार्यकाल पूरा होने से पहले ही उन्हें हटा सकती है।
(ग) चूंकि प्रधानमंत्री को राष्ट्रपति नियुक्त करता है लिहाजा उसे जनता द्वारा चुने जाने की जरूरत ही नहीं है।
(घ) प्रधानमंत्री के सीधे चुनाव में बहुत ज्यादा खर्च आएगा।
उत्तर:
(क) संसदीय लोकतंत्र में लोकसभा में बहुमत वाले दल का नेता ही प्रधानमंत्री बन सकता है। यदि एक प्रत्यक्ष रूप से निर्वाचित व्यक्ति जिसे लोकसभा में बहुमत का समर्थन प्राप्त नहीं है को प्रधानमंत्री बना दिया जाता है, तो उसके लिए लोकसभा में अपनी मर्जी के बिल, नीतियाँ पास कराना (UPBoardSolutions.com) कठिन होगा। ऐसी स्थिति में सरकार ठीक ढंग से नहीं चल सकेगी। इसके अलावा भारत जैसे विशाल देश में जहाँ पर मतदाताओं की संख्या करोड़ों में है, किसी भी साधारण व्यक्ति चाहे वह कितना ही ईमानदार तथा बुद्धिमान क्यों न हो, चुनाव का खर्च सहन करना संभव नहीं होगा।

प्रश्न 8.
तीन दोस्त एक ऐसी फिल्म देखने गए जिसमें हीरो एक दिन के लिए मुख्यमंत्री बनता है और राज्य में बहुत से बदलाव लाता है। इमरान ने कहा कि देश को इसी चीज की जरूरत है। रिजवान ने कहा कि इस तरह का, बिना संस्थाओं वाले व्यक्ति का राज खतरनाक है। शंकर ने कहा कि यह तो एक कल्पना है।
कोई भी मंत्री एक दिन में कुछ भी नहीं कर सकता। ऐसी फिल्मों के बारे में आपकी क्या राय है?
उत्तर:
इस प्रकार की फिल्म का कथानक कल्पना पर आधारित है यथार्थ से इसका कोई सम्बन्ध नहीं है। एक व्यक्ति का शासन सदैव खतरनाक होता है। शासन का संचालन नियमों के अनुसार ही चलाया जा सकता है। मुख्यमंत्री की नियुक्ति निष्पक्ष चुनाव प्रक्रिया के उपरांत की जाती है। साथ ही सुधारों के लिए अत्यधिक योजना बनाने की जरूरत होती है। मैं भी शंकर से सहमत हूँ। राज्य में बदलाव लाने के लिए केवल एक दिन काफी नहीं होता।

प्रश्न 9.
एक शिक्षिका छात्रों की संसद के आयोजन की तैयारी कर रही थी। उसने दो छात्राओं को अलग-अलग पार्टियों के नेताओं की भूमिका करने को कहा। उसने उन्हें विकल्प भी दिया। यदि वे (UPBoardSolutions.com) चाहें तो राज्यसभा में बहुमत प्राप्त दल की नेता हो सकतीं थीं और अगर चाहें तो लोकसभा के बहुमत प्राप्त दल की। अगर आपको यह विकल्प दिया जाए तो आप क्या चुनेंगे और क्यों?
उत्तर:
मैं लोकसभा में बहुमत प्राप्त दल का नेता बनना चाहूँगा क्योंकि व्यावहारिक रूप से लोकसभा-राज्यसभा से अधिक शक्तिशाली होता है। धन विधेयक लोकसभा में ही प्रस्तुत किया जाता है। इसे लोकसभा ही पारित कर सकती है। राज्यसभा इसे मात्र 14 दिन तक रोक सकती है और यदि राज्यसभा इस विधेयक को वापस लोकसभा को नहीं लौटाती है तब भी इस विधेयक को पास मान लिया जाएगा। (UPBoardSolutions.com) लोकसभा मंत्रिमण्डल को नियंत्रित करती है। लोकसभा के सदस्य मतदाताओं द्वारा प्रत्यक्ष रूप से चुने जाते हैं जबकि राज्यसभा सदस्यों का चुनाव अप्रत्यक्ष रूप से होता है।

प्रश्न 10.
आरक्षण पर आदेश का उदाहरण पढ़कर तीन विद्यार्थियों की न्यायपालिका पर अलग-अलग प्रतिक्रिया थी। इसमें से कौन-सी प्रतिक्रिया, न्यायपालिका की भूमिका को सही तरह से समझती है?
(क) श्रीनिवांस का तर्क है कि चूंकि सर्वोच्च न्यायालय सरकार के साथ सहमत हो गई है लिहाजा वह स्वतंत्र नहीं
(ख) अंजैया का कहना है कि न्यायपालिका स्वतंत्र है क्योंकि वह सरकार के आदेश के खिलाफ फैसला सुना सकती थी। सर्वोच्च न्यायालय ने सरकार को उसमें संशोधन (UPBoardSolutions.com) का निर्देश दिया।
(ग) विजया का मानना है कि न्यायपालिका न तो स्वतंत्र है न ही किसी के अनुसार चलने वाली है बल्कि वह विरोधी समूहों के बीच मध्यस्थ की भूमिका निभाती है। न्यायालय ने इसे आदेश के समर्थकों और विरोधियों के बीच बढ़िया संतुलन बनाया। आपकी राय में कौन-सा विचार सही है?
उत्तर:
इन तीनों विचारों में से-
(ख) अंजैया का विचार सही है, न्यायपालिका स्वतंत्र है। सर्वोच्च न्यायालय सरकार के निर्णय को रद्द भी कर सकता है और उसे बदलने का आदेश भी दे सकता है। अतः सर्वोच्च न्यायालय ने सरकार को अपने आदेश में संशोधन करने का आदेश दिया।

अतिलघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
न्यायिक समीक्षा का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
न्यायिक समीक्षा उच्चतम न्यायालय की वह शक्ति है जिसके माध्यम से वह विधायिका द्वारा पारित कानून अथवा कार्यपालिका द्वारा की गयी कार्रवाई की समीक्षा यह जानने के लिए कर सकता है कि उक्त कार्रवाई या कानून संविधान के अनुकूल है या प्रतिकूल। यदि न्यायालय को ऐसा लगता है कि कोई कानून अथवा आदेश संविधान के प्रावधानों का उल्लंघन करता है तो वह ऐसे कानून या आदेश को रद्द कर सकता है?

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प्रश्न 2.
राज्य किसे कहते हैं?
उत्तर:
राज्य किसी निश्चित क्षेत्र में फैली राजनैतिक इकाई, जिसके पास संगठित सरकार हो और घरेलु तथा विदेशी नीतियों को बनाने का अधिकार हो। सरकारें परिवर्तित हो सकती हैं पर राज्य बना रहता है। बोलचाल की भाषा में देश, राष्ट्र और राज्य को समानार्थी के रूप में प्रयोग किया जाता है। राज्य’ (UPBoardSolutions.com) शब्द का एक अन्य प्रयोग किसी देश के अंदर की प्रशासनिक इकाइयों का प्रांतों के लिए भी होता है। इस अर्थ में राजस्थान, झारखण्ड, त्रिपुरा आदि भी राज्य कहे जाते हैं।

प्रश्न 3.
विधायिका से क्या आशय है?
उत्तर:
विधायिका जनप्रतिनिधियों की वह सभी है जिसके पास देश का कानून बनाने की शक्ति होती है। कानून बनाने के अतिरिक्त विधायिका को करों में वृद्धि करने, बजट बनाने और दूसरे वित्त विधेयकों को बनाने का विशेष अधिकार होता है।

प्रश्न 4.
न्यायपालिका किसे कहते हैं?
उत्तर:
एक राजनैतिक संस्था जिसके पास न्याय करने एवं कानूनी विवादों के निपटारे का समाधान होता है, उसे न्यायपालिका कहते हैं। देश की सभी अदालतों को न्यायपालिका के नाम से संबोधित किया जाता है।

प्रश्न 5.
सरकार से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
संस्थाओं का ऐसा समूह जिसके पास देश में व्यवस्थित जन-जीवन सुनिश्चित करने के लिए कानून बनाने, लागू करने और उसकी व्याख्या करने का अधिकार होता है। व्यापक अर्थ में सरकार किसी देश के लोगों और संसाधनों को नियंत्रित और उनकी निगरानी करती है।

प्रश्न 6.
कार्यपालिका से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
व्यक्तियों का ऐसा निकाय जिसके पास देश के संविधान और कानून के आधार पर नीति-निर्माण करने, निर्णय करने और उन्हें क्रियान्वित करने का अधिकार होता है, न्यायपालिका कहते हैं।

प्रश्न 7.
गठबन्धन सरकार किसे कहते हैं?
उत्तर:
जब विधायिका में किसी एक दल को बहुमत प्राप्त नहीं होता है तो ऐसी दशा में दो या दो से अधिक राजनीतिक दल आपस में मिलकर जो सरकार बनाते हैं, उसे गठबन्धन सरकार कहते हैं।

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प्रश्न 8.
संस्थाओं से क्या आशय है?
उत्तर:
सरकार के विभिन्न कार्यों को करने के लिए देश में अनेक व्यवस्थाएँ की जाती हैं। इन व्यवस्थाओं को ही संस्थाएँ कहते हैं। इन संस्थाओं की संरचना एवं कार्यों का वर्णन संविधान में किया गया होता है।

प्रश्न 9.
संसदीय लोकतंत्र की तीन प्रमुख संस्थाओं का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
संसदीय लोकतंत्र की तीन प्रमुख संस्थाएँ-विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका होती है। इसमें विधानमंडल कानून बनाता है, कार्यपालिका उन कानूनों को लागू करती है और न्यायपालिका विवादों का समाधान करती है।

प्रश्न 10.
भारत के राष्ट्रपति के कार्यपालिका सम्बन्धी तीन शक्तियों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
राष्ट्रपति की कार्यपालिका सम्बन्धी तीन प्रमुख शक्तियाँ इस प्रकार हैं-

  1. देश का शासन राष्ट्रपति के नाम पर चलाया जाता है।
  2. राष्ट्रपति प्रधानमंत्री की नियुक्ति करता है और उसके परामर्श पर अन्य मंत्रियों को नियुक्त करता है।
  3. राष्ट्रपति राज्यों के राज्यपालों की नियुक्ति करता है।

प्रश्न 11.
संसद से क्या आशय है? संसद के दोनों सदनों का कार्यकाल बताइए।
उत्तर:
सभी लोकतंत्रीय राज्यों में जनता द्वारा निर्वाचित प्रतिनिधियों की एक संस्था होती है, जो कानूनों का निर्माण करती है।
भारत, इंग्लैण्ड तथा फ्रांस आदि राज्यों में इसे संसद नाम दिया गया है। संयुक्त राज्य अमेरिका में इस संस्था को कांग्रेस नाम दिया गया है। लोकसभा के सदस्यों का साधारण (UPBoardSolutions.com) कार्यकाल 5 वर्ष है, परंतु राष्ट्रपति को यह अधिकार है कि वह उसे इसके पाँच वर्ष पूरे होने से पहले भी भंग कर सकता है। राज्यसभा एक स्थायी सदन है, उसके सदस्य 6 वर्ष के लिए चुने जाते हैं। इसके 1/3 सदस्य प्रत्येक दो वर्ष के बाद रिटायर हो जाते हैं और उनके स्थान पर नए सदस्य चुन लिए जाते हैं।

प्रश्न 12.
लोकसभा एवं विधानसभा की चुनाव प्रक्रिया बताइए।
उत्तर:
लोकसभा के सदस्य जनता द्वारा प्रत्यक्ष रूप से चुने जाते हैं। पूरे देश को उतने निर्वाचन-क्षेत्रों में बाँट दिया जाता है जितने कि सदस्य चुने जाने हैं। एक निर्वाचन-क्षेत्र से एक सदस्य चुना जाता है। राज्यसभा के 12 सदस्य राष्ट्रपति द्वारा ऐसे व्यक्तियों में से मनोनीत किए जाते हैं जिन्होंने कला, साहित्य, विज्ञान और समाज सेवा में प्रसिद्धि प्राप्त कर ली है। शेष 238 सदस्य राज्यों की विधानसभा के सदस्यों द्वारा चुने जाते हैं।

प्रश्न 13.
राष्ट्रपति किस परिस्थिति में संकटकालीन स्थिति की घोषणा कर सकता है?
उत्तर:
राष्ट्रपति निम्न तीन स्थितियों में संकटकाल की घोषणा कर सकता है-

  1. युद्ध, विदेशी आक्रमण अथवा सशस्त्र विद्रोह होने की स्थिति में।
  2. किसी राज्य में संवैधानिक मशीनरी के विफल होने की स्थिति में।
  3. देश की वित्तीय स्थिति खराब होने की स्थिति में।

प्रश्न 14.
भारत के प्रधानमंत्री की तीन शक्तियों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
प्रधानमंत्री की तीन प्रमुख शक्तियाँ इस प्रकार हैं-

  1. प्रधानमंत्री अपनी मंत्रिपरिषद् का निर्माण करता है। मंत्रिपरिषद् के सभी सदस्य प्रधानमंत्री की सिफारिश के अनुसार ही राष्ट्रपति द्वारा नियुक्ति किए जाते हैं।
  2. प्रधानमंत्री मंत्रियों के बीच विभागों का विभाजन करता है।
  3. प्रधानमंत्री मंत्रिमंडल की बैठकें बुलाता है तथा उनकी अध्यक्षता करता है।

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प्रश्न 15.
राष्ट्रपति की तीन विधायी शक्तियों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
राष्ट्रपति की तीन विधायी शक्तियाँ इस प्रकार हैं-

  1. राष्ट्रपति संसद को अधिवेशन बुला सकता है तथा उसे स्थगित कर सकता है।
  2. राष्ट्रपति संसद के दोनों सदनों द्वारा पास किए गए बिलों को स्वीकृति प्रदान करता है।
  3. राष्ट्रपति को राज्यसभा में 12 सदस्य मनोनीत करने का अधिकार है।

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
लोकतांत्रिक देश में संसद का महत्त्व बताइए।
उत्तर:
प्रायः सभी लोकतांत्रिक देशों में निर्वाचित प्रतिनिधियों की सभी जनता के प्रतिनिधि के रूप में सर्वोच्च राजनैतिक सत्ता का प्रयोग करती है। इस तरह जनता द्वारा निर्वाचित राष्ट्रीय सभा को संसद कहते हैं। राज्य स्तर पर इसे विधानसभा कहते हैं।
लोकतांत्रिक देशों में संसद के महत्त्व को हम निम्न रूप में प्रस्तुत कर सकते हैं-

  1. संसद सरकार के पास उपलब्ध धन को भी नियंत्रित करती है।
  2. संसद देश में सार्वजनिक मुद्दों तथा राष्ट्रीय नीतियों पर परिचर्चा का सर्वोच्च मंच है। यह किसी भी मामले में सूचना की मांग कर सकती है।
  3. संसद देश में कानून बनाने वाली सर्वोच्च सत्ता है। यह वर्तमान कानूनों को बदल/समाप्त कर सकती है अथवा पुराने कानूनों के स्थान पर नए कानून ला सकती है।
  4. संसद का सरकार को चलाने वाले लोगों पर नियंत्रण होता है। संसद के समर्थन के बिना कोई भी निर्णय नहीं लिया जा सकता।

प्रश्न 2.
भारत के राष्ट्रपति की चुनाव प्रक्रिया का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
राष्ट्रपति का चुनाव जनता द्वारा प्रत्यक्ष रूप से नहीं किया जाता है। संसद के सभी सदस्य अर्थात् सांसद तथा राज्य विधानसभाओं के सभी सदस्य अर्थात् विधायक उसका चुनाव करते हैं। राष्ट्रपति पद के किसी उम्मीदवार को चुनाव जीतने के लिए बहुमत प्राप्त करना होता है। ऐसा यह सुनिश्चित करने के लिए किया जाता है कि भारत का राष्ट्रपति पूरे देश का प्रतिनिधित्व करता दिखाई दे।

प्रश्न 3.
लोकसभा वित्तीय मामलों में किन शक्तियों का प्रयोग करती है?
उत्तर:
भारतीय लोकतांत्रिक व्यवस्था में वित्तीय मामलों में लोकसभा की शक्ति सर्वोच्च है। लोकसभा द्वारा एक बार सरकारी बजट अथवा धन संबंधी कोई कानून पास कर देने के (UPBoardSolutions.com) बाद राज्यसभा इसे अस्वीकार नहीं कर सकती। राज्यसभा इसमें केवल 14 दिनों की देरी कर सकती है अथवा इसमें संशोधन का सुझाव दे सकती है। यह लोकसभा का अधिकार है कि वह उन सुझावों को माने या न माने।

प्रश्न 4.
किन परिस्थितियों में राष्ट्रपति स्वविवेक का प्रयोग कर सकता है?
उत्तर:
लोकसभा के चुनावों में जब कोई राजनीतिक दल अथवा गठबन्धन बहुमत के लिए आवश्यक सीटें जीत लेता है। तो राष्ट्रपति उस दल या गठबन्धन के नेता को प्रधानमंत्री नियुक्ति करता है। लेकिन जब किसी दल अथवा गठबंधन के नेता को स्पष्ट बहुमत नहीं मिलता है तो राष्ट्रपति अपने विवेक का प्रयोग करता है। तब राष्ट्रपति ऐसे दल अथवा गठबंधन के नेता को प्रधानमंत्री नियुक्त करता है जो उसके (UPBoardSolutions.com) विचार में लोकसभा में बहुमत प्राप्त कर सकता हो। ऐसे मामले में, राष्ट्रपति नवनियुक्त प्रधानमंत्री को निर्धारित समय सीमा में लोकसभा में बहुमत सिद्ध करने के लिए कह सकता है।

प्रश्न 5.
धन-विधेयक को परिभाषित कीजिए।
उत्तर:
कोई भी विधेयक जब निम्नलिखित विषयों से सम्बन्धित होता है तो उसे धन-विधेयक कहते हैं-

  1. किसी भी धन को भारत की संचित निधि से दिए जाने की घोषणा करना या उसमें से धन खर्च करना।
  2. धन के आय तथा व्यय के बारे में कोई अन्य विषय।
  3. कोई कर लगाना अथवा उसे समाप्त करना।
  4. भारत सरकार द्वारा लिया गया ऋण या उससे संबंधित विषय।
  5. भारत की संचित निधि तथा आकस्मिक निधि की रक्षा तथा उसमें धन डालना अथवा निकालना।

प्रश्न 6.
लोकसभा सदस्य बनने के लिए व्यक्ति में कौन-सी योग्यताएँ होनी चाहिए।
उत्तर:
व्यक्ति को लोकसभा का सदस्य बनाने के लिए व्यक्ति में निम्न योग्यताएँ होनी चाहिए।

  1. वह भारत का नागरिक हो।
  2. यदि वह लोकसभा का सदस्य बनना चाहता है, तो वह 25 वर्ष की आयु और राज्यसभा का सदस्य बनने के लिए 30 वर्ष की आयु पूरी कर चुका हो।
  3. वह भारत सरकार अथवा किसी राज्य सरकार के अधीन किसी लाभ के पद पर कार्य न कर रहा हो।
  4. वह पागल अथवा दिवालिया न हो।
  5. वह किसी गंभीर अपराध में दंडित न किया गया हो।
  6. उसके पास वे सभी योग्यताएँ हों, जो समय-समय पर संसद निश्चित करे।

प्रश्न 7.
राष्ट्रपति को उसके पद से किस तरह हटाया जा सकता है?
उत्तर:
संविधान का उल्लंघन करने और उसकी रक्षा करने में विफल रहने पर राष्ट्रपति को महाभियोग द्वारा उसके पद से हटाया जा सकता है। महाभियोग का प्रस्ताव संसद के किसी भी सदन में प्रस्तावित किया जा सकता है। इसके लिए सदन में 1/4 सदस्य हस्ताक्षर सहित 14 दिन का नोटिस दें। उसके पश्चात् सदन उस प्रस्ताव पर विचार करेगा। यदि सदन अपनी । कुल संख्या के बहुमत तथा उपस्थित व मतदान में भाग लेने (UPBoardSolutions.com) वाले सदस्यों के 2/3 बहुमत से प्रस्ताव पारित कर दे, तो उसे दूसरे सदन के पास भेज दिया जाता है। यदि दूसरा सदन भी उसी प्रकार से उस प्रस्ताव को पास कर दे, तो महाभियोग प्रस्ताव संसद द्वारा पारित समझा जाएगा और राष्ट्रपति पद से हट जाएगा।

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प्रश्न 8.
राष्ट्रपति की योग्यताएँ एवं कार्यकाल बताइए।।
उत्तर:
एक व्यक्ति में भारत का राष्ट्रपति चुने जाने के लिए निम्नलिखित योग्यताएँ होनी चाहिए-

  1. वह भारत का नागरिक हो।
  2. वह 35 वर्ष की आयु पूरी कर चुका हो।
  3. वह लोकसभा का सदस्य बनने की योग्यता रखता हो।
  4. वह केंद्रीय सरकार अथवा किसी राज्य सरकार के अधीन किसी लाभ के पद पर कार्य न कर रहा हो।
  5. वह संसद अथवा किसी राज्य विधानमंडल का सदस्य नहीं होना चाहिए।
  6. सन् 1997 में जारी किए गए अध्यादेश द्वारा इसमें निम्नलिखित दो योग्यताएँ और जोड़ दी गई हैं-
    1. उसे 15,000 जमानत के रूप में जमा करवाने होंगे।
    2. राष्ट्रपति पद का चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवार का नाम निर्वाचक-मंडल के कम-से-कम 50 सदस्यों द्वारा प्रस्तावित तथा अन्य 50 सदस्यों द्वारा अनुमोदित होना चाहिए।

कार्यकाल – राष्ट्रपति का कार्यकाल 5 वर्ष निश्चित किया गया है, परंतु संसद महाभियोग द्वारा उसे इस कार्यकाल के समाप्त होने से पहले भी पद से हटा सकती है।

प्रश्न 9.
‘अविश्वास प्रस्ताव’ किसे कहते हैं?
उत्तर:
कोई भी मंत्रिपरिषद् तभी तक अपने पद पर बनी रह सकती है, जब तक उसे लोकसभा में बहुमत का समर्थन प्राप्त रहता है। विपक्षी दल जब यह अनुभव करें कि सरकार की नीतियाँ ठीक नहीं हैं या सरकार अपना कार्य ठीक प्रकार से नहीं कर रही है, तो वह संसद में सरकार के विरुद्ध अविश्वास का प्रस्ताव पेश करते हैं। इस प्रस्ताव पर संसद में वाद-विवाद किया जाता है और फिर उस पर मतदान कराया जाता है। यदि सदस्यों का बहुमत अविश्वास प्रस्ताव के पक्ष में मतदान करता है तो सरकार (मंत्रिपरिषद्) को अपना त्याग-पत्र देना पड़ता है। यदि संसद में अविश्वास प्रस्ताव के पक्ष में मत प्राप्त नहीं होते, तो वह रद्द हो जाता है और सरकार पर उसका कोई प्रभाव नहीं पड़ता।

प्रश्न 10.
क्या भारत का राष्ट्रपति संकटकालीन शक्तियों का प्रयोग करके तानाशाह बन सकता है? अपने तर्क प्रस्तुत कीजिए।
उत्तर:
यह सत्य है कि राष्ट्रपति को अनेक संकटकालीन शक्तियाँ प्राप्त हैं किन्तु उसके ऊपर अनेक लोकतांत्रिक प्रतिबन्ध भी हैं जिससे वह तानाशाह नहीं बन सकता है।
इसके निम्नलिखित कारण हैं-

  1. यदि राष्ट्रपति अपनी शक्तियों को दुरुपयोग करता है, तो सांसद उसके विरुद्ध महाभियोग का प्रस्ताव पास करके उसे पद से हटा सकती है।
  2. राष्ट्रपति संकटकालीन स्थिति की घोषणा तभी कर सकता है, जब मंत्रिमंडल लिखित रूप में उसे ऐसा करने का परामर्श दे।
  3. राष्ट्रपति की घोषणा पर एक महीने के अंदर संसद की स्वीकृति लेनी पड़ती है।

प्रश्न 11.
लोकसभा और राज्यसभा में अंतर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
लोकसभा और राज्यसभा में अंतर-

लोकसभा

राज्यसभा

1. धन संबंधी बिल केवल लोकसभा में पेश किए जा सकते हैं। यह लोकसभा ही है जो देश का प्रशासन चलाने के लिए धन प्रदान करती है। 1. राज्यसभा के पास धन संबंधी मामलों में अधिक शक्ति प्राप्त नहीं है।
2. लोकसभा राज्यसभा की अपेक्षा अधिक शक्तिशाली है। 2. लोकसभा की अपेक्षा राज्यसभा कम शक्तिशाली है।
3. लोकसभा के सदस्य सीधे जनता द्वारा चुने जाते है। 3. राज्यसभा के सदस्यों का चुनाव राज्य विधानसभाओं के सदस्यों द्वारा किया जाता है।
4. प्रत्येक लोकसभा को सामान्य कार्यकाल 5 वर्ष होता है। 5 वर्ष के बाद निर्वाचित किए गए सभी सदस्यों का कार्यकाल समाप्त हो जाता है। लोकसभा भंग हो जाती है। 4. राज्यसभा एक स्थायी निकाय है। यह कभी भंग नहीं होता किन्तु इसके एक तिहाई सदस्य प्रत्येक 2 वर्ष के बाद सेवानिवृत्त हो जाते हैं।
 5. लोकसभा के सदस्यों की अधिकतम संख्या  552  है। 5. राज्यसभा के सदस्यों की संख्या 250 से अधिक नहीं होती।

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प्रश्न 12.
न्यायपालिका भारत के नागरिकों के मौलिक अधिकारों की सुरक्षा किस तरह करती है?
उत्तर:
भारतीय संविधान द्वारा भारत के नागरिकों को प्रदान किए गए मौलिक अधिकारों की सुरक्षा का उत्तरदायित्व भारत के सर्वोच्च न्यायालय को दिया गया है। यदि सरकार नागरिकों के मौलिक अधिकारों को छीनती है या कोई नागरिक किसी दूसरे नागरिक को उसके मौलिक अधिकारों का प्रयोग स्वतंत्रतापूर्वक नहीं करने देता, तो वह नागरिक अपने मौलिक अधिकारों की रक्षा के लिए सर्वोच्च न्यायालय की शरण ले सकता है। सर्वोच्च न्यायालय ‘संवैधानिक उपचारों के अधिकार के अंतर्गत संविधान में वर्णित मौलिक अधिकारों की रक्षा करता है। इन संवैधानिक उपचारों में बंदी प्रत्यक्षीकरण, परमादेश, प्रतिषेध, अधिकार पृच्छा तथा उत्प्रेषण लेख आदि का प्रयोग नागरिकों के मौलिक अधिकारों की रक्षा के लिए किया जाता है।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
संसद तथा इसके दोनों सदनों के बारे में संक्षिप्त विवरण प्रस्तुत कीजिए।
उत्तर:
प्रायः सभी लोकतांत्रिक देशों में निर्वाचित प्रतिनिधियों की सभी जनता की ओर से सर्वोच्च राजनैतिक सत्ता को प्रयोग करती है। भारत में इस तरह की निर्वाचित राष्ट्रीय सभा को संसद कहते हैं। इसके दो सदन हैं-लोकसभा (निम्न सदन) और राज्यसभा (उच्च सदन)।
देश में कानून बनाने वाली सर्वोच्च सत्ता संसद है। संसद वर्तमान कानूनों को परिवर्तित यो समाप्त कर सकती है अथवा पुराने कानूनों के स्थान पर नए कानून बना सकती है। संसद का सरकार को चलाने वाले लोगों पर नियंत्रण होता है। संसद् के समर्थन के बिना कोई भी निर्णय नहीं लिया जा सकता। संसद सरकार के पास उपलब्ध धन को भी नियंत्रित करती है। संसद देश में सार्वजनिक मुद्दों तथा राष्ट्रीय (UPBoardSolutions.com) नीतियों पर परिचर्चा का सर्वोच्च मंच है। यह किसी भी मामले में सूचना की माँग कर सकती है। हमारे देश में संसद दो सदनों से मिलकर बनी है-राज्यसभा तथा लोकसभा। हमारा संविधान राज्यसभा को राज्यों पर कुछ विशेष शक्तियाँ प्रदान करता है। किन्तु अधिकतम मामलों में लोकसभा के पास सर्वोच्च शक्ति है।

लोकसभा – यह लोगों द्वारा प्रत्यक्ष रूप से चुनी जाती है तथा लोगों की ओर से लोकसभा वास्तविक शक्ति का प्रयोग करती है। लोकसभा के सदस्यों की अधिकतम संख्या 552 है जिनमें से 530 सदस्य विभिन्न राज्यों से तथा 20 सदस्य संघ शासित क्षेत्रों से चुने जाते हैं। राष्ट्रपति लोकसभा में 2 सदस्य आंग्ल-भारतीय समुदाय से मनोनीत करते हैं। लोकसभा सदस्यों की वर्तमान संख्या 545 है। लोकसभा का कार्यकाल 5 वर्ष होता है। आपात स्थिति में लोकसभा के कार्यकाल को एक बार में एक वर्ष के लिए बढ़ाया जा सकता है।

राज्यसभा – राज्यसभा के सदस्य परोक्ष रूप से विभिन्न राज्यों की विधानसभाओं द्वारा चुने जाते हैं। दूसरे सदन का सर्वाधिक सामान्य काम विभिन्न राज्यों, क्षेत्रों और संघीय इकाइयों के हितों की निगरानी करना होता है। इसके सदस्यों की अधिकतम संख्या 250 होती है। राज्यसभा में 12 सदस्य राष्ट्रपति द्वारा साहित्य, कला, विज्ञान एवं समाज सेवा जैसे विभिन्न क्षेत्रों में विशेष उपलब्धि प्राप्त करने वाले लोगों में से नामित (UPBoardSolutions.com) किए जाते हैं। राज्यसभा स्थायी सदन है। यह कभी भंग नहीं होती अपितु इसके एक तिहाई सदस्य प्रत्येक 2 वर्ष के बाद सेवानिवृत्त हो जाते हैं। वर्तमान में राज्यसभा के 245 सदस्य हैं जो विभिन्न राज्यों तथा संघ शासित क्षेत्रों से चुने गए हैं।

प्रश्न 2.
न्यायपालिका की स्वतंत्रता एवं शक्तियों का संक्षेप में उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
देश में विद्यमान विभिन्न स्तरों के समस्त न्यायालयों को सामूहिक रूप से न्यायपालिका कहते हैं। न्यायपालिका की स्वतंत्रता से आशय यह है कि यह विधायिका एवं कार्यपालिका के नियंत्रण से मुक्त है। इसीलिए न्यायपालिका को सभी लोकतांत्रिक देशों में विशेष महत्त्व दिया गया है। भारतीय न्यायपालिका पूरे देश के लिए सर्वोच्च न्यायालय, राज्यों में उच्च न्यायालयों, जिला न्यायालयों तथा स्थानीय न्यायालयों से मिलकर बनी है। भारतीय न्यायपालिका पूरे विश्व में सबसे अधिक शक्तिशाली है।
भारत की न्यायपालिका एकीकृत है। इसका अर्थ है कि सर्वोच्च न्यायालय पूरे देश में न्यायिक प्रशासन को नियंत्रित करता है। वह इनमें से किसी भी विवाद की सुनवाई कर सकता है।

  1. देश के नागरिकों के बीच;
  2. नागरिकों एवं सरकार के बीच;
  3. दो या इससे अधिक राज्य सरकारों के बीच;
  4. केन्द्र और राज्य सरकार के बीच।

न्यायपालिका की स्वतंत्रता का अर्थ है कि यह विधायिका अथवा कार्यपालिका के नियंत्रण से मुक्त है। न्यायाधीश सरकार के निर्देशों या सत्ताधारी दलों की इच्छा के अनुसार काम नहीं करते। यही कारण है कि सभी आधुनिक लोकतंत्रों में अदालतें, विधायिका और कार्यपालिका के नियंत्रण से मुक्त होती हैं। सर्वोच्च न्यायालय तथा उच्च न्यायालयों को देश के संविधान की व्याख्या करने का अधिकार है। अगर उसे लगता है कि विधायिका का कोई कानून अथवा कार्यपालिका की कोई कार्रवाई संविधान के विरुद्ध है तो यह उसे केन्द्र (UPBoardSolutions.com) अथवा राज्य स्तर पर अमान्य घोषित कर सकती है। इस प्रकार जब इसके सामने किसी कानून या कार्यपालिका की कार्रवाई को चुनौती मिलती है तो वह उसकी संवैधानिक वैधता तय करती है।

इसे न्यायिक समीक्षा के नाम से जाना जाता है। न्यायिक समीक्षा सर्वोच्च न्यायालय की वह शक्ति है जिसके द्वारा वह विधायिका द्वारा पारित कानून अथवा कार्यपालिका द्वारा की गई कार्रवाई को यह जानने के लिए प्रयोग कर सकती है कि उक्त कानून या कार्रवाई संविधान द्वारा निषिद्ध है अथवा नहीं। यदि न्यायालय यह पाता है कि कोई कानून अथवा आदेश संविधान के प्रावधानों का उल्लंघन करता है तो यह ऐसे कानून या आदेश को अमान्य घोषित कर सकता है।

प्रश्न 3.
लोकसभा अध्यक्ष की स्थिति को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
लोकसभा के अध्यक्ष का चुनाव लोकसभा द्वारा अपने सदस्यों में से किया जाता है। इसे १ 4,00,000 प्रतिमाह वेतन दिया जाता है।
लोकसभा अध्यक्ष के प्रमुख कार्य इस प्रकार हैं-

  1. वह लोकसभा की बैठकों की अध्यक्षता करता है तथा सदन में शांति और व्यवस्था बनाए रखने का कार्य करता है।
  2. यदि कोई सदस्य सदन की कार्यवाही में बाधा उत्पन्न करता है अथवा सदन में अनुचित शब्दों का प्रयोग करता है तो स्पीकर उसके विरुद्ध कार्यवाही कर सकता है। वह उसे सदन से बाहर जाने के लिए कह सकता है।
  3. वह सदस्यों के लिए निवास तथा अन्य सुविधाओं (UPBoardSolutions.com) की व्यवस्था करता है।
  4. लोकसभा जब किसी बिल को पास कर देती है, तो वह स्पीकर के हस्ताक्षरों के बाद ही राज्यसभा अथवा राष्ट्रपति के पास भेजा जाता है।
  5. सदन की बैठक में गड़बड़ होने की स्थिति में वह सदन की बैठक स्थगित कर सकता है।
  6. सदन की विभिन्न समितियों की नियुक्तियों में स्पीकर का महत्त्वपूर्ण हाथ होता है।
  7. यदि किसी बिल के बारे में यह मतभेद उत्पन्न हो जाए कि वह बिल वित्त-बिल है अथवा नहीं, तो उस संबंध में स्पीकर द्वारा किया गया निर्णय ही अंतिम माना जाएगा।
  8. वह सदन में सदस्यों को बोलने की आज्ञा देता है।
  9. सदन में जब किसी बिल पर वाद-विवाद समाप्त हो जाता है, तो वह उस पर मतदान करवाता है, मतों की गिनती करवाता है तथा परिणाम घोषित करता है।
  10. साधारणतः स्पीकर सदन में मतदान में भाग नहीं लेता, परंतु किसी बिल पर समान मत पड़ने की स्थिति में वह निर्णायक मत दे सकता है।
  11. स्पीकर सदन के नेता की सलाह से सदन का कार्यक्रम निर्धारित करता है।
  12. वह लोकसभा के सदस्यों के अधिकारों की रक्षा करता है।
  13. वह राष्ट्रपति तथा सदन के बीच कड़ी का काम करता है।
  14. दोनों सदनों की संयुक्त बैठक की अध्यक्षता भी स्पीकर करता है।
  15. स्पीकर ही इस बात का निर्णय करता है कि सदन की गणपूर्ति के लिए आवश्यक सदस्य उपस्थित हैं अथवा नहीं।

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प्रश्न 4.
प्रधानमंत्री की शक्तियाँ एवं कार्यों का विवरण दीजिए।
उत्तर:
प्रधानमंत्री की मुख्य शक्तियाँ एवं कार्यों का विवरण इस प्रकार है-

  1. मंत्रिपरिषद का निर्माण करना – प्रधानमंत्री का मुख्य कार्य मंत्रिपरिषद् का निर्माण करना है, प्रधानमंत्री मंत्रियों की सूची तैयार करता है और राष्ट्रपति के सामने प्रस्तुत करता है। राष्ट्रपति इस सूची के अनुसार ही मंत्रियों को नियुक्त करता है। प्रधानमंत्री ही विभिन्न मंत्रियों के बीच विभागों का बँटवारा करता है।
  2. मंत्रिमंडल की बैठकों की अध्यक्षता – प्रधानमंत्री मंत्रिमंडल की बैठकें बुलाता है तथा उनकी अध्यक्षता करता है। इन बैठकों का कार्यक्रम भी प्रधानमंत्री द्वारा तैयार किया जाता है।
  3. मंत्रियों को हटाना – यदि कोई मंत्री प्रधानमंत्री की नीति से असहमत होता है, तो प्रधानमंत्री उसे त्याग-पत्र देने के लिए कह सकता है। यदि वह ऐसा नहीं करता, तो प्रधानमंत्री राष्ट्रपति से कहकर उसे पद से हटवा सकता
  4. संसद का नेता – प्रधानमंत्री के परामर्श के अनुसार ही राष्ट्रपति द्वारा संसद का अधिवेशन बुलाया जाता है तथा स्थगित किया जाता है। संसद में सरकार की ओर से सभी महत्त्वपूर्ण घोषणाएँ प्रधानमंत्री द्वारा ही की जाती हैं।
  5. नीति आयोग का अध्यक्ष (पूर्व में योजना आयोग) – प्रधानमंत्री नीति आयोग (पूर्व में योजना आयोग), जो देश के आर्थिक विकास के लिए नीतियों का निर्माण करता है, का अध्यक्ष होता है।
  6. राष्ट्र का नेता – प्रधानमंत्री राष्ट्र का भी नेता है। जब देश पर किसी भी प्रकार का कोई संकट आता है, तो समस्त देश प्रधानमंत्री की ओर देखता है। प्रधानमंत्री से (UPBoardSolutions.com) ही यह आशा की जाती है कि वह देश को उस संकट से मुक्ति दिलाएगा। इस प्रकार प्रधानमंत्री ही देश का वास्तविक शासक होता है।
  7. राष्ट्रपति तथा मंत्रिमंडल के बीच कड़ी – प्रधानमंत्री राष्ट्रपति तथा मंत्रिमंडल के बीच कड़ी का काम करता है। वह राष्ट्रपति को मंत्रिमंडल द्वारा लिए गए निर्णयों के बारे में सूचित करता है तथा राष्ट्रपति की बात को मंत्रिमंडल के पास पहुँचाता है। मंत्री प्रधानमंत्री की पूर्व स्वीकृति से ही राष्ट्रपति से मिल सकते हैं।
  8. नीति निर्धारण करना – देश की आंतरिक तथा बाहरी (विदेश) नीति के निर्धारण में प्रधानमंत्री बहुत ही महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
  9. नियुक्तियाँ – राष्ट्रपति सभी उच्च सरकारी पदों पर नियुक्तियाँ प्रधानमंत्री के परामर्श के अनुसार ही करता है।
  10. राष्ट्रपति का मुख्य सलाहकार – प्रधानमंत्री राष्ट्रपति का मुख्य सलाहकार होता है। राष्ट्रपति अपने सभी कार्य प्रधानमंत्री के परामर्श के अनुसार ही करता है।

प्रश्न 5.
राष्ट्रपति की शक्तियों पर प्रकाश डालिए।
उत्तर:
राष्ट्रपति की प्रमुख शक्तियों का विवरण इस प्रकार हैं-

  1. सभी प्रमुख नियुक्तियाँ राष्ट्रपति के नाम से की जाती हैं। इनमें भारत के मुख्य न्यायाधीश, सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों तथा राज्यों के उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों, राज्यों के राज्यपालों, चुनाव आयुक्तों और अन्य देशों में राजदूतों की नियुक्तियाँ शामिल हैं किन्तु राष्ट्रपति इन शक्तियों का प्रयोग केवल मंत्रीमंडल की सलाह से करता है।
  2. सभी अंतर्राष्ट्रीय समझौते तथा संधियाँ उसी के नाम पर किए जाते हैं।
  3. वह भारत के रक्षा बलों का सुप्रीम कमांडर होता है।
  4. राष्ट्रपति देश का मुखिया होता है।
  5. वह केवल नाममात्र की शक्तियों का प्रयोग करता है। वह ब्रिटेन की महारानी के समान है जिसके कार्य अधिकतर आलंकारिक होते हैं।
  6. वह देश की सभी राजनैतिक संस्थाओं के कार्य की निगरानी करता है।
  7. सरकार के सभी क्रियाकलाप राष्ट्रपति के नाम पर किए जाते हैं।
  8. सरकार के सभी कानून तथा प्रमुख नीतिगत निर्णय राष्ट्रपति के नाम जारी किए जाते हैं।

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