UP Board Class 12 Chemistry Model Papers Paper 2

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Board UP Board
Textbook NCERT Based
Class Class 12
Subject Chemistry
Model Paper Paper 2
Category UP Board Model Papers

UP Board Class 12 Chemistry Model Papers Paper 2

समय : 3 घण्टे 15 मिनट
पूर्णांक : 70

निर्देश प्रारम्भ के 15 मिनट परीक्षार्थियों को प्रश्न-पत्र पढ़ने के लिए निर्धारित हैं।
नोट

  • इस प्रश्न-पत्र में कुल सात प्रश्न हैं।
  • सभी प्रश्न अनिवार्य हैं।
  • प्रत्येक प्रश्न के प्रारम्भ में स्पष्ट उल्लेख है, कि उसके कितने खण्ड करने हैं।
  • प्रत्येक प्रश्न के अंक उसके सम्मुख अंकित हैं।
  • प्रथम प्रश्न से प्रारम्भ कीजिए और अन्त तक करते जाइए। जो प्रश्न न आता हो, उस पर समय नष्ट न करें।
  • यदि रफ कार्य के लिए स्थान अपेक्षित है, तो उत्तर-पुस्तिका के बाएँ पृष्ठ पर कीजिए और फिर काट (x) दीजिए। उस पृष्ठ पर कोई हल न कीजिए।
  • रचना के प्रश्नों के हल में रचना रेखाएँ न मिटाइए। यदि पूछा गया हो तो रचना के पद अवश्य लिखिए।
  • प्रश्न संख्या 1 के अतिरिक्त सभी प्रश्नों के हल के क्रियापद स्पष्ट रूप से लिखिए। प्रश्नों के हल को उत्तर-पुस्तिका के दोनों ओर लिखिए।
  • जिन प्रश्नों के हल में चित्र खींचना आवश्यक है, उनमें स्वच्छ एवं स्पष्ट चित्र अवश्य खींचिए। चित्र के बिना हल अशुद्ध तथा अपूर्ण माना जाएगा।

इस प्रश्न के प्रत्येक खण्ड में चार विकल्प दिए गए हैं, सही विकल्प चुनकर उसे अपनी उत्तरपुस्तिका में लिखिए।

प्रश्न 1.
(क) 0.1 M HCl के 200 mL को 0.2 M के 300 mL HCl में मिलाने पर प्राप्त विलयन की सान्द्रता होगी [1]
(a) 1.6 M
(b) 0.16 M
(c) 0.08 M
(d) 1.08 M

(ख) 0.01 N विलयन की चालकता 0.005 ओम्-1 सेमी-1 पायी गयी। विलयन की तुल्यांकी चालकता होगी। [1]
(a) 5 × 10-2 ओम-1 सेमी-2 तुल्यांक-1
(b) 5 x 10-3 ओम-1 सेमी2
(c) 500 ओम-1 सेमी2 तुल्यांक-1
(d) 0.5 ओम-1 सेमी2 तुल्यांक-1

(ग) निम्न में से कौन-सा संघनन बहुलक नहीं है? [1]
(a) बैकलाइट
(b) नायलॉन-6,6
(c) डेक्रॉन
(d) निओप्रिन

(घ) शरीर में आरक्षित ग्लूकोस के रूप में कार्य करने वाला काबोहाइड्रेट है [1]
(a) सुक्रोस
(b) स्टार्च
(c) ग्लाइकोजन
(d) फ्रक्टोस

(ङ) निम्नलिखित में से कौन-सा प्रतिअम्ल है? [1]
(a) ग्रॉसीवॉल
(b) फीनॉल
(c) ओमिप्रेजोल
(d) डेटॉल

(च) काबिल ऐमीन अभिक्रिया कौन-से ऐमीन के द्वारा दी जाती है? [1]
(a) प्राथमिक ऐमीन
(b) द्वितीयक ऐमीन
(c) तृतीयक ऐमीन
(d) चतुर्थक ऐमीन

प्रश्न 2.
(क) ग्लूकोस के 18 ग्राम में जल के 178.2 ग्राम मिलाए गए। 100°C पर प्राप्त जलीय विलयन के लिए जल का वाष्प दाब क्या होगा? [2]
(ख) परासरण क्रिया में प्रयुक्त अर्द्ध-पारगम्य झिल्ली का क्या महत्त्व है? समझाइए। [2]
(ग) Cl आयन के परीक्षण के समीकरण लिखिए। [2]
(घ) चुम्बकीय गुण वाले अयस्कों को सान्द्रित करने की विधि का संक्षिप्त वर्णन कीजिए। [2]

प्रश्न 3.
(क) प्रगलन क्या है? किसी एक उदाहरण द्वारा स्पष्ट कीजिए। [2]
(ख) नायलॉन-6,6 क्या है? इसे किस प्रकार बनाते हैं? [2]
(ग) अन्तरालोजनों तथा X2 में कौन अधिक सक्रिय है तथा क्यों? [2]
(घ) सायनाइड प्रक्रम द्वारा चाँदी प्राप्त करने की विधि तथा आवश्यक रासायनिक समीकरण लिखिए।

प्रश्न 4.
(क) कोलरॉऊश नियम क्या है? इसके नियम का एक अनुप्रयोग उदाहरण सहित दीजिए।
(ख) (i) सक्रियण ऊर्जा किसे कहते हैं?
(ii) प्रेरित उत्प्रेरण पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
(ग) निम्नलिखित ऐल्किल हैलाइडों के IUPAC नाम लिखिए। [3]
UP Board Class 12 Chemistry Model Papers Paper 2 image 1
(घ) निम्नलिखित अभिक्रिया में A, B तथा C यौगिकों को पहचानिए। [3]
UP Board Class 12 Chemistry Model Papers Paper 2 image 2

प्रश्न 5.
(क) किसी विद्युत अपघट्य के विलयन की चालकता एवं मोलर चालकता को परिभाषित कीजिए। सान्द्रता के साथ इनके परिपक्व की विवेचना कीजिए।
(ख) (i) समझाइए कि As2S3 के कोलॉइडी कण ऋणावेशित क्यों होते हैं? [4]
(ii) हाड़-शुल्जे नियम का उल्लेख कीजिए।
(ग) (i) Zn, Cd व Hg अधिक कोमल व कम गलनांक वाले क्यों होते हैं? [4]
(ii) निकेल (II) व प्लेटिनम (II) यौगिकों में कौन अधिक स्थायी होता है?
(घ) (i) क्लोरोफॉर्म की ऐसीटोन से क्रिया का समीकरण लिखिए।
(ii) क्लोरोफ्लुओरो कार्बन क्या है? इसका वातावरण पर क्या प्रभाव पड़ता है? [4]

प्रश्न 6.
(क) प्रथम कोटि की अभिक्रिया के वेग स्थिरांक के लिए व्यंजक लिखिए तथा सन्निहित पदों को समझाइए। सिद्ध कीजिए कि प्रथम कोटि की अभिक्रिया का अर्द्ध-आयुकाल अभिकारकों के प्रारम्भिक सान्द्रण पर निर्भर नहीं करता है। [5]
अथवा
एक सामान्य अभिक्रिया A → B; के लिए A की सान्द्रता तथा समय के | मध्य आलेख चित्र में दिया गया है। इस ग्राफ के आधार पर निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए।
UP Board Class 12 Chemistry Model Papers Paper 2 image 3
(i) अभिक्रिया की कोटि क्या है?
(ii) वक्र को ढाल क्या है?
(iii) वेग स्थिरांक की इकाई क्या है? [5]

(ख)

  1. अन्तराहेलोजन यौगिकों का नामकरण किस प्रकार किया जाता है?
  2. पोटैशियम परमैंगनेट तथा सान्द्र HCl की अभिक्रिया द्वारा। किसका निर्माण होता है?
  3. रेडॉन की खोज किसने की? इसका उपयोग किस रोग के उपचार में किया जाता है?
  4. उन कुछ विषैली गैसों के नाम बताइए, जो क्लोरीन गैस से बनायी जाती हैं।
  5. वायुयान में कौन-सी अक्रिय गैस भरते हैं?

अथवा
सल्फर के किन्हीं पाँच ऑक्सी-अम्लों की ऑक्सीकरण संख्या, संकरण एवं संरचना बताइए। [5]

प्रश्न 7.
(क) (i) फीनॉल की अम्लीयता ऐल्कोहॉलों से अधिक क्यों है?
(ii) फीनॉल से पिक्रिक अम्ल किस प्रकार बनाते हैं?
(iii) फीनॉल का एक परीक्षण लिखिए।
अथवा
क्या होता है? जब
(i) फीनॉल ब्रोमीन-जल से क्रिया करता है।
(ii) फीनॉल की Zn से अभिक्रिया होती है।
(iii) बेन्जीन बेन्जोइक अम्ल से क्रिया करता है।

(ख) निम्न पर टिप्पणी लिखिए।
(i) राइमर-टीमान अभिक्रिया
(ii) कोल्बे-अभिक्रिया
(iii) विलियमसन संश्लेषण [5]
अथवा
कारण स्पष्ट कीजिए।
(i) ईथर को रंगीन बोतलों में क्यों रखा जाता है?
(ii) ईथर की वाष्पशीलता ऐल्कोहॉलों से अधिक क्यों होती है?
(iii) फीनॉल o तथा p-निर्देशी क्यों है? [5]

Solutions

उत्तर 1.
(क) (ii)
(ख) (iii)
(ग) (iv)
(घ) (iii)
(ङ) (iii)
(च) (i)

उत्तर 2.
(क) 752.4 mm Hg

उत्तर 3.
(ख) x < y < z

उत्तर 5.
(घ) 55.55 मोल किलो प्राम-1

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UP Board Class 12 Biology Model Papers Paper 2

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Subject Biology
Model Paper Paper 2
Category UP Board Model Papers

UP Board Class 12 Biology Model Papers Paper 2

पूर्णाक : 70
समय : 3 घण्टे 15 मिनट

निर्देश: प्रारम्भ के 15 मिनट परीक्षार्थियों को प्रश्न-पत्र पढ़ने के लिए निर्धारित हैं।
नोट:

  • सभी प्रश्न अनिवार्य हैं।
  • आवश्यकतानुसार अपने उत्तरों की पुष्टि नामांकित रेखाचित्रों द्वारा कीजिए।
  • सभी प्रश्नों के निर्धारित अंक उनके सम्मुख

प्रश्न 1.
सही विकल्प चुनकर अपनी उत्तर पुस्तिका में लिखिए।
(क) टर्नर सिण्ड्रोम के लिए निम्न में से कौन-सा संकेत सही है? [1]
(A) AAXO
(B) AAXYY
(C) AAXXY
(D) AAXXX

(ख) उपदंश उत्पन्न करने वाला जीवाणु है [1]
(A) ट्रिपोनिमा पैलिडम
(B) नाइसीरिया गोनोरी
(C) लिस्टेरिया मोनोसिस्टोजेन्स
(D) परसिनिया पेस्टिस

(ग) निम्न में से संक्रामक रोग है [1]
(A) पीलिया
(B) मलेरिया
(C) तपेदिक
(D) हैजा

(घ) मोनोक्लोनल प्रतिरक्षी के लिए हाइब्रिडोमा तकनीक की खोज की [1]
(A) नीरेनबर्ग तथा खुराना ने
(B) जेम्स एलरिक ने
(C) जॉर्ज कोहलर ने
(D) जेम्स ग्रिफिथ ने

प्रश्न 2.
(क) निषेचन के बाद पादप के किस भाग से फल तथा बीज का निर्माण होता है? [1/2+1/2]
(ख) मेण्डल द्वारा कराए गए द्विगुण संकरण में F-पीढ़ी में प्राप्त फीनोटाइप (लक्षण प्रारूप) बताइए। [1]
(ग) भक्षकाणु या फैगोसाइट्स क्या होते हैं? [1]
(घ) जैव-प्रौद्योगिकी की परिभाषा लिखिए। [1]
(ङ) आयु का घण्टीनुमा पिरामिड क्या प्रदर्शित करता है? [1]

प्रश्न 3.
(क) जर्मप्लाज्म सिद्धान्त क्या है?
(ख) ग्राफियन पुटिका क्या है? अण्डोत्सर्ग में इनकी क्या भूमिका होती है? [1+1]
(ग) जैविक खाद क्या होती है? एक उदाहरण दो। [1+1]
(घ) वह कौन-सी परत है, जो पृथ्वी पर पराबैंगनी किरणों को आने से रोकती है? इसे परत के अपक्षय के कारण बताइए। [1+1]
(ङ) बायोपाइरेसी से आप क्या समझते हैं? उदाहरण दीजिए। [2]

प्रश्न 4.
(क) डार्विन की फिंचों के अनुकूली विकिरण को समझाइए। [3]
(ख) अपूर्ण प्रभाविता क्या है? इसकी खोज किसने की? [2+1]
(ग) जैव-प्रौद्योगिकी में सहयोगी एन्जाइमों का उल्लेख कीजिए। [3]
(घ) रेगिस्तान में उगने वाले पादपों को क्या कहते हैं? इनमें कौन-से शारीरिक अनुकूलन पाए जाते हैं? [1+2]

प्रश्न 5.
(क) निम्न रोगों के रोगकारक के नाम बताइए। [1/2 x 6]

  1. मलेरिया
  2. सुजाक
  3. अफ्रीकी निद्रा रोग
  4. फीलपाँव
  5. दाद
  6. पोलियो

(ख) यदि कोई व्यक्ति वृद्धिरोधक का प्रयोग करते हुए अनिषेकजनन को प्रेरित करता है, तो आप प्रेरित अनिषेकजनन के लिए कौन-सा फल चुनते हैं तथा क्यों? [1  1/2+1  1/2]
(ग) मिलर का प्रयोग क्या था? इससे उन्होंने क्या निष्कर्ष निकाला? [2+1]
(घ) GM फसलें क्या हैं? इनके लाभ बताइए। [1+2]

प्रश्न 6.
(क) विभ्रमक व ओपिएट्स औषधियाँ क्या हैं? उदाहरण सहित बताइए। [1  1/2+1  1/2]
(ख) बन्ध्यता क्या है? स्त्रियों में बन्ध्यता के कोई चार कारण बताइए। [1+2]
(ग) एक तालाब के पारिस्थितिकी तन्त्र के विभिन्न घटकों का वर्णन कीजिए। [3]
(घ) तुलनात्मक शारीरिकी से विकास के क्या प्रमाण मिलते हैं? [3]

प्रश्न 7.
मरुक्रमक की विभिन्न अवस्थाओं का वर्णन कीजिए। [5]
अथवा
द्विबीजपत्री पादपों में निषेचन एवं भ्रूणोद्भव की सम्पूर्ण प्रक्रिया का विस्तारपूर्वक वर्णन कीजिए। [5]

प्रश्न 8.
चिकित्सा के क्षेत्र में जैव-प्रौद्योगिकी के अनुप्रयोगों पर विस्तृत टिप्पणी लिखिए। [5]
अथवा
पृथ्वी पर जीवन की उत्पत्ति के सम्बन्ध में ओपेरॉन परिकल्पना का वर्णन कीजिए। [5]

प्रश्न 9.
जैव-प्रबलीकरण किसे कहते हैं? इसके विभिन्न प्रकारों तथा विधियों का वर्णन करते हुए इसके लाभ तथा हानि की विवेचना कीजिए। [1+2+2]
अथवा
पुष्पी पादपों में पर-परागण की विभिन्न युक्तियों तथा माध्यमों का विस्तारपूर्वक वर्णन कीजिए। [5]

Answers

उत्तर 1.
(क) (A)
(ख) (A)
(ग) (C)
(घ) (C)

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UP Board Solutions for Class 12 Economics Chapter 16 Source of Income and Items of Expenditure of U.P. Government

UP Board Solutions for Class 12 Economics Chapter 16 Source of Income and Items of Expenditure of U.P. Government (उत्तर प्रदेश सरकार की आय के स्रोत तथा व्यय की मदें) are part of UP Board Solutions for Class 12 Economics. Here we have given UP Board Solutions for Class 12 Economics Chapter 16 Source of Income and Items of Expenditure of U.P. Government (उत्तर प्रदेश सरकार की आय के स्रोत तथा व्यय की मदें).

Board UP Board
Textbook NCERT
Class Class 12
Subject Economics
Chapter Chapter 16
Chapter Name Source of Income and Items of Expenditure of U.P. Government (उत्तर प्रदेश सरकार की आय के स्रोत तथा व्यय की मदें)
Number of Questions Solved 27
Category UP Board Solutions

UP Board Solutions for Class 12 Economics Chapter 16 Source of Income and Items of Expenditure of U.P. Government (उत्तर प्रदेश सरकार की आय के स्रोत तथा व्यय की मदें)

विस्तृत उत्तरीय प्रश्न (6 अंक)

प्रश्न 1
अपने राज्य की सरकार की आय के प्रमुख स्रोतों और व्यय की प्रमुख मदों का विवरण दीजिए। [2006, 09, 11, 12]
या
प्रदेश सरकार की आय के किन्हीं तीन स्रोतों तथा व्यय की किन्हीं तीन मदों का वर्णन कीजिए। [2013]
या
राज्य सरकार की कर आय के प्रमुख स्रोतों का वर्णन कीजिए। [2015, 16]
उत्तर:
प्रदेश सरकार की आय के प्रमुख स्रोत

1. मालगुजारी – यह राज्य सरकार की आय का एक प्रमुख स्रोत है। यह बहुत प्राचीन समय से चला आ रहा है तथा उन व्यक्तियों को देना होता है जिनके पास कृषि भूमि होती है। मालगुजारी निर्धारित करते समय देश के विभिन्न राज्यों में पृथक्-पृथक् नीतियाँ अपनायी गयी हैं। यह भूमि पर लगाया गया एक अवरोही कर है, क्योंकि यह निर्धन तथा धनवान लोगों को समान रूप से देना होता है। मालगुजारी या तो स्थायी होती है अथवा समय-समय पर राज्य सरकार द्वारा निश्चित की जाती है। मालगुजारी या भू-राजस्व का एक प्रमुख गुण यह है कि इनसे राज्य सरकारों को एक निश्चित धनराशि प्राप्त होती है तथा दूसरा प्रमुख गुण यह है कि यह कर सुविधाजनक है, क्योंकि यह कृषकों से उनके निवास स्थान से फसल आने के पश्चात् अमीनों द्वारा वसूल किया जाता है तथा यदि फसल खराब हो जाती है तो सरकार लगान माफ भी कर देती है अथवा कुछ छूट देती है।

2. राज्य उत्पादन कर – भारत के नवीन संविधान के अनुसार केन्द्रीय उत्पादन कर का एक भाग तो राज्य सरकारों को प्राप्त होता ही है, साथ ही उन्हें कुछ नशीली वस्तुओं; जैसे-शराब, अफीम तथा औषधियों पर उत्पादन करे लगाने का अधिकार दिया गया है। ऐसी वस्तुओं के उत्पादन पर राज्य सरकार द्वारा लगाये गये कर ही राज्य उत्पादन कर’ के नाम से जाने जाते हैं। इस कर से उन राज्यों को पर्याप्त आय होती है जिनमें मद्य निषेध लागू नहीं हैं। इस कर को दो उद्देश्यों से लगाया जाता है-प्रथम, आय प्राप्त करने के लिए और द्वितीय, मादक पदार्थों के उपभोग को कम करने के लिए। अब भारत में कुछ राज्यों ने अपने यहाँ मद्य-निषेध लागू कर दिया है।

3. कृषि आयकर – भारत के संविधान के अनुसार राज्य सरकारों को अपने-अपने राज्य में कृषि आयकर लगाने का अधिकार दिया गया है। यह कर कृषकों पर प्रगतिशील दरों पर लगाया जाता है तथा उन व्यक्तियों पर ही लगाया जाता है जिनके पास सीमा से अधिक भूमि होती है।

4. बिक्री-कर – बिक्री-कर राज्य की आय का एक प्रमुख स्रोत है। समाचार-पत्रों को छोड़कर अन्य वस्तुओं की बिक्री पर कर लगाने का अधिकार संविधान के अनुसार राज्य सरकारों को दिया गया है। यह कर एक अवरोही कर होता है। इसका भार निर्धन व्यक्तियों पर अधिक पड़ता है, क्योंकि निर्धन व्यक्ति अपनी आय का लगभग शत-प्रतिशत अपनी आवश्यकता की वस्तुओं को खरीदने पर व्यय करते हैं।

5. प्रशासनिक प्राप्तियाँ – राज्य को अपने प्रशासनिक विभागो, जैसे न्यायालय, जेल, पुलिस, शिक्षा चिकित्सा आदि से फीस और शुल्क के रूप में भी कुछ आय प्राप्त होती है।

6. राजकीय व्यवसाय से प्राप्त आय – राज्य सरकार को सार्वजनिक व्यवसायों से भी आय प्राप्त होती है, उनमें से मुख्य निम्नलिखित हैं

  •  सार्वजनिक उद्योग – राज्य सरकार कुछ व्यावसायिक कार्यों का संचालन करती है जिनसे उन्हें प्रतिवर्ष कुछ आय प्राप्त होती हैं; जैसे – चुर्क सीमेण्ट का कारखाना आदि से आय।
  •  सिंचाई कार्य – सरकार ने सिंचाई व्यवस्था के लिए नहरें एवं नलकूपों की व्यवस्था की हुई है। सरकारी नहरों व नलकूपों से सिंचाई शुल्क के रूप में उत्तर प्रदेश सरकार को आय प्राप्त होती है।
  • सार्वजनिक निर्माण कार्य – उत्तर प्रदेश सरकार को सरकारी सम्पत्तियों, जैसे – सरकारी मकान, सड़कें, पुल आदि से भी आय प्राप्त होती है।
  •  वनों से आय – राज्य सरकारों को वनों से भी आय प्राप्त होती है। वनों को ठेकों पर देकर तथा उनकी लकड़ी, छाल, कत्था आदि की बिक्री से भी आय प्राप्त होती है।
  •  सड़क तथा जल परिवहन – उत्तर प्रदेश सरकार को सड़क परिवहन तथा जल परिवहन सेवाओं से भी आय प्राप्त होती है।

7. आय-प्राप्ति के अन्य साधन – उत्तर प्रदेश सरकार को अन्य साधनों से भी आय प्राप्त होती है, जिनमें कुछ निम्नलिखित हैं

  • विद्युत शुल्क – राज्य सरकार को विद्युत शुल्क से आय प्राप्त होती है।
  •  यात्री कर – जो व्यक्ति राज्य सड़क परिवहन की बसों में यात्रा करते हैं, उन्हें किराये के अतिरिक्त यात्रा कर भी देना होता है, जिससे राज्य सरकार को आय प्राप्त होती है।
  • स्टाम्प शुल्क – सरकार को स्टाम्प की बिक्री से भी आय प्राप्त होती है।
  •  रजिस्ट्रेशन शुल्क – अचल सम्पत्तियों की बिक्री के लिए सम्पत्ति की रजिस्ट्री कराना अनिवार्य है इसके लिए रजिस्ट्रेशन शुल्क लिये जाते हैं इसी प्रकार संस्था समितियों आदि का रजिस्ट्रेशन कराने पर भी रजिस्ट्रेशन शुल्क देना होता है जिससे सरकार को पर्याप्त आय प्राप्त होती है।
  • मनोरंजन कर – उत्तर प्रदेश सरकार चल-चित्रों, थियेटरो नाटक व अन्य मनोरंजन के साधनों पर कर लगाती है। इससे भी उत्तर प्रदेश सरकार को पर्याप्त आय प्राप्त होती है।

8. आयकर में राज्यों का भाग – आय कर लगाने और वसूल करने का अधिकार केन्द्रीय सरकार का है, परन्तु इस आय में से एक निश्चित भाग राज्यों में बाँटा जाता है। केन्द्रीय उत्पादन करों में राज्यों का हिस्सा – वित्त आयोग की सिफारिश पर केन्द्रीय उत्पादन करों से प्राप्त आय में से एक निश्चित धनराशि प्राप्त होती है।
9. सहायता एवं अनुदान – केन्द्रीय सरकार राज्य सरकारों को अनुदान देती है जिससे वे अपनी पंचवर्षीय योजनाओं एवं विकास कार्यों को क्रियान्वित कर सकें। उत्तर प्रदेश सरकार को भी केन्द्रीय सरकार से अनुदान प्राप्त होता है। इसके अतिरिक्त राज्यों को बाढ़, सूखा, भूकम्प आदि प्राकृतिक विपदाओं से निपटाने के लिए भी केन्द्रीय सरकार विशेष सहायता प्रदान करती है।

उत्तर प्रदेश सरकार की व्यय की प्रमुख मदें
राज्य सरकार के होने वाले समस्त व्ययों को निम्नलिखित दो भागों में विभाजित कर सकते हैं
(अ) विकास व्यय तथा
(ब) गैर-विकास व्यय।

(अ) विकास व्यय

विकास व्यय को पुन: निम्नलिखित दो भागों में विभाजित कर सकते हैं
(क) प्रत्यक्ष रूप से आर्थिक विकास करने वाली मदे – राज्य सरकारें अपने राज्यों में प्रत्यक्ष रूप से आर्थिक विकास करने के लिए अग्रलिखित मदों पर व्यय करती हैं

1. कृषि – प्रदेश की सरकार कृषि विकास हेतु विभिन्न कार्यों पर प्रतिवर्ष करोड़ों रुपये व्यय करती है; जैसे-कृषि प्रदर्शनियों का आयोजन, आदर्श कृषि फार्मों की स्थापना, पौधों के संरक्षण की व्यवस्था, कृषि शिक्षा, कृषि अनुसन्धान आदि।

2. सहकारिता – राज्य सरकार सहकारिता विभाग का संचालन करने के लिए तथा सहकारी समितियों को आर्थिक सहायता प्रदान करने के लिए प्रतिवर्ष बड़ी मात्रा में धन खर्च करती है।

3. पशुपालन – पशुपालन सम्बन्धी कार्यों पर हमारे प्रदेश की सरकार को प्रतिवर्ष करोड़ों रुपये व्यय करने होते हैं; जैसे-पशुओं की चिकित्सा, पशु चिकित्सालयों की व्यवस्था करना, पशुओं की नस्ल में सुधार, कृत्रिम गर्भाधान की व्यवस्था आदि।

4. उद्योग – धन्धे प्रदेश की सरकार अपने प्रदेश में लघु उद्योगों तथा बड़े उद्योगों का विकास करने के लिए प्रतिवर्ष पर्याप्त मात्रा में धन व्यय करती है। औद्योगिक एवं तकनीकी शिक्षा की व्यवस्था हेतु राज्य सरकार के व्यय में वृद्धि जा रही है।

5. सिंचाई – सिंचाई की प्रदेश में उचित व्यवस्था करने के लिए प्रदेश सरकार बड़ी मात्रा में धन व्यय करती है। यह राज्य सरकार के व्यय का एक प्रमुख साधन है। इसके अन्तर्गत नहरों व नलकूपों को खोदने व उसकी मरम्मत पर होने वाले व्यय, बाँध-निर्माण आदि व्यय होते हैं। सूखा एवं कम वर्षा की कठिनाइयों को दूर करने के लिए सिंचाई सुविधाओं का विस्तार आवश्यक है।

6. सार्वजनिक कार्य – इस मद के अन्तर्गत सड़कों, सरकारी मकानों आदि के निर्माण एवं उनकी मरम्मत पर होने वाले व्यय सम्मिलित किये जाते हैं। सरकार की आय का यह बड़ा भाग इन निर्माण कार्यों पर व्यय होता है।

7. सामुदायिक विकास परियोजनाएँ – इन परियोजनाओं का प्रमुख उद्देश्य गाँवों का सर्वांगीण विकास करना तथा कृषि की उन्नति करना है। अतः अनेक परियोजनाओं को चालू करने में बहुत-सा धन व्यय करना पड़ता है।

8. यातायात – इसके अन्तर्गत सड़क एवं जल परिवहन पर होने वाले व्यय सम्मिलित किये जाते हैं। इस मद पर भी राज्य सरकार को बड़ी धनराशि व्यय करनी पड़ती है।

9. ऋण सेवाएँ – राज्य सरकार अपने राज्य में विभिन्न विकास योजनाओं को चालू करने के लिए जो ऋण लेती है, उसका ब्याज उसे प्रतिवर्ष चुकाना पड़ता है। अतः यह राज्य के व्यय का एक महत्त्वपूर्ण साधन है। राज्य सरकार द्वारा निरन्तर आन्तरिक ऋण लिये जाने के परिणामस्वरूप ऋण सेवाओं पर ब्याज तथा अन्य भुगतानों की राशि बढ़ती ही जा रही है। राज्य सरकार द्वारा निरन्तर आन्तरिक ऋण लिये जाने के परिणास्वरूप ऋण सेवाओं पर ब्याज तथा अन्य भुगतानों की राशि बढ़ती ही जा रही है।

(ख) परोक्ष रूप से आर्थिक विकास करने वाली मदें – इस प्रकार के कार्यों की मदों का वर्णन हम संक्षेप में निम्नलिखित प्रकार से कर सकते हैं

1. शिक्षा – उत्तर प्रदेश की सरकार की व्यय की मदों में शिक्षा पर होने वाले व्यय का एक महत्त्वपूर्ण स्थान है। इसके अन्तर्गत शिक्षा सम्बन्धी सुविधाओं के प्रसार पर होने वाले समस्त व्यय सम्मिलित हैं। अब इस मद पर होने वाले व्यय की राशि में भी निरन्तर वृद्धि होती जा रही है।
2. समाज कल्याण – समाज कल्याण से सम्बन्धित कार्यों को करने के लिए भी उत्तर प्रदेश सरकार को बहुत-सा धन व्यय करना पड़ता है; जैसे-वृद्ध व्यक्तियों तथा विधवाओं को पेंशन, अनाथ बच्चों की सहायता करना, पतितों का उद्धार करना आदि।
3. श्रम एवं रोजगार – उत्तर प्रदेश सरकार को श्रमिकों के कल्याण कार्यों तथा उन्हें रोजगार दिलाने की उचित व्यवस्था करने पर प्रतिवर्ष बड़ी मात्रा में धन व्यय करना पड़ता है।
4. चिकित्सा तथा सार्वजनिक स्वास्थ्य – चिकित्सा तथा सार्वजनिक स्वास्थ्य के अन्तर्गत राज्य सरकार के द्वारा अस्पतालों तथा प्राथमिक चिकित्सा केन्द्रों को खोलने के व्यय तथा नि:शुल्क चिकित्सा की सुविधा प्रदान करने वाले व्यय सम्मिलित किये जाते हैं।
5. पिछड़े वर्ग के लोगों की सहायतार्थ कार्य – उत्तर प्रदेश सरकार अपने प्रदेश के उन लोगों के आर्थिक एवं सामाजिक विकास के लिए कार्य कर रही है जो कि पिछड़े हुए हैं।

(ब) गैर-विकास व्यय
इसके अन्तर्गत निम्नलिखित कुछ प्रमुख व्यय की मदें आती हैं

  1. पुलिस – प्रत्येक राज्य अपने क्षेत्र में शान्ति एवं सुव्यवस्था बनाए रखने के लिए पुलिस रखता है। स्वतन्त्रता-प्राप्ति के पश्चात् इस मद पर होने वाले व्यय में भी निरन्तर वृद्धि होती जा रही है।
  2. सामान्य प्रशासन – सामान्य प्रशासन पर भी उत्तर प्रदेश सरकार को प्रतिवर्ष करोड़ों रुपये व्यय करने पड़ते हैं। इस मद के अन्तर्गत राज्यपाल, मुख्यमन्त्री, मन्त्रियों, सचिवालयों, आयुक्तों, जिलाधीशों एवं अन्य सरकारी कर्मचारियों के वेतन आदि से सम्बन्धित व्यय सम्मिलित किये जाते हैं।
  3. जेल – उत्तर प्रदेश सरकार को जेलों पर भी व्यय करना पड़ता है।
  4. न्याय – प्रदेश में न्यायालयों की उचित व्यवस्था करने के लिए भी प्रदेशीय सरकार को धन व्यय करना पड़ता है।
  5. कर वसूली पर आय – राज्य सरकार अपने राज्य में अनेक प्रकार के कर लगाती है। करदाताओं से इन करों को वसूल करने में राज्य सरकार को कुछ धन व्यय करना होता है।

लघु उत्तरीय प्रश्न (4 अंक)

प्रश्न 1
उत्तर प्रदेश सरकार की आय, व्यय की अपेक्षा कम है, क्यों? कारण बताइए।
उत्तर:
उत्तर प्रदेश सरकार की आय, व्यय की अपेक्षा कम होने के कारण – स्वतन्त्रता-प्राप्ति के पश्चात् राज्य सरकार की आय व व्यय दोनों में वृद्धि हुई है, परन्तु व्यय में वृद्धि आय की अपेक्षा अधिक हुई है। इसका कारण निम्नलिखित है

  1. विकास व्यय में वृद्धि।
  2. ऋण सेवाओं के व्यय में वृद्धि।
  3.  प्रशासनिक व्यय में वृद्धि।
  4.  जनसंख्या में तीव्र गति से वृद्धि होना।

उपर्युक्त कारणों से राज्य सरकार का व्यय निरन्तर बढ़ता जा रहा है।
राज्य सरकार की आय कम होने के कारण

  1. राज्य सरकार की आय के स्रोत अपर्याप्त एवं बेलोच हैं।
  2. राज्य सरकार का पर्याप्त ऋण प्राप्त करने में असफल रहना है।
  3. आय का एक बड़ा भाग प्रशासनिक व्यवस्था एवं जनतन्त्रीय संस्थाओं पर व्यय किया जाता है।
  4.  करों का भार निर्धनों पर अधिक तथा धनिकों पर कम होना है।
  5.  उपर्युक्त कारणों से उत्तर प्रदेश सरकार की आय, व्यय की अपेक्षा कम है।

प्रश्न 2
उत्तर प्रदेश सरकार अपने बढ़ते हुए व्यय को किस प्रकार कम कर सकती है?
उत्तर:
उत्तर प्रदेश की आय एवं व्यय दोनों में निरन्तर वृद्धि होती जा रही है, परन्तु व्यय में वृद्धि आय की अपेक्षा अधिक हुई है। इसका प्रमुख कारण विकास व्यय, ऋण-सेवाएँ व्यय एवं प्रशासनिक व्यय में तीव्र गति से वृद्धि होना है।
उत्तर प्रदेश सरकार की आय बढ़ाने के लिए निम्नलिखित उपाय किये जाने चाहिए

  1.  प्रशासनिक एवं अनावश्यक व्यय कम किये जाने चाहिए।
  2. सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों से अधिक आय प्राप्त करने का प्रयास किया जाना चाहिए।
  3.  करों की चोरी रोकने हेतु प्रभावशाली कदम उठाये जाने चाहिए।
  4.  नवीन करों की व्यवस्था की जानी चाहिए।
  5.  करों को प्राप्त करने के लिए करों पर होने वाला व्यय कम किया जाए।
  6.  प्रदेश में आवश्यक रूप से बना विशाल मन्त्रिमण्डल का आकार छोटा किया जाने की आवश्यकता है।
    उपर्युक्त उपायों के द्वारा प्रदेश सरकार बढ़ते हुए व्यय के साथ समायोजन कर सकती है।

अतिलघु उत्तरीय प्रश्न (2 अंक)

प्रश्न 1
उत्तर प्रदेश सरकार की आय के साधन कम होने के चार कारण लिखिए।
उत्तर:
उत्तर प्रदेश सरकार की आय के साधन अग्रलिखित कारणों से कम हैं

  1. आय स्रोतों में लोच का अभाव है।
  2. राज्य सरकार को केन्द्र पर निर्भर रहना पड़ता है।
  3.  उत्तर प्रदेश की जनसंख्या अन्य राज्यों की अपेक्षा अधिक है।
  4. भू-राजस्व आदि से आय बहुत कम होती है।

प्रश्न 2
राज्य सरकार द्वारा लगाये जाने वाले दो करों के नाम लिखिए।
उत्तर:
राज्य सरकार द्वारा लगाये जाने वाले दो कर निम्नलिखित हैं

  1. कृषि आयकर – भारत के संविधान के अनुसार राज्य सरकारों को अपने-अपने राज्य में कृषि आयकर लगाने का अधिकार दिया गया है। यह कर कृषकों पर प्रगतिशील दरों पर लगाया जाता है तथा उन व्यक्तियों पर ही लगाया जाता है जिनके पास सीमा से अधिक भूमि होती है।
  2. बिक्री-कर – बिक्री-कर राज्य की आय का एक प्रमुख स्रोत है। समाचार-पत्रों को छोड़कर अन्य वस्तुओं की बिक्री पर कर लगाने का अधिकार संविधान के अनुसार राज्य सरकारों को दिया गया है। यह कर एक अवरोही कर होता है। इसका भार निर्धन व्यक्तियों पर अधिक पड़ता है, क्योंकि निर्धन व्यक्ति अपनी आय का लगभग शत-प्रतिशत अपनी आवश्यकता की वस्तुओं को खरीदने पर व्यय करते हैं।

प्रश्न 3
राज्य सरकार द्वारा लगाये जाने वाले किन्हीं दो प्रत्यक्ष और किन्हीं दो अप्रत्यक्ष करों के नाम लिखिए। [2013]
उत्तर:
राज्य सरकार द्वारा लगाये जाने वाले प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष कर निम्नवत् हैं

प्रत्यक्ष कर – (1) कृषि आयकर तथा (2) सम्पत्ति कर।
अप्रत्यक्ष कर – (1) मनोरंजन कर तथा (2) बिक्री-कर।

निश्चित उत्तरीय प्रश्न (1 अंक)

प्रश्न 1
भू-राजस्व के दो गुण बताइए।
उत्तर:
भू-राजस्व के दो गुण हैं

  1.  भू-राजस्व से निश्चित आय प्राप्त होती है तथा
  2. यह कर पर्याप्त सुविधाजनक है।

प्रश्न 2
भू-राजस्व के दो दोष बताइए।
उत्तर:
भू-राजस्व के दो दोष हैं

  1. यह कर अन्यायपूर्ण है तथा
  2.  कर को वसूल करने में कठिनाइयाँ आती हैं।

प्रश्न 3
उत्तर प्रदेश सरकार की आय की दो प्रमुख मदों को लिखिए।
उत्तर:
(1) भू-राजस्व या मालगुजारी तथा
(2) बिक्री-कर।

प्रश्न 4
उत्तर प्रदेश सरकार की व्यय की दो प्रमुख मदों को लिखिए।
उत्तर:
(1) करों, शुल्कों को वसूल करने पर व्यय तथा
(2) सामान्य प्रशासन पर व्यय।

प्रश्न 5
उत्तर प्रदेश सरकार की आय कम होने के दो कारण लिखिए। [2007]
उत्तर:
आय कम होने के दो कारण हैं

  1. राज्य सरकार की आय के स्रोत अपर्याप्त एवं बेलोच हैं तथा
  2.  जनसंख्या का तीव्र गति से बढ़ना।

प्रश्न 6
राज्य सरकार के व्यय को कम करने के दो उपाय बताइए।
उत्तर:

  1.  प्रशासनिक व्यय में कटौती की जाए तथा
  2. अनावश्यक व्यय कम किये जाएँ।

प्रश्न 7
राज्य सरकार द्वारा लगाये जाने वाले किन्हीं चार करों के नाम लिखिए। [2006]
उत्तर:
(1) कृषि आयकर
(2) बिक्री-कर
(3) राज्य उत्पादन कर
(4) मनोरंजन कर।

प्रश्न 8
उत्तर प्रदेश सरकार की व्यय की दो प्रमुख मदों को लिखिए।
उत्तर:
उत्तर प्रदेश सरकार की व्यय की दो प्रमुख मदें हैं

  1.  सार्वजनिक या सामान्य प्रशासन पर व्यय तथा
  2. चिकित्सा, सार्वजनिक स्वास्थ्य व परिवार कल्याण पर व्यय।।

प्रश्न 9
रजिस्ट्री शुल्क किस सरकार की आय का स्रोत है ?
उत्तर:
रजिस्ट्री शुल्क उत्तर प्रदेश सरकार की आय का स्रोत है।

प्रश्न 10
बिक्री-कर किस सरकार के द्वारा लगाया जाता है ?
उत्तर:
बिक्री-कर उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा लगाया जाता है।

प्रश्न 11
उत्तर प्रदेश सरकार की आय में प्रत्यक्ष करों का अंश अप्रत्यक्ष करों की अपेक्षा कैसा है?
उत्तर:
कम है।

प्रश्न 12
व्यापार कर कौन-सी सरकार लगाती है? [2007]
उत्तर:
व्यापार कर राज्य सरकार लगाती है।

प्रश्न 13:
मनोरंजन कर किसे सरकार के राजस्व से सम्बन्धित है? [2007, 11, 13, 16]
या
मनोरंजन कर कौन-सी सरकार लगाती है? [2014, 16]
उत्तर:
राज्य सरकार।

प्रश्न 14
भारत में कृषि आय कर कौन लगाता है? [2008]
उत्तर:
राज्य सरकार।

प्रश्न 15
भारत में बिक्री कर किस सरकार की आय का प्रमुख स्रोत है? [2014]
उत्तर:
राज्य सरकार की।

बहुविकल्पीय प्रश्न (1 अंक)

प्रश्न 1
निम्नलिखित में उत्तर प्रदेश सरकार की आय की मद कौन-सी है? [2010]
(क) बिक्री कर
(ख) उपहार कर
(ग) आय कर
(घ) मृत्यु कर
उत्तर:
(क) बिक्री कर।

प्रश्न 2
भू-राजस्व किसकी आय का स्रोत है?
(क) केन्द्रीय सरकार की
(ख) भू स्वामी की
(ग) राज्य सरकार की
(घ) स्थानीय सरकार की
उत्तर:
(ग) राज्य सरकार की।

प्रश्न 3
राज्य उत्पादन शुल्क लगाया जाता है
(क) केन्द्रीय सरकार द्वारा
(ख) राज्य सरकार द्वारा
(ग) स्थानीय सरकार द्वारा।
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(ख) राज्य सरकार द्वारा।

प्रश्न 4
कौन-सा कर राज्य सरकार की आय का स्रोत नहीं है? [2006]
(क) निगम कर
(ख) व्यापार कर
(ग) मूल्य-संवर्धित कर
(घ) मनोरंजन कर
उत्तर:
(क) निगम कर।

प्रश्न 5
सिनेमा पर मनोरंजन कर का भुगतान किसके द्वारा किया जाता है? [2007, 12]
(क) निर्माता द्वारा
(ख) वित्त प्रबन्धक द्वारा
(ग) निर्देशक द्वारा
(घ) दर्शक द्वारा
उत्तर:
(घ) दर्शक द्वारा।

प्रश्न 6
निम्नलिखित में से कौन राज्य सरकारों की आय का सीधा स्रोत नहीं है? [2012]
(क) व्यापार कर
(ख) आय कर
(ग) मनोरंजन कर
(घ) रजिस्ट्री शुल्क
उत्तर:
(ग) मनोरंजन कर।

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UP Board Solutions for Class 12 Economics Chapter 15 Sources of Income and Items of Expenditure of Central Government

UP Board Solutions for Class 12 Economics Chapter 15 Sources of Income and Items of Expenditure of Central Government (केन्द्रीय सरकार की आय के स्रोत तथा व्यय की मदें) are part of UP Board Solutions for Class 12 Economics. Here we have given UP Board Solutions for Class 12 Economics Chapter 15 Sources of Income and Items of Expenditure of Central Government (केन्द्रीय सरकार की आय के स्रोत तथा व्यय की मदें).

Board UP Board
Textbook NCERT
Class Class 12
Subject Economics
Chapter Chapter 15
Chapter Name Chapter 15 Sources of Income and Items of Expenditure of Central Government (केन्द्रीय सरकार की आय के स्रोत तथा व्यय की मदें)
Number of Questions Solved 29
Category UP Board Solutions

UP Board Solutions for Class 12 Economics Chapter 15 Sources of Income and Items of Expenditure of Central Government (केन्द्रीय सरकार की आय के स्रोत तथा व्यय की मदें)

विस्तृत उत्तरीय प्रश्न (6 अंक)

प्रश्न 1
भारत में केन्द्र सरकार की आय के प्रमुख स्रोतों का वर्णन कीजिए। [2009, 10, 12, 14, 16]
या
भारत में केन्द्र सरकार द्वारा लगाए जाने वाले प्रमुख करों का संक्षिप्त विवरण दीजिए। [2013, 16]
या
भारत में केन्द्र सरकार की आय के प्रमुख स्रोत क्या हैं? विवेचना कीजिए। [2015]
उत्तर:
केन्द्र सरकार की आय के स्रोत
केन्द्र सरकार की आय के स्रोतों को मुख्यत: निम्नलिखित भागों में बाँटा जा सकता है

(अ) करों से प्राप्त आय
विभिन्न प्रकार के करों के द्वारा केन्द्र सरकार को आय प्राप्त होती है, जिनमें मुख्य कर निम्नलिखित हैं

1. संघीय उत्पादन शुल्क – संघीय उत्पादन कर केन्द्रीय सरकार की आय का प्रमुख स्रोत है। यह कर देश में उत्पन्न होने वाली वस्तुओं पर लगाया जाता है। कुछ वस्तुओं को छोड़कर (जैसे-शराब-भाँग आदि) देश में उत्पन्न होने वाली प्राय: सभी वस्तुओं पर संघ सरकार द्वारा उत्पादन कर लगाया जाता है; जैसे-कपड़ा, चीनी, दियासलाई, टायर-ट्यूब, बिजली के सामान, रेडियो, मोटरगाड़ियाँ आदि। इस कर से प्राप्त आय का एक पूर्वनिश्चित भाग राज्यों में बाँट दिया जाता है।

2. आयकर – यह एक प्रत्यक्ष कर है जो गैर-कृषि आय पर लगाया जाता है। इस कर को लगाने व वसूल करने का अधिकार केन्द्र सरकार को है। आयकर से प्राप्त निवल आय का विभाजन केन्द्र और राज्य सरकारों के बीच होता है। आयकर भारत में प्रगतिशील कर है। इस कर से केन्द्र सरकार को पर्याप्त आय प्राप्त होती है।

3. निगम कर – निगम कर से अभिप्राय, देशी व विदेशी कम्पनियों की वार्षिक आय पर लगाये गये अति कर Super Tax से है। यह कर सम्पूर्ण आय पर एक निश्चित दर से लगाया जाता है। सरकार को इससे भी आय होती है।

4. सम्पत्ति कर – भारत में यह कर 1957-58 से लागू किया गया है। जिन व्यक्तियों के पास 15, लाख रुपये से अधिक की सम्पत्ति होती है, उन्हें सम्पत्ति कर देना पड़ता है। इस कर से कुछ खम्पत्तियों को मुक्त रखा गया है; जैसे – कृषि भूमि, गाँवों में रहने के मकान, धार्मिक स्थानों की सम्पत्ति, बीमा व भविष्य निधि कोष आदि। इस कर की दर आरोही है। केन्द्रीय सरकार को इस कर से भी आय प्राप्त होती है।

5. उपहार कर – यह कर केन्द्रीय सरकार द्वारा 1958-59 ई० से लागू किया गया। यह कर उन व्यक्तियों पर लगाया जाता है जो अपने जीवन काल में निश्चित मूल्य से अधिक के उपहार अपने सम्बन्धियों या अन्य व्यक्तियों को देते हैं। इस कर का उद्देश्य मृत सम्पत्ति, कर की चोरी रोकना तथा धन के वितरण की विषमता को कम करना है। अब इस कर को समाप्त कर दिया गया है।

6. सीमा शुल्क-आयात – निर्यात कर को ही सीमा शुल्क कहते हैं। जब ये शुल्क मूल्य के आधार पर लगाये जाते हैं, तब इन्हें मूल्यानुसार शुल्क और जब ये शुल्क परिमाण या संख्या के अनुसार लगाये जाते हैं, तब इन्हें परिमाणानुसार शुल्क कहते हैं। भारत में ये दोनों प्रकार के शुल्क लगाये जाते हैं।
केन्द्रीय सरकार को निर्यात शुल्क की अपेक्षा आयात शुल्क से अधिक आय प्राप्त होती है। विगत दस, बारह वर्षों में सीमा शुल्कों से प्राप्त आय में निरन्तर वृद्धि हो रही है।

(ब) गैर-कर आय
भारत सरकार की आय के कुछ गैर-कर साधन निम्नलिखित हैं

1. ब्याज एवं लाभांश से प्राप्तियाँ – केन्द्रीय सरकार राज्य सरकारों के अन्य संस्थाओं को एक बहुत बड़ी मात्रा में ऋण देती है। अत: इसको प्रतिवर्ष इन ऋणों की ब्याज से करोड़ों रुपये की आय होती है।

2. प्रशासनिक प्राप्तियाँ – केन्द्रीय सरकार नागरिक प्रशासन, न्याय, शान्ति एवं व्यवस्था आदि के रूप में मनुष्यों को अनेक महत्त्वपूर्ण सेवाएँ प्रदान करती है जिनसे उसे प्रतिवर्ष करोड़ों रुपये की आय होती है।

3. मुद्रा एवं टकसाल – केन्द्रीय सरकार को नोट छापने व सिक्कों को ढालने का एकाधिकार प्राप्त है जिससे सरकार को आय होती हैं। सरकार की ओर से यह कार्य देश में रिजर्व बैंक ऑफ इण्डिया’ करता है।

4. सरकारी व्यवसायों में विशुद्ध आय – इस मद के अन्तर्गत केन्द्रीय सरकार को निम्नलिखित स्रोतों से आय होती है

  • डाक एवं तार विभाग से आय-इस पर भी केन्द्रीय सरकार का एकाधिकार है। इससे सरकार को प्रतिवर्ष करोड़ों रुपये की आय प्राप्त होती है।
  •  रेलों से आय-इस पर भी केन्द्रीय सरकार का एकाधिकार है। इससे सरकार को प्रतिवर्ष करोड़ों रुपये आय प्राप्त होती है।
  • अन्य स्रोतों से आय-इसके अन्तर्गत अफीम, जंगलात, सड़क यातायात आदि से भी केन्द्रीय सरकार को प्रतिवर्ष करोड़ों रुपये की आय प्राप्त होती है।

लघु उत्तरीय प्रश्न (4 अंक)

प्रश्न 1
भारत में केन्द्र सरकार के व्यय के प्रमुख स्रोतों का वर्णन कीजिए। [2009, 10, 12, 16]
उत्तर:
केन्द्र सरकार के व्यय के स्रोत (मदे)
केन्द्र सरकार अपनी आय को निम्नलिखित मदों पर व्यय करती है

1. करों को एकत्रित करने पर व्यय – केन्द्रीय सरकार को प्रतिवर्ष करों की धनराशि को एकत्रित करने पर बहुत बड़ी धनराशि व्यय करनी पड़ती है।

2. ऋण सेवाओं पर व्यय – केन्द्रीय सरकार ने अपनी विभिन्न प्रकार की योजनाओं को पूरा करने के लिए अनेक प्रकार के ऋण लिये हैं। इन ऋणों पर दी जाने वाली ब्याज की धनराशि इस शीर्षक के अन्तर्गत आती है। इस मद पर भी केन्द्रीय सरकार का व्यय निरन्तर बढ़ता जा रहा है।

3. रक्षा व्यय – चीन व पाकिस्तान के आक्रमण के भय के कारण हमारी सरकार को अपने देश की रक्षा पर प्रतिवर्ष होने वाले व्यय पर वृद्धि करनी पड़ रही है। इसके अन्तर्गत जल, थल और नभ सेनाओं पर होने वाला व्यय सम्मिलित किया जाता है।

4. नागरिक प्रशासन पर व्यय – इस मद के अन्तर्गत संसद, मन्त्रिपरिषद्, राष्ट्रपति, सचिवालय, सामान्य प्रशासन, न्याय, पुलिस लेखा परीक्षण आदि पर होने वाले व्यय सम्मिलित हैं। इस मद पर होने वाले व्यय में निरन्तर वृद्धि होती जा रही है।

5. मुद्रा एवं टकसाल पर व्यय –  केन्द्रीय सरकार, जो नोट छापने व सिक्कों को ढालने का कार्य करती है, इस पर होने वाले व्यय में प्रतिवर्ष वृद्धि कर रही है।

6. सामाजिक विकास पर व्यय – इस मद में शिक्षा, स्वास्थ्य, कृषि, चिकित्सा, पिछड़ी तथा परिगणित जातियों के कल्याण, सामाजिक कल्याण पर किया जाने वाला व्यय आदि सम्मिलित होते हैं। प्रत्येक सरकार को उद्देश्य कल्याणकारी राज्य की स्थापना करना है; अतः इस मद पर होने वाले व्यय में अत्यधिक वृद्धि हुई है।

7. पेन्शन व्यय – केन्द्रीय सरकार को प्रतिवर्ष अवकाश प्राप्त कर्मचारियों एवं अधिकारियों को पेन्शन देनी होती है। अवकाश प्राप्त कर्मचारियों की संख्या में निरन्तर वृद्धि होने के कारण इस मद पर व्यय होने वाली धनराशि में भी वृद्धि होती जा रही है।

8. राज्यों को अनुदान – केन्द्रीय सरकार राज्यों को प्रतिवर्ष करोड़ों रुपये का अनुदान देती है। विकास कार्यों में वृद्धि होने के कारण इस मद में होने वाले व्यय में भी निरन्तर वृद्धि होती जा रही है।

9. अन्य व्यय – उपर्युक्त प्रमुख मदों के अतिरिक्त केन्द्रीय सरकार को अन्य कई मदों पर व्यय करने होते हैं; जैसे-अकाल, बाढ़, सूखा, भूकम्प, शिक्षा संस्थाओं को दिया गया अनुदान आदि।

प्रश्न 2
केन्द्र सरकार द्वारा लगाए जाने वाले किन्हीं चार करों का उल्लेख कीजिए। [2015]
उत्तर:
केन्द्र सरकार की आय के स्रोतों को मुख्यत: निम्नलिखित भागों में बाँटा जा सकता है

(अ) करों से प्राप्त आय
विभिन्न प्रकार के करों के द्वारा केन्द्र सरकार को आय प्राप्त होती है, जिनमें मुख्य कर निम्नलिखित हैं

1. संघीय उत्पादन शुल्क – संघीय उत्पादन कर केन्द्रीय सरकार की आय का प्रमुख स्रोत है। यह कर देश में उत्पन्न होने वाली वस्तुओं पर लगाया जाता है। कुछ वस्तुओं को छोड़कर (जैसे-शराब-भाँग आदि) देश में उत्पन्न होने वाली प्राय: सभी वस्तुओं पर संघ सरकार द्वारा उत्पादन कर लगाया जाता है; जैसे-कपड़ा, चीनी, दियासलाई, टायर-ट्यूब, बिजली के सामान, रेडियो, मोटरगाड़ियाँ आदि। इस कर से प्राप्त आय का एक पूर्वनिश्चित भाग राज्यों में बाँट दिया जाता है।

2. आयकर – यह एक प्रत्यक्ष कर है जो गैर-कृषि आय पर लगाया जाता है। इस कर को लगाने व वसूल करने का अधिकार केन्द्र सरकार को है। आयकर से प्राप्त निवल आय का विभाजन केन्द्र और राज्य सरकारों के बीच होता है। आयकर भारत में प्रगतिशील कर है। इस कर से केन्द्र सरकार को पर्याप्त आय प्राप्त होती है।

3. निगम कर – निगम कर से अभिप्राय, देशी व विदेशी कम्पनियों की वार्षिक आय पर लगाये गये अति कर Super Tax से है। यह कर सम्पूर्ण आय पर एक निश्चित दर से लगाया जाता है। सरकार को इससे भी आय होती है।

4. सम्पत्ति कर – भारत में यह कर 1957-58 से लागू किया गया है। जिन व्यक्तियों के पास 15, लाख रुपये से अधिक की सम्पत्ति होती है, उन्हें सम्पत्ति कर देना पड़ता है। इस कर से कुछ खम्पत्तियों को मुक्त रखा गया है; जैसे – कृषि भूमि, गाँवों में रहने के मकान, धार्मिक स्थानों की सम्पत्ति, बीमा व भविष्य निधि कोष आदि। इस कर की दर आरोही है। केन्द्रीय सरकार को इस कर से भी आय प्राप्त होती है।

5. उपहार कर – यह कर केन्द्रीय सरकार द्वारा 1958-59 ई० से लागू किया गया। यह कर उन व्यक्तियों पर लगाया जाता है जो अपने जीवन काल में निश्चित मूल्य से अधिक के उपहार अपने सम्बन्धियों या अन्य व्यक्तियों को देते हैं। इस कर का उद्देश्य मृत सम्पत्ति, कर की चोरी रोकना तथा धन के वितरण की विषमता को कम करना है। अब इस कर को समाप्त कर दिया गया है।

6. सीमा शुल्क-आयात – निर्यात कर को ही सीमा शुल्क कहते हैं। जब ये शुल्क मूल्य के आधार पर लगाये जाते हैं, तब इन्हें मूल्यानुसार शुल्क और जब ये शुल्क परिमाण या संख्या के अनुसार लगाये जाते हैं, तब इन्हें परिमाणानुसार शुल्क कहते हैं। भारत में ये दोनों प्रकार के शुल्क लगाये जाते हैं।
केन्द्रीय सरकार को निर्यात शुल्क की अपेक्षा आयात शुल्क से अधिक आय प्राप्त होती है। विगत दस, बारह वर्षों में सीमा शुल्कों से प्राप्त आय में निरन्तर वृद्धि हो रही है।

अतिलघु उत्तरीय प्रश्न (2 अंक)

प्रश्न 1
वित्त आयोग पर एक टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
भारतीय संविधान की धारा 180 के अन्तर्गत यह व्यवस्था की गयी है कि भारत का राष्ट्रपति प्रति पाँच वर्ष के लिए एक वित्त आयोग का गठन करेगा। इसका कार्य केन्द्र व राज्यों के बीच आय, अनुदान आदि को सुनिश्चित करना तथा वित्त सम्बन्धी महत्त्वपूर्ण सुझाव देना है।

प्रश्न 2
घाटे की वित्त-व्यवस्था पर टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
घाटे की वित्त-व्यवस्था एक ऐसी स्थिति को बतलाती है जिसमें सरकार का व्यये उसकी कुल आय से अधिक होता है। सरकार बजट के इस घाटे को पूरा करने के लिए या तो केन्द्रीय बैंक से अथवा जनता से ऋण लेती है या नई मुद्रा जारी करती है। इस प्रकार कोई भी व्यय जो सार्वजनिक ऋण से पूरा किया जाता है, घाटे की वित्त-व्यवस्था के अन्तर्गत आ जाता है। किसी प्रकार के वित्त-प्रबन्ध को घाटे की वित्त-व्यवस्था कहने से पूर्व इस बात का ध्यान रखा जाना चाहिए कि उसके परिणामस्वरूप समाज में मुद्रा की पूर्ति में वृद्धि होती है अथवा नहीं। जब सरकार की आये उसके द्वारा किये जाने वाले व्यय से कम रह जाती है तो बजट में इस प्रकार उत्पन्न होने वाले घाटे को पूरा करने के लिए जो व्यवस्था की जाती है, उसे घाटे की वित्त-व्यवस्था कहते हैं। ऐसा दो प्रकार से किया जा सकता है

  • नई मुद्रा के निर्गमन द्वारा तथा
  • संचित नकद बकाया को खातों से निकालकर।

रोजगार बढ़ाने, मन्दी की दशाओं को दूर करने तथा आर्थिक विकास की योजनाओं को पूरा करने के लिए विकासशील देशों में घाटे की वित्त-व्यवस्था को अपनाया जाना आवश्यक है, किन्तु इसके दुष्प्रभावों से बचने के लिए हर सम्भव प्रयास किये जाने चाहिए।

निश्चित उतरीय प्रश्न, (1 अंक)

प्रश्न 1
केन्द्र सरकार द्वारा कौन-कौन से कर लगाये जाते हैं ?
या
केन्द्र सरकार की कर-आय के दो प्रमुख स्रोतों के नाम बताइए। [2010]
या
केन्द्र सरकार द्वारा लगाए जाने वाले किन्हीं दो करों के नाम लिखिए। [2013]
उत्तर:
केन्द्र सरकार द्वारा लगाये जाने वाले कर हैं

  1. सीमा कर,
  2. संघीय उत्पादन कर,
  3. आयकर,
  4. सम्पत्ति कर,
  5. उपहार कर आदि।

प्रश्न 2
संघीय उत्पादन शुल्क के दो उद्देश्य बताइए।
उत्तर:
संघीय उत्पादन शुल्क के दो उद्देश्य हैं

  1. आर्थिक विकास के कार्यों को कार्यान्वित करने के लिए तथा,
  2. देश में मुद्रास्फीति की दशाओं पर रोक लगाने के लिए।

प्रश्न 3
आयात शुल्क लगाने के दो उद्देश्य बताइए।
उत्तर:
आयात शुल्क लगाने के दो उद्देश्य हैं

  1. आय प्राप्त करना तथा
  2. स्वदेशी उद्योगों को संरक्षण प्रदान करना।

प्रश्न 4
भारत में ‘आयकर’ किस प्रकार का कर है ?
उत्तर:
भारत में आयकर प्रगतिशील कर है, क्योंकि कर की दर, आय की वृद्धि के साथ बढ़ती जाती है।

प्रश्न 5
केन्द्रीय सरकार की व्यय की सबसे बड़ी मद कौन-सी है?
उत्तर:
केन्द्रीय सरकार की व्यय की सबसे बड़ी मद प्रतिरक्षा सेवा है।

प्रश्न 6
आयकर किसके द्वारा लगाया जाता है ? [2009, 11, 12, 13]
उत्तर:
आयकर केन्द्रीय सरकार द्वारा लगाया जाता है।

प्रश्न 7
केन्द्रीय सरकार की व्यय को दो मदें लिखिए। [2011]
उत्तर:

  1. देश की सुरक्षा पर व्यय तथा
  2. विकास योजनाओं पर व्यय।

प्रश्न 8
केन्द्र सरकार की विकास व्यय की मदें क्या हैं ?
उत्तर:

  1. सामाजिक एवं सामुदायिक सेवाएँ तथा
  2.  सामान्य आर्थिक सेवाएँ।

प्रश्न 9
भारत सरकार की आय में किस प्रकार के करों का अधिक महत्त्व है ?
उत्तर:
भारत सरकार की आय में परोक्ष करो का अधिक महत्त्व है।

प्रश्न 10
काले धन को बाहर निकालने के लिए सरकार ने कौन-सी योजना चलाई ?
उत्तर:
केन्द्र सरकार ने काले धन को बाहर निकालने के लिए 12 जनवरी, 1981 ई० को ‘विशेष धारक बॉण्ड योजना प्रारम्भ की।

प्रश्न 11
विशेष धारक बॉण्ड योजना क्या है ?
उत्तर:
विशेष धारक बॉण्ड योजना में यह घोषित किया गया कि जो लोग इस योजनान्तर्गत विशेष बॉण्ड खरीदेगे, उनसे यह नहीं पूछा जाएगा कि यह धन उनके पास कहाँ से आया।

प्रश्न 12
भारत में योजना आयोग का अध्यक्ष कौन होता है ?
उत्तर:
भारत में योजना आयोग का अध्यक्ष प्रधानमन्त्री होता है।

प्रश्न 13
ऐसे कर जिनका प्रभाव सम्पूर्ण देश पर पड़ता है, लगाने का अधिकार किसे है ?
उत्तर:
ऐसे कर जिनका प्रभाव सम्पूर्ण देश पर पड़ता है, को लगाने का अधिकार केन्द्र सरकार को है।

प्रश्न 14
उत्पाद शुल्क किस सरकार से सम्बन्धित है? [2006]
उत्तर:
केन्द्र सरकार।

प्रश्न 15
निगम कर कैसा कर है? [2007]
उत्तर:
प्रत्यक्ष कर।

प्रश्न 16
निगम कर किसके द्वारा लगाया जाता है? [2007, 12]
उत्तर:
केन्द्र सरकार द्वारा।

प्रश्न 17
प्रतिरक्षा व्यय को कौन-सी सरकार वहन करती है ? [2010, 12, 16]
उत्तर:
प्रतिरक्षा व्यय’ को केन्द्रीय सरकार वहन करती है।

प्रश्न 18
कौन-सी सरकार सेवा कर लगाती है? [2010]
उत्तर:
केन्द्रीय सरकार।

बहुविकल्पीय प्रश्न (1 अंक)

प्रश्न 1
निम्नलिखित में से किस कर को केन्द्रीय सरकार नहीं लगाती है ? [2006]
या
निम्नलिखित में से कौन-सा कर राज्य सरकार द्वारा लगाया जाता है? [2015]
(क) आय कर
(ख) निगम कर
(ग) सम्पत्ति कर
(घ) मनोरंजन कर
उत्तर:
(घ) मनोरंजन कर।

प्रश्न 2
संघीय सरकार की व्यय की सबसे बड़ी मद कौन-सी है ?
(क) प्रतिरक्षा सेवा
(ख) सामाजिक तथा विकासार्थ व्यय
(ग) ऋण सेवा
(घ) प्रशासनिक सेवा
उत्तर:
(क) प्रतिरक्षा सेवा।

प्रश्न 3
निम्नलिखित में से किस कर को केन्द्रीय सरकार लगाती है ? [2013]
(क) आय कर
(ख) बिक्री कर
(ग) मनोरंजन कर
(घ) भू-राजस्व
उत्तर:
(क) आय कर।

प्रश्न 4
भारत के वर्तमान वित्त मन्त्री हैं
(क) मनमोहन सिंह
(ख) पी० चिदम्बरम्
(ग) अटल बिहारी वाजपेयी
(घ) अरुण जेटली
उत्तर:
(घ) अरुण जेटली।

प्रश्न 5
भारत में योजना आयोग का अध्यक्ष होता है।
(क) राष्ट्रपति
(ख) प्रधानमन्त्री
(ग) वित मन्त्री
(घ) योजना मन्त्री
उत्तर:
(ख) प्रधानमन्त्री।

प्रश्न 6
भारत में आय कर लगाया जाता है [2014]
(क) केन्द्र सरकार द्वारा
(ख) राज्य सरकार द्वारा
(ग) स्थानीय सरकार द्वारा
(घ) इन सभी के द्वारा
उत्तर:
(क) केन्द्र सरकार द्वारा।

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UP Board Solutions for Class 12 Civics Chapter 10 Non-Alignment

UP Board Solutions for Class 12 Civics Chapter 10 Non-Alignment (गुट-निरपेक्षता) are part of UP Board Solutions for Class 12 Civics. Here we have given UP Board Solutions for Class 12 Civics Chapter 10 Non-Alignment (गुट-निरपेक्षता).

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Class Class 12
Subject Civics
Chapter Chapter 10
Chapter Name Non-Alignment (गुट-निरपेक्षता)
Number of Questions Solved 29
Category UP Board Solutions

UP Board Solutions for Class 12 Civics Chapter 10 Non-Alignment (गुट-निरपेक्षता)

विस्तृत उत्तीय प्रश्न (6 अंक)

प्रश्न 1.
गुट-निरपेक्षता की नीति के प्रमुख तत्त्वों का वर्णन कीजिए।
या
गुट-निरपेक्षता का महत्त्व स्पष्ट कीजिए। [2010, 16]
या
गुट-निरपेक्षता का क्या अर्थ है? वर्तमान अन्तर्राष्ट्रीय राजनीति के सन्दर्भ में उसकी प्रासंगिकता का परीक्षण कीजिए। [2015]
या
गुट-निरपेक्ष आन्दोलन की प्रासंगिकता पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए। [ 2012, 13, 15]
या
गुट-निरपेक्षता की अवधारणा स्पष्ट कीजिए। वर्तमान समय में यह कहाँ तक प्रासंगिक [2010, 11]
या
गुट-निरपेक्षता पर एक निबन्ध लिखिए। [2008]
या
गुट-निरपेक्ष आन्दोलन पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए [2016]
उत्तर
गुट-निरपेक्षता
द्वितीय महायुद्ध के पश्चात् सम्पूर्ण विश्व दो गुटों में बँट गया। एक गुट का नेतृत्व अमेरिका ने किया और दूसरे गुट का सोवियत संघ (रूस) ने। दोनों गुटों में अनेक कारणों को लेकर भीषण शीतयुद्ध प्रारम्भ हो गया। यूरोप और एशिया के अधिकांश देश इस गुटबन्दी में फंस गये और वे किसी-न-किसी गुट में सम्मिलित हो गये। 15 अगस्त, 1947 को जब भारत स्वतन्त्रं हुआ तो भारत के नेताओं को अपनी विदेश नीति का निर्माण करने का अवसर प्राप्त हुआ। भारत की विदेश नीति के निर्माता पं० जवाहरलाल नेहरू थे। उन्होंने अपनी विदेश-नीति का आधार गुट-निरपेक्षता (NonAlignment) को बनाया। उन्होंने स्पष्ट किया कि “हम किसी गुट में सम्मिलित नहीं हो सकते, क्योकि हमारे देश में आन्तरिक समस्याएँ इतनी अधिक हैं कि हम दोनों गुटों से सम्बन्ध बनाये बिना उन्हें सुलझा नहीं सकते। धीरे-धीरे गुट-निरपेक्षता की नीति अपनाने वाले देशों की संख्या में वृद्धि होती गयी। सन् 1961 में बेलग्रेड में हुए गुट-निरपेक्ष देशों के प्रथम शिखर सम्मेलन में केवल 25 देशों ने भाग लिया था, किन्तु अब इनकी संख्या 120 हो गयी है।

गुट-निरपेक्षता का अर्थ व परिभाषा
गुट-निरपेक्षता की कोई सर्वमान्य व सर्वसम्मत परिभाषा उपलब्ध नहीं है, फिर भी गुटनिरपेक्षता की प्रकृति, तत्त्व तथा अर्थ के आधार पर इसकी परिभाषा इस प्रकार दी जा सकती है-“किसी भी राजनीतिक अथवा सैनिक गुट से संलग्न हुए बिना स्वतन्त्रता, शान्ति तथा सामाजिक न्याय के कार्य में योगदान देना ही गुट-निरपेक्षता है।” गुट-निरपेक्षता की नीति से अभिप्राय है। विभिन्न शक्तियों या गुटों से अप्रभावित रहते हुए अपनी स्वतन्त्र नीति अपनाना और राष्ट्रीय हितों के अनुसार न्याय का समर्थन देना।

कुछ लोग गुट-निरपेक्षता की नीति को, ‘तटस्थता’ की संज्ञा देते हैं, जो उचित नहीं है। इस सम्बन्ध में 1949 ई० में पण्डित जवाहरलाल नेहरू ने अमेरिकी जनता के समक्ष स्पष्ट रूप से कहा था-“जब स्वतन्त्रता के लिए संकट उत्पन्न हो, न्याय पर आघात पहुँचे या आक्रमण की घटना घटित हो, तब हम तटस्थ नहीं रह सकते और न ही हम तटस्थ रहेंगे।”
जॉर्ज लिस्का ने लिखा है कि “किसी विवाद के सन्दर्भ में यह जानते हुए कि कौन सही है। और कौन गलत, किसी का पक्ष न लेना ‘तटस्थता’ है, किन्तु गुट-निरपेक्षता का अर्थ है सही और गलत में भेद करना तथा सदैव सही नीति का समर्थन करना।

गुट-निरपेक्षता की नीति के प्रमुख तत्त्व
गुट-निरपेक्षता की नीति के प्रमुख तत्त्व निम्नवत् हैं-

1. राष्ट्रवाद की भावना – एशियाई-अफ्रीकी देशों ने राष्ट्रवाद की भावना के आधार पर एक लम्बे संघर्ष के बाद यूरोपियन साम्राज्यवाद से मुक्ति प्राप्त की थी। ऐसी स्थिति में सबसे पहले भारत और बाद में अन्य देशों ने स्वाभाविक रूप से सोचा कि किसी शक्ति गुट की सदस्यता को स्वीकार कर लेने पर अन्तर्राष्ट्रीय राजनीति में वे उसके पिछलग्गू बन जायेंगे, जिससे उनके आत्म-सम्मान, राष्ट्रवाद और सम्प्रभुता को आघात पहुँचेगा। इस प्रकार राष्ट्रवाद की भावना ने उन्हें अन्तर्राष्ट्रीय राजनीति में स्वतन्त्र मार्ग अपनाने के लिए प्रेरित किया।

2. साम्राज्यवाद और उपनिवेशवाद का विरोध – भारत और अन्य एशियाई-अफ्रीकी देशों ने लम्बे समय तक साम्राज्यवाद और उपनिवेशवाद के अत्याचार भोगे थे और साम्राज्यवाद तथा उपनिवेशवाद के प्रति उनकी विरोध भावना बहुत अधिक तीव्र थी। उन्होंने सही रूप में यह महसूस किया कि दोनों ही शक्ति गुटों के प्रमुख नव-साम्राज्यवादी हैं। तथा साम्राज्यवाद और उपनिवेशवाद का विरोध करने के लिए शक्ति गुटों से अलग रहना बहुत अधिक आवश्यक है।

3. शान्ति के लिए तीव्र इच्छा – लम्बे संघर्ष के बाद स्वतन्त्रता प्राप्त करने वाले एशियाई अफ्रीकी देशों ने सत्य रूप में महसूस किया कि यूरोपीय देशों की तुलना में उनके लिए शान्ति बहुत अधिक आवश्यक है। उन्होंने यह भी सोचा कि उनके लिए युद्ध और तनाव की सम्भावना बहुत कम हो जायेगी, यदि वे अपने आपको शक्ति गुटों से अलग रखें।

4. आर्थिक विकास की लालसा – नवोदित राज्य शस्त्रास्त्रों की प्रतियोगिता से बचकर अपने देश का आर्थिक पुनर्निर्माण करना चाहते हैं। आर्थिक पुनर्निर्माण तीव्र गति से हो सके, इसके लिए विकसित राष्ट्रों से आर्थिक और तकनीकी सहयोग प्राप्त करना जरूरी है। गुट-निरपेक्षता का मार्ग अपनाकर ही कोई राष्ट्र बिना शर्त विश्व की दोनों महाशक्तियों-साम्यवादी और पूँजीवादी गुटों से आर्थिक एवं तकनीकी सहायता प्राप्त कर सकता था।

5. जातीय एवं सांस्कृतिक पक्ष – गुट-निरपेक्षता की नीति की एक प्रेरक तत्त्व जातीय एवं सांस्कृतिक पक्ष’ भी है। गुट-निरपेक्षता की नीति के अधिकांश समर्थक यूरोपियन राष्ट्रों का शोषण भुगत चुके हैं और अश्वेत जाति के हैं। इनमें सांस्कृतिक एवं जातीय समानताएँ भी विद्यमान हैं और कमजोर ही सही, लेकिन समानताओं ने उन्हें शक्ति गुटों से अलग रहने के लिए प्रेरित किया है।

गुट-निरपेक्षता का महत्त्व
वर्तमान विश्व के सन्दर्भ में गुट-निरपेक्षता का व्यापक महत्त्व है, जिसे निम्नलिखित प्रकार से स्पष्ट किया जा सकता है-

  1. गुट-निरपेक्षता ने तृतीय विश्वयुद्ध की सम्भावना को समाप्त करने में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया
  2. गुट-निरपेक्ष राष्ट्रों ने साम्राज्यवाद का अन्त करने और विश्व में शान्ति व सुरक्षा बनाए रखने के लिए महत्त्वपूर्ण प्रयास किए हैं।
  3. गुट-निरपेक्षता के कारण ही विश्व की महाशक्तियों के मध्य शक्ति सन्तुलन बना रहा।
  4. गुट-निरपेक्ष सम्मेलनों ने सदस्य राष्ट्रों के मध्य होने वाले युद्धों एवं विवादों का शान्तिपूर्ण ढंग से समाधान किया है।
  5. गुट-निरपेक्ष राष्ट्रों ने विज्ञान व तकनीकी के क्षेत्र में एक-दूसरे को पर्याप्त सहयोग दिया है।
  6. गुट निरपेक्षता ने अन्तर्राष्ट्रीय राजनीति को व्यापक रूप से प्रभावित किया है।
  7. गुट-निरपेक्ष आन्दोलन ने विश्व के परतन्त्र राष्ट्रों को स्वतन्त्र कराने और रंग-भेद की नीति का विरोध करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
  8. यह आन्दोलन निर्धन तथा पिछड़े हुए देशों के आर्थिक विकास पर बहुत बल दे रहा है।
  9. गुट-निरपेक्ष आन्दोलन राष्ट्रवाद को अन्तर्राष्ट्रवाद में परिवर्तित करने तथा द्विध्रुवीकरण को बहु-केन्द्रवाद में परिवर्तित करने का उपकरण बना।
  10. इसने सफलतापूर्वक यह दावा किया कि मानव जाति की आवश्यकता पूँजीवाद तथा साम्यवाद के मध्य विचारधारा सम्बन्धी विरोध से दूर है।
  11. इसने सार्वभौमिक व्यवस्था की तरफ ध्यान आकर्षित किया तथा अन्तर्राष्ट्रीय सम्बन्धों में शीत युद्ध की भूमिका को कम करने तथा इसकी समाप्ति में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई।
  12. गुट-निरपेक्षता नए राष्ट्रों के सम्बन्धों में स्वतन्त्रापूर्वक विदेशों से सम्बन्ध स्थापित करके तथा सदस्यता प्रदान करके उनकी सम्प्रभुता की सुरक्षा का साधन बनी है।

गुट-निरपेक्षता का मूल्यांकन
गुटनिरपेक्षता पर आधारित विचारधारा का उदय उन परिस्थितियों में हुआ जब सम्पूर्ण विश्व दो गुटों में विभक्त हो गया था। इस प्रकार की स्थिति, सम्पूर्ण विश्व के लिए किसी भी समय खतरनाक सिद्ध हो सकती थी। यह गुटनिरपेक्षता पर आधारित नीति का ही परिणाम है कि वर्तमान विश्व तीसरे विश्वयुद्ध की आशंका को कम करने में काफी सीमा तक सफल हो सका है। गुटनिरपेक्ष आन्दोलन के माध्यम से, विश्वयुद्ध को आमन्त्रित करने वाली प्रत्येक स्थिति की प्रबल विरोध किया जाता रहा है और विश्व-शान्ति की दिशा में अनेक सराहनीय प्रयास किए गए हैं। साम्राज्यवादी प्रवृत्ति के उन्मूलन, विभिन्न देशों में स्वतन्त्रता के लिए किए गए संघर्ष को सफल बनाने, रंगभेद की नीति का अन्त करने, विश्व में शक्ति सन्तुलन बनाए रखने तथा पिछड़े देशों की प्रगति हेतु समन्वित रूप से प्रयास करने की दिशा में गुटनिरपेक्ष आन्दोलन की अनेक महत्त्वपूर्ण उपलब्धियाँ रही हैं। यही नहीं, पारस्परिक निर्भरता के आधुनिक युग में एक-दूसरे की प्रगति हेतु सहयोग प्राप्त करने तथा विश्व को भावी उपनिवेशवादी शक्तियों के ध्रुवीकरण से बचाए रखने की दृष्टि से भी गुटनिरपेक्षता का अस्तित्व बने रहना परम आवश्यक है। सोवियत संघ के विघटन के पश्चात् यद्यपि गुटनिरपेक्षता की नीति पर प्रश्न-चिह्न लग गया है परन्तु वर्तमान समय में भी इसके सदस्य राष्ट्रों में सहयोगात्मक की भावना प्रफुल्लित हो रही है। इसके सदस्य राष्ट्रों की संख्या कम होने के स्थान पर निरन्तर बढ़ती जा रही है।

प्रश्न 2.
गुट-निरपेक्ष आन्दोलन में भारत के योगदान का परीक्षण कीजिए।
उत्तर
गुट-निरपेक्षता में भारत का योगदान
गुट-निरपेक्षता के विकास में भारत का महत्त्वपूर्ण योगदान रहा है। भारत की विदेश नीति का प्रमुख सिद्धान्त ही गुट-निरपेक्षता है। सर्वप्रथम भारत ने ही एशिया तथा अफ्रीका के नवोदित स्वतन्त्र राष्ट्रों को परस्पर एकता और सहयोग के सूत्र में बाँधने का प्रयास किया था। ‘बांडुंग सम्मेलन’ में भारत के प्रधानमन्त्री पं० जवाहरलाल नेहरू ने बड़ी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। इस प्रकार भारत गुट-निरपेक्षता का अग्रणी रहा है। पं० जवाहरलाल नेहरू का कथन था कि “चाहे कुछ भी हो जाए, हम किसी भी देश के साथ सैनिक सन्धि नहीं करेंगे। जब हम गुट-निरपेक्षता का विचार छोड़ते हैं तो हम अपना संसार छोड़कर हटने लगते हैं। किसी देश से बँधना-आत्म-सम्मान का खोना तथा अपनी बहुमूल्य नीति का अनादर करना है।’ पं० नेहरू के बाद श्रीमती इन्दिरा गाँधी ने गुट-निरपेक्षता के विकास को अग्रसरित किया। प्रधानमन्त्री श्रीमती इन्दिरा गाँधी ने सातवें सम्मेलन (1983) में नई दिल्ली में गुट-निरपेक्ष आन्दोलन की अध्यक्षता ग्रहण की थी। श्रीमती इन्दिरा गाँधी ने अपने एक भाषण में कहा था कि “गुट-निरपेक्षता अपने आप में एक नीति है। यह केवल एक लक्ष्य ही नहीं, इसके पीछे उद्देश्य यह है कि निर्णयकारी स्वतन्त्रता और राष्ट्र की सच्ची भक्ति तथा बुनियादी हितों की रक्षा की जाए।

प्रधानमन्त्री श्री राजीव गाँधी भी गुट-निरपेक्ष आन्दोलन को प्रभावशाली बनाने के लिए कृतसंकल्प थे। 15 अगस्त, 1986 को श्री राजीव गाँधी ने कहा था कि “भारत की गुट-निरपेक्षता की नीति के कारण ही भारत का विश्व में आदर है। भारत बोलता है तो वह आवाज सौ करोड़ लोगों की होती है। गुट-निरपेक्षता के मार्ग पर चलकर भारत आज बिना किसी दबाव के बोलता है। उसके साथ संसार के दो-तिहाई गुट-निरपेक्ष देशों की आवाज होती है।”

नवे शिखर सम्मेलन (सितम्बर 1989 ई०) में प्रधानमन्त्री राजीव गाँधी ने कहा था कि गुटनिरपेक्ष आन्दोलन तभी गतिशील रह सकता है, जब यह उन्हीं सिद्धान्तों पर चले, जिन पर चलने का वायदा यहाँ 1961 ई० में प्रथम सम्मेलन में सदस्यों ने किया था। ग्यारहवें शिखर सम्मेलन में भारत ने दो बातों के प्रसंग में महत्त्वपूर्ण सफलता प्राप्त की। भारत ने आणविक शस्त्रों पर आणविक शाक्तियों के एकाधिकार का विरोध किया। बारहवें सम्मेलन में भारत और पाकिस्तान की आणविक विस्फोट के लिए आलोचना की गयी। सम्मेलन में सम्मेलन के अध्यक्ष नेल्सन मण्डेला द्वारा कश्मीर समस्या का उल्लेख किये जाने पर भारत द्वारा कड़ी आपत्ति की गयी। भारत की आपत्ति को दृष्टि में रखते हुए नेल्सन मण्डेला ने अपना वक्तव्य वापस ले लिया। तेरहवें शिखर सम्मेलन में प्रधानमन्त्री वाजपेयी ने सुरक्षा परिषद् में भारत की स्थायी सदस्यता हेतु भी पहल की। प्रधानमन्त्री वी०पी० सिंह भी गुट-निरपेक्ष आन्दोलन के प्रबल समर्थक रहे हैं और तत्पश्चात् प्रधानमन्त्री चन्द्रशेखर भी। इस आन्दोलन को सफल बनाने के लिए प्रयत्नशील थे। प्रधानमन्त्री नरसिम्हा राव ने भी इसी नीति को जारी रखा। इसके बाद प्रधानमन्त्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार देश की सुरक्षा और अखण्डता के मुद्दे पर समयानुसार विदेश नीति निर्धारित करने के लिए दृढ़ संकल्प थी। वर्तमान में प्रधानमन्त्री श्री नरेन्द्र मोदी भी इसी नीति को जारी रखे हुए हैं।

लघु उत्तरीय प्रश्न (शब्द सीमा : 150 शब्द) (4 अंक)

प्रश्न 1.
गुट-निरपेक्षता की प्रेरक शक्तियों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर
गुटनिरपेक्षता की प्रेरक शक्तियाँ
गुट निरपेक्षता की प्रेरक शक्तियाँ निम्नलिखित हैं-

  1. गुट निरपेक्षता की प्रमुख प्रेरक-शक्ति राष्ट्रवाद की भावना है। राष्ट्रवाद तथा गुट-निरपेक्षता के मध्य सहयोग से स्पष्ट है कि नवोदित राष्ट्रों के नेता अपनी गुट-निरपेक्षता के समर्थन में राष्ट्रवाद का सहारा लेते रहे हैं।
  2. गुट-निरपेक्षता की दूसरी प्रेरक-शक्ति उपनिवेशवाद का विरोध करना है। बाण्डंग सम्मेलन में इस तथ्य को स्वीकार किया गया था कि यदि किसी राष्ट्र को सैनिक-संगठन में सम्मिलित होने को बाध्य करने वाली कोई स्थिति नहीं है, तो उपनिवेश विरोधी भावना उसे गुट-निरपेक्षता की दिशा में प्रेरित करेगी।
  3. गुट-निरपेक्षता की तीसरी प्रेरक-शक्ति नवोदित राज्यों की अर्द्ध-विकसित अवस्था है। इन राष्ट्रों की रुचि शास्त्रों की प्रतियोगिता से बचकर आर्थिक पुनर्निर्माण में अधिक है और केवल गुट-निरपेक्षता की नीति अपनाकर ही ये राष्ट्र शक्तिशाली गुटों से आर्थिक सहायता प्राप्त कर सकते हैं। गुट-निरपेक्ष राष्ट्रों का तर्क है कि उन्हें जो भी सहायता विकसित राष्ट्रों से प्राप्त हो रही है वह उनका अधिकार है, न कि उन पर कोई अहसान।
  4. गुट-निरपेक्षता की नीति अपनाने का एक कारण जातीय तथा सांस्कृतिक पहलू भी है। इस नीति के समर्थक मुख्यत: अफ्रीकी तथा एशियाई देश हैं, जिनका यूरोपीय राष्ट्रों द्वारा आर्थिक शोषण किया गया था और इन पर राजनीतिक प्रभुत्व रहा। ये गुट-निरपेक्ष राष्ट्र अश्वेत हैं और जातीय तथा सांस्कृतिक दृष्टि से उनमें बहुत कुछ समानता है। वे समान रूप से किसी बड़ी शक्ति के अधीन नहीं रहना चाहते हैं।

प्रश्न 2.
आज के विश्व की बदलती हुई परिस्थितियों में गुट-निरपेक्षता के भविष्य का आकलन कीजिए।
उत्तर
विश्व की बदलती हुई परिस्थितियों में गुट-निरपेक्षता का स्वरूप भी बदला है और इसका महत्त्व पहले से अधिक हो गया है। गुट-निरपेक्षता विश्व राजनीति में राष्ट्रों के लिए एक नये विकल्प के रूप में निश्चय ही स्थायी रूप धारण कर चुकी है। इसने विशेषतया राष्ट्र-समाज के छोटे-छोटे और अपेक्षाकृत कमजोर सदस्यों के सन्दर्भ में राष्ट्रों की स्वतन्त्रता और समता बनाये रखने में योग दिया है। यही कारण है कि आज गुट-निरपेक्षता का पालन करने वाले राष्ट्रों की संख्या उत्तरोत्तर बढ़ती जा रही है। संयुक्त राष्ट्र में गुट-निरपेक्ष राष्ट्रों की आवाज प्रबल बन सकी है।
कहा जाता है कि गुट-निरपेक्षता को प्रादुर्भाव शीतयुद्ध के परिप्रेक्ष्य में हुआ था और शीतयुद्ध की समाप्ति के साथ गुट-निरपेक्ष आन्दोलन अप्रासंगिक हो गया है तथा इसको औचित्य नहीं रह गया है।

वास्तव में, वर्तमान समय में शीतयुद्ध का तो अन्त हो गया है, लेकिन बदलती हुई अन्तर्राष्ट्रीय राजनीति के अनेक क्षेत्रों में तनाव की स्थितियाँ बनी हुई हैं। महाशक्ति के रूप में अमेरिका तथा विश्व के अन्य कुछ शक्तिशाली देश आर्थिक और राजनीतिक क्षेत्र में ‘नव-साम्राज्यवाद की नीति अपनाने की ओर उन्मुख हैं। इस स्थिति में आर्थिक रूप से पिछड़े हुए गुट-निरपेक्ष देशों को बचाने के लिए यह आवश्यक है कि विकसित और विकासशील देशों के बीच सार्थक वार्ता के लिए दबाव डाला जाए और विकासशील देशों के साथ पारस्परिक सहयोग सुदृढ़ और सक्रिय बनाया जाए। इसके लिए निर्गुट आन्दोलन एक अपरिहार्य मंच है।

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प्रश्न 3.
गुट-निरपेक्षता तथा तटस्थता के मध्य अन्तर बताइए।
उत्तर
कुछ विद्वान गुट-निरपेक्षता को तटस्थता की स्थिति मानते हैं, परन्तु यह तटस्थता से बिल्कुल पृथक् नीति है। तटस्थता तथा गुट-निरपेक्षता की यदि गम्भीरता से तुलना की जाए तो निम्नलिखित अन्तर सामने आते हैं-

  1. तटस्थता दो आक्रामकों तथा उनके मध्य संघर्ष के प्रति उदासीनता के दृष्टिकोण का दावा करता है। गुट-निरपेक्षता ऐसा कुछ नहीं करती है। इसके विपरीत, यह प्रत्येक समस्या का उसके गुण के आधार पर न्याय करती है तथा अपने स्वतन्त्र मत की घोषणा करती है।
  2. तटस्थता से आशय एकाकीपन की अवस्था से है, जबकि गुट-निरपेक्षता विकासशील देशों की जनता को अपना भविष्य निर्मित करने में सहायता देती है। न तो वह स्विट्जरलैण्ड या स्वीडन की स्थायी तटस्थता है और न अमेरिका का सकारात्मक एकाकीपन है।
  3. गुट-निरपेक्षता तटस्थता नहीं है, क्योंकि वह अपने दृष्टिकोणों तथा विचारों में सकारात्मक है। गुट-निरपेक्षता से आशय अन्तर्ग्रस्त होने से मुक्ति नहीं है, बल्कि यह अन्तर्ग्रस्त होने की अपरिहार्यता से उत्पन्न होती है।
  4. स्विस सरकार के लिए विपरीत गुट-निरपेक्ष राष्ट्र बिना गुट का निर्माण किए हुए विश्व की समस्याओं पर सहयोग करते हैं। उदाहरण के लिए, कांगो, स्वेज, क्यूबा, खाड़ी युद्ध संकट आदि।
  5. तटस्थता में जहाँ नकारात्मक प्रवृत्ति दृष्टिगोचर होती है और यह केवल एक वास्तविक युद्ध की अवधि तक ही सीमित है, वहाँ गुट-निरपेक्षता का विचार सक्रिय, सकारात्मक तथा निश्चित है।

तटस्थता का परिवर्तनशील सिद्धान्त गुट-निरपेक्षता के विचार को शीतयुद्ध अथवा परमाणु सन्धि की अवधि में ही अपने अन्तर्गत समाहित किए हुए है। संक्षेप में, गुट-निरपेक्षता एक सकारात्मक तटस्थता ही है।

लघु उत्तरीय प्रश्न (शब्द सीमा : 50 शब्द) (2 अंक)

प्रश्न 1.
गुट-निरपेक्षता की नीति की चार विशेषताएँ लिखिए। [2007, 14]
या
गुट-निरपेक्षता के प्रमुख लक्षण लिखिए।
उत्तर
गुट-निरपेक्षता के प्रमुख लक्षण (विशेषताएँ)
गुट-निरपेक्षता के प्रमुख लक्षण अथवा विशेषताएँ इस प्रकार हैं-

  1. शक्ति गुटों से पृथक् रहना और महाशक्तियों के साथ किसी प्रकार का सैनिक समझौता न करना।
  2. स्वतन्त्र विदेश नीति का निर्धारण करना।
  3. शान्ति एवं सद्भावना की नीति का विस्तार करना।
  4. साम्राज्यवाद, उपनिवेशवाद, शोषण एवं आधिपत्य का विरोध करना।
  5. विकासशील नीति का अनुसरण करना।
  6. गुट-निरपेक्षता आन्दोलन संयुक्त राष्ट्र संघ के कार्यों में सहयोगात्मक भूमिका का निर्वाह करता है।
  7. गुट-निरपेक्षता एक सकारात्मक तटस्थता है।

प्रश्न 2.
गुट-निरपेक्ष आन्दोलन के चार आधारभूत तत्त्वों का उल्लेख कीजिए। [2010]
या
गुट-निरपेक्षता के आवश्यक तत्त्वों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर
सन् 1961 में बेलग्रेड में आयोजित गुट-निरपेक्ष देशों के प्रथम शिखर सम्मेलन में असंलग्नता की नीति के कर्णधारों-नेहरू, नासिर और टीटो ने इस नीति के 5 आवश्यक (आधारभूत) तत्त्व माने हैं, जो निम्नलिखित हैं-

  1. सम्बद्ध देश स्वतन्त्र नीति का अनुसरण करता हो;
  2. वह उपनिवेशवाद का विरोध करता हो;
  3. वह किसी भी सैनिक गुट का सदस्य न हो;
  4. उसने किसी भी महाशक्ति के साथ द्विपक्षीय सैनिक समझौता नहीं किया हो;
  5. उसने किसी भी महाशक्ति को अपने क्षेत्र में सैनिक अड्डा बनाने की स्वीकृति न दी हो।

उपर्युक्त आधारभूत तत्त्वों के अनुसार, “अन्तर्राष्ट्रीय राजनीति में सैनिक गुट की सदस्यता या किसी भी महाशक्ति के साथ द्विपक्षीय सैनिक समझौते से दूर रहते हुए शान्ति, न्याय और राष्ट्रों की समानता के सिद्धान्त पर आधारित स्वतन्त्र रीति-नीति का अवलम्बन करना ही गुट-निरपेक्षता है।”

प्रश्न 3.
गुट-निरपेक्षता की नीति के प्रेरक तत्त्व के रूप में शीतयुद्ध का वर्णन कीजिए।
उत्तर
द्वितीय विश्व युद्ध के पश्चात् अमेरिका और रूस जैसी महाशक्तियों के बीच मतभेदों की एक ऐसी खाई उत्पन्न हो गयी थी और दोनों गुट एक-दूसरे के विरोध में इस प्रकार सक्रिय थे कि इसे शीतयुद्ध का नाम दिया गया। शीतयुद्ध के इस वातावरण में एशिया और अफ्रीका के नव-स्वतन्त्र राष्ट्रों ने किसी भी पक्ष का समर्थन न करके पृथक् रहने का निर्णय किया। शीतयुद्ध से पृथक् रहने की नीति ही आगे चलकर गुट-निरपेक्षता के नाम से पुकारी जाने लगी।

प्रश्न 4.
गुट-निरपेक्ष नीति का सार है ‘स्वतन्त्र विदेश-नीति’। स्पष्ट कीजिए।
उत्तर
गुट-निरपेक्षता का अभिप्राय यह है कि सम्बद्ध देश अन्तर्राष्ट्रीय राजनीति में किसी शक्ति गुट के साथ बँधा हुआ नहीं है, अपितु उसका स्वतन्त्र पथ है जो न्याय, सत्य, शान्ति और औचित्य पर आश्रित है। जिन देशों ने गुट-निरपेक्षता का मार्ग चुना है वे अन्तर्राष्ट्रीय राजनीति में किसी के पिछलग्गू नहीं होते, वरन् स्वयं अपनी दिशा का निर्धारण करते हैं। अल्जीरिया के प्रधानमन्त्री बिन बिल्लाह ने स्पष्ट कहा था, “हम किसी से बँधे नहीं …….. गुट| निरपेक्षता से भी नहीं।’

प्रश्न 5.
गुट-निरपेक्ष आन्दोलन की चार उपलब्धियों का उल्लेख कीजिए।
या
गुट-निरपेक्ष आन्दोलन के किन्हीं दो लाभों का उल्लेख कीजिए। [2008]
उत्तर
गुट-निरपेक्ष आन्दोलन की चार उपलब्धियाँ निम्नलिखित हैं-

  1. गुट निरपेक्षता को दोनों गुटों द्वारा मान्यता,
  2. निरस्त्रीकरण और अस्त्र-नियन्त्रण की दिशा में प्रगति,
  3. शीतयुद्ध की तीव्रता में कमी तथा
  4. संयुक्त राष्ट्र संघ के स्वरूप को रूपान्तरित करना।

प्रश्न 6.
वर्तमान में गुट-निरपेक्ष आन्दोलन किन चार क्षेत्रों में बल दे रहा है?
उत्तर
वर्तमान में गुट-निरपेक्ष आन्दोलन निम्नलिखित चार क्षेत्रों में बल दे रहा है-

  1. नवीन अन्तर्राष्ट्रीय व्यवस्था की माँग करना।
  2. आणविक निरस्त्रीकरण के लिए दबाव बनाना।
  3. विकसित और विकासशील देशों के बीच सार्थक वार्ता के लिए दबाव डालना।
  4. सुरक्षा परिषद् का विस्तार, विशेषता या परिषद् के स्थायी सदस्यों की संख्या में वृद्धि।

अतिलघु उत्तरीय प्रश्न (1 अंक)

प्रश्न 1.
गुट-निरपेक्षता के कर्णधार कौन थे?
उत्तर
भारत के प्रधानमन्त्री पं० जवाहरलाल नेहरू गुट-निरपेक्षता के कर्णधार और प्रणेता थे।

प्रश्न 2.
गुट-निरपेक्षता की त्रिमूर्ति में कौन-कौन लोग थे?
या
गुट-निरपेक्ष आन्दोलन के दो संस्थापक नेताओं के नाम बताइए। [2009, 11, 13]
या
गुट-निरपेक्ष आन्दोलन के किसी एक संस्थापक का नाम लिखिए। [2013]
उत्तर
भारत के प्रधानमन्त्री पं० जवाहरलाल नेहरू, यूगोस्लाविया के राष्ट्रपति मार्शल टोटो तथा मिस्र के राष्ट्रपति कर्नल नासिर।

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प्रश्न 3.
गुट-निरपेक्ष आन्दोलन की दो विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
उत्तर

  1. शक्तिशाली गुटों से पृथक् रहना तथा सैन्य गुटों में सम्मिलित न होना तथा
  2. शान्ति की नीति का पालन करना।

प्रश्न 4.
गुट-निरपेक्षता और तटस्थता में अन्तर बताइए।
उत्तर
किसी विवाद में यह जानते हुए कि कौन सही है तथा कौन गलत, किसी का पक्ष न लेना तटस्थता कहलाती है, किन्तु गलत और सही में भेद करते हुए सदैव सही का पक्ष लेना गुटनिरपेक्षता है।

प्रश्न 5.
गुट-निरपेक्ष से क्या आशय है?
उत्तर
गुट निरपेक्ष से आशय है–सैनिक गुटों से अलग रहते हुए अन्तर्राष्ट्रीय राजनीति में स्वतन्त्र नीति अपनाना।

प्रश्न 6.
NAM से आप क्या समझते हैं?
उत्तर
NAM का अर्थ है- Non-Aligned Movement अर्थात् गुट-निरपेक्ष आन्दोलन।

प्रश्न 7.
तेरहवाँ गुट-निरपेक्ष शिखर सम्मेलन कहाँ आयोजित किया गया?
उत्तर
तेरहवाँ गुट-निरपेक्ष शिखर सम्मेलन कुआलालम्पुर (मलेशिया–फरवरी, 2003 ई०) में आयोजित किया गया था।

प्रश्न 8.
दो गुट-निरपेक्ष देशों के नाम बताइए। [2010, 11]
उत्तर

  1. भारत तथा
  2. मिस्र।

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प्रश्न 9.
उस भारतीय का नाम लिखिए जो गुट-निरपेक्ष आन्दोलन का संस्थापक था। [2011]
उत्तर
पं० जवाहरलाल नेहरू।

प्रश्न 10.
गुट-निरपेक्ष आन्दोलन का प्रथम शिखर सम्मेलन किस नगर और किस देश में हुआ?
उत्तर
गुट-निरपेक्ष आन्दोलन का प्रथम सम्मेलन बेलग्रेड नामक नगर में हुआ, जो यूगोस्लाविया की राजधानी है।

प्रश्न 11.
सन् 2006 में गुट-निरपेक्ष आन्दोलन का शिखर सम्मेलन कहाँ हुआ था? [2016]
उत्तर
हवाना (क्यूबा) में।

बहुविकल्पीय प्रश्न (1 अंक)

1. प्रथम गुट-निरपेक्ष शिखर सम्मेलन आयोजित हुआ था- [2008]
या
असंलग्न देशों की प्रथम बैठक हुई थी-
(क) 1945 ई० में
(ख) 1950 ई० में
(ग) 1961 ई० में
(घ) 1962 ई० में

2. प्रथम गुट-निरपेक्ष शिखर सम्मेलन आयोजित किया गया था- [2007, 08, 13, 14]
(क) काहिरा, 1964 में
(ख) हवाना, 1979 में
(ग) बेलग्रेड, 1961 में
(घ) लुसाका, 1970 में

3. दसवाँ गुट-निरपेक्ष शिखर सम्मेलन आयोजित किया गया था-
(क) हरारे में।
(ख) जकार्ता में
(ग) कार्टाजेना में
(घ) डरबन में

4. तेरहवाँ गुट-निरपेक्ष शिखर सम्मेलन आयोजित किया गया था-
(क) नयी दिल्ली में
(ख) कुआलालम्पुर में
(ग) डरबन में
(घ) कोलम्बो में

5. निम्नलिखित नेताओं में से कौन गुट-निरपेक्ष आन्दोलन से सम्बन्धित नहीं है? [2007, 10, 12, 15]
(क) नेहरू
(ख) नासिर
(ग) टीटो
(घ) स्टालिन

6. सोलहवाँ गुट-निरपेक्ष शिखर सम्मेलन कहाँ सम्पन्न हुआ? [2013]
(क) बेलग्रेड
(ख) नई दिल्ली
(ग) डरबन
(घ) तेहरान

7. वर्तमान समय में गुट-निरपेक्ष आन्दोलन में शामिल राष्ट्रों की संख्या कितनी है? [2016]
(क) 114
(ख) 116
(ग) 120
(घ) 124

उत्तर

  1. (ग) 1961 ई० में,
  2. (ग) बेलग्रेड, 1961 में,
  3. (ख) जकार्ता में,
  4. (ख) कुआलालम्पुर में,
  5. (घ) स्टालिन,
  6. (घ) तेहरान,
  7. (ग) 120.

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