UP Board Solutions for Class 9 Hindi Chapter 9 सोहनलाल द्विवेदी (काव्य-खण्ड)

UP Board Solutions for Class 9 Hindi Chapter 9 सोहनलाल द्विवेदी (काव्य-खण्ड)

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विस्तृत उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
निम्नलिखित पद्यांशों की ससन्दर्भ व्याख्या कीजिए तथा काव्यगत सौन्दर्य भी स्पष्ट कीजिए :

( उन्हें प्रणाम)

1. भेद गया है …………………………………………………………………………………… सतत प्रणाम॥ (Imp.)

शब्दार्थ-मर्म = हृदय। मुहताजों = निर्धन, परमुखापेक्षी संस्थापन = स्थापना सतत = निरन्तर, लगातार।

सन्दर्भ – प्रस्तुत पद्यांश हमारी पाठ्य-पुस्तक ‘हिन्दी काव्य’ में संगृहीत ‘उन्हें प्रणाम’ नामक शीर्षक कविता से उद्धृत किया गया है। इसके रचयिता पं० सोहनलाल द्विवेदी हैं। पाठ्य-पुस्तक में प्रस्तुत रचना ‘जय भारत जय’ काव्य संग्रह से उद्धृत की गयी है।

प्रसंग – इस पद्यांश में कवि ने ऐसे अज्ञात नामवाले महापुरुषों को प्रणाम निवेदित किया है, जो सदैव दीन-दुःखियों के सहयोगी बन मानवता के उपासक रहे हैं।

व्याख्या – पं० सोहनलाल द्विवेदी कहते हैं कि वे महापुरुष जिनका हृदय निर्धनों के दु:ख से बिंध गया है, जिनको निर्धन-दलितों के साथ रहते हुए भी लज्जा अनुभव नहीं होती, (UPBoardSolutions.com) वे चाहे जिस देश में रहें और चाहे जिस वेश में, हमेशा कर्मरत रहते हैं तथा मानवता की स्थापना को ही अपनी सच्चा धर्म समझते हैं, ऐसे अज्ञात नामवाले महापुरुषों को मेरा निरन्तर नमन है, नमन है।

काव्यगत सौन्दर्य

  • प्रस्तुत पद्यांश में कवि ने अज्ञात नामवाले उन महापुरुषों को प्रणाम निवेदित किया है जो निरन्तर मानवता की स्थापना में लगे रहते हैं।
  • भाषा-शुद्ध साहित्यिक खड़ीबोली
  • शैली- भावात्मक
  • छन्द-24 मात्राओं का मात्रिक छन्द
  • रस-शान्त।
  • गुण-प्रसाद
  • अलंकार- अनुप्रास एवं पुनरुक्तिप्रकाश।
  • शब्द-शक्ति–अभिधा।
  • प्रस्तुत पद्यांश की बलिदानी नेताओं के पक्ष में भी व्याख्या की जा सकती है।

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2. कोटि-कोटि …………………………………………………………………………………… सतत प्रणाम।

शब्दार्थ-कोटि-कोटि = करोड़ों। उन्नत माथ = मस्तक ऊँचा किये हुए। प्रकाम = पूरी तरह, सम्पूर्ण । सत्पुरुषों = सज्जनों ।।

सन्दर्भ – प्रस्तुत पद्यांश हमारी पाठ्य-पुस्तक ‘हिन्दी काव्य’ में संकलित एवं सोहनलाल द्विवेदी द्वारा रचित ‘उन्हें प्रणाम शीर्षक से उधृत है।

प्रसंग – प्रस्तुत पद्यांश में कवि दीन-हीन लोगों का उद्धार और सहायता करनेवाले सत्पुरुषों को श्रद्धा अर्पित कर रहा है।

व्याख्या – कवि कहता है कि वे सत्पुरुष जो करोड़ों नंगे और भिखमंगे अर्थात् समाज द्वारा दलित-पीड़ित लोगों का साथ देते हैं तथा उन्नत मस्तक कर उनके साथ कंधे-से-कंधा मिलाकर चलते हैं-ऐसे दलितों के साथ रहकर लज्जा न अनुभव करनेवाले सत्पुरुषों को मेरा नमस्कार है। जो शोषित और (UPBoardSolutions.com) सताये हुए लोगों के हाथों को पकड़कर उन्हें उधर लिये आ रहे हैं जिधर पूर्ण स्वच्छता और स्वतन्त्रता है ऐसे ज्ञात और अज्ञात नामवाले आदरणीय उन सत्पुरुषों को मैं निरन्तर प्रणाम करता हूँ।

काव्यगत सौन्दर्य

  • महात्मा गाँधी जैसे सत्पुरुषों, जिन्होंने पद-दलितों और शोषितों का बिना किसी लज्जा के साथ दिया, के प्रति आदरभाव व्यक्त किया गया है।
  • भाषा-सरल साहित्यिक खड़ीबोली जिसमें संस्कृत के तत्सम शब्दों का भी प्रयोग किया गया है।
  • शैली-ओजपूर्ण
  • रस-वीर।
  • गुण-ओज।
  • अलंकार-अनुप्रास एवं पुनरुक्तिप्रकाश।
  • शब्द-शक्ति–अभिधा।।

3. जिनके गीतों …………………………………………………………………………………… बलिदान।

शब्दार्थ-भ्रान्ति = भ्रम टेक = संकल्प, मान्यता। टिकती = स्थायी होती। वितान = विस्तार उच्छ्वसित = प्रसन्नता से उद्यत सहृदय = दयालु, संवेदनशील ।

सन्दर्भ – प्रस्तुत पद्यांश हिन्दी काव्य’ में संकलित एवं पं० सोहनलाल द्विवेदी की रचना ‘उन्हें प्रणाम’ से उद्धृत है।

प्रसंग – कवि उन गीतकारों की प्रशंसा कर रहा है जिनके गीत जनसाधारण के हृदयों को शान्ति, उत्साह एवं बलिदानी भावना प्रदान करते हैं।

व्याख्या – जिन गीतकारों के गीत मन को शान्ति प्रदान करते हैं, जिनके गीतों की तानें भ्रम को नष्ट कर देती हैं, जिनके स्वर मुरझाये मुखों पर जवानी की चमक उत्पन्न कर देते हैं और जिनके गीतों की टेक (स्थायी पंक्ति) मन में क्रान्ति-भावना को स्थायी बना देती है अथवा जिनके दृढ़ संकल्पों का आश्रय लेने से क्रान्तियाँ स्थायी हुआ करती हैं। जो मृत्यु का भी एक मधुर वरदान के समान स्वागत करते हैं, मृत्यु को सामने देख (UPBoardSolutions.com) जो भयभीत नहीं होते अपितु मनमोहिनी मुस्कराहट लिये चलने को प्रस्तुत रहते हैं, जो संसार में अन्याय का विस्तार होते नहीं देख सकते, जिनके प्राण सदैव बलिदान होने को उमगते रहते हैं।

काव्यगत सौन्दर्य

  • कवि ने महापुरुषों के अनेक गुणों का परिचय कराया है।
  • कवि ने समाज के पीड़ित व्यक्तियों की सेवा करने का सन्देश भी दिया है।
  • भाषा में व्यावहारिक तथा तत्सम शब्दावली का सामंजस्य हुआ है।
  • शैली भावात्मक तथा विवरणात्मक है।
  • अनुप्रास अलंकार है।

4. उन्हें जिन्हें …………………………………………………………………………………… चरणों में कोटि प्रणाम।
अथवा जो घावों …………………………………………………………………………………… देती विश्राम।

शब्दार्थ-मधुकरियाँ = रोटियाँ। शोध = खोज। बोध = ज्ञान क्रूर = निर्दय। अभीष्ट = इच्छित प्रतिशोध = बदला।

सन्दर्भ – प्रस्तुत अवतरण ‘हिन्दी काव्य’ में संकलित एवं पं० सोहनलाल द्विवेदी की रचना ‘उन्हें प्रणाम’ से उधृत है।

प्रसंग – कवि आदर्श नेताओं के लक्षण बताते हुए उनको सादर प्रणाम कर रहा है।

व्याख्या – कवि कहता है-जो दु:खियों के हृदयों को सांत्वना देकर उसी प्रकार सुखी बनाया करते हैं जिस प्रकार घाव पर मरहम लगाने से पीड़ित व्यक्ति को चैन मिला करता है, ऐसे संवेदनशील पुरुषों को कवि करोड़ों बार प्रणाम करती है। जिन जननायकों को संसार में अपने लिए कोई भी काम नहीं करना होता, जो सदा दूसरों ही के लिए काम किया करते हैं, जन-सेवा के लिए जिन्होंने आराम त्याग दिया है और अपना सब कुछ दान करके भिखारी जैसा जीवन अपना लिया है, जो दूसरों के लिए द्वार-द्वार भिक्षा माँगा करते हैं, वर्षा और (UPBoardSolutions.com) धूप की भी चिन्ता नहीं करते, केवल दो सूखी रोटियों पर ही जो सन्तोष कर लेते हैं, जो निरन्तर सत्य की खोज में लगे रहते हैं, जो अपने देश और अपनी महान् संस्कृति के गौरव को सदा ध्यान में रखते हैं, जो दुःखियों पर दया करते हैं और निर्दयी तथा कठोर हृदय के लोगों पर क्रोध प्रदर्शित किया करते हैं, जो अत्याचारों का बदला लेना उचित समझते हैं, ऐसे महापुरुषों को प्रणाम है, निरन्तर प्रणाम है। जो निर्धनों के लिए धन और निर्बलों के लिए बल बनकर निरन्तर सेवारत हैं, ऐसे सच्चे नेताओं के चरणों में मैं सैकड़ों बार प्रणाम करता हूँ।

काव्यगत सौन्दर्य

  • सच्चे जनसेवकों के लोकोत्तर गुणों का परिचय कराया गया है।
  • दीन-दु:खियों की सेवा तथा अन्याय के प्रतिकार हेतु प्रेरणा दी गयी है।
  • भाषा सरल, साहित्यिक खड़ीबोली है। शैली भावात्मक है।
  • अनुप्रास, पुनरुक्तिप्रकाश तथा मानवीकरण अलंकार है।।

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5. मातृभूमि का …………………………………………………………………………………… कोटि प्रणाम।
अथवा मातृभूमि का …………………………………………………………………………………… अपनी भूल।

शब्दार्थ-अनुराग = प्रेम। वैराग्य = संन्यास धूल छानना = बार-बार जाना। नसीब = उपलब्ध।

सन्दर्भ – प्रस्तुत पद्यांश हमारी पाठ्य-पुस्तक ‘हिन्दी काव्य’ के ‘उन्हें प्रणाम’ से लिया गया है। इसके रचयिता सोहनलाल द्विवेदी हैं।

प्रसंग – प्रस्तुत पद्यांश में पं० सोहनलाल द्विवेदी ने ऐसे देशभक्तों को प्रणाम निवेदित किया है जो निर्धनों में चेतना जागृत करते हैं।

व्याख्या – पं० सोहनलाल द्विवेदी कहते हैं कि ऐसे देशभक्तों को मेरा प्रणाम है जिनके हृदय में मातृभक्ति का ऐसा प्रेम जागृत हुआ किजिसके कारण युवावस्था में ही जिन्होंने संन्यास ले लिया। इन राष्ट्रभक्तों ने अज्ञान में पड़ी हुई जनता को उसकी भूल का अनुभव कराने के लिए प्रत्येक नगर और गाँव की धूल छान मारी अर्थात् अनेक बार प्रत्येक नगर और गाँव में चेतना जागृत करने के लिए घूमे। | ऐसे व्यक्तियों जिनको सामान्य भोजन रोटी और नमक तक उपलब्ध नहीं होता तथा युगीन समाज ने शोषण करके जिनको सदैव निर्धन बनाये (UPBoardSolutions.com) रखा है, ऐसे लोगों को जगाने के लिए अपने ध्येय की मूर्खता तक पहुँचे हुए लोगों एवं विद्वानों को जो इन्हें जगाने के लिए दिन-रात एवं प्रात: ही फेरी लगाते हैं-उन्हें प्रणाम है। जो देश के सोए हुए गौरव को निरन्तर जगा रहे हैं ऐसे स्वदेश के स्वाभिमानी महापुरुषों को मेरा करोड़ों बार प्रणाम है।

काव्यगत सौन्दर्य

  • कवि ने देशभक्तों एवं क्रान्तिकारियों के प्रति भावात्मक श्रद्धा-सुमन अर्पित किये हैं।
  • देशभक्ति जैसे कठिन-पथ पर चलकर अनेक कष्टों का भी सामना करना पड़ता है-सब कुछ त्यागकर वैरागी-सा बनना पड़ता है-इस तथ्य को सुन्दर उद्घाटन किया गया है।
  • भाषा-साहित्यिक खड़ीबोली
  • ‘धूल छानना’, ‘रोटी नसीब न होना’, ‘वैराग ले लेना’, ‘फेरी देना’ आदि मुहावरों का सार्थक प्रयोग हुआ है।
  • रस-अन्तिम पंक्तियों में वीर तथा शेष में शान्त रस है।
  • गुण–प्रसाद
  • अलंकार-नगर-नगर’ तथा ‘ग्राम-ग्राम’ में पुनरुक्तिप्रकाश शेष में अनुप्रास दर्शनीय है।
  • शब्द-शक्ति-लक्षणा एवं व्यंजना।

6. जंजीरों में कसे …………………………………………………………………………………… कोटि प्रणाम।

शब्दार्थ-सिकचों = सींकचे कठिन = कठोर धुन का पक्का होना = लक्ष्य प्राप्ति के प्रति लगनशील होना। साम्राज्यवाद = दूसरे देशों पर अधिकार प्राप्त कर राज्य विस्तार की प्रवृत्ति दृढ़ = मजबूत वार = न्योछावर करके। सरनाम = प्रसिद्ध कर्मठ = कर्मशील ध्रुव = अटल। धीर = धैर्यशाली।।

सन्दर्भ – प्रस्तुत पद्यांश हमारी पाठ्य-पुस्तक ‘हिन्दी काव्य’ में संकलित एवं सोहनलाल द्विवेदी द्वारा रचित ‘उन्हें प्रणाम’ से अवतरित है।

प्रसंग – प्रस्तुत पद्यांश में पं० सोहनलाल द्विवेदी ने जेल की यातनाएँ सहकर भी अपने लक्ष्य से न भटकने वाले धीर-वीरों को श्रद्धा अर्पित की है।

व्याख्या – प्रस्तुत पद्यांश में पं० सोहनलाल द्विवेदी ने उन स्वतन्त्रता सेनानियों को प्रणाम निवेदित किया है जो अनेक कष्ट आने पर भी अपनी टेक नहीं छोड़ते थे, जो अपने विचार के पक्के थे। कवि कहता है कि स्वतन्त्रता के दीवाने जंजीरों में कसे हुए और जेल के सींखचों के भीतर अर्थात् जेल में पड़े (UPBoardSolutions.com) हुए भी भारतमाता– अपनी जन्मभूमि की जय-जयकार करते रहते थे। उनके हाथ-पैरों में कठोर हथकड़ियाँ पहनायी जाती थीं, उन्हें बेंतों से मारा जाता था। इन सबको सहते हुए उन्होंने कभी भी आजादी के संकल्प और नारे को नहीं त्यागा। ऐसे उन वीरों को मेरा कोटि-कोटि प्रणाम है।

इन लोगों को स्वार्थ, लोभ एवं यश की चाह कभी भी जीत नहीं सकी। वे इनसे कभी विचलित नहीं हुए। अपने मन के अनुसार कार्य करनेवाले ये लोग धुन के पक्के थे अर्थात् जो बात मन में ठान लेते थे वही करते थे। उनकी अपनी एक ही धुन थी कि हमारा देश स्वतन्त्र हो

अंग्रेजी साम्राज्यवाद की दीवार को ढहाने के लिए अर्थात् अंग्रेजी साम्राज्य को उखाड़ फेंकने के लिए ये लोग प्राणों को न्योछावर करके बलिदानी बने। इनका एक ही संकल्प था कि इन दीवारों को तोड़कर फेंक दिया जाये। निरन्तर सीखचों में बन्द रहनेवाले इन वीरों का यश आज भी फैला हुआ है। ऐसे धीर, वीर उन महापुरुषों को मैं करोड़ों बार प्रणाम करता हूँ। ऐसे ही कर्मशील, दृढ़ निश्चयी एवं धैर्यशाली वीरों को हर समय मेरा करोड़ों बार प्रणाम स्वीकार हो।

काव्यगत सौन्दर्य

  • उन स्वतन्त्रता सेनानियों को समादर दिया गया है जो देश के लिए मर-मिट गये।
  • भाषा- मुहावरेदार एवं प्रवाहपूर्ण साहित्यिक खड़ीबोली।
  • शैली-ओजपूर्ण, संस्मरणपरक
  • रस- वीर।
  • गुण-ओज
  • अलंकार-अनुप्रास और रूपक।
  • शब्द-शक्ति-लक्षणी।
  • भावसाम्य-एक कवि ने लिखा है जो चढ़ गये पुण्य-वेदी पर, लिए बिना गर्दन का मोल। कलम आज उनकी जय बोल॥’

7. जो फाँसी के …………………………………………………………………………………… सुख शान्ति प्रकाम।
अथवा उस आगत …………………………………………………………………………………… शांति प्रकाम।

शब्दार्थ-मासूम = भोले-भाले बच्चे। आगत आनेवाला । अनागत = न आनेवाला। दिव्य = दैवीय। हविष्य = आहुति । ललाम = सुन्दर । मंगलमय = कल्याणकारी । सर्वोदय सबका उदय, सबकी उन्नति।।

सन्दर्भ – प्रस्तुत पद्यांश हमारी पाठ्य-पुस्तक ‘हिन्दी काव्य’ में संकलित एवं सोहनलाल द्विवेदी द्वारा रचित ‘उन्हें प्रणाम’ से अवतरित है।

प्रसंग – पं० सोहनलाल द्विवेदी ने उन वीरों को प्रणाम निवेदित किया है जिनके कारण मंगलमय दिन आते हैं और पीड़ित मानवता की उन्नति होती है।

व्याख्या – पं० सोहनलाल द्विवेदी कहते हैं कि वे स्वतन्त्रता सेनानी जो देश की आजादी के लिए फाँसी के फंदे पर झूल गये, जिन्होंने हँसते-हँसते इस शूली को चूमा-ऐसे उन वीरों को मेरा प्रणाम है। गुरुगोविन्द सिंह के वे दोनों मासूम वीर बालक जिन्हें औरंगजेब ने दीवार में चिनवा दिया, फिर भी अपनी प्रतिज्ञा पर दृढ़ रहे और विष का धुआँ चुपचाप पी गये अर्थात् मृत्यु को गले लगा लिया-उन दोनों वीर बालकों को भी मेरा प्रणाम है। उन स्वतन्त्रता सेनानियों के कारण ही यह सुखद वर्तमान है तथा अलौकिक एवं सुखद भविष्य भी आयेगा। इन वीरों के बलिदान की पवित्र ज्वाला में सारे पाप जल जायेंगे। सभी लोग स्वतन्त्र होंगे, सभी सुखी होंगे और इस पृथ्वी पर (UPBoardSolutions.com) सुख और चैन होगा। नये युग के प्रात:काल की सुन्दर किरण भी इन्हीं के कारण होगी। चारों ओर जो प्रगति और सुख का प्रकाश होगा, वह इन्हीं वीर सेनानियों के बलिदानों के कारण ही होगा। सभी मंगल और सुख को लानेवाले उस दिन को मेरा कोटि-कोटि प्रणाम है जो इन वीरों के बलिदान का परिणाम होगा। सभी की उन्नति, सुख और अत्यधिक शान्ति भारत में विहंस रही होगी। यह सब इन वीरों के कारण ही होगी। अत: इस मंगलमय दिन और इन वीरों को मेरा कोटि-कोटि प्रणाम स्वीकार हो।

काव्यगत सौन्दर्य

  • प्रस्तुत पद्यांश में कवि ने देश में सुख-चैन लानेवाले वीर बलिदानी सेनानियों को श्रद्धा के साथ स्मरण किया है।
  • दीवारों में चुनवा दिये गये गुरुगोविन्द सिंह के मासूम बालकों की ओर संकेत है जिन्होंने देश हित में चुपचाप मर जाना स्वीकार किया।
  • भाषा – सरल साहित्यिक खड़ीबोली।
  • शैली – ओजपूर्ण।
  • रस – वीर एवं शान्त
  • गुण – ओज एवं प्रसाद
  • अलंकार – यमक, रूपक, पुनरुक्ति प्रकाश, अनुप्रास एवं मानवीकरण।
  • शब्दशक्ति – लक्षणा एवं व्यंजना।

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प्रश्न 2.
सोहनलाल द्विवेदी की जीवनी एवं रचनाओं पर प्रकाश डालिए।
अथवा सोहनलाल द्विवेदी की साहित्यिक विशेषताओं एवं भाषा-शैली का उल्लेख कीजिए।
अथवा सोहनलाल द्विवेदी की रचनाओं एवं भाषा-शैली का उल्लेख कीजिए।

(सोहनलाल द्विवेदी)
(स्मरणीय तथ्य)

जन्म – सन् 1906 ई०, बिन्दकी, जिला फतेहपुर, (उ० प्र०)।
मृत्यु – सन् 1988 ई०
पिता का नाम – बिन्दाप्रसाद द्विवेदी
रचनाएँ – ‘भैरवी’, ‘वासवदत्ता’, ‘कुणाल’, ‘विषपान’, ‘पूजा’, ‘वासन्ती’।
काव्यगत विशेषताएँ
वर्य-विषय – राष्ट्रीय-साहित्य, बाल-साहित्य, सांस्कृतिक-साहित्य और सम्पादित-साहित्य रचना, प्रकृति-चित्रण।
भाषा- 1. संस्कृत के तत्सम शब्दों से युक्त। 2. व्यावहारिक तथा मुहावरा युक्त भाषा।
शैली- 1. इतिवृत्तात्मक प्रभावपूर्ण शैली। 2. ओजपूर्ण शैली। 3. मनोरंजनात्मक शैली। 4. गीतात्मक शैली।
अलंकार – उपमा, रूपक, उत्प्रेक्षा, मानवीकरण, अनुप्रास तथा वीप्सा अलंकार आदि।
छन्द – गीतात्मक छन्द।

जीवन-परिचय – सोहनलाल द्विवेदी का जन्म सन् 1906 ई० में फतेहपुर जिले के बिन्दकी नामक कस्बे में एक सम्पन्न परिवार में हुआ था। इनके पिता का नाम पं० बिन्दाप्रसाद द्विवेदी था। इन्होंने हाईस्कूल तक शिक्षा फतेहपुर में और उच्च शिक्षा काशी हिन्दू विश्वविद्यालय में प्राप्त की। (UPBoardSolutions.com) एम० ए०, एल-एल० बी० पास करके कुछ दिनों तक आपने वकालत भी की थी, किन्तु महामना मालवीय जी के सम्पर्क में रहने के कारण महात्मा गाँधी से प्रभावित होकर ये स्वाधीनता आन्दोलन में सक्रिय रूप से सम्मिलित हो गये।

इन्हें प्रारम्भ से ही कविता करने में रुचि थी किन्तु काव्य-रचना के साथ-साथ ये राजनीति में भी भाग लेते रहे हैं। आपका शरीरान्त 1988 ई० में हो गया।

रचनाएँ – भैरवी, पूजा-गीत, प्रभाती, चेतना और वासन्ती (काव्य-संग्रह), बाल साहित्य-दूध-बताशा, शिशुभारती, बालभारती, आख्यान काव्य-कुणाल, वासवदत्ता, विषपान

काव्यगत विशेषताएँ
(क) भाव-पक्ष-द्विवेदी जी गाँधीवादी विचारधारा के कवि हैं। उनकी कविताओं का मुख्य विषय राष्ट्रीय जागरण एवं उद्बोधन है। इनकी रचनाओं को मुख्य रूप से दो भागों में विभाजित किया जा सकता है

राष्ट्रीय-साहित्य – द्विवेदी जी की राष्ट्रीय कविताओं में खादी प्रचार, ग्राम-सुधार, देश-भक्ति, सत्य, अहिंसा और प्रेम का सन्देश मुखरित हुआ है। ये गांधी जी को इन सबका सृजनकर्ता मानकर उन्हें युगावतार के रूप में देखते हैं। गाँधी जी के विषय में ये कहते हैं

“चल पड़े जिधर दो डग मग में, चल पड़े कोटि पग उसी ओर।
पड़ गयी जिधर भी एक दृष्टि, गड़ गये कोटि दूग उसी ओर।’

बाल-साहित्य – दूसरे भाग में द्विवेदी जी का बाल-साहित्य आता है। इसमें इन्होंने देश के होनहार बालकों को भावी राष्ट्र मानकर उनके लिए प्रेरणाप्रद स्वस्थ साहित्य का सृजन किया है। इनकी बालोपयोगी रचनाएँ अत्यन्त लोकप्रिय, सरस और मधुर हैं। बालकों को ये प्रकृति का सन्देश सुनाते हैं

‘पर्वत कहता शीश उठाकर, तुम भी ऊँचे बन जाओ।
सागर कहता है लहराकर, मन में गहराई लाओ।”

इनके अतिरिक्त द्विवेदी जी ने अपने आख्यान काव्यों में भारतीय संस्कृति के वर्णन के साथ मानव हृदय के अन्तर्द्वन्द्वों का भी सफल चित्रण किया है।

(ख) कला-पक्ष-भाषा : द्विवेदी जी की भाषा सरस, बोधगम्य, सीधी-सादी और स्वाभाविक खड़ीबोली है। इन्होंने अपनी उत्कृष्ट और गम्भीर रचनाओं में संस्कृत के तत्सम शब्दों का (UPBoardSolutions.com) अधिक प्रयोग किया है तथा बालोपयोगी साहित्य में सरल व्यावहारिक मुहावरेदार भाषा का प्रयोग है। इसमें आवश्यकतानुसार उर्दू के प्रचलित शब्दों का भी प्रयोग हुआ है।

शैली – द्विवेदी जी के काव्यों में विविध शैलियों का दर्शन होता है। इनमें इतिवृत्तात्मक, ओजपूर्ण, गीतात्मक एवं मनोरंजनात्मक शैली मुख्य हैं। इनकी शैली में सर्वत्र पूर्ण प्रवाह और रोचकता है।

रस – द्विवेदी जी की रचनाओं में विशेषत: वीर तथा हास्य रस की अनुभूति होती है। कहीं-कहीं श्रृंगारात्मक भावनाएँ भी हैं।

छन्द – द्विवेदी जी ने युगानुरूप गीतात्मक एवं गेय छन्दों का प्रयोग किया है।

अलंकार – द्विवेदी जी की कविता में व्यर्थ का अलंकार प्रदर्शन नहीं है, बल्कि उसमें उपमा, रूपक, उत्प्रेक्षा, अनुप्रास आदि अत्यन्त प्रचलित अलंकार का स्वाभाविक प्रयोग हुआ है।

साहित्य में स्थान – आधुनिक काल में राष्ट्रीयता से पूर्ण, गाँधीवादी कवियों और बाल साहित्यकारों में द्विवेदी जी का प्रमुख स्थान है।

प्रश्न 3.
उन्हें प्रणाम’ कविता का सारांश लिखिए।
उत्तर :
सोहनलाल द्विवेदी ने इस कविता में संयमी, वीर, प्रणवीर, बलिदान करनेवाले दृढ़-निश्चयी, दीनरक्षक, स्वतन्त्रता की पुकार लगाने वाले, निर्भय, राष्ट्रनिर्माता, गाँधीजी का जयगान किया है। इन जैसे वीर दीन और दु:खियों की सहायता करने में लज्जित नहीं होते। वे किसी वेष तथा देश में रहे, हमेशा (UPBoardSolutions.com) अपने कर्तव्य-पालन में लगे रहते हैं। उनका उद्देश्य मानवता की स्थापना है। वे शोषण और साम्राज्यवाद से लोहा लेते हैं। वे ज़नता की सेवा करने और उनमें चेतना लाने के लिए घूमते रहते हैं। कवि बारबार ऐसे ही वीरों को प्रणाम करता है।

(लघुत्तरीय प्रश्न )

प्रश्न 1.
उन्हें प्रणाम’ कविता के आधार पर बताइए कि कवि ने किन-किन को प्रणाम करने की बात कही है?
उत्तर :
द्विवेदी जी की उन्हें प्रणाम’ कविता कर्मनिष्ठों, पीड़ितोद्धारकों, बलिदानी देशभक्तों और स्वतंत्रता के दीवानों के लिए एक शब्द-श्रद्धांजलि है। कवि ने आशा व्यक्त क़ी है कि देशवासियों के बलिदान व्यर्थ नहीं जायेंगे और देश में स्वतन्त्रता की ज्वाला जगेगी, जिसमें सारे पाप-ताप भस्म हो जायेंगे। एक स्वतन्त्र, सुखी और सर्वोदय से सुशोभित भारत का उदय होगा। उस मंगलमय दिन को भी कवि अपना नमन अर्पित कर रहा है।

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प्रश्न 2.
क्रान्ति के आश्रयदाताओं के कौन-कौन से लक्षण बताये गये हैं?
उत्तर :
क्रान्ति के आश्रयदाताओं के निम्न लक्षण बताये गये हैं

  • उनकी आत्मा सदा सत्य का शोध करती है।
  • उन्हें अपनी गौरव’गरिम्ना का बोध रहता है।
  • उन्हें दुःखियों पर दया आती है।
  • उन्हें क्रूर पर क्रोध आता है।
  • वे अत्याचारों का प्रतिशोध करना चाहते हैं।

प्रश्न 3.
उन्हें प्रणाम’ कविता का मूल भाव स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
‘उन्हें प्रणाम’ कविता के माध्यम से कवि उन महापुरुषों को नमन कर रहा है जो शोषितों और दलितों के बीच रहकर उनके उत्थान के लिए कार्य करते हैं, जिनकी जीवन-शैली और बलिदानों का स्मरण करके मृत्यु का भय समाप्त हो जाता है, जो पीड़ित मानवता को सुखी बनाने हेतु तत्पर रहते हैं, जिन्होंने राजा से भिखारी बनकर देश और जाति की सेवा स्वीकार की है, जो सभी को गौरवमय, स्वाभिमानी और (UPBoardSolutions.com) अन्याय-विरोधी जीवन अपनाने की प्रेरणा देते हैं, जिन्होंने देशहित में अपनी जवानी समर्पित कर दी, जो देश के लिए जेल के सीखचों में बन्दी बने रहे, जिनका जीवन लोभ, लाभ और स्वार्थ से दूर रहा और जो देश के लिए हँसते-हँसते फाँसी पर चढ़ गये।

प्रश्न 4.
कवि ने स्वदेश का स्वाभिमान किसे कहा है?
उत्तर :
राष्ट्र के प्रति समर्पित लोगों को कवि ने स्वदेश को स्वाभिमान कहा है।

प्रश्न 5.
कवि किस मंगलमय दिन को अपनी प्रणाम अर्पित करता है?
उत्तर :
कवि उस मंगलमय दिन को अपना प्रणाम अर्पित करता है, जिस दिन सब स्वतंत्र हों, सब सुखी हों और सबको समृद्धि प्राप्त हो।

प्रश्न 6.
देशभक्तों द्वारा नगर-नगर और ग्राम-ग्राम की धूल छानने के पीछे उनका क्या उद्देश्य रहता है?
उत्तर :
वे सोयी जनता में चेतना उत्पन्न करना चाहते हैं। वे नहीं चाहते कि देश के अन्दर कोई प्राणी बच जाय जिसमें अपनी मातृभूमि के प्रति प्रेम जागृत न हो।

अतिलघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
सोहनलाल द्विवेदी की दो रचनाओं के नाम लिखिए।
उत्तर :
भैरवी तथा पूजा-गीत।

प्रश्न 2.
द्विवेदी जी ने किन-किन पत्रिकाओं का सम्पादन किया?
उत्तर :
अधिकार और बालसखा।

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प्रश्न 3.
किसी एक गांधीवादी कवि का नाम बताइए।
उत्तर :
सोहनलाल द्विवेदी।

प्रश्न 4.
कवि की दृष्टि में वन्दनीय पुरुष कौन है?
उत्तर :
कवि की दृष्टि में वे महापुरुष वन्दनीय हैं जो अपने देश के गरीब, पीड़ित लोगों की सेवा करने और उन्हें उन्नत करने में सदैव तत्पर रहते हैं।

प्रश्न 5.
राष्ट्र निर्माता को कवि ने क्या कहा है? ।
उत्तर :
राष्ट्र निर्माता को कवि ने प्रणाम कहा है तथा उन्हें मृतहत जीवन जन्म विधाता कहा है।

प्रश्न 6.
निम्नलिखित में से सही उत्तर के सम्मुख सही (✓) का चिह्न लगाइए
(अ) कवि कर्मठ वीरों को प्रणाम करता है।
(ब) द्विवेदी जी की भाषा खड़ीबोली है।
(स) कवि परतन्त्रता के दिन को प्रणाम करता है।

काव्य-सौन्दर्य एवं व्याकरण-बोध
1. निम्नलिखित पंक्तियों का काव्य-सौन्दर्य स्पष्ट कीजिए
(अ) नगर-नगर की ग्राम-ग्राम की छानी धूल।
(ब) ढाने को साम्राज्यवाद की दृढ़ दीवार।
(स) नवयुग के उस नवप्रभात की दृढ़ दीवार।
उत्तर :
(अ) काव्य-सौन्दर्य-

  • नगर-नगर और ग्राम-ग्राम में अनेक कष्ट सहन करते हुए भी जनता को उसकी गुलामी को स्वीकार करने की भूल बतलाने के लिए घूमते रहे।
  • अलंकार- अत्यानुप्रास।
  • छन्द-गीत।
  • भाषा-शुद्ध तथा खड़ीबोली।

(ब) काव्य-सौन्दर्य –

  • देश के अमर सपूतों ने साम्राज्यवादी मजबूत दीवार ढहा दी।
  • भाषा-ओजस्वपूर्ण
  • रस-शान्त।
  • शैली-गीतात्मक।

(स) काव्य-सौन्दर्य-

  • कवि ने क्रान्तिकारियों का स्मरण किया है।
  • भाषा-परिमार्जित खड़ीबोली।
  • अलंकार-रूपक, यमक तथा मानवीकरण।
  • रस-शान्त
  • गुण-प्रसाद।
  • शैली-गीतात्मक।
  • छन्द-गीत।।

2.
निम्नलिखित शब्दों का सन्धि-विच्छेद करते हुए सन्धि का नाम बताइएस्वाभिमान, सर्वोदय।
उत्तर :
स्वाभिमान = स्व + अभिमान = दीर्घ सन्धि सर्वोदय = सर्व + उदय = गुण सन्धि

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3.
निम्नलिखित शब्द-युग्मों से विशेषण-विशेष्य अलग कीजिएनव-युग, मरण-मधुर, मादक-मुस्कान, दृढ़-दीवार, बंद-सीखचे।
उत्तर :
विशेषण                    विशेष्य
मादक              –          मुस्कान
बंद                   –          सीखचे
मधुर                 –          मरण
दृढ़                   –           दीवार

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UP Board Solutions for Class 10 Hindi गद्य की विभिन्न विधाओं पर आधारित

UP Board Solutions for Class 10 Hindi गद्य की विभिन्न विधाओं पर आधारित

These Solutions are part of UP Board Solutions for Class 10 Hindi. Here we have given UP Board Solutions for Class 10 Hindi गद्य की विभिन्न विधाओं पर आधारित.

गद्य की विभिन्न विधाओं पर आधारित

निबन्ध

प्रश्न 1
निबन्ध किसे कहते हैं ?
उत्तर
निबन्ध उस गद्य-विधा को कहते हैं, जिसमें किसी विषय पर सभी दृष्टियों से प्रस्तुत किये गये विचारों का मौलिक और स्वतन्त्र रूप में विवेचन; विचारपूर्ण, विवरणात्मक और विस्तृत रूप में किया गया हो। इसमें लेखक स्वतन्त्रतापूर्वक अपने विचारों तथा भावों को प्रकट करता है।

प्रश्न 2
हिन्दी निबन्ध-लेखन की विभिन्न शैलियों का उल्लेख कीजिए।
या
विषय एवं शैली के अनुसार निबन्ध के दो भेदों का नामोल्लेख कीजिए।
उत्तर
हिन्दी निबन्ध-लेखन में वर्णनात्मक, (UPBoardSolutions.com) विवरणात्मक, विचारात्मक तथा भावात्मक शैलियों को अपनाया गया है।

प्रश्न 3
विचारात्मक निबन्ध और वर्णनात्मक निबन्ध में अन्तर बताइए।
उत्तर
विचारात्मक निबन्ध में तर्कपूर्ण विवेचन, विश्लेषण एवं खोजपूर्ण अध्ययन की प्रधानता होती है, किन्तु वर्णनात्मक निबन्ध का लेखक किसी वस्तु, घटना या दृश्य का वर्णन निरीक्षण के आधार पर करता है।

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प्रश्न 4
‘वर्णनात्मक’ एवं ‘विवरणात्मक निबन्ध का अन्तर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर
वर्णनात्मक निबन्धों में किसी भी वर्णनीय वस्तु, स्थान, व्यक्ति, दृश्य आदि का निरीक्षण के आधार पर आकर्षक, सरस तथा रमणीय रूप में वर्णन होता है; जब कि विवरणात्मक निबन्धों में प्रायः ऐतिहासिक तथा सामाजिक घटनाओं, स्थानों, दृश्यों, पात्रों तथा जीवन के अन्य विविध क्रियाकलापों का विवरण दिया जाता है।

प्रश्न 5
हिन्दी के प्रमुख ललित निबन्धकारों के नाम बताइए।
उत्तर
हिन्दी के प्रमुख ललित निबन्धकार निम्नवत् हैं

  1. आचार्य हजारीप्रसाद द्विवेदी,
  2. शिवप्रसाद सिंह,
  3. रामवृक्ष बेनीपुरी,
  4. कुबेरनाथ राय,
  5. विद्यानिवास मिश्र,
  6. वासुदेवशरण अग्रवाल,
  7. जगदीशचन्द्र माथुर,
  8. धर्मवीर भारती एवं
  9. पदुमलाल पुन्नालाल बख्शी।।

प्रश्न 6
विचारात्मक और भावात्मक निबन्ध में क्या अन्तर है ?
उत्तर
विचारात्मक निबन्ध में बुद्धि-तत्त्व की तथा भावात्मक निबन्ध में हृदय-तत्त्व की प्रधानता होती है।

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प्रश्न 7
भावात्मक निबन्धों की किन्हीं दो विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
उत्तर
भावात्मक निबन्धों की दो विशेषताएँ हैं—

  1. भावात्मक तन्त्र की प्रधानता और
  2. सरल एवं सरस भाषा का प्रयोग।

प्रश्न 8
एक-एक विचारात्मक तथा भावात्मक निबन्ध-लेखकों का नाम लिखिए।
उत्तर

  1. रामचन्द्र शुक्ल-विचारात्मक निबन्ध-लेखक।
  2. वियोगी हरि-भावात्मक (UPBoardSolutions.com) निबन्ध-लेखक।

प्रश्न 9
हिन्दी के दो प्रसिद्ध निबन्धकारों का उल्लेख कीजिए। [2009]
या
किसी एक निबन्धकार का नाम लिखिए। [2017]
या
निबन्ध के विकास में सहायक किन्हीं दो निबन्धकारों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर
निबन्ध के विकास में सहायक दो प्रसिद्ध निबन्धकार हैं–

  1. आचार्य महावीरप्रसाद द्विवेदी तथा
  2. आचार्य रामचन्द्र शुक्ल।।

प्रश्न 10
कुछ प्रगतिवादी निबन्धकारों के नाम लिखिए।
उत्तर
डॉ० धर्मवीर भारती, डॉ० रांगेय राघव, डॉ० रामविलास शर्मा, डॉ० नामवर सिंह, डॉ० शिवप्रसाद सिंह, राजेन्द्र यादव आदि प्रगतिवादी निबन्धकारों के नाम हैं।

प्रश्न 11
हिन्दी-साहित्य के दो विचारात्मक निबन्धकारों के नाम लिखिए।
उत्तर

  1. बाबू श्यामसुन्दर दास तथा
  2. आचार्य रामचन्द्र शुक्ल हिन्दी-साहित्य के दो विचारात्मक निबन्धकार हैं।

प्रश्न 12
भारतेन्दु युग के किन्हीं दो प्रमुख निबन्धकारों के नाम लिखिए।
उत्तर
भारतेन्दु युग के दो प्रमुख निबन्धकारों के नाम हैं—

  1. बालकृष्ण भट्ट और
  2. प्रतापनारायण मिश्र।

प्रश्न 13
शुक्लोत्तर युग के किन्हीं दो निबन्धकारों का नामोल्लेख कीजिए।
उत्तर
शुक्लोत्तर युग के दो प्रमुख निबन्धकारों के नाम हैं—

  1. आचार्य हजारीप्रसाद द्विवेदी तथा
  2. श्री विद्यानिवास मिश्र।

प्रश्न 14
शुक्ल युग के किन्हीं दो निबन्धकारों का नामोल्लेख कीजिए। [2009]
उत्तर
शुक्ल युग के दो प्रमुख निबन्धकारों के नाम हैं—

  1. आचार्य रामचन्द्र शुक्ल तथा
  2. बाबू गुलाबराय।

प्रश्न 15
‘नर से नारायण’ और ‘अजन्ता’ निबन्धों के लेखकों का नामोल्लेख कीजिए।
उत्तर
‘नर से नारायण’ के लेखक गुलाबराय तथा ‘अजन्ता’ के लेखक डॉ० भगवतशरण उपाध्याय हैं।

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प्रश्न 16
‘पानी में चन्दा और चाँद पर आदमी’ निबन्ध की भाषा-शैली की दो विशेषताएँ संक्षेप में लिखिए।
उत्तर

  1. इस निबन्ध की भाषा सरल, प्रवाहपूर्ण और बोधगम्य है।
  2. वर्णनात्मक शैली में लिखा गया यह एक श्रेष्ठ निबन्ध है। इस निबन्ध में कहीं-कहीं चित्रात्मक शैली भी दृष्टिगत होती है।

प्रश्न 17
‘भारतीय संस्कृति’ नामक निबन्ध कहाँ से उद्धृत है ? इसकी मूल भावना को एक वाक्य में व्यक्त कीजिए।
उत्तर
यह निबन्ध डॉ० राजेन्द्रप्रसाद के भाषण का एक अंश है। इसमें भारतीय संस्कृति की विविधता में एकता की भावना को व्यक्त किया गया है।

प्रश्न 18
‘ईष्र्या, तू न गयी मेरे मन से’ निबन्ध रामधारी सिंह ‘दिनकर’ की किस रचना से संकलित है ?
उत्तर
‘ईष्र्या, तू न गयी मेरे मन से’ निबन्ध रामधारी सिंह ‘दिनकर’ जी की रचना अर्द्धनारीश्वर से संकलित है।

प्रश्न 19
भारतीय संस्कृति एवं साहित्य पर लेखन करने वाले एक गद्यकार का नाम बताइट।
उत्तर
भारतीय संस्कृति एवं साहित्य पर लेखन करने (UPBoardSolutions.com) वाले गद्यकार हैं–डॉ० भगवतशरण उपाध्याय।

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प्रश्न 20
‘अजन्ता’ कैसा लेख है और इसकी शैली कैसी है ?
उत्तर
‘अजन्ता’ पुरातत्त्व सम्बन्धी लेख है। इसकी शैली वर्णनात्मक व मनोरम है।

नाटक

प्रश्न 1
नाटक किसे कहते हैं ?
उत्तर
नाटक साहित्य की एक से अधिक अंकों वाली वह दृश्यात्मक गद्य-विधा है, जो रंगमंच पर अभिनय द्वारा प्रस्तुत करने की दृष्टि से लिखी जाती है तथा पात्रों एवं उनके संवादों पर आधारित होती है।

प्रश्न 2
भारतीय आचार्यों द्वारा बताये गये नाटक के तत्त्व लिखिए।
उत्तर
भारतीय आचार्यों ने नाटक के पाँच तत्त्व बताये हैं—

  1. कथावस्तु,
  2. नायक,
  3. रस,
  4. अभिनय एवं
  5. वृत्ति।।

प्रश्न 3
पाश्चात्य विद्वानों की दृष्टि से नाटक के तत्त्व बताइए।
उत्तर
पाश्चात्य विद्वानों ने नाटक के छ: तत्त्व स्वीकार किये हैं–

  1. कथावस्तु,
  2. पात्र,
  3. संवाद अथवा कथोपकथन,
  4. देश-काल,
  5. भाषा-शैली एवं
  6. उद्देश्य।

प्रश्न 4
भारतेन्दु हरिश्चन्द्र के चार नाटकों के नाम लिखिए।
उत्तर

  1. भारत दुर्दशा,
  2. सत्य हरिश्चन्द्र,
  3. अंधेर नगरी एवं
  4. वैदिकी हिंसा हिंसा न भवति।

प्रश्न 5
भारतेन्दु के पश्चात् नाटक के क्षेत्र में सर्वाधिक योगदान किसका रहा ?
उत्तर
भारतेन्दु के पश्चात् नाटक के क्षेत्र में (UPBoardSolutions.com) सर्वाधिक योगदान जयशंकर प्रसाद का रहा।

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प्रश्न 6
भारतेन्दु के बाद के प्रमुख ऐतिहासिक नाटककार का नाम लिखिए।
या
किसी एक नाटककार का नाम लिखिए। [2016, 18]
उत्तर
भारतेन्दु हरिश्चन्द्र के बाद के प्रमुख ऐतिहासिक नाटककार हैं-श्री जयशंकर प्रसाद।

प्रश्न 7
हिन्दी के प्रमुख नाटककारों के नाम लिखिए।
या
उदयशंकर भट्ट किस गद्य-विधा के प्रमुख लेखक हैं ? [2012]
उत्तर

  1. भारतेन्दु हरिश्चन्द्र,
  2. जयशंकर प्रसाद,
  3. वृन्दावनलाल वर्मा,
  4. लक्ष्मीनारायण मिश्र,
  5. सेठ गोविन्ददास,
  6. विष्णु प्रभाकर,
  7. हरिकृष्ण प्रेमी,
  8. उदयशंकर भट्ट,
  9. उपेन्द्रनाथ अश्क आदि हिन्दी के प्रमुख नाटककार हैं।

प्रश्न 8
शुक्ल युग के दो नाटककारों के नाम लिखिए।
या
प्रसाद युग के किसी एक नाटककार का नाम लिखिए। [2012]
उत्तर

  1. जयशंकर प्रसाद और
  2. हरिकृष्ण ‘प्रेमी’ शुक्ल युग के दो नाटककार हैं।

प्रश्न 9
प्रसादोत्तर काल के चार नाटककारों तथा उनके एक-एक नाटक का नाम लिखिए।
या
शुक्लोत्तर युग (प्रसाद के परवर्ती) के दो प्रमुख नाटककारों के नाम लिखिए। [2011, 14]
उत्तर

  1. लक्ष्मीनारायण मिश्र–सिन्दूर की होली,
  2. विष्णु प्रभाकर टूटते परिवेश,
  3. धर्मवीर भारती–अन्धा युग तथा
  4. मोहन राकेश-लहरों के राजहंस।

प्रश्न 10
शुक्ल युग के उस सुप्रसिद्ध नाटककार का नाम लिखिए, जो अपने युग के सुप्रतिष्ठित कहानीकार होने के साथ-साथ श्रेष्ठ कवि भी हैं।
उत्तर
जयशंकर प्रसाद शुक्ल युग के सुप्रसिद्ध (UPBoardSolutions.com) नाटककार हैं, जो सुप्रतिष्ठित कहानीकार और श्रेष्ठ कवि भी हैं।

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प्रश्न 11
हिन्दी नाटक के विकास में किस नाटककार का सबसे अधिक महत्त्वपूर्ण योगदान रहा है ? उसके द्वारा लिखित दो नाटकों के नाम लिखिए।
उत्तर
हिन्दी नाटक के विकास में श्री जयशंकर प्रसाद का सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण योगदान रहा है। उनके द्वारा लिखित दो नाटक हैं-‘अजातशत्रु’ और ‘ध्रुवस्वामिनी’।

प्रश्न 12
भारतेन्दु हरिश्चन्द्र के नाटक किन विषयों पर आधारित हैं ?
उत्तर
भारतेन्दु हरिश्चन्द्र के नाटक राष्ट्र-प्रेम, धर्म, राजनीति, समाज-सुधार, प्रेम आदि विषयों पर आधारित हैं। इनके नाटकों में प्रेम-तत्त्व की प्रमुखता है।

प्रश्न 13
जयशंकर प्रसाद के नाटकों के क्या विषय हैं ?
उत्तर
प्राचीन भारतीय इतिहास और संस्कृति का समन्वय, देशप्रेम, आधुनिक युग की समस्याएँ, मानव-मन का अन्तर्द्वन्द्व आदि जयशंकर प्रसाद के नाटकों के प्रमुख विषय हैं।

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प्रश्न 14
छायावादी युग के दो नाटककारों के नाम लिखिए।
उत्तर

  1. जयशंकर प्रसाद तथा
  2. डॉ० रामकुमार वर्मा।

प्रश्न 15
जयशंकर प्रसाद के दो ऐतिहासिक नाटकों के नाम लिखिए।
या
जयशंकर प्रसाद के किन्हीं दो नाटकों के नाम लिखिए। [2009]
या
जयशंकर प्रसाद के एक नाटक का नाम लिखिए। [2012, 14]
उत्तर

  1. चन्द्रगुप्त और
  2. स्कन्दगुप्त जयशंकर प्रसाद के दो ऐतिहासिक नाटक हैं।

प्रश्न 16
जयशंकर प्रसाद के परवर्ती (बाद के) नाटककारों के नाम लिखिए।
उत्तर

  1. लक्ष्मीनारायण मिश्र,
  2. हरिकृष्ण प्रेमी’,
  3. रामकुमार वर्मा,
  4. सेठ गोविन्ददास,
  5. उदयशंकर भट्ट,
  6.  गोविन्दबल्लभ पन्त और
  7.  उपेन्द्रनाथ ‘अश्क’ जयशंकर प्रसाद के बाद के नाटककार हैं।

प्रश्न 17
माखनलाल चतुर्वेदी द्वारा लिखित किसी एक नाटक का नाम बताइए।
उत्तर
श्री माखनलाल चतुर्वेदी द्वारा लिखित (UPBoardSolutions.com) नाटक ‘कृष्णार्जुन युद्ध’ है।

प्रश्न 18
कुछ प्रमुख रेडियो-नाटककारों के नाम लिखिए।
उत्तर

  1. श्री सुमित्रानन्दन पन्त,
  2. श्री उदयशंकर भट्ट,
  3. श्री विष्णु प्रभाकर,
  4. श्री अमृतलाल नागर,
  5. श्री उपेन्द्रनाथ ‘अश्क’,
  6. श्री सत्येन्द्र शरत् आदि प्रसिद्ध रेडियो-नाटककार हैं।

प्रश्न 19
हिन्दी के कुछ प्रसिद्ध ऐतिहासिक नाटककारों तथा उनके द्वारा लिखित एक-एक नाटक का नाम लिखिए।
उत्तर
हिन्दी के कुछ प्रसिद्ध ऐतिहासिक नाटककार तथा उनके द्वारा लिखित एक-एक नाटक के नाम हैं—

  1. श्री जयशंकर प्रसाद : अजातशत्रु,
  2. श्री उपेन्द्रनाथ अश्क’ : जय-पराजय,
  3. श्री उदयशंकर भट्ट : मुक्ति-पथ,
  4. श्री सेठ गोविन्ददास : हर्ष,
  5. श्री व्यथित हृदय : राजमुकुट,
  6. श्री हरिकृष्ण ‘प्रेमी : आन का मान,
  7. श्री लक्ष्मीनारायण मिश्र : गरुड़ध्वज,
  8. श्री जगदीशचन्द्र माथुर : कोणार्क आदि।

प्रश्न 20
हिन्दी के प्रथम नाटक और उसके नाटककार का नाम लिखिए।
उत्तर
हिन्दी के प्रथम नाटक का नाम ‘नहुष’ है, जिसकी रचना गोपालचन्द्र गिरधरदास (भारतेन्दु हरिश्चन्द्र के पिता) द्वारा की गयी।

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प्रश्न 21
सेठ गोविन्ददास किस विधा के प्रमुख लेखक हैं ? [2011]
उत्तर
सेठ गोविन्ददास ‘नाटक’ विधा के प्रमुख लेखक हैं।

प्रश्न 22
भुवनेश्वर गद्य की किस विधा-विशेष के लिए प्रसिद्ध हैं? [2011]
उत्तर
भुवनेश्वर नाटक और एकांकी गद्य-विधाओं के लिए प्रसिद्ध हैं। इनके द्वारा रचित एक नाटक का नाम ‘स्ट्राइक’ है।

कहानी

प्रश्न 1
कहानी किसे कहते हैं ?
उत्तर
कहानी गद्य की वह विधा है, जो छोटी होती हुई भी बड़े-से-बड़े भाव की व्यंजना करने में समर्थ होती है। इसका आरम्भ तथा अन्त कलात्मक व प्रभावपूर्ण होता है। यह गद्य-विधा पाठकों को अपनी यथार्थपरता और मनोवैज्ञानिकता के कारण प्रभावित करती है।

प्रश्न 2
आधुनिक साहित्य की सबसे अधिक लोकप्रिय विधाको नाम लिखिए।
उत्तर
आधुनिक साहित्य की सबसे अधिक लोकप्रिय विधा का नाम ‘कहानी’ है।

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प्रश्न 3
आधुनिक कहानी किस उद्देश्य से लिखी जाती है ?
उत्तर
आधुनिक कहानी के लिखे जाने को मुख्य उद्देश्य (UPBoardSolutions.com) पाठकों के मनोरंजन के साथ-साथ किसी पात्र, घटना, भाव या संवेदना की मार्मिक अभिव्यंजना करना है।

प्रश्न 4
“आधुनिक कहानी साहित्य की सबसे अधिक लोकप्रिय विधा है।” ऐसा क्यों कहा जाता है ?
उत्तर
आधुनिक कहानी

  1. रोचकता,
  2. कलात्मकता,
  3. संवेदनशीलता,
  4. संक्षिप्तता,
  5. प्रभावोत्पादकता,
  6. भावात्मकता आदि गुणों के कारण साहित्य की सर्वाधिक लोकप्रिय विधा मानी जाती है।

प्रश्न 5
विषय की प्रधानता के आधार पर कहानी कितने प्रकार की होती है. ?
उत्तर
विषय की प्रधानता के आधार पर कहानी चार प्रकार की होती है—

  1. घटनाप्रधान,
  2. चरित्रप्रधान,
  3. भावप्रधान तथा
  4. वातावरणप्रधान।

प्रश्न 6
विषय-वस्तु के आधार पर कहानी कितने प्रकार की होती है ?
उत्तर
विषय-वस्तु के आधार पर कहानी के सात प्रकार होते हैं—

  1. ऐतिहासिक,
  2. सामाजिक,
  3. यथार्थवादी,
  4. दार्शनिक,
  5. मनोवैज्ञानिक,
  6. हास्य-व्यंग्यप्रधान,
  7. प्रतीकवादी आदि।

प्रश्न 7
द्विवेदी युग के चार प्रसिद्ध कहानीकारों के नाम लिखिए। [2017]
उत्तर

  1. प्रेमचन्द,
  2. चन्द्रधर शर्मा ‘गुलेरी’,
  3. जयशंकर प्रसाद,
  4. विश्वम्भरनाथ ‘कौशिक द्विवेदी युग के चार प्रसिद्ध कहानीकार हैं।

प्रश्न 8
प्रेमचन्द की प्रमुख कहानियों के नाम लिखिए। या मुंशी प्रेमचन्द की किसी एक प्रसिद्ध कहानी का नाम लिखिए। [2011]
उत्तर
ईदगाह, पूस की रात, शतरंज के खिलाड़ी, बड़े भाई (UPBoardSolutions.com) साहब, कफन, मन्त्र, पंच परमेश्वर आदि प्रेमचन्द की प्रमुख कहानियाँ हैं।

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प्रश्न 9
प्रेमचन्द के समकालीन किन्हीं दो कहानीकारों के नाम लिखिए।
या
हिन्दी के दो प्रसिद्ध कहानीकारों के नाम बताइए।
उत्तर

  1. जयशंकर प्रसाद तथा
  2. सुदर्शन; प्रेमचन्द के समकालीन हिन्दी के दो प्रसिद्ध कहानीकार

प्रश्न 10
प्रेमचन्दोत्तर युग के किन्हीं दो कहानीकारों के नाम लिखिए।
उत्तर

  1. जैनेन्द्र कुमार तथा
  2. यशपाल, प्रेमचन्द के बाद के दो कहानीकार हैं।

प्रश्न 11
हिन्दी के किन्हीं दो बड़े कहानीकारों तथा उनकी एक-एक कहानी का नाम लिखिए।
या
किसी एक कहानीकार का नाम लिखिए। [2017]
उत्तर

  1. प्रेमचन्द-पंच परमेश्वर तथा
  2. जयशंकर प्रसाद-ममता।।

प्रश्न 12
उपन्यास और कहानी-लेखन के क्षेत्र में प्रेमचन्दोत्तर लेखकों में से कुछ के नाम लिखिए।
उत्तर
उपन्यास और कहानी के क्षेत्र में प्रेमचन्द के बाद आने वाले लेखकों में से उल्लेखनीय हैंजैनेन्द्र कुमार, आचार्य चतुरसेन शास्त्री, भगवतीप्रसाद वाजपेयी, भगवतीचरण वर्मा, राहुल सांकृत्यायन, यशपाल, इलाचन्द्र जोशी, नागार्जुन, अमृतलाल नागर आदि।

प्रश्न 13
शुक्ल युग के दो प्रसिद्ध कहानी-लेखकों के नाम लिखिए। [2009]
या
शुक्ल युग के दो प्रमुख लेखकों के नाम लिखिए। [2015]
उत्तर

  1. श्री भगवतीचरण वर्मा तथा
  2. आचार्य चतुरसेन शास्त्री शुक्ल युग के दो प्रसिद्ध कहानी-लेखक हैं।

प्रश्न 14
शुक्लोत्तर युग के दो प्रमुख कहानीकारों के नाम लिखिए।
उत्तर

  1. श्री इलाचन्द्र जोशी तथा
  2. श्री मोहन राकेश शुक्लोत्तर युग के दो प्रमुख कहानीकार हैं।

प्रश्न 15
आपको किस कहानी ने सबसे अधिक प्रभावित किया है ?
या
‘उसने कहा था’ के लेखक का नाम लिखिए। [2013]
उत्तर
श्री चन्द्रधर शर्मा ‘गुलेरी’ की कहानी ‘उसने कहा था’ ने (UPBoardSolutions.com) अपनी संवेदनशीलता के कारण हमें सर्वाधिक प्रभावित किया है।

प्रश्न 16
हिन्दी कथा-साहित्य में युगान्तर उपस्थित करने वाले कथाकार कौन थे ? ‘मानसरोवर’ में किस कहानीकार की कहानियाँ संकलित हुई हैं ? ।
उत्तर
हिन्दी कथा-साहित्य में युगान्तर उपस्थित करने वाले कथाकार प्रेमचन्द थे। मानसरोवर (आठ भाग) में प्रेमचन्द की ही कहानियाँ संकलित हुई हैं।

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प्रश्न 17
भारतेन्दु युग के दो कहानीकार और उनकी रचनाओं के नाम लिखिए।
उत्तर
भारतेन्दु युग के दो कहानीकार और उनकी रचनाओं के नाम हैं–

  1. अम्बिकादत्त व्यास– कथा-कुसुम-कलिका तथा
  2. चण्डी प्रसाद सिंह-हास्य रतन।।

उपन्यास

प्रश्न 1
उपन्यास का व्युत्पत्तिपरक अर्थ बताइए।
उत्तर
‘उपन्यास’ शब्द संस्कृत भाषा के ‘उपन्यस्त’ शब्द से बना है, जिसका अर्थ होता है-‘सामने रखा हुआ’। इस प्रकार मानव-जीवन, समाज या इतिहास के यथार्थ सत्य को संवाद एवं दृश्यात्मक घटनाओं पर आधारित चित्रण के माध्यम से पाठकों के सम्मुख यथार्थ रूप में प्रस्तुत करने वाली विधा ही उपन्यास कहलाती है।

प्रश्न 2
उपन्यास की परिभाषा लिखिए।
उत्तर
उपन्यास गद्य की वह कलात्मक लोकप्रिय विधा है, जिसमें मानव के सम्पूर्ण और वास्तविक जीवन का काल्पनिक एवं विशद चित्रण होता है। प्रेमचन्द ने उपन्यास को ‘मानव-जीवन’ को चित्र कहा है।

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प्रश्न 3
उपन्यास के मूल उद्देश्य बताइट।
उत्तर
मानव-चित्रण पर प्रकाश डालना और उसके रहस्यों को खोलना उपन्यास के मूल उद्देश्य होते

प्रश्न 4
उपन्यास के कौन-कौन से प्रमुख तत्त्व हैं ?
उत्तर

  1. कथावस्तु,
  2. चरित्र-चित्रण,
  3. कथोपकथने या संवाद,
  4. भाषा-शैली,
  5. देशकाल अथवा वातावरण तथा
  6.  उद्देश्य; उपन्यास के छ: प्रमुख तत्त्व हैं।

प्रश्न 5
विषय के आधार पर हिन्दी उपन्यास कितने प्रकार के होते हैं ?
उत्तर
विषय के आधार पर हिन्दी उपन्यासों को–

  1. सामाजिक,
  2. ऐतिहासिक,
  3. आंचलिक,
  4. मनोवैज्ञानिक,
  5. पौराणिक,
  6. राजनीतिक,
  7.  रहस्यात्मक आदि भागों में विभक्त किया जा सकता है।

प्रश्न 6
द्विवेदी युग के तीन प्रसिद्ध उपन्यासकारों के नाम लिखिए। [2017]
या
किसी एक प्रसिद्ध उपन्यास लेखक का नाम लिखिए। [2014]
उत्तर

  1. प्रेमचन्द,
  2. वृन्दावनलाल वर्मा तथा
  3. किशोरीलाल गोस्वामी; द्विवेदी युग के तीन प्रसिद्ध उपन्यासकार हैं।

प्रश्न 7
प्रेमचन्द के चार उपन्यासों के नाम बताइए।
या
प्रेमचन्द के दो उपन्यासों के नाम लिखिए। [2010]
उत्तर
प्रेमचन्द द्वारा लिखित चार प्रमुख उपन्यास हैं—

  1. गोदान,
  2. गबन,
  3. सेवासदन तथा
  4. निर्मला।

प्रश्न 8
प्रेमचन्द के उपन्यास किन-किन विषयों पर आधारित हैं ?
उत्तर
प्रेमचन्द के उपन्यास-दीन-हीन, किसान-मजदूरों, नारी-उद्धार, (UPBoardSolutions.com) समाज-सुधार, राष्ट्रीयचेतना आदि विषयों पर आधारित हैं।

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प्रश्न 9
प्रेमचन्द युग के चार उपन्यासकारों के नाम लिखिए।
उत्तर

  1. आचार्य चतुरसेन शास्त्री,
  2. विश्वम्भरनाथ ‘कौशिक,
  3. भगवतीप्रसाद वाजपेयी तथा
  4. वृन्दावनलाल वर्मा; प्रेमचन्द युग के चार उपन्यासकार हैं।

प्रश्न 10
शुक्ल युग के दो प्रमुख उपन्यासकारों के नाम लिखिए।
उत्तर

  1. प्रेमचन्द तथा
  2. आचार्य चतुरसेन शास्त्री; शुक्ल युग के दो उपन्यासकार हैं।

प्रश्न 11
शुक्ल युग के प्रसिद्ध उपन्यास लेखक और उनके एक अति प्रसिद्ध उपन्यास का नाम लिखिए।
उत्तर
उपन्यासकार-प्रेमचन्द। प्रमुख उपन्यास-गोदान।

प्रश्न 12
प्रेमचन्दोत्तर युग के तीन उपन्यासकारों के नाम लिखिए।
या
प्रेमचन्दोत्तर काल के उपन्यासकारों में से किन्हीं दो के नाम लिखिए। [2009]
उत्तर

  1. जैनेन्द्र कुमार,
  2. अमृतलाल नागर तथा
  3.  सच्चिदानन्द हीरानन्द वात्स्यायन ‘अज्ञेय’ प्रेमचन्दोत्तर युग के तीन उपन्यासकार हैं।

प्रश्न 13
जयशंकर प्रसाद के दो उपन्यासों के नाम लिखिए।
या
जयशंकर प्रसाद की किसी एक कृति का नाम लिखिए। [2011]
उत्तर

  1. तितली और
  2. कंकाल।।

प्रश्न 14
‘चन्द्रकान्ता-सन्तति’ उपन्यास के लेखक का नामोल्लेख कीजिए। [2012]
या
देवकीनन्दन खत्री के किसी एक तिलिस्मी उपन्यास का नाम लिखिए, साथ ही उनके युग का उल्लेख भी कीजिए।
उत्तर
लेखक-देवकीनन्दन खत्री। युग-द्विवेदी युग। देवकीनन्दन (UPBoardSolutions.com) खत्री के तिलिस्मी उपन्यास—चन्द्रकान्ता, चन्द्रकान्ता-सन्तति, भूतनाथ आदि।

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प्रश्न 15
हिन्दी के प्रमुख सामाजिक उपन्यासकारों के नाम लिखिए।
उत्तर
मुंशी प्रेमचन्द, जयशंकर प्रसाद, वृन्दावनलाल वर्मा, आचार्य चतुरसेन शास्त्री, विश्वम्भरनाथ ‘कौशिक’ आदि हिन्दी के प्रमुख सामाजिक उपन्यासकार हैं।

प्रश्न 16
द्विवेदी युग में प्रायः किस प्रकार के उपन्यास लिखे गये ?
उत्तर
द्विवेदी युग में प्राय: तिलिस्मी, जासूसी, सामाजिक, ऐतिहासिक, पौराणिक, चरित्रप्रधान तथा भावप्रधान उपन्यास लिखे गये।

प्रश्न 17
हिन्दी का प्रथम मौलिक उपन्यास और उसके लेखक का नामोल्लेख कीजिए।
उत्तर
प्रथम मौलिक उपन्यास-परीक्षागुरु। लेखक-श्रीनिवासदास।

प्रश्न 18
उपन्यास और कहानी के क्षेत्र में प्रेमचन्द का उत्तराधिकार जिन लेखकों ने सफलतापूर्वक वहन किया उनमें से किन्हीं दो लेखकों के नाम लिखिए।
उत्तर
उपन्यास और कहानी के क्षेत्र में प्रेमचन्द का उत्तराधिकार वहन करने वाले दो लेखक हैं

  1. जैनेन्द्र कुमार तथा
  2. आचार्य चतुरसेन शास्त्री।

प्रश्न 19
हिन्दी के प्रथम सामाजिक उपन्यास का नाम बताइट।
उत्तर
सन् 1887 ई० में श्री श्रद्धाराम फुल्लौरी द्वारा रचित ‘भाग्यवती’ को हिन्दी को प्रथम सामाजिक उपन्यास माना जाता है।

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प्रश्न 20
शुक्लोत्तर युग के दो उपन्यासकारों के नाम लिखिए तथा उनके एक-एक उपन्यास का उल्लेख कीजिए।
या
यशपाल की किसी एक रचना का नाम लिखिए। [2016]
उत्तर
शुक्लोत्तर युग के दो उपन्यासकार यशपाल और भगवतीचरण (UPBoardSolutions.com) वर्मा हैं। इनके द्वारा लिखित एक-एक उपन्यास के नाम (क्रमश:) हैं-झूठा सच और भूले बिसरे चित्र।

प्रश्न 21
प्रमुख आंचलिक उपन्यासकारों के नाम लिखिए।
उत्तर
प्रमुख आंचलिक उपन्यासकार हैं—

  1. फणीश्वरनाथ ‘रेणु’ (परती परिकथा),
  2. नागार्जुन (बाबा बटेसरनाथ),
  3. देवेन्द्र सत्यार्थी (रथ के पहिए),
  4. रांगेय राघव (कब तक पुकारू),
  5. उदयशंकर भट्ट (सागर, लहरें और मनुष्य) आदि।

प्रश्न 22
प्रमुख मनोवैज्ञानिक उपन्यासकारों और उनके एक-एक प्रमुख उपन्यास का नाम लिखिए।
उम्र
प्रमुख मनोवैज्ञानिक उपन्यासकार और उनके उपन्यास हैं—

  1. जैनेन्द्र कुमार (परख),
  2. इलाचन्द्र जोशी (लज्जा),
  3. सच्चिदानन्द हीरानन्द वात्स्यायन ‘अज्ञेय’ (अपने-अपने अजनबी),
  4. डॉ० देवराज (पथ की खोज),
  5. डॉ० धर्मवीर भारती (गुनाहों के देवता) आदि।

प्रश्न 23
प्रमुख सामाजिक उपन्यासकारों और उनकी एक-एक कृतियों का नाम लिखिए।
उत्तर
प्रमुख सामाजिक उपन्यासकार और उनके उपन्यास हैं—

  1. आचार्य चतुरसेन शास्त्री (शुभदा),
  2. पाण्डेय बेचन शर्मा ‘उग्र’ (सरकार तुम्हारी आँखों में),
  3. श्री सूर्यकान्त त्रिपाठी “निराला’ (अप्सरा),
  4. अमृतलाल नागर (शतरंज के मोहरे),
  5. मोहन राकेश (अँधेरे बन्द कमरे) आदि।

प्रश्न 24
प्रमुख ऐतिहासिक उपन्यासकार और उनकी एक-एक औपन्यासिक कृति का नाम लिखिए।
या
राहुल सांकृत्यायन की एक रचना का नाम लिखिए। [2012]
उत्तर

  1. वृन्दावनलाल वर्मा (मृगनयनी),
  2. आचार्य चतुरसेन शास्त्री (वैशाली की नगरवधू),
  3. राहुल सांकृत्यायन (जय यौधेय),
  4. आचार्य हजारीप्रसाद द्विवेदी (चारुचन्द्रलेख),
  5. रांगेय राघव (महायात्रा गाथा) आदि प्रमुख ऐतिहासिक उपन्यासकार और उनकी औपन्यासिक कृतियाँ हैं।

अन्य गद्य-विधाएँ

प्रश्न 1
अच्छी जीवनी की प्रमुख विशेषताएँ बताइए।
उत्तर

  1. प्रामाणिकता,
  2. तथ्यपूर्ण साहित्यिक विवरण,
  3. आत्मीयता,
  4. प्रेरणादायक स्थलों पर बल तथा
  5. रोचकता; अच्छी जीवनी की प्रमुख विशेषताएँ हैं।

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प्रश्न 2
जीवनी-साहित्य को समृद्ध बनाने वाले किन्हीं दो प्रसिद्ध लेखकों के नाम लिखिए।
उत्तर

  1. बाबू गुलाबराय तथा
  2. श्री रामनाथ सुमन; जीवनी-साहित्य को समृद्ध बनाने वाले दो प्रसिद्ध लेखक हैं।।

प्रश्न 3
शुक्ल युग के एक प्रमुख जीवनी-लेखक एवं उनकी कृति का उल्लेख कीजिए।
या
किसी एक जीवनी-लेखक का नाम लिखिए। [2013]
उत्तर
शुक्ल युग के प्रमुख जीवनी-लेखक और उनकी कृति है—बाबू गुलाबराय-गाँधी की देन।

प्रश्न 4
‘कलम का सिपाही’ किस साहित्यकार की जीवनी है?
उत्तर
‘कलम का सिपाही’ प्रसिद्ध कहानीकार-उपन्यासकार प्रेमचन्द की जीवनी है।

प्रश्न 5
शुक्लोत्तर युग के दो प्रमुख जीवनी-लेखकों एवं उनकी कृतियों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर
शुक्लोत्तर युग के दो प्रमुख जीवनी-लेखक और उनकी कृतियाँ हैं—

  1.  विष्णु प्रभाकर आवारा मसीहा तथा
  2. रामविलास शर्मा–निराला की साहित्य-साधना।

प्रश्न 6
आत्मकथा से आप क्या समझते हैं? किन्हीं दो आत्मकथा-लेखकों और उनकी रचनाओं के नाम लिखिए।
उत्तर
लेखक जब स्वयं अपने जीवन की कथा को पाठकों के समक्ष पूर्ण आत्मीयता के साथ प्रस्तुत करता है तो उसे आत्मकथा कहते हैं। बाबू गुलाबराय और पाण्डेय बेचन शर्मा ‘उग्र’ हिन्दी के प्रसिद्ध आत्मकथा-लेखक हैं और उनकी आत्मकथा का नाम क्रमश: ‘मेरी असफलताएँ’ और ‘अपनी खबर है।

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प्रश्न 7
जीवनी और आत्मकथा में क्या अन्तर है ?
उत्तर
जीवनी में लेखक के द्वारा किसी अन्य व्यक्ति के जीवन की घटनाओं का वर्णन किया जाता है, जब कि आत्मकथा में लेखक स्वयं अपने जीवन की कथा पाठकों के समक्ष आत्मीयता के साथ प्रस्तुत करता

प्रश्न 8
आत्मकथा की किन्हीं दो विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
उत्तर

  1. आत्मकथाएँ मार्गदर्शक और प्रेरक होती हैं तथा
  2. आत्मकथाओं में लेखक के अन्तरंग जीवन का पूर्ण आत्मीयता के साथ रोचक शैली में प्रस्तुतीकरण होता है। ये ही आत्मकथा की दो विशेषताएँ हैं।

प्रश्न 9
हिन्दी के प्रमुख आत्मकथा-लेखकों के नाम लिखिए।
या
हिन्दी के किन्हीं दो प्रमुख आत्मकथा-लेखकों के नाम लिखिए। [2010]
या
किसी एक आत्मकथा-लेखक का नाम लिखिए। [2013]
उत्तर
श्यामसुन्दर दास, वियोगी हरि, डॉ० राजेन्द्र प्रसाद, बाबू गुलाबराय, पाण्डेय बेचन शर्मा ‘उग्र’, हरिवंशराय बच्चन आदि श्रेष्ठ आत्मकथा-लेखक हैं। डॉ० हरिवंशराय बच्चन की आत्मकथा चार खण्डों में विभक्त है–

  1. क्या भूलें क्या याद करू,
  2. नीड़ का निर्माण फिर,
  3. बसेरे से दूर,
  4.  प्रवास की डायरी।

प्रश्न 10
हिन्दी की किसी प्रेरणाप्रद आत्मकथा का नाम लिखिए।
उत्तर
डॉ० राजेन्द्र प्रसाद द्वारा लिखित मेरी आत्मकथा हिन्दी की एक प्रेरणाप्रद आत्मकथा है।

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प्रश्न 11
हिन्दी की किन्हीं दो साहित्यिक आत्मकथाओं का उल्लेख कीजिए।
उत्तर

  1. पाण्डेय बेचन शर्मा ‘उग्र’ की आत्मकथा ‘अपनी खबर’ तथा
  2. हरिवंशराय बच्चन की आत्मकथा ‘क्या भूलें क्या (UPBoardSolutions.com) याद करू” हिन्दी की दो साहित्यिक आत्मकथाएँ हैं।

प्रश्न 12
हिन्दी के प्रमुख संस्मरण लेखकों के नाम बताइट। या हिन्दी के दो संस्मरण लेखकों के नाम लिखिए। [2014, 16]
या
किसी एक संस्मरण लेखक का नाम लिखिए। [2011, 13, 14, 15, 17, 18]
उत्तर
बनारसीदास चतुर्वेदी, पद्मसिंह शर्मा, कन्हैयालाल मिश्र ‘प्रभाकर’, श्रीनारायण चतुर्वेदी आदि हिन्दी के प्रमुख संस्मरण लेखक हैं।

प्रश्न 13
‘संस्मरण’ विधा का संक्षेप में परिचय दीजिए।
उत्तर
जब लेखक अपने निकट सम्पर्क में आने वाले किसी विशिष्ट, विचित्र, प्रिय और आकर्षक व्यक्ति को अपनी स्मृति के आधार परे शब्दों द्वारा आत्मीयता से वर्णन करता है, तब उसे ‘संस्मरण कहते हैं।

प्रश्न 14
‘रेखाचित्र’ किसे कहते हैं ?
उत्तर
रेखाचित्र उस गद्यात्मक साहित्य को कहते हैं, जिसमें किसी व्यक्ति, वस्तु अथवा घटना का कम-से-कम शब्दों में यथावत् चित्रण किया जाता है।

प्रश्न 15
‘रेखाचित्र’ की किन्हीं दो विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
उत्तर
रेखाचित्र की दो विशेषताएँ निम्नलिखित हैं

  1. यह सांकेतिक एवं व्यंजक होता है तथा
  2. पूर्व स्मृति पर आधारित किसी मूर्त कल्पना का शब्द-चित्र प्रस्तुत करता है।

प्रश्न 16
प्रमुख रेखाचित्र-लेखकों के नाम लिखिए।
या
‘रेखाचित्र’ विधा के एक प्रमुख लेखक का नाम लिखिए। [2011, 15]
उत्तर

  1. श्रीमती महादेवी वर्मा,
  2. बनारसीदास चतुर्वेदी,
  3. डॉ० नगेन्द्र,
  4. विष्णु प्रभाकर,
  5. रामवृक्ष बेनीपुरी,
  6.  कन्हैयालाल मिश्र ‘प्रभाकर’ आदि प्रमुख रेखाचित्र-लेखक हैं।

प्रश्न 17
रेखाचित्र और संस्मरण विधाओं में अन्तर स्पष्ट कीजिए। [2009]
उत्तर
रेखाचित्र में व्यक्ति विशेष के जीवन सम्बन्धी स्मृति-चित्र अधूरे भी हो सकते हैं, पर संस्मरण . में वह पूर्ण होता है। रेखाचित्र में कल्पना का महत्त्व होता है, जबकि संस्मरण में यथार्थ को।

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प्रश्न 18
रेखाचित्र तथा संस्मरण विधाओं के लिए प्रसिद्ध एक-एक रचनाकार का नाम लिखिए।
उत्तर
रेखाचित्र–श्रीमती महादेवी वर्मा। संस्मरण-कन्हैयालाल मिश्र ‘प्रभाकर’।

प्रश्न 19
यात्रा-साहित्य का मुख्य उद्देश्य क्या है ?
उत्तर
यात्रा-साहित्य का मुख्य उद्देश्य किसी यात्रा के अनुभव को सरल और रोचक ढंग से जीवन्त रूप में प्रस्तुत करना है।

प्रश्न 20
यात्रा-साहित्य और रिपोर्ताज के एक-एक लेखक का नामोल्लेख कीजिए।
या
यात्रा-साहित्य के लेखकों में से किन्हीं दो के नाम लिखिए। [2010]
या
किसी एक रिपोर्ताज लेखक का नाम लिखिए। [2011, 12, 14, 18]
या
रिपोर्ताज विधा के किसी एक लेखक का नाम लिखिए। [2018]
उत्तर
यात्रा-साहित्य के लेखक–

  1. राहुल सांकृत्यायन तथा
  2. देवेन्द्र सत्यार्थी।

रिपोर्ताज के लेखक–

  1. विष्णु प्रभाकर तथा
  2. प्रभाकर माचवे।

प्रश्न 21
‘यात्रा-साहित्य’ किसे कहते हैं ?
उत्तर
जिस रचना में रचनाकार किसी यात्रा के अनुभव का यथावत् तथा कलात्मक वर्णन करता है, उसे ‘यात्रा-साहित्य’ कहते हैं।

प्रश्न 22
‘रिपोर्ताज’ का अर्थ स्पष्ट कीजिए।
उत्तर
जिस गद्य-साहित्य में किसी घटना या घटना-स्थल का (UPBoardSolutions.com) आँखों देखा हाल जब साहित्यिक और कलात्मक ढंग से प्रस्तुत किया जाता है, तो उसे रिपोर्ताज’ कहते हैं ।

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प्रश्न 23
रिपोर्ताज की विशेषताओं का संक्षेप में उल्लेख कीजिए।
उत्तर
विशेषताएँ-

  1. रिपोर्ताज ऑखों देखा वर्णन जैसा प्रतीत होता है।
  2. इसमें सम-सामयिक घटनाओं को वास्तविक रूप में प्रस्तुत किया जाता है।
  3. इसमें निजी-सूक्ष्म निरीक्षण के आधार पर मनोवैज्ञानिक विश्लेषण होता है।
  4. इसकी शैली विवरणात्मक तथा वर्णनात्मक होती है।
  5. यह पत्रकारिता के गुणों से सम्पन्न होता है।

प्रश्न 24
हिन्दी की साहित्यिक शैली में वैज्ञानिक लेख लिखने के लिए प्रसिद्ध एक लेखक का नाम बताइए।
उत्तर
साहित्यिक शैली में वैज्ञानिक लेख लिखने के लिए प्रसिद्ध लेखक जयप्रकाश भारती हैं।

प्रश्न 25
यात्रा-साहित्य के किसी एक प्रमुख लेखक तथा उनके एक यात्रा-वृत्तान्त का नामोल्लेख | कीजिए। [2012]
या
यात्रा-साहित्य की एक प्रमुख रचना का उल्लेख कीजिए। [2012]
उत्तर
यात्रा-साहित्य के लेखकों में श्री विनयमोहन शर्मा का नाम उल्लेखनीय है। इन्होंने ‘दक्षिण भारत की एक झलक’ शीर्षक यात्रा-वृत्तान्त लिखा है।

प्रश्न 26
एक सफल रेखाचित्र की रचना के लिए किन गुणों की आवश्यकता होती है ?
उतर
एक सफल रेखाचित्र की रचना के लिए यथार्थ चित्रण, चित्रात्मक शैली का प्रभावपूर्ण प्रयोग तथा रेखाचित्र से सम्बन्धित वस्तु या व्यक्ति के प्रति लेखक के भावात्मक सम्बन्ध की आवश्यकता होती है।

प्रश्न 27
एकांकी का अर्थ बताइए।
उत्तर
एक अंक में समाप्त हो जाने वाले नाटक को एकांकी कहते हैं।

प्रश्न 28
नाटक और एकांकी में दो प्रमुख अन्तर बताइए।
उत्तर
नाटक और एकांकी में निम्नलिखित दो प्रमुख अन्तर हैं—

  1. नाटक में एक मुख्य-कथा तथा कुछ अन्तर्कथाएँ होती हैं, जबकि एकांकी एक ही घटना पर आधारित होता है।
  2. नाटक में अधिक पात्र होते हैं तथा देशकाल विस्तृत होता है, जबकि एकांकी में कम पात्र होते हैं तथा देशकाल सीमित होता है।

प्रश्न 29
हिन्दी के दो प्रमुख एकांकीकार और उनके द्वारा लिखित एक-एक एकांकी का नाम बताइए।
या
किसी एक ‘एकांकी’ लेखक का नाम लिखिए।[2013, 14, 16, 17]
या
डॉ० रामकुमार वर्मा के प्रसिद्ध एकांकी का नाम लिखिए। [2014]
या
‘दीपदान’ एकांकी के लेखक का नाम लिखिए। [2015, 17]
उत्तर

  1. डॉ० रामकुमार वर्मा (दीपदान) तथा
  2. उपेन्द्रनाथ अश्क’ (तौलिए)-दो प्रमुख एकांकीकार और उनकी एकांकी रचनाएँ हैं।

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प्रश्न 30
विषय की दृष्टि से हिन्दी-एकांकी के भेद बताइए।
उत्तर
विषय के आधार पर एकांकी के सात भेद हैं—

  1. पौराणिक,
  2. राजनीतिक,
  3. सांस्कृतिक,
  4. ऐतिहासिक,
  5. सामाजिक,
  6. चारित्रिक और
  7. तथ्यपरक।

प्रश्न 31
द्विवेदी युग के प्रमुख एकांकीकारों और उनके द्वारा लिखित एक-एक एकांकी का नाम बताइट।
उत्तर
द्विवेदीयुगीन हिन्दी के प्रमुख एकांकीकार (UPBoardSolutions.com) और उनके द्वारा लिखित एक-एक एकांकी के नाम हैं–

  1. बदरीनारायण भट्ट : चुंगी की उम्मीदवारी,
  2. रामसिंह वर्मा : रेशमी रूमाल,
  3. रूपनारायण पाण्डेय : मूर्ख मण्डली,
  4. मंगलाप्रसाद विश्वकर्मा : शेर सिंह।

प्रश्न 32
डायरी की विशेषताएँ बताइए।
उत्तर
डायरी की प्रमुख विशेषताएँ इस प्रकार हैं-

  1. दैनिक घटनाओं का कलात्मक प्रस्तुतीकरण,
  2. अन्तरंग क्षणों का चित्रण,
  3. संक्षिप्तता,
  4. स्पष्ट अभिव्यक्ति आदि।

प्रश्न 33
हिन्दी के दो प्रमुख डायरी लेखक और उनके द्वारा लिखित डायरी का नाम बताइए। [2009]
या
किसी एक डायरी लेखक का नाम लिखिए। [2015]
या
‘मेरी कॉलेज डायरी’ के लेखक का नाम लिखिए। [2015, 17]
या
डायरी विधा के लेखकों में से किसी एक लेखक का नाम लिखिए। [2017]
उत्तर
नरदेव शास्त्री ‘वेदतीर्थ’ को प्रथम डायरी लेखक माना जाता है। इनकी रचना का नाम “नरदेव शास्त्री ‘वेदतीर्थ’ की जेल डायरी’ है। डॉ० धीरेन्द्र वर्मा द्वारा लिखित ‘‘मेरी कॉलेज डायरी’ इसी विधा की अन्य महत्त्वपूर्ण रचना है।

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प्रश्न 34
गद्य-काव्य का अर्थ स्पष्ट कीजिए। यो गद्य-काव्य की किन्हीं दो विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
उत्तर

  1. गद्य-काव्य, गद्य तथा काव्य के बीच की विधा है।
  2. इसमें गद्य के माध्यम से किसी भावपूर्ण विषय की काव्यात्मक अभिव्यक्ति होती है।

प्रश्न 35
हिन्दी गद्य-काव्य लेखकों में से किन्हीं दो लेखकों के नाम लिखिए।
उत्तर

  1. वियोगी हरि और
  2. श्री रामवृक्ष बेनीपुरी।

प्रश्न 36
हरिभाऊ उपाध्याय द्वारा अनूदित ‘मेरी जीवनी’ और ‘कांग्रेस का इतिहास के मूल-लेखको के नाम लिखिए।
उत्तर
मेरी जीवनी–पं० जवाहरलाल नेहरू कांग्रेस का इतिहास-सीतारमैया।।

प्रश्न 37
हरिभाऊ उपाध्याय द्वारा अनूदित एक रचना तथा उनके द्वारा रचित दो मौलिक रचनाओं के नाम लिखिए।
उत्तर
अनूदित रचना-मेरी जीवनी।। मौलिक रचना-‘स्वतन्त्रता की ओर’ और ‘हमारा कर्तव्य’।

प्रश्न 38
बाबू गुलाबराय के साहित्यिक कृतित्व के रूपों का नामोल्लेख कीजिए।
उतर
गुलाबराय के साहित्यिक कृतित्व के रूप इस प्रकार हैं–काव्यशास्त्रकार, व्यावहारिक आलोचक, ललित और गम्भीर निबन्धकार तथा शास्त्रमर्मज्ञ।

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प्रश्न 39
नामवर सिंह किस विधा के प्रमुख लेखक हैं ? [2012]
उत्तर
नामवर सिंह ‘आलोचना’ विधा के प्रमुख लेखक हैं।

प्रश्न 40
महादेवी वर्मा की किसी एक रेखाचित्र विधा का नाम लिखिए। [2015]
उत्तर
स्मृति की रेखाएँ।

प्रश्न 41
‘लद्दाख की यात्रा’ किस विधा पर आधारित रचना है? [2016]
उत्तर
यात्रावृत्त पर।

प्रश्न 42
‘किन्नर देश में रचना किस विधा पर आधारित है? [2016]
उत्तर
यात्रावृत्त पर।

प्रश्न 43
‘किन्नर देश में कृति के लेखक का नाम लिखिए। [2016, 17]
उत्तर
‘राहुल सांकृत्यायन।

प्रश्न 44
‘गिरती दीवारें किस विधा की रचना है? [2017]
उत्तर
‘गिरती दीवारें” नाटक विधा की रचना है।

प्रश्न 45
‘क्या भूलें क्या याद करूँ किस विधा पर आधारित रचना है? [2017]
उत्तर
आत्मकथा पर।

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प्रश्न 46
‘प्रायश्चित’ के लेखक का नामोल्लेख कीजिए। [2017]
उत्तर
भगवती चन्द्र वर्मा।

प्रश्न 47
किसी एक यात्रावृत्त’ लेखक का नाम लिखिए। [2017]
उत्तर
राहुल सांकृत्यायन।।

प्रश्न 48
‘कलम का सिपाही’ लेखक का नाम लिखिए। [2016]
उत्तर
अमृत राय।

प्रश्न 49
‘चतुर चंचला’ कृति के लेखक का नाम लिखिए। [2018]
उत्तर
बाबू गोपालराम (गहमरी)।

प्रश्न 50
‘राज्यश्री’ कृति के लेखक का नाम लिखिए। [2018]
उत्तर
जयशंकर प्रसाद।

प्रश्न 51
‘तुम चन्दन हम पानी’ कृति के लेखक का नाम लिखिए। [2018]
उत्तर
सन्त रैदास।

प्रश्न 52
प्रतिध्वनि’ कृति के लेखक का नाम लिखिए। [2018]
उत्तर
जयशंकर प्रसाद।

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प्रश्न 53
निम्नलिखित गद्य-विधाओं में से किसी एक विधा के प्रसिद्ध लेखक का नाम लिखकर उसकी एक कृति का उल्लेख कीजिए।
या
राहुल सांकृत्यायन की एक रचना का नाम लिखिए। [2011]
उत्तर
UP Board Solutions for Class 10 Hindi गद्य की विभिन्न विधाओं पर आधारित img-1

प्रश्न 54
निम्नलिखित रचनाएँ आधुनिक काल के किस-किस युग में लिखी गयीं ? किन्हीं दो के उत्तर लिखिए-
उत्तर
UP Board Solutions for Class 10 Hindi गद्य की विभिन्न विधाओं पर आधारित img-2
प्रश्न 55
निम्नलिखित रचनाओं में से किन्हीं दो की विधा एवं रचनाकार का उल्लेख कीजिए
उत्तर
UP Board Solutions for Class 10 Hindi गद्य की विभिन्न विधाओं पर आधारित img-3

पत्र-पत्रिकाएँ और उनके सम्पादक

प्रश्न 1
भारतेन्दु हरिश्चन्द्र द्वारा प्रकाशित पत्रिकाओं के नाम लिखिए।
उत्तर
भारतेन्दु हरिश्चन्द्र द्वारा प्रकाशित पत्रिकाएँ ‘हरिश्चन्द्र मैगजीन’ और ‘कविवचन सुधा’ हैं।

प्रश्न 2
‘बालाबोधिनी’ पत्रिका के सम्पादक का नाम लिखिए। [2012]
उत्तर
‘बालाबोधिनी’ पत्रिका के सम्पादक भारतेन्दु हरिश्चन्द्र थे।

प्रश्न 3
भारतेन्दु युग की प्रमुख पत्रिकाओं के नाम लिखिए।
उत्तर

  1. ब्राह्मण-श्री प्रतापनारायण मिश्र द्वारा सम्पादित।
  2. हिन्दी प्रदीप-श्री बालकृष्ण भट्ट द्वारा सम्पादित।
  3. आनन्द कादम्बिनी-श्री बदरीनारायण चौधरी ‘प्रेमघन’ द्वारा सम्पादित।

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प्रश्न 4
द्विवेदी युग की प्रमुख पत्रिकाओं के नाम बताइए। [2009]
या
द्विवेदी युग की किन्हीं दो पत्रिकाओं के नाम लिखिए।
या
हिन्दी की उन पत्रिकाओं के नाम लिखिए, जिनसे हिन्दी साहित्य के विकास में बहुत सहायता मिली।
उत्तर

  1. सरस्वती,
  2. नागरी ‘प्रचारिणी पत्रिका,
  3. इन्दु,
  4. माधुरी,
  5. मर्यादा,
  6. सुधा,
  7. जागरण,
  8. हंस,
  9. प्रभा,
  10. कर्मवीर,
  11. विशाल भारत।

प्रश्न 5
‘सरस्वती’ पत्रिका के प्रथम सम्पादक का नाम लिखिए।
या
महावीरप्रसाद द्विवेदी किस प्रसिद्ध हिन्दी-पत्रिका का सम्पादन करते थे ?
या
द्विवेदी युग की प्रमुख पत्रिका और उसके सम्पादक का नाम लिखिए।
या
‘सरस्वती’ पत्रिका किस युग में प्रकाशित हुई ? [2013]
या
‘सरस्वती’ पत्रिका के सम्पादक का नाम लिखिए। [2016]
उत्तर
‘सरस्वती’ का प्रकाशनारम्भ सन् 1900 ई० में हुआ था उस समय ‘सरस्वती’ का एक सम्पादक मण्डल था, जिसमें पाँच सदस्य थे। इनमें एक सदस्य श्यामसुन्दर दास थे। इस सम्पादक मण्डल ने एक वर्ष तक ‘सरस्वती’ का सम्पादन किया। (UPBoardSolutions.com) इसके पश्चात् दो वर्षों तक ‘सरस्वती’ का सम्पादन श्यामसुन्दर दास ने किया। तत्पश्चात् सन् 1903 से 1920 ई० तक ‘सरस्वती’ का सम्पादन महावीरप्रसाद द्विवेदी ने किया था।

प्रश्न 6
‘सरस्वती’ पत्रिका के सर्वाधिक प्रसिद्ध सम्पादक का नाम लिखिए।
उत्तर
आचार्य महावीरप्रसाद द्विवेदी।

प्रश्न 7
हिन्दी की किन्हीं दो प्रसिद्ध पत्रिकाओं के नाम लिखिए।
या
हिन्दी के सर्वतोमुखी विकास में योगदान देने वाली दो प्रमुख (प्रसिद्ध) पत्रिकाओं के नाम लिखिए।
उत्तर
हिन्दी-साहित्य के सर्वतोमुखी विकास में योगदान देने वाली दो प्रमुख पत्रिकाओं के नाम हैं—

  1. सरस्वती तथा
  2. हिन्दी प्रदीप।

प्रश्न 8
हरिभाऊ उपाध्याय ने गाँधी जी के सम्पर्क में आने पर किस पत्र का सम्पादन-कार्य कुशलतापूर्वक किया ?
उत्तर
‘हिन्दी नवजीवन’।

प्रश्न 9
‘सरस्वती’ का बख्शी जी के साहित्यिक जीवन में क्या योगदान है ?
उत्तर
बख्शी जी की रचनाएँ सर्वप्रथम ‘सरस्वती’ में ही प्रकाशित होनी आरम्भ हुईं, जिनसे इनकी साहित्यिक पहचान बनी।।

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प्रश्न 10
‘सरस्वती’ पत्रिका का सम्पादन पदुमलाल पुन्नालाल बख्शी ने कब-से-कब तक किया ? इसके अतिरिक्त इन्होंने किस पत्रिका का सम्पादन किया ?
उत्तर
पदुमलाल पुन्नालाल बख्शी ने सन् 1920 से 1927 ई० तक सरस्वती का सम्पादन किया। इसके अतिरिक्त इन्होंने ‘छाया’ मासिक पत्रिका का सम्पादन भी किया।

प्रश्न 11
शुक्ल युग की दो प्रमुख (प्रसिद्ध) पत्रिकाओं के नाम लिखिए। [2011]
उत्तर
शुक्ल युग की दो प्रमुख पत्रिकाएँ हैं—

  1. हंस तथा
  2. साहित्य-सन्देश।

प्रश्न 12
शुक्लोत्तरयुगीन दो प्रमुख पत्रिकाओं के नाम लिखिए।
उत्तर

  1. कादम्बिनी तथा
  2. सारिक़ा।

प्रश्न 13
शुक्लोत्तर युग की हिन्दी पत्रिका के किसी एक सम्पादक का नाम लिखिए। [2017]
उत्तर
राजेन्द्र अवस्थी।

प्रश्न 14
‘साहित्य सन्देश’ किस प्रकार की पत्रिका थी ? इसके किसी एक सम्पादक का नाम लिखिए।
उत्तर
‘साहित्य-सन्देश’ आलोचनात्मक मासिक पत्रिका थी। इसके एक सम्पादक बाबू गुलाबराय थे।

प्रश्न 15
‘संगम’ साप्ताहिक पत्र कहाँ से निकलता है ?
उत्तर
इलाहाबाद से।।

प्रश्न 16
‘धर्मयुग’ के सम्पादक का नाम बताइए।
उत्तर
डॉ० धर्मवीर भारती।

प्रश्न 17
‘देश’ पत्रिका के सम्पादक का नाम लिखिए। [2017]
उत्तर
‘देश’ पत्रिका के वर्तमान सम्पादक हर्ष दत्ता हैं।

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प्रश्न 18
‘नन्दन कैसी और कहाँ से प्रकाशित पत्रिका है ? आपकी पाठ्य-पुस्तक में संकलित लेखकों में से कौन इसके सम्पादक थे ?
उत्तर
नन्दन’ दिल्ली से प्रकाशित बाल-पत्रिका है। हमारी पाठ्य-पुस्तक (UPBoardSolutions.com) में संकलित लेखकों में से श्री जयप्रकाश भारती इसके सम्पादक थे।

प्रश्न 19
सुप्रसिद्ध मासिक पत्रिका ‘प्रभा’ के सम्पादकों में से एक का नाम लिखिए।
उत्तर
माखनलाल चतुर्वेदी सुप्रसिद्ध मासिक पत्रिका ‘प्रभा’ के सम्पादकों में से एक हैं।

प्रश्न 20
‘प्रताप’ के सहकारी सम्पादक का नाम लिखिए।
उत्तर
बालकृष्ण शर्मा ‘नवीन’ प्रताप के सहकारी सम्पादक रहे हैं।

प्रश्न 21
माखनलाल चतुर्वेदी के अतिरिक्त प्रभा’ के एक और सम्पादक का नाम बताइट।
उत्तर
बालकृष्ण शर्मा ‘नवीन’ ने माखनलाल चतुर्वेदी के अतिरिक्त प्रभा’ का सम्पादन किया।

प्रश्न 22
वर्तमान समय में प्रकाशित हो रही कुछ प्रमुख पत्रिकाओं के नाम लिखिए।
उत्तर
वर्तमान समय में प्रकाशित कुछ (UPBoardSolutions.com) प्रमुख पत्रिकाएँ हैं–

  1. कादम्बिनी,
  2. सरिता,
  3. मुक्ता,
  4. माया,
  5. नवनीत,
  6. हंस,
  7. इंडिया टुडे,
  8. आउटलुक आदि।

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प्रश्न 23
हिन्दी की प्रमुख पत्रिकाओं और उनके सम्पादकों के नाम बताइट।
उत्तर
UP Board Solutions for Class 10 Hindi गद्य की विभिन्न विधाओं पर आधारित img-4

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UP Board Solutions for Class 8 Hindi Chapter 34 सरफरोशी की तमन्ना (महान व्यक्तित्व)

UP Board Solutions for Class 8 Hindi Chapter 34 सरफरोशी की तमन्ना (महान व्यक्तित्व)

These Solutions are part of UP Board Solutions for Class 8 Hindi. Here we have given UP Board Solutions for Class 8 Hindi Chapter 34 सरफरोशी की तमन्ना (महान व्यक्तित्व).

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पाठ का सारांश

6 अगस्त 1925 ई० को काकोरी काण्ड की घटना हुई। काकोरी स्टेशन से डेढ़ मील आगे क्रान्तिकारियों ने गाड़ी रोककर सरकारी खजाना लूटा। उनका उद्देश्य लूट के धन से हथियार खरीदना था। काकोरी काण्ड में बाईस लोगों पर मुकदमा चलाया गया। इसमें रामप्रसाद बिस्मिल, अशफाक उल्ला खाँ, राजेन्द्र लाहिड़ी और ठाकुर रोशन सिंह को फाँसी की सजा सुनाई गई। राम प्रसाद बिस्मिल शाहजहाँपुर में 1897 ई० में पैदा हुए। क्रान्तिकारी रामप्रसाद बिस्मिल बचपन में नटखट स्वभाव के थे। इनके पिता मुरलीधर तिवारी इन्हें किसी व्यवसाय में लगाना चाहते थे। माँ के प्रभाव से इन्होंने अंग्रेजी पढ़ना सीखा। दयानन्द सरस्वती द्वारा लिखित ग्रन्थ ‘सत्यार्थ प्रकाश’ के अध्ययन से इनकी जीवन दिशा बदल गई। नवीं कक्षा से ही ये कांग्रेस में शामिल हो गए। इन्होंने हिन्दुस्तान रिपब्लिक एसोसियेशन की स्थापना की।

क्रान्तिकारी होने के साथ राम प्रसाद बिस्मिल लेखक भी थे। इनकी पहली पुस्तक ‘अमेरिका को स्वतन्त्रता कैसे मिली थी। देशवासियों के नाम संदेश’, ‘बोलशेविकों की करतूत’, ‘मन की लहर’, ‘कैथेराइन’, ‘स्वदेशी रंग’ अन्य रचनाएँ है। फाँसी के दिन माता-पिता उनसे मिलने गए। माँ ने उनकी आँखों में आँसू देखकर उसे ढाढस बँधाया। उन्होंने बताया कि (UPBoardSolutions.com) उन्हें ऐसी माँ फिर कहाँ मिलेगी। इस कारण आँसू आए। मन्त्रों का जाप करते हुए उन्होंने 19 दिसम्बर, 1927 ई० को गोरखपुर जेल में फाँसी का फन्दा गले में डाल लिया।

19 दिसम्बर को ही फैजाबाद जिले में अशफाक उल्ला खाँ को फाँसी दी गई। अशफाक उल्ला खाँ शाहजहाँपुर के रहने वाले थे। तैराकी, घुड़सवारी, क्रिकेट, हॉकी खेलने और बन्दूक चलाने में प्रवीण थे। वे पं० रामप्रसाद बिस्मिल के अच्छे दोस्त थे। वे बहुत खुशी के साथ कुरान शरीफ साथ लेकर हाजियों की भाँति कलाम पढ़ते हुए फाँसी के तख्ते पर चढ़ गए। 17 दिसम्बर, 1927 ई० को राजेन्द्र लाहिड़ी को गोंडा जेल में फाँसी दी गई। राजेन्द्र लाहिड़ी पहले (UPBoardSolutions.com) क्रान्तिकारी सान्याल बाबू के दल में थे। बाद में वे बनारस के जिला प्रबन्धक नियुक्त हुए। वे प्रान्तीय कमेटी के सदस्य भी रहे। मृत्यु उनके लिए एक ऐसी स्वाभाविक अवस्था थी, जैसे प्रात:कालीन सूर्य का उदय होना। | क्रान्तिकारी रोशन सिंह ने फाँसी का संदेशा सुनकर बड़े धैर्य, साहस और शौर्य का प्रदर्शन किया।

ठाकुर रोशन सिंह शाहजहाँपुर जिले के नवादा ग्राम के निवासी थे। बचपन से ही वे दौड़-धूप करने में बहुत आगे थे। उन्होंने शाहजहाँपुर और बरेली के गाँवों में घूम-घूमकर असहयोग आन्दोलन का प्रचार किया। | उन्हें अंग्रेजी का मामूली ज्ञान था लेकिन हिन्दी और उर्दू अच्छी तरह जानते थे। जेल से फाँसी के तख्ते तक उनका व्यवहार निर्भीक पुरुष की तरह था। उनका कहना था कि जो आदमी धर्मयुद्ध में प्राण देता है, उसकी वही गति होती है जो जंगल में तपस्या करने वालों की। फाँसी पर चढ़ते ही उन्होंने वन्देमातरम् का नाद किया और ॐ का स्मरण करते हुए शहीद हो गए।

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अभ्यास-प्रश्न

प्रश्न 1.
निम्नलिखित प्रश्नों के संक्षिप्त उत्तर दीजिए
(1) काकोरी काण्ड का उद्देश्य क्या था?
उत्तर :
काकोरी काण्ड का उद्देश्य सरकारी खजाना लूटकर हथियार खरीदना था क्योंकि क्रान्तिकारियों को बन्दूकों की जरूरत थी।

(2) फाँसी की सजा किन क्रान्तिकारियों को दी गई?
उत्तर :
फाँसी की सजा पं० रामप्रसाद बिस्मिल, अशफाक उल्ला खाँ, राजेन्द्र लाहिड़ी और ठाकुर रोशन सिंह को दी गई।

(3) रामप्रसाद बिस्मिल माँ को देखकर क्यों रोए?
उत्तर :
रामप्रसाद बिस्मिल की आँखों में आँसू यह सोचकर आए कि “तुम जैसी माँ फिर कहाँ पाऊँगा।” इस कमी का आभास होने से माँ को देखकर रोए।

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प्रश्न 2.
सही मिलान कीजिए (मिलान करके)
उत्तर :
UP Board Solutions for Class 8 Hindi Chapter 34 सरफरोशी की तमन्ना (महान व्यक्तित्व) 1
प्रश्न 3.
सही (✓) अथवा गलत (✗) का निशान लगाइए

  • अशफाक उल्ला, रामप्रसाद के बचपन के मित्र थे। (✓)
  • राजेन्द्र लाहिड़ी फाँसी की सजा सुनकर डर गए। (✗)
  • ठाकुर रोशन सिंह दौड़ने-धूपने के काम में आगे थे। (✓)
  • राम प्रसाद बिस्मिल क्रांतिकारी होने के साथ-साथ लेखक भी थे। (✓)

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UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 8 Quadrilaterals

UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 8 Quadrilaterals (चतुर्भुज)

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प्रश्नावली 8.1

प्रश्न 1.
एक चतुर्भुज के कोण 3 : 5 : 9 : 13 के अनुपात में हैं। इस चतुर्भुज के सभी कोण ज्ञात कीजिए।
हल :
चतुर्भुज के कोणों का अनुपात 3 : 5 : 9 : 13 है।
अतः माना कि चतुर्भुज के कोण क्रमशः 3x, 6x, 9x और 13x हैं।
चतुर्भुज के (अन्तः) कोणों का योग = 360°
3x + 5x + 9x + 13x = 360°
⇒ 30x = 360°
⇒ x = 12°
पहला कोण = 3x = 3 x 12 = 36°
दूसरा कोण = 5x = 5 x 12 = 60°
तीसरा कोण = 9x = 9 x 12 = 108°
तथा चौथा कोण = 13x = 13 x 12 = 156°
अतः चतुर्भुज के कोण क्रमशः 36°, 60°, 108° व 156° हैं।

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प्रश्न 2.
यदि एक समान्तर चतुर्भुज के विकर्ण बराबर हों तो दर्शाइए कि वह एक आयत है।
UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 8 Quadrilaterals img-1
हल :
दिया है : चतुर्भुज ABCD एक समान्तर चतुर्भुज है। जिसमें विकर्ण AC = BD है। विकर्णो का प्रतिच्छेद बिन्दु O है।
सिद्ध करना है : चतुर्भुज ABCD एक आयत है।
उपपत्ति : समान्तर चतुर्भुज ABCD के बिकर्ण AC और BD हैं जो O पर प्रतिच्छेद करते हैं।
तथा AC = BD
AO + OC = BO + OD (चित्र से) …(1)
AC और BD समान्तर चतुर्भुज के विकर्ण हैं और बिन्दु O पर काटते हैं।
AO = OC और BO = OD ……(2)
तब समीकरण (1) व (2) से,
AO + AO = BO + BO
⇒ AO = BO
AO = BO = CO = OD
तब ∆OAD में,
AO = OD
⇒ ∠ADO = ∠DAO (त्रिभुज में समान भुजाओं के सम्मुख कोण समान होते हैं।)
∠AOB, ∆OAD का बहिष्कोण है।
∠AOB = ∠DAO + ∠ADO
⇒ ∠AOB = DAO + ∠DAO (∠ADO = ∠DAO)
⇒ ∠AOB = 2 ∠DAO …(3)
और ∆OAB में भी, AO = OB ⇒ ∠ABO = ∠BAO (त्रिभुज में समान भुजाओं के सम्मुख कोण समान होते हैं।)
∠AOD, ∆OAB का बहिष्कोण है,
∠AOD = ∠BAO + ∠ABO
∠AOD = ∠ BAO + ∠BAO (∠ABO = ∠BAO)
∠AOD = 2 ∠BAO …(4)
समीकरण (3) व (4) को जोड़ने पर,
∠AOB + ∠AOD = 2 ∠DAO + 2 ∠BAO
⇒ ∠BOD = 2 (∠DAO + ∠BAO) = 2 ∠BAD (चित्र से)
2 ∠BAD = 180° (क्योंकि BOD एक ऋजु रेखा है।)
∠BAD = 90°
चतुर्भुज ABCD में ∠A = 90°
चतुर्भुज ABCD एक समान्तर चतुर्भुज है
तथा ∠A + ∠D = 180° (अन्त:कोणों का योग)
∠D = ∠A = ∠D = 90° (∠A = 90°)
तब ∠B और ∠C में से भी प्रत्येक 90° होगा।
समान्तर चतुर्भुज ABCD में, AB = CD और BC = DA
और ∠A = ∠B = ∠C = ∠D = 90°
अतः समान्तर चतुर्भुज ABCD एक आयत है।
Proved.

प्रश्न 3.
दर्शाइए कि यदि एक चतुर्भुज के विकर्ण परस्पर समकोण पर समद्विभाजित करें, तो वह एक समचतुर्भुज होता है।
UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 8 Quadrilaterals img-2
हल :
ज्ञात है : एक चतुर्भुज ABCD जिसके विकर्ण AC और BD एक-दूसरे को बिन्दु D 0 पर परस्पर समकोण पर समद्विभाजित करते हैं।
अर्थात् ∠AOD = ∠COD = 90°
तथा OA = OC तथा OB = OD
सिद्ध करना है : चतुर्भुज ABCD एक समचतुर्भुज है।
उपपत्ति: ∆AOD
तथा ∆COB में, OA = OC (दिया है।)
∠AOD = ∠ COB (शीर्षाभिमुख कोण हैं।)
OD = OB (दिया है।)
∆AOD = ∆COB (S.A.S. से)
∠OAD = ∠OCB (C.P.C.T.)
परन्तु ∠OAD = ∠CAD
तथा ∠OCB = ∠ACB
∠CAD = ∠ACB
इससे प्रदर्शित होता है कि AD और BC को तिर्यक रेखा AC द्वारा काटने पर बने एकान्तर अन्त: कोण CAD तथा ACB बराबर हैं जो केवल तभी सम्भव है जबकि AD एवं BC एक-दूसरे के समान्तर हों।
AD एवं BC एक-दूसरे के समान्तर हैं। …(1)
इसी प्रकार सिद्ध किया जा सकता है कि AB एवं DC एक-दूसरे के समान्तर हैं।
इस प्रकार सिद्ध हुआ कि ABCD एक समान्तर चतुर्भुज है।
अब हम दिखाएँगे कि AB = BC = CD = DA
∆AOD तथा ∆COD में,
OA = OC (दिया है।)
∠AOD = ∠COD = 90° (दिया है।)
OD = OD (उभयनिष्ठ है।)
∆AOD = ∆COD (S.A.S. से)
AD = CD (C.P.C.T.)
इससे प्रदर्शित होता है कि ABCD एक ऐसा समान्तर चतुर्भुज है जिसकी क्रमागत भुजाओं का एक युग्म AD, CD बराबर है।
अतः समान्तर चतुर्भुज ABCD एक समचतुर्भुज है।
Proved.

प्रश्न 4.
दर्शाइए कि एक वर्ग के विकर्ण बराबर होते हैं और परस्पर समकोण पर समद्विभाजित करते हैं।
UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 8 Quadrilaterals img-3
हल :
दिया है : चतुर्भुज ABCD एक वर्ग है जिसके विकर्ण AC और BD परस्पर बिन्दु O पर काटते हैं। सिद्ध करना है:
AC = BD और ∠AOB एक समकोण या 90° उपपत्ति: चतुर्भुज ABCD एक वर्ग है।
AB = BC = CD = DA
∠A = ∠B= ∠C = ∠D = 90°
तब ∆ABC और ∆BCD समकोण त्रिभुज हैं।
अब ∆ABC और ∆DCB में,
AB = DC (वर्ग की भुजाएँ हैं।)
∠B= ∠C (प्रत्येक 90°)
BC = BC (उभयनिष्ठ भुजा है।)
∆ABC = ∆DCB (S.A.S. से)
AC = BD (C.P.C.T.)
चतुर्भुज ABCD एक वर्ग है।
AB = BC = CD = DA
AB = CD और BC = DA
चतुर्भुज ABCD एक समान्तर चतुर्भुज भी है।
इसके विकर्ण AC तथा BD परस्पर (बिन्दु O पर) समद्विभाजित करेंगे।
AO = BO = CO = DO
अब ∆AOB और ∆COB में,
AO = CO (ऊपर सिद्ध किया है।)
AB = CB (वर्ग की भुजाएँ हैं।)
BO = BO (उभयनिष्ठ भुजा है।)
∆AOB = ∆COB (S.S.S. से)
∠AOB = ∠COB (C.P.C.T.) …(1)
परन्तु AOC (विकर्ण) एक ऋजु रेखा है,
∠AOB + ∠BOC = 180°
समीकरण (1) व (2) के हल से,
∠AOB = ∠COB = 90°
अतः वर्ग के विकर्ण बराबर होते हैं और परस्पर समकोण पर समद्विभाजित करते हैं।
Proved.

प्रश्न 5.
दर्शाइए कि यदि एक चतुर्भुज के विकर्ण बराबर हों और वे परस्पर समकोण पर समद्विभाजित करें तो वह एक वर्ग होता है।
UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 8 Quadrilaterals img-4
हल :
दिया है: ABCD एक चतुर्भुज है जिसमें विकर्ण AC और BD बराबर हैं तथा एक-दूसरे को बिन्दु O पर इस प्रकार काटते हैं कि AO = OC तथा BO = OD तथा AC ⊥ BD
सिद्ध करना है : चतुर्भुज ABCD एक वर्ग है।
उपपत्ति : चतुर्भुज ABCD के विकर्ण परस्पर बिन्दु O पर समद्विभाजित करते हैं।
चतुर्भुज ABCD एक समान्तर चतुर्भुज है।
AB = CD …(1)
तथा AB || CD …(2)
अब ∆ABC और ∆DCB में,
AB = DC (ऊपर सिद्ध किया है।)
AC = DB (दिया है।)
BC = BC (उभयनिष्ठ भुजा है।)
∆ABC = ∆DCB (S.S.S. से)
∠B = ∠C (C.P.C.T.) …(3)
AB || CD समीकरण (2) से, और BC एक तिर्यक प्रतिच्छेदी रेखा है।
∠B + ∠C = 180° (अन्त:कोणों का योग) …(4)
समीकरण (3) व (4) से,
∠B = 90° और ∠C = 90°
इस प्रकार चतुर्भुज ABCD एक ऐसा समान्तर चतुर्भुज है जिसका प्रत्येक कोण 90° है।
AC = BD और ये बिन्दु O पर परस्पर समद्विभाजित होते हैं।
AO = BO = CO = DO
AC ⊥ BD ⇒ ∠AOB = 90° तथा ∠ BOC = 90°
तब ∆AOB तथा ∆COB में,
AO = CO (विकर्ण परस्पर समद्विभाजित करते हैं।)
∠AOB= ∠COB (प्रत्येक समकोण है।)
BO = BO (दोनों त्रिभुजों की उभयनिष्ठ भुजा है।)
∆AOB = ∆COB (S.A.S. से)
AB = BC (C.P.C.T.)
तब चतुर्भुज ABCD में,
AB = BC, AB = CD और BC = DA
AB = BC = CD = DA और ∠B = 90°
अर्थात् चारों भुजाएँ बराबर हैं और अन्त:कोण समकोण हैं।
अतः चतुर्भुज ABCD एक वर्ग है।
Proved.

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प्रश्न 6.
समान्तर चतुर्भुज ABCD का विकर्ण AC, ∠A को समद्विभाजित करता है। दर्शाइए कि
(i) यह ∠C को भी समद्विभाजित करता है।
(ii) ABCD एक समचतुर्भुज है।
UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 8 Quadrilaterals img-5
हल :
दिया है : चतुर्भुज ABCD एक समान्तर चतुर्भुज है जिसमें विकर्ण AC, ∠A को समद्विभाजित करता है
अर्थात् ∠ BAC = ∠DAC
सिद्ध करना है :
(i) विकर्ण AC, ∠C को भी समद्विभाजित करता है।
(ii) ABCD एक समचतुर्भुज है।
उपपत्ति : (i) चतुर्भुज ABCD एक समान्तर चतुर्भुज है।
AB || CD तथा BC || DA
AB || CD और AC एक तिर्यक रेखा है।
∠ BAC = ∠ACD (एकान्तर कोण) …(1)
इसी प्रकार, BC || DA और AC एक तिर्यक रेखा है।
∠DAC = ∠ACB (एकान्तर कोण) …(2)
AC, ∠A को समद्विभाजित करता है।
∠BAC = ∠DAC
समीकरण (1) व (2) से,
∠ACB = ∠ACD
अर्थात् AC, ∠C को भी समद्विभाजित करती है।
(ii) ∠BAC = ∠DAC और ∠DAC = ∠ACB
∠BAC = ∠ACB
तब ∆ABC में,
∠BAC = ∠ACB
BC = AB (त्रिभुज में समान कोणों की सम्मुख भुजाएँ समान होती हैं।)
परन्तु ABCD एक समान्तर चतुर्भुज है।
AB = CD तथा BC = DA
AB = BC = CD = DA
चतुर्भुज ABCD एक समचतुर्भुज होगा।
Proved.

प्रश्न 7.
ABCD एक समचतुर्भुज है। दर्शाइए विकर्ण AC कोणों A और C दोनों को समद्विभाजित करता है तथा विकर्ण BD, कोणों B और D दोनों को समद्विभाजित करता है।
UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 8 Quadrilaterals img-6
हल :
दिया है : ABCD एक समचतुर्भुज है।।
सिद्ध करना है : विकर्ण AC, ∠A और ∠C दोनों को समद्विभाजित करता है
तथा विकर्ण BD, ∠B तथा ∠D दोनों को समद्विभाजित करता है।
उपपत्ति : चतुर्भुज ABCD एक समचतुर्भुज है।
AB = BC = CD = DA
∆ABC में,
AB = BC के ∠ACB = ∠BAC …(1) (त्रिभुज में समान भुजाओं के सम्मुख कोण समान होते हैं।)
समचतुर्भुज एक समान्तर चतुर्भुज भी होता है।
AB || CD और AC तिर्यक रेखा है।
∠BAC = ∠ACD (एकान्तर कोण) …(2)
समीकरण (1) व (2) से,
∠ACB = ∠ACD (एकान्तर कोण) …(3)
अर्थात् AC, ∠C का समद्विभाजक है।
BC || DA तथा AC तिर्यक रेखा है के
∠ACB= ∠DAC (एकान्तर कोण) …(4)
तब समीकरण (1) व (4) से,
∠DAC = ∠BAC
अर्थात् AC, ∠A का समद्विभाजक है।
अतः AC, ∠A व ∠C दोनों का समद्विभाजक है।
BC || DA और BD तिर्यक रेखा है।
∠ADB = ∠CBD (एकान्तर कोण) …(5)
इसी प्रकार ∠ABD = ∠ BDC (एकान्तर कोण) …(6)
और : ∆BCD में,
BC = CD ⇒ ∠BDC = ∠CBD …(7)
(त्रिभुज में समान भुजाओं के सम्मुख कोण समान होते हैं।)
तब समीकरण (5) व (7) से,
∠ADB = ∠BDC
अर्थात् BD, ∠D का समद्विभाजक है।
समीकरण (6) व (7) से,
∠ABD = ∠CBD
अर्थात् BD, ∠B का समद्विभाजक है।
BD, ∠B व ∠D दोनों का समद्विभाजक है।
अत: विकर्ण AC, ∠A व ∠C को समद्विभाजित करता है और BD, ∠B व ∠D को समद्विभाजित करता है।
Proved.

प्रश्न 8.
ABCD एक आयत है जिसमें विकर्ण AC दोनों कोणों A व C को समद्विभाजित करता है। दर्शाइए कि
(i) ABCD एक वर्ग है।
(ii) BD, दोनों कोणों B और D को समद्विभाजित करता है।
UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 8 Quadrilaterals img-7
हल :
दिया है : चतुर्भुज ABCD एक आयत है जिसमें विकर्ण AC, ∠A व ∠C दोनों को समद्विभाजित करता है।
BD आयत का दूसरा विकर्ण है।
सिद्ध करना है :
(i) चतुर्भुज ABCD एक वर्ग है।
(ii) BD, ∠B और ∠D दोनों को समद्विभाजित करता है।
उपपत्ति : (i) चतुर्भुज ABCD एक आयत है।
AB = CD तथा ∠A = 90°
विकर्ण AC, ∠A तथा ∠C दोनों को समद्विभाजित करता है।
∠BAC = ∠DAC और ∠BCA = ∠DCA
∆ABC तथा ∆ADC में,
∠BAC =∠DAC (दिया है।)
AC = AC (उभयनिष्ठ भुजा है।)
∠BCA = ∠DCA (दिया है।)
∆ABC = ∆ADC (A.S.A. से)
AB = DA (C.P.C.T.) …(1)
चतुर्भुज ABCD में,
AB = CD; BC = DA;
AB = BC = CD = DA
तथा ∠A = 90° [समीकरण (1) से ]
अतः चतुर्भुज ABCD एक वर्ग है।
Proved.
(ii) ∆BCD में,
BC = CD ⇒ BDC = ∠CBD (त्रिभुज में समान भुजाओं के सम्मुख कोण समान होते हैं।)
अब वर्ग की सम्मुख भुजाएँ समान्तर होती हैं।
अर्थात AB || CD और BD तिर्यक रेखा है।
∠BDC = ∠ABD (एकान्तर कोण) …(2)
समीकरण (1) व (2) से,
∠ABD = ∠CBD
अर्थात् BD, ∠B का समद्विभाजक है।
इसी प्रकार, BC || DA और BD तिर्यक रेखा है।
∠CBD = ∠ADB (एकान्तर कोण) …(3)
समीकरण (1) व (3) से,
∠BDC = ∠ADB
अर्थात् BD, ∠D का समद्विभाजक है।
अत: BD, ∠B तथा ∠D दोनों को समद्विभाजित करता है।
Proved.

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प्रश्न 9.
समान्तर चतुर्भुज ABCD के विकर्ण BD पर दो बिन्दु P और Q इस प्रकार स्थित हैं कि DP = BQ है। दर्शाइए कि
(i) ∆APD = ∆CQB
(ii) AP = CQ
(iii) ∆AQB = ∆CPD
(iv) AQ = CP
(v) APCQ एक समान्तर चतुर्भुज है।
UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 8 Quadrilaterals img-8
हल :
दिया है : चतुर्भुज ABCD एक समान्तर चतुर्भुज है और BD उसका एक विकर्ण है।
BD पर P और Q दो बिन्दु इस प्रकार स्थित हैं कि DP = BQ है।
AP, AQ, CP वे C रेखाखण्ड खींचे गए हैं जिनसे चतुर्भुज APCQ बनता है।
सिद्ध करना है :
(i) ∆APD = ∆CQB
(ii) AP = CQ
(iii) ∆AQB = ∆CPD
(iv) AQ = CP
(v) APCQ एक समान्तर चतुर्भुज है।
उपपत्ति : चतुर्भुज ABCD समान्तर चतुर्भुज है ।
AB = CD तथा और
AB || CD तथा BC|| DA
(i) BC || DA और BD एक तिर्यक रेखा है।
∠ADB = ∠CBD ⇒ ∠ADP = ∠CBQ (एकान्तर कोण)
अब, ∆APD और ∆CQB में,
DA = BC (दिया है।)
∠ADP = ∠CBQ (ऊपर सिद्ध किया है।)
DP = BQ (दिया है।)
∆APD = ∆CQB (S.A.S. से)
Proved.
(ii) ∆APD = ∆CQB
AP = CQ (C.P.C.T.)
Proved.
(iii) AB || CD और BD तिर्यक रेखा है।
∠ABD = ∠BDC के ∠ABQ = ∠PDC (एकान्तर कोण)
अब ∆AQB और ∆CPD में, AB = CD (दिया है।)
∠ABQ = ∠PDC (ऊपर सिद्ध किया है।)
BQ = DP (दिया है।)
∆AQB = ∆CPD (S.A.S. से)
Proved.
(iv) ∆AQB = ∆CPD
AQ = CP (C.P.C.T.)
Proved.
(v) चतुर्भुज APCR में सम्मुख भुजाएँ AP = CQ और AQ = CP [भाग (i) तथा (iv) से]
अत: चतुर्भुज APCQ एक समान्तर चतुर्भुज है।
Proved.

प्रश्न 10.
ABCD एक समान्तर चतुर्भुज है तथा AP और CQ शीर्षों A और C से विकर्ण BD पर क्रमशः लम्ब हैं। दर्शाइए कि
(i) ∆APB = ∆CQD
(ii) AP = CQ
UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 8 Quadrilaterals img-9
हल :
दिया है: चतुर्भुज ABCD एक समान्तर चतुर्भुज है जिसका एक विकर्ण BD है।
BD पर शीर्ष A से AP और शीर्ष C से CQ लम्ब खींचा गया है।
सिद्ध करना है :
(i) ∆APB = ∆CQD
(ii) AP = CQ
उपपत्ति:
(i) चतुर्भुज ABCD एक समान्तर चतुर्भुज है।
AB = CD तथा AB || CD
AB || CD और विकर्ण BD एक तिर्यक रेखा है।
∠ABD = ∠BDC (एकान्तर कोण)
∠1 = ∠2
AP ⊥ BD ⇒ ∠APB= 90°
∆APB में, ∠PAB = 180° – (∠APB + ∠ABP) (त्रिभुज के अन्त:कोणों का योग 180° होता है।)
∠PAB = 180° – (90° + ∠1) = 90° – ∠1
∠3 = 90° – ∠1
इसी प्रकार, CQ ⊥ BD ⇒ ∠CQD = 90°
∆CQD में,
∠QCD = 180° – (∠CQD + ∠CDQ)
= 180° – 90° – ∠2 = 90° – ∠2
∠4 = 90° – 21 (∠1 = ∠2)
∠3 = 90° – ∠1 और ∠4 = 90° – ∠1
∠3 = ∠4 …(2)
तब ∆APB और ∆CQD की तुलना करने पर,
∠1 = ∠2 [समीकरण (1) से]
AB = CD (दिया है।)
∠3 = ∠4 [समीकरण (2) से]
∆APB = ∆CQD (A.S.A. से)
Proved.
(ii) ∆APB = ∆CQD
AP = CQ (C.P.C.T.)
Proved.

प्रश्न 11.
∆ABC और ∆DEF में, AB = DE, AB || DE, BC = EF और BC || EF है। शीर्षों A, B और C को क्रमशः शीर्षों D, E और F से जोड़ा जाता है। दर्शाइए कि
(i) चतुर्भुज ABED एक समान्तर चतुर्भुज है।
(ii) चतुर्भुज BEFC एक समान्तर चतुर्भुज है।
(iii) AD || CF और AD = CF है।
(iv) चतुर्भुज ACFD एक समान्तर चतुर्भुज है।
(v) AC = DF है।
(vi) ∆ABC = ∆DEF है।
UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 8 Quadrilaterals img-10
हल :
दिया है : ∆ABC और ∆DEF दो त्रिभुज हैं जिनमें AB = DE और AB || DE तथा BC = EF और BC || EF हैं। शीर्षों A, B व C को क्रमशः शीर्षों D, E व F से ऋजु रेखाखण्डों द्वारा जोड़ा गया है।
सिद्ध करना है :
(i) चतुर्भुज ABED एक समान्तर चतुर्भुज है।
(ii) चतुर्भुज BEFC एक समान्तर चतुर्भुज है।
(iii) AD || CF और AD = CF है।
(iv) चतुर्भुज ACFD एक समान्तर चतुर्भुज है।
(v) AC = DF है।
(vi) ∆ABC = ∆DEF है।
उपपत्ति :
(i) चतुर्भुज ABED में,
AB = DE और AB || DE
चतुर्भुज ABED की सम्मुख भुजाओं AB वे DE का एक युग्म बराबर और समान्तर है।
अत: चतुर्भुज ABED एक समान्तर चतुर्भुज है।
Proved.
(ii) चतुर्भुज BEFC में, BC = EF और BC || EF
चतुर्भुज BEFC की सम्मुख भुजाओं BC और EF का एक युग्म बराबर और समान्तर है।
अतः चतुर्भुज BEFC एक समान्तर चतुर्भुज है।
Proved.
(iii) चतुर्भुज ABED समान्तर चतुर्भुज है।
AD = BE और AD || BE चतुर्भुज BEFC एक समान्तर चतुर्भुज है।
BE = CF
BE || CF दोनों को मिलाकर,
AD = BE = CF और AD || BE || CF
अतः AD = CF और AD || CF
Proved.
(iv) चतुर्भुज ACFD में,
AD = CF और AD || CF
अर्थात् सम्मुख भुजाओं का एक युग्म बराबर और समान्तर है।
अतः चतुर्भुज ACFD एक समान्तर चतुर्भुज है।
Proved.
(v) चतुर्भुज ACFD एक समान्तर चतुर्भुज है।
सम्मुख भुजाओं के युग्म बराबर होंगे।
अत: AC = DF
Proved.
(vi) ∆ABC और ∆DEF की तुलना करने पर,
AB = DE (दिया है।)
AC = DF (अभी सिद्ध किया है।)
BC = EF (दिया है।)
∆ABC = ∆DEF (S.S.S. से)
Proved.

प्रश्न 12.
ABCD एक समलम्ब है, जिसमें AB || DC और AD = BC है। दर्शाइए कि
(i) ∠A = ∠B
(ii) ∠C = ∠D
(iii) ∆ABC = ∆BAD
(iv) विकर्ण AC = विकर्ण BD
UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 8 Quadrilaterals img-11
हल :
दिया है : चतुर्भुज ABCD एक समलम्ब है, जिसमें AB || DC और AD = BC है।
सिद्ध करना है :
(i) ∠A = ∠B
(ii) ∠C = ∠D
(iii) ∆ABC = ∆BAD
(iv) विकर्ण AC = विकर्ण BD
रचना : विकर्ण AC तथा BD खींचे।
AB को आगे बढ़ाया और बिन्दु C से DA के समान्तर रेखा खींची जो बढ़ी हुई ABP को बिन्दु E पर काटे।
उपपत्ति : (i) : समलम्ब चतुर्भुज ABCD में AB|| DC और AB को बढ़ाया गया है।
AE || DC और AD || CE (रचना से) …(2)
चतुर्भुज ADCE एक समान्तर चतुर्भुज है।
∠DAE = ∠DCE (सम्मुख कोण) …(3)
∠ADC = ∠AEC (सम्मुख कोण) …(4)
AB || DC और BC एक तिर्यक रेखा है
∠BCD = ∠CBE (एकान्तर कोण) …(5)
चतुर्भुज ADCEएक समान्तर चतुर्भुज है।
AD = CE परन्तु दिया है कि
AD = BC
BC = CE
∠BEC = ∠CBE (त्रिभुज में समान भुजाओं के सम्मुख कोण समान होते हैं।) …(6)
अब समान्तर चतुर्भुज ADCE में,
∠A = ∠DCE (समीकरण (3) से)
= ∠ BCD +∠BCE (चित्र से)
=∠CBE +∠BCE (समीकरण (5) से)
= ∠ BEC+∠BCE (समीकरण (6) से)
= ∠CBA (∠CBA, ∆BCE का बहिष्कोण है।)
∠A = ∠B (समलम्ब ABCD में)
Proved.
(ii) AB || CD और AD तिर्यक रेखा है।
∠A + ∠D = 180° (अन्त:कोणों का योग)
∠D = 180° – ∠A
∠D = 180° – ∠B [∠A= ∠B भाग (i) से)]
इसी प्रकार, AB || CD और BC तिर्यक रेखा है।
∠ABC + ∠BCD = 180° (अन्त:कोणों का योग)
∠ BCD = 180° – ∠ABC
∠C = 180° – ∠B
तब ∠C व ∠D की तुलना करने पर,
∠C = ∠D
Proved.
(iii) ∆ABC और ∆BAD में,
BC = AD (दिया है।)
∠A = ∠B [भाग (1) से)]
AB = AB (उभयनिष्ठ भुजा है।)
∆ABC = ∆BAD (S.A.S. से)
(iv) ∆ABC = ∆BAD
AC = BD (C.P.C.T.)
अतः समलम्ब का विकर्ण AC = विकर्ण BD
Proved.

UP Board Solutions

प्रश्नावली 8.2

प्रश्न 1.
ABCD एक चतुर्भुज है जिसमें P, Q, R और S क्रमशः भुजाओं AB, BC, CD और DA के मध्य-बिन्दु हैं। AC उसका एक विकर्ण है। दर्शाइए कि
(i) SR || AC और SR = [latex]\frac { 1 }{ 2 }[/latex] AC है।
(ii) PQ = SR है।
(iii) PQRS एक समान्तर चतुर्भुज है।
UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 8 Quadrilaterals img-12
हल :
दिया है : चतुर्भुज ABCD में P, Q, R व S क्रमश: भुजाओं AB, BC, CD व DA के मध्ये-बिन्दु हैं।
P, Q, R व S को ऋजु रेखाखण्ड PQ, QR, RS व SP द्वारा जोड़कर चतुर्भुज PQRS प्राप्त किया गया है।
सिद्ध करना है :
(i) SR || AC और SR = AC
(ii) PQ = SR
(iii) PQRS एक समान्तर चतुर्भुज है।
उपपत्ति : (i) ∆ACD में,
CD का मध्य-बिन्दु R तथा AD का मध्य-बिन्दु S है।
किसी त्रिभुज की दो भुजाओं के मध्य-बिन्दुओं को मिलाने वाला रेखाखण्ड तीसरी भुजा के समान्तर और तीसरी भुजा का आधा होता है।
अतः रेखाखण्ड SR || AC और SR = [latex]\frac { 1 }{ 2 }[/latex] AC होगा। …(1)
Proved.
(ii) ∆ABC में, AB का मध्य-बिन्दु P है और BC का मध्यबिन्दु Q है।
रेखाखण्ड PQ || AC और PQ = [latex]\frac { 1 }{ 2 }[/latex] AC
अब (1) और (2) से
PQ || SR और PQ = SR
अतः PQ = SR
Proved.
(iii) ऊपर सिद्ध हुआ है कि PQ || SR और PQ = SR
चतुर्भुजं PQRS में P और RS सम्मुख भुजाओं का युग्म है जो परस्पर बराबर भी है और समान्तर भी।
अत: चतुर्भुज PQRS एक समान्तर चतुर्भुज होगी।
Proved.

प्रश्न 2.
ABCD एक समचतुर्भुज है और P, Q, R, S क्रमशः भुजाओं AB, BC, CD और DA के मध्य-बिन्दु हैं। दर्शाइए कि चतुर्भुज PQRS एक आयत है।
UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 8 Quadrilaterals img-13
हल :
दिया है: ABCD एक समचतुर्भुज है। जिसकी भुजाओं AB, BC, CD, DA के मध्य-बिन्दु क्रमशः P, Q, R, S हैं।
सिद्ध करना है : PQRS एक आयत है।
रचना : रेखाखण्ड QS को मिलाया।
उपपत्ति : ABCD एक समचतुर्भुज है,
AB = BC = CD = DA
तथा ∠A = ∠C और ∠B = ∠D
P, Q, R, S क्रमश: AB, BC, CD, DA के मध्य-बिन्दु हैं।
AP = BP = BQ = CQ = CR = RD = DS = AS
∆APS और ∆QCR में,
AP = CR (दिया है।)
∠A = ∠C (दिया है।)
AS = CQ (दिया है।)
∆APS = ∆CRQ (S.A.S. से)
PS = QR (C.P.C.T.) …(1)
∆PBQ तथा ∆RDS में,
BP = DR (दिया है।)
∠B = ∠D (दिया है।)
BQ = DS (दिया है।)
∆PBQ = ∆RDS (S.A.S. से)
PQ = RS (C.P.C.T.) …(2)
AB || CD और बिन्दु Q तथा S क्रमश: BC और DA के मध्य-बिन्दु हैं।
QS || AB तथा QS = CD
QS || AB और PS तिर्यक रेखा है।
∠PSQ= ∠ APS (एकान्तर कोण)
परन्तु ∠ APS = ∠ASP (AS = AP)
∠ PSQ = ∠ ASP …(3)
इसी प्रकार, ∠RSQ = ∠DSR …(4)
∠ ASP +∠PSQ + ∠RSQ +∠DSR = 180° (एक रेखा पर बने कोण)
∠PSQ + ∠ PSQ + ∠RSQ + ∠RSQ = 180° [समीकरण (3) व (4) से]
2 (∠PSQ + ∠RSQ) = 180°
2 ∠S = 180° या ∠S = 90°
(∠S = ∠PSQ + ∠RSQ)…(5)
समीकरण (1) और (2) से,
PQRS एक समान्तर चतुर्भुज है और समीकरण (5) से उसका एक अन्त:कोण समकोण है।
अतः PQRS एक आयत है।
Proved.

प्रश्न 3.
ABCD एक आयत है जिसमें P, Q, R और S क्रमशः भुजाओं AB, BC, CD और DA के मध्य-बिन्दु हैं। दर्शाइए कि चतुर्भुज PQRS एक समचतुर्भुज है।
UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 8 Quadrilaterals img-14
हल :
दिया है : चतुर्भुज ABCD एक आयत है जिसकी भुजाओं AB, BC, CD और DA के मध्य-बिन्दु क्रमशः P, Q, R और S हैं।
रेखाखण्ड PG, QR, RS और SP एक चतुर्भुज PQRS बनाते हैं।
सिद्ध करना है : चतुर्भुज PQRS एक समचतुर्भुज है।
उपपत्ति: ΔAPS और ΔDRS में,
AS = DS (S, AD का मध्य-बिन्दु है)।
∠A = ∠D (आयत के अन्त:कोण)
AP = DR (P, AB का तथा R, CD का मध्य बिन्दु है तथा AB = CD)
ΔAPS = ΔDRS (S.A.S. से)
SP = SR (C.P.C.T.) …(1)
ΔAPS और ΔBPQ में,
AP = BP (P, AB का मध्य-बिन्दु है)
∠A = ∠B (आयत के अन्त:कोण)
AS = BQ (AD = BC और S तथा Q इनके क्रमश: मध्य-बिन्दु हैं)
ΔAPS = ΔBPQ (S.A.S. से)
SP = QP (C.P.C.T.) …(2)
ΔAPS और ΔCRQ में,
AP = CR (AP = [latex]\frac { 1 }{ 2 }[/latex] AB = [latex]\frac { 1 }{ 2 }[/latex] CD = RC) (प्रत्येक समकोण)
∠A = ∠C
AS = CQ ( AS = [latex]\frac { 1 }{ 2 }[/latex] AD = [latex]\frac { 1 }{ 2 }[/latex] BC = QC)
ΔAPS = ΔCRQ (S.A.S. से)
SP = QR (C.P.C.T.) …(3)
समीकरण (1), (2) और (3) से,
SP = RS = PQ = QR
PQRS एक समचतुर्भुज है।
Proved.

प्रश्न 4.
ABCD एक समलम्ब है, जिसमें AB || CD है। साथ ही BD एक विकर्ण है और E भुजा AD का मध्य-बिन्दु है। E से होकर एक रेखा AB के समान्तर खींची गई है जो BC को F पर प्रतिच्छेद करती है। दर्शाइए कि F भुजा BC का मध्य-बिन्दु है।
UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 8 Quadrilaterals img-15
हल :
दिया है : चतुर्भुज ABCD एक समलम्ब है जिसमें AB || CD है। BD. समलम्ब ABCD का एक विकर्ण है।
भुजा AD का मध्य-बिन्दु E है।
E से AB के समान्तर एक रेखा EF खींची गई है जो BC को बिन्दु F पर तथा BD को बिन्दु O पर प्रतिच्छेद करती है।
सिद्ध करना है : F, BC का मध्य-बिन्दु है।
उपपत्ति : ΔABD में, बिन्दु E भुजा AD का मध्य-बिन्दु है और चूँकि EF, AB के समान्तर है।
बिन्दु O, BD को समद्विभाजित करेगा अर्थात् O, भुजा BD का मध्य-बिन्दु है।
AB || CD और EF || AB
EF || CD या OF || CD
अब ΔBCD में,
O, BD को मध्य-बिन्दु है
और OF || CD, जो BC को F पर प्रतिच्छेद करती है।
अत: F, BC का मध्य-बिन्दु है।
Proved.

UP Board Solutions

प्रश्न 5.
एक समान्तर चतुर्भुज ABCD में E और F क्रमशः भुजाओं AB और CD के मध्य-बिन्दु हैं। दर्शाइए कि रेखाखण्ड AF और CE विकर्ण BD को समत्रिभाजित करते हैं।
UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 8 Quadrilaterals img-16
हल :
दिया है : ABCD एक समान्तर चतुर्भुज है। बिन्दु E और F क्रमश: उसकी भुजाओं AB तथा CD के मध्य-बिन्दु हैं।
उसका विकर्ण BD, रेखाखण्डों AF तथा CE से क्रमशः बिन्दुओं P और Q पर विभक्त होता है।
सिद्ध करना है : BD को AF और CE तीन बराबर भागों में बाँटते हैं
अर्थात् DP = PQ = QB
उपपत्ति : ABCD एक समान्तर चतुर्भुज है।
AB || CD तथा AB = CD
और E तथा F क्रमश: AB और CD के मध्य-बिन्दु हैं।
AE || CF और AE = CF
AECF एक समान्तर चतुर्भुज है।
AF || CE ……(1)
AP|| EQ …(2)
PF || CQ …(3)
ΔDQC में, बिन्दु F, भुजा CD का मध्य-बिन्दु है। (ज्ञात है।)
और PF || CQ (समीकरण (3) से)
P, DQ का मध्य-बिन्दु है।
DP = PQ …(4)
पुनः ΔABP में, बिन्दु E भुजा AB का मध्य-बिन्दु है
और EQ || AP (समीकरण (2) से)
Q, BP का मध्य-बिन्दु है। QB = PQ …(5)
समीकरण (4) और (5) से, DP = PQ = QB
अतः रेखाखण्ड AF और CE, विकर्ण BD को तीन बराबर भागों में विभक्त करते हैं।
Proved.

प्रश्न 6.
दर्शाइए कि चतुर्भुज की सम्मुख भुजाओं के मध्य बिन्दुओं को मिलाने वाले रेखाखण्ड परस्पर समद्विभाजित करते हैं।
UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 8 Quadrilaterals img-17
हल :
दिया है : चतुर्भुज ABCD की भुजाओं AB, BC, CD और DA के मध्य-बिन्दु क्रमशः P, Q, R, S हैं।
सम्मुख भुजाओं AB और CD के मध्य-बिन्दुओं P और R को मिलाकर रेखाखण्ड PR बनता है
तथा BC और DA के मध्य-बिन्दुओं Q और S को मिलाकर रेखाखण्ड QS बनता है।
सिद्ध करना है : PR और QS परस्पर समद्विभाजित करते हैं।
रचना : रेखाखण्ड PQ, QR, RS और SP को मिलाइए
तथा विकर्ण AC और BD खींचिए।
उपपत्ति: ΔABC में,
P, AB का तथा Q, BC का मध्य-बिन्दु है।
PQ = [latex]\frac { 1 }{ 2 }[/latex] AC और PQ || AC …(1)
पुनः ΔACD में, R, CD का ओर S, DA का मध्य-बिन्दु है।
RS = [latex]\frac { 1 }{ 2 }[/latex] AC और RS || AC
PQ = RS और PQ || RS [समीकरण (1) व (2) से]
PQRS एक समान्तर चतुर्भुज है।
समान्तर चतुर्भुज PQRS के विकर्ण PR तथा SQ हैं।
अत: PR तथा SQ परस्पर समद्विभाजित करते हैं।
Proved.

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प्रश्न 7.
ABC एक त्रिभुज है जिसका कोण C समकोण है। कर्ण AB के मध्य-बिन्दु M से होकर BC के समान्तर खींची गई रेखा AC को D पर प्रतिच्छेद करती है। दर्शाइए कि :
(i) D भुजा AC का मध्य-बिन्दु है।
(ii) MD ⊥ AC है।
(iii) CM = MA = [latex]\frac { 1 }{ 2 }[/latex] AB है। .
UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 8 Quadrilaterals img-18
हल:
दिया है: ΔABC में ∠C समकोण है और AB कर्ण है जिसका मध्य-बिन्दु M है।
बिन्दु M से एक रेखा BC के समान्तर खींची गई है जो AC को बिन्दु D पर प्रतिच्छेद करती है।
सिद्ध करना है :
(i) D भुजा AC का मध्य-बिन्दु है।
(ii) MD ⊥ AC
(iii) CM = MA = [latex]\frac { 1 }{ 2 }[/latex] AB
रचना : रेखाखण्ड CM खींचा।
उपपत्ति : (i) ΔABC में,
M कर्ण AB का मध्य-बिन्दु है और M से BC के समान्तर खींची गई Aरेखा AC को बिन्दु D पर प्रतिच्छेद करती है जिससे MD || BC है।
अतः बिन्दु D, AC का मध्य-बिन्दु होगा।
Proved.
(ii) MD || BC और तिर्यक रेखा AC इन्हें प्रतिच्छेद करती है।
∠MDA = ∠C
∠MDA = 90°
MD ⊥ AD या MD ⊥ AC
अतः (iii) ΔMDA तथा ΔMDC में,
AD = CD (D, AC का मध्य-बिन्दु है।)
∠MDA = ∠MDC (MD ⊥ AC)
MD = MD (उभयनिष्ठ भुजा है।)
ΔMDA = ΔMDC (S.A.S. से)
MA = CM (C.P.C.T.)
परन्तु M, AB का मध्य-बिन्दु है जिससे
MA = [latex]\frac { 1 }{ 2 }[/latex] AB
अतः CM = MA = [latex]\frac { 1 }{ 2 }[/latex] AB
Proved.

We hope the UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 8 Quadrilaterals (चतुर्भुज) help you. If you have any query regarding UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 8 Quadrilaterals (चतुर्भुज), drop a comment below and we will get back to you at the earliest.

UP Board Solutions for Class 9 Home Science Chapter 11 व्यक्तिगत सज्जा : उचित वेशभूषा

UP Board Solutions for Class 9 Home Science Chapter 11 व्यक्तिगत सज्जा : उचित वेशभूषा

These Solutions are part of UP Board Solutions for Class 9 Home Science . Here we have given UP Board Solutions for Class 10 Home Science Chapter 11 व्यक्तिगत सज्जा : उचित वेशभूषा.

विस्तृत उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1:
व्यक्तिगत सज्जा से क्या तात्पर्य है? व्यक्तिगत सज्जा हेतु वस्त्रों का चयन करते समय आप किन-किन मुख्य बातों का ध्यान रखेंगी?
या
व्यक्तिगत सज्जा और वेशभूषा में वस्त्रों का क्या स्थान है? किसी व्यक्ति के लिए वस्त्रों के चयन में कौन-सी सावधानियाँ अपेक्षित हैं?
उत्तर:
उपयुक्त वेशभूषा व्यक्तिगत सज्जा का मूल आधार है। सुन्दर एवं उपयुक्त वस्त्रों से मनुष्य का बाहरी व्यक्तित्व आकर्षक हो जाता है, आत्मविश्वास में वृद्धि होती है एवं इससे मनुष्य को मानसिक प्रसन्नता होती है। उपयुक्त वस्त्र आयु, लिंग, व्यवसाय, अवसर एवं ऋतुओं के अनुकूल होते हैं। ये मनुष्य को शारीरिक सुख एवं आराम प्रदान करने के साथ-साथ उसके रहन-सहन के स्तर के भी परिचायक होते हैं। अतः (UPBoardSolutions.com) संक्षेप में हम कह सकते हैं कि व्यक्तिगत सज्जा व्यक्ति-विशेष के मानसिक, आर्थिक, सामाजिक, अवसर के अनुकूल एवं रहन-सहन के अपेक्षित स्तर को बनाए रखने व प्रदर्शित करने की प्रभावशाली विधि है।

व्यक्तिगत सज्जा का अर्थ
उपर्युक्त सामान्य परिचय के आधार पर व्यक्तिगत सज्जा का अर्थ स्पष्ट किया जा सकता है। वास्तव में, व्यक्ति के बाहरी व्यक्तित्व को निखारने एवं आकर्षक बनाने के लिए व्यक्ति द्वारा अपनाए जाने वाले समस्त उपायों एवं साधनों को ही सम्मिलित रूप से व्यक्तिगत सज्जा कहा जाता है। व्यक्तिगत सज्जा के माध्यम से व्यक्ति अपने शरीर अर्थात् व्यक्तित्व के प्रकट रूप को अधिक-से-अधिक आकर्षक, निखरा हुआ तथा प्रभावशाली बनाने का प्रयास करते हैं। व्यक्तिगत सज्जा का मुख्यतम साधन वेशभूषा है। उत्तम वेशभूषा द्वारा (UPBoardSolutions.com) व्यक्तिगत सज्जा में विशेष योगदान प्राप्त होता है। वेशभूषा के अतिरिक्त व्यक्ति द्वारा किया जाने वाला श्रृंगार, बाल सँवारने का ढंग, बातचीत करने का ढंग, उठने-बैठने का ढंग तथा व्यक्ति के हाव-भाव व्यक्तिगत सज्जा के महत्त्वपूर्ण कारक हैं। इन सभी कारकों के प्रति जागरूक व्यक्ति निश्चित रूप से उत्तम व्यक्तिगत सज्जा को प्रदर्शित कर सकता है तथा समाज में आकर्षण का केन्द्र बन सकता है।

वस्त्रों का चयन करते समय ध्यान रखने योग्य बातें वस्त्र केवल तन ढकने का ही कार्य नहीं करते वरन् व्यक्ति-विशेष के बाहरी व्यक्तित्व को आकर्षक एवं प्रभावशाली बनाने में भी महत्त्वपूर्ण योगदान देते हैं। अत: उपयुक्त वस्त्रों का चयन करते समय उनकी निम्नवर्णित विशेषताओं को दृष्टिगत रखना चाहिए

(1) आकर्षक एवं आरामदायक वस्त्र-वस्त्रों का चयन करते समय देखें कि

  • (क) वस्त्र सही फिटिंग अथवा शारीरिक माप वाले एवं सुन्दर होने चाहिए,
  • (ख) वस्त्र न तो बहुत पुराने और न ही आधुनिकतम चलन के हों,
  • (ग) रंगों का चयन अवसर, व्यवसाय एवं आयु के अनुरूप हो,
  • (घ) चयन का आधार किसी की नकल के अनुसार न होकर अपने कद-काठी व रुचि के अनुसार होना चाहिए।

उपर्युक्त नियमों के अनुरूप चयनित वस्त्र देखने में अच्छे लगते हैं, आरामदायक होते हैं एवं व्यक्ति-विशेष की सामाजिक प्रतिष्ठा में वृद्धि करते हैं।

(2) ऋतुओं के अनुकूल वस्त्र:
विभिन्न ऋतुओं में प्रायः उनके अनुकूल ही वस्त्र पहनने चाहिए; जैसे कि ग्रीष्म ऋतु में सूती एवं शरद ऋतु में ऊनी वस्त्र ही आरामदायक रहते हैं। सूती वस्त्र शरीर से निकलने वाले पसीने को सोखकर ठण्डेपन का आभास कराते हैं, जबकि ऊनी वस्त्र शीत ऋतु में शारीरिक ऊष्मा को अन्दर ही रोककर शरीर को गर्म रखते हैं।

(3) अवसरानुकूल वस्त्र:
घर में सामान्यतः सूती वस्त्र पहनने में हर प्रकार की सुविधा रहती है, परन्तु विशिष्ट अवसरों (विवाह, जन्मदिन व अन्य महत्त्वपूर्ण उत्सव आदि) पर मूल्यवान् व सुन्दर वस्त्र पहनना सामाजिक प्रतिष्ठा बनाए रखने के लिए आवश्यक है; जैसे कि विवाह अथवा जन्मदिन के अवसर पर जरीदार (UPBoardSolutions.com) बनारसी साड़ियाँ, रेशमी व कृत्रिम तन्तुओं से निर्मित सुन्दर व आधुनिक फैशन के वस्त्र पहनने से एकत्रित जनसमूह के मध्य सम्मान एवं प्रशंसा प्राप्त होती है।

(4) मजबूत व टिकाऊ वस्त्र:
प्रायः पक्के रंगों के मजबूत व टिकाऊ वस्त्र खरीदने राहिए। उदाहरण के लिए टेरीकॉट, नायलॉन, टेरीलीन आदि वस्त्र सूती व रेशमी वस्त्रों से अधिक मजबूत व टिकाऊ होते हैं। अतः इनका यथासम्भव अधिक उपयोग आर्थिक दृष्टि से लाभदायक रहता है।

(5) सरलता से धुलने वाले वस्त्र:
सामान्यतः कृत्रिम तन्तुओं से निर्मित वस्त्रों को धोना सरल होता है, क्योंकि ये न तो सिकुड़ते हैं और न ही सूखने में अधिक समय लेते हैं। मोटे सूती वस्त्रों को धोने में अधिक श्रम की आवश्यकता होती है तथा इन पर लगे दाग व धब्बे भी सहज ही दूर नहीं होते। मूल्यवान ऊनी, रेशमी व जरीदार वस्त्रों की धुलाई कठिन व महँगी होने के कारण इन्हें सावधानीपूर्वक विशिष्ट अवसरों पर ही उपयोग में लाना चाहिए।

(6) सिकुड़न व सिलवट मुक्त वस्त्र:
वस्त्र खरीदते समय यह अवश्य ध्यान रखें कि धुलाई का उस पर क्या प्रभाव पड़ सकता है। एक उपयोगी वस्त्र न तो धोने पर सिकुड़ना चाहिए और न ही उसमें अनावश्यक सिलवटें पड़नी चाहिए। उदाहरणार्थ टेरीकॉट, टेरीलीन, रेयॉन इत्यादि वस्त्र। इन वस्त्रों पर इस्तरी (प्रेस) करने के श्रम की भी पर्याप्त बचत होती है।

(7) आर्थिक क्षमता के अनुरूप वस्त्र:
वस्त्र खरीदते समय पारिवारिक बजट का विशेष ध्यान रखना चाहिए, क्योंकि ऐसा न करने पर प्रायः मानसिक क्लेश उत्पन्न होता है तथा पारिवारिक अर्थव्यवस्था भी प्रभावित होती है। अतः सामान्यतः अपनी आर्थिक क्षमता के अनुरूप वस्त्रों को खरीदना ही विवेकपूर्ण रहता है।

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प्रश्न 2:
वस्त्रों के चयन के मुख्य आधार कौन-कौन से हैं? समझाइए।
या
शारीरिक विशेषताओं, आयु एवं लिंग के अनुसार वस्त्रों का चयन आप किस प्रकार करेंगी?
उत्तर:
मनुष्य के दैनिक जीवन के लिए उपयुक्त वस्त्रों का अत्यधिक महत्त्व है। उपयुक्त वस्त्रों को चयन कोई सरल कार्य नहीं है। इसके लिए व्यक्ति विशेष की आर्थिक, सामाजिक, मानसिक, आयु वर्ग एवं व्यवसाय सम्बन्धी परिस्थितियों का विशेष ध्यान रखना पड़ता है।
उपर्युक्त सभी कारकों को ध्यान में रखते हुए उचित वस्त्रों के चयन के निम्नलिखित आधार माने जा सकते हैं

  1.  शारीरिक विशेषताएँ,
  2.  लिंग एवं आयु,
  3. व्यवसाय एवं पद,
  4. मौसम एवं भौगोलिक परिस्थिति।

(1) शारीरिक विशेषताएँ:
वस्त्रों का चयन करते समय शारीरिक विशेषताओं को ध्यान में रखना अत्यधिक आवश्यक है। उदाहरणस्वरूप–औसत कद वाले व्यक्तियों पर प्रायः सभी प्रकार के वस्त्र अच्छे लगते हैं। लम्बे कद की स्त्रियों को साड़ी और ब्लाउज के विभिन्न रंग, बड़े डिजाइन व हल्के रंगों का प्रयोग करना चाहिए। (UPBoardSolutions.com) नाड़े कद की स्त्रियों को लम्बी दिखाई पड़ने के लिए एक ही रंग की साड़ी व ब्लाउज, जो कि ऊपर से नीचे की ओर धारियों वाले, छोटे डिजाइन के व हल्के रंग के हों, पहनने चाहिए।
विभिन्न कद एवं आकार वाले व्यक्तियों को अपनी लम्बाई व चौड़ाई के अनुसार वस्त्रों का चयन करना चाहिए।

(2) लिंग एवं आयु:
विभिन्न व्यक्तियों के लिए वेशभूषा के चयन हेतु अलग-अलग नियम होते हैं, जिन्हें निम्नांकित विवरण से समझा जा सकता है

(i) पुरुषों के लिए:
सही शारीरिक माप वाले कपड़े पहनने से बाहरी व्यक्तित्व आकर्षक दिखाई पड़ता है। वस्त्र चाहे संख्या में कम हों परन्तु उनकी अच्छी सिलाई आवश्यक है। पुरुषों को अपनी आर्थिक क्षमता के अनुसार उपयुक्त वस्त्र खरीदने चाहिए। महँगे होने के कारण सूट का कपड़ा सदैव टिकाऊ, आकर्षक व गहरे रंग का लेना चाहिए जिससे इसे बार-बार ड्राइक्लीन न कराना पड़े। नवयुवक पर प्रायः चमकीले अथवा गहरे रंग के वस्त्र आकर्षक लगते हैं, जबकि अधेड़ावस्था में हल्के व सौम्य रंग के वस्त्र ही ठीक रहते हैं।

(ii) स्त्रियों के लिए:
महिलाओं के लिए प्रायः साड़ी व ब्लाउज ही अधिक महत्त्वपूर्ण वस्त्र होते हैं। दैनिक उपयोग के लिए सूती साड़ियाँ सर्वोत्तम रहती हैं। विशेष अवसरों के लिए जरीदार बनारसी साड़ियाँ, काँचीवरम की साड़ियाँ तथा गुजराती बंधेज की साड़ियाँ उपयोग में लाई जाती हैं। सामान्य अवसरों के लिए हैण्डलूम की साड़ियाँ, आरगेण्डी व चिकन की साड़ियाँ तथा कृत्रिम तन्तुओं से निर्मित साड़ियाँ अधिक उपयुक्त रहती हैं। (UPBoardSolutions.com) साड़ियों के साथ अधिकतर अनुरूप (मैचिंग) रंग के ब्लाउज उपयुक्त रहते हैं। इसके लिए 2×2 रूबिया, पॉपलीन व रेशमी वस्त्रों का चयन उचित रहता है। मूल्यवान साड़ियों के साथ प्रायः ब्लाउज के लिए अतिरिक्त कपड़ा साड़ी के साथ ही जुड़ा मिलता है। कम आयु की महिलाओं के लिए प्रायः चटकीले रंग उपयुक्त रहते हैं, जो कि सहज ही हैण्डलूम व कृत्रिम तन्तुओं से निर्मित साड़ियों में उपलब्ध हो जाते हैं।

(iii) बच्चों के लिए:
बच्चे अधिक खेलते-कूदते हैं; अतः उनके वस्त्र मजबूत कपड़े के होने चाहिए। बाल्यावस्था में शारीरिक वृद्धि होने के कारण बच्चों के कपड़े थोड़े ढीले व संख्या में कम होने चाहिए। वस्त्रों की सिलाई कराते समय सींवनों में अतिरिक्त कपड़ा छोड़ने से इन्हें आवश्यकतानुसार ढीला किया जा सकता है। बच्चों के वस्त्रों के बटन मजबूती से लगे होने चाहिए। विशेष अवसरों के लिए बच्चों को महँगे वस्त्र दिलाए जा सकते हैं।

(iv) शिशुओं के लिए:
शिशुओं की त्वचा कोमल होती है; अतः इनके वस्त्र मुलायम कपड़ों (रेशमी, सूती व ऊनी आदि) के बनवाने चाहिए। शिशुओं को प्रायः हल्के गुलाबी, नीले, नारंगी आदि रंगों के झबले, रोम्पर, फ्रॉक, टी-शर्ट व लैंगिंग्स पहनाए जाते हैं।

(3) व्यवसाय एवं पद:
व्यवसाय एवं पद का सीधा सम्बन्ध मनुष्य की आर्थिक क्षमता एवं सामाजिक स्थिति में होता है। छोटे व्यवसाई अथवा छोटी नौकरी करने वाले व्यक्ति आय कम होने के कारण वस्त्रों पर अधिक व्यय नहीं कर सकते। इनके लिए प्रायः सूती व टेरीकॉट के वस्त्र ही अधिक उपयुक्त रहते हैं। अधिक आय वर्ग के व्यक्ति अधिक मूल्य के रेडीमेड अथवा अन्य प्रकार के अनेक वस्त्र प्रयोग कर सकते हैं। (UPBoardSolutions.com) कुछ विशिष्ट व्यवसायों एवं सेवाओं में वस्त्रों की निर्धारित सीमाएँ होती हैं; जैसे कि सेवा के समय में चिकित्सक, सेना व पुलिस कर्मचारी व वकील इत्यादि एक निश्चित पोशाक पहनने के लिए बाध्य होते हैं। व्यापारियों एवं दुकानदारों को कुर्ता-धोती अथवा कुर्ता-पाजामा पहनने में सुविधा रहती है। उच्च अधिकारियों, अध्यापक एवं अध्यापिकाओं को सौम्य रंग एवं फैशन के वस्त्र पहनने उपयुक्त रहते

(4) मौसम एवं भौगोलिक परिस्थिति:
वस्त्रों के चयन के लिए मौसम व स्थान-विशेष की भौगोलिक परिस्थितियों का एक अलग ही महत्त्व है। ग्रीष्म ऋतु में हल्के रंग के सूती वस्त्र तथा शीत ऋतु में विभिन्न प्रकार के गहरे रंग के ऊनी वस्त्र अधिक उपयुक्त रहते हैं। इसी प्रकार ठण्डे प्रदेशों में शीत ऋतु के वस्त्र तथा गर्म प्रदेशों में ग्रीष्म ऋतु के वस्त्र उपयोग करना आवश्यक होता है।

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1:
स्पष्ट कीजिए कि उचित वेशभूषा से व्यक्तित्व में निखार आता है।
उत्तर:
प्रत्येक व्यक्ति के व्यक्तित्व को निखारने में उसकी वेशभूषा का विशेष योगदान एवं महत्त्व होता है। यदि व्यक्ति अपनी आयु, व्यवसाय, अवसर, ऋतु एवं लिंग के अनुसार वेशभूषा धारण करता है। तो उस व्यक्ति का व्यक्तित्व सामान्य रूप से आकर्षक एवं प्रभावशाली प्रतीत होता है। जो व्यक्ति उचित वेशभूषा धारण करता है, उसके प्रति अन्य व्यक्तियों का व्यवहार भी सौम्य होता है। यह एक मनोवैज्ञानिक तथ्य (UPBoardSolutions.com) है कि उचित वेशभूषा धारण करने वाले व्यक्ति में एक प्रकार का अतिरिक्त आत्म-विश्वास भी जाग्रत होता है, इससे भी व्यक्ति के व्यक्तित्व में क्रमश: निखार आता है। इस प्रकार स्पष्ट है कि व्यक्ति-व्यक्तित्व को निखारने वाले कारकों में उचित वेशभूषा का महत्त्वपूर्ण स्थान है।

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प्रश्न 2:
अवसर के अनुकूल व्यक्तिगत वेशभूषा कैसी होनी चाहिए? कम-से-कम पाँच |.. बिन्दुओं का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
प्रत्येक व्यक्ति को अपने दैनिक एवं सामाजिक जीवन में विभिन्न अंवसरों एवं परिस्थितियों से गुजरना पड़ता है। यदि उसको सामान्य जीवन घरेलू परिस्थितियों में व्यतीत होता है, तो उसे कभी-कभी यात्रा पर भी जाना होता है और अनेक बार विवाह, जन्म-दिन आदि अनेक महत्त्वपूर्ण (UPBoardSolutions.com) सामाजिक उत्सवों में भी भाग लेना पड़ता है। प्रत्येक अवसर के लिए अनुकूल व्यक्तिगत वेशभूषा को चयन व्यक्तिगत सज्जा के नियमानुसार करने से उसके आत्मविश्वास एवं सामाजिक प्रतिष्ठा में वृद्धि होती है। आइए इस सम्बन्ध में कुछ उपयोगी नियमों का अवलोकन करें

(1) मौसम सम्बन्धी नियम:
मौसम के अनुसार सूती व रेशमी (ग्रीष्म ऋतु) अथवा ऊनी (शीत ऋतु) वस्त्र उपयोग में लाने चाहिए।

(2) मजबूती व टिकाऊपन सम्बन्धी नियम:
सामान्य घरेलू जीवन में मजबूत व टिकाऊ वस्त्र पहनना लाभदायक रहता है। रसोई-गृह में सूती वस्त्रों व शेष समय में हैण्डलूम व कृत्रिम तन्तुओं से निर्मित वस्त्रों का उपयोग सर्वोत्तम रहता है।

(3) आरामदायक व उपयुक्त फिटिंग सम्बन्धी नियम:
सदैव ऐसे वस्त्रों का चयन करना चाहिए जो कि शारीरिक आराम में बाधा न डालें। सही शारीरिक माप अथवा फिटिंग वाले वस्त्र पहनने से बाहरी व्यक्तित्व के आकर्षण में वृद्धि होती है।

(4) रंगों के संयोग का नियम:
रंग प्रायः परस्पर या तो समन्वित होते हैं अथवा विरोधाभासी। लाल एवं गुलाबी, गहरा व हल्का नीला, सफेद व काला इत्यादि रंगों के अद्भुत संयोग के उदाहरण हैं। इनका विवेकपूर्ण उपयोग सदैव लाभदायक रहता है।

(5) विशिष्ट अवसर सम्बन्धी नियम:
विवाह, जन्मोत्सव आदि उत्सवों में व्यक्तिगत वेशभूषा का चुनाव इस प्रकार करना चाहिए कि शरीर के असुन्दर भाग ढके रहें तथा सुन्दर अंगों का आवश्यक प्रदर्शन हो सके। इन अवसरों पर मूल्यवान वस्त्रों, जैसे जरीदार व रेशमी साड़ियों का उपयोग प्रतिष्ठा एवं सौन्दर्य में वृद्धि करता है।

प्रश्न 3:
व्यक्तिगत सज्जा हेतु वस्त्रों के विवेकपूर्ण चयन से आप क्या समझती हैं?
उत्तर:
व्यक्तिगत सज्जा के सारे नियमों का पालन करने पर भी यदि कोई व्यक्ति वस्त्रों को क्रय करते समय अपने विवेक का प्रयोग नहीं करता है, तो सब कुछ व्यर्थ हो सकता है। वस्त्रों के सुन्दर एवं उपयुक्त चुनाव के साथ निम्नलिखित सिद्धान्तों का पालन अवश्य किया जाना चाहिए

(1) बजट के अनुसार खरीदारी:
आप अपने बजट के अनुसार ही वस्त्रों का चयन करें। फिजूलखर्ची आप व आपके परिवार में असन्तोष उत्पन्न कर सकती है।

(2) सोच-समझकर खरीदारी:
वस्त्रों की उद्देश्यहीन खरीदारी न करें। अवसरों एवं आवश्यकताओं को दृष्टिगत रखकर की गई खरीदारी सदैव सुख एवं सन्तोष प्रदान करती है।

(3) मूल्य देखकर खरीदारी:
अधिक मूल्य के वस्त्र केवल आवश्यकता पड़ने पर ही खरीदें। सदैव अच्छी जगह से वस्त्र खरीदें। यदि वस्त्र सिलवाने हों, तो सोच-समझकर आवश्यक कपड़ा ही खरीदें। इससे कपड़ा व्यर्थ नहीं होगा और धन की बचत होगी।

(4) वस्त्रों की उचित देखभाल:
आपके पास वस्त्रं कर्म हों अथवा अधिक, उनकी उचित देखभाल करना अति आवश्यक है। इससे वस्त्रों को लम्बे समय तक प्रयोग में लाया जा सकता है।

प्रश्न 4:
बाजार से वस्त्रों को खरीदते समय आप किन-किन बातों का विशेष ध्यान रखेंगी?
उत्तर:
उपयुक्त वस्त्रों के चयन के अनेक नियम हैं, जिनमें कुछ इतने आवश्यक हैं जिनकी अवहेलना नहीं की जानी चाहिए। वस्त्रों के लिए कपड़ा खरीदते समय निम्नलिखित बातों को ध्यान में रखना आवश्यक है

  1. बाजार जाने से पूर्व ही यह निश्चित कर लेना आवश्यक है कि कपड़ा दैनिक उपयोग के लिए खरीदना है अथवा किसी विशिष्ट अवसर के लिए।
  2. कपड़ा मजबूत व टिकाऊ होना चाहिए।
  3. कपड़े का रंग पक्का होना चाहिए।
  4.  कपड़ा सिकुड़न मुक्त है अथवा नहीं, इसकी जाँच कर लेनी चाहिए।
  5.  सूती कपड़ों पर सनफोराइज्ड व कलैण्डर्ड की मोहर व ऊनी कपड़ों पर वूलमार्क व आई० एस० आई० मार्क अवश्य देख लेना चाहिए।
  6. कई अच्छी दुकानों पर जाकर कपड़े के सही मूल्य का अनुमान लगाकर ही उसे खरीदना चाहिए।

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प्रश्न 5:
स्कूल जाने वाले बालक-बालिकाओं की वेशभूषा का विवरण प्रस्तुत कीजिए।
उत्तर:
सामान्य रूप से सभी स्कूलों द्वारा छात्र-छात्राओं की वेशभूषा निर्धारित तथा निश्चित होती है इसलिए स्कूल जाने वाले बालक-बालिकाओं को स्कूल द्वारा निर्धारित यूनिफॉर्म ही धारण करनी चाहिए। यूनिफॉर्म धारण करने से स्कूल के सभी छात्र-छात्राओं में एकरूपता बनी रहती है तथा किसी प्रकार के भेदभाव या ऊँच-नीच के अन्तर के विकसित होने की आशंका नहीं रहती। स्कूल जाने वाले छात्र-छात्राओं की (UPBoardSolutions.com) वेशभूषा को तैयार करवाते समय ध्यान रखना चाहिए कि उनकी वेशभूषा चुस्त तथा अच्छी फिटिंग वाली ही होनी चाहिए। सामान्य रूप से ऐसा कपड़ा चुनना चाहिए जिसमें शीघ्र सिलवटें तथा शिकन न पड़े। स्कूल जाने वाले बच्चों की यूनिफॉर्म के लिए पक्के रंग वाला कपड़ा ही लेना चाहिए तथा उसकी धुलाई भी सरल होनी चाहिए। कपड़ों के अतिरिक्त बच्चों की वेशभूषा में जूतों, मोजों, बेल्ट तथा बैज आदि भी ठीक दशा में होने चाहिए।

प्रश्न 6:
तीज-त्योहार के अवसर पर पहनी जाने वाली वेशभूषा का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
तीज-त्योहार के अवसर अपने आप में कुछ विशिष्ट अवसर होते हैं। इन विशिष्ट अवसरों पर वेशभूषा धारण करने में भी विशेष ध्यान रखना चाहिए। इन अवसरों की प्रकृति तथा उत्साह के वातावरण को ध्यान में रखते हुए रंग-बिरंगे आकर्षक तथा भड़कीले वस्त्र भी पहने जा सकते हैं। व्यक्ति अपनी रुचि के अनुसार आधुनिक अथवा पारम्परिक किसी भी प्रकार के वस्त्र पहन सकता है। अनेक महिलाएँ इन अवसरों पर लहँगा-चुनरी, गरारा अथवा भारी साड़ियाँ पहना करती हैं। कुछ किशोरावस्था की लड़कियाँ इन अवसरों पर जीन्स अथवा (UPBoardSolutions.com) स्कर्ट आदि पहनना अधिक पसन्द करती हैं। जहाँ तक बनाव श्रृंगार का प्रश्न है, इन अवसरों पर पर्याप्त छूट होती है। अपनी रुचि एवं आयु के अनुसार पर्याप्त श्रृंगार किया जा सकता है। सुविधा के अनुसार आभूषण भी पहने जा सकते हैं। यदि इस अवसर पर मेले में अथवा भीड़-भाड़ वाले स्थान पर जाना हो, तो सुरक्षा के पहलू को अवश्य ही ध्यान में रखना चाहिए।

प्रश्न 7:
खेल के समय धारण की जाने वाली वेशभूषा का विवरण दीजिए।
उत्तर:
खेल के समय व्यक्ति को विभिन्न प्रकार की शारीरिक क्रियाएँ करनी पड़ती हैं तथा सभी क्रियाएँ प्रायः तीव्र गति से करनी पड़ती हैं। इस स्थिति में शरीर से अधिक पसीना निकलता है। अतः इन तथ्यों को ध्यान में रखकर ही खेल के समय की वेशभूषा का निर्धारण करना चाहिए तथा उसका निर्माण ऐसे कपड़े से किया जाना चाहिए जिसमें अवशोषकता का गुण विद्यमान हो ताकि खेल के समय वो शरीर से निकलने (UPBoardSolutions.com) वाले पसीने को सोख सके। इसके अतिरिक्त खेल के समय धारण की जाने वाली वेशभूषा ऐसे कपड़े की होनी चाहिए जिससे धोना सरल हो। खेल के समय जूतों तथा मोजों का भी विशेष ध्यान रखना चाहिए। हल्के तथा आरामदायक जूते पहनना ही अच्छा रहती है।

प्रश्न 8:
रात्रि-भोज के अवसर पर पहनी जाने वाली वेशभूषा का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
रात्रि-भोज के अवसर सामान्य रूप से हर्ष, उल्लास एवं प्रसन्नता के अवसर होते हैं। रात्रि-भोज के अवसर पर अधिक औपचारिकता नहीं होती तथा प्रत्येक व्यक्ति अपनी रुचि के अनुसार आकर्षक एवं सुन्दर वेशभूषा पहन सकता है। इस अवसर पर यदि चाहें तो सीमित रूप से भड़कीली तथा आत्म-प्रदर्शन में सहायक वेशभूषा भी पहनी जा सकती है। महिलाएँ यदि चाहें तो रात्रि-भोज के अवसर पर चमकीले, भड़कीले तथा जरी-गोटे वाले बहुमूल्य वस्त्र भी पहन सकती हैं। आधुनिक फैशन के अनुसार इन अवसरों पर साटन तथा वेलवेट के वस्त्र पहनने का भी प्रचलन है। रात्रि-भोज के अवसर पर वेशभूषा के साथ-साथ अपनी रुचि के अनुसार कम या (UPBoardSolutions.com) अधिक श्रृंगार भी किया जा सकता है। बालों को सजाने के लिए ताजे फूलों का गजरा भी लगाया जा सकता है। यदि चाहें तो परफ्यूम भी इस्तेमाल किया जा सकता है। इस अवसर पर एक निश्चित सीमा के अन्तर्गत रहते हुए शारीरिक सौष्ठव का प्रदर्शन भी किया जा सकता है। रात्रि-भोज के अवसर पर यदि चाहें तो गहने भी पहने जो सकते हैं, परन्तु सुरक्षा का समुचित ध्यान रखना चाहिए।

प्रश्न 9:
यात्रा के समय धारण की जाने वाली वेशभूषा का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
प्रत्येक व्यक्ति को अपने जीवन में कभी-न-कभी छोटी अथवा लम्बी यात्री पर जाना ही। पड़ता है। कुछ व्यक्तियों को तो नियमित रूप से ही यात्रा पर जाना पड़ता है। यात्रा के समय भी व्यक्ति को अपनी वेशभूषा का चुनाव सूझ-बूझपूर्वक करना चाहिए। यात्रा के समय धारण की जाने वाली वेशभूषा का अनिवार्य गुण उसका सुविधादायक होना है। यात्रा के समय वही वेशभूषा धारण की जानी चाहिए, जो लम्बे समय तक सीट पर बैठने अथवा लेटने में सुविधाजनक हो। इस अवसर पर ऐसे वस्त्र धारण करना उत्तम माना जाता है जो (UPBoardSolutions.com) शीघ्र ही क्रश न होते हों अर्थात् शीघ्र ही सिलवटें पड़ने वाले वस्त्र यात्रा के समय धारण नहीं करने चाहिए। सामान्य रूप से यात्रा के समय किसी प्रकार का विशेष बनाव-श्रृंगार नहीं किया जाना चाहिए। जहाँ तक कीमती आभूषणों का प्रश्न है, यात्रा के समय इन्हें बिल्कुल भी धारण नहीं किया जाना चाहिए अन्यथा किसी अनहोनी के घटित होने की निरन्तर आशंका बनी रहती है।

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प्रश्न 10:
कामकाजी महिलाओं के लिए कार्य के समय पहनी जाने वाली वेशभूषा का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
कामकाजी महिलाओं को अपने कार्य के समय वेशभूषा का विशेष ध्यान रखना चाहिए। इस अवसर पर प्रत्येक स्थिति में वेशभूषा की सौम्यता का विशेष रूप से ध्यान रखना चाहिए। कार्यस्थल की औपचारिकता को अवश्य ध्यान में रखना चाहिए तथा किसी भी स्थिति में महिलाओं को अधिक चटकदार तथा दिखावटी वेशभूषा नहीं पहननी चाहिए। इस समय अधिक श्रृंगार भी नहीं करना चाहिए, केवल हल्का-सा अति आवश्यक श्रृंगार ही करना चाहिए। बिन्दी, हल्की लिपस्टिक तथा माँग भरना (यदि विवाहित हों तो) ही पर्याप्त होता है। (UPBoardSolutions.com) कार्य-स्थल पर खनखनाहट वाले गहने भी नहीं पहनने चाहिए। इससे कार्य-स्थल के वातावरण में व्यवधान उत्पन्न होता है तथा अशोभनीय प्रतीत होता है। सामान्य रूप से कोई तेज सुगन्ध वाला परफ्यूम या तेल भी नहीं लगाना चाहिए। संक्षेप में कहा जा सकता है कि महिलाओं द्वारा कार्य-स्थल पर पहनी जाने वाली वेशभूषा में अनावश्यक आकर्षण तथा भड़कीलेपन का प्रदर्शन नहीं होना चाहिए, बल्कि उसके माध्यम से सौम्यता, गरिमा तथा सादगी का ही प्रदर्शन होना चाहिए।

प्रश्न 11:
शोक के अवसर पर धारण की जाने वाली वेशभूषा का विवरण दीजिए।
उत्तर:
शोक के अवसर पर उल्लास एवं उमंग का नितान्त अभाव होता है। इस अवसर पर परस्पर संवेदना तथा सहानुभूति प्रकट की जाती है। शोक के अवसर पर जहाँ तक हो सके बिल्कुल सादी वेशभूषा ही धारण की जानी चाहिए। हमारे समाज में पारम्परिक रूप से इस अवसर पर सफेद अथवा हल्के (UPBoardSolutions.com) रंगों की वेशभूषा ही धारण की जाती है। कुछ समाजों में शोक के अवसर पर काले रंग की वेशभूषा धारण की जाती है। शोक के अवसर पर सादी वेशभूषा धारण करने के साथ ही साथ किसी प्रकार का बनाव-श्रृंगार भी नहीं किया जाता। संक्षेप में कहा जा सकता है कि शोक के अवसर पर व्यक्ति की वेशभूषा से सादगी का प्रदर्शन होना चाहिए, न कि दिखावे तथा आकर्षण का।

अतिलघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1:
व्यक्तिगत सज्जा क्या है?
उत्तर:
व्यक्तिगत सज्जा से तात्पर्य उस महत्त्वपूर्ण कारक से है जो व्यक्ति के बाहरी व्यक्तित्व को निखारने में उल्लेखनीय भूमिका निभाता है। इस कारक के अन्तर्गत सामान्य रूप से उचित वेशभूषा, श्रृंगार के ढंग, बालों को सँवारने के ढंग, बातचीत करने के ढंग, उठने-बैठने के ढंग तथा व्यक्ति के हाव-भावों को सम्मिलित किया जाता है।

प्रश्न 2:
व्यक्तिगत सज्जा क्यों आवश्यक है?
उत्तर:
व्यक्तिगत सज्जा मनुष्य की रुचि एवं रहन-सहन के स्तर की परिचायक होती है। उपयुक्त सज्जा मनुष्य को आत्मविश्वास, सामाजिक प्रतिष्ठा एवं मानसिक प्रसन्नता प्रदान करती है तथा उसके बाहरी व्यक्तित्व को आकर्षक एवं प्रभावशाली बनाती है।

प्रश्न 3:
व्यक्तिगत सज्जा का मूल आधार क्या है?
उत्तर:
उपयुक्त वेशभूषा व्यक्तिगत सज्जा का मूल आधार है।

प्रश्न 4:
वेशभूषा के लिए कपड़े का चुनाव करते समय ध्यान रखने योग्य मुख्य गुण क्या हैं?
उत्तर:
वेशभूषा के लिए कपड़ा

  1.  आकर्षक एवं आरामदायक होना चाहिए,
  2. मजबूत एवं टिकाऊ होना चाहिए,
  3. सरलता से धुलने वाला होना चाहिए तथा
  4.  आर्थिक बजट के अनुरूप होना चाहिए।

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प्रश्न 5:
ग्रीष्म ऋतु में कौन-से वस्त्र उपयुक्त रहते हैं?
उत्तर:
ग्रीष्म ऋतु में सूती वस्त्र अधिक उपयुक्त रहते हैं।

प्रश्न 6:
ग्रीष्म ऋतु के वस्त्रों में कौन-कौन सी मुख्य विशेषताएँ होनी चाहिए?
उत्तर:
ग्रीष्म ऋतु के वस्त्र पसीना सोखने वाले, महीन, सफेद अथवा हल्के रंगों के होने चाहिए।

प्रश्न 7:
रसोई गृह में नायलॉन व टेरीलीन के वस्त्र पहनने से क्या हानि हो सकती है?
उत्तर:
ये वस्त्र आग शीघ्र पकड़ते हैं; अतः इन्हें भोजन बनाते समय नहीं पहनना चाहिए।

प्रश्न 8:
छोटे बच्चों के वस्त्र किस प्रकार के होने चाहिए?
उत्तर:
बच्चों के लिए सदैव चमकीले एवं भड़कीले वस्त्र लेने चाहिए। इसके साथ-साथ इस बात का भी ध्यान रखना चाहिए कि बच्चों के वस्त्रों का कपड़ा नर्म तथा मुलायम होना चाहिए।

प्रश्न 9:
वृद्ध व्यक्तियों को किस रंग के वस्त्र धारण करने चाहिए ?
उत्तर:
वृद्ध व्यक्तियों को सफेद या हल्के रंगों के वस्त्र ही धारण करने चाहिए।

प्रश्न 10:
अिंक पूफ का क्या अर्थ है?
उत्तर:
कुछ रासायनिक पदार्थों का प्रयोग कर कपड़ा सिकुड़ने से मुक्त बनाया जाता है, इसी को श्रिंक पूफ कहते हैं।

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प्रश्न 11:
मौसम के अनुसार वस्त्र पहनना क्यों आवश्यक है?
उत्तर:
मौसम के अनुसार वस्त्र पहनना इसलिए आवश्यक है जिससे कि मौसम के प्रभाव से बचा जा सके।

प्रश्न 12:
वर्षा ऋतु में कौन-से वस्त्रों से अधिक आराम मिलता है?
उत्तर:
वर्षा ऋतु में सूती व महीन वस्त्रों से अधिक आराम मिलता है।

वस्तुनिष्ठ प्रश्न

प्रश्न:
प्रत्येक प्रश्न के चार वैकल्पिक उत्तर दिए गए हैं। इनमें से सही विकल्प चुनकर लिखिए

(1) व्यक्तिगत सज्जा के लिए आवश्यक है
(क) उचित वेशभूषा,
(ख) श्रृंगार एवं उचित केश विन्यास,
(ग) बात करने तथा उठने-बैठने का उचित ढंग,
(घ) उपर्युक्त सभी।

(2) वस्त्रों का चुनाव करते समय ध्यान में रखना चाहिए
(क) कपड़े का गुण,
(ख) कपड़े की सुन्दरता तथा आकर्षण,
(ग) कपड़े का मूल्य,
(घ) ये सभी।

(3) खेल के समय वस्त्र धारण करने चाहिए ।
(क) मोटे तथा मजबूत,
(ख) कृत्रिम तन्तुओं से बने,
(ग) पसीना सोखने की क्षमता वाले,
(घ) पुराने तथा घटिया।

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(4) घरेलू जीवन में उपयोग के लिए सर्वोत्तम वस्त्र हैं
(क) सूती,
(ख) रेशमी,
(ग) जरीदार,
(घ) आधुनिक फैशन के।

(5) सफेद अथवा हल्के रंगों के वस्त्र पहनने चाहिए
(क) शीत ऋतु में,
(ख) ग्रीष्म ऋतु में,
(ग) वर्षा ऋतु में,
(घ) इन सभी में।।

(6) व्यक्तिगत सज्जा से वृद्धि होती है
(क) सामाजिक प्रतिष्ठा में,
(ख) व्यक्तित्व के आकर्षण में,
(ग) मानसिक सन्तोष में,
(घ) इन सभी में।

(7) काले रंग के व्यक्ति को वस्त्र पहनने चाहिए
(क) सफेद रंग के,
(ख) हल्के रंग के,
(ग) गहरे रंग के,
(घ) किसी भी रंग के।

(8) लम्बे कद की महिलाओं को साड़ी व ब्लाउज पहनने चाहिए
(क) समान रंग के,
(ख) भिन्न रंग के
(ग) सफेद रंग के,
(घ) काले रंग के।

(9) शिशु के वस्त्र बने होने चाहिए
(क) सूती तन्तु से,
(ख) टेरीलीन के तन्तु से,
(ग) नायलॉन के तन्तु से,
(घ) किसी भी तन्तु से।।

(10) स्कूल जाने वाले बालक-बालिकाओं को धारण करनी चाहिए
(क) रंग-बिरंगी वेशभूषा,
(ख) मजबूत वेशभूषा,
(ग) सस्ती वेशभूषा,
(घ) स्कूल द्वारा निर्धारित वेशभूषा।

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(11) पसीना सोखने की क्षमता वाले वस्त्र हैं
(क) ऊनी वस्त्र,
(ख) टेरीलीन के वस्त्र,
(ग) रेशमी वस्त्र,
(घ) सूती वस्त्र।

उत्तर:
(1) (घ) उपर्युक्त सभी,
(2) (घ) इन सभी,
(3) (ग) पसीना सोखने की क्षमता वाले,
(4) (क) सूती,
(5) (ख) ग्रीष्म ऋतु में,
(6) (घ) ये सभी में,
(7) (ख) हल्के रंग के,
(8) (ख) भिन्न रंग के,
(9) (क) सूती तन्तु से,
(10) (घ) स्कूल द्वारा निर्धारित वेशभूषा,
(11) (घ) सूती वस्त्र।

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