UP Board Solutions for Class 5 Hindi हिन्दी कलरव

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UP Board Solutions for Class 5 Hindi कलरव

Kalrav Hindi Book Class 5 Solutions

हिंदी व्याकरण
प्रार्थना पत्र (पत्र – लेखन)
निबंध रचना

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UP Board Solutions for Class 5 Science विज्ञान परख

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UP Board Solutions for Class 5 Science परख

Parakh Class 5 Science Solutions

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UP Board Class 5 नैतिक शिक्षा एवं स्वास्थ्य शिक्षा

UP Board Class 5 नैतिक शिक्षा एवं स्वास्थ्य शिक्षा

नैतिक शिक्षा का उद्देश्य

१. छात्रों में सदैव सत्य बोलने की भावना जाग्रत् करना।
२. छात्रों में परोपकार एवं दया की भावना जाग्रत करना।
३. छात्रों में देश-प्रेम की भावना जाग्रत करना।
४. छात्रों में अपने माता-पिता, गुरुजनों का सम्मान करने की भावना जाग्रत् करना।

योग-शिक्षा

प्रश्न १.
योग किसे कहते हैं?
उत्तर:
आत्मा को परमात्मा से जोड़ने की प्रक्रिया ही योग है।

प्रश्न २.
आसन करते समय किन-किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?
उत्तर:
आसन करते समय निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना चाहिए
१. आसन खाली पेट करना चाहिए।
२. आसन करते समय ढीले वस्त्र पहनने चाहिए।
३. आसन करने का कमरा खुला एवं हवादार होना चाहिए।
४. जमीन पर मोटा कपड़ा या कम्बल बिछाकर आसन करना चाहिए।
५. प्रत्येक आसन करने के बाद शरीर को ढीला छोड़ देना चाहिए, जिससे शरीर के प्रत्येक अंग को आराम मिले।

प्रश्न ३.
आसनों से प्राप्त होनेवाले लाभ का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
आसनों से निम्नलिखित बिन्दुओं में लाभ होता है
१. आसन करने से शरीर स्वस्थ, सुडौल, सुन्दर एवं नीरोग रहता है।
२. आसन शरीर के अंगों को मजबूत बनाता है।
३. आसन करने से शरीर चुस्त रहता है।
४. आसन करने से शरीर में लचीलापन बना रहता है।
५. आसन करने से शरीर का आलस्य दूर रहता है।
६. आसन करने से मन को एकाग्र करने तथा आत्म-चिंतन में सहायता मिलती है।

सुखासन

विधि – जिन छात्रों को पद्मासन कठिन प्रतीत होता है, उनके लिए सुखासन सुविधाजनक है। इस आसन में पालथी मारकर सीधा बैठना चाहिए; किन्तु कमर झुकी न हो, यह ध्यान रहे। बाएँ हाथ की हथेली बाएँ घुटने पर और दाएँ हाथ की हथेली दाएँ घुटने पर आराम से रखनी चाहिए। हाथों की अंगुलियों एवं नेत्रों को सहज रखें।
UP Board Class 5 नैतिक शिक्षा एवं स्वास्थ्य शिक्षा 1

लाभ: इस आसन से हाथों और टाँगों की मांसपेशियाँ मजबूत होती हैं और पाचनशक्ति बढ़ती है। घुटनों में जमा हुआ रक्तविकार दूर हो जाता है।

वज्रासन
इस आसन में बैठनेवाला व्यक्ति दृढ़ और मजबूत स्थिति प्राप्त करता है। इस स्थिति में सरलता से हिला-डुला नहीं जा सकता, इसीलिए इसे वज्रासन कहा जाता है।

विधि – पैरों के दोनों तलवों को गुदा के दोनों ओर इस प्रकार रखिए कि दोनों जाँघे पैरों पर और कूल्हे तलवों पर आए। टखनों से घुटनों तक का भाग भूमि को छूना चाहिए। पूरे शरीर का वजन घुटनों और टखनों पर रखिए। इस आसन के अभ्यास के दौरान श्वासोच्छवास जारी रखिए। प्रारंभ में संभवतः घुटनों और टखनों में दर्द होगा; किन्तु बाद में अपने आप दूर हो जाएगा। दोनों हाथ सीधे करके घुटनों पर रखिए।
UP Board Class 5 नैतिक शिक्षा एवं स्वास्थ्य शिक्षा 2

दोनों घुटनों को एकदम नजदीक रखिए। शरीर, गर्दन और सिर एक सीध में रखकर बिलकुल तनकर बैठिए। यह एक अत्यंत सामान्य आसन है। इस आसन में काफी लंबे समय तक आराम से बैठा जा सकता है।

लाभ:
१. इस आसन से पाचक रस अधिक मात्रा में उत्पन्न होते हैं। जठर अच्छा कार्य करता है और गैस का रोग मिटता है।
२. यह आसन निरंतर करने से घुटनों, पैरों, पंजों और जाँघों में होनेवाला दर्द दूर होता है।
३. इस आसन का लंबे समय तक अभ्यास करने से रसग्रंथियों अथवा प्लीहा, गले के कॉकल, अस्थिमज्जा आदि स्थानों पर उत्पन्न होनेवाले श्वेतकणों की संख्या में वृद्धि होने से स्वास्थ्य अधिक अच्छा बनता है।
४. नियमित रूप से यह आसन करनेवाला व्यक्ति ज्वर, कब्ज, मन्दाग्नि या अजीर्ण आदि छोटे-बड़े किसी भी रोग से पीड़ित नहीं होता।

उत्कट आसन

विधि – अपने पंजों पर एड़ियों को जितना उठा सकें उठाकर खड़े हो जाइए। इसके पश्चात धीरे-धीरे अपने शरीर को साधते हुए पंजों के सहारे जमीन पर बैठने का प्रयास कीजिए। आपके शरीर का सारा भार पंजों पर ही होना चाहिए। कुल्हे और एड़ियाँ एक-दूसरे से मिले रहने चाहिए। दोनों इस अवस्था में रहें कि जमीन से सामान्तर रेखाएँ बनाएँ। आपके शरीर का शेष अंग सीधे और समकोण रहने चाहिए। दोनों हाथ घुटनों पर और आँखें खुली रखकर गहरी साँस लेनी चाहिए।
UP Board Class 5 नैतिक शिक्षा एवं स्वास्थ्य शिक्षा 3

उत्कट आसन के निम्न लाभ होते हैं
१. इसमें मांसपेशियों का गठन अच्छा होता है।
२. पैरों के अँगूठे तथा घुटने स्वस्थ रहते हैं।
३. आसन शरीर शुद्धि में सहायक होते हैं।
४. रीढ़ की हड्डी ठीक बनी रहती है।

कोणासन

इस आसन में दोनों हाथ और दोनों पैरों से शरीर का आधार कोण जैसा बनता है। इसलिए इसे ‘कोणासन’ कहा जाता है। इस आसन में दोनों हाथों के पंजों और पैरों की एड़ियों पर पूरे शरीर का संतुलन बनाए रखना पड़ता है।
UP Board Class 5 नैतिक शिक्षा एवं स्वास्थ्य शिक्षा 4

विधि – दोनों पैर साथ में जोड़े रखिए। दोनों हाथों के बीच कंधों के बराबर अंतर रखकर हाथ और पैर लंबे करें। इसके बाद साँस खींचिए और हथेलियों तथा एडियों की सहायता से शरीर को ऊपर की ओर ले जाइए। गरदन को पीछे की ओर मोड़िए। दोनों हाथ सीधे और सीना आसमान की तरफ रखिए। इस स्थिति में आठ-दस सेकंड तक रहिए; फिर धीरे-धीरे मूल स्थिति में आइए। यह आसन चार से छह बार कर सकते हैं।

लाभ:
१. इस आसन से कंधे मजबूत बनते हैं और पेट की तकलीफें दूर होती है।
२. इस आसन से पैरों और रीढ़ को पर्याप्त मात्रा में व्यायाम मिलता है।
३. यह आसन पश्चिमोत्तानासन का उप-आसन माना जाता है। इसलिए इसे पश्चिमोत्तानासन के बाद करने से बहुत लाभ होता है।

आसन करते समय सावधानी

आसन करते समय निम्नलिखित सावधानियाँ रखनी चाहिए
१. आसन नियमपूर्वक करना चाहिए तथा कभी भी शीघ्रता नहीं करनी चाहिए।
२. आसन करने के पश्चात् कभी भी तुरंत स्नान नहीं करना चाहिए।
३. आसन करते समय आपस में बातचीत नहीं करनी चाहिए।
४. आसन प्रतिदिन निश्चित समय पर करना चाहिए।

दिशाओं का ज्ञान
UP Board Class 5 नैतिक शिक्षा एवं स्वास्थ्य शिक्षा 5

निर्देश –

  • बच्चों से पूछे कि सूर्योदय के समय सूर्य की ओर मुंह करके खड़े होने पर उनके
    • मुँह की ओर कौन-सी दिशा होगी?
    • पीठ की ओर कौन-सी दिशा होगी?
    • बाएँ हाथ की ओर कौन-सी दिशा होगी?
    • दाएँ हाथ की ओर कौन-सी दिशा होगी?
  • कक्षा के अंदर भी यह गतिविधि करवाएँ।
  • नक्शे के आधार पर भी दिशाओं की पहचान करवाएँ।

महीनों और त्योहारों के नाम
UP Board Class 5 नैतिक शिक्षा एवं स्वास्थ्य शिक्षा 6

निर्देश

  • प्रत्येक माह में प्रकृति में होनेवाले परिवर्तन के बारे में चर्चा करें।
  • भारतीय कैलेंडर के अनुसार आनेवाले तीज-त्योहारों के बारे में बातचीत करें।
  • अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार आनेवाले प्रमुख त्योहारों के विषय में बातचीत करें।
  • ऋतुओं के बारे में चर्चा करें कि कौन-सी ऋतु किस अंग्रेजी अथवा भारतीय महीने में आती है।

UP Board Solutions for Class 5

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UP Board Class 5 Textbook Solutions

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UP Board Class 5 Hindi निबंध रचना

UP Board Class 5 Hindi निबंध रचना

मेरी पाठशाला

मेरे विद्यालय का नाम प्राथमिक विद्यालय है। इसका भवन विशाल और सुन्दर है। इसमें पाँच कमरे हैं। सभी कमरे खुले और हवादार हैं। इनमें रोशनी तथा बिजली के पंखों का बहुत अच्छा प्रबंध है। पाठशाला में प्रधानाध्यापक का कमरा अलग है।

इस पाठशाला में लगभग दो सौ विद्यार्थी हैं। इसमें सभी अध्यापक बहुत परिश्रमी हैं। वे हमें बहुत प्यार से पढ़ाते हैं। स्कूल में एक बहुत बड़ा मैदान है। हम प्रतिदिन प्रार्थना के लिए इसमें इकट्ठे होते हैं। पाठशाला के एक कोने में सुन्दर मन्दिर है। इस मन्दिर के पास एक छोटा-सा बगीचा है। मन्दिर के बाईं ओर पानी के नल लगे हुए हैं। स्कूल का परीक्षा परिणाम बहुत अच्छा आता है। मुझे अपनी पाठशाला बहुत अच्छी लगती है।

UP Board Class 5 Hindi निबंध रचना

मेरे अध्यापक

मेरे विद्यालय में छह अध्यापक पढ़ाते हैं। हमारे कक्षाध्यापक एक स्वस्थ युवक हैं। उनका व्यक्तित्व आकर्षक है। सादा जीवन, उच्च विचारवाली बात उन पर खरी उतरती है। छात्रों को पढ़ाने का उनका ढंग बहुत ही अच्छा है। . उन्होंने बी०ए०, बी०एड० की परीक्षाएँ पास की हैं। वे हमें सभी विषय पढ़ाते हैं। वे बहुत अच्छे ढंग से पाठ पढ़ाते हैं और कुछ रोचक कहानियाँ भी सुनाते हैं। वे कुशल वक्ता तथा मृदु स्वभाव के हैं। वे गरीब छात्रों की सहायता भी करते हैं। वे सच्चे अर्थों में गुरु हैं। भगवान उन्हें दीर्घायु प्रदान करें तथा स्वस्थ रखें!

गणतंत्र दिवस-26 जनवरी

26 जनवरी, 1950 को हमारे देश में गणतंत्र शासन शुरू हुआ। हमारे देश में अपना संविधान तथा अपने कानून लागू हुए। इसी की याद में प्रतिवर्ष 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस का महोत्सव मनाया जाता है।

गणतंत्र दिवस का उत्सव मनाने के लिए कई दिन पहले से तैयारी होती है। स्कूलों, कॉलेजों तथा दफ्तरों में इस दिन उत्सव मनाने के लिए काम की छुट्टी होती है।

सुबह ही प्रभात फेरी होती है। प्रभात फेरी गाकर तथा नारे बोलकर लोगों को जगाया जाता है। इसके बाद सभी सरकारी दफ्तरों तथा अन्य स्थानों पर राष्ट्रध्वज फहराए जाते हैं। सभाएँ होती हैं, जिनमें भाषण, देशप्रेम की कविताएँ, गाने आदि होते हैं। स्कूलों में बालकों के खेल-कूद होते हैं। जीतनेवाले छात्रों को पुरस्कार दिए जाते हैं।

‘गणतंत्र दिवस’ हमारा राष्ट्रीय त्योहार है। यह उत्सव हम उत्साह तथा आनंद से मनाते हैं तथा देश की तन-मन-धन से सेवा करने की प्रतिज्ञा करते हैं।

वसन्त ऋतु

भारत में चार मुख्य ऋतुएँ हैं। इनमें वसन्त ऋतु सबसे सुन्दर है। यह ऋतुओं का राजा है। इस ऋतु में न सर्दी होती है और न ही गर्मी पड़ती है। इस ऋतु का प्रारम्भ माता महासरस्वती की पूजा से होता है। इस दिन भगवती/सरस्वती की प्रतिमा के सामने पुस्तकों, पुस्तिकाओं, लेखनियों, दवातों आदि की भी पूजा होती है; अतः हमें इन सबका आदर करना चाहिए। बागों में सुन्दर फूल खिलते हैं; वृक्षों में नई कोंपले उगती हैं; खेतों में पीले फूलों की बहार छा जाती है; पक्षी खुशी से गीत गाते हैं; तितलियाँ नाचती हैं और भँवरे गुनगुनाते हैं।

UP Board Class 5 Hindi निबंध रचना

भारत में वसन्त ऋतु के स्वागत में त्योहार मनाया जाता है। इस त्योहार को वसन्त कहते हैं। बड़े-बड़े नगरों में मेले लगते हैं। इन मेलों में खेल होते हैं। जीतनेवालों को इनाम मिलते हैं। बच्चे और बड़े सुन्दर वस्त्र पहनते हैं। कई लोग पीले रंग की पगड़ी बाँधते हैं। बच्चे पतंग उड़ाते हैं। आकाश पतंगों से भरा दिखाई देता है। सच तो यह है कि वसन्त ऋतु खुशियाँ ही खुशियाँ लाती है।

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